Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार - Page 2 - SexBaba
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Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

आखिर माँ से रहा नहीं गया, और करवट ले कर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मुझको चित लेटा कर मेरे ऊपर चढ गईं.
अपनी जाँघों को फ़ैला कर बगल कर के अपने गद्देदार चूतड़ रखकर बैठ गईं.

उनकी चूत मेरे लण्ड पर थीं और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थीं और बोलीं- मैं दिखाती हूँ कि, कैसे चोदते है? और मेरे ऊपर लेट कर धक्का लगया.
मेरा लण्ड घप से चूत के अन्दर दाखिल हो गया.

माँ ने अपनी रसीली चूची मेरी चूचियों पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिया और मेरे मुंह मे जीभ डाल दिया. फिर उन्होंने मज़े से कमर हिला हिला कर शॉट लगाना शुरु किया.
बड़े कस कस कर जोर से शॉट लगा रही थीं. चूत मेरे लण्ड को अपने मे समाये हुए तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं. मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुच गया हूँ!

अब पोजिशन उलटी हो गई थीं. माँ तो मानो मर्द थीं जो कि, अपनी माशूका को कस कस कर चोद रहा था! जैसे जैसे माँ की मस्ती बढ़ रही थीं उनके शॉट भी तेज़ होते जा रहे थे.
अब वो मेरे ऊपर मेरे कंधो को पकड़ कर घुटने के बल बैठ गईं, और जोर जोर से कमर चूतड़ों को हिला कर लण्ड को तेज़ी से अन्दर-बाहर लेने लगीं.


उनका सारा बदन हिल रहा था और साँसें तेज़ तेज़ चल रही थीं. माँ की चूचियाँ तेजी से ऊपर नीचे हो रही थीं.

मुझसे रहा नहीं गया, और हाथ बढा कर दोनों चूची को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा.
माँ एक मंजे हुए खिलाड़ी की तरह कमान अपने हाथों मे लिए हुए, कस कस कर चोद रही थीं. जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थीं उनकी रफ़तार बढती ही जा रही थीं.
कमरे में फच फच की आवाज गूँज रही थीं.

जब उनकी साँस फ़ूल गईं तो खुद नीचे आकर मुझे अपने ऊपर खींच लिया, और टांगो को फ़ैला कर ऊपर उठा लिया और बोली- मैं थक गई मेरे रज्ज्जा, अब तुम मोरचा सम्भालो!
मैं झट उनकी जाँघों के बीच बैठ गया और, निशाना लगा कर झटके से लण्ड को चूत के अन्दर डाल दिया और उनके ऊपर लेट कर दनादन शॉट लगाने लगा.
 
माँ ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया, और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदाईं मे साथ देने लगी.
मैं भी अब उतना अनाड़ी नहीं रहा और उनकी चूची को मसलते हुए दनादन शॉट लगा रहा था. पूरा कमरा हमारी चुदाई की आवाज से गूँज उठा था.
माँ अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुद रही थीं और बोली जा रही थीं- अह्! आह! हउन! ऊओ! ऊऊह! हाहा! आ मेरे रजजा! मर गई री! लल्ला चूओद रे चूओद!
उईई मीई माआ! फाआ गाईंई! रीईई आज तो मेरी चूत!
मेरा तो दम निकाल दिया तूने आज. बड़ा जाआलीएम हऐरे तूऊमहारा लौरा!
मैं भी बोल रहा था- लेईए मेरीई रानीई, लेई लेईए मेरा लौरा अपनीई चूत मेंईए!!
बड़ाड़ा तड़पायाया है तुनेई मुझीई! लीईए लीई, लेईए मेरीई रानीई यह लण्ड अब्ब तेराआ हीई है! अह्ह! उहह्! क्या जन्नत का मज़ाआ सिखयाआ तुनेईए!
मैं तो आज से तेरा गुलाम हो गया माँ!
माँ गांड उछाल उछाल कर मेरा लण्ड अपने चूत मे ले रही थीं और, मैं भी पूरे जोश के साथ उनकी चूचियों को मसल मसल कर अपने गहरे दोस्त की माँ की गहरी चुदाई कर रहा था.
माँ मुझको ललकार कर कहा, लगाओ शॉट मेरे राजा!
मैं जवाब देता,यह ले मेरी रानी! ले ले अपनी चूत मे.
जरा और जोर से सटकाओ, अपना लण्ड मेरी चूत मे मेरे राजा!
यह ले मेरी रानी! यह लण्ड तो तेरे भोसड़े के लिए ही है.
देखो रज्जा! मेरी चूत तो तेरे लण्ड की दीवानी हो गई है, और जोर से और जोर से आई! मेरे रज्जजा!
मैं गई रेई! कहते हुए माँ ने मुझको कस कर अपनी बाँहों मे जकड़ लिया और, उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया.

