Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी - Page 2 - SexBaba
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Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.. लेकिन अंकल रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। अम्मी ने मुझसे पूछा- क्यों बेटी मज़ा आया? कहो तो अब मैं भी चुदवा लूँ.. तुम्हें चुदवाते देखकर मेरी बुर भी पनिया गई है।

अंकल ने अपना 8 इंच का लपलपाता हुआ लण्ड बाहर निकाल लिया। अम्मी को इतना जोश चढ़ चुका था कि अंकल ज्यों ही पीठ के बल लेटे, अम्मी ने उनके खड़े लण्ड को अपनी चूत में फंसा दिया और धक्का मारने लगीं।

मैं अम्मी के पीछे जाकर उनकी चिरी हुई चूत में अंकल के फंसे हुए लण्ड को देखने लगी।

क्या गज़ब का नजारा था। मैं बुर लण्ड के संधिस्थल को चाटने लगी। मेरी बुर फिर से पनियाने लगी थी। अम्मी ने उछल-उछल कर खूब चुदवाया। अब अम्मी पीठ के बल लेट गईं और अंकल ने सामने से अपना लण्ड घुसा दिया और जोर-जोर से चोदने लगे।

थोड़ी देर बाद उनका पानी निकल गया। उस रात को अंकल ने मुझे तीन बार और अम्मी ने जबरन दो बार चूत चुदवाई।
रात के तीन बजे हम लोग सो गए।

फिर धीरे-धीरे हम चारों एक साथ इस खेल को खेलने लगे थे। अम्मी के कहने पर जय ने इस गैंग-बैंग में अपनी पत्नी आयशा को भी शामिल कर लिया था, वो आयशा को अपने साथ हमारे घर लाते और तीन गर्म बदनों के साथ खेलते।



अब इससे आगे की कहानी मेरी यानी शाज़िया की ज़ुबानी सुनिए


मैं शादीशुदा थी इस लिए घर में सबसे छुपकर चुद रही थी लेकिन मेरी बेटी बाहर जाती थी, इस चक्कर में वह बाहर लड़कों से चुदने लगी, गली मोहल्ले के आवारा लड़को के बीच बेटी को बिगड़ती देख मैंने उसको दिल्ली के एक होस्टल में भेज दिया। इससे मुझे भी आज़ादी थी लेकिन एक ही हफ्ते में उसकी हॉस्टल में सीनियर लड़कों के साथ चुदाई की ख़बरें मुझे मिलने लगी।

होली पर उसको सीनियर लड़कों ने शराब पिलाकर जमकर पेला था। सोने पे सुहागा यह था कि उसकी रूमी कामिनी भी बित्ता भर की होकर एक नंबर की आवारा लड़की थी, अमीर घर के लाड़ प्यार की बिगड़ी हुई एक पार्टी एनिमल थी।

हालांकि गलती मेरी ही थी, अपनी चुदाई की आग को ठंडा करने के चक्कर में मैंने अपनी मासूम बेटी फ़ातिमा को भी इस धंधे में उतार दिया था।
देखते ही देखते कॉलेज का हर एक लड़का उसका दीवाना हो गया था।

जब उसने एक रात अपनी सहेली कामिनी के साथ जाकर बॉयज होस्टल में चुदाई करवाई तो मेरे पास इस बात की कंप्लेंट आ गई, उन दोनों को कॉलेज से निकाल दिया गया। उसने मुझे डरते हुए कॉल किया, मैं पहुँच गई, मेरी बेटी और उसकी सहेली कामिनी चुत के चक्कर में निकाली गई थी।

मैंने उसके कॉलेज के प्रिंसीपल को अपनी एक रात देकर ही वापस दाखिला करवा दिया।वार्डन और बाकी स्टाफ को गालियाँ दिलवाई सो अलग!
माँ थीं इतना तो कर ही सकती थी। मैनेजमेंट के सामने उन दोनों को सिर्फ वार्निंग देकर छोड़ दिया गया।


इसी दौरान एक बुरी खबर मिली कि मेरी बेटी की सहेली कामिनी के डैडी ने शेयर मार्किट में पैसा डूब जाने की वजह से आत्महत्या कर ली थी लेकिन उनकी मौत के चार महीने के बाद ही उसकी मम्मी शशी ने अपने कॉलेज के दोस्त कुणाल से शादी कर ली थी लेकिन कुणाल ने शशी की बेटी कामिनी को अपनी बेटी नहीं माना।

शशी जिसको बाप बेटी का प्यार समझती रही वो असल में उन दोनों के बीच एक पर्दा भर ही था, मौक़ा देखकर कुणाल ने कामिनी को चोदना शुरू कर दिया।
देखते ही देखते कामिनी देसी लोलिता बन गई।


कामिनी मासूम थी, वह अपने पापा के प्यार में ऐसी फंसी कि पापा की ख़ुशी के लिए, एक पार्टी में मिले उनके बॉस से भी चुत चुदवा ली दुगनी उम्र के बॉस ने उसको पापा के सामने ही कार में और हाईवे पर ज़बरदस्त तरीके से चोदा।
लेकिन कहते हैं कि अगर कोई लड़की कच्ची उम्र में चुदवा लेती है तो फिर उसकी जवानी किसी एक से नहीं सम्हालती है, कामिनी को नए नए लंड से चुदाई का ऐसा चस्का लगा था कि वह दो दिन भी चुदे नहीं रह पाती।

ऐसे ही जब वह अपने चचेरे भाई की शादी में कानपुर गई तो दो दिन तो उसने जैसे तैसे अपनी चुत को बहलाते हुए गुज़ारे लेकिन तीसरे दिन मासूम सी दिखने वाली दुबली पतली कामिनी की चुत की आग ऐसी भड़की कि भरी पूरी शादी में मैरेज हाल की छत पर दो लड़कों से घाघरा उठा कर चुदवा ली।
 
ये कहानी कामिनी की ज़ुबानी सुनिए कि क्या हुआ था


मेरा नाम कामिनी है, मैं दिल्ली में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती हूँ। मेरे दोस्त प्यार से मुझे ‘टीन कामिनी’ बोलते हैं।

मेरी पहली चुदाई बेहद कमसिन कम उम्र में मेरे ब्वॉयफ्रेंड अविनाश ने ही की थी। उस वक़्त मैं नासमझ थी.. मेरी जवानी कच्ची थी, लेकिन कॉलेज में लड़कों के साथ रहने के कारण मैं सब कुछ बहुत जल्दी.. चुदाई की उम्र से पहले ही सीख गई थी। उनके द्वारा मेरे जिस्म को बहाने से छूने.. पर मेरा नाज़ुक जिस्म झनझना उठता था।
धीरे-धीरे मेरे नाज़ुक जिस्म पर उभार आने लगे थे।

फिर जब मैं हॉस्टल में रहने गई.. तो वहाँ मेरी और मेरी रूममेट फ़ातिमा की ब्वॉय्स हॉस्टल में जमकर चुदाई हुई। जिससे कि मेरा जिस्म अधपकी उम्र में ही बहुत तेज़ी से भरने लगा। मैं तेज़ी से जवान हो रही थी.. लेकिन अक्ल से वही दो चोटी बांधने वाली थी।

मैं अब तक घर भर में उछल-कूद मचाने वाली बच्ची ही थी कि मेरे सौतेले बाप की नजर से मेरी मासूम जवानी पर पड़ गई। दरअसल मेरी मम्मी ने मुझे घर में ही अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ चुदाई करवाते हुए देख लिया था। ये बात उन्होंने पापा को बोल दिया था। उस दिन मुझे बहुत डांट पड़ी थी.. लेकिन मेरे पापा की नज़र अब मुझ पर बदल गई थी।

मम्मी ऑफिस के काम से घर से दूर थीं तो दस दिन तक मेरे पापा ने जमकर मेरी चुदाई की.. सिर्फ चुदाई ही नहीं बहुत प्यार भी किया था। मैं पहली बार किसी से इतनी भावनात्मक रूप से जुड़ गई थी।

मेरे पापा मुझे बहुत प्यार करते और मेरी हर फरमाईश को पूरा करते। बदले में मैंने उनको अपना मासूम गोरा नाज़ुक शरीर सौंप दिया था। पापा मुझे हॉस्टल से सैटरडे नाईट को ले जाते.. हमारी शाम किसी डिस्को में या किसी होटल के कमरे में गुज़रती.. उन्होंने ही मुझे धीरे-धीरे शराब पीना सिखा दिया था।

मम्मी इन सबसे अंजान ही थीं। सच बोलूँ तो वह खुश थीं कि सौतेला बाप होकर भी वो मुझे और मैं उनको इतना प्यार करती थी। यह सब आप मेरी पुरानी कहानियों में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

फिलहाल यह कहानी आपको मेरे पापा की जुबानी सुननी होगी।

मेरा नाम कुणाल है, उम्र 39 साल.. हाइट 5 फीट 9 इंच है। मैं देखने में काफ़ी खूबसूरत और स्मार्ट हूँ, ऐसा सभी कहते हैं। मेरे लंड का साइज़ भी लम्बा और मोटा है। यह कहानी मेरी प्यारी बेटी कामिनी की और मेरी है.. जिसे मैं उसकी सहमति से लिख रहा हूँ। इसमें मैं भी एक महत्वपूर्ण पात्र हूँ।

मेरी शादी लगभग एक साल पहले हुई थी। दरअसल मैं कॉलेज के दिनों में एक लड़की शशी से प्यार करता था.. लेकिन हम दोनों की शादी नहीं हो सकी थी। फिर एक समय आया कि शशी के पति की डेथ हो गई.. और वह अकेली हो गई, तो मैंने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा.. वह मान गई।

हॉस्टल के दिनों में हम दोस्त मिलकर पोर्न फिल्म देखा करते थे.. जिससे कि हमको पोर्न मूवी देखने का चस्का सा लग गया था। मूवी से ही मुझमें इन्सेस्ट सेक्स को लेकर बहुत दिलचस्पी बढ़ गई थी।

हम चार दोस्त हॉस्टल में रहते थे। अक्सर हँसी-मज़ाक में हम एक-दूसरे की बहन की सुन्दरता की तारीफ कर देते थे.. जिसका कोई बुरा नहीं मानता था। कभी-कभी बियर के नशे में बात सुन्दरता से लेकर उनकी फिगर तक या सेक्सी ड्रेस तक पहुँच जाती.. लेकिन हम सब हँसते रहते, कोई किसी की बात का बुरा नहीं मानता था।

मौक़ा मिलते ही हम लोग रूम पर किसी रंडी को लेकर भी आते और एक साथ ही उसके साथ ग्रुप सेक्स का आनन्द लेते।

