Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग - Page 4 - SexBaba
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Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग

थोड़ी देर मे ही हम लोग बॉबी टेलर्स के पास पहुँच गये.
ख़लील ने हम लोगो को देखते ही ड्रेस निकाल के रख दी. जब मैं पैसे देने लगी तो वो मुस्करा के, मेरी ननद को घुरते हुए बोला, " नही भाभी जी आप ने कहा था ना कि शादी मे इस ड्रेस मे आग लगा दे, तो आज ये आग लगा दे तो कल आप पैसा भी दीजिएगा और इनाम भी. भाभी, 

कैश या इनाम, 

अपने दुपट्टे को सम्हाल्ने के बहाने अपने जोबन का जबरदस्त नज़ारा ख़लील को देते वो बोली."

" फीस कैश मे और इनाम क़ैद मे, ख़लील भाई बिना इनाम लिए छोड़िएगा नही मेरी इस ननद को और आग तो ये लगाएगी ही आपकी बनाई ड्रेस मे." मैं बोली.

" अगर बुरा ना माने तो बोलू आज आप की ननद बाला की लग रही है, आग तो अभी लगा रही है" उसके हुस्न के दीवाने होके ख़लील भाई बोले. उसके पायजामे से उनकी हालत का अहसास हो रहा था. हम दोनो मुस्कराते हुए वहाँ से चल दिए.
रास्ते मे मुझे लगा कि इस के ड्रेस के साथ जंक ज्वेलरी अच्छी लगेगी. पूछने पे उसने बताया कि एक लेडीज़ स्टोर है, वहाँ बहोत अच्छी एक्सेसरिज़ मिलती है लेकिन थोड़ा महेंगा है. 

मैने उसके मम्मों को दबा के उसे चिढ़ाया, " अरे ये चेक बुक तो है ना हमारे पास." बाहर से देखने से ही वह बहोत
बड़ी और फेशनेबल दुकान दिखती थी. दुकान मे एक बहोत ही हॅंडसम जवान लड़का बैठा था. पर उसे देखते ही मैं चौंक गयी.

" अरे नीरज ये तुम्हारी दुकान है." नीरज हमारे घर के ठीक बगल वाले घर मे रहता था, और पड़ोस का लड़का होने के नाते देवर भाभी की हमारी छेड़खानी चलती रहती थी.

" नही भाभी, आप लोगो की." बोल वह मुझसे रहा था पर मैं देखरही थी कि उसकी निगाह मेरी किशोर ननद पे गढ़ी थी. मुस्करा के मैं बोली,

"चलो मैं तुम दोनो का परिचय करती हू, ये है मेरी ननद डाली और ये है नीरज. तुम्हारे शहर मे चाँद खिला है और तुम्हे पता ही नही."

" मेरी बदक़िस्मती भाभी, लेकिन आप का बहोत शुक्रिया कि आप ने मुलाकात करवा दी." 

मैं देख रही थी की अब उसकी निगाहे, उसके खूब सूरत चेहरे से नीचे आके उसके रसीले उभारों का रस पान कर रही थी

" चलिए अब तो आप की किस्मत खुल गयी," बड़ी अदा से अपने किशोर उभारों को थोड़ा और उभार के गुड्डी बोली.

" अरे अब तो ये तुम दोनों के हाथों मे है क्या तुम खुलवाती हो और क्या क्या ये खोलता है" अब खुल के मज़ाक करते हुए मैं बोली. फिर मैने उससे जंक ज्वेलरी और एक्सेसरीज़ के लिए कहा जो उसने तुरंत मॅंगा दी. जब वो अपने हाथों से पहनाने लगा तो वो सिहर गयी. मैने फुसफुसाके उससे कहा, गनीमत है तुम ब्रा और पैंटी नही खरीद रही हो नही तो वो भी 

पर नीरज ने सुन लिया और हंस के बोला वो भी है मन्गवाऊ. फिर उसने मुझ से पूछा, " कुछ ठंडा गरम चलेगा."

" अरे जिससे पूछना चाहते है उससे खुल के पूछिए ना, मेरी ननद को कोक कोला ओह..मेरा मतलब है कोका कोला पसंद है."
 दुकान अभी अभी खुली थी इसीलिए ज़्यादा भीड़ नही थी. कोक पीते हुए मेरी निगाह बाकी सामानों पर दौड़ रही थी. एक समान देख के मैने पूछा, "आप एशियन स्काई शाप का समान भी रखते है क्या" 
 
मेरी निगाह देख के वह समझ गया था और हंस के बोला, " अरे आप खुल के क्यो नही पूछती,ब्रेस्ट मसाजर की बात कर रही है पर आप दोनों को देख के तो लगता नही कि आप को इसकी ज़रूरत है, बल्कि इस्तेमाल के बाद की मॉडेलिंग आप अच्छी तरह कर सकती है. लीजिए ये मेरी ओर से आप को गिफ्ट है" और ये कह के उसने उसे उतार के गुड्डी के हाथ मे पकड़ा दिया. उसकी निगाहे बेशर्मी से, उसके दोनो जोबनों को घूर रही थी.

" अरे पूछ लो कैसे इस्तेमाल करते है, वरना बाद मे फिर आओगी अकेले यही पूछने", मैने कहा.

" सिंपल ब्रा के अंदर नीचे लगा लीजिए, " वो उससे बोला.

