XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

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Aug 28, 2015
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लेखक:-यश/सतीश

दोस्तो मैं आपका अपना सतीश फिर एक नई कहानी लेकर आया हु जो एक आपबीती है जो आपको बहुत पसन्द आयेगी कहानी के बारे में अपनी राय जरूर दे …..सतीश

शुरू के दिन

यह कहानी नहीं अपनी आपबीती है.
मेरी उम्र इस वक्त काफी हो गई है लेकिन फिर भी वे पुरानी यादें अभी भी वैसे ही ताज़ा हैं और मेरे ज़हन में वैसे ही हैं जैसे कि कल की बात हो.यह ऑटोबायोग्राफी लिखने से पहले मैं आपको अपना थोड़ा सा परिचय दे दूँ.मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में एक बड़े जमींदार के घर में पैदा हुआ था, मैं अपने माता-पिता की एकलौती औलाद हूँ और बड़े ही नाज़ों से पाला गया हूँ.ढेर सारे मिले लाड़ प्यार के कारण मैं एक बहुत ही ज़िद्दी और झगड़ालू किस्म के लड़के के रूप में जाना जाता था.
एक बहुत बड़ी हवेली में हमारा घर होता था. मुझ आज भी याद है कि हमारे घर में दर्जनों नौकर नौकरानियाँ हुआ करते थे जिनमें से 3-4 जवान नौकरानियाँ सिर्फ मेरे काम के लिए हुआ करती थी. यह सब हमारे खेतों पर काम करने वालों मज़दूरों की बेटियाँ होती थी. इनको भर पेट भोजन और अच्छे कपड़े मिल जाते थे तो वे उसी में खुश रहती थीं.
यहाँ यह बता देना ज़रूरी है कि मैं जीवन की शुरुआत से ही औरतों की प्रति बहुत आकर्षित था. मेरी आया बताया करती थी कि मैं हमेशा ही औरतों के स्तनों के साथ खेलने का शौक़ीन था. जो भी औरत मुझको गोद में उठाती थी उसका यही कहना होता था कि मैं उनके स्तनों के साथ बहुत खेलता था.और यही कारण रहा होगा जो आगे चल कर मैं सिर्फ औरतों का दास बन गया, मेरा सारा जीवन केवल औरतों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने में बीत गया.मेरा जीवन का मुख्य ध्येय शायद स्त्रियों के साथ काम-क्रीड़ा करना ही था, यह मुझको अब बिल्कुल साफ़ दिख रहा है क्योंकि मैंने जीवन में और कुछ किया ही नहीं… सिर्फ स्त्रियों के साथ काम क्रीड़ा के सिवाये!
जैसा कि आप आगे मेरी जीवन कथा में देखेंगे कि मैं अल्पायु में ही काम वासना में लीन हो गया था और उसका प्रमुख कारण मेरे पास धन की कोई कमी न होना था और मेरे माँ बाप अतुल धन और सम्पत्ति छोड़ गए थे कि मुझ को जीवन-यापन के लिए कुछ भी करने की कोई ज़रुरत नहीं थी.ऐसा लगता है कि विधि के विधान के अनुसार मेरा जीवन लक्ष्य केवल स्त्रियाँ ही थी और इस दिशा में मेरी समय समय पर देखभाल करने वाली नौकरानियों को बहुत बड़ा हाथ रहा था. जवान होने तक मेरे सारे काम मेरी नौकरानियाँ ही किया करती थी, यहाँ तक कि मुझे नहलाना आदि भी…
मुझे आज भी याद है कि जब मुझको मेरी आया नहलाती थी तो मेरे लंड के साथ ज़रूर खेलती थी. वह कभी उसको हाथों में लेकर खड़ा करने की कोशिश करती थीं.उस खेल में मुझ को बड़ा ही मज़ा आता था. वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर ही मुझको नहलाती थीं और नहाते हुई छेड़छाड़ में कई बार मेरे हाथ उनके पेटीकोट के अंदर भी चले जाते थे और उनकी चूत पर उगे हुए घने बाल मेरे हाथों में आ जाते थे.एकभी कभार मेरा हाथ उनकी चूत के होटों को भी छू लेता था जो कई बार पानी से भरी हुई होती थी, एक अजीब चिपचापा रस मेरी उँगलियों पर लग जाता था जो कई बार मैंने सूंघा था. बड़ी ही अजीब मादक गंध मुझ को अपने उन हाथों से आती थी जो उन लड़कियों की चूत को छू कर आते थे. उनकी गीली चूतों का रहस्य मुझे आज समझ आता है.
उन्हीं दिनों एक बहुत ही शौख और तेज़ तरार लड़की मेरे काम के लिए रखी गई थी, वह होगी 18-19 साल की और उसका जिस्म भरा हुआ था, रंग भी काफी साफ़ और खिलता हुआ था.
 
