hotaks444
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थोड़ी देर मे ही हम लोग बॉबी टेलर्स के पास पहुँच गये.
ख़लील ने हम लोगो को देखते ही ड्रेस निकाल के रख दी. जब मैं पैसे देने लगी तो वो मुस्करा के, मेरी ननद को घुरते हुए बोला, " नही भाभी जी आप ने कहा था ना कि शादी मे इस ड्रेस मे आग लगा दे, तो आज ये आग लगा दे तो कल आप पैसा भी दीजिएगा और इनाम भी. भाभी,
कैश या इनाम,
अपने दुपट्टे को सम्हाल्ने के बहाने अपने जोबन का जबरदस्त नज़ारा ख़लील को देते वो बोली."
" फीस कैश मे और इनाम क़ैद मे, ख़लील भाई बिना इनाम लिए छोड़िएगा नही मेरी इस ननद को और आग तो ये लगाएगी ही आपकी बनाई ड्रेस मे." मैं बोली.
" अगर बुरा ना माने तो बोलू आज आप की ननद बाला की लग रही है, आग तो अभी लगा रही है" उसके हुस्न के दीवाने होके ख़लील भाई बोले. उसके पायजामे से उनकी हालत का अहसास हो रहा था. हम दोनो मुस्कराते हुए वहाँ से चल दिए.
रास्ते मे मुझे लगा कि इस के ड्रेस के साथ जंक ज्वेलरी अच्छी लगेगी. पूछने पे उसने बताया कि एक लेडीज़ स्टोर है, वहाँ बहोत अच्छी एक्सेसरिज़ मिलती है लेकिन थोड़ा महेंगा है.
मैने उसके मम्मों को दबा के उसे चिढ़ाया, " अरे ये चेक बुक तो है ना हमारे पास." बाहर से देखने से ही वह बहोत
बड़ी और फेशनेबल दुकान दिखती थी. दुकान मे एक बहोत ही हॅंडसम जवान लड़का बैठा था. पर उसे देखते ही मैं चौंक गयी.
" अरे नीरज ये तुम्हारी दुकान है." नीरज हमारे घर के ठीक बगल वाले घर मे रहता था, और पड़ोस का लड़का होने के नाते देवर भाभी की हमारी छेड़खानी चलती रहती थी.
" नही भाभी, आप लोगो की." बोल वह मुझसे रहा था पर मैं देखरही थी कि उसकी निगाह मेरी किशोर ननद पे गढ़ी थी. मुस्करा के मैं बोली,
"चलो मैं तुम दोनो का परिचय करती हू, ये है मेरी ननद डाली और ये है नीरज. तुम्हारे शहर मे चाँद खिला है और तुम्हे पता ही नही."
" मेरी बदक़िस्मती भाभी, लेकिन आप का बहोत शुक्रिया कि आप ने मुलाकात करवा दी."
मैं देख रही थी की अब उसकी निगाहे, उसके खूब सूरत चेहरे से नीचे आके उसके रसीले उभारों का रस पान कर रही थी
" चलिए अब तो आप की किस्मत खुल गयी," बड़ी अदा से अपने किशोर उभारों को थोड़ा और उभार के गुड्डी बोली.
" अरे अब तो ये तुम दोनों के हाथों मे है क्या तुम खुलवाती हो और क्या क्या ये खोलता है" अब खुल के मज़ाक करते हुए मैं बोली. फिर मैने उससे जंक ज्वेलरी और एक्सेसरीज़ के लिए कहा जो उसने तुरंत मॅंगा दी. जब वो अपने हाथों से पहनाने लगा तो वो सिहर गयी. मैने फुसफुसाके उससे कहा, गनीमत है तुम ब्रा और पैंटी नही खरीद रही हो नही तो वो भी
पर नीरज ने सुन लिया और हंस के बोला वो भी है मन्गवाऊ. फिर उसने मुझ से पूछा, " कुछ ठंडा गरम चलेगा."
