XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 11 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

नैना ने कहा- चलो सब अपने कमरे में वहीं यह बातें होंगी.
हम सब मेरे कमरे में पहुंचे, वहाँ नैना ने जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझको इशारा किया कि मैं शुरू करूँ अपना काम.मैंने झट से प्रेमा का हाथ पकड़ा और उसको उठा कर अपने गले से लगा लिया और फिर उसके लबों पर एक गर्म चुम्बन दे डाला.
प्रेमा भी मुझ से अँधाधुंध लिपट गई और बड़ी ही मस्ती से उसने मुझको चूमना शुरू कर दिया.रानी यह सब देख रही थी.तब मैंने प्रेमा की साड़ी पर हाथ डाला और धीरे से उसको उतारने लगा.
प्रेमा ने रानी की तरफ देखा और कहा- तुम भी शुरू हो जाओ रानी, नैना जी आप रानी की मदद कर दीजिए न!नैना उठी और रानी की साड़ी उतारने लगी, मैं अब तक प्रेमा की साड़ी और ब्लाउज उतार चुका था और अब मैं उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल रहा था.तभी प्रेमा ने मुझको कहा- तुम रानी के कपड़ों को उतारने में हेल्प करो न सतीश प्लीज.
मैं प्रेमा को छोड़ कर अब रानी के कपड़ों को उतार रहा था, अब तक उसका ब्लाउज उतार चुका और उसके मम्मे एक रेशमी ब्रा में कैद थे, ब्रा के उतारते ही वो बिलोरे जैसे गोल और ठोस मेरे हाथ में आ गए.मैंने झट से एक को अपने मुंह में ले लिया और निप्पल चूस रहा था, दूसरे हाथ से उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच रहा था.
एक ही झटके में ही रानी का पेटीकोट उतर गया और उसकी काले बालों के गुच्छे से ढकी चूत सामने आ गई.मैं नीचे बैठ गया और अपना मुंह रानी की चूत में डाल दिया और उसकी खुशबू से भरी चूत का आनन्द लेने लगा..
रानी की आँखें बंद थी और वो इस सारे कार्यक्रम का बहुत ही आनन्द ले रही थी.मैंने उठ कर रानी को छाती से लगा लिया जहाँ उसके मम्मे एकदम मेरी सख्त छाती में दब गए.
रानी के होटों को चूमते हुए मैं उसको बेड की तरफ ले आया, वहाँ मैं थोड़ा रुक गया और उसको खड़ा करके मैं प्रेमा को भी अपनी तरफ ले आया और दोनों को एक साथ खड़ा करके उनका शारीरिक मिलान करने लगा.
दोनों ही बेहद खूबसूरत थीं, उनके शरीर संगेमरमर के बने हुए लग रहे थे और दोनों का कद और शरीर की गठन एक समान लग रही थी, यहाँ तक मम्मों और चूतड़ों का साइज भी एक समान लग रहा था.
मैंने रानी की चूत में ऊँगली डाली तो वो बेहद गीली और रसीली हो चुकी थी. मैंने उसके लबों को चूमते हुए उसको लिटा दिया और खुद उसकी बिलोरी टांगों के बीच बैठ गया.
मेरा मस्त खड़ा लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया और उसकी खुली आँखों में देखता रहा कि वो इशारा करे तो मैं लंड को धक्का मारूं. उसने भी मेरी आँखों में आँखें डाल कर आँख आँख से ही हामी भर दी और मैंने अपना लौड़ा पूरा ही उसकी चूत में डाल दिया.
वो एकदम से गर्म लोहे की छड़ी की तरह मेरे लंड के अंदर जाते ही रानी बिदक गई, उसने अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और तभी मैंने पूरा लौड़ा निकाल कर ज़ोर से फिर डाला उसकी चूत में!उसके मुंह से हल्की सी हाय निकल गई.अभी तक मैं बहुत ही धीरे चोद रहा था, अब मैंने चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी.
उधर देखा तो प्रेमा को नैना ने पूरा संभाल रखा था, वो उसकी चूत में मुंह डाल कर उसकी चूत को चूस रही थी और प्रेमा एकदम आनन्द से उछल रही थी.इधर रानी की चूत में कुछ कुछ होने लगा और मेरा लंड एकदम समझ गया और उसने धक्के फिर तेज़ शुरू कर दिए. और तभी रानी की चूत से कंपकपाहट उठी और उसकी चूत से एक तेज़ धार पानी की निकली जो मुझको भिगो कर चली गई और रानी की दोनों संगेमरमर जैसी जांघें मेरे चारों और लिपट गई और मुझको जकड़ लिया.
मैं रुक गया और उसके गोल गुदाज़ मम्मों में सर डाल कर उनकी रेशमी जैसी चमड़ी से मुंह रगड़ने लगा, रानी ने अपनी टांगें खोली तो मैंने एकदम उसको पलट दिया और घोड़ी बना दिया और फिर लंड को उसकी चूत में तेज़ और धीरे अंदर बाहर करने लगा, उसके गोल नितम्बों को दोनों हाथों में पकड़ कर ताबड़तोड़ लंड परेड चालू कर दी.
और जैसे कि मुझको उम्मीद थी वो बहुत जल्दी स्खलित हो गई, बिस्तर पर ढेर हो गई.
नैना यह सब खेल देख रही थी, वो उठ कर आई और रानी को सीधे लिटा और मैं उसकी टांगों में बैठ कर हल्के हल्के धक्के मारने लगा.रानी जो छूटने के बाद ढीली पड़ गई थी, अब फिर फड़क उठी और चूत को उठा उठा कर मेरे लंड का स्वागत करने लगी.
दस मिन्ट तेज़ और धीरे चुदाई को मिक्स करते हुए मैंने आखिर में फुल स्पीड से चोदना शुरू कर दिया.नैना और प्रेमा इस चुदाई का आखिरी राउंड देख रही थी, नैना रानी के मम्मों को चूस रही थी और प्रेमा उसकी गांड में ऊँगली डाल रही थी.
फिर रानी एकदम से अपने चूतड़ ऊपर उठा कर मेरे पेट के साथ चिपक गई और फिर एक हल्की चीख मार कर छूट गई. उसकी चूत अपने आप खुल और बंद हो रही थी और मेरे लंड को निचोड़ने की कोशिश कर रही थी.नैना के इशारे को देखते हुए मैंने फिर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी और कुछ ही देर में मेरा फव्वारा पूरी फ़ोर्स से छूट गया.
मैं थोड़ी देर लंड को अंदर डाले हुए ही रानी के ऊपर लेटा रहा और फिर धीरे
से लंड को निकाल लिया चूत से!नैना ने फ़ौरन ही रानी की टांगों को हवा में लहरा दिया और कमर के नीचे एक मोटा तकिया रख दिया.

कहानी जारी रहेगी.

 
प्रेमा और रानी का चोदन जारी

फिर रानी एकदम से अपने चूतड़ ऊपर उठा कर मेरे पेट के साथ चिपक गई और फिर एक हल्की चीख मार कर छूट गई. उसकी चूत अपने आप खुल और बंद हो रही थी और मेरे लंड को निचोड़ने की कोशिश कर रही थी.नैना के इशारे को देखते हुए मैंने फिर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी और कुछ ही देर में मेरा फव्वारा पूरी फ़ोर्स से छूट गया.
मैं थोड़ी देर लंड को अंदर डाले हुए ही रानी के ऊपर लेटा रहा और फिर धीरे से लंड को निकाल लिया चूत से!नैना ने फ़ौरन ही रानी की टांगों को हवा में लहरा दिया और कमर के नीचे एक मोटा तकिया रख दिया.वहाँ से उठ कर मैं प्रेमा को आलिंगन में ले लिया और उसके लबों पर एक जोशीली चुम्मी कर दी, होटों को होटों पर रख कर मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और उसको गोल गोल घुमाने लगा.
मेरा लौड़ा जो पूरा गीला हो कर रानी की चूत से निकला था अब प्रेमा की चूत के मुंह पर खड़ा हुआ था और अंदर जाने की इजाजत मांग रहा था.जब तक आज्ञा आती, तब तक मैं उसके गोल और ठोस दुग्ध भंडारों में मस्ती लेने लगा. उसके दुग्ध भण्डार सुंदर और काले थनों से सुसज्जित थे और वो थन भी ऐसे कि देखते ही मुंह में लेने को जी चाहे.

