Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ - Page 3 - SexBaba
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Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ

साना की गर्दन पे किसिंग करते करते मैंने साना को पेड़ के साथ लगा लिया, हम दोनों एक दूसरे को यूं ही चूमने में व्यस्त थे कि मैंने अपना वह हाथ जो साना की कमर पे रखा था उसे साना के एक बूब पे रखा और उसका एक बूब दबाने लगा . साना का बूब दबाते दबाते अचानक मेरा लंड एक झटका मार के जाग उठा, बिल्कुल उस व्यक्ति की तरह जो कच्ची नींद में सोया सपना देख रहा होता है और फिर सपना देखते देखते अचानक एक झटके में जाग उठता है। साना के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी और साना कह रही थी "सलमान आह आह हम्म मम आह नहीं करो सलमान अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह . साना का पहला प्यार और साना के जीवन में वह पहला व्यक्ति था जो उसे छू रहा था।।। अपने बूब जैसी संवेदनशील जगह पे मेरे स्पर्श से साना को शायद बहुत मज़ा आ रहा था।।।। 


साना के बूब्स दबाते हुए अचानक मेरे दिमाग में कुछ विचार आया और मैंने साना को कहा: साना तुम्हारे बूब्स कितने मोटे हैं

"सलमान धीरे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह" 

हम दोनों एक दूसरे कीगरदन को चूमे जा रहे थे और साथ ही साथ मैं उसके बूब दबा रहा था फिर मैं अपना वह हाथ नीचे किया और साना की कमीज के अंदर डालने लगा तो साना ने मेरा वह हाथ पकड़ लिया और मदहोशी के आलम में मुझे कहा सलमान ऐसे मत करो प्लीज़। । 

मैंने साना की बात अनसुनी करते हुए हाथ अंदर डालने की कोशिश जारी रखी। । पर साना ने मेरा हाथ अंदर जाने नहीं दिया। मैंने साना के कान के पास अपने होंठ ले जाते हुए फुसूफुसाया कि: बस थोड़ा प्रेस करना है। ।

साना चरित्र की एक अच्छी लड़की थी, पर वह कहते हैं न प्यार के आगे मजबूर। सो साना ने मेरे हाथ से अपनाहाथ हटा लिया। ।

फिर मैंने आराम से अपना हाथ अंदर डाला और साना की ब्रा से उंगलियां टच होते ही, मैंने कोई देर किए बिना अपना हाथ ब्रा के अंदर डाल दिया। 

एक तरफ मेरे होंठ उसकी गर्दन पे चिपके हुए अपना काम कर रहे थे, दूसरी ओर जब उसके बूब को मैंने पकड़ा तो जैसे साना ने अपने आप को पूरा ही मेरे हवाले कर दिया। उसने अपने लिप्स मेरी गर्दन से उठा दिए और अपने दोनों हाथ मेरे शोल्डर से गुज़ारते हुए मेरी गर्दन के आसपास रख दिये और अपने गाल मेरे शोल्डर पे रख दिए। । साना का मम्मा काफी मोटा और तना हुआ था। मैं उसके बूब को आराम से दबा रहा था। मुझसे अपना मम्मा पंप करवा के साना मजे से सिसकियाँ ले रही थी। मैं उसके निपल्स पे भी अपना अंगूठा फेर रहा था। । काफी देर मम्मा दबाने के बाद अब मैं आगे बढ़ने की सोच में था, इसलिए साना के हसीन और सुंदर शरीर को और अधिक महसूस करने के लिए . ((काश साना को मुझ जैसा स्वार्थी दोस्त कभी न मिलता, वह बेचारी तो अपने प्यार पे अपना शरीर निछावर कर रही थी, उसे क्या पता जिसे वह अपना सब कुछ समझती है, वह तो अपनी वासना की आग को ठंडा कर रहा है)) 


अचानक मैंने अपना वह हाथ बाहर निकाला और दोनों हाथों से साना की कमीज पकड़ कर ऊपर को करने लगा कि साना के शरीर को एक झटका सा लगा और वह पीछे को हुई और अपने हाथों से मेरे हाथों को पीछेझटका और कहा: नहीं सलमान नहीं। ।

मैंने आगे हो के साना होंठों पे एक किसकी और कहा: साना बस एक बार देखने हैं। । 

साना के लिए ये बातें बहुत अजीब थी, मैं यह भी जानता था। । पर मैं वासना का मारा तो यह बात जान कर भी साना से ऐसी बातें करने से न चूका । मैं तो बस साना के मासूम प्यार का फायदा उठाना चाहता था। । 


साना ने जब मेरी बात से इनकार कर दिया तो मुझे गुस्सा आ गया उस पे और हाथ बांध के साइड में खड़ा हो गया। । साना ने जब देखा कि मैं सख्त नाराज़ हूँ तो उस से रहा न गया और वह मेरे पास आई और मेरे शोल्डर पे सिर रखते हुए कहा: प्लीज़ नाराज मत होना, यह भी भला कोई नाराज होने की बात हैं। । । । । साना ने पीछे होते हुए मेरे गाल को पकड़ा और मेरी आँखों में आँखें डालते हुए बोली सलमान प्लीज़ . उस दिन मैने साना के साथ और कुछ नही किया और मैं अपना मुँह फुला कर घर के लिए चल दिया . साना बिचारी मुझे रोकती ही रह गई पर मैं नही रुका .

जब कॉलेज से घर वापस आया, तो अपने कमरे में लेटे लेटे साना के बारे में सोचने लगा। दिल मुझे यह सब साना के साथ करने को मना कर रहा था, जबकि तथ्य यह था कि मुझे खुद पे कोई कंट्रोल ही नहीं रहता था, जब साना मेरे पास होती थी और यह होता कि मन की जीत हो जाती। । दिल और दिमाग की लड़ाई चल रही थी और मैं ऐसे ही रात के बारे में सोचने लगा कि कब रात हो और मैं अपनी बाजी पास पहुँच जाऊ औरजहाँ मेरे दिल को सुकून मिलता है, चैन मिले मेरी आत्मा को और आत्मा और दिल के गले शिकवे होते रहे । 


समय बड़ी मुश्किल से कटा और रात आ ही गई। । । मैनेबाजी केडोर पे नोक किया तो कुछ देर बाद दरवाजा ओपन हुआ। दुनिया में रहने वाले जितने भी लोग थे उनकी नज़र आसमान पे, जबकि सलमान की मंज़िल उसकी आँखों के सामने, अपने पूरे ही जोबन पे, नजरें झुकाए उसे एक चुप सलाम प्यार की पेशकश कर रहा था। जब कमरे में प्रवेश किया तो बाजी भी रूम काडोर बंद कर के मुड़ी, तो मैंने उन्हें हग कर लिया। । आहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दिल से बेइख्तियार ये आवाज निकली। । सुबह से ही तो मुझसे सेझगड़ा कर रहा था मेरा दिल और अब अपनी मंजिल पे पहुँच के जैसे उसे चैन मिला। । । कितनी ही देर बीत गयी ऐसे ही हम दोनों को।

फिर हर रात की तरह होंठ होठों से टकराए और अपनी प्यास बुझाने लगे और ज़ुबान ज़ुबान से मिलकर जैसे प्यार से भरपूर एक लड़ाई (लड़ाई) सी लड़ने लगी आपस में। । फिर हम दोनों दीवाने दुनिया से बेगाने होते चले गए। । प्यार की बारिश, भावनाओं के सागर और प्यार केएक साथ कितनी ही नदियों का मिलन, जब कि क्या न था इन पलों में । । 


होंठ, जीभ, चेहरे, गर्दन को चूमने के बाद मैंने दीदी को रूम की दीवार से जा लगाया और अपने दोनों हाथ बाजी की कमीज में डाले और उन केबूब्स पकड़ लिये। । बाजी और मैं दोनों ही एक दूसरे के स्पर्श से मजे में डूब के रह गए। कितनी ही देर में बाजी केबूब्स को दबाता रहा और फिर मैंने बाजी की शर्ट और ब्रा को ऊपर करके उन केबूब्स को नंगा कर दिया। बाजी केबूब्स के सामने आते ही मैं आराम से उनको चरम पे ले जाने के लिए उनके मम्मों को चूसना शुरू किया। । । उनके मम्मे मेरे हाथो में थे और चूसने के साथ साथ उन्हें बहुत ही प्यार से दबा भी रहा था। । बाजी बूब्स को चुसवाने के साथ मजे में डूबी आह मम मम आह आह की आवाज भी निकाल रही थीं और ये आवाज़ें मुझे अधिक से अधिक बेकाबू किए जा रही थीं मजे में बेकाबू . मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बाजी को कहा बाजी पूरा चूस रहा हूँ आह बंद, बहुत मोटा है मुँह में नहीं आ रहा। ।

बाजी खुद बेकाबू हुई सुख के सागर में गोते पे गोते खा रही थीं, उन्होने ऐसे ही आनंद में डूबी हुई आवाज में कहा: सलमान आह आह ऐसे मत कहो, उफ़ सलमान आह ओह्ह्ह्ह्ह्ह मम आह आह। । ।

बाजी के मम्मों को चूस चूस कर में इतना गीला कर चुका था कि अपने मुँह में लेते ही, मेरे होंठ उनके मम्मों पे स्लिप कर जाते और उनके मम्मे मेरे मुँह से बाहर निकल जाते। । इस सब कुछ में मेरे लंड का यह हाल था कि ऐसा लगने लगा जैसे मेरा लंड आज यह साबित करना चाह रहा हो कि लोहे दृढ़ता कुछ भी नहीं मैं तो लोहे से भी अधिक कठोर हूँ। 


मैंने अपने होंठ कुछ पल बाजी केबूब्स से हटा लिए तो उनसे रहा न गया और उन्होंने मेरे सर पे दोनों हाथ रखते हुए, मेरे सिर को अपनेबूब्स की ओर दबाया। पर मैंने सिर को पीछे करने की ओर जोर लगाया। बाजी मेरी इस हरकत को समझ नहीं पाई कि आखिर मैं चाहता क्या हूँ। इतने में मैं बोला: तुम बोलो ना कि कैसे चूसू । मेरी गर्म तपती सांसें उनकेबूब्स से टकरा कर उन्हें पागल किए जा रही थीं। । बाजी ने तड़प कर कहा: आह आह सलमान प्लीज़। । 