" अरे लगा के बता दो ना" अब नीरज के शरमाने की बारी थी. नीरज ने फिर एक और पैकेट निकाला टाइट अगेन और मुझे मुस्कराते हुए देदिया. ये आप के लिए हँसते हुए हम दोनो बाहर आ गये. ज्वेलरी और बाकी सामानों पर भी उसने 50% डिसकाउंट दिया था. उसकी दुकान से फ्री मे मिली इंपोर्टेड रम चाकलेट चुभलते हुए हम दोनो वापस लौटे. मैने हंस के कहा देखा ट्रैनिंग का फ़ायदा. 

वह भी मुस्करा के बोली, हाँ भाभी. 

मैने उसके गाल पे पिंच कर के कहा मेरी बात मानती जाओ, देखना शहर के सारे लड़के तेरे दीवाने हो जाएँगे.
जब हम लोग घर पहुचे तो राजीव सब को दुलहन के लिए लाई ज्वेलरी दिखा रहे थे. मेरी जेठानी, देवरानी गूंजा, गुलाबो,अल्पी और घर की ढेर सारी औरते और लड़किया भी थी. चाँदी की पायल बहुत ही सुंदर थी और उसमे ढेर सारे घुंघरू लगे थे. इसी तरह करधनि मे सोने के घुंघरू लगे थे. 

गुड्डी ने बहुत भोलेपन से पूछा, " भाभी, इसमे इतते घुंघरू क्यो लगे है" सब औरते मुस्कुराने लगी. 

गूंजा हँसकर बोली, " अरे, अपने भैया से पूछ लो, वही तो लाए है, क्या सोचकर लाए है."

" अरे मैं बताती हू, पायल मे घुंघरू इस लिए लगे है कि जब तुम्हारी बहना नीचे होंगी, और तुम्हारे, जीजा इनकी टाँगे कंधे पे रख के कस कस के चोदेन्गे तो पायल के घुंघरू हर धक्के के साथ बज़ेंगे, और जब वह खुद उपर चढ़ के कमर से धक्का लगा लगा के चोदेन्गि तो, करधनि के घुंघरू बज़ेंगे." गुलबो हँसकर बोली 

और मेरी ननद बेचारी शरमा गयी. बात बदलने के लिए वो बोली, " भैया डीजे का क्या हुआ"

.उन्होने बोला, हो गया. 

गूंजा ने फिर चिढ़ाया, " और क्या, इनकी बहन चूतड़ मटका के नाचेगी, ये साथ देंगे." 

हँसते हुए उसे लेकर मैं उपर छत पे गयी, किसी काम से. वहाँ नंदोई जी खड़े थे. 

मैने उन्हे चिढ़ाया, " क्यों नंदोई जी किसका इंतेजर कर रहे है, अपनी बहन हेमा का."

" नही आपकी इस छोटी ननद का सुबह से तो आपके ही साथ है. " हंस कर वो बोले, फिर इशारे से उन्होने बताया कि सिगरेट पीने उपर आए है क्योंकि नीचे सब बड़े लोग है 
 
मैने उन्हे छेड़ा, " अरे तो अपने इस माल से सुलगवाये ना,साली किस दिन काम आएगी." 

उन्होने सिगरेट निकाल कर गुड्डी को दी. वह उसे हाथ मे पकड़े थी कि मैने बोला, " अरे ऐसे नही, होंठों के बीच लेकर सुलगाओ." उसने होंठों के बॉच लेकर सुलगाने की कोशिश की पर नही सुलगी तो वो बोले अरे ज़रा ज़ोर से सुट्टा मारो. 
और फिर वह सुलग गयी. जब तक वह जीत को देती उन्होने दूसरी निकाल कर उसकी सिगरेट से सुलगा ली और मज़े मे बोले,
" उसे तुम पी लो." 

उसने हंस कर फिर एक कश लिया और बोली, " अरे जीजू वो साली क्या जो मना कर दे जीजा की बात को." 

जीत उससे सात कर कंधे पर हाथ रख कर खड़े थे और उसकी बात पर खुश होके कस के उसकी चूंचिया दबा दी.

तब तक नीचे से राजीव और अल्पी आ गये छत पे. गुड्डी के उभारों पर से बिना हाथ हटाए, जीत ने पूछा, " क्यों साले जी सिगरेट पीनी है." 

हाँ एकदम वो बोले और उन्होने एक राजीव को भी दे दी. मेरी ननद भी बेधड़क, अपने भाई के सामने अपने जीजू से उभार
दबवा रही थी, और सुट्टा लगा रही थी. तब तक शादी का वीडियो वाला दिख गया और उन्होने उसे बुला कर कहा अरे ज़रा जीजा साली की फोटो तो खींच दो,और सबने साथ साथ फोटो खिंचवाई. और सिगरेट ख़तम कर सब नीचे आ गये.जीत को किसी रसम के लिए बुला लिया गया. तब तक मेरी देवरानी गूंजा का भाई, अजय भी वहाँ आ गया. वह गाव का था, लेकिन बड़ा ही तगड़ा और गबरू जवान, मांसपेशिया साफ झलकती थी गुड्डी को देख के उसने छेड़ा, " बहुत जम रही हो" 

अब मेरी ननद भी बोलने लगी थी. " अरे जा के गूंजा भाभी को देखो, मुझसे भी ज़्यादा जम रही है." सीना उभार के वो बोली.

तब तक अजय ने झटके से उसके उभारों को सहला दिया और भाग लिया. वो भी उसके पीछे दौड़ी.थोड़ी देर मे राजीव मेरे पास आ गये, और उधर से अजय भी. वह राजीव से बोला, " आज जीजा जी थोड़े दुखी लग रहे है,"

" क्यों" भोलेपन से मैने पूछा.

" अरे आज इनका एक माल जो जा रहा है, आज."

