Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते - Page 7 - SexBaba
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Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते

मौसी हो तो ऐसी-1

मैं राज एक बार फिर अपने जीवन की एक सच्ची घटना को कुछ काल्पनिक पात्रों के साथ आपके सामने ले कर आया हूँ ! काल्पनिक पात्र इसलिए ताकि आप सबका ज्यादा से ज्यादा मनोरंजन हो !
जैसा कि मैंने आपको बताया की घटना बिलकुल सच्ची है ! मेरी उम्र 22 साल की हो गई थी और घर वाले मेरी शादी के लिए लड़की देखने लगे थे ! मेरी माँ चाहती थी कि जल्दी से उसके घर बहू आ जाये ! दिल से तो मैं भी यही चाहता था पर अभी आगे पढ़ना भी चाहता था। पिताजी के पास आये दिन कोई ना कोई आ जाता था रिश्ता ले कर ! इसके दो कारण थे पहला तो यह कि मेरे पिताजी की इलाके में पूरी धाक थी हर कोई उनसे रिश्ता जोड़ना चाहता था दूसरे मैं भी तो एकदम बांका जवान था ! पूरे गाँव में मुझसे ज्यादा खूबसूरत और भरे-पूरे शरीर वाला कोई जवान लड़का नहीं था। गाँव की हर लड़की मरती थी मुझ पर, चाहे मेरा उससे कुछ भी रिश्ता हो ! अगर साफ़ शब्दों में लिखूँ तो मेरे ताऊ-चाचा की लड़कियाँ भी मुझ पर मरती थी। मेरी खुद की बुआ तो लट्टू थी मेरे ऊपर ! हमेशा मेरी माँ से कहती थी कि मेरे लिए राज जैसा ही लड़का देखना, नहीं तो मैं शादी नहीं करवाऊंगी।
घटना की शुरुआत तब हुई जब तीन साल पहले मेरे छोटे चाचा राजकिशोर की शादी थी। जैसा कि आप समझ ही गए होंगे कि मेरा और मेरे चाचा का नाम मिलता-जुलता था। घर में सब मुझे राज कहते थे और चाचा को किशोर ! पर चाचा का असल नाम राज किशोर ही था।
शादी की धूमधाम चारों तरफ थी। आखिर गाँव के मुखिया और इलाके के एक बड़े जमींदार के बेटे की शादी थी। मैं अपने दादा जी की बात कर रहा हूँ ! दूर से आने वाले रिश्तेदार घर पहुँचने लगे थे। मेरी मौसी जो मेरी माँ से सात साल छोटी थी, अपनी बड़ी बेटी पदमा के साथ आ चुकी थी। मुझे पता था कि मेरी मौसी मेरे पिताजी पर बहुत मरती थी क्योंकि मौसा जी एकदम दुबले-पतले थे और कमाई भी कम थी मौसा की, जिस कारण मौसी का हाथ हमेशा तंग रहता था। पिता जी आये दिन मौसी की जरूरत पूरी करते रहते थे। मेरी माँ को भी यह सब पता था। मौसी और मेरे पिताजी के बीच किसी तरह का कोई दूसरा सम्बन्ध था या नहीं, मुझे तब तक नहीं पता था जब तक मैंने खुद अपनी आँखों से मौसी को पिताजी गोदी में नंगी बैठे नहीं देख लिया था।
उस दिन मौसी हमारे घर आई हुई थी पर मेरी माँ अपने मायके गई हुई थी। तब रात को जब मैं पेशाब करने के लिए उठा तो पिताजी के कमरे की लाइट जल रही थी और कुछ हल्की-हल्की आवाजें भी आ रही थी। मैंने जब दरवाजे से झांक कर देखा तो मेरा कुँवारा लंड एकदम से मेरे कच्छे को फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो गया था ! मौसी पिता जी की गोद में बैठी हुई पिताजी का लंड जोकि लगभग दस इंच का था हाथ में पकड़ कर हिला रही थी ! हिलाते हिलाते मौसी उठी और उसने पिता जी का लंड मुँह में ले लिया !
पिता जी आहें भरने लगे और बोले- जानकी तू लंड बहुत अच्छा चूसती है, तभी तो मैं तुम पर मरता हूँ ! तेरा प्यार करने का तरीका तेरी बहन से लाख गुणा अच्छा है ! तू मस्त कर देती है और खुद भी मस्त हो कर चुदवाती है !
पांच मिनट लंड चूसने के बाद मौसी उठी और पिता जी लंड को अपनी चूत पर सेट करके उस पर बैठ गई और पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया। उसके बाद तो कभी मौसी ऊपर कभी पिता जी ऊपर ! पूरा आधा घंटा चुदाई चली फिर दोनों पस्त हो कर लेट गए। तब तक तो मैं भी पस्त हो चुका था यानि मेरा लंड भी असली ब्लू फिल्म देख कर पानी छोड़ चुका था ! मेरा अंडरवियर खराब हो चुका था !
पेशाब लगी थी, मैंने पेशाब किया और जाकर अपने बिस्तर पर सोने की कोशिश करने लगा पर नींद तो आँखों से कोसों दूर थी।
उस दिन से मेरी नजर मेरी मौसी के लिए बिल्कुल बदल गई थी। जब मौसी शादी में आई तो मेरी आँखों के सामने वही दृश्य घूम गया। मुझे मौसी की मस्त चूचियाँ नजर आने लगी जिन्हें मेरे पिताजी यानि मौसी के जीजाजी मसल रहे थे। मुझे मौसी के मस्त कूल्हे नजर आने लगे जिन्हें दबा दबा कर मेरे पिता जी यानि मौसी के जीजाजी चोद रहे थे।
इन्हीं सोच के बीच खड़ा मैं मौसी के मस्त शरीर को निहार रहा था कि मौसी पदमा के साथ मेरे पास आई और मुझे गले से लगाते हुए मेरे माथे को चूम लिया। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया !
तभी मेरी नजर पदमा पर पड़ी ! मैं पदमा को करीबन पाँच-छह साल के बाद देख रहा था तब वो ग्यारह साल की एक छोटी बच्ची थी, फ्रॉक पहनती थी ! पर आज पदमा मस्त जवान लड़की बन चुकी थी ! मस्त माँ की मस्त बेटी ! अपनी माँ की तरह बड़ी-बड़ी चूचियाँ ! मस्त गोल गोल कूल्हे ! सुन्दर हसीन चेहरा ! हाय मैं तो लुट गया था इस हसीना पर ! पर फिर ध्यान भंग हुआ जब माँ ने आकर कहा- बेटा अपनी बहन को कमरा दिखा आओ !
माँ ने बहन शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया था। शायद वो मेरे दिल की आवाज पहचान गई थी। मैं भी एकदम सपने से जगा, याद आया कि वो मेरी बहन है मौसेरी !
मौसी पिताजी से चुदवाती है क्योंकि वो जीजा-साली है, पर पदमा तो मेरी बहन है और जानकी मौसी यानि माँ जैसी ! मैंने पदमा को ऊपर मेरे साथ वाला कमरा दे दिया और जाकर नीचे काम करने लगा। काम काज में समय का पता ही नहीं चला। रात होने को आई थी, सब लोग खाना खाने के लिए हाल में इक्कठे हुए। चांस की बात थी कि पदमा की कुर्सी मेरी कुर्सी के साथ थी। हमारे घर में अकसर मेज़ के तरफ मर्द और दूसरी तरफ औरतें बैठती थी पर शायद पदमा को यह बात मालूम नहीं थी तभी तो वो मेरे पास आकर बैठ गई।
पदमा ने लम्बी स्कर्ट पहन रखी थी, ऊपर पीले रंग का टॉप था, कयामत लग रही थी यार ! पर तभी मुझे माँ की दिन वाली बात याद आई- पदमा तुम्हारी बहन है।
मैंने ध्यान पदमा पर से हटा लिया और खाना खाने लगा। खाना खाते खाते मेरी और पदमा की टाँगें कई बार आपस में टकराई ! हर बार मेरा दिल डोल गया ! पदमा का शरीर आग उगलता महसूस हो रहा था। मैं बेचैन हो रहा था। मैंने नजर उठा कर पदमा को देखा तो उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कान खेल रही थी। मैंने पदमा को थोड़ा गौर से देखा ! अभी तक मैंने पदमा की चूचियों और कूल्हों को ही ध्यान से देखा था पर अब मैंने पदमा के खूबसूरत चेहरे पर भी नजर मारी तो मालूम हुआ यार क्या गजब माल थी पदमा ! रंग गोरा दूध जैसा, सुन्दर नाक, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ गुलाबी गुलाबी !
मैं तो फ़िदा हो गया अपनी इस मस्त सेक्सी मौसेरी बहन पर !
अब मैंने जानबूझ कर अपनी टाँगें पदमा की टांगों से छूनी शुरू कर दी ! पदमा को भी इसका एहसास हो गया कि मैं जानबूझ कर ऐसा कर रहा हूँ पर माँ का क्या करूँ, वो तो हर बात पर कह देती- बेटा, अपनी बहन को सब्जी दो, अपनी बहन को चावल दो, खीर दो !
मैं झुंझला जाता माँ की आवाज सुन कर ! क्या कर सकता था !
खाना खाकर हम लोग गप्पे मारने बैठ गए ! मौसी मेरे बिल्कुल पास बैठी थी मौसी से आगे माँ बैठी थी, आगे बुआ और मेरे बिल्कुल सामने पदमा !
मैंने पदमा को कई बार कहा अपने पास बैठने के लिए पर वो मुस्कुराती रही और गर्दन हिलाकर ना करती रही !
पर ये क्या-
अचानक मुझे एक झटका सा लगा जब मैंने मौसी का हाथ कम्बल के नीचे अपने लंड पर महसूस किया। मैं सिहर उठा ! क्योकि मुझे इसका अंदाजा भी नहीं था कि मौसी ऐसा कर सकती है ! वो तो मेरे बाप से चुदती थी ना, फिर वो मेरा लंड क्यों सहला रही थी !
मैंने उस समय नाईट सूट का खुला सा पजामा पहन रखा था और नीचे कच्छा भी नहीं पहना था ! मौसी के हाथ लगाते ही लंड खड़ा होना शुरू हो गया वैसे आधा तो वो पहले ही पदमा की मस्त जवानी देख कर खड़ा हो गया था ! मौसी पजामे के ऊपर से ही लंड को सहला रही थी।
क्योंकि रिश्ते में मौसी यानि माँ जैसी थी इसलिए कोई शक भी नहीं कर रहा था और ना ही कर सकता था ! मौसी हँसी-मजाक की बातें कर रही थी और सब हँस रहे थे। तभी लाईट चली गई ! गाँव में यह आम बात थी। लाईट जाते ही सब तरफ अफरा-तफरी सी मच गई। कोई मोमबती तलाश रहा था तो कोई लालटेन ! पर मौसी तो कुछ और ही तलाश रही थी ! मौसी ने कम्बल में मुँह देकर लंड को पजामे के ऊपर से ही मुँह में ले लिया, मेरी सिसकारी निकल गई ! तभी मौसी ने पजामा थोड़ा नीचे कर के लंड बाहर निकाल लिया और लंड मुँह में लेकर चूसने लगी !
मेरा बुरा हाल हो रहा था ! उत्तेजना इतनी ज्यादा हो गई कि मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी मौसी की मुँह में ! मौसी ने लंड पूरा चूस लिया !
तभी पिताजी की आवाज आई, वो मुझे आवाज दे रहे थे। मैं जल्दी से पजामा ऊपर करके पिताजी के पास भागा। मौसी मुझे पकड़ती रह गई !
लाईट काफी देर नहीं आई तो सब अपने अपने कमरे में सोने के लिए जाने लगे ! मेरा ध्यान अब पदमा से ज्यादा मौसी पर केन्द्रित हो गया था। मैं मौसी के साथ सेक्स नहीं करना चाहता था पर मौसी ने लंड चूस कर मेरे अंदर आग सी लगा दी थी। मेरी हालत अब ऐसी थी कि अगर कोई कुतिया भी सामने आ जाती तो मैं उसे भी चोद देता !
सब अपने कमरे में जा चुके थे, मैं भी अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। मौसी भी मेरे कमरे की तरफ आ रही थी कि माँ ने मौसी को आवाज दी और कहा कि वो माँ के कमरे में सो जाये !
सुन कर हैरानी भी हुई क्योंकि पिताजी भी तो उसी कमरे में सो रहे थे ! तो क्या माँ को पिताजी और मौसी के बारे में पता है?
मैं हैरान था !
मौसी माँ से कुछ बात करती रही पर माँ ने जब थोड़ा जोर से कहा- नहीं ! तू मेरे कमरे में ही सो जा !
तो मौसी बच्चे की तरह पाँव पटकती हुई माँ के कमरे में चली गई। माँ ने मेरे कमरे की तरफ देखा और फिर अपने कमरे के अंदर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया।
 
