Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी - Page 3 - SexBaba
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Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

पता नहीं तब तक मेरी बुद्धि कहाँ जा चुकी थी, मेरी चुत से नदी बह रही थी, मम्मे और चूचियाँ बुरी तरह दुःख रहे थे लेकिन उनका मीठा मीठा दर्द मेरे शरीर में आग लगा रहा था, मैंने धीरे से पूछा- कहाँ और कैसे?

बस, फिर क्या था, दोनों की आँखों में चमक आ गई।

लम्बे कद वाला लड़का बोला- अंसल प्लाज़ा उतर जाते हैं। उसके पार्क में कोई नहीं आता। उसका कैम्पस बड़ा है, और वहाँ काफी जंगल है। मुझे एक दो जगह मालूम हैं, वहाँ कहीं अपना काम बन जाएगा।

अंसल प्लाजा तो अगला ही स्टॉप था!
सोचने या संभलने का मौका मिले, इससे पहले ही मैं उनके साथ मेट्रो से उतर चुकी थी।

जैसे ही मैं उन दोनों के साथ स्टेशन से बाहर निकली, मुझे थोड़ा होश आया। यह मैं क्या कर रही थी? पर तब तक लम्बा लड़का एक ऑटो रोक चुका था और हम तीनों उस ऑटो में सवार हो गए।
उसने ऑटो वाले को रास्ता बताया।

मेरी किस्मत खराब भी या पता नहीं अच्छी थी, यह वही ऑटो वाला था जिसकी मैंने कुछ देर पहले गालियाँ देते हुए माँ बहन एक की थी।
इतने में दूसरे लड़के ने मुझे बीच में बैठा कर मेरा बैग मेरे घुटनों पर रख दिया। इस तरह ऑटो वाले की निगाह बचा कर उसने फिर मेरे मम्मे और चूचियाँ मसलने शुरू कर दिए। मेरे बदन में फिर से गर्मी आने लगी।

पर तब तक डर भी लगने लगा था, मैं एक शादीशुदा जवान औरत एक नहीं, दो बिल्कुल अनजाने मर्दों से चुदने जा रही थी, मुझे तो यह भी पता नहीं था कि ये कंडोम इस्तेमाल करेंगे या नहीं।

ऑटो चले जा रहा था और रास्ता सुनसान हो गया था, सड़क पतली थी। आखिर हिम्मत जुटा कर मैंने लम्बे लड़के से फुसफुसा के कहा- आज नहीं करते, कभी और करवा लूँगी, आज जाने दो।

उसने बोला- ऐसा मत बोल रानी, आज बात बन रही है, इसे तोड़ मत, इतना आगे आकर पीछे मत हट। हम दोनों दोस्त मिलकर तुझे बहुत प्यार से चोदेंगे।
मैंने कहा- देखो मैंने पहले कभी नहीं किया है, मेरे साथ ऐसा मत करो, मुझे जाने दो, शादीशुदा औरत हूँ।

हमारी बातों से ऑटो ड्राईवर को शायद शक हो गया, अचानक ऑटो किनारे पर रोक कर बोला- तुम लोग इस मैडम को जानते हो?

मुझे आशा बंधी कि ऑटो ड्राईवर के होते ये लड़के मेरे साथ कुछ नहीं कर सकते, मैंने कहा- हम मेट्रो में मिले थे और ये मुझे बेवक़ूफ़ बना कर यहाँ लाये हैं। कृपया मुझे वापस ले चलिए।

‘अरे! आप तो वही मैडम हो, जो अभी कुछ देर पहले ही हमको ज़बरदस्त गरियाई थीं?’
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, आखें झुका लीं।

मैं अपनी गलती से फंस चुकी थीं। अब मुझे बस इतना लग रहा था कि इनको जो भी करना है फटाफट हो जाए ताकि मैं इस मुसीबत से निकलूं।

दूसरा लड़का बोला- चुप साली! मेट्रो में तो टांगें चौड़ी कर रही थी, मम्मे दबवा रही थी और चुदने को रजामंद होकर हमारे साथ यहाँ आई, और अब बात से फिरती है?

फिर ऑटो ड्राईवर से बोला- देख चुपचाप चला चल, इसकी चुत तो आज हम फाड़ेंगे ही, चाहे कुछ भी हो जाए। अगर तू बीच में पड़ेगा तो पिटेगा, अगर साथ देगा तो तू भी इसकी ले लेना।

‘तुम भैया फिकर मत करो, बहुत गालियाँ दे रही थी। मुझे शक था रंडी ही होगी। फिकर मत करो, ऐसी जगह ले चलेंगे कि पूरी रात भी इसको चोदोगे तो कोई नहीं आएगा वहाँ!’
इस पर वे दोनों जोर जोर से हंस पड़े।

ऑटो ड्राईवर बोला- साली बहुत गालियाँ दे रही थी, मुझे पहले ही शक था कि ये रंडी होगी, फिक्र ना करो, इसे ऐसी जगह ले चलेंगे कि पूरी रात इसकी चूत गांड चुदाई करेंगे और कोई नहीं आयेगा वहाँ!
इस पर वे दोनों जोर जोर से हंस पड़े।

उसने मेरा बैग हटा दिया और मेरी टी-शर्ट पूरी तरह ऊपर कर दी। दूसरे लड़के ने मेरी जीन्स का बटन खोलकर ज़िप खोल दी। मैं उन दोनों के बीच में थी, एक मेरी चुत को मसल रहा था और एक मेरी चूचियाँ चूस रहा था।
ऑटो ड्राईवर के भूखी निगाहें मेरे सीने पर गड़ गईं।

लम्बे लड़के ने उसके सामने मेरे मम्मे मसलने शुरू कर दिए। ऑटो ड्राईवर ने हाथ बढ़ा कर मेरे नंगे सीने को टटोला, मेरी चूचियाँ खींची और फिर दांत दिखा के बोला- क्या माल लाये हो! किराया भी मत देना।
‘भोसड़ी के, ऑटो चला पहले, एक्सीडेंट हो गया तो सबकी मां चुद जाएगी।’

ऑटो वाले ने खिसिया कर अंसल प्लाज़ा के पार्क में ऑटो घुसेड़ दिया। बस, फिर तो मैं समझ गई कि आज चुत खाली खुलेगी ही नहीं, चौड़ी भी होगी।

पार्क में कोई सिक्यूरिटी नहीं थी, ऑटो अन्दर चल पड़ा और थोड़ी देर में एक कच्चे रास्ते पर उतर गया।
थोड़ी देर के बाद ऑटो को रोक कर तीनों उतर गए और मुझे भी उतरने के लिए कहा।
मैं डर रही थी लेकिन चुदने का समय आता देख कर मेरे मन में रोमांच पैदा होने लगा।

‘प्लीज मुझे जाने दो, मैं एक शादीशुदा बच्चों वाली औरत हूँ।’ पर दिखावे के लिए मैंने उनको गिड़गिड़ाते हुए मना भी किया लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
लम्बा लड़का बोला- देख, खड़े लंड पर लात मत मार, चुपचाप चुदवा ले तो प्यार से चोदेंगे, खूब मजा देंगे तुझे!

