desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
पायल किताब का पहला पन्ना उलटती है. सामने कहानियों के शीर्षिक लिखे हुए हैं. "१. गर्मी की एक रात, पापा के साथ", "२. पापा के लंड की सवारी", "३. भैया के लंड की प्यासी", "४. छोटे भाई का मोटा लंड". कहानियों के शीर्षक पढ़ के पायल को पसीना आने लगता है. उसने सोचा भी नहीं था की इस किताब में इस तरह की कहानियां होगी. पायल उन शीर्षकों को फिर से एक बार पढ़ती है. फिर कांपती हुई उँगलियों से वो पन्ना पलटती है. दुसरे पन्ने में बड़े अक्षरों में, "गर्मी की एक रात, पापा के साथ" लिखा हुआ है. वो धीरे धीरे नज़रों को निचे ले जा कर कहानी पढ़ने लगती है. कहानी एक १९ साल की एक लड़की की है जो गर्मी के मौसम में अलग अलग घटनाओं द्वारा धीरे धीरे अपने पापा के करीब आती है और गर्मी की एक रात पापा की हमबिस्तर हो कर चुद जाती है. पायल की नज़रें गौर से पन्ने पर छपे हर एक अक्षर को पढ़ने लगती है. हर एक पलटते पन्ने के साथ पायल का बुरा हाल होता जा रहा था. कहानी पढ़ते हुए कभी वो अपने ओठों को दांतों से दबा देती तो कभी अपनी बड़ी बड़ी चुचियों की घुंडीयों (nipples) को मसल देती. एक बार कहानी में ऐसा मोड़ आया की पायल ने सिसकारी भरते हुए पैन्टी के ऊपर से अपनी बूर को ही दबोच लिया. धीरे धीरे पायल अपने बदन से खेलते हुए कहानी पढ़ती जा रही थी. ३० मिनट के बाद पायल ने जैसे ही वो कहानी खत्म की, वो किताब को एक तरफ फेंक कर बिस्तर पर सीधा लेट गई. उसके एक हाथ ने टॉप के निचे से होते हुए एक चूची को अपनी गिरफ्त में ले लिया और दुसरे हाथ ने पैन्टी के अन्दर घुस के बूर के ओठों से खेलना शुरू कर दिया. पायल आँखे बंद किये हुए अपने ओठों को दांतों से काट रही थी. उसके हाथ चूची को कभी दबोच के दबा देते तो कभी मसल देते. पैन्टी के अन्दर हाथ की एक ऊँगली बूर के सुराक को तलाशने लगी. पायल की बूर बुरी तरह से रिसने लगी थी. उसके दिमाग में उस कहानी के कुछ मादक अंश घुमने लगे थे. उन्हें याद करके पायल और भी ज्यादा मचल जाती. तभी पायल के दिमाग में कहानी का एक अंश आया जिसने उसका बुरा हाल कर दिया. पायल ध्यान लगा के उस अंश को याद करती है. उसकी बंद आँखों के सामने कहानी का वो एक हिस्सा आ जाता है.....
"बिना कपड़ों के नंगे बदन कुसुम, अपने पापा के मोटे लंड पर ऐसे उच्छल रहीं थीं मानो किसी घोड़े की सवारी कर रही हो. घर की बिजली कटी थी और गर्मी की रात. इमरजेंसी लाइट की रौशनी में कुसुम का पसीने से भरा बदन चमक रहा था. दोनों हाथों को उठायें वो अपने बालों को चेहरे से हटा के पीछे कर रही थी. तभी निचे लेटे बूर में सटा सट लंड पलते हुए पापा की नज़र कुसुम के उठे हाथों की बगलों पर पड़ी. दोनों बगल में रेशमी बाल और बहता पसीना देख के पापा ने अपने हाथों को उसकी पीठ पर ले जा कर उसे अपने ऊपर खींच लिया. कुसुम की भारी चूचियां पापा के सीने से पूरी तरह से चिपक गई और पापा ने सर उठा के उसकी बगल से निकलती पसीने की खुशबू को एक लम्बी सांस लेते हुए सूंघ लिया. पसीने की गंध सूंघते ही पापा ने निचे से जोर की ठाप लगायी तो कुसुम की चीख निकल गई - 'हाय...!! मर गई पापा...!!'...".
इस अंश को याद करते ही पायल के मुहँ से हलकी सी आवाज़ निकल जाती है, "उफ़ पापा". तभी उसके दोनों हाथ थम जाते है और आँखे झट से खुल जाती है. बड़ी बड़ी आँखों से वो ऊपर पंखे को देखने लगती है. दिल ऐसे धड़क रहा है मानो कोई ढोल बजा रहा हो. "ये मैंने क्या कह दिया? अपने ही पापा के बारें में....". इतना कहते ही पायल की ऊँगली हरकत में आ जाती है और बूर के दाने को रगड़ने लगती है. दूसरा हाथ चूची को मसलने लगता है. उसकी आँखे एक बार फिर से बंद हो जाती है और उसके मुहँ से फिर एक आवाज़ निकलती है, "हाय पापा....सीssss....उफ़ पापाssss". उसकी कमर ऊपर उठ जाती है और ऊँगली बूर के दाने को तेज़ी से रगड़ने लगती है. "बहुत गर्मी है पापा....ठंडा कर दीजिये ना....". पायल के मुहँ से अब अपने पापा के लिए वो शब्द निकलने लगते है जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. पापा के प्रति उसका प्यार अब धीरे धीरे हवस का रूप लेने लगा था. तभी पायल के कानो में दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ सुनाई पड़ती है. वो होश में आती है. किताब को तकिये के निचे झट से छुपा के पायल कड़ी हो जाती है और अपने कपड़े ठीक करते हुए दरवाज़े के पास जाती है.
