hotaks444
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सास हो तो ऐसी
मै सुजाता . मेरी शादी जब मै18 साल कि थी तभी हुई. जब मै 22 साल कि हुई तब मै २ बच्चो कि मा बनी थी. मेरा पती एक छोटी कंपनीमे क्लेर्क थे. बाद मे धीरे-धीरे उनकी प्रमोशन हुई और आज वो म्यनेजर बने है. आज मै मेरी उमर के ** साल मे एक दामाद कि सांस बनी हु. मेरी बेटी बडी है और बेटा छोटा है. बेटी के शादी को १ साल हुआ है और वो पेटसे है. शादी के बाद वो ३-४ बारहि मायके आई थी. वो और उसका पती मेरे गावसे काफी दूर रहते है. इसीकारण उनका ज्यादा आना-जाना नही हूआ. लेकिन हर एक बार उसने संभोग के दरमियान तकलीफ कि शिकायत मुझसे की. आमतौर लडकीया शुरू के कुछ दिन शिकायत करते है इसीलिये मैने उसपार ज्यादा ध्यान नाही दिया थामेरी बेटी मुझसे कुछ केहना चाहती थी पर मै हमेशा उसकी बात को टाल जाती थी. उसकी प्रोब्लेम क्या थी ये मैने जानना चाहिये था पर मुझसे गलती हुई. जब उसे सातवा महिना शुरू हो गया तभी मेरे पती कि फिरसे ट्रान्स्फर हुई और हमने घर शिफ्ट न करते हुए हमारे दामादजी को कुछ दिन के लिये बुला लिया. दामादजी को पत्नी से दूर रहकर काफी दिन हुए थे इसी लिये उन्होने भी ख़ुशी-ख़ुशी हमारा न्योता स्वीकार किया. पुरे रात का सफर तय करके दामाद जब ससुराल आये तो उनके स्वागत मे मैने कोई कमी नही रखी थी. मेरा बेटा कोलेज के लिये दुसरे गाव रहता है इसीकारण मुझे बहोत भागदौड करनी पडी पर बेटी के लिये किसी मा को ये ज्यादा नही लगता. . दामाद आनेके बाद तो जैसे जिंदगीहि बदल गयी थी. सुबह उनकी चाई फिर नाश्ता, सारा दिन उनकी तबियत खुश रखना मेरा कार्य बन गया था.
एक दिन ऐसेही सुबह दामाद- उनका नाम रवि है, रवीको चाई देने के बाद वो नहाने गया. उसने कहा वो आज बाथरूम कि खुलेमे नहायेंगे. मैने कहा ठीक है. मेरे पती और बेटाभी अक्सर खुले मे ही नहाते है. और मैने पानी खुले मे रखा. रवि नहाने लगा और मै किचेन चली गयी. किचेन से सामने नाहता हुआ रवि नजर आ रहा था. बदन पे सिर्फ कच्छी थी. शरीर बिल्कुल भरापुरा. वो नीचे बैठके नहा रहा था. उसका उपरका नंगा बदन देखके मेरे तन-मन मे कुछ-कुछ होणे लगा था. मै अपनेही मन को समझा रही थी. जो मेरे तन-मन मे हो रहा है वो गलत है. मेरा दमाद याने कि मेरे बेटी का पती. सब गालात था फिर भी बार बार नैन उसकी तरफ जा रहे थे. ध्यान उधरही जा रहा था. वो बदन पे साबुन मल रहा था. चेहरा - छाती -पेट -पीठ धीरे-धीरे उसने कच्चे मे हात डाला और रगड के साबुन लगा रहा था. पानी कि बालटी बीचमे होनेसे उसकी कच्छी ढंग से नही दिखती ठी पर वो मजा ले रहा है ये समझ मे आ रहा था. आखिर उसने पुरी बाल्टी अपने उपर ले ली और वो खडा हुआ. अनायास हि मेरी नजर उसके कछेपर गयी तो सामनेवाला पोर्शन बहोत हि आगे आया था- बहोत बडा दिख रहा था। उसने तोउलियेसे बदन पोछा और तोउलिया लंपटके कच्छा उतारने लगा. मन का विरोध ना मानते मै भी सब देखने लगी. उसने एक पैर निकाली और जैसेही दुसरे पैर से निकालने लगा अचानक टॉवेल उसके हाथ से छूटा और बाजूवाले बबुलके पेडमे अटक गया. मेरी नजर उसके हतियार पे गयी तो मै सुन्न हो गयी. इतना बडा हतियार मैने पहलीबार देखा था. वो हतियार मेरे जीवन मे आये सभी मर्दोमे सबसे बडा था. क्या बताऊ कितना प्यारा-सुंदर -फिर भी इतना बडा शायदहि होता है.