मौसी हो तो ऐसी-2
प्रेषक : राज कार्तिक
सब अपने कमरे में जा चुके थे, मैं भी अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। मौसी भी मेरे कमरे की तरफ आ रही थी कि माँ ने मौसी को आवाज दी और कहा कि वो माँ के कमरे में सो जाये !
सुन कर हैरानी भी हुई क्योंकि पिताजी भी तो उसी कमरे में सो रहे थे ! तो क्या माँ को पिताजी और मौसी के बारे में पता है?
मैं हैरान था !
मौसी माँ से कुछ बात करती रही पर माँ ने जब थोड़ा जोर से कहा- नहीं ! तू मेरे कमरे में ही सो जा !
तो मौसी बच्चे की तरह पाँव पटकती हुई माँ के कमरे में चली गई। माँ ने मेरे कमरे की तरफ देखा और फिर अपने कमरे के अंदर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। पदमा के कमरे का और मेरे कमरे का बाथरूम एक ही था जो दोनों कमरों में खुलता था। मैं भी अंदर गया कुछ देर के बाद ही मुझे बाथरूम में से कुछ गुनगुनाने के आवाज आई। यह पदमा की आवाज थी। मैं बाथरूम के पास गया और दरवाजा खोलने लगा पर दरवाजा अंदर से बंद था। मैंने दरवाजा खटखटाया तो पदमा की आवाज आई- क्या है?
मैंने कहा- दरवाजा खोलो ! मुझे जोर से पेशाब लगी है ! जल्दी करो, मैं रोक नहीं सकता !
एक मिनट कोई आवाज नहीं हुई, फिर दरवाजा खुलने की आवाज आई !
पदमा ने जैसे ही दरवाजा खोला मैं उसे धकेलते हुए अंदर घुसा और लंड निकाल कर पेशाब करने लगा। मैं यह भी भूल गया कि पदमा अभी भी वहीं थी !
मुझे लंड निकालते देख वो चिल्लाई- भाई, यह क्या कर रहे हो ? कुछ तो शर्म कर !
मेरे मुँह से निकल गया- अरे पेशाब करने में शर्म कैसी ?
पदमा बोली- डियर ब्रदर ! बहन के सामने पेशाब करना शर्म की बात है, समझे !
पदमा मुझे उपदेश दे रही थी पर बाहर भी नहीं जा रही थी और मैं अपना सात आठ इंच का लंड हाथ में पकड़े पेशाब कर रहा था, लंड पेशाब के जोर से तन कर खड़ा था।
पदमा की नजर लंड पर तो नहीं थी वो मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी जो पेशाब निकलने के कारण हल्का महसूस कर रहा था। मेरी आँखें लगभग बंद थी।
पेशाब करने के बाद मैंने पदमा से पूछा- क्यों, अच्छा लगा ?
पदमा बोली- क्या अच्छा लगा?
मैंने नीचे की तरफ इशारा किया !
तब पदमा ने नीचे की तरफ देखा और चोंकते हुए बोली- हाय राम इतना लम्बा !
मैं अपने लंड की तारीफ सुनकर खुश हो गया। तभी पदमा बोली- राज भाई, अपनी बहन को लंड दिखा रहे हो, कुछ तो शर्म करो !
पदमा के मुँह से लंड शब्द सुन लंड फुफ़कारने लगा था, मेरे भी मुँह से निकल गया- अगर बहन इतनी सुंदर और सेक्सी हो तो हर भाई लंड निकल कर उसके सामने खड़ा हो जाये।
पदमा हँस पड़ी मेरी बात सुन कर !
हँसी तो फंसी ! की कहावत बहुत मशहूर है, आप सब जानते ही होंगे।
मैंने आगे बढ़ कर पदमा के कंधों को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचा। लंड अभी भी बाहर ही था।
पदमा की हँसी एकदम से रुक गई और बोली- भाई क्या कर रहे हो?
मैं कुछ नहीं बोला और मैंने अपने होंठ पदमा के गुलाबी होंठों पर रख दिए। पदमा एक बार तो कसमसाई पर फिर शांत हो कर खड़ी हो गई ! मैं लगातार पदमा के होंठ चूस रहा था। पदमा के हाथ मेरी पीठ पर आ चुके थे। अब पदमा भी चूमने में मेरा पूरा साथ दे रही थी। मस्ती बढ़ती जा रही थी। मैंने पदमा का एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया पदमा ने मस्ती में उसे पकड़ कर मसल दिया।
जैसे ही मैंने पदमा के होंठ छोड़े, पदमा बोली- भाई, तुम्हारा तो एक दम लोहे की रॉड के तरह से है और गरम भी बहुत ज्यादा है।
मेरे मुँह से निकला- पदमा, मेरी जान, यह सब तुम्हारे कारण है ! तुम हो ही इतनी सेक्सी मेरी जान !
पदमा मेरा लंड मसल रही थी मेरे मुँह से मस्ती भरी आहें निकल रही थी- आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और जोर से मसल मेरी जान !
पदमा भी गर्म होने लगी थी, अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। एक बार तो मैं घबराया, फिर पदमा को उसके कमरे में भेज कर मैंने दरवाजा खोला। दरवाजे पर मेरी अपनी माँ खड़ी थी।
मैंने पूछा- क्या बात है माँ?
तो माँ बोली- बस बेटा, मैं तो देखने आई थी कि तुम सो गए हो या नहीं।
माँ बस सो ही रहा था, मैंने कहा और कहा- अब तुम भी सो जाओ।
माँ ने एक बार कमरे में झांक कर देखा। मैं समझ गया कि माँ क्या देखना चाहती है।
खैर माँ चली गई। मैं लगभग दौड़ता हुआ बाथरूम की तरफ गया पर पदमा ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था। मैंने दरवाजा खटखटाया भी, पर पदमा ने दरवाजा नहीं खोला। शायद वो थोड़ा डर गई थी। मुझे मेरी माँ पर बहुत गुस्सा आ रहा था। मेरे तो खड़े लंड पर धोखा हो गया था। अब मेरे पास मुठ मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। मौसी को पिताजी ने पकड़ लिया था और पदमा माँ के कारण हाथ से निकल गई थी। लंड को सहलाते-सहलाते ना जाने कब नींद आ गई।
जब आँख खुली तो एहसास हुआ कि कोई मेरे लंड से खेल रहा है। इन होंठो के स्पर्श को मैं पहचानता था। यह मौसी ही थी, वो मजे से मेरा लंड सहला रही थी और बीच बीच में चूम भी रही थी। लाईट आ चुकी थी। कमरे में पूरा उजाला था।
मैंने देखा- मौसी ने अपने ब्लाउज के हुक खोल रखे थे और उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ झूल रही थी। तभी मौसी ने अपने मुँह में मेरा पूरा लंड ले लिया और मेरे मुँह से आह निकल गई। मेरी आह से मौसी को पता चल गया कि मैं जाग चुका हूँ।
मौसी बोली- बेटा राज, अगर उठ ही चुके हो तो सही से मजे लो ना।
मैं कुछ नहीं बोला पर अब मौसी ने खुल कर लंड चूसना शुरू कर दिया। पहले वो थोड़ा डर कर चूस रही थी। लंड मौसी के होंठों की गर्मी से पूरा तन कर लोहे की रॉड की तरह हो चुका था। मौसी ने लंड मुँह में से निकाल दिया और ऊपर आ कर अपनी एक चूची मेरे मुँह पर रगड़ने लगी। मैं भी अब पूरा गर्म था, मैंने तुरंत मौसी की चूची मुँह में ले ली और जोर जोर से चूसने लगा। मौसी की हालत खराब होने लगी। मौसी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी और ये सिसकारियाँ धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। अब मैं मौसी की चूचियाँ बदल बदल कर चूस रहा था। मौसी मस्त हो कर चूचियाँ चुसवा रही थी और एक हाथ से मेरे तने हुए लंड को सहला रही थी।
कुछ देर बाद मौसी बोली- राज बेटा, अब बर्दाश्त नहीं होता ! जल्दी से अपना यह खम्बा मेरी चूत में घुसेड़ दे, पूरे बदन में आग लगी हुई है।
मैंने पूछा- ऐसी क्या बात हो गई?
तो मौसी बोली- तेरे बाप ने गर्म तो कर दी पर आग नहीं बुझाई।
मैंने पूछा- क्यों ?
तो बोली- तेरी माँ ने आज मुझे चुदने ही नहीं दिया। दो बार लंड को तैयार किया पर दोनों बार तेरी माँ ने पहले अपनी चूत में फिर अपनी गांड में डलवा कर तेरे बाप का लंड झाड़ दिया और मैं प्यासी रह गई क्योंकि दो बार चोदने के बाद तेरा बाप थक गया और मेरी चूत की आग बुझाये बिना ही सो गया।
मैं बोला- तुम चिंता मत करो मौसी, तेरी चूत की सारी आग मैं अभी ठंडी कर दूँगा ! पहले अपने कपड़े तो उतार।
मौसी उठी और उसने अपने शरीर पर से सारे कपड़े उतार फेंके। मौसी बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी। मैंने मौसी के अंग-अंग को ध्यान से देखा। मौसी अब भी मस्त लग रही थी, बड़ी बड़ी चूचियाँ अब भी तन कर खड़ी थी, पेट की नाभि देख कर ही लंड खड़ा हो जाये ऐसी थी मौसी की नाभि। जब चूत पर नजर गई तो लंड फटने को हो गया। चूत पर एक भी बाल नहीं था। चिकनी चूत बिल्कुल फूली-फूली सी जैसे लंड को खाने के लिए मुँह खोले खड़ी थी।
लंड फुंफ़कारने लगा था। मौसी ने आगे बढ़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर जोर से चूसने लगी। एक हाथ से मौसी मेरा लंड मसल रही थी। मेरा एक हाथ मौसी की चूची को मसल रहा था तो दूसरा हाथ मौसी की चूत की पुतियाँ मसल रहा था जिस कारण मौसी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी।
मौसी बोली- अब देर मत कर !
मैं भी जैसे इन्तजार ही कर रहा था। मैंने मौसी को बिस्तर पर पैर ऊपर करके लिटा दिया और अपना लंड मौसी की चूत के मुँह पर रगड़ने लगा।
मौसी गिड़गिड़ाने लगी थी- अब डाल भी दे बेटा ! मत तरसा ! तेरे बाप ने तो प्यासी छोड़ दी, तू तो मत तड़पा। डाल दे बेटा।
मैं जानबूझ कर देर कर रहा था। मौसी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। मौसी पूरी खेली खाई थी। उसे पता था कि उसे क्या करना है। मौसी ने अपनी टांगों में जकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा तो मौसी की गीली चूत में मेरा आठ इंच का लंड एकदम घुसता चला गया और आधे से ज्यादा लंड मौसी की चूत में समां गया।
मौसी चिहुंक उठी थी, बोली- बेटा कितना गर्म लंड है तेरा। लग रहा है जैसे कोई गर्म लोहे का डण्डा घुसेड़ दिया हो चूत में। अब धक्के मार बेटा और फाड़ दे अपनी मौसी की चूत ! भोसड़ा बना दे इस चूत का। फाड़ दे बेटा !
मैंने जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए। लंड जड़ तक मौसी की चूत में जा रहा था। मेरे टट्टे मौसी की गांड पर थाप दे रहे थे। मैं जवान लड़का था यानि पिता जी से ज्यादा फुर्तीला। मेरे धक्कों की गति भी पिताजी के धक्कों से ज्यादा तेज थी।
तभी तो मौसी अपने आप को रोक नहीं पाई और दो मिनट में ही झड कर निढाल हो गई। ढेर सारा पानी छोड़ दिया था मौसी की चूत ने !
पर मैं तो अभी शुरू ही हुआ था, मैं लगातार धक्के लगता रहा। दस मिनट की चुदाई में मौसी तीन बार झड़ गई और बोली- बस बेटा ! मैं अब तुमसे और नहीं चुदवा सकती।
मौसी क्या कह रही हो? मेरा तो अभी हुआ ही नहीं।
मौसी बोली- मैं अपने आप कुछ करके झाड़ दूंगी पर बेटा अब मेरी चूत तेरा लंड नहीं सह पायेगी।
मैं भी जिद करते हुए बोला- नहीं मौसी, मुझे तो चूत में ही लंड झडना है।
तभी मौसी ने कहा- तुम कुछ देर मेरी गांड मार लो।
तो मैंने लंड चूत से निकाल कर गांड के मुँह पर रखा और धक्का लगा दिया। मौसी चिल्लाई पर पूरा लंड अपने गांड में ले गई। मौसी की गांड भी अच्छे से चुदी हुई थी। लंड अब मौसी की चिकनी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था। मौसी मस्ती में आहें भर रही थी, मौसी की सिसकारियाँ कमरे के माहौल को महका रही थी। लंड की थप-थप एक सुरीला संगीत बजा रही थी। मौसी मस्त होकर गांड मरवा रही थी।
पूरे बीस मिनट मैंने मौसी की गांड मारी। मौसी गांड मरवाते मरवाते भी झड़ गई थी यानि मौसी की चूत ने पानी छोड़ दिया था।
मौसी की बस हो गई थी।
मैं शर्म की मारे कुछ बोल नहीं रहा था। पर मन ही मन मैं मौसी को गालियाँ दे रहा था : साली भोसड़ी की ! जब गांड और चूत में दम ही नहीं था तो क्यूँ चुदवाने के लिए मरी जा रही थी। अगर नहीं झेल सकती थी तो अपनी बेटी क्यों नहीं चुदवा ली मुझ से ? वो तो जवान थी पूरी मस्त हो कर चुदवाती !
पर मन में एक खुशी भी थी कि मैंने मौसी को चोद दिया था।
मैंने लंड गांड में से निकाल कर एक बार फिर मौसी की चूत में डाल दिया और चोदने लगा। अब मौसी सुस्त सी पड़ी धक्के खा रही थी और मेरी तारीफ़ करे जा रही थी। चोदते-चोदते मैं भी अब झड़ने के कगार पर पहुँच गया था। मैंने मौसी को कहा- मौसी, अब मैं झड़ने वाला हूँ ! बोल कहाँ निकालूँ मैं अपना माल?
तो मौसी बोली- इस चूत ने तो लंड का बहुत पानी पी लिया है, मेरे मुँह में ही झड़ जा बेटा !
मैंने लंड मौसी की चूत से निकाला और मौसी के मुँह में ठूस दिया। मौसी अपनी चूत के पानी को चटखारे लेकर चाटने लगी तभी मेरे लंड ने भी पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी। मौसी मेरे लंड से निकले वीर्य की एक एक बूंद चाट गई। पूरा लंड चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही मौसी ने लंड छोड़ा और बोली- वाह बेटा राज, इतना ज्यादा और मजेदार रस था तेरे लंड का, मजा आ गया ! सच कहती हूँ अगर चूत में डाल देता तो मैं तो सच में गर्भवती हो जाती। क्या मस्त माल निकला रे तेरे लंड से। मजा आ गया।
कह कर मौसी निढाल हो कर मेरे बिस्तर पर लेट गई और वहीं सो गई। पर मेरी तो नींद उड़ चुकी थी अपनी मौसी को चोद कर। वैसे मैं भी थक चुका था, पूरे चालीस मिनट तक चोदा था मौसी को। काफी देर तक देखता रहा मौसी की खूबसूरत और सेक्सी बदन को। फिर न जाने कब नींद आ गई।
पदमा की कहानी अगली बार !
 
जवान बहन की चुदाई का मज़ा--1

दोस्तों, सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम राकेश है. मेरी उम्र 19 साल है. मैं पहली बार आप लोगों के सामने अपनी कहानी ला रहा हूँ. मुझे अपनी इस कहानी को बताते हुए थोड़ी शर्म भी आ रही है. पर जब मैंने देखा की मेरे जैसे कई भाई और बहन आपस में सेक्स कर चुके हैं तो मेरा भी हौसला बढ़ गया और मैंने भी सोचा की आप लोगों को सब कुछ बता दूँ जो की मेरे और मेरी सगी बहन के बीच में हुआ.

तो दोस्तों लीजिए मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ. मेरे घर पर मैं, मेरी बहन, मेरे मम्मी और डैडी चार लोग रहते हैं. मेरे मम्मी और डैडी दोनों सुबह काम पर चले जाते हैं और मैं और मेरी बहन कॉलेज और स्कूल. ओह ! मैं बताना भूल गया कि मैं बी ए फर्स्ट ईयर में हूँ और मेरी बहन नौवीं क्लास मैं पढ़ती है. मेरी बहन का नाम पूजा है. वो 16 साल की है. उसकी हाईट 5 फुट 1 इंच है. वो एकदम दूध की तरह गोरी और बहुत चिकनी है.

मेरा रंग भी गोरा चिट्टा है. मेरी हाईट 5 फुट 5 इंच है और मेरे लंड का साईज़ 6 इंच का है. जैसा की हर कहानी में होता है, मेरा भी अपनी बहन के बारे में कोई बुरा ख़याल नहीं था. पर एक दिन जैसे मेरी दुनिया ही बदल गयी. हुआ यूँ की मैं एक बार कॉलेज से जल्दी आ गया. मेरे पास घर की एक एक्स्ट्रा चाबी थी. मैं ताला खोल कर अंदर आ गया और देखा की घर पर कोई नहीं था. मेरे घर के पीछे एक लान था. वहां पर मैंने देखा की मेरी बहन पूजा और उसकी सहेली रेखा हँस हँस कर खेल रही थीं. लान की दीवारें ऊँची थीं और बाहर से कोई अंदर देख नहीं सकता था. रेखा के हाथ मैं पानी का पाईप था. वो पूजा पर पानी डाल रही थी. मेरी बहन बचने की कोशिश कर रही थी.

दोनों के बदन भीगे हुए थे और उन दोनों के मुम्मे साफ़ नज़र आ रहे थे. ये देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं छुप कर उन लोगों का खेल देखने लगा. कुछ देर के बाद वो एक दूसरे को किस करने लगीं और मुम्मे दबाने लगीं. थोड़ी देर के बाद पूजा ने रेखा के कपडे उतार दिए और उसके ऊपर चढ़ गयी. रेखा का रेशमी बदन देख कर मेरी सांस जहाँ की तहाँ अटक गई. मैंने जिंदगी में पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था. उसका दूधिया बदन धूप में चमक रहा था. उसके मुम्मे बहुत कसे हुए थे और चूत पर एक भी बाल नहीं था. पूजा रेखा को लिप्स पर किस कर रही थी. उसका एक हाथ उसके मुम्मों पर था और दूसरे हाथ से वो उसकी चूत को मसल रही थी

अब रेखा नें मेरी बहन पूजा के कपडे उतारने शुरू किये. मैंने सोचा कि अब मुझे और नहीं देखना चाहिए पर वासना की आग में मैं ये भूल गया की वो मेरी छोटी बहन है और वो भी सगी. जैसे जैसे पूजा के कपडे उतरने शुरू हुए मेरा लंड और तन्नाता गया. पहले रेखा ने उसकी स्कर्ट उतारी और फिर उसकी टी शर्ट. मेरी बहना ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी. हाय ! उसके छोटे छोटे दूध देख कर में जैसे पागल सा हो गया. रेखा बेतहाशा उसके लिप्स को किस कर रही थी *और उसके मुम्मे दबा रही थी. अब रेखा का हाथ उसकी कछी की और बढ़ा.

मेरी बहन नें अपनी टाँगे सिकोड़ लीं. रेखा हँसते हुए बोली अरे यार मुझसे क्यों शर्माती है, चल नंगी हो जा. एक साथ मजे करेंगे. फिर मेरी बहन नें टांगें खोल दीं**च. रेखा नें पूजा की कछी उतार दी. मैं अपनी छोटी बहन को देख कर दंग रह गया. वो बला की खूबसूरत थी. मैं रेखा को छोड़ पूजा की और बड़े ध्यान से देखने लगा की आगे वो क्या करती है. अब दोनों लड़कियाँ पूरी तरह से नंगी थीं. मैं उन्हें देख कर मदमस्त हुआ जा रहा था. मेरा हाथ अपने आप मेरे लंड पर चला गया और मैं अपनी बहन पूजा को देख कर मुठ मारने लगा. पूजा रेखा के ऊपर चढ़ी हुई थी और उसे किस कर रही थी. दोनों एक दूसरे के मुम्मों को दबा रही थीं. मेरी बहन के चूतड़ एकदम गोल और टाईट थे. पूजा की चूत पर छोटे छोटे बाल थे. उसकी गुलाबी चूत देख कर मेरा मन हुआ की अभी जाऊँ और उसे कस के चोद डालूँ. ऐसा सोचते ही मेरे लंड का पानी निकल गया और मैं बुरी तरह से झड़ गया.