वैसे रात को मेरी मम्मी मेरे साथ नहीं सोती थी और कोई भी बड़ी उम्र की काम वाली को मेरे साथ सोना होता था. वह मेरे कमरे में नीचे ज़मीन पर चटाई बिछा कर सोती थीं.जब से वह नई लड़की मेरा काम देखने लगी तो मेरा मन उस के साथ सोने को करता था. उस लड़की का नाम मेनका था और वह अपने नाम के अनूरूप ही थी.इस लिए मैं नहाते हुए उससे काफी छेड़ छाड़ करने लगा. अब मैं उसकी चूत को कभी कभी चोरी से छू लेता था और उसकी चूत के बालों में उँगलियाँ फेर देता लेकिन वह भी काफी चतुर थी. वह अब अपना पेटीकोट कस कर चूत के ऊपर रख लेती थी ताकि मेरी उंगली या हाथ उसके पेटीकोट के अंदर न जा सके लेकिन मैं भी छीना झपटी में उसके उरोजों के साथ खेल लिया करता था.अक्सर उस के निप्पल उसके पतले से ब्लाउज में खड़े हो जाते थे और मैं उनको उंगली से छूने की भरसक कोशिश करता था.
यह सब कैसे हो रहा था, यह आज तक मैं समझ नहीं पाया. जबकि मेरे दोस्त खूब खेल कूद में मस्त रहते थे, मैं चुपके से नौकरानियों की बातें सुनता रहता या फिर उनसे छेड़ छाड़ में लगा रहता.यह बात मेरी माँ और पिता से छुपी न रह सकी और वे मुझको हॉस्टल में डालने के चक्कर में पड़ गये क्योंकि उनको लगा कि मैं नौकरानियों के बीच रह कर उनकी तरह की बुद्धि वाला बन जाऊँगा.
लेकिन मैं भी झूठ मूठ की बेहोशी आने का बहाना करने लगा. मैं अक्सर रात को डर कर चिल्लाने लगता और यह देख कर मेरे माँ बाप ने मुझको हॉस्टल में डालने का विचार रद्द कर दिया.
जो सुन्दर लड़की मेरे काम के लिए रखी गयी थी वह काफी होशियार थी और वह मेरी उच्छशृंख्ल प्रकृति को समझ गई थी.एक दिन वो कहने लगी- कितना अच्छा होता अगर मैं आपके कमरे में ही सो पाती.मैंने उससे पूछा कि यह कैसे हो सकता है तो वह बोली- तुमको रात में बड़ा डर लगता है ना?मैंने कहा- हाँ!तो वह बोली- मम्मी से कहो कि मेनका ही तुम्हारे कमरे में सोयेगी.बस उस रात मैंने काफी डर कर शोर मचाया और मम्मी को मेरे साथ सोना पड़ा लेकिन अगले दिन ही उन्होंने एक बहुत बुड्ढी सी नौकरानी को मेरे कमरे में सुला दिया.हमारी योजना फ़ेल हो गई लेकिन मेनका काफी चतुर थी, उसने बुड्ढी को तंग करने का उपाय मुझ को सुझाया और उसी ही रात बुड्ढी काम छोड़ कर चली गई.हुआ यूं कि रात को एक मेंढक को लेकर मैंने बुड्ढी के घागरे में डाल दिया जब वह गहरी नींद में सोयी थी. जब मेंढक उसके घगरे में हलचल मचाने लगा तो वह चीखती चिल्लाती बाहर भाग गई और उस दिन के बाद वापस नहीं आई.
तब मैंने मम्मी को कहा कि मेनका को मेरे कमरे में सुला दिया करो और मम्मी थोड़ी न नकुर के बाद मान गई.
दिन भर मैं स्कूल में रहता था और दोपहर को लौटता था. मेरे साथ के लड़के बड़े भद्दे मज़ाक करते थे जिनमें चूत और लंड का नाम बार बार आता था लेकिन मैं उन सबसे अलग रहता था.मेरे मन में औरतों को देखने की पूरी जिज्ञासा थी लेकिन कभी मौका ही नहीं मिलता था.जब से मेनका आई थी, मेरी औरतों के बारे में जानकारी लेने की इच्छा बड़ी प्रबल हो उठी थी. यहाँ तक कि मैं मौके ढूंढता रहता था ताकि में औरतों को नग्न देख सकूँ.इसीलिए साइकिल लिए मैं कई बार गाँव के तालाब और पोखरे जाता रहता था लेकिन कभी कुछ दिखाई नहीं दिया.
एक दिन मैं साइकिल पर यों ही घूम रहा था कि मुझको कुछ आवाज़ें सुनाई दी जो एक झाड़ी के पीछे से आ रही थी.मैंने सोचा कि देखना चाहिये कि क्या हो रहा है.थोड़ी दूर जाकर मैंने साइकिल को एक किनारे छुपा दिया और खुद धीरे से उसी झड़ी की तरफ बढ़ गया.झाड़ी के एक किनारे से कुछ दिख रहा था. ऐसा लगा कि कोई आदमी और औरत है उसके पीछे, झाड़ी को ज़रा हटा कर देखा तो ऐसा लगा एक आदमी एक औरत के ऊपर लेटा हुआ है और ऊपर से वो धक्के मार रहा है और औरत की नंगी टांगें हवा में ऊपर लहरा रही थीं.
मुझको कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है. फिर भी लगा कि कोई काम छिपा कर करने वाला हो रहा है यहाँ.मैं अपनी जगह पर चुपचाप खड़ा रहा और देखता रहा.
थोड़ी देर बाद वो आदमी अपनी धोती को ठीक करते हुए उठा और औरत की नंगी टांगों और जांघों पर हाथ फेरता रहा था.तभी वो औरत भी उठी और अपनी धोती ठीक करती हुई खड़ी हो गई. मैं भी वहाँ से खिसक गया, साइकिल उठा कर घर आ गया.और यहाँ से शुरू होती है मेरी और मेनका की कहानी.

कहानी जारी रहेगी.
 