शादी के बाद कौन कैसे अपनी बीवी को चोदेगा.. अक्सर हम इस बात करते हुए हँसी-मज़ाक करते थे।

इस तरह मेरी शुरू से ही फैन्टेसी बन गई थी कि मैं अपनी बीवी या बेटी को दूसरे मर्द से चुदवाऊँ।

शादी के पहले कॉलेज के दिनों में नाज़िया नाम की लड़की मेरी गर्लफ्रेंड थी। उसका साइज़ 30-24-32 का था.. लेकिन मेरी जबरदस्त चुदाई के कारण फिलहाल उसका साइज़ बहुत जल्द ही 34सी-28-36 हो गया था। अब वो देखने में काफ़ी सेक्सी लगती थी.. पर किसी कारण मेरी उससे शादी नहीं हो सकी।

फिर कॉलेज ख़त्म होने के बाद मेरी शादी परिवार वालों ने रुक्मणि नाम की लड़की से कर दी। रुक्मणि बेहद संस्कारी और मासूम थी। उसने स्कर्ट टॉप तो दूर की बात कभी जीन्स और टी-शर्ट तक नहीं पहनी थी।

फिलहाल मैं यही समझता था कि सुहागरात के दिन ही उसका पहला सेक्स हुआ था। मैंने ही उसकी सील तोड़ी थी.. लेकिन मैंने अपनी सुहागरात के दो दिन बाद ही उसकी सील तोड़ी थी, क्योंकि रुक्मणि को काफ़ी दर्द हो रहा था और मैंने इसमें कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखाई।

लेकिन हकीक़त कुछ और ही थी।

मैं रुक्मणि को भोली और मासूम समझता था लेकिन उसका अपने परिवार में ही एक लड़के से अफेयर था और उसने इसको शादी के बाद भी चालू रखा था। इस कारण से मैंने उसको छोड़ दिया।

एक के बाद एक तीन लड़कियों से मेरा बिछोह हो चुका था.. जिससे कि मैं बहुत तनाव में रहने लगा था।

मैं शराब पीता और रंडियों को लाकर चोदता.. लेकिन रंडी वह कमी नहीं पूरी कर सकती थी जो रुक्मणि करती थी। मुझे अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था। सेक्स को लेकर मेरे अन्दर बेहद बुरी और सामाजिक रूप से गन्दी विचारधारा पनपने लगी थी।

खैर.. अब कहानी को ज़्यादा नहीं खींचते हुए मैं सीधा पॉइंट पर आता हूँ।

जिस लड़की शशी को मैं कॉलेज के दिनों में प्यार करता था.. अचानक उसके पति की मौत हो गई थी। शायद उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।

तो मैंने शशी से एक बार फिर नजदीकियां बढ़ाना शुरू कर दीं.. उसको भी एक सहारे की जरूरत थी.. तो उसने भी हामी भरते हुए मेरे साथ शादी कर ली।

मेरी एक जवान होती कमसिन मासूम बेटी है। जिसके बारे में आपको पिछली कहानी में मालूम पड़ ही गया होगा कि वह कितनी चंचल और जिद्दी है।

फिलहाल हम दोनों बाप बेटी में जल्द ही दोस्ती वाला रिश्ता बन गया था। हम अक्सर शशी को बिना किसी बात को बताए हुए.. सैटरडे नाईट को सारी रात तरह तरह से एन्जॉय किया करते थे। कभी हम दोनों बाप-बेटी नाईट क्लब में जाकर डांस करते ड्रिंक करते थे।

मैं अपनी बेटी कामिनी को बेहद कामुक ड्रेस पहनाता.. ताकि पार्टी में सब मेरी बेटी को ही देखें। कभी शॉर्ट्स, कभी गाउन, कभी मिनी स्कर्ट.. उसको इन सब ड्रेस में देखा कर जवान लड़के ही नहीं पचास से साठ साल के बुड्ढे भी उसके मिनी स्कर्ट से झाँकती ट्रांसपेरेंट पैन्टी को देखकर उसको लाइन मारते थे।

वह मेरे सामने ही उनके साथ फ़्लर्ट करती.. वो जानती थी कि मैं इन सबसे उत्तेजित होता हूँ। कच्ची उम्र में ही उसके अन्दर गज़ब का सेन्स आ गया था। वह दिखने में बेहद मासूम और छोटी सी थी.. लेकिन अन्दर से किसी जंगली बिल्ली से कम नहीं थी।

एक दिन कानपुर में मेरे बड़े भाई की बेटे राहुल की शादी थी। कामिनी मेरे और मेरी पत्नी शशी के साथ साथ शादी में लाल रंग का लहंगा चोली पहन कर गई थी। जिसकी चोली पीछे से बैकलेस थी.. सिर्फ दो डोरियाँ ही उसके छोटे से ब्लाउज को रोके हुए थीं।

हमारी शादी के बाद खानदान भर में कई लोगों ने मेरी जवान बेटी को पहली बार देखा था। उसने बेहद भड़काऊ सुर्ख लिपस्टिक के साथ अपने कमसिन सुडौल मम्मों को बैकलेस ब्लाउज से बिल्कुल बाहर को निकाला हुआ था। जिससे कि उसकी क्लीवेज दिख रही थी।

उसका लहंगा कमर से इतना नीचे बंधा था कि जयमाला से पहले सबके साथ डांस करते हुए उसकी पैंटी की स्ट्रिप बाहर दिख रही थी। शादी में आई बाकी की लड़कियों को मेरी बेटी से जलन सी हो रही थी, वे उसकी पैंटी की स्ट्रिप को देखकर खुसुर-पुसुर कर रही थीं।

जवान लड़के तो उसके आस-पास ही मंडरा रहे थे, हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था।

‘क्या माल है गुरु.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… लहंगे के नीचे इसकी मजेदार जन्नत होगी..’
‘इतनी कम उम्र में भी जन्नत का मज़ा देगी.. दिल्ली की जवानी है.. न जाने कितने लड़कों को इसने अपना गुलाम बनाकर चटवाई होगी।’

चार लड़के मेरी बेटी कामिनी को देखकर आपस में बातें कर रहे थे।
मैं पास ही खड़ा था.. वो नहीं जानते थे कि मैं उसका बाप हूँ। 

उसकी कमर पर चिपका छोटा सा चमकता टैटू सबको दिख रहा था। डांस के बहाने फायदा उठाकर कई लड़के उसक पास आ जाते.. कोई कोई उसके चूतड़ों को दबा देता.. तो कोई बहाने से उसके मम्मों को मसल देता। वह हिचक जाती.. मुझे देखती.. मैं मुस्कुरा देता। वह जानती थी कि मैंने उसको जवानी जीने के लिए पूरी आज़ादी दी हुई है।

‘मैं इसको आज रात में ही सैट करता हूँ..’ एक लड़के ने अपने दोस्तों के बीच पूरी तरह से बकचोदी करते हुए कहा।
बाकी लड़के उस पर हँस दिए। उसने शायद शराब भी पी रखी थी।

‘बेटा दिल्ली का माल है.. ऐसे नहीं पटेगी..’ एक लड़के ने उस पर कमेंट करते हुए कहा।
‘तो तू पटा के दिखा दे चूतिये।’
‘अरे यार.. तुम दोनों लड़ो मत, दोनों ट्राई करो.. जिससे भी सैट होगी वह पार्टी देगा।’
 
उन लड़कों की बातें सुनकर मेरी भी दिलचस्पी बढ़ गई कि मेरी मॉडर्न बेटी इन कनपुरिया छिछोरों से पट जाएगी या नहीं। मैं दूर से ही उनकी गतिविधियां देखने लगा।

कुछ देर बाद मैंने देखा कि वह उन दोनों जवान लड़कों के साथ बातें कर रही है। वह लड़के उस पर फ्लर्ट कर रहे थे। ड्रिंक शेयर करने के बाद वह अचानक फेरों के समय फ्लोर से गायब हो गई।
क्योंकि फेरों के समय सब एक ही जगह होते हैं, मेरा माथा ठनका.. मैं उसको ढूंढने लगा।

मैंने उसको कॉल किया लेकिन उसने उठाया नहीं।

तब मैं बाहर निकल कर उसको देखने लगा.. लेकिन वह हॉल में नहीं थी। मैं धीरे से हॉल की छत पर गया तो मैंने देखा कि मेरी बेटी कामिनी उन्हीं लड़कों के साथ दीवार के सहारे छत पर खड़ी हँस-हँस कर बातें कर रही थी।

एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था- क्या नाम है आपका?
‘कामिनी! और तुम दोनों का?’
‘बहुत प्यारा नाम है आपका.. मैं रिशू हूँ और यह मेरा दोस्त रंगीला है।’

‘हाय.. कानपुर से ही हो?’
‘हाँ.. मैं खलासी लाइन से और यह बिठूर से है।’
‘ओह गुड.. लेकिन तुम दोनों ने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?’
‘सच बोलूं.. नाराज़ तो नहीं होंगी आप?’
‘झूठ बोलोगे तो ज़रूर होऊँगी।’
कानपूर के लौंडों ने मेरी बेटी को पटा लिया

‘दरअसल हम दोस्तों में यह शर्त लग गई है कि हम लोग कोई दिल्ली की लड़की को नहीं पटा सकते हैं.. इसलिए अगर आप हमारे साथ थोड़ी सी एक्टिंग भी कर देंगी.. तो हमारी इज्ज़त की माँ चुदने से बच जाएगी।’
‘हाँ कामिनी.. वरना यह सारे महामादरचोद दोस्त हमारी गांड मार देंगे।’

मैं अँधेरे में खड़ा उन दोनों की कामिनी के साथ हो रही बातें सुन रहा था, दोनों उसके हाथों को पकड़े रिक्वेस्ट कर रहे थे।

‘ठीक है.. लेकिन एक्टिंग.. और कुछ नहीं..’ ये कहते हुए कामिनी ने अपनी चुनरी निकाल दी.. उसके उभार ब्लाउज से झाँकने लगे।
‘कुछ नहीं.. के लिए तुम्हारी ही चलेगी कामिनी… यदि तुम्हारा मन हुआ तो आगे बढ़ेंगे नहीं तो नहीं करेंगे।’
‘ओके..’