दूसरा लड़का बोला- सुभाष, इसका उद्घाटन मैं करूंगा!
तो लम्बा लड़का बोला- नहीं रे, इस घरेलू हाउस वाइफ को पहले मैं चोदूंगा। मैंने इसे पटाया था, इसकी चुत की चुदाई मैं पहले करूँगा।’
यह कह कर सुभाष ने मेरी जीन्स खींच के उतार दी, मेरे चूतड़ मोटे हैं, जीन्स मेरी जांघ पर फंसी हुई थी, वो मेरे गोरे बड़े बड़े चूतड़ों को सहला रहे थे।

ऑटो ड्राईवर बोला- बाबा रे बाबा, पेंटी भी नहीं पहनी है। तुम लोग ठीक कह रहे थे, यह साली शरीफ घरेलू औरत बोलती है पर रंडी है।

फिर वे मुझे पेड़ों के बीच एक झुरमुट में ले गए- चल यहाँ सूखे पत्तों पर फटाफट लेट जा!
एक झटके में उन्होंने मुझे ज़मीन पर लिटा दिया।

तीनों अपने कपड़े उतारने लगे और मुझे पर टूट पड़े, मेरे मम्मों को नोचने लगे, अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में घुसाने लगे और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरी चुत चाटने लगे।

‘साली तेरी चुत तो इतनी गीली है और बोल रही है कि चुदवाना नहीं चाहती। इसमें मेरा लंड ऐसा जायेगा जैसे मक्खन में छुरी! आज तो तुझे ऐसा चोदूँगा रांड कि तेरी सारी प्यास बुझ जायेगी।’

मुझे मजा आ रहा था, डर लग रहा था और सचमुच में आज कई महीनों के बाद मेरी सामूहिक चुदाई होगी, इस ख्याल से मेरे दिल में रोमांच भी हो रहा था।
एक साथ तीन मर्द मेरे शरीर को आज बेरहमी से इस्तेमाल करने वाले थे। मैंने कई बार उंगली चुत में घुसाने की कोशिश की थी, लेकिन इतना दर्द होता था कि आगे बढ़ नहीं पाती थी, अपने हाथ से चुत को ठंडा करना मुश्किल है, पर ये लड़के तो बिना घुसाए मानेंगें नहीं। आज तो यह होना ही था।

‘जीन्स पूरी निकाल दे डार्लिंग, जितना सपोर्ट करेगी उतना मजा लेगी। वैसे नाम क्या है तेरा?’ उसने मेरी जीन्स खींचते हुए पूछा।
‘जी पूजा!’ मैंने झूट बोला। मैं यही सब सोच रही थी कि जितनी जल्दी सब हो जाए उतनी जल्दी जान छूटे मेरी।

‘पूजा, पैर ऊपर करके खोल, डर मत बहुत आराम से डालूँगा।’

अचानक मैंने महसूस किया कि सुभाष ने अपने लंड का सुपारा मेरी चुत पर रख दिया और धीरे धीरे थूक लगाकर धक्का लगाना शुरू कर दिया था।
‘आआईईई ई…ई… अम्मा मेरी मैं तो मरी…आह्हह हह्हह…’

वह मेरे ऊपर लेटा हुआ था उसकालंड मेरी चुत में गहराई तक उतर गया था और मेरी टांगें जितनी फैल सकती थी, फैला रखी थी।
मैं अभी इस बात को समझ ही रही थी कि दूसरे लड़के ने अपना लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया और अन्दर बाहर करने लगा।
सुभाष ने लंड पर जोर डालना शुरू कर दिया था।

‘आहहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… दर्द हो रहा है… प्लीज जाने दो न…’ मुझे दर्द होने लगा, जैसे कोई डण्डा अन्दर जा रहा हो मुंह में से लंड बाहर निकाल कर मैंने कहा।
‘कुछ नहीं होगा मेरी रानी, तू तो शादीशुदा है। इतनी सेक्सी बनकर निकलेगी तो कोई भी समझ जायेगा कि तू पति से खुश नहीं है।’
सुभाष हांफते हुए जोर डालता रहा और धीरे धीरे उसका लंड मेरी चुत के अन्दर जाने लगा। हर थोड़ी देर में वो कुछ सेकंड को रुक कर पीछे खींचता और फिर आगे दबाता।

ऐसा लगा जैसे यह अनंत काल तक चला हो… सुभाष का लंड अब मेरी चुत में जड़ तक घुस चुका था।
एक मिनट रुक के सुभाष ने धक्के लगाने शुरू कर दिए, अब भी दर्द से बुरा हाल था लेकिन उसके धक्के तेज़ होने लगे। मेरी चुत थोड़ी ढीली हुई तो सुभाष ने धक्के लम्बे कर दिए। उधर उसका दोस्त ताबड़तोड़ मेरे मुँह को चोद रहा था।
ऑटो वाला मेरे मम्मे और चूचियाँ मसलने में मस्त था।
 
‘एक बात बता पूजा, दुबारा बुलाऊंगा तो आएगी?’ सुभाष के धक्के अब मुझे अच्छे लग रहे थे, मेरी चुत से फच फच की आवाज़ आ रही थी।
‘अबे देख, कैसे गांड उठा उठा कर चुदवा रही है! बता न मादरचोद आएगी दुबारा?’ यह सुन कर मैं शर्म से पानी हो गई, सचमुच मैं सब कुछ भूलकर चुदाई का मजा लेने लगी थी।

‘हाँ आ जाऊँगी लेकिन इस तरह से खुले में बहुत रिस्क है।’ मैंने लंड मुँह से निकाल कर जवाब दिया।

ऑटो वाले के हाथों और मुँह में लंड के होने से चुत की चुदाई और भी मज़ेदार लग रही थी। वह बीच बीच में मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था।

अचानक मुझे सुभाष के धक्के बहुत ही तेज़ होते महसूस हुए। मेरी आँखें बंद थी और मेरी नाक में झाटों के बाल थे, इसलिए कुछ देख नहीं पा रही थी।

तभी सुभाष रुक गया, उसने अपना लंड मेरी चुत में जड़ तक घुसेड़ दिया और मुझे अहसास हुआ कि वह अपना पानी मेरी चुत में छोड़ रहा है। उसका गर्म गर्म लावा मैं अपनी चुत में महसूस कर रही थी।
मैं चिल्ला पड़ी- प्लीज़ अपना लंड निकाल लो। मेरे बच्चा रुक गया तो क्या होगा? प्लीज़ ऐसा मत करो। अन्दर पानी मत गिराओ यार…

लेकिन सुभाष ने अपना लंड निकालने की जगह मेरी चुत में और थोड़ा घुसा दिया।

दूसरा लड़का बोला- साली रांड, चुदने के लिए मर रही थी और अब बक रही है? जब तू रेस्टोरेंट में बैठी कॉफ़ी पी रही थी तब तेरे टिट्स दिख रहे थे। तब ही समझ गये थे कि तू चुदने के लिए निकली है।

जैसे ही सुभाष झड़ कर मेरी टांगों के बीच से उठा, मैंने टाँगें सिकोड़ना चाही- चल हट मुझे भी चोदने दे अब, ऐसी माल तो हज़ारों रुपये खर्च करके भी नहीं मिलेगी।

‘प्लीज जल्दी करो, कोई देख लेगा।’
‘कोई नहीं देखेगा, तू जवान खूबसूरत भूरी आँखों वाली हाउस वाइफ है। किस्मत से मिलता है ऐसा माल चोदने को।’ उसका दोस्त मेरी टांगों के बीच में आ गया, एक झटके में उसने मेरी टांगें उठा कर अपने कन्धों पर रख लीं और मेरी चुत को सहलाते हुए बोला- पूजा इस मुद्रा में लंड चुत में खूब गहरा जाता है। जब तेरी चुत में मैं अपना वीर्य छोड़ूंगा तो सीधे तेरी बच्चेदानी में जाएगा।

‘ठीक है लेकिन जल्दी चोद लो प्लीज, बहुत रात होने वाली है।’ फिर मैंने लंड को अपने एक हाथ से पकड़कर चुत के मुंह पर रखा और उसे धक्का देने का इशारा किया।

उसने एक दमदार धक्का दिया और लंड सरकता हुआ अंदर चला गया। तो मुझे बहुत ज़ोर से दर्द हुआ और मैं चिल्ला उठी- ऊईईईईई मां… थोड़ा धीरे अह्ह ह्ह प्लीज धीरे करो!