*मेनका के साथ*

यह कहानी नहीं अपनी आपबीती है.एक दिन एक झाड़ी के पीछे मैंने सोचा देखा कि एक आदमी एक औरत के ऊपर लेटा हुआ है और ऊपर से वो धक्के मार रहा है और औरत की नंगी टांगें हवा में ऊपर लहरा रही थीं.थोड़ी देर बाद वो आदमी अपनी धोती को ठीक करते हुए उठा और औरत की नंगी टांगों और जांघों पर हाथ फेरता रहा था.तभी वो औरत भी उठी और अपनी धोती ठीक करती हुई खड़ी हो गई. मैं भी वहाँ से खिसक गया, साइकिल उठा कर घर आ गया.
और यहाँ से शुरू होती है मेरी और मेनका की कहानी.
मेनका न सिर्फ सुन्दर थी बल्कि काफी चालाक भी थी. यह मैं आज महसूस कर रहा हूँ कि कैसे उसने मेरी मासूमियत का पूरा फायदा उठाया. अपने शरीर को मोहरा बना कर उसने सारे वह काम करने की कोशिश की जो वह कभी सोच भी नहीं सकती थी.उसने रोज़ मेरे साथ सोने का पूरा फायदा उठाया, वह रोज़ रात को मुझ से ऐसे काम करवाती थी जो उस समय मैं कभी सोच भी नहीं सकता था.शुरू में तो मुझको वह रोज़ रात को मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसती थी जिससे मुझको बहुत मज़ा आता था. उसने तभी मुझको उसकी चूत में ऊँगली डालना सिखाया और जब वह मेरा लंड चूसती तभी मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करता.यह काम मुझ को बहुत अछा लगता था.
लेकिन सबसे पहले उसने अपने स्तन को चूसना सिखाया था मुझे कि कैसे निप्पल को होंटों के बीच रख कर चूसना चाहिए जिसके करने से उसको मज़ा तो बहुत आता था लेकिन मुझ को भी कुछ कम नहीं आता था. उसके छोटे लेकिन ठोस उरोजों को चूसने का एक अपना ही आनन्द था.
यह काम कुछ दिन तो खूब चला लेकिन एक दिन मम्मी को शक हो गया और उन्होंने मेरी एक भी न सुनी और मेनका को मुझसे दूर कर दिया. वह अब सिर्फ घर की गाय भैंस से दूध निकालने का काम करने लगी.
उसकी जगह जो आई, वह ज्यादा मस्त नहीं थी लेकिन शारीरिक तौर से काफी भरी हुई थी, उसके चूतड़ काफी मोटे थे.अब उसके साथ नहाने का मज़ा ही नहीं था क्यूंकि वह मुझ को अंडरवियर पहने हुए ही नहलाती थी. एक दो बार उसके मम्मों को छूने की कोशिश की लेकिन उसने हाथ झटक दिया.रात को वह चटाई पर सोती थी और बड़ी गहरी नींद सोती थी.
एक रात वह जब सो रही थी तो मैंने उसकी धोती उठा कर उसकी चूत को देखा ही नहीं, उसके काले घने बालों के बीच में ऊँगली डाल कर देखा.उसकी चूत तो सूखी थी और बहुत ही बदबूदार थी लेकिन कोई रुकावट नहीं मिली जिसका मतलब तब तो नहीं मालूम था लेकिन अब मैं अच्छी तरह समझता हूँ, यानि वह कुंवारी नहीं थी.
फिर एक रात मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि मोटी नौकरानी की धोती ऊपर उठी हुई थी और उसकी ऊँगली काफी तेज़ी से हिल रही थी चूत पर.तब तो मैं नहीं समझ पाया लेकिन अब जानता हूँ कि वह अपना पानी ऊँगली से छुठा रही थी. जैसे ही उसकी उंगली और तेज़ी से चली तो उसके मुख से अजीब अजीब सी आवाज़ें आने लगी. ऊँगली की तेज़ी बढ़ने के साथ ही उसके चूतड़ भी ऊपर उठने लगे और आखिर में एक जोर से ‘आआहा’ की आवाज़ के बाद उसका शरीर ढीला पड़ गया.मैं भी अपन आधे खड़े लंड के साथ खेलता रहा.
लेकिन मैं भी मेनका को नहीं भूला था, एक दिन जब वह दूध लेकर रसोई में जा रही थी तो मैंने उसको रोक लिया और इधर उधर देख कर जब कोई नहीं था तो मैंने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और झट से उसके गाल पर चुम्मा कर दिया.वह गुस्सा हो गई लेकिन मैंने भी हाथ उसकी धोती के अंदर डाल दिया और उसकी चूत के काले बालों के बीच चूत के होठों पर रख दिया. उसके एक हाथ में दूध की बाल्टी थी और दूसरे में लोटा, वह बस हिल कर मेरा हाथ हटाने की कोशिश करती रही.यह ज़रूर बोलती रही- सतीश न करो, कोई देख लेगा.
मैंने भी झट उसकी चूत के अंदर ऊँगली दे डाली और उसके चूत के बालों को हल्का सा झटका दे कर हाथ निकाल लिया और बोला- अभी मेरे कमरे में आओ, ज़रूरी काम है.उसने हाँ में सर हिला दिया और रसोई में चली गई.
जब वो आई तो मैंने उसे बताया कि मैं उसको कितना मिस कर रहा हूँ.तो वह बोली- सतीश, तुम कुछ देते तो हो नहीं और मुफ्त में छेड़ छाड़ करते रहते हो?मैं बोला- अच्छा, क्या चाहिए तुमको?तो उसने कहा- पैसे नहीं हैं मेरी माँ के पास.
मैंने झट जेब से एक रूपया निकाल कर उसको दे दिया और कहा कि अगर वह रोज़ दोपहर को मेरे पास आयेगी तो मैं उसको रोज़ एक रूपया दूंगा.यह उन दिनों की बात है जब एक रूपए की बड़ी कीमत होती थी.
यहाँ यह बता दूँ मैं कि हमारी हवेली का कैसा नक्शा था.
हवेली सही मायनों में बहुत बड़ी थी और उसमें कम से कम 10 कमरे थे. एक बड़ा हाल कमरा और 7 कमरे नीचे थे, जिसमें मम्मी और पापा के पास तीन कमरे थे और बाकी गेस्ट रूम थे.क्यूंकि मैं अकेला ही बच्चा घर में था तो मेरा कमरा दूसरी मंजिल पर था, किसी भी नौकर को मेरी मर्ज़ी के बिना अंदर आने की इजाज़त नहीं थी. लड़कियाँ जो नौकरानियाँ थी, वे सब ऊपर तीसरी मंज़िल पर रहती थीं.
गर्मियों में हम सब दोपहर को थोड़ा सो जाते थे. घर में सिर्फ 5-6 पंखे लगे थे. मेरे कमरे का पंखा बहुत बड़ा था और बहुत ठंडी हवा देता था और सब काम वाली लड़कियाँ कोशिश करके मेरे कमरे में सोने को उत्सुक रहती थी.
मेनका दोपहर में मेरे पास आ गई और गर्मी से परेशान हो कर उसने अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके उन्नत उरोज खुल गए. गरीबी के कारण गाँव की लड़कियाँ ब्रा नहीं पहनती थी.
आज मेरा मन था कि मेनका को पूरी नग्न देखूँ, मेरे कहने पर पहले तो वह नहीं मानी फिर एक रूपये के लालच से मान गई.दरवाज़ा पक्का बंद करवाने के बाद उसने पहले धोती उतार दी और फिर उसने ब्लाउज भी उतार दिया. सफ़ेद पेटीकोट में वह काफी सेक्सी लग रही थी लेकिन उस वक्त मुझको सेक्सी के मतलब नहीं मालूम थे, मैं उसके उरोजों के साथ खेलने लगा, दिल भर कर उनको चूमा और चूसा और उसकी चूत में भी खूब ऊँगली डाली.
फ़िर न जाने मेनका ने या फिर मैंने खुद ही उसकी चूत पर स्थित भगनासा ढून्ढ लिया.जब मैंने उसको रगड़ा उँगलियों के बीच तो मेनका धीरे धीरे चूतड़ हिलाने लगी.मैंने पूछा भी कि मज़ा आ रहा है क्या?तो वह बोली तो कुछ नहीं लेकिन मेरे हाथ को ज़ोर से अपनी जाँघों में दबाने-खोलने लगी और मैंने फिर महसूस किया उसका सारा जिस्म कांप रहा है और मेरे हाथ को उसकी गोल जांघों ने जकड़ रखा है.थोड़ी देर यही स्थिति रही फिर धीरे से मेरा हाथ जांघों से निकल आया लेकिन हाथ में एकदम सफ़ेद चिपचापा सा कुछ लगा था.
मैंने पूछा भी यह क्या है तो वह कुछ बोली नहीं, आँखें बंद किये लेटी रही.मैंने भी अपने हाथ के चिपचिपे पदार्थ को सूंघा तो बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी.
वह था पहला अवसर जब मैंने किसी औरत को छूटते हुए देखा और महसूस भी किया. मुझे नहीं मालूम था कि जीवन में ऐसे कई मौके आने वाले हैं जब मैं ऐसे दृश्य देखूँगा.
मैंने मेनका से पूछा- यह पानी कैसा है?तो वह बोली- यह हर औरत की चूत से निकलता है जब वह खूब मस्त होती है.तब उसने मुझको खूब चूमा और मेरे लबों को चूसा.मैंने उससे पूछा- क्या यह ही औरतों में बच्चे पैदा करता है?वह ज़ोर से हंसी और बोली- नहीं रे सतीश… जब तक आदमी का लंड हमारे इस छेद में नहीं जाता, कोई बच्चा नहीं पैदा हो सकता.
उस रात जब मोटी नौकरानी मेरे कमरे में सोई तो मैंने फैसला किया कि मैं भी उसको नंगी देखूंगा लेकिन यह कब और कैसे संभव होगा यह मैं तय नहीं कर पा रहा था.
जब वह खूब गहरी नींद में थी तो मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके उसके ब्रा लेस स्तनों को देखने लगा, फिर धीरे से मैंने उसके निप्पल को ऊँगली से गोल गोल दबाना शुरू किया और धीरे धीरे वो खड़े होने लगे और फिर मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी.
हल्के हल्के सिसकारी भरते हुए उसकी चूत ने गीला होना शुरू कर दिया और उसके चूतड़ ऊपर उठने लगे. मैंने उसका चूत वाला बटन मसलना शुरू कर दिया और वह भी तेज़ी से अपनी चूत मेरे हाथ पर रगड़ने लगी और फिर एकदम उसका सारा शरीर अकड़ गया और उसकी चूत में से पानी छूट पड़ा.मैंने जल्दी से हाथ चूत से निकाला और अपने बिस्तर में लेट गया और तब देखा कि उसने आँख खोली और इधर उधर देखा, खासतौर पर मेरे बेड को और जल्दी से अपना पेटीकोट नीचे कर दिया और फिर खर्राटे भरने लगी.
मेरा एक और तजुर्बा सफल हुआ.

कहानी जारी रहेगी.