पता नहीं मुझे क्या हुआ और मैंने एक मम्मे पे मुँह मारते हुए और उसे चूसते हुए कहा: कहो ना मुझे कि सलमान चूसो इन्हें ।

फिर बाजी के मम्मे को चूसता और साथ ही कहता कहो न मुझे कि सलमान चूसो इन्हें । । बाजी मेरी इस हरकत से तड़पती और मचल के रह गईं और ऐसे ही तड़पते हुए बोली: सलमान आह हूँ उफ़ मम नहीं बोलो ना ऐसे। । । 
 
अजब ही आलम था तब। इसी पागलपन में मेरा हाथ बाजी की योनी पे जा पहुंचा और मैंने उनका मम्मा चूसने के साथ योनी को भी रगड़ना शुरू कर दिया। अपनी योनी पे रगड़ पड़ते ही बाजी अचानक से अपनी सिसकी को नही रोक पाई "ओह आह आह मत किया करवो नहीं मानते क्यों नहीं आह।।।" बाजी का एक हाथ वैसे ही मेरे सिर को अपने बूब की ओर दबाता रहा और दूसरा हाथ उन्होंने मेरे उस हाथ पे रख दिया जो उनकी योनी पे था। । कितनी ही देर मेरी उंगलियां बाजी की योनी के लिप्स के बीच चलते चलते अपना जादू दिखाती रहीं और बाजी को होश-ओ-हवास से बेगाना करती रहीं। बाजी की सांसों में, तड़प में, अदाओं में मानो कुछ नशा और मज़ा भरा था। ऐसे ही नशे की हालत में अचानक मैंने बाजी केबूब्स से अपना मुंह उठाया और नीचे हो के बैठ गया।

इससे पहले कि बाजी मेरे अगले इरादे को जानतीं, मैंने अपना और दीदी का हाथ उनकी योनी से अलग किया और अपने होंठ उनकी योनी पे सलवार के ऊपर से ही रख दिए और उनकी योनी को सलवार के ऊपर से ही चूम लिया और अपनी ज़ुबान को उनकी योनी पे फेर दिया। । । बाजी को मुझसे इस हरकत की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी। । । यह भी सच था कि जहां वह मेरी इस हरकत से परेशान हुईं वही उन्हें मेरी इस हरकत से आनंद भी पहुंचा "" ओह आह आह हाय सलमान नहीं करते, हटो यहाँ सेआह आह हटो नाआह उम्म्म "" बाजी ने नीचे की ओर हल्के से झुकते हुए मुझे पीछे करने की कोशिश की और इस कोशिश में उनकी योनी और अधिक मेरे मुंह पर दबती चली गई। मैं बाजी की गीली योनी को उनके गीले सलवार के ऊपर से अपने होंठ और जीभ की मदद से और अधिक गीला करता चला गया। । "" आह आह हाह आह ओह मम हम मम नहीं करो ना "" दीदी की नशे में डूबी आवाज़ में काफी गुस्सा सा था। । । 


बाजी के गुस्से पे में उठ खड़ा हो गया और अपने होंठ इस बार उनकी गर्दन पे जा टीकाये, और उनके बूब्स को दोनों हाथों में लेकर दबाने लगा। मेरा लंड इसी मदहोश हालत में उनके पैरों के बीच में जा पहुंचा। मेरा लंड सलवार के अंदर शायद लोहे से भी अधिक कठोर हालत में था। । इसी मदहोशी में जाने कब और कैसे मेरे लंड की केप बाजी की योनी से टकराई पर शायद यहीं पे हम दोनों का बस हो गया, क्योंकि उसी पल ही बाजी ने अपनी टांगों को जोर से भींचा और कांपना शुरू हो गईं और मैं उनके बूब्स को जोर से दबाते हुए अपने लंड की टोपी को अपनी योनी और पैरों के बीच में रगड़ते रहने की नाकाम कोशिश करते हुए डिस्चार्ज हो गया। । । ।


दिन अपनी निर्धारित गति से गुजरते जा रहे थे। । । । बस एक मिलन ही था जो बहुत कुछ हो जाने के बाद अब भी अधूरा था। । मिलन का वह स्थान जो मैं पाना चाहता था, उस स्थान को पाने के लिए अनुमति मुझे मेरीबाजी नहीं दे रही थी। । उस स्थान पे पहुँचने से बहुत पहले ही मुझे वह रोक देती थी और मैं एक तरह से प्यासा ही रह जाता था। 


मेरी और साना बैठकें उस पेड़ के पीछे वैसे ही जारी थीं। शुरू की तरह अब साना में काफी हद तक शर्म कम हो चुकी थी, पर फिर भी अब तक उस मासूम की हया की चादर को नोच कर दूर करने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाया था। ।

एक दिन ऐसे ही हम दोनों कॉलेज के उस पेड़ के पीछे खड़े एक दूसरे की जीभ से जीभ और होंठों से होंठ मिला रहे थे और मेरे हाथ साना की कमीज में घुसे उस केबूब्स दबाने में व्यस्त थे। । । । हम दोनों खूब मस्ती में डूबे बहके हुए थे कि इसी मस्ती में ही बहकते हुए मैंने साना की कमीज को ऊपर उठाने की कोशिश की। । साना ने रोज की तरह आज भी मुझे रोकने की कोशिश की कि: ऊपर नहीं करो न प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज आह प्लीज़। । मुझे साना पे बहुत गुस्सा आया और अचानक गुस्से में और साना से हो रही मस्तियों के नशे में ही बहकते हुए मैंने कहा: साना मुझसे बात मत करना, हाथ पीछे करो अपने। । । साना मेरे गुस्से से घबरा गई और नशे से गुलाबी हुई अपनी खूबसूरत आंखों को बंद करते हुए अपना सिर पेड़ के साथ लगा लिया और अपने हाथों को मेरे कंधों पे रख दिया। 


मैंने आराम से साना की कमीज को ऊपर करना शुरू किया कि इतने में वह आराम से बोली: प्लीज़ मत उठाओ ना प्लीज। । पर मैं अपना काम पूरा कर चुका था। । साना के गोरे , तने और मोटे मम्मे मेरी आँखों के सामने थे। काफी खूबसूरत मम्मे थे साना के। । मुझे साना के नग्न और प्यारे प्यारे मम्मे देख कर रहा न गया और मैंने आगे हो उस का एक सुंदर मम्मा अपने मुँह में ले लिया। । अपना मम्मा मेरे मुंह में महसूस करके साना तड़प उठी "" आह आह मम आह सलमान क्या कर रहे हो आह आह ""

"मेरे मन में पता नहीं उस समय क्या आया कि मैंने कहा" "तुम्हारा मम्मा चूसने जा रहा हूँ" "" 

"" "आह आह मम हम जानी बहुत बेशरम हो गए हो तुम" 

"साना के नरम मोटे मम्मे को मस्ती और मज़े मे समर्पित चूसे जा रहा था।। उसकी सिसकियाँ मेरे कानों से टकरा कर मुझे मस्त कर रही थी।। 

अपनी दोस्त को पेड़ के साथ खुले आसमान केनीचे में उसके मम्मे चूसने में मस्त था। । । साना की शर्म शायद अपनी जगह कायम थी परबूब्स को चूसने से वह भी बहुत मजे में डूबी हुई थी। । धीरे धीरे उसके दोनों बूब्स को मुंह में ले के चूसने लगा। । । मेरा लंड गर्म और कठोर हालत में मेरे अंडरवियर में मचल रहा था। । कितनी ही देर में साना के बूब्स को चूसता रहा चातटा रहा और फिर मुझे जाने क्या सूझी और मैंने उसके दोनों मम्मों पे हाथरखे और उसके होंठों में होंठ डाल दिए। उसके मम्मों को दबाते दबाते और उसके होंठों को चुसते चूमते हुए मैंने अंडरवियर में मौजूद लंड उसके पैरों के बीच में रगड़ना शुरू कर दिया। । । अब शायद मामला मेरी बर्दाश्त से बाहर था और साना भी अब शायद मेरी इन हरकतों को बर्दास्त नहीं कर पा रही थी। इसलिए वह अपने घुटनों से ऊपर वाले हिस्से को आगे पीछे करती हुई और मैं अपने लंड को उसके पैरों के बीच में दबाता हुआ फारिग होता चला गया। । । । । । । । 

हर बार की तरह आज भी जब मेरे मन के ऊपर से वासना का छाया पर्दा हटा, तो मेरे अंदर दो आवाज़े आने लगी, मुझे अपनी आत्मा की आवाज सुनाई देने लगीं। । । आज आत्मा की वजह से जो बेचैनी मेरे अंदर पैदा हो रही थी, ऐसी बेचैनी आज तक मेरे सीने में पैदा नहीं हुई थी मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा, इतने जोर से कि जैसे अब वह मेरे अंदर रहना ही नहीं चाहता हो। मैं पसीने में सराबोर हो गया। । मेरी हालत बहुत अजीब सी हो गई। इतने में मेरे सेल पे मेसेज आया। जब मैंने मेसेज ओपन किया तो वह मेसेज किसी और का नहीं, मेरे प्यार मेरी चाहत, मेरी जान का था। मेसेज था "" तुम ठीक हो ना? ""

मेसेज पढ़ मेरा दिल चाहा कि मैं जा के उस के कदमों में गिर पडूं और अपने इस पाप की माफी मांगू । हां शायद इसी को तोकहते हैं आत्मा से आत्मा का रिश्ता कि यहाँ जब मेरी आत्मा तड़पी, तो वहां उसकी आत्मा ने भी उसे हिला के रख दिया। । । 
साना मेरी इस हालत को देख परेशान हो गई और पूछा "तुम ठीक तो हो ना?" 

