Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग - Page 3 - SexBaba
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Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग

ननद की ट्रैनिंग – भाग 3

नीचे गाना पूरी ज़ोर से चल रहा था. बिचारी अल्पना को अकेली पा के सब लोग रगड़ रहे थे, खास कर मेरी बड़ी ननद लाली. मुझे देखते ही उसके जान मे जान आई और उसने गुड्डी को छेड़ना शुरू कर दिया,
"गालों पे है किसके निशान "
और मेरी एक रिश्ते की देवरानी गूंजा, जिसकी शादी तीन चार महीने पहले ही हुई थी और जो शाम को गांव से आई थी ने जवाब दिया , 
होंठ किसी के मेहर बान और एक गाना शुरू किया,

" अरे सब कुच्छ तो लाई लिहाला गाल जिन काटा, हे जीजा बहुते खराब तू त बता"

किसी ने और छेड़ा, अरे गुड्डी तुम तो पान नही खाती थी, 

तो मैं बोली अरे बस देखती जाइए मेरी ये छोटी ननद क्या क्या घोंटति है. 

कोई और बोला, पान का रंग बड़ा कस के चढ़ा है 

तो मैं बोली, "
 अरे देखिए अभी गुड्डी जी के उपर क्या क्या चढ़ता है," 

गूंजा ने मेरी बात काटकर, पुछा
" अरे, आदमी ही चढ़ेगा या " 

" अरे गधा, घोड़ा, सब कुच्छ" मैं हँसते हुए बोली और गाने के लिए ढोलक अपनी और खींची. अल्पी मेरी बड़ी ननद लाली की ओर इशारा करके बोली, दीदी आप नही थी ना तो मुझे अकेले"

"अच्छा तो अब सुनाती हू इनका हाल" मैं बोली. गूंजा, मेरी जेठानी, गुलाबो सब मेरा साथ दे रही थी.मैने लाली को टारगेट कर सुनना शुरू किया


" अरे हमारी ननदी पक्की छिनार अरे हमारी लाली हमारी गुड्डी पक्की छिनार
अरे ननदी रानी के , लाली साली के , गुड्डी छिनार के दो दो यार,
एक जाए आगे , दूसर पिछवाड़े, बचा नही कोई नऊआ कहार
हमारी ननदी रानी के दस दस है यार.. " अरे हमारी ननदी पक्की छिनार"


" अरे पिछवाड़े से भी, साथ साथ या", उन्हे चिड़ाते हुए,अल्पी ने मेरी देवरानी गूंजा से पुछा.

" अरे साथ साथ, अगर बारी बारी से मरवाना होता तो, बुर ही ना चुदवा लेती ननद रानी" वो बोली.

" अरे तुम्हे पता नही इनके इस मस्त चूतड़ के सारे दीवाने है " ,मेरी बड़ी ननद लाली की ओर इशारा करके ,मेरी एक जेठानी हँसते हुए, बोली.

" अरे मैं तो समझती थी कि मेरे ससुराल के मर्द ही सिर्फ़ गंडुए है पर ननदे भी गान्ड मरवाने की रसिया है आज पता चला." हँसते हुए मैं बोली
 
" अरे तो इसमे बुरा क्या है, हम लोगों की ननदे साली मानती है कि, कबीरा गान्ड मराईए, तीन फ़ायदा होय, मज़ा मिले पैसा मिले और दस्त खुलासा होय." गुलाबो अब अपने लेवल पे आ गयी थी.

लाली और सब ननदो की हालत खराब थी. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. चिढ़ते हुए मैने फिर पुछा, " अच्छा ननद रानी तभी, शाम को पिछली बार आपका पेट सुबह एकदम ठीक हो गया, रात मे नंदोई जी से कितनी बार मरवाई थी, बड़ा अच्छा इलाज है ये तो."


सब लोग खुल कर हँसने लगे. मेरी बड़ी ननद हँसकर मेरे चूतड़ पे चिकोटी काटती, बोली, " अरे रनू तुम्हारा मन कर रहा है, तो अपने नंदोई जी से गान्ड मरवा ले, वैसे भी जबसे वो आए है तेरी इस मस्त रसीली गान्ड के पीछे पड़े है,"

गुड्डी की ओर मीठी निगाह से देखती मैं बोली, " अरे हम सबको पता है वो किसके पीछे पड़े है गालों के निशान बता रहे
हैं और नंदोई जी क्या मेरी गान्ड मारेंगे मैं उनकी गान्ड मार लूँगी.

" कैसे भाभी " गुड्डी के मूह से अचानक निकल पड़ा.

" अरे अपनी इन बड़ी बड़ी चुचियों से और तू बीच मे आई ना तो तेरी भी मार लूँगी." तब तक मेरी निगाह गुड्डी के साथ बैठी, जीत की बहन हेमा पर पड़ी और मैने, पैंतरा बदलकर बोला, "अच्छा ननद जी आप भी क्या याद करेगी, मैण आप की बात मान लेती हू, देखती हू कितना दम है नंदोई जी मे लेकिन मेरी भी एक शर्त है,मानना पड़ेगा"

"क्या" मुस्कुराकर मेरी बड़ी ननद बोली. 


हेमा की ओर इशारा करते मैं बोली, "अरे ये जो मस्त माल आया है ना आपके मायके सेमेरे सारे देवर इसके बड़े दीवाने है बस ये मेरे देवर का मन रख दे और मैं आपके साजन का." 

