XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 25 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

मैडम मेरे ऊपर से उठी, बिस्तर पर लेट कर अपनी साँसों को नियंत्रित करने लगी.थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे, फिर मैं उठा, तौलिये से अपना लौड़ा और अपना पेट साफ़ किया और वहीं बिछी एक कुर्सी पर जा बैठा.
थोड़ी देर में मैडम संयत हो गई, उठ कर मेरे पास आई और झुक कर मेरे होटों पर एक बड़ी हॉट किस जड़ दी.फिर वो मेरे साथ वाली कुर्सी पर बैठ गई और मेरे अभी भी खड़े लंड के साथ खेलने लगी.
मैडम ने बड़े ध्यान से मेरे लंड को देखा और बोली- क्या तुम्हारे लंड से तुम्हारा वीर्य नहीं निकलता? क्योंकि दोनों बार मेरी चूत सूखी रही और उसमें एक भी कतरा वीर्य का नहीं था, यह कैसे मुमकिन है सतीश?मैं बोला- मैडम, मुझको अपने वीर्य को कंट्रोल करने की विधि आती है और मैं अपने वीर्य को तब तक नहीं छूटने देता जब तक मेरी इच्छा ना हो!
मैडम बोली- ओह माय गॉड !! तुम क्या चीज हो सतीश? क्या तुम भगवान हो या फिर कोई देवता जिस का लिंग हर वक्त खड़ा भी रहता है और उसमें से वीर्य भी नहीं निकलता हर बार!मैं अपना सर नीचे कर के बोला- मैडम, मैं एक लाइलाज बिमारी में फंसा हुआ हूँ जिसको अंग्रेजी में PRIAPISM कहते है और इसका कोई इलाज भी नहीं है.मैडम बोली- हाँ नाम तो सुन रखा है लेकिन क्या बिमारी है यह तुम बताओ ज़रा डिटेल में?
मैं बोला- इसके बारे में शायद मैं भी इतना नहीं जानता जितना मेरी हाउसमेड जानती है.फिर भी मुझको जो मालूम है वो मैं आपको बताता हूँ. वो क्या होता है जब मेरा लंड खड़ा होता है तो मेरा खून लंड की नसों में आ जाता है जैसा कि नार्मल इरेक्शन में पुरुषों के साथ होता है लेकिन मेरे लंड की नसों में जो खून आ जाता है वो कई घंटे वापस नहीं जाता जिसके कारण मेरा लंड खड़ा रहता है, यह है असली बिमारी. लेकिन मेरे साथ एक काम बहुत ही अच्छा होता है वो यह है कि जब भी मेरे मन से सेक्स का विचार दूर हो जाता है तो मेरे लंड में आया खून वापस चला जाता है.यह नार्मल PRIAPISM के बीमारों के साथ नहीं होता उनकी लंड की नसों में खून हर वक्त जमा रहता है जिके कारण उन का लंड हर वक्त खड़ा रहता है और कुछ ही वर्षों में वो नपुंसक हो जाते है यानी उनका लंड खड़ा होने की शक्ति खो देता है.इसके अलावा जो कुदरत की मुझ पर मेहरबानी रही है वो यह है कि मेरे लंड से वीर्य भी निकलता है जैसे की नार्मल पुरुषों के साथ होता है लेकिन यह क्रिया PRIAPISM के असली बीमार मर्दों में नहीं होती. वो बेचारे फुल इरेक्शन होते हुए ही भी किसी स्त्री को गर्भवती नहीं कर सकते.
मैडम हैरान होते हुए बोली- वाह सतीश, यह तुम बहुत ही लकी रहे हो इस मामले में, तुम्हारा केस अजीब और अनोखा है लेकिन हम औरतों के लिए बहुत ही फायेदमंद है.मैं धीमी आवाज़ में बोला- वो तो ठीक है लेकिन कई बार मैं अपने आपको काफी बदकिस्मत महसूस करता हूँ.मैडम ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और वो बेहद ख़ुशी से इधर से उधर नाच रही थी.
मैडम अपने आप से बोल रही थी- कल वो 10 लड़कियाँ जो डांस करने आ रही हैं, उन सबको मैं तुमसे चुदवाऊँगी और सिर्फ उनको चुदवाऊँगी जो अच्छा डांस करेंगी. वाह वाह… क्या हथियार मिल गया है मुझको!
मैं थोड़ा नाराज़ होते हुए बोला- नहीं मैडम, मैं ऐसा नहीं होने दूंगा मैं सिर्फ अपनी मर्ज़ी से चुदाई का काम करूंगा. ना कि आपके कहने पर, ना किसी और के कहने पर! जो मुझको पसंद होगा वही करूँगा!मैडम एकदम बात पलट गई- नहीं सतीश, बिना तुम्हारी मर्ज़ी के यह कैसे हो सकता है, वो 10 डांसर तुम्हारे कॉटेज में ही रहेंगी न तो उनके रहने खाने पीने का इंतज़ाम भी तो करना पड़ेगा. कैसे होगा वो सब?मैं बोला- आप बेफिक्र रहिये, यह सब हो जाएगा. अब आप कपड़े पहन लीजिये, वापिस चलते हैं.मैडम बोली- सतीश यार, तुमने यह कहानी सुना कर मुझ को फिर गर्म कर दिया है तो एक बार और मेरी चूत चोदो न प्लीज?

कहानी जारी रहेगी.

 

फिल्म वाली मधु और रूबी मैडम


मैं बोला- आप बेफिक्र रहिये यह सब हो जाएगा. अब आप कपड़े पहन लीजिये वापस चलते हैं!मैडम बोली- सतीश यार, तुमने यह कहानी सुना कर मुझको फिर गर्म कर दिया है… एक बार और चोद दो मुझे प्लीज?मैडम ने मेरे लंड को पकड़ रखा था और वो उसके संग खेल भी रही थी.
मैंने फिर से मैडम के गोरे शरीर को चूमना और चाटना शुरू कर दिया, उसके उरोजों के चूचुक एकदम सख्त हो रहे थे, उनको चूसना शुरू कर दिया और एक ऊँगली से मैडम की चूत में भग को सहलाना शुरू कर दिया.मैडम भग की छेड़ा छाड़ी से बड़ी जल्दी उत्तेजित हो जाती थी, मैंने झुक कर उसकी चूत में स्थित भग को अपने मुंह में ले लिया और उसको हल्के हल्के चूसने लगा.
मैडम की उत्तेजना धीरे धीरे बढ़ने लगी और वो अपने चूतड़ो को उठा कर मेरी ऊँगली का स्वागत कर रही थी, उसने मेरे लंड को खींचना आरम्भ कर दिया तो मैंने मैडम को घोड़ी बना कर उसकी उबलती हुई चूत में अपना लंड डाल दिया और बड़ी तेज़ी से चोदने लगा.मैडम तो मेरी बिमारी का सुन कर इतनी खुश हुई थी कि वो कोई भी मौका मुझसे चुदवाये बगैर नहीं छोड़ना चाहती थी.
मेरी चुदाई की स्पीड इतनी तेज़ हो गई थी कि मैडम को अपने चूतड़ों की आगे पीछे करने की हरकत बंद करनी पड़ी और वो सांस रोक कर मेरी तेज़ चुदाई का आनन्द लेने लगी और जैसा कि मुझको यकीन था, मैडम भी जल्दी ही स्पीडी चुदाई के सामने अपने घुटने टेकने में ज़्यादा समय नहीं लगा पाई, थोड़ी देर में मैडम ने अपनी चूत से निकलने वाले क्रीम भरे रस से मेरे लौड़े को एकदम नहला दिया और स्वयं कुछ कांपती हुई बिस्तर में लेट गई लेकिन मैंने भी अपना लौड़ा नहीं निकाला जब तक मैडम ने नहीं कहा- बस कर यार सतीश!