"हां मैं ठीक हूँ तुम जाओ में आता हूँ" 

"नहीं तुम ठीक नहीं लग रहे हो, क्या हुआ है तुम्हें अचानक" 

"मैं ठीक हूँ प्लीज़ तुम जाओ "

साना वैसे ही परेशान हालत में वहां से चली गई, क्योंकि वह जानती थी कि मेरी जब तक इच्छा न हो तब तक मैं कोई बात नहीं बताता। । । साना के जाने के बाद मैंने दीदी को रिप्लाई किया और कहा कि "मैं ठीक हूँ, क्यों क्या हुआ?" ((मैं मानव जिज्ञासा के तहत उनसे पूछा)) 

उनका रिप्लाई आया "" वैसे ही अचानक दिल घबराया था मेरा" " 

आज प्यार ने मुझे अपनाएक अजब सा ही जहां दिखा डाला। । मैं अपने खेल को जो साना के साथ खेल रहा था, समाप्त करने के लिए दूरी और यह सोच लिया कि समय पे में यह सच भी बता दूँगा कि मैंने तो कभी उससे प्यार किया ही नहीं था। 

जीवन का ये मोड़, तो उनके प्यार भरे पलों में डूबे, जैसे मैंने कभी सोचा भी नहीं था। आत्मा की हत्या क्या होती है यह समय ने मुझे दिखा दिया। आज हिना बाजी की शादी हुए 2 सप्ताह बीत चुके थे। जीते जी मरना बहुत सुना था, पर इस एक लाइन में कितना दर्द, कितनी शिकायत, कितने दुख, कितनी वहशत छिपी है इसका मुझे कभी अंदाज़ा भी नहीं था। यह प्यार जब हुआ था मुझे, तब पत्थर दिल पिघलाने में जो मुश्किलें मैं ने देखी, जो दर्द, मैंने देखा, वह दर्द और मुश्किलें मुझे आज एक चींटी से भी कम लग रही थीं शायद .क्यों कि आज जब वहशतो के काले बादल मेरे ऊपर आके छा जाते, जब दुख किसी हथौड़ों की तरह मेरे पे चोट लगाते जब दर्द खून की जगह मेरी रग रग में लगता, जब पीड़ा भरी घाटी मुझे आ घेरती तो तब चाह कर भी नहीं मर सकता न जी सकता था । । 
 
बदनसीबी तो जैसे मेरी दासी बन के रह गई थी। हर समय गुस्से में रहने लगा था। अजीब सा युद्ध चलता रहता था हर समय ही मेरे अंदर। प्रत्येक रिश्ता प्रत्येक संबंध मेरे लिए अब बेमानी सा हो गया था। कभी कभी ऐसा लगने लगता है कि मैं पागल होने वाला हूँ। । एक दिन ऐसे ही रात के समय अपने कमरे में लेटा अपने कमरे की दीवारों को खाली नजरों से देख रहा था कि अचानक उठा और लैपटॉप ऑनलाइन किया और एक फिल्म देखने लगा, यह सोच कि क्या पता कुछ पल ध्यान कहीं और हो जाय ((पर सलमान कितना मूर्ख था न कि उसे क्या खबर थी कि ध्यान जहां वह लगा बैठा था वहाँ से ध्यान का हटना उसकी मौत तक असंभव ही था)) कुछ देर ही फिल्म देख पाया बोर होने लगा और फिल्म बंद दी। फिल्म के बंद होते ही बे ध्यानी में मुझसे अश्लील फिल्मों का फ़ोल्डर खुल गया। जो कुछ अश्लील मूवीज़ आज से बहुत समय पहले की मैंने डाउन लोड करके रखी हुई थीं। ना चाहते हुए भी मैंने एक अश्लील मूवी चालू कर दी। । थोड़ी ही देर में जब मूवी के अंदर तकरार शुरू हुई तो मुझे अपनी सलवार के अंदर कुछ उठता हुआ महसूस हुआ, जी हैं वह मेरा लंड ही था। उसे तो जैसे मैं कब का भूल ही गया था। । ना चाहते हुए भी मुझे अपने लंड को अपने हाथ में थाम लिया था, पहले सलवार के ऊपर से और फिर कुछ देर बाद हाथ अंदर डाल कर ((मेरे लंड ने मुझे कह ही डाला कि जब तक तुम जीवित हो कुछ जरूरतें मेरी भी हैं जिन्हें पूरा तो करना ही है, खाना भी तो खाते रहना थोड़ा ही सही पर खाते तो हो ना, ऐसे ही एकाध बार ही सही पर कुछ विचार मेरा भी तो रखो)) 

मैं अपने लंड को थामे, हिलाए जा रहा था, वहाँ सिनेमा में तकरार बढ़ रही थी और यहाँ मेरे लंड पे मेरे हाथ की गति। । आह आह की आवाज के साथ मेरा वीर्य निकलना शुरू हुआ और फिर निकलता ही चला गया । । इस बात को से इनकार नहीं किया जा सकता कि बहुत मज़ा आ रहा था मुझे। । । जहां एक ओर वीर्य निकल रहा था, वहीं दूसरी ओर एक विचार मेरे मस्तिष्क में उतर रहा था। छुट्टी होने के बाद अपने बेड पे ही पड़े पड़े कितनी ही देर में मन में आए इस विचार केबारे में सोचता रहा। । फिर कुछ सोचते हुए मैंने अपना वीर्य साफ किया, लैपटॉप ऑफ किया, सेल उठाया और साना को कॉल लगा दिया । । । 


साना ने कॉल अटेंड की और बहुत गंभीर आवाज से हाय हेल्लो की। और ऐसे ही फिर गंभीर सी आवाज में मुझसे पूछा "तुम कैसे हो सलमान?" 

"मैं ठीक हूँ, आप कैसी हैं?" 

"मैं ठीक हूँ, पर तुम ठीक नहीं हो ना, पूछ पूछ के थक सी गई हूँ, पर तुम हो कि कुछ बताते ही नहीं, बचपन के साथी हैं हम पता चल जाता है हम दोनों को कि कौन ठीक है हम मे से और कौन ठीक नहीं है, प्लीज़ बता दो, नहीं तो मैं सोच सोच पागल हो जाऊँगी "साना एक ही सांस में कितना कुछ बोल गई। ।

"मैं ठीक हूँ, और सब सेट है, तुम से एक बात करनी थी" 

"हां कहो न क्या बात है"

"कल मिल सकती हो मुझे" 

"कल? कहाँ? कितने बजे? हां ना क्यों नहीं मिल सकती" साना अपनी ये खुशी अपने सवालों में छिपा न सकी। । ((मैंने जिस दिन साना को फिर न छूने का फैसला किया था उस दिन के बाद आज तक मैंने साना को फिर कभी नही छुआ था, और साना इसलिए बहुत परेशान भी थी कि क्या कारण हुआ कि मैं अब उसके करीब नहीं आता, वह सोचती थी कि कोई बात मुझे बुरी लग गई है जिस वजह से मैं उससे दूर होता जा रहा हूँ, और वह इस डर में भी थी शायद वह मेरे प्यार को खो न बैठे, उस प्यार को जो मैंने उससे कभी किया ही नहीं था सना को न छूने के अलावा एक फैसला और भी किया था कि मैं समय पे उसे यह भी बता दूंगा कि मैं उसे प्यार नहीं करता, पर फिर मेरा अपना समय ऐसे बदला कि मेरे प्यार ,मेरी आत्मा, भावना, सबका ही खून हो गया)) 


"कल 4 बजे आ जाऊं? वहीं चलेंगे जहां तुम्हारी बर्थ डे पे गया था" 

"ओके ठीक है मैं इंतजार करूंगी" साना के लहजे में निरन्तर खुशी और बेसब्री काफी थी। । । 

"ओ के टाइम पे आ जाऊंगा और हाँ घर में किसी को मत बताना कि मेरे साथ जा रही हो"

"क्यों? और अगर तुम्हें किसी ने मुझे तुम्हारे साथ देख लिया तो?" 

"तो कोई बात नहीं, पर तुम मत बताना, बस यही कहना कि फ्रेंड्स के साथ जा रही हूँ ओ के "

" ओ के जैसा तुम सही समझो "

कुछ देर यहाँ वहाँ की बातों के बाद हमने कॉल एंड की। । । 

अगले दिन में निर्धारित समय पे साना को पिक करने पहुंचा। मौसम काफी बदल चुका था और गर्मी का जोर भी अब लगभग टूट ही चुका था। । साना की फरमाइश की गई जींस और टीशर्ट पहने हुए था। । इस बार बार मैंने उसे व्हाइट सूट, सलवार पहनने के लिए कहा था। । । साना को मिस कॉल की और उसका मेसेज आया कि 2 मिनट। । । मैं उसका इंतजार करने लगा और इस इंतजार में मैने अपनी नजरें साना के घर पर ही ध्यान केंद्रित की हुई थी .


कुछ ही देर में साना अपने घर के गेट से सामने आई और कार की ओर बढ़ी। । फुल व्हाइट ड्रेस उस पे बहुत जच रहा था। ((हाँ मस्त ही तो लग रहा था))। । कार में बैठते ही साना अपनी विशिष्ट आवाज में बोली "हाय हैंडसम हाउ आर यू"

"ठीक हूँ, प्यारी लग रही हो" 

"थैंक्स, चलें" फिर मैंने कार आगे बढ़ा दी। साना हमेशा की तरह शुरू हो गई यहाँ वहाँ की बातें और मैं बस "हाँ" हूँ "ही करता रहा।। पार्क में पहुंचने के साथ ही पहले वाली जगह पे कार पार्क करने के बाद मैंने साना से कहा कि पिछली सीट पे चल कर बैठते हैं। फिर हम दोनों पीछे की सीट पे जा बैठे और अपनी अपनी साइड की फ्रंट सीट आगे करके पीछे हो गए।। 


कुछ देर यूँ ही चुप रहने के बाद साना ने मेरे गाल पे अपना प्यारा नरम हाथ रखा और पूछा "आज लास्ट टाइम पूछ रही हूँ, तुमसे खुद ही जब मन किया तो बुला लिया, क्या हो गया है तुम्हें क्यों चुप चुप से रहते हो और मुझ से दूर भी "

" दूर तो नहीं हूँ देखो तो तुम्हारे पास ही हूँ "

" चुप क्यों रहते हो "

