hotaks444
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रात को डिनर के बाद सारा काम ख़तम करने के बाद मैंने बीजी से कहा..
मैं: बीजी..........दप्पहर नू तुस्सी मैंनु पप्पी पूरी नही करने दी.....ओ..फ़ोन आ गया सी ना..
बीजी: हुन नही......मैंनु नींद आ रही ए.......कल देखांगे.
अगले दिन मैं बीजी को बेड टी देने गया......
बीजी ने वही अपना पतला वाला सूट पहना हुआ था..
मैं: बीजी...चा रखी ए
बीजी: रख दे...
मैं वही खड़ा रहा..
बीजी: तेनू रोज़ सुबह सुबह पप्पी चाहिदि ए..
मैं: बीजी...कल तुस्सी पप्पी नू अधूरा छोड़ दित्ता सी..
बीजी: ऑफ..ओ.....ले करले हुन अधूरा काम पूरा.
मैं बीजी के पलंग पर चढ़ गया......अपना मूह उनके अन्डर आर्म्स के पास ले गया..
मैं: पर बीजी.....तुस्सी ओ सूट नही पहन रखा जो कल पहन रखा सी.......
बीजी: ते तू दस....हुन की करा...ओ सूट ते मैं नहा के पावान्गी
मैं: ते हुन और कित्थे दी पप्पी लेन दो..
बीजी: कित्थे दी ?...
मैं: उत्थो (वहाँ) दी..
बीजी: उत्थो कित्तों दी (वहाँ कहाँ की) ?
मैं: ओ...चुन्नी वाली जगह दी...
बीजी: चुन्नी वाली जगह....नही नही....उत्थो दी पप्पी नही लेने दूँगी...
मैं: क्यो बीजी....
बीजी: उस दिन ते तू कह रहा सी कि चुन्नी वाली
जगह मरदा नू अच्छी क्यो लगदी ए...इस इच अच्छे लगने वाली की चीज़ ए..............ते आज
उसी जगह दी पप्पी मान्ग्दा ए..
मैं: लेन दो ना बीजी..........बस इक वारी.....प्लीज़.....प्लीज़ बीजी.....चाहे फिर
अपने अन्डर आर्म्स दी पप्पी ना लेन देना.......प्लीज़ा बीजी....ना मत करो..
बीजी: बस इक वारी.........सिर्फ़ इक वारी..
बीजी के ये कहते ही मैं अपना मूह बीजी की छाती पे ले आया......
पहले बीजी के स्तनो के साईड मे होठ चलाता रहा....... बीजी ने पतले कपड़े की कमीज़ पहनी
थी....ब्रा भी पहनी थी..
मैंने उनके निप्पल पे कस के पप्पी ली....
बीजी: आह.......पुत्तर...आराम नाल कर....मैं की भागी जा रही आं..
मैं: बीजी.....कुछ मज़ा नही आ रहा......तुस्सी बहुत मोटे कपड़े पहन रखे
है..
बीजी: नही ते.......मेरी कमीज़ ते बहुत पतली ए..............मैं ओ ज़रूर पाया ए जो
औरते कमीज़ दे अंदर पान्दी है
मैं: बीजी ए गल ग़लत है....
बीजी: तू की चाहन्दा ए कि मैं ओ चीज़ निकाल दाँ........नही
मैं: बीजी......रात नू ते आपने पहाडा (माऊन्टैन्स) नू आज़ादी दित्ता करो..
बीजी: पहाडा नू.......तेनू की ये पहाड दिख दे है?
मैं: दिख दे कित्थे है.....पहाडो के ऊपर ते बादल है.......तुस्सी इक बादल भी हटा दो ते
पप्पी दा मज़ा आ जाए. मैं उनके पहाडो पे हाथ रख कर दबाने लगा..
बीजी: आह...हह....की करदा पेया ए..?..
मैं: पहाडा नू दबा के देख रहा हूँ......शायाद बादल उड़ जाए..
बीजी थोड़ा सा मुस्कुराई
बीजी: पगले.......दबान नाल बादल नही उडान्गे...आअहह.....तू मेरे नहाने के बाद मेरी
अन्डर आर्म्स दी ही पप्पी ले लियो..
मैंने उनके पहाड बहुत कस के दबाए...
बीजी: आहह....आअहह
मैं: ठीक है बीजी....मैं त्वाड्डे अन्डर आर्म्स दी पप्पी ही ले लेवांगा.