उधर दोनों लड़कियां भी उत्तेजित हो चुकी थीं. उनकी हरकतें और सेक्सी होती चली गयीं. पूजा अपनी चूत से रेखा की चूत रगड़ रही थी. दोनों के चेहरे एकदम लाल हो चुके थे और दोनों बुरी तरह से हाँफ रही थीं. कुछ देर के बाद उन लोगों के कपडे पहने (जो की धूप होने की वजह से सूख गए थे) और घर की तरफ आने लगीं. मैं तुरंत घर से बाहर चला गया और दोनों को पता नहीं चला की मैं वहाँ पर था. थोड़ी देर के बाद मैं फिर वापस आया. रेखा और पूजा ड्रॉईंग रूम में बैठी थीं. मैंने आते ही रेखा को हेलो किया और उसे ऊपर से नीचे तक गौर से देखा.

मेरा लंड उसे देखते ही सलामी देने लगा. रेखा ने भी मेरा पेंट के ऊपर उभार महसूस किया और वो भी बड़े गौर से मेरे लंड को देखने लगी. रेखा की गोरी गोरी टांगें दिख रही थीं. उसकी स्कर्ट थोड़ी सी ऊपर उठी हुई थी या उसने जान बूझ कर ऐसा किया था. पूजा बोली आप लोग बैठो मैं चाय बना कर लाती हूँ. पूजा के किचन में जाते ही रेखा नें एक मदमस्त अंगडाई ली. मेरा दिल बेकाबू हो गया और मैंने उसके सामने ही अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल लिया. वो मुझको भईया कह के बुलाती थी. वो मुस्कुरा पड़ी और बोली, क्या बात है भईया, बड़े बेचैन लग रहे हो?मैंने कहा आजकल बहुत मन करता हैऔर ऐसा कहते हुए मैंने फिर से अपने लंड को मसल दिया. वो खिलखिला कर हँस पड़ी, क्या मन करता है? मैं बोला, इतनी भोली मत बनो, मैं जानता हूँ तुम लोग थोड़ी देर पहले क्या कर रहे थे. ये सुनते ही वो सकपका गई और कुछ बोल ही नहीं पाई.

मैं फुसफुसा कर बोला, मुझे अपना राजदार बना लो वरना तुम लोगों की पोल पट्टी खोल दूंगा वो घबरा गई और बोली, नहीं प्लीज यार, ऐसा मत करना. हम लोग तो सिर्फ मज़े कर रहे थे.फिर थोड़ी देर बाद उसने हैरानी से पुछा, तुम्हें कैसे पता चला? मैंने कहा, मैं पहले से ही घर मैं था जब तुम लोग लान मैं एक दूसरे के साथ मज़े कर रहे थेये सुनकर रेखा का चेहरा शर्म से लाल हो गया. मैंने मौका देख कर रेखा की चूची दबा दी. रेखा कुछ बोल पाती, तभी मेरी बहन पूजा चाय लेकर आ गयी. रेखा के चेहरे का रंग उड़ा हुआ देख कर उसने हैरानी से पूछा,

अरे तुझे क्या हुआ?मैंने जवाब दिया, कुछ नहीं ये हमारे आपस की बात है, वो तुझे कुछ नहीं बताएगीऐसा कह कर मैंने रेखा की तरफ इशारा किया कि वो मेरी बहन को कुछ ना बताये. जब रेखा कुछ नहीं बोली तो पूजा ने लापरवाही से अपने कंधे उचकाए और चाय सर्व करने लगी. मैं चाय की चुस्कियों के साथ मुस्कुराता हुआ रेखा के बदन को निहारता रहा. रेखा ने जल्दी से अपनी चाय खत्म की और चलने लगी. मैं उसे दरवाज़े तक छोड़ने आया और एक बार फिर फुसफुसाता हुआ बोला, किसी से मत कहना, और मुझे कल शाम को इंदिरा पार्क में मिलो. रेखा बिना कुछ कहे वहाँ से भाग गई. अब मेरे पूरा ध्यान अपनी प्यारी बहन पूजा पर गया. मेरा लंड पहले से ही गरम था. जब पूजा कप और प्लेट उठा रही थी तो उसके थोड़े से मुम्मे दिखाई दे रहे थे. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बाथरूम में जाकर पूजा के नाम की मुठ मारी.


अब मैंने सोच लिया की चाहे कुछ भी हो जाए मैं अपनी बहन को चोद कर रहूँगा. रात को हम लोग खाना खा कर सोने चले गए. ममी पापा एक कमरे में सोते थे और मैं और पूजा एक कमरे में पर हमारे बेड अलग अलग थे. रात को जब पूजा सो गयी तो मैं उठा. मेरे लंड को शांती नहीं मिल रही थी. मैं चुपके से पूजा के बेड के पास गया. पूजा गाउन पहन कर बेसुध सोयी हुई थी. मैंने डरते डरते उसका गाउन उपर की और खिसकाना शुरू किया. उसकी चिकनी जांघें दिखाई देने लगीं. मेरे लंड का आकार और बढ़ गया और पजामे में मचलने लगा.

मैंने अपनी प्यारी बहन पूजा का गाउन पेट तक उपर कर दिया जिस से उसकी पैंटी साफ़ दिखाई देने लगी. मैंने वासना से भर कर अपनी लाडली बहना को देखा और उसे चोदने के लिए ललचाने लगा. मैंने फिर जी भर कर उसकी टांगों को सहलाया और उसकी पैंटी पर भी हाथ फेरा. पूजा का गाउन उपर से काफी खुला हुआ था. मैंने उसके गाउन के दो तीन बटन खोल दिए उफ़....उसने नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिसके कारण उसकी छोटी छोटी दोनों चुचियाँ दिखाई देने लगीं

मैंने डरते डरते पूजा की एक चूची पर हाथ रख दिया. अह्हह्ह......मज़ा आ गया......बहुत नरम थी.....इतनी सौफ्ट कि क्या बतायूं. अब मैं धीरे धीरे उसकी दोनों चुचियाँ बारी बारी से दबाने लगा.

सच में बहुत मज़ा आ रहा था. एक हाथ से मैंने अपना लंड निकाला और पूजा का हाथ में दे कर उसकी मुठी में बंद कर दिया. अब पूजा का हाथ पकड कर मैं मुठ मारने लगा. इन सब के बावजूद पूजा गहरी नींद में सोयी हुई थी क्योंक उसके हल्के हल्के खर्राटे की आवाज से कमरा गूँज रहा था. मुठ मारते हुए मैं एक हाथ से उसकी चूची सहला रहा था. थोड़ी देर में ही मेरा लंड अपनी प्यारी बहन के हाथ में झड़ गया. मेरा वीर्य उसके गाउन और हाथ पर गिर गया. अपनी बहन को इसी हालत में अधनंगी छोड़ कर मैं अपने बेड पर आ गया. दिन में कई बार मुठ मार कर और इस बार पूजा के नाज़ुक हाथों से मुठ मरवा कर मैं बहुत थक चुका था. थोड़ी देर में मैं भी गहरी नींद में सो गया.

सुबह पूजा सो कर उठी उसी वक्त मेरी नींद भी खुल गयी. पर मैं सोने का नाटक करता रहा और देखने लगा कि पूजा की क्या रिएक्शन है. पूजा अपने गाउन को अस्त व्यस्त देख कर हडबडा गई और तेज़ी से अपने गाउन के बटन बंद करने लगी. वो हैरानी से अपना हाथ देख रही थी जिस पर मेरा माल सूख कर चिपका हुआ था. वो साथ साथ में मुझे भी देख रही थी कि मैं जाग रहा हूँ या सोया हुआ. मैं आँख बंद करके सोने का नाटक करता रहा. गाउन बंद करके पूजा उठ कर ब्रश करके चाय पीने चली गयी. इसके बाद मैं भी उठा. हम लोग एक साथ चाय पी रहे थे. सुबह का टाइम हडबडी वाला होता है. पापा ममी ऑफिस के लिए, पूजा स्कूल के लिए और मैं कोलेज जाने के लिए तैयार होने लगे. सुबह आठ बजे हम लोग अपने अपने गंतव्य की और निकल पड़ते थे. क्योंकी पूजा का स्कूल रस्ते में पड़ता था, मैं बाईक पर पूजा को छोड़ कर कॉलेज चला जाता था. बाईक पर बैठने के बाद जब हम घर से निकल गए तो मैंने पूजा से पूछा,

मैं: यार पूजा, एक बात सच सच बताएगी?

पूजा: क्या भय्या?

मैं: तेरा कोई बोयफ़्रेंड है?

पूजा (घबड़ा कर): नहीं तो? आप ऐसा क्यों पूछ रहे हो?

मैं (हँसते हुए): कुछ नहीं यार. बस ऐसे ही पूछ रहा हूँ.

पूजा: कुछ तो बात जरुर है, वरना आप अचानक आज ही क्यों पूछ रहे हो.
मैं: अरे यार बस यूँ ही मन में आया कि मेरी बहना बड़ी हो गयी है. उसका भी मन करता होगा बोयफ़्रेंड बनाने को.
पूजा: क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?

मैं (मन मसोस कर): नहीं यार. कोई पटती ही नहीं.

पूजा खिलखिलाकर हंस पडी और बोली: अरे भय्या आप इतने स्मार्ट और हैण्डसम हो. मैं होती तो आप को ही अपना बोयफ़्रेंड बना लेती.

मैं: तो बना ले यार.

पूजा: ओके आज से आप मेरे बोयफ़्रेंड हो.

तब तक स्कूल आ गया. मैंने पूजा को छोड़ते समय उसकी आँखों में झांककर कहा: बोयफ़्रेंड और गर्लफ्रेंड बहुत से ऐसे काम करते हैं जो हम भाई बहन नहीं कर सकते.

पूजा: कोई बात नहीं.

पूजा चली गयी. मैं उसे जाते हुए देखता रहा. उसके मस्त गोल गोल चूतड़ उपर नीचे हो रहे थे. मेरा लौड़ा पेंट में बुरी तरह तन गया. तभी पूजा पीछे मुड़ी. मैंने उसे देख कर फ्लाईंग किस मारा. वो मुस्कुरा कर टाटा करते हुए हँसते हुए चली गयी.
kramashah.....................
 
जवान बहन की चुदाई का मज़ा--2

gataank se aage.....
मैं भी कोलेज के लिए चल दिया. शाम को मैंने रेखा को इंदिरा पार्क में आने के लिए कह रखा था. हमारे इलाके में इंदिरा पार्क बहुत मशहूर था. वहाँ पर लड़के लड़कयों के जोड़े ही आते थे. पार्क में घने पेड़ और झाड़ियाँ थी जिनके पीछे छिप कर लड़के लडकियां मज़े करते थे. पार्क के केयरटेकर को सिर्फ पचास रूपए दे कर दो से तीन घंटे के लिए मज़ा लिया जा सकता था. मैं पार्क में गेट के पास रेखा का इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद रेखा आ गयी. उसने स्कूल की ड्रेस पहनी हुए थी और हाथ में भी स्कूल बैग था. वो बहुत घबराई हुई थी.

आते ही बोली, रेखा: भय्या यहाँ पर क्यों बुलाया? मैं: पहले अंदर चल. रेखा: ये जगह ठीक नहीं है. मैं: अरे यार तू चिंता मत कर. ये कह के मैंने रेखा का हाथ पकड़ कर उसे पार्क में ले गया. केयरटेकर को रूपए दे कर समझा दिया कि उस पेड़ के पीछे कोई न आये. मैं रेखा को पेड़ के पीछे ले गया. रेखा वहाँ पर बैठ गयी. मैं भी रेखा के साथ सट के बैठ गया. रेखा सकुचा रही थी. मैं धीरे धीरे रेखा की पीठ सहलाने लगा. रेखा कुछ नहीं बोली. अब मैं उसकी गर्दन पर अपनी उंगलियां फेरने लगा. रेखा: भय्या प्लीज़, गुदगुदी हो रही है. मैं: तेरा तो पूरा बदन ही गुदगुदाने का मन करता है. एक पप्पी दे दे यार. रेखा: नहीं.

मैंने रेखा को अपनी बाहों में खींच कर अपने होंठ उसके होंठों पर सटा दिए. वो ना ना करती रही पर मैंने उसकी एक ना मानी. किस करते हुए मेरे हाथ उसके बूब्स पर पहुँच गए. अब मैं मस्ती से उसके बूब्स दबाने लगा. फिर मैंने रेखा को जमीन पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया. रेखा लगातार विरोध कर रही थी पर मैं नहीं रुका. मैंने उसकी स्कर्ट ऊपर तक उठा दी और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत सहलाने लगा. मैं लगातार उसे किस कर रहा था. अब रेखा भी गरम होने लगी. मैंने देखा कि उसकी पैंटी गीली हो चुकी है.

फिर मैंने रेखा की कमीज़ के बटन खोल दिए और उसकी ब्रा ऊपर कर के उसके बूब्स नंगे कर दिए. ओह माई गाड, क्या मस्त बूब्स थे. मैं मस्ती से रेखा के बूब्स चूसने लगा. मैंने पैंट से अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और रेखा के हाथ में दे दिया. रेखा को कोई अनुभव नहीं था. मैंने उसे सिखाया कि लौडे के सुपाड़े को खोलो और बंद करो. रेखा मस्ती में मेरा लंड हिलाने लगी. मैंने रेखा की पैंटी में अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूत में उंगली डाल कर अंदर बाहर करके लगा. रेखा कसमसा उठी और जोर जोर से मेरा लंड हिलाने लगी. वो सिसकियाँ लेने लगी.

कुछ देर बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ. मैंने जेब से रुमाल निकाला और अपने लंड पर लपेट के वापस रेखा के हाथों में दे दिया. मैंने रेखा से पूछा, मैं: पहले किसी लड़के से किया है? रेखा: नहीं. मैं खुशी से झूम उठा. एक कुंवारी लड़की की चूत में मेरी उंगली थी और उसके नन्हे कोमल हाथ मेरा लंड सहला रहे थे. मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया. मैं अब रेखा के बूब्स चूसने लगा. थोड़ी देर में मैं झड़ गया. मेरा माल रुमाल में भर गया. मैंने रुमाल से अपना लंड साफ़ किया और रेखा से पूछा, मैं: अच्छा लगा? रेखा: हाँ. पर इस से आगे कुछ नहीं.

मैं (हँसते हुए): अरे मेरी जान इसके आगे ही तो मजा है. मैं तो तुझे चोद के छोडूंगा. रेखा: नहीं. मुझे डर लगता है मैं: डर मत आराम से करूँगा. रेखा: यहाँ? नहीं. ये जगह ठीक नहीं है. मैं (उसे बाँहों में भरते हुए): अरे मेरी जान तुझे तो मैं अपने घर में चोदुंगा. रेखा (शरारत से मेरा लंड मसलते हुए): घर में अपने बहन को चोद लेना पूजा का जिक्र आते ही मैं वासना के सागर में डूबने लगा. पर ऊपर से बोला, मैं: नहीं यार, वो तो मेरी बहन है रेखा (मुस्कुरा कर): तो बहनचोद बन जाओ. चोद दो उसको. बेचारी वो भी तो तड़प रही है एक लंड के लिए मैं: मैं उसका सगा भाई हूँ, मैं ऐसा नहीं कर सकता मैंने ऐसा बोल तो दिया पर मैं पूजा के बारे में सोचकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया.

मेरा लंड जिससे रेखा अब तक खेल रही थी वो भी तन कर खड़ा हो गया. रेखा समझ गयी कि मैं अपनी बहन को चोदना चाहता हूँ और उपर उपर से मना कर रहा हूँ. रेखा: आपका लंड कुछ और बोल रहा है, और आप कुछ और मैं चुप रहा. रेखा मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे पास आयी और बोली, हम दोनों में से किसके बूब्स आपको अच्छे लगते हैं? मैं: दोनों के रेखा: तो वादा करो कि पूजा को पहले चोदोगे, फिर मैं भी आप से चुदवाउंगी. रेखा मुझे मना लेती है. और वादा करती है कि पूजा को भी मना लेगी. रेखा हमारे अफेयर के बारे में पूजा को बता देती है और ये भी बताती है कि मैं पूजा को चोदना चाहता हूँ. पर पूजा यह बात नहीं मानती. रेखा उसे तरह तरह से मेरे साथ सेक्स करने के लिए उकसाती है.