सच तो यह था कि मेरे पास साना की बातों का कोई जवाब नहीं था न मुझ पर अब इन बातों का कोई प्रभाव था। जिसकी आत्मा की हत्या हुई हो, भला उसे प्यार भरी बातें कहां भाती हैं। वह जो एक दोस्ती हम दोनों में कभी हुआ करती थी, साना को क्या मालूम था कि मैं आज इस दोस्ती का भी जनाज़ा निकालने आया हूँ। मैंने कहा तुम जरा पास होकर बैठो ना मेरे साथ। । और वह मेरे पास हो गई। । उसके पास होते ही मैंने उसके दोनों गालों पे हाथ रखे और उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया। । 


उस मासूम परी के कोमल होंठ मेरे होंठों में आते ही जैसे मैं पगला गया और निरन्तर चूमने लगा मैं उसके होठों को। वह भी तो आज जैसे बरसों की प्यासी बनी मेरे होठों से लगी अपनी प्यास बुझाने। । मुझे किस करते करते साना हमेशा की तरह दूर कहीं खो चुकी थी। वैसे ही खोेये हुए साना ने किस करते करते मुझे कहा: अब मुझसे दूर तो नहीं जाओगे ना, मैं घबरा जाती हूँ। । 

मैंने कहा: हां अब कभी नहीं जाऊँगा। । "साना अपनी जीभ मेरे मुँह में डालो" यह सुनते ही साना ने देर किए बिना अपनी गीली जीभ मेरे मुंह में डाल दी, जिसे मैं अपने मुंह के अंदर बाहर करके चूसने और चूमने लगा। । कुछ ही देर बाद मैंने अपनी ज़ुबान साना के होंठों पे रखी और उसके होंठों पे फेरा और कहा : साना अब तुम इसे चूसो ना। ये कहते ही मैंने साना के होठों से गुज़ारते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। । उसने आराम से अपना मुंह खोला और आइसक्रीम की तरह मेरी जीभ को चूसना शुरू करदिया अहह आह मम कितने प्यार से चूसी थी उसने मेरी जीब . जब मेरी जीभ साना मुंह में चली जाती तो वो अपनी जीब को भी टकराती मेरी जीब से। । । 

इसी दौरान मैंने अपना एक हाथ नीचे किया और साना के बूब्स पे फेरने लगा। । वह आह ऑश्फ्ह ओह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ें भी साथ में निकालने लगी। । बूब पे हाथ फेरते ही हाथ से दबाते ही आह ओह्ह्ह्ह्ह और मेरी जीभ को चूसते हुए मम मम की आवाज़ें। । । कुछ ही देर में मेरे दोनों हाथ साना की कमीज के अंदर से उसके मम्मों से खेल रहे थे। जबकि साना अब मेरी गर्दन को चूम रही थी और उसके दोनों हाथ मेरे कंधो पे थे ((साना और मैंने अपनी एक टांग सीट के ऊपर ही कर फ़ोल्ड कर ली थी)) मैं साना के मम्मे को दबाते हुए उसे कहा: साना जब मैं तुम्हारे बूब्स से खेलता हूँ तो तुम्हें मज़ा आता है। । साना ने अपनी नशीली आवाज़ में कहा: हां जानी बहुत मज़ा आता है आह हाँ ना जानी। । ((शायद इतने समय से वह भी मेरे हाथों के टच को मिस कर रही थी या शायद वो सावधान थी कि कहीं फिर किसी बात पे खफा न हो जाऊँ)) 
 
काफी देर साना के मोटे मम्मे दबाने के बाद मैंने उसकी कमीज को ऊपर किया। उसके मखमली मम्मे और उनके ऊपर मौजूद पिंक निप्पल मेरे मुंह के सामने थे। । । मैंने अपना मुँह खोला और फिर कुछ सोचते हुए कहा: साना मुंह में डाल लूँ तुम्हारा मम्मा। 

"हां जानी डालो ना, पूरा डालना मुंह में" इतना सुनने की देर थी कि मैंने साना के मम्मों पे मुँह मारना शुरू कर दिया और बारी बारी उसके दोनों मम्मों को चूसना शुरू कर दिया साना के शरीर से आती खुश्बू ने मेरे अंदर मौजूद वासना की आग को खूब भड़का दिया था। । वह दोनों हाथ मेरे सिर के ऊपर रखे, अपने मम्मे मुझसे चूसा रही थी कि मैंने एक हाथ नीचे किया और उसकी योनी पे अपने हाथ की उंगलियां रखकर उसकी योनी कोरगड़ने लगा। । । 

"" आह आह मम हम हाय आह जानी यह तो मत करो आह "" 

"" "कैसा लग रहा है" 

"साना तड़पते हुए बोली: आह मत करो ना सलमान।।। एक ओर बूब्स मेरे मुंह में और दूसरी ओर योनी मेरी उंगलियों की चपेट में, साना की भावनाओं को बहकाने के लिए इतना काफी था। 

साना की योनी को रगड़ते रगड़ते मैंने अपना वह हाथ ऊपर किया और उसकी सलवार के अंदर डाल दिया और उसकी सलवार के अंदर मौजूद योनी को अपनी उंगलियों की मदद से आराम से सहलाने लगा "

" सलमान प्लीज़,,, आह हाह आह उफ़ मम आह यह क्या कर रहे हो सलमान "" 

एक ओर वह यह नहीं चाहती थी कि मैं उसके साथ यह सब करू, पर दूसरी ओर यौन इच्छाएं उसे आगे बढ़ाए जा रही थीं। । । । उसकी गीला योनी को जब मैंने अपनी उंगलियों से रगड़ा तो मेरी उंगलियां भी गीली होती चली गईं। कितनी ही देर में उसकी योनी उसकी सलवार के अन्दर ही हाथ डाले रगड़ता रहा 

साना की योनी का टच, बदन की खुश्बू ने मेरे अंदर वासना के पुजारी जानवर को पूरी तरह से जगा दिया था, इसलिए मामला मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया था। । मैंने सलवार से हाथ बाहर निकाललते हुए और उसके मम्मों से मुंह हटाते हुए बोला कि साना सीधी हो के लेट जाओ सेट पे और अपनी ऊपर फ़ोल्ड कर लो। । साना बिखरे बालों, भावनाओं से गुलाबी हुए चेहरे और नशे से चूर आँखों से मुझे देखते हुए टूटी हुई आवाज में बोली: क्यों "

" तुम लेटो ना "" मैने कहा

वह अपने सैंडल्स अपने पैरों की मदद से ही उतारती हुई सीट पर लेट गई और अपनी टाँगों को सीट पे फ़ोल्ड सा कर लिया। । इसी दौरान उसकी कमीज भी काफी नीचे आ गई थी। मैंने भी अपने शूज उतारते हुए साना की टाँगों की ओर घुटनोब के बल सीट के ऊपर हो गया और आगे बढ़ के अपनी टांगे ओपन कीं और अपने आप को उसकी टाँगों के बीच में एडजेस्ट किया। ((कार पुरानी थी, पर इम्पोटेड होने के कारण उसकी एक सीट काफी कमफरटेबल थी हमारी इस स्थिति के लिए)) मैंने साना की सलवार पे दोनों हाथ रखे और उसको नीचे करने लगा कि साना ने वैसे ही मजे में डूबे डूबे कहा: नहीं प्लीज़ ऐसा मत करो प्लीज़, सुनो मत करो ऐसे प्लीज़, देखो यह सब शादी के बाद होगा ना। । 

शादी हूँ माई फुट, मेरे अंदर यह आवाज उठी और वहीं पे ही दब के रह गई। । साना ने मेरे हाथ पकड़े हुए मुझे बहुत रोका, पर मेरे अंदर वह जंगली जानवर रुका नहीं और मैं एक तरह से जबरन ही उसकी सलवार को खोलता चला गया। । मैंने उसकी कमीज भी ऊपर को कर दी, अब वह लगभग मेरे सामने पूरी ही नंगी थी। इसका विरोध रुका नहीं। "सलमान यह गलत है, समझो ना" 

मैंने बिना कोई उत्तर दिए उसकी योनी को अपनी उंगलियों से रगड़ना शुरू कर दिया। 

"ससआह आह हाय आह रुको आह नहीं करो ऐसे मम हम"

"कैसा लग रहा है?" "

" आह आह क्यों कर रहे हो मुझे पागल सलमान "" विरोध के साथ साथ अब साना फिर मज़े से सिसकियाँ भी लेने लगी

"साना मजे लो, आह, एंजाय करो "" 

उसका भावनाओं से गुलाबी हुआ गोरा चेहरा अब शर्म से और गुलाबी हो चुका था, उसने अपना मुंह शर्म के मारे एक तरफ मोड़कर अपनी प्यारी प्यारी आँखें बंद कर ली और न न नहीं मत करो की रट धीरे धीरे लगाकर ही रखी।।। 

साना की योनी एक हाथ से रगड़ते हुए मैंने दूसरे हाथ से अपनी बेल्ट खोली और फिर पैंट का बटन खोल करके जीप नीचे और फिर पेंट और अंडरवियर नीचे किया मेरा लंड उछलता और झूमता हुआ बाहर आ गया। । ((मेरा लंड काफी लंबा और मोटा था और उसकी टोपी भी काफी मोटी थी)) साना इस सबसे बेखबर अपनी योनी की रगड़ाई से लज़्जत में डूबी आंखें बंद किए तड़प रही थी। । फिर मैंने अपना हाथ उसकी योनी से उठाया और आगे झुकते हुए अपना लंड साना की योनी पे जा टिकाया मेरे लंड की मोटी टोपी का टच मिलते ही उसके शरीर को एक झटका सा लगा और वह घबरा के आंखेंखोलते हुए बोली: यह क्या कर रहे हो, तुम्हें खुदा का वास्ता ऐसा नहीं करना। पर उस मासूम कली को क्या मालूम था कि बहुत देर हो चुकी है। 

मैंने उसके दोनों पैरों में नीचे से हाथ डालते हुए उसकी योनी को थोड़ा ऊपर उठाया और एक जोर का झटका मारा तो लंड उसकी योनी में । । सख्त हुआ लंड पहले ही झटके में योनी में घुसे बिना न रह सका। । मेरा झटका इतना हैवानों जैसा था और था भी बहुत ज़ोर का बेचारी पहली बार तो वो चीखे बिना न रह सकी। । । । । । । । 

'' आह हाय हाय मर गई नहीं करो निकालो इसे बाहर आह आह "साना चीखने के साथ रोना भी शुरू हो गई" निकालो बाहर इसे वास्ता है तुम्हें आह आह अम्मी मर जाउंगी "" 