मैं भी मैडम के साथ लेट गया और उसकी गीली चूत में ऊँगली डाल कर उसके काली गीली लटों के साथ खेलता रहा.अबकी बार मैडम को नींद की झपकी सी लग गई और मैं वहाँ से उठ कर सारी कॉटेज में घूमने लगा..
जैसे कि मधु मैडम कह रही थी कि डांस करने वाली दस लड़कियाँ आ रही हैं लेकिन हमारे पास तो सिर्फ 5 कमरे थे जिन में पलंग बिछे हुए थे तो इन लड़कियों को कमरे शेयर करने पड़ेंगे और बाकी मधु मैडम और अन्य कर्मी जो शूटिंग के लिए आ रहे थे, उनके सोने का इंतज़ाम तो करना पड़ेगा ना!
जब मैं वापस कमरे में पहुँचा तो मैडम अपने कपड़े पहन कर तैयार हो चुकी थी लेकिन जैसे ही उसने मेरे नंगे शरीर को देखा, वो जल्दी से आई, झुक कर मेरे लंड को मुंह में ले लिया और मेरे गोल सॉलिड चूतड़ों के साथ खेलने लगी.बड़ी मुश्किल से मैंने अपने को मैडम के पंजों से छुड़ाया.
अब मैंने मधु मैडम से पूछा- आपकी डांस वाली लड़कियाँ कहाँ सोयेंगी?मैडम बोली- कॉटेज में 5 बैडरूम हैं ना, दो दो एक कमरे में आ जाएंगी और आलखन से रह सकती है न सब.. अब रह गई उनके खाने और नाश्ते इत्यादि की व्यस्था, वो तुमको करनी है ना?मैं बोला- वो आपके साथ आई जो दूसरी लेडी, वो क्या करेगी?मधु मैडम बोली- वो मेरी असिस्टेंट है और वो लड़कियों से डांस करवाएगी.मैं बोला- चलिए फिर हवेली चलते है बाकी लोग वहीं हैं ना.मधु मैडम बोली- चलते है सतीश यार, इतनी भी क्या जल्दी है लेकिन आज तुम ने मेरी अन्तर्वासना काफी शांत कर दी.और उसने आगे बढ़ कर फिर मुझको बाहों में ले कर चुम्मी कर दी होटों पर!मैं बोला- मैडम चलिए ना, वो सब आपका इंतज़ार कर रहे होंगे.
हम दोनों कार में बैठ कर हवेली वापस आ गए, वहाँ बाकी सब लोग भी बैठे थे.मैडम बोली- मैं जगह देख आई हूँ, लड़कियों के लिए तो अच्छी जगह है, वो दस तो वहाँ टिक जाएँगी लेकिन हम कहाँ रहेंगी? यानि मैं और मेरी असिस्टेंट रूबी?वो जो बुजुर्ग सज्जन थे वो बोले- क्यों वहाँ आप दोनों के लिए कमरे नहीं हैं क्या?मैडम बोली- नहीं, वहाँ और जगह नहीं है.
मम्मी जो वहीं बैठी थी, बोली- क्यों ठाकुर साहब, इन दो को हम अपनी हवेली में ठहरा लेते हैं जब तक यह यहाँ हैं? वो सतीश के साथ वाला बैडरूम तो खाली पड़ा है, ये दोनों उस कमरे में रह सकती हैं.पापा बोले- हाँ, यही ठीक रहेगा अगर आप लोगों को कोई ऐतराज़ ना हो तो?बु्जुर्ग सज्जन बोले- आप लोगों के रहने की समस्या तो हल हो गई, बाकी जो शूटिंग स्टाफ है वो तो गाँव में एडजस्ट हो ही गया है. बाकी रहा इन सबका खाने पीने का प्रबंध, वो ठाकुर साहिब कुछ आप मदद कर दें तो वो भी निपट जाएगा.

 
पापा बोले- पंचोली साहिब, हम क्या मदद कर सकते हैं?सज्जन बोले- जैसे बर्तनों का इंतज़ाम, खाद्य सामग्री और भोजन बनाने का उचित स्थान जिस के लिए हम पूरा खर्चा देने के लिए तैयार हैं.पापा बोले- क्यों सतीश, कुछ कर सकते हो इस बारे में?
मैं कुछ देर सोचने के बाद बोला- मेरे विचार में खाना बनाने का उचित स्थान तो कॉटेज है. वहाँ हम बावर्ची, बर्तन धोने वालों का इंतज़ाम कर देंगे और खाद्य सामग्री यहाँ दुकान से खरीद ली जायेगी इनके आदमियों के साथ जाकर!पापा बोले- यह ठीक रहेगा क्यूंकि आपका यूनिट तो सारा काम नदी के किनारे करने वाला है और कॉटेज नदी के एकदम निकट है.मैं बोला- मम्मी जी, अब रहा काम करने वालों का इंतज़ाम, तो मेरा यह सुझाव है कि इस काम की हैड अपनी मेड नैना को बना देते हैं, वो सारा इंतज़ाम देख लेगी.मम्मी बोली- वेरी गुड सतीश, तुमने तो बिल्कुल सही आदमी का चुनाव किया इस काम के लिए… मैं अभी बुलाती हूँ उसको!
नैना के आने पर सारा काम उसको मधु मैडम ने समझा दिया और यह भी कहा कि आपको और आपके साथ काम करने वालों को सही मेहनताना भी दिया जाएगा.इसके बाद सबने लंच किया साथ साथ और वो सज्जन जो फिल्म के निर्माता और जिनका नाम पंचोली था अपनी कार में वापस शहर चले गए और दूसरी कार स्टाफ के लिए वहीं छोड़ गए.
नैना दोनों मैडमों को लेकर उनका कमरा दिखा आई और कहा कि जो चीज़ आपको चाहिए तो यह बेल बजा दें तो नौकर आ जाएंगे.अब मैं और नैना मेरे कमरे में इकट्ठे हुए और सबसे पहले मैंने नैना को एक ज़ोरदार जफ्फी मारी और एक जोरदार चुम्मी की उसके लबों पर, फिर उसको कॉटेज का किस्सा सुनाया और फिर हम दोनों डांस डायरेक्टर्स के कमरे में गए.
वो दोनों अपना सामान लगाने में व्यस्त थी, मधु मैडम ने अपनी सहायक रूबी से मुझको और नैना को मिलवाया.रूबी होगी कोई 25-26 वर्ष की आयु लेकिन वो देखने में काफी सुडौल और सुंदर लग रही थी लेकिन मधु मैडम का मुकाबला नहीं कर सकती थी.
मैं नैना को लेकर अपने कमरे में आ गया और दरवाज़ा बंद कर दिया और फिर नैना को ज़ोरदार जफ़्फ़ी मार कर उसके चूचों और चूतड़ों को भी सहला दिया थोड़ी देर!मैं बोला- अच्छा नैना, अब बताओ कैसे करोगी तुम यह सब इंतज़ाम? पहले करो खाना बनाने वालों का चुनाव! पर्बती तो कहीं जा नहीं सकती और तुमको अच्छी खाना बनानी वाली सब गाँव से चुननी होंगी? तुम फुलवा, छाया, बिंदु, चंदा इत्यादि को अभी जा कर मिलो और फिर वो जूही दुल्हनिया और वो काली मेनका को भी पूछो… ठीक है ना? इन में से जो खाना इत्यादि शहर वालों की माफिक बनाना जानता हो उसको लेकर कॉटेज में आ जाओ. फिर इनके साथ जो लड़की या औरत बर्तन धोने या खाना वगैरह बांटने के काम करना चाहे उसको ले आओ और कुछ आदमी भी ले आओ जो भारी सामान इत्यादि उठाने में मदद करेंगे. नैना तुम निम्मो को साथ लेकर फ़ौरन जाओ और रास्ते में बनिये की दुकान पर उसको बोल देना कि फिल्म वालों को काफी खाने पीने का सामान चाहिए होगा, तो वो मंगवा के रखे.
वो दोनों जाने लगी तो मैंने कहा- नीचे कार खड़ी है, उसको लेकर जाओ और सारा इंतज़ाम करके आओ .मैंने खुद जाकर उनको कार में बिठा दिया और सारा इंतज़ाम पूरा करके आने के लिए कहा.
थोड़ी देर आलखन करने के बाद मैं कॉटेज अपनी बाइक पर पहुँच गया.अंदर गया तो देखा कि नैना एंड पार्टी और उसके गाँव वाली लड़कियाँ और औरतें आई हुई थी. नैना ने सब कुछ बताया कि कौन क्या करेगा, फुलवा और छाया खाना बनाने का काम करेंगी, जूही दुल्हन और उसकी दो सहेलियाँ चाय वगैरह बनाएंगी और समय समय पर परोसने का काम करेंगी. 3 औरतें जो बर्तन साफ़ करेंगी वो भी आ गई थी.
बर्तन लाने के लिए दो आदमी भेज दिए गए थे, नैना और उसकी काम करने वालियाँ, सब के नाम एक रजिस्टर में लिख दिए गए और कौन क्या काम करेगा यह भी तय कर दिया गया था.आखिर में मेरी नज़र उस काले हीरे पर पड़ी जो लाइन के आखिर में बैठी हुई थी.नैना ने मुझ को बताया कि उस औरत का नाम सांवली है और वो खाना मेहमानो में उनके निर्धारित टेबलों पर रखने का काम और खाली प्लेटों को किचन तक पहुंचाने का काम करेगी.

