hotaks444
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''तो अजय ने कौन से मेरी चूत कभी चाटी है, वो तो बस अपना लण्ड चुसवाता है, और फ़िर एक झटके में मेरी चूत में घुसा देता है, मेरा भी ये पहला एक्स्पीरियेंस होगा, चलो एक साथ सीखेंगे,'' दीदी ने समझाते हुए कहा।
''ओके ठीक है, लेकिन आप कहाँ करवाना चाहोगी?"
''मेरे रूम में,'' दीदी ने जवाब दिया, और फ़िर खड़े होकर अपने रूम की तरफ़ चल दीं। मैं दीदी के पीछे पीछे चल दिया, मेरा लण्ड बॉक्सर में फ़ुँकार मार रहा था।
जैसे ही हम दोनों दीदी के रूम में पहुँचे, दीदी ने मुझे कपड़े उतारकर बैड पर लेट जाने को कहा। मैं तो जैसे दिवास्वप्न में था, मैंने झट से अपने कपड़े उतार दिये, मैं नहीं चाहता था कि कहीं दीदी का मूड चेंज हो जाये।
दीदी ने बैड पर चढते हुए अपने भाई के मोटे लम्बे लण्ड को देखा, और फ़िर मेरे पैरों के बीच आ कर बैठ गयी। फ़िर मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर, थोड़ा झुकते हुए मेरे लण्ड के सुपाड़े को चाटने लगी। दीदी ने जैसे ही लण्ड चूसना शुरू किया, मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी। मैं दीदी को अपना पूरा मुँह खोलते हुए मेरे लण्ड का सुपाड़ा अंदर ले जाते हुए देख रहा था। दीदी किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे लण्ड के सुपाड़े को चूस रही थी, और मेरे पूरे बदन में आनंद की लहर सी दौड़ रही थी।
दीदी थोड़ा और झुकते हुए लण्ड को और ज्यादा अपने मुँह में अंदर लेने का प्रयास करने लगी। दीदी का पूरा मुँह मेरे लण्ड से भरा हुआ था, लेकिन फ़िर भी दीदी को लण्ड का निचला हिस्सा पकड़ने के लिये काफ़ी हिस्सा बचा हुआ था। दीदी उसको पकड़ कर हिला रही थी, और मैंने दीदी के मुँह में झटके मारने शुरू कर दिये थे। मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी के गले से जाकर टकरा रहा था। दीदी के गले में घुटन हो रही थी, दीदी ने एक पल के लिये लण्ड को बाहर निकाल दिया, और मेरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक अपने हाथ से थूक से गीला और चिकना करने लगी।
''विशाल तुम्हारा लण्ड वाकई में बहुत बड़ा है,'' दीदी ने मुझसे कहा। ''इसको तो कोई भी लड़की पूरा अपने मुँह में नहीं ले सकती।''
दीदी ने फ़िर से सुपाड़े पर जीभ फ़िराते हुए, मेरे लण्ड के निचले हिस्से को चूसना शुरू कर दिया। हर झटके के साथ मेरा लण्ड दीदी के मुँह में और अंदर चला जाता।
दीदी अपने थूक से मेरे लण्ड की पूरी लम्बाई तक गीला कर रही थी, और एक हाथ से उसकी मुट्ठ भी मार रही थी।कुछ देर बाद मैं गुर्राने और कराहने लगा, मैंने अपने लण्ड को दीदी के मुँह मे एक बार जोर से पेला और मेरे वीर्य के पानी का ज्वालामुखी दीदी के मुँह में फ़ूट गया।