हेमा को छेड़ती, मेरी ननद बोली, 
"अरे इसमे क्या मुश्किल है, अरे हेमा मान ले मेरे भाई भी खुश हो जाएँगे और तेरे भाई भी"

"और क्या, और ठीक 9 महीने बाद आपके मायके मे सोहर होगा और आप भी मामी बन जाएँगी."
 गूंजा भी बोली.

"और दूध का इंतज़ाम हो जाएगा सो अलग, इसके जोबन देख कर तो लगता है खूब दूध देगी और दुहने के लिए, जो गर्भिन करेगा ना, उसीको बुला लेना"गुलाबो चालू हो गयी. 

अल्पी भी मौका क्यों चूकती मेरे आने के पहले लाली उसकी खूब खिंचाई कर रही थी.वह भोलेपन से बोली,
 "दीदी, गुड्डी कह रही थी कि उसके जीजू कुछ बेकार नही करते उसके साथ करने के बाद वो खुद उसकी मलाई चाट कर चूत कर साफ कर देते है और अपनी उसको चटा देते है." गुड्डी बेचारी ना नुकुर करती रही कि उसने ऐसा नही कहा था पर सुनता कौन. अल्पी चालू रही, "पर आपके जब वो पिछवाड़े करते है तो" 

हम सब लोग मुस्कराते रहे पर गुलाबो ने जवाब दे दिया" अरे, साफ साफ क्यों नही कहती कि जब नंदोई जी इनकी गान्ड मारते है तो अरे ये सब साफ सूफ कर देती है चाट चूट कर उनकी मलाई भी और अपना मक्खन भी, अरे पिछवाड़े के हलूवे की तो ये चटोरी है" सब लोग हँसने लगे.

" बहुत मक्खन चाटने का शौक है ना ,, तुमको ना चटवाया अपने भैया से तो कहना, तेरी ये मस्त गान्ड भी मारेंगे और मक्खन भी चटायेन्गे" लाली अल्पी से बोली

तब तक दुलारी ने ढोलक सम्हाल ली थी और अब ननदे चालू होगयि, हमारे पीछे. गुड्डी, मेरी बड़ी ननद और बाकी सब रिश्ते की ननदे साथ दे रही थी.


नीली सी घोड़ी गज नीम से बँधी कोई देख तो ले, अरे कोई देख तो ले
अरे, हमारी भाभी छिनार, अरे रनू छिनार अरे गूंजा छिनार चली देखने,
वो तो चढ़ गयी अटूट, उनकी खुल गयी साड़ी और दिख गयी चूत,
अरे कोई देख तो ले नीली सी घोड़ी गज नीम से बँधी कोई देख तो ले, अरे कोई देख तो ले
अरे हमारी अल्पना छिनार, हमारी गुलाबो छिनार, चली देखने,
वो तो चढ़ गयी खजूर , उनकी दिख गयी बूर, अरे कोई देख तो ले
नीली सी घोड़ी गज नीम से बँधी कोई देख तो ले, अरे कोई देख तो ले


"क्यो, किस को तुम लोग अपनी चूत और बुर दिखा रही हो"
 हंस कर मेरी एक ननद ने पूछा. 
 
गूंजा ने ढोलक ले ली. मैने उससे कहा, अरे ज़रा चने के खेत वाला सुना दे इन छीनाल ननदों को. और हाँ ज़रा मेरी इस प्यारी नयी छीनाल का खास ख़याल रखना," गुड्डी के गाल सहलाते हुए मैं बोली. 

हाँ एक दम दीदी, गूंजा चालू हो गयी और ज़ोर ज़ोर से मैं और अल्पी भी उसका साथ दे रहे थे,

चल मेरे घोड़े चने के खेत मे, चने के खेत मे
चने के खेत मे बोया था गन्ना, हमारी सासू को ले गया, बमना,
दबाबे दोनो जुबना, चने के खेत मे
चल मेरे घोड़े चने के खेत मे, चने के खेत मे
चने के खेत मे बॉई थी, घुँची
अरे ननदी साली को, लाली छिनार को लेगया, मोची
दबाबे दोनों चूंची, चने के खेत मे
चल मेरे घोड़े चने के खेत मे, चने के खेत मे
चने के खेत मे पड़ी थी राई,
गुड्डी छिनार को ले भागा नाई
अरे रात भर करे चुदाई, चने के खेत मे,
चने के खेत मे,पड़ा था रोड़ा
गुड्डी छिनार पे चढ़ गया घोड़ा
रात भर घोंटे लौंडा चने के खेत मे,
अरे चने के खेत मे पड़ा था ततैया,
गुड्डी साली को चोदे उनका भैया, चने के खेत मे


गूंजा ने छेड़ा, " अरे, गुड्डी अपने भैया से भी,दीदी लगता है, आपके सैया, पक्के बहनचोद है" 

मेरी जेठानी भी हँसकर बोली, " सही कहा, मेरे सारे देवर नंबरी बहनचोद है" 

हेमा भी गुड्डी को चिढ़ाने लगी, " अरे मेरे भैया से भी, अपने भैया से भी" 

और मैं भी बोली, " और मेरे भैया से भी, असल मे ये मेरी छोटी ननद बहुत सीधी है, किसी को मना नही कर पाती."

" अरे मेरे जीजू को झूठे ही बदनाम कर रही है, बहन चोद कह कर, असल मे छिनार तो आपकी ननद है जो सब मर्दो को फ़साती है" हंस कर अल्पी बोली.
 