फिर उसने दूसरा झटका मारा तो आधा लंड मेरी चुत में चला गया और मैं ज़ोर से चिल्लाई- आईईईई प्लीज थोड़ा धीरे धीरे करो।
इससे पहले कि मैं कुछ भी कहती, उसने एक झटके में पूरा अपना लंड मेरी चुत में उतार दिया।

‘अह्हह्ह ह्हह्हह… आराम से… पत्नी हूँ किसी की, कोई रंडी नहीं हूँ। आह्ह…मर गई…’ मैं चिल्ला पड़ी तो ऑटो ड्राईवर ने मेरे खुले मुंह में अपना लंड घुसा कर मेरी आवाज़ बंद कर दी।

‘इतनी चुदक्कड़ होकर भी तू इतना डरती है। तू बोल तो हम दोनों तुझे रोज़ चोदने आ जाएँ, तेरे पति को कानो कान खबर तक नहीं होगी।’

एक बार फिर मेरी डबल चुदाई शुरू हो गई। मेरी टांगें अब करीब करीब मेरे सर तक पहुँच चुकी थी और मेरी चुत के पूरी गहराई में लंड जा रहा था।

दूसरे लड़के ने भी अपना पानी मेरी चुत में छोड़ दिया।

मैं अब तक थक चुकी थी, मुँह थक गया था, चुत दुःख रही थी और शरीर पसीने, मिट्टी और वीर्य से लथपथ था लेकिन अभी अंत कहाँ? अब ऑटो वाले की बारी थी।

‘मैडम झुकिए न थोड़ा… कुतिया बन जाइये!’ उसने मुझे उठा कर घुटने के बल झुकने को कहा।
‘चोद ले मादरचोद, तू भी अपनी प्यास बुझा ले एक शरीफ औरत को चोद कर!’ दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा था, न शरीर में दम था।मैं चुपचाप उसकी बात मान गई।

उसने कुतिया बना दिया, फिर उसने मेरे पीछे जाकर पीछे से मेरी चुत पर अपना काला मोटा बिहारी लंड सटाया, मैंने पीछे हाथ बढ़ा कर उसको चुत की पंखुड़ियों को खोलते हुए सेट किया- ‘अआह्हह… धीर धीरे डाल हरामी मादरचोद… तेरी रंडी बीवी नहीं हूँ मैं… अआक्क्क…’ मेरे दर्द का जैसे उस पर कोई असर नहीं हुआ, मेरे सर को उसने ज़मीन की तरफ किया और कुतिया बना कर मुझे जोर जोर से चोदने लगा।

मैंने देखा कि सुभाष और उसके दोस्त ने कपड़े पहनने शुरू कर दिए थे। कम से कम ये दोनों मुझे कई बार नहीं चोदेंगे। ऑटो वाले के हर झटके के साथ उसका पूरा लंड मेरी चुत में जाता और मुझे उसकी झाटें अपनी गांड पर महसूस होतीं।
घोड़ी बनाकर वह चोदते हुए मेरे मम्मे भी दबा रहा था।

मुझे अहसास हुआ कि मुझे मजा आ रहा था, मैं थक गई थी और दर्द हो रहा था, मेरे घुटने छिल गए थे लेकिन घोड़ी बन कर चुदना मेरी सबसे मनपसंद पोजीशन है।

‘बहुत गालियाँ दे रही थी न तू मुझे साली रांड… तेरी चुत का भोसड़ा न बना दिया तो भजन लाल मेरा नाम नहीं!’ वह पूरा जंगली बना मुझे चोद रहा था।
उसकी स्पीड बढ़ती ही जा रही थी, उसका काला मोटा लंड सच में मेरी चुत का भजिया बना रहा था।

‘आह्हह्ह ह्हह्हह… मेरा पानी निकल रहा है साली रंडी! तूने चुदाई करवा कर आत्मा तृप्त कर दी!’ अगले ही पल उसने मुझे मेरी कमर को पकड़ कर कस कर भींच लिया।
उसका गर्म बहता हुआ लावा मैं अपनी चुत में महसूस कर रही थी जो बहता हुआ बाहर मेरी जांघों तक आ रहा था।

ऑटो ड्राईवर ने भी अपना पानी मेरी चुत में छोड़ा और फिर अपना लंड निकाल लिया।


सुभाष और उसका दोस्त कपड़े पहन चुके थे, उन्होंने मेरी टी-शर्ट और जीन्स मेरी ओर उछालते हुए कहा- जल्दी से पहन लो, यहाँ से निकलते हैं।
‘नम्बर तो देकर जा यार?’
‘जल्दी नोट करो, बहुत देर से निकली हुई हूँ।’

पाँच मिनट बाद हम वापस उसी मेट्रो स्टेशन पहुँच गए। मेरा बैग मुझे पकड़ा कर सुभाष और उसका दोस्त किसी और ट्रेन में चढ़ गए, और ऑटो रिक्शा वाला चला गया।

मैं थोड़ी देर तक स्टेशन पर बैठ कर अपने टांगों के बीच में बहते चिपचिपे वीर्य, अपने मम्मों के ज़ख़्म और चुत के दर्द को महसूस करती रही।
मैं उन दोनों लड़कों और ऑटो वाले से पूरी रात चुदवाना चाहती थी लेकिन शादीशुदा औरत थी कोई रंडी नहीं, इसलिए मन मसोस कर चुपचाप वापस आ गई।
किसी से कुछ कह ही नहीं सकती थी।

घर आते वक्त जब अपनी गली में दाखिल होने लगी तो वहाँ मेरे कॉलेज का मेरा एक स्टूडेंट गोविंद बैठा था। हमारी गली की दूसरी तरफ़ रास्ता नहीं है, बंद गली है।
गोविंद पर जैसे ही मेरी नज़र पड़ी, उसने कहा- हाय मैडम हाऊ आर यू? मैडम मैं आपसे इंग्लिश की कोचिंग लेना चाहता हूँ।
‘ओह! ऐसा क्या? तो इतनी रात में यहाँ बाहर क्यों बैठे हो, अन्दर आकर बात करो।’
‘अभी आपके पति हैं। फिर कभी आऊंगा।’

‘ठीक है। तुम कल से आना शुरू कर दो।’ मैंने उसको ऊपर से नीचे तक देखते हुए जवाब दिया।
‘मैडम ये खाने के लाई हो या कुछ और…?’ मेरे हाथ में केलों के थैले की तरफ इशारा करते हुए पूछा।

मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ देखा- शैतान कहीं का…
‘उफ़्फ़ क्या कहूँ… उसका दूसरा हाथ तो उसकी पैंट पर था और वो लंड को पैंट पर से सहला रहा था। मैं थोड़ा सा शरमा गई लेकिन फिर हिम्मत करके हल्की सी मुस्कुराहट देकर आँख मार दी और घर पहुँच गई।

मेरी प्यासी जवानी को जल्द ही नया जवान स्टूडेंट का लंड मिलने वाला था। मुझे ख़ुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि मैं तो दिन भर जवान लंडों के बीच ही रहती हूँ फिर इतना तड़पना क्यों था अब तक!
 