इस पर पूजा एक शर्त रख देती है कि वो पहले अपने भाई से चुदवाए. रेखा का भाई कमल एक शरीफ लड़का है और मेरा पक्का दोस्त है. रेखा ये बात मुझे बताती है. मैं और रेखा एक प्लान बनाते हैं. जब ममी पापा घर पर नहीं थे और पूजा स्कूल गयी थी तब रेखा बंक मार कर मेरे घर आ जाती है. मैं उसके चेहरे पर मास्क लगा देता हूँ. फिर उसे एक कमरे में छुपा देता हूँ. उस कमरे में कैमरा फिट कर देता हूँ. मैं प्लान के मुताबिक़ कमल को बुला कर उसे बीयर पीला देता हूँ और इसे लड़की चोदने के लिए उत्तेजित कर देता हूँ. कमल अपने लंड को मसलने लगता है और बोलता है यार किसी लड़की की चूत मिल जाए तो मज़ा आ जाए. फिर मैं उसे बताता हूँ कि एक लड़की है पर अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहती.

कमल बोलता है कि यार चेहरे का क्या करना है, बस चूची दबाने को और चूत चुदाई के लिए मिल जाये तो मज़ा आ जाए. कमल को मैं उस कमरे में ले कर आता हूँ जिस में रेखा छुपी हुई थी. रेखा पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी. कमल उसे देखते ही उतेजित हो जाता है और उस पर टूट पड़ता है. इस तरह से वो अपनी बहन को अनजाने में ही चोद डालता है. रेखा कैमरे की वीडियो पूजा को दिखा देती है. रेखा हैरान हो जाती है और फिर मुझसे चुदने के लिए मान जाती है. अब मैं पूजा को चोदने का प्लान बनाने लगा. हम दोनों मन ही मन एक दुसरे को पसंद करते थे और एक दूसरे से प्यार करते थे, पर घर पर मौका नहीं मिल पा रहा था. मैंने नोट किया कि आजकल पूजा घर पर कपड़ों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी. बहुत बार वो ऐसे बैठती थी की उसकी कछी तक नज़र आ जाती थी जिसे देख कर मेरा लंड फनफना कर खड़ा हो जाता था. मैं उसे देख कर कई बार बाथ रूम में मुठ मार लेता था. अक्सर खेल खेल में में उसकी चुची को छू लेता था या चूतड़ दबा देता था. मेरी इच्छा उसको चोदने के लिए बढ़ती ही जा रही थी. एक बार मेरे मम्मी डैडी मामा के घर गए हुए थे और हम दोनों घर पर अकेले थे.

मैंने अपनी हरकतें फिर से शुरू कर दीं जैसे कि उसके बूब्स को हाथ लगाना और बात बात पर उसके चूतड़ सहला देना. पूजा जानबूझकर भी अनजान बनने का नाटक करती रही. उस शाम को मैंने एक बहुत ही हॉट पिक्चर देखी और मैं बहुत गरम हो गया. घर आकर मैंने सारे कपड़े उतार दिए और एक पजामा पहन लिया. मैंने देखा कि मेरी प्यारी बहना स्कर्ट और टॉप पहन कर सोई हुई है. क्योंकी मम्मी डैडी मामा के घर दो दिन के लिए गए हुए थे, घर पर हम दोनों के अलावा कोई नहीं था. मैंने मौके का पूरा फायदा उठाने की सोची. मैं धीरे से उसके पास गया और उसको पुकारा पूजा...उसने कोई जवाब नहीं दिया. वो शायद गहरी नींद में सोई हुई थी. उसके हलके खर्राटे की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था. मैं चुपचाप उसके पास आ कर बैठ गया और उसके शरीर को देखता रहा. उसकी स्कर्ट थोड़ा उपर की ओर हो गयी थी और उसकी गोरी गोरी टाँगें और जाँघें चमक रही थीं. मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया. मुझसे रहा नहीं गया. मैं धीरे धीरे उसकी टाँगें सहलाने लगा. फिर मेरा हाथ उसकी जाँघों पर रेंगने लगा. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. डरते डरते मैंने पूजा के बूब्स भी सहला दिए. इन सबसे बेखबर मेरी प्यारी सेक्सी बहना गहरी नींद में सोई हुई थी. फिर मैंने पूजा की स्कर्ट पूरी ऊपर तक उठा दी. उसने वाईट रंग की पैंटी पहन रखी थी. मैं उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा.

मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. उस वक्त मैंने सिर्फ पजामा पहना हुआ था और उसके नीचे अंडर वीयर भी नहीं पहना हुआ था. मैंने अपना पजामा उतार दिया और पूरा नंगा होकर लंड को हाथ में लेकर मसलने लगा. फिर मैंने उसकी पैंटी के साईड से उसकी चूत में ऊँगली करने लगा. इससे मेरी बहन जाग गयी. वो घबरा कर बोली, हाय भैया ये आप क्या कर रहे हैं? आपको अपनी बहन के साथ ऐसा करते हुए शर्म नहीं आती? मैं कुछ नहीं बोल पाया. फिर पूजा का ध्यान मेरे खड़े हुए लंड पर गया. वो हैरानी से उसे देखने लगी. मेरी घबराहट में लंड सिकुड़ गया और बहुत छोटा सा रह गया. वो बोली अरे भैया ये बड़े से इतना छोटा कैसे हो गया? मेरी बहन के मेरे लंड की तरफ देखने से मेरा लंड फिर खड़ा हो गया. अब तो पूजा की हैरानी की सीमा न रही. मैंने अपना तन्नाता हुआ लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया और कहा लो इससे खेलो. थोड़ा हिचकिचाने के बाद मेरी बहन ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसको हिलाने लगी. वो काँपती आवाज़ में बोली भैय्या कोई आ जाएगा तो?

मैं बोला, पगली रात को कौन आएगा? चल मिल कर मज़ा करते हैं. अब वो कुछ नहीं बोली और उसने अपना मुहं मेरी छाती में छुपा लिया. मैं उसके मुम्मे दबाने लगा. पूजा के नाज़ुक होंठों को मैं अब चूसने लगा. अब वो सी सी सीत्कार करने लगी और हाय भय्या, जरा धीरे से......ओह मज़ा आ रहा है.....जैसी कामुक आवाजें निकलने लगी. उसे खड़ा करके मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी. उसने नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई थी. हाय दोस्तों क्या बताऊँ अपनी बहन की नंगी चुची देख कर मैं जैसे पागल सा हो गया. उधर मेरी बहन शर्म से लाल हुई जा रही थी और उसने अपनी चुचियों को दोनों हाथों से ढक रखा था. मैंने धीरे से उसकी स्कर्ट भी खोल दी. अब वो सिर्फ वाईट रंग की पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी. मैंने उसे अपने साथ चिपटा लिया और उसके लिप्स पर किस करने लगा. मैंने बड़े प्यार से अपनी बहन के दोनों हाथ उसकी चुचियों से हटाये और उनको देखने लगा.

कमरे में लाइट नहीं जल रही थी और थोड़ी सी रौशनी बहार के लेंपपोस्ट से आ रही थी. इस हलकी रौशनी में पूजा का सेक्सी बदन दूध की तरह चमक रहा था. मैंने हाथ बढ़ा कर पास में लाइट का स्विच ऑन कर दिया. पूजा बुरी तरह से शर्मा कर अपने बदन को सिकोड़ कर बेड पर बैठ गयी और बोली, प्लीज़ भय्या, लाइट बंद कर दो, मुझे बहुत शर्म आ रही है. मैं मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ा और बोला, प्यारी बहना शर्माओ मत आज मुझे जी भर के देखने दो. हाय तुम्हारा ये बदन संगमरमर के जैसा है. तुम इतनी सेक्सी हो की कोई भी तुम्हें देख के दीवाना हो जाए. मैं उसकी पीठ सहला रहा था. उसके रेशम जैसे बाल उसकी चेहरे और छाती को ढके हुए थे. मैंने उसकी जुल्फों को चेहरे से हटाया और उसके लिप्स पर किस करने लगा. फिर मैंने दोनों हाथ उसकी चुचियों से हटाये और उनको दबाने लगा. पूजा के निप्प्ल तने हुए थे. मैंने एक एक करके उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया. मेरी बहन मस्त हो गयी और मेरे लंड को पकड़ कर उसे आगे पीछे करने लगी. मैं बेड के किनारे पर खड़ा हो गया और अपना फनफनाता हुआ लंड उसके मुहं के पास ले जा कर मैंने उसके होठों को छुआया. पूजा लिपस्टिक की तरह मेरे लंड के सुपाड़े को अपने नाज़ुक होठों पर फेरने लगी.

मैंने कहा, इसे मुहं में ले लो और चूसो. मेरी बहन ने बड़े प्यार से मेरे लंड का सुपाड़ा मुहं में ले लिया और चूसने लगी. आह दोस्तों उस वक्त मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया. इतना मज़ा आ रहा था की मैं क्या बतायूं. मेरा लंड मेरी प्यारी सेक्सी बहन के मुहं में अंदर बाहर हो रहा था. उस वक्त मैं उसके संतरे के साईज़ के मुम्मे दबा रहा था. लंड चूसते हुए मेरी सगी बहन पूजा क्या मस्त लग रही थी. बार बार उसके चेहरे पर जुल्फें आ जाती थीं जिनको मैं पीछे कर के उसके सुन्दर चेहरे को देख कर अपना लंड उस से चुसवा रहा था और जोश में आकर बोल रहा था हाय चूसो मेरी प्यारी बहना. अंदर तक लो. बड़ा मज़ा आ रहा है आ....आ....आ....आ...ह मैंने फिर उसे खड़ा किया और अपने सीने से चिपटा लिया.

उसके मुम्मे मेरी छाती से दबे हुए थे. मैं उसके होंठ चूस रहा था और मेरे दोनों हाथ उसके चूतड़ों को पैंटी के अंदर हाथ डाल कर दबा रहा था. मैंने धीरे से उसकी पैंटी नीचे सरका दी. पूजा वासना में बेसुध सी होकर मेरी बाहों में नंगी खड़ी थी पर पैंटी नीचे खिसकते ही जैसे वो होश में आई - नहीं भैय्या नीचे कुछ मत करना. मैंने उसकी न सुनते हुए उसकी पैंटी घुटनों तक नीचे कर दी और साथ ही उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर उसकी आँखों में आँखें डालकर पूछा - तू मुझे प्यार करती है या नहीं? इस पर मेरी प्यारी बहना बोली - मैं आपकी अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हूँ. मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर बोला - तो मेरी प्यारी बहन, अपनी चूत मुझे दे दे.

पूजा: हाय भैय्या मुझे डर लगता है. सुना है, बहुत दर्द होता है.

मैं (प्यार से उसकी चुची मसले हुए): मैं तेरा सगा भाई हूँ, तुझे कोई दर्द नहीं दूँगा.

पूजा (मेरा लंड पकड़ते हुए): पर भैय्या ये तो बहुत बड़ा है.

मैं: चिंता मत कर, चूत में से तो बच्चा भी निकल आता है, फिर इस लंड की क्या बिसात?

पूजा (हँसते हुए): तो आप आज बहनचोद बनके ही रहोगे?

मैं पूजा के मुहं से पहली बार गाली सुनकर और भी उत्तेजित हो गया और बोला: हाँ मेरी प्यारी बहना, तेरी चूत मैं मारूंगा और जी भर के तुझे चोदुंगा.

पूजा जो थोड़ी देर पहले शर्म से मरी जा रही थी अब खुल कर गन्दी गन्दी बातें करने लगी. उसने मेरा लंड पकड़ा और कमरे से बाहर की ओर जाने लगी. मेरे लंड के साथ मैं भी उसके पीछे पीछे चल पड़ा. वो एक अलमारी के पास गई और मुझे इशारा किया उसको खोलने के लिए. अंदर वोदका की बोतल थी जो मेरे पापा कभी कभी पीते थे. मैंने पीछे से उसके चूतड़ दबाए और पूछा - तो पीने का मन कर रहा है?

पूजा: थोड़ा डर कम हो जाए इसलिए, वर्ना मैंने कसम से भय्या कभी नहीं पी.

मैं: तू इतना डरती क्यों है?

पूजा: आपसे नहीं डरती, आपके लंड से डरती हूँ. देखो न छोटा होने का नाम ही नहीं ले रहा.

पूजा की बात सही थी. रात के ग्यारह बज चुके थे और हमें लगभग तीन घंटे एक साथ एक दूसरे के नंगे बदन से खेल रहे थे. अब तक मेरी सगी बहन मेरे से बहुत खुल चुकी थी. हालांकि हमने चुदाई नहीं की थी, लेकिन पूजा दो बार झड़ चुकी थी और मैं एक बार अपना सारा वीर्य उसे पिला चुका था. हम दोनों ने वोदका का एक एक पेग ले लिया. पूजा अब बहुत सुंदर और सेक्सी लग रही थी. मैं उसे बहुत नज़दीक से महसूस कर रहा था. मैंने प्यार से अपनी बहना को बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया. मैंने अपनी जीभ उसके मुहं में डाल दी और किस करने लगा. उसके मुम्मे मेरी छाती में दबे हुए थे. मेरा लंड बार बार उसकी चूत से टकरा रहा था. मैंने उसके दोनों टांगें चौड़ी कर दीं और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका दिया. अआआह क्या मज़ा आ रहा था दोस्तो. मैंने धीरे धीरे पूजा की चूत में अपना लंड पेलना शुरू किया. पूजा की चूत काफी गीली थी और मेरा आधा लंड उसमें घुस गया. अब मेरी बहना को थोड़ी तकलीफ होने लगी. पर वोदका का नशा उस पे हावी था. मैंने अपना लंड थोडा सा बाहर निकाला और एक झटके में सारा अंदर डाल दिया. पूजा के मुंह से घुटी घुटी सी चीखें निकलने लगीं. पर मेरे लिप्स उसके लिप्स से सटे हुए थे इसलिए कोई आवाज़ बाहर नहीं निकल सकी. मैं दना दन अपनी बहना की कुंवारी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. पूजा घुटी घुटी चीखें निकाल रही थी. थोड़ी देर बाद मेरी प्यारी बहना को भी मज़ा आने लगा और वो भी चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे साथ चुदाई का मज़ा लेने लगी.
kramashah.....................
 
जवान बहन की चुदाई का मज़ा--3

gataank se aage......
पूजा: आह भय् मज़ा आ गया और तेज..........जोर से ..........ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.

मई (हाँफते हुए): हाय क्या मस्त चूत है यार तेरी.....अह्ह्ह पूजा.....मेरी बहन.....आज से तू मेरी है.....

पूजा: हाँ भय्या.....आज से मैं आपकी हूँ.......मुझे रोज चोदा करोगे?

मैं: ये भी कोई ना कहने वाली बात है?

मेरे धक्के और तेज होते चले गए और कुछ देर में ही हम दोनों भाई बहन झड़ गए. मैं हाँफते हुए पूजा के उपर ही लेट गया. थोड़ी देर बाद हम दोनों ने उठकर एक साथ शोवर के नीचे स्नान किया. पूजा की चूत से काफी खून निकला था. हमने चादर रात को ही धो दी. और उसके बाद नंगे ही एक दुसरे से लिपट कर सो गए.

अगले दिन पूजा नें हमारी चुदाई की सारी बात रेखा को बता दी. मैं अब जब भी मौका मिलता तो पूजा को चोद लेता था. पर हम लोगों को घर में चांस बहुत कम मिलता था. मेरी पूजा को चोदने की इच्छा बढ़ती जा रही थी पर घर पर सब लोग होने की वजह से हम चुदाई नहीं कर पाते थे. फिर मैंने रेखा के भाई कमल को भी अपने ग्रुप में लेने का प्लान बनाया. मैंने कमल से कहा कि यार आजकल चुदाई करने का बहुत मन करता है. कमल बोला, उस लड़की को बुला जिस के साथ तुने मेरे साथ चुदाई करवाई थी. मैं हंस कर बहाना बना कर बोला कि वो अपने गाँव चली गयी है. कमल का भी बहुत मन कर रहा था. मैंने उससे कहा कि यार एक काम करते हैं. तू मेरी बहन से सेक्स कर ले और मैं तेरी बहन से सेक्स कर लेता हूँ. ये सुन कर कमल भड़क गया और गुस्से से बोला, साले तेरी इतनी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन के बारे में ऐसा बोलने की. दोस्ती इसको कहते हैं? मादरचोद, मेरी बहन पर बुरी नजर डालता है? कमल नें मुझे और भी बुरा भला कहा. पर मैं शांती से उसकी सुना रहा.