जब दोनों भंडारों से दुग्ध पान कर लिया तो अपना मुंह नीचे ले जाते हुए बालों से भरी प्रेमा की चूत में मुंह डाल दिया और उसके भग को ढून्ढ कर चूसना शुरू कर दिया.प्रेमा के दोनों हाथ मेरे सर को पकड़े हुए थे और चूत के और अंदर जाने के लिए प्रेरित कर रहे थे. मैंने अपने दोनों हाथ उसके बिलौरी नितम्बों पर टिके हुए थे और उनको खूब मसल रहे थे.
रेशमी ज़ुल्फ़ों का ज़िक्र तो बहुत सुना था लेकिन रेशमी चूतड़ और मम्मों को छूना और उनको हाथ में लेकर मसलना कभी नहीं सुना था, ना ही देखा ही था.
अब प्रेमा ने मुझको उठने का इशारा किया और मैं उठ कर उनको ले कर बेड की खाली वाली साइड में लेट गया. लेटते ही प्रेमा जी इस कदर गर्म और नर्म हो चुकी थी कि वो उठ कर मेरे तने हुए लौड़े पर बैठ गई और मेरे मुंह पर अपना मुंह रख कर मुझको बेतहाशा तेज़ी से चोदने लगी.
प्रेमा जी की जीभ मेरे मुंह के अंदर जा कर गिल्ली डंडा खेल रही थी और मेरा सारा रस चूस रही थी, मैं भी डबल जोश से प्रेमा को नीचे से ज़ोरदार लंड की चोटें दे रहा था, मेरे हाथ अभी भी बिलौरी मम्मों के कुर्बान हो रहे थे.
उधर देखा तो रानी की चूत पर नैना रुमाल डाल रही थी ताकि कीमती वीर्य चूत के बाहर ना निकल जाए.अब प्रेमा सर फ़ेंक कर मुझको चोद रही थी और क़भी नीचे झुक कर मेरे होटों को भी चूस लेती थी.फिर अचानक प्रेमा में इतना जोश आया कि वो चीखती हुई ऊपर उछाल भर रही थी और मुंह से बोल रही थी- फाड़ दो, मार दो मेरी चूत को सतीश, छोड़ना नहीं इस ससुरी को!वो फिर सर ऊंचा कर इस कदर ज़ोर से चीखी- छूट गया… अरे मर गई रे…और प्रेमा थर थर कांपती हुई मेरे ऊपर पसर गई.
रानी और नैना दोनों हैरानी से प्रेमा को देख रही थी जो अब शांत मेरे ऊपर लेटी थी.
अब मैंने प्रेमा को सीधे लिटाया और उसके रेशमी मम्मों को चूसने लगा, तब नैना ने इशारा किया कि उसको घोड़ी बना कर चोदूँ.मैंने प्रेमा को घोड़ी बनने के लिए कहा और जब वो घोड़ी बन गई तो मैंने उसकी चूत को पीछे से चूमा और चाटा और फिर अपने सख्त खड़े लंड को खुली चूत में डाल दिया.पहले बहुत धीरे से चुदाई शुरू की. पूरा लौड़ा अंदर डाल कर फिर उस को पूरा बाहर लाना और फिर धीरे से उस को अंदर डालना यह क्रम देर तक जारी रखा, इसका लाभ यह था कि प्रेमा की चूत जो एक बार छूट चुकी थी, फिर से तैयार हो रही थी, चुदाई आनन्द लेने के लिए!
जब मेरे लंड को महसूस हुआ कि चूत फिर चुदाई के लिए तैयार है तो मुझको प्रेमा ने एक हल्का सा धक्का अपने चूतड़ से मारा और अपने चूतड़ों को पीछे धकेल कर मेरे लंड और पेट से जोड़ दिया.अब धीरे धीरे मैंने अपनी पिस्टन की स्पीड बढ़ा दी, अंदर बाहर का क्रम आहिस्ता से तेज़ी में बदल गया, धक्के हल्के की बजाए गहरे और तेज़ हो गए, मेरे हाथ प्रेमा के चूतड़ों को हल्के हल्के थाप देने लगे.
और फिर प्रेमा ने चुदाई के आनन्द से भाव विभोर हो कर कहा- और मार और मार साली को… फाड़ दे हलखनज़ादी को सतीश, सतीश मत छोड़ना रे इस साली को, बहुत तंग कर रही थी ना, ले अब ले पूरा का पूरा ले!प्रेमा मेरे हर धक्के का जवाब अपने चूतड़ों से दे रही थी, अब मेरे धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ हो गई कि प्रेमा को वापसो जवाब देने का समय ही नहीं मिल रहा था.