ऑटो ड्राईवर और दो लड़कों से चुत चुदाई के बाद जब मैं घर पहुँची तो मेरा शौहर दोस्तों से मिलकर आ चुका था और लेट नाईट टीवी देखते हुए शराब पी रहा था।
मैंने भी कपड़े बदल कर गाउन पहना, फिर एक पैग बनाया और शौहर के साथ बैठ कर पीने लगी।
सारा बदन अभी भी दुःख रहा था।
मेरा शौहर सोच भी नहीं सकता था कि उसकी जोरू अभी आधे घंटे पहले तीन तीन मर्दों से रंडी बनी चुत चुदाई करवा रही थी।

‘कहाँ गईं थीं। इतनी शाम को शाज़िया?’ उन्होंने मेरी तरफ देखकर पूछा।
‘बाज़ार से सब्जी लेने गई थी।’
‘सब्जी लेने में इतना टाइम लगता है। अभी तेरा यह हाल है मेरे पीछे में तो तू क्या रंडीखाना मचाती होगी… खैर ठीक है, इसको थोड़ा ऊपर कर न…’ सवाल करते हुए चार-पाँच मिनट के बाद शौहर वसीम शराब पीते-पीते ही मेरी सफ़ेद गाउन के ऊपर से मेरे मम्मे दबाने लगा।

मैं दिल ही दिल में डर गई थी, मेरे घुटने छिले हुए थे चूचियों पर नोचने खसोटने के लाल ललितान थे।

‘थोड़ा सहलाओ इसको!’ और फिर उसने बरमूडा से अपनी लुल्ली बाहर निकाल कर मेरा हाथ उस पे रख दिया। मेरे एक हाथ में शराब का पैग था, एक हाथ से मैं उसे सहलाने लगी तो लुल्ली अकड़ कर करीब चार इंच की हो गई।

‘शाज़िया मुँह में ले इसको!’ फिर हमेशा की तरह उसने मुझे इशारे से उसे चूसने को कहा।
मैंने अपना शराब का गिलास खाली किया और सोफे से उतर कर नीचे बैठ गई। फिर झुक कर उसकी लुल्ली अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से चूस… तेरे लिप्स की रगड़ से मेरे लौड़े में आग सी लग जाती है।’

मुझे लगा कि आज मेरा शौहर मुझे रात भर जमकर रगड़ेगा लेकिन एक मिनट भी नहीं हुआ था कि उसकी लुल्ली ने अपना पानी फ़च्छ फ़च्छ करते हुए मेरे मुँह में छोड़ दिया।
वसीम हाँफ रहा था लेकिन मैं शायद आज ज्यादा बेचैन थी।

‘चोद न मादरचोद…’ उसका पानी गट गट हुए मैं सोच रही थी। मुझे उम्मीद तो नहीं थी पर फिर भी मैंने शौहर की तरफ इल्तज़ा भरी नज़रों से देखा।
‘चल जाकर सो जा!’ उसने मुझे झिड़क दिया।

‘नामर्द साला… वापस ही क्यों आया, वहीं मर जाता।’ मैंने दिल ही दिल में उसे गाली दी। होंठों को हाथ से ही साफ किया और अपने लिये दूसरा पैग बना कर अंदर दूसरे कमरे में चली गई।

मैं खिड़की के पास बैठी शराब की चुस्कियाँ लेने लगी तो मुझे वो ब्लू फिल्म याद आ गई। जो मुझे कॉलेज की प्रिंसपल मैडम डेलना ने दी थी।
मैंने तुरंत vcd on कर दी। अजीब से लंड थे उन गोरे लड़कों के उस फिल्म में जो एक पाकिस्तानी लड़की पोर्न स्टार नादिया अली को चोद रहे थे।

अचानक मेरा ज़हन लंड की बनावट पर गया जो मेरे शौहर से बिल्कुल अलग थी। उफ़्फ़… यह तो अजीब सा लंड था फिल्म में, जिस पर चमड़ी थी रोहित के लंड की तरह!

मेरी चुत बेहद गीली हो गई थी। मैं गाउन में हाथ डाले चुत को मसलती हुई वासना की आग में तड़पती हुई सो गई।

अगले दिन से मैंने कबीर को कोचिंग देना शुरू कर दी थी।
‘तुमको किसने बोला कि मैं कोचिंग पढ़ाती हूँ?’
‘मुझे रोहित ने बोला कि शाज़िया मैडम बहुत अच्छे से देती हैं।’
‘क्या?!!’ मैं उसका इशारा समझ रहीं थीं लेकिन वह मेरा स्टूडेंट था और रोहित से छोटा भी था।
‘म… मेरा मतलब रोहित बोला था कि शाज़िया मैडम बहुत अच्छे से कोचिंग देती हैं।’

‘हा हा हा… नॉटी।’ बरामदे में हम दोनों स्टडी टेबल पर अपनी अपनी कुर्सियों पर थे। वह मुझे चोदना चाहता था। मैं उस मासूम लड़के से चुदना चाहती थी तो हमारे बीच बहुत जल्दी सहमति बन गई।

‘मैडम आप उदास क्यों रहती हो, आपकी सेक्स लाइफ तो ठीक है न?’ उसने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर पूछा।
‘क्या बताऊँ तुमको कबीर… जब वो रात को बिस्तर में आते हैं तो मेरे सभी अंगों को मसल डालते हैं और उनका गुस्सा देखकर तो मैं डर जाती हूँ इसलिए मैं कई महीनों से ढंग से चुदी ही नहीं हूँ। ऐसा समझो कि इस उम्र में भी कुंवारी की कुंवारी ही हूँ।’ मैंने उससे झूट बोला जबकि एक दिन पहले ही मेरी ज़बरदस्त अंसल प्लाज़ा के पार्क में चुदाई हुई थी।

‘क्या कह रही हो मैडम?’
‘हाँ कबीर… मैं सच कह रही हूँ… उनका लंड आज तक मेरी चुत में ठीक से गहराई तक गया ही नहीं… उन्होंने पहली बार आते ही मुझे नंगी करके अपने लंड को सीधे मेरी गांड में घुसा दिया था… जिससे दर्द के मारे मैं रोने लगी थी।’

‘आपको गांड मरवाना पसंद नहीं है क्या?’
‘वह बात नहीं है कबीर, मैं भारतीय औरतों की तरह गांड मरवाने में झिझकती नहीं हूँ लेकिन उनसे जब कुछ नहीं होता है तो मेरी गांड में डिल्डो घुसाने लगते हैं। मैं दर्द से बिलबिलाती रही तब भी उन्हें दया नहीं आई और उन्होंने डिल्डो से करारा धक्का मारने के लिए प्रयास किया तो मैंने उन्हें जोर का धक्का मार कर पलंग के नीचे गिरा दिया था। गांड में डिल्डो लिए दूसरे कमरे में भाग गई थी। उसके बाद मैंने उनसे एक बार भी चुदाई नहीं कराई।’

‘मैडम जी यह तो गलत बात है… देखो शौहर बीवी में ये बातें तो होती ही रहती हैं… प्यार से चुदाई कराओ और मजा लेकर जिंदगी का लुत्फ़ उठाओ।’
‘नहीं कबीर, मेरे शौहर का लंड आप देखोगे तब आप को मालूम पड़ेगा कि ऐसी लुल्ली देखकर तो रंडी भी मना कर देगी।’
‘अच्छा! तब तो सच में एक बार देखना ही पड़ेगा… वैसे उनका हथियार कितना बड़ा और कितना ताकतवर है?’

