xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी - Page 7 - SexBaba
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xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी

नौकरी हो तो ऐसी--22

गतान्क से आगे…………………………………….

मैं उठ के दिवानखाने मे गया. सेठ जी उधर नही थे लगता है वह सो गये होंगे.

मैं उधर से निकला और सीडिया चढ़के पहली मज़िल पे आ गया.

जैसे ही मैं दूसरी मंज़िल की सीडिया चढ़ने जा रहा था मुझे कुछ हल्की सी आवाज़ सुनाई दी..

मैं नीचे उतर गया और एक कमरा जहाँ अक्सर कबाड़ रखा जाता है वहाँ देखा आवाज़ उधर से ही आ रही थी.. कबाड़ का कमरा और उसके बाजुवाला कमरा इन दोनो मे बहुत सारी जगह थी क्यू कि उधरसे हवेली की बाल्कनी मे जा सके….

मैं चुपकेसे कबाड़ के रूम की तरफ गया और जहाँ वो खाली जगह थी वहाँ खड़ा होगया…. आवाज़ अभी थोड़ी स्पस्ट आ रही थी पर कुछ समझ नही आ रहा था

मैने इधर उधर देखा कि अंदर कैसे देखा जाए… आवाज़ की गर्मी ने मेरे लंड को फिरसे खड़ा कर दिया… मैने उपर देखा …एक छोटिसी खिड़की बनी थी…पर वो बहुत ज़्यादा उपर थी… मैने आगे देखा ….मुझे उधर कुछ समान के बक्से दिखाई दिए….

मैं धीरे कदम डाल बक्से को उठा लाया और तीन चार बड़े बक्से एक के उपर एक रख दिए…

आरामसे हलकसे थोड़ी भी आवाज़ ना करते हुए मैं उपर चढ़ा और अंदर देखा…. अंदर अंधेरा बहुत था और समान भी भरा पड़ा था तो कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था.. थोड़ी देर बाद मैने वहाँ रखी बॅटरी की लाइट का पीछा किया और देखा तो अंदर कॉंट्रॅक्टर बाबू और नलिनी थे…

कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को पीछे से पकड़ा था उसे पीछे से घिस रहे थे…

इसका मतलब आज कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपना इरादा आज साधने का पूरा इन्तेजाम किया था… नलिनी की राव साब, वकील बाबू जो खुद उसके पिता है, पंडितजी ने पहली ठुकाई करी थी पर कॉंट्रॅक्टर बाबू को मौका नही मिला था….

कॉंट्रॅक्टर बाबू: “उस दिन तू गाड़ी मे बच गयी मेरी ठुकाई से… आज तो मैं तुझे कस के चोदुन्गा वो भी बार बार “

नलिनी कुछ नही बोल रही थी… और अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी… कॉंट्रॅक्टर बाबू उसे दबोच के उसकी गान्ड पे अपना लॉडा घिसे जा रहे थे…

कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसकी सलवार का नाडा खोल दीया और सलवार नीचे गिर गयी…. और अब उसकी चड्डी भी निकाल दी…

नलिनी सामने देख ही नही पा रही थी… और कॉंट्रॅक्टर बाबू उसके सामने आके उसे कस के पकड़े और मस्ती मे अपनी जीब उसके मूह मे घुसा का मस्त चुम्मि लेने लगे…

नलिनी के गोल मटोल चुचे दब रहे थे और और ज़्यादा घुमावदार दिख रहे थे…

कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी की हरी भरी काले बालो वाली चूत मे उंगली डाल दी और ज़ोर्से अंदर बाहर करने लगे …. नलिनी के मूह से आहह आहह निकलने लगी…..

अब कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पॅंट फटाक से नीचे कर दिया उसका लॉडा देख के नलिनी बोली

नलिनी: नही चाचा जी ये बहुत बड़ा है ….. बहुत बड़ा है इतना बड़ा अंदर जाएगा तो मुझे कल चलने को नही होगा चाचा

कॉंट्रॅक्टर बाबू: अरे मेरी प्यारी गुड़िया रानी ये तो कुछ नही है तेरे लिए…… तुझे मस्त रंडी बनाना है मुझे …..इसी तरह तुझे आदत लगेगी ना मेरी प्यारी खूबसूरत रंडी

कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपने काले बड़े नाग के सूपदे की चमड़ी को पीछे खिचा ….. नलिनी को उसपे थूकने को कहा…
 
लंड अब मस्त चिकने और खूटे की तरह और मोटा बनके फूल गया…

कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को अपने तरफ खिचा और खड़े खड़े ही उसकी बुर के छेद को ढूँढ लिया

गुलाबी बुर के छेद पे लंड सटा कर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने एक बड़ा झटका मारा… लंड आधे से अधिक अंदर चला गया…. नलिनी की उूुुुउउइईईईईई माआआआआआआअ……. करके आवाज़ निकल गयी … अब कॉंट्रॅक्टर बाबू ने ज़ोर ज़ोर से झटके मारना शुरू किया.

नलिनी के बड़े बड़े मस्त दूध दबाते दबाते उसे बोला रंडी तेरी मैं हर दिन लूँगा. गाली पे गाली देने लगा… नलिनी आगे पीछे हो रही थी फटाफट ….. कॉंट्रॅक्टर बाबू के धक्को की गति बहुत तेज़ थी…. लंड पूरा अंदर चला गया और अब नलिनी की ज़ोर्से आवाज़ निकलने लगी…. अगर कोई पहली मज़िल पे आ जाए तो उसे आराम से पता चले पर वक़्त बहुत ज़्यादा हुआ था इसलिए सब सोए थे…. जहाँ तक मुझे लग रहा था...

