hotaks444
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प्रीति शायद हिचकिचा रही थी, मेरे लंड पर मां की गांड के माल के एक दो कतरे लगे थे. मां प्रीति के पास गयी और उसके गाल दबा कर उसका मुंह जबरदस्ती खोल दिया. "चल डाल दे बेटा, ये लौंडी आज नखरे करेगी"
मैंने लंड अंदर डाल के प्रीति का सिर अपने पेट पर दबा लिया. प्रीति कसमसाने लगी. मां ने उसकी चोटी खींची और कंधे पर चूंटी काट कर बोली "अब मार खायेगी. चल चूस जल्दी, तेरी मां के बदन का ही तो है"
फ़िर मां प्रीति के बाजू में बैठ गयी और उसके मम्मे सहलाते हुए उसकी बुर में उंगली करने लगी "तेरी बहन एकदम गरमा गयी है बेटा, बस अब इसकी आग ठंडी कर दे आज"
जब मेरा लंड खड़ा हो गया तो मैंने प्रीति के मुंह से निकाल लिया. प्रीति बोली "अब मेरी खोल दो भैया, मां की कसम"
मैंने प्रीति को खाट पर लिटाया और उसकी टांगों के बीच बैठकर उसकी बुर को सहलाया.
मां समझ गयी "चाटेगा क्या?"
"हां अम्मा, एकदम कलाकंद सी है प्रीति की बुर"
"खा ले खा ले, मैं तो रोज चखती हूं" मां बोली.
मैं लेट कर प्रीति की गोरी गोरी बुर चाटने लगा. प्रीति कमर उचकाने लगी "हा ऽ य भैया ... अब चोदो ना ... कैसा तो भी होता है"
"अभी चोद दे बेटा, ये कब से फनफना रही है, तू ऐसा कर, रोज स्कूल जाने के पहले इसकी बुर चूस दिया कर और जब ये वापस आयेगी स्कूल दे, तब इसे चोद दिया कर. अब आ जल्दी"
मां ने प्रीति की बुर फैलायी. मैंने सुपाड़ा जमाया और पेल दिया. प्रीति चिल्लाने वाली थी कि मां ने हाथ से उसका मुंह दबोच दिया "डाल ना मूरख, इसको देखेगा तो सुबह हो जायेगी"
"अम्मा ... प्रीति को दर्द हो रहा है" मैं बोला.
"वो तो होगा ही ... इत्ता बड़ा घोड़े जैसा तो है तेरा ... फिकर मत कर, बहन बड़ी खुशी से ये दरद सहन कर लेती है, भाई से चुदने के अरमान के लिये तो बहन कुछ भी कर लेती है"
मैंने लौड़ा पूरा पेल दिया, प्रीति का बदन ऐंठ गया. मुझे बड़ा मजा आ रहा था, मैं प्रीति पर लेट गया और चोदने लगा. हर धक्के से उसके बंद मुंह से एक दबी चीख निकल जाती.
"बस ऐसे ही चोद, अभी मस्त हो जायेगी तेरी छोटी बहन. मुझे याद है जब तेरे मामाजी ने चोदा था मेरे को तब मैं बेहोश हो गयी थी दरद के मारे. फ़िर भी रात भर चोदा बेदर्दी ने. बड़े मरते हैं मेरे ऊपर तेरे मामाजी" मां बड़ी शान से बोली.
मैंने प्रीति को आधा घंटा चोदा. पूरी खोल दी उसकी बुर. बेचारी आंख बंद करके पड़ी थी. "देखो अम्मा, खून तो नहीं निकला?" मैं बोला.
"अरे खून क्या निकलेगा बेटा, इसकी झिल्ली तो कब की फटी है, मैं रोज रात को मोमबत्ती से मुठ्ठ मार देती हूं, तू फिकर मर कर, कल सुबह देख कैसे चिपकेगी तेरे से"
मैं अपना खड़ा लंड पोछता हुआ बोला "माम, मामाजी दो दिन में आ जायेंगे ... तब"
मां मेरी ओर देखकर बोली "फिकर मत कर मेरे ला, मैं रात को उनसे करवा लूंगी. तू बस दोपहर को मेरे कमरे में आया कर, जब तेरे मामाजी खेत में होते हैं. और सुन, प्रीति की जिम्मेदारी अब तेरी, उसे खुश रखना बेटा, हर रात उसको अपने साथ सुला लिया करना. जवान बहन की प्यास पूरी बुझा दिया कर, नहीं तो लड़कियां बिगड़ जाती हैं इस उमर में"
"अच्छा अम्मा" मैं बोला.