 
*मेनका के साथ सम्भोग*

मेनका के साथ बड़े ही गर्मी भरे दिन बीत रहे थे, भरी दोपहर में वह छुपते हुए मेरे कमरे में आ जाती थी और हम दोनों एक दूसरे में खो जाते थे.आते ही वह मुझ को लबों पर एक चुम्मी करती और मेरे होटों को चूसती. मैं भी उसकी नक़ल में वैसा ही करता. दोनों के मुंह का रस एक दूसरे के अंदर जाता और खूब आनन्द आता. फिर वह अपना ब्लाउज खोल देती और मुझ से अपने निप्पल चुसवाती और साथ ही मेरा हाथ अपनी धोती के अंदर पतले पेटीकोट में अपनी चूत पर रख देती.फिर उसने चूत में ऊँगली से कामवासना जगाना सिखाया मुझे.
अब जब वह मेरे लंड पर हाथ रखती तो लंड खड़ा होना शुरू हो जाता और मेरे सख्त लंड को मेनका मुंह में लेकर चूसने लगती और फिर एक दिन उस ने पूरी नंगी होकर लंड को अपने अंदर डालने की कोशिश की, सबसे पहले उसने मेरे लंड को चूत के मुंह पर रगड़ा एक मिनट तक और जब लंड का सर चूत के अंदर 1 इंच चला गया तो वह रुक गई और उसने मेरे होटों को ज़ोर से चूमा और अपनी जीभ भी मुंह में डाल दी, उसको गोल गोल घुमाने लगी.मैं भी ऊपर से हल्का धक्का मारने लगा जिसके कारण मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया. मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड आग की भट्टी में चला गया है. तभी मेनका ने नीचे से एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड पूरा अंदर चूत में चला गया.
कामवासना की यह पहली अनुभूति बड़ी ही इत्तेजक और आनन्द दायक लगी. फिर मेनका के कहने पर मैंने ऊपर से धक्के मारने शुरु कर दिए और मेनका भी नीचे से खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी.फिर मुझको लगा कि मेनका की चूत मेरे लंड को पकड़ रही है और जैसे ‘बन्द और खुल’ रही है. फिर मेनका ने मुझको कस कर भींच लिया और उसका जिस्म कांपने लगा और फिर थोड़ी देर में वह एकदम ढीली पढ़ गई और मेरा लंड सफ़ेद झाग जैसे पदार्थ से लिप्त हुआ बाहर निकल आया.लंड अभी भी खड़ा था लेकिन उसमें से कोई पदार्थ नहीं निकला.
इस तरह हमने कई दफा सेक्स का खेल खेला और हम दोनों को काफी आनन्द भी आया. मैं अब काफी कुछ सेक्स के बारे में समझने लगा था.अब मेनका के बाद मैंने रात वाली मोटी के साथ भी यही खेल खेलने की सोची. उसी रात को जब वह आई तो मैंने उसको पकड़ लिया, एक चुम्मी उसके गालों पर जड़ दी, वह एकदम छिटक कर परे हो गई और मुझ को घूरने लगी.मैंने कहा- घबराओ नहीं, मैं तुमको कुछ नहीं कहूँगा.
और फिर मैंने उसको पास बुलाया और कहा कि तुम सोती हो, बिस्तर पर सोया करो ना!‘नहीं न… मालकिन देखेंगी तो घर से निकाल देंगी.’मैंने कहा- तुम ऐसे ही घबराती हो और फिर मैं तुमको पैसे दूंगा.वह बोली- कितने पैसे दोगे छोटे मालिक?मैंने कहा- कितने चाहिये तुमको?वह बोली- तुम बताओ कितने पैसे दोगे?मैंने कहा- 2 रुपये दूंगा चूमक़ चाटी का!
और वह राज़ी हो गई. उस ज़माने में 1-2 रुपये बड़ी रकम होती थी गाँव वालों के लिये.और सबसे बड़ा आकर्षण था मखमली बेड पर सोने का मज़ा!
उस रात मैं ने उसको नहीं छेड़ा और खूब सोया.अगली रात वह फिर आ गई और नीचे सोने लगी, मैंने इशारे से उसको पास बुलाया और बिस्तर पर सोने को कहा.वह हिचकिचाती हुई मेरे साथ लेट गई, मैंने उसके मोटे होटों पर एक हल्की किस की और अपना एक हाथ उसके स्तनों पर रख दिया. उसने झट से मेरा हाथ हटा दिया.
मैंने फिर उसको चूमा और अब हाथ उसके पेट पर रख दिया और वह चुप रही. फिर वही हाथ मैंने उसकी धोती में लिपटी उसकी जाँघों पर रख दिया और धीरे धीरे उसको ऊपर नीचे करने लगा और साथ ही उसको चूमता रहा, फिर धीरे से दूसरे हाथ को उसके स्तनों पर फेरने लगा.
मैंने उसको कहा- तुम्हारे स्तन तो एकदम मोटे और सॉलिड हैं.
शायद वह समझी नहीं, मैंने फिर कहा- ये बड़े मोटे और सख्त हैं, क्या करती हो इनके साथ?वह बोली- सारा दिन फर्श पर कपड़ा मारना पड़ता है हवेली में तो काफी मेहनत हो जाती है.
फिर धीरे से मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके मोटे स्तन एकदम बाहर आ गए जैसे जेल से छूटे हों.मैंने तो पहले उनको देख रखा था तो मैं उसका जिस्म जानता था.
फिर मेरा एक हाथ उसकी धोती के अंदर डालने लगा तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- किसी को बताओगे तो नहीं छोटे मालिक?मैंने कहा- नहीं रे, यह कोई बताने की चीज़ थोड़ी है.
और उसने धोती ऊपर उठाने दी.पहले मैंने उसकी चूत को ग़ौर से देखा और समझने की कोशिश करने लगा कि उसकी चूत और मेनका की चूत में क्या फर्क है.
 
*मोटी का हस्तमैथुन*

मैंने मोटी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके मोटे स्तन एकदम बाहर आ गए जैसे जेल से छूटे हों.मैंने तो पहले उनको देख रखा था तो मैं उसका जिस्म जानता था.फिर मेरा एक हाथ उसकी धोती के अंदर डालने लगा तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- किसी को बताओगे तो नहीं छोटे मालिक?मैंने कहा- नहीं रे, यह कोई बताने की चीज़ थोड़ी है.और उसने धोती ऊपर उठाने दी.
पहले मैंने उसकी चूत को ग़ौर से देखा और समझने की कोशिश करने लगा कि उसकी चूत और मेनका की चूत में क्या फर्क है.मोटी की चूत बड़ी उभरी हुई थी और काफी बड़ी लग रही थी जबकि मेनका की चूत काफ़ी डेलिकेट लगती थी. मैंने मोटी की चूत में ऊँगली डाली तो बहुत तंग थी जबकि मेनका की थोड़ी खुली थी.
मैंने मोटी से पूछा कि उसने कितने आदमियों से करवाया है, तो पहले तो वह बहुत शरमाई लेकिन फिर जब मैंने पैसे का लालच दिया तो बोल पड़ी, उसने बताया कि हवेली में काम करने वाला एक माली उसका दोस्त है और वह अक्सर दिन में उसके पास जाती है और वह उसको चोदता है लेकिन बड़ी जल्दी झड़ जाता है, तसल्ली नहीं होती उससे तो आकर कुछ करना पड़ता है.

