hotaks444
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दोनो एक दूसरे के होंटो को चूस्ते हुए, अपने प्यार का इज़हार एक दूसरे से कर रहे थे, और जब विनय अपना लंड किरण की चूत से बाहर निकाल कर दोबारा अंदर पेलता, तो किरण अपनी जांघों को फेला कर अपनी गान्ड को ऊपेर उठा कर फिर से विनय के लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए आतुर हो उठती….और जब विनय का लंड फिर से किरण की चूत की गहराइयों मे जाता, तो किरण अपने दोनो हाथों से विनय के चुतड़ों को दबा कर उसके लंड पर अपनी चूत को और दबा देती…..
उसकी चूत की दीवारे विनय लंड को अंदर ही अंदर कस कर छोड़ रही थी….मानो जैसे उसके लंड को मथ रही हो……किरण की चूत की गरमी को अपने लंड पर महसूस करके, विनय भी मदहोश हुआ जा रहा था…..हर धक्के के साथ विनय की स्पीड बढ़ रही थी, और किरण भी मस्ती मे अपने होंटो को चुस्वाते हुए, उसकी लय में अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल कर विनय का लंड अपनी चूत की गहराइयों में लेने की कॉसिश कर रही थी……
अब विनय पूरे जोश मे आ चुका था…..उसने अपने होंटो को किरण के होंटो से अलग किया, और उसकी जांघों के बीच बैठते हुए, ताबडतोड़ धक्के लगाने लगा…..विनय के लंड के तबडतोड़ धक्को ने किरण की चूत की दीवारों को बुरी तरहा रगड़ कर रख दिया…..उसके पूरे बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी……..
किरण : (अपनी चुचियों के निपल्स को अपने हाथों से मसलते हुए) आहह आह विनय धीरे कर ओह्ह्ह मर गइईए रीई धीरे बेटा ओह अहह उंह और बहुत मज़ा आ रहा है विनय ओह्ह्ह्ह धीरे बेटा अहह अह्ह्ह्ह चोद मुझे अहह
विनय: आह चोद तो रहा हुन्न्न्न्न्न अहह अह्ह्ह्ह
किरण ने अपनी सिसकियों को दबाने के लिए अपने होंटो को दाँतों के बाच मे दबा लिया….और तेज़ी से अपनी गान्ड को ऊपेर की और उछलते हुए झड़ने लगी……विनय के लंड ने भी उसकी चूत की दीवारों को भीगो कर रख दिया….झड़ने के बाद विनय किरण के ऊपेर निढाल होकर गिर पड़ा…..
सुबह के 5 बज चुके थे….किरण आज काफ़ी दिनो के बाद झड़ने के कारण काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी….विनय और किरण दोनो गहरी नींद मे सो रहे थे कि, तभी बाहर हॉल की लाइट ऑन हुई और बाहर की हलचल की आवाज़ सुन कर किरण की नींद टूटी. वो बेड पर उठ कर बैठ गयी….उसने अपनी कमर पर चढ़े हुए पेटिकोट को ठीक किया. और बेड से नीचे उतर कर अपने ब्लाउस के हुक्स बंद करते हुए, लाइट ऑन की. लाइट ऑन करने के बाद किरण ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर खड़ी हो गयी….और अपने आप को मिरर में देखने लगी कि, कही उसके चेहरे पर कोई निशान तो नही है…
अभी किरण आईने मैं ही देख रही थी कि, विनय ने एक दम से उठ कर पीछे से बाहों में भर लिया….और उसके गालो पर अपने होंटो को रगड़ने लगा…”सीईईई ओह्ह्ह विनय कब उठे तुम….?” किरण ने मस्ती में सिसकते हुए कहा….”अभी उठा हूँ…” विनय ने अपने दोनो हाथो को आगे लाकर किरण के ब्लाउस के ऊपेर से उसकी चुचियों को मसलते हुए कहा…तो किरण के पूरे बदन में झुरजुरी से दौड़ गयी….” विनय सुबह हो गयी है…सब लोग उठने वाले होंगे….मुझे सब के लिए चाइ नाश्ता भी तैयार करना है….” किरण ने विनय की तरफ घूमते हुए कहा….