 
जल्दी ही सब कुछ सेट हो गया और थोड़ी देर में पंचोली साहिब शहर से वापिस आ गए और सबसे पैसों के बारे में बात कर ली और पैसों का काम उन्होंने रूबी मैडम को दे दिया और कहा कि वही पैसों का हिसाब और लेन देन वही करेगी.
अब मैंने गौर से सबको देखा तो गाँव वाली लड़कियाँ और औरतों में मेरे मतलब की सिर्फ 3-4 थीं बाकी तो ख़ास नहीं थी.मैंने देखा कि रूबी मैडम मुझ को बार बार देख रही थी छुपी नज़रों से तो अब मैं भी उसको आँखों ही आँखों से देखने लगा.
कुछ देर इस तरह चला और फिर जब मधु मैडम घर चली गई तो मैं और रूबी ही रह गई बाकी सब जन तो बाहर बैठे इंतज़ाम की बातें कर रहे थे.
फिर जब इस गहमागहमी में मेरी और नैना की नज़रें चार हुई थी तो मैंने आँखों से उसको इशारा कर दिया रूबी की तरफ और नैना ने भी हामी में हल्के से सर हिला दिया.
मैं बैठा था मौके के इंतज़ार में और तभी रूबी उठ कर आई और मुझ को कहने लगी- सतीश जी, मुझ को ज़रा इस कॉटेज की सैर तो करवा दीजिये प्लीज.मैं बोला- ज़रूर करवा देता हूँ.
मैंने रूबी को कॉटेज के सारे कमरे दिखाए और आखिरी कमरा भी दिखाया जहाँ आज मैंने और मधु मैडम ने चुदाई की थी. कमरे को दुबारा साफ़ नहीं किया गया था तो मधु मैडम के छूटे हुए पानी के निशान दिखाई दे रहे थे बेड पर और उनको देख कर रूबी रुक गई और मुझसे पूछने लगी- यह क्या है?मैंने भी शरारत के मूड में पूछा- आप बताओ कि ये काहे के निशान हैं?रूबी थोड़ी देर उसको देखती रही फिर उसने ऊँगली लगा कर उन को सूंघा और फिर थोड़ा शर्माते हुए कहा- उसी के हैं.
मैंने भी खुल कर पूछा- उसी के? खुल कर बताइए ना प्लीज.अब रूबी शर्म से एकदम लाल हो गई और मुंह एकदम नीच करते हुए बोली- फक करने के निशान हैं शायद ये!मैं हैरान होते हुए बोला- अरे, एकदम सही जवाब है आपका लेकिन आपने कैसे समझ लिया यह सब?अब रूबी ने सर उठा कर मेरी और देखा और कहा- मधु मैडम ने मुझ को सब कुछ बता दिया है.
मैं बोला- चलो अच्छा हुआ तो क्या आप भी वही चाहती हो एक डीप फक?रूबी बोली- चाहती तो हूँ अगर तुम बुरा ना मानो तो?मैं बोला- मैं क्यों बुरा मानूंगा रूबी जी? वैसे आप कहाँ की रहने वाली हैं?रूबी बोली- मैं मराठी हूँ और अभी शादी नहीं हुई है.
मैं बोला- ग्रेट. आप क्या अभी चुदना चाहती हैं या फिर रात को?रूबी बोली- रात को कैसे होगा? हवेली में?मैं बोला- मेरा कमरा आप के कमरे के साथ ही है, रात को आप मेरे कमरे में आ जाएँ, कोई प्रॉब्लम नहीं हैं लेकिन मैं आपको फक एक शर्त पर ही कर सकता हूँ?रूबी बोली- क्या शर्त है तुम्हारी सतीश?मैं बोला- कल जो डांस करने आने वाली लड़कियाँ हैं उनकी भी मुझको दिलानी होगी बारी बारी. बोलो मंज़ूर है क्या?
रूबी हंस पड़ी और बोली- सतीश यार तुम बिलकुल निश्चिंत रहो, अगर उनको पता लग गया कि तुम बड़े चोदू हो तो वो सब तुमको कभी नहीं छोड़ेंगी?मैं बोला- अच्छा ऐसी हैं क्या वो सब? एकदम चुदक्कड़ क्या?रूबी बोली- फिल्म लाइन में यह सब चलता है, वो कोई भी मौका नहीं छोड़ेंगी अपना मज़ा लेने में, तो तुम बेफिक्र रहो. वो सब तुमको अपने आप बुलाएंगी.
अब मैंने आगे बढ़ कर रूबी मैडम को एक टाइट जफ्फी मार दी और उसके होटों पर एक गर्म चुम्मी जड़ दी.उसने मेरे पैंट के बटन खोलने शुरू कर दिए और मेरे लौड़े को बाहर निकाल लिया और उसको बड़ी हैरत से देखने लगी क्यूंकि वो एकदम से सख्त खड़ा था और वो उसको हाथों में लेकर सहलाने लगी.
रूबी ने सलवार सूट पहन रखा था, मैंने सिर्फ उसकी सलवार नीचे को की और उसको बेड पर थोड़ा झुका कर पीछे से उसकी गीली चूत में अपना खड़ा लंड डाल दिया, उसकी कमीज के ऊपर से ही उसके मोटे स्तनों को मसलने लगा और धीरे धीरे से नीचे से धक्के भी मारने लगा, पूरा निकाल कर पूरा अंदर डालने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी.
रूबी अब खुद भी अपने चूतड़ को आगे पीछे करने लगी और आँखें बंद करके मस्ती करने लगी.मैं रूबी के मुलायम चूतड़ों पर हाथ फेर रहा था और मज़े से उसको चोद रहा था कि कमरे का दरवाज़ा एकदम से खुल गया और नैना कमरे के अंदर आ गई और दरवाज़ा फिर बंद कर दिया.नैना को देख कर रूबी एकदम से सकपका गई और मुझको हटाने की कोशिश करने लगी.
लेकिन मैंने रूबी के चूतड़ों को कड़े हाथों से पकड़ रखा था तो मैं बिना रुके पीछे से रूबी की सफाचट चूत में धक्के मारता रहा.नैना भी मुस्करा कर बोली- कोई बात नहीं रूबी मैडम, आप दोनों लगे रहो, मैं आपको डिस्टर्ब नहीं करूंगी.और वो हम दोनों के और पास आकर मेरे मुंह से अपना मुंह जोड़ कर चुम्बन करने लगी.नैना ने एक हाथ रूबी की चूत में डाल दिया और उसके भग को ढून्ढ कर मसलने लगी.
जैसे ही नैना ने ऐसा किया रूबी एकदम से दहकने लगी और जल्दी ही छूटने वाली हो गई और अब मैंने अपने लंड लाल की तेज़ी दिखानी शुरू की, सरपट घोड़े को भगाते हुए उसको चोदने लगा और चंद मिनटों में रूबी ‘हाय हाय मी जातोस मी जातोस रे…’ कहते हुए ढेर हो गई.
मैंने अपना लंड रूबी की फड़कती चूत से निकाला और नैना ने उसको तौलिये से साफ़ कर दिया और रूबी की चूत को भी साफ़ कर दिया.