मेरी दरिंदगी और वासना पे उसके रोने का कुछ असर नहीं पड़ा "" मैने कहा चुप हो जाओ, अब आराम आ जाएगा, बस थोड़ा सा दर्द और होगा "" 

"मुझे नहीं करना यह निकाल लो बाहर" 

"अभी वह कुछ और भी कहने वाली थी कि मैंने एक झटका और दे मारा, मेरा यह झटका भी कारगर साबित हुआ और मेरा लंड आधे से ज़्यादा उसकी योनी में घुसता चला गया।। साना के आंसू थे कि रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और चेहरा दर्द से अजब हाल में जा पहुंचा था अगर मैं मानवता का व्यवहार उससे करता और आराम से यह सब होता तो तब उसे इतना पैन नहीं होना था, इतने दर्द की वजह केवल केवल मेरा बर्बर पन था।। 


उसकी चीखें जैसे उसके गले में फँस के रह गईं, उसकी सुंदर आँखों से आँसू बहते रहे और टिप टिप करते सीट पे गिरते जा रहे थे।
। । कुछ देर के लिए मैं वहीं पे रुका और इतने में साना जैसे दुनिया में वापस आई और फिर से चीखने और रोने लगी "" तुम बहुत बुरे हो, यह क्या हो गया आज तुम्हें आह आह हाय "" 

उसकी बातों के उसके इन आंसुओं की मुझे कुछ परवाह नहीं थी, और मेरा उद्देश्य पूरा हो रहा था। । । मैंने एक अंतिम झटका मारा और मेरा मूंद उसकी योनी में पूरा घुसता चला गया। । 

"" मम मम हम आह सलमान आह आह आह "" 

"" बस अब हो गया अब शोर मत करो चुप हो जाओ, अब आराम आ जाएगा "" साना की योनी में मेरा मोटा लंबा लंड जो घुसा तो मैं नशे में पागल ही हो गया। । मज़े और मस्ती में डूबा हुआ था तब। । 

फिर कुछ देर के अंतराल के बाद मैंने अपने लंड पीछे की ओर खींचा और फिर एक झटका आगे मारा। अब जो मेरा लंड आगे पीछे गया तो पहले की तुलना में उसे कुछ आराम से गया। । । फिर यह सिलसिला ऐसे चला कि इसमें गुजरते समय के साथ मस्ती आरम्भ हो गई और साना की चीखें सिसकियों में और फिर थोड़ी ही देर में सिसकियों के साथ मस्ती में बदलना शुरू हो गईं

"" आह उफ़ प्लीज़ आराम से करो, आह धीरे जानी आराम से, आह आह उफ़ "

" आराम से कैसे करता , जब उद्घाटन किया, तब आराम से नहीं किया, तो अब आराम से क्यों। । । अपने इसी जोश से साना की योनी को अपने लंड से तार तार करने में जुटा रहा। मेरे हर धक्के पे साना मस्ती से " 'आह कहती" "और शायद उसका दिल" "वाह कहता" "यानी कि उसके अंदर आह और वाह का कम्बीनशन चल रहा था।।। फिर साना के मुंह से " "आह आह आह मम हम उफ़ हम मम जानी आह "की आवाजें निकलने लगी और मुझे लगा कि जैसे उसकी योनी ने मेरे लंड पे पानी से फेंका है। । ।

अब बात मेरे अधिकार से भी बाहर हो चुकी थी। मैंने तेज सांसें लेते पूछा "साना तुम डिस्चार्ज हो गई हो?" 

"हां" "

" "आह में भी होने वाला हूँ आह आह होने लगा हूँ बस" यह कहते हुए मैंने अपना लंड एक झटके मे साना की योनी से बाहर निकाला, उसके मुंह से अचानक आवाज निकली ""अह्ह्ह्ह धीरे "

" और मेरे मुँह से "" "आह आह मम आह हाय" "और साना की योनी ऊपर अपने वीर्य की बूँदें छोड़ता चला गया। जैसे उसकी योनी ने मेरे लंड को नहलाने दिया था अपने पानी से, वैसे ही मैंने अपने वीर्य से उसकी योनी को नहलाने दिया।।।। 

साना उस दिन मेरे कंधे पे सर रख के काफी देर रोती रही और मैं उसे न चाहते हुए भी चुप करवाता रहा। । । शायद इसलिए मुझे खेलने के लिए एक खिलौना मिल गया था, हाँ एक सुंदर खिलौना, हाँ एक ऐसा खिलौना जिसे जब चाहूँ तोड़ भी सकता था।

साना को उसके घर ड्राप करने के बाद मैं अपने घर वापस आ गया। । ।
 
रात के खाने के बाद, रूम में अपने बेड की टेक से पीठ लगा कर बैठ गया, पैर सीधे किए और कहीं अतीत की यादों में खोता चला गया। । । मेरी इन यादों में, जिन्हें अतीत बन जाने के बाद, आज तक सही से मैंने टटोला नहीं था, खोला नहीं था, शायद एक अजीब डर के कारण, उस डर की वजह से जो इंसान को किसी आग की नदी के किनारे खड़े हुए महसूस हो सकता है कि एक कदम बाद या तो जल के भस्म। । । । 

हाँ, यह उसी दिन की बात थी, जब मैं कॉलेज में साना के साथ मौजूद था और मुझे दीदी का मेसेज आया था कि "" तुम ठीक हो ना? ""। । । । । । 

मेरे बस में नहीं था, वरना समय को एक ही सेकंड में आगे कर देता और रात हो जाती और मैं अपनी आत्मा के मालिक के पास जा पहुँचता पर मनुष्य के हिस्से में बेबसी के सिवाय आया ही क्या है। । .एक एक पल जैसे बीतने से पहले अपनी अहमियत याद दिलाए जा रहा था। । । ऐसी हालत पहले तो कभी नहीं थी मेरी, फिर आज क्यों? हां शायद इसलिए कि ऐसी करामात भी तो प्यार ने मुझे पहले कभी नहीं दिखाई थी। 

पल गिनते गिनते गुज़र ही गए, रात हो ही गई और वह समय आ ही गया। मैंने बाजी के रूम के डोर पे नोक किया, एक पल भी नहीं बीता कि दरवाजा खुल गया, शायद आज जो आग इधर लगी थी और ऐसी ही आग उधर भी लगी थी। । दरवाजा खुलने के बाद, जहां था वही पे जाम होकर तो रह गया, सांसें रुक ही सी तो गईं आंखें झपकाना एक पाप सा लगने लगा तब, काले रंग का सूट सलवार पहने वह हूर अपनी पूरी ग्लो से प्रकट हो रही थी । ।

"" क्या है? "" वह मुझसे मुखातिब हुई। । 

मैं वैसे ही उसकी सुन्दरता में डूबे हुए बोला "" जी कुछ नहीं ""

मैं जैसे अपने आप में रहा ही नहीं, उसके हुस्न के जादू की पकड़ में आ गया था। पहले से ही ऐसी बेचैनी का समुंदर अपने अंदर लिए, तड़पता हुआ तो आया था उसके पास, ऊपर से जो सितम मुझ बेचारे दीवाने पे जो किया उसके हुष्ण ने तो सह न पाया यह सब। । मैं ऐसे ही उसके हुस्न मे खोया हुआ आगे बढ़ा और हूर को अपनी बाँहों में ले लिया। । । 

बाजी भी शायद इन्ही पलों के इंतजार में थी, उन्होने भी मुझे अपने से लगा लिया और मेरी कमर पे प्यार से हाथ फेरने लगी। । । जाने कितना ही समय बीत गया और हम दोनों एक दूसरे से यूं ही लगे अपनी आत्माओं की प्यास बुझाते रहे। । । सच ही है कि आत्मा का ऋण जीने नहीं देता, जीने तब देता है जब उतार दो, हाँ हम दोनों ऋण चकाने के लिए ही तो थे। । । । 

"" तुम ठीक हो ना? "" बाजी का सुबह वाला सवाल आवाज बन मेरे कानों से टकरा गया और न चाहते हुए भी होश की दुनिया में वापस आ गया 

"जी अब ठीक हूँ" यह कहते हुए मेरे होंठों पे एक मुस्कान सी आ गई।

"डोर बंद कर लूं?" 

"जी"

हम दोनों न चाहते हुए भी एक दूसरे से अलग हुए और बाजी दरवाजा बंद करने लगी। जाने प्रेमियों में धैर्य की कमी क्यों होती है, वह एक पल की दूरी बर्दाश्त नहीं कर सकते। ऐसा ही मेरे साथ हुआ और बाजी जो डोर बंद करके मुड़ने ही वाली थी, मैंने उन्हें पीछे से ही हग कर लिया। । मेरे हाथ उनके बाजुओं के नीचे से गुजरते हुए, उनके पेट से ज़रा ऊपर थे। । । 

कितनी ही देर मैं यूं ही बाजी को हग किए रहा। फिर मैं अपनाएक हाथ उनके पेट उठाया और उनके गाल पे रखा और उन के चेहरे को पीछे की ओर धीरे से किया, ताकि पीछे की ओर हम दोनों के होंठ एक दूसरे से टकरा सकें। होंठ जब एक दूसरे से टकराए तो अजब ही मस्तियों में मस्त हम मस्ताने, होंठ की छेड़छाड़ से एक प्यारे से युद्ध में डूबते चले गए। इस जंग ने आज शुरू होते ही जैसे घोषणा सी कर दी थी कि उसे बहुत लंबे समय तक जारी रहना है। । टाइम के साथ इस युद्ध में जैसे तीव्रता सी आरम्भ हो गई, हाँ शायद आज समय का तकाजा ही था। । । 

बाजी के नरम गुलाबी होठों को पीछे से खड़े खड़े ही चूमते हुए, अब मैं अपने पेट के जरा ऊपर ही मौजूद अपने हाथ उनके पेट पे फेरने लगा। बंद होते, खुलते, चपकते, लपटते होठों के साथ, अब हम दोनों एक दूसरे के साथ अपनी जीभ भी टकरा रहे थे। इस प्यार भरी लड़ाई को लड़ते लड़ते मेरे कदम पीछे की ओर होना शुरू हुए, और फिर मेरे साथ बाजी के कदम भी पीछे को होना शुरू हुए, हां मगर वह जंग, वह नही रुकी वह अपनी तीव्रता से जारी ही रही। कदम पीछे की ओर होते चले गए और मैं बेड तक जा पहुंचा और फिर बाजी को अपने साथ लेते हुए आराम से बेड पे बैठ गया। । । 