---- समाप्त ----
मैंने लंड अंदर डाल के प्रीति का सिर अपने पेट पर दबा लिया. प्रीति कसमसाने लगी. मां ने उसकी चोटी खींची और कंधे पर चूंटी काट कर बोली "अब मार खायेगी. चल चूस जल्दी, तेरी मां के बदन का ही तो है"
फ़िर मां प्रीति के बाजू में बैठ गयी और उसके मम्मे सहलाते हुए उसकी बुर में उंगली करने लगी "तेरी बहन एकदम गरमा गयी है बेटा, बस अब इसकी आग ठंडी कर दे आज"
जब मेरा लंड खड़ा हो गया तो मैंने प्रीति के मुंह से निकाल लिया. प्रीति बोली "अब मेरी खोल दो भैया, मां की कसम"
मैंने प्रीति को खाट पर लिटाया और उसकी टांगों के बीच बैठकर उसकी बुर को सहलाया.
मां समझ गयी "चाटेगा क्या?"
"हां अम्मा, एकदम कलाकंद सी है प्रीति की बुर"
"खा ले खा ले, मैं तो रोज चखती हूं" मां बोली.
मैं लेट कर प्रीति की गोरी गोरी बुर चाटने लगा. प्रीति कमर उचकाने लगी "हा ऽ य भैया ... अब चोदो ना ... कैसा तो भी होता है"
"अभी चोद दे बेटा, ये कब से फनफना रही है, तू ऐसा कर, रोज स्कूल जाने के पहले इसकी बुर चूस दिया कर और जब ये वापस आयेगी स्कूल दे, तब इसे चोद दिया कर. अब आ जल्दी"
मां ने प्रीति की बुर फैलायी. मैंने सुपाड़ा जमाया और पेल दिया. प्रीति चिल्लाने वाली थी कि मां ने हाथ से उसका मुंह दबोच दिया "डाल ना मूरख, इसको देखेगा तो सुबह हो जायेगी"
"अम्मा ... प्रीति को दर्द हो रहा है" मैं बोला.
"वो तो होगा ही ... इत्ता बड़ा घोड़े जैसा तो है तेरा ... फिकर मत कर, बहन बड़ी खुशी से ये दरद सहन कर लेती है, भाई से चुदने के अरमान के लिये तो बहन कुछ भी कर लेती है"
मैंने लौड़ा पूरा पेल दिया, प्रीति का बदन ऐंठ गया. मुझे बड़ा मजा आ रहा था, मैं प्रीति पर लेट गया और चोदने लगा. हर धक्के से उसके बंद मुंह से एक दबी चीख निकल जाती.
"बस ऐसे ही चोद, अभी मस्त हो जायेगी तेरी छोटी बहन. मुझे याद है जब तेरे मामाजी ने चोदा था मेरे को तब मैं बेहोश हो गयी थी दरद के मारे. फ़िर भी रात भर चोदा बेदर्दी ने. बड़े मरते हैं मेरे ऊपर तेरे मामाजी" मां बड़ी शान से बोली.
मैंने प्रीति को आधा घंटा चोदा. पूरी खोल दी उसकी बुर. बेचारी आंख बंद करके पड़ी थी. "देखो अम्मा, खून तो नहीं निकला?" मैं बोला.
"अरे खून क्या निकलेगा बेटा, इसकी झिल्ली तो कब की फटी है, मैं रोज रात को मोमबत्ती से मुठ्ठ मार देती हूं, तू फिकर मर कर, कल सुबह देख कैसे चिपकेगी तेरे से"
मैं अपना खड़ा लंड पोछता हुआ बोला "माम, मामाजी दो दिन में आ जायेंगे ... तब"
मां मेरी ओर देखकर बोली "फिकर मत कर मेरे ला, मैं रात को उनसे करवा लूंगी. तू बस दोपहर को मेरे कमरे में आया कर, जब तेरे मामाजी खेत में होते हैं. और सुन, प्रीति की जिम्मेदारी अब तेरी, उसे खुश रखना बेटा, हर रात उसको अपने साथ सुला लिया करना. जवान बहन की प्यास पूरी बुझा दिया कर, नहीं तो लड़कियां बिगड़ जाती हैं इस उमर में"
"अच्छा अम्मा" मैं बोला.
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