कहानी जारी रहेगी.

 


फिल्म वाली मैडमों की खुले में चूत चुदाई


सरपट घोड़े को भगाते हुए उसको चोदने लगा और चंद मिनटों में रूबी ‘हाय हाय मी जातोस मी जातोस रे…’ कहते हुए ढेर हो गई.मैंने अपना लंड रूबी की फड़कती चूत से निकाला और नैना ने उसको तौलिये से साफ़ कर दिया और रूबी की चूत को भी साफ़ कर दिया.
शाम की चाय हम सबने बैठक में पी और वहीं बैठ कर सारे इंतज़ामों के बारे में चर्चा भी की मधु और रूबी मैडम से.रात के खाने के बाद मैं दोनों मैडमों को हवेली के बगीचे में घुमाने ले गया, दोनों मेरी साइड में चल रही थी और दोनों ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था, दोनों ही कोशिश कर रही थी कि उनके सॉलिड चूचे मेरे बाजुओं से टकरा जाएँ और मेरे हाथ अक्सर उनके गोल और मोटे चूतड़ों के ऊपर से बार बार फिसल जाते थे.
एक अँधेरे स्थान पर मैंने पहले मधु मैडम और फिर रूबी दोनों का मुंह अपनी तरफ करके उनके लबों पर एक गर्म चुम्बन दे दिया.मधु मैडम बोली- सतीश यार, मैंने कभी खुले में नहीं किया सेक्स. क्या यहाँ लॉन में पॉसिबल है यह सब?रूबी मैडम भी बोली- हाँ हाँ, मैंने भी कभी नहीं फक करवाया खुले में यानि पब्लिक प्लेस में!मैं बोला- पॉसिबल तो है लेकिन उसके लिए थोड़ा मन पक्का रखना होगा. वैसे यह लॉन तो बहुत सेफ है क्योंकि हवेली के गेट पर तो चौकीदार होता है, वो किसी को अंदर नहीं आने देगा लेकिन आपका नाज़ुक जिस्म में घास वगैरह चुभ सकता है, इसका ध्यान रखना पड़ेगा आप दोनों को!मधु और रूबी एकदम बोल पड़ी- हमें तो कोई फर्क नहीं पड़ता.मैं बोला- तो चलिए फिर मेरे साथ, बिल्कुल सेफ जगह है जहाँ किसी की नज़र नहीं पड़ सकती.
और मैं उनकी कमर में अपने दोनों हाथ डाले चल पड़ा और रास्ते में उनके गोल चूतड़ों को भी सहलाता जाता था. उन दोनों ने भी मेरे लंड को पैंट के ऊपर से अपने हाथों से सहलाना शुरु कर दिया था.
चलते चलते हम एक ऐसी जगह पहुँच गए जहाँ घर में जल रही लाइट का कोई असर नहीं पड़ रहा था और जो घने पेड़ों के झुरमुट में छुपी हुई थी.मैंने दोनों मैडम से कहा- कैसी है यह जगह?दोनों ने घूम घूम कर देखा और मुलायम घास को परखा और फिर बोली- हाँ, यह ठीक जगह है और नीचे घास भी काफी सॉफ्ट है.

मुझको घेर लिया उन दोनों ने और मुझको लबों पर एक के बाद बड़ी कामातुर चुम्मियाँ करने लगी दोनों मुंबई की हसीनाएँ! मैं भी उनके सॉफ्ट मुम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगा और उनकी ब्रा और ब्लाउज़ में छुपे चूचुकों को मसलने लगा.
और उनकी साड़ी या फिर सलवार सूट के बाहर से चूत में हाथ डालने लगा और दोनों जल्दी ही चुदाई लिए तैयार हो गई लेकिन वो जगह ऐसी थी कि कपड़े उतारने का तो सवाल ही नहीं था तो मैंने मधु को एक पेड़ को पकड़ कर रखने को कहा और उसको थोड़ा झुका कर और पैंट से अपने एकदम से अकड़े लंड को निकाला और मधु मैडम के पीछे से चूत के मुंह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का मारा तो लंड सीधा उसकी गीली चूत के अंदर पूरा चला गया.
रूबी मैडम अपने हाथ से मेरे लंड को मधु मैडम की चूत में जाते हुए महसूस कर रही थी और हर बार जब वो गीला होकर निकलता था उसको बड़ा आनन्द आ रहा था. रूबी कभी मेरे अंडकोष को छेड़ रही थी और कभी लौड़े को फील कर रही थी और कभी फिर मेरे चूतड़ों के साथ खेल रही थी.
अब मैंने महसूस किया कि मधु मैडम अब छुटने के लिए तैयार है तो मैंने धक्कों की स्पीड एकदम तेज़ कर दी और उसके चूतड़ों को दोनों हाथों में पकड़ कर ज़ोरदार लंड का अटैक जारी रखा.इस धुआँदार अटैक के कारण मधु एकदम से अकड़ी और फिर ढीली पड़ गई और मैं समझ गया कि मैडम का काम हो गया है.थोड़ी देर लंड को मधु मैडम की कांपती चूत से नहीं निकाला और उसको जब निकाला तो वो एकदम से गीलेपन से तरबतर हो चुका था.
रूबी तैयार बैठी थी, उसने झट से मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसको लपालप चूसने लगी और उसने यह समझ के चूसना शुरू किया था कि शायद मेरा लंड मैडम को चोद कर बैठ जाएगा और वो रह जायेगी.थोड़ी देर चूसने के बाद भी जब उसने देखा कि मेरा लंड अभी भी अकड़ा हुआ था तो उसने चूसना छोड़ दिया और घास पर बैठ गई, वो यह देख कर हैरान रह गई कि मेरा लंड लाल अभी भी लहलहा रहा था.
अब मैं भी बैठ गया और उसके गोल लेकिन छोटे मुम्मों के साथ उसकी कमीज के बाहर से खेलने लगा और फिर उसको घोड़ी बनने के लिए कहा.घोड़ी बनते ही मैंने उसकी सलवार को एकदम से नीचे किया और फिर अपने लौड़े के साथ उसकी चूत पर टूट पड़ा और लंड को अंदर डालने के बाद कभी धीरे कभी तेज़ रूबी मैडम को चोदने लगा.क्योंकि उसने सिर्फ अपनी सलवार ही नीचे की थी तो उसके गोल और सख्त चूतड़ों को मैं देख सकता था और उनको फील कर सकता था.
रूबी मैडम मेरे लंड से अब काफी वाकिफ हो चुकी थी, वो चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी और मधु मैडम अपनी साड़ी को अभी भी ऊपर करके धीरे धीरे ऊँगली कर रही थी.क्यूंकि हम खुले में चुदाई कर रहे थे तो ज़्यादा समय ना लेते हुए मैंने रूबी मैडम की चुदाई की स्पीड एकदम तेज़ कर दी और साथ में उसकी भग को भी रगड़ना शुरू कर दिया जिससे वो अब छूटने के करीब हो गई थी.
रूबी के चूतड़ों पर हल्की सी थपेड़ मारते हुए मैंने चुदाई जारी रखी और तेज़ धक्काशाही के कुछ मिन्ट बाद ही रूबी मैडम एकदम से कांपने लगी और उसकी चूत में सिकुड़न शुरू हो गई और वो बहुत ही धीरे से फुसफुसाती हुई बोली- मार दे सतीश यार, उफ्फ मी गयाला रे!
फिर वो वहीं घास पर लेट गई और मैंने अपना गीला लौड़ा निकाल कर उसको रुमाल से पौंछा और पैंट के बटन बंद करते हुए चलने के लिए तैयार हो गया.रूबी मैडम भी अपनी ड्रेस ठीक करके चल पड़ी और हम तीनो कुछ ही क्षणों में अपने कमरों में पहुँच गए.
थोड़ी देर बाद नैना आई, मेरे लिए स्पेशल दूध जिसमें छुवारे बादाम और पिस्ता इत्यादि पड़े हुए थे, कमरे में छोड़ कर जाने लगी तो मैंने उसको रोक कर एक ज़ोर की जफ्फी डाली और एक हॉट किस उसके होटों पर जमा कर उसकी साड़ी उठा कर उसकी बालों भरी चूत को सहला दिया.
अगले दिन सुबह कोई 10 बजे के करीब एक मिनी बस हवेली के बाहर आ कर रुकी और उसमें से 10-12 लड़कियाँ निकली.