 
फिर वही हुआ जो अक्सर होता है मेरे साथ, प्रेमा की चूत सिकुड़ने और फैलने लगी और फिर उसकी चूत से पानी की हल्की धार निकली और मेरे लंड को गीला करती हुई मेरे पेट पर आ गिरी.नैना जो अब मेरे पास ही खड़ी थी, मुझको अपना छुटाने के लिए उकसाने लगी, मैंने भी आज्ञा का पालन करते हुए लम्बे और गहरे धक्के मारने शुरू कर दिए.
थोड़ी देर में ही प्रेमा फिर छूटने की कगार पर थी लेकिन मैं तो अपने नशे में था तो मैंने तेज़ और गहरे धक्कों को जारी रखा.तभी प्रेमा का बड़ा ही प्रचंड छुटावन हुआ और उसका सारा शरीर कम्पकंपी में विलीन हो गया.नैना जो यह देख रही थी, फ़ौरन प्रेमा के पास आ गई और उसको कस के पकड़ लिया और मुझको इशारा किया कि मैं चुदाई जारी रखूँ.
तेज़ और गहरे धक्के जारी कर दिए और 10 मिन्ट्स के बाद ही मैं भी छूटने की कगार पर था और मैंने पूरी कोशिश करके लौड़ा प्रेमा की बच्चेदानी में डाल दिया और वहाँ अपना फव्वारा छोड़ा.एकदम गरम लावे की तरह जब मेरा वीर्य उस के अंदर गया तो प्रेमा झूम उठी, बंद आँखों और चेहरे पर आई मुस्कान से यह अंदाजा लगाया गया कि वो पूर्ण रूप से आनंदित हो गई है.
मैंने प्रेमा को एक हॉट किस दी उसके लबों पर और उसके मखमली मम्मों को चूम लिया.
दूसरी तरफ रानी पूरी तरह से शांत और एक हल्की मुस्कान लिए मुझको देख रही थी.रानी बोली- ज़रा इधर आना सतीश!
मैं उसके पास गया और उसने लेटे ही मेरे अभी भी खड़े लंड को अपने मुंह में लिया और उसको एक चाट गई.नैना अब प्रेमा के साथ जुट गई थी और उसमें गए वीर्य की रक्षा कर रही थी.अपने लौड़े को साफ़ करने के लिए मैं बाथरूम में गया और गीले तौलिये से अपना पसीना भी पौंछा.
बाहर आया तो रानी अपने कपड़े पहन रही थी, मैंने वहीं से आवाज़ दी- रुक जाओ रानी जी!उसने अभी पेटीकोट ही पहना था सिर्फ और ब्रा को पहन ही रही थी.मैंने कहा- आपको ब्रा मैं ही पहना दूँ क्या?रानी मुस्कुराते हुए बोली- हाँ हाँ, सोमु तुम ब्रा पहना दो मुझको!
मैंने आगे बढ़ कर पहना दी और उसके रेशमी मम्मों को झुक कर एक बहुत ही मीठी सी चुम्मी भी दी, ब्लाउज खुद ही पहना और साड़ी भी वो खुद ही लपेटने लगी.
जब वो कपड़े पहन चुकी तो मैंने उसको कस के आलिंगन में बाँधा और एक बहुत ही गरम चुम्मी उसके होटों पर दी.तब तक प्रेमा भी उठ चुकी थी, उसको भी ब्रा मैंने ही पहनाई.
जब हम सब कपड़े पहन चुके तो नैना दोनों को फिर समझा रही थी कि कैसे आचार व्यवहार करना है एक दो दिन, और पति से चुदाई की बात भी समझाई उस दोनों को!
रानी बोली- मेरा पति तो करता ही नहीं कभी भी, तो फिर मैं क्या करूँ?नैना बोली- क्यों रानी, कभी तुम पति के सामने बिल्कुल नंगी नहीं होती क्या?वो बोली- कभी नहीं. अगर वो कभी करने की इच्छा भी करता है तो मेरा पेटीकोट उठा कर लंड अंदर डाल देता है और 5-6 धक्कों में उसका छूट जाता है.नैना बोली- तुम ऐसा करो, आज न किसी बहाने से रोशनी में उसके सामने पूरी नंगी हो जाना, वो ज़रूर तुमको चोदेगा.
जब दोनों जाने लगी तो मैंने नैना को कहा- इनको कोकाकोला तो पिलाओ.कोकाकोला पीते हुए ही मैंने कहा प्रेमा और रानी से- अब आप जा रही हो दोनों तो फिर कब आओगी?नैना बोली- अगर गर्भ नहीं ठहरता तो अगली माहवारी के बाद ही आएँगी दोनों.
यह सुन कर मैं उदास हो गया और मेरी उदासी तीनों औरतों ने नोट की, प्रेमा और रानी बोली- क्या हुआ सतीश?मैं बोला- एक महीना तो बहुत होता है. इससे पहले नहीं आ सकती क्या?
नैना बोली- पहले आकर क्या करेंगी यह दोनों?मैं बोला- सच में बताऊँ, मैं इन दोनों से बेहद प्यार करने लगा हूँ.दोनों एकदम से चहक उठी- हम आ जाएँगी जब तुम बुलाओगे!
नैना हंस कर बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो दोनों के आशिक हो गए हो!मैं थोड़ा शरमाया और फिर बोला- सच बताऊँ? आप दोनों बुरा तो नहीं मानोगी न?
दोनों ने ना में सर हिला दिया और बोली- कहो सतीश, क्या बात कहना चाहते हो?मैं बोला- आप दोनों मुझको बहुत अच्छी लगती हो, आपको मालूम है आप दोनों इतनी खूबसूरत हैं कि कोई भी आदमी आपको पाकर धन्य हो जाएगा. कैसी मिट्टी के बने हैं आप दोनों के पति?
दोनों मेरी बात सुन कर दौड़ कर आई और मुझसे लिपट गई और दोनों मुझको चूमने लगी और बोली- जब चाहो तुम हमको बुला सकते हो, बस नैना से फ़ोन करवा देना, हम दौड़ी चली आयेंगी.मैं बोला- थैंक यू प्रेमा जी और रानी जी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ, मैंने आप दोनों का नाम अपने मन में रख लिया है. जानना चाहेंगी क्या नाम रखा है आप दोनों का?
दोनों एक साथ बोली- क्या नाम रखा है सतीश जी?मैं हँसते हुए बोला- प्रेमा जी का नाम है- ताजमहल नम्बर एक और रानी जी का नाम है- ताजमहल नम्बर!वो दोनों बहुत हँसी लेकिन उनके चेहरे से ख़ुशी साफ़ झलक रही थी, वो मेरी और भी मुरीद हो गई.
फिर हम तीनों ने एक दूसरे को आलिंगन किया और चूमा चाटा.मैं बोला- अगर आप दोनों दो दिन बाद फिर आ जाएँगी तोमुझको बहुत अच्छा लगेगा. कोशिश करते रहते हैं कि किसी दिन भी गर्भ ठहर सकता है, क्यों नैना?वो भी हँसते हुए बोली- ठीक है छोटे मालिक, आप एक दिन छोड़ कर आ जाया करो. ईश्वर ने चाहा तो आपकी मुराद जल्दी पूरी हो जायेगी.
फिर हम सबने कस के आलिंगन किया एक दूसरे से और फिर वो चली गई और मैं भी कॉलेज के लिए तैयार होने लगा.
नैना उन दोनों को बाहर छोड़ कर आई और आते ही मुझ से लिपट गई और मेरे मुंह को चूमते हुए बोली- वाह छोटे मालिक आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले. क्या तारीफ की है उन दोनों की! वो तो आपको सर्वस्व देने के लिए तैयार हो गई थी! वाह वाह मेरे सनम, यह सब किसने सिखाया?मैं हँसते हुए बोला- नैना, यह सब तुमने ही तो सिखाया है यार, तुम्हारी चूत की कसम!खूब हँसते रहे और फिर मैं कॉलेज के लिए चल पड़ा.

कहानी जारी रहेगी.

 
प्रेमा और रानी को गर्भदान की कोशिश

मैं हँसते हुए बोला- नैना यह सब तुम ने ही तो सिखाया है यार! तुम्हारी चूत की कसम!खूब हँसते रहे हम दोनों और फिर मैं कॉलेज के लिए चल पड़ा.
जब वापस आया तो नैना ने ठंडा पानी देते हुए कहा- रानी और प्रेमा आंटी का फ़ोन आया था, दोनों तुम्हारा और मेरा थैंक्स कर रही थी, ‘परसों का प्रोग्राम पक्का है?’ यह पूछ रही थी.मैं बोला- परसों का प्रोग्राम तो पक्का है ही, उनको क्यों शक हुआ?नैना बोली- दोनों आंटी तुम्हारी मुरीद हो चुकी हैं और तुम्हारे लौड़े की याद में तड़प रही हैं.मैं हंस पड़ा- मैं भी उनकी चूतों की याद में उनके ताजमहल सी ख़ूबसूरती का तलबगार हो चुका हूँ.
इसी तरह चुहलबाज़ी में चोदम चुदाई की दो रातें मैंने नैना और पारो के साथ बिता दी, दो बहनों को भी पिछली रात चोद दिया तो आज का दिन मैं फ़्रेश था.
दोनों मुजस्स्मा ऐ ख़ूबसूरती अगले दिन ठीक टाइम पर आ गई, उनके आते ही नैना ने मुझको मेरे कमरे से निकाल दिया और उन दोनों का चेकअप करने लगी.चेकअप के बाद दरवाज़ा खुला तो रानी बहुत मुस्करा रही थी और प्रेमा बेचारी उदास थी.नैना बोली- बधाई हो छोटे मालिक, रानी का काम तो लगता है, हो गया है और प्रेमा बेचारी अभी लटकी हुई है.

