XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 10 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

गीति बोली- ठीक है, आज रात का प्रोग्राम है न?मैं बोला- तुम फैसला करो, मेरी तरफ से तो हाँ है ही. जैसा कि तुम देख रही हो, मैं तो हर वक्त तैयार रहता हूँ.गीति हँसते हुए बोली- वही तो!मैं बोला- तो जाओ अपनी पिकनिक पर!गीति बोली- ठीक है..
वो मुड़ी जाने के लिए फिर न जाने क्या सोच कर मुड़ी और तेज़ी से आई और मेरे खड़े लंड को चूम कर भाग गई.नैना यह सारा नज़ारा देख रही थी दरवाज़े के पीछे से, वो हँसते हुए आई और बोली- वाह छोटे मालिक, मान गए ! आप वाकयी में प्रेमियों के बादशाह हो.मैं बोला- आओ ज़रा पकड़ो तो सही इस लंड को, बैठ ही नहीं रहा साला!
नैना मुस्कराती हुई आई और मेरे लंड के साथ खेलने लगी, फिर उसने उसको मुंह में डाल लिया और चूसने लगी.मैं बोला- अरे नैना, दरवाज़ा तो बंद कर ले ना यार, नहीं तो कोई और आ जायेगा.
नैना गई और दरवाज़ा बंद कर ही रही थी कि विनी आ गई, उसकी आवाज़ सुन कर मैं बाथरूम में भाग गया, मुझको कमरे में न देख कर वो वापस चली गई.
नैना ने बाथरूम का दरवाज़ा खटखटाया और मैं वैसे ही बाहर निकल आया, बाहर आते ही मैंने नैना को पकड़ लिया और उसकी धोती को पीछे से ऊंचा कर दिया और उसको पलंग के ऊपर हाथ रख कर खड़ा कर और फिर मैंने ज़रा सी थूक लंड पर लगाई और हिनहिनाते लंड को नैना की चूत में घुसेड़ दिया.
पहले धीरे धीरे शुरू कर के तेज़ी से धक्के मारे तो नैना जल्दी ही झड़ गई और फिर मैंने लम्बे लम्बे धक्के लगाये यानि पूरा निकाल कर फिर पूरा अंदर डाल कर धक्के मारना शुरू किया.और तकरीबन 10 मिन्ट की चुदाई में ही नैना फिर कांपती हुई झड़ गई.अब नैना बोली- बस करो छोटे मालिक, बहुत हो गया.
मैंने अपना लंड निकाल लिया और नैना ने अपने पेटीकोट से मेरा लंड साफ़ किया और अपनी धोती नीचे करके बाहर जाने के लिए तैयार हुई फिर वो रुक कर मुझको एक ज़ोर से प्यार की जफ़्फ़ी मारी और लबों पर गीली चुम्मी की और बोली- एक बात कहूँ छोटे मालिक?मैं बोला- हाँ हाँ, बोलो?नैना बोली- छोटे मालिक, आपकी जो भी बीवी होगी, वो बहुत ही खुशकिस्मत होगी.मैं बोला- क्यों क्यों?नैना हँसते हुए बोली- आप उसकी इतनी चुदाई करोगे, वो आपकी ग़ुलाम बन कर रहेगी हमेशा.मैं भी हँसते हुए बोला- नैना, तुम ही चुनना, जो भी लड़की तुमको पसंद होगी, मैं उससे ही शादी करूंगा. ठीक है न?नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक, मैं ही चुन लूंगी आपके लिए लड़की.यह कह कर वो चली गई.
रात को खाना खाने के बाद दोनों बहनें मेरे कमरे में एकत्रित हुईं, नैना भी आ गई. हम सबने कोकाकोला पिया और फिर बातें शुरू हुईं.नैना बोली- देखो गीति और विनी, तुम दोनों की योनि में काफी इन्फेक्शन थी जिस कारण से छोटे मालिक ने आपके साथ सेक्स करने से इंकार कर दिया था और मैं आपको लेडी डॉक्टर से इलाज के लिए ले गई थी. अब तुम दोनों ठीक हो और काम क्रीड़ा के लिए तैयार हो. इस बारे में छोटे मालिक आपसे कुछ पूछना चाहते हैं. ठीक है?दोनों ने हाँ में सर हिला दिया.
मैं बोला- देखो, तुम दोनों मेरे पापा के खास मित्र की लड़कियाँ हो और वो तुम को मेरे को सौंप कर गए हैं ताकि तुम कॉलेज की पढाई पूरी कर सको. अब यह मेरे लिए बहुत गलत होगा कि मैं उनके विश्वास को तोडूँ और तुम से सम्बन्ध बनाऊँ.दोनों लड़कियाँ चुप रहीं.
फिर कुछ सोचने के बाद गीति बोली- सतीश, तुम ठीक कह रहे हो लेकिन हम भी तो काफी आस लगाये बैठी थी इतने दिन कि ठीक होने पर हम तुमसे ज़रूर मिल लेंगे. तुम ही बताओ कि हम क्या करें जिससे तुमको यह फीलिंग न हो कि तुम पापा के दोस्त की लड़कियों के साथ कुछ गलत कर रहो हो?
मैंने नैना की तरफ देखा, वो समझ गई और बोली- गीति और विनी, तुमको सतीश की भावना का आदर करना चाहये लेकिन आप दोनों की बहुत ही इच्छा है तो तुम यह कागज पर लिख कर दे दो कि तुम जो यह सब करने जा रही हो वो तुम्हारी अपनी मर्ज़ी से है और इसमें सतीश का कोई दोष या दबाव नहीं है.
दोनों झट मान गई और नैना ने जो कागज़ तैयार कर रखा था उस पर दोनों ने दस्तखत कर दिए.अब नैना बोली- अच्छा यह बताओ तुम ‘सेक्स कैसे करते हैं’ देखना चाहोगी या फिर सीधे खुद ही करने के लिए तैयार हो?दोनों बोली- देखना क्या है, जो सुन रखा है सहेलियों से वही ही तो होगा ना?
नैना हंस पड़ी- बड़ी जल्दी है चुदवाने की तुम दोनों को?दोनों खी खी करके हंसने लगी.नैना बोली- अच्छा तो उतारो अपनी साड़ियाँ और ब्लाउज एक एक कर के!
गीति बड़े नाज़ो अंदाज़ से कपड़े उतार रही थी और विनी जल्दी जल्दी सब कपड़े उतार कर मैदान में आ गई. उसके मम्मे छोटे और सख्त थे और उसके चूतड़ गोल लेकिन बहुत छोटे थे.उधर गीति भी कपड़े उतार कर तैयार होकर आ गई. वो भी पूरी कॉपी थी छोटी बहन की, दोनों काफी पतली थी लेकिन फिर भी काफी सेक्सी लग रही थी.दोनों की चूत पर घने काले बाल छाए हुए थे.
विनी जल्दी से मेरे पास आई और मेरे होटों पर चूमने लगी, गीति शांत खड़ी थी.तब तक मैं और नैना भी कपड़ेउतार चुके थे. नैना के सामने दोनों लड़कियाँ बहुत किशोर युवतियाँ लग़ रही थी.

कहानी जारी रहेगी.
 
