desiaks
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भाग- 22
सोमिल के वचन की लाज
( मैं सीमा)
छाया और मानस को एक साथ छोड़कर मैं वापस अपने कमरे की तरफ चल पड़ी आज मानस और छाया के संभावित मिलन को सोच कर मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी। सोमिल के कमरे का दरवाजा खोल कर जैसे ही मैं अंदर दाखिल हुई मेरे सिर पर किसी ने जोरदार प्रहार किया मैं धड़ाम से गिर गई।
अगले दिन सोमवार
समय सुबह के 8:00 बजे
(मैं छाया)
"मानस भैया उठिए 8:00 बज गए, हमें 7:00 बजे ही विवाह भवन वापस जाना था."
सीमा भाभी भी उठाने नहीं आयीं। उन्होंने मुझसे 7:00 बजे चलने के लिए कहा था।"
मानस भैया ने मुझे फिर अपनी बाहों में खींच लिया। अभी तक हम दोनों वैसे ही नग्न थे। मेरी खुद की भी इच्छा उनकी बाहों में आकर एक बार और संभोग सुख लेने की थी पर काफी विलंब हो चुका था। मैं उन्हें चूमती हुई बिस्तर से हट गई। उन्होंने कहा
"जाकर देखो सीमा कहां रह गई। लगता है सोमिल का वचन निभाते निभाते वह भी मगन हो गयी" ऐसा कहकर मानस भैया हंसने लगे.
मैंने अपनी नाइटी पहनी और बगल वाले कमरे में गई. कमरे का दृश्य देखकर मेरी चीख निकल गई मैंने दरवाजा वैसे ही बंद कर दिया। और भागकर अपने कमरे में आयी.
"मानस भैया,,,, मानस भैया" सीमा भाभी बेहोश पड़ी है जल्दी आइए.. मानस भैया ने अपना पजामा और कुर्ता पहनना और भागकर बगल वाले कमरे में आए। मैं भी उनके पीछे-पीछे डरी हुई कमरे में प्रवेश की। बिस्तर के एक तरफ सीमा भाभी नीचे जमीन पर बेसुध पड़ी हुयीं थी। मानस भैया ने उनकी पल्स देखी वह चल रही थी। उन्होंने मुझसे कहा..
"थोड़ा पानी देना" मैं भागकर बिस्तर की दूसरी तरफ पानी लेने गई. वहां जमीन पर पड़े एक और व्यक्ति को देखकर मैं एक बार फिर चिल्लाई . मानस भैया सीमा दीदी को छोड़ मेरे पास आये। वह आदमी जमीन पर पेट के बल पड़ा हुआ था। उसके चारों तरफ खून फैला हुआ था उसके पीठ में गोली लगी थी। यह दृश्य देखकर हम दोनों के होश उड़ गए। मैं डर से रोने लगी। मानस भैया ने टेबल पर पड़ी पानी की बोतल उठाई और पानी की कुछ बूंदे सीमा के चेहरे पर डाली। सीमा की आंखें कुछ पल के लिए खुलीं। मानस भैया ने सीमा के चेहरे पर एक बार फिर पानी छींटा सीमा ने आंखे खोली वह होश में आ रही थी।
मानस भैया ने मुझे चुप रहने का इशारा किया। सीमा अब होश में आ चुकी थी। मानस भैया ने उसे भी चुप रहने के लिए कहा और उसे उठाकर किसी तरह अपने कमरे में ले आये।
हम तीनों की हालत खराब थी। सोमिल के कमरे में खून हुआ था। पर सोमिल कमरे से गायब था। सीमा भाभी भी कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं थीं।
(मैं मानस)
सीमा को इस हालत में देखकर मेरे होश फाख्ता हो गए थे मेरी प्यारी सीमा किस हाल में आ चुकी थी जब उसने आंखें खोली तो मुझे राहत महसूस हुई मैंने भगवान को एक बार फिर शुक्रिया अदा किया हम तीनों आगे आने वाली घटनाओं के बारे में सोच रहे थे। खून हुआ था और यह एक असामान्य घटना थी। मैंने पुलिस को इत्तिला करने की सोची पर पुलिस का नाम सुनते ही छाया और सीमा डर गयीं। सीमा अभी भी नववधू वाले लिबास में थी।
छाया ने कहा कुछ देर रुक जाइए पहले हम स्वयं को इस बात के लिए तैयार कर ले। मैंने अपना फोन उठाया उसमें कई सारे मिस कॉल थे। विवाह भवन से माया आंटी, शर्मा अंकल, मनोहर चाचा जाने कितने ही लोगों के फोन उस में आए हुए थे। हमें सुबह 7:00 बजे विवाह मंडप पहुंच जाना था और इस समय 8:30 बज रहे थे हमें देर हो चुकी थी। वह सब निश्चय ही हमारी चिंता कर रहे होंगे।
छाया ने कहा
" हम पुलिस से क्या बताएंगे? सीमा दीदी सोमिल के कमरे में क्यों थी?