मेरे लण्ड ने इतना सारा वीर्य का पानी निकाला था कि गिफ़्टी दीदी का पूरा मुँह गले तक भर गया, और बाहर निकल कर दीदी की ठोड़ी पर टपकने लगा। जैसे ही दीदी ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में से बाहर निकाला, मेरे लण्ड की अगली पिचकारी दीदी के माथे पर गिरी, और फ़िर अगली उनकी ठोड़ी पर, और दीदी के हाथ पर होते हुए वीर्य मेरे लण्ड पर टपकने लगा। जितना वीर्य का पानी दीदी के मुँह में था दीदी ने एक घूँट में अंदर निगल लिया।
दीदी हँसते हुए बोली, ''ये सब क्या है, विशाल, इतना सारा पानी?" मैंने दीदी से पूछा, ''आप ठीक तो हो ना दीदी?" दीदी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ''मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम मेरा पूरा मुँह ही पानी से भर दोगे, चलो अब मैं बाथरूम में साफ़ कर के आती हूँ, उसके बाद तुम मेरी चाट लेना।'' दीदी भाग कर बाथरूम में घुस गयी, और बाथरूम के शीशे में अपने चेहरे को मेरे वीर्य के पानी से पूरी तरह गीला हुआ देखकर ये सोचकर हँसने लगी कि अगर मम्मी उसको इस हाल में अपने छोटे भाई के वीर्य के पानी से भीगा हुए देख लें तो वो क्या कहेंगी। दीदी फ़टाफ़ट अपना चेहरा फ़ेसवॉश से, और अपनी चूत पानी से धोकर जल्दी से अपने कमरे में आ गयी।
कमरे में आते ही दीदी ने अपने सारे कपड़े उतार दिये, और मादरजात नंगी होकर बैड पर लेट गयी। मेरी नजर दीदी का पीछा कर रही थी, दीदी ने बैड पर लेटकर अपनी टाँग़ें चौड़ी कर के फ़ैला दीं। मैं अचरज से दीदी की चूत के खजाने को देख रहा था। दीदी अपनी चूत अपने छोटे भाई के सामने खोल के बैड पर लेटे हुए मुझे प्रदर्शित कर रही थी, और मैं दीदी के यौनांगों को निहार रहा था। मैंने दीदी की चूत के छेद पर एक ऊँगली ऊपर से नीचे तक फ़िरायी, और फ़िर उस ऊँगली को दीदी की चूत के रस में भोगोकर, उस उँग़ली को अपने होंठों पर लाकर टेस्ट करने लगा। मुझे ऐसा करते हुए देखकर दीदी ने पूछा, ''अच्छा लगा विशाल?"
मैंने मुस्कुराते हुए हामी में गर्दन हिला दी, और दीदी की चूत को जीभ से चाटने के लिये नीचे झुकने लगा।
''हाँ चलो अब शुरू हो जाओ,'' दीदी ने आदेशात्मक लहजे में कहा। जब मैं दीदी की चूत पर जीभ फ़िरा रहा था तो दीदी मुझे बताती जा रही थी कि कहाँ उनको मजा आ रहा था और कहाँ नहीं। मैंने दीदी की चूत के छेद में जीभ घुसा दी और फ़िर जीभ को अंदर घुमाने लगा, और चूत के हर अंदरूनी हिस्से को चूसने चाटने लगा, और उत्तेजित होकर दीदी की चूत से मस्त लिसलिसा पानी बाहर बहने लगा।
दीदी ने अपने दोनों हाथों से चूत की फ़ाँकों को अलग कर अपने छोटे भाई के सामने खोलते हुए, ऊपरी हिस्से पर चूत के दाने को दिखाते हुए बोली, ''यहाँ पर इसको चाटो,'' और जैसे ही मैंने अपनी जीभ दीदी की चूत के दाने पर रखी, दीदी चिहुँकते हुए बोली, ''हाँ ऐसे ही इसको ऊपर से, और आस पास ऐसे ही चाटते रहो।''
जैसा दीदी कह रही थी, मैं उनके हर आदेश का पालन कर रहा था, और अपनी जीभ से दीदी ने जो चूत का का जो मस्त दाना दिखाया था उसको चूस और चाट रहा था। कुछ ही समय बाद दीदी मस्त होकर कराहते हुए सिसकने लगी, और झड़ने के करीब पहुँचते हुए बैड पर लेटे हुए मचलने लगी।