पायल : (दरवाज़ा खोलती है) भाभी आप?
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए खड़ी है) मैडम ... आपकी आज की पढाई हो गई हो तो चाय पीने आ जाइये. सब आपका इंतज़ार कर रहे है.
पायल : (मुस्कुराते हुए) जी भाभी. ५ मिनट में आती हूँ.
उर्मिला : (जाते हुए) जल्दी आना, देर मत लगा देना.
पायल : जी भाभी ...
दरवाज़ा बंद करके पायल अन्दर आती है. उसके चेहरे पर मुस्कान है. सामने आईने में अपने आप को देखती है. अपनी सुन्दरता और गदराये बदन को देख के पायल की मुस्कान और ज्यादा खिल जाती है. तभी पायल को उस कहानी का एक छोटा सा अंश याद आता है. जिसे याद कर के वो हँस देती है. आईने के थोडा करीब जा कर वो झुक जाती है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई को वो आईने में देखते हुए वो एक हाथ आगे बढ़ाते हुए कहती है, "पापा आपकी चाय...". फिर वो एक हाथ से अपना चेहरा छुपा के मुस्कुराते हुए बाथरूम में भाग जाती है.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
"बिना कपड़ों के नंगे बदन कुसुम, अपने पापा के मोटे लंड पर ऐसे उच्छल रहीं थीं मानो किसी घोड़े की सवारी कर रही हो. घर की बिजली कटी थी और गर्मी की रात. इमरजेंसी लाइट की रौशनी में कुसुम का पसीने से भरा बदन चमक रहा था. दोनों हाथों को उठायें वो अपने बालों को चेहरे से हटा के पीछे कर रही थी. तभी निचे लेटे बूर में सटा सट लंड पलते हुए पापा की नज़र कुसुम के उठे हाथों की बगलों पर पड़ी. दोनों बगल में रेशमी बाल और बहता पसीना देख के पापा ने अपने हाथों को उसकी पीठ पर ले जा कर उसे अपने ऊपर खींच लिया. कुसुम की भारी चूचियां पापा के सीने से पूरी तरह से चिपक गई और पापा ने सर उठा के उसकी बगल से निकलती पसीने की खुशबू को एक लम्बी सांस लेते हुए सूंघ लिया. पसीने की गंध सूंघते ही पापा ने निचे से जोर की ठाप लगायी तो कुसुम की चीख निकल गई - 'हाय...!! मर गई पापा...!!'...".
इस अंश को याद करते ही पायल के मुहँ से हलकी सी आवाज़ निकल जाती है, "उफ़ पापा". तभी उसके दोनों हाथ थम जाते है और आँखे झट से खुल जाती है. बड़ी बड़ी आँखों से वो ऊपर पंखे को देखने लगती है. दिल ऐसे धड़क रहा है मानो कोई ढोल बजा रहा हो. "ये मैंने क्या कह दिया? अपने ही पापा के बारें में....". इतना कहते ही पायल की ऊँगली हरकत में आ जाती है और बूर के दाने को रगड़ने लगती है. दूसरा हाथ चूची को मसलने लगता है. उसकी आँखे एक बार फिर से बंद हो जाती है और उसके मुहँ से फिर एक आवाज़ निकलती है, "हाय पापा....सीssss....उफ़ पापाssss". उसकी कमर ऊपर उठ जाती है और ऊँगली बूर के दाने को तेज़ी से रगड़ने लगती है. "बहुत गर्मी है पापा....ठंडा कर दीजिये ना....". पायल के मुहँ से अब अपने पापा के लिए वो शब्द निकलने लगते है जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. पापा के प्रति उसका प्यार अब धीरे धीरे हवस का रूप लेने लगा था. तभी पायल के कानो में दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ सुनाई पड़ती है. वो होश में आती है. किताब को तकिये के निचे झट से छुपा के पायल कड़ी हो जाती है और अपने कपड़े ठीक करते हुए दरवाज़े के पास जाती है.
पायल : (दरवाज़ा खोलती है) भाभी आप?
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए खड़ी है) मैडम ... आपकी आज की पढाई हो गई हो तो चाय पीने आ जाइये. सब आपका इंतज़ार कर रहे है.
पायल : (मुस्कुराते हुए) जी भाभी. ५ मिनट में आती हूँ.
उर्मिला : (जाते हुए) जल्दी आना, देर मत लगा देना.
पायल : जी भाभी ...
दरवाज़ा बंद करके पायल अन्दर आती है. उसके चेहरे पर मुस्कान है. सामने आईने में अपने आप को देखती है. अपनी सुन्दरता और गदराये बदन को देख के पायल की मुस्कान और ज्यादा खिल जाती है. तभी पायल को उस कहानी का एक छोटा सा अंश याद आता है. जिसे याद कर के वो हँस देती है. आईने के थोडा करीब जा कर वो झुक जाती है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई को वो आईने में देखते हुए वो एक हाथ आगे बढ़ाते हुए कहती है, "पापा आपकी चाय...". फिर वो एक हाथ से अपना चेहरा छुपा के मुस्कुराते हुए बाथरूम में भाग जाती है.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,