मैंने प्रेमा जी को एकदम बाँहों में बाँध लिया और उनके लबों पर चूमना शुरू कर दिया, इस तरह थोड़ा संयत किया और रानी को भी चूम कर बधाई दी.नैना बोली- अब आप दोनों की क्या मर्ज़ी है?प्रेमा बोली- मैं तो कोशिश करती रहूंगी जब तक दही नहीं जम जाता.नैना बोली- हाँ, यह तो सही है दूध में जामन लगना चाहये, ना जाने कब दही फिर से जम जाए! तो प्रेमा जी आप तो छोटे मालिक से आज चुदवा लो और चुदवाती रहो जब तक आप का काम नहीं हो जाता… क्यों क्या ख्याल है आप का?प्रेमा बोली -वही तो! सतीश की चुदाई बहुत ही बढ़िया होती है, जब तक काम नहीं होता सोमु को तकलीफ देती रहूंगी मैं.मैंने आगे बढ़ कर प्रेमा जी को आलिंगन बद्ध कर लिया और उनके मम्मों को दबाने लगा.
उधर नैना ने रानी को समझाना शुरू कर दिया.सब कुछ समझा बैठी तो रानी ने कहा- नैना जी, अगर आप बुरा न मानें तो मैं कुछ दिन और सतीश को तंग कर सकती हूँ? मेरा अभी सतीश से चुदाई का दिल नहीं भरा, क्यों सतीश?मैंने झट आगे बढ़ कर रानी को गले लगा लिया और उसकी चूत में साड़ी के ऊपर से ऊँगली डालने की कोशिश करने लगा.आज रानी ने लाइट हरे रंग की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहन रखा था और वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी.
मेरा लंड काफी समय से उन दोनों को देख कर तना बैठा था, मैं नैना के इशारे के इंतज़ार किये बगैर ही अपने कपड़े उतारने लगा, जब पूरा नंगा हो गया तो मैं पहले प्रेमा जी के पास गया और उनके कपरे उतारने लगा.यह देख कर प्रेमा खुद ही सारे कपड़े उतारने लगी और उधर रानी भी पीछे क्यों रहती, वो भी कुछ क्षणों में वस्त्रविहीन हो गई.
मैंने नैना की तरफ देखा और बोला- गुरु जी, आप क्यों आज चुप चुप हैं? कोई ख़ास कारण हैं क्या?नैना हँसते हुए बोली- नहीं छोटे मालिक, प्रेमा जी का गर्भ ना ठहरना समझ नहीं आया, मैं उसके बारे में ही सोच रही थी. इससे पहले कि इन दोनों की चुदाई शुरू हो, मैं इन दोनों का नाप ले लेती हूँ जो बहुत ज़रूरी है.नैना अलमारी से नाप वाला फीता ले आई और एक कॉपी में इन दोनों का नाम लिख कर उनके आगे दोनों के नाप लिखने के लिए मुझ को कहने लगी.मैं बोला- ठीक है, लेकिन पहले अपनी तरफ तो देखो?नैना झट समझ गई और झट से अपने कपड़े उतारने लगी, फिर उसने इंचटेप से पहले प्रेमा की मम्मों का नाप लिया जो 36 इंच था और फिर उसने कमर का नाप लिया जो 26 था और फिर उसने चूतड़ों का नाप लिया जो 38 था.इस तरह प्रेमा का नाप निकला 36-26-38.अब रानी का नाप लिया तो 36-25-36 निकला.उसी तरह नैना ने इंच टेप से मेरे लंड का नाप भी लिया और वो निकला 8.3 इंच!इस पर सब लेडीज ने बहुत ज़ोर से तालियाँ बजाई.
अब नैना बोली- आज सबसे पहले चुदाई प्रेमा की होगी, उसमें छोटे मालिक दो बार अपना फव्वारा छुटाएँगे और रानी की चुदाई भी 2 बार होगी और उसमें छोटे मालिक सिर्फ एक बार छुटाएँगे. क्यों मंज़ूर है सबको?सबने ज़ोर से हाँ कह दिया.
नैना बोली- छोटे मालिक, आप इस छोटे से हरम के छोटे मालिक हैं तो आप लेट जाएँ. पहले प्रेमा जी को आपके पास लाया जाएगा और वो पूरी तरह से इस काली चुन्नी से ढकी होंगी और फिर एक बार की चुदाई और वीर्य छुटाई के बाद आपकी खिदमत में रानी साहिबा को पेश किया जाएगा.
 
जैसे जैसे नैना डायरेक्ट करती रही, वैसे ही चुदाई का प्रोग्राम चलता रहा. प्रेमा को भी घोड़ी बना कर चूत की गहराई में और उसके बच्चेदानी के मुंह के अंदर दो बार छुटवाया.उसके बाद रानी को भी मैंने बड़े आलखन से बिना किसी जल्दी के हल्के हल्के धक्कों से चोदा.आज उसको पहले दिन से भी ज्यादा मज़ा आ रहा था क्यूंकि उसके मन में कोई टेंशन नहीं थी.
वो भी मेरी चुदाई से दो बार छूटी और फिर नैना की डायरेक्शन में मैंने उस को अपने नीचे लिटा कर चोदा और उसकी भी बच्चेदानी के मुंह के अंदर फव्वारा छुटाया.और तब मैंने रानी के कान में कहा- तुम गर्भवती हो गई हो, और इसका सबूत तुमको आज शाम ही मिल जाएगा.रानी के चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी और वो ख़ुशी के मारे मुझ से बार बार लिपट रही थी.
उधर प्रेमा की उदासी को कम करने की कोशिश नैना कर रही थी. फिर वो प्रेमा को मेरे हज़ूर में लेकर आई और बोली- हज़ूर, आप इस नाचीज़ पर भी रहम कीजिये और आज इसकी भी मुराद ज़रूर पूरी कर दें.मैं बोला- ऐ बेगमाते ऐ अवध, इस लौंडिया को भी गर्भवती करने के लिए यह नवाबज़ादा पूरी तरह से तैयार बैठा है, पेश करो उस हसीना को, अभी हम उस को औलाद का नायाब तौफा दे देंगे.सब हंसने लगे.
अब प्रेमा को मैंने मज़बूत बाँहों में घेर लिया और एक निहायत ज़ोर की जफ़्फ़ी डाली और उसके गोल और मोटे मम्मों को एकदम से अपनी चौड़ी छाती में दबा दिया.मैंने उसके मम्मों को चूसा और होटों को भी चूस कर लाल कर दिया. फिर मैं सरकते हुए उसकी चूत में मुंह को डाल कर उसके सख्त हुए भग को चूसने लगा.प्रेमा की चूत जल्दी जल्दी खुलने और बंद होनी शुरू हो गई और फिर मेरी जीभ के कमाल से 5 मिन्ट में ही कांपती हुई झड़ गई.
अब मैं उसके ऊपर चढ़ा और लम्बे और मोटे लंड का कमाल दिखाने लगा, जब ज़ोर से चुदाई का आलम गर्म हुआ तो प्रेमा अपनी कमर उठा उठा कर लंड का स्वागत करने लगी और फिर एक ज़ोरदार झटके से वो छूटने लगी.छूटने के दौरान उसने मुझको अपनी बिलोरी जांघों में कैद कर लिया था जिस से मैं हिल भी नहीं सकता था.
जब वो ढीली पड़ी तो मैं फिर से उसकी चूत में हमले करने लगा, तेज़ हल्के और फिर तेज़… यही क्रम बाँध दिया.अब मेरा छूटने वाला हुआ तो मैंने उसकी कमर के नीचे हाथ रख कर चूतड़ों को ऊपर उठा लिया और अपने लंड को पूरा अंदर डाल कर फिर बाहर निकालने लगा और थोड़े समय में ही मैं छूटने की कगार पर पहुँच गया.
आखिरी धक्के में जब मेरा छूटने वाला था तो मैंने प्रेमा की चूत को अपने पेट से जोड़ कर लंड की पिचकारी छोड़ दी जो उसकी सारी चूत में फैल गई.प्रेमा बोली- उफ्फ, क्या गरम लावा है सतीश तुम्हारा पानी, मैं तो निहाल हो गई..
हम सब थक गए थे तो नैना कपडे पहन कर गई और ठंडी कोकाकोला की बोतलें ले आई और हम सब पीते रहे और एक दूसरे को बड़ी ही गर्म नज़रों से देखते रहे.
नैना बोली- प्रेमा और रानी, आपने अपने पति से कल रात चुदवाया था या नहीं?प्रेमा बोली- कल नहीं परसों की रात को चुदवाना था सो चुदवा लिया.रानी बोली- हाँ, मैंने भी चुदवा लिया था.नैना बोली- पर पतियों को कैसे मनाया चुदवाने के लिए?
प्रेमा बोली- मेरा पति तो सीधा है, मैंने रात को अपना रात का चोग़ा ज़रा चूत के ऊपर कर लिया था सोने से पहले और जैसे ही उसकी नज़र पड़ी मेरी चूत पर तो वो बत्ती बुझा कर मेरी चूत पर से चोग़ा हटा कर अपने 5 इंच वाले लंडको गीली चूत में अंदर डाल कर मुश्किल से 10-12 धक्के ही मार पाया था कि उसका लंड टपक गया. वो मेरे ऊपर से उठ कर बेड पर लेटा और खर्राटे मारने लगा.
रानी बोली- मुझ को काफी मुश्किल हुई उसको चोदने के लिए तैयार करने में.जैसे नैना ने बताया था, मैंने एक चाल खेली, जैसे ही वो कमरे में आया और लेटा, मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया कि मेरी नाइटी में कीड़ा है और थोड़ी उछल कूद मचाने लगी. और जल्दी ही मैंने अपनी नाइटी उतार दी और पूरी नंगी हो गई और झूठ मूठ के कीड़े को ढूंढने लगी. मैं जानबूझ कर अपनी चूत और मम्मे सेठ के मुंह के पास ले जा कर ढून्ढ रही थी कीड़ा.बस सेठ ने मेरा जिस्म देखा और झट से 4 इंची लंड को निकाल कर मुझ पर चढ़ बैठा और जैसे ही उसने डाला, मैंने ‘आह उह’ करना शुरू कर दिया जिससे उसको यकीन हो गया कि मुझको बड़ा आनन्द आ रहा है और वही हर बार की तरह सिर्फ़ 5 मिन्ट में ही छूटा बैठा सेठ और मेरे ऊपर से उठ गया, बाद में मुझ को ऊँगली मारनी पड़ी.
नैना बोली- लेकिन प्रेमा और रानी, यह तुम लोग भी तो सोचो कि सेठ और उसका परिवार तुम दोनों को काफी सारा धन सोना और हीरे जवाहरात भी तो प्रदान करता है.मैं बोला- हर चीज़ का अपना सुख और दुःख होता है, तो जिस हाल में मौला रखे उसी हाल में हम सब को खुश रहना चाहिये. क्यों नैना?नैना बोली- वाह छोटे मालिक, बड़ी ऊंची बात कह गए आप तो! वाह!
अब प्रेमा और रानी कपड़े पहनने लगी और मेरे देखते देखते ही चाँद बादलों में छिप गया, हुस्न नज़रों से ओझल हो गया.दो दिन बाद फिर आने का वायदा कर के दोनों चली गई.