''ओह, विशाल जोर से, और जोर से करो, यहीं पर और जोर से, हे भगवान, हाँ ऐसे ही!" गिफ़्टी दीदी झड़ते हुए बड़बड़ाये जा रही थी। और फ़िर दीदी ने मेरे सिर को धक्का मार के दूर कर दिया, क्योंकि मैं उनकी चूत को चाटे ही जा रहा था। दीदी निढाल होकर बैड पर लेटी हुई थी, और इतना अच्छी तरह झड़ने के लिये अपने छोटे भाई को थैन्क्स बोल रही थी। इतनी अच्छी तरह तो अजय जीजू ने कभी उनकी चूत को नहीं चाटा था। जब मैं उनके रूम से बाहर जाने लगा, तो उन्होने मुझे अपनी पैण्टी उठाकर देने को कहा, और वेट करने को कहा। मैंने जमीन पर पड़ी उनकी पैण्टी को उठाकर उनकी तरफ़ फ़ेंक दिया।
गिफ़्टी दीदी ने बैड से उतरकर खड़े होकर, और कॉटन की पैण्टी को पहनते हुए ऊपर खींचना शुरु कर दिया। और दीदी ने पैण्टी को इस कदर ऊपर टाईट खींच लिया कि उनकी पैण्टी से चूत का कैमल-टो साफ़ नजर आ रहा था। पैण्टी के कपड़े ने उसकी चूत की फ़ाँकों को कस कर जकड़ रखा था। दीदी की पैण्टी में कसी उनकी चूत को देखकर मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा होना शुरू हो गया था। और फ़िर दीदी ने अपना एक हाथ अपनी चूत पर ले जाकर उसकी एक उँगली अपनी गीली चूत में घुसा ली।
मैं अपने लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगा, गिफ़्टी दीदी मुस्कुराई और फ़िर उन्होने फ़िर से अपनी पैण्टी को उतार दिया। मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, तभी दीदी ने पैण्टी को मेरी तरफ़ फ़ेंक दिया।
''तुम मेरे छोटे भाई हो, तुमको अब हैम्पर से मेरी पैण्टी उठाने की कोई जरूरत नहीं है, अपने रूम में जाकर मजे करो अपनी दीदी की पैण्टी के साथ। चाहे जो कर लेना लेकिन अपने पानी से पैण्टी को गंदा मत करना। ये कहते हुए दीदी ने ड्रॉवर से एक नयी पैण्टी और जीन्स निकाल कर पहन ली, और मुझे वहाँ से दफ़ा होने का इशारा किया।
रात में खाना खाने के बाद, अपने कमरे में बैड पर लेटे हुए गिफ़्टी दीदी दोपहर में अपने छोटे भाई के साथ जो मजे किये थे, उसके बारे में सोच रही थीं। दीदी फ़िर से चुदासी हो गयी थी, और उनका फ़िर थोड़ा और मजा करने का मूड बन गया। दीदी ने घड़ी की तरफ़ देखा रात का एक बज रहा था। उन्होने सोचा कि अब तक तो बाकी सब सो गये होंगे, और वो अपने बैड से उठकर सीधे अपने छोटे भाई के रूम की तरफ़ चल दी। दीदी ने मेरे रूम में घुसकर उसके डोर को सटकनी लगा कर बंद कर लिया, और मेरे बैड के पास आ गयी। मैं अपने पेट के बल औंधा सो रहा था, दीदी ने मेरे ओढे हुए चादर को मेरे पैरों और बॉक्सर के ऊपर से हल्के से हटा दिया, वो नहीं चाहती थी कि मैं जाग जाऊँ। मैं थोड़ा कसमसाया लेकिन जागा नहीं था। दीदी ने बॉक्सर के बटन खोलकर मेरे लण्ड को धीमे से बाहर निकाल लिया, और बैड का सहारा लेकर झुकते हुए मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। जैसे ही मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, मैं नींद में ही कराहने लगा।
''ओके ठीक है, लेकिन आप कहाँ करवाना चाहोगी?"