विनय: मामी इतनी जल्दी कोई नही उठेगा…..कल रात भी एक बार ही किया था….प्लीज़ एक बार और करने दो ना….
विनय लगातार किरण की चुचियों को मसल रहा था….जिसके कारण किरण भी मदहोश होती जा रही थी….उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए अपने पेटिकोट का नाडा पकड़ कर खोल दिया…जैसे ही पेटिकोट का नाडा खुला पेटिकोट उसके कमर से सरकता हुआ नीचे फर्श पर जा गिरा…अगले ही पल किरण विनय के सामने नीचे पैरो के बल बैठ गयी…और उसके शॉर्ट्स को दोनो तरफ से पकड़ कर खेंचते हुए उसके बदन से अलग करके फेंक दिया….
किरण किसी भूखी कुतिया की तरह विनय के लंड पर टूट पड़ी….उसने विनय के लंड को हाथ में लिया….और अगले ही पल उसने विनय के लंड के गुलाबी सुपाडे को अपने होंटो मे भर कर चूसना शुरू कर दिया…उसने अपने होंटो को विनय के लंड पर दबा कर अपने सर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया…विनय की आँखे मस्ती मे बंद हो गयी… खड़े-2 उसके पैर काँपने लगी….किरण अब पूरे जोश के साथ विनय के लंड के चुप्पे लगा रही थी….और विनय मस्ती मे आहह आहह कर रहा था. फिर किरण ने विनय के लंड को मूह से बाहर निकाला…और उसके लंड के सुपाडे को अपने दाँतों से कुरेदा…तो विनय एक दम से मचल उठा…
उसने किरण के सर को दोनो हाथो से कस के पकड़ लिया….किरण ने अपनी आँखो को ऊपेर उठाते हुए उसकी ओर देखा..और फिर विनय की आँखो मे देखते हुए, अपनी लाल रसीली जीभ को बाहर निकाल कर लंड के सुपाडे के चारो तरफ फेरा. विनय की आँखे एक बार फिर कुछ पलों के लिए बंद हो गयी…ये सब करते हुए, किरण विनय के चेहरे को देख रही थी….विनय ने फिर से आँखे खोल कर किरण की ओर देखा…तो उसने इस बार विनय की आँखो मे देखते हुए, विनय के लंड को थोड़ा सा ऊपेर उठाया…और फिर अपनी जीभ को नोकदार बना कर विनय के लंड के पेशाब वाले छेद पर रगड़ने लगी….
उसकी चूत की दीवारे विनय लंड को अंदर ही अंदर कस कर छोड़ रही थी….मानो जैसे उसके लंड को मथ रही हो……किरण की चूत की गरमी को अपने लंड पर महसूस करके, विनय भी मदहोश हुआ जा रहा था…..हर धक्के के साथ विनय की स्पीड बढ़ रही थी, और किरण भी मस्ती मे अपने होंटो को चुस्वाते हुए, उसकी लय में अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल कर विनय का लंड अपनी चूत की गहराइयों में लेने की कॉसिश कर रही थी……
अब विनय पूरे जोश मे आ चुका था…..उसने अपने होंटो को किरण के होंटो से अलग किया, और उसकी जांघों के बीच बैठते हुए, ताबडतोड़ धक्के लगाने लगा…..विनय के लंड के तबडतोड़ धक्को ने किरण की चूत की दीवारों को बुरी तरहा रगड़ कर रख दिया…..उसके पूरे बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी……..
किरण : (अपनी चुचियों के निपल्स को अपने हाथों से मसलते हुए) आहह आह विनय धीरे कर ओह्ह्ह मर गइईए रीई धीरे बेटा ओह अहह उंह और बहुत मज़ा आ रहा है विनय ओह्ह्ह्ह धीरे बेटा अहह अह्ह्ह्ह चोद मुझे अहह
विनय: आह चोद तो रहा हुन्न्न्न्न्न अहह अह्ह्ह्ह
किरण ने अपनी सिसकियों को दबाने के लिए अपने होंटो को दाँतों के बाच मे दबा लिया….और तेज़ी से अपनी गान्ड को ऊपेर की और उछलते हुए झड़ने लगी……विनय के लंड ने भी उसकी चूत की दीवारों को भीगो कर रख दिया….झड़ने के बाद विनय किरण के ऊपेर निढाल होकर गिर पड़ा…..