धक्को की गति तेज़ होने से कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पिचकारी 10 मिनिट मे नलिनी की बुर के काफ़ी अंदर तक छोड़ दी… लंड बाहर निकाला तो वो सफेद पानी से चमक रहा था....

कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को घुटनो के बैठने को खिचा और उसके मूह मे वीर्य से भरा लंड घुसा दिया….

थोड़ी ही देर मे लंड फिर से अपनी पुरानी हालत मे आ गया

अब कॉंट्रॅक्टर बाबू बोले अब मैं तेरी गांद मारूँगा हाहहहः

नैलिनी: नही नही चाचा ….. नही उधर नही …. मुझ कल चलनेको नही होगा चाचा जी … बहुत दर्द होगा….

कॉंट्रॅक्टर बाबू ने कुछ नही सुना…. उन्होने नलिनी को घुमा के कुत्ति बन दिया…. और पीछेसे उसपे चढ़ गये….. उसकी गांद का छेद तो बहुत ही छोटा लग रहा था…. जाहिर है उसकी इसके पहले उधर किसीने नही ली होगी

कॉंट्रॅक्टर बाबू ने बहुत सारी थूक निकाली और नलिनी की गांद पे रगड़ दी… और अपना काला सूपड़ा उसकी गांद के छेद पे रख दिया…

और उसे अच्छे दबोच के लंड को अंदर घुसाया पर वो जा नही पाया … इतना बड़ा सुपाड़ा …. कॉंट्रॅक्टर बाबू ने और थूक लगाई और इस बार लंड को हाथ मे लेके छेद पे लगाया और पूरा दबाब डाल के अंदर घुसा दिया …..पचक ..पच….पुक करके आवाज़ आई….नलिने तो अपने हाथ पाव और पूरा बदन हिलाने लगी…

सुपाड़ा गांद के अंदर घुस गया… नलिनी बहुत ज़्यादा हिलने और अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने कुछ सोचे बिना फटाक से एक ज़ोर का झटका मारा और आधा लंड अंदर…. नलिनी नीचे गिर गयी उसने आपने आप को फर्श पर लिटा दिया…. ये उसकी सहन के बाहर था ….. इधर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अभी गति बढ़ा दी और ज़ोर्से झटके मारने लगे…. थोड़ी ही देर मे पूरा लंड नलिनी की कोमल गोरी गांद के अंदर समा गया और पचाककक पकच आवाज़ो से पूरा कमरा भर गया…. नलिनी के होश ही ठिकाने नही थे….. उसे कुछ भी समज़ नही रहा था कैसे करके भी वो अपने मूह से आवाज़ नही निकलने दे रही थी….. जाहिर सी बात थी कि उसे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था….

इस बार धक्के रुक नही रहे थे…..

कॉंट्रॅक्टर बाबू: वाह मेरी रंडी क्या गांद है तेरी…. खुदा कसम ऐसा लग रहा है इसे रात दिन मारता रहू

15 मिनिट बाद कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी की गांद मे अपना वीर्य छोड़ दिया

थोड़ी ही देर मे कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पॅंट पहेन ली और दरवाजा खोल के अपने कमरे की तरफ चल पड़े…

नलिनी अभी भी वहीं पड़ी थी…. गांद से अभी भी खून निकल रहा था…गांद के छेद मे पूरा सफेद वीर्य रस और खून लगा था ….. उठने को भी नही हो रहा था…. कॉंट्रॅक्टर बाबू के लंड ने उसकी बहुत बुरी हालत कर दी थी….

जैसे तैसे वो बाजू मे पड़े समान को पकड़ के खड़ी हुई उसने फिर धीरे धीरे अपनी चड्डी और पॅंट पहेन ली और लंगड़ाते हुए अपने कमरे मे चली गयी…

दोनो के चले जाने के बाद मे धीरे से नीचे उतरा और जाके सो गया.

सबेरे उठ के तैय्यार होके नाश्ता पानी किया.

दीवानखाने मे सेठ जी बैठे थे मुझे देखकर बोले.

मुझे बोले तुम्हे आज गाव के स्कूल मे जाना होगा. दो तीन शिक्षक है जिन्होने मेरे पास से कुछ उधारी ली है… जाके देखो और उनको कहो कि आज के आज पैसा चाहिए नही तो हमे कुछ नया तरीका अपनाना पड़ेगा….
 
जिन शिक्षको को सेठ जी ने पैसे दिए थे वो असल मे सेठ जी के छोटे बेटे मास्टर जी के ही जान पहचान के थे…. इलाक़े मे इतना आमीर कोई था नही जो जब चाहे पैसे दे तो उन लोगो ने सेठ जी से पैसे लिए थे….. जिसका बोझ अभी बहुत भारी हो गया

मैने कहा : ठीक है सेठ जी मैं जाता हू….

सेठ जी: अच्छे डराना धमकाना…. तुम अभी इस घर के एक सदस्य हो…. वो काम होने के बाद सीधा गोदाम मे आ जाना ….कुछ नया माल आया है वो गाव की मार्केट मे व्यापारियोको बेचा है …और उसके हिसाब की लिखावट के लिए मुझे तुम्हारी ज़रूरत पड़ेगी

मैने हाँ बोल दिया और निकल पड़ा

मैं जीप मे बैठा और ड्राइवर ने जीप स्कूल की ओर बढ़ा दी

थोड़ी ही देर मे हम स्कूल पहुच गये… स्कूल 12थ कक्षा तक था

हम स्कूल के अंदर आए और मैने एक चपरासी से तीन शिक्षको के बारे मे पूछा तो उसने कहा अभी 5 मिनिट मे इंटर्वल हो जाएगा आप अंदर विशेष शिक्षक कक्षा मे बैठ जाइए… मैने उन्हे यही भेज देता हू.