गीति और विनी की चुदाई

तब तक मैं और नैना भी कपड़े उतार चुके थे. नैना के सामने दोनों लड़कियाँ बहुत ही कमसिन लग़ रही थी.नैना ने पहले गीति के मम्मे छुए और फिर वो विनी के पास गई, दोनों को अपनी बाँहों में ले कर वो उनको गोल गोल घुमाने लगी और साथ ही कभी उनके मम्मे या फिर उनके चूतड़ को दबाने लगी.
ऐसा करते हुए वो उन दोनों को लेकर मेरे पास आ गई और गीति को मेरे को सौंपते हुए बोली- यह देसी माल तैयार है.मैंने झट से गीति को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर उसके होटों पर एक बहुत ही गर्म चुम्मी दी, फिर मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू किया और गीति के हाथ मेरे लौड़े को लेकर खेलने लगे.
मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली थी और उसकी भग भी एकदम उभरी हुई और सख्त हो गई थी.मैं बैठ गया और अपना मुंह खड़ी हुई गीति की बालों से भरी चूत में डाल दिया और उसकी मोटे भग को चूसने लगा.गीति एकदम तड़फड़ाने लगी.
उधर नैना विनी के साथ लगी हुई थी और उसके मम्मों को चूस रही थी और एक ऊँगली से उसकी भग को रगड़ रही थी.उन दोनों को बिजी देख कर मैंने हल्की फुल्की गीति को चूतड़ों से उठाया और अपने लौड़े के बराबर लाकर चूत के मुंह पर टिका दिया. थोड़ी देर में उसकी चूत को बाहर से लंड से रगड़ रहा था और फिर धीरे धीरे मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू किया.

जैसे ही लंड पूरा उसके अंदर चला गया, वो मुझ से एकदम चिपक गई, मैं उसको उसी दिशा में लेकर पलंग के पास घूम आया और फिर उसको बेड पर लिटा दिया और खुद उसकी टांगों में बैठ गया.
पहले हल्के धक्के और फिर तेज़ धक्के मार कर मैं उसकी कुंवारी चूत का आनन्द लेने लगा.उसकी चूत गाजर मूली को डालने से थोड़ी खुली हुई थी लेकिन लौड़े को पहली बार अपने अंदर ले रही थी तो उसको लंड की गर्मी को पहली बार महसूस करने का मौका मिल रहा था..
उसकी आँखें बंद थी और वो मस्त होकर अपने चूतड़ उठा उठा कर चुदवा रही थी. मैं भी लौड़ा उसकी चूत के पूरे आखिरी छोर तक डाल रहा था.5 मिन्ट में वो बड़ी तीव्रता से स्खलित हो गई, उसके शरीर की कम्कम्पाहट काफी देर तक चलती रही.
मैं बिस्तर पर लेट गया और नैना को इशारा किया और वो विनी को उठा कर मेरे पास ले आई और मेरे साथ लिटा दिया.विनी ने लेटते ही मुझ पर चढ़ाई कर दी, वो मेरे ऊपर आकर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे खड़े लंड को अपनी चूत के द्वार पर रख दिया और झट से उसके ऊपर बैठ गई, बड़ी जल्दी ही लंड पूरा उसके अंदर चला गया.
नैना ने गीति के मुंह और चूत को तौलिये से साफ़ किया और वो उसके साथ ही लेट गई और अपनी टांगें उसके पेट पर रख दी और उसकी चूत को ऊँगली से रगड़ने लगी.
इधर विनी आँखें बंद किये मेरे ऊपर नीचे हो रही थी. जब उसका मेरे लौड़े पर नाचना बहुत तेज़ हो गया तो मैं समझ गया कि यह कुंवारी चूत भी झड़ने वाली है.मैंने उसको पलट दिया और उसको अपने नीचे ले कर ज़ोरदार धक्के मारने लगा.और जैसे ही विनी छूटी, वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई और उसकी चूत से एक ज़ोरदार पानी का फव्वारा छूटा जिसका रस सारा मेरे पेट पर गिरा.
दोनों बहनें बेजान सी पड़ी हुई थी और मेरा घोड़ा तो अभी भी हिनहिना रहा था.मैंने देखा कि नैना बेचारी ऊँगली चूत में मार रही थी, मैंने उसको अपने पास लिटा लिया और उसकी चौड़ी टांगों के बीच चूत में अपना मोटा और लम्बा लंड डाल दिया, फिर मैंने उसको साइड में लिटा कर उसकी पीछे से लंड डाल दिया.
साइड चुदाई में मज़ा यह है कि कोई किसी के ऊपर या नीचे नहीं होता चमचा बना कर चोदना कहलाता है और किसी को भी जल्दी करने की ज़रूरत नहीं होती.मैंने नैना की गांड अपनी तरफ कर रखी थी और मेरी दूसरी तरफ विनी लेटी थी और उसके साथ गीति थी. विनी ने अपनी मम्मे मुझ से पीछे से चिपका रखे थे और मैं नैना की मोटी और टाइट चूत में लंड डाल कर धीरे धीरे धक्के मार रहा था.धक्के मारते हुए मेरी आँख भी लग रही थी तो कुछ मिन्ट बाद नैना अपनी गांड का झटका मार कर मुझको जगा देती थी और मैं फिर धक्के मारना शुरू हो जाता था.
यह सिलसिला कोई मेरे ख्याल में आधा घंटा चला होगा, फिर मैंने मेहसूस किया कि नैना को भी शरीर में कंपकंपी हुई और फिर उसने हिलना बंद कर दिया.मैं समझ गया कि नैना की चूत को भी किनारा मिल गया और वो गहरी नींद में सो गई.मैं नैना की चूत में ही खड़े लंड को डाले सो गया.

 
करीब आधी रात को मुझ को ऐसा लगा कि मेरे ऊपर कोई बैठा हुआ है.मैंने आँखें खोली लेकिन मुझ को कोई दिखा नहीं और मैं फिर सो गया करवट बदल कर.
एक बार फिर मुझ को ऐसा महसूस हुआ कि कोई मेरे लंड के ऊपर बैठ हुआ है और ऊपर नीचे हो रहा है. मैंने उठ कर देखने की कोशिश की, मुझको कोई भी नहीं दिखा और फिर मैं जल्दी ही सो गया.
अब मैंने करवट बदल दी तो मेरा हाथ सीधा छोटे गोल मम्मों पर पड़ा, मैंने उनको आहिस्ता से दबाना शुरू किया और फिर सोये सोये ही मेरा हाथ न जाने कैसे किसी बालों भरी चूत पर जा पड़ा और मैं अनजाने में चूत के बालों को उँगलियों में लपेट रहा हूँ ऐसा मुझको लगा.यह शायद सब सपना है, ऐसा मैंने सोचा और फिर करवट ली तो हाथ मोटे और गोल, मम्मों पर पड़ा.अब मेरी नींद खुल गई.मैं उठ कर बैठ गया और नाईट बल्ब की रोशनी में देखा की मेरे बाएं तरफ नैना लेटी है और दायें तरफ गीति लेटी है, नैना के गोल मम्मे मैंने हाथ में पकड़े हुए हैं और गीति की बालों भरी चूत भी खुली पड़ी है और मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत में है.मैं मंद मंद हंसा और फिर लेट गया और जल्दी ही मेरी फिर से नींद लग गई.
सुबह जब मैं उठा तो सामने नैना खड़ी थी हाथों में चाय का कप लेकर!
उसने इशारा किया, मेरे बेड में दोनों लड़कियों की तरफ जो अल्फ नंगी बेखबर सोई थी. मेरे वाली साइड में विनी थी और उसकी दूसरी तरफ गीति.मैंने आँखें मल कर फिर देखा तो यही देखा. मैं उठा और जल्दी से कपड़े पहन लिए और टेबल और कुर्सी पर बैठ गया.
चाय पीते हुए मैंने नैना से पूछा- कल रात तुम्हारा कितनी बार छूटा था.वो बोली- यही कोई 3-4 बार क्यों?मैं बोला- मुझ को ऐसा लगा कि रात भर मुझ को कोई चोदता रहा है.
नैना बोली- वाह छोटे मालिक, आपको पता ही नहीं चलता कि रात को कौन कौन आप के लंड का इस्तेमाल करता है.मैं हैरान होकर बोला- किस किस ने किया मेरे लंड का इस्तेमाल सोने के बाद?नैना बोली- दो बार तो मैं चढ़ी हूँ आपके ऊपर और हर बार मेरा छूटा है.मैं हैरानी से बोला- और कौन चढ़ा था?नैना बोली- दोनों बहनों ने दो दो बार आप को चोदा है.
मैं एकदम सकते में आ गया, उफ़ यह कैसी नींद थी जो मुझको पता ही नहीं चला कि कौन मुझको चोद गया.मैं नैना से बोला- कल से मैं लंगोट पहन कर सोया करूंगा.
मैंने यह बात कुछ ज़ोर से कह दी और दोनों बहनें भी उठ कर बैठ गई और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी.उसी वक़्त पारो भी बहनों की चाय लेकर आ गई थी और जब उसने बात सुनी तो वो भी बहुत हंसी.मैं बुरी तरह से झेंप गया! मैं क्या करता, सारा कसूर तो साले मेरे लंड का था जो मानता ही नहीं.
मैंने हँसते हुए पारो को कहा- तुम क्यों बच गई, तुम भी आ जाती न?पारो हँसते हुए बोली- मैं कैसे आती? मैं तो बाहर अपनी कोठरी में थी ना!
और फिर हम जल्दी जल्दी कॉलेज जाने की तैयारी में लग गए.