" अरे तो क्या हुआ, माल का पार्मेनेंट इंतज़ाम तो हो गया हाँ अब एक माल बचा है." तब तक मेरी ननद जो मेरे पास आके खड़ी हो गयी थी, उसकी ओर इशारा कर के मैं बोली.

" अरे उसकी क्या चिंता मेरे साथ ठिकाने लगा दे, मैं तो हमेशा से तैयार हू." उसके कंधे पे हाथ रख के अजय ने छेड़ा.

" हाँ हाँ ज़रा मूह धोके आओ." तुनक कर कंधे पर से हाथ झिड़कते हुए वो बोली.

" अरे मूह क्या तुम जो जो कहोगी मेरा भाई धोके आएगा. और आप कह रहे थे कि अजय आज बहोत काम कर रहा है, तो दे दीजिए ना इनाम मे अपनी ये सो काल्ड बहन. और हाँ अजय ये गॅरेंटी देना कि ठीक 9 महीने मे इन्हे मामा बना देना" 
मैं राजीव से बोली. वो चिढ़ रही थी और हमे उसे चिढ़ाने मे मज़ा आ रहा था.

" मैं सब समझता हू साले, तुम इसी बहाने अपनी बहनों को सलहज बना कर उनसे मज़ा लोगे." और हम सब हँसते हुए वहाँ से चल दिए.

थोड़ी देर मे शाम होने लगी और हम सब तैयार होने लगे.
भाभी, आज आप मेरा मेक आप कर दीजिए ना, इठला के मेरी छोटी ननद बोली. 
 
एकदम, और मैने, उसका खूब डार्क सेक्सी मेक अप किया, है चीक बॉन्स, गुलाबी गालों पे रूज, आँखों पे, मास्कारा, आईलैशेज़, और हल्का सा काजल, और होंठों पे लाल लिपस्टिक, लंबे नाखूनों पे, गाढ़ी नेल पॉलिश और फिर मैने फोर्स करके उसके सारे कपड़े उतरवा दिए और कहा अरे खास जगहों पर भी तो मेक अप होना चाहिए. और वहाँ भी मैने, क्रीम, और हल्की सी उगलियों मे लेके मज़ाक मे लिपस्टिक लगा कर गुलाबी लेसी, खूब पतली और तंग पहना दी जो उसके चूत की पुट्तियों को भी पूरा नही ढक रही थी और पीछे, तो मैने उसके चूतड़ फैला कर सीधे, गान्ड की दरारों के बीच फँसा दी. और उसके ड्रेस के साथ, जो मैचिंग स्किन कलर की पुश अप ब्रा लाई थी, वो पहना दी. इससे उसके उभार तो उभर के सामने आ ही रहे थे, गहराई भी खूब बन रही थी. वह लेसी तो थी इत्ति जोबन से चिपकी थी कि पता ही नही चलता था कि उसने ब्रा पहन रखी है. फिर मुझे कुछ याद आया और मैने, ब्रेस्ट मसाजर, जो ब्रेस्ट एन्हन्सर का भी काम करता था, उसके
उभारों के नीचे लगा दिया और फिर तो उसके उभार उभर कर और मस्त हो गये. चोली टाइप टाप जो ख़लील, बॉबी टेलर ने ठीक किया था पहन के तो वास्तव मे वह आग लगाने लगी. वह बैकलेस तो था ही, ऑलमोस्ट पूरी गोरी पीठ दिखती थी. पर उभारों का पूरा कटाव, और निपल्स तक, ज़रा सा झुकने पे दिख सकते थे. मैने लहँगे ऐसी ड्रेस, नाभि के बहुत नीचे कूल्हे पे बाँध के पहनाई और उसके साइड स्प्लिट से गोरी गोरी पिंडलियों का भी नज़ारा साफ झलकता था, और फिर
जंक ज्वेलरी. बाल भी खूब स्टायलिश . उपर से ड्रेस मे जो चुन्नी थी वो भी ऐसी रखी कि बस एक जोबन आधा ढँका था और दूसरा पूरा झलक रहा था.

तब तक अल्पना अपनी छोटी बहन कम्मो के साथ आई. फ़िरोजी लहँगे चोली मे, वह कमाल की लग रही थी, और उससे भी बढ़ कर कम्मो, टाप और स्कर्ट मे, अच्छी ख़ासी बड़ी लग रही थी. तबतक मुझे जो मैं ओल्ड मोन्क और जिन की बोटल ले आई थी उस का ध्यान आया और मैने अल्पना के कान मे कुछ समझा के कहा, और वो मुस्करा के चल दी. तब तक राजीव आए और कम्मो उनसे ऐसे चिपक के गले मिली कि वो उस को ले के चल दिए.

" हाई क्या है नंदोई जी ने कस के सीटी मारी, 


गुड्डी को देख के. उसने भी एक चक्कर मार के, झुक के अपने जोबन का पूरा नज़ारा दिखाते हुए, हंस के बोला, " बोली, जीजू मैं कैसी लगती हू"

तब तक अल्पना, रामोला और जिन मिला लिम्का के ड्रिंक ले आई और एक एक ग्लास गुड्डी और जीत को दे दिया. जीत ने फोर्स कर के अल्पी को भी एक कोला पिला दिया. अल्पी ने मुझ से कान मे कुछ कहा और मैने उससे कहा कि जीत से कहे.वो बोली, " आपकी साली सेक्सी आइटम लग रही है, पर एक कसर है जीजू."

" क्या" वो बोले. और उसने उनके कान मे कुछ फुसफुसाया.

" अभी लो" और गुड्डी को कस के अपनी बाहों मे बाँध के उसके भरे भरे गाल कच कचा के काट लिए. और जब तक वो कुछ बोलती, उसके दूसरे गालों पे अपने दाँतों के निशान बना दिए.