मुझे मिलनेवाले आदर सत्कार ये पता चल रहा था कि सेठ जी को यहाँ बहुत माना जाता है और उनसे डरते भी है.

शिक्षक कक्षमे मैं अंदर आके बैठ गया और जैसे ही बैठा मैने सामने देखा एक मस्त माल बैठी थी…. सारी और स्लीवेलेस्स ब्लौज मे एकदम फाडु लग रही थी….मस्त सुडौल उँचाई और भरा ताज़ा शरीर…लाल लाल होठ ….कमर तक लंबे खुले बाल… और वो बड़ी गांद का घेराव… मुझे देख के उसने नमस्ते किया और मैने भी नमस्ते किया और वो किताब मे घुस गयी..

मैं मेज पे पड़े पेपर को पढ़ने मे ध्यान देने की कोशिश करने लगा पर मेरा ध्यान उसके गतीले शरीर और गोरे मांसल हाथो पे जा रहा था…. मैने देखा कि उसके दूध बड़े बड़े नही है हाँ पर संतरे की तरह है एकदम कड़क…. जिसकी वजह से सारी भी उनका आकर जो गोल गोल और कड़क था छुपा नही पा रही थी….

मैने हिम्मत करके पूछा “आपका नाम ??”

वो बोली “मैं मालिनी…. यहाँ जो टीचर हैं ना मिस्टर वोहरा…आप जानते होंगे… उनकी पत्नी”

मैने कहा : मैं यहाँ अभी नया हू पर चलो कोई बात नही अभी आया हू तो मिल ही लूँगा

मालिनी हसी और फिरसे किताब मे मूह डाल के पढ़ने लगी

मालिनी को देख के मेरा मन उसके पास जानेको करने लगा

मैं बोला "क्या आप ट्यूशन लेते हो "

मालिनी बोली "नही अभी तक तो नही...."

मालिनी पीठ को सीधे करते हुए पीछे पीठ लगा के चेर से टिक गयी, उसके उत्त्तेजक दूध और कड़क, बड़े एवं गोलाकार दिखने लगे.... लग रहा था जैसे दो ज़्यादा पके बड़े संतरे मेरे सामने रखे हो ...जिनके छिलके मैं निकाल के उनका रास्पान नही कर सकता…क्या मस्त दूध थे मंन कर रहा था कि जाके कस्के पकड़ लू और मूह से मस्त चूस लू...मेरे लंड राजा सलामी पे सलामी दे रहे थे....

मैने थोड़ा सोच के बोला "आप ट्यूशन लेना चाहोगी क्या ...."

मालिनी बोली "मेरे पति अगर हां कह दे तो ले सकती हू"

मैं बोला "सोचो उन्होने हां कह दिया ...."

अपने बालो को पीछे करते हुए, मालिनी ने बोला "ऐसे कैसे तुम्हे जानते नही, पहचानते नही वो हां कह देंगे...

और वैसे तुम्हे किस सब्जेक्ट का ट्यूशन चाहिए...."

मैं बोला "मुझे इंग्लीश का ट्यूशन चाहिए ...बचपन से मेरी इंग्लीश ठीक नही रही"

मालिनी बोली"वो अच्छा ये बात है... पर तुम रहते कहाँ हो..."

मैं "हवेली मे ....सेठ जी के यहाँ"
 
मलिने के आँखे बड़ी हो गयी वो बोली "क्या सेठ जी के मेहमान हो तुम..... अरे सेठ जी को नही कौन बोल सकता है ...

मैं तुम्हे ज़रूर इंग्लीश सिखाउंगी..... बोलो कब्से सीखनी है तुम्हे...."

मैं बोला "कल से ......"

मालिनी बोली "ठीक है पर ट्यूशन कहाँ लेंगे तुम्हारी हम लोग....."

मैं बोला "आपके घर....."

मालिनी बोली "ठीक है कल स्कूल के बाद याने 3 बजे के बाद कभी भी आ जाओ तुम मेरे घर ....मैं यहाँ पास मे ही रहती हू "

मैं बोला "अच्छा ठीक ठीक...."

मालिनी बोली "चलो मैं निकलती हू अभी…. मिलते है " और वो निकल गयी....जाते समय उसके घेरावदर मस्त सारी मे क़ैद चुतताड पीछेसे मटकने लगे, मैने तो ठान लिया मालिनी तुझे मैं मस्त फ़ुर्सत से चोदुन्गा......

और उतने मे वो चपरासी वो तीन शिक्षक गन को लेके आया

वो लोग बोले "नमस्ते "

मैने चिल्लाके कहा "नमस्ते वमस्ते छोड़ो मादरचोदो, सेठ जी के पैसे कब लौटा रहे हो वो बोलो"

तीनो खड़क से नींद से जाग से गये. मेरी आवाज़ से वो दंग रह गये

उनमे से एक बोला "कुछ दिन और देदो बाबू जी.... फिर दे देते है "

मैने कहा "और कितने दिन"

दूसरा बोला "2 महीने..."

मैं बोला "क्यू 2 महीने मे कोई चोरी करनेवाले हो क्या तुम लोग ...जो इतना सारा पैसे वापस करोगे...."