"चलो, मैं सुनाती हू अपनी ननद रानी की असलियत, क्यों गुलाबो, सुना दे कस के एक," मैं गुलाबो से बोली. गूंजा फिर ढोलक बजाने लगी और मैं और गुलाबो, पूरे जोश मे चालू हो गये,

अरे हमारे सैया बोले राजीव साला बोले,
हमारी बहनि की, हमारी गुड्डी की बिलिया मे कुछ भी ना जाय,
सींकियों ना जाय, तुन्मुनियो ना जाय
अरे हमारी नंदी की बिलिया मे गुड्डी की बुरिया मे,
मोटा मोटा मूसल जाय, लंबा लंबा बाँस समाय, अरे
राजीव बहन चोद बोले, राजीव गन्डूआ
हमारी बहनि की, हमारी गुड्डी की बिलिया मे कुछ भी ना जाय,
अरे गुड्डी छिनारो की बुरिया मे,
राजीव भडुआ जाय, उसके सब साले समाय, सालों के भी साले समाय
अरे राजीव सला बोले,
हमारी बहनि की, हमारी लाली की बिलिया मे कुछ भी ना जाय,
अरे हमारी नंदी के भोसडे मे, अरे लाली हरमजादि के भोसड़े मे
गधा समाय, घोड़े समाय, कलिन्गन्ज के सब भडुए समाय,
अरे वो तो बिचारा गोता खाय


" अरे क्या कैपीसीटी है आपकी," लाली को चिढ़ाती अल्पी बोली.

" अरे तभी तो मैं सुबह कह रही थी कि इनका केले से क्या होगा कम से कम खीरा चाहिए, ननद जी को" गूंजा ने भी जोड़ा. 

तब तक दुलारी ने गुलाबो का हाथ पकड़ के खींचा नचाने के लिए और उसके साथ की मुहल्ले की कुछ औरते गाने लगी,

अरे सेजो पे मिलेंगे दोनो जने, अरे सेजों पे मिलेंगे दोनो जने,
तुम प्यारी दुल्हन, हम प्यारे दूल्हा, धक्का लगाएँगे दोनो जने,
अरे सेजों पे मिलेंगे दोनो जने,
तुम प्यारी कुतिया, हम प्यारे कुत्ते, कार्तिक मे मिलेंगे दोनो जने


पहले तो दुलारी ही दूल्हा बनी थी और वह गुलाबो को दबोचे थी पर अगली लाइन पे, गुलबो ने पलटी मार के उसको झुका के , कुतिया बना दिया और और खुद कुत्ता बन के लगी धक्के मारने. और जैसे बाद मे कुत्ते का अटक जाता है, फूल कर उसने वो ऐकटिंग की, कि हँसते हँसते सबकी हालत खराब हो गयी. उसके बाद तो घर की काम वालियों ने, मुहल्ले की औरते, इतना खुल के घमासान हुआ कि मज़ा आ गया, कुछ भी नही छोड़ा उन लोगों ने और हर बार गुड्डी और राजीव को जोड़ के ज़रूर गाली दी जाती, कोई किसी का सीना दबाता तो कोई किसी का साया उठा देता कोई भाभी किसी ननद की खुल के उंगली ही कर देती. 

थोड़ी देर मे दुलारी ने मुझे घेरा, " हे रनू भाभी रात भर किससे चुदवाया है, जो नाचने के लिए उठ नही पा रही हो"

" अरे मैं तो तैयार हू अपनी बहनि को तो उठाओ"लाली की ओर इशारा कर के मैं बोली और वो कुछ समझ पाती, उसके पहले मैने उन्हे नाचने के लिए खींच कर उठा लिया. गूंजा ने ढोलक सम्हाली और गाना शुरू कर दिया,

" अरे ननद तोर भैया बड़ा रे खिलवाड़ी,
पहले पहल हम आईली गवनवा, रतिया मे सुतली अकेले भवनवा
सुतले मे खोलालयी, चोली के बन्धनवा, कस के दबाबे हमारा जोबनवा


( तब तक मेरी ननद ने ब्लाउज के उपर से कस के मेरा जोबन पकड़ने की कोशिश की लेकिन मैं तैयार थी और झुक कर उनसे बच गयी, और उनकी कमर पकड़ के फिर नाचना शुरू कर दिया)

धीरे से उठावे हमारी साड़ी, नैहर की लूट लिहाई, फुलवाड़ी
अरे ननद तोर भैया बड़ा रे खिलवाड़ी "

और अबकी मेरी ननद नही बच पाई मैने उनकी साड़ी थोड़ी सी गाने के साथ उपर की पर गूंजा और गुलाबो पहले से तैयार थी और उन्होने अच्छी तरह से उनकी साड़ी और साया उपर उठा दिया. वो बेचारी बहुत हिली डुली पर हम तीनो के आगे उनकी नही चली. उनका चूतड़ कस के पकड़ मैने सब को दिखा दो तीन चक्कर दिलाए और बैठ गयी. गुलाबो ने पूछा अब और कौन आएगा नाचने तो गूंजा गुड्डी की ओर इशारा करके बोली, " अरे कालीन गंज की सबसे मस्त रंडी तो अभी बाकी है, इसके पैर मे घुंघरू बांधो." और उसके मना करते करते भी गूंजा और मैने मिल के उसे घुंघरू पहना दिए.
 