कमल और मैं बचपन के दोस्त थे और एक दुसरे को अच्छी तरह से समझते थे. कमल मेरी बहन को सगी बहन की तरह से प्यार करता था और हर साल उस से राखी भी बंधवाता था. उसका गुस्सा जायज़ था. मैंने कमल को समझाया, यार देख हमारी दोनों बहनें जवान हो चुकी है. उनको भी तो चुदाई की इच्छा होती होगी? वो बाहर कहीं मुहं मारें तो क्या तुझे अच्छा लगेगा? कमल गुस्से में भन्नाया बैठा रहा. मैंने कमल को बहुत समझाया बुझाया और दो बीयर पिलाने के बाद कमल के मन में ये बात बैठा दी कि यही एक आसान सा रास्ता है जिससे हम मज़ा भी कर सकते हैं और घर की बात घर में ही रहेगी. फिर मैंने उसे पूजा के बारे में उसे बताया कि वो कितनी सेक्सी है. उसके बूब्स, चिकनी चूत और गोल गोल चूतड़......ये सब सुन कर कमल गर्म हो गया और वासना से अपना लंड मसलने लगा. मैं बोला कि अगर मुझे मौका मिल जाए तो मैं भी पूजा को चोदना चाहता हूँ.

कमल हैरानी से मुहं फाड़े मुझे देखने लगा. वो बोला, तू पागल तो नहीं हो गया? मैं हंस कर बेशर्मी से बोला, साले तू नहीं समझेगा. तुने कभी मेरी बहन पूजा के हुस्न के बारे में सोचा है? उसकी मस्त चुचियाँ, जांघें, गोरा गोरा बदन और चिकनी चूत देखी है? एक बार उसे नंगी देख लेगा तो तेरा लौड़ा उसे सलाम करने लगेगा. मेरा तो लंड उसे देख कर रोज खड़ा हो जाता है और मैं उसके नाम की रोज मुठ भी मारता हूँ. वो तो मुझे मौका नहीं मिल रहा वरना मैं कब तक उसे चोद चुका होता (मैंने जान बूझकर कमल को नहीं बताया कि मैं अपनी प्यारी सगी बहना पूजा को चोद चुका हूँ, और वो भी अपनी बहन अनजाने में चोद चुका है). ये सब बातें सुन कर अब तक वो वासना और बीयर के नशे में डूब चुका था. उसे अब पूजा का नंगा जिस्म सामने दिखाई देने लगा और सिसकते हुए बोला, हाँ यार.....पूजा वाकई मस्त माल है, मैंने उसे इस नजर से कभी नहीं देखा था.

अगर तुझे कोई प्रोब्लम नहीं है तो मैं उसे जरुर चोदना चाहूँगा. मैंने देखा कि कमल का लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया है और वो बीयर के नशे मैं बडबडाने लगा, हाय पूजा कितनी सेक्सी है यार. प्लीज़ अपनी बहन की चूत दिलादे यार. मैं खुशी से बोला, हाँ यार चोद ले मेरी बहना को पर मैं भी तेरी बहन को चोदना चाहता हूँ. कमल थोडा हिचकिचाया पर फिर मान गया. अंत में कमल हथियार डाल के बोला, ओके यार कर डालते है. पर अपनी बहनों को कैसे मनायेंगे? साले मार मत पड़वा देना. मैं बोला, वो सब तू मुझ पर छोड़ दे.

कुछ दिन बाद रक्षा बंधन का त्यौहार था. कमल और रेखा ने हम दोनों को राखी बांधी. पूजा कनखियों से मुझे देख रही थी. मानों पूछ रही थी कि क्या अब भी राखी बंधवाओगे? मैं चुपचाप राखी बंधवा रहा था. रेखा भी खामोश थी. उसे भी बहुत अजीब लग रहा था, क्योंकी वो भी अपने सगे भाई से चुद चुकी थी. कमल पूजा से राखी बंधवाते समय थोडा हिचकिचाया, पर मैंने उसे इशारा कर दिया कि चुपचाप राखी बंधवा ले. इसके बाद हमारी दोनों बहनों ने हमारी आरती उतारी और राखी का गिफ्ट माँगा. मैंने कहा कि गिफ्ट शाम को मिलेगा. हमने एक पार्टी रखी है जिसमें तुम दोनों को शाम को आना है. मैंने अपने दोस्त के एक खाली फ्लैट की चाबी ले ली थी और उसमे बीयर पहले से ही रख दी थी.

शाम को चार बजे हमारी दोनों बहनें सज धज कर हमारी बाईक्स पर बैठ कर हमारे साथ चल पड़ीं. मेरे कहने पर रेखा मेरे साथ और पूजा कमल के साथ बैठी. अभी तक हमने अपना प्लान उन दोनों को नहीं बताया था. मैं रेखा और पूजा को सरप्राइज़ देना चाहता था. हाँ कमल को मैंने सब कुछ बता दिया था और पहले से ही कह दिया था दिया था कि चाहे ज़बरदस्ती करनी पड़े, हम आज दोनों को चोद कर रहेंगे.

कमल बहुत उत्साहित था. वो बड़े कामुक अंदाज़ से पूजा को बार बार दख रहा था. पूजा के बूब्स बहुत तने हुए थे. उसने चुन्नी भी नहीं पहन रखी थी. लाल रंग के सलवार सूट में वो गज़ब की क़यामत ढा रही थी. रेखा नें भी गुलाबी रंग की सूट सलवार पहन कर मेरे अंदर हलचल मचा दी थी.

अपने दोस्त के फ्लैट में आते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और बीयर की बोतलें निकाल लीं. रेखा बीयर नहीं पीती थी. उसने कमल की तरफ देखा. कमल बोला, आज जश्न का दिन है, इसलिए तुझे थोड़ी सी पीनी पड़ेगी. हमने उन दोनों को जिद करके दो दो ग्लास बीयर के पिला दिए. हमारी दोनों बहनें मस्त हो गयीं और बीयर के नशे में हंस हंस कर बातें करने लगीं. मैं हंस हंस कर बारी बारी से पूजा और रेखा को छेड़ने लगा. कभी मैं उनकी चुचियाँ दबा देता तो कभी गाल पर पप्पी ले लेता. दोनों लडकियां मदहोश हुए जा रही थीं.

मैंने पूजा के बूब्स दबाते हुए कहा, यार कमल देख क्या मस्त जवानी है मेरी प्यारी बहना की. पूजा मचलते हुए मेरे हाथ हटा कर बोली, अरे छोडो न भय्या क्या करते हो? कुछ तो शर्म करो. रेखा भी अपने भाई के सामने ये सब होता देख कर काफी अजीब सा महसूस कर रही थी. हम दोनों दुसरे कमरे में चले गए और हमने अपने सारे कपडे उतार दिए. हमारे तन पर सिर्फ अंडर वीयर बचे थे. हम दोनों के लंड तने हुए थे और अंडर वीयर में उभरे हुए साफ़ दिखाई दे रहे थे. हमदोनों नें एक एक बीयर पी ली. जब हम लोग वापस आये तो वहाँ का नज़ारा देख कर दंग रह गए.

हमारी दोनों बहनें एक दुसरे को लिप्स किस कर रही थीं और एक दुसरे के बूब्स मसल रही थीं. मैं बोला, देख कमल, मैं ना कहता था कि हमारी बहनें जवान हो चुकी हैं? हम दोनों को देख कर पूजा और रेखा छिटक कर अलग हो गयीं. मैं आगे बढ़ा और रेखा की चुचियाँ दबाते हुए बोला, मेरी जान मुझे भी थोड़ी दबाने दो. रेखा भाई के सामने शर्म से पानी पानी हो गयी, और बोली, हाय भय्या छोड़ दो. कमल भी पूजा की तरफ बढ़ा और उसके गालों पर किस करने लग. पूजा हल्का हल्का विरोध का रही थी. मैंने कमल से बोला, यार चल आज हम अपनी बहनों को राखी का गिफ्ट दे देते हैं. इतना कह कर मैंने अपना अंडर वीयर उतार दिया. देखते देखते कमल नें भी अपना अंडर वीयर उतार दिया और पूजा पर टूट पड़ा. पूजा ना ना करती रही, पर कमल नहीं रुका. वो जोर जोर से मेरी बहन की चुचियाँ दबाने लगा. मैं भी रेखा के साथ चिपक गया और उसके लिप्स पर किस करने लगा.

दोनों लडकियां अब थोड़ी थोड़ी उत्तेजित हो रही थीं, पर सब लोग एक कमरे में होने से वो हिचकिचा रही थीं. मैं सब समझ गया. मैंने रेखा को गोद में उठा लिया और उसे दूसरे कमरे में ले गया. रेखा अपने भाई के सामने विरोध का नाटक कर रही थी. हाँ पूजा का विरोध असली था, पर उसमें दम नहीं था.

मैं दुसरे कमरे में रेखा के साथ लिपट गया और उसके लिप्स पर किस करने लगा. रेखा मुझे परे हटाते हुए बोली, कमल भय्या मेरी जान ले लेंगे. मैं हँसते हुए बोला, चिंता मत कर मेरी जान, हमारी डील हो चुकी है. रेखा नें हैरानी से पूछा, कैसी डील? फिर मैंने रेखा को सारी बात बात बता दी. रेखा अब निश्चंत हो कर मेरा साथ देने लगी. मैंने बड़े आराम से रेखा के सारे कपडे उतार दिए. वो मेरे सामने अब पूरी तरह से नंगी खड़ी थी. मैं उसके बदन को बेतहाशा चूमने लगा. रेखा अब सिसकारियाँ भर रही थी.

उधर कमल भी मेरी प्यारी बहना की मस्त जवानी का मज़ा लूट रहा था. पूजा का विरोध समाप्त हो चुका था और वो भी कमल का साथ दे रही थी. मैंने रेखा की मस्त चुचियाँ अपने मुहं में ले लीं और एक एक करके उनको चूसने लगा. रेखा ने भी मस्ती में आकर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी. रेखा बोली, भय्या एक बात बताऊँ? मैं बोला हाँ बोलो. रेखा बोली, उस दिन कमल भय्या के साथ मज़ा नहीं आया और उसकी सील भी नहीं टूटी. मैं हैरान हो गया और पूछा कि ये कैसे हुआ? रेखा ने बताया कि कमल का लंड जल्दबाजी में पूरा अंदर नहीं गया था और जल्दी झड़ गया था. वो उस दिन प्यासी की प्यासी ही रह गयी थी.

मैं सुन कर मन ही मन बहुत खुश हुआ कि मुझे आज एक कुंवारी चूत चोदने को मिलेगी. मैं उसकी चूत सहलाता हुआ बोला, चिंता मन कर मेरी रानी आज मैं तुझे जी भर के चोदुंगा. मैं उसके पूरे बदन को चूमता रहा. रेखा को बेड पर लिटा कर मैंने उसकी दोनों टांगें खोल दीं. उसकी कुंवारी अनचुदी चूत को देख कर मैं पागल सा हो गया. उसकी शेव की हुई चूत की दोनों फांकों को खोल कर मैंने उनमें अपनी जीभ घुसा दी. मैं बड़ी मस्ती से रेखा की चूत चाटने लगा. रेखा भी चूतड़ उठा उठा मेरा साथ देने लगी. थोड़ी ही देर में रेखा झड़ गयी. मैंने रेखा का सारा रस चाट चाट कर पी लिया.

अब मैं उठ कर दुसरे कमरे में देखने गया कि वहाँ क्या हो रहा है. मैंने देखा कि पूजा बड़े मज़े से कमल का लंड चूस रही है. कमल नें उसके बाल पकडे हुए थे उन दोनों के मुहं से कामुक आवाजें निकल रही थीं. मैंने भी वापस आते ही अपना लंड रेखा के मुहं में ठूंस दिया. रेखा नें थूक लगा कर मेरा लंड गीला किया और फिर मज़े से लोलीपोप की तरह चूसने लगी. मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया. करीब दस मिनट में ही मैं झड़ गया. रेखा मेरा सारा माल चाट कर साफ़ कर गयी. अब मैंने रेखा की दोनों टांगें फैला दीं और अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पे टिका दिया. रेखा की चूत पहले से ही गीली थी. थोडा सा जोर लगाते ही मेरा लंड अंदर चला गया. रेखा कराहते हुए बोली, जरा आराम से भय्या. मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया और बड़े जोर शोर से उसकी चुदाई करने लगा. कुछ देर तक रेखा कराहती रही फिर बाद में मज़े से चुदाई का आनंद लेने लगी. हमारी आवाजें बाहर तक आ रही थीं. काफी देर अक चुदाई करने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. मैं थक कर रेखा के मखमली बदन पर लेट गया. हम लोग पसीने से तर बतर हो चुके थे.

मैंने बड़े प्यार से रेखा के गाल पर चुम्मा दे कर पूछा, मज़ा आया मेरी जान? रेखा नें शर्माते हुए मझे अपने सीने से भींच लिया और हाँ में गर्दन हिलाई. हमने देखा की चादर खून से लाल हो गई है, यानी रेखा कुंवारी लड़की से औरत बन चुकी थी. हम लोगों ने जल्दी से चादर धोई और एक साथ बाथरूम में नहाये. रेखा थक कर सो गई और मैं उठ कर दुसरे कमरे में गया.

वहाँ पर मैंने देखा कि कमल मेरी बहना पूजा को घोड़ी बना कर चोद रहा है. पूजा के बूब्स लटके हुए आम जैसे दिख रहे थे, जिन्हें कमल बीच बीच में दबा रहा था. मेरे देखते देखते वो दोनों भी झड़ गए. मैंने कमल से पूछा, मज़ा आया मेरे यार? कैसी लगी मेरी बहना की प्यारी चूत? कमल पूरा सन्तष्ट नज़र आ रहा था. वो बोला, हाँ यार, बहत मज़ा आया. तेरी बहन तो सचमुच मस्त है. इसकी चुदाई करके मुझे वो मज़ा आया जो कि मैंने जिंदगी में कभी नहीं लिया. उस दिन तो जल्दबाजी में और घबराहट में मुझे मज़ा नहीं आया था पर तेरी बहन के साथ तो मैं जैसे जन्नत का मज़ा ले रहा हूँ.

पूजा थक कर उल्टी लेटी हुई थी. मैंने बड़े प्यार से पूजा को सीधी लिटा दिया और साथ में बगल में लेट गया. कमल भी दुसरी तरफ लेट गया. हम दोनों बड़े प्यार पूजा की चुचियाँ सहलाने लगे. हमारे दोनों हाथों में पूजा की बांधी हुई राखी थी. ये देख कर मुस्कुरा कर पूजा बोली, क्या भय्या, आप लोग कैसे हो? जिस हाथ में मेरी राखी बंधी हुई है उसी हाथ से मेरी इज्ज़त से खेल रहे हो. आपको तो मेरी रक्षा करनी चाहिए. मैं पूजा के सर पर हाथ फेरता हुआ बोला, मेरी रानी, हम तेरी रक्षा करेंगे. कोई माई का लाल हमारे होते हुए तुझे छू नहीं सकेगा. पूजा बहुत खुश हुई और बाथरूम में नहाने चली गई.

नहाने के बाद पूजा टोवल लपेट कर बाहर आयी. फिर कमल बाथरूम में घुस गया. जाते जाते उसने पूजा का टोवल खेंच लिया. पूजा नंगी मेरे सामने खड़ी थी. कमल बोला, आज सच में रक्षा बंधन मनाना है तो चोद डाल अपने सगी बहन को. क्यों हिम्मत है? है दम तेरे लौड़े में? ये कह कर कमल हँसता हुआ बाथरूम में घुस गया. मैंने तुरंत पूजा को अपनी बाँहों में भर लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा.पूजा भी मुझे यहाँ वहाँ किस करने लगी. मेरा लंड फिर से तन गया. मैंने प्यार से अपनी बहना की आँखों में झांककर देखा और पूछा, क्यों? आज चुदेगी मुझसे? राखी वाले दिन? आज मैं तुझे बहुत प्यार करना चाहता हूँ. पूजा ने हाँ में गर्दन हिलाई और मेरे लंड को सहलाने लगी. अब मैं उसकी बूब्स मसलने लगा और उसकी चूत में उंगली करने लगा.

पूजा बहुत उत्तेजित हो गयी और उसने झट से नीचे झुक कर मेरे लंड का सुपाड़ा अपने मुहं में ले लिया और जोर जोर से उसे चूसने लगी. मैं सिसक उठा, हाय ....चूस मेरी प्यारी बहन.....ये तेरा यार है.....फिर मैंने उसे 69 पोसिशन में कर के उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.

इस बीच कमल आ गया. हम लोगों को इस तरह देख कर उसका लंड भी खड़ा हो गया. मैंने पोसिशन बदली और पूजा को नीचे लिटा कर उसकी चूत में दनादन अपना लंड पेलने लगा. मैं बडबडाने लगा...ले मेरी जान...राखी का तोहफा....अपने भाई का लंड....देख...कैसे अंदर बाहर आ जा रहा है....अह्हह्ह....ओह्ह्ह्ह....कमल नें भी अपना लंड मेरी प्यारी बहना के मुहं में डाल दिया और उससे चुसवाने लगा.