" जीजा के दाँतों के निशान के बिना साली के गालों का श्रिगार अधूरा है." हंस के मैने उसे चिढ़ाया.

बारात आ गयी बारात आ गयी चारों ओर शोर हुआ. हम लोग भी बाहर भागे. मेरे
नंदोई अपनी साली के ठीक पीछे थे. मैने उनका ध्यान उसके सेक्सी चूतड़ की ओर दिलाया. झलकते, ड्रेस मे उसके मखमली मुलायम गोल गोल चूतड़ साफ झलक रहे थे, और पैंटी भी गान्ड की दरार मे थी इसलिए सब कुछ झलक रहा था.

उन्होने उस भीड़ मे शरारत से कस के उसके चूतड़ दबोच लिए और गान्ड मे उंगली करते हुए चिकोटी काट ली. वो पीछे मूड के मुस्करा दी और सामने देखने लगी. बारात की लड़किया औरते लड़के खूब जम के नाच रहे थे.
 
" हे चलो ज़रा लड़के वालों को दिखा दे डॅन्स क्या होता है उनके यहाँ की लड़किया सोच रही है कि वही नाच सकती है,"अल्पी उस को खींच के लेगयि पीछे उस के जीजू और राजीव भी पहुँच गये.

" एक दम ज़रा कस के जलवा दिखाना लड़की वालों का."
 मैने भी जोश दिलाया. 

वह पहुँच के सब के साथ नाच करने लगे. थोड़ी देर बाद मैने देखा कि, गुड्डी अपने जीजू के साथ डॅन्स कर रही है, और बाकी सब लोग किनारे खड़े गोल घेरा बना तालिया बजा रहे है. तब तक गाना शुरू हुआ, मेरी बेरी के बेर मत तोडो, रीमिक्स की धुन पे और फिर वो इस तरह अपने उभार उछाल उछाल के मटका रही है, चूतड़ हिला रही थी, और जीत ने भी उसके साथ.गुलाब का फूल लेकर उसने चोली मे खोंस दिया और गाना जब पीक पे पहुँचा तो जीत ने अपने होंठों से वो फूल निकाल लिया और उसके उभारों को सबके सामने हल्के से चूम लिया और इसके बाद अल्पी और राजीव शुरू हो गये.ढोल वाले बजा रहे थे और गाना था, दिल ले गयी कुड़ी पंजाब दी, दिल ले गयी. अल्पना ने, फूल अपने लहँगे मे खोंस लिया

.अबकी राजीव का नंबर था. नाचते नाचते उन्होने अल्पी को अपनी बाहों मे उठा लिया. उधर बारात द्वार पे पहुँच गयी थी और स्वागत मे गुलाबो, दुलारी, गूंजा सब औरते गाली सुना रही थी

" हाथी हाथी सोर कैले, गधहा ले के आईले रे,
दूल्हा की बहन को गधहा चोदे, अपन नाक कटवाइला रे,
रंडी रंडी सोर कईले, बहन नचावत आईले रे,
तोरी बहन की फू चोदु, गंद मरावत आईले रे"


जयमाल के बाद, डी जे के साथ तोकुछ तो रामोला का असर, कुछ जवानी का नशा, कुछ जोबन का उभार, नाचने मे आइटम गर्ल्स को भी उन्होने मात कर दिया. और चुन्नी तो उसने बारातियों के सामने ही नाचते समय गले से उतार कर कमर मे बाँध ली थी इसलिए उसके जोबन के उभार खुल्लम खुल्ला , दिख रहे थे.जब वो कूल्हे मटका मटका कर जोबन उभार के नाचती, थोड़ी देर तो उसने अपने जीजू के साथ, फिर दूल्हे के साथ और राजीव भी अल्पना और फिर कम्मो के साथ. 

आज वह पूरी तरह मस्त लग रही थी. और न सिर्फ़ अपने जीजू के साथ, बारात मे आए लड़कों के साथ, दूल्हे के साथ, यहाँ तक की घर के लड़कों के साथ, आज वो खुल के अपने जलवे दिखा रही थी. नाच के बाद खाने के समय कभी, ऐसे दिखा दिखा के सॉफ्टी का कॉन चुसती जैसे कोई एक्सपर्ट लंड चूस रही हो, कभी किसी की प्लेट से कुछ निकाल लेती, कभी किसी के जॉक पे खुल के हँसती और उसके ड्रेस से तो, जोबन के उभार तो गजब ढा ही रहे थे, पतली कमर, गोरा बदन और तेज लाइट मे कभी ड्रेस के अंदर भी झलके जा रहा था.

मैं सोच रही थी आज दिन मे जो मैने उसे समझाया था, कैसे जवानी के जलवे ढाए जाय. बॉडी लैंगवेज, कभी हँसना कभी शरमाना, कभी हल्के से अदा से जोबन के जलवे दिखाना, कभी दिखा के छिपा लेना, और सब से बढ़ कर किसी को भी मना ना करना, लेकिन उसी के साथ ये भी न कोई समझे कि वो आसानी से पट जाने वाली है. मैने कहा था कि मान लो अगर कोई एकदम हमेशा कोल्ड लुक देगा, तो लड़के उसको छोड़ के दूसरे के चक्कर मे पड़ जाएँगे कि यहाँ तो कोई फ़ायदा है नही और अगर तुम आसानी से ज़्यादा लिफ्ट दे दोगि तो वो समझेंगे ये पता नही किससे पटी हो और फिर इसे तो जब चाहेंगे तब पटा लेंगे.और अगर एक के साथ चक्कर चल भी रहा हो तो दो तीन को पल्लू मे बाँध के रखो. और आज वो एकदम मेरी सिखाई हुई बातों पे अमल कर रही थी. वो जहाँ होती लड़के वही पहुँच जाते.शादी जल्दी शुरू होने वाली थी इसलिए खाने के बाद हम लोग तुरंत अंदर चले गये.
कंटिन्यूड…
 

ननद की ट्रैनिंग – भाग 4

(लेखिका - रानी कॉर) 

उसके गाल पे चिकोटी काट के मैं बोली, आज तो बड़े जलवे दिखाए तुमने तो वो हंस के बोली, " भाभी ये सब की ट्रैनिंग का नतीजा है, वारना मई हमेशा कोने मे खड़ी रहती थी, मुझे कौन पूछता."