अब तक मेरा भी लण्ड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला- मैं भी आयाया! मेरी जाआन! और मेंने भी अपना लण्ड का पानी छोड़ दिया और मैं हाँफ़ते हुए उनकी चूची पर सिर रख कर कस के लिपट कर लेट गया.
यह मेरी पहली चुदाई थीं. इसलिए, मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थीं. मैं माँ के सीने पर सर रख कर सो गया.
वो भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थीं.
कुछ देर बाद होश आया तो मैंने उनके रसीले होंठों के चुम्बन लेकर उन्हें जगाया.
माँ ने करवट लेकर मुझे अपने ऊपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फुस-फुसा कर बोली- बेटा तुमने और तुम्हारे मोटे, लम्बे लण्ड ने तो कमाल कर दिया!
क्या गजब की ताकत है तुम्हारे मोटे लण्ड मे!
मैंने उत्तर दिया- कमाल तो आपने कर दिया है! आज तक तो मुझे मालूम ही नहीं था कि अपने लण्ड को कैसे काम में लिया जाता है?
यह तो आपकी मेहरबानी है! जो कि आज मेरे लण्ड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला.
अब तक मेरा लण्ड उनकी चूत के बाहर झांटो के जंगल मे रगड़ मार रहा था. माँ ने अपनी मुलायम हथेलियों मे मेरा लण्ड को पकड़ कर सहलाना शुरु किया.

उनकी उंगली मेरे आण्ड से खेल रही थीं. उनकी नाजुक उंगलियाँ के स्पर्श की पकड़ से मेरा लण्ड भी जाग गया और एक अंगड़ाई लेकर माँ की चूत पर ठोकर मारने लगा.
माँ ने कस कर मेरे लण्ड को कैद कर लिया और बोली- बहुत जान है! तुम्हारे लण्ड में, देखो फिर से साला कैसा फ़ड़क रहा है अब मैं इसको नहीं छोड़ने वाली.
हम दोनों अगल बगल लेटे हुए थें. माँ ने मुझको चित लेटा दिया और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा चढ़ा कर लण्ड को हाथ से उमेठने लगीं.
साथ ही साथ अपनी गाण्ड हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगड़ने लगी.
उनकी चूत पिछली चुदाई से अभी तक गीली थीं और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाये हुए था. अब मुझसे रहा नहीं गया और करवट लेकर माँ की तरफ़ मुँह करके लेट गया.
उनकी चूची को मुंह मे दबा कर चूसते हुए अपनी उंगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा.
उन्होंने एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर लिपट गईं, और जोर जोर से कमर हिलाते हुए मेरी उंगली से चुदवाने लगीं. अपने हाथ से मेरे लण्ड को कस कर जोर जोर से मुठ मार रही थीं.
मेरा लण्ड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सख्त हो गया था. अब माँ की बेताबी हद से ज्यादा बढ गई थीं और, खुद ही चित हो कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
 
मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोलीं- आओ मेरे राजा! दूसरा राउंड हो जाए.
मैंने झट कमर उठा कर धक्का दिया और, मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया.
माँ चिल्ला उठी और बोलीं- जियो मेरे राजा! क्या शॉट मारा? अब मेरे सिखाए हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फ़ाड़ दो मेरी चूत को.
माँ का आदेश पाकर मैं दोगुने जोश मे आ गया और, उनकी चूची को पकड़ कर हुमच हुमच कर माँ की चूत में लण्ड पेलने लगा.
उंगली की चुदाई से उनकी चूत गीली हो गई थीं और, मेरा लण्ड सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था. वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब मेरा पूरा लौड़ा लेकर जोश के साथ दे रही थीं.
माँ ने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ रखा था और जोर जोर से अपनी चूत मे लण्ड घुसवा रही थीं.
वो मुझे बस इतना उठाती थीं कि बस लण्ड का सुपाड़ा अन्दर रहता और, फिर नीचे से जोर लगा कर घप से लण्ड चूत मे घुसवा लेती थीं.
पूरे कमरे में हमारी साँस और घपा-घप!फचा-फच! की आवाज गूंज रही थीं.