कहानी जारी रहेगी.
 
छवि और सोनाली की चूतों की सर्विस

शाम को घर पहुंचा तो विनी बैठक में मिल गई और बोली- मेरी फ्रेंड्स आ रही हैं आज शाम को.मैं बोला- अच्छा है, कौन कौन हैं वो?विनी बोली- वही जो पिछली बार भी आई थी, छवि और सोनाली. वो दोनों भी आप से अपने इंजन की सर्विस करवाना चाहती हैं, ठीक है?
मैं सोच में पड़ गया, यह बार बार वाला चक्कर ठीक नहीं शायद!मैं बोला- क्या वो रात रहेंगी?विनी बोली- हाँ हाँ रहेंगी, तभी तो अपनी कार में सर्विस करवा सकेंगी न?मैं बोला- नैना आंटी से पूछ लो, फिर कन्फर्म करना उन दोनों को!विनी बोली- ठीक है.
थोड़ी देर में नैना आई मेरे पास और बोली- वो विनी कह रही थी कि उसकी दो सहेलियाँ यहाँ आ रही हैं रात रहने के लिए, उसको क्या जवाब दूँ?मैं बोला- तुम बताओ क्या करना चाहिए? अगर इंकार करते हैं तो विनी-गीति नाराज़ हो जाएंगी और वो छवि और सोनाली भी बुरा मानेंगी.
नैना बोली- वो फिर क्यों आ रहीं हैं? अभी तो रह कर गई हैं.मैं बोला- वही तो, विनी कह रही थी कि वो अपनी कार की सर्विस करवाने आ रही हैं.नैना बोली- सर्विस करवाने? मैं समझी नहीं?मैं बोला- अरे वही चुदवाने आ रहीं हैं और क्या!नैना बोली- आपकी क्या मर्ज़ी है?

मैं बोला- देखो नैना अगर हम इंकार करते हैं तो दोनों बहनें भी बुरा मानेंगी और छवि और सोनाली भी बुरा मान जाएँगी. मैं सोचता हूँ मेरे कालेज के दो दोस्त हैं वो भी चुदाई के शौक़ीन हैं, उनको बुला लेते हैं, उन दोनों के साथ विनी और गीति को भिड़ा देते हैं और मैं छवि और सोनाली के साथ हो जाता हूँ.नैना बोली- नहीं छोटे मालिक, बाहर के लड़कों के आने से हमारी कभी भी बदनामी हो सकती है.मैं बोला- तो फिर क्या करें?नैना बोली- आप छवि और सोनाली को आने दो.मैं बोला- तो फिर ठीक है तुम विनी और गीति को बतला दो और कह दो कि आज वो दोनों आ जाएँ अपनी कार लेकर क्योंकि आज वर्कशॉप खुली हुई है.नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक.
शाम होते ही छवि और सोनाली दोनों आ गई और बैठक में मुझ से मिली. आज दोनों ने सलवार सूट पहन रखे थे और काफी सुंदर लग रही थी.देखने में छवि ज्यादा सेक्सी लगती थी और सोनाली भी सुंदर थी लेकिन उसकी शारीरिक बनावट इतनी अच्छी नहीं लग रही थी. आज पारो ने मटन कोरमा बना रखा था जो निहायत ही लज़ीज़ था और साथ में तंदूरी कुलचे थे और शाही पनीर की सब्ज़ी थी. मीठे में मुग़लई फिरनी थी.
खाने के बाद थोड़ी देर गपशप चलती रही और छवि मेरे नैनीताल ट्रिप के बारे में पूछती रही और कोशिश करती रही कि वहाँ जो कुछ भी हुआ था उसको बताओ लेकिन मैंने भी ऐसा पोज़ किया कि वहाँ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था.
फिर मैं अपने कमरे में आ गया और वो दोनों सहेलियाँ बाद में नैना के साथ आ गई.आते ही दोनों मेरे साथ लिपट गई और मुझ को होटों पर ज़बरदस्त किस करने लगी.
मैंने मज़ाक में कहा- वो विनी कह रही थी कि आपने कार में सर्विस करवानी है इसलिए आप दोनों अपनी कारें लेकर आ रहीं हैं? पर मुझको तो कोई कार वॉर नहीं दिख रही?छवि और सोनाली ज़ोर से हंस दी.
फिर छवि बोली- वो क्या है सतीश, हमने मज़ाक में यह कहा था विनी से ताकि वो कुछ गलत न समझे. हमारा मतलब था वहाँ की सर्विस करवाने का?मैं समझ तो गया फिर भी ऐसा जताया मैं नहीं समझा हूँ, मैं बोला- कहाँ की सर्विस करवानी है आप दोनों को खुल कर बताओ न?
छवि अब कुछ हिचकने लगी और उसकी और सोनाली की यह हालत देख कर मैं और नैना दोनों ही हंस रहे थे मन ही मन!मैं बोला- खुल कर बताओ कि किसकी सर्विस करवानी है और कौन सी मशीन की? और वहाँ तेल लगेगा या सूखी ही सर्विस होगी?
अब छवि और सोनाली शर्म से लाल हो रही थी लेकिन मैं भी अड़ा हुआ था कि सर्विस के बारे में पूरी जानकारी लेकर काम शुरू करेंगे.मैं बोला- भई जल्दी बताओ, कौन सी सर्विस और कौन से पार्ट की सर्विस करवानी है आप दोनों ने?
वो दोनों को चुप बैठा देख कर नैना बोली- छवि और सोनू शर्म मत करो साफ़ बता दो किस तरह की सर्विस और किस पार्ट की सर्विस करवानी है आप दोनों ने? वर्कशॉप के मालिक जो पूछ रहे हैं वो बता दो ना?
दोनों अभी भी चुप बैठी थी और उनके मुँह झुके हुए थे, मुझको और नैना को बड़ा मज़ा आ रहा था. मैंने नैना से कहा कि वो स्टोर से मोटा और बड़ा रेंच और पेंचकस ले आये शायद उनकी ज़रूरत पड़ सकती है सर्विस करते हुए!
नैना उठ कर जाने लगी और जाते जाते बोली- वो बड़ी अलमारी वाला या छोटी अलमारी वाला?मैं बोला- दोनों ही ले आओ.
 