कहानी जारी रहेगी.

 

डांस वाली लड़कियाँ और वो काला हीरा


अगले दिन सुबह कोई 10 बजे के करीब एक मिनी बस हवेली के बाहर आकर रुकी और उसमें से 10-12 लड़कियाँ निकली.रूबी मैडम ने उनका स्वागत किया.
फिर हम सब उनको लेकर कॉटेज की तरफ चल दिए उसी मिनी बस में!वहाँ नैना और उसकी काम वालियाँ पहुँच चुकी थी और किचन में नाश्ता इत्यादि की तैयारी चल रही थी.
नैना उन सबको लेकर उनके कमरो में पहुँचा आई, सिर्फ दो लड़कियाँ जिनको कमरा नहीं मिला, उनके बारे में इंतज़ाम करना बाकी था, तो उनको एक कमरे नुमा स्टोर रूम में टिका दिया और सबको लेकर नाश्ता के लिए डाइनिंग टेबल पर ले आई थी.
जैसे ही नाश्ता खत्म हुआ, रूबी उन सबको लेकर बैठक में आ गई और उनको काम समझाने लगी.वहीं पर उसने सबको मुझ से मिलवाया और बताया कि मैं वहाँ के ज़मींदार का लड़का हूँ और सारे काम का मैनेजर भी हूँ.
अब मैंने सब लड़कियों को ध्यान से देखा तो उनमें से सबकी सब लम्बे कद बुत की थी और काफी सुन्दर और सुडौल शरीर की मालिक थी. एक ख़ास बात जो मैंने नोट की, वो सब एक जैसी ही लम्बी थी, सबकी हाइट 5’5″ फ़ीट से ऊपर ही थी.एक दो मुझ से बार बार नज़र मिला रही थी और बात करने की कोशिश कर रही थी.आते जाते एक दो से तो हाथ से हाथ टकराए थे और मैंने उनको सॉरी भी बोल दिया था.

एक उनमें से बहुत चुलबुली थी, वो मेरे पास वाले सोफे पर आकर बैठ गई और बोली- हेलो मैनेजर साहब, मेरा नाम जूली है, आपका क्या नाम है?मैंने उसको और बाकी लड़कियों को अपना नाम बताया तब जूली बोली- क्यों मिस्टर सतीश, क्या तुम कॉलेज में हो क्या?मैं बोला- हाँ, मैं कॉलेज के फर्स्ट ईयर में हूँ, आप कहाँ तक पढ़ी हैं?जूली बोली- मैंने बी ए किया हुआ है, और ये सब लड़कियाँ भी कॉलेज कर चुकी हैं.
मैं बोला- मुंबई शहर तो, कहते हैं, बहुत बड़ा है, क्या यह सच है?जूली बोली- मुंबई बहुत बड़ा शहर है सारे इंडिया में, तुम्हारा लखनऊ तो कुछ भी नहीं उसके मुकाबले में!
इतने में रूबी मैडम भी आ गई और बोली- चलो नाश्ता हो गया है तो डांस की तैयारी करनी शुरू करें. अपने कपड़े भी चेंज कर लो जल्दी से!सब लड़कियाँ जल्दी से अपने कमरों में चली गई और मैं भी रूबी मैडम से कह कर अपने घर आ गया.
नहा धोकर मैं फिर कॉटेज में जाने लगा तो मधु मैडम आ गई और बोली- सतीश यार, वो कार तो बिजी है, तुम मुझ को कॉटेज छोड़ आओ.मैं बोला- आइए मैडम, मैं वहीं जा रहा हूँ अपनी बाइक पर, आप भी चल सकती हैं मेरे साथ!जब बाइक चलाई तो मैडम मेरे से चिपक कर बैठ गई और उसके सॉलिड मुम्मे मेरी पीठ से चिपक गए और मैं थोड़े तेज़ चला कर ब्रेक मार रहा था जिससे मैडम के मुम्मे और भी चिपके रहे मेरी पीठ से!
कॉटेज पहुँच कर मैंने मैडम को याद कराया- मैडम याद है न वो आपका वायदा?मैडम बोली- कौन सा वायदा सतीश?मैं भी मैडम की आँखों में आँखें डाल कर बोला- वही, जो लड़की अच्छा डांस नहीं करेगी, उसको मुझसे फ़क करवाओगे आप?मैडम ज़ोर से हंस दी- बड़ी तेज़ यादाश्त है यार तेरी. मैं ज़रूर फक करवाऊँगी लेकिन उससे पहले ही वो तुझ को घेर लेंगी और तुझको नहीं छोड़ेंगी, ख़ास तौर से तेरी फकिंग कैपेसिटी देख कर! देख लेना!
हम दोनों अंदर चले गए और मैडम उनको निर्देश देने में बिजी हो गई.थोड़ी देर तो मैं मैडम को देखता रहा कि वो रूबी को और डांसर्स को क्या आदेश दे रही हैं, फिर मैं घूमता हुआ किचन में चला गया जहाँ फुलवा और उसकी सहयोगी खाना बनाने में लगी हुई थी.नैना भी पहुँच चुकी थी, वो उनको जहाँ भी ज़रूरत होती थी, मदद कर रही थी.
सबको देखते हुए मेरी नज़र उस काले हीरे पर पड़ी जो अभी कुछ रसोई का काम कर रही थी.उसने मेरी तरफ देखा और हल्के से मुस्करा दी.नैना हमारी आँखों की इशारेबाजी देख रही थी, वो मेरे पास आई और बोली- आप पीछे स्टोर में चलिए, मैं आपके हीरे को लेकर आती हूँ.
मैं टहलते हुए स्टोर में गया और वहाँ पड़े हुए सामान को देख ही रहा था कि नैना काले हीरे को लेकर आ गई.आते ही नैना बोली- छोटे मालिक, इससे मिलो, यह है देवकी!मैं बोला- अच्छी सुन्दर है यह देवकी तो, इसकी शादी हो चुकी है क्या?नैना बोली- हाँ छोटे मालिक, हो तो चुकी है लेकिन इसका पति बाहर गया हुआ है नौकरी के सिलसिले में, तो यह अभी दो साल से अनछुई है.

