hotaks444
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नौकरी हो तो ऐसी--22
गतान्क से आगे…………………………………….
मैं उठ के दिवानखाने मे गया. सेठ जी उधर नही थे लगता है वह सो गये होंगे.
मैं उधर से निकला और सीडिया चढ़के पहली मज़िल पे आ गया.
जैसे ही मैं दूसरी मंज़िल की सीडिया चढ़ने जा रहा था मुझे कुछ हल्की सी आवाज़ सुनाई दी..
मैं नीचे उतर गया और एक कमरा जहाँ अक्सर कबाड़ रखा जाता है वहाँ देखा आवाज़ उधर से ही आ रही थी.. कबाड़ का कमरा और उसके बाजुवाला कमरा इन दोनो मे बहुत सारी जगह थी क्यू कि उधरसे हवेली की बाल्कनी मे जा सके….
मैं चुपकेसे कबाड़ के रूम की तरफ गया और जहाँ वो खाली जगह थी वहाँ खड़ा होगया…. आवाज़ अभी थोड़ी स्पस्ट आ रही थी पर कुछ समझ नही आ रहा था
मैने इधर उधर देखा कि अंदर कैसे देखा जाए… आवाज़ की गर्मी ने मेरे लंड को फिरसे खड़ा कर दिया… मैने उपर देखा …एक छोटिसी खिड़की बनी थी…पर वो बहुत ज़्यादा उपर थी… मैने आगे देखा ….मुझे उधर कुछ समान के बक्से दिखाई दिए….
मैं धीरे कदम डाल बक्से को उठा लाया और तीन चार बड़े बक्से एक के उपर एक रख दिए…
आरामसे हलकसे थोड़ी भी आवाज़ ना करते हुए मैं उपर चढ़ा और अंदर देखा…. अंदर अंधेरा बहुत था और समान भी भरा पड़ा था तो कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था.. थोड़ी देर बाद मैने वहाँ रखी बॅटरी की लाइट का पीछा किया और देखा तो अंदर कॉंट्रॅक्टर बाबू और नलिनी थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को पीछे से पकड़ा था उसे पीछे से घिस रहे थे…
इसका मतलब आज कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपना इरादा आज साधने का पूरा इन्तेजाम किया था… नलिनी की राव साब, वकील बाबू जो खुद उसके पिता है, पंडितजी ने पहली ठुकाई करी थी पर कॉंट्रॅक्टर बाबू को मौका नही मिला था….
कॉंट्रॅक्टर बाबू: “उस दिन तू गाड़ी मे बच गयी मेरी ठुकाई से… आज तो मैं तुझे कस के चोदुन्गा वो भी बार बार “
नलिनी कुछ नही बोल रही थी… और अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी… कॉंट्रॅक्टर बाबू उसे दबोच के उसकी गान्ड पे अपना लॉडा घिसे जा रहे थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसकी सलवार का नाडा खोल दीया और सलवार नीचे गिर गयी…. और अब उसकी चड्डी भी निकाल दी…
नलिनी सामने देख ही नही पा रही थी… और कॉंट्रॅक्टर बाबू उसके सामने आके उसे कस के पकड़े और मस्ती मे अपनी जीब उसके मूह मे घुसा का मस्त चुम्मि लेने लगे…
नलिनी के गोल मटोल चुचे दब रहे थे और और ज़्यादा घुमावदार दिख रहे थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी की हरी भरी काले बालो वाली चूत मे उंगली डाल दी और ज़ोर्से अंदर बाहर करने लगे …. नलिनी के मूह से आहह आहह निकलने लगी…..
अब कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पॅंट फटाक से नीचे कर दिया उसका लॉडा देख के नलिनी बोली
नलिनी: नही चाचा जी ये बहुत बड़ा है ….. बहुत बड़ा है इतना बड़ा अंदर जाएगा तो मुझे कल चलने को नही होगा चाचा
कॉंट्रॅक्टर बाबू: अरे मेरी प्यारी गुड़िया रानी ये तो कुछ नही है तेरे लिए…… तुझे मस्त रंडी बनाना है मुझे …..इसी तरह तुझे आदत लगेगी ना मेरी प्यारी खूबसूरत रंडी
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपने काले बड़े नाग के सूपदे की चमड़ी को पीछे खिचा ….. नलिनी को उसपे थूकने को कहा…
गतान्क से आगे…………………………………….