फिर एक लड़के ने हिम्मत करके उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया था। वह भी उसके चेहरे को थामकर स्मूचिंग करने लगी। दूसरे लड़के ने उसकी पीठ को सहलाते हुए उसकी लाल बैकलेस ब्लाउज की डोरियाँ धीरे से खोल दीं। उस अंजान लड़के का एक हाथ पीछे लहंगे के अन्दर जाकर उसकी गांड को सहलाने लगा।

‘कोई आएगा तो नहीं?’ कामिनी ने अलग होते हुए सवाल किया।
‘कोई नहीं आएगा.. सब फेरों में लगे हुए हैं।’

सेक्स का नियम है कि अगर बीवी बेटी हो या सिस्टर अगर किसी के साथ सेक्स करते हुए देख लो.. तो उसको रोको नहीं, पूरा हो जाने दो। बीवी, बहन, बेटी या गाड़ी, किसी और को दोगे.. तो ठुक/चुद कर ही आएगी। मैंने भी उसको इस हालत में डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा और पास ही साइड से देखने लगा।

लेकिन मेरी बेटी पर मेरा अधिकार था। उसको किसी और की बांहों में देखकर कसम से ऐसा लगा कि दिल में किसी ने खंजर चुभो दिया हो। वह भी एक साथ दो लड़कों की बाँहों में।

मैं अपनी बेटी के लिए अच्छे रिश्तों में से भी सबसे अच्छे रिश्ते को छांटने की कोशिश में था और वो अंजान लड़कों के साथ लगी हुई थी। मन तो किया कि लंड निकाल कर दोनों की गांड मार दूँ। लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि बेटी की अपनी भी लाइफ है.. उसको जीने देना चाहिए। यहाँ इतने मेहमानों के बीच कुछ बोला तो बेईज्ज़ती हमारी ही होगी।

लेकिन फिर मैंने सोचा कि चलो देखता हूँ कि ये तीनों किस हद तक जाते हैं।

अंजान लड़कों की बाँहों में जाते ही कामिनी ने अपने होंठों से उसके गालों को चूमना चालू कर दिया। मुझे कितनी ग्लानि हुई वो मैं शब्दों में नहीं बता सकता। आखिर मैंने ही अपनी बेटी को बिगाड़ा था।

‘ओह रंगीला यार.. जल्दी से करो फटाफट.. मम्मी का तो पता नहीं लेकिन मेरे पापा मुझे ढूंढ रहे होंगे।’
‘ठीक है. वैसे कहाँ पढ़ती हो? पहले कभी कानपुर में देखा नहीं.. दिल्ली में कहाँ से हो?’
‘मैं बाहरवीं में हूँ.. दिल्ली में साउथ एक्सटेंशन में एक हॉस्टल में रहती हूँ।’
‘इतनी कम उम्र में भी माल दिखती हो यार.. पहले कभी यह सब किए हो?’

वे लोग स्मूचिंग करते हुए बातें कर रहे थे।

‘तुम आम चूसो न.. गुठलियों में क्या मजा आएगा..’ कामिनी में अपना ब्लाउज नीचे सरकाते हुए जवाब दिया।

उसने तुरंत पहले उसके दोनों मासूम गोरे मम्मों को मसला.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… फिर एक-एक में मुँह लगा दिया। फिर दूसरे लड़के रिशू ने उसके लहंगे को ऊपर करते हुए उसकी थोंग पैंटी में हाथ डाल दिया और उसकी गांड को पीछे से मसलने लगा।
‘तुम्हारी गर्लफ्रेंड है रंगीला?’
‘थी.. अब नहीं है।’

‘कुछ किया था.. मतलब ली थी उसकी? वो कहाँ की थी?’
‘यहीं कानपुर की ही थी.. मेरे मामा की लड़की ललिता.. कई बार उसको एग्जाम दिलाने दिल्ली ले गया था.. तब होटल में उसकी ली थी.. फिर उसने ब्वॉयफ्रेंड बना लिया था।’

‘वाओ.. मामा की ही लड़की को चोद दिया?’
‘लड़की लड़की होती है यार.. मैं नहीं चोदता.. तो कहीं बाहर चुदवाती.. और फिर वही हुआ भी।’
‘हाँ यह तो है.. कैसे चोदा था उसको? अच्छा अब जल्दी करो.. मेरे पापा कभी भी आ सकते हैं।’

कामिनी ख़ुद अपना लहंगा ऊपर करके दीवार के सहारे झुक गई थी। मैं सीढ़ियों की आड़ में खड़ा होकर उन तीनों को देख रहा था। नीचे मंडप में फेरे शुरू होने वाले थे। रंगीला ने कामिनी के मम्मों को दबाते हुए कहा।

‘पूछो मत यार.. परिवार के सामने तो बड़ी शरीफ बनती थी.. और मौक़ा मिलते ही वापस मुझे ढूंढने लगती थी। कई बार कॉलेज से ही दोस्तों के घर बुलाकर चोदा था। कई बार अपनी मेडिकल शॉप में ही चोद दिया था.. फिर एक दिन पार्क में ही एक लड़के का लंड खुलेआम चूसते हुए दिखी.. तभी से उसको छोड़ दिया। बहन थी इसलिए घर पर नहीं बताया.. उसकी पढ़ाई छूट जाती।’

‘हाहा हा.. कानपुर है यार.. यहाँ लड़कियां घर में शराफत दिखाती हैं.. कॉलेज में चूचे हिलाती हैं.. सब कुछ होता है.. लेकिन थोड़ा परिवार से बचकर करना चाहिए..’ रिशू ने बात पूरी की।

‘दिल्ली में यह सब चक्कर नहीं है.. पार्क, स्टेशन या हॉस्टल का रूम.. जहाँ मौक़ा मिल जाए.. ठोक दो..’ कामिनी ने रंगीला के लंड को उसके पेंट में ही दबाते हुए कहा।

मेरा दिल चाहा कि उन दोनों को रोक दूँ.. लेकिन मैंने उसको उसकी लाइफ ‘जैसे चाहे जिए..’ का वादा किया था।

लेकिन फिर भी दो-दो अंजान लड़कों की बाँहों में और उनके लंड से खेल रही मासूम बेटी किसको अच्छी लगेगी।

उसके बाद जो हुआ वो तो अब तक जो हुआ उससे भी बुरा हुआ था।

रंगीला ने कामिनी को साइड में हटा कर अपना लंड बाहर निकाला। बाप रे.. उसका लंड तो एकदम काला और मोटा था। उसका सुपारा बड़े आंवले की तरह था जो खड़े हुए लंड की वजह से फुल के किसी गिरगिट की माफिक अपनी गरदन को ऊपर किए हुए था।

रंगीला के लंड को कामिनी ने अपने हाथ में लिया और उसे मुट्ठी में दबाने लगी। इधर रिशू ने कामिनी की छाती पर दोनों हाथ रख दिए और वो मेरी मासूम बेटी की छोटी-छोटी चूचियों से खेलने लगा।


मैं खड़े खड़े अपनी बेटी का समागम देख रहा था। रंगीला ने अब कामिनी के होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया और किस करने लगी। रंगीला ने उसके होंठों को अपने होंठों से लगा कर रखा था और वो एक हाथ से अभी भी उसके लौड़े का मसाज कर रही थी। उसका काला लंड तो आकार में बढ़ता ही जा रहा था।

मैंने फिर सोचा कि बाहर निकल कर दोनों को झाड़ दूँ.. लेकिन तभी मुझे कामिनी के वो वाक्य याद आ गए ‘मैं पापा की परी बनकर रहूँगी.. लेकिन मुझे मम्मी की रोक टोक से आज़ादी चाहिए।’

तभी मैंने दिल्ली में घर होते हुए भी उसे हॉस्टल में भेज दिया था।

अब मैं नहीं चाहता था कि मैं उसके सामने जाकर उसे अपने सामने बगावत करने पर मजबूर कर दूँ। वो मेरे से डर रही थी और मैं उसे ऐसे ही रखना चाहता था। मैं नहीं चाहता था कि वो मेरे हाथों सेक्स करते पकड़ी जाए और फिर उसे मेरा कोई डर ही ना रहे। आप मेरी मनोस्थिति समझ सकते हो दोस्तों, मेरी मज़बूरी.. जिसने मुझे बेटी का सेक्स दिखाया था।

रंगीला ने अब अपने लंड को हाथ में पकड़ा और बोला- ये तुम्हारे मुँह को ढूँढ रहा है… इसे अपने मुँह में लेकर खड़ा कर दो न?
‘मुँह में? मेरा लहंगा ख़राब हो जाएगा यार!’
‘कुछ नहीं होगा यार.. प्लीज़..कामिनी..’

‘ठीक है..’ कामिनी ने अपने हाथ से रंगीला को छाती पर मस्ती से मारा और वो अपने लहंगे को बचाती हुई घुटनों के ऊपर बैठ गई।
रंगीला उसके करीब आया और कामिनी ने अपना मुँह खोला, रंगीला ने फट से अपना लंड कामिनी के मुँह में घुसा दिया.. रिशू भी अपना लंड बाहर निकाल कर अपनी बारी का इंतज़ार करने लगा।

मेरे आश्चर्य के बीच मेरी बेटी उस काले लंड को किसी सधी हुई रंडी की तरह चूसने लगी।
वही मुँह जिसे मैं चोकलेट खिलाता था.. अभी वो एक काला मोटा लंड चूस रहा था।
 
कामिनी ने रिशू के टट्टे पकड़े हुए थे और वो लंड को जोर-जोर से अपने मुँह में चला रही थी। रंगीला ने कामिनी के खुले हुए बालों को पकड़ा हुआ था और वो उसके मुँह में लंड से झटके दे रहा था।

कसम से शर्मिंदा करने वाला सीन था। फिर उसने अपनी लार और थूक से सना हुआ लंड मुँह से निकाला और रिशू का लंड चूसने लगी।

अब मेरी मुश्किल यह थी कि वो लोग मेरी साइड में खड़े हुए ही सेक्स कर रहे थे। जब मैं यहाँ छिपा तो कामिनी की पीठ मेरी ओर थी और अब उसका मुँह मेरी तरफ आ गया था।
साला.. मैं तो यहाँ से सर छिपा के भाग भी नहीं सकता था।

रिशू के काले लंड को दो मिनट और चूसने के बाद कामिनी ने उसे अपने मुँह मुस्कुराते हुए से निकाला। लंड के ऊपर ढेर सारा थूक लगा हुआ था।

‘खड़ा करो इसको..’ रंगीला से उसका हाथ पकड़कर खड़ा करना चाहा। रिशू ने भी उसको ऊपर उठाया। रंगीला ने कामिनी को खड़ा किया और दोनों वापस किस करने लगे।