मैंने पूछा- क्या करती हो वहाँ से आकर?तो उसने मुंह फेर लिया.
मैं बोला- मैं जानता हूँ, क्या करती हो तुम!वह बोली- छोटे मालिक आप कैसे जानते हो?
तब मैंने उसको बताया कि जब उसने ऊँगली डाली थी चूत में तो मैं जाग रहा था और उसकी ऊँगली का कमाल देखा था.मोटी उदास होकर बोली- क्या करूँ छोटे मालिक… और कोई मिलता ही नहीं?मैंने कहा- एक रूपया दूंगा अगर तू मेरे सामने ऊँगली डाल कर अपना छुटायेगी.
और वह तैयार हो गई. उस दिन उसकी ऊँगली का कमाल छुप कर देखा था लेकिन आज तो सब सामने होने वाला था, मैं बड़ा प्रसन्न हुआ और ध्यान से देखने लगा कि मोटी क्या करती है और उसने सब वही किया जो उसने उस रात में किया. लेकिन आज उसका जब छूटा तो वह काफी ज़ोर से चूतड़ हिलाने लगी, जब उसका छूट गया तो मैंने उसकी चूत से में ऊँगली डाल कर उसके छूटते पानी को सूंघा तो वह काफी महक भरा था.
दोस्तो, यह सब जो मैं आज लिख रहा हूँ वह मेरे साथ वाकिया हुआ और मैंने भी जम कर उन औरतों का मज़ा लूटा. यह सब मेरे परिवार से छुपा रहा क्यूंकि मैं सब औरतों या लड़कियों को काफी धन से मदद करता था और मैं समझता हूँ यही कारण रहा होगा कि किसी ने मेरी शिकायत मेरे परिवार वालों से नहीं की.मैं स्कूल में भी लड़कों को काफी कुछ सेक्स के बारे में बताया करता था लेकिन मेरा ज्ञान यौन के विषय में अभी काफी अधूरा था जैसे जैसे मैं यौन में आगे बढ़ता गया, मेरा ज्ञान और गहरा होता गया.मैं धीरे धीरे यह महसूस करने लगा कि मेरा सारा जीवन शायद यौन ज्ञान हासिल करने में लग जायेगा. यही कारण था कि मेरा सारा वक्त औरतों के बारे में सोचने में ही गुज़र जाता.
थोड़ा समय बीतने के बाद मेरे यौन जीवन में फिर बदलाव आया जिसका मुख्य कारण था मेनका का विवाह और मोटी का माली के बेटे के साथ भाग जाना.दोनों ने मेरे यौन जीवन में काफी बड़ा रोल अदा किया था, उन दोनों के कारण ही मैं औरतों के बारे में काफी कुछ जान सका.
उनके जाने के बाद मम्मी को लगा कि मेरे कमरे में किसी और को सोने की ज़रूरत नहीं थी क्यूंकि मेरी लम्बाई अब बड़ी तेज़ी से बढ़ने लगी और साथ ही मैंने महसूस किया कि मेरा लंड भी अब तेज़ी से बड़ा होने लगा. क्यूंकि मैंने किसी पुरुष का लंड नहीं देखा था लेकिन लड़के अक्सर बताते कि पुरुष का लंड 4-5 इंच का होता है लेकिन मेरा लंड खड़ा होता तो मैं उसको नापता था और वह भी 4-5 इंच का होता था. मुझ को विश्वास नहीं होता था कि मेरा लंड भी पुरुष की तरह बड़ा हो गया है.

*नैना का आगमन*

खैर यह दुविधा तो चलती रही लेकिन तभी मेरा सम्पर्क एक लम्बी औरत से हो गया. वह हमारी नई नौकरानी बन कर आई थी और मेरा भी सारा काम देखना उसकी ड्यूटी थी.
उसका नाम नैना था और वह 5 फ़ीट 6 इंच लम्बी थी, उसका रंग सांवला था लेकिन स्तन काफी बड़े थे और उसके चूतड़ भी काफी मोटे थे, वह कोई 22-23 की थी लेकिन विधवा थी इसीलिए शायद वह बहुत सादे कपड़े पहनती थी लेकिन जब वह काम करते हुए झुकती तो मोटे स्तन एकदम सामने आ जाते थे जैसे उसके तंग ब्लाउज से अभी उछलने वाले हों.
मैं ने भी आहिस्ता से उसको पटाना शुरू कर दिया. जब वह मेरे कमरे में आती थी न तो मैं उसको छूने की पूरी कोशिश करता, कभी जान बूझ कर जाते हुए उसके चूतड़ पर हाथ फेर देता.वह भी बुरा मनाने की बजाये हल्के से मुस्कुरा देती और धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ती गई और उसके आने के ठीक तीन दिन बाद मैंने उसको चूम लिया.और वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के… कोई देख न ले.मैंने भी उसके हाथ में दो रूपए रख दिए और वह खुश हो गई.मैंने उसको दोपहर में मेरे कमरे में आने के लिया राज़ी कर लिया. और इस तरह से मेरा खेल नैना के साथ शुरू हो गया.वह सांवली ज़रूर थी पर उसकेवह सांवली ज़रूर थी पर उसके नयन नक्श काफी तीखे थे.
सबसे पहले मैंने अपना लंड खड़ा करके उससे पूछा- यह कैसा है?वह बोली- अभी थोड़ा छोटा है और पतला भी है.तब मैंने पूछा कि उसके पति का लंड कैसा था? तो उसका सर शर्म से झुक गया.मैंने जोर देकर कहा- बता ना कैसा था?तो वह रोते हुए बोली- उसका काफी बड़ा और मोटा था और काफी देर तक चोदता था. वह 2-3 बार छूट जाती थी.
जब वह यह बता रही तो मेरी उँगलियाँ उसकी चूचियों के साथ खेल रही थीं जो मेरा हाथ लगते ही एकदम सख्त हो गई थी. मैं उनको मुंह में लेकर चूसने लगा और नैना के मुंह से अपने आप ही ‘आह आह ओह्ह हो…’ निकलने लगा.यह सुन कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया और मैंने अपना हाथ उसकी धोती के अंदर डाल दिया.
सबसे पहले मेरा हाथ उसकी बालों से भरी हुईं चूत पर जा लगा. मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बेहद गीली हो गई थी. मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और अपना पायजामा उतार कर उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा. मेरा 5 इंच का लंड शायद उसकी चूत पर उगे घने बालों के जंगल में खो जाता लेकिन उसने अपने हाथ से उसको चूत के अंदर डाल दिया और मैंने गरम और गीली चूत को पूरी तरह से महसूस किया. इससे पहले मेनका की चूत ज्यादा गीली नहीं होती थी.
नैना इतनी गरम हो चुकी थी कि मुश्किल से 7-8 धक्के लगने पर ही उसने अपनी टांगों से मुझको ज़ोर से दबा दिया और उसका शरीर ज़ोर से कांपने लगा लेकिन मेरा लंड अभी भी धक्के मार रहा था.यह देख कर नैना भी नीचे से थाप देने लगी और फिर 5 मिनट में उसकी चूत फिर से पानी पानी हो गई लेकिन मैं अभी काफी तेज़ धक्के मार रहा था क्यूंकि नैना की चूत पूरी तरह से पनिया गई थी इस कारण उसमें से फिच फिच की आवाज़ आ रही थी.
नैना 5-6 बार छूट चुकी थी और उसका जिस्म भी ढीला पढ़ गया था और वह कहने लगी- बस करो छोटे मालिक, अब मैं थक गई हूँ.मैं उसके ऊपर से हट कर नीचे बिस्तर पर लेट गया. लेकिन मेरा लंड अभी भी पूरा खड़ा था और उसमें से अभी तक कुछ भी नहीं निकला था.यह देख कर नैना हैरान थी.फिर वह मेरे लंड के साथ खेलने लगी.दस मिन्ट ऐसे लेट रहने के बाद भी मेरा लंड वैसा ही सख्त खड़ा था. अब नैना मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत में मेरा लंड डाल लिया और ऊपर से धक्के मारने लगी.चूत की गर्मी और उस में भरे रस से मेरा लंड खूब मस्ती में आया हुआ था और मैं भी नीचे से धक्के मारने लगा और करीब दस मिनट बाद नैना फिर झड़ गई और अपना लम्बा शरीर मेरे ऊपर डाल कर थक कर लेट गई.
फिर वह उठी और बड़ी हैरानी से मेरे लंड को देखने लगी जो अभी भी वैसे ही खड़ा था और हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आपका लंड तो कमाल का है, अभी भी नहीं थका और क्या मस्त खड़ा है. जिससे आप की शादी होगी वह लड़की तो खूब ऐश करेगी.यह कह कर नैना बाहर जाने लगी तो मैंने उसको कहा- रात को फिर आ जाना.तो वह बोली- मालकिन को पता चल गया न, तो मुझ को नौकरी से निकाल देगी.और यह कह कर वह चली गई और फिर मैं भी सो गया.शाम को घूमने के लिए निकला तो गाँव की तरफ चला गया और वहाँ तालाब के किनारे बैठ गया. मैंने देखा कि गाँव की औरतें जिनमें जवान और अधेड़ शामिल थी, तालाब से पानी भरने के लिए आई और पानी भरने के बाद वह अपनी धोती ऊंची करके टांगों और पैरों को धोने लगी.यह देख कर मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था… कुछ जवान औरतों के स्तन ब्लाउज में से झाँक रहे थे जब वे पानी भरती थी. तभी मैंने फैसला किया कि तालाब सुबह या शाम को आया करूंगा और ये गरम नज़ारे देखा करूंगा.

