hotaks444
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‘अच्छा बाबा, मैंने आपको माफ़ किया… अब खुश?’ मैंने फिर से उसका चेहरा अपने हथेलियों में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कह दिया।
‘ऐसे नहीं… पहले मुझे यकीन होने दीजिये कि आपने सच में मुझे माफ़ कर दिया…’ उसने फिर से अपनी जिद भरी बातें कही।
‘तो अब तुम्हीं बताओ कि क्या करूँ जिससे तुम्हें यकीन हो जाए…’ मैंने सवाल किया।
‘अगर आपने सच में मुझे माफ़ किया है तो ये जेल मैं खुद आपके जलन वाली जगह पे लगाऊँगी, तभी मुझे यकीन होगा..’ उसने एक ही सांस में मेरी आँखों में आँखें डालकर बिना अपनी पलकें झपकाए कहा।
वंदना की बात सुनकर एक पल के लिए तो मैं स्तब्ध हो गया… ये लड़की क्या कह रही है… कसम से कहता हूँ दोस्तो, अगर मैंने उसकी माँ रेणुका को नहीं चोदा होता तो शायद उसकी इस मांग पर मैं फूले नहीं समाता। इतनी खूबसूरत लड़की और वो चाहती थी कि वो मेरे जाँघों पे जेल क्रीम से मालिश करे… कौन मर्द ये नहीं चाहेगा कि एक बला की खूबसूरत हसीना अपने नाज़ुक नाज़ुक हाथों से उसकी मालिश करे और वो भी जाँघों पे। लेकिन पता नहीं क्यूँ मुझे अचानक से रेणुका का ख़याल आने लगा.. कहीं मैं उसके विश्वास के साथ दगेबाज़ी तो नहीं कर रहा… अगर उसे पता चला तो वो क्या समझेगी.. तरह तरह के सवाल मेरे मन में आने लगे।
‘क्या हुआ… क्या सोचने लगे… देखा ना मुझे पता था कि आपने मुझे माफ़ नहीं किया…’ वंदना ने मेरा ध्यान तोड़ते हुए फिर से रोने वाली शक्ल बना ली।
‘अरे बाबा ऐसा कुछ भी नहीं है… तुम समझने की कोशिश करो, मैं यह जेल खुद ही लगा लूँगा… मैं वादा करता हूँ।’ मैंने उसे समझाते हुए कहा।
‘मुझे कुछ नहीं सुनना.. मैंने कह दिया सो कह दिया…’ उसने जिद पकड़ ली।
अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ… मुझे इतना पता था कि अगर उसने मेरी जाँघों को छुआ तो मैं अपने ज़ज्बातों पे काबू नहीं रख नहीं सकूँगा और लण्ड तो आखिर लण्ड ही होता है… वो तो अपना सर उठाएगा ही… हे भगवन, अब आप ही कुछ रास्ता दिखाओ…!!
शायद भगवन ने मेरी सुन ली और एक रास्ता दिखा दिया… हुआ यूँ कि अचानक से बिजली चली गई और पूरे कमरे में अँधेरा छा गया…
हम दोनों एक दूसरे का हाथ थामे चुपचाप खड़े थे… कमरे में सिर्फ हमारी साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
मैंने एक बार फिर से उसे समझाने के लिए उसके हाथों को जोर से पकड़ा और उसके चेहरे के पास अपना चेहरा ले जाकर धीरे से कहा- यह ठीक नहीं है वंदना… मान भी जाओ..देखो हमें देर भी हो रही है… और मैंने कहा न कि मैं दवा लगा लूँगा।
मैंने धीरे से फुसफुसा कर उसके कान में कहा।
मेरे बोलते वक़्त मेरी साँसें गर्म हो चुकी थीं और उसके गालों पे पड़ रही थीं। शायद इससे उसकी आग और भड़क गई और उसने भी उसी तरह फुसफुसाते हुए गर्म साँसों के साथ मेरे कान के पास अपने होंठ लाकर कहा- प्लीज समीर जी… मान जाइये, मेरी खातिर… मुझे लगेगा कि मैंने जो गलती की है उसके बदले आपकी मदद कर रही हूँ… प्लीज !