‘कामिनी ऐसा करो.. तुम झुक जाओ।’
‘ठीक है..’ अब कामिनी दीवार को पकड़कर झुक गई और उसने अपने लाल लहंगे को ऊपर खींचा.. अन्दर उसकी काली थोंग पैन्टी सुडौल गोरे चूतड़ों पर कसी हुई थी.. जिसे रिशू अपने हाथ से खींचने लगा, उसने चड्डी जांघों पर सरका दी।

‘मज़ा आ गया यार.. यह तो कटरीना और आलिया भट्ट को भी पीछे कर देगी। ऐसी छोटी सी गोरी चूत अचानक मिल जाएगी.. सोचा ही नहीं था।’ रंगीला उसकी गोरी पिछाड़ी को और चूत को सहलाते हुए बोला।

कामिनी की छोटी सी मासूम बिना बाल वाली चूत पीछे से दिखने लगी थी।

‘बातें मत बनाओ यार.. जल्दी से डालो न.. पापा कभी भी आ सकते हैं..’ कामिनी ने झुकते हुए अपनी टांगें चौड़ी कर दी थीं।

उसको देख कर रंगीला ने अपने लंड को थोड़ा मर्दन किया.. कामिनी ने रंगीला के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बोली- जल्दी करो.. कोई भी आ सकता है.. मेरी मम्मी भी आ सकती हैं। तुम मेरी नहीं चाटोगे डार्लिंग?
‘नहीं अभी टाइम नहीं है.. लेकिन फिर भी थोड़ा सा..’
मेरे सामने दो लड़के मेरी बेटी की चूत चाट रहे थे

दोनों हँस पड़े.. क्यूंकि शायद रंगीला से मजाक में वो कहा था।
वो झुककर सच में कामिनी की चूत में अपना मुँह लगा कर उसे जोर-जोर से चाटने लगा, कामिनी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर रही थी और रंगीला के सर को पकड़कर उसके बालों को नोंच रही थी।

रंगीला ने अब अपनी एक उंगली कामिनी की चूत में डाली और उसे अन्दर-बाहर करने लगा।

‘उफ्फ्फ.. रंगीला आह्ह्ह.. यार खुली छत है यार.. जल्दी करो.. पापा देख लेंगे।’ कामिनी की सिसकारियाँ मेरे कानों में टकरा रही थीं।
मेरी मासूम अल्हड़ बेटी शादी के घर में दो अंजान लड़कों से चुद रही थी।

रंगीला ने अब अपनी उंगली चूत से निकाल कर कामिनी के मुँह में डाली। कामिनी ने उस उंगली को चाट के अपनी ही चूत का स्वाद चखा।

अब रंगीला का लंड चूत चोदने के लिए फड़क रहा था, उसने कामिनी को थोड़ा और झुकाया और उसकी टांगों को खोलते हुए अपना सुपारा चूत की दरार पर रख दिया।
उसका लंड मोटा था इसलिए चूत में जाने में कष्ट तो होना ही था।
मेरी बेटी की चूत में लंड घुस गया

कामिनी ने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर उसे चूत पर सही सैट किया। रंगीला ने एक झटके में आधा लंड अन्दर कर दिया।


मुझे तो लगा था कि कामिनी रो पड़ेगी.. लेकिन उसके चहरे पर सिर्फ हल्का सा दर्द का भाव आया और उसने लंड चूत में सही तरह से ले लिया।
इसका मतलब कामिनी कॉलेज में लंडखोर थी और उसके लिए बड़ा और मोटा लौड़ा चूत में लेना कुछ नया नहीं था।

रंगीला नीचे झुका और कामिनी की गर्दन चूसने चाटने लगा.. फिर वापस अपनी कमर को एक करारा झटका और देकर उसने लंड पूरा अन्दर कर दिया।

‘आआह्ह्ह्ह.. मर गई यार.. बहुत दर्द हो रहा है.. मैंने सोचा ही नहीं था कि कानपुर के लड़कों का लंड इतना जबरदस्त होता है.. आह्ह्ह्ह..’ कामिनी के मुँह से एक घुटी-घुटी सी चीख निकली, मेकअप से पुते उसके गोरे चेहरे पर दर्द और वासना के भाव उभर आए थे।

दीवार से झुकी हुई अपने लहंगे को ऊपर सरकाए मेरी बेटी कामिनी चुदाई के लिए मचल रही थी।

‘मैंने भी नहीं सोचा था कि इतनी सर्दी में दिल्ली की मस्त लौंडिया अचानक चोदने को मिल जाएगी।’

कामिनी ने अपने हाथ रंगीला की कमर की चारों ओर लपेटे और उसे अपनी करीब खींचने लगी। रंगीला जोर-जोर से अपने लौड़े को चूत में अन्दर-बाहर धकेलने लगा। कामिनी भी अपनी कमर को हिला कर रंगीला का लंड अन्दर जड़ तक लेना चाहती थी।
 
रंगीला का मोटा लम्बा लंड मेरी कमसिन चुदासी बेटी की हल्के बाल वाली चूत में बहुत टाइट जा रहा था और मेरी चुदक्कड़ बेटी बोल रही थी – आहह्ह.. और जोर से चोद साले.. मादरचोद मेरी प्यासी चूत को मसल दे..

‘अरे वाह तू तो लोकल निकली.. मैं तो कान्वेंट की है यह जानकार तहजीब दिखा रहा था.. वैसे इधर जिसकी शादी है.. उसकी तू कौन है जंगली कुतिया..? आज मैं तेरी नन्ही सी गुलाबी चूत को चोद-चोद कर तुझे कनपुरिया रंडी बना दूँगा। तुम अमीरजादियाँ कभी एक लंड से नहीं खुश होती हो।’

‘मेरे भैया की शादी है..तुम लोग किसकी तरफ से आए हो?’
‘मेरी बहन की शादी है..’
‘मेरा भाई आज तेरी बहन की चूत लेगा भोसड़ी के..’

‘और मैं तुझे यहाँ चोदकर हिसाब बराबर कर रहा हूँ.. तुझे हर दिन चोदूँगा.. अपनी रंडी बना लूँगा.. लहंगा सम्भाल कुतिया.. वरना कोई समझेगा कि तेरा बलात्कार हो गया।’

‘आआहह्ह… हाँ बना ले यार मुझे अपनी रंडी.. मेरी कच्ची जवानी को चोदकर मुझे कली से फूल बना दे.. चोद दे इस दिल्ली की बिल्ली को..’

मेरी बेटी कामिनी पूरी तरह से वाइल्ड हो गई थी.. उसकी कच्ची जवानी उबाल मार रही थी।

‘रंगीला अब हट यार मुझे चोदने दे..’
‘आ जा रिशू.. तू भी चोद ले.. शायद ऐसी हाईप्रोफाइल लड़की की चुदाई तूने पहले नहीं की होगी।’

रिशू ने तुरंत अपना लंड कामिनी की चूत में डाल दिया।

‘आआह्ह…मर गई यार.. सीईईईई.. उफ्फ्फ.. तुम दोनों मिलकर दिल्ली की बच्ची को रंडी बना दोगे.. और जोर से रिशू.. आह्ह.. और जोर से..’

रिशू झुकी हुई कामिनी की बहुत तेज़ी से चूत मार रहा था। रंगीला ने अपना लंड वापस उसके मुँह में दे दिया।

कुछ देर तक ऐसे ही चुदाई करने के बाद रिशू और रंगीला ने कामिनी को फर्श पर झुका कर घोड़ी बना दिया। कामिनी ने अपने आपको कसकर साधा हुआ था और रंगीला ने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया।

कामिनी ‘आह.. आह.. ओह..’ करती गई और रंगीला अपना लंड जोर-जोर से उसकी चूत में धकेलता गया।

दस मिनट की पूरी मस्त चुदाई के बाद रंगीला ने लंड जब बाहर निकाला तो उसके अन्दर से फव्वारा निकल कर कामिनी की कमर पर गिरने लगा, कम से कम दस एमएल वीर्य निकल कर कामिनी के ऊपर आ गिरा था।

कामिनी ने पलट कर रंगीला के लंड को अपनी जबान से चाट कर साफ़ कर दिया। रंगीला ने कामिनी को खड़ा करके उसे किस दी और फिर दोनों अपने कपड़े ठीक करने लगे। रंगीला ने कपड़े पहनते-पहनते भी कई बार कामिनी के बदन को छुआ.. और एक बाप छिप कर बेटी की चुदाई देखता रहा।

‘मज़ा आ गया कामिनी.. तूने हमें अपना ग़ुलाम बना लिया।’
कामिनी और वे दोनों अपने कपड़े सही कर रहे थे.. उन तीनों के आने से पहले ही मैं वापस आ गया।

‘बेटा.. कहाँ गई थीं आप..?’
‘वाशरूम में गई थी पापा..’
‘हो गया.. अब चलें घर.. सुबह के चार बजने वाले हैं?’
‘ठीक है चलिए पापा..’

इसके बाद मैं अपनी बेटी कामिनी को लेकर वहाँ से निकल गया। पत्नी वहीं रूक गई थी।
 
इससे आगे की कहानी मेरे यानी शाजिया की ज़ुबानी


मेरे पति वसीम दुबई की एक कंपनी में आई टी ऑफिसर हैं। दो साल में ही मैंने पति के दोस्त राज का किराये का घर छोड़ कर एक अच्छी हाई प्रोफाइल कालोनी में तीन बेडरूम वाला फ़्लैट ले लिया था, घर में आराम की तमाम चीज़ें हैं और हौंडा सिटी कार भी है। दोहरी इनकम की वजह से मेरे पास पैसे की किल्लत नहीं रही थी, ऊपर से पति की ऊपरी कमाई भी हो जाती है जिसके चलते मैं अपने शौक कपड़े लत्ते, जूते और गहनों वगैरह पर खुल कर खर्च करती हूँ।

उन दिनों मेरे पति दुबई से छुट्टी पर आये हुए थे, 38 की उम्र में वैसे तो मुझे दो तीन बच्चों की माँ बन जाना चाहिये था लेकिन ऐसा नहीं हुआ, मेरी सिर्फ एक 18 साल की बेटी फ़ातिमा ही थी और इसकी वजह है मेरे पति की दूरी!
मेरा पति वसीम अपनी बच्चे जैसी लुल्ली से मेरी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाता, इसके अलावा वसीम को दुबई से शराब पीने की भी बहुत आदत लग गई थी और अक्सर देर रात को नशे में चूर होकर घर आता है या फिर घर में ही शाम होते ही शराब की बोतल खोल कर बैठ जाता है।