कहानी जारी रहेगी.

 

*नैना ही नैना*

नैना के साथ मेरा जीवन कुछ महीने ठीक चला, वो बहुत ही कामातुर थी और अक्सर ही चुदाई के बारे में सोचती रहती थी. क्यूंकि वो सेक्स की भूखी थी और चूत चुदाई के बारे में उसका ज्ञान बहुत अधिक था तो उससे मैंने बहुत कुछ सीखना था, वो एक किस्म से मेरी इंस्ट्रक्टर बन गई थी.
मैं अक्सर सोचता था कि कैसे मैं नैना को रात भर अपने कमरे में सुलाऊँ? कोई तरीका समझ नहीं आ रहा था!
उन्हीं दिनों दूर के रिश्ते में मेरे चाचे की लड़की की शादी का न्योता आया, मम्मी और पापा को तो जाना ही था लेकिन मुझको भी साथ जाने के लिए कहने लगे. मैंने स्कूल में परीक्षा का बहाना बनाया और कहा कि मैं नहीं जा सकूँगा. पापा मेरी पढ़ने की लगन देख कर बहुत खुश हुए.यह फैसला हुआ कि एक हफ्ते के लिये वो दोनों जायेंगे और मैं यहाँ ही रहूँगा. मेरे साथ मेरे कमरे में कौन रहेगा, इसका फैसला नहीं हो रहा था.बहुत सोचने के बाद मम्मी ने ही यह फैसला किया कि नैना को ही मेरे कमरे में सोना पड़ेगा क्यूंकि वही ही सब नौकरानियों में सुलझी हुई और शांत स्वभाव की थी.यह जान कर मेरा दिल खुश तो हुआ लेकिन मैंने यह जताया कि यह मुझ पर ज़बरदस्ती है क्यूंकि मैं अब काफी बड़ा हो गया था और अपनी देखभाल खुद कर सकता था.मम्मी के सामने मेरी एक भी नहीं चली और आखिर हार कर मैंने भी हाँ कर दी.
मम्मी और पापा दिन को चले गए थे और नैना सबकी हैड बन कर काम खत्म करवा रही थी. वह कुछ समय के लिए मेरे पास आई थी और रात को मज़ा करने की बात करके चली गई थी.रात को काम खत्म करवा कर नैना ने सब नौकरों को हवेली के बाहर कर दिया सिर्फ खाना बनाने वाली एक बूढ़ी हवेली में रह गई. चौकीदार सब नीचे गेट के बाहर रहते थे तो कोई रुकावट नहीं थी.
रात कोई 10 बजे नैना आई, हम दोनों ने खूब जोरदार चूमा चाटी और आलिंगन किया. फिर मैंने नैना को सारे कपड़े उतारने के लिए कहा.उसने पहली धोती उतारी और फिर ब्लाउज को उतारा और सबसे आखिर में उसने पतला सफ़ेद पेटीकोट उतार दिया.मैंने भी सब कपड़े उतार दिए, नैना ने देखा कि मेरा लंड तो एकदम खड़ा है, उसने उसको हाथ में लिया और आगे की चमड़ी को आगे पीछे करने लगी.
मेरा लंड अब पूरी तरह से तैयार था, नैना ने मुझको रोका और बोली- ज़रा मज़ा तो ले लेने दो ना!और फिर उसने मेरा लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू किया.मुझको लगा कि लंड और भी बड़ा हो गया है, मुझको बेहद मज़ा आने लगा, तब उसने मेरा हाथ चूत पर रख दिया जो अब तक कॅाफ़ी गीली हो चुकी थी और मेरी उंगली को चूत पर के छोटे से दाने को हल्के से रगड़ने के लिए कहा.
मैंने वैसे ही किया और तभी नैना के चूतड़ आगे पीछे होने लगे, नैना बोली- लड़कियों को इस दाने पर हाथ से रगड़ने पर बहुत मज़ा आता है.
थोड़ी देर ऐसा करने के बाद हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और नैना की फैली हुई टांगों के बीच में लंड का निशाना बनाने लगा लेकिन मेरी बार बार कोशिश करने पर लंड अंदर नहीं जा रहा था, वो बाहर ही इधर उधर फिसल रहा था.नैना ने तब हँसते हुए अपने हाथ से लंड को चूत के मुंह पर रखा और मैं जोर से एक धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड अंदर चला गया.मैं जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा लेकिन नैना ने रोक दिया और कहा कि धीरे धीरे धक्के लगाऊं.मैंने अब धीरे से लंड को अंदर पूरा का पूरा डाल दिया फिर धीरे से पूरा निकाल कर फिर पूरा धीरे से अंदर डाल दिया. धीरे धीरे मैंने लंड की स्पीड पर कंट्रोल करना सीख लिया और मैं बड़े ध्यान से नैना को देख रहा था, जैसे ही वह कमर से ठुमका लगाती, मेरी स्पीड तेज़ हो जाती या धीरे हो जाती.
इस तरह हम रात भर यौन क्रीड़ा में व्यस्त रहे. नैना कम से कम 10 बार झड़ी होगी और मेरा एक बार भी वीर्य नहीं निकला और सुबह होने के समय आखरी जंग तक मेरा लंड खड़ा रहा.
यह देख कर नैना बड़ी हैरान थी कि ऐसा हो नहीं सकता लेकिन फिर वह कहने लगी कि शायद मैं अभी पूरी तरह जवान नहीं हुआ, इसी कारण मेरा वीर्य पतन नहीं हुआ.यह सोच कर वह बहुत खुश हुई कि चलो चुदाई के बाद कोई बच्चे होने का खतरा नहीं होगा.नैना ने कहा कि वह गाँव से एक ख़ास तेल लाएगी जिसको लगाने के बाद मेरा लंड बड़ा होना शुरू हो जाएगा.मैंने भी उससे पक्का वायदा लिया और उसको दस रूपए इनाम दिया.
अगले दिन वायदे के मुताबिक़ वह एक बहुत ही बदबूदार तेल लेकर आई और बोली कि आज नहाते हुए मुझ को लगाना पड़ेगा.मैंने कहा- मुझको लगाना नहीं आता तुम ही आ कर लगा देना.
उसने कहा कि वह काम खत्म करके आएगी और तेल लगा देगी.और वह 12 बजे के करीब आई और मुझको गुसलखाने में ले गई, वहाँ मैंने सारे कपड़े उतार दिये और नैना को देख कर फिर मेरा लंड खड़ा हो गया.वह खड़े लंड पर तेल लगाती रही और मैं उसके मम्मों के साथ खेलता रहा.
तेल लगा बैठी तो बोली- अब आप नहा लीजिए!लेकिन मैं अड़ा रहा कि वो खुद मुझ को नहलाये.और फिर उस ने मुझ को नहलाना शुरू किया पर मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए और वह मुझको नंगी होकर नहलाने लगी. बाथरूम में हम दोनों नंगे थे, वो मुझ को नहला रही थी और मैं उसको… बड़ा आनन्द आ रहा था.मैंने उसको कहा कि वो मुझको रोज़ तेल मलेगी और इसी तरह नहलाएगी और बदले में मैं उसको दस रूपया इनाम दिया करूंगा.वह मान गई.
यह सिलसिला चलता रहा और उस रात मैंने नैना को जम कर चोदा.नैना कहने लगी- छोटे मालिक, आपका लंड तो थोड़ा और मोटा और लम्बा हो गया लगता है, अगर यह तेल 7 दिन लगाऊं तो यह ज़रूर 5-6 इंच का हो जायेगा.वह बोली कि उसका पति भी यह तेल लगाता था और उसका लंड भी काफी मोटा और लम्बा हो गया था.
फिर मैंने उससे पूछा- गाँव की औरतें कहाँ नहाती हैं?
वह मुस्करा के बोली- क्या नंगी औरतों को देखने का दिल कर रहा है? मेरे से दिल भर गया है क्या?
मैं बोला- नहीं रे, यों ही पूछा था.