तब तक हमने देखा कि एक यंग सरदार आया. एक दम पास मे आने पर ही मैं पहचान पाई कि वह अल्पी थी., अपने लंबे बाल मोड़ कर उसने सर पे जुड़ा बना लिया था शर्ट और जीन्स मोड़ कर राजीव की थी और पेंसिल से हल्की मूँछे,
एकदम किशोर 'लग रहा था'. उसने मुझ से गुड्डी की ओर इशारा कर कहा, " हे मुझे ये माल पसंद आ गया, क्या रेट है इस का"

" किस तरह से एक बार का, एक घंटे का या पूरी रात कैसे अगर तुम इसको नचा सको तो समझो फ्री." मैं बोली.

उसने गुड्डी का हाथ पकड़ के खींचा और अपने सीने से लगा लिया, और नाचना शुरू कर दिया. तब तक पीछे से हेमा ने
उसकी पगड़ी खींच दी और उसके लंबे बाल उसके पीठ पे फैल गये. गूंजा और मैने गाना शुरू किया,
" लगाए जाओ राजा धक्के पे धक्का, लगाए जाओ,
दो दो बटन है कस के दबाओ, लगाए जाओ

( गुड्डी डॅन्स करते समय झुक झुक कर इस अदा से अपने उभार और क्लिवेज़ दिखा रही थी, कि मेरी सारी ट्रैनिंग काम आ गयी, और अल्पना ने तो पहले उसकी कमर पकड़ी और फिर एक हाथ से खुल के गुड्डी की चूंचिया कस कस के दबानी शुरू कर दी, और हम लोग और ज़ोर ज़ोर से गाने लगे)

अरे डॅनलॅप की गद्दी लगी है नीचे, लगाए जाओ राजा धक्के पे धक्का
पहले सताओ, फिर अंदर घुसाओ, सतसट, लगाए जाओ राजा धक्के पे धक्का "

दोनों रीमिक्स डॅन्सर्स को मात दे रही थी और वो पंजाबी कुड़ी तो, जीतने आसन उसने सुने थे सब के सब दिखा दिए, और अंत मे उसने गुड्डी की एक टाँग उठाकर इस तरह अपने कमर से लपेट ली कि गुड्डी की पैंटी तक साफ दिख रही
थी. फिर तो एक हाथ से उसकी चूंची कस के दबाते हुए उसने वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारे कि कोई मर्द भी क्या मारेगा. खूब हंगामे के बीच उसका डॅन्स ख़तम हुआ. देर रात हो गयी थी, मोहल्ले की औरते अपने घर गयी और बाकी लोग सोने. 

अल्पी ने मुझसे पूछा, " दीदी, आप तो कह रह थी कि रत जगा होगा पूरी रात, मम्मी से भी यही कह कर"
" अरे तेरा तो रत जगा होगा ही, देख तेरा कौन इंतजार कर रहा है, जा उसके साथ." मैं बोली.
कोने मे राजीव खड़े उसको देख कर मुस्करा रहे थे.आज रात उनको उसी होटेल मे रहना था जहाँ जनवासा था, और अल्पी को भी वह वही ले जा रहे थे. अल्पी को मैने समझाया, हे अपने जीजू का पूरा ख्याल रखना. वो मुस्करा कर रह गयी. तो मैने राजीव को छेड़ा,
" हे मेरी बहन को रात भर मे पूरी तरह से खुश कर देना कुछ भी शिकायत न करे ये मुझसे."
" "एकदम " वो बोले. जब तक वो दोनो निकल ही रहे थे कि, गुड्डी आ गयी. उसे बाहों मे ले मैने कहा
" और अगर तुमने उसे खुश कर दिया तो इनाम मे मैं अपनी छोटी प्यारी ननद दे दूँगी."
बिना सुने वो बोले ठीक है और निकल गये. गुड्डी शर्मा गयी.
" चल यार तेरी सहेली तो निकल गयी अपने जीजू के साथ चुदवाने, हम लोग काम ख़तम करते है. सब लोगों के सोने का इंतज़ाम करना था, जहाँ अभी गाना हो रहा था वह जगह ठीक करनी थी.सोने के इंतज़ाम के बाद हम दोनो सफाई पे
जुट गये. उसने अपना दुपट्टा कमर पे बाँधा और मैने भी अपना आँचल कमर मे खोंसा और लग गयी. घंटे भर बाद जब हम खाली हुए और सोने की जगह तलाश करने लगे तो सारे कमरे भरे थे, ज़रा भी जगह नही थी कही. मैने ड्रॉयिंग रूम मे झाँका जहाँ हमने सब फर्निचर शिफ्ट किए थे तो मुझे एक चौड़ा सा सोफा कम बेड दिखा. मैं उससे बोली, " चल यार यही सो लेते है रात ही कितनी बची है, और फिर तुम इत्ति दुबली हो, बस ज़रा सा जाके स्टोर से एक रज़ाई ले आओ."
 
वह जब तक रज़ाई ले आई मैने सोफे को चौड़ा कर के बेड बना दिया था और साड़ी उतार रही थी"हे, भाभी आप साड़ी"
" अरे साड़ी पहन कर मुझे नींद नही आती बल्कि जब से शादी हुई है शायद ही किसी दिन मे कुछ पहन के सोई हू फिर इस सोफे पे कपड़े क्रश भी हो जाएँगे. चल मैं टाप लेस हो गयी हू तू भी हो जा, साड़ी सम्हाल कर रखते हुए, मैने उसे छेड़ा.
" अरे भाभी आप कहाँ टाप लेस हुई है ब्लौज तो अपने पहन ही रखा है," बत्ती बंद करते हुए हँसते हुए वो बोली.
" चल तू भी क्या याद करेगी," और मैने अपना ब्लौज भी उतार दिया और जैसे वो पास आई उसका भी टाप खींच के उतार दिया और उसे अपने साथ रज़ाई मे खींच लिया और कस के भींच लिया. अब हम दोनो ब्रा मे थे. उसकी ब्रा उपर से दबाते
मैने पूछा, " हे , जीजू ने दबाया क्या"
"और क्या छोड़ेंगे, भाभी मसल कर रख दिया."
"देख तेरी सहेली तुझ से पहले चुद गयी और अब होटेल के कमरे मे रात भर चुद रही होगी." उसकी नंगी पीठ सहलाते मैने छेड़ा.

