desiaks
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अब मैंने चुदाई अपने कंट्रोल में ले ली और धीरे धीरे धक्कों के साथ चुदाई की स्पीड बढ़ाता गया और करीब 5 मिन्ट की चुदाई बाद वो पहली बार छूट गई.उसके छूटने का ढंग कुछ अलग था, छूटने से पहले उसने अपनी कमर को एकदम ऊपर उठाया और मेरी कमर के साथ जोड़ दिया और ज़ोर ज़ोर से कांपना शुरू कर दिया और जब तक वो पूरी तरह नहीं छूटी वो मुझसे चिपकी रही.मेरा लंड पूरा उसके अंदर समाया हुआ था और उसकी चूत का खुलना बंद होना लंड को महसूस हो रहा था, उसके मोटे मम्मे मेरी छाती से चिपके हुए थे.
थोड़ा रुक कर मैंने फिर चुदाई शुरू कर दी और धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ाता गया और फुलवा एक बार फिर छूट गई और एकदम ढीली पढ़ गई लेकिन मैंने चुदाई जारी रखी और थोड़े टाइम बाद जब फुलवा तीसरी बार छूटी तो मैं अपने को नहीं रोक सका और उस के साथ मेरा भी फुवारा छूट गया और फुलवा का चेहरा एकदम खुशी से खिल उठा.
हम दोनों थक कर लेट गए और छाया फुलवा के होटों को चूसने लगी और उसके स्तनों को दबाने लगी. फुलवा ने ‘थैंक यू’ मुझको आँखों से ही कह दिया.
छाया उठी और नीचे बिस्तर बिछा कर लेट गई और फुलवा को मेरे साथ सोने का इशारा करके खुद सो गई.10-15 मिन्ट बाद मैंने फुलवा को फिर चोदा और उसके दो बार छूटने के बाद मैंने भी छूटा लिया और करवट बदल कर सो गया.
आधी रात को मेरा हाथ फिर फुलवा के नंगे स्तनों पर लगा और फिर मेरा लंड चोदने के लिए तैयार हो गया और मैंने फुलवा की चूत को हल्के से मसला और जब उसकी टांगें फिर अपने आप खुल कर चौड़ी हो गई तो मैं जल्दी से अंदर घुसा और उसकी चूत में लंड को डाल दिया.फुलवा की चूत अभी भी पनिया रही थी, थोड़े धक्कों के बाद वो झड़ गई लेकिन मैं अभी भी मस्ती में था तो आधा घंटा उसको चोदने के बाद ही अपना छुटाया और फिर गहरी नींद सो गया.
सुबह छाया ने मुझको जगाया और पूछा कि हम दोनों जाएँ क्या?
मैंने इशारे से कहा कि फुलवा को एक बार और चोदना चाहता हूँ तो फुलवा जो धोती पहन चुकी थी, धोती को उतारने लगी.मैंने इशारे से कहा- रहने दो, धोती ऊपर उठा कर ही चोद दूंगा.
वो फिर मेरे पास लेट गई और मैंने उसको जल्दी ही फिर तैयार कर लिया और उसकी ज़ोरदार चुदाई कर दी और उसका कम से कम 2 बार छूटने के बाद भी मैं नहीं छूटा और उसको कहा- जाओ तुम दोनों, बाकी हिसाब रात को कर लेंगे.
यह सिलसिला 4-5 दिन चला और फिर सिर्फ छाया ही आई, कुछ उदास दिख रही थी, मैंने पूछा- उदास क्यों हो छाया?वो बोली- फुलवा नहीं आई इसलिए!‘तो क्या परेशानी है?’‘आप से पूछे बगैर हम उसको कैसे लाते?’‘अरे इसमें पूछना क्या है? ले आओ न उसको!’
और छाया ख़ुशी ख़ुशी चली गई और थोड़ी बाद वो फुलवा को लेकर आ गई. दोनों मेरे पलंग पर बैठ गई मेरी अगल बगल… मैंने पहले छाया को चूमा और फिर फुलवा को.
मैं बोला- अब क्या इरादा है छाया रानी?
‘आप बुरा तो नहीं मान जायेंगे अगर मैं कहूं कि आप हम दोनों को बारी बारी से चोदो. आप बीच में लेट जाओ और हम दोनों को बारी बारी से चोदो जैसे पहले मुझको और फिर फुलवा को, मंज़ूर है क्या?’‘जैसा तुम कहो छाया!’
‘चलो फुलवा और सतीश तुम भी कपड़े उतार दो और मैं भी उतार देती हूँ फिर आप बीच में लेट जाना ठीक है?’