कुछ देर बाद मैं झड़ गया. मेरे हटते ही कमल ने अपना लंड पूजा की चूत में घुसेड दिया और मैंने अपना लंड अपनी बहना के मुहं में डाल दिया. पूजा मेरे और अपने रस से गीले लंड को जोर जोर से चूसने लगी. मैं थक कर थोड़ी देर के लिए सुस्ताने लगा. पूजा की वासना चरम सीमा पर थी. वो सिसकियाँ भर भर कर बोली...हाय मेरे भाईओ...आज रक्षा बंधन का असली त्यौहार मना है....चोदो मुझे...जी भर के...अपने बहन की चूत फाड़ दो....राखी का फर्ज निभाओ....जोर से करो...आह...मर गयी....मेरा निकल गया....ओह्ह्ह्ह्ह.......पूजा और कमल एक साथ मेरे सामने झडे.
kramashah.....................
 
जवान बहन की चुदाई का मज़ा--4

gataank se aage......
अपनी सगी बहन को रक्षा बंधन के दिन किसी दुसरे से चुदते देख कर मुझे जरा भी शर्म या गुस्सा नहीं आया, बल्कि खुशी ही हुई..हमारा नशा अब उतर चुका था. सब लोगों ने फिर से नहा लिया. हम अब काफी तारो ताज़ा लग रहे थे.

उधर रेखा आज सही मायनों में पहली बार चुदी थी, इसलिए अभी तक सोई हुई थी. कमल नें उसे जाकर जगाया. रेखा नंगी ही लेटी हुई थी. कमल के आने पर वो घबड़ा गयी और एक चादर अपने उपर ले कर सर झुका कर बोली, भय्या आप बाहर जाओ, मैं कपडे पहन कर आती हूँ. कमल का मन हुआ कि वो जी भर के अपनी सगी बहना की चूत चाटे और उसकी चुचियाँ दबा दे. पर दो तीन बार चुदाई करके और पूजा से मुहं में झड़वा के काफी थक चुका था. वैसे भी रात के आठ बज चुके थे, और हमारे घर वापस जाने का टाइम हो चला था. कमल चुपचाप बाहर आ गया. मैंने मजाक में पूछा, अपने बहन को नहीं चोदेगा? देख मैंने तो चोद लिया. साले तू भी रक्षा बंधन मनाले. कमल मुस्कुरा कर बोला, आज नहीं फिर कभी. रेखा को तो मैं हमारे घर में कभी भी चोद लूँगा. ये बात बाहर आती हुई रेखा ने सुन ली. कमल सकपका गया. पर रेखा मुस्कुरा दी. यानी उसे अपने भाई से दुबारा चुदने में कोई ऐतराज़ नहीं था. अब हम लोग अपने अपने अपने घर को लौट गए

कमल अब रोज मौका देखने लगा कि वो कब अपनी जवान बहन की चुदाई का मज़ा ले सके. घर पर सब लोग होने की वजह से उसे मौका नहीं मिल रहा था. कमल मुझे कई बार मेरे दोस्त के फ्लैट की चाबी के लिए मिन्नत कर चुका था. पर मेरा दोस्त मुंबई चला गया था और चाबी उसी के पास थी. कमल की इच्छा दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी. इस तरह से चार दिन बीत गए. हम दोस्त रोज शाम को मिलते और उस शाम की बात करते जब हम लोगों ने एक दूसरे के बहनों को चोदा था. कमल मुझे रोज कोसता, साले बहनचोद....तेरी वजह से मुझे चुदाई की आदत पड़ गयी और मैं अपनी ही सगी बहन को चोदने के बारे में सोचता रहता हूँ. अब रेखा नहीं मिल रही तो क्या तेरी बहन की चूत में लंड डालूं? मैं उसकी बेसब्री पर खूब हँसता और विश्वास दिलाता कि चिंता मत कर, कोई न कोई मौका जरुर मिल जाएगा.

कमल घर पर बहुत बेचैन रहने लगा. जब वो कोलेज से वापस आता तो रेखा को देखते ही उसका लंड खड़ा हो जाता. एक दिन जब उसकी मम्मी नहाने चली गई तो उसने झटके से रेखा को अपनी बाँहों में भर लिया, और उसके लिप्स पर किस करने लगा. रेखा छूटने की कोशिश करने लगी और बोली, भय्या.....मम्मी आ जायेगी.....प्लीज़.....रुको....उफ्फ्फ....पर कमल नहीं रुका और पागलों की तरह अपनी बहन के बूब्स दबाने लगा. दोनों को पकडे जाने का डर था. इसलिए बड़ी मुश्किल से वो अलग हुए. कमल नें कई बार मम्मी की नज़रों से बच कर रेखा को अपना तन्नाया हुआ लौड़ा दिखाया और उसे हिलाते हुए अपनी तरफ आने के लिए इशारा किया. पर रेखा मजबूर थी. वो मुस्कुरा कर अपनी आँखें शर्म से नीचे कर लेती थी और पकडे जाने के डर से पास नहीं आती थी

रेखा और पूजा एक दूसरे से सारी बातें शेयर करते थे और पूजा मुझे उसकी सारी बातें बता देती थी. कमल तो मुझे सारी बात बताता ही था. इस तरह से मुझे दोनों के दिल का हाल मालूम था. असल में दोनों चुदाई चाहते थे.
एक बार कमल की मम्मी मार्केट गयी हुई थी. मम्मी बता कर गयी थी कि वो चार पांच घंटे बाद लौटेगी. घर पर कमल और रेखा दोनों अकेले रह गए. कमल नें मेन डोर बंद किया और सीधा किचन में गया जहाँ रेखा काम कर रही थी. उसने रेखा को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर किस करते हुए पूछा, क्या कर रही है मेरी प्यारी बहना? रेखा सारा काम छोड़कर की अपने भय्या से लिपट गयी. रेखा भी कई दिन से नहीं चुदी थी और वो भी अपने भाई का प्यार पाना चाहती थी - उसी तरह से जैसे पूजा और उसके भाई नें.


कमल ने अपने होंठ अपनी बहन के लरजते होंठों पर रख दिए. कमल नें कस कर रेखा को अपने साथ चिपटा लिया. उसके बूब्स उसकी छाती से चिपके हुए थे. अब कमल रेखा को लिप्स किस करने लगा. रेखा बोली, भय्या....आयी लव यू..... कमल बोला, आयी... लव यु टू....कमल नें उसके बूब्स मसलते हुए कहा, आज तुझे नहीं छोडूंगा मेरी जान....चल जल्दी से उतार अपने कपड़े....हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है. रेखा नें मचलते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर कहा, आप खुद ही उतार दो ना. कमल नें झट से कुर्ती उसके बदन से अलग कर दी और उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा. कमल नें फुर्ती से अपनी बहन को पूरी तरह से नंगी कर दिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा. उसके बूब्स देख कर कमल बोला, हाय मेरी जान....क्या सेक्सी बदन है तेरा...तुझे तो मैं रोज चोदना चाहूँगा...तेरे गोरे गोरे दूध...क्या मस्त हैं...हाय..इतनी चिकनी चूत...तेरे चूतड़ कितने गोल और प्यारे हैं.....इतना बोल के कमल नें अपने भी सारे कपड़े उतार दिए और रेखा के सीने से लग गया. कमल अब रेखा बी चूत सहलाने लगा. रेखा उत्तेजित होने लगी. उसकी चूत गीली हो गयी. किचन में ही कमल ने अपनी बहन को नीचे फर्श पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया. रेखा बोली...आह.....भय्या....आराम से करना....प्लीज़.....कमल बोला, मेरी जान.....तू अब तक कैसे बची रही मुझ से... मुझे तो पहले ही तुझे चोद देना चाहिए था....काश मैं पहला लड़का होता जो तुझे चोदता....


कमल उसकी चूत में उंगली करता हुआ सिसकारी भर के बोला....काश मेरी बहन पहले मुझ से चुदी होती....वो साला मेरा दोस्त ....राकेश...... सारे मज़े लूट के...मेरी बहन की सील तोड़ गया.....पर मेरी ही गलती थी.....घर पर इतना सेक्सी माल...और मैं अब तक कुछ न कर सका?
रेखा से अब रहा नहीं गया. वो बोल उठी, भय्या...आप ने ही मुझ से पहली बार सेक्स किया था... राकेश भय्या नें नहीं....आप ही पहले लड़के हो जिसने मेरी चूत में अपना लंड डाला था. कमल चौंक पड़ा और बोला, नहीं....मैं माँ कसम खा के कहता हूँ कि मैंने तुझे कभी बुरी नज़र से नहीं देखा.....वो तो साले मेरे दोस्त राकेश नें मेरी मती मार दी और मैंने अपने हाथों से तुझे उसके साथ चुदने दिया...वो भी राखी के दिन.
रेखा बोली, पर पहले सेक्स आपने ही किया था. याद है वो मास्क वाली लड़की? रेखा मुस्कुराते हुए बोली...भय्या वो मैं ही थी...कमल हैरान रह गया. फिर रेखा नें उसे सारी कहानी बता दी. कमल बहुत खुश हुआ कि उसने ही अपनी सगी बहन से पहली बार सेक्स किया था.

वो बोला, कोई बात नहीं अगर तू बाद में राकेश से चुदी...मैं भी घाटे में नहीं रहा....पूजा को तो चोद चुका...तू पहले मुझ से अनजाने में चुदी थी... आज मैं तुझे...अपनी सगी बहना को भरपूर प्यार से चोदुंगा. इतना कह के कमल अपनी सुंदर बहना को गोदी में उठा कर बेडरूम में ले गया. उसने उसकी चूत को बड़े ध्यान से देखा. वहाँ पर एक तिल था. उसे याद आ गया कि ये वही चूत है जो वो मास्क वाली लड़की की थी. कमल नें अपनी बहना की गुलाबी चूत की दोनों फांकें अलग कर के अपनी जीभ उस में घुसा दी. रेखा की चूत की खुशबू उसे पागल बना दे रही थी. अपनी बहना की नमकीन चूत कमल बड़े प्यार से चाटने लगा. रेखा अपना सर मदहोशी में पटकने लगी और बडबडाने लगी, आह्ह.......भइया....क्या मज़ा आ रहा है......चूसो......मेरे राजा......आप बहुत अच्छा चूसते हो......हाय.....रेखा कमल का सर पकड़ कर अपनी चूत की और दबाने लगी.....कमल जोर जोर से अपनी बहन की चूत चाटता रहा......तब तक जब तक वो झड़ नहीं गयी. रेखा का सारा रस कमल चाट चाट के साफ़ कर गया. अब कमल बोला...मेरी प्यारी बहन आज दिखा दे अपने भाई को तू कितना प्यार करती है....चल ले मेरा लंड अपने मुहं में डाल ले. रेखा ने बड़ी अदा से कमल का लंड पकड़ा उसे सहलाने लगी. फिर उसे अपनी चुचिओं और निप्पल पर रगड़ा. बड़े प्यार से फिर रेखा नें अपने भय्या के लंड को अपने मुहं में डाल लिया और उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी. कमल वासना में डूबता जा रहा था. उसके मुहं से कामुक आवाजें निकल रही थीं. वही हाल रेखा का था. रेखा नें कमल का लंड तब तक नहीं छोड़ा जब तक वो झड़ नहीं गया. रेखा कमल का सारा माल चाट कर साफ़ कर गयी. प्यार से अपने भाई का लंड सहलाते हुए रेखा ने पूछा, भैय्या.....अब तो पता चल गया कि मैं आपको कितना चाहती हूँ? कमल नें उसे बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया और बोला,

मेरी प्यारी बहन की चूत में जब मेरा लौड़ा जाएगा....तब असली प्यार का पता लगेगा....यह कह कर कमल नें अपनी सगी बहना की चूत में अपना लंड पेल दिया.....रेखा सिस्कारी भर के बोली...आह...भय्या ज़रा धीरे से...कमल नें एक जोर का धक्का लगाया और साथ में रेखा की चुचियाँ दबाने लगा. उसने एक एक करके दोनों निप्पल चूसने शुरू कर दिए और दना दन रेखा को चोदने लगा. रेखा चूतड़ उठा उठा कर कमल के साथ चुदाई में लय ताल दे रही थी. पूरा कमरा चुदाई के संगीत से गूँज उठा. कमल रेखा को लिप्स पर किस करने लगा. उसने अपनी पूरी जीभ अपनी बहना के मुहं में डाल दी. रेखा नें भी कमल के मुहं में अपनी जीभ डाल दी. इस तरह से दोनों भाई बहन डीप किसिंग करने लगे. कमल के हाथ अपनी बहना के निप्पल की घुंडियों को दबाने में लगे थे. नीचे कमल का लंड रेखा की चूत में पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था. रेखा उछल उछल कर अपने भाई से चुदवा रही थी.

आज उसे बहुत मज़ा आ रहा था. वो सिसकारियाँ ले ले कर बोल रही थी.... हाय मेरे भाई...आज असली मज़ा आया है...अपना भाई अपना होता है....हाय भय्या.......चोदो मुझे...जी भर के...अपनी बहन की चूत फाड़ दो....जोर से करो...आह...मर गयी....मेरा निकल गया....ओह्ह्ह्ह्ह......कमल भी हाँफते हुए बोल रहा था....हाँ चुद मेरी प्यारी बहन....अपने सगे भाई से चुदाई करके तुझे जो मज़ा आएगा वो कहीं और नहीं आएगा....ले मेरा लंड ...(धक्का देकर)....और जोर से अंदर ले....काश तुझे बहुत पहले चोदा होता......तू तो मस्त माल है मेरी रानी...आह....मेरा निकलने वाला है......ओह्ह....इतना कह कर दोनों भाई बहन एक साथ झड़ गए. कमल नें अपना सारा वीर्य अपनी बहन की चूत में डाल दिया. फिर थक कर रेखा के उपर ही लेट गया. थोड़ी देर बाद उन दोनों ने उठकर एक साथ शोवर के नीचे स्नान किया..मम्मी के आने से पहले उन दोनों ने कपड़े पहने. दोनों भाई बहन तब तक चूमा चाटी करते रहे जब तक उनकी मम्मी नहीं आ गयी. हाँ एक बात मैं बताना भूल गया कि जब जब हमारी बहनें चुदीं, तब तब हम उनको आयी पिल खिलाना नहीं भूले.

END............
 