जैसे ही नैना उठ कर जाने लगी तो छवि ने उसको पकड़ लिया और उस के कान में कुछ खुसर पसर की और वो वापस आकर बैठ गई और बोली- इन दोनों को वहीं की सर्विस करवानी है जहाँ की आपने पिछली बार की थी.
मैं बोला- पिछली बार तो मैंने इनकी चूत की सर्विस की थी अपने लौड़े से, कहीं वहीं की सर्विस तो नहीं करवानी इन दोनों ने?दोनों एक साथ बोल पड़ी- वहीं की… वहीं की.मैं हँसते हुए बोला- चुदाई का नाम सर्विस करवाना आपने अच्छा रखा.
छवि हँसते हुए बोली- वो हम पड़ोसी के घर से फ़ोन कर रही थी न तो उसके सामने हमको थोड़ा सोच समझ कर बोलना पड़ा.मैं बोला- वाह, क्या हाज़िर जवाबी है. अच्छा तो फिर तैयार हो जाओ दोनों सर्विस करवानी के लिए! लेकिन एक प्रॉब्लम है नैना?नैना बोली- अब क्या परेशानी आ गई?मैं बोला- वो मेरा नीचे वाला भैया शायद सर्विस करवाने का मतलब नहीं समझता है तो छवि को उसको समझाना पड़ेगा. क्यों छवि समझा सकोगी उसको?
छवि बड़ी मुश्किल में पड़ गई.नैना ने उसको तसल्ली देते हुए कहा- मत घबराना छवि, उसको ज़रा मुंह में ले कर बता देना कि कैसे सर्विस होती है. बस काम हो जाएगा.छवि के चेहरे से लग रहा था कि वो काफी परेशान है.
फिर नैना ने सबको कपड़े उतारने के लिए कहा. जैसे ही सब कपड़े उतार बैठी तो सब का ध्यान मेरे लौड़े की तरफ ही था.
जब मैंने कपड़े उतारे तो वाकयी में लंड ढीला पड़ा हुआ था और उसका सर लटका हुआ था. मैंने घबराहट की एक्टिंग करते हुए कहा- छवि या सोनू, प्लीज इसको बताओ सर्विस क्या होती है? नहीं तो यह कुछ ना कर पायेगा.
अब तो नैना भी हैरानी से लंड को देख रही थी जो सच्ची में बैठा हुआ था..
उसने छवि को कहा- इसको अपने लबों के पास ले जाकर बताओ कि सर्विस का क्या मतलब है? हो सके तो एक दो चुम्मियाँ भी कर देना. और सोनू तुम भी तो इसके साथ हो, तुम भी मुंह में लेकर इसको समझाओगी तो शायद मान जाएगा.
दोनों मेरी तरफ बढ़ी और पहले छवि ने लंड को मुंह में ले जाकर उसको ज़रा ज़ोर से कहा- सर्विस का मतलब है चुदाई… कर दो प्लीज.अब सोनू भी बैठ गई और अब उसने लंड को मुंह में लिया और बोली- प्लीज हमारी चुदाई कर दो, बड़ी आस ले कर आई हैं हम दोनों.
जैसे ही सोनू ने यह कहा कि बहुत आस ले कर आई हैं तो लंड टन से उसके मुंह में ही खड़ा हो गया और उसको चूसना पड़ा.
अब छवि ने भी फिर उसको अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो अपने पूरे जोबन में आ गया.
नैना मुझ को बड़े अचरज से देख रही थी, तभी मैंने उसको आँख मारी और वो समझ गई कि यह सब मेरी शरारत है.तब नैना बोली- चलो चलो लड़कियों पहले कौन चुदवायेगा? वो एकदम सामने आ जाए!छवि जल्दी से मेरे सामने आ गई और उसने मुझको एक जफ़्फ़ी मारी और होटों पर किस की.
मैंने भी उसके लबों को चूमना शुरू कर दिया और उसके उरोजों को हाथों में तोलने लगा.काफी चूमा चाटी के बाद मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो लबालब सुगंधित द्रव्य से भरी हुई थी.
मैंने उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर एकदम से उठा लिया और अपने लौड़े के निशाने पर बिठा कर एक ज़ोर का धक्का मारा और फ़च्च से सारा का सारा लंड उसकी टाइट चूत में चला गया.अब मैं कमरे में घूमते हुए छवि को चोद रहा था.
नैना भी सोनू के साथ बिजी थी, कभी उसके मम्मों को चूसती थी और कभी मुंह चूत में डाल कर उसकी भग को चूस रही थी.सोनू के चूतड़ नैना के मुंह में घुसे हुए थे.जब छवि अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी तो मैंने उसको कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया और खुद चूतड़ों को आगे पीछे करने लगा क्यूंकि इस तरह से मेरा अपना कंट्रोल बना रहा.एक चक्कर और कमरे का लगाया और तभी मुझको लगा कि छवि का छूटना शुरू हो गया है और उसका ज़ोर से मेरे साथ चिपकना इस बात का सबूत था.
जब वो छूट गई तो मैंने छवि को पलंग पर लिटा दिया और सोनू को उठा कर पलंग के किनारे पर सीधा लिटा दिया ताकि उसकी टांगें ज़मीन पर थी और बाकी शरीर बेड पर ही था.
फिर मैंने उसकी टांगें चौड़ी करके उसकी चूत को उभार दिया और झट से मैंने लंड को बहुत ही गीली चूत में डाल दिया और गहरे और हल्के धक्के मारने लगा और साथ ही मैं उसके होटों पर एक गर्म चुम्मा दे दिया.
उधर छवि थकी हुई लेटी थी हमारे साथ ही वो देख रही थी कि सोनू की चुदाई कैसे हो रही थी.
सोनू की टांगें मेरी कमर को घेरे हुए थी और लंड का चूत पर पूरा कब्ज़ा बना हुआ था.मैंने धीरे धीरे से अपनी चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी, सोनू इतनी ज्यादा गर्म हो चुकी थी कि वो अपने आप ही अपनी कमर उछाल रही थी, धक्के का जवाब कमर को उछाल कर दे रही थी.
मुझको लगा कि उसको छुटाने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा लेकिन वो काफी कड़ियल लड़की थी और उसके मम्मों को चूमने के बावजूद और नैना का उसको लबों पर किस देने के बाद भी वो मैदान ऐ जंग में डटी हुई थी.
फिर मैंने उसके भग को उंगली से मसलना शुरू किया और वो चंद मिनटों में ही छूट कर कांपने लगी.तबमैंने सोनू को घोड़ी बना दिया और उधर छवि को भी नैना ने घोड़ी बनाया ताकि दोनों की चुदाई साथ साथ हो सके.दोनों को एक साथ घोड़ी बना कर नैना ने उनकी चूतों पर थोड़ी सी पॉण्ड्स क्रीम लगाई ताकि मेरे लंड को चोदने में आलखन रहे.
अब मैंने पहले छवि से शुरू किया और उसको आहसिता आहिस्ता चोदने लगा, पूरा अंदर डाल कर फिर पूरा बाहर निकाल कर फिर पूरी फ़ोर्स से धक्का मारना बहुत जल्दी ही लड़कियों को हरा देता था.
एक के साथ शुरू करके दूसरी की साथ भी यही करने से एक लंड से दो चूतें चुद जाती थी. यह तरीका मेरा बहुत बार आजमाया हुआ था तो मुझ को लंड से चूतें चोदने का थोड़ा बहुत एक्सपीरियंस तो था.
थोड़े ही समय में दोनो काफी पानी छोड़ती हुई धराशायी हो गई और वहीं लेट गई.
क्यूंकि उनके चूतड़ एकदम उभरे हुए थे, मैंने उनके गोल परन्तु छोटे चूतड़ों को चूमने के बाद हल्के हल्के थपकी देनी शुरू कर दी जिस के कारण दोनों के मुंह से आअह उह्ह जैसी आवाज़ निकलने लगी.
शायद उनको बहुत आनन्द आ रहा था इन थपकियों से, दोनों दो दो बार छूट चुकी थी अब और उनके मन में और चुदाने की इच्छा नहीं थी.नैना उनको कपड़े पहनने में मदद करने लगी और फिर वो दोनों मुझको किस करके जाने लगी.मैंने उनको छेड़ते हुए कहा- जब भी आप दोनों की कार को सर्विस की ज़रूरत हो तो हमारी इस छोटी सी वर्कशॉप में ले आना. फ्री सर्विस और फ्री ओइलिंग हो जायेगी.
हम सब बहुत हँसे और खासतौर पर छवि और सोनू भी.