कहानी जारी रहेगी.

 
प्रेमा आंटी की चूत चुदाई

कालेज से वापस आया तो बैठक में नैना के साथ एक औरत बैठी थी, मुझको देखकर नैना ने मेरा परिचय करवाया कि मैं सतीश ज़मींदार साहिब का बेटा और आजकल यहाँ कॉलेज में पढ़ रहा हूँ और आप हैं प्रेमा भाभी, हमारे पड़ोस वाले मोहल्ले में रहती हैं और मुझ को रोज़ सब्ज़ी मार्किट में मिलती हैं.
मैंने भी नमस्ते की उनको और वहाँ शिष्टाचार के नाते थोड़ी देर के लिए बैठ गया.मैंने उस महिला को ध्यान से देखा, वो काफी खूबसूरत लगी, रंग एकदम गोरा और शरीर भी गठा हुआ, काफी बड़े मम्मे और काफी मोटे चूतड़ भी, उम्र होगी कोई 24-25 साल की!
मैं उठा और जाते जाते नैना को बोल गया- आंटी को ठंडा गर्म पिलाओ न!नैना ने हाँ में सर हिला दिया.

मैं अपने कमरे में आ गया और बूट उतार कर बिस्तर पर लेट गया. आज कॉलेज में वो सारी लड़कियाँ मिली जो नैनीताल में मेरे साथ थी. उनके साथ कुछ और लड़कियों के साथ भी परिचय हुआ जो मुझको बड़ी ही गर्म नज़रों से देख रहीं थी, उनकी आँखों में मैंने साफ़ तौर से पूरा निमंत्रण पढ़ा, उनमें से कई ने हिंट दिया कि कभी उनको भी मौका दूँ अपने जौहर दिखाने का!
मैंने किसी को कोई लिफ्ट नहीं दी लेकिन नैनीताल वाले ग्रुप को कैंटीन में ले जा कर हम सबने मिल कर खूब खाया और पिया.इस मिनी पार्टी के पैसे मैंने ही दिए और चारों लड़कियों को खुश कर दिया.
नैनीताल ट्रिप के बाद मैं कॉलेज की सब लड़कियों में बहुत ही पॉपुलर हो गया था जिससे कई सीनियर लड़के जलने लगे.हालात को काबू में रखने के लिए मैंने शानू को अकेले में बुला कर समझाया कि वो सब सहेलियों को बता दे कोई भी डींग या शेखी न बघारने लगे जो इन लड़कों के कान में पड़ जाने से हम सब को बहुत खतरा हो सकता है, ख़ास तौर से लड़कियों को.
थोड़ी देर बाद नैना आई और बोली- कैसा रहा कॉलेज आज?मैंने कहा- बहुत अच्छा था! और कई और लड़कियों ने आँखों आँखों में अपने को समपर्ण करने के पेशकश की है. हम दोनों खूब हँसे.फिर नैना बोली- देखा प्रेमा आंटी को?मैंने कहा- हाँ देखा, अच्छी खूबसूरत औरत है यार नैना.नैना बोली- रोज़ मार्किट में मिलती थी तो आज मैंने उसको घर बुला लिया, गलत तो नहीं किया ना?मैं बोला- नहीं नैना बेगम, तुम तो घर की मालकिन हो. तुम्हारे सर तो घर चलता है. जब चाहो, जिसको चाहो तुम बुला सकती हो.
नैना बोली- यह रोज़ मुझ को अपनी मुसीबत के बारे में बताती रहती थी सो मैंने सोचा आज घर बुला कर इसकी सारी बात तो जानें. तो मैंने आज उससे कहा कि मुझको सब सच सच बता दो बिना किसी शर्म के.और मैं इसको घर ले आई.मैं बोला- अच्छा किया नैना तुमने जो कुछ मदद हो सकती है, वो करनी चाहिए न!
नैना बोली- यह बेचारी 6 साल से शादीशुदा है लेकिन इसके घर में बच्चा नहीं हो रहा, इसका पति थोड़ा मोटा है और चुदाई का शौक़ीन नहीं है, बस कभी कभी महीने में एक बार चोद देता है इसको, जिससे इसकी तसल्ली तो बिल्कुल नहीं होती और बच्चा भी नहीं हुआ अब तक. और ऊपर से इसकी सास रोज़ धमकी देती है कि अगर बच्चा नहीं हुआ एक साल के अंदर तो वो अपने बेटे की दूसरी शादी कर देगी.
मैं बोला – यह तो सरासर जुल्म है बेचारी पर!नैना बोली – वही तो, आज मैंने उसका सारा चेकअप भी किया और यह पाया कि वो पूरी तरह से ठीक है और जो भी खराबी है वो उसके पति में है.मैं बोला- अच्छा फिर क्या सोचा है उसके लिए?नैना बोली- आपकी मदद की ज़रूरत है, अगर आप उसको हेल्प करो तो वह सो फीसदी माँ बन सकती है.
मैं घबरा गया और बोला- मैं क्या मदद कर सकता हूँ नैना डार्लिंग?नैना बोली- वही मदद जो आपने फुलवा, छाया और बिंदु को दी.मैं हैरान होकर बोला- तुम्हारा मतलब है प्रेमा आंटी की चुदाई?नैना बोली- हाँ! अभी मैंने उससे खुल कर इस विषय में बात नहीं की लेकिन पहले यह ज़रूरी है कि आपकी मर्ज़ी जान ली जाए, तभी आगे बात की जाए.
मैं चुपचाप सोचने लगा कि काम तो भलाई का है लेकिन इस में खतरा भी बहुत है और फिर चुदाई का समय और स्थान भी तो देखना पड़ेगा ना!मैं बोला- पहले तो प्रेमा आंटी इस काम के लिए तैयार नहीं होगी और अगर हो गई तो भी जगह और समय का भी तो बंधन है ना?नैना बोली- छोटे मालिक, आप सिर्फ हाँ कर दो, आगे मैं देख लूंगी, सारे प्रबंध मैं कर लूंगी.मैं बोला- चलो मैं हाँ भी कर देता हूँ तो भी कब और कहाँ का फैसला मुश्किल है, वो कैसे करोगी मेरी जान?
नैना बोली- प्रेमा की सास सवेरे 10 से 4 बजे रोज़ अपनी बेटी के घर जाती है यहीं लखनऊ में! तभी प्रेमा सब्ज़ी वगैरह लेने मार्किट आती है और वो यहाँ दो घंटे सहेलियों के साथ गपशप करती है और फिर घर चली जाती है. वो हमारे पास कम से कम दो घंटे रह सकती है और यह समय चुदाई के काम के लिए काफी हैं.