" मेरी ट्रैनिंग के साथ साथ इस का नतीजा है." उसकी चोली खोल के लेसी स्किन कलर ब्रा के उपर से उसके उभारो को दबाते हुए, मैं हंस के बोली.

" भाभी, अभी मैं क्या पहनु" ड्रेस उतारते हुए वो बोली.

देती हू कह के मैने उसके लिए एक लैकरा ऐसी टॉप और स्कर्ट निकाली और फिर उसकी ओर देख के उसकी ब्रा और थॉंग उतार दी.

" अरे भाभी.." वो बोली. मैं अल्पी वो सब एक साथ तैयार हो रहे थे. अरे ये इससे मैच नही करती, 

तुम पहले स्कर्ट पहनो, मैं ढूँढती हू. तब तक बाहर से किसी ने आवाज़ लगाई अरे जल्दी करो लड़के वाले आगये है. मैने उससे कहा हे टॉप भी पहन लो, किसिको क्या पता चलेगा जब तक तुम खोल के दिखाओगि नही. जल्दी जल्दी हम लोग तैयार होके बाहर निकले. मैने जान बुझ के उसे ब्रा और पैंटी नही पहने दी थी. लायकरा जैसा टॉप एकदम उसके देह से चिपका था और उसके उभारों का कटाव एकदम साफ साफ दिख रहा था, और वह ठीक उसकी पतली कमर पे आके ख़तम हो रहा था इसलिए कमर की भी पूरी झलक मिल रही थी. दूसरा फ़ायदा ये था कि मेरे नंदोई को ज़्यादा समय न लगे कपड़े उतारने मे अगर ज़्यादा जल्दी हो
तो स्कर्ट उठा और टॉप उपर सरका के भी काम चल जाय.स्कर्ट भी खूब टाइट थी, जिससे उसके सेक्सी चूतड़ साफ पता चल रहे थे. 

अल्पी ने , तेरा पेट बहुत दिख़रहा है कहते हुए स्कर्ट और उपर खींच दी. कमर तो खैर अभी भी दिख रही थी लेकिन अब उसकी गोरी चिकनी जांघे भी एक दम खुल के दिख रही थी. अल्पी आज जम के शरारत के मूड मे थी.क्या मस्त कबूतर है तेरे, कहके कस के उसने उसके उभारों को तो दबाया ही, कस के दोनो निपल भी पिंच कर दिए. अब तो कबूतरो की चोंच भी साफ साफ उसके टॉप से दिख रही थी. जब तक वो अपने को एडजस्ट करती, हम शादी के मंडप मे पहुँच गये. लड़के
वालो मे सब लड़कों की निगाहे उसके उभारों और गोरी चिकनी जाँघो को घूर रही थी. दुल्हन के पीछे हम लोग बैठ गये. ठंडक थी इसलिए हम लोगों ने पैरों पर रज़ाई डाल रखी थी. तब तक उसके जीजा, आकर गुड्डी की बगल मे बैठ गये और राजीव भी अल्पी के बगल मे घुस गये. गाने चालू हो गये थे.
बाराती साल्ले आ गये छैल चिकनिया,
 
हम लोगों के आते ही ढोलक हम लोगों की ओर बढ़ा दी गयी. मैने उससे कहा हे शुरुआत तुम लोग करो मैं बाद मे गाउन्गि. पर उसके कहने पे
मैने कहा अच्छा चलो, तुम ढोलक बजाओ, एक गाने के साथ मैं शुरू करती हू फिर तुम लोग गाना और मैं साथ दूँगी. तब तक दूल्हा और उसकी बहने भी
मंडप मे आ गई थी उसने ढोलक पे थाप दी और मैं चालू हो गयी.


बड़ी धूम डगर से आया रे बना, अरे माली की गली से आया रे बना
लोग कहे अरे लोग कहे मलिया का जना,
बड़ी धूम डगर से आया रे बना, अरे सुनरा की गली से आया रे बना,
लोग कहे, अरे लोग कहे, सुनरा का जना,
बड़ी धूम डगर से आया रे बना, अरे धोबी की गली से आया रे बना
अरे लोग कहे, अरे लोग कहे धोबिया का जना, अरे लोग कहे गधे का जना.


किसी ने बारात के लोगों मे से उसकी ओर इशारा करके कहा, अरे साली को नही आता क्या. और मैने उससे कहा ज़रा सुनो दो इन लोगों को. अब वो ढोलक के
साथ गा रही थी और हम लोग साथ दे रहे थे.


मेरा सुंदर बना, मेरा प्यारा बना, बन्ने के सर पे मौरा सोहे,
बने की अम्मा का यार मलिया ले आया,
मेरा सुंदर बना, मेरा प्यारा बना, बनने के तन पे सूट सोहे
बने की बुआ का यार, बजजवा ले आया,
मेरा सुंदर बना, मेरा प्यारा बना, बनने के कान मे कुंडल सोहे
बने की भाभी का यार, सुनरा ले आया.
मेरा सुंदर बना, मेरा प्यारा बना, बनने के पैरों मे जूता सोहे
बने की बहना का यार, मोची ले आया.