कहानी जारी रहेगी.
 
प्रेमा और रानी से गंधर्व विवाह

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए और हम सिर्फ नैना, पारो और मैं ही आपस में रोज़ मिल लेते थे रात को..एक दिन कॉलेज से लौटा ही थी कि नैना आ गई और आते ही मुझको एक बहुत सख्त आलिंगन किया उसने, मैंने भी जफ़्फ़ी का जवाब जफ़्फ़ी से दिया और एक ज़ोरदार चुम्मा किया उसको लबों पर!
मैंने पूछा- यह किस ख़ुशी में किस-विस कर रही हो नैना रानी? क्या कोई ख़ास बात है?नैना मुस्कराते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, आपका तीर चल गया दोनों पर!मैं बोला- कौन दोनों?नैना बोली- वही ताजमहल-1 और ताजमहल-2 पर.मैं बोला- कौन सा तीर यार?
नैना बोली- अरे भूल गए क्या? वो प्रेमा और रानी का फ़ोन आया था, वो आज दोनों आई थी मुझसे मिलने. जानते हो क्या हुआ?मैं बोला- जल्दी बताओ क्या हुआ उन दोनों को? ठीक तो हैं न?नैना बोली- अरे वो ठीक हैं, आज पक्का हो गया कि दोनों ही गर्भवती हो गई हैं.मैं बोला-अच्छा, वाह, कमाल कर दिया तुमने नैना रानी! तुम्हारा मतलब है कि रानी और प्रेमा दोनों ही हो गई हैं गर्भवती.नैना बोली- हाँ, दोनों में आपका कीड़ा काम कर गया है. बड़ी खुश हैं दोनों, कल फिर आएँगी तुम्हारा थैंक्स करने और थोड़ा चुदवाने भी, क्यों कर सकोगे उनकी चुदाई को कल भी?

मैं बोला- आने दो ताजमहलों को, उनकी ख़ूबसूरती का नज़ारा करना है.नैना बोली- मैं कल का टाइम फिक्स कर लेती हूँ उन दोनों से. एक और केस आया है.मैं बोला- कौन है वह?नैना बोली- अपने पड़ोस वाली आंटी है, न उसने आज शाम को मुझको और आपको चाय पर बुलाया है.
मैं बोला- कौन हैं वो?नैना बोली- वो ठाकुर साहिब हैं, उनकी धर्म पत्नी है. ठाकुर साहिब बाहर गए है तो वो आज आई थी हमारी कोठी मैं. मैंने उसको चाय वगैरह पिलाई थी उनको, इसलिए आज शाम वो हमको चाय पिलाना चाहती है और आप से मिलना भी चाहती हैं.मैं बोला- कैसे हैं वो?नैना हँसते हुए बोली- ताजमहल 3 है, उसको भी बच्चा नहीं हो रहा है बहुत अरसे की शादी के बाद भी!मैं हँसते हुए बोला- फिर सरकारी सांड वाली ड्यूटी?
नैना भी हंसने लगी और बोली- मैंने आज उसका भी चेकअप किया है, वो भी तो ठीक है लेकिन फिर भी माँ नहीं बन पा रही?मैं बोला- ठीक है, जैसे तुम कहोगी वैसा ही कर लेंगे यार, चीज़ अच्छी होने चाहिये बस, उसकी कोठी में कितने लोग हैं?नैना बोली- ठकुराइन कह रही थी कि एक उसकी नौकरानी है और बाहर चौकीदार है.मैं बोला- तो शाम को उसको अपने घर में ही बुला लेती न?नैना बोली- मैंने सोचा कि कभी पड़ोस वाली आंटी से भी बना कर रखनी चाहिये न!
शाम को हम दोनों पड़ोस वाली आंटी के घर गए, आंटी वाकयी में बेहद खूबसूरत थी और मुझको देख कर चहकने लगी, हमारा स्वागत करते हुए बोली- आओ सतीश जी, आपके मम्मी पापा से तो मैं मिल चुकी हूँ कई बार लेकिन आपको कॉलेज जाते हुए ज़रूर देखती हूँ कभी कभी, बड़े स्मार्ट लड़के हैं आप तो.मैं शर्माते हुए बोला- नहीं आंटी कोई ख़ास स्मार्ट नहीं हैं हम, लखनऊ के लड़के और लड़कियाँ तो बहुत ही तेज़ और स्मार्ट हैं जी!
फिर औपचारिक बातचीत के बाद चाय का दौर चला, मैंने ध्यान से आंटी को देखा, वो भी एकदम सफ़ेद रंग और भरे हुए जिस्म वाली औरत थी, उम्र होगी 26-27 साल, उरोज और नितम्ब मोटे और गोल और चेहरे पर लाल रंगत बताती थी कि आंटी काफी सुन्दर हैं और उसका जिस्म भी किसी तरह से ताजमहल से कम नहीं होगा.
मैं चाय पी रहा था, तभी नैना और आंटी उठ कर दूसरे कमरे में चली गई. 10 मिन्ट बाद वो वापस आई तो दोनों बड़ी खुश लग रही थी.फिर हम विदा लेकर घर वापस आ गए.
घर आकर नैना मेरे पीछे ही आ गई और दरवाज़ा बंद करके बोली- वो सुमिता आंटी कह रही थी कि आप उसको पसंद हैं. जब चाहो उसके साथ समय फिक्स कर लेते हैं.मैं बोला- पर नैना, तुमने बताया था कि उसका पति आजकल बाहर गया हुआ है तो उसके आ जाने के बाद यह काम शुरू करें?नैना बोली- हाँ वो तो सही है लेकिन एक दो बार उसकी आपसे चुदने की मर्ज़ी है, मैंने कह दिया है कि दो दिन बाद का टाइम रख लेते हैं, वो चाहती है कि उसके घर में आप उसकी चुदाई करो, क्यों ठीक है?
मैं घबरा कर बोला- नहीं, मैं उसके घर में नहीं जाऊँगा. चुदाई होगी तो इसी कोठी में होगी नहीं तो नहीं.नैना बोली- ठीक है, यही करना उचित है, लेकिन वो बहनों की प्रॉब्लम है न? कॉलेज से आने के बाद वो घर में जमी रहित हैं न, मुश्किल होती है किसी को बुलाने में!
 