अब बाजी मेरी गोद में बैठी हुई थी। होंठ और जीभ वैसे ही आपस में व्यस्त रहे। अब मेरा हाथ जो उनके पेट पे था, वह ऊपर आया और सूट के ऊपर से उनके दोनों बूब्स को आराम से दबाने लगा .बूब्स को मेरी पकड़ में जाते देख बाजी के मुंह से "" "आह आह मम मम हम आह सस्स "" आवाज निकली।।

कितने पल ऐसे ही बीत गए खबर नहीं कि फिर मेरा हाथ नीचे खिसकता चला गया और मैंने बाजी की कमीज के अंदर हाथ डाल दिया, हाथ आगे बढ़ते बढ़ते उनके ब्रा से अंदर चला गया और मैंने उनके बूब को सहजता से थाम लिया। बाजी मेरी गोद में बैठे हुए मचलकर रह गई। मेरा उनके ब्रा में मौजूद हाथ दोनों बूब्स को बारी बारी थाम रहा था, धीरे से दबा रहा था, सहला रहा था कि मैं ने शर्ट के अंदर ही उनके मम्मे ब्रा से बाहर निकाल दिया। 

जुनून वक्त के साथ शायद बढ़ता ही चला जा रहा था। बाजी ने अपनाएक हाथ वैसे ही बैठे बैठे पीछे किया और मेरे सिर पे रख कर मेरे बालों को आराम से पकड़ लिया। हर बीतता पल अपने अंदर मस्ती और वासना की एक नई दुनिया ले केआता। मेरे होंठ बाजी के होंठों से अलग हुए और अपने दोनों हाथ उनके पेट पे रखे और उन्हें अपने साथ लिए बेड के ऊपर खिसक गया। वह अपनी कमर के बल बेड पलटी हुई थीं, यानी कि उनका मुंह दूसरी तरफ था और मैं उनके पीछे उनके साथ चिपका हुआ लेटा था। इस दौरान उनकी शर्ट उनकी कमर से काफी ऊपर कोसरक चुकी थी। 

मेरा हाथ उनकी कमर के नीचे से होता हुआ उसके पेट पे था, जबकि दूसरा उनकी कमर के ऊपर से होता हुआ उनके पेट पे था। । मेरे दोनों हाथ अब की बारएक साथ ऊपर को बढ़े और मैं उनके दोनों बूब्स को एक साथ शर्ट के अंदर ही अपने हाथों में पकड़ा और दबाने लगा। बाजी और मैं एक साथ ही मजे से चिल्ला उठे "" "आह आह मम हमम्म्म्म ममममम धीरे आहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह" 

"" मैं बाजी के मोटे तने हुए मम्मे दबाए जा रहा था, और अपने दोनों हाथों के दोनों अंगूठे और उंगलियों से उनके दोनों निपल्स को रगड़े जा रहा था, और नीचे से अब यह हाल हो चुका था कि मेरा लंड बहुत ही कड़ा हो के बाजी की सलवार के ऊपर से ही उसकी मोटी बाहर निकली हुई गान्ड की गहरी लाइन में फँसा हुआ था। बाजी ने जो सलवार पहन रखी थी उसका कपड़ा बहुत बारीक था, जिस वजह से ऐसा फील हो रहा था कि उनकी गाण्ड और मेरे लंड के बीच कोई बाधा नहीं है। मजे की अथाह गहराई में डूबता ही चला जा रहा था कितनी ही देर बीत गई मैं यों ही बाजी के मम्मे दबाता रहा और अपना लंड उनकी गाण्ड में फँसा कर लेटा रहा। 

फिर एक विचार के मन में आते ही मैंने अपने दोनों हाथ बाजी केबूब्स से हटाए और पीछे हो गया मैं पीछे होकर थोड़ी नीचे सरका और दोनों हाथ बाजी की सलवार पे रख दिए। मेरे हाथों को अपनी सलवार पे महसूस करते ही बाजी ने अपनाएक हाथ पीछे किया और मेरे हाथ को पकड़ के दबाया और ऐसा करने से मना किया। मैंने आगे हो के बाजी के इस हाथ को चूमा और उसे प्यार सेएक साइड पे किया और फिर उनकी सलवार को पकड़ के नीचे करने लगा कि बाजी ने फिर से मेरे हाथ को पकड़ लिया "" नहीं करो ना

"पर मैं रुकता कैसे, आज मैं अपनी उस इच्छा को पूरा करना चाहता था, उस इच्छा को जहां से यह सारा सिलसिला शुरू हुआ था। अपनी जिस इच्छा की पूर्ति का मैंने बहुत समय इंतजार किया था।। मैंने बाजी का हाथ फिर से चूमा और साइड पे करते हुए "थोड़ी देर देखूंगा" 

"" मान लो ना मेरी बात "" बाजी ने मस्ती भरी आँखों से मुझे देखते हुए काह।।। 

"थोड़ी देर बस" 

"सलमान जो गुनाह मुझसे हुए वही बहुत है ये क्या कर रहे हो , यह मत करो, मान जाओ ना"" बाजी ने मुझे मनाते हुए कहा

अपनी इच्छा की पूर्ति को इतने पास देख मैं जैसे उनकी कही बात को अनसुनी कर बैठा। "बस थोड़ी देर"

बाजी ने अपना चेहरा आगे की ओर कर लिया। मैं फिर से उनकी सलवार नीचे करने लगा कि उन्होने फिर से मेरे हाथ को थाम लिया और दबाया, पर इस बार मैं रुका नहीं। 

मैं बाजी की सलवार नीचे करता चला गया, यहां तक कि उनकी मोटी बाहर निकली गाण्ड पूरी नंगी हो गई। आह मैं जैसे उनकी गाण्ड की सुंदरता में खो सा गया .एक तो उनकी गाण्ड थी ही इतनी सुंदर, ऊपर से काली सूट, सलवार के बीच में नंगी, आह मैं तो जैसे अपने होश ही खो बैठा। तब मैंने यह जाना कि गाण्ड का दीवाना में ऐवें ही नही हो गया था। ये गाण्ड थी ही इसके लायक उसे घंटों बैठे बैठे देखा जाए, और उसे प्यार किया जाए 

"ऐसे मत देखो ना" बाजी ने शरमाते हुए कहा

बाजी की आवाज मुझे जैसे होश में ले आई। मैंने बाजी को देखा तो वह मेरी ओर ही अपनी आँखों में नशा और चेहरे पे हल्की सी परेशानी लिए देख रही थीं, ऐसे जैसे कि उन्हें मेरी ये दीवानगी समझ न आ रही हो। मुझसे नज़रें टकराते ही वह मुझे और नही देख पाई, और फिर उन्होंने अपना चेहरा आगे कर लिया, और अपना हाथ फिर से सलवार पे रख के उसे ऊपर की ओर करने लगी कि मैं उन्हें हाथ से पकड़ लिया, और अपने मुंह को आगे करते हुए बाजी की गाण्ड की एक साइड को चूम लिया आह आह फिर दूसरी साइड को चूम लिया आह फिर चूमने का जो सिलसिला शुरू हुआ कि बस में चूमता ही चला गया। 
 
अपनी गाण्ड पे मेरे होंठों के स्पर्श को पा के बाजी तड़पती हुई सिसकियाँ लेती हुई थोड़ी सी ऊपर को हुई ((उसी तरह करवट लिए रखी)) और मेरे सिर के बालों से मुझे पकड़ते हुए पीछे करने की कोशिश की। मेरे बाल खींचने की वजह सेएक पल मेरा चेहरा पीछे को हुआ, उसी दौरान मेरी नज़र उनके चेहरे पे पड़ी तो उन के चेहरे पे मामूली परेशानी और मुँह से सिसकियाँ निकल रही थीं और नजरें मुझ पे ही जमी थीं। मैं अपने बाल खींचने की परवाह किए बिना, फिर से आगे हुआ और इस बार मैंने अपने होंठ उनकी गाण्ड की लाइन पे जा रखे और अपनी जीभ बाहर निकाललते हुए उनकी गाण्ड की लाइन में मे घुसाने लगा । 


जब मैंने बाजी की गान्ड की लाइन में अपनी ज़ुबान फेरी तो उस पल वह मुझे पीछे खींचने ही वाली थी कि ज़ुबान के फेरते ही जैसे बाजी कांप उठी और मचलते हुए पीछे की बजाय मेरे सिर को आगे की ओर यानी कि अपनी गाण्ड की ओर दबा दिया। मेरा मुंह जैसे बाजी की मोटी गाण्ड में घुसता ही चला गया और मैंने अपनी जीभ को उनकी गान्ड की लाइन में फेरना शुरू कर दिया। बाजी की गाण्ड की लाइन बहुत गहरी थी, मैं अपनी जीभ को उसकी गहराई में उतारता चला जा रहा था मेरी जीभ उनकी लाइन की गहराई में फिसलती चली जाती। फिर वैसे ही बाहर लाता अपनी जीभ और फिर अंदर तक ले जाता। अब एक प्रक्रिया सी बन चुकी थी कि जैसे ही मेरी जीभ उनकी लाइन की गहराई से वापस आती तो उनकी गाण्ड की साइड पे एक मामूली बाइट भी कर देता , जिससे बाजी अपने मुंह से निकलती आह न रोक पाती थी। कितनी ही देर में उनकी गाण्ड को चाटता और काटता रहा। 
कितना ही समय बीत गया, हम दोनों बहके हुए डूबे रहे उन्ही मस्तियों में, कि अचानक मैं ऊपर हुआ और बाजी का हाथ अपने सिर से हटा दिया। मेरे हाथ हटाने और ऊपर होने से बाजी फिर से नीचे हुई और मुंह दूसरी तरफ कर लिया और अपने हाथ से सलवार पकड़ ऊपर को करने लगी कि मैंने फिर से उनके उस हाथ को पकड़ लिया। अब मैं ऊपर हुआ फिर से उनके बराबर आ के लेट गया था। मैंने थोड़ा ऊपर होते हुए दूसरे हाथ से अपनी सलवार घुटनों तक नीचे कर दी। मेरा मोटा लंबा लंड अभी सलवार की कैद से मुक्त हो चुका था। मैंने समय ज़ाया किए बिना अपने लंड को बाजी की गाण्ड पे रखा। मेरा लंड उसकी मोटी गाण्ड की लाइन में डूबता चला गया। । 