उसके दोनों हाथ ढोलक मे लगे थे. मौके का फ़ायदा उठा कर मैने रज़ाई के अंदर उसके स्कर्ट मे हाथ डाल दिया और गाते हुए, उसकी जाँघ सहलाने लगी. जब मेरा हाथ उपर बढ़ा तो मैने पाया कि एक हाथ और उसे सहला रहा था. जब मैने नंदोई जी की ओर देखा तो वो मुस्करा पड़े और मैं समझ गयी. फिर हल्के हल्के हम दोनो ने उसे तंग करना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर मे नंदोई जी की उंगली उसकी कुँवारी बुर मे घुस कर छेड़ रही थी और मैं उसकी पुट्टियों को पहले बाहर से और फिर उसकी क्लिट को. मस्ती मे उसकी हालत खराब हो रही थी, जोबन पत्थर की तरह कड़े हो रहे थे, हो उसकी देह से चिपके टॉप से साफ दिख रहे थे और थोड़ी देर मे ही उसकी कच्छि भी तरह गीली हो गयी थी. पर उस बेचारी के दोनों हाथ ढोलक मे फँसे थे, इसलिए वो करती क्या. अब गूंजा गाली गा रही थी और हम सब साथ
दे रहे थे..

छोटे दाने वाला घुन्घुरु अजब बना, छोटे दाने वाला,
वो घुन्घुरु पहने, बन्ने की बहना,
अरे आ रावत बाजे, करवट बाजे, लड़का का दूध पिलावत बाजे,
अरे सेजीया पे, हमारे भैया से रोज कूदावत बाजे


तब तक मुझे आँखों मे इशारा कर नंदोई जी उठ गये कि उन्हे नींद आ रही है. थोड़ी देर मे ही मैने उससे बोला हे जाओ ज़रा लड़के वालों के लिए चाय बना के ले आओ और वह भी उठ के चल दी.मैने कनखियों से देखा कि मेरे नंदोई सीढ़ी के पास उसका इंतज़ार कर रहे थे और जैसे ही वह पहुँची दोनो उपर चल दिए. शादी की गहमा गहमी, गाने के शोर मे किसी का ध्यान उधर नही था. गाना पूरा होते ही मैने दुलारी और गुलाबो से कहा, हम लोग बहुत देर से गा रहे है, अब तुम लोग ज़रा अच्छी वाली लड़के वालों को सूनाओ. और मैं भी उठकर चल दी.

उपर एक कमरा हम लोगो ने बंद कर रखा था कि, अगर लड़के वालों के साथ, जो लड़किया, औरते आई थी उनमे से किसी को ज़रूरत पड़े, और उसकी चाभी मेरे पास थी. वह मैने नंदोई जी को दे दी थी. उपर जब मैं सीढ़ियों पे जा रही थी तो नीचे से गुलाबो और दुलारी की आवाज़ मे एक बहुत पुरानी गाली की आवाज़ छन छन के आ रही थी,:

चिट्ठी आई गयी शहर बनारस से चिट्ठी आई गयी,
दूल्हा बहन चोद चिट्ठी बन्चले की ना, चिट्ठी पढ़ले की ना,
तुम्हारी अम्मा छिनार तुम्हारी बहना चिनार कैली दस दस भरतार.


उपर पहुँच के जब मैने खिड़की से झाँका तो शो शुरू हो चुका था. नंदोई जी ने गुड्डी की स्कर्ट उतार के अलग कर दी थी और टॉप उठा दिया था. उसकी लंबी गोरी टांगे उनके कंधे पे थी और चिकनी गोरी जांघे अच्छी तरह फैली थी. उनका सुपाड़ा थोड़ा सा उसकी कट मे घुसा था और वो उसकी दोनों छोटी छोटी किशोर चूंचियाँ कस कस के दबा रहे थे. नंदोई जी का लंड राजीव इत्ता लंबा तो नही लग रहा था, पर बहुत मोटा था. उन्होने थोड़ी देर उसकी चूंची की रगड़ाई करने के बाद, एक करारा धक्का मारा. मेरी ननद की चीख निकल जाती पर वो बहुत एक्सपर्ट थे. उन्होने एन मौके पे उसके दोनों होंठ अपने होंठो के भिच बार कर कस के दबा लिए और अपनी जीब उसके मूह मे घुसेड दी. अब उन्होने उसकी दोनों कलाइया कस के पकड़ ली और दो तीन धक्के कस के मारे. दर्द के मारे गुड्डी की हालत खराब थी. दो
मिनट के लिए वो रुके तो उसने जैसे साँस ली. पर मैं जानती थी कि अब क्या होने वाला है, उन्होने लंड थोड़ा सा बाहर किया और अब फिर एक बार उसकी कलाई
कस के पकड़ के पूरी ताक़त से एक धक्का मारा. अबकी तो वो दर्द से वो बिलबिला उठी. पर वो रुके नही और कस कस के धक्के मारते रहे. वो बेचारी कमर हिला रही थी, चूतड़ पटक रही थी, पर उसके जीजू पे कोई असर नही था. मैं समझ गयी कि अब उसकी फॅट गयी है. मेरे ननदोयि बेरहमी से उसे चोद रहे थे.
 