मेरी शादी के समय,जैसा मैंने बताया मेरी उम्र सिर्फ 18 साल थी। स्त्री-पुरुष सम्बधो के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी। किंतु स्कूल में बाकी लडकिया बाते करती थी वो सुनने में आती थी। दसवी की परीक्षा होते-होते मेरी शादी हो गयी। सेक्स के मामले में मेरे पती शुरू-शुरू में काफी उत्तेजीत होते थे। रोज रातको हमारा सम्भोग होता था। मेरे दोनों प्रेग्नन्सी के दरमियान भी हमारा सेक्स रेग्युलर था। मेरे शादी के बाद मेरा पतीके अलावा किसी और से संबध आने का चांस बिलकुल नहीं था। वैसे भी शादी से पहेले भी कम उम्र की वजह से ये संभाव्यता कभी नहीं थी।
मेरी दूसरी डिलिवेरी के बाद मेरे पति की पहली प्रमोशन हो गयी थी इसीलिए मै रेस्ट के लिए मायके में थी। उसी समय मेरा स्कूल का साथी, हमारे पंडितजी का बेटा कोलेज को छुट्टी लगनेसे गाव आया था। स्कूल में था तब वो साथवाले लड़कोके मुकाबले बहोत छोटा लगता था इसीलिए मै उसे छोटू नामसे बुलाती थी। जब मैंने उसे छोटू कहकर बार-बार पुकारा तो वो चिढने लगा। मुझसे कहने लगा, सुजाता मै अब छोटा नहीं हु, बड़ा हो गया हु। मैंने कहा , कैसे साबित करोगे की तुम अब छोटे नहीं हो। थोड़ी देर सोचने के बाद वो बोला , वक्त आनेपर मै दिखा दूंगा की मै कितना बड़ा हुआ हु। इतना कहके वो चला गया। कुछ दिन बाद मेरे बेटे को बुखार आया था, उस समय मुझे छोटू ने बहोत मदद की। चार दिन बाद जब सब ठीक ठाक हुआ तबतक मै छो
मै सुजाता . मेरी शादी जब मै18 साल कि थी तभी हुई. जब मै 22 साल कि हुई तब मै २ बच्चो कि मा बनी थी. मेरा पती एक छोटी कंपनीमे क्लेर्क थे. बाद मे धीरे-धीरे उनकी प्रमोशन हुई और आज वो म्यनेजर बने है. आज मै मेरी उमर के ** साल मे एक दामाद कि सांस बनी हु. मेरी बेटी बडी है और बेटा छोटा है. बेटी के शादी को १ साल हुआ है और वो पेटसे है. शादी के बाद वो ३-४ बारहि मायके आई थी. वो और उसका पती मेरे गावसे काफी दूर रहते है. इसीकारण उनका ज्यादा आना-जाना नही हूआ. लेकिन हर एक बार उसने संभोग के दरमियान तकलीफ कि शिकायत मुझसे की. आमतौर लडकीया शुरू के कुछ दिन शिकायत करते है इसीलिये मैने उसपार ज्यादा ध्यान नाही दिया थामेरी बेटी मुझसे कुछ केहना चाहती थी पर मै हमेशा उसकी बात को टाल जाती थी. उसकी प्रोब्लेम क्या थी ये मैने जानना चाहिये था पर मुझसे गलती हुई. जब उसे सातवा महिना शुरू हो गया तभी मेरे पती कि फिरसे ट्रान्स्फर हुई और हमने घर शिफ्ट न करते हुए हमारे दामादजी को कुछ दिन के लिये बुला लिया. दामादजी को पत्नी से दूर रहकर काफी दिन हुए थे इसी लिये उन्होने भी ख़ुशी-ख़ुशी हमारा न्योता स्वीकार किया. पुरे रात का सफर तय करके दामाद जब ससुराल आये तो उनके स्वागत मे मैने कोई कमी नही रखी थी. मेरा बेटा कोलेज के लिये दुसरे गाव रहता है इसीकारण मुझे बहोत भागदौड करनी पडी पर बेटी के लिये किसी मा को ये ज्यादा नही लगता. . दामाद आनेके बाद तो जैसे जिंदगीहि बदल गयी थी. सुबह उनकी चाई फिर नाश्ता, सारा दिन उनकी तबियत खुश रखना मेरा कार्य बन गया था.