कहानी जारी रहेगी.
 
*नैना की कहानी*

फिर मैंने उससे पूछा- गाँव की औरतें कहाँ नहाती हैं?वह मुस्करा के बोली- क्या नंगी औरतों को देखने का दिल कर रहा है? मेरे से दिल भर गया है क्या?मैं बोला- नहीं रे, यों ही पूछा था.वो बोली- यहाँ से दो फर्लांग दूर एक छोटी नदी बहती है, वहीं सारी जवान औरतें और लड़कियाँ जाती हैं और बाकी की सारी तालाब में नहाती हैं.
मैं यह सुन कर चुप रहा.
नैना बोली- आपकी इच्छा है तो बताओ, मैं ज़रा बुरा नहीं मनाऊँगी. वैसे गाँव की औरतें 11-12 बजे दोपहर में नहाने जाती हैं लेकिन उस समय आपका तो स्कूल होगा ना?मैंने कहा- कल छुट्टी ले लूंगा और तुम्हारे साथ नदी चलते हैं, अगर तुम राज़ी हो तो?
मैं बोला- मेरे मन में औरतों के शरीर को देखने की बहुत इच्छा है लेकिन मुझ को नदी के किनारे देख कर कुछ गलत समझ लेंगी जो ठीक नहीं होगा.
नैना बोली कि उसको कुछ खास जगह मालूम हैं जहाँ से औरतें नहीं देख पाएँगी और मैं बड़े आराम से औरतों को नहाते हुए देख सकूंगा.मैंने भी हामी भर दी.उस रात मैंने नैना को जी भर के चोदा और कई बार तो मेरा लंड चूत के अंदर ही रहा और हम शांत हो कर लेट गए.और फिर जब नैना की काम इच्छा जागती तो वह मेरे ऊपर चढ़ जाती और 10-15 मिनट में फिर छूट जाती पर मेरा लंड वैसे ही खड़ा रहता.
थोड़ी देर बाद मेरी नींद लग गई और मैं गहरी नींद सो गया और जब उठा तो सुबह के 7 बजे थे और नैना जा चुकी थी. बिस्तर को ध्यान से देखा तो नैना की चूत से निकले पानी के निशान नज़र आ रहे थे, जब नैना आई तो मैंने उसको निशान दिखाये तो वह शर्मा गई और झट चादर बदल दी और खुद ही धोने बैठ गई.

दोपहर को नदी किनारे जाने का वायदा कर के वह अपने कामों में लग गई.11 बजे के करीब नैना आई, बोली- मैं चलती हूँ, तुम पीछे आओ.
वो अपना तौलिए और कपड़े ले कर चलने लगी और मैं थोड़ी दूरी पर पीछे चलने लगा.जल्दी ही छोटी सी नदी के किनारे पहुँच गए, वह बहुत ही कम गहरी दिख रही थी. नैना मुझको एक झाड़ी के बीच ले गई और आहिस्ता से कान में बोली कि मैं वहीं इंतज़ार करूँ और जैसे ही औरतें आएँगी वह मुझ को इशारा कर देगी.मैं अपना तौलिए पर बैठ गया और अपने छुपने वाली जगह को ध्यान से देखा.बड़ी ही सही जगह थी पीछे से भी काफी ढकी हुई थी और आगे से भी सारा नज़ारा देख सकते थे.
5-10 मिन्ट इंतज़ार के बाद औरतें कपड़े उठाये हुए आने लगी और जहाँ मैं छुपा था वहाँ से सिर्फ 10-15 फ़ीट दूर नहाने का घाट था.कुछ तो कपड़े धोने लगी और कुछ नहाने लगी. उनमें से एक बहुत ही सुडौल वाली नई शादीशुदा औरत भी थी, मेरी नज़र तो उस पर ही थी.गंदमी रंग और गोल मुंह वाली बहुत सेक्सी दिख रही थी.सबसे पहले उस ने धोती खोल दी और फिर धीरे धीरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी लेकिन ऐसा करते हुए वो चौकन्नी हो कर चारों तरफ देख भी लेती थी कि कोई देख तो नहीं रहा और जब उसका ब्लाउज उतरा तो उसके मोटे और शानदार स्तन उछल कर बाहर आ गए. तब वो पानी में चली गई और खूब मल मल कर नहाने लगी.
उसने पेटीकोट का नाड़ा भी ढीला कर दिया था और अंदर हाथ डाल कर चूत की भी सफाई करने लगी.5-6 मिन्ट इस तरह नहाने के बाद वो गीले पेटीकोट के साथ नदी के बाहर निकली और सीधी मेरी वाली झाड़ी की तरफ आने लगी और यह देख कर मैं डर के मारे कांपने लगा.मुझ को पक्का यकीन था कि मैं पकड़ा जाऊँगा लेकिन नैना बड़ी होशियार थी, वो झट वहाँ आ गई और दोनों बातों में लग गई.
जब उस लड़की ने जिस्म पौंछ लिया तो नैना बोली- मैं देख रही हूँ, तू झाड़ी की तरफ मुंह करके पेटीकोट बदल ले.और तब उसने झट से अपने पेटीकोट उतार दिया. मैंने उसकी चूत देखी जिस पर काले घने बाल छाए हुए थे और उसकी मोटी जांघों के बीच उसकी चूत काफी सेक्सी लग रही थी.झट से उसने धुला पेटीकोट पहन लिया और फिर ब्लाउज भी पहन कर वो फिर नदी के किनारे आ गई. तब मैंने दूसरी औरतों को देखा तो सब ही ब्लाउज उतार चुकी थी और खूब मल मल कर नहा रही थी.
यह नज़ारा देख कर मेरा लंड तो खड़ा हो गया और बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था. तब मैंने देखा कि कई औरतें अपना पेटीकोट उतार कर धो रही थी, सभी की चूत दिख रही थी सब ही बालों से भरी हुई थी.यह नज़ारा मेरे जीवन में अद्भुत था… इतनी सारी औरतों को नंगी देखना फिर शायद सम्भव नहीं होगा, ऐसा सोच कर मैं बार बार बड़ा खुश हो रहा था.