मैं उठ के दिवानखाने मे गया. सेठ जी उधर नही थे लगता है वह सो गये होंगे.
मैं उधर से निकला और सीडिया चढ़के पहली मज़िल पे आ गया.
जैसे ही मैं दूसरी मंज़िल की सीडिया चढ़ने जा रहा था मुझे कुछ हल्की सी आवाज़ सुनाई दी..
मैं नीचे उतर गया और एक कमरा जहाँ अक्सर कबाड़ रखा जाता है वहाँ देखा आवाज़ उधर से ही आ रही थी.. कबाड़ का कमरा और उसके बाजुवाला कमरा इन दोनो मे बहुत सारी जगह थी क्यू कि उधरसे हवेली की बाल्कनी मे जा सके….
मैं चुपकेसे कबाड़ के रूम की तरफ गया और जहाँ वो खाली जगह थी वहाँ खड़ा होगया…. आवाज़ अभी थोड़ी स्पस्ट आ रही थी पर कुछ समझ नही आ रहा था
मैने इधर उधर देखा कि अंदर कैसे देखा जाए… आवाज़ की गर्मी ने मेरे लंड को फिरसे खड़ा कर दिया… मैने उपर देखा …एक छोटिसी खिड़की बनी थी…पर वो बहुत ज़्यादा उपर थी… मैने आगे देखा ….मुझे उधर कुछ समान के बक्से दिखाई दिए….
मैं धीरे कदम डाल बक्से को उठा लाया और तीन चार बड़े बक्से एक के उपर एक रख दिए…
आरामसे हलकसे थोड़ी भी आवाज़ ना करते हुए मैं उपर चढ़ा और अंदर देखा…. अंदर अंधेरा बहुत था और समान भी भरा पड़ा था तो कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था.. थोड़ी देर बाद मैने वहाँ रखी बॅटरी की लाइट का पीछा किया और देखा तो अंदर कॉंट्रॅक्टर बाबू और नलिनी थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को पीछे से पकड़ा था उसे पीछे से घिस रहे थे…
इसका मतलब आज कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपना इरादा आज साधने का पूरा इन्तेजाम किया था… नलिनी की राव साब, वकील बाबू जो खुद उसके पिता है, पंडितजी ने पहली ठुकाई करी थी पर कॉंट्रॅक्टर बाबू को मौका नही मिला था….
कॉंट्रॅक्टर बाबू: “उस दिन तू गाड़ी मे बच गयी मेरी ठुकाई से… आज तो मैं तुझे कस के चोदुन्गा वो भी बार बार “
नलिनी कुछ नही बोल रही थी… और अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी… कॉंट्रॅक्टर बाबू उसे दबोच के उसकी गान्ड पे अपना लॉडा घिसे जा रहे थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसकी सलवार का नाडा खोल दीया और सलवार नीचे गिर गयी…. और अब उसकी चड्डी भी निकाल दी…
नलिनी सामने देख ही नही पा रही थी… और कॉंट्रॅक्टर बाबू उसके सामने आके उसे कस के पकड़े और मस्ती मे अपनी जीब उसके मूह मे घुसा का मस्त चुम्मि लेने लगे…
नलिनी के गोल मटोल चुचे दब रहे थे और और ज़्यादा घुमावदार दिख रहे थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी की हरी भरी काले बालो वाली चूत मे उंगली डाल दी और ज़ोर्से अंदर बाहर करने लगे …. नलिनी के मूह से आहह आहह निकलने लगी…..
अब कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पॅंट फटाक से नीचे कर दिया उसका लॉडा देख के नलिनी बोली
नलिनी: नही चाचा जी ये बहुत बड़ा है ….. बहुत बड़ा है इतना बड़ा अंदर जाएगा तो मुझे कल चलने को नही होगा चाचा
कॉंट्रॅक्टर बाबू: अरे मेरी प्यारी गुड़िया रानी ये तो कुछ नही है तेरे लिए…… तुझे मस्त रंडी बनाना है मुझे …..इसी तरह तुझे आदत लगेगी ना मेरी प्यारी खूबसूरत रंडी
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपने काले बड़े नाग के सूपदे की चमड़ी को पीछे खिचा ….. नलिनी को उसपे थूकने को कहा…