 
मैं बोला- जगह कहाँ से आयेगी सरकार मेरी?नैना बोली- अपनी कोठी और कहाँ?मैं बोला- पारो और बहनों का क्या होगा?नैना बोली- पारो तो अपनी है, उसकी फ़िक्र नहीं, और रह गई बहनें तो वो कॉलेज होंगी न उस समय.मैं बोला- और सरकारी सांड कहाँ से आएगा? उसका भी तो कॉलेज होता है ना?नैना हँसते हुए बोली- रहने दो छोटे मालिक, सरकारी सांड के आगे गोरी चिट्टी चूत लटका दो वो महीना भर कॉलेज नहीं जाएगा.
मैं बड़े ज़ोर से हंस दिया- चलो ठीक है, जल्दी से बात पक्की करो क्योंकि मेरा लौड़ा तो अभी सोच सोच कर हिलोरें मार रहा है.नैना ने झट से मेरा लौड़ा पैंट से निकाला और उसको चूमते हुए कहा- यह सरकारी सांड बड़ा ही सीधा है, जब चाहो जहाँ चाहो किसी भी गाय के लिए तैयार रहता है. मैं अभी आई प्रेमा से फ़ोन पर बात करके!
नैना गई और मैं प्रेमा आंटी के ख्वाब देखने लगा, आंटी के संगमरमर जैसे मम्मे और मखमली जांघें उफ़्फ़… क्या चीज़ है यार प्रेमा आंटी.
थोड़ी देर में नैना खुश खुश आई और बोली- तय है कल का प्रोग्राम, आप कॉलेज नहीं जाओगे कल. और मैंने उससे पूछ भी लिया है कि मैं चुदाई के दौरान वहीं रहूंगी क्योंकि छोटे मालिक को मेरी ज़रूरत होती है. उसको कोई ऐतराज़ नहीं.मैं बोला- तो फिर आज रात की चुदाई का प्रोग्राम भी कैंसिल कर देना क्योंकि मैं रात को भरपूर नींद सोना चाहता हूँ.
नैना बोली- वो तो ठीक है लेकिन सांड के एक बार चढ़ जाने से तो गाय हरी हो या न हो? उसका क्या करें?मैं बोला- तुमको उसकी माहवारी का हिसाब लेना था न!नैना बोली- छोटे मालिक आप महान हो. सारा ज्ञान अभी से अर्जित कर लिया है आपने. ठहरो, मैं यह भी पूछ लेती हूँ उससे फ़ोन पर!
थोड़ी देर बाद नैना ने कहा- कल ही उसका 10वाँ दिन होगा माहवारी के बाद… तो उत्तम समय है. और उसके दो दिन बाद भी अच्छा मुहूर्त है.
अगले दिन ठीक 10 बजे प्रेमा आंटी आ गई और नैना ने उसको बैठक में बिठाया. ठंडा पीने के बाद वो हम दोनों को मेरे बेडरूम में ले आई.प्रेमा आंटी को बैठाया और फिर मुझसे बोली- क्यों छोटे मालिक, तैयार हैं आप?मैं बोला- प्रेमा आंटी से पूछो?प्रेमा बोली- मुझको आंटी न कहो सतीश, तुम मुझको प्रेमा बुला सकते हो.मैं बोला- ठीक है प्रेमा जी, आपके मन में मेरे बारे में कोई संशय तो नहीं?प्रेमा बोली- नहीं सतीश, तुम बड़े हैंडसम हो और अच्छा कद बुत है तुम्हारा. दिखने में ज़रा छोटे ज़रूर लगते हूँ लेकिन मुझको उम्मीद है जो नैना कह रही है तुम उसमें पूरा उतरोगे.
नैना समझ रही थी कि प्रेमा झिझक रही है, उसने उसकी झिझक दूर करने के लिए मुझको होटों पर एक चुम्मी कर दी, फिर उसने मेरी शर्ट उतार दी और मेरी पैंट के बटन खोलने लगी और फिर उसने पैंट को भी उतार कर एक साइड में रख दिया और मेरे इलास्टिक वाले अंडरवियर को भी उतार दिया.मेरे खड़े लंड को प्रेमा हैरानी से देख रही थी..
फिर नैना ने मेरे लंड के साथ खेलना शुरू कर दिया और मैं भी उसके मम्मों को ब्लाउज के बाहर से चूमने लगा.नैना मेरे लंड के साथ खेल रही थी और वो मुझको धीरे से प्रेमा के पास ले गई और प्रेमा का हाथ उसने मेरे लौड़े पर रख दिया.
प्रेमा पहले तो शरमाई और फिर उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया और उसकी सख्ती से काफी खुश लगी.तभी नैना ने प्रेमा का ब्लाउज उतारना शुरू कर दिया और उसकी ब्रा के हुक खोल दिए.प्रेम के उन्नत उरोज उछाल कर मेरे हाथ में आ गए और मैं उन सफ़ेद सफ़ेद संगेमरमर से बने मम्मों को चूसने लगा.
नैना प्रेमा की साड़ी उतारने में लगी हुई थी और फिर उसने उसका पेटीकोट भी उतार दिया. उसकी चूत पर बड़े घने काले बाल छाए हुए थे.मेरा एक हाथ अब प्रेमा के चूतड़ों को हल्के हल्के मसल रहा था और उन रेशमी गोल गोल गुब्बारों को बड़े ही प्रेम से सहला रहा था.प्रेमा भी अपनी शर्म के ऊपर उठ चुकी थी और मेरे सख्त लंड के साथ खेल रही थी.
मैंने भी अब उसके रस भरे होटों पर अपने होटों को रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा और अपनी जीभ को भी उसके मुंह में डाल कर गोल गोल घुमाने लगा.
नैना ने भी अपनी साड़ी उतार दी और पूरी नंगी होकर हमको मदद कर रही थी.मैंने अब प्रेमा की चूत में हाथ डाला तो वो बेहद गीली हो चुकी थी.
नैना प्रेमा को धीरे से बेड पर ले गई और मुझको भी इशारा किया और मैं भी झट वहाँ पहुँच गया और उसकी संगमरमर जैसी जांघों के बीच में बैठ गया और अपने लौड़े को उसकी चूत के मुंह पर रख दिया.फिर मैंने झुक कर उसके लबों पर एक गरम चुम्मी की और फिर लंड को हल्का धक्का दिया और लंड काफी सारा अंदर चला गया.एक और धक्का और लंड पूरा का पूरा अंदर था.

