desiaks
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अपडेट २४:
छेदी उर्मिला की कमर पकडे पीछे से धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था. पास खड़ा तगड़ा आदमी अब ब्लाउज के ऊपर से उर्मिला के दूध दबाने शुरू कर दिए थे. दूसरा तगड़ा आदमी सामने से उर्मिला के बदन से चिपक चूका था. उर्मिला आँखे बंद किया मजे लिए जा रही थी. रमेश ये सब देख कर पूरे जोश में आ चूका था. उसने साथ बैठी पायल का हाथ पकड़ा और अपनी धोती में घुसा लिया. धोती में रमेश का लंड फुदक रहा था. पायल ने पापा के लंड को अपने हाथ में जकड लिया और चमड़ी ऊपर निचे करने लगी. रमेश उर्मिला को आँखे फाड़-फाड़ के देख रहा था. तभी छेदी ने पीछे से अपनी कमर उर्मिला की चुतड पर जोर से दे मारी और एक हाथ से उसका दूध भी दबा दिया. ये देख कर पायल के हाथ में रमेश का लंड उच्छल पड़ा. पायल तेज़ धडकनों के साथ पापा के लंड को किसी तरह से संभाल रही थी. वो अब समझ चुकी थी की पापा का लंड पूरी तरह से बेकाबू हो चूका है.
रमेश अब अपने आप को और नहीं रोक सकता था. वो एकदम से चिल्ला पड़ा. "बस रोको भाई....!!!". पायल पापा का मुहँ देखने लगी. बस अभी भी अगले स्टॉप से बहुत दूर थी और फिलहाल किसी घने जंगल से गुजर रही थी. रात के ९:१५ बज रहे थे और पापा का इस तरह से बस को रुकवाना उसके समझ से बाहर था. ड्राईवर रमेश की आवाज़ सुन कर बस रोक देता है. छेदी और दोनों तगड़े आदमी भी चुप-चाप खड़े हो जाते है. रमेश अपनी सीट से उठ कर बस के सामने वाले दरवाज़े की और धक्का-मुक्की करते हुए जाने लगता है. उसके पीछे पायल और उर्मिला भी चल पड़ते है. बस के दरवाज़े के पास पहुँचते ही ड्राईवर कहता है.
ड्राईवर : अरे बाउजी...यहाँ कहाँ उतरोगे? ये तो जंगल है. बस स्टॉप तो अभी ५ की.मी आगे है.
रमेश : अरे नहीं भाई. हमारी गाड़ी आ रही है. इसलिए यहाँ उतर रहे है.
रमेश, पायल और उर्मिला के साथ निचे उतर जाते है. बस भी उन्हें छोड़ कर धीरे-धीरे आगे निकल जाती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े हो जाते है. सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ है और पीछे ऊँची-ऊँची झाड़ियाँ. उर्मिला और पायल थोड़ा डरते हुए आसपास देखते है. अँधेरा, सड़क पर एक भी बत्ती नहीं और एकदम सुनसान जगह. पायल पापा से धीरे से पूछती है.
पायल : पापा...हम यहाँ क्यूँ उतर गए?
उर्मिला : हाँ बाबूजी...यहाँ से हम आगे कैसे जायेंगे? हमारी गाड़ी तो अभी बनी भी नहीं होगी.
रमेश दोनों को घूर के देखते है. उनकी साँसे तेज़ है. वो पायल और उर्मिला से कहते हैं.
रमेश : जानता हूँ बेटा. यहाँ से हमे आगे जाने के लिए शायद ही कुछ मिले , लेकिन मैं भी क्या करता. बस में जो तुम लोगों के साथ हो रहा था वो मैं और नहीं देख सकता था.
उर्मिला : आपकी बात मैं समझती हूँ बाबूजी. और इसमें आपका कोई दोष नहीं है. आज मेरे और पायल के साथ जो कुछ भी हुआ वो तो उन बदमाशों की वजह से हुआ.
पायल : हाँ पापा...इसमें आपकी की कोई गलती नहीं है.
रमेश एक बार दोनों को बारी-बारी से ऊपर से निचे तक देखते है. फिर वो उर्मिला से पूछते है.
रमेश : बहु...सच-सच बताना...उन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या क्या किया?
उर्मिला समझ जाती है की बाबूजी को ये सब सुनकर जोश आ जाता है. वो भी भोलेपन के साथ कहती है.
उर्मिला : बाबूजी...वो सब मेरे बदन के साथ खेल रहे थे...