‘बहुत… छोटा बच्चों की जैसा, एकदम नूनी लेकिन तू तो जवान है तेरी तो गर्लफ्रेंड तो खुश रहती होगी?’
‘नहीं मैडम। गर्लफ्रेंड होती तो आपको थोड़ी लाइन मारता? आपके बारे में एक बात सुनी है आप बुरा तो नहीं मानोगी?’
‘अरे! नहीं बोल न?’
‘आपके शौहर के ही दो दोस्तों ने आपको जमकर चोदा है।’

‘हाँ हा हा… शैतान… ज़रूर रोहित ने बोला होगा। दरअसल जब मेरे शौहर यहीं इंडिया में थे तो वह लोग घर पर आते थे इनके साथ शराब पीने को। यह तो दुबई चले गए वह लोग आते रहे। बस एक दिन मैंने भी बहुत पी रखी थी तो नशे में ‘भाभी प्लीज़… भाभी प्लीज़…’ करते करते उन्होंने पकड़ लिया तो मैं भी न नुकुर करते हुए पिघल गई थी।’

‘वाह मैडम, आप तो बहुत सेक्सी हो कॉलेज में सब आपको बहुत शरीफ औरत समझते हैं। तो क्या करते थे वो दोस्त आपके साथ?’
‘किसी के साथ सेक्स करने से मेरे शरीफ होने न होना का क्या ताल्लुक? यह मेरा निजी मामला है। हम भारतीय लोगों की सोच भी न…’

‘हा हा हा… सही बात, हम बचपन से ऐसे माहौल में रहते हैं कि पराये मर्द के साथ सेक्स को ग़लत मानने लगते हैं। भला किसी के साथ सहमति से सेक्स कर लेने से रिश्ते कैसे ख़राब हो सकते हैं। घटिया सोच है लोगों की।’

‘बिल्कुल सही, रिश्तों में नयापन लाने के लिए आजकल की नई पीढ़ी वाइफ स्वैपिंग काफी पसंद करती है। एक लड़का, एक लड़की एक छत के नीचे रहते हुए एक चुत के लिए तरस रहा है और एक लंड के लिए तड़पे… यह कैसी सोच है। विदेशो में बहन का पहला सेक्स पार्टनर उसका भाई ही होता है। और इससे परिवार में रिश्ते और गहरे होते हैं, प्यार बढ़ता है न कि घटता है।’

‘सही बात है, आखिर बहन बाहर भी तो किसी से चुदेगी ही फिर भाई क्यों नहीं? सुरक्षित भी और आसान भी!’
‘बिल्कुल, अगर बहन के साथ करने में झिझक है तो किसी दोस्त से खुलकर बात करो और सिस्टर स्वैपिंग कर लो।’


‘वाह मैडम, मान गए… आप तो अल्ट्रा मॉर्डन हो, घरेलू औरत शौहर के रहते हुए ग्रुप सेक्स करे, यह अभी अपने यहाँ बहुत आम नहीं हुआ है। वैसे आप लोग क्या पसंद करते हो लाइक वुमन ऑन टॉप?’

‘वैसे उनको तो बस मेरी गांड मारने में ही मजा आता है। कभी तो हम तीनों कई मिनट तक एक दूसरे का चूसते रहते हैं। मजा तो तब और दुगना हो जाता है… जब एक मेरे पीछे डाल कर चुदाई करता है, और एक आगे से! मैं दोनों के बीच फंसी रहती हूँ। लेकिन गांड मरवा कर कब तक गुज़ारा करूँ, चुत की आग सोने नहीं देती है।’

‘मैडम दर्द नहीं होता क्या? रोहित बता रहा था कि आपको गांड मरवाने में दर्द बहुत हो रहा था?’
‘उफ्फ उसने तुझे यह भी बता दिया। अरे यार, अचानक उसने वाशरूम में पकड़ लिया था। इसलिए खड़ी थी न, इसलिए होता है शुरू शुरू में… जब लंड जगह बना लेता है… तो चुत से ज्यादा मजा गांड मराने में मजा आता है। लेकिन चुत की चुदाई के बिना कैसा मजा?’

इस तरह की बातें करते करते मैं विचलित होने लगी, मुझे लगा कि ज्यादा और बातें हुई तो मैं झड़ने लगूंगी। अब मैंने कुर्सी पर बैठे हुए ही अपने पैर फैला दिए।

तभी उसने अपना हाथ आगे से खुले गाउन को खिसका दिया, अब वो मेरी गोरी जाँघों में अपने हाथ फेरने लगा।
मैं उसको मुस्कुराते हुए देख रही थी। धीरे धीरे उसने मेरी चड्डी को सरकाते हुए चुत के पास उंगली को लगा दिया और मेरी चुत को सहलाने लगा।
मैंने कुछ दिन पहले ही वीट से चुत की शेव की थी, चुत पर हल्के बाल थे।

उसने फिर उसने मुझे बांहों में भर लिया और मेरी दोनों चूचियों को दबा दिया। मैं उससे दिखावटी नाराज होने लगी। मैं अपनी कुर्सी सरकाकर उसके करीब आ गई थी।
वो बोला- मैडम बहुत मजा आएगा… मौसम भी साथ दे रहा है… मजा ले लो।
मैं चुप थी…

कबीर ने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपना लंड मुझे हाथ में पकड़ा दिया।
उसका लौड़ा पहले ढीला था… फिर धीरे धीरे एकदम से सख़्त हो गया।
मेरा मन उसका लंड लेने को हो गया… लेकिन मेरे शौहर कमरे में बैठे ड्रिंक कर रहे थे।

उसने मेरी ब्रा को पीछे से खोल दिया, अपने हाथ उसने मेरे गाउन में डाल कर मेरे चूचों को दबाने लगा।
मैं मादकता से सिसकार कर रह गई, मुझे अब अच्छा लगने लगा था, मैं चुदास के चलते उसके साथ सेक्स का खेल खेलने लगी थी।
मैंने उसकी पैन्ट को खोल दिया, अब उसका लंड एकदम तन गया था और मेरी चुत में घुसने को बेताब था।

‘आराम से आराम से… वे अन्दर ही हैं…’ उसने मेरा गाउन आगे से खोल कर मुझे नंगी कर दिया और मेरे तन बदन को चूमने लगा।
 
कुछ ही देर में मेरी नंगी चुत पानी छोड़ने लगी, मेरा मन उससे चुदवाने के लिए तैयार था।

‘आआहह्ह… अन्दर मेरे शौहर अल्ताफ हैं, यहाँ यह सब ठीक नहीं है।’ मैं कमरे की तरफ झांकते हुए सिसकार उठी।
‘मैडम आप बोलो तो बाहर किसी होटल में चलें?’ उसने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा।
‘बाहर कहाँ? होटल में किसी ने मुझे देख लिया तो? रेड पड़ गई तो रंडी कहलाऊँगी। वैसे भी मैं तुमसे बहुत बड़ी हूँ, क्या बोलूंगी होटल में कौन हो तुम मेरे?’

‘आप अपना लॉन्ग कोट पहन लेना, मैं हेलमेट लगा लूँगा, एक दोस्त है अकेला ही रहता है, उसके घर चलते हैं।’ कबीर का जवाब सुन कर मैं तैयार होने को बढ़ गई।

‘वसीम, मैं शॉपिंग के लिए जा रही हूँ। कबीर मुझे मर्केट तक छोड़ देगा, लेट हुई तो वहाँ से रिक्शा लेकर आ जाऊँगी। तुम्हारे लिए कुछ लाना है?’
‘बियर चाहिए जो तू नहीं ला पायेगी, जा अपना काम कर…’

‘मेरी बिना इन्सल्ट किये इस कुत्ते का दिल ही नहीं भरता!’ सोचते हुए मैं फटाफट तैयार होकर अपने स्टूडेंट कबीर के साथ निकल गई। मैंने लॉन्ग कोट के नीचे एक क्लब वियर टाइप रेड कलर की स्पघेटी (spaghetti) पहनी हुई थी।

कुछ ही देर में हम उसके एक दोस्त नदीम के घर में थे।

मैं अपने स्टूडेंट कबीर के साथ उसके एक दोस्त नदीम के घर में थी।
‘हाय नदीम? कैसा है?’
‘अच्छा हूँ तू बता? अचानक कैसे आ गया? अरे! यह तो अपनी इंग्लिश वाली टीचर शाज़िया मैडम हैं…? कैसी हो मैडम? अन्दर आइये न मैडम!’
‘आई एम फ़ाइन नदीम!’