जब हम दोनों की ताल से ताल मिल गईं, तब माँ ने अपने हाथ नीचे लकर मेरे चूतड़ को पकड़ लिया और कस कस कर दबोच कर चुदाई का मज़ा लेने लगीं.
कुछ देर बाद माँ ने कहा- आओ एक नया आसन सिखाती हूँ! और मुझे अपने ऊपर से हटा कर किनारे कर दिया. मेरा लण्ड पक्क! की आवाज साथ बाहर निकल आया.
मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लण्ड पूरे जोश के साथ सीधा खड़ा था. माँ उठ कर घुटनों और हथेलियों पर मेरे बगल मे बैठ गईं.
मैं लण्ड को हाथ मे पकड़ कर उनकी हरकत देखता रहा.
माँ ने मेरे लण्ड पर से हाथ हटा कर मुझे खींचते हुए कहा- ऐसे पड़े पड़े क्या देख रहे हो?
चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपना लण्ड को घुसाओ!
मैं भी उठ कर उनके पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लण्ड को हाथ से पकड़ कर उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
क्या मस्त गोल गोल गद्देदार गाण्ड थीं?

माँ ने जाँघ को फैला कर अपने चूतड़ ऊपर को उठा दिए, जिससे कि उनकी रसीली चूत साफ़ नज़र आने लगी.
उनका इशारा समझ कर, मैंने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया.
माँ ने एक सिसकारी भर कर अपनी गाण्ड पीछे कर के मेरी जाँघ से चिपका दीं. मैं भी माँ की पीठ से लिपट कर लेट गया, और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनों चुची को पकड़ कर मसलने लगा.
वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतड़ को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगीं.
उनके मुलायम चूतड़ मेरी मस्ती को दोगुना कर रही थी. मेरा लण्ड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था.
कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद माँ बोलीं- चलो रज्जा! अब लण्ड आगे उठा कर शॉट लगाओ, अब रहा नहीं जाता.
मैं उठ कर सीधा हो गया, और माँ के चूतड़ को दोनों हाथों से कस कर पकड़ कर, चूत मे हमला शुरु कर दिया.
जैसा कि माँ ने सिखाया था, मैं पूरा लण्ड धीरे से बाहर निकाल कर जोर से अन्दर कर देता.
शुरु में तो मैंने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढ़ गया और धक्को की रफ़्तार भी बढती गई.
धक्का लगाते समय मैं माँ के चूतड़ को कस के अपनी ओर खींच लेता, ताकि शॉट करारा पड़े. माँ भी उसी रफ़्तार से अपने चूतड़ को आगे-पीछे कर रही थीं.
हम दोनों की साँसें तेज हो गई थीं. माँ की मस्ती पूरे परवान पर थी. नंगे जिस्म जब आपस में टकराते तो घप-घप की आवाज आती.
काफ़ी देर तक मैं उन्हीं की कमर पकड़ कर धक्का लगाता रहा. जब हालात बेकाबू होने लगा, तब माँ को फिर से चित लेटा कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा.
हम दोनों ही पसीने से लथपथ हो गए थे पर, कोई भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था.
तभी माँ ने मुझे कस कर जकड़ लिया और अपनी टांगे मेरे चूतड़ पर रख दिया और कस कर जोर जोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झड़ गईं.
उनके झड़ने के बाद मैं भी माँ की चूची को मसलते हुए झड़ गया और हाँफ़ते हुए उनके ऊपर लेट गया.
हम दोनों की साँसें जोर जोर से चल रही थीं और हम दोनों काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे.
कुछ देर बाद माँ बोलीं- क्यों बेटा, कैसी लगी हमारी चूत की चुदाई?
मैं बोला- हाय मेरा मन करता है कि, जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत में लण्ड डाले पड़ा रहूँ.
 