‘ठीक है, या ऐसा करो कि मैं बीच में लेट जाता हूँ और तुम बारी से मेरे ऊपर चढ़ जाना और चुदाई का सारा काम तुम दोनों को करना पड़ेगा. मंज़ूर है क्या?’दोनों ने सर हिला दिया.
पहले छाया ने मुझ को मुंह से लेकर लंड तक चूमा और फुलवा मेरे खड़े लंड से खेलती रही.थोड़ी देर बाद फुलवा ने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैं एकदम से बिफर गया क्यूंकि पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था, मुझ को लगा कि मेरा लंड फट जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और तब छाया मेरे लंड के ऊपर आ गई और मेरे खड़े लंड को हाथ से चूत में डाल दिया और फिर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर से नीचे धक्के मारने लगी.
उसकी चूत से टपक रहा रस मेरे लंड और अंडकोष पर गिर रहा था, मैं भी नीचे से धक्के का जवाब धक्के से दे रहा था. फुलवा मेरी छाती के निप्पलों को चूस रही थी और हम तीनों ही चुदाई में मस्त थे.
तभी छाया ने धक्के मारना तेज़ कर दिया और फिर उसने आखरी एक धक्का ज़ोर से मारा और वो मेरे ऊपर पसर गई, उसका रस पूरी तरह से मेरे ऊपर फैल गया और उसके उरोज मेरी छाती में दब गए.
फुलवा ने प्यार से छाया को मेरे ऊपर से हटाया और बिस्तर पर लिटा दिया. और फिर वो अपनी मोटी गांड को लेकर मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और जब लंड उसकी चूत में पूरा चला गया तो वह भूखी शेरनी की तरह से धक्के मारने लगी और जल्दी जल्दी ऊपर नीचे होने लगी.मैं उसकी धक्के की लय को समझ पाता तब तक वो भी झड़ गई और हांपते हुए मेरे ऊपर पसर गई.
दो दो चूतों से निकला रस मेरे ऊपर फैल गया और उस रस से बहुत मादक सुगंध आ रही थी.सारी रात यही क्रम चलता रहा, कभी छाया ऊपर और कभी फुलवा ऊपर! दोनों कई बार छूटी और मैं भी 2 बार छूट गया, दोनों में एक एक बार!सुबह हुई तो हम तीनों मस्त नींद में थे लेकिन छाया सजग थी और टाइम पर उठ कर फुलवा को लेकर चली गई और जब मेरी चाय ले कर आई तो पलंग की चादर की हालत देख कर उसने झट चादर बदल दी और बोली कि इसको वो खुद धोएगी क्यूंकि चादर पर ढेरों चूत का रस और वीर्य फैला था.छाया की होशियारी के कारण हमारा यह खेल निर्विघ्न चलता रहा.
कहानी जारी रहेगी.
थोड़ा रुक कर मैंने फिर चुदाई शुरू कर दी और धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ाता गया और फुलवा एक बार फिर छूट गई और एकदम ढीली पढ़ गई लेकिन मैंने चुदाई जारी रखी और थोड़े टाइम बाद जब फुलवा तीसरी बार छूटी तो मैं अपने को नहीं रोक सका और उस के साथ मेरा भी फुवारा छूट गया और फुलवा का चेहरा एकदम खुशी से खिल उठा.
हम दोनों थक कर लेट गए और छाया फुलवा के होटों को चूसने लगी और उसके स्तनों को दबाने लगी. फुलवा ने ‘थैंक यू’ मुझको आँखों से ही कह दिया.
छाया उठी और नीचे बिस्तर बिछा कर लेट गई और फुलवा को मेरे साथ सोने का इशारा करके खुद सो गई.10-15 मिन्ट बाद मैंने फुलवा को फिर चोदा और उसके दो बार छूटने के बाद मैंने भी छूटा लिया और करवट बदल कर सो गया.
आधी रात को मेरा हाथ फिर फुलवा के नंगे स्तनों पर लगा और फिर मेरा लंड चोदने के लिए तैयार हो गया और मैंने फुलवा की चूत को हल्के से मसला और जब उसकी टांगें फिर अपने आप खुल कर चौड़ी हो गई तो मैं जल्दी से अंदर घुसा और उसकी चूत में लंड को डाल दिया.फुलवा की चूत अभी भी पनिया रही थी, थोड़े धक्कों के बाद वो झड़ गई लेकिन मैं अभी भी मस्ती में था तो आधा घंटा उसको चोदने के बाद ही अपना छुटाया और फिर गहरी नींद सो गया.
सुबह छाया ने मुझको जगाया और पूछा कि हम दोनों जाएँ क्या?