 
नैना प्रेमा के मम्मों के साथ पूरा इन्साफ कर रही थी और उनको खूब चूस रही थी, प्रेमा की आँखें बंद थी और वो चुदाई का पूरा आनन्द ले रही थी.हल्के धक्कों के बाद मैंने अब तेज़ी दिखानी शुरू कर दी और थोड़े ही तेज़ धक्कों के बाद प्रेमा छूटने लगी और वो ज़ोर ज़ोर से हाय हाय करने लगी और उसने मुझको कस कर अपनी बाहों में बाँध लिया.ऐसा लगा कि वो बहुत दिनों से काम क्रीड़ा की इच्छुक थी और चूत की प्यास को मिटाने की पूरी कोशिश करने लगी.
जब वो कुछ संयत हुई तो मैंने अपने लंड के हमले जारी रखे, कभी तेज़ और कभी आहिस्ता, कभी लंड को पूरा निकाल कर फिर पूरा डालना यही मेरी ट्रम्प चाल होती थी.कुछ मिनटों में प्रेमा फिर झड़ने की कगार पर पहुँच चुकी थी और इस बार उसका बहुत ही ज़ोर का छूटा और चूत में से बहुत सा रस भी बहा.
नैना ने इशारा किया और मैं उसकी चूत के ऊपर से उतर गया, मेरा लंड से प्रेमा का रस टपक रहा था.
मैं प्रेमा के साथ लेट गया और उसके सिल्की मम्मों के साथ खेलने लगा, उसका भी एक हाथ मेरे खड़े लौड़े के साथ खेल रहा था.मेरे दूसरी तरफ तो नैना लेटी थी और वो मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी.तभी प्रेमा उठी और मेरे ऊपर आकर बैठ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में खुद ही डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगी.मैं उसके मम्मों के चूचुकों को अपने मुंह में डाल कर चूसने लगा.थोड़ी देर में ही प्रेमा फिर छूट गई.
अब नैना ने उसको घोड़ी बना दिया और मुझको इशारे से उस गोरी घोड़ी को चोदने के लिए उकसाने लगी.
मैं अब नैना के प्लान के मुताबिक़ अपना छुटाने वाली चुदाई की स्टेज में था और मैंने अब अपनी चुदाई का स्टाइल और स्पीड सिर्फ अपना छुटाने के लिए शुरू की, उस घोड़ी बनी हुई संगमरमर की मूर्त को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा.अब मुझको प्रेमा के छुटाने की फ़िक्र नहीं थी बस अपना वीर्य उस की चूत की आखिरी गहराई तक पहुँचाने की कोशिश थी.
कोई 10 मिन्ट तेज़ धक्के मारने के बाद मुझको लगा कि मेरा वीर्य के छूटने के कगार पर पहुँच रहा है तो मैंने प्रेमा के मोटे चूतड़ों को अपने हाथों में उठा लिया और फिर ज़ोर ज़ोर से 4-5 धक्के मारे और अपने फव्वारे को छोड़ दिया.ऐसा करते वक्त मेरा लौड़ा चूत की आखिरी गहराई में मैंने गाड़ दिया और प्रेमा की फुदकती गांड को कस कर अपने हाथ में पकड़ कर रखा जब तक मेरा पूरा वीर्य नहीं छूट गया.
नैना के इशारे से मैंने प्रेमा की गांड को ऊपर ही उठाये रखा जब तक नैना ने इशारा नहीं किया और मेरा लंड भी उसकी चूत में पड़ा रहने दिया.जब नैना ने इशारा किया तब मैंने प्रेमा को नीचे लिटा दिया, तब वो चूतड़ ऊपर उठा कर ही लेटी रही.
मैं उठा और अपने खड़े लंड को नैना के पीछे से चूत में डाल दिया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा, वो प्रेमा की सेवा भी करती रही, चुदती भी रही, यही कमाल है नैना का!क्योंकि उसने गर्म चुदाई देखी थी, इसलिए उसको छुटाना भी ज़रूरी था और इसको मैं अपनी ड्यूटी समझता था.थोड़ी देर में जब वो छूट गई तो मैं उठा और प्रेमा की उसके लबों पर चूमा और फिर मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा.

कहानी जारी रहेगी.

 
प्रेमा आंटी का चोदन जारी

मैं उठा और अपने खड़े लंड को नैना के पीछे से चूत में डाल दिया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा, वो प्रेमा की सेवा भी करती रही, चुदती भी रही, यही कमाल है नैना का!क्योंकि उसने गर्म चुदाई देखी थी, इसलिए उसको छुटाना भी ज़रूरी था और इसको मैं अपनी ड्यूटी समझता था.थोड़ी देर में जब वो छूट गई तो मैं उठा और प्रेमा की उसके लबों पर चूमा और फिर मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा.
उस दिन कॉलेज में दिल नहीं लगा किसी तरह क्लासें खत्म हुईं तो मैं घर के लिए चल ही रहा था कि शानू मिल गई और बोली- सतीश यार, फिर कोई प्रोग्राम रख लो न प्लीज, सिर्फ हम दोनों ही प्लीज.मैं हँसते हुए बोला- शानू डार्लिंग, प्रोग्राम तो रख लेते हैं पर आजकल मेरे मम्मी पापा मेरे पास आये हुए हैं, वो 3-4 दिन में चले जाएंगे तो रख लेंगे प्रोग्राम. क्यों ठीक है न?शानू बोली- ठीक है, जब कहोगे मैं तैयार हूँ! ओके, आई लव यू डार्लिंग.मैं बोला- थैंक्स डार्लिंग, आई लव यू टू!फिर हम दोनों ने हैंडशेक किया और मैं घर की ओर चल दिया.
घर पहुँचा तो नैना ने मेरा हंस कर स्वागत किया, वो मेरे लिए खाना मेरे कमरे में ही ले आई.फिर उसने अपने आप ही बताना शुरू किया कि प्रेमा बड़ी खुश गई है और उसने माना कि उसकी ऐसी चुदाई आज से पहले नहीं हुई कभी भी. और वो आपकी पूरी तरह से आशिक हो गई है. अब उसको मैंने परसों बुलाया है ताकि तब तक माहवारी के बाद के 13 दिन हो जाएंगे और उसको गर्भवती करने का चांस ज़्यादा बढ़ जाएगा.