" अरे भाभी चुद तो मैं उससे भी पहले जाती, पर वो दुलारी जो आ गई, जीजू तो बेताब हो रहे थे."
" चुदने से तो तुम बचने से रही, कल तो फट ही जाना है, इसेपर मेरी दूसरी शर्त तो तुम भूल ही गयी." स्कर्ट के उपर से उसकी बुलबुल को प्यार से दबोचते हुए मैं बोली.
" कौन सी दूसरी शर्त भाभी,"
" अरे, भूल गयी अपने उस प्रेमी को.बेचारा इत्ते दिनो से लगा है, अरे तुम्हे उसके प्रेम पत्र का जवाब भी तो देना हैज़ीजा तो दो दिन मे चले जाएँगे , रोज तो उसी को सर्विसिंग करना है."मैने कस के उसकी चूत मसल दी.
" हाँ वो तो पर" अभी भी वो हिचकिचा रही थी.
" मेरी बन्नो, दो बाते हमेशा ध्यान रखना, किसी भी चक्कर मे कोई सबूत लड़के के हाथ मे नही छोड़ना चाहिए, इसलिए, प्रेम पत्र कभी अपनी हॅंड राइटिंग मे ना लिखो और दूसरा उसके अंत मे कभी अपना नाम मत लिखो, तुम्हारी जान, तुम्हारी दिलरुबा कुछ भी और हो सके तो उसका भी नाम मत लिखो मेरे सपनों के राज कुमार, जनम और चिट्ठी मे भी कुछ भी एसा मत लिखो जिसमे किसी के, किसी जगह के बारे मे पता चले" पीठ पे हाथ सहलाते, उसकी ब्रा खोलते मैं बोली.
" पर भाभी मेरी चिट्ठी"
" अरे मैं हू ना, मैं सुबह ही एक सेक्सी लव लेटर लिखती हू, जब ड्रेस लेने चलेंगे तब तुम उसके सामने ड्रप कर देना."हल्के से उसके उभार सहलाती मैं बोली. मैने अपनी भी ब्रा खोल दी थी और अब हम दोनों के जोबन एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे. उसके प्यारे गालों पर एक हल्की सी चुम्मि लेती
मैं बोली," देखो, जवानी बार बार नही आती और तुम तो इत्ति सुंदर हो बस तुम्हे आना चाहिए कि तीर कैसे चलाए, जैसे पतंग की ढील देके झटका देते है ना बस उसी तरह देखो, लड़कों की तो लाइन लग जाएगी, मेरी प्यारी ननद केलिए.
आँखों से बस एक बार देख लो, और पलक झुका लो. और जब झटका देना हो तो बस एक तिरछी नज़र का इशारा काफ़ी है, होंठ भी अगर किसी को देख कर एक बार लरज जाए, फिर अपने गीले होंठ पर ज़ुबान फेर दो या हल्के से होंठ काट कर इशारा कर दो."
" भाभी आप तो पूरी एक्सपर्ट है" हंस कर वो बोली.
" और क्या तुम्हारे तरकश मे इतते तीर है लेकिन तुम्हे मालूम ही नही है पर सबसे बड़ा हथियार है, तुम्हारे ये रसीले रस कलश." उसकेज़ोबन को कस के मसलती मैं बोली. " कुछ भी पहनो, इसका कटाव साफ दिखना चाहिए, थोड़ा दिखाओ, थोड़ा
छिपाओ, चाहे दुपट्टा ही ओढ़ो, फिल्मी आक्ट्रेसस को देखो, और गोलाई के साथ गहराई भी दिखा दो तो कहना ही क्या, और जब डोर खींचनी हो तो बस एक बार झुक के अपना जलवा दिखा दो"
 अब मैं कस के उसके उभार सहला रही थी, दबा रही थी और उसका एक हाथ खींच कर मैने अपने सीने पे रख लिया था. उसके निपल कड़े हो रहे थे. मैं अपनी दोनो उंगलियों के बीच मे उसे रोल कर रही थी. जोश मे उसके जोबन पत्थर हो रहे थे और निपल भी 
 