एक साल से पति के जिस्म की भूखी शुरू शुरू में मैं बहुत कोशिश करती थी उसे तरह तरह से चुदाई के लिये लुभाने की। मेरे जैसी हसीना की अदाओं और हुस्न के आगे तो मुर्दों के लंड भी खड़े हो जायें तो मेरे पति वसीम का लंड भी आसानी से खड़ा तो हो जाता है पर चुत में घुसते ही दो चार धक्कों में ही उसका पानी निकल जाता है और कईं बार तो चुत में घुसने से पहले ही तमाम हो जाता है।

उसने हर तरह की देसी दवाइयाँ चूर्ण और वियाग्रा भी इस्तेमाल किया, पर कुछ फर्क़ नहीं पड़ा।
अब तो बस हर रोज़ मुझसे अपना लंड चुसवा कर ही उसकी तसल्ली हो जाती है और कभी-कभार उसका मन हो तो बस मेरे ऊपर चढ़ कर कुछ ही धक्कों में फारिग होकर करवट बदल कर खर्राटे मारने लगता है।

मैंने भी हालात से समझौता कर लिया और वसीम को लुभाने की ज्यादा कोशिश नहीं करती। कई बार मुझसे रहा नहीं जाता और मैं बेबस होकर वसीम को कभी चुदाई के लिये ज़ोर दे दूँ तो वो गाली गलौज करने लगता है और कई बार तो मुझे पीट भी चुका है।
उनकी इन हरकतों की वजह से मैं अपनी बेटी को होस्टल से नहीं बुलाती थी।

वसीम मुझे भी अपने साथ शराब पीने के लिये ज़ोर देता था। पहले पहले तो मुझे शराब पीना अच्छा नहीं लगता था लेकिन फिर धीरे धीरे उसका साथ देते देते मैं भी आदी हो गई और अब तो मैं अक्सर शौक से एक-दो पैग पी लेती हूँ।

पति का होना न होना एक ही था, इससे अच्छा उनका न होना ही था, कम से कम उनके दोस्त राज और जय मुझे चोद तो रहे थे। अब चुदाई के लुत्फ़ से महरूम रहने की वजह से मैं बहुत ही प्यासी और बेचैन रहने लगी थी और फिर मेरे कदम बहकते ज्यादा देर नहीं लगी। और एक बार जो कदम बहके तो रुके ही नहीं!

अपनी बदचलनी और गैर मर्दों के साथ नाजायज़ रिश्तों के ऐसे ही कुछ किस्से यहाँ बयान कर रही हूँ।

फिलहाल पति की ग़ैर मौजदगी में मैं उनके दोस्तों से चुद रही थी जिसकी खबर धीरे धीरे मेरे कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स को लग गई।
‘इंग्लिश वाली शाज़िया मैडम चालू माल है।’ वे मेरे नाम से स्टाफ के टॉयलेट में ‘शाज़िया मैडम माल हैं, शाज़िया मैडम की चुत बहुत चिकनी है, शाज़िया की चुत चोदने को मिल जाय!।’ लिखने लगे।
मुझे स्टाफ के सामने बहुत शर्मिंदगी होती।

हमेशा क्लास के बाहर खड़े रहने वाले स्टूडेंट्स मेरी मस्त जवानी को नंगी नज़र से देखते और कुछ तो कमेन्ट भी कसते।
मैं भी जान बूझ कर उनको कई बार अपनी मोटी लेगिंग में कसी हुई गांड कुर्ती उठाकर दिखा देती।

‘शाज़िया मैडम क्या माल है… साली सलवार कुर्ती में भी होकर लंड को पागल कर रही है… ऊँची सेंडिल में इसकी मस्त चाल तो देखो…!’
‘इसका हस्बैंड तो बाहर रहता है, सुना है कि उसके दोस्तों से चुदवाती है।’
‘यार दिल करता है कि क्लास में ही झुका कर इसकी सलवार खींच दो और बारी बारी से सब मिलकर इसकी चुत को चोदो।’
मैं स्टूडेंट की बातों को सुनकर अनसुना कर देती, वहाँ से मुस्कुराती हुई निकल जाती।

एक दिन मैं बारहवीं की क्लास में लेक्चर के लिए गई तो मैंने सफ़ेद सूट पहना हुआ था जिसमें से मेरी फूलों वाली पेंटी साफ़ दिख रही थी, सब स्टूडेंट चुपके चुपके से मेरी पैंटी ही देख रहे थे, अपनी प्यास को दबाये मैं बहुत रोमांचित थी।

मैंने एक स्टूडेंट रोहित को नोटिस कर लिया जो कि मुझे देख कर अपना लंड सहला रहा था। रोहित मेरा ब्राइट स्टूडेंट था, उसको कुछ नहीं कहा।
मैं शर्म से अपनी पैंटी ठीक करने बाथरूम में चली गई।

लेकिन इतने में किसी ने मेरे बाथरूम का दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया, मैं समझ गई कि यह किसी स्टूडेंट की ही कारस्तानी है, मैं अंदर फंस गई।

इससे पहले मैं हेल्प के लिए चिल्लाती, मैंने खिड़की से उस स्टूडेंट को देख लिया, रोहित ही था, मैंने उसको दरवाजा खोलने के लिए बोला, वह मान गया।
लेकिन दरवाज़ा खोलते ही वह अंदर घुस गया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।

‘अरे!, ये तुम क्या कर रहे हो?’
‘मैम मैंने आपको पैंटी उतारते हुए देखा, आप बहुत सेक्सी लग रही थी।’
‘तो क्या करूँ, तुमने देख लिया तो किसी को बताना मत!’ उसको बोली और जाने लगी।

लेकिन उसने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया, मैं बोली- यह क्या कर रहे हो?
‘मैम आपको नीचे से तो देख लिया, अब में आपको ऊपर से भी नंगी देखना चाहता हूँ।’
‘रोहित, यह क्या बोल रहे हो, पागल हो गए क्या? टीचर हूँ तुम्हारी… तुम मेरे स्टूडेंट हो! यहाँ किसी ने देख लिया तुमको…’
‘मैम आप बहुत सेक्सी हो, प्लीज एक बार अपने बूब्स दिखा दो प्लीज़ प्लीज़…’

अजीब स्थिति थी, मैं अपने स्टूडेंट के साथ टॉयलेट में फ़ंस गई थी, शोर मचाती तो बहुत बदनामी होती, ऊपर से मेरे जिस्म के अन्दर दबी आग भी भड़क रही थी।
वह मुझे यहाँ वहाँ हाथ लगा रहा था। रोहित को मैं न चाहते हुए भी ख़ुद को छूने दे रही थी।

‘शाज़िया मैडम प्लीज दिखा दो न…’ उसका हाथ मेरी कुर्ती के अन्दर कमर पर था, वह मुझे चिपटा जा रहा था, मैं कसमसाती हुई ख़ुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी।
‘ठीक है सिर्फ दिखाऊँगी, कुछ करने नहीं दूंगी।’ मैं मान गई और कहने लगी- बस देखना ही है! और किसी को बताना मत!
‘ओके!’

इसके बाद मैंने अपनी सफ़ेद कुर्ती आगे से ऊपर कर दी, अब मैं अपनी दो मस्त मस्त कसी हुई चूचियों के साथ उसके सामने ब्रा में खड़ी थी।
‘मैम, प्लीज ब्रा उतार दो! प्लीज मेरी प्यारी शाज़िया मैडम, आप बहुत ही गोरी हो मैडम!’
‘उफ्फ, क्या मुसीबत है! ठीक है, मेरा हाथ पीछे नहीं पहुँच रहा है, तुम ही उतार दो!’

मेरे इतना बोलते ही रोहितके मन तो जैसे लड्डू फूटने लगे थे।

मैं पीछे घूम गई, उसने पहले मेरी सफ़ेद कुर्ती की ज़िप खोली फिर मेरी गुलाबी ब्रा की हुक खोल दिया, मेरी दो बड़ी बड़ी बॉल्स उछल कर बाहर आ गई, मेरी एकदम दूध सी सफ़ेद छातियाँ और उन पर गुलाबी निप्पल ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने आइसक्रीम के ऊपर चेरी डाल दी हो!

वह आंखें फाड़े मेरे बूब्स को देखता ही रह गया। मेरी छातियों को देखकर उसका लंड एकदम खड़ा हो गया, वह अपने खड़े हुए लंड को मसल रहा था, अचानक वह मुझे पकड़कर किस करने लगा।

‘अरे! यह क्या कर रहे हो तुम? हटो…’ मैंने उसको धक्का दिया और कहा- ये क्या कर रहे हो, कोई आ जायेगा।

लेकिन वो नहीं माना, मैं उससे बड़ी थी, सिर्फ उम्र में… ताक़त में नहीं!
वह मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए था।

‘छोड़ दो ना अब… हाय… क्या कर रहे हो…!’
‘प्लीज मैडम करने दो ना… नीचे आपकी नर्म नर्म चुत कितनी अच्छी लग रही है!’ उसके होंठ मेरी गर्दन का मर्दन करते हुए बूब्स तक फिसल रहे थे।
मैं अन्दर ही अन्दर सिसकार उठी, मेरा बदन में झुरझुरी सी होने लगी थी, मैं पसीने में नहा उठी, न चाहते हुए भी मेरा अंग अंग वासना से जलने लगा।

वो भी आगे से मुझे पकड़े हुए एक कुत्ते की तरह से अपनी कमर हिला हिला कर मेरी चुत पर अपने लंड को घिस रहा था, मेरी प्यासी चुत में आग भड़क उठी थी, लंड लेने को मेरी चुत बेताब होने लगी, मैं चुत का और जोर लगाने लगी ‘हाय रे… कैसी मदहोशी है…’ चुत गीली और चिकनी हो चुकी थी।
 
मैं सोच नहीं पा रही थी कि उसको खुद से दूर करूँ या फिर मेरी चुत पर रगड़ते उसके मोटे लंड को अन्दर ले लूँ। मैं पागलों सी बेचैन थी, मेरे दोनों स्तन उसके हाथों से बुरी तरह मसले जा रहे थे। ब्रा नहीं होने के कारण चूचियाँ बाहर निकल पड़ी थी, चूचुक कड़े हो चुके थे।

‘कोई देख लेगा, मैं तुम्हारी मम्मी की ऐज की हूँ… आआहह्ह!’ मैंने आखिरी कोशिश की लेकिन उसमें मेरा कोई विरोध नहीं था।
‘प्लीज़ मैम करने दो, कोई नहीं आएगा। बहुत प्यार करता हूँ आपको!’ इतना कहते ही वह मुझ को फिर से पकड़ लिया और किस करने लगा।

अब की बार न जाने क्यों मैं भी उसके सर को पकड़कर उसका साथ देने लगी। उसके दोनों हाथ मेरे बूब्स को सहला रहे थे। किस करने के बाद वह मेरी चूचियों को चूसने लगा।

‘आअह… रोहित… यह सब मत करो बेटा… उम्म्ह… अहह… हय… याह… टीचर हूँ तुम्हारी… आम्म्म…’

मेरे बूब्स तो बहुत सॉफ्ट सॉफ्ट थे एक स्पंज की तरह एकदम रसीले और नाजुक भरे बोबे देख के उसका मन डोलने लगा- मैडम आप बहुत सेक्सी हो, आपका फिगर सनी लियॉन की तरह है, मैंने फैसला किया है कि कुछ भी हो जाये आज तो आपको चोदना ही है।

मैं उसकी गिरफ्त में ढीली पड़ती जा रही थी, मेरे हाथ धीरे धीरे उठ कर उसकी पीठ पर कसने लगे।
‘उफ्फ… तुम अभी बहुत छोटे बच्चे हो यार, मत करो यह सब…’
‘नहीं मैडम अब मत रोको प्लीज़! एक बार चोद लेने दो न… मेरी प्यारी मैडम प्लीज… अगर एक बार आपको चोद दूँ तो आप अपने आप मेरे लंड की दीवानी हो जाओगी और मुझे अपनी चुदाई करवाने बार बार बुलाओगी।’

‘आह्ह हह्हह… सीईई… रोहित यार तूने मुझे पागल बना दिया है। तेरी टीचर बहुत दिन से प्यासी है… मत कर यह सब… कोई देख लेगा… आह्ह…!’

