hotaks444
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ज्योति की बातों का मतलब मैं समझ गया था और मेरे होठों पे भी मुस्कान आ गई- घबराइए नहीं ज्योति जी… हम किसी को भी जबरदस्ती नहीं जगाये रखते… हमेशा दूसरों की चाहत का ख़याल रखते हैं…
मैंने भी अब ज्योति के दोअर्थी बातों का जवाब उसी के अंदाज़ में दिया।
‘हाय राम… अगर आप जैसा जगाने वाला हो तो मैं तो सारी उम्र जागने को तैयार हूँ…’ फिर से उसने शरारती अंदाज़ में कहा और इस बार मुझे ही आँख मार दी।
‘फिर तो हमारी खूब जमेगी…’ इस बार मैंने हल्के से उसे आँख मरते हुए कहा और हम तीनों एक साथ खिलखिला कर हंस पड़े।
खैर अब हम ज्योति के घर से बाहर निकले और उससे विदा ली… बाहर अब भी हल्की हल्की बारिश हो रही थी… ऐसी बारिश मुझे बहुत पसंद है, मेरा मन झूम उठा…
मैंने ज्योति से हाथ मिलाकर बाय कहा और वंदना ने उसे गले से लगा कर!
हम दोनों कार में बैठ गए और धीरे धीरे ज्योति की आँखों से ओझल होते हुए सड़क पर आ गये, हम दोनों के बीच ख़ामोशी थी। हम धीरे धीरे चले जा रहे थे.. अचानक फिर से बारिश तेज़ होने लगी और बिजलियाँ कड़कने लगीं।
बिजलियों की चमक में मेरा ध्यान वंदना के ऊपर गया तो मैंने उसके चेहरे पे डर का भाव देखा जो घर से आते वक़्त भी देखा था।
क्या मुझे वंदना से प्यार हो गया?
एक बात थी दोस्तो, जब हम घर से ज्योति के यहाँ आने के लिए चले थे तब और अब जब लौट रहे थे तब, मेरे और वंदना के बीच सबकुछ बदल सा गया था… क्यूंकि उस वक़्त मैं रेणुका जी के बारे में सोच सोच कर परेशां था और वंदना की तरफ ध्यान ही नहीं लगा पा रहा था, लेकिन वो कहते हैं न कि अक्सर कुछ पलों में जिंदगियाँ बदल जाती हैं… तो वैसा ही कुछ एहसास हो रहा था।
मैं यह नहीं कह रहा कि मुझे प्यार हो गया था.. क्यूंकि मैं यूँ एक नज़र में होने वाले प्यार और कुछ पलों में होने वाले प्यार पे यकीन नहीं करता, लेकिन एक बात जरूर मानता हूँ कि कुछ बदलाव जरूर आ जाते हैं कुछ पलों में…
मेरे होठों पे बरबस ही मुस्कान आ गई और अब मैं चोर नज़रों से अपने पास बैठी उस चंचल शोख़ हसीना के रूप और सौन्दर्य को निहारने लगा…
उसके चेहरे पे उसके बालों की एक लट बार-बार उसे परेशान कर रही थी और वो बार-बार उसे हटाने की कोशिश करे जा रही थी। अपनी धुन में बेखबर और कार में बज रहे हलके से संगीत पे हौले-हौले गुनगुनाती अपने लट को संभालती बाहर हो रही बारिश को निहारती वंदना मुझे अपनी तरफ खींचने लगी थी।
मैं उसे पसंद करने लगा था… और ये सहसा ही हुआ था।
मुझे यकीन होने लगा था कि अगर मैं रेणुका के मोह में इतना न उलझा होता तो शायद ये मेरे पास बैठी ख़ूबसूरत सी लड़की अब तक मेरे बाहुपाश में समां चुकी होती और शायद हम कई बार प्रेम के फूल खिला चुके होते।
यह सोच कर कर मैं मुस्कुराने लगा और धीरे से सड़क के किनारे एक बड़े से पेड़ के नीचे कार रोक दी।
कार रुकते ही वंदन ने मेरी तरफ देखा और फिर बड़े ही प्यार से अपनी आँखें नीचे कर लीं…
उसकी इस अदा ने मुझे घायल ही कर दिया.. मैं अब भी उसे देखे जा रहा था…
कहाँ तो थोड़ी देर पहले तक मैं वंदना को इतना सीरियसली नहीं ले रहा था लेकिन कुछ घंटे साथ में बिताने के बाद ही मैं उसकी तरफ आकर्षित होता जा रहा था…
बाहर तेज़ बारिश की बूंदों की आवाज़ और अन्दर एक गहरी ख़ामोशी…
‘खूबसूरत लड़कियों को देख कर बड़े ही रोमांटिक गज़लें निकल रही थीं जनाब के गले से…’ उस ख़ामोशी को तोड़ती हुई वंदना की आवाज़ मेरे कानों में पहुँची।
जब मैंने ध्यान से देखा तो अपना सर नीचे किये हुए ही बस अपनी कातिलाना निगाहों को तिरछी करके उसने मुझे ताना मारा।
उफ्फ्फ यह अदा… ऐसे अदा तब दिखाई देती है जब आपकी प्रेमिका आपसे इस बात पर नाराज़ हो कि आपने उसके अलावा किसी और की तरफ देखा ही क्यूँ…!! वैसे इस नाराज़गी में ढेर सारा प्यार छुपा होता है…
मैंने भी अब ज्योति के दोअर्थी बातों का जवाब उसी के अंदाज़ में दिया।
‘हाय राम… अगर आप जैसा जगाने वाला हो तो मैं तो सारी उम्र जागने को तैयार हूँ…’ फिर से उसने शरारती अंदाज़ में कहा और इस बार मुझे ही आँख मार दी।
‘फिर तो हमारी खूब जमेगी…’ इस बार मैंने हल्के से उसे आँख मरते हुए कहा और हम तीनों एक साथ खिलखिला कर हंस पड़े।
खैर अब हम ज्योति के घर से बाहर निकले और उससे विदा ली… बाहर अब भी हल्की हल्की बारिश हो रही थी… ऐसी बारिश मुझे बहुत पसंद है, मेरा मन झूम उठा…
मैंने ज्योति से हाथ मिलाकर बाय कहा और वंदना ने उसे गले से लगा कर!