" अरे जिससे पूछना चाहते है उससे खुल के पूछिए ना, मेरी ननद को कोक कोला ओह..मेरा मतलब है कोका कोला पसंद है." दुकान अभी अभी खुली थी इसीलिए ज़्यादा भीड़ नही थी. कोक पीते हुए मेरी निगाह बाकी सामानों पर दौड़ रही थी. एक समान देख के मैने पूछा, "आप एशियन स्काई शाप का समान भी रखते है क्या"
ख़लील ने हम लोगो को देखते ही ड्रेस निकाल के रख दी. जब मैं पैसे देने लगी तो वो मुस्करा के, मेरी ननद को घुरते हुए बोला, " नही भाभी जी आप ने कहा था ना कि शादी मे इस ड्रेस मे आग लगा दे, तो आज ये आग लगा दे तो कल आप पैसा भी दीजिएगा और इनाम भी. भाभी,
कैश या इनाम,
अपने दुपट्टे को सम्हाल्ने के बहाने अपने जोबन का जबरदस्त नज़ारा ख़लील को देते वो बोली."
" फीस कैश मे और इनाम क़ैद मे, ख़लील भाई बिना इनाम लिए छोड़िएगा नही मेरी इस ननद को और आग तो ये लगाएगी ही आपकी बनाई ड्रेस मे." मैं बोली.
" अगर बुरा ना माने तो बोलू आज आप की ननद बाला की लग रही है, आग तो अभी लगा रही है" उसके हुस्न के दीवाने होके ख़लील भाई बोले. उसके पायजामे से उनकी हालत का अहसास हो रहा था. हम दोनो मुस्कराते हुए वहाँ से चल दिए.
रास्ते मे मुझे लगा कि इस के ड्रेस के साथ जंक ज्वेलरी अच्छी लगेगी. पूछने पे उसने बताया कि एक लेडीज़ स्टोर है, वहाँ बहोत अच्छी एक्सेसरिज़ मिलती है लेकिन थोड़ा महेंगा है.
मैने उसके मम्मों को दबा के उसे चिढ़ाया, " अरे ये चेक बुक तो है ना हमारे पास." बाहर से देखने से ही वह बहोत
बड़ी और फेशनेबल दुकान दिखती थी. दुकान मे एक बहोत ही हॅंडसम जवान लड़का बैठा था. पर उसे देखते ही मैं चौंक गयी.
" अरे नीरज ये तुम्हारी दुकान है." नीरज हमारे घर के ठीक बगल वाले घर मे रहता था, और पड़ोस का लड़का होने के नाते देवर भाभी की हमारी छेड़खानी चलती रहती थी.
" नही भाभी, आप लोगो की." बोल वह मुझसे रहा था पर मैं देखरही थी कि उसकी निगाह मेरी किशोर ननद पे गढ़ी थी. मुस्करा के मैं बोली,
"चलो मैं तुम दोनो का परिचय करती हू, ये है मेरी ननद डाली और ये है नीरज. तुम्हारे शहर मे चाँद खिला है और तुम्हे पता ही नही."
" मेरी बदक़िस्मती भाभी, लेकिन आप का बहोत शुक्रिया कि आप ने मुलाकात करवा दी."
मैं देख रही थी की अब उसकी निगाहे, उसके खूब सूरत चेहरे से नीचे आके उसके रसीले उभारों का रस पान कर रही थी
" चलिए अब तो आप की किस्मत खुल गयी," बड़ी अदा से अपने किशोर उभारों को थोड़ा और उभार के गुड्डी बोली.
" अरे अब तो ये तुम दोनों के हाथों मे है क्या तुम खुलवाती हो और क्या क्या ये खोलता है" अब खुल के मज़ाक करते हुए मैं बोली. फिर मैने उससे जंक ज्वेलरी और एक्सेसरीज़ के लिए कहा जो उसने तुरंत मॅंगा दी. जब वो अपने हाथों से पहनाने लगा तो वो सिहर गयी. मैने फुसफुसाके उससे कहा, गनीमत है तुम ब्रा और पैंटी नही खरीद रही हो नही तो वो भी
पर नीरज ने सुन लिया और हंस के बोला वो भी है मन्गवाऊ. फिर उसने मुझ से पूछा, " कुछ ठंडा गरम चलेगा."
" अरे जिससे पूछना चाहते है उससे खुल के पूछिए ना, मेरी ननद को कोक कोला ओह..मेरा मतलब है कोका कोला पसंद है." दुकान अभी अभी खुली थी इसीलिए ज़्यादा भीड़ नही थी. कोक पीते हुए मेरी निगाह बाकी सामानों पर दौड़ रही थी. एक समान देख के मैने पूछा, "आप एशियन स्काई शाप का समान भी रखते है क्या"