वह मेरे बोबे अपने हाथों में भर कर चुसे जा रहा था और दबाए जा रहा था।
‘वाह, क्या मर्दन था उसके होंठों का… मैं पागल हुई कुछ भी बके जा रही थी।

चूचियों को चूसते चूसते उसके हाथ मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी नाज़ुक चुत को सहलाने लगे। उसकी उंगलियाँ मेरी चुत की गहराई को खोज रहीं थीं।
मैंने अहसास किया कि मेरी चुत अब एक भट्टी की तरह तप रही थी। उसे पता चल गया था कि शाज़िया मैम की चुत बहुत गर्म हो चुकी थी, उसने मेरी सलवार के नाड़े को टटोलते हुए अपना हाथ मेरी सलवार में सरका दिया था।

मेरा विरोध ठंडा पड़ चुका था- रुको, मैं खोलती हूँ।
मैंने नाड़ा बाहर निकाला, उसने बिन कोई देरी किये खींच दिया।

अचानक बाहर किसी की आहट हुई, रोहित उछल कर खड़ा हो गया, मैं तुरंत अपनी कुर्ती नीचे करके सलवार का नाड़ा बांधने लगी।रोहित ने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया, मैं खामोश हो गई लेकिन आंखें बन्द किये हाँफ़ती रही, अपने आपको संयत करने लगी।
मैंने उसको ख़ुद से अलग करके अपने को ठीक किया। अपनी ड्रेस को सम्हाल कर मैंने धीरे से खिड़की में से बाहर झांका। यह कॉलेज की प्रिंसीपल डेलना मैडम थीं।
रोहित भी झांकने लगा।


रोहित भी झांकने लगा- मादरचोद बुड्ढी मूतने आई है।
अगले ही पल शर्र की पानी गिरने की आवाज़ हुई। हम दोनों समझ गए कि डेलना मैडम साड़ी उठाकर मूत रहीं हैं। कुछ ही देर में डेलना मैडम मूत कर चलीं गई।

मुझे फिर से लगने लगा कि रोहित मेरे साथ फिर से वही करे… लेकिन ऊपरी दिल से न न कर रही थी- रोहित… बस कर… ऐसे नहीं… हाय रे…!
पर उसने चुत पर हाथ जमा लिये थे… मेरी चुत को तरह तरह से सहलाने व दबाने लगा- बस मैडम, ऐसे ही कुछ देर अपनी चुदवा लो।
मैं आनन्द के मारे दोहरी हो गई, तड़प उठी ‘हाय रे, ये मेरी चुत में अपना लंड क्यों नहीं पेल दे रहा है!’ मैंने भी अब सारी शरम छोड़ कर उसका लंड पकड़ लिया- रोहित… तेरा लौड़ा पकड़ लूं?
‘पकड़ ले… पर फिर तू चुद जायेगी…’

उसके मुँह से मेरे लिए तू और चुदना शब्द सुन कर मैंने भी होश खो दिये- रोहित… क्या कहा? चोदेगा? …हाय रे… और बोल न… तेरा लंड मस्त है रे… सोलिड है… अपनी टीचर को चोदेगा?
मैंने पूरा जोर लगा कर उसके लंड को मरोड़ दिया… वो सिसक उठा।

मैंने उसे लगभग खींचते हुए कहा- रोहित… बस अब… आह … देर किस बात की है… मां री… रोहित… आजाऽऽ ‘आआह्ह्ह्ह… मत करो यह सब… रोहित… टीचर हूँ तुम्हारी मैं… आआहह्ह…
मैंने उसका हाथ रोक दिया लेकिन न जाने क्यों अपने आप ही मेरे हाथ की पकड़ ढीली पड़ गई, उसने ख़ुद की सलवार का नाड़ा खींचते हुए सफ़ेद पटियाला सलवार को खोल दिया, सलवार नीचे सरक कर मेरी जांघों पर अटक गई।

‘वाह मैडम, क्या चुत है आपकी इस उम्र में भी! एकदम पिंक और हल्के हल्के ब्राउन के बालों साथ! मैं तो आपकी चुत को देखकर पागल हो गया हूँ।’
मेरी हालत ख़राब थी, मैं भी अब मस्त हो रही थी, मेरे हाथ उसकी पैंट पर सरकते हुए उसके लंड को टटोलने लगे थे। मैंने उसकी ज़िप खोलकर अपना हाथ अन्दर बढ़ा दिया।

रोहित ने सहयोग करते हुए पैंट खोल दी, उसका सात इंच का नाग मेरे हाथों में था- तेरा तो बहुत बड़ा है रे… इतनी सी उम्र में… ज़रूर रोज सपनों में मुझे चोदता होगा और इसे हिलाता होगा। क्यों रोहित?
‘हाँ मैडम, आपसे बहुत प्यार करता हूँ, मैडम प्लीज़ इसे चूसो न…’
‘ज़रूर चूसूँगी मेरे बेबी… मैं तुम्हारी मम्मी की जितनी बड़ी हूँ, तू तो मेरा राजा बेटा है, डाल दे मम्मी के मुँह में… आआहह्ह’ मेरी दबी हुई वासना अब पूरी तरह से उफान पर थी।

सब कुछ भूल कर मैं तुरंत नीचे बैठ गई मैंने अपने लम्बे-लम्बे लाल नेल पोलिश लगे हुए गोरे हाथों से उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया।
‘आआहह्ह… मैडम… मेरी प्यारी शाज़िया मैडम… आप सबसे अच्छी हो… मैं आपका बेबी हूँ।’

मैं भूल चुकी थी कि रोहित मुझसे बहुत छोटा है, मेरा स्टूडेंट है- बस बस रोहित, मुझे अब जल्दी चोद! और नहीं रह सकती प्यासी!
मैं अपने सफ़ेद कुरते का दामन ऊपर करते हुए घूमकर कमोड के सहारे झुक गई, मेरी चोटी लहर कर हिल रही थी।

‘अब मैं पूरी गर्म हो चुकी थी, बोलने लगी- रोहित, प्लीज़ जल्दी चोदो, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है। चोद दे अपनी मैडम को! रंडी बना ले मुझे अपनी आआहह्ह!
 
उसका लंड मोटा, खुरदरा, बलिष्ठ और मेरी शहर की नर्म कोमल चूत… उसने लंड की चमड़ी ऊपर करके उसका चमकदार लाल सुपारा निकाल लिया। चड्डी से बाहर आ रहे मेरी चुत के बाल उसे खींचने में मजा आ रहा था… मुझे लगा कि लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है… पर मैं तो चुदने के लिये बेताब हो रही थी।

‘फिकर मत करो मैडम, आपने आज तक जिससे भी जितनी भी चुत चुदाई कराई हो, सब भूल जाओगी। आपका स्टूडेंट आपको खुश कर देगा आज!’
रोहित ने मेरी दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़कर मुझे थोड़ा और झुकाकर सेट किया और मेरी गुलाबी पेंटी नीचे जांघों पर खीचकर सरका दी।

शुक्र है कि टॉयलेट काफी बड़ा था। मैं घोड़ी बनी हुई थी, मेरे स्टूडेंट ने अपना लंड मेरी गर्म पानी छोड़ती पिंक चुत पर रख कर सेट किया। मैं एक हाथ से कमोड का फ्लश पकड़े झुकी हुई थी, दूसरे हाथ से मैंने अपनी चुत की दरार खोलकर उसके लंड के टोपे को सेट किया।

उसने एक जोरदार धक्का लगाया और उसका पूरा लंड मेरी चुत में घुस गया।
‘आआह्ह्ह्ह… अल्ला… उफ्फ… रोहित बहुत मोटा ही तेरा… बहुत दुःख रही है।’
‘कुछ नहीं होगा मैडम बस ऐसे ही झुकी रहो, बस थोड़ा सा और बाकी है।’

‘कोई देख लेगा… कोई आ जायेगा जल्दी चोद मुझे! क्या सोचेगा कोई… अपने स्टूडेंट से चुद रही है रंडी कहीं की… आंम्म्म…’ मैं पूरी पागल होकर वाइल्ड होती जा रही थी।

वह लगातार धक्के मारने लगा, अब मेरा कुछ दर्द भी कम हो गया था इसलिए मैं अपनी कमर हिला के रोहित का साथ देने लगी- आआ आआ हहहः आआ आआह म्म्म्म उफ्फ्फ रोहित चोद मुझे! चोद रोहित आआ आआ हाहाहा ऊह्ह्ह्ह ह्म्म्म म्म ऊओ ह्ह्ह आआआ… मर गई आआह्ह्ह्ह… अल्ला… चोद दे अपनी टीचर को बहुत प्यासी है मेरी चूत!