हम अभी बातें कर ही रहे थे कि बाहर से दरवाज़ा खटका, झट खोला नैना ने और सामने पारो को पाया.वो बोली- छोटे मालिक का फ़ोन है घर से!
मैं जल्दी से फ़ोन सुनने के लिए बैठक में गया और हेलो किया तो उधर से गीति और विनी की मम्मी का फ़ोन था, बड़े प्यार से बोली- बेटा कैसे हो तुम सब?मैंने जवाब में कहा- ठीक हैं हम सब!फिर उन्होंने कहा- गीति को बुला दो, ज़रूरी बात करनी है.मैंने अच्छा आंटी जी!और गीति को उसके कमरे से बुलाया.
थोड़ी देर बाद गीति और विनी मेरे कमरे में आईं और बहुत ख़ुशी से बोली- पापा यहाँ आ रहे हैं हम दोनों को गाँव ले जाने के लिए आज ही क्योंकि गीति की सगाई फिक्स हो गई है.हम सबने गीति को बधाई दी.
शाम को उसके पापा और मम्मी आये और दोनों बहनों को वापस ले गए.जाने से पहले दोनों बहनें मेरे कमरे में आईं और मेरा शुक्रिया अदा करने लगी और जाते जाते मुझको लबों पर हॉट किस कर के गई और नैना और पारो का भी बहुत शुक्रिया अदा किया.
उनके जाने के बाद हम सबने चैन की सांस ली कि ‘चलो बहनों की प्रॉब्लम भी दूर हो गई, अब हम आज़ादी से कुछ भी कर सकते हैं कोठी में!पारो और नैना दोनों बड़ी खुश थी.
नैना ने उसी समय प्रेमा और रानी को फ़ोन किया और कहा- आप जब चाहो आ सकती हो!अगले दिन दोनों ने दो बजे का टाइम निश्चित किया.
अगले दिन मैं कॉलेज से टाइम पर आ गया और खान खाकर थोड़ी देर के लिए लेट गया.तभी नैना तजमहलों को ले कर आ गई.
बड़ी हॉट चूमाचाटी हुई और फिर दोनों ने मुझको नंगा करके मेरे लंड को पहले तो टीका लगाया और फिर उसके गले में छोटा मोगरे का हार पहना दिया.
मैं नैना और पारो बड़े ही आनन्द से मेरे लंड की पूजा का नज़ारा देख रहे थे. दोनों ने मेरे माथे में टीका लगाया और फिर मेरे गले में फ़ूलगेंदे का हार डाला.
नैना बोली- आप दोनों छोटे मालिक से शादी कर लो अभी!प्रेमा और रानी हैरानी से बोली- शादी कर लें सतीश से? वो क्यों?नैना बोली- ऐसा है, आपके अंदर जन्म लेने वाले बालक का वास्तव पिता तो सतीश ही है न? अगर तुम दोनों उससे गंधर्व विवाह कर लोगी तो आप पर नाजायज़ औलाद की माँ होने का पाप नहीं चढ़ेगा.
दोनों एक दूसरी को देखने लगी.
पारो भी बोली- आप कहाँ कोई सचमुच में शादी कर रहे हो, यह तो केवल नकली शादी है जिसका नाम गन्धर्व विवाह डाल दिया गया है, आप हाँ कर दो बस!दोनों ने हामी भर दी.
नैना बोली- चलो, आप सब नंगी हो जाओ.यह कह कर वो रानी की साड़ी और पेटीकोट उतारने लगी और नैना प्रेमा की साड़ी और पेटीकोट उतारने लगी.थोड़ी देर में वो दोनों नंगी हो गई.यह देख कर मैंने कहा- पंडित लोग भी तो कपड़े उतार दें तो शुभ होगा गन्धर्व विवाह के लिए!यह सुन कर सब बड़े ज़ोर से हंस पड़े.
मेरा लौड़ा तो वैसे ही तना हुआ था यह नया तमाशा देख और झूम उठा!अब चार चूतें मेरे लंड के सामने नंगी खड़ी थी.
तब नैना ने कार्यक्रम शुरू किया, सबसे पहले उसने प्रेमा और रानी के माथों पर सिंदूर का टीका लगाया और फिर वही उनके मम्मों और चूत पर लगाया गया.फिर उसने मेरे माथे पर टीका लगाया और मेरी छाती के चुचूकों पर टीका लगाया और आखिर में उसने मेरे लंड पर टीका लगाया.
फिर नैना ने प्रेमा और रानी को साथ खड़ा किया और दोनों को हाथ मेरे लंड पर रख देने को कहा.
जब दोनों ने हाथ लंड पर रखा तो वो बोली- आप दोनों मेरे पीछे पीछे बोलो ‘हे हमारे स्वामी लंड जी महाराज जी, आपने कृपा करके हम दोनों को एक एक पुत्र का दान दिया है, इस लिए हम आपके आभारी हैं, हम आज से आपकी गन्धर्व पत्नी बन गई हैं, हमको आगे चल कर भी पुत्र दान देते रहें!तथास्तु!!
नैना बोलती रही- अब रानी, यह माला लीजिये और सतीश के गले में डालिये और सतीश, आप यह माला लेकर रानी के गले में डालिये और इसी तरह प्रेमा जी आप भी इसी तरह माला का आदान प्रदान सतीश के साथ करो.
नैना बोल रही थी- अब यह विवाह सम्पन हुआ, अब सतीश जी आपकी ये दोनों सुन्दर पत्नियाँ हैं, इनका भोग आरम्भ कर सकते हैं.
 
यह सुनते ही पारो प्रेमा को पलंग पर ले आई और उसको लिटा दिया और मुझको उसकी चौड़ी जांघों में बिठा दिया और अपने हाथ से खड़ा लंड प्रेमा की गीली चूत में डाल दिया.
जैसे ही मेरा लंड प्रेमा की चूत में गया तो मैंने अपने पुराने ढंग से चुदाई शुरू कर दी और थोड़े समय में ही प्रेमा की चूत का पानी छुड़ा दिया.तभी नैना रानी को तैयार करके ले आई और प्रेमा की जगह लिटा दिया और वैसे ही उसकी चूत में मेरा लंड डाल दिया.उसको भी मैंने प्रेम से चोदा और कुछ ही मिनटों में वो भी झड़ गई.
तब मैं उठा और कहा- अब दोनों पंडितों की बारी है, उनको भी लंड देवता की पूजा कर लेनी चाहिए.प्रेमा और रानी ने भी ज़ोर दे कर कहा- इन दोनों को भी लंड देवता का प्रसाद मिलना चाहिए.
और फिर मैंने पहले छोटे पंडित को लंड देवता का प्रसाद दिया और फिर बड़े पंडित साहिब को भी लंड का प्रसाद दिया गया.यह काम हो जाने के बाद हम सब उठे और एक दूसरे को गले लगा लिया.
फिर मैं कमरे के मध्य में खड़ा हो गया और अपने लंड की और इशारा करते हुए बोला- हे अति सुन्दर देवियो, सबके साथ कामक्रीड़ा करके में बहुत भाग्यवान पुरुष बन गया हूँ, इसलिए मैं आप सबकी चूतों को प्रणाम करना चाहता हूँ.यह कह के मैंने सब औरतों को लाइन में खड़ा कर दिया एक एक कर के सबकी चूतों को झुक कर नमस्कार करने लगा.
मुझको यह करते देख कर नैना तो हंसी के मारे लोटपोट हो गई और पारो भी मुंह में पल्लू डाल कर हंस रही थी.मैं शांत भाव से अपने काम में मस्त रहा, प्रेमा की चूत को और फिर रानी की चूत को और उसके बाद नैना की और पारो की चूत को भी पूरा नमस्कार किया.दोनों ताजमहल भी मेरे तरह से शांत भाव से मेरे नमस्कार का जवाब दे रहे थे.
नैना अब संयत हो चुकी थी और उसने प्रेमा और रानी को कहा- अब आपका गन्धर्व विवाह संपन्न हो चुका है और अब आप और आप के बच्चे पाप से मुक्त हैं.मैं बोला- मेरे पति का रोल सिर्फ यहीं तक था और यह अब आपकी श्रद्धा के ऊपर है कि आप मुझको कभी कभी अपनी चूतों के दर्शन करवाती रहें.
मैंने आगे बढ़ कर प्रेमा के नग्न मम्मों को चूमा और रानी के चूतड़ों को भी सहलाया, फिर दोनों के लबों पर एक एक गर्म चुम्मी देकर कहा- अगर कभी आप को ज़रूरत हो तो मुझ गरीब को याद कर लिया कीजिये, मैं आपकी चूत की सेवा के लिए सदा तैयार रहूँगा.
नैना ने मुझको दिलासा दी और मुझको लेकर दूसरे कमरे में चली गई. वो हंस रही थी लेकिन मैं सीरियस हो गया था.
वो बोली- छोटे मालिक, आप तो सच मान बैठे, यह तो हम सब मज़ाक कर रहे थे, उन दोनों के साथ चुहलबाज़ी थी और कुछ नहीं.
थोड़ी देर बाद मैं संयत हो गया और कपड़े पहन कर प्रेमा और रानी के पास आ गया.वो दोनों कोकाकोला पी रही थी और पारो मेरे लिए भी ले आई थी.
जाने से पहले नैना ने उनको काफी विस्तार से सब कुछ समझाया और जो कुछ भी दिक्कतें आ सकती थी, उनके बारे में भी बताया.फिर वो दोनों अपने घर चली गई.

कहानी जारी रहेगी.
 
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