मेरे लंड को अपनी गाण्ड की लाइन में फील करते ही बाजी के शरीर को एक झटका लगा, वह पीछे मुड़ते हुए बोली: यह क्या कर रहे हो, पागल हो गए हो तुम, निकालो इसे बाहर आह सलमान इसकी एक सीमा है, तुम क्या चाहते हो, हाँ, निकालो ना इसे बाहर। । । बाजी की नशे और मस्ती में डूबी आवाज मुझे कहीं दूर से आती सुनाई दी और मैं नशे में चूर हवाओं में उड़ता बस अपने लंड को उनकी गाण्ड से रगड़ता रहा। । 

वास्तविकता यह थी कि बाजी समय के साथ प्यार के नए नए मोड़ से परिचित होने के बाद, प्यार को स्वीकार तो कर बैठी थी, पर शायद एक डर अभी भी उनके अंदर कहीं मौजूद था, वह डर ज़माने का था या कुछ और इसका मुझे पता नहीं। वह अपने आप को मुझे सौंप देने के बाद भी एक तरह से जैसे नहीं सौंपी थीं। आज जो आग उनके और मेरे अंदर सुबह की घटना से बढ़की थी उस आग में जल के हम दोनों ही शायद कुंदन हो चुके थे। हां इसीलिए तो जिस मिलन की प्यास में अब तक तड़प रहा था, वह मिलन आज मुझे बहुत करीब लग रहा था, हाँ शायद वह भी तो मिलन की प्यास में तड़प रही थी, यह कैसे हो सकता था कि मेरा शरीर मेरी आत्मा तड़पे और वहीं दूसरी ओर बाजी को कुछ न हो। । । । 

"" सलमान मत करो ना आह आह कब समझोने तुम मम आह बोलो "" 

मैं आराम से पीछे हो गया और घुटनों के बल बेड पे खड़ा हुआ और अपनाएक हाथ उनकी कमर पे तथा कंधे पे रखते हुए उन्हें सीधा करके बेड पे लिटाया इससे पहले वे कुछ कहती में उनकी नीचे वाली साइड पे खिसका और उनकी पहले से आधी उतरी सलवार को पूरा अपने पैर से अलग करता चला गया। । । । 

बाजी अपनी टांगों को एक दूसरे से मिलाकर फ़ोल्ड करती हुई बेड पे उठ बैठी। "" यह क्या पागलपन है 

"मैंने दीदी के दोनों गालों को प्यार से थामे हुए कहा" मेरी आंखों में देखें जरा "

उन्होंने अपनी बड़ी बड़ी खूबसूरत आँखों से मेरी आँखों में देखा तो कुछ ही पल लगे, इन दो पतंगों को एक दूजे में खोने में 

"" किस बात की सजा दे रही हैं खुद को और मुझे? आज तक एक बार नहीं बोला, जो आपने कह दिया, उसी को हमेशा माना, जो अब बोल रहा हूँ जब पहली बार किया तो क्यों आगे बढ़ने दिया आपने मुझे, हाँ, मुझे रोकाक्यों नहीं आपने "" मैं जब पहली बार बोला तो फिर बोलता ही चला गया और रुका जब बाजी ने अपनाएक हाथ मेरे मुँह पे रख दिया, पर मेरी आँखों में उलझी अपनी आँखें हटाई नही

मैंने बाजी की शर्ट और ब्रा को हटाते हुए, उन्हें दोनों बाजुओं से पकड़ते हुए लेटा दिया और उनके पैरों को प्यार से आराम से खोल दिया। । उनके सुंदर गोरे पैर खोलते ही मेरी नज़र उनकी पिंक कलर की योनी पे पड़ी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह हाय कितनी प्यारी सी योनी थी, पिंक कलर के बंद हुए लिप्स आह बाजी वैसे ही मझेएक टक देखे जा रही थी। जाने कब से इंतजार कर रहे थे हम दोनों इस मिलन के लिए, इसलिए मैंने देर नहीं की और बाजी के पैरों के बीच में आ गया। पैरों के बीच में आते ही मैंने बाजी के दोनों पैरों के नीचे से हाथ किया और उनके दोनों पैर अपनेशोल्डरज़ पे रख लिए और अपना लंड उनकी योनी पे जाकर रख दिया

"आह" "आह" हम दोनों के मुंह सेएक ही समय में निकला । । । मैं अपने लंड हाथ में पकड़ते हुए अपनी टोपी बाजी की योनी पे आराम से रगड़ी। । योनी पे मेरी टोपी को फील कर बाजी मस्ती के समुद्र में फिर से डूबना शुरू हो गईं, मिलन के समय को इतने करीब पा के बाजी की आँखें अब बंद हो चुकी थीं। मैं वैसे ही अपनी टोपी को उनकी योनी पे रगड़ता जा रहा था। मस्ती और मजे के साथ एक अजीब सी संतुष्टि और आराम था इन पलों में . 
 
मैंने बाजी के होठों को अपने होंठो में लिया और हम दोनों एक दूसरे को आराम से चूमने लगे। अब टोपी केवल योनी के अंदर रह गई थी बाकी लंड बाहर आ चुका था। मैंने एक बार फिर से बाजी की योनी में लंड डालना शुरू किया। 

"" हाय सलमान आह आह उफ़ सलमान उफ़ ये कयाआह आह आह धीरे सलमान इतना दर्द क्यों होता है? "" अब की बार जैसे बाजी लंड के अंदर जाने से कहीं खो सी गई ।। लंड फिर से जड़ तक अंदर चुका था।।। 

बाजी की जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी कि उन्होंने मेरी जीभ को अपने मुँह में लेकर प्यार से चूसना शुरू कर दिया। .एक बार फिर से मैंने लंड को बाहर खेंचा 

"" हाय सलमान यह क्या हो रहा है मुझे . पागल सी हो रही हूँ मैं आराम से डालो जानी " बाजी ने मज़े शिद्दत से बेहाल होते हुए कहा

सच ही तो था उस समय जो नशा, जिस मज़ा और मस्ती पर हम दोनों ही जा पहुँचे थे, उसमें समर्पित होते ही यही तो हाल होता है।।। एक बार फिर से मेरा लंड आगे बढ़ा, पर पहले से थोड़ी अधिक तेजी के साथ

"" "आह आराम से करो ना आह आह उफ़ मम" हाई सलमान तुमने मुझे पहले ही इस प्यार के मिलन के मज़े से परिचित क्यों ना करा दिया अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आराम से करते रहो मेरी जान ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह""

"किस आराम से करूँ जान? मैने बाजी को छेड़ते हुए कहा

तंग क्यों करते हो "जो कर रहे हो, उसी से करो ना" बाजी ने शरमाते हुए हल्की आँखे खोलते हुए कहा

"कुछ नाम भी तो है उसका ना" मैने फिर बाजी को छेड़ा

"सलमान तंग मत करो" बाजी ने मज़े में डूबी हुई आवाज़ में मुझे झिड़का

"तेज तेज करूँगा फिर" "" मैने बाजी को फिर से छेड़ा

"" प्यार से " बाजी ने मज़े की सिसकारी भरते हुए कहा

"यह क्या सीधे से बोलिए कि क्या करना है " मैने फिर कहा

"सलमान सीधे से ही तो बोला है ना" " बाजी ने शिकायत भरे लहजे मे जवाब दिया

" बोलें अपना लंड आराम से डालो सलमान "" मैने बाजी के एक मम्मे मसल्ते उन्हे कहा

"सलमान प्लीज़ तंग मत करो, यह कितना गंदा शब्द है? " बाजी ने मचलते हुए कहा

" ओहो मैं अब तेज तेज करूँगा "टोपी अंदर रखते हुए बाकी लंड को मैंने तेजी से बाहर खींचा और फिर उसी तेजी से अंदर उतारता चला गया।।। 

"" आह आह आह हाय उफ़ इंसान क्यों नहीं बनते, क्यों हर वक़्त तड़पातेरहते हो मुझे आह "" बाजी ने रोनी सी सूरत बनाते हुए कहा

"" बोलेंगी या फिर करूँ "यह कहते हुए लंड को पीछे खींचने ही लगा था कि बाजी तड़प कर बोली" "सलमान अपना लंड आराम से डालो ना प्लीज़ "" यह मिलन कुछ अजीब ही रंग अपने साथ लाया था, कि हम दोनों ही कुछ ऐसे रंग में रंग गए कि हमें कुछ खबर न थी हम एक दूसरे को क्या कह रहे हैं। 

बाजी मुंह से यह सुनते ही जैसे मज़ा कई गुना बढ़ गया। मेरा लंड बाजी की योनी की गहराई में उतरकर, वहाँ ठहरा कुछ पल साँस ले रहा था इतने में मैंने कहा "" "अपना लंड कहाँ आराम से डालना है" 

"क्यों तड़पा रहे हो, सलमान " बाजी ने मेरी मनुहार करते हुए जबाव दिया 

" अच्छा बोलिए सलमान अपना लंड आराम से मेरी योनी में डालो "" मैने बाजी के गालों को सहलाते हुए उन्हे छेड़ा

"यह कैसे कैसे जैसे तुम बोल रहे वही करो ना सलमान डर्टी" बाजी ने मेरे गाल पर किस करते हुए कहा

"बोलें नहीं तो फिर वैसे ही डालूंगा अपना लंड" मैने उन्हे प्यार का गुस्सा दिखाते हुए कहा

"" ठीक ना, सलमान डर्टी अपना लंड आराम से मेरी योनी में डालो " बाजी ने मेरे सिर मे चपत लगाते हुए हँसते हुए कहा

बाजी ने आख़िर वही शब्द दुहरा दिए जो मैं उनके मुँह से सुनना चाहता था
 
मैंने आराम से अपना लंड बाहर की ओर खींचा और फिर आराम से अंदर को पुश किया और वहीं पे फिर रोका"