मैं मुस्करा पड़ी. मुझे याद आया कि मैने नंदोई जी से यही कहा था कि गुड्डी की मैं उन्हे दिलवा दूँगी पर वो इतनी रगड़ रगड़ के चोदे की जब वो चुदवा के आए तो जो भी उसे देखे, उसे पता चल जाए कि साली चुदवा के आ रही है. चूंची गाल हर जगह चुदाई के निशान रहें. तो वो हंस के बोले एकदम सलहज जी, मेरे आपके ख़याल एकदम मिलते है. साली ने बहोत तड़पाया है, इतनी सीधी बनती थी कि ज़रा सी छाती छूने मे, नखडे दिखाती थी. एक बार मेरे नीचे आने तो दीजिए. दो दिन तक टांगे फैला के चलेगी. ऐसा रगड़ के चोदुन्गा किसारा छिनाल पन भूल जाएगी बहोत इंतजार कराया है साली ने.

जब मैने फिर खिड़की से ध्यान दिया तो उसके जीजा का मोटा पूरा लंड उसकी चूत घोंट चुकी थी. मेरे नंदोई भी अब चोदना रोक कर वो एक उंगली से उसकी क्लिट
छेड़ रहे थे, और दूसरे हाथ से चूंचिया सहला रहे थे. चूत के बाहर हल्की सी खून की बूंदे बता रही थी की उसका योनि का परदा फॅट गया था. थोड़ी देर मे जब उसका दर्द कम हुआ तो उन्होने हल्के हल्के चोदना फिर शुरू किया, लेकिन क्लित वो लगातार रग़ाद रहे थे.. अब एक हाथ से कमर पकड़ के वो चुदाई कर रहे थे. मैने देखा कि अब उसके सहारे पे दर्द की जगह मज़े ने ले लिया था और वह धीरे धीरे चूतड़ उठा उठा के मज़े ले रहे थी. फिर क्या था, नंदोई जी ने भी अब उसकी दोनों हाथों से कमर पकड़ी और कस के चोदने लगे. अब वह भी जांघे फैला कर, चूतड़ उठा के मज़े ले रही थी. मुझे अपने पति, राजीव की बात याद आ रही थी कि बच्ची है, अभी छोटी है, बड़ी भोली है. अगर वह देखते कि उनकी वह प्यारी छोटी बोली बहना कैसे चूतड़ उठा उठा के गापागप लंड के मज़े ले रही है.तो उन्हे पता चलता.

अचानक मुझे हॅंडीकॅम की याद आई, उसमे नाइट विजन और ज़ूम भी था, और अभी मैं उससे शादी के फोटो लेरही थी, वो मेरे पार्स मे ही था. मैने हॅंडी कॅम उठा के जूम किया, और देखा कि नंदोई जी उस के गाल कस के चूम चूस रहे थे और अचानक उन्होने कचाक से कस के काट लिया. उनके हाथ जैसे कोई जूसेर मे नारगी निचोड़े, कस कस के उसकी चूंचिया निचोड़ रहे थे. लेकिन वह अब जैसे पूरी तरह चोदायि के नशे मे आ गयी हो कस कस के अपनी गान्ड उठा के सतासट लंड घोंट रही थी. वो भी कभी पूरी ताक़त से उसके कड़े निपल मसल देते, कभी क्लिट. और लंड तो उनका किसी मोटे पिस्तन की तरह लगातार गुड्डी की बुर मे अंदर बाहर हो रहा था. मैने थोड़ी देर वीडियो ले ने के बाद उसकी किशोर चूत मे मोटे लंड का, मसली जारही चूंचियों का क्लोज़ अप स्टिल भी लिया और कयि उसके पूरी तरह जिसमे चेहरा साफ साफ आए. अब उसने अपनी दोनों टांगे अपने जीजा की कमर मे बाँध ली थी और वह जिस तरह धक्के लगा रह थी उससे साफ था कि वह बस झाड़ रही है और नंदोई जी भी जिस तरह से खचाखक चोद रहे थे बस वह भी कगार पर थे. तभी मुझे याद आया कि कोई अगर कीचीं मे पहुँच गया उसे खोजने क्योंकि वह तो चाय बनाने आई थी इसीलिए मैने एक फाइनल शाट लिया और नीचे किचन की ओर चल पड़ी.

अभी भी गालियों की बहार बह रही थी और सारे बाराती भी खूब मज़े ले लेके सुन रहे थे और उकसा रहे थे कि इनका नाम लेके सूनाओ और हम लोगो
ने तो सारे बारातियों की महिलाओं के नाम तक पता कर के रखे थे, इसलिए नाम ले ले के भी गालियाँ हो रही थी. मैने चाय चढ़ा दी. गूंजा, मेरी जेठानी और गुलाबो की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी.


छमछम बटुआ रेशम का बटुआ केकरे केकरे गारे जाई कि वाह
उ बटुआ जाए दूल्हा के घर मे जेकर बहना , जेकर मीनू बड़ी गोरी कि वाह वाह,
अरे उनकी बहना चुदाये अरे मीनू चुदाये, दुआरि दुआरि,
अरे अपने भैया भरतार से चोरी चोरी वाह वाह
 
जब चाय उबल रही थी, तब तक गुड्डी आगयि. कोई भी उसकी शकल देख के कह सकता था कि खूब हचक के चुदाई हुई है. गाल पे दाँतों के गहरे ताज़ा निशान, हल्के बिखरे से बाल, टॉप भी थोड़ा, सिकुड मुक़ुड गया था, पर उसके निपल अभी भी खड़े थे और टॉप से बाहर निकलने को बेताब थे. और वह जिस तरह से दोनों टांगे हल्के से फैला कर खड़ी थी. मैने झटके से उसकी स्कर्ट उठा दी. पैंटी तो उसने शुरू से ही नही पहनी थी. उसकी गुलाबी चूत लंड का धक्का खा के लाल हो गयी थी और वीर्य से लिपटी थी. मैने उसे प्यार से बाहों मे भर लिया और गाल चूम के बोली, " चलो अब तुम मेरी और अल्पना की बिरादरी मे शामिल हो गयी. साफ सूफ तो नही किया."