उसने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, लंड चुत की गहराइयों में डूबता चला गया… मैं सिसकारी भरती हुई झुकी लंड को अपने भीतर समाने लगी, मेरे बोबे तन गये… लंड जड़ तक उतर चुका था।

उसके हाथ मेरे बोबे पर कसते चले गये… उसका खुरदरा और मोटा लंड देसी चुदाई का मजा दे रहा था। मेरी चुत ने उसके लंड को लपेट लिया था और जैसे उसका पूरा स्वाद ले रही थी। बाहर निकलता हुआ लंड मुझे अपने अन्दर एक खालीपन का अहसास कराने लगा था पर दूसरे ही क्षण उसका अन्दर घुसना मुझे तड़पा गया, मेरी चुत एक मिठास से भर गई।

इतनी ज़बरदस्त मेरी चुदाई मेरे पति के दोस्तों ने भी नहीं की थी।

उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी… चुत में मिठास का अहसास ज्यादा आने लगा, मेरा बांध टूटने लगा था, अब मैं भी अपनी चुत को जोर जोर से उछालने लगी थी, वासना का नशा… चुदाई की मिठास… लंड का जड़ तक चुदाई करना… मुझे स्वर्ग की सैर करा रहा था।

पति की चुदाई से यह बिल्कुल अलग थी।
चोरी से चुदाई… जवान स्टूडेंट का देसी लंड… और कॉलेज का टॉयलेट… ये सब नशा डबल कर रहे थे। चुदाई की रफ़्तार तेज हो चुकी थी… मैं उन्मुक्त भाव से चुदा रही थी… चरमसीमा के नज़दीक आती जा रही थी।

एक जवान टीचर देसी लंड कब तक झेल पाती… मेरा पूरा शरीर चुदाई की मिठास से परिपूर्ण हो रहा था… बदन तड़क रहा था… कसक रहा था… मेरा जिस्म जैसे सब कुछ बाहर निकालने को तड़प उठा- अंऽअऽअऽऽ ह्ह्ह… रोहित… हऽऽऽय… चुद गई… ऐईईईइऽऽऽ… मेरा निकला रीऽऽऽ… माई रीऽऽऽऽ… जोर से मार रे… फ़ाड़ दे मेरी… गोऽऽऽपी…’

और मैं अब सिमटने लगी… मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और लगा कि मेरा सब कुछ चुत के रास्ते बाहर आ जायेगा… मैं जोर से झड़ने लगी।

रोहित समझ गया था, वो धीरे धीरे चोदने लगा था, मुझे झड़ने में मेरी सहायता कर रहा था- शाज़िया… मेरी मदद करो प्लीज… ऐसे ही रहो…!
मैंने अपने पांव ऊपर ही रखे… जवान स्टूडेंट का देसी लंड था, इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था। वह मुझे वापस झुका कर मेरी गांड को खोलने लगा। उसने उंगली से थूक लगाकर मेरी संकरी गांड के छेद को सहलाया, फिर धीरे धीरे उस पर अपना लंड का टोपा रगड़ा। मैं झुकी हुई अपनी चुत में दोबारा उसका लंड खाने का इंतज़ार कर रही थी।

तभी अचानक मैं दर्द से छटपटा उठी, उसका ताकतवर लंड मेरे चूतड़ों को चीरता हुआ मेरी गांड में घुस चुका था।
‘उफ्फ…!! नहीं… नहीं यह नहीं रोहित… मैं मर जाऊंगी…! गांड में नहीं…’

उसने मेरी एक नहीं सुनी… और जोर लगा कर और अन्दर घुसेड़ता चला गया- बस शाज़िया… हो गया… करने दे…प्लीज!
‘मेरी गांड फ़ट जायेगी रोहित… मान जा… छोड़ दे नाऽऽऽ बहुत दुःख रही है यार…गांड नहीं मरवाऊँगी!’

‘मैडम आपकी गोरी गुलाबी गांड मारने में जो मजा है वह दुनिया के किसी काम में नहीं है। जबसे हमको मालूम हुआ है कि आप अपने पति के दोस्तों से चुदवा रही हो, तबसे कॉलेज का हर एक लड़का आपकी गांड मारना चाहता है।’

‘प्लीज यार रोहित, बहुत दर्द हो रहा है गांड मत मार… मैडम हूँ तेरी!’
वह मेरी कमर को कसकर पकड़े हुए था, मैं कसमसा कर अपनी गांड सिकोड़ रही थी।

‘चुप मादरचोद साली तू सिर्फ एक शादीशुदा रांड है जिसका नामर्द पति चोद नहीं पाता है तो तू यहाँ वहाँ नए नए लंड से चुदाई करवाती है।’

मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरा ब्राइट स्टूडेंट रोहित मुझे गन्दी गन्दी गालियाँ देते हुए मेरी गांड मार रहा था।
अब उसके लंड ने मेरी गांड पर पूरा कब्जा कर लिया था, उसने धक्के बढ़ा दिये… मैं झड़ भी चुकी थी… इसलिये ज्यादा तकलीफ़ हो रही थी।

उसने मेरे बोबे फिर से खींचने चालू कर दिये, मेरी चूचियाँ जलने लगी थी- आअह्ह्ह्ह… बहुत दर्द हो रहा है… मेरी गांड मत मार यार… अल्ला!
लग रहा था जैसे मेरी गांड में किसी ने गर्म लोहे की सलाख डाल दी हो… मैं दर्द से बिलबिला उठी।

पर जल्दी ही दर्द कम होने लगा… मेरी सहनशक्ति काम कर गई थी। अब मैं उसके लंड को झेल सकती थी।
मैं फिर से गर्म होने लगी थी, उसकी गांड चोदने की रफ़्तार बढ़ चली थी। मुझे अपने स्टूडेंट से टॉयलेट में इस तरह गांड मरवाना अच्छा लग रहा था।

मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए जब पहली बार मेरे बॉयफ्रेंड ने क्लास के पीछे मेरा स्कर्ट उठाकर मेरी गांड मारी थी।

‘मैं मर गया… शाज़िया… मैं… मैं… गया… हाय…’ उसने अपना लंड गांड से बाहर खींच लिया।
अचानक फ़च्छ के साथ ही गांड में खालीपन लगने लगा।

मैं तुरंत घूम गई उसका लंड पकड़ कर जोर से दबा कर मुठ मारने लगी।
‘मुंह में ले… मुंह में ले साली कुतिया रांड…’ उसने तुरंत मेरी चोटी पकड़कर मुझे नीचे झुका दिया, उसके लंड में एक लहर उठी और मैंने तुरन्त ही लंड को अपने मुख में प्यार से ले लिया।

एक तीखी धार मेरे मुख में निकल पड़ी… फिर एक के बाद एक लगातार पिचकारी… फ़ुहारें… मेरे मुख में भरने लगी।
मैंने रोहित का सारा वीर्य स्वाद ले ले कर पी लिया… और अब उसके लंड को मुँह से खींच खींच कर सारा दूध निकाल रही थी।

कुछ ही देर में वो मेरे साथ खड़ा गहरी सांसें ले रहा था। मैंने भी अपने आप को संयत किया और उठ कर बैठ गई, वह भी उठ कर बैठ गया था।
उसने पूछा- मैम मजा आया?
तो मैंने कहा- बहुत… लेकिन थोड़ा कम्फ़र्टेबल नहीं था बाथरूम में॥!

उसने मेरे गाल पर ज़ोरदार किस किया, मैंने अपनी भीगी हुई पेंटी ऊपर खींची, सलवार को ठीक करते हुए बाँधा।
रोहित भी अपनी पैंट और बेल्ट बांधने लगा।
 
मैंने अपनी पेंटी ऊपर सरकाई, सलवार को ठीक करके बाँधा, रोहित ने भी अपनी पैंट, बेल्ट बांध ली।

लेकिन दरवाज़ा खोलते ही जैसे ही हमारी नजर सामने उठी, हम दोनों के होश उड़ गये, सामने स्टिक लिए, गोल चश्मा लगाए डेलना मैडम खड़ी थी।
मेरी तो हालत बिगड़ गई।

हम दोनों भौंचक्के से डेलना मैडम को देखने लगे।

रोहित तुरन्त डर के मारे मेट्रन के पैरों पर गिर पड़ा- मेम, प्लीज हमें माफ़ कर दो…
रोहित गिड़गिड़ाने लगा।

मेरी तो रुलाई फ़ूट पड़ी, चुदाई के चक्कर में पकड़े गये, नौकरी कैसे जाती है, सामने नजर आ रहा था।
‘ऊपर उठ!’ डेलना मैडम ने रोहित के चूतड़ों पर एक ज़ोर की छड़ी जमाई, वह अपनी गांड सहलाता हुआ खड़ा हो गया।

‘मैडम माफ़ कर दो, इस बच्चे के चक्कर में मैं बहक गई थी।’
‘बहक गई थी? अरे! मैं मूतने आई तो देखा आवाज़े बाहर तक आ रहीं थीं। अब दोनों चुप हो जाओ, आगे से ध्यान रखो, दरवाजे की कुन्डी लगाना मत भूलो! समझे? अब रोहित जरा मेरे साथ आओ, और शाज़िया तुम बाहर ध्यान रखना कि कहीं कोई आ ना जाये…!’

मैं भाग कर डेलना मैडम से लिपट पड़ी और उनके उनके गले लगकर फ़ूट फ़ूटकर रोने लगी।
‘मुझे माफ़ कर दो मैडम, मैं सच्ची बहक गई थी, अब कभी कॉलेज में नहीं करूँगी।’ और माफ़ी मांगने लगी।

डेलना मैडम पचास वर्ष की होगी, थोड़े से बाल सफ़ेद भी थे…पर उसका मन कठोर नहीं था- पगली! मैं भी तो इन्सान हूँ। मेरे पति बूढ़े हो चुके हैं। तुम्हारी तरह मुझे भी तो लंड चाहिये… जाओ खेलो और जिन्दगी की मस्तियाँ लो…’
और अपनी हैबिट ( मैक्सी या गाउन जैसी पोशाक) उठाकर मेरी जगह झुक कर खड़ी हो गई।

उनकी सफ़ेद चड्डी नीचे सरका कर रोहित उसके पीछे लग चुका था।

मैंने अपना बैग उठाया और वाशरूम के दरवाज़े पर पहरेदार बनकर खड़ी हो गई। अन्दर वासनायुक्त सिसकारियाँ गूंजने लगी थी… शायद डेलना मैडम की चुदाई चालू हो चुकी थी।

मेरी धड़कन अब सामान्य होने लगी थी, मुझे लगा कि बस ऊपर वाले ने हमारी नौकरी बचा ली थी। डेलना मैडम अन्दर चुद रही थी और हम बच गये थे वर्ना यह चुदाई तो हम दोनों को मार जाती।

उस दिन के बाद से मैं और डेलना मैडम काफी घुल मिल गए थे।
एक दिन की बात है, मेरी कॉलेज की प्रिंसपल डेलना मैडम ने मुझे नंगी फिल्म की सी डी दी, वो देसी ब्लू फिल्म की सीडी थी।