बात बदलने केलिए उसने पूछा, " भाभी आप तो कहती है कि आप भैया को कभी उपवास नही कराती इसलिए कल
रुकी नही पर आज" 
उसका हाथ पकड़ के मैं अपनी चूत मे लेगाई और उसकी एक उंगली अपनी चूत मे घुसेड कर पूछा,
" कुछ गीला गीला लग रहा है क्या
"हाँ भाभी पर""
"ये तुम्हारे भैया का प्रसाद है, गाने के बीच मे मैं बाथ रूम गयी थी, ना, वही पीछे पीछे वो भी आ गये थे बस वही हम लोगों ने कबड्डी खेल ली." और मैने भी अब अपने दूसरे हाथ से उसकी चूत दबोच ली और कस के सहलाने लगी. अच्छी तरह गीली थी वो थोड़ी देर सहलाने मसलने के बाद मैने हल्के से उसकी बुर के पपोतोँ को फैलाकर, हल्के से अपनी उंगली घुसा दी और आगे पीछे करने लगी. अब मेरी चूंची कस के उसकी किशोर चूंची को मसल रही थी और मेरी उंगली चूत मंथन कर रही थी. दूसरे हाथ से मैने उसके चूतड़ कस कर दबोच रखे थे.
" भाभी उंगली प्लीज़" वो बोली.
" अरे तुमने जब मेरी चूत मे उंगली की तो नही सोचो मुझे तुम्हारे जीजू का ख़याल है वरना दो दो उंगली पूरी तरह से घुसेड कर अभी तुम्हारी ये कुँवारी चूत फाड़ देती पर ये मज़ा उनका है एक बार कल तुम्हारी चूत का कल उदघाटन हो जाए तो देखो इसके अंदर क्या क्या डालती हू"
" और क्या क्या भाभी" शरमाते हुए वो बोली.
" अरे ननद रानी ये चूत सब कुछ घोंटेगी उंगली कॅंडल, मोटे बैंगन, और उंगली क्या पूरा हाथ, अरे जिस चूत से इत्ता बड़ा बच्चा निकल जाता है, उसकी कैपीसीटी मे कोई कमी नही होती. अरे देखना मैं तुम्हे, मोमबत्ती और बैंगन घोंटने की इतनी अच्छी ट्रैनिंग दूँगी कि बस." उसकी कुँवारी चूत मे उंगली अंदर बाहर करते मैं बोली. अब उसको खुल कर अच्छा लग रहा था
और वह सिसकिया ले रही थी. मैने उसकी उंगली को भी अपनी बुर मे अंदरबाहर करने को कहा.
"ओह ओहपर भाभी पूरा हाथ"
" अरे, मैं आँखों देखी कह रही हू. दो साल पहले होली मे मेरी अम्मा और चाची ने मिलकर बुआ को न सिर्फ़ पूरी तरह नंगा करके पटक के रंग लगाया बल्कि पहले दो फिर धीरे धीरे कर के, सारी उंगलियाँ डाल दी और फिर मुट्ठी बना के खूब रगड़ रगड़ के चोदा." मैं अपनी उंगली अब गोल गोल उसकी कुँवारी मखमली कसी कसी चूत मे घुमा रही थी और अंगूठे से कस के क्लिट भी रगड़ रही थी. गुड्डी को अब पूरा मज़ा आ रहा था और वह नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा के उंगली से चुदने का मज़ा लेरही थी और मेरी बुर मे भी उंगली अंदर बाहर कर रही थी. मैने धीरे से अपनी बुर उसकी उंगली पर भींच ली. मेरा दूसरा हाथ अब कस के गुड्डी की चूंची रगड़ मसल रहा था.
" हे भाभी ये क्या कर रही होमेरी उंगली"
" हाँ सीख ले ऐसे भींचना , राजीव को बहुत मज़ा आता है, कयि बार तो जब मैं उपर चढ़ कर चोदति हू ना तो बहुत देर तक लंड ऐसे ही बुर मे भींचती रहती हू. जैसे पेशाब रोकने केलिए चूत सिकॉड़ते है ना बिल्कुल वैसे ही, रोज रोज प्रैक्टिस करोगी ना तो कितना भी चुदवाओ सुबह शाम चूत वैसे ही कसी बनी रहेगी और चुदाई के समय करोगी तो लंड को जो मज़ा आएगा वो अलग" अब मेरी ननद झड़ने के कगार पे पहुँच रही थी पर मैं उससे थोड़ा अभी और खेलना चाहती थी, इसलिए, मैने गप्प से उंगली बाहर निकाल ली.
"हे भाभी" वो बोली.
"अरे रुक ना अब मैं तुम्हे बताती हू कि तुम्हारे भैया मुझे कैसे रोज चोदते है, आज तेरे कुंवारे पन की आख़िरी रात है, आज ज़रा इस रसीले कुंवारे जिस्म का मज़ा मैं लेलू." अब मैं सीधे उसके उपर आ गयी और एक चूंची मूह मे और दूसरी हाथ मे लेके मज़ा लेने लगी. मेरी बुर उसकी चूत पे धीरे धीरे घिस्सा मार रही थी. थोड़ी ही देर मे वह भी नीचे से धक्का मारने लगी. उसका रसीला जोबन दबाते हुए मैने कहा, " तुम्हे मालूम है, तुम्हारे भैया का तेरे बारे मे सोच कर खड़ा हो जाता है, जब वह दो तीन बार चोद लेते है ना, तो उसके बाद भी अगर मैं तुम्हारा नाम लेके उन्हे छेड़ती हू तो उनका मूसल झट से खड़ा हो जाता है, और फिर तो वो ऐसा चोदते है ऐसे चोदते है" और मैने कस कस के अपनी चूत से उसकी चूत रगड़नी शुरू कर दी और एक हाथ से उसकी क्लित छेड़ने लगी. वो भी अब खूब खुल के मज़ा ले रही थी.
 
" हे बता ना .तुम्हारे भैया से कुछ चक्कर था क्या तुम्हारा" उसके कड़े निपल कस के पिंच करते मैने पूछा.