मैं और कबीर अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गए, कबीर नदीम को एक तरफ लेकर गया और धीरे से उससे बात की- यार नदीम, मेरी एक हेल्प कर न?
‘हाँ बोल न। दोस्त के लिए जान भी हाज़िर है।’
‘यार तू कुछ देर के लिए फ्लैट से बाहर जा सकता है?’
‘अरे मैं दूसरे रूम में चला जाता हूँ। मौक़ा मिला है तो तू चोद ले, शाज़िया मैडम मस्त माल है यार! सुना है इसके शौहर के दोस्तों से चक्कर है। अभी इस उम्र में भी माल दिखती है। यार मुझे भी दिला न इसकी?’

‘बकवास मत कर, शाज़िया मैडम अब मेरी गर्लफ्रेंड है, कोई रांड नहीं है।’
‘ठीक है तू रूम के अन्दर चला जा मैं बाहर हूँ।’ नदीम ने रूम की तरफ इशारा करते हुए कहा।

इसके बाद कबीर मुझे लेकर रूम के अन्दर चला गया।

कबीर ओवरकोट को खुद और मुझको पूरी तरह से सर के ऊपर से ढकते हुए चिपट गया ताकि मेरा शरीर ओवरकोट से बाहर ना निकले। मैंने भी अपने शरीर को अपने स्टूडेंट से सटा दिया।

कबीर ने मुझसे कहा– मैडम, मैं एक बात तो तुझे बताना ही भूल गया।
मैं– कौन सी बात?
‘मैंने दोस्त नदीम को तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड बताया तब जा कर राज़ी हुआ।
‘लेकिन तूने ऐसा क्यों किया?’
‘ऐसा नहीं करता तो कमरा मिलना मुश्किल हो जाता। वह भी आपको चोदने की ज़िद कर रहा था।’
‘लेकिन मैं इतनी जवान थोड़े ही ना हूँ जो तेरी गर्लफ्रेंड दिखूंगी?’

‘अरे तू अभी भी एकदम जवान दिखती है।’
‘चल हट पगले… अच्छा अब जल्दी कर, मेरा शौहर बहुत शक्की है।’ मैंने कबीर हाथ पकड़ कर अपने कठोर भरे भरे मम्मों पर रख दिया, उसे करंट सा लगा।
मैं बोली- कबीर मेरी प्यास बुझा दो… मैं कब से तड़प रही हूँ।

इतना बोलते बोलते मैंने पैन्ट के ऊपर से ही कबीर के लंड को सहलाना शुरू कर दिया। उसका हाथ भी मेरे मम्मों पर चल रहा था, मैं मुँह से अजीब-अजीब आवाज निकाल रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…

उसका लंड भी अब पूरा तन चुका था, मैंने कहा- बाहर से दिखा यार… देखूं तो तू अपनी टीचर को संतुष्ट कर भी पायेगा?
कुछ समय के बाद मैं उठी और उसके घुटनों में बैठ गई, पैन्ट की चैन खोल कर उसका 7″ का लंड बाहर निकाला और एकदम से उस पर टूट पड़ी… जैसे कोई भूखा खाने पर टूटता है- वाह… कबीर तेरा तो बहुत मोटा है। अपनी प्यारी मैडम को इससे चोदेगा न?

‘हाँ मैडम आपका ही है यह!’
‘बोल कबीर क्या करूँ, आज मैं तेरी मैडम नहीं एक जवान औरत हूँ। अपनी रंडी बनाकर ट्रीट कर मुझे! बोल पहले ब्लो जॉब दूँ या पहले चोदेगा अपनी रंडी टीचर को?’
‘पहले ब्लो जॉब दो, मुँह में लेकर चूसो लंड को! आआहह्ह…’

ऐसा बोलते ही सेक्स के लिए पागल हो रही मैंने तुरंत झुककर उसका लंड अपने सुर्ख लिपिस्टिक लगे होंठों से चूसते हुए मुँह में ले लिया, मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैं उसके लंड को पूरा मुँह में ले कर चूसे जा रही थी।
 
अचानक उसने मेरे सर को पकड़कर जोर जोर से लंड को मेरे मुँह में चुदाई करना शुरू कर दिया। मैं लंड की भूखी थी, एक सधी हुई पोर्न स्टार की तरह मैं उसके लंड को अपने थ्रोट तक निगल रही थी।

‘आआहह्ह मैडम और जोर से और जोर से…’ वो सिसकारियाँ भरने लगा। फिर ऐसा लगा जैसे गर्म-गर्म लावा उसके लंड से निकल रहा हो, उसका पूरा माल मैं पी गई- वाह कबीर! मजा आ गया।

कबीर ने बताया- यह मेरा पहला मौका था कि किसी लड़की ने मेरा लंड अपने मुँह में लिया। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं अपनी प्यारी टीचर को इस तरह से चोदूँगा।

हम दोनों कमरे में दीवार के सहारे खड़े थे। मेरे होंठ कबीर के होंठों में थे, एक हाथ मेरी चूची पर और एक हाथ जांघों को सहलाता हुआ मेरी चुत को टटोल रहा था।


कुछ समय हम ऐसे ही खड़े रहकर एक दूसरे को गर्म करते रहे, उसने धीरे धीरे मेरे टॉप के स्ट्राइप को कंधे से उतारते हुए मम्मों पर हाथ फेरना शुरू किया जिससे उनमें फिर से कठोरता आ गई, बड़े बड़े भरे हुए दूध से सफ़ेद मम्मे छोटी सी गुलाबी ब्रा में कसे हुए थे। और उसका लंड भी धीरे धीरे दोबारा तन गया।

‘मैडम इसको निकाल दूँ?’ उसने मेरे टॉप की दूसरी स्ट्राइप को भी कंधे से उतार दिया।
‘मैं घूम जाती हूँ पीछे से ज़िप खोल कर निकाल दो, सलवटें पड़ गई तो बाहर सब शक करेंगे।’
उसने मेरे पीछे से ज़िप खोली और टॉप को ऊपर खींचते हुए निकाल दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा पेंटी और हाई हील की सैंडल में थी।

उसने मेरे खुले हुए काले घने बालों को एक तरफ करके गोरी पीठ पर छोटे से लाल तिल पर एक ज़ोरदार चुम्बन कर दिया। मैं सिसकार उठी।

तभी हमारी नज़र विंडो पर गई, वहाँ नदीम खड़ा हुआ हम दोनों को देख रहा था। कबीर ने चुपके से ही उसको जाने का इशारा किया। लेकिन उसने मुस्कुराकर चुप रहने का इशारा किया।

कबीर धीरे से मुझसे अलग हुआ और रूम से बाहर जाने लगा।
‘क्या हुआ कबीर? कहाँ जा रहे हो? मुझे कंडोम लगा कर चुदवाना पसंद नहीं है।’
‘नहीं कंडोम नहीं… बस अभी आया।’

वो बाहर जाकर अपबे दोस्त से बोला- क्या कर रहा है यार नदीम?
‘अरे यार, शाज़िया मैडम को चोद नहीं सकता तो कम से कम उनकी चुदाई देख तो लेने दे यार!’
‘अरे यार… तू भी न…’
‘प्लीज यार बस देख ही तो रहा हूँ, तू चोद साली को कुतिया की तरह!’