मैंने इशारे से कहा कि फुलवा को एक बार और चोदना चाहता हूँ तो फुलवा जो धोती पहन चुकी थी, धोती को उतारने लगी.मैंने इशारे से कहा- रहने दो, धोती ऊपर उठा कर ही चोद दूंगा.
वो फिर मेरे पास लेट गई और मैंने उसको जल्दी ही फिर तैयार कर लिया और उसकी ज़ोरदार चुदाई कर दी और उसका कम से कम 2 बार छूटने के बाद भी मैं नहीं छूटा और उसको कहा- जाओ तुम दोनों, बाकी हिसाब रात को कर लेंगे.
यह सिलसिला 4-5 दिन चला और फिर सिर्फ छाया ही आई, कुछ उदास दिख रही थी, मैंने पूछा- उदास क्यों हो छाया?वो बोली- फुलवा नहीं आई इसलिए!‘तो क्या परेशानी है?’‘आप से पूछे बगैर हम उसको कैसे लाते?’‘अरे इसमें पूछना क्या है? ले आओ न उसको!’
और छाया ख़ुशी ख़ुशी चली गई और थोड़ी बाद वो फुलवा को लेकर आ गई. दोनों मेरे पलंग पर बैठ गई मेरी अगल बगल… मैंने पहले छाया को चूमा और फिर फुलवा को.
मैं बोला- अब क्या इरादा है छाया रानी?
‘आप बुरा तो नहीं मान जायेंगे अगर मैं कहूं कि आप हम दोनों को बारी बारी से चोदो. आप बीच में लेट जाओ और हम दोनों को बारी बारी से चोदो जैसे पहले मुझको और फिर फुलवा को, मंज़ूर है क्या?’‘जैसा तुम कहो छाया!’
‘चलो फुलवा और सतीश तुम भी कपड़े उतार दो और मैं भी उतार देती हूँ फिर आप बीच में लेट जाना ठीक है?’
‘ठीक है, या ऐसा करो कि मैं बीच में लेट जाता हूँ और तुम बारी से मेरे ऊपर चढ़ जाना और चुदाई का सारा काम तुम दोनों को करना पड़ेगा. मंज़ूर है क्या?’दोनों ने सर हिला दिया.
पहले छाया ने मुझ को मुंह से लेकर लंड तक चूमा और फुलवा मेरे खड़े लंड से खेलती रही.थोड़ी देर बाद फुलवा ने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैं एकदम से बिफर गया क्यूंकि पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था, मुझ को लगा कि मेरा लंड फट जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और तब छाया मेरे लंड के ऊपर आ गई और मेरे खड़े लंड को हाथ से चूत में डाल दिया और फिर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर से नीचे धक्के मारने लगी.
उसकी चूत से टपक रहा रस मेरे लंड और अंडकोष पर गिर रहा था, मैं भी नीचे से धक्के का जवाब धक्के से दे रहा था. फुलवा मेरी छाती के निप्पलों को चूस रही थी और हम तीनों ही चुदाई में मस्त थे.
तभी छाया ने धक्के मारना तेज़ कर दिया और फिर उसने आखरी एक धक्का ज़ोर से मारा और वो मेरे ऊपर पसर गई, उसका रस पूरी तरह से मेरे ऊपर फैल गया और उसके उरोज मेरी छाती में दब गए.
फुलवा ने प्यार से छाया को मेरे ऊपर से हटाया और बिस्तर पर लिटा दिया. और फिर वो अपनी मोटी गांड को लेकर मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और जब लंड उसकी चूत में पूरा चला गया तो वह भूखी शेरनी की तरह से धक्के मारने लगी और जल्दी जल्दी ऊपर नीचे होने लगी.मैं उसकी धक्के की लय को समझ पाता तब तक वो भी झड़ गई और हांपते हुए मेरे ऊपर पसर गई.
दो दो चूतों से निकला रस मेरे ऊपर फैल गया और उस रस से बहुत मादक सुगंध आ रही थी.सारी रात यही क्रम चलता रहा, कभी छाया ऊपर और कभी फुलवा ऊपर! दोनों कई बार छूटी और मैं भी 2 बार छूट गया, दोनों में एक एक बार!सुबह हुई तो हम तीनों मस्त नींद में थे लेकिन छाया सजग थी और टाइम पर उठ कर फुलवा को लेकर चली गई और जब मेरी चाय ले कर आई तो पलंग की चादर की हालत देख कर उसने झट चादर बदल दी और बोली कि इसको वो खुद धोएगी क्यूंकि चादर पर ढेरों चूत का रस और वीर्य फैला था.छाया की होशियारी के कारण हमारा यह खेल निर्विघ्न चलता रहा.
कहानी जारी रहेगी.