एक दिन ऐसेही सुबह दामाद- उनका नाम रवि है, रवीको चाई देने के बाद वो नहाने गया. उसने कहा वो आज बाथरूम कि खुलेमे नहायेंगे. मैने कहा ठीक है. मेरे पती और बेटाभी अक्सर खुले मे ही नहाते है. और मैने पानी खुले मे रखा. रवि नहाने लगा और मै किचेन चली गयी. किचेन से सामने नाहता हुआ रवि नजर आ रहा था. बदन पे सिर्फ कच्छी थी. शरीर बिल्कुल भरापुरा. वो नीचे बैठके नहा रहा था. उसका उपरका नंगा बदन देखके मेरे तन-मन मे कुछ-कुछ होणे लगा था. मै अपनेही मन को समझा रही थी. जो मेरे तन-मन मे हो रहा है वो गलत है. मेरा दमाद याने कि मेरे बेटी का पती. सब गालात था फिर भी बार बार नैन उसकी तरफ जा रहे थे. ध्यान उधरही जा रहा था. वो बदन पे साबुन मल रहा था. चेहरा - छाती -पेट -पीठ धीरे-धीरे उसने कच्चे मे हात डाला और रगड के साबुन लगा रहा था. पानी कि बालटी बीचमे होनेसे उसकी कच्छी ढंग से नही दिखती ठी पर वो मजा ले रहा है ये समझ मे आ रहा था. आखिर उसने पुरी बाल्टी अपने उपर ले ली और वो खडा हुआ. अनायास हि मेरी नजर उसके कछेपर गयी तो सामनेवाला पोर्शन बहोत हि आगे आया था- बहोत बडा दिख रहा था। उसने तोउलियेसे बदन पोछा और तोउलिया लंपटके कच्छा उतारने लगा. मन का विरोध ना मानते मै भी सब देखने लगी. उसने एक पैर निकाली और जैसेही दुसरे पैर से निकालने लगा अचानक टॉवेल उसके हाथ से छूटा और बाजूवाले बबुलके पेडमे अटक गया. मेरी नजर उसके हतियार पे गयी तो मै सुन्न हो गयी. इतना बडा हतियार मैने पहलीबार देखा था. वो हतियार मेरे जीवन मे आये सभी मर्दोमे सबसे बडा था. क्या बताऊ कितना प्यारा-सुंदर -फिर भी इतना बडा शायदहि होता है.
मेरी शादी के समय,जैसा मैंने बताया मेरी उम्र सिर्फ 18 साल थी। स्त्री-पुरुष सम्बधो के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी। किंतु स्कूल में बाकी लडकिया बाते करती थी वो सुनने में आती थी। दसवी की परीक्षा होते-होते मेरी शादी हो गयी। सेक्स के मामले में मेरे पती शुरू-शुरू में काफी उत्तेजीत होते थे। रोज रातको हमारा सम्भोग होता था। मेरे दोनों प्रेग्नन्सी के दरमियान भी हमारा सेक्स रेग्युलर था। मेरे शादी के बाद मेरा पतीके अलावा किसी और से संबध आने का चांस बिलकुल नहीं था। वैसे भी शादी से पहेले भी कम उम्र की वजह से ये संभाव्यता कभी नहीं थी।
मेरी दूसरी डिलिवेरी के बाद मेरे पति की पहली प्रमोशन हो गयी थी इसीलिए मै रेस्ट के लिए मायके में थी। उसी समय मेरा स्कूल का साथी, हमारे पंडितजी का बेटा कोलेज को छुट्टी लगनेसे गाव आया था। स्कूल में था तब वो साथवाले लड़कोके मुकाबले बहोत छोटा लगता था इसीलिए मै उसे छोटू नामसे बुलाती थी। जब मैंने उसे छोटू कहकर बार-बार पुकारा तो वो चिढने लगा। मुझसे कहने लगा, सुजाता मै अब छोटा नहीं हु, बड़ा हो गया हु। मैंने कहा , कैसे साबित करोगे की तुम अब छोटे नहीं हो। थोड़ी देर सोचने के बाद वो बोला , वक्त आनेपर मै दिखा दूंगा की मै कितना बड़ा हुआ हु। इतना कहके वो चला गया। कुछ दिन बाद मेरे बेटे को बुखार आया था, उस समय मुझे छोटू ने बहोत मदद की। चार दिन बाद जब सब ठीक ठाक हुआ तबतक मै छो