ये कह मैं पलंग से उठ गया..
मैं: बीजी..........दप्पहर नू तुस्सी मैंनु पप्पी पूरी नही करने दी.....ओ..फ़ोन आ गया सी ना..
बीजी: हुन नही......मैंनु नींद आ रही ए.......कल देखांगे.
अगले दिन मैं बीजी को बेड टी देने गया......
बीजी ने वही अपना पतला वाला सूट पहना हुआ था..
मैं: बीजी...चा रखी ए
बीजी: रख दे...
मैं वही खड़ा रहा..
बीजी: तेनू रोज़ सुबह सुबह पप्पी चाहिदि ए..
मैं: बीजी...कल तुस्सी पप्पी नू अधूरा छोड़ दित्ता सी..
बीजी: ऑफ..ओ.....ले करले हुन अधूरा काम पूरा.
मैं बीजी के पलंग पर चढ़ गया......अपना मूह उनके अन्डर आर्म्स के पास ले गया..
मैं: पर बीजी.....तुस्सी ओ सूट नही पहन रखा जो कल पहन रखा सी.......
बीजी: ते तू दस....हुन की करा...ओ सूट ते मैं नहा के पावान्गी
मैं: ते हुन और कित्थे दी पप्पी लेन दो..
बीजी: कित्थे दी ?...
मैं: उत्थो (वहाँ) दी..
बीजी: उत्थो कित्तों दी (वहाँ कहाँ की) ?
मैं: ओ...चुन्नी वाली जगह दी...
बीजी: चुन्नी वाली जगह....नही नही....उत्थो दी पप्पी नही लेने दूँगी...
मैं: क्यो बीजी....
बीजी: उस दिन ते तू कह रहा सी कि चुन्नी वाली
जगह मरदा नू अच्छी क्यो लगदी ए...इस इच अच्छे लगने वाली की चीज़ ए..............ते आज
उसी जगह दी पप्पी मान्ग्दा ए..
मैं: लेन दो ना बीजी..........बस इक वारी.....प्लीज़.....प्लीज़ बीजी.....चाहे फिर
अपने अन्डर आर्म्स दी पप्पी ना लेन देना.......प्लीज़ा बीजी....ना मत करो..
बीजी: बस इक वारी.........सिर्फ़ इक वारी..
बीजी के ये कहते ही मैं अपना मूह बीजी की छाती पे ले आया......
पहले बीजी के स्तनो के साईड मे होठ चलाता रहा....... बीजी ने पतले कपड़े की कमीज़ पहनी
थी....ब्रा भी पहनी थी..
मैंने उनके निप्पल पे कस के पप्पी ली....
बीजी: आह.......पुत्तर...आराम नाल कर....मैं की भागी जा रही आं..
मैं: बीजी.....कुछ मज़ा नही आ रहा......तुस्सी बहुत मोटे कपड़े पहन रखे
है..
बीजी: नही ते.......मेरी कमीज़ ते बहुत पतली ए..............मैं ओ ज़रूर पाया ए जो
औरते कमीज़ दे अंदर पान्दी है
मैं: बीजी ए गल ग़लत है....
बीजी: तू की चाहन्दा ए कि मैं ओ चीज़ निकाल दाँ........नही
मैं: बीजी......रात नू ते आपने पहाडा (माऊन्टैन्स) नू आज़ादी दित्ता करो..
बीजी: पहाडा नू.......तेनू की ये पहाड दिख दे है?
मैं: दिख दे कित्थे है.....पहाडो के ऊपर ते बादल है.......तुस्सी इक बादल भी हटा दो ते
पप्पी दा मज़ा आ जाए. मैं उनके पहाडो पे हाथ रख कर दबाने लगा..
बीजी: आह...हह....की करदा पेया ए..?..
मैं: पहाडा नू दबा के देख रहा हूँ......शायाद बादल उड़ जाए..
बीजी थोड़ा सा मुस्कुराई
बीजी: पगले.......दबान नाल बादल नही उडान्गे...आअहह.....तू मेरे नहाने के बाद मेरी
अन्डर आर्म्स दी ही पप्पी ले लियो..
मैंने उनके पहाड बहुत कस के दबाए...
बीजी: आहह....आअहह
मैं: ठीक है बीजी....मैं त्वाड्डे अन्डर आर्म्स दी पप्पी ही ले लेवांगा.
ये कह मैं पलंग से उठ गया..