माँ बोलीं- जब तक तुम यहाँ हो, यह चूत तुम्हारी है! जैसे मर्जी हो, मज़े लो! अब थोड़ी देर आराम करते हैं.
नहीं माँ, कम से कम एक बार और हो जाए!
देखो! मेरा लण्ड अभी भी बेकरार है.
माँ ने मेरे लण्ड को पकड़ कर कहा- यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत की खुशबू जो मिल गई है.
पर देखो, रात के तीन बज गए है! अगर सुबह समय से नहीं उठे तो तुम्हारी बुआ जी को शक जाएगा.
अभी तो सारा राज सामने है, और आगे के इतने राज हमारे पास है. जी भर कर मस्ती लेना!
मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखाऊँगी! माँ का कहना मान कर, मैंने भी जिद्द छोड़ दी और माँ भी करवट ले कर लेट गईं और मुझे अपने से सटा लिया.
मैंने भी उनकी गाण्ड की दरार में लण्ड फंसा कर चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और माँ के कंधे को चूमता हुआ लेट गया.
नींद कब आई? इसका पता ही नहीं चला.
सुबह जब अलार्म बजा तो, मैंने समय देखा, सुबह के सात बज रही थी!
माँ ने मुझे मुस्कुरा कर देखा, और एक गर्मा-गर्म चुम्बन मेरे होंठों पर जड़ दिया.
मैंने भी माँ को जकड़ कर उनके चुम्बन का जोरदार का जवाब दिया. फिर, माँ उठ कर अपने रोज के काम काज में लग गईं. वो बहुत खुश थीं!
मैं उठ कर नहा, धोकर फ़्रेश होकर आँगन में बैठ कर नाशता करने लगा.
तभी बुआ जी आ गईं और बोलीं, बेटा खेत चलोगे?
मैंने कहा- क्यों नहीं! और रात वाला उनका ककड़ी से चोदने का सीन मेरे आँखों के सामने नाचने लगा.
इतने में डॉली (दोस्त की बहन) बोलीं, मैं भी तुम्हारे साथ खेत मैं चलूँगी और हम तीनों खेत की ओर चल पड़े.
रास्ते में जब हम एक खेत के पास से गुजर रहे थें, तो देखा की उस खेत में ककड़ियाँ उगी हुई थी.
मैंने ककड़ियों को दिखाते हुए बुआ जी से कहा, बुआ जी देखो! इस खेत वाले ने तो ककड़ियाँ उगाई है. ककड़ियों में काफ़ी गुण होते हैं.
बुआ जी लम्बी साँस भरती हुई बोलीं, हाँ बेटा ककड़ियों से काफ़ी फ़ायदा होता है और कई कामों में इसका उपयोग किया जाता है. जैसे सलाद में, सब्जियों में, कच्ची ककड़ी खाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है!
मैं बोला- हाँ! बुआ जी इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है. इस तरह की बातें करते करते हम लोग अपने खेत में पहुँच गए.

वहाँ जाकर, मैं मकान में गया और लुंगी और बनियान पहन कर वापस बुआ जी के पास आ गया. बुआ जी खेत में काम कर रही थीं और डॉली (दोस्त की बहन) उनके काम में मदद कर रही थीं.
मैंने देखा! बुआ जी ने साड़ी घुटनों के ऊपर कर रखी थीं और डॉली स्कर्ट और ब्लाऊज़ पहने हुए थीं. मैं भी लुंगी ऊँची करके (मद्रासी स्टाईल में) उनके साथ काम में मदद करने लगा.
जब डॉली झुककर काम करती तो मुझे उसकी चड्डी दिखाई देती थी!
हम लोग करीब 1 या 1:30 घण्टे काम करते रहे.
फिर मैं बुआ जी से कहा, बुआ जी मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूँ!
तो बुआ बोलीं, ठीक है! और मैं खेत के मकान में आकर आराम करने लगा.
कुछ देर बाद कमरे में डॉली आई और कहने लगी, राज भैया आप वहाँ बैठ जाए क्योंकि, कमरे में झाड़ू मारनी है और मैं कमरे के एक कोने में बैठ गया. वो कमरे में झाड़ू मारने लगी.
झाड़ू मारते समय जब डॉली झुकी तो, मुझे उसकी चड्डी दिखाई देने लगी और मैं उसकी चुदाई के ख्यालों में खो गया.
थोड़ी देर बाद फिर वो बोली- भैया, जरा पैर हटा लो झाड़ू देनी है.
मैं चौंक कर हकीकत की दुनिया में वापस आ गया! देखा डॉली कमर पर हाथ रखी मेरे पास खड़ी है.
मैं खड़ा हो गया और वो फिर झुक कर झाड़ू लगाने लगी. मुझे फिर उसकी चड्डी दिखाई देने लगी. आज से पहले मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया था.. पर आज की बात ही कुछ और थी.
रात माँ से चुदाई की ट्रैनिंग लेकर, एक ही रात में मेरा नज़रिया बदल गया था. अब मैं हर औरत को चुदाई की नज़रिए से देखना चाहता था.
 
जब वो झाड़ू लगा रही थी तो मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया. अब मुझे उसके ब्लाऊज़ से उसकी चूची साफ़ दिखाई दे रही थी. मेरा लण्ड फन-फना गया.

रात वाली! माँ जैसी चूची मेरे दिमाग के सामने घूमने लगी कि, तभी डॉली की नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे एकटक घूरता देख पकड़ लिया.