" नही नही भाभी ऐसा कुछ नही"
"इसका मतलब कुछ तो था."मैने अबकी कस के उसके निपल मरोड़ दिए. मेरी
एक उंगली उसकी चूत मे और दूसरी क्लिट पे कस के रगड़ाई कर रही थी.
" उई भाभी हाँ..नाहा, बस मैं उनको अच्छी लगती थी और वो मुझ को." मस्ती मे वो बोली.
" अरे तो चुदवा क्यों नही लेती , तुझे सौतन बनाने मे मुझे कोई एतराज नही है, चल ये सोच कि तेरे भैया तुझे कस कस के चोद रहे है तेरी चुचिया मसल रहे है." और अब मैने उसे रगड़ रगड़ के चोदना शुरू कर दिया, मेरी चूत गोल गोल खूब कस के घिस्सा मार रही थी, उंगली चूत के अंदर बाहर हो रही थी और क्लिट भी रगड़ी जा रही थी. वो भी अब पूरी तरह से चूतड़ उछाल रही थी. और अबकी जब उसने झड़ना शुरू किया तो मैने उसे रोका नही. देर तक वो झड़ती रही.
जब उसकी आँखे खुली तो मेने उसके होंठों को चूम के पूछा , " हे बोल जब झाड़ रही थी तो किसके बारे मे सोच रही थी अपने भैया के लंड के बारे मे ना"
" धत्त भाभी" शरमा कर के उसने कबुल कर लिया. उससे लेकिन रहा नही गया और उसने पूछ ही लिया,
" भाभी शाम को जो अल्पना उनके बारे मे कह रही थी वो सच था या..ऐसे ही"
" अरे बन्नो पता नही पर साइज़ तो वो ठीक ही बता रही थी, पूरे बित्ते भर का है उनका और मोटा भी खूब है और उनसे चुदवाने मे मज़ा भी खूब आता है. और वो बाहर की लड़की आज दिन मे दो बार उससे चुदा गयी और इस समय होटेल मे चुदवा रही होगी और तुम घर का माल होकरऔर तुम्हारा तो पुराना चक्कर भी था अरे कल से तुम राजीव को खुल के लाइन मारो और फिर देखना जीजा से कल चुदवा लो लेकिन जीजा तो दो दिन मे चले जाएँगे तुम ज़रा सा लिफ्ट देदो फिर देखना तुम्हारे कैसे राजीव पीछे पीछे फिरते है." और ये कह के मैने कस के उसके गुलाबी होंठ चूम लिए और फिर मेरे शरारती होंठ, पहले तो उसकी किशोर चूंचियों को कस कस के चुसते रहे रस लेते रहे और फिर उसकी गोरी गोरी जाँघो के बीच, मैने हल्के से उसकी कुँवारी चूत के पपोटो को चूम लिया. जब तक वो सम्हल्ती मैने कस के उसकी चूत को अपने होंठो के बीच दबा के चूसना शुरू कर दिया जैसे कोई संतरे की पतली फांकों को चुसते हैं, बहुत रस था उसमे. मैने अपनी जीभ भी उसकी चूत के अंदर घुसेड के कस कस के ज़ुबान से चोदना शुरू कर दिया.
 
" उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , .उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..हाँ.हाँ.बहुत मज़ा आ रहा है भाभी." वह तड़प रही थी मचल
रही थी. और जब वह फिर झड़ने के कगार पे पहुच गयी तो मैने होंठ हटा लिए."
" भाभी बहोत अच्छा लग रहा था." वो बोली.
" हाँ ननद रानी, चूत और लंड दोनो चूसने और चुसवाने मे बड़ा मज़ा आता है'
"छी: भाभी लंड भी, उससे तो"
" अरे एक बार चूस लोगि ना तो फिर छोड़ॉगी नही कुछ दिन पहले मैं अपने कजिन की शादी मे मौसी के यहाँ गयी थी. वहाँ एक दिन मेरे जीजा ने मुझे पहले तो तीन बार कस कस के चोदा और फिर कुतिया बना के मेरी गान्ड कस के मारी. उसके बाद वो गान्ड से निकालने के बाद सीधे वो बाथरूम गये, उन्हे कस के पेशाब आ रही थी. चुपके से पीछे पीछे मैं भी गयी.वह आँखे बंद कर के मूतरहे थे. मैने अपनी चूंचियों से उनकी पीठ पे रगड़ा और मज़े से उनका खुन्टे जैसा खड़ा लंड पकड़ लिया. उन्होने पीछे मूड के मेरी और देखा तो मैं हंस के बोली, " अरे, क्यो शरमा रहे सबसे पहले तो तुम्हारी अम्मा ने पकड़ा होगा तब तो नही शरमाते थे"

" अरे क्या बोलती हो." वो बोले. " अरे और क्या, तुम्हारा सुपाडा खोल के बचपन मे खूब तेल लगाया होगा तभी तो ये नूनी से इतना मोटा लंड बना" और ये कहते हुए मैने उनका सुपाडा खोल दिया. मूत की आख़िरी धार बची होगी तभी मैने आगे जाकर गप्प से उनका पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाडा अपने मूह मे भर लिया और लगी चूसने वो लाख मना करते रहे, पर थोड़ी देर मे जीजू को भी मज़ा आने लगा और उन्होने जबरदस्त मेरे मूह की चुदाई की. जब मैने अपनी एक उंगली
उनकी गान्ड मे की तब वो झड़े. और पूरा का पूरा मैने अपने मूह मे लेकर गडप कर लिया. उन्होने मुझ से लाख कहा कि मैं मूह साफ कर लू पर इठला कर मैने मना कर दिया कि इतना अच्छा स्वाद मैं गवाउन्गि नही और हम दोनो ने वैसे ही नाशता किया.
" पर भाभी उसमे तो" अरे कुछ नही थोड़ा सा खारा खारा लगा था, पर उसका भी अपना अलग मज़ा है, घबडा मत अबकी बार मैं पंद्रह दिन के लिए हू तुम्हे हर चीज़ मे ट्रैंड कर दूँगी. पर चल आज तुझे 69 सिखाती हू मैं तुम्हारी चूत चुसुन्गि तू मेरी चूस. और फिर मैं उसके उपर आ गई और अपनी चूत उसके मूह मे दे दी. आधे घंटे तक सिक्स्टी नाइन का मज़ा लेने के बाद हम दोनो साथ साथ झड़े और फिर एक दूसरे से वैसे ही चिपक कर सो गये.