‘ठीक है, लेकिन ध्यान से वह देख न ले…’ कबीर वापस रूम में आ गया।
मैं बेड पर बैठी थी, कबीर ने आते ही मुझको धीरे से तकिये पर गिरा दिया और दूसरा तकिया मेरी कमर के नीचे रखते हुए जालीदार छोटी सी लाल थोंग पेंटी को खीच दिया, पैर ऊपर करते हुए मैंने उसका भरपूर सहयोग दिया।

मेरी ब्रा भी उतारते हुए उसने अपने भी कपड़े उतार दिए, अब हम जन्मजात नंगे थे।
मेरी टांगें ऊपर करके बेड के पास बैठ कर उसने अपना मुँह मेरी गोरी गुलाबी चुत पर लगा दिया।

‘आआह्ह ह्हह… कबीर! जोर जोर से चूस मेरी चुत… तू मेरा प्यारा स्टूडेंट है।’ मैंने सिसकारी लेते हुए और टांगें उचकाई और उसके सर पर अपना हाथ रख दिया।
उसकी जीभ मेरी गर्म चुत में घुसी हुई थी।

फिर उसने मेरे बड़े बड़े संतरे अपने मुँह में लेकर चूसने शुरू कर दिए और हाथ की उंगली मेरी गर्म गर्म चुत में डाल दी।
‘आआह्ह्ह्ह… कबीर अब रुक मत, जल्दी चोद दे मुझे! मेरी चुत प्यासी हो रही है।’ मुझे अपनी चुत ऐसे लग रही थी जैसे गर्म ज्वालामुखी दहक रहा हो।

फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, कुछ समय लंड चूसने के बाद मैं उठ गई और अपने गोल गोल मम्मे उसके मुँह पर रगड़ने लगी, उसने मेरी कठोर चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी, बोली- अब और मत तड़पाओ… अब मेरी चुत में अपना लंड डाल दो।

उसने भी देरी नहीं की और मुझको घोड़ी बना कर मेरी चुत में अपना मोटा लंड पेल दिया।
मैं तड़प उठी ‘उह्ह्ह हाह ह्ह्ह अह्ह ह्ह्ह्ह’ और बोली- इस लोहे के सरिए को बाहर निकालो… मैं मर गई…! तुम आजकल के लड़के देखने में छोटे हो लेकिन तुम्हारा लंड फौलाद है आआहह्ह… धीरे धीरे…

उसने देर नहीं की और अपना पूरा लंड बाहर खींच कर फ़िर से मेरी नंगी चुत में पेल दिया और कमर को कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से चुत चोदने लगा।

पहले तो मैं तड़प रही थी, पर अब मुझको मजा आ रहा था और मेरे मुँह से ‘उह्ह… अह्ह्ह… जोर से चोदो… फाड़ दो… फुद्दी को… ओउछ्ह्ह… मर गई आह ओह्ह्ह…!’ निकल रहा था।

मुझे ऐसा करते देख वह और जोर से धक्के मारने लगा।
फिर मैंने उसे जोर से पकड़ लिया और अपनी बुण्ड उठा उठा कर उसका साथ देने लगी, वो पूरे उत्साह के साथ अपनी टीचर को चोद रहा था।
करीब 10 मिनट बाद मैं झड़ गई, मेरी चुत से पानी निकला और उसके टट्टों को भिगो दिया।

उसने फिर मुझको बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरी टाँगें ऊपर करके मेरी पानी से नहाई हुई चुत में अपना लंड डाल दिया।
अब मुझको पूरा मजा आ रहा था और मैं बोल रही थी- आज फुद्दी चुदाई का पूरा मजा आया है।

फिर उसने पूरी ताकत के साथ धक्के मारने शुरू कर दिए तो मुझे लगा कि अब वह भी झड़ने वाला है, उसके मुँह से भी अब ‘अह्ह्हह उह्ह ह्ह’ की आवाज आ रही थी।
फिर एक गर्म पिचकारी मेरी चुत में पड़ी और उसका सारा माल मेरी चुत के अन्दर ही निकल गया।

‘मैडम! चूसो इसको।’ उसने अपना लंड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। जो माल उस लंड पर लगा था, मैंने चाट कर पूरा साफ कर दिया।

मैं अपने शौहर की बेरुखी के कारण पहली बार उनके दो दोस्तों से चुदी थी। फिर ऐसा चस्का लगा कि मेरी चुत नए नए लंड लेने को मचलने लगती थी जिसकी वजह से मैं अंसल प्लाजा के पार्क में दो अनजान लड़कों से और एक बिहारी ऑटो वाले से चुदवा चुकी थी, कॉलेज में मुझे रोहित और कई स्टूडेंट्स ने चोदा था।

मेरी चुत नए लंड को देखकर फुरफ़ुराने लगती थी।
इस वक्त मुझे अपने पति के दोस्त राज की काल का इंतज़ार है, उसने मुझे किसी होटल में ले जा कर मेरी चुत चुदाई करने को कहा था।
 