और एक बोला “अरे बाबूजी आप तो बड़े हो… हम 2 महीने मे पैसे दे देंगे … भरोसा रखिए… ये देखो प्रिन्सिपल सर भी हमारे ही साथ तो है…”

ओह तेरी….. मतलब स्कूल के प्रिन्सिपल पे भी सेठ जी का कर्ज़ा था… और इन तीनोमे एक प्रिन्सिपल भी था…

मैने तब भी डांटा और बोला “डंडे पड़ेंगे तो काहे के प्रिन्सिपल और काहे के हेड मास्टर… मुझे बस पैसा चाहिए…”

उनमे से एक बोला “अरे तनिक ठंडक रखिए …. आप सेठ जी को मना लीजिए इस बार कैसे भी करके…सेठ जी के दिमाग़ को इस बार ठंडा कर दीजिए …बदले मे हम आपका दिमाग़ ठंडा कर देते है..”

उनमे से जो प्रिन्सिपल था वो बोला “आज श्याम 5 बजे मेरे घरपे आपके लिए हम लोग पार्टी आयोजित करने की सोच रहे है …कृपया आमंत्रण स्वीकार करे…”

मैं बोला “कैसी पार्टी…”

क्रमशः………………………..
 
नौकरी हो तो ऐसी--23


गतान्क से आगे…………………………………….

प्रिन्सिपल बोला “अरे आप 5 बजे आ जाइए बस ….. पार्टी मे आओगे तो मज़ा आ जाएगा … और दिमाग़ ठंडा भी हो जाएगा आपका….”

मैं सोचने लगा काहे का पार्टी साला……
थोड़ी देर बैठ के मैं गोदाम की तरफ चल निकला, गाड़ी गोदाम के सामने रुकी मैं अंदर गया…

सेठ जी बोला : अरे अच्छे टाइम पे आए हो चलो हम खाना खा लेते है

मैं: ठीक है सेठ जी

फिर हम लोगो ने खाना खा लिया… और नये माल का हिसाब किताब करने बैठ गये… सेठ जी मुझे आकड़े बताते और मैं अपनी आक्काउंटकी यूज़ करके माल और सूद और बहुत सारी चीज़ो का जुगाड़ लगाके माल किस्थ की रेगिस्टेर्स मे उनकी लिखभरी कर देता…

होले होले सेठ जी का मेरे पे भरोसा बैठ रहा था… वो अक्सर मेरी कही बातो को अच्छे से ध्यान से सुनते किधर कितना बचेगा ये और अनेक…. मेरा तेज़ दिमाग़ देख के वो खुश हो जाते…

3-3.30 बजे सेठ जी हवेली चले गये… मैने थोड़ा बहुत जो भी काम बाकी था वो किया और मैने ड्राइवर को बोल दिया कि भाई तुम मुझे स्कूल की तरफ छोड़ दो हवेली चले जाओ…

ड्राइवर ने मुझे स्कूल के पास छोड़ दिया और निकल गया. मैने 2-3 छोटे बच्चे खेल रहे थे उनसे पूछा प्रिन्सिपल सर किधर रहते है…

एक बच्चे ने बोला यहाँ से सीधे चले जाओ एक 2 मंज़िल वाला घर दिखाई देगा वो उनका ही है

मैं चलता गया… चले ही जा रहा था… आख़िर मे वो मकान आ गया… मैने बेल बजाई

अंदर से दरवाजा खुला और आवाज़ आई “अरे आइए आइए बाबू आइए…” अंदर तीनो भी मौजूद थे…

मैं कुछ ज़्यादा बोला नही पर एक बार कह दिया “पैसे का क्या है हरामजादो..”
प्रिन्सिपल सर बोले “अरे आप ज़रा तनिक थोडिसी शान्ती रखिए…..आप के लिए हम क्या चाहते है और आप है कि सुनते ही नही…. ”

मैं थोड़ा सा शांत हो गया….

फिर उन्होने ने 2-3 बियर और विस्की की बॉटल्स निकाली और मुझे एक पेग देना लगे मैं बोला “नही मुझे नही चाहिए”

तो वो सब दंग रह गये और मुझे देख के बोले “क्या बात कर रहे हो तुम पीते नही…. जहाँ तक हम जानते है सेठ जी के यहाँ तो सब पीते है”

मैने कुछ सोचा और बोला “पर मैं नही पीता…” फिर भी उन्होने मेरे हाथ मे कोल्डद्रिंक्स थमा ही दी…

मैं वैसे ही बैठा रहा ये तीन कामीने पेग पे पेग चढ़ाए जा रहे थे….
लगभग एक दो घंटे बाद सब बोले चलो हम उपर छत पर चलते है…वहाँ ठंडी हवा आएगी ..

मैं आगे और वो पीछे… कैसे तैसे साले उपर पहुचे उपर 2-3 चार पाई और उसपे बेड लगाके रखे थे…

मेरे कुछ समझ मे नही आया
 
फिर 2 जने एक चार पाई पे बैठ गये और प्रिन्सिपल मेरे पास बीच मे थोड़ी

जगह छोड़ के बैठ गये…

मैं बोला “सालो ये क्या लगाए रखा है …कमीनो पैसो का बोलो नही तो…”
प्रिन्सिपल बोले “अरे हम आपको ऐसे चीज़ चखाने वाले है कि आप सब कुछ भूल जाओगे बाबूजी….” मैं एक नौकर होके भी सेठ जी का नौकर इसलिए मुझे प्रिन्सिपल भी बड़े आदर सम्मान से बाबूजी कह रहा था

वो आगे बोला “पर इस चीज़ के बदले आपको हमे 1 महीने की मुहल्लत देनी होगी…”
मैं अभी भी चार पाई पे ही बैठा था

उतने मे दूसरा शिक्षक बोला "चीज़ नही प्रिंसिपलजी चीज़े बोलो...."