रमेश : (उत्तेजित जोते हुए) कैसे खेल रहे थे बहु? जरा खुल के बताओ ना...
उर्मिला : बाबूजी...जो आदमी मेरे पीछे खड़ा था वो तो मेरे पिछवाड़े में अपना लंड घुसाने के चक्कर में था. वो तो अच्छा हुआ की मैंने साड़ी पहन रखी थी. सामने वाले दो आदमी मेरे दूध से खेल रहे थे.
रमेश : (तेज़ सांसों से) वो दोनों तुम्हारे दूध भी दबा रहे थे क्या बहु?
उर्मिला : हाँ बाबूजी...दोनों ने मिलकर मेरे दूध को खूब दबाया. एक आदमी तो पीछे से मेरी ब्रा के हुक तक खोलने की कोशिश कर रहा था....
रमेश : उफ़ बहु....कितनी कमीने थे वो तीनो....
फिर रमेश पायल की तरफ घूम जाते है और पूछते है.
रमेश : पायल बेटी. तुम्हारे साथ वो दो बदमाशो ने क्या किया?
पायल पापा को पहले ही मजा लेते देख चुकी थी. वो भी समझ जाती है की पापा जान बुझ कर उसके मुहँ से वो सब सुनकर अपना लंड खड़ा करना चाहते है. वो कहने लगती है.
पायल : बहुत बुरा किया पापा. पहले तो पीछे से स्कर्ट के ऊपर से मेरी चूतड़ों पर खूब लंड रगडा. फिर मेरी टॉप में हाथ दाल कर मेरे दूध दबाने लगा.
रमेश : उफ़ पायल बिटिया...!! बहुत जोरो से दबा रहा था क्या?
पायल : हाँ पापा...पूरा दबोच ले रहा था. और तो और वो मेरे निप्पल भी अपनी उँगलियों के बीच रख कर मसल रहा था.
इतना सुनते ही रमेश अपने होश खो बैठते है. वो पायल का कन्धा पकडे उसे दूसरी तरफ घुमा देते है और उसकी उभरी हुई चूतड़ों पर अपनी कमर पूरी पीछे ले जा कर जोरदार ४-५ ठाप मार देते है. हर एक ठाप इतनी जोरदार थी की पायल हर ठाप पर झटके खा कर पूरी हिल जा रही थी. अगर रमेश ने पायल के कन्धों को न पकड़ रखा होता तो पायल झटका खा कर दूर जा गिरती.
पायल : आह...आह..पापा...!!
ये देख कर उर्मिला भी डर जाती है. वो झट से यहाँ-वहाँ देखने लगती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े है और उर्मिला को डर था की उस सुनसान जगह पर किसीने बाबूजी को पायल के साथ ऐसा करते देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी. वो बाबूजी से कहती है.
उर्मिला : बाबूजी...ऐसा मत करिए...कोई देख लेगा...
उर्मिला की बात सुनकर रमेश भी होश में आ जाते है. वो पायल के कंधे से अपने हाथ हटा लेते है. सर का पसीना पोचते हुए वो कहते है.
रमेश : मांफ करना बहु.....माफ़ करना पायल बेटी. मैं जोश में अपने होश खो बैठा था.
ये सुन कर पायल पापा के पास आती है.
पायल : हम दोनों आपकी हालत समझ सकते है पापा. हम दोनों की भी हालत आप ही की तरह है, लेकिन इस सड़क पर तो कुछ नहीं कर सकते है ना पापा...
पायल की बात सुनकर रमेश सड़क के निचे देखते है. बड़े-बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ है. वो कुछ क्षण के लिए कुछ सोचते है और फिर कहते है.
रमेश : जितना मैं जानता हूँ, इस जंगल में जानवर के नाम पर बस कुछ जंगली सूअर ही है. वो भी ज्यादातर खेतों के आसपास होते है. इन बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ ही है.
उर्मिला : (आँखे फाड़-फाड़ के) आप कहना क्या चाह रहे है बाबूजी?
रमेश : अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है बहु...धोती में मेरे लंड ने परेशान कर रखा है. ये देखो...
रमेश अपनी धोती हटा के ११ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड दिखा देते है. उर्मिला और पायल भी लंड देख कर मस्त हो जाते है. रमेश अपनी धोती निचे कर आगे कहते है.
रमेश : एक बार चल के तो देखते है बहु की झाड़ियों के पीछे क्या है. हमारा काम बन भी सकता है या नहीं...