''मेरे रूम में,'' दीदी ने जवाब दिया, और फ़िर खड़े होकर अपने रूम की तरफ़ चल दीं। मैं दीदी के पीछे पीछे चल दिया, मेरा लण्ड बॉक्सर में फ़ुँकार मार रहा था।
जैसे ही हम दोनों दीदी के रूम में पहुँचे, दीदी ने मुझे कपड़े उतारकर बैड पर लेट जाने को कहा। मैं तो जैसे दिवास्वप्न में था, मैंने झट से अपने कपड़े उतार दिये, मैं नहीं चाहता था कि कहीं दीदी का मूड चेंज हो जाये।
दीदी ने बैड पर चढते हुए अपने भाई के मोटे लम्बे लण्ड को देखा, और फ़िर मेरे पैरों के बीच आ कर बैठ गयी। फ़िर मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर, थोड़ा झुकते हुए मेरे लण्ड के सुपाड़े को चाटने लगी। दीदी ने जैसे ही लण्ड चूसना शुरू किया, मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी। मैं दीदी को अपना पूरा मुँह खोलते हुए मेरे लण्ड का सुपाड़ा अंदर ले जाते हुए देख रहा था। दीदी किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे लण्ड के सुपाड़े को चूस रही थी, और मेरे पूरे बदन में आनंद की लहर सी दौड़ रही थी।
दीदी थोड़ा और झुकते हुए लण्ड को और ज्यादा अपने मुँह में अंदर लेने का प्रयास करने लगी। दीदी का पूरा मुँह मेरे लण्ड से भरा हुआ था, लेकिन फ़िर भी दीदी को लण्ड का निचला हिस्सा पकड़ने के लिये काफ़ी हिस्सा बचा हुआ था। दीदी उसको पकड़ कर हिला रही थी, और मैंने दीदी के मुँह में झटके मारने शुरू कर दिये थे। मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी के गले से जाकर टकरा रहा था। दीदी के गले में घुटन हो रही थी, दीदी ने एक पल के लिये लण्ड को बाहर निकाल दिया, और मेरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक अपने हाथ से थूक से गीला और चिकना करने लगी।
''विशाल तुम्हारा लण्ड वाकई में बहुत बड़ा है,'' दीदी ने मुझसे कहा। ''इसको तो कोई भी लड़की पूरा अपने मुँह में नहीं ले सकती।''
दीदी ने फ़िर से सुपाड़े पर जीभ फ़िराते हुए, मेरे लण्ड के निचले हिस्से को चूसना शुरू कर दिया। हर झटके के साथ मेरा लण्ड दीदी के मुँह में और अंदर चला जाता।
दीदी अपने थूक से मेरे लण्ड की पूरी लम्बाई तक गीला कर रही थी, और एक हाथ से उसकी मुट्ठ भी मार रही थी।कुछ देर बाद मैं गुर्राने और कराहने लगा, मैंने अपने लण्ड को दीदी के मुँह मे एक बार जोर से पेला और मेरे वीर्य के पानी का ज्वालामुखी दीदी के मुँह में फ़ूट गया।
मेरे लण्ड ने इतना सारा वीर्य का पानी निकाला था कि गिफ़्टी दीदी का पूरा मुँह गले तक भर गया, और बाहर निकल कर दीदी की ठोड़ी पर टपकने लगा। जैसे ही दीदी ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में से बाहर निकाला, मेरे लण्ड की अगली पिचकारी दीदी के माथे पर गिरी, और फ़िर अगली उनकी ठोड़ी पर, और दीदी के हाथ पर होते हुए वीर्य मेरे लण्ड पर टपकने लगा। जितना वीर्य का पानी दीदी के मुँह में था दीदी ने एक घूँट में अंदर निगल लिया।