प्रिन्सिपल : अरे हां मैं तो भूल ही गया... चीज़ें एक नही दो दो.. पर हां
ये आप पे निर्भर है कि आपको पहली चीज़ चाहिए कि दूसरी....

मैं : भोसड़ीवालो, मदर्चोदो पहले दिखाओ तो सही कौनसी चीज़े है तुम्हारे पास

प्रिन्सिपल: जाओ ज़रा नीचेसे ले आओ अपनी चीज़े दिखा ही देते है बाबूजी को

मुझे शक हो रहा था साले लोग कहीसे रंडिया तो पकड़ के नही लाए है मुझे खुश करने के लिए पर जब मैने सामने देखा, दो कमसिन, कूट कूट के भरी जवानी और भरा बदन, एकदम गरम माल मेरे सामने आ रही थी...

वो दोनो हमारे सामने खड़ी हो गयी और वो शिक्षक फिरसे चार पाई पे बैठ गया

2 मस्त माल हमारे साथ खड़ी थी... दोनो मस्त नटखट सी मुस्कुरा रही थी.... उनकी गांद का घेराव सामने से देख के भी मेरे लंड राजा पागल हो गये, जब उन्हे छुएँगे तो पता नही क्या होता... दोनो लाल रंग की कामोत्तेजक कमीज़ पहनी हुई, नीचे बस छोटी सी
चड्डी, जो घुटनो तक भी नही पहुच रही थी.... गोरी और मस्त मोटी मोटी जंघे दिमाग़ मे हलचल मचाने लगी...

दोनो के दूध जैसे पेड़ पे लगे हुए आम की तरह दिख रहे थे एकदम नोकिले आकार बनाए हुए कमीज़ से सीधे मेरे तरफ निशाना साध रहे थे....

तब भी मैं बोला : मैं रंडियो को नही चोद्ता सालो...

उतने मे एक शिक्षक ने उंगली दिखाते हुए बोला : अरे रंडिया नही ये प्रिन्सिपल की बड़ी बेटी और ये छोटी बेटी है...

मैं सुनके दंग रह गया.... साला मतलब ये भी बहुत बड़ा कमीना है......

उतने मे वो शिक्षक खड़ा हुआ और प्रिन्सिपल की बड़ी बेटी के गांद पे हाथ फेरते हुए बोला : “ये देखो ये है बड़ी बेटी...रचना. मस्त माल है एकदम...
हम सब ने इसको बहुत चूसा और चोदा है...अब तक बहुतो का ले चुकी है
हमारे आशीर्वाद से... बहुत मेहनती और गरम माल है....रचना…. एक बार चोदोगे तो दूसरे दिन चोदे बिना रह नही पाओगे..... “

वो कमीना रचना के मस्त मस्त दूध को दबाते दबाते मस्त बात कर रहा था – “देखो अभी तुम्हे सेठ जी ने भेजा है पैसा निकलवाने के लिए पर पैसा हमारे पास तो है नही..... अभी बात ऐसी है कि हम सेठ जी को ये माल दिखा नही सकते... “
दिखाया तो उलटे हमे ही कोडें पड़ेंगे.... अभी आप ही देखिए कुछ हो सके तो... बस आपके हाथ मे है सब कुछ....इसको आज रात चोदो
और हमे एक महीने की मुहल्लत दिलवा दो सेठ जी से...

मैं सोचने लगा साले कामीने, बहेन और बेटी चोद है..... कामीनो ने कमज़ोरी पे ही हाथ मारा है

मैं बोला "ठीक है मैं कर लूँगा एक महीने का...."

उतने मे प्रिन्सिपल बोला "हम आपको इतना अच्छा तो नही जानते कि सेठ जी आपके कितने करीब है और नही .... पर इससे अच्छा एक सुज़ाव है अगर आप चाहे तो ....."

मैं बोला "क्या ...अपनी मा चोद रहा है??? बोल चुतिये....."

प्रिन्सिपल अपनी छोटी बेटी के पास गया वो मस्त नटखट हस रही थी... और होंठो को एक दूसरे पे फेर के वातावरण को गरमागरम बना रही थी

उसको पीछे से जाके उसने मस्त कस्के पकड़ के बोला : “ये मेरी छोटी बेटी है..रीना... हर दिन रात मेरा मूह मे लेके चुसती है.... चुदने के लिए पूरी तैय्यार है ....देखो कैसे नखरे दिखा रही है .. ये अभी तक बुर से कुँवारी है.... कुँवारी समझते हो ना
अभी तक इसने अपनी बुर मे किसी का नही लिया है अगर तुम चाहो तो.... “
 
मैं पूरा गरम हो गया..... क्या दिख रही थी ...रीना.साली ...इसके लिए तो बड़े बड़े व्यापारी अपनी पूरी जायदाद बेच दे

मैं बोला "हां बोल मदर्चोद..... मैं चाहू तो क्या ..."

प्रिन्सिपल: "अगर तुम चाहो तो इसकी कुँवारी चूत को अपने लंड राजा से विवाहित बना सकते हो... पर हां उसकी कीमत आप चुका नही पाओगे..."

मैं बोला "बोल साले बोल "

प्रिन्सिपल : "ताइजी तो पता ही होगी तुम्हे..सेठ जी की अकेली बेटी... हवेली की और इस गाव की सबसे मादक, कमसिन और गरम चीज़..... "

मैं बोला : "हां पता है उससे क्या..."

प्रिन्सिपल: "उसे हम एक बार चोद्ना चाहते है..... बाकी के दोनो मूह हिलने और खुशी से मूडी हिलाने लगे....."