 
मैंने देवकी से पूछा- कब गया था बाहर तेरा पति?देवकी शर्माती हुई बोली- यही कोई 2 साल पहले और तबसे लौट कर ही नहीं आया है.मैं बोला- तो तू दो साल से अछूती है क्या?वो और भी शरमाते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, क्या करें किस्मत ही खराब है ससुर!
नैना बोली- क्यों देवकी, छोटे मालिक तुझ को अगर अभी हरा कर दें तो तैयार है क्या?देवकी शर्म से और सांवली हो गई और कुछ बोले बगैर सर को हाँ में हिला दिया.नैना बोली- छोटे मालिक, आप देवकी को लेकर छत पर चले जाओ, मैं आती हूँ आपके पीछे.
मैंने देवकी को आगे आगे चलने को कहा और खुद उसके पीछे सीढ़ियाँ चढ़ने लगा.ऊपर पहुँच कर देखा, वहाँ एक छोटा सा कमरा बना हुआ है जिसमें एक दीवान नुमा बेड बिछा हुआ था.जैसे ही हम कमरे में पहुंचे मैंने देवकी का मुंह अपनी तरफ करके पूछा- क्यों देवकी, तुम तैयार हो ना?देवकी शरमाई, लेकिन बोली कुछ नहीं.मैंने फिर पूछा- बोलो देवकी, तैयार हो अपनी चूत चुदवाने के लिए?देवकी ने फिर हामी में सर हिला दिया.तब मैंने कहा- ऐसे नहीं देवकी, बोलो हाँ या ना?देवकी ने अपनी साड़ी के पल्लू में छुपा कर धीरे से बोला- हाँ छोटे मालिक.
जैसे ही उसने हाँ बोला, मैंने उसको पकड़ लिया और उसकी साड़ी का पल्लू उसके मुम्मों के ऊपर से हटा दिया, उसके ढीले ब्लाउज को ऊपर करके सांवले लेकिन सॉलिड और मोटे मुम्मे बाहर आ गए, मैं उनको चूसने लगा.साथ ही मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी धोती ऊँची करके उसकी चूत पर काले बालों में से साफ झलकते चूत के होटों को मसलने लगा.
.उसकी चूत काफी गीली हो चुकी थी, मैंने अपनी पैंट ढीली करके अपने खड़े लौड़े को निकाला और उसको देवकी के हाथ में दे दिया.देवकी खुश हो गई लंड को हाथ में लेकर और फिर मैंने बिना कुछ भी देर किये उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और उसकी टांगों को चौड़ा कर के धीरे धीरे धक्के मारने लगा.
उसकी चूत एकदम से टाइट थी क्यों कि वो दो सालों से इस्तेमाल नहीं हुई थी और मेरे लौड़े को पाकर चूत और भी निहाल हो गई थी.मैंने उसके सांवले लेकिन मोटे चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी और जैसा कि मुझको उम्मीद थी, देवकी जल्दी ही झड़ गई और ज़ोर ज़ोर से हाय हाय करने लगी.
तब मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और उसकी चूत के पानी के पूरी तरह से झड़ जाने तक अपने लंड को अंदर डाल कर बैठा रहा.जब मैं उठने लगा तो देवकी ने मुझ को कसके जफ्फी मारी और मेरे होटों पर एक चुम्मी भी दे दी.
पहले मैंने देवकी को नीचे भेज दिया और फिर 5 मिन्ट बाद मैं भी नीचे आ गया.जैसे ही मैं हाल में पहुँचा वहाँ मुझ जूली मिल गई और पूछने लगी- कहाँ थे आप?मैंने कहा- मैनेजर हूँ ना, सब इंतज़ाम देखने पड़ते हैं. बोलो, कोई काम था मुझसे?जूली बोली- तुम ज़रा आना मेरे कमरे में, कुछ काम है.
मैं उसके पीछे चल दिया और जब हम उसके रूम में पहुँचे तो उसने झट से कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया और मुझको एकदम अपनी बाहों में ले कर बहुत ही टाइट जफ्फी मारी.फिर उसने अपने गरम होंट मेरे होंटों पर रख दिए और एक बहुत ही कामातुर जफ्फी मारी.मैं थोड़ा घबरा कर बोला- यह क्या कर रही हो जूली?जूली बोली- मैं तुमको फक करना चाहती हूँ.
कहानी जारी रहेगी.

 

डांसर की चूत चुदाई और छेड़छाड़


फिर उसने अपने गरम होंट मेरे होंटों पर रख दिए और एक बहुत ही कामातुर जफ्फी मारी.मैं थोड़ा घबरा के बोला- यह क्या कर रही हो जूली?जूली बोली- मैं तुमको फक करना चाहती हूँ!मैं बोला- अच्छा! फक करना चाहती हो तो आओ फिर, देख क्या रही हो?जूली बोली- क्या तुम नहीं चाहते मुझको फक करना?
मैं बोला- चाहता तो बहुत हूँ लेकिन क्या यह उचित समय होगा? बाहर तुम्हारी मैडम है, वो कहीं पकड़ ना लें, इसका डर नहीं है क्या?जूली बोली- डर तो है पर क्या करें फिर?मैं बोला- इन दोनों को जाने दो. फिर मैं तुमको जितना तुम चाहोगी उतना फक कर दूंगा.जूली बोली- ठीक है अभी हम सिर्फ छेड़छाड़ कर लेते हैं.मैं बोला- ठीक है लेकिन तुम्हारी रूम पार्टनर भी तो आ सकती है ना?जूली बोली- आने दो साली को, उसको भी लंड चाहिए और वो भी गाँव का मज़बूत लंड!
फिर उसने पैंट से मेरा लौड़ा निकाल कर देखना शुरु किया, जूली हैरानी से बोली- अरे यह तो खड़ा है… कितना बड़ा होगा यह?मैं बोला- यही कोई 7 इंच से कुछ ज़्यादा है.
अब मैं भी जूली के चूचे मसलने लगा, उसके मुम्मे काफी गोल और सॉलिड लग रहे थे. उसने फ्रॉक ड्रेस पहनी हुई थी और उसका फ्रॉक

केवल उसके घुटनों तक ही था.मैंने भी झट से उसके ड्रेस के नीचे अपना एक हाथ डाल दिया और उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा.
अब जूली बैठ कर मेरे लंड को लपालप चूसने लगी और मैं भी उसके मुम्मों को उसकी फ्रॉक से बाहर निकाल कर सहलाने लगा.थोड़ी देर में मुझको लगा कि किसी ने कमरे का दरवाज़ा खोला और चुपचाप हम को देख रही है.मैंने झट मुड़ कर देखा तो वो एक गोरी सी लम्बी लड़की वहाँ खड़ी थी और हमको बड़े ध्यान से देख रही थी.
जूली बोली- आओ सैंडी, देखो गाँव का छोकरा है कितने मोटे कॉक के साथ!मैंने सैंडी की तरफ देखा, वो काफी गोरी और सुडौल बदन वाली लड़की थी, उसने भी फ्रॉक पहन रखा था.
सैंडी बोली- यह तो सतीश है, यहाँ का मैनेजर… इस के साथ क्या कर रही है जूली? ज़मींदार साहिब का लड़का है यह, पकड़ी गई न, तो
वो लोग तुझको छोड़ेंगे नहीं.मैं बोला- रिलैक्स गर्ल्स, यहाँ कोई नहीं पकड़ता किसी को और मुझ को तो पकड़ने की किस में हिम्मत है! अच्छा अब बताओ क्या सैंडी
भी फक करेगी मुझको?
जूली ने सैंडी से पूछा- क्यों सैंडी, क्या मरजी है? फक करना है इसको?सैंडी बोली- अरे इस छोटे से छोकरे को क्या फक करना है जूली. तू भी ना हर किसी से फक करवाने के लिए तैयार हो जाती है?जूली ज़ोर से हंस पड़ी और सैंडी को कहा- इधर तो आ सैंडी, तेरे को कुछ दिखाना है!
सैंडी बड़ी बेदिली से जूली के पास गई और बोली- क्या री? क्या दिखाना चाहती है?जूली मेरा खड़ा लौड़ा निकाल कर सैंडी को दिखाने लगी. सैंडी मेरा खड़ा लंड देख कर अचरज में पड़ गई और उसको अपने हाथ में लेती
हुई बोली- यह असली है या नकली है?मैं बोला- जूली सैंडी, तुम दोनों फैसला करो, नहीं तो मैं तो जा रहा हूँ.और यह कह कर मैं अपने लौड़े को पैंट के अंदर डाल कर पैंट के बटन बंद करने लगा.
यह देख कर जूली मेरे लंड को फिर से निकाल कर उसको चूसने लगी.सैंडी भी उसके पास आई और बोली- जूली, प्लीज थोड़ा मुझको भी चूसने दे न प्लीज!
मैंने कहा- सैंडी मैडम, यू आर नोट परमिटेड टू टच इट! जब तुमको मेरे लंड पर विश्वास नहीं तो प्लीज इसको हाथ मत लगाना. आओ
जूली हम फक करें!मैं अब जूली को डीप किस करने लगा और साथ में उसके चूतड़ों को सहलाने लगा और फिर उसकी पैन्टी को नीचे खिसका कर उसको
बेड पर झुका कर मैं उसको पीछे से चोदने लगा.
सैंडी भी नज़दीक आकर सारा तमाशा देखने लगी. मेरा लौड़ा कैसे जूली की चूत में अंदर बाहर हो रहा था, यह सैंडी देख रही थी और
अपनी ऊँगली पैंटी के ऊपर से अपनी चूत पर चला रही थी.
मैंने जूली के दोनों नंगे चूतड़ों को कस कर अपने हाथों में पकड़ा हुआ था और पूरे जोश-औ-खरोश के साथ उसकी चूत चुदाई में मग्न
था.सैंडी ना जाने कब मेरे पीछे आकर मेरे अंडकोष से खेलने लगी लेकिन मैं बेखबर हुआ धक्के मारने में लगा हुआ था. जब मैंने महसूस
किया कि जूली अब झड़ने के करीब है तो मैंने धक्कों की स्पीड बेइंतहा बढ़ा दी, चंद ही मिनटों में जूली के शरीर की सिहरन एकदम से
तेज़ हो गई और वो बहुत ही जल्दी ‘ओह माय गॉड…’ कहती हुई झड़ गई.वो बेड में पूरी तरह से झुक गई और मैं भी उसके ऊपर पसर गया.
फिर मैं उठा और अपने लंड को पैंट के अंदर कर के कमरे के बाहर जाने लगा तो सैंडी मेरे सामने आ गई और बोली- मेरा भी कर दो न
प्लीज सतीश?मैं बोला- नहीं सैंडी, आज नहीं, फिर कभी सही… टेक केयर, बाई जूली!
मैं वहाँ से निकल कर बैठक में आ गया और देखा कि डांस का रिहर्सल चल रहा था और किसी का तो ध्यान नहीं था लेकिन अपनी
नैना ने मुझको सवालिया निग़ाहों से पूछा कि कहाँ थे अब तक?मैंने भी हाथ के इशारे से बता दिया कि सब ठीक है.जूली और सैंडी भी आ गई थी कमरे में.