छेदी उर्मिला की कमर पकडे पीछे से धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था. पास खड़ा तगड़ा आदमी अब ब्लाउज के ऊपर से उर्मिला के दूध दबाने शुरू कर दिए थे. दूसरा तगड़ा आदमी सामने से उर्मिला के बदन से चिपक चूका था. उर्मिला आँखे बंद किया मजे लिए जा रही थी. रमेश ये सब देख कर पूरे जोश में आ चूका था. उसने साथ बैठी पायल का हाथ पकड़ा और अपनी धोती में घुसा लिया. धोती में रमेश का लंड फुदक रहा था. पायल ने पापा के लंड को अपने हाथ में जकड लिया और चमड़ी ऊपर निचे करने लगी. रमेश उर्मिला को आँखे फाड़-फाड़ के देख रहा था. तभी छेदी ने पीछे से अपनी कमर उर्मिला की चुतड पर जोर से दे मारी और एक हाथ से उसका दूध भी दबा दिया. ये देख कर पायल के हाथ में रमेश का लंड उच्छल पड़ा. पायल तेज़ धडकनों के साथ पापा के लंड को किसी तरह से संभाल रही थी. वो अब समझ चुकी थी की पापा का लंड पूरी तरह से बेकाबू हो चूका है.
रमेश अब अपने आप को और नहीं रोक सकता था. वो एकदम से चिल्ला पड़ा. "बस रोको भाई....!!!". पायल पापा का मुहँ देखने लगी. बस अभी भी अगले स्टॉप से बहुत दूर थी और फिलहाल किसी घने जंगल से गुजर रही थी. रात के ९:१५ बज रहे थे और पापा का इस तरह से बस को रुकवाना उसके समझ से बाहर था. ड्राईवर रमेश की आवाज़ सुन कर बस रोक देता है. छेदी और दोनों तगड़े आदमी भी चुप-चाप खड़े हो जाते है. रमेश अपनी सीट से उठ कर बस के सामने वाले दरवाज़े की और धक्का-मुक्की करते हुए जाने लगता है. उसके पीछे पायल और उर्मिला भी चल पड़ते है. बस के दरवाज़े के पास पहुँचते ही ड्राईवर कहता है.
ड्राईवर : अरे बाउजी...यहाँ कहाँ उतरोगे? ये तो जंगल है. बस स्टॉप तो अभी ५ की.मी आगे है.
रमेश : अरे नहीं भाई. हमारी गाड़ी आ रही है. इसलिए यहाँ उतर रहे है.
रमेश, पायल और उर्मिला के साथ निचे उतर जाते है. बस भी उन्हें छोड़ कर धीरे-धीरे आगे निकल जाती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े हो जाते है. सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ है और पीछे ऊँची-ऊँची झाड़ियाँ. उर्मिला और पायल थोड़ा डरते हुए आसपास देखते है. अँधेरा, सड़क पर एक भी बत्ती नहीं और एकदम सुनसान जगह. पायल पापा से धीरे से पूछती है.
पायल : पापा...हम यहाँ क्यूँ उतर गए?
उर्मिला : हाँ बाबूजी...यहाँ से हम आगे कैसे जायेंगे? हमारी गाड़ी तो अभी बनी भी नहीं होगी.
रमेश दोनों को घूर के देखते है. उनकी साँसे तेज़ है. वो पायल और उर्मिला से कहते हैं.
रमेश : जानता हूँ बेटा. यहाँ से हमे आगे जाने के लिए शायद ही कुछ मिले , लेकिन मैं भी क्या करता. बस में जो तुम लोगों के साथ हो रहा था वो मैं और नहीं देख सकता था.
उर्मिला : आपकी बात मैं समझती हूँ बाबूजी. और इसमें आपका कोई दोष नहीं है. आज मेरे और पायल के साथ जो कुछ भी हुआ वो तो उन बदमाशों की वजह से हुआ.
पायल : हाँ पापा...इसमें आपकी की कोई गलती नहीं है.
रमेश एक बार दोनों को बारी-बारी से ऊपर से निचे तक देखते है. फिर वो उर्मिला से पूछते है.
रमेश : बहु...सच-सच बताना...उन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या क्या किया?
उर्मिला समझ जाती है की बाबूजी को ये सब सुनकर जोश आ जाता है. वो भी भोलेपन के साथ कहती है.
उर्मिला : बाबूजी...वो सब मेरे बदन के साथ खेल रहे थे...