प्रश्न जटिल था और उत्तर बना पाना इतना आसान नहीं था. तभी छाया की दृष्टि हमारे बेड पर पड़ी. हमारे प्रेम रस और छाया के प्रथम संभोग से हुए रक्तश्राव से बिस्तर पर एक अद्भुत कलाकृति बन गई थी। राजकुमारी(कुवारी योनि) का रक्त स्पष्ट रूप से बिस्तर पर दिखाई पड़ रहा था. छाया ने रूम सर्विस को फोन कर दो बेडशीट लाने ने के लिए बोला। कुछ ही देर में हमारे बेड पर नई बेडशीट थी। परंतु बिस्तर पर हुए रक्तस्राव और प्रेम रस के मिश्रण ने गद्दे पर भी अपने अंश छोड़ दिए थे।
हमने अपने उत्तर तैयार कर लिए।
मैंने आखिरकार पुलिस को फोन कर दिया।
सोमिल के वचन की लाज
( मैं सीमा)
छाया और मानस को एक साथ छोड़कर मैं वापस अपने कमरे की तरफ चल पड़ी आज मानस और छाया के संभावित मिलन को सोच कर मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी। सोमिल के कमरे का दरवाजा खोल कर जैसे ही मैं अंदर दाखिल हुई मेरे सिर पर किसी ने जोरदार प्रहार किया मैं धड़ाम से गिर गई।
अगले दिन सोमवार
समय सुबह के 8:00 बजे
(मैं छाया)
"मानस भैया उठिए 8:00 बज गए, हमें 7:00 बजे ही विवाह भवन वापस जाना था."
सीमा भाभी भी उठाने नहीं आयीं। उन्होंने मुझसे 7:00 बजे चलने के लिए कहा था।"
मानस भैया ने मुझे फिर अपनी बाहों में खींच लिया। अभी तक हम दोनों वैसे ही नग्न थे। मेरी खुद की भी इच्छा उनकी बाहों में आकर एक बार और संभोग सुख लेने की थी पर काफी विलंब हो चुका था। मैं उन्हें चूमती हुई बिस्तर से हट गई। उन्होंने कहा
"जाकर देखो सीमा कहां रह गई। लगता है सोमिल का वचन निभाते निभाते वह भी मगन हो गयी" ऐसा कहकर मानस भैया हंसने लगे.
मैंने अपनी नाइटी पहनी और बगल वाले कमरे में गई. कमरे का दृश्य देखकर मेरी चीख निकल गई मैंने दरवाजा वैसे ही बंद कर दिया। और भागकर अपने कमरे में आयी.
"मानस भैया,,,, मानस भैया" सीमा भाभी बेहोश पड़ी है जल्दी आइए.. मानस भैया ने अपना पजामा और कुर्ता पहनना और भागकर बगल वाले कमरे में आए। मैं भी उनके पीछे-पीछे डरी हुई कमरे में प्रवेश की। बिस्तर के एक तरफ सीमा भाभी नीचे जमीन पर बेसुध पड़ी हुयीं थी। मानस भैया ने उनकी पल्स देखी वह चल रही थी। उन्होंने मुझसे कहा..