मैं बोला- नैना डार्लिंग, अब तुम मेरी मालिक हो, जैसे चाहो करो!नैना बोली- जब से आप नैनीताल से आए हो न, डार्लिंग डार्लिंग बहुत करने लगे हो, क्या बात है?मैं बोला- तुम हो ही इतनी प्यारी मेरी गुरु और मेरी रानी और मेरी डार्लिंग.वो हँसते हुए बोली- क्या बात है, आज बड़ा प्यार आ रहा मुझ पर?
मैं बोला- नैना तुमने काम ही ऐसा किया है आज जब तुमने प्रेमा आंटी को मेरी झोली में डाल दिया तो मैं मान गया कि गुरु हो तो नैना जैसी. वैसे तुम को क्या लगता है प्रेमा चुदक्कड़ लंड की प्यासी है?
नैना हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, वो तो अब तुम्हारे लंड की प्यासी है, जब इशारा करोगे वो अपनी चूत खोल कर हाज़िर हो जायेगी.मैं खुश होकर बोला- तब तो ठीक है, कल मैं उसके अंदर छुटाऊंगा ही नहीं तो वो फिर बार बार आएगी नैना के पास! क्यों?नैना बोली- नहीं छोटे मालिक, ऐसा नहीं करना, वरना छोटी मछली की खातिर बड़ी मछली भी नहीं हाथ आएगी.मैं बोला- वो कैसे?
नैना बोली- छोटे मालिक, एक बार प्रेमा प्रेग्नेंट हो जाती है न तो हमारे पास इन सेठानियों की लाइन लग जाएंगी क्योंकि सब सेठ पैसे के चक्कर में सेक्स को बिल्कुल भूल जाते हैं और उनकी सेठानियों को चुदाई के लिए तरसना पड़ता है और उनको बच्चा नहीं हो पाता है, तब यह लंड की प्यासी औरतें यह साधू संतों के चक्क्र में पड़ जाती है और वहाँ से बच्चा ले आती हैं.
मैं बोला- आज तो मैं अपनी पुरानी चुदाई शुरू कर सकता हूँ न?नैना बोली- मेरी मानो, जब तक प्रेमा की पूरी चुदाई नहीं हो जाती, तुम दूसरी चुदाई से दूर रहो.मैं बोला- ठीक है, जैसे गुरु जी कहेंगे, वही ही ठीक है.
नैना बोली- आज रात मैं आपके लिए ख़ास दूध बना रही हूँ वो आपको आज और कल पीना पड़ेगा.मैं बोला- आपका दूध या फिर ग्लासी वाला दूध?नैना हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आप भी ना बच्चों से कम नहीं. मेरा दूध तो आप कई सालों से पी रहे हो, ऊपर नीचे का दूध आप पी लेते हो.
मैं बोला- नैना डार्लिंग, अब तुम मुझको छोटे मालिक मत बुलाया करो, मेरे नाम से बुलाओ ना?नैना बोली- अगर मैं नाम से बुलाऊँगी तो बाकी नौकर भी वैसा करेंगे जो ठीक नहीं ना!
नैना के सबक को पूरी तरह से माना और जैसा वो कहती रही वैसा ही करता रहा मैं!दो रात मैं बिल्कुल ब्रह्मचारी बन कर रहा और अगले दिन करीब 10 बजे प्रेमा आ गई.मैं तैयार था तो ज्यादा टाइम खोये बगैर मैंने प्रेमा को गले लगा लिया और एक गर्म चुम्मी उसके रसीले होटों पर दे दी और फिर अपने हाथ उसके मोटे चूतड़ों पर रख कर धीरे धीरे से मसलने लगा. प्रेमा ने भी मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसको झुक कर चूमने लगी पैंट के बाहर से!
मैंने भी टाइम खोये बगैर अपने पैंट और कमीज़ उतार दी और प्रेमा के ब्लाउज को उतारने लगा, ब्रा के हुक्स भी खोल दिए और उसके संगमरमर जैसे मम्मों को हाथ में लेकर मैं अपने को बड़ा भाग्यशाली समझ रहा था.
जब प्रेमा बिल्कुल नग्न हो गई तो मैं थोड़ा पीछे हट कर उसकी सुन्दरता का अवलोकन करने लगा.

 
मैं पीछे हटा तो प्रेमा मेरे पास आ गई और मेरे होटों और मुंह पर ताबड़तोड़ चूमियों की बौछार लगा दी.मेरे हाथ उसकी चूत में काले बालों के बीच घूम रहे थे और उसके गीलेपन का अंदाजा लगा रहे थे, प्रेमा की चूत एकदम गीली हो चुकी और उसने मेरे हाथ अपनी जांघों में जकड़ लिए थे.
नैना भी कपड़े उतार कर प्रेमा के मम्मों को चूस रही थी और उसके हाथ प्रेमा के चूतड़ों के ऊपर घूम रहे थे.अब प्रेमा नैना को बेड पर ले आई और उसको होटों पर चूमते हुए उसने नैना को लिटा दिया. मैं भी बेड के पास आ गया और प्रेमा ने मेरे लौड़े को अपने हाथ में ले लिया.
मैंने प्रेमा से पूछा- आपको सेक्स के लिए कौन सी पोजीशन अच्छी लगती है?प्रेमा बोली- वही पोजीशन, जिससे गर्भ ठहर जाए!मैं बोला- वो पोजीशन तो नैना ही बताएगी लेकिन उससे पहले कोई पोजीशन अच्छी लगती है तो बता दीजिए और मैं पहले आपको उस तरह से ही चोद देता हूँ.
प्रेमा बोली- मुझ को खड़े होकर पीछे से चोदना बहुत अछा लगता है क्यूंकि मेरी सारी सहेलियाँ उसी तरह से ही चुदाती हैं लेकिन मेरे पति ने कभी ऐसे नहीं चोदा, मुझको वो तो सिर्फ मेरे ऊपर लेट कर ही चोदना जानते हैं.मैं बोला- चलो जैसा आपको अच्छा लगता है वैसे ही सही!
मैं जल्दी से उसके चूतड़ों के पीछे खड़ा हो गया और उन संगमरमर के नायाब नमूने को जी भर के देखता रहा और फिर मैंने उनको चूमना शुरू किया.प्रेमा हिलने लगी क्यूंकि उसको हल्की सी गुदगुदी होने लगी थी.
फिर मैंने अपने तने हुए लंड को हाथ में लेकर उसकी चूत का पीछे से निशाना लगाया और एक ही धक्के में पूरा लंड अंदर घुसेड़ दिया.नैना प्रेमा के मुंह में अपने मम्मे डाल रही थी और वो बड़े ही आनन्द से उनको चूस रही थी.
हर धक्के के बाद उसका मुंह नैना के मम्मों में घुस जाता था, उसने उनको चूसते हुए अपना मुंह को बाहर निकाला तो मैंने फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा और प्रेमा का मुंह फिर उसके मम्मों में चला गया.
नैना के हाथ प्रेमा के मम्मों के साथ खेल रहे थे, वो उसकी चुचियों को मसलने लगी और वो काली सी गोलियाँ लंड की तरह सख्त खड़ी हो गई.
अब मैंने धक्के तेज़ कर दिए और प्रेमा के चूत का खुलना और बंद होना शुरू हो गया और थोड़ी देर में ही प्रेमा धराशायी हो गई.
मैंने उसको सीधा किया और उसके आधे शरीर को बेड पर लिटा कर बाकी शरीर को अपने हाथों में ले लिया और लंड को अंदर डाल दिया.प्रेमा ने भी अपनी टांगें मेरी कमर के चारों और फैला दी और मुझको अपनी टांगों में कैद कर लिया. मैं अब बहुत ही धीरे धीरे चोद रहा था क्यूंकि मेरे लंड को आगे पीछे होने के लिए जगह नहीं मिल रही थी तो मैंने प्रेमा की टांगों को अपनी कमर से हटा कर अपने कंधे पर रख दिया और फ़ुल स्पीड से चुदाई शुरू कर दी.
चुदाई की स्पीड को वो महसूस ही कर पा रही थी लेकिन देख नही पा रही थी पर उसकी चूत तो पूरा लंड का हमला सहन कर रही थी. बहुत जल्दी ही उसकी गांड मेरे लंड का जवाब देने लगी यानि वो भी उठ उठ कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी.
अब मैंने धक्के चूत के अंदर दूर तक देने शुरू कर दिए और चूत रानी यह जुल्म सहन नहीं कर पाई और जल्दी ही हथियार डाल दिए, उसमें उठ रही कम्पकंपाहट को मेरे सारे शरीर ने महसूस किया, यहाँ तक नैना ने भी महसूस किया और उसने प्रेमा की चूत से टपकते रस को सूंघा और मुझको प्रेमा से अलग होने के लिए कहने लगी.
अब नैना ने प्रेमा को सीधा लेट जाने के लिए कहा और मुझको उसके ऊपर चढ़ जाने के लिए उकसाने लगी.मैं समझ गया कि यह पोजीशन लास्ट एंड फाइनल एक्शन के लिए है और इसके बाद प्रेमा का प्रेग्नेंट होना आवश्यक है.
मैंने प्रेमा की टांगों को चौड़ा किया और उनके बीच बैठ कर अपना लंड उसकी गीली चूत में डाल दिया, पहले धीरे और फिर तेज़ी से धक्के मारने लगा. प्रेमा आँखें बंद किये हुए चुदाई का आनन्द ले रही थी और सारी मेहनत मुझ गरीब को करनी पड़ रही थी.
मैंने भी चुदाई में वेरिएशन लाने की खातिर कभी उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा या फिर उसको अपनी बगल में लेकर धक्के मार रहा था.प्रेमा को बहुत ही आनन्द आ रहा था जो इस बात से साबित होता था कि उसके मुंह से अपने आप निकल रहे शब्द जैसे ‘मार डाल ज़ालिम, मत छोड़ना साली को और मर गई रे !’
अब मैंने बड़ी तेज़ स्पीड से उसको चोदना जारी रखा और कुछ ही मिनटों में वो फिर झड़ गई.उसके झड़ने के बाद नैना ने इशारा किया कि अब मैं छूटा लूँ अपना. और मैं भी आँखें बंद करके उसको ऐसे गहरे और छोटे धक्केमारने लगा कि दो मिन्ट में ही मेरा फव्वारा पूरी ताकत से छूट गया.