मैं बोला: "सालो पकड़े गये तो लंड काट दिए जाएँगे तुम लोगो के...."

प्रिन्सिपल : मैं तुम्हे मेरे अनमोल रतन दे रहा हू…जितना चाहे चोदो.....और उसमे रीना की अनच्छुई चूत..... जिस के लिए कोई भी कुछ देने के लिए तैय्यार हो...
उसके बदले ताइजी तो बनती ही है....और दूसरी चीज़ हमे सेठ जी 6 महीने तक पैसे नही माँगेगे.

मैं सोचने लगा 6 महीने का तो मैं संभाल लूँगा पर सालो को ताइजी को चोदने का इतना क्या चढ़ा है... पर बात भी सही थी.... ताइजी थी ही ऐसी ...एक बार कोई देख ले तो वो चुतताड और वो चुचिया कोई पूरा जनम नही भूल सकता.... बुड्ढे का भी तन के खड़ा हो जाता ताइजी के सामने

मैं बोला "ठीक है........मुझे मंजूर है....पर मेरी एक शर्त है ...इन दोनो को मैं जब मन चाहे कभी भी, कही भी चोद सकता हू... मैं चोदु कोई और चोदे..... तुम्हे कोई मुसीबत नही होनी चाहिए...."

प्रिन्सिपल: हां अगर तुम ताइजी को हमसे चुदवाने का वादा करते हो तो तुम जैसा चाहो वैसा ही होगा जनाब

मैं "ठीक है ..... पर अगर पकड़े गये ना सालो तो कभी ग़लती से भी मेरा नाम मत लेना .... नही तो तुम लोगो के साथ मैं भी ज़िंदा नही बचूँगा..."

प्रिन्सिपल “आप उसकी चिंता छोड़ दो बाबूजी वो हम देख लेंगे .... हम भी आजकल के नये खिलाड़ी थोड़िना है...बहुत पुराने है..... “

इतने मे प्रिन्सिपल रचना और रीना मेरे तरफ आए और मेरे बाजू बैठ गये.
मैं बीच मे एक तरफ बड़ी और एक तरफ रीना और रचना के बाजू मे प्रिन्सिपल, मैने रचना की मस्त गांद पे हाथ फेरना शुरू किया... वाह क्या चुतताड थे.. एकदम मादक और पूरे रसीले... बस दबाते रहो.... उतने मे रीना ने मेरा शर्ट निकाल दिया...
बाजू मे बैठे प्रिन्सिपल ने भी हमारी मदद करनी सोची उसने अपनी बेटी की कामीज़ और चड्डी निकालना शुरू किया और अगले ही पल वहाँ मैं , बड़ी बेटी और छोटी बेटी...तीनो नंगे हो गये....

प्रिन्सिपल के साथ वाले 2 शिक्षक भी गरम होने लगे और उन्होने रचना के मस्त दूध को दबाना शुरू किया

मैने अपना मोर्चा रीना की तरफ किया.... वाह आग ही आग थी ..... उसके मस्त आम के जैसे मांसल दूध मैने अपने हाथो मे पकड़े के मस्त दबाना शुरू किया उसके मूह से आह निकलने लगी....

मैने उसके मूह मे अपने मूह डाल और उसकी जीब और होटो को मस्त चूसने लगा ....
वो गुलाबी होठ मुझे यकीन दिला रहे थे ... कि इसकी बुर इससे भी ज़्यादा गुलाबी होगी और जब मैं पहली बार इसकी बुर मे जब पहली बार अपना बड़ा लंड घुसाउँगा तो क्या मज़ा आएगा ....वाह वाह ...सोचके ही दिमाग़ का हाल बहाल होने लगा

मैने अभी उसके चूत को हल्के हल्के सहलाना शुरू किया और उसकी गोरी जाँघो को मस्त दबाने लगा..... बहुत ही ज़्यादा मज़ा आने लगा था...
कुँवारी बुर को चोदने का मज़ा लेने का ये मेरा पहला टाइम था.....

उधर प्रिन्सिपल और 2 शिक्षको ने रचना को मस्त चोद्ना शुरू कर दिया.... प्रिन्सिपल ने मस्त उसकी बुर मे लंड घुसेड दिया और रचना की चुदाई शुरू कर दी. एक ने शराब की बॉटल उठाई और उसके मूह मे लगा दी... रचना ने भी मस्त गटक गटक कर आधी बॉटल पी ली..
वो शराब की बॉटल लिए वो मेरे पास आया और उसने रीना जो मेरी गोद मे बैठ के मस्त मज़े ले रही थी उसके मूह मे घुसेड दिया... उसने भी मस्त गटक गटक करके बची आधी बॉटल पी ली ...और क्या बात शराब की बूंदे जब उसकी चुचियो पे गिरी...वाह वाह क्या नज़ारा था..... वो दूध और ज़यादा मादक और उत्तेजक दिखने लगे... मैने दोनो निपल को पकड़ा और मस्त चूसना शुरू किया.... वो पागल होये जा रही थी.....
 
मैं अभी उसकी चूत फाड़ने के लिए पूरा पागल हो गया..... मैने उसको उठाया और चार पाई के कोने पे बिठाया और उसके सामने खड़ा होके अपने लंड का निशाना उसकी चूत मे लगाना शुरू किया.