माँ की ममता
प्रेषिका : सोनिया लाम्बा
मेरा नाम सोनिया लाम्बा है, मैं गृहिणी हूँ और दिल्ली में रहती हूँ। मैं आप से अपने बदन का जिक्र नहीं करुँगी क्योंकि आपको मेरी सच्ची कहानी पढ़ने के बाद मेरे बदन का अंदाजा हो जायेगा। मैं 27 साल की युवती हूँ, मेरा 7 साल का बेटा मोनू मेरी शादी के 2 साल बाद हो गया था और उसके बाद हमने दूसरे बच्चे के बारे में नहीं सोचा क्योंकि हम दूसरे बच्चे की देखभाल नहीं कर सकते थे क्योकि हम मध्यम-वर्गीय परिवार से हैं। मेरे पति एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में सुपरवाइजर हैं और उनका मासिक वेतन 12,000 रुपए ही है।
मेरी चुदाई की कहानी 2 साल पहले की है जब मोनू पाँचवी में पास हो चुका था, उसके अंक काफी अच्छे थे 72% ! हमने सोचा कि क्यों न मोनू का प्रवेश किसी बड़े स्कूल में करा दें जिससे उसकी आगे की जिंदगी सुधर जाये और आगे जाकर उसका अच्छा भविष्य बन जाये। मेरे पति के पास समय की कमी होने की वजह से मुझे उसके प्रवेश के लिए दिली पब्लिक स्कूल में जाना पड़ा। अप्रेल का महीना था, मैं एडमीशन इन्चार्ज़ के कमरे में चली गई। मैंने लाल रंग की साड़ी और गहरे गले का ब्लाउज़ पहना हुआ था। अप्रेल के महीने की वजहे से मैं पूरी पसीने में भीग चुकी थी और मेरा ब्लाउज़ मेरे बदन से चिपक गया था जिसकी वजह से मेरा बदन कसा हुआ लग रहा था और मेरी चूचियों के बीच की घाटी साफ दिकाई दे रही थी जिसके दिखने की वजह से एडमीशन इंचर्ज़ की नजरे एक समय के लिए वहीं पर गड़ी की गड़ी रह गई। मुझे यह सब पता चल चुका था इसलिए मैंने अपनी साड़ी कुछ ऊपर को कर ली वो मुझे अपने होंठों पर मुस्कान लाते हुए देखने लगा। मैं भी उसके अध्यापक होने की वजह से मुस्कुरा दी, मैंने कहा- मैं अपने बेटे के एडमीशन के लिए आई हूँ !
वहाँ दो बच्चों की माँएँ भी आई थी, वे दोनों माँएँ अमीर परिवारों से आई हुई लग रही थी। एडमीशन इन्चार्ज़ ने उन्हें स्कूल का प्रवेश का फ़ॉर्म दिया और मुझे भी !
उन दोनों महिलाओ से फ़ॉर्म लेने के बाद उन्हें एडमीशन फ़ीस की रसीद काट कर पकड़ा दी। उसमें एडमीशन फी 10 ,000 रुपए थी तो मैं उनकी फ़ीस की रसीद देख कर चौंक पड़ी, मेरे चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लग गई और मैं यह सोच तक नहीं पा रही थी कि एडमीशन-फ़ार्म दूँ या न दूँ !
थोड़ी ही देर के बाद एडमीशन इन्चार्ज़ ने मुझसे भी फॉर्म वापिस मांगा तो मैंने कहा- मैं आपसे कुछ अकेले में बात करना चाहती हूँ !
वे दोनों महिलायें मेरी तरफ शक भरी नजरों से देखने लगी, मैंने बात को घुमाते हुए कहा- मुझे थोड़ा स्कूल के बारे में जानना था इसीलिये आपसे कुछ अकेले में पूछना था !
वे मुझे उसी कमरे के साथ में बने रेस्ट-रूम में ले गए। मैंने उन्हें अपनी पारिवारिक परिस्थिति बता दी तो उन्होंने कहा- आप अपना फॉर्म मुझे दे दो और उस पर अपना फ़ोन नम्बर लिख दो।
और कहा- मुझसे जो हो सकेगा, मैं जरूर करूँगा !
और उन्होंने बातों-बातों मेंअपना नाम राजेश बताया और मुझसे पूछा- क्या तुम रविवार को फ़ुरसत में रहती हो?
मैं थोड़ा बहुत उनका इशारा समझ चुकी थी और मैं भी उनकी इस बात पर थोड़ा मुस्कुरा दी और मैं अपने बेटे का हाथ पकड़ कर घर को आ गई !
फिर उसी रविवार को राजेश जी का फ़ोन मेरे मोबाइल पर आ गया- अगर आपको फ़ुरसत हो तो दोपहर दो बजे स्कूल में मेरे कमरे में आ जाओ अकेले !
मैं थोड़ा-थोड़ा समझ चुकी थी, मैंने उनसे कहा- मेरे पति आज घर पर हैं, अगर मैं आपके पास बिना सोनू के अकेले आऊँगी तो सुरेश पूछेंगे कि सोनू का एडमीशन है और मैं अकेली ही स्कूल में जा रही हूँ?
रमेश- ठीक है तो सोनू को भी स्कूल ले आओ।
मैं बाथ्रूम में अपने पति का दाढ़ी बनाने वाला सामान लेकर नहाने चली गई। वहाँ पर मैंने अपनी झांटे तसल्ली से साफ कर ली और झाँटे साफ करके अपनी चूत खुशबू वाले शैम्पू से रगड़ कर साफ कर ली, एक चमचमाती साड़ी और गहरे गले का पीला ब्लाउज पहन कर और होंठों पर लाल लिपस्टिक लगा ली और मैं स्कूल पहुँच गई अपने बेटे के साथ।
उनकी नजर जब मुझ पर पड़ी तो वो मुझे ऊपर से नीचे तक देखते के देखते रह गए। मैंने उनका ध्यान हटाने के लिए उनसे पूछा- क्या मेरे बेटे का एडमीशन हो जायेगा सर?
उन्होंने अपना ध्यान मेरी चूचियों से हटाते हुए कहा- सोनू के एडमीशन के लिए ही तो आपको यहाँ बुलाया है !
मैंने कहा- तो रविवार को ही आपने क्यों बुलाया है हमें सर?
उन्होंने कहा- मैं अपने व्यक्तिगत काम रविवार को ही करता हूँ।
राजेश जी ने मेरे बेटे से कुछ सवाल पूछे और सोनू ने भी सभी सवालों के सही जवाब दे दिए।
फिर राजेश जी ने फीस मांगी, मैं घर से सिर्फ़ 6,000 रुपए लाई थी तो मैंने उन्हें 6,000 रुपए दे दिए।
उन्होंने चेहरे पर अजीब से भाव लाते हुए कहा- सोनिया लाम्बा जी, हमारे स्कूल की फीस 10,000 रुपए है और आप सिर्फ 6,000 ही दे रही हो?
मैंने उनसे कहा- मैंने आपको अपनी पारिवारिक परिस्थिति बता चुकी हूँ और मैं इससे ज्यादा आपको नहीं दी सकती !
उन्होंने अकड़ते हुए कहा- नहीं सोनिया जी, आपके लड़के का एडमीशन इस स्कूल में नहीं हो सकता है, आप किसी और स्कूल में अपने बच्चे का एडमीशन करवा लीजिये।
मैं डर गई कि कहीं सोनू का एडमीशन न रुक जाये तो मैंने उनसे विनती करते हुए कहा- हमारे पास जितना था वो मैं आपको दे चुकी हूँ और मेरे पास आपको देने के लिए कुछ नहीं है !
और मैंने यह भी कहा- सोनू आपके ही बच्चे की तरह ही है सर ! बाकी जो आपको ठीक लगे आप वैसा ही करिए !
तो उन्होंने कहा- देने के लिए रुपए ही नहीं कुछ और भी दे सकते हो आप !
और बातों ही बातों में उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर बच्चे के साथ माँ भी मेरी हो जाये तो मैं सोनू का एडमीशन आराम से कर लूँगा।
मैं उनका इशारा समझ गई और हल्के से मुस्कुरा दी।
मेरे मुस्कुराते ही उन्होंने मेरे पांव को अपने पांव से मेज के नीचे से रगड़ना शुरु कर दिया और मैंने भी उनका विरोध नहीं किया।
उन्होंने कहा- अगर आप तैयार हों तो आप रेस्टरूम में जाकर मेरा इंतजार कर सकती हो !
मैंने सोचा- थोड़ी देर की ही तो बात है, अच्छे स्कूल में अगर सोनू का एडमीशन हो जाता है और वो भी कम फीस में तो बुरा ही क्या है !
तभी रमेश जी ने कहा- क्या सोच रही हो? ऐसा मौका आपको फिर कभी नहीं मिलेगा और आपके लड़के की पढ़ाई की जिम्मेवारी भी मुझ पर छोड़ देना।
फिर मैंने रमेश जी से कहा- क्या यह गलत नहीं होगा?
तो रमेश जी ने कहा- आज रविवार है, पूरे स्कूल में छुट्टी है और जो भी होगा वो इस चारदिवारी में ही होगा। किसको पता चलेगा और जब किसी को पता ही नहीं चलेगा तो क्या गलत और क्या सही? सोच लीजिये सोनिया जी, यह मौका आपको फिर कभी नहीं मिलेगा और फिर आपका डीपीएस स्कूल में आपने बच्चे को पढ़ाने का सपना सपना रह जायेगा !
मैंने थोड़ा सोच कर सहमति में सर हिला दिया और उनसे कहा- जब तक हम अंदर रहेंगे तब तक सोनू कहाँ रहेगा और क्या करेगा?
उन्होंने कहा- उसकी जिम्मेवारी आप मुझ पर छोड़ दो। मैं उसे चॉकोलेट और कुछ किताबे पढ़ने के लिए यहीं दे दूंगा ! आप कमरे में चले जाइये, मैं थोड़ी ही देर में आपके पास आता हूँ।
मैंने सोनू की तरफ उसके उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोचते हुए उसे कहा- सोनू, मैं तुम्हारे नए सर के साथ अंदर कुछ जरूरी काम करके अभी 15 मिनट में आती हूँ, तुम यहाँ से कहीं मत जाना ! सर तुम्हें चॉकोलेट और कुछ किताबे देंगे, उन्हें पढ़ना !
और मैं अंदर चली गई।
अन्दर का नजारा काफी आलीशान था, ए सी चल रहा था एक सोफा एक मेज और एक बिस्तर लगाया हुआ था।
मैंने इतना देखा ही था कि अचानक पीछे से दो हाथ मेरी बगल से होते हुए मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मैं थोड़ा सा झिझकी और फिर मैंने अपने आप को दिलासा दिया कि सोनू के अच्छे भविष्य के लिए 10-15 मिनट की ही तो बात है, यह कौन सा मुझे खा जाएगा। थोड़ी देर इसके नीचे ही तो लेटना है। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो मेरी चूचियों से खेलने के कारण पूरा जोश में आ चुका था, उसका लंड तन चुका था और वो अपनी पैंट के अंदर से ही मेरी साड़ी को चीरता हुआ मेरी गांड की दरार के बीच में फिट होना चाहता है।
उसने मेरी चूचियों को जोश में आने के कारण और जोर से निचोड़ना शुरु कर दिया जिसकी वजह से मेरे मुँह से उफ उफ उफ उफ उफ उफ की आवाजें आ रही थी। फिर उसने मुझे घुमा कर अपनी कठोर छाती से चिपका लिया और जानवरों की तरह मेरे होंठों पर टूट पड़ा।
मैंने जो लाल रंग की लिपिस्टिक अपने होंठों पर लगाई थी, वो रमेश जी अपने चुम्बनों में सारी की सारी चाट गए।
कहानी में अभी बाकी है क्या बताने को ?
 
सौतेले बाप के साथ बिस्तर में

लेखिका : डौली



मेरा नाम डौली है, मैं पंजाब से अमृतसर की एक बेहद कमसिन हसीना हूँ, मैं भरे हुए यौवन की पिटारी हूँ जिसको हर मर्द अपने नीचे लिटाना चाहता है, पांच फ़ुट पांच इंच लंबी, जलेबी जैसा बदन, किसी को भी अपनी ओर खींचने वाला वक्ष, पतली सी कमर, मस्त गद्देदार गांड, गुलाबी होंठ, गोरा रंग !

अपने से बड़ी लड़कियों के साथ मेरा याराना है। मैंने इसी साल बारहवीं क्लास की है और नर्सिंग के तीन साल के कोर्स में मैंने दाखला लिया है। मेरी माँ की शादी सोलहवें साल में हो गई थी और बीस साल तक पहुंचते दो लड़कियो की माँ बन गई, सुन्दर औरत है, पांच बच्चे जन चुकी है लेकिन अभी भी कसा हुआ जिस्म है।

मेरी माँ के कई गैर मर्दों के साथ रिश्ते थे जिससे मेरा बाप माँ के साथ झगड़ा करता। पापा ने काफी जायदाद माँ के नाम से खरीदी थी। आखिर दोनों में तलाक हो गया, तीन बच्चे पापा ने रखे और हम दो माँ के साथ रहने लगीं।

माँ को जवान लड़कों का चस्का था, लड़कों हमारे पीछे बुलवा कर चुदवाती जिसका असर हम पर होने लगा। माँ के नक्शे कदम पर बड़ी बहन ने पैर रख दिए, मेरा भी एक लड़के के साथ चक्कर चल पड़ा और एक दिन मैं घर में अकेली थी। माँ दिल्ली किसी काम से गई हुईं थी। इसलिए दीदी ने उस रात अपने किसी बॉय-फ्रेंड के साथ चली गई क्यूंकि उनकी फ़ोन पर बात हो रही थी मैंने दूसरी तरफ से फ़ोन उठाया हुआ था। मैं और मेरा प्रेमी पम्मा भी चोरी छिपे सिनेमा और पार्कों में मिलते और बात चूमा चाटी तक ही रह जाती थी। ज्यादा से ज्यादा सिनेमा में में उसके लौड़े को सहलाती उसकी मुठ मारती, चूसती थी।

उस रात मैंने पम्मा को बुलवा लिया, करीब रात के दस बजे पम्मा आया ,मेरे कमरे में जाते ही हम एक दूसरे से लिपट गए। उससे ज्यादा मैं लिपट रही थी। उसने मेरा एक एक कपड़ा उतार दिया, मैंने उसका !आखिर में मैंने नीचे झुकते हुए उसके लौड़े को मुँह में ले लिया। उसने खूब मेरी चुचियाँ दबाई और चुचूक चूसे, ६९ में आकर चूत चाटी।

उसने अपना लौड़ा जब मेरी टांगों के बीच में बैठ चूत पर रखा- हाय डालो न राजा !

उसने कहा- ज़रा मुँह में लेकर गीला कर दे !

उसने फिर से रखा !

अब डालो भी !

उसने झटका दिया और मेरी चीख निकल गई- छोड़ो ऽऽ ! निकालोऽऽ !

उसने मुझ पर पहले से शिकंजा कसा था, उसने बिना कुछ कहे पूरा लौड़ा डाल दिया।

हाय मर गई ईईईईइ माँ ! फट गई !

कुछ पल बाद मैं खुद चुदवाने के लिए गांड उठा कर करवाने लगी। उसने अब पकड़ ढीली की।

हाय राजा मारते रहो !

करीब पन्दरह मिनट के बाद दोनों झड़ गए। उस रात मेरी सील टूटी, पूरी रात चुदवाती रही, मैं कली से फूल बन चुकी थी।

जब तक माँ नहीं आई हर रात वो मुझे चोद देता। एक रात उसने अपने एक दोस्त को साथ बुलाया और मिलकर मेरी चूत मारी।

जिस दिन माँ वापस आई, उसके साथ एक हट्टा कट्टा जवान लड़का था। माँ की मांग में सिंदूर था और नया मंगल सूत्र !

माँ ने हम दोनों बहनों को बुलाया और बताया कि माँ ने दूसरी शादी कर ली है।

उसकी उम्र पैन्तीस-छत्तीस साल के करीब होगी, माँ चवालीस साल !

दोनों रात होते कमरे में घुस जाते, फिर चुदाई समरोह चलता !

एक दिन मैंने दिन में ही माँ के कमरे का पर्दा सरका दिया। रात हुई, मैंने अन्दर देखा- माँ बिलकुल नंगी थी अकेली बिस्तर पर लेटी चूत मसल रही थी, अपने हाथ से अपना मम्मा दबा रही थी। माँ ने ऊँगली के इशारे से मेरे सौतेले बाप को पास बुलाया, नीचे की ओर चूत पर दबाव दिया और चूत चटवाने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी। मैं अपनी चूत में ऊँगली करते हुए सब देख रही थी।

माँ उसका मोटा लौड़ा मुँह में डाल कुतिया की तरह चाट रहीं थी- हाय मेरे राजा ! तेरे लौड़े को देखकर मैंने तुझे खसम बना लिया है।

वो सीधा लेट गया, माँ ने थूक लगाया और उस पर बैठ गई।

मैं वहां से आई और कमरे में जाकर अपनी चूत में ऊँगली करने लगी।

कुछ दिनों में मेरा सौतेला बाप मेरे जवानी पे ध्यान देने लगा लेकिन मैं उससे ज्यादा बात नहीं करती थी। जब वो सामने आता, मेरे आँखों में उसके लौड़े की तस्वीर घूमने लगती। रात को माँ को सिर्फ अपनी चुदाई से वास्ता था। यह नहीं सोचा कि दो जवान बेटियों पर क्या असर होगा। दीदी तो इस आजादी से खुश थी।

माँ का बहुत बड़े स्केल की बूटीक है, मेरे सौतेले बाप को पैसे देकर वर्कशॉप खोली और नई कार खरीद कर दी। हमें पैसे देते वक्त चिल्लाती- इतने पैसे का क्या करती हो ?

मैंने माँ को सबक सिखाने की सोची।

सौतेला बाप खाना खाने दोपहर घर आ जाता। मैं उसके साथ घुलमिल सी गई, पहले से ज्यादा बात करती ! वो भंवरे की तरह मेरी जवानी का रस चूसने के लिए बेताब था।

एक दोपहर अपने कमरे के ए.सी की तार निकाल दी और उनके आने से पहले उनके कमरे का ए.सी चालू कर वहां लेट गई। मैंने एक जालीदार और पारदर्शी गाऊन, गुलाबी और काली कच्छी-ब्रा डाल उलटी तकिये से लिपट सोने का नाटक करने लगी।

आज तक मैं उसके सामने ऐसे नहीं आई थी। जब वो आये, मुझे मेरे कमरे में ना पाकर मायूस से होकर अपने ही कमरे में आये। मैंने थोड़ी से आंख खोल रखी थी, मुझे देख वो खुश हो गया, बाहर गया, सारे लॉक लगा वापस आया। दूसरे बेड पर बैठे हुए उसने अपना हाथ मेरी रेशम जैसे पोली-पोली गांड पर फेरा। मैं गर्म होने लगी, वहां से हाथ पेट तक गया, उसका मरदाना हाथ अपना पूरा रंग दिखा रहा था।

उसने मेरा गाऊन खिसका दिया। मैंने पलट कर उसको अपने ऊपर गिरा लिया। वो पहले से ही सिर्फ कच्छे में था, आगे से फटने हो आया हुआ था।

उसने मुझे नंगी कर दिया, बोला- रानी ! क्या जवानी है तेरी ! तुम दोनों बहनें साली रंडियाँ हो ! तेरी माँ ने जब परिवार की तस्वीर दिखाई थी, उसे देख मैंने उससे शादी कर ली।

मैंने जिस दिन से आपका लौड़ा देखा है, चुदवाने को तैयार थी !