एक दिन मेरे पति अपने एक दोस्त को घर ले आये, उसका नाम दीपक था. उसने जैसे ही मुझे देखा, बस देखता रह गया.
फिर वे दोनों छत पर चले गये और दारू पीने लगे!
मैंने खाना लगा दिया था, दीपक खाना खाते वक्त नशे में मुझे ही घूरे जा रहा था, मुझे थोड़ा अजीब सा लगा.
फिर खाना खाने के बाद वो जाने लगा, मौका देख उसने मेरे पीछे हाथ फेरा और निकल गया!
इस बात को मैंने इतनी गम्भीरता से नहीं लिया, मैंने सोचा कि गलती से लग गया होगा!
दीपक फिर एक दिन मेरे पति के साथ आया, दारू पी खाना खाया और फिर जाते वक्त मेरे पीछे चुटकी काटी और चल दिया!
तब मुझे यकीन हो गया था कि दीपक जानबूझ कर मुझे छेड़ रहा है!
यह सोच कर मुझे गुस्सा आया पर वो मेरे पति दोस्त था तो मैं इस लिये कुछ बोल नहीं पाई!
यह सिलसिला एक महीने चला, वो आता, छेड़ता और चला जाता और मैं चुप… किसी से कुछ नहीं बोलती!
एक दिन अचानक उसका फ़ोन आया.
जब मैंने पूछा- कौन?
तो उसने नाम बताया.
मैंने गुस्से में उसे खूब सुनाई और वो सुनता रहा. बाद में वो मुझसे माफी मांगने लगा कि अब ऐसा नहीं होगा!
फिर उसके फोन आने लगे, पहले तो मुझे अच्छा नहीं लगता था किसी दूसरे आदमी से बात करना… फिर धीरे धीरे उसकी बातें अच्छी लगने लगी! वो घण्टों मेरे से फोन पर बात करता था.
धीरे धीरे मेरा भी मन उसे मिलने के लिए करने लगा पर डरती थी मेरे पति को पता लगेगा तो क्या होगा!
दीपक का हमारे घर आना जाना बढ़ गया, वो हफ्ते में तीन चार बार घर आता, कभी कभी वो मेरे लिये गिफ्ट भी लाता और कुछ खाने को मैं जब भी उससे कुछ मंगवाती, वो लाकर देता था!
एक दिन दीपक फिर मेरे पति के साथ घर आया, दोनों ने दारू पी और खाना खाकर जाने लगा तब उसने अपनी बाइक की चाभी अंदर कमरे में छोड़ दी.
मेरे पति उसे बाहर छोड़ने जाते हैं, उसे पता था!
जैसे ही मेरे पति बाहर बाइक के पास गये, दीपक चाभी लेने के बहाने कमरे आया और उसने मुझे पकड़ा, एक जोरदार किस किया और चल दिया.
मैं तो इतना डर गई कि बाहर निकली ही नहीं!
उस रात मैं सो नहीं पाई, बस दीपक का किस मुझे बार बार याद आ रहा था कि सालों बाद किसी ने इतनी जोर से किस किया!
अब हमारी फोन पे सेक्स चैट होने लगी मगर कभी हिम्मत नहीं हुई कि जब मेरे पति घर पर न हों तो उसे घर बुला लूँ!
एक संडे दीपक और मरे पति दिन भर साथ में ही थे हमारे घर पर थे. दीपक उस दिन कुछ ज्यादा खुश था, उसे जब भी मौका मिलता, वो मुझे छेड़ देता. मेरे मना करने के बाद भी दिन ऐसे ही कट गया और फिर रात हुई दोनों का प्रोग्राम चला!
आज वो होने वाला था जो मैंने कभी सोचा नहीं था!
वे दोनों नीचे उतर कर आये, मुझे लगा कि अब खाना खायेंगे. मैंने पूछा तो बोले- अभी और पीनी है!
दोनों बाजार गये और लाक़र पीने लगे!
जब दीपक आया तो ऐसा लगा कि अब यह घर जाने की हालत में नहीं है, मैंने अपने पति बोल कर उसे यहीं सोने को कह दिया!
अब हम सोने लगे, तब दीपक ने दूसरे कमरे से आवाज़ दी कि उसे पानी चाहिये.
मैं उसे पानी देने गई तो वो सीधा मेरे सामने खड़ा था.
मैंने जब पूछा तो कहा- तुम्हारे पति को मैंने ज्यादा पिला दी, वो सो जाएं तो मेरे कमरे में आ जाना!
मैं ‘ठीक है.’ कहकर चली आई!
पर मैं सोच रही थी ये जग गये तो क्या होगा, बस यही सोच कर मेरा दिल ट्रेन की रफ्तार जैसे भाग रहा था.
सोचते सोचते रात के 1 बजे गये, दीपक हमारे कमरे में आ गया और मुझे बुलाने लगा.
यह देख कर मैं और डर गई, मैं दीपक को मना कर रही पर वो मान नहीं रहा था!
जैसे तैसे मैंने उसे अपने कमरे में भेजा फिर मैं अपने पति को चैक करके हिम्मत जुटा कर बेड से नीचे उतरी और फिर धीरे धीरे दीपक के कमरे की तरफ जाने लगी!
जैसे ही मैं कमरे के गेट पर पहुंची, दीपक ने मेरा हाथ पकड़ कर अंदर खीच लिया और मुझे जोर जोर से किस करने लगा!
मैं तो पहले ही डरी होई थी इस लिए कुछ बोल ही नहीं पाई, दीपक मुझे किस किये जा रहा था!
थोड़ी देर बाद मैं दीपक को मना करने लगी कि वो जग जायेंगे, रहने दो!
पर दीपक रुका नहीं, दीपक मुझे किस किये जा रहा था!
इससे पहले कुछ और बोलती, दीपक ने मेरी शर्ट ऊपर खींच कर उतार दिया. रात को मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था इसलिये मेरे मोम्मे दीपक के सामने थे!
कमरे में एक हल्की लाइट जल रही थी जिसकी रोशनी में दीपक मेरे मोम्मे कदेख रहा था!
दीपक मेरे मोम्मे हल्के से दबाने लगा और मेरी डर के मारे जान निकली जा रही थी.
दीपक रुका नहीं वो अपना काम करे जा रहा था! पहली बार कोई दूसरा मर्द मेरे मोम्मे दबा रहा था, मुझे डर लग रहा था पर अब उसके साथ मजा भी आ रहा था!
थोड़ी देर बाद दीपक मोम्मे दबा के मेरे एक मोम्मे को मुंह में लेकर चूसने लगा, मैं भी चुदाई के नशे में डूबती जा रही थी, मेरी ना हाँ में बदल गई!
दीपक मेरे मोम्मे चूसे जा रहा था, साथ उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया, मेरी सलवार नीचे सरक गई!
अब मैं दीपक के सामने नंगी खड़ी थी, मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी, मैंने सामने पड़ी चादर से खुद को ढक लिया पर दीपक ने चादर खींच कर हटा दी!
अब दीपक ने मुझे जमीन पर गिरा दिया और मेरी चूत में उंगली डालने लगा, मेरी चूत तो पहले ही पानी पानी हो रही थी! दीपक ने जैसे ही मेरी चूत में उंगली डाली, उसकी पूरी उंगली मेरी चूत में चली गई और मेरे मुंह से एक सिस्कारी निकल गई!
अब दीपक मेरी चूत में उंगली घुमा रहा था और मुझे मजा आ रहा था. फिर थोड़ी देर बाद उसने उंगली निकाल कर मेरी चूत जीभ से चाटने लगा!
वैसे तो मेरे पति भी चूत चाटते थे पर आज जो मजा आ रहा था, वो मजा पहले कभी नहीं आया था!
मैं तो भूल ही चुकी थी कि मेरे पति बाहर सो रहे हैं, बस सेक्स के नशे में डूब चुकी थी और इंतजार कर रही थी कि दीपक कब मेरी चूत में अपना लंड डालेगा!
दीपक ने अपने कपड़े पहले ही उतार दिए थे, बस अंडरवियर में था, उसका लंड तना हुआ दिख रहा था, अंडरवियर में उसका लंड बहुत बड़ा लग रहा था!
दीपक मेरी चूत चाटे जा रहा था थोड़ी देर बाद उसने अपना अंडरवियर उतार दिया जब मैंने उसका लंड देखा तो मेरे होश उड़ गये!
दीपक का लंड मेरे पति के लंड से दुगना लंबा और मोटा था मैं तो देखती रह गई!
दीपक ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपना लंड पकड़ा दिया उसका लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह लग रहा था!
मैं भी मस्ती में उसके लंड को सहलाने लगी तभी वो बोला- मुँह में लो!
वैसे तो मैंने अपने पति का मुँह में लिया है पर दीपक का तो इतना मोटा था मैंने दीपक को मना करने लगी!
पर दीपक कहाँ मानने वाला था, उसने मेरे मुँह में लंड दे दिया, मुझे थोड़ी दिक्कत हुई पर कुछ देर लेने के बाद निकाल लिया!
अब दीपक मेरे ऊपर आया और मेरी चूत में लंड टिका कर मुझे किस करने लगा और नीचे से एक धक्का मारा, उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर घुस गया! और मेरी इतनी जोर से चीख निकली, उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी तो जान निकल गई.
दीपक ने मेरा मुँह दबा लिया मैं दीपक से निकालने को बोल रही थी पर वो धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने में लगा था!
इतना दर्द तो मुझे अपनी सुहागरात को भी नहीं हुआ था, मुझे आज ऐसा लग रहा था कि मैं पहली बार चुद रही होऊँ!
फिर थोड़ी देर बाद मेरे दर्द मजे में बदल गया और मैं सब भूल कर चुदाई का मजा लेने लगी.
दीपक नशे में खूब जोर जोर से चोद रहा था और मेरे मोम्मे रगड़े जा रहा था! ऐसी चुदाई तो मेरे पति ने भी कभी नहीं की थी! मैं तो जैसे आसमान में उड़ रही थी और उस आसमान से उतरना नहीं चाहती थी, बस सोच रही थी, दीपक मुझे चोदता रहे!
चुदाई करते करते काफी देर हो गई थी, दीपक नशे में था इसलिये उसका माल नहीं निकल रहा था! वो गर्मी के दिन थे हम दोनों पसीने में तर हो गये थे, दोनों एक दूसरे के ऊपर फिसल रहे थे, बहुत मजा आ रहा था!
फिर कुछ और देर चुदाई के बाद दीपक और तेज तेज मुझे चोदने लगा, मुझे पता लग गया कि दीपक का अब माल निकलने वाला है, मैं दीपक का साथ देने लगी क्योंकि मैं भी झड़ने वाली थी!
वैसे तो मैं एक बार झड़ चुकी थी.
अब दीपक जोर जोर से करता जा रहा था. फिर उसने मेरी चूत में सारा माल निकल दिया, साथ ही मैं भी झड़ गई!

दीपक मेरे ऊपर ढेर हो गया, मैंने भी दीपक को कस कर दबा लिया!
उस रात हमने तीन बार चुदाई करी और सुबह 5 बजे मैं अपने पति के पास जाकर सो गई!



तो यह थी मेरी सहेली फ़ातिमा की अम्मी की चुत चुदाई की कई घटनाएं जो उन्होंने मुझे सुनाई थी। आपको कैसी लगी?



दा एंड
 
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