उसने एक दबी सी मुस्कान दी और अपना ब्लाऊज़ ठीक कर, अपनी चूचियों को ब्लाऊज़ के अन्दर छुपा लिया. अब वो मेरी तरफ़ पीठ कर के झाड़ू लगा रही थी.
उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे. मैं मन ही मन सोचने लगा कि, इसकी गाण्ड में लण्ड घुसा कर चूची को मसलते हुए चोदने में कितना मज़ा आएगा!

बेख्याली में मेरा हाथ मेरे तन्नाए हुए लण्ड पर पहुँच गया और, मैं लुंगी के ऊपर से ही सुपाड़े को मसलने लगा.

तभी डॉली अपना काम पूरा कर के पलटी और, मेरी हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गई.

थोड़ी देर बाद बुआ जी और डॉली हाथ पैर धोकर आए और मुझे कहा कि, चलो राज बेटे खाना खालो. अब हम तीनों खाना खाने बैठ गए.

बुआ जी मेरे सामने बैठी थीं और डॉली मेरे बाईं साईड की ओर बैठी थी. डॉली पालथी मारके बैठी थी और बुआ जी पैर पसारे बैठी थीं.

खाना खाते समय मैंने कहा, बुआ जी आज खाना तो जायकेदार बना है.

बुआ जी ने कहा, मैंने तुम्हारे लिए खास बनाया है. तुम यहाँ जितने राज रहोगे गाँव का खाना खा खा कर और मोटे हो जाओगे!

मैं हँस पड़ा और कहा, अगर ज्यादा मोटा हो जाऊँगा तो मुश्किल हो जाएगी. बुआ जी और डॉली हँस पड़ीं!

थोड़ी देर बाद बुआ जी ने कहा, डॉली तुम खाना खा कर खेत में खाद डाल आना. मैं थोड़ा आराम करूँगी. हम सबने खाना खाया.


डॉली बरतन धोकर खेत में खाद डालने लगी. मैं और बुआ जी चटाई बिछा कर आराम करने लगे. मुझे नींद नहीं आ रही थी.

आज मैं बुआ जी या डॉली को चोदने का विचार बना रहा था. विचार करते करते कब नींद आ गई! पता ही नहीं चला.

जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे. मैंने देखा कि, मेरा मोटा लण्ड तन कर कड़क हो कर खड़ा था और लुंगी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था.

इतने में बुआ जी कमरे में आईं. मैंने झट से आँखें बंद कर लिया.
 
थोड़ी देर बाद आँख खोल कर देखा कि, बुआ जी की नज़र मेरे खड़े हुए मोटे लण्ड पर टिकी थीं. हैरत भरी निगाहों से मेरे लम्बे और मोटे लण्ड को देख रही थीं.

कुछ देर बाद उन्होंने आवाज दे कर कहा, राज बेटा उठ जाओ, अब घर चलना है!

मैंने कहा, ठीक है! और उठकर बैठ गया मेरा लण्ड अब भी लुंगी से बाहर था.

बुआ जी मेरी ओर देखते हुए बोलीं, राज बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या?

मैंने मुश्किल से कहा, नहीं तो बुआ जी क्यों क्या हुआ?

वो बोलीं, नीचे तो देखो! क्या दिख रहा है? जब मैंने नीचे देखा तो मेरा लण्ड लुंगी से निकला हुआ था.

मैं शर्म से लाल हो कर अपना लण्ड चड्डी में छूपा लिया. ऐसा करते समय बुआ जी हँस रही थीं.

हम करीब 6:30 बजे घर पहुँचे. रास्ते भर कोई भी बात चीत नहीं हुई. घर आकर मैंने कहा कि, मैं बाज़ार होकर आता हूँ और फिर बाज़ार जाकर 1 विस्की की बोतल ले आया.

जब घर पहुँचा तो रात के 9 बज रहे थे. मुझे आया देख कर बुआ जी ने आवाज दी, बेटा आकर खाना खालो.

मैं बोला, बुआ जी अभी भूख नहीं है थोड़ी देर बाद खा लूँगा.

फिर मैंने पूछा, माँ और डॉली कहाँ हैं? (क्योंकि माँ और डॉली ना तो रसोई घर में थे नहीं आँगन में थे)

बुआ जी ने कहा कि, हमारे रिस्तेदार के यहाँ आज रात भर भजन और कीर्तन है! इसलिए भाभी और सुमर रिस्तेदार के यहाँ गए है और सुबह 5-6 बजे लौटेंगे.