हम दोनों कार में बैठ गए और धीरे धीरे ज्योति की आँखों से ओझल होते हुए सड़क पर आ गये, हम दोनों के बीच ख़ामोशी थी। हम धीरे धीरे चले जा रहे थे.. अचानक फिर से बारिश तेज़ होने लगी और बिजलियाँ कड़कने लगीं।
बिजलियों की चमक में मेरा ध्यान वंदना के ऊपर गया तो मैंने उसके चेहरे पे डर का भाव देखा जो घर से आते वक़्त भी देखा था।
क्या मुझे वंदना से प्यार हो गया?
एक बात थी दोस्तो, जब हम घर से ज्योति के यहाँ आने के लिए चले थे तब और अब जब लौट रहे थे तब, मेरे और वंदना के बीच सबकुछ बदल सा गया था… क्यूंकि उस वक़्त मैं रेणुका जी के बारे में सोच सोच कर परेशां था और वंदना की तरफ ध्यान ही नहीं लगा पा रहा था, लेकिन वो कहते हैं न कि अक्सर कुछ पलों में जिंदगियाँ बदल जाती हैं… तो वैसा ही कुछ एहसास हो रहा था।
मैं यह नहीं कह रहा कि मुझे प्यार हो गया था.. क्यूंकि मैं यूँ एक नज़र में होने वाले प्यार और कुछ पलों में होने वाले प्यार पे यकीन नहीं करता, लेकिन एक बात जरूर मानता हूँ कि कुछ बदलाव जरूर आ जाते हैं कुछ पलों में…
मेरे होठों पे बरबस ही मुस्कान आ गई और अब मैं चोर नज़रों से अपने पास बैठी उस चंचल शोख़ हसीना के रूप और सौन्दर्य को निहारने लगा…
उसके चेहरे पे उसके बालों की एक लट बार-बार उसे परेशान कर रही थी और वो बार-बार उसे हटाने की कोशिश करे जा रही थी। अपनी धुन में बेखबर और कार में बज रहे हलके से संगीत पे हौले-हौले गुनगुनाती अपने लट को संभालती बाहर हो रही बारिश को निहारती वंदना मुझे अपनी तरफ खींचने लगी थी।
मैं उसे पसंद करने लगा था… और ये सहसा ही हुआ था।
मुझे यकीन होने लगा था कि अगर मैं रेणुका के मोह में इतना न उलझा होता तो शायद ये मेरे पास बैठी ख़ूबसूरत सी लड़की अब तक मेरे बाहुपाश में समां चुकी होती और शायद हम कई बार प्रेम के फूल खिला चुके होते।
यह सोच कर कर मैं मुस्कुराने लगा और धीरे से सड़क के किनारे एक बड़े से पेड़ के नीचे कार रोक दी।
कार रुकते ही वंदन ने मेरी तरफ देखा और फिर बड़े ही प्यार से अपनी आँखें नीचे कर लीं…
उसकी इस अदा ने मुझे घायल ही कर दिया.. मैं अब भी उसे देखे जा रहा था…
कहाँ तो थोड़ी देर पहले तक मैं वंदना को इतना सीरियसली नहीं ले रहा था लेकिन कुछ घंटे साथ में बिताने के बाद ही मैं उसकी तरफ आकर्षित होता जा रहा था…
बाहर तेज़ बारिश की बूंदों की आवाज़ और अन्दर एक गहरी ख़ामोशी…
‘खूबसूरत लड़कियों को देख कर बड़े ही रोमांटिक गज़लें निकल रही थीं जनाब के गले से…’ उस ख़ामोशी को तोड़ती हुई वंदना की आवाज़ मेरे कानों में पहुँची।
जब मैंने ध्यान से देखा तो अपना सर नीचे किये हुए ही बस अपनी कातिलाना निगाहों को तिरछी करके उसने मुझे ताना मारा।
उफ्फ्फ यह अदा… ऐसे अदा तब दिखाई देती है जब आपकी प्रेमिका आपसे इस बात पर नाराज़ हो कि आपने उसके अलावा किसी और की तरफ देखा ही क्यूँ…!! वैसे इस नाराज़गी में ढेर सारा प्यार छुपा होता है…