मैंने उस दिन पहली बार इंडियन देसी ब्लू-फिल्म देखी थी, उसमें लम्बा मोटा विदेशी लंड एक मासूम सी कम उम्र इंडियन लड़की को स्विमिंग पूल में चोद रहा था।

यह देखकर मुझे अजीब सा लगा, मन बार बार रोहित को याद करने लगा, कॉलेज के टॉयलेट में उसकी ज़बरदस्त चुदाई दिमाग़ में फिर से आने लगी, जंगली तरह से उसने मेरी सलवार खीचकर ज़बरदस्ती झुकाकर गांड मारी थी वह मैं भूल नहीं पा रही थी, दो दिन तक मेरी गांड दुखती रही थी।

मेरी भी प्यास भड़क गई थी और मैं भी अपनी चुत को उस जैसे किसी लंड से चुदवाना चाहती थी। घर में मेरा मन नहीं लग रहा था। मैं ब्लू जीन्स सफ़ेद टी शर्टपहन कर कुछ खरीददारी करने के बहाने से बाहर गई।
मैंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी ढीली सफ़ेद टी शर्ट से मेरे टिट्स साफ़ चमक रहे थे।

मैंने एक रेस्टोरेंट में बैठकर तुरंत अपने पति के दोस्त राज को कॉल किया- राज कहाँ हो?
‘शाज़िया कैसी है मेरी डार्लिंग? मैं तो यहीं हूँ शहर में!’
‘कुछ करो, बहुत दिन हो गए मिले हुए?’
‘क्या? सीधा सीधा बोल न, क्यों परेशान है?’
‘और कितना सीधा बोलू यार… चुदवाना चाहती हूँ, यह बोलूँ? तूने ऐसा चस्का लगाया है कि दिल करता है कि बस जो भी चोदना चाहे खोलकर हाँ कर दूँ।’

‘हा हा हा… अभी तो मुश्किल है, कुछ दिन रुक जा कुछ जुगाड़ करता हूँ।’
‘चूतिया… चुत में आग अभी लगी है और तू बोलता है कि रुक जा… क्या यहीं चौराहे पर चुदवा लूँ? मादरचोद…’
‘रंडी बिगड़ गई है तू दो-दो लौड़े लेकर। कौन बोलेगा कि तू स्कूल में शरीफ सी टीचर है। रुक जा कल तक किसी होटल की जुगाड़ करता हूँ। नहीं हो पाया तो एक दोस्त का फॉर्म हाउस है वहाँ ले चलूँगा तुझे। लेकिन फॉर्म हाउस का किराया लगेगा तुझसे?’

‘मतलब एक और…?’
‘तो क्या दिक्कत है? ग्रुप सेक्स में तो तू मास्टर हो गई है, जय को भी बुलवा लूँगा।’
‘चल मादरचोद, ठीक हैम चल बाय!’

रेस्टोरेंट में एक कॉफ़ी पीकर मैं एक से डेढ़ घंटा तक यूं ही सड़कों पर यहाँ वहाँ घूमती रही। भीड़ में मौक़ा देखकर कोई मेरी गांड को दबा देता तो कोई मेरे मम्मो को मसलता हुआ निकल जाता था, मैं अन्दर तक सिहर जाती।
 
मैं अन्दर ही अन्दर जल रही थी, मैंने वहाँ से निकल कर फिल्म देखने का प्लान बनाया। मुझे सेंट्रल पार्क के पास वाले सिनेमा हाल में जाना था। मैंने एक ऑटो वाले को हाथ दिखाकर ऑटो को रोका- ऑटो वाला, सेंट्रल पार्क चलोगे?
‘नहीं उधर बहुत ट्राफिक रहता है।’
‘निकल मादरचोद यहाँ से, क्या अपनी माँ चुदाने निकला है।’ ऑटो वाला गुस्से से मेरा मुँह देखता हुआ वहाँ से बढ़ गया, कुछ बोला नहीं क्योंकि मैं औरत थी।

मैं वहाँ से मेट्रो के लिए बढ़ गई। कुछ ही देर में मैं मेट्रो के पुरुष बोगी में एक कोने में थी। शाम होने के कारण अन्दर बहुत भीड़ थी। औरत होने का यह फायदा है कि आप पुरुष डब्बे में चढ़ सकती हैं लेकिन पुरुष महिला डब्बे में नहीं चढ़ सकते।

अन्दर बिल्कुल भी जगह नहीं थी पर जगह बनाते हुए कई लोग अन्दर आ गए।
उनमें से एक की नज़र मुझ से मिली, और न जाने क्यों उसने मेरी तरफ बढ़ना शुरू कर दिया। भीड़ को चीरते हुए वह मेरी तरफ अन्दर आता रहा और मेरे पास आकर रुक गया।

मैं उसको पहचान गई थी, यह अभी कुछ देर पहले रेस्टोरेंट में बैठा मुझे घूर रहा था।
एक दूसरा लड़का भी उसके पीछे पीछे जगह बनता हुआ पास में आ गया। पहला लड़का ऊंचा और गोरा था, दूसरा लड़का साधारण ऊँचाई और रंग का था।

दोनों मेरे पास थोड़ी देर तक चुपचाप खड़े रहे। मेट्रो चलती रही और उसके तेज़ मोड़ बार-बार मुझे उस ऊंचे लड़के से टकराने पर मजबूर कर रहे थे।
शायद उस लड़के को मेरे मम्मों के उछाल से समझ में आ गया कि मैंने टी शर्ट के अन्दर ब्रा नहीं पहनी है, वह ध्यान से मेरे सीने की ओर देखने लगा और फिर थोड़ा और आगे बढ़ कर मेरे और करीब आ गया।

अब तो मेरी नाक उसकी छाती से टकरा रही थी। अगली बार जब ट्रेन का धक्का लगा, तो मैं करीब करीब उसके ऊपर गिर ही पड़ी। संभलने में मेरी मदद करते हुए उसने मेरे दोनों चूचियों को पूरी तरह जकड़ लिया।

इतनी भीड़ थी और हम इतने करीब थे कि मेरे सीने पर उसके हाथ और मेरी चूचियों का बेदर्दी से मसलना कोई और नहीं देख सकता था। मेरे सारे शरीर में करेंट दौड़ गया, अपनी चुत में मुझे अचानक तेज़ गर्मी महसूस होने लगी। इतना सुख महसूस हो रहा था कि दर्द होने के बावजूद मैंने उसे रोका नहीं।

भरे डब्बे में मैं अपनी चूचियां मसलवा रही थी, मुझे सुख की असीम अनुभूति हो रही थी, मेरी सिसकारियां अन्दर ही अन्दर घुट रहीं थीं।
बस फिर क्या था, उसकी समझ में आ गया कि मैं कुछ नहीं बोलूंगी। फिर तो वह और भी पास आ गया और मेरे मम्मे सहलाने लगा। मेरी चूचियाँ तन कर खड़ी हो गई थी, वह उनको मरोड़ता और सहलाता।

मेरी आँखें बंद होने लगी, मैं तो स्वर्ग में थी!

तभी मुझे एहसास हुआ कि पीछे से भी एक हाथ आ गया है जो मेरे मम्मे दबा रहा है। दूसरा लड़का मेरे पीछे आकर सट कर खड़ा हो गया था, उसका लंड खड़ा था और मेरी गांड से टकरा रहा था।

अब मैं उस दोनों के बीच में सैंडविच हो गई थी, दोनों बहुत ही करीब खड़े थे और मुझे घेर रखा था। इतने में पहले लड़के ने अपना हाथ नीचे से मेरी टी-शर्ट में डाल दिया। उसका हाथ मेरे नंगे बदन पर चलता हुआ मेरे मम्मों के तरफ बढ़ने लगा।

मेरी सांस रुकने लगी, मन कर रहा था कि खींच कर अपनी टीशर्ट उतार दूँ और उसके दोनों हाथ अपने नंगे सीने पर रख लूँ।
आखिर उसके हाथ मेरी नंगी चूचियों तक पहुँच ही गए। अब तो मेरी वासना बेकाबू हुए जा रही थी।

पीछे खड़े हुए लड़के ने भी अपना हाथ मेरी टीशर्ट के अन्दर डाल दिया। अब तो मैं सैंडविच बन कर खड़ी थी, मेरे एक मम्मे पर पीछे वाले का हाथ था, और दूसरे को आगे वाले ने दबोच रखा था।

तभी आगे वाले लड़के ने अपना मुँह मेरे कान के पास ला कर कहा- मजा आ रहा है न?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, मुँह में ज़ुबान ही नहीं थी।

उसने फुसफुसा के कहा- मैडम। थोड़ी टाँगें फैला दे तो और भी मजा दूंगा।

मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा लेकिन वासना की आग इतनी तेज़ जल चुकी थी कि अपने को रोक न पाई, बिना कुछ कहे मैंने अपने टाँगें थोड़ी फैला दी, उसने अपना एक हाथ मेरे मम्मे पर रखा और दूसरा मेरी जीन्स में घुसा दिया। उसकी उंगलियाँ मेरी कोमल नर्म चुत तक पहुँच गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

जैसे ही उसके हाथ मेरी चुत के हल्के बालों से टकराए, वह चौंक गया, फिर अपने दोस्त से फुसफुसा कर बोला- साली ने पेंटी भी नहीं पहनी है। यह तो चुदने के लिए मेल कम्पार्टमेंट में चढ़ी है।

फिर अपनी उंगलियों से मेरी चुत की फांकें अलग करके उसने एक उंगली मेरी गीली चुत में घुसानी चाही, लेकिन उसको रास्ता नहीं मिला।
अब वह दुबारा चौंका और मुझसे ऐसी आवाज़ में बोला कि बस मैं और उसका दोस्त ही सुन सकते थे- मैडम, इतनी बेताब हो चुदने के लिए लेकिन अभी यहाँ पॉसिबल नहीं होगा, चलो अगले स्टेशन पर उतर जाते हैं।
मैं कसमसाई लेकिन कुछ नहीं बोली।

‘अगर तुम चाहो तो हम तुम्हारी चुत को ठंडा कर देते हैं। उसके बाद तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते?’ उसके दोस्त ने मेरी चूची को नोच कर मेरे दूसरे कान में मदहोश करने वाले तरीके से फुसफुसा के कहा- छुआ छुई में जो मजा है, रानी, असली चुदाई में उससे कहीं ज्यादा मजा आएगा। और हम तुझे चोदेंगे भी बहुत प्यार से… तीनों मिल के मौज करेंगे और फिर तुझे हिफाज़त से छोड़ देंगे।
 
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