" नही भाभी, देर हो रही थी और फिर जीजू ने भी कहा कि कही कोई कमरे मे ना आ जाय."

तब तक बाहर से किसी ने गुहार लगाई, हे चाय बन गयी या बिरबल की खिचड़ी हो रही है. मेरे इशारे पे वो बोली हाँ हो गयी है अभी लाती हू.

मैने उससे कहा यार अब साफ करने का टाइम नही है. बस तुम कस के अपनी चूत भींच लो, वैसे ही अल्पी ने कहा था ना कि पहली चुदाइ के बाद तुम्हारे भैया ने एक बूँद भी बाहर नही निकलने दिया था, कि ये सबसे अच्छा लुब्रीकेंट होता. बस भिंचे रहो. थोड़ी देर मे बुर सब सोख लेगी और अगली चुदाई मे बहुत कम दर्द होगा.
और उसने कस के अपनी चूत भींच ली. उसने मुझसे मुस्कुरा कर शरारत से पूछा, " भाभी इसमे चीनी तो नही डाली"मैं उसका मतलब समझ के मुस्कुराने
लगी और उसकी ओर नमक की शीशी बढ़ा दी. उसने एक छोटी केटली मे चाय उडेल कर उसमे नमक मिला दिया, और हंस के बोली जो दीदी के देवर लोग बहोत
बन रहे थे ना "


हाँ लेकिन अपनी दीदी के ननदों को भी मत छोड़ना." मैं हंस के बोली. बाहर गाली की आवाज़ अभी भी आ रही थी.

अरे दूल्हा की बहना चली अरे मीनू छिनार चली फुलवा तोड़े, गिरी पड़ी बिचलाई जी
अरे उनकी बुरिया मे घुस गयी लकड़िया जी, अरे गंदिया मे घुस गयी लकड़िया जी,
दौड़ा दौड़ा, दुलहे भैया, मुहवा से खींचा लकड़िया जी.


पंडित और नाऊ को भी नही बख्शा जा रहा था, दुलारी तो ख़ास तौर पे नाऊ के पीछे पड़ी थी. जब हम लोग चाय लेकर बाहर पहुँचे, भांवर की तैयारिया शुरू हो गयी
थी. अल्पना भी आ गई थी चाय बटवाने.मैने दोनो से इशारे से पूछा कि जूता चुराने का क्या हुआ. गुड्डी ने हंस के कहा, कम्मो के पास है. दुलहे के पहुँचते ही उसने पार कर दिया था. आख़िर सबसे छोटी साली है. मैने देखा कि वो राजीव के पास चिपट के बैठी है.

अल्पना और गुड्डी ने जैसे ही चाय बाटना शुरू किया, बारात के जितने लड़के थे उनमे हलचल हो गयी. किसी ने पूछा , अरे यार चाय गर्म है कि नही अरे जब बाटने वालियाँ इत्ति गरम है तो चाय तो गर्म होगी ही. कोई बोला, अरे यार अगर इनके हाथ से जहर भी मिल जाय तो पी लू. जब गुड्डी झुकती तो लड़कों की आँखे एकदम उसके टॉप फाड़ते उभारों पे गढ़ जाती. तब तक एक दो चुस्की के बाद कोई बोला, अरे ये तो नमकीन है अल्पना ने हंस के जवाब दिया अरे आप ही लोग तो कह रहे थे कि बाँटने वालिया जैसी होंगितो अगर बाँटने वालिया नमकीन है तो चाय भी नमकीन हो गयी होगी.तब तक चाय देते देते, गुड्डी दूसरे किनारे पे पहुँच गयी थी और वही से वह बोली,

" अरे अभी तो आप लोग कह रहे थे कि हमारे हाथ से जहर भी पी लेंगे तो ये तो थोड़ा नमक ही है अरे इससे पता चल गया कि कितनी मर्दानगी है, बारात के लड़कों मे और नमक तो इसलिए पिलाया हैज़िससे आप लोग नमक हरामी ना करे."

सब लोग हंस पड़े और सब की आँखे गुड्डी और अल्पना की ही ओर थी. मैं भी बोली, " ठीक है ये लोग एक बार ये चाय ख़तम कर के अपनी मरदानगि साबित कर दे तो मीठी पिला दे."
 
तब तक मैने देखा कि वीर्य का एक कतरा, उसकी बुर से निकल कर उसकी चिकनी
गोरी जाँघ से फिसलता हुआ घुटने पे आ गया. मैने देखा कि राजीव और मेरी
जेठानी की निगाहे भी उसकी जाँघ पे है और जब हम तीनों की निगाहे मिली
तो सब कुछ समझ के हम तीनो मुस्करा दिए. तब तक भांवर ख़तम हो गयी
थी और कोहबर मे दूल्हे को छेंकने, हम सब लोग चल दिए.

सुबह बारात जल्द ही विदा होनी थी, और बारातियों के लिए पॅक्ड लंच बन
कर पैक होने थे. कोहबर के बाद मैने उसे भेजा कि वहाँ नंदोई जी होंगे
उनसे जा के कहे कि एक घंटे मे पॅकेट बन जाय और उस के बाद जनवासे
जाके उसे बँटवा दे, ख़ास तौर से औरतों मे वह खुद देख ले कि सब को
पैकेट मिल गये कि नही.
 
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