उसने अपने साँसों की खुशबू मेरे चेहरे पे छोड़ते हुए इतने सेक्सी अंदाज़ में कहा कि मेरे तो रोम रोम सिहर उठे।
आप सबने यह महसूस किया होगा कि जब इंसान वासना की आग में गर्म हो जाता है तो उसकी फुसफुसाहट काम भावना का परिचय देती है, ऐसा ही कुछ मुझे उस वक़्त महसूस हो रहा था।
‘मैं जानती हूँ कि आपको शर्म आ रही है… लेकिन शायद ऊपरवाले ने आपकी इस समस्या का हल भी भेज दिया है.. बिजली चली गई है और पूरा अँधेरा है… अब तो आपको शर्माने की भी कोई जरूरत नहीं है.. और अगर अब भी आप चाहोगे तो मैं अपनी आँखें बंद कर लूँगी… लेकिन दवा लगाए बिना नहीं जाऊँगी।’ अपनी जिद और अपनी मंशा ज़ाहिर करते हुए उसने मुझे पूरी तरह से विवश करते हुए मुझे धीरे से बिस्तर की तरफ धकेलते हुए बिठा दिया।
अँधेरे की वजह से वो कुछ देख नहीं पायेगी, इस बात की संतुष्टि तो थी लेकिन एक और भी डर था कि अँधेरे में उसका हाथ जाँघों से होता हुआ कहीं मेरे भूखे लंड पर गया तो फिर वंदना को चुदने से कोई नहीं बचा पायेगा… और मैं यह चाहता नहीं था क्यूंकि अब तक मेरे दिमाग से रेणुका का ख्याल गया नहीं था… और पिछले 3–4 दिनों से रेणुका को चोदा नहीं था.. अरविन्द भैया की वजह से हमें मौका नहीं मिला था।
और मैं जानता था कि मेरा लंड अगर उसके छूने से जाग गया तो अपना पानी झाड़े बिना नहीं मानेगा।
‘ऐसे नहीं… पहले मुझे यकीन होने दीजिये कि आपने सच में मुझे माफ़ कर दिया…’ उसने फिर से अपनी जिद भरी बातें कही।
‘तो अब तुम्हीं बताओ कि क्या करूँ जिससे तुम्हें यकीन हो जाए…’ मैंने सवाल किया।
‘अगर आपने सच में मुझे माफ़ किया है तो ये जेल मैं खुद आपके जलन वाली जगह पे लगाऊँगी, तभी मुझे यकीन होगा..’ उसने एक ही सांस में मेरी आँखों में आँखें डालकर बिना अपनी पलकें झपकाए कहा।
वंदना की बात सुनकर एक पल के लिए तो मैं स्तब्ध हो गया… ये लड़की क्या कह रही है… कसम से कहता हूँ दोस्तो, अगर मैंने उसकी माँ रेणुका को नहीं चोदा होता तो शायद उसकी इस मांग पर मैं फूले नहीं समाता। इतनी खूबसूरत लड़की और वो चाहती थी कि वो मेरे जाँघों पे जेल क्रीम से मालिश करे… कौन मर्द ये नहीं चाहेगा कि एक बला की खूबसूरत हसीना अपने नाज़ुक नाज़ुक हाथों से उसकी मालिश करे और वो भी जाँघों पे। लेकिन पता नहीं क्यूँ मुझे अचानक से रेणुका का ख़याल आने लगा.. कहीं मैं उसके विश्वास के साथ दगेबाज़ी तो नहीं कर रहा… अगर उसे पता चला तो वो क्या समझेगी.. तरह तरह के सवाल मेरे मन में आने लगे।
‘क्या हुआ… क्या सोचने लगे… देखा ना मुझे पता था कि आपने मुझे माफ़ नहीं किया…’ वंदना ने मेरा ध्यान तोड़ते हुए फिर से रोने वाली शक्ल बना ली।
‘अरे बाबा ऐसा कुछ भी नहीं है… तुम समझने की कोशिश करो, मैं यह जेल खुद ही लगा लूँगा… मैं वादा करता हूँ।’ मैंने उसे समझाते हुए कहा।
‘मुझे कुछ नहीं सुनना.. मैंने कह दिया सो कह दिया…’ उसने जिद पकड़ ली।
अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ… मुझे इतना पता था कि अगर उसने मेरी जाँघों को छुआ तो मैं अपने ज़ज्बातों पे काबू नहीं रख नहीं सकूँगा और लण्ड तो आखिर लण्ड ही होता है… वो तो अपना सर उठाएगा ही… हे भगवन, अब आप ही कुछ रास्ता दिखाओ…!!