मैंने कहा, ठीक है! बुआ जी अगर आप बुरा ना मानो तो क्या मैं थोड़ी विस्की पी सकता हूँ.

बुआ बोलीं, ठीक है! तुम आँगन में बैठो मैं वही खाना लेकर आती हूँ. मैं आँगन में बैठ कर विस्की पीने लगा.


करीब आधे घण्टे बाद बुआ जी खाना लेकर आईं, तब तक मैं 3-4 पेग पी चुका था और मुझे थोड़ा विस्की का नशा होने लगा था.

बुआ जी और मैं खाना खाने के बाद, हम दोनों बुआ जी कमरे में आ गए. मैंने पैंट और शर्ट निकाल कर लुंगी और बनियान पहन ली. बुआ जी भी साड़ी खोल कर केवल नाईटी पहनी हुई थीं.
जब बुआ जी खड़ी होकर पानी लाने गईं तो, मुझे उनके पारदर्शी नाईटी से उनका नक्शा दिखाई दिया.

उन्होंने नाईटी के अन्दर, ना तो ब्लाऊज़ पहना था ना ही पेटीकोट पहना था! इसलिए लाईट की रोशनी के कारण उनका जिस्म नाईटी से झलक रहा था.
 
जब वो पानी लेकर वापस आईं. हम बैठ कर बातें करने लगे.

बुआ जी: राज, क्या तुम शहर में कसरत करते हो?'

राज: हाँ, बुआ जी रोज सुबह उठकर कसरत करता हूँ.

बुआ जी: इसलिए तुम्हारा एक एक अंग काफ़ी तगड़ा और तंदरुस्त है.
क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो, खास तौर पर शरीर के निचले हिस्से पर?

राज: मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसो का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूँ!

बुआ जी: हाँ आज मैंने तुम्हारे शरीर के अलावा अन्दर का अंग भी दोपहर को देखा था, वाकईं काफ़ी मोटा लम्बा और तन्दरुस्त है! हर मर्दों का इस तरह का नहीं होता है.
बुआ जी की बात सुन कर मैं शर्म के मारे लाल हो गया. पूरे मकान में हम दोनों अकेले थे. और इस तरह की बाते कर रहे थें.

मैंने भी बुआ जी से कहा, बुआ जी आप भी बहुत सुन्दर हो! और आपका बदन भी सुडौल है.

बुआ जी: दींन मुझे ताड़ के झाड़ पर मत चढ़ाओ! तुमने तो अभी मेरा बदन पूरा तरह देखा ही कहाँ है?

मैंने बोला, आपने तो मुझे दिखाया ही नहीं? और मेरे शरीर के निचले हिस्से का दर्शन भी कर लिया!

इतना सुनते ही वो झट से बोलीं. मुझे कहाँ! अच्छी तरह से तुम्हारा नीचे का दर्शन हुआ.

चलो एक शर्त पर तुम्हें मेरे अंदरूनी भाग दिखा दूँगी, अगर तुम मुझे अपना नीचे का मस्त दिखाओगे तो!

मैंने झट से लुंगी से लण्ड निकल कर उन्हें दिखा दिया. बुआ जी भी अपने वादे के अनुसार नाईटी ऊपर कर के अपनी चूत दिखा दीं, और मुस्कुराती बोलीं राजा बेटा खुश हो अब!
हाय! बड़ी जालिम चूत थी. चूत देखते ही मेरा लण्ड तन कर फड़फड़ाने लगा.

कुछ देर तक मेरे लण्ड की ओर देखने के बाद बुआ जी मेरे पास आईं, और झट से मेरी लुंगी खोल दीं.

फिर खड़े होकर अपनी नाईटी भी उतार दीं और नंगी हो गईं. फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा.

जब मैं पलंग पर बैठ कर बुआ जी की मस्त रसीली चूची को देख रहा था, तो मारे मस्ती के मेरा लण्ड चूत की और मुँह उठाए उनकी चूत को सलामी दे रहा था.

बुआ जी मेरी जाँघों के बीच बैठ कर दोनों हाथों से मेरे लौड़े को सहलाने लगी. कुछ देर सहलाने के बाद अचानक! बुआ ने अपना सर नीचे झुका लिया और अपने रसीले होंठों से मेरे सुपाड़े को चूम कर उसको मुँह मे भर लिया.

मैं एकदम चौंक गया! मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था की ऐसा होगा?

बुआ जी, यह क्या कर रही हो? मेरा लण्ड तुमने मुँह मे क्यों ले लिया है?