"आह आह हाँ ऐसे ही करो आह ओश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हमम" बाजी ने मस्ती की नई ऊँचाइयों को छूते हुए कहा

"इतने में मैंने अपने मुंह में बाजी का मम्मा ले लिया और चूसते हुए कहा "अब बोलें सलमान मेरा मम्मा चूसो" 

"" प्लीज़, उफ़ ना मैं ये नही कह सकती"" 

मैंने बिना कोई उत्तर दिए अपने लंड को जल्दी बाहर खेंचा और फिर 2, 3 स्ट्रोक एक साथ ही लगा दिए 

"" आह आह हाय पागल ओह आह नहीं करो आह "" बाजी ने दर्द से कराहते हुए कहा

"बोलें तो" सलमान मेरा मम्मा चूसो "" में बहकी हुई आवाज में बोला: फिर कहीं। । । 

"सलमान प्लीज़ मेरा मम्मा चूसो ना" बाजी की बहकी सी नशीली आवाज़ मेरे कानों में टकराई और मैंने उनके मम्मे पर एक बाइट किया 

"" आह छोडूंगा नहीं तुम्हें में "" बाजी के पैर वहीं मेरी कमर से लगे हुए, और बाजी मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी, मेरा लंड अपनी योनी में लिए मस्ती, नशे, मज़े से निढाल थी कि मैंने अब धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। बाजी की सिसकियों में वृद्धि होती चली गई "" 

"हाय सलमान आह आह आह हाय उफ़ प्लीज़" "" बाजी ने मस्ती मे सिसकते हुए कहा

"" मज़ा आ रहा है? " मैने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा

" आह हाय आह हाँ उफ़ हाईईईईईईईईईईई ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सलमान तेज करो अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी योनि को फाड़ दो "

फिर वह समय भी आ गया जब हम अपने गंतव्य पे पहुँच गये लंड तेजी से अंदर बाहर होता हुआ, बाजी की योनी के अंदर फारिग होना शुरू हो गया और बाजी ने अपनी योनी ऊपर उठाना और मेरे लंड पे धीरे धीरे मारना शुरू कर दिया 

"" आह आह बाजी चूस लो मेरे लंड को अपनी योनी से आह "" मैं जब अपने लंड को बाजी की योनी में अंदर मार के बाहर खेंचता तो बाजी अपनी योनी को फिर मेरे लंड पे मारती 

"आह आह हाय सलमान बहुत मज़ा दे रहे हो आह" फिर एक अंतिम झटका मैंने बाजी की योनी मे मारा, और मेरा लंड बाजी की योनी की गहराई तक उतरता चला गया, तभी दीदी ने भी अपनी योनी का आख़िरी झटका मेरे लंड की ओर मारा, यानी कि बाजी की योनी का जोर मेरे लंड की ओर था और मेरे लंड का जोर बाजी की योनी की ओर। ऐसा करने से मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे बाजी ने मेरे लंड को अपनी योनी से जोर से जकड़ रखा है और मेरे वीर्य काआख़री कटरा तक उनकी योनी के रस से मिलकर क्रीमयुक्त हो रहा है।।।।।। 

मिलन की इस मंजिल को पाकर मेरी आत्मा और शरीर को वह संतुष्टि और आराम नसीब हुआ, जैसे किसी प्यासे को रेगिस्तान में भटकते भटकते पानी सेभरा कुआँ मिल गया हो, जिससे वह जन्मों जन्मों की प्यास बुझा ले पर पानी कम ना हो । प्यार की मंज़िलें तय करते हम दोनों आगे आगे ही बढ़ते चले जा रहे थे और प्यार था कि कहीं एक जगह पे ठहरता ही नही था समय के साथ ऐसा लगने लगा कि जैसे कोई ऐसा भी स्थान आने वाला है जहां पे पहुँच कर यह आत्मा फ़ना हो जाएगी। । हां प्यार के स्थानों की ग्लो ही कुछ ऐसी होती है। । । । 

गुजरते दिनों में सेएक दिन फिर ऐसा आया कि उस दिन शायद कहीं पे किसी ने मेरी तकदीर का कुछ और ही फैसला किया। 
रात के खाने पे कुछ लेट हो गया और जब नीचे पहुंचा तो अबू अपने रूम में जा चुके थे शायद। अम्मी और बाजी नजर नहीं आ रही थीं। में किचन की तरफ बढ़ा तो रसोई के करीब पहुँचते ही, मेरे कानों में अम्मी की आवाज टकराई "" देखो बेटा रफ़ी साहब का परिवार बहुत अच्छा है, ऐसे रिश्ते को रोज नहीं आते ""

"पर अम्मी मेरी मेडिकल स्टडी अभी कंपलेट नहीं हुई " बाजी ने अपना विरोध दिखाते हुए अम्मी को जवाब दिया

" वे कह जो रहे हैं कि पढ़ाई हिना शादी के बाद कम्प्लीट कर ले, सोच लो, तुम्हारे अब्बू कह रहे थे कि वही होगा, जो हिना फैसला करेगी, तुम कुछ दिन सोच लो, फिर बता देना "" (( मुझे बाद में पता चला कि साना की बहन की शादी पे उसके भाई ने बाजी को पहली नजर में पसंद कर लिया था)) 


तेज आंधियां, तूफान से मेरे अंदर चल रहे थे, जो जहां था वही पे रुक सा गया था, ऐसे लगने लगा किसी ने तेज तलवार के साथ मेरे शरीर को काट डाला हो लहू (खून) बहना जानेक्यों नसों में रुक सा गया। ऐसा तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था, यह क्या तमाशा समय मेरे साथ करने वाला था। । 

इतने में बाजी और अम्मी किचन से बाहर निकली तो मैंने एक नज़र बाजी पे डाली, इस एक नज़र में मौजूद जाने कितने ही सवाल, चाहे दुनिया को न दिखें, पर उसे नजर आ ही गए। । । मैं मुड़ा और ऊपर की ओर तेजी से बढ़ने लगा कि अम्मी ने कहा "बेटा, खाना नहीं खाना क्या?" 

"" जरूरत नहीं है मुझे "यह कहते हुए ऊपर की ओर बढ़ा। .सीढ़याँ चढ़ते हुए जो आख़िरी आवाज मेरे कानों से टकराई वह यह थी कि "" हिना जाओ उसे देखो क्या हो गया है उसे"" 

मैं अपने कमरे में आया और बाजी कुछ ही देर में मेरे कमरे में आ गई और दरवाजा बंद कर दिया। । । 

"" यह क्या है सब मुझे कुछ बताएंगी? "" मैने गुस्से से बाजी को कहा

"" आप पहले सामान्य तो हो " बाजी ने कहा

" मैं सामान्य हूँ मुझे पता है यह सब क्या है? आप क्या कर रही है "" मैने तिलमिलाते हुए कहा

बाजी ने मेरे पास आते हुए मेरे गाल को अपनी उंगलियों से पकड़ा और अपनी गहरी आँखें मेरी आँखों में डालते हुए बोली "मैं खुद मर रही हूँ, यह जो भी है यह एक न एक दिन तो होना ही था" "

"" नहीं होना था यह आपकी शादी किसी और से नहीं, ऐसे नहीं होगा, मैं करूँगा तुम से शादी, और किसी से नहीं, तुम मेरी हो ना? "" मैने उनके हाथ को अपने गाल पर दबाते हुए कहा

दीदी ने अपना हाथ मेरे गाल से हटाया और अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों हाथ पकड़े और मेरा एक हाथ अपने सीने पे रखा और दूसरा अपने सर पे और मेरी आँखों में वैसे ही देखते हुए काह "" सलमान अपना ख्याल रखना, तुम्हें कुछ भी नहीं होना चाहिए, हिना ने केवल तुमसे प्यार किया है और मरकर भी तुम्हें ही करेगी, मेरे सलमान का ख्याल रखना, तुम मेरी तरह "" बाजी कहती जा रही थी और उनकी आंखों से आंसू गिरते जा रहे थे।।। 
 
दोस्तो कुछ ही दिनों में बाजी की शादी धूम धाम से हो गई बाजी की जब विदाई हो रही थी तब मेरा रो रो कर बुरा हाल था मैने बाजी के बगैर कभी जीने का सोचा ही नही था . पर कहते हैं ना जब वक्त करवट लेता है तो इंसान की चाहतें इंसान के वादे सब बीते वक्त की निशानी बनकर रह जाते हैं
कहते हैं कि अतीत के पन्नों को कभी न खोलो, अपने आज पे फोकस करो और इसे बेहतर करो। कभी कभी अतीत के पन्ने खोल के भी वापस जाना पड़ता है, कुछ सवालों के जवाब पाने के लिए। अतीत की उन यादों से जब मैं वापस आया तो मेरी आंखों से निकलते आंसुओं ने मुझे भिगो रखा था। वह किसकी याद थी जिसने मुझे आज अतीत की उन यादों में धकेल दिया था? कहीं सेएक आवाज़ आई "साना" हाँ एक ही सार हो सकती है। । । जो मेरी तकदीर में लिखा था इस सब में उसका क्या दोष था? उसने तो मुझे शुद्ध मन से चाहा था। । । 

अतीत में जा के जिन सवालों के जवाब मुझे मिले, इन सवालों के जवाबों में सेएक जवाब भी था, अपने लिए तो हर कोई जीता है, पर किसी और के लिए कोई नहीं जीता, हाँ अब मुझे किसी और के लिए जीना था, हाँ साना के लिए, मैं अभी साना को अपनाना था। । । । । 

एक और बात जो उस दिन मैंने सीखी वह यह कि "" आत्मा कभी मरती नहीं, आत्मा की कभी हत्या नहीं होती, वो तो बस भटक जाती है, हाँ भटक ही जाती है किसी की याद में। । । । । । । । । 
दोस्तो इस तरह इस कहानी का सफ़र यहीं समाप्त होता है एक दो दिन में फिर चल पड़ेंगे किसी नये सफ़र पर तब तक के अलविदा दोस्तो और हाँ आप सब के प्यार और सहयोग के लिए धन्यवाद दोस्तो आपका दोस्त राज शर्मा


(दा एंड)
समाप्त
 
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