 
तभी नैना आ गई और मुझको इशारे से बाहर बुलाया और बोली- छोटे मालिक, अब हम वापस घर चलते हैं क्यूंकि आपने सब कुछ तो देख ही लिया है और कहीं हम को कोई देख न ले जिससे बहुत बदनामी होगी.मैं भी वापस चल पड़ा नैना के साथ!
रास्ते में वो बोली- कोई पसंद आई इन में से?मैं शरमा गया और कुछ नहीं बोला.तब नैना कहने लगी- छोटे मालिक, आप हुकुम करो, अगर कोई पसंद आ गई है तो उसको आपसे मिलवा दूंगी.मैं फिर चुप रहा.
नैना हल्के से मुस्कराई और बोली- आप बता दो ना, क्या आपको वो मोटे चूचों वाली पसंद है क्या?मैं अंजान बनते हुए बोला- कौन सी?
‘छोटे मालिक, मुझसे क्यों छिपा रहे हो? मैं जानती हूँ तुम को वो बहुत भा गई है!’‘नहीं री, तुम से भला क्या छिपाऊँगा. तुम से ज्यादा सुन्दर औरत कहाँ मिलेगी. तुम तो मेरी गुरु हो और मेरी टीचर हो!’‘तो जल्दी बताओ कौन सी बहुत पसंद आई उन में से?’मेरा मुख शर्म से एकदम लाल हो गया और मैं झिझकते हुए बोला- वही जो मेरे सामने पेटीकोट बदल रही थी और जिसको कपड़े पहनने में तुम मदद कर रही थी और जो सब औरतों में से सुन्दर है.‘क्या उसको पसंद कर लिया है?’‘नहीं री, जो तुमने पूछा, वही मैंने बताया. पसंद तो मैंने सिर्फ तुमको किया है और तुम्ही हो मेरी.’
मैंने महसूस किया की नैना बेहद खुश हुई, यह सुन कर बोली- कभी मौका लगा तो उसको पेश कर दूंगी. उसका नाम छाया है और वो शादीशुदा है लेकिन उसका पति विदेश गया है बेचारी लंड की बहुत भूखी है. कई लड़के उसको पाने के लिए उसके चारों तरफ घूमते हैं. ‘देखेंगे जब समय आयेगा! अब तो जल्दी चलो, घर मैंने तुम को चोदना है सारी दोपहर!’ मैं बोला.
और घर पहुँच कर मैंने उसके कपड़े उतार दिए और खुद भी पूरा नंगा हो गया और खूब मस्त चुदाई शुरू हो गई. मेरा लंड अब पहले से थोड़ा बड़ा हो गया था और मेरे ज़ोर ज़ोर के धक्कों से नैना 3-4 मिन्ट में झड़ गई और आज वो छूटते हुए कुछ ज्यादा ही काम्पने लगी और मुझको जो उसने कस के अपनी बाहों में जकड़ा कि मेरी हड्डियाँ ही दुखने लगी थी.
अब वह एकदम निढाल हो कर पड़ गई लेकिन मैं अभी भी हल्के धक्के मार रहा था और उसकी चूत से निकल रहे पानी में बड़ी ही सेक्सी फिच फिच की आवाज़ आ रही थी और चूत से बहे पानी का जैसे तालाब चादर पर बन गया था.नैना की नज़र पड़ते ही झट उसने वो चादर बदल दी.
अगले दिन ही मम्मी पापा भी वापस आ गये और मेरा चुदाई का प्रोग्राम रात वाला बंद करना पड़ा लेकिन दोपहर का प्रोग्राम चालू रहा. अक्सर हम चुदाई खत्म करने के बाद बातें करते थे.मैंने नैना से उसके पति के बारे में पूछना शुरू किया, जैसे कि उसका पति उसको कैसे चोदता था और रात में कितनी बार वह झड़ती थी.नैना ने बताना शुरू किया कि उसके पति ने सुहागरात को ही उसको बता दिया था कि शादी से पहले एक स्त्री के साथ उसके सम्बन्ध थे और वो उससे उम्र में 10 साल बड़ी थी लेकिन बहुत ही कामातुर औरत थी. उसका पति खस्सी बकरा था और किसी भी औरत से वो यौन सम्बन्ध के लायक नहीं था, उस औरत ने मेरे पति को पूरी तरह से चुदाई में माहिर कर दिया था, लेकिन उनके सम्बन्ध के कारण वो गर्भवती हो गई थी और उसने बड़ी होशियारी से इस बच्चे का पिता अपने पति को बना दिया था. उस औरत का पति बड़ा ही खुश था कि इतने सालों बाद उसके संतान हो रही थी.
इधर नैना का जीवन अपने पति के साथ बड़ा ही अच्छा चल रहा था, उसका पति शुरू शुरू में उसको हर रात 5-6 बार ज़रूर चोदता था. फिर शादी को कुछ समय हो जाने बाद वह हर रात 1-2 बार की चुदाई पर आ गए थे, हर बार नैना का ज़रूर छूटता था.कुछ साल उसके बड़े ही अच्छे बीते लेकिन फिर एक दिन उसका खेत में गया और वापस ही नहीं आया, उसको एक सांप ने खेत में डस लिया था और जब तक अस्पताल जाते वह समाप्त हो गया था.
नैना का जीवन एकदम वीरान हो गया क्यूंकि उसका पति अभी बच्चे नहीं चाहता था तो उसने बच्चा भी नहीं होने दिया.नैना की जीवन कहानी बड़ी ही दर्दभरी थी लेकिन वो यही कहती थी कि विधि के विधान के आगे हम सब मजबूर हैं.उसने यह भी बताया कि उसके पति के जाने के बाद मैं ही उसका पहला मर्द था जो उसकी चूत में लंड डाल सका था.मेरे पूछने पर कि ‘वो क्या करती थी जब उसको काम वेग सताता था?’ उसने हंस कर बात टाल दी और कहा फिर कभी बताऊँगी.

कहानी जारी रहेगी.
 
*नैना के सबक*

मेरा नैना से मिलना जारी रहा.लेकिन अब मैं महसूस कर रहा था कि मेरा लंड भी अब बहुत अकड़ता रहता था, ज़रा सा भी चूत का ख्याल आते ही वह एकदम तन जाता था और तब उसका बैठना बहुत मुश्किल होता था जब तक वो चोद न ले या फिर मुठी न मार ले… कई बार तो नैना ने बताया था कि लंड पर ठंडा पानी डाल देने से वो बैठ जाता था.और अब मैं रोज़ उसका नाप फीते से लेता था. अब मेरा लण्ड करीब 6 इंच का हो गया था और मोटा भी हो गया था. नैना अब रोज़ लंड की मालिश नहीं कर पाती थी लेकिन मैंने मालिश जारी रखी. नैना मेरे लंड से अब बेहद खुश थी और भरी दोपहरी में चुदवाने ज़रूर आती थी. अब उसने मुझ को तरह तरह चोदने के तरीके बता दिए थे.
उसको घोड़ी बन कर चुदवाना बहुत अच्छा लगता था और मैं भी उसके बताये हुए चुदाई के तरीकों में माहिर हो रहा था.हर बार चुदाई के दौरान वह 2-3 बार झड़ जाती थी जिसके कारण उसके चेहरे का निखार और भी बढ़ रहा था. मेरी मम्मी ने 1-2 बार उसको जताया भी कि वह अब बहुत सुन्दर लग रही है और उसको दोबारा शादी कर लेनी चाहये लेकिन नैना को