दीदी हँसते हुए बोली, ''ये सब क्या है, विशाल, इतना सारा पानी?" मैंने दीदी से पूछा, ''आप ठीक तो हो ना दीदी?" दीदी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ''मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम मेरा पूरा मुँह ही पानी से भर दोगे, चलो अब मैं बाथरूम में साफ़ कर के आती हूँ, उसके बाद तुम मेरी चाट लेना।'' दीदी भाग कर बाथरूम में घुस गयी, और बाथरूम के शीशे में अपने चेहरे को मेरे वीर्य के पानी से पूरी तरह गीला हुआ देखकर ये सोचकर हँसने लगी कि अगर मम्मी उसको इस हाल में अपने छोटे भाई के वीर्य के पानी से भीगा हुए देख लें तो वो क्या कहेंगी। दीदी फ़टाफ़ट अपना चेहरा फ़ेसवॉश से, और अपनी चूत पानी से धोकर जल्दी से अपने कमरे में आ गयी।
कमरे में आते ही दीदी ने अपने सारे कपड़े उतार दिये, और मादरजात नंगी होकर बैड पर लेट गयी। मेरी नजर दीदी का पीछा कर रही थी, दीदी ने बैड पर लेटकर अपनी टाँग़ें चौड़ी कर के फ़ैला दीं। मैं अचरज से दीदी की चूत के खजाने को देख रहा था। दीदी अपनी चूत अपने छोटे भाई के सामने खोल के बैड पर लेटे हुए मुझे प्रदर्शित कर रही थी, और मैं दीदी के यौनांगों को निहार रहा था। मैंने दीदी की चूत के छेद पर एक ऊँगली ऊपर से नीचे तक फ़िरायी, और फ़िर उस ऊँगली को दीदी की चूत के रस में भोगोकर, उस उँग़ली को अपने होंठों पर लाकर टेस्ट करने लगा। मुझे ऐसा करते हुए देखकर दीदी ने पूछा, ''अच्छा लगा विशाल?"
मैंने मुस्कुराते हुए हामी में गर्दन हिला दी, और दीदी की चूत को जीभ से चाटने के लिये नीचे झुकने लगा।
''हाँ चलो अब शुरू हो जाओ,'' दीदी ने आदेशात्मक लहजे में कहा। जब मैं दीदी की चूत पर जीभ फ़िरा रहा था तो दीदी मुझे बताती जा रही थी कि कहाँ उनको मजा आ रहा था और कहाँ नहीं। मैंने दीदी की चूत के छेद में जीभ घुसा दी और फ़िर जीभ को अंदर घुमाने लगा, और चूत के हर अंदरूनी हिस्से को चूसने चाटने लगा, और उत्तेजित होकर दीदी की चूत से मस्त लिसलिसा पानी बाहर बहने लगा।
दीदी ने अपने दोनों हाथों से चूत की फ़ाँकों को अलग कर अपने छोटे भाई के सामने खोलते हुए, ऊपरी हिस्से पर चूत के दाने को दिखाते हुए बोली, ''यहाँ पर इसको चाटो,'' और जैसे ही मैंने अपनी जीभ दीदी की चूत के दाने पर रखी, दीदी चिहुँकते हुए बोली, ''हाँ ऐसे ही इसको ऊपर से, और आस पास ऐसे ही चाटते रहो।''
जैसा दीदी कह रही थी, मैं उनके हर आदेश का पालन कर रहा था, और अपनी जीभ से दीदी ने जो चूत का का जो मस्त दाना दिखाया था उसको चूस और चाट रहा था। कुछ ही समय बाद दीदी मस्त होकर कराहते हुए सिसकने लगी, और झड़ने के करीब पहुँचते हुए बैड पर लेटे हुए मचलने लगी।