चूसने के लिए और किस लिए! तुम आराम से बैठे रहो और बस लण्ड चूसाई का मज़ा लो. एक बार चूसवा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे.

बुआ जी मेरे लण्ड को लोलीपॉप की तरह मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं बता नहीं सकता हूँ! कि लण्ड चूसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था.

बुआ जी के रसीले होंठ मेरे लण्ड को रगड़ रहे थे. फिर, बुआ जी ने अपना होंठ गोल कर के मेरा पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और मेरे आण्ड को हथेली से सहलाते हुए, सिर ऊपर नीचे करना शुरु कर दिया.

मानो! वो मुँह से ही मेरे लण्ड को चोद रही हो. धीरे-धीरे मैंने भी अपनी कमर हिला कर बुआ जी के मुँह को चोदना शुरु कर दिया.
 
मैं तो मानो सातवें आसमान पर था! बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी. थोड़ी ही देर मे लगा कि, मेरा लण्ड अब पानी छोड़ देगा.
मैं किसी तरह अपने ऊपर काबू कर के बोला, बुआ जी मेरा पानी छूटने वाला है!

बुआ जी ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नहीं दिया बल्कि, अपने हाथों से मेरे चूतड़ को जकड़ कर और तेज़ी से सिर ऊपर-नीचे करना शुरु कर दिया.

मैं भी उनके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लण्ड उनके मुँह मे पेलने लगा. कुछ ही देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और, बुआ जी ने गटगट करके पूरे पानी को पी गईं.

सुबह से काबू में रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि, उनके मुँह से बाहर निकल कर उनके ठुड्डी पर फैल गया.
कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूची पर भी जा गिरी. झड़ने के बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर बुआ जी के गालों पर रगड़ दिया.
क्या खुबसुरत नजारा था! मेरा वीर्य बुआ जी के मुँह गाल होंठ और रसीले चूची पर चमक रहा था.

बुआ जी ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होंठों पर फिरा कर, वहाँ लगा वीर्य चाटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूची को मसलते हुए पूछा- क्यों दींन बेटा? मज़ा आया लण्ड चुसवाने मे!

मैं बोला- बहुत मज़ा आया बुआ जी! तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दिया मेरी जान! आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मों के लिए गुलाम हो गया.
कहो! क्या हुक्म है?

बुआ जी बोलीं, हुक्म क्या! बस अब तुम्हारी बारी है.

मैं कहा- क्या मतलब? मैं कुछ समझा नही!

बुआ जी बोलीं, मतलब यह कि अब तुम मेरी चूत चाटो!

यह कह कर, बुआ जी खड़ी हो गईं और अपनी चूत मेरे चेहरे के पास ले आईं. मेरे होंठ उनकी चूत के होंठों को छूने लगी.

बुआ जी ने मेरे सिर को पकड़ कर, अपनी कमर आगे की और अपनी चूत मेरे नाक पर रगड़ने लगी.

मैंने भी उनकी चूतड़ को दोनों हाथों से पकड़ लिया और, उनकी गांड सहलाते हुए उनकी रसीली चूत को चूमने लगा.
 
बुआ जी की चूत की प्यारी-प्यारी खुशबू मेरे दिमाग मे छाने लगी!

मैं दीवानों की तरह उनकी चूत और उसके चारों तरफ़ के इलाके को चूमने लगा. बीच-बीच में मैं अपनी जीभ निकाल कर उनकी रानों को भी चाट लेता.

बुआ जी मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए अपनी चूत को फ़ैलाते हुए बोलीं- हाँय राजा अह्!

जीभ से चाटो ना! अब और मत तड़पाओ राजा! मेरी बुर को चाटो! डाल दो अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर! अन्दर डाल कर जीभ से चोदो!

अब तक उनकी नशीली चूत की खुशबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था. मैंने उनकी चूत पर से मुँह उठाए बिना, उन्हे खींच कर पलंग पर बैठा दिया.

उनकी जाँघों को फैला कर, अपने दोनों कंधो पर रख लिया और फिर आगे बढ कर, उनकी चूत के होंठों को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया.

बुआ जी मस्ती से बड़बड़ाने लगी! और अपनी चूतड़ को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया.

अब बुआ जी के चूतड़ पलंग से बाहर हवा मे झूल रही थी! और उनकी मखमली जाँघों का पूरा दबाव मेरे कंधो पर था.

मैंने अपनी जीभ पूरी की पूरी उनकी चूत में डाल दिया और, चूत की अंदरूनी दीवारों को जीभ से सहलाने लगा.