शायद भगवन ने मेरी सुन ली और एक रास्ता दिखा दिया… हुआ यूँ कि अचानक से बिजली चली गई और पूरे कमरे में अँधेरा छा गया…
हम दोनों एक दूसरे का हाथ थामे चुपचाप खड़े थे… कमरे में सिर्फ हमारी साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
मैंने एक बार फिर से उसे समझाने के लिए उसके हाथों को जोर से पकड़ा और उसके चेहरे के पास अपना चेहरा ले जाकर धीरे से कहा- यह ठीक नहीं है वंदना… मान भी जाओ..देखो हमें देर भी हो रही है… और मैंने कहा न कि मैं दवा लगा लूँगा।
मैंने धीरे से फुसफुसा कर उसके कान में कहा।
मेरे बोलते वक़्त मेरी साँसें गर्म हो चुकी थीं और उसके गालों पे पड़ रही थीं। शायद इससे उसकी आग और भड़क गई और उसने भी उसी तरह फुसफुसाते हुए गर्म साँसों के साथ मेरे कान के पास अपने होंठ लाकर कहा- प्लीज समीर जी… मान जाइये, मेरी खातिर… मुझे लगेगा कि मैंने जो गलती की है उसके बदले आपकी मदद कर रही हूँ… प्लीज !
उसने अपने साँसों की खुशबू मेरे चेहरे पे छोड़ते हुए इतने सेक्सी अंदाज़ में कहा कि मेरे तो रोम रोम सिहर उठे।
आप सबने यह महसूस किया होगा कि जब इंसान वासना की आग में गर्म हो जाता है तो उसकी फुसफुसाहट काम भावना का परिचय देती है, ऐसा ही कुछ मुझे उस वक़्त महसूस हो रहा था।
‘मैं जानती हूँ कि आपको शर्म आ रही है… लेकिन शायद ऊपरवाले ने आपकी इस समस्या का हल भी भेज दिया है.. बिजली चली गई है और पूरा अँधेरा है… अब तो आपको शर्माने की भी कोई जरूरत नहीं है.. और अगर अब भी आप चाहोगे तो मैं अपनी आँखें बंद कर लूँगी… लेकिन दवा लगाए बिना नहीं जाऊँगी।’ अपनी जिद और अपनी मंशा ज़ाहिर करते हुए उसने मुझे पूरी तरह से विवश करते हुए मुझे धीरे से बिस्तर की तरफ धकेलते हुए बिठा दिया।
अँधेरे की वजह से वो कुछ देख नहीं पायेगी, इस बात की संतुष्टि तो थी लेकिन एक और भी डर था कि अँधेरे में उसका हाथ जाँघों से होता हुआ कहीं मेरे भूखे लंड पर गया तो फिर वंदना को चुदने से कोई नहीं बचा पायेगा… और मैं यह चाहता नहीं था क्यूंकि अब तक मेरे दिमाग से रेणुका का ख्याल गया नहीं था… और पिछले 3–4 दिनों से रेणुका को चोदा नहीं था.. अरविन्द भैया की वजह से हमें मौका नहीं मिला था।
और मैं जानता था कि मेरा लंड अगर उसके छूने से जाग गया तो अपना पानी झाड़े बिना नहीं मानेगा।