"थोड़ा पानी देना" मैं भागकर बिस्तर की दूसरी तरफ पानी लेने गई. वहां जमीन पर पड़े एक और व्यक्ति को देखकर मैं एक बार फिर चिल्लाई . मानस भैया सीमा दीदी को छोड़ मेरे पास आये। वह आदमी जमीन पर पेट के बल पड़ा हुआ था। उसके चारों तरफ खून फैला हुआ था उसके पीठ में गोली लगी थी। यह दृश्य देखकर हम दोनों के होश उड़ गए। मैं डर से रोने लगी। मानस भैया ने टेबल पर पड़ी पानी की बोतल उठाई और पानी की कुछ बूंदे सीमा के चेहरे पर डाली। सीमा की आंखें कुछ पल के लिए खुलीं। मानस भैया ने सीमा के चेहरे पर एक बार फिर पानी छींटा सीमा ने आंखे खोली वह होश में आ रही थी।
मानस भैया ने मुझे चुप रहने का इशारा किया। सीमा अब होश में आ चुकी थी। मानस भैया ने उसे भी चुप रहने के लिए कहा और उसे उठाकर किसी तरह अपने कमरे में ले आये।
हम तीनों की हालत खराब थी। सोमिल के कमरे में खून हुआ था। पर सोमिल कमरे से गायब था। सीमा भाभी भी कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं थीं।
(मैं मानस)
सीमा को इस हालत में देखकर मेरे होश फाख्ता हो गए थे मेरी प्यारी सीमा किस हाल में आ चुकी थी जब उसने आंखें खोली तो मुझे राहत महसूस हुई मैंने भगवान को एक बार फिर शुक्रिया अदा किया हम तीनों आगे आने वाली घटनाओं के बारे में सोच रहे थे। खून हुआ था और यह एक असामान्य घटना थी। मैंने पुलिस को इत्तिला करने की सोची पर पुलिस का नाम सुनते ही छाया और सीमा डर गयीं। सीमा अभी भी नववधू वाले लिबास में थी।
छाया ने कहा कुछ देर रुक जाइए पहले हम स्वयं को इस बात के लिए तैयार कर ले। मैंने अपना फोन उठाया उसमें कई सारे मिस कॉल थे। विवाह भवन से माया आंटी, शर्मा अंकल, मनोहर चाचा जाने कितने ही लोगों के फोन उस में आए हुए थे। हमें सुबह 7:00 बजे विवाह मंडप पहुंच जाना था और इस समय 8:30 बज रहे थे हमें देर हो चुकी थी। वह सब निश्चय ही हमारी चिंता कर रहे होंगे।
छाया ने कहा
" हम पुलिस से क्या बताएंगे? सीमा दीदी सोमिल के कमरे में क्यों थी?
प्रश्न जटिल था और उत्तर बना पाना इतना आसान नहीं था. तभी छाया की दृष्टि हमारे बेड पर पड़ी. हमारे प्रेम रस और छाया के प्रथम संभोग से हुए रक्तश्राव से बिस्तर पर एक अद्भुत कलाकृति बन गई थी। राजकुमारी(कुवारी योनि) का रक्त स्पष्ट रूप से बिस्तर पर दिखाई पड़ रहा था. छाया ने रूम सर्विस को फोन कर दो बेडशीट लाने ने के लिए बोला। कुछ ही देर में हमारे बेड पर नई बेडशीट थी। परंतु बिस्तर पर हुए रक्तस्राव और प्रेम रस के मिश्रण ने गद्दे पर भी अपने अंश छोड़ दिए थे।
हमने अपने उत्तर तैयार कर लिए।
मैंने आखिरकार पुलिस को फोन कर दिया।