सुबह के 5 बज चुके थे….किरण आज काफ़ी दिनो के बाद झड़ने के कारण काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी….विनय और किरण दोनो गहरी नींद मे सो रहे थे कि, तभी बाहर हॉल की लाइट ऑन हुई और बाहर की हलचल की आवाज़ सुन कर किरण की नींद टूटी. वो बेड पर उठ कर बैठ गयी….उसने अपनी कमर पर चढ़े हुए पेटिकोट को ठीक किया. और बेड से नीचे उतर कर अपने ब्लाउस के हुक्स बंद करते हुए, लाइट ऑन की. लाइट ऑन करने के बाद किरण ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर खड़ी हो गयी….और अपने आप को मिरर में देखने लगी कि, कही उसके चेहरे पर कोई निशान तो नही है…
अभी किरण आईने मैं ही देख रही थी कि, विनय ने एक दम से उठ कर पीछे से बाहों में भर लिया….और उसके गालो पर अपने होंटो को रगड़ने लगा…”सीईईई ओह्ह्ह विनय कब उठे तुम….?” किरण ने मस्ती में सिसकते हुए कहा….”अभी उठा हूँ…” विनय ने अपने दोनो हाथो को आगे लाकर किरण के ब्लाउस के ऊपेर से उसकी चुचियों को मसलते हुए कहा…तो किरण के पूरे बदन में झुरजुरी से दौड़ गयी….” विनय सुबह हो गयी है…सब लोग उठने वाले होंगे….मुझे सब के लिए चाइ नाश्ता भी तैयार करना है….” किरण ने विनय की तरफ घूमते हुए कहा….
विनय: मामी इतनी जल्दी कोई नही उठेगा…..कल रात भी एक बार ही किया था….प्लीज़ एक बार और करने दो ना….
विनय लगातार किरण की चुचियों को मसल रहा था….जिसके कारण किरण भी मदहोश होती जा रही थी….उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए अपने पेटिकोट का नाडा पकड़ कर खोल दिया…जैसे ही पेटिकोट का नाडा खुला पेटिकोट उसके कमर से सरकता हुआ नीचे फर्श पर जा गिरा…अगले ही पल किरण विनय के सामने नीचे पैरो के बल बैठ गयी…और उसके शॉर्ट्स को दोनो तरफ से पकड़ कर खेंचते हुए उसके बदन से अलग करके फेंक दिया….
किरण किसी भूखी कुतिया की तरह विनय के लंड पर टूट पड़ी….उसने विनय के लंड को हाथ में लिया….और अगले ही पल उसने विनय के लंड के गुलाबी सुपाडे को अपने होंटो मे भर कर चूसना शुरू कर दिया…उसने अपने होंटो को विनय के लंड पर दबा कर अपने सर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया…विनय की आँखे मस्ती मे बंद हो गयी… खड़े-2 उसके पैर काँपने लगी….किरण अब पूरे जोश के साथ विनय के लंड के चुप्पे लगा रही थी….और विनय मस्ती मे आहह आहह कर रहा था. फिर किरण ने विनय के लंड को मूह से बाहर निकाला…और उसके लंड के सुपाडे को अपने दाँतों से कुरेदा…तो विनय एक दम से मचल उठा…
उसने किरण के सर को दोनो हाथो से कस के पकड़ लिया….किरण ने अपनी आँखो को ऊपेर उठाते हुए उसकी ओर देखा..और फिर विनय की आँखो मे देखते हुए, अपनी लाल रसीली जीभ को बाहर निकाल कर लंड के सुपाडे के चारो तरफ फेरा. विनय की आँखे एक बार फिर कुछ पलों के लिए बंद हो गयी…ये सब करते हुए, किरण विनय के चेहरे को देख रही थी….विनय ने फिर से आँखे खोल कर किरण की ओर देखा…तो उसने इस बार विनय की आँखो मे देखते हुए, विनय के लंड को थोड़ा सा ऊपेर उठाया…और फिर अपनी जीभ को नोकदार बना कर विनय के लंड के पेशाब वाले छेद पर रगड़ने लगी….