 
मैंने महसूस किया कि गर्म पानी के अंदर जाते ही प्रेमा फिर काम्पने लगी. मैंने यह भी महसूस किया कि मेरा लंड उसके गर्भ में ही फव्वारा छोड़ रहा है.मैं छुटाने के बाद उसके मोटे मम्मों पर सर रख कर लेट गया और उसका हाथ मेरे बालों में उँगलियों से कंघी कर रहा था.
नैना ने मेरे कान में कहा- धीरे धीरे निकालना लंड को!मैंने भी हामी में सर हिला दिया.मैं गोरे और गुदाज़ मम्मों के तकिये पर सर रख कर आलखन कर रहा था क्यूंकि बहुत मेहनत करनी पड़ी थी आखिरी चुदाई में!प्रेमा को भी जैसे मुझको छाती पर लिटा कर बड़ा सकूँ मिल रहा था.
फिर नैना ने मुझको इशारा किया कि मैं धीरे से उठूँ और अपना लंड निकाल लूँ.मैंने ऐसा ही किया और मेरे उठते ही उसने प्रेमा की टांगों को ऊपर कर दिया और उसकी कमर के नीचे एक मोटा तकिया रख दिया. और उसके ऐसे ही लेटे रहने के लिए कहा.
तब तक नैना ने मेरा पसीना पौंछ दिया और प्रेमा का भी पसीना पौंछ दिया और उसने मुझको मसालेदार दूध का गिलास पकड़ा दिया.मैं दूध पीकर काफी दरुस्त हो गया.
मैं जानबूझ कर लेटा रहा क्यूंकि मन में प्रेमा को फिर से नंगी देखने की बहुत ख्वाहिश थी.थोड़ी देर में नैना ने प्रेमा को उठने दिया.तब नैना बोली- छोटे मालिक, आज कॉलेज नहीं जाना क्या?
मैंने उसको आँख मारी और कहा- थोड़ी देर में जाऊँगा.नैना समझ गई कि मेरा इरादा क्या है.
मैं बाथरूम के दरवाज़े पर नज़र लगाए बैठा था, थोड़ी देर बाद प्रेमा अपना मुंह धोकर आई और आते ही मुझसे चिपक गई, मेरे लबों पर धड़ाधड़ चुम्बन करने लगी और जैसे ही उसने शुरू किया मैंने भी उसको अपनी बाँहों में भर कर ज़ोर से जफ़्फ़ी डाली और उसके निप्पलों को चूसने लगा.मेरा लंड तो अभी भी पूरा खड़ा था और वो उसकी मोटी जांघों के बीच फंसा हुआ था.
मैंने नैना की तरफ देखा, वो मुस्करा तो रही थी पर साथ में इशारा भी कर रही थी कि अब बस करो!पर मेरा लंड था कि मानता ही नहीं था, मैंने प्रेमा को होटों पर चूमते हुए उसको फिर से बिस्तर पर लिटा दिया और उसको घोड़ी बना कर फिर चोदने लगा.
प्रेमा के मखमली और खूबसूरत जिस्म ने मुझको इतना आकर्षित किया हुआ था कि अब मैं उसकी टांगों में बैठ कर लंड को चूत के अंदर डाल कर बड़े ही प्यार से मोहब्बत से उसको चोदने लगा.प्रेमा भी मुझको बहुत प्यार भरी नज़रों से देख रही थी, मैं ऊपर से उसकी आँखों में आँखें डाल कर बहुत ही धीरे धीरे उस संगमरमर के बुत को चोद रहा था.
मैं इतने धीरे से चोद रहा था उसको कि मेरा लंड थोड़ा ही अंदर जा पाता था और मैं फिर उसको बाहर ले आता था.मेरा मुंह अब उसके गोल मम्मों पर टिका हुआ था और उनकी ख़ूबसूरती का आनन्द ले रहा था.
तभी नैना ने प्रेमा को समय की याद इशारे से दिलाई. लेकिन प्रेमा पर मेरी मस्ती चढ़ी हुई थी और वो ‘थोड़ी देर और बस’ कह रही थी.
अब नैना मेरे साथ वाली साइड में आ कर लेट गई और मेरे चूतड़ों को हल्के हल्के थपकी देने लगी. मैं समझ गया कि वो चाहती है कि मैं जल्दी करूँ.
नैना अब मेरी गांड में ऊँगली डाल कर मुझको तेज़ी लाने के लिए उकसा रही थी, फिर उसने मेरी आँखों में झाँका और एक किस्म से प्रार्थना कि मैं जल्दी करूँ.
मैंने भी अपनी चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी और अपने दोनों हाथ को प्रेमा के चूतड़ों के नीचे रख दिया और उसको अपने से पूरी तरह से जोड़ कर तेज़ धक्के मारने लगा और चंद मिन्टों में प्रेमा एक बार फिर छूटी और साथ ही मैं भी छूट गया.
मैं अपना लौड़ा उसकी चूत में ही डाले उसके गुदाज़ जिस्म पर लेटा रहा और उसने भी प्यार से मुझको अपनी बाँहों में बांधे रखा.फिर नैना ने हम दोनों को सपने से जगाया और प्रेमा की टांगों को ऊंची ही रखा कुछ देर और फिर मैंने प्रेमा के ऊपर से उठने से पहले उस को एक बड़ी मीठी ‘थैंक यू’ वाली किस दी उसके होटों पर और उसने भी दी मेरे होटों पर!
अब मैं उठा और सीधा बाथरूम में चला गया और अपने को खुद ही साफ़ किया, कपड़े पहन कर जब बाहर आया तो प्रेमा भी तैयार हो चुकी थी.
मैंने प्रेमा से कहा- देखिये, वैसे आज के बाद आपको यहाँ आने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि मैं जानता हूँ आपकी मुराद नैना ने पूरी कर देनी है, फिर भी अगर कभी भी आप यहाँ आना चाहें तो आ सकती हैं. क्यों नैना?नैना बोली- बिल्कुल! वैसे भी यह तो पहली कोशिश है, पता नहीं एक बार और कोशिश करनी पड़ सकती है. तो आप जब चाहें मुझ को फ़ोन कर दिया कीजिये और यहाँ आ जाए जब चाहें.
प्रेमा बोली- थैंक यू नैना जी, आपने मेरी बड़ी सहायता की है, मैं आप और सतीश के व्यवहार से बहुत खुश हूँ. सतीश ने मेरी 6 साल की प्यास को एकदम बुझा दिया है.नैना बोली- याद रखना कि आज आपने अपने पति से चुदवाना ज़रूर है. नहीं तो बाद में बड़े झंझट हो जाते हैं.प्रेमा बोली- आप फ़िक्र ना करें, जैसा आपने समझाया है, मैं वैसा ही करूंगी. आप बेफिक्र रहें.
प्रेमा जाने लगी तो खुद ही मेरे पास आ गई और मुझको कस के एक जफ़्फ़ी डाली और जाते हुए मेरे लौड़े को भी छूते हुए चली गई.नैना उसके साथ साथ ही थी और उसको बाहर तक छोड़ कर आई.
नैना जब वापस आई तो कहने लगी- छोटे मालिक, प्रेमा कह गई है कि वो थोड़े दिनों बाद अवश्य आयेगी ताकि मैं उसका चेकअप कर सकूँ लेकिन अगर सतीश को ज़रूरत हो तो वो ज़रूर आ जाएगी जब तुम बुलाओगे उसको!
मैंने नैना को पकड़ लिया और एक बहुत ही टाइट जफ़्फ़ी डाली और उसको एक बहुत ही स्वीट किस दी उसके होटों पर और कहा- नैना, यह सब तुम्हारे कारण हो रहा है और मैं तो तुम्हारा प्यारा चेला हूँ न!
यह कहते हुए मैंने नैना की धोती को ऊपर करके उसकी चूत पर चिकोटी काट ली और कहा- आज रात तैयार रहना, आज मैं तुम दोनों को छोड़ूंगा नहीं. मैं एक खूंखार बाघ हो गया हूँ और जब तक मुझको अच्छी चूत का मांस नहीं मिलता, मुझ को चैन नहीं पड़ता न!हम दोनों खूब हँसे.