रमेश : (उत्तेजित जोते हुए) कैसे खेल रहे थे बहु? जरा खुल के बताओ ना...
उर्मिला : बाबूजी...जो आदमी मेरे पीछे खड़ा था वो तो मेरे पिछवाड़े में अपना लंड घुसाने के चक्कर में था. वो तो अच्छा हुआ की मैंने साड़ी पहन रखी थी. सामने वाले दो आदमी मेरे दूध से खेल रहे थे.
रमेश : (तेज़ सांसों से) वो दोनों तुम्हारे दूध भी दबा रहे थे क्या बहु?
उर्मिला : हाँ बाबूजी...दोनों ने मिलकर मेरे दूध को खूब दबाया. एक आदमी तो पीछे से मेरी ब्रा के हुक तक खोलने की कोशिश कर रहा था....
रमेश : उफ़ बहु....कितनी कमीने थे वो तीनो....
फिर रमेश पायल की तरफ घूम जाते है और पूछते है.
रमेश : पायल बेटी. तुम्हारे साथ वो दो बदमाशो ने क्या किया?
पायल पापा को पहले ही मजा लेते देख चुकी थी. वो भी समझ जाती है की पापा जान बुझ कर उसके मुहँ से वो सब सुनकर अपना लंड खड़ा करना चाहते है. वो कहने लगती है.
पायल : बहुत बुरा किया पापा. पहले तो पीछे से स्कर्ट के ऊपर से मेरी चूतड़ों पर खूब लंड रगडा. फिर मेरी टॉप में हाथ दाल कर मेरे दूध दबाने लगा.
रमेश : उफ़ पायल बिटिया...!! बहुत जोरो से दबा रहा था क्या?
पायल : हाँ पापा...पूरा दबोच ले रहा था. और तो और वो मेरे निप्पल भी अपनी उँगलियों के बीच रख कर मसल रहा था.
इतना सुनते ही रमेश अपने होश खो बैठते है. वो पायल का कन्धा पकडे उसे दूसरी तरफ घुमा देते है और उसकी उभरी हुई चूतड़ों पर अपनी कमर पूरी पीछे ले जा कर जोरदार ४-५ ठाप मार देते है. हर एक ठाप इतनी जोरदार थी की पायल हर ठाप पर झटके खा कर पूरी हिल जा रही थी. अगर रमेश ने पायल के कन्धों को न पकड़ रखा होता तो पायल झटका खा कर दूर जा गिरती.
पायल : आह...आह..पापा...!!
ये देख कर उर्मिला भी डर जाती है. वो झट से यहाँ-वहाँ देखने लगती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े है और उर्मिला को डर था की उस सुनसान जगह पर किसीने बाबूजी को पायल के साथ ऐसा करते देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी. वो बाबूजी से कहती है.
उर्मिला : बाबूजी...ऐसा मत करिए...कोई देख लेगा...
उर्मिला की बात सुनकर रमेश भी होश में आ जाते है. वो पायल के कंधे से अपने हाथ हटा लेते है. सर का पसीना पोचते हुए वो कहते है.
रमेश : मांफ करना बहु.....माफ़ करना पायल बेटी. मैं जोश में अपने होश खो बैठा था.
ये सुन कर पायल पापा के पास आती है.
पायल : हम दोनों आपकी हालत समझ सकते है पापा. हम दोनों की भी हालत आप ही की तरह है, लेकिन इस सड़क पर तो कुछ नहीं कर सकते है ना पापा...
पायल की बात सुनकर रमेश सड़क के निचे देखते है. बड़े-बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ है. वो कुछ क्षण के लिए कुछ सोचते है और फिर कहते है.
रमेश : जितना मैं जानता हूँ, इस जंगल में जानवर के नाम पर बस कुछ जंगली सूअर ही है. वो भी ज्यादातर खेतों के आसपास होते है. इन बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ ही है.
उर्मिला : (आँखे फाड़-फाड़ के) आप कहना क्या चाह रहे है बाबूजी?
रमेश : अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है बहु...धोती में मेरे लंड ने परेशान कर रखा है. ये देखो...
रमेश अपनी धोती हटा के ११ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड दिखा देते है. उर्मिला और पायल भी लंड देख कर मस्त हो जाते है. रमेश अपनी धोती निचे कर आगे कहते है.
रमेश : एक बार चल के तो देखते है बहु की झाड़ियों के पीछे क्या है. हमारा काम बन भी सकता है या नहीं...