''ओह, विशाल जोर से, और जोर से करो, यहीं पर और जोर से, हे भगवान, हाँ ऐसे ही!" गिफ़्टी दीदी झड़ते हुए बड़बड़ाये जा रही थी। और फ़िर दीदी ने मेरे सिर को धक्का मार के दूर कर दिया, क्योंकि मैं उनकी चूत को चाटे ही जा रहा था। दीदी निढाल होकर बैड पर लेटी हुई थी, और इतना अच्छी तरह झड़ने के लिये अपने छोटे भाई को थैन्क्स बोल रही थी। इतनी अच्छी तरह तो अजय जीजू ने कभी उनकी चूत को नहीं चाटा था। जब मैं उनके रूम से बाहर जाने लगा, तो उन्होने मुझे अपनी पैण्टी उठाकर देने को कहा, और वेट करने को कहा। मैंने जमीन पर पड़ी उनकी पैण्टी को उठाकर उनकी तरफ़ फ़ेंक दिया।
गिफ़्टी दीदी ने बैड से उतरकर खड़े होकर, और कॉटन की पैण्टी को पहनते हुए ऊपर खींचना शुरु कर दिया। और दीदी ने पैण्टी को इस कदर ऊपर टाईट खींच लिया कि उनकी पैण्टी से चूत का कैमल-टो साफ़ नजर आ रहा था। पैण्टी के कपड़े ने उसकी चूत की फ़ाँकों को कस कर जकड़ रखा था। दीदी की पैण्टी में कसी उनकी चूत को देखकर मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा होना शुरू हो गया था। और फ़िर दीदी ने अपना एक हाथ अपनी चूत पर ले जाकर उसकी एक उँगली अपनी गीली चूत में घुसा ली।
मैं अपने लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगा, गिफ़्टी दीदी मुस्कुराई और फ़िर उन्होने फ़िर से अपनी पैण्टी को उतार दिया। मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, तभी दीदी ने पैण्टी को मेरी तरफ़ फ़ेंक दिया।
''तुम मेरे छोटे भाई हो, तुमको अब हैम्पर से मेरी पैण्टी उठाने की कोई जरूरत नहीं है, अपने रूम में जाकर मजे करो अपनी दीदी की पैण्टी के साथ। चाहे जो कर लेना लेकिन अपने पानी से पैण्टी को गंदा मत करना। ये कहते हुए दीदी ने ड्रॉवर से एक नयी पैण्टी और जीन्स निकाल कर पहन ली, और मुझे वहाँ से दफ़ा होने का इशारा किया।
रात में खाना खाने के बाद, अपने कमरे में बैड पर लेटे हुए गिफ़्टी दीदी दोपहर में अपने छोटे भाई के साथ जो मजे किये थे, उसके बारे में सोच रही थीं। दीदी फ़िर से चुदासी हो गयी थी, और उनका फ़िर थोड़ा और मजा करने का मूड बन गया। दीदी ने घड़ी की तरफ़ देखा रात का एक बज रहा था। उन्होने सोचा कि अब तक तो बाकी सब सो गये होंगे, और वो अपने बैड से उठकर सीधे अपने छोटे भाई के रूम की तरफ़ चल दी। दीदी ने मेरे रूम में घुसकर उसके डोर को सटकनी लगा कर बंद कर लिया, और मेरे बैड के पास आ गयी। मैं अपने पेट के बल औंधा सो रहा था, दीदी ने मेरे ओढे हुए चादर को मेरे पैरों और बॉक्सर के ऊपर से हल्के से हटा दिया, वो नहीं चाहती थी कि मैं जाग जाऊँ। मैं थोड़ा कसमसाया लेकिन जागा नहीं था। दीदी ने बॉक्सर के बटन खोलकर मेरे लण्ड को धीमे से बाहर निकाल लिया, और बैड का सहारा लेकर झुकते हुए मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। जैसे ही मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, मैं नींद में ही कराहने लगा।