बुआ जी मस्ती से तिलमिला उठीं, और अपनी चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत मेरी जीभ पर दबाने लगी.
हाय! राजा, क्या मज़ा आ रहा है?

अब अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करो ना! चोदो राजा चोदओ! अपनी जीभ से चोदो मुझे! हाय! राजा तुम ही तो मेरे असली सैंया हो!

पहले क्यों नहीं मिले! अब सारी कसर निकालूँगी. हाय! राजा चोदो मेरी चूत को अपनी जीभ से!

मुझे भी पूरा जोश आ गया और बुआ जी की चूत में, जल्दी जल्दी जीभ अन्दर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा.

बुआ जी अभी भी जोर-जोर से कमर उठा कर, मेरे मुँह को चोद रही थीं. मुझे भी इस चुदाई का मज़ा आने लगा.

मैंने अपनी जीभ कड़ी कर सिर आगे पीछे कर के, बुआ जी की चूत को चोदने लगा.
 
उनका मज़ा दोगुना हो गया. अपने चूतड़ को जोर-जोर से उठाती हुए बोलीं- और जोर से बेटा! और जोर से! हाय! मेरे प्यारे राजा आज से मैं तेरी रण्डी बुआ हो गई.

जिंदगी भर के लिए चुदाऊँगी तुझसे! अह्हह! उईई माआ!’

वो अब झड़ने वाली थीं. वो जोर जोर से चिल्लाते हुए अपनी चूत मेरे पूरे चेहरे पर रगड़ रही थीं.

मैं भी पूरी तेज़ी से जीभ लप-लपा कर उनकी चूत पूरी तरह से चाट रहा था, और बीच बीच में अपनी जीभ को उनकी चूत मे पूरी तरह अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.

जब मेरी जीभ बुआ जी की भगनाशा से टकराई तो, बुआ जी का बाँध टूट गया और मेरे चेहरे को अपनी जाँघों में जाकर कर उन्होंने अपनी चूत को मेरे मुँह से चिपका दिया.

कुछ देर बाद उनका पानी बहने लगा और, मैं उनकी चूत की दोनों फाँकों को अपनी मुँह मे दबा कर उनका अमृत-रस पीने लगा.

मेरा लण्ड फिर से लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था.! मैं उठ कर खड़ा हो गया और, अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए बुआ जी को पलंग पर सीधा लेटा कर उनके ऊपर चढने लगा.

उन्होंने मुझे रोकते हुए कहा- ऐसे नहीं मेरे राजा! चूत का मज़ा तुम चूस चूस के ले चुके हो! आज मैं तुम्हें दूसरे छेद का मज़ा दूँगी.

मैंने कहा- बुआ जी मेरी समझ में कुछ नहीं आया?

बुआ जी बोलीं- आज तुम अपने मोटे तगड़े लम्बे लौड़े को मेरी गांड में डालो, और उठ कर बैठ गईं.

मेरे हाथ को हटा कर, अपने दोनों हाथों से मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाते हुए, अपनी दोनों चूचियों के बीच दबा-दबा कर लण्ड के सुपाड़े को चूमने लगीं.
उनकी चूची की गर्माहट पकड़ से मेरा लौड़ा और भी जोश में आकर सख्त हो गया.

मैं हैरान था! इतनी छोटी सी गांड के छेद में मेरा लण्ड कैसे जाएगा?
मैं बोला- बुआ जी इतना मोटा लण्ड तुम्हारी गांड में कैसे जाएगा?

बुआ बोलीं- हाँ, मेरे राजा! गांड मे ही जाएगा, पीछे से चोदना इतना आसान नहीं है. तुम्हें पूरा जोर लगाना होगा.

इतना कह कर, बुआ जी ढेर सारा थूक मेरे लण्ड पर लगा दिया और, पूरे लण्ड की मालिश करने लगीं, पर बुआ जी गांड मे लण्ड घुसाने के लिए ज्यादा जोर क्यों लगाना पड़ेगा?

बुआ बोलीं- वो इसलिए, राजा! कि जब औरत गर्म होती है तो, उसकी चूत पानी छोड़ती है जिससे लौड़ा आने-जाने मे आसानी होती है.

पर गांड तो पानी नहीं छोड़ती इसलिए घर्षण ज्यादा होता है और, लण्ड को ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है.

गांड मारने वाले को भी बहुत तकलीफ़ होती है. पर राजा मज़ा बहुत है! मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी बहुत मजा आता है. इसीलिए गांड मारने के पहले पूरी तैयारी करनी पड़ती है.
 
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