उतने मे एक शिक्षक बोला "अरे बाबूजी ज़रा तेल बेल...मक्खन वॉखान लगाओ...... नहितो अंदर नही जाएगा ..... बड़ी कठिनाई होगी आपको और रीना को भी…पहली बार है ना…हहहहा"

उधर सालो ने पूरी तैय्यारि कर रखी थी.... मैने उधर पड़ी एक तेल की शीशी को उठाया और अपने लंड को मस्त तेल से लथपथ कर दिया ... अभी मैने उसकी टांगे फैलाई.... मा कसम क्या चीज़ थी.... उसकी बुर पानी छोड़ रही थी..... उसके वो लाल लाल दाने और भी ज़्यादा लाल होये जा रहे थे…
मैने उसकी बुर पे मस्त थूक लगाई, उसके चुतताड़ो को सहालाया, शराब पीने से रचना और रीना दोनो और कमसिन और हसीन अदाकरा जैसे दिख रही थी.... दोनो के चेहरे पे हमे चोदो वाले भाव सॉफ सॉफ दिख रहे थे..... और एक उंगली को बुर के छेद के अंदर घुसा ही रहा था कि उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली "उंगली नही..... दर्द होता है... "

मैं - "हां दर्द तो होना ही है..... थोड़ा धीरज रख...." और मैने उसके चुतताड पे एक मस्त थप्पड़ मार दिया उसका चुतताड एकदम लाल हो गया

मैने तेल की शीशी से और तेल निकाला, और उसकी बुर की फांको पर लगा दिया.... मेरा हाथ लगते ही उसकी बुर और भी ज़्यादा लाल लाल हो रही थी, और बुर की फांके और बड़ी बड़ी हुई जा रही थी ..... तेल लगाने से बुर मस्त चमक ने लगी और उसका रंग और गहरा लाल हो गया और बीच मे वो छेद .... मा कसम ..... दिमाग़ पूरा पागल हुए जा रहा था उस छेद को देख के....

मैने मेरे लंड राजा को उसकी बुर के छेद के बराबर बीचोबीच रखा... वो थोड़ी पीछे सर्की.
मैं - "अरे डरो नही मैं हल्के हल्के करूँगा...." मैने बात करते करते उसके आम जैसे दूध को चूसना शुरू किया....

रीना- "मुझे बहुत ही डर लग रहा है.... मैं पापा से ही इसको खुलवाना चाहती थी पर उन्होने मेरी नही मानी...."

मैं - "मेरे से खुलावाले ....तेरे पापा से ज़्यादा मज़ा आएगा तुझे ...."

और ये कह के मैने धीरे से सूपदे को उसकी बुर के छेद के अंदर हल्के से घुसेड दिया... वो कराही.... थोडिसी चिल्लाई.....

उतने मे सब उधर आ गये..... रचना का अंग शराब पीने से और ज़्यादा चुदवाने के लिए बेकरार लग रहा था.... उसके बड़े बड़े नंगे दूध को देख के मेरा मंन अब और उत्तेजित हो गया... रचना की बड़ी गांद का घेराव मुझे आंतरण दे रहा था और मुझे कब इसको चोद्के उसकी मारू इसीमे दौड़े जा रहा था .. मैने अब थोड़ा आयेज पीछे जगह बनाया, रीना के चुतताड़ो को अपने हाथो मे दबाया और ज़ोर्से एक धाक्का मार दिया...
मेरा लंड 4 इंच तक अंदर चला गया......

""ईईई.....उईईईईईईईईईईईईईइमाआआअ" रीना के मूह से आवाज़ निकले जा रही थी.... 4 इंच लंड उसको सहा नही जा रहा था.
उसक बाप प्रिन्सिपल उसके दूध सहलाते हुए "बस बेटी हो गया..... अब थोड़ा ही है ..... हो गया " कह के उसे सहारा दे रहा था...
उसकी हालत पतली हो गयी थी .....मेरा मोटा और लंबा लंड उसे ज़रा ज़्यादा ही भारी पड़ गया.... पर वाह मज़ा आ गया था अभी तक मेरा पूरा
लंड अंदर गया भी नही था ...और वाह क्या चिकनाई थी....और अकड़ थी उस बुर मे ...वाआह वाह...
ऐसे लग रहा था कि इसकी बुर से कभी बाहर लंड ही नही निकालु...

क्रमशः………………………..
 
नौकरी हो तो ऐसी--24

गतान्क से आगे…………………………………….

मैने अभी खुद को नही रोका और धीरे धीरे आगे बढ़ता चला गया और लंड को अंदर तक डालता गया .....

मैं अभी रीना से पूरा चिपक गया और अपनी गांद को नीचे करके मस्त जोरदार झटका मारा "उईईईई माआ मर गयी..." कहके वो चिल्लाने लगी और आसू भी निकल गये पर मैं रुका नही क्यू कि ये रुकने का वक़्त नही था मैने अपनी गति बढ़ा दी

और जोरदार धक्को से चढ़ाई करने लगा ...रीना का दर्द अभी थोड़ा थोड़ा कम होने लगा था ..... और वो मेरी कमर पर हाथ रख के मुझे अपनी तरफ खिचने लगी थी....

मेरे लंड और उसकी बुर के बीच मे पूरा खून लगा था और हम दोनो की सगम की जगह पे पूरा लाल लाल रंग दिख रहा था....

10 मिनिट हो चुके थे.....मैने खचाखच 10 -12 झटके मारे और अब मैं खुद को रोक नही पाया और मैने अपना रस उसकी बुर मे अंदर तक छोड़ दिया...मेरा पूरा पानी चूत मे निकलते ही... मैने लंड बाहर निकाला ....मेरा लंड पूरा सफेद पानी और लाल रंग से भरा हुआ था.....