कहानी जारी रहेगी.

 
प्रेमा की सहेली रानी का चोदन

जैसे ही मैं कॉलेज से वापस आया नैना मुझको मेरे कमरे में पानी का गिलास लेकर आ गई.पानी पीने के बाद मैंने पूछा- वो आज प्रेमा आंटी आई थी क्या?नैना बोली- हाँ आई तो थी और अपने साथ दो और औरतें भी लाई थी.
मैं बोला- अच्छा दो और औरतें? कौन थी वो?नैना बोली- उसी के मोहल्ले में रहती हैं और उनकी भी वही हालत है, बड़ी देर शादी के बाद भी बच्चा नहीं हो रहा है.मैं बोला- तो फिर तुमने क्या कहा?नैना ने कहा- मैंने उन दोनों का चेकअप किया है, एक को तो अंदरूनी बीमारी है और दूसरी ठीक है, उस पर कोशिश की जा सकती है. एक को तो मैंने दवाई बता दी है, वो पहले खाए, फिर मेरे पास आये और दूसरी तैयार है, आप बताओ क्या करना है?
मैं बोला- देखो नैना जी, यह आपने फैसला करना है कि कब किस को क्या देना है?नैना बोली- दूसरी सेठानी है और उम्र के हिसाब से 23-24 की है, 5 साल शादी को हो गए और उसका पति भी पैसे कमाने में लगा है.मैं बोला- और दिखने में कैसी है?
नैना चुप रही और फिर ज़ोर से हंस दी, नैना बोली- छोटे मालिक, यह तो प्रेमा से भी बढ़ कर है, अति सुंदर है और बहुत ही प्यारी सी है, इसको तो मैं ही चोद दूँ मुंह और जीभ से! उफ़ क्या ख़ूबसूरती है!मैं बोला- चल चल नैनाम ऐसी ही डींगें मत मारो. प्रेमा से खूबसूरत तो कोई सेठानी हो ही नहीं सकती.नैना हंसते हुए बोली- आप तो प्रेमा के आशिक हो गए पक्के?

मैं बोला- फिर क्या फैसला किया तुमने डॉक्टर साहब?नैना बोली- मैं सोचती हूँ यह दूसरी सेठानी को भी हरा कर दो आप!मैं बोला- कब आ सकती है यह सेठानी?नैना बोली- वही टाइम है जो प्रेमा जी का था.
मैं बोला- अरे नैना डार्लिंग, मैं कॉलेज रोज़ रोज़ नहीं मिस कर सकता. कोई और टाइम नहीं है उसके पास?नैना बोली- वो तो तुमको अपने घर बुलाना चाहती है क्यूंकि उसका पति सुबह चला जाता है और फिर देर रात आता है, उसको दोपहर का टाइम भी सही है.
मैं बोला- किसी औरत के घर जाना तो खतरे से खाली नहीं है ना? और दोपहर को बहनें भी आ जाती हैं तो यहाँ भी नहीं हो सकता!नैना बोली- छोटे मालिक आप ऐसा करो इस सेठानी को सुबह के टाइम कल चोद देना और फिर कॉलेज चले जाना.मैं बोला- ठीक है जो तुम कहोगी वो तो मानना ही पड़ेगा. लेकिन पहले सब पूछताछ कर लेना उस से और अगर सही बैठे तभी हाँ करना.
नैना बोली- वो सब मैंने पूछ लिया है. मामला फिट है और आपके हथियार के लायक है. यह भी दूसरा संगेमरमर है.मैं बोला- सच्ची?नैना बोली- और वो प्रेमा जी भी साथ होंगी क्यूंकि उनका काम हुआ नहीं अभी तक!मैं बोला- दो दो गायों को हरा करना है इस साले सांड को? ठीक है तो तुम ऐसा करो वो छवि और सोनाली को फिर टाल दो, किसी और दिन बुला लेना उनको. ठीक है न?
नैना बोली- बिलकुल ठीक है. चलो मैं प्रेमा जी को फ़ोन पर बता दूँ सारी बात, आप खाना खाओ तब तक!रात को नैना ने मेरे लिए ख़ास खाना बनवाया था जिसमें बकरे का मीट और बकरे के पाये का शोरबा और साथ में किशमिश बादाम और केसर का दूध भी था.
अगले दिन सुबह ब्रेकफास्ट में उसने मेरे लिए देसी अण्डों का हलवा और साथ में शहद लगे परांठे परोसे.नैना बोली- यह सारे खाने के नुस्खे नवाब सिराजुदौल्ला के लिए थे जो अपने हरम में 100 बेगमों के साथ रहता था.मैं चौंक गया- सौ बेगमें एक साथ? उफ़ कितना मज़ा आता होगा उसको! रोज़ रात को कम से 50 बेगमों को तो हरा कर देते होंगे नवाब साहब.
नैना हँसते हुए बोली- आपको मालूम है नवाब साहिब के लिए ख़ास उल ख़ास नुस्खे हकीम लोग बनाते थे जिससे वो हमेशा ही जवान रहते थे.मैं बोला- अच्छा, कब आ रहा है दूसरा ताजमहल?नैना हंसने लगी- आ जायेगा, तब तक आप कमरे में आलखन फरमा ले हज़ूरेआली.मैं बोला- जैसा हुक्म बड़ी बेगम का!
अभी मैं अपने कमरे में बैठा ही था कि नैना आ गई और कहने लगी चलिए दूसरा ताजमहल आ गया है.मैं झट से उठा और बैठक में आ गया, वहाँ प्रेमा जी तो बैठी ही थी साथ में उनके एक और ख़ूबसूरती का मुजस्मा बैठा था गुलाबी रंग की साड़ी ब्लाउज और गुलाबी ही रंग चेहरे का!
मन ही मन मैंने कहा- माशाल्लाह… क्या हुस्न है. चेहरे पर क्या चमक और दमक थी ब्यान नहीं की जा सकती.मैंने दोनों को नमस्ते की और वहीं बैठ गया.तब प्रेमा ने मेरा परिचय कराया अपने साथ बैठी स्त्री से, उनका नाम रानी था और वो सही माने में अपने नाम के ही अनुरूप था, बिल्कुल एक रानी की तरह लग रही थी.मैंने ध्यान से रानी को देखा वो शकल से तो सुंदर थी ही लेकिन शरीर से उससे ज्यादा सुन्दर लग रही थी.

 
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