 
ज़्यादातर लड़कियों ने कमीज और चूड़ीदार पजामी या फिर सलवार पहन रखी थी रिहर्सल के टाइम और उन सबके मुम्मे खुले हुए थे
उनकी कमीज़ों में, उनका हिलना और उछलना डांस के स्टेप्स के साथ मुझ को बड़ा ही आनन्द दे रहा था.काला हीरा यानि देवकी भी डांस देख रही थी और एक बार जब हमारी नज़र मिली तो मैंने उसको हल्के से आँख मार दी और यह देख
कर देवकी की बांछें खिल उठी थी.
जब डांस चल रहा था तो उनमें से कुछ लड़कियाँ अपनी बारी की इंतज़ार कर रही थी और उन में से तीन लड़कियाँ, मुझको लगा, धीरे
धीरे मेरे सामने आकर खड़ी हो गई थी.मैंने कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया लेकिन जब वो आहिस्ता से मेरे नज़दीक आने लगी तो मुझको शक हुआ कि कहीं ये मेरे पास तो नहीं
आना चाहती हैं?
अब मैंने महसूस किया कि उन दोनों ने अपने चूतड़ मेरे आगे जोड़ दिए थे और वो बहुत ही धीरे से मेरे लंड को टच करने की कोशिश
कर रही थी.अब मैं भी अपनी कमर को उनके चूतड़ों के साथ घिसने लगा और मेरा लंड जो फिर खड़ा हो गया था वो उनको टच कर रहा था.मैंने दोनों को ध्यान से देखा, दोनों ही काफी लम्बी और सुडौल शरीर वाली थी. उन्होंने भी वो डांस वाली ड्रेस पहन रखी यानि सलवार
कमीज, वो भी बहुत ही टाइट.
मैं उनके चूतड़ों पर हाथ रख कर धीरे से उनको सहलाने लगा और वो दोनों यह देख कर और भी करीब आ गई.अब मैंने अच्छा मौका देख कर बोला- मैं हूँ सतीश, आप लोगों का मैनेजर, इस कॉटेज में अगर कोई भी प्रॉब्लम हो तो बताना ज़रूर.दोनों ने पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देखा और अपना हाथ बढ़ा दिया मुझसे मिलाने के लिए!मैंने भी उनसे हाथ मिलाया और तभी उनमें से एक लड़की ने मेरे हाथ में हल्की सी खुजली कर दी और मैं समझ गया कि ये दोनों तो
तैयार हैं.उनमें से ज़्यादा सुन्दर लड़की ने कहा- मेरा नाम सुनंदा है और इसका नाम रागिनी है और हम दोनों ही डांसर हैं.मैंने भी उनके कान के पास मुंह ले जाकर कह दिया- आप दोनों बहुत सुन्दर और काफी स्मार्ट लग रही हो.
दोनों बहुत ही खुश हो गई मेरी इस तारीफ से और दोनों ने एक दिलरुबा मुस्कान मेरी तरफ बखेर दी.तभी रूबी मैडम ने उन दोनों को आवाज़ दी और दोनों जल्दी से डांस फ्लोर पर चली गई.
उनके जाने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए किचन भी गया और वहाँ काम कर रही औरतों और लड़कियों से बातचीत की और देखा कि
कौन सी लड़की या फिर औरत नई आई है.दो तीन औरतें मुझको नई लगी और फिर मेरी नज़र दुल्हनिया पर पड़ी जिसकी चूत का द्वार मैंने खोला था, वो मुझको देख कर
मुस्करा दी और जवाब में मैं भी मुस्करा दिया.
वहाँ से घूम कर मैं फिर डांस रिहर्सल को देखने खड़ा हो गया. मैं जहाँ खड़ा था, वहाँ कुछ डांसर लड़कियाँ भी खड़ी थी और मैं उनके
पीछे थोड़ा हट कर खड़ा हो गया.कुछ देर बाद वो लड़कियाँ भी पीछे होते हुए मेरे एकदम आगे आकर खड़ी हो गई और मुझको समझते देर नहीं लगी कि इनको भी मेरे
बारे में खबर लग चुकी है.
मैं चुपचाप खड़ा था और अपनी तरफ से कुछ भी नहीं कर रहा था लेकिन थोड़ी देर बाद मैंने नीचे देखा तो उन लड़कियों में से एक का
बायां हाथ मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को ढूंढ रहा था.जब उसको मेरे लंड का आभास मिल गया तो वो हाथ पहले धीरे धीरे से उसको बाहर से फील कर रहा था, लेकिन जैसे ही मेरा लौड़ा
अकड़ गया तो उसने अपना हाथ खींच लिया.जल्दी ही उस लड़की के हाथ को एक दूसरी लड़की के हाथ ने रिप्लेस कर दिया और पहले वाली लड़की वहां से ज़रा हट गयी और वो
दुसरे हाथ वाली ने उस की जगह ले ली.अब मैं ने देखा आगे खड़ी तीनो लड़कियां ने मिल कर एक दिवार सी बना दी मेरे आगे ताकि कोई उन के हाथ की हरकत को ना देखा
सके.क्यूंकि मैं तो इस सारे कार्यक्रम में आनंद ले रहा था सो उन को मेरी तो फ़िक्र थी नहीं बाकी कोशिश यह थी कि कोई आगे वाला न
देख रहा हो.अब हाथ वाली लड़की ने मेरी पैंट के बटन खोलने शुरू कर दिए और उस को कुछ मुश्कल होते देख कर मैं ने ही पैंट के बटन खोलने
में उन को थोड़ी सहायता देनी शुरू कर दी.उस लड़की के गोरे हाथ ने मेरा लंड को मेरे अंडरवियर के अंदर से निकाल कर उस को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया था.यह देख कर मैं भी कुछ मज़ा लेने के खातिर उस के चूतड़ों को छूने लगा और फिर आहिस्ता से अपनी ऊँगली उस की गांड से होते
हुए उस की उभरी हुई चूत में डालने की कोशिश करने लगा.उस ने पैंटी पहन रखी थी सो ऊँगली ज़्यादा दूर तक चूत के अंदर नहीं जा सकी लेकिन मैं पैंटी के बाहर से ही मसलने लगा.दूसरा हाथ दूसरी लड़की के नितम्बों पर फेरने लगा.तीनो ने मुझ को इस तरह घेरा हुआ था कि मैं कुछ भी करूँ वह सामने वालों को नहीं दिख रहा था.बारी बारी से तीनो ने मेरे लौड़े को फील किया और कुछ समय उस के साथ खेल कर वो तीनो एक दुसरे के सुपर्द कर रही थी, बड़े ही
संयम और यत्न से वो यह सेक्सी खेल मेरे लौड़े के साथ खेल रही थी.मेरे मुंह अपने आप उस समय निकल गया-माशाल्लाह क्या आपसी जोड़ और जुगाड़ है यारो वाहा वाहा.हमारा यह खेल कुछ देर तो ठीक चला लेकिन फिर रूबी मैडम की पैनी नज़र से हमारी यह खेल की छुपी हरकत और ज़्यादा ना छुप
सकी और उस ने उन तीनो लड़कियों को अपने पास बुला लिया.लेकिन मैं वाकये में उन तीनो से एक दम बहुत ही ज़्यादा प्रभावित हुआ जब वो तीनो ने मिल कर मेरी पैंट के अंदर मेरा लौड़ा डाल
कर पैंट के खुले बटन भी बंद कर दिए और फिर वो तीनो वहां से हटी!