सब मुझे बस देखे जा रहे थे ... नीचे रीना मेरी ही तरफ देखे जा रही थी ...उतने मे प्रिन्सिपल बोला "अरे तुम तो लंबे रेस के घोड़े लगते हो"

"रीना तो एक मिनिट मे हमारा पानी बस लंड चुस्के निकाल देती है... तुम उसके सामने बहुत देर तक टिके थे .... मानना पड़ेगा तुम्हे बाबूजी"

मैं चार पाई पे सर उपर करके लेट गया और उतने मे रचना आई और उसने मेरा लंड चूसना शुरू किया ...मा कसम क्या होठ थे उसके ... जैसे संतरे की फाक हो..... एकदम कोमल और नरम .......चूस चुस्के उसने मेरा लंड पूरा सॉफ कर दिया ...... इस क्रिया मे मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और वो पूरी तरह सीधे सीधे होते हुए फिर चुदाई के लिए तैय्यर होगया

मैने रचना की गांद को अपने तरफ खिचा वो मेरे उपर गिर पड़ी, उसके होटो को मैने अपने होटो के बीच मे दिया और मस्त चूसा...

प्रिन्सिपल की बेटी मतलब पृथ्वी पे रहनेवाली इंद्रासभा की अप्सराए थी... और उनको भोगनेका सुख मुझे बस सेठ जी के कारण सेठ जी के नाम पे मिल रहा था ...वाह क्या बात है सेठ जी मान गये.....

मैने हल्के हल्के उसके होटो को मस्त चूसा, उसके मूह के अंदर जीब डाल के उसकी थूक मे अपनी थूक मिला दी.. उसके मूह से शराब की पूरी सुगंध आ रही थी.... अभी लड़की के मूह शराब की सुगंध आए... या गुलाब की... वो तो मस्त ही लगेगी ..... नीचे मैं उसके मस्त दूध को दबाते जा रहा था.....

रचना उतने मे बोली "बाबूजी आपका हथियार तो नंबर एक के रेस का घोड़ा है ...थोड़ा मुझे भी इसका मज़ा चखाओ ना...."

मैं - "अरे ज़रूर क्यो नही ...पर पहले ये बताओ कि आजतक कितनो के ले चुकी हो तुम ..."

रचना - "अभी तक...लगभग 30-35 तो ले ही चुकी हू..... मज़ा आता है....."

बाते करते करते मैने रचना को थोड़ा उपर उठाया और अपने लंड को उसकी बुर के छेद मे घुसेड दिया...आधा ....आआधा देखते देखते ..पूरा

लंड बुर के अंदर कब गायब हो गया पता ही नही चला ....साला उसकी चूत मे तीनो को पहले से पानी गिरा हुआ था...

इसलिए उसकी चूत ज़रा ज़्यादा ही चिकनी हो गयी थी .... मैने उसकी कमर को पकड़ के अपनी कमर को उपर नीचे करना शुरू किया

हमारे चुदाई के दरम्यान उसकी बुर से वीरयरस टपक रहा था जो प्रिन्सिपल और दो अन्य शिक्षको ने उसकी बुर मे भरा था....

मेरा लंड पूरा सफेद और चिकना बन गया और पाचक पाचक करके अंदर बाहर हो रहा था......

मैं बोला और बोलो - "और प्रिन्सिपल साब का कितनी बार लिया है ...कितनी बार पेला है तुम्हारे पापा ने तुम्हे..."

रचना - "अरे पापा तो मुझे हर रोज पेलते है.... स्कूल जाते वक़्त भी पेलते है कभी कभी ....कभी कभी तो स्कूल मे ही बुला लेते है..."

मैने अब जोरदार धक्के मारना शुरू किया.....

मैं - "इन तीनो के अलावा किन किन से चुदी हो तुम...."

रचना - "इस गली मे जीतने भी मर्द रहते है सबसे.....जब चाहे बुला लेते है मुझे.... मस्त थूक लगा लगा के चोद्ते है...."
 
मैं उसके निपल को मूह मे लेके मस्त चूस रहा था उधर प्रिन्सिपल ने अपनी छोटी बेटी रीना के मूह मे अपना लंड घुसेड के उसकी मस्त मुख चुदाई

चालू कर दी थी.. .. बाकी के दो शिक्षक रीना के दूध को अपने दोनो हाथो से पकड़ के मस्ती मे दबाए जा रहे थे....

मैं : "और तुम्हे क्या मिलता है ...."

रचना : "मुझे हाहाहा..... मुझे बहुत सारा मज़ा और कभी कभी सज़ा... कभी कभी तो 5-6 आ जाते है और मुझे कही खेत मे ले जाते है...

और इतना चोदते है साले कि मेरी जान निकलने को होती है....पर तब भी मैं नही रुकती चोदे जाती हू.... फिर सब ठंडे पड़ जाते है..."

अब मेरे धक्को की गति इतनी तेज हो गयी कि मुझे पता ही नही चला कि कब मैं चरम सीमा तक पहुचा और अपने रस की फुवारो को

रचना की चूत मे भर दिया.....

इतनी मस्त चुदाई के बाद दिल और दिमाग़ एकदम फुर्तीला नौजवान महसूस कर रहा था पर मेरा पूरा शरीर अब अकड़ने लगा था....

मेरी तरफ देखते हुए प्रिन्सिपल बोला "और मज़ा आया ..."

मैं "मज़ा तो बहुत आया और अब तो आता ही रहेगा... आप चिंता मत करना अभी.... आपका कर्तव्य करने मे मुझे अभी कोई भी बाधा नही आएगी..."

और मैने कपड़े पहेन लिए, रचना और रीना को गाल पे मस्त चूम लिया..... "और चलता हू फिर मिलते है " कहके पूरे दिन के बारे मे सोचते हुए हवेली की तरफ निकल पड़ा.
 
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