अगला दिन शादी का दिन था, इस लिए, सब लोग सुबह से ही बहोत बिजी थे.देर सुबह राजीव दिखे . मेरा बिना कुछ पूछे ही कहने लगे, " अल्पी को छोड़ के आ रहा हू, कम्मो मिली थी."

" कैसी लगी, मैने कहा था ना, अभी छोटी है अभी उसका चौदहवाँ लगने मे भी दो तीन महीने बचे होंगे." मैं बोली.

" अरे नही, चूंचियों का उठान बहोत मस्त है, छोटी है पर उभरती हुई चूंचियों का अलग मज़ा है, उसके पीरियड अभी शुरू हुए कि नही" कुछ सोच के उन्होने पूछा.

"हाँ, तीन चार महीने हो गये है मुझे मालूम था कि तुम पुछोगे इसलिए मैने पता लगा रखा था." हंस के मैं बोली.

" उसकी झन्टे भी अभी हल्की हल्की बस आना ही शुरू हुई है". राजीव बोले

" अच्छा तो आप झन्टो तक भी पहुँच गये." चिढ़ाते हुए मैं बोली. "ठीक है, होली मे आएँगे ना तो ट्राई कर लेना."मैने जोड़ा.

" अरे बस दो चार दिन पहले उंगली करूँगा उसकी गुलाबी कुँवारी चूत मे और फिर लंड का स्वाद चखा दूँगा, बहोत मस्त माल है." वो बोले.

तभी मैने देखा, मेरी ननद चली आ रही है, टाइट शलवार कुर्ते मे मस्त लग रही थी. दुपट्टा था पर उभार साफ उभर कर सामने आ रहे थे. मैं उसे दिखाते हुए बोली, " अरे इधर देखो क्या मस्त माल आ रहा है."
 
" अरे भाभी, ड्रेस लेने चलना है, भाभी टेलर के यहाँ आप भूल गयी क्या, भैया के चक्कर मे और हाँ भैया, डीजे का क्या हुआ, शाम के लिए.

" अरे डीजे वो तो मैं भूल ही गया , हाँ अभी कुछ करता हू" वो बोले.

मैने देखा तो वो, जैसे मैने समझाया था, अपने उभार, उभार कर खड़ी थी. और नीचे दोनो हाथ लगाकर उसने अपने टेनिस बॉल साइज के कड़े कड़े बुब्स कस के उभार रखे थे और मेरे सैया की आँखे भी उसके दोनो टीन जोबन पर गढ़ी थी.

" अरे मुझे सब मालूम है, नयी नयी साली मिली है ना, इसलिए आप सब भूल गये है." आँख नचाकर बड़ी अदा से वो बोली. तब तक मेरी देवरानी गूंजा आ गई और वह भी उसे छेड़ती, बोली." अरे नये ,माल के आगे पुराने माल को भूलना नही चाहिए."

" अरे ये भी तो नया चिकना माल है, और फिर साली की सहेली होने के नाते, एक तरह से तुम भी तो साली हुई." गुड्डी के गोरे गोरे गाल सहलाते हुए मैं बोली.

" चलिए भाभी आप भी मौका मिलते ही" और अपने मस्त चूतड़ मटकाते मुझे लेके चल दी. मैने पीछे मूड के देखा तो राजीव उसकी रसीली सेक्सी गान्ड निहार रहे थे.

बाहर निकलते ही देखा तो उसका यार खड़ा था. मैने उससे पूछा, " हे, ' चारा' लाई है क्या." सुबह ही मैने एक बहोत हाट हाट प्रेम पत्र उसकी ओर से तैयार किया था और ये तय हुआ था कि वो आज उसको मौका निकाल के दे देगी.
" हाँ भाभी." मुस्करा के वो बोली.
" तू, यही वेट कर, मैं गाड़ी निकाल के आती हू. मैने देखा कि जब वो लड़का उसकी ओर बढ़ा तो वो हिली नही बल्कि दुपट्टा ठीक करने के बहाने अब उसको गले से चिपका लिया और खुल के टाइट कुर्ते से अपने जोबन का नज़ारा अपने यार को दे रही थी. जैसे ही मैं खत ले के पास आई तो वो झुकी और अपना रुमाल और उसमे लिपटा लव लेटर गिरा दिया, और उठाते हुए उसे देख के खुल के मुस्करा दी. जैसे ही वो कर के अंदर बैठी, उसने , एक कंकड़ के साथ, एक लेटर खुली खिड़की से अंदर फेंका. मैं सीधे देखने का बहाना कर रही थी.गुड्डी ने, उस लेटर को उसे दिखा के लिपस्टिक लगे होंठों से चूमा और फिर कुर्ते मे अपने सीने के पास रख लिया.

" हे आज तो तेरा यार चक्कर खा गया." मैने प्यार से उसके गाल पे चिकोटी काटते बोला.

" भाभी आख़िर आप की स्टूडेंट हू." हंस कर वो बोली.
 
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