हम दोनों एक दूसरे को पागलों जैसे चूमने लगे, तूफ़ान आ चुका था।

ओह मेरी जान !

मैंने उसका लौड़ा मुँह में ले लिया और कुतिया की तर जुबान निकल निकाल चाटने लगी। वो भी मेरा साथ देने लगा, वो भी अपनी जुबान जब मेरे दाने पर फेरता तो मैं उछल उठती- अह अह करने लगती !

बहुत ज़बरदस्त मर्द खिलाड़ी था ! एक एक ढंग था उसके तरकश में लड़की चोदने के लिए !

साली कितनों से चुदी है?

काफी चुदी हूँ ! लेकिन मुझे अब तड़पाओ मत और मेरी चूत मारो !

आह मसल दे मुझे ! कमीने रगड़ दे ! मेरे जिस्म को पेल डाल अब बहन के लौड़े !

छिनाल, कुतिया, गली की रंडी ! तेरी माँ चोद दूंगा !

आज तेरी हूँ मैं तेरी ! जो आये करो !

आह !

उसने मेरे बालों को पकड़ मेरे मुँह में लौड़ा घुसा कर उसे निकलने नहीं दे रहा था। मैं खांसने लगी, मैंने टांगें खोल ली और वो बीच में आया, मैंने हाथ से पकड़ चूत पे टिकाया, उसने जोर से झटका मारा और उसका आधा लौड़ा घुस गया। थोड़ी सी दर्द हुई लेकिन मैंने चिल्लाने का काफी नाटक किया। सांस खींच चूत कसी, उसके दूसरे झटके में पूरा लौड़ा उतर चुका था।

और आह फक मी ! चोद और चोद साले, दिखा दे दम !

ले कुत्ती कहीं की !

दस मिनट ऐसे चोदने के बाद बोला- कुतिया की तरह झुक जा !

वो मेरे पीछे आया, उसने लौड़े पर थूक लगाया और पेल दिया।

हाय मेरे राजा ! मेरे सांई !

उसने रफ्तार पकड़ ली। हाय, उसने मेरा बदन खड़का दिया। नीचे से मेरे कसे हुए बड़े बड़े मम्मों को इस तरह मसल रहा था जैसे कोई गाय का दूध निकाल रहा हो। मैं झड़ गई लेकिन वो अभी भी मस्ती से चूत मार रहा था।मैंने कहा- मेरा काम तमाम हो गया !

तो उसने बिना कुछ कहे लौड़े खींचा, मेरी गांड पर रख झटका मारा। मैं तैयार नहीं थी उसके इस वार के लिए !

दर्द से कराह उठी मैं !

वो नहीं माना और पूरा लौड़ा घुसा के ही दम लिया और तेजी से मारने लगा। जैसे मुझे कुछ राहत मिली, मैं अपनी चूत के दाने को चुटकी से मसलने लगी। पांच मिनट बाद उसने अपना पूरा माल मेरी गांड के अन्दर छोड़ दिया और बाहर निकाल मेरे होंठों से रगड़ दिया। मैंने जुबान निकाल सब कुछ साफ़ कर दिया।

शाम तक उसने मुझे दो बार चोदा। रोज़ दोपहर में मुझे चोदता।

मुझे सोने का सेट, पायल का जोड़ा, खुला खर्चा देता।

एक दिन उसने बताया कि वो दोस्तों के साथ घूमने शिमला जा रहा है। मेरे कहने पर उसने मुझे साथ लेकर जाने का फैसला किया। मैंने कॉलेज टूर का प्रोग्राम बताया। उसने अपनी वर्कशॉप के लिए दिल्ली से कुछ सामान !

उसके साथ उसके तीन दोस्त थे, मैं अकेली !
 
दीदी की बुर की खुजाई से ले कर चुदाई तक

प्रेषक : राहुल शर्मा

मैं राहुल, 32 साल,मैं जब छोटा था, तब दीदी मुझसे पीठ खुजलाने के लिए बोला करती थी। हम एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सोया करते थे। फिर कुछ दिनों बाद दीदी मेर हाथ अपने चुच्ची की तरफ आगे बढ़ाने लगी और बोली- यहां खुजलाओ !

मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैं दीदी को मना नहीं कर पाता था क्योंकि दीदी मुझे बहुत प्यार करती थी। फिर दूसरे दिन रात को दीदी बोली- आज नीचे खुजला दे !

तो मैंने पूछा- कहां दीदी?

तो दीदी ने अपनी पैन्टी उतार दी और अपनी बुर की ओर इशारा करके बोली- यहां !

मैं बोला- दीदी, यहां से तो सु-सु करते हैं !

दीदी बोली- हां यहीं बहुत खुजली हो रही है।

फिर मैं दीदी की बुर खुजलाने लगा। फिर दीदी बोली- उसके अंदर जहां से सु-सु आता है ना, वहां उंगली डाल के खुजला ना !

फिर मैं दीदी की बुर में उंगली डाल के खुजलाने लगा। फिर इसी तरह कुछ दिन चलता रहा और फिर कुछ दिनों बाद दीदी मामा के घर आगे की पढ़ाई के लिये चली गई।

फिर हम कई बार बीच बीच में मिलते रहे, मामा के घर तो कभी हमारे घर, लेकिन कभी मौका नहीं मिला हमें वैसा मस्ती करने के लिये।

फिर दीदी अपनी पढाई पूरी करके लौटी तो दीदी 24 की हो गई थी। फिर कुछ दिनों बाद दीदी ने एक दिन मुझ से पूछा- बचपन की बातें याद हैं?

मैंने सर हिला के हां कहा, फिर दीदी बहुत खुश हो गई और मेरे गालों को चूम लिया। अब भी हम लोगों का कमरा एक ही था लेकिन पलंग अलग अलग था। और फिर जब रात को मैं अपने बिस्तर में बरमु्डा पहने गहरी नीन्द में सोया हुआ था तो दीदी ना जाने कब मेरे बिस्तर आ गई और मेरा लण्ड निकाल के सहलाने लगी, मुझे पता ही नहीं चला। मेरा लौड़ा अकड़ के जम के खड़ा हो गया था अचानक मेरा नीन्द खुली, देखा कि दीदी के हाथों में मेरा लौड़ा है और वो उसे कभी प्यार से देखती है, कभी सहलाती है और कभी मेरे झाटों से खेल रही है।

तो मैं दीदी से अचानक बोला- दीदी, ये क्या कर रही हो ?

दीदी बिल्कुल ही नहीं डरी और बोली- क्यों? तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या ?

फिर मैं क्या बोलता, मुझे तो मज़ा ही आ रहा था, मैं यूं ही लेटा रहा, फिर मैंने दीदी को बोला- दीदी, इसे मुँह में ले लो ना !

दीदी बोली- क्यों? अभी तो तुझे बुरा लग रहा था ! अब कैसे मुँह में लेने के लिए बोल रहा है?

मैं बोला- दीदी प्लीज़ ले लो ना ! नाटक क्यों कर रही हो !

दीदी बोली- मुँह में क्या, सब जगह ले लूंगी, लेकिन पहले मेरे पूरे कपड़े खोल के जम के गरम तो करो !

फिर दीदी ने मेरा बरमुडा निकाल के अलग कर दिया, मैंने दीदी को बेड पे ही खड़ा कर दिया और दीदी का टी-शर्ट निकाला, फिर जीन्स !

अब दीदी ब्रा और पैन्टी में थी। दीदी पैन्टी-ब्रा में क्या गज़ब की मस्त लग रही थी, क्योंकि दीदी का फ़िगर 36 28 36 था, बड़े बड़े स्तन और गांड बड़ी बड़ी थी। दीदी को नंगी देख मैं बहुत खुश हो रहा था और सोच रहा था कि आज तो दीदी मस्त चुदाई करुंगा क्योंकि ये सब मैं जिन्दगी में पहली बार देख रहा था और इन सब चीज़ों के लिये कब से तड़प रहा था।

मैंने दीदी दे स्तनों को ब्रा के ऊपर से खूब दबाया। फिर मैंने दीदी की पैन्टी नीचे खिसका दी। दीदी की बुर तो देखते ही बनती थी क्योंकि दीदी की बुर बिल्कुल साफ़ और डबलरोटी की तरह फूली हुई थी।

फिर मैंने दीदी की बुर की फांकों को खोल के देखा- क्या बुर थी दीदी की, बिल्कुल गुलाबी-गुलाबी ! ऐसा लग रहा था जैसे किसी राजा के महल में गुलाबी परदे लगे हों !

मैं अब बिल्कुल रोमांच से भर गया था और ऐसा लग रहा था कि कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ। मैंने दीदी से बोला- अब तो मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो !

दीदी भी बिल्कुल गरम हो चुकी थी, दीदी ने मुझसे बेड पे लेटने के लिये कहा और खुद मेरे टांगों के बीच में आ के बैठ गई। मेरा लण्ड बिल्कुल छत की ओर ऐसे खड़ा था जैसे कोइ झंडे का डंडा खड़ा हो। फिर दीदी बड़े प्यार से मेरे लण्ड को फिर से सहलाने लगी और अंडे को चाटने लगी। मैंने पहले कभी मुठ नहीं मारा था इसीलिये मेरे सील टूटी नहीं थी और ना ही मैंने कभी झांट साफ किये थे इसलिये मेरे बड़े बड़े झांट भी थे।

दीदी मेरे अंडों को चाटते हुए लण्ड की ओर बढ़ने लगी और फिर लण्ड की जड़ के चारों ओर चाटने और हल्का हल्का काटने लगी। मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था और इंतज़ार कर रहा था कि कब दीदी मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरेगी !

दीदी से स्तन मेरी जांघों में रगड़ खा रहे थे, मैं तो बिल्कुल सातवें आसमान में था। दीदी मेरे लण्ड के चारों ओर से काटते, चाटते हुए सुपाड़े की तरफ धीरे धीरे बढ़ रही थी। ऐसा लग रहा था कि दीदी मुझे जानबूझ के तड़पा रही हो। फिर दीदी ने मेरे सुपाड़े के छेद में जीभ लगाई और धीरे धीरे जीभ से चाटने लगी और फिर थोड़ी देर बाद आखिर दीदी ने मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर ही लिया। और जैसे दीदी ने मेरा लण्ड अपने मुँह में भरा, मेरा पूरा शरिर ही झनझना गया, ऐसा लगा कि मेरा बरसों का इंतज़ार खत्म हुआ और बरसों की तमन्ना पूरी हुई। फिर दीदी लगी जम के लण्ड चुसाई करने।

थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब लगी, मैं बोला- दीदी एक मिनट रुको ! मैं सु-सु करके आता हूँ !

दीदी बोली- नहीं यहीं करो सु-सु !

मैं बोला- दीदी यहां कहां करुँ सु-सु ?

दीदी बोली- मेरे मुँह में !

मैं बोला- दीदी मुझे बड़ी जोर से सु-सु लगी है और एक बार जो सु-सु करना शुरु होगा तो मैं बीच में नहीं रोक सकूंगा और फिर बिस्तर भी गीला हो जायेगा।

दीदी बोली- मैं नीचे बैठ जाती हूँ, मुझे एक बर थोड़ा सा स्वाद चखना है और अगर अच्छा लगा तो पूरा पी जाउंगी !

फिर दीदी नीचे बैठ गई, मैं दीदी के मुँह में लण्ड डाल लगा मूतने जोरों से !

दीदी दो चार घूंट पी गई लेकिन पूरा मुँह भर जाने के कारण पी नहीं सकी और फिर अपने चेहरे पर, वक्ष पर, बुर में गिराने लगी।

फ़िर मैंने पूछा- दीदी, कैसा लगा स्वाद ?

दीदी बोली- बहुत ही मज़ा आ रहा था, लेकिन थोड़ा धीरे धीरे करते तो मैं पूरा पी जाती !

मैं बोला- ठीक है, अगली बार धीरे धीरे करुंगा !

फिर दीदी ने कमरे में पोंछा लगाया और बोली- अब तुम थोड़ा स्वाद ले के देखो सु-सु का !

मैं बोला- नहीं मुझे नहीं करना है टेस्ट ! दीदी बोली- बिल्कुल थोड़ा सा ही करुंगी, अगर अच्छा नहीं लगा तो दुबारा नहीं बोलूंगी !

फिर मैं नीचे लेट गया और दीदी मेरे मुँह में बुर लगा के ऐसे बैठ गई जैसे बाथरुम में सु-सु करते हैं और लगी जोर लगाने सु-सु करने को।

लेकिन दीदी को तो सु-सु लगी ही नहीं थी इसलिये बहुत जोर लगाने से 4-5 बून्द सु-सु ही कर पाई मेरे मुँह में।

दीदी ने पूछा- कैस लगा टेस्ट?

मैं बोला- बहुत ही नमकीन, खटटा और थोड़ी बदबू भी !

दीदी बोली- मुझे तो अच्छा लगा !

मैं बोला- लेकिन दीदी आपकी बुर चाटने मज़ा आ रहा था !

तो दीदी बोली- तो फिर जम बुर ही चाट दो !

फिर हम बिस्तर में आ गये और मैं दीदी के होंटो पे चुम्बन करने और चूसने लगा। दीदी के होंटो को चूसते, चाटते हुए दीदी के कान पे जीभ फिराने लगा। दीदी बहुत ही गरम हो गई थी, कान को चाटते गले से होते हुए वक्ष को चाटने लगा लेकिन दीदी के चुचूकों के पास जा कर चुचूक को मुँह में लिये बगैर ही दूर हो जाता था। दीदी चुचूक चुसवाने के लिये तड़पने लगी और जबर्दस्ती मेरे मुँह में अपने चुचूक पकड़ के ठूंस दिए।

मैं दीदी का एक चुचूक चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने सहलाने लगा। फिर धीरे धीरे मैं दीदी की बुर की ओर बढ़ने लगा और बुर के चारों ओर चूस-चूस दीदी की बुर लाल कर दी। फिर दीदी बुर चटवाने के लिये छटपटाने लगी और मेरा सर पकड़ के जबर्दस्ती अपने बुर में धंसा दिया। मैं लगा दीदी की बुर और बुर के दाने चूसने-चाटने !

फिर थोड़ी देर में हम फिर 69 करने लगे। दीदी फिर से मेरा लण्ड जम चूसने लगी। फिर मैं बेड पे खड़ा हो गया और दीदी घुटनों के बल बैठ गई, मैंने दीदी का सर पकड़ के लौड़ा घुसा दिया। दीदी ओ-ओ करने लगी और दीदी की आंख से आंसू आ गये। मैं दीदी के मुँह को बड़े प्यार चोदने लगा। दीदी ने एक हाथ से मेरी गांड को सहलाते हुए मेरे गाण्ड के छेद में एक उंगली घुसेड़ दी। अब मुझे डबल मज़ा आने लगा। फिर दीदी दूसरे हाथ मेरे लण्ड को हिलाते हुए चूसने लगी। मेरे लण्ड में हल्का हल्का दर्द होने लगा। दीदी बड़े जोरों से मेरे लण्ड हिलाने और चूसने लगी और दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ मेरी गांड में घुसेड़ के अंदर-बाहर करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आने लगा और पूरा शरीर अकड़ने लगा और मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया।

दीदी मेरा पूरा लण्ड का रस चूस-चूस के पी गई।

मेरा लण्ड खड़ा तो था लेकिन थोड़ा ढीला पड़ गया था और दर्द भी होने लगा था। दीदी तो लौड़े का रस पी के बिल्कुल गरम हो चुकी थी और बोली- भाई, अब मुझे जम के चोद दो !

मैं बोला- दीदी लण्ड तो खड़ा है लेकिन इसमें दर्द बहुत हो रहा है मैं चोद नहीं सकूंगा !

फिर दीदी बोली- कोइ बात नहीं, जब तुम्हारा लण्ड सही हो जायेगा तब चोद देना ! लेकिन अभी तो इसे चूस-चाट के झड़ा दो !

मैं बोला- दीदी, हां ! मैं ये कर सकता हूँ !

फिर दीदी टांग फैला के लेट गई और मैं दीदी की चूत चाटने लगा। दीदी मेरा सर पकड़ के जोर जोर से चटवा रही थी। फिर दीदी मेरे मुँह पे ही झड़ गई।

इसी तरह रात भर में 5-6 बार मेरे मुँह में झड़ी और मैं दीदी का सारा माल चाट-चाट कर पी गया और जब घड़ी देखी तो सुबह के पांच बज रहे थे।

फिर हम दोनों थक के चूर हो गये थे और फिर हम लुढ़क के चिपक के सो गये।
 
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