कहानी जारी रहेगी.

 
लेकिन मैं वाकयी में उन तीनों से बहुत ही ज़्यादा प्रभावित हुआ जब वो तीनों ने मिल कर मेरी पैंट के अंदर मेरा लौड़ा डाल कर पैंट के खुले बटन भी बंद कर दिए और फिर वो तीनों वहाँ से हटी.
डांस रिहर्सल के बाद वो तीनों डांसर मेरे पास आई, मुझको चारो तरफ से घेर लिया और खूब प्यार से मेरा थैंक्स करने लगी.मैं कुछ हैरान था कि यह थैंक्स किस बात का कर रही हैं.फिर उनमें से एक तेज़ तरार लड़की ने कहा- सतीश यार, तुम्हारा कॉक तो बहुत ही रॉकी है यार! कहाँ से खरीदा है इसको?
मैं उनके मज़ाक के लहजे को समझ गया और उसी टोन में बोला- गाँव में हर शनिवार बाजार लगता है, वहीं से खरीदा है. तुमको यह पसंद है तो तुम ले लो, मैं दूसरा ले लूँगा!यह सुन कर बाकी खड़ी लड़कियाँ बड़े ज़ोर से हंस दी और सवाल पूछने वाली लड़की एकदम से झेंप गई.

फिर वही लड़की बोली- मेरा नाम आबिदा है, इन दोनों का नाम श्वेता और शिल्पी है. हम सब मुंबई में एक ही मोहल्ले में रहती हैं और फिल्मों में डांस का काम करती हैं.मैं बोला- मेरा नाम सतीश है, मैं लखनऊ में कॉलेज में पढ़ता हूँ और दशहरे की छुट्टियों में गाँव में आया हूँ और आपके बॉस ने मुझको यहाँ का सारा इंतज़ाम करने, देखने के लिए कहा है, यह कॉटेज मेरे पिता जी की है जो यहाँ के ज़मींदार भी हैं, आपको कोई प्रॉब्लम हो तो बताना ज़रूर.
आबिदा बोली- अच्छा हुआ आपने बता दिया, मेरे कमरे में एक बहुत ही अजीब सी प्रॉब्लम है, आप प्लीज उसको ठीक करवा दीजिये.मैं बोला- ठीक है, मैं अपने मिस्त्री को बुला लाऊँगा तो वो देख लेगा और ठीक कर देगा.आबिदा बोली- नहीं ना, आप अभी चल कर प्रॉब्लम तो देख लीजिये, फिर मिस्त्री को बुला कर ठीक करवा देना.मैं बोला- अभी तो आपका डांस रिहर्सल चल रहा है, बाद में दिखा देना जब आप को काम से फुर्सत हो तो.आबिदा बोली- नहीं, अभी काम नहीं चल रहा, यह टाइम चाय ब्रेक का है, आप चलिए प्लीज!
मैं बड़ी विवशता से उन तीनों के पीछे चल पड़ा और जब हम उनके काफी पीछे वाले कमरे में पहुँचे तो कमरे में घुसते ही उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया.आबिदा ने सबसे पहले आगे बढ़ कर मुझसे आलिंगन कर लिया और फिर एक ज़ोरदार चुंबन मेरे होटों पर जड़ दिया और उसके हाथ मेरे लौड़े पर जाकर टिक से गए.
मैंने भी उसको चुम्बन दिया और बोला- देखो लड़कियो, इस तरह से मेरे साथ आप को कुछ भी मज़ा नहीं आएगा और आप में किसी को भी कोई सेक्स का पूरा आनन्द नहीं आएगा. मैं तुमसे वायदा करता हूँ कि मैं तुम सब को एक एक कर के पूरी तसल्ली दूंगा लेकिन आलखन से! इस लिए मैं तुम को सलाह दूंगा कि सब नैना दीदी से मिलो और वो प्लान करेगी कि कैसे किस को कब कहाँ फक करना है.आबिदा ने बाकी लड़कियों की तरफ देखा और उन दोनों ने मेरे साथ सहमति जताई.
अब मैं बोला- लेकिन थोड़ी सी किसिंग और छेड़ा छाड़ी तो अभी भी आप कर सकती हैं!फिर मैंने उन तीनों को बारी बारी से किस किया और उनके चूतड़ों, उनके मुम्मों को थोड़ा मसला और उन्होंने मेरे खड़े लौड़े को पैंट से निकाल कर थोड़ा सा चूमा और मेरे अंडकोष को सहला दिया..
फ़िर हम सब बैठक में आ गए जहाँ अभी भी रिहर्सल चल रहा था.मौका देख कर मैंने नैना को इशारा किया, वो मेरे पीछे लॉन में आ गई. लॉन में घूमते हुए मैंने उसको सब प्रॉब्लम बताई कि कैसे लड़कियाँ मुझको बार बार चुदाई के लिए घेर रही हैं.नैना बोली- मुझको यह मालूम था कि ऐसा होने वाला है, लेकिन मैं नहीं जानती थी कि ये सब इतनी बेशर्म और निडर हैं. छोटे मालिक, आप बेफिक्र रहो, मैं इन लड़कियों का कुछ हल सोचती हूँ.फिर हम दोनों अंदर बैठक मैं आ गए.
मुझको देख कर रूबी मैडम मेरे पास आई और बोली- सतीश क्या तुम डांस में दिलचस्पी लेते हो?मैं बोला- नहीं मैडम, मैंने आज तक कभी डांस नहीं किया अपने जीवन में!रूबी मैडम बोली- अच्छा, अगर तुमको हम डांस करने का मौका दें तो क्या तुम डांस करना चाहोगे?मैं बोला- अगर आप डांस करना सिखा दें तो अवश्य ही मैं डांस करने की कोशिश करूंगा.रूबी मैडम बोली- तो आओ किसी खाली कमरे में चलते हैं, मैं तुमको डांस करना सिखाने की कोशिश करती हूँ.
मैं रूबी मैडम को अपने छत वाले कमरे में ले गया, वहाँ एकान्त देख कर रूबी मैडम का चुदवाने का मूड बन गया लेकिन मैंने उनको याद दिलाया कि हम यहाँ डांस सीखने के लिए आये हैं.रूबी एकदम से संभल गई और मेरा हाथ पकड़ के उसने मुझको डांस स्टेप्स सिखाने शुरू कर दिए.और कुदरत का खेल देखिये कि मैं बहुत जल्द ही सारे बेसिक स्टेप्स सीख गया.
अब मैडम नीचे गई और एक डांसर को बुला लाई और मुझको उसके साथ डांस करने के लिए कहा.डांस फिर शुरू हुआ और मैडम ने ताली बजा कर मुझको उस लड़की डांसर के स्टेप्स का अनुसरण करने के लिए कहा जो मैंने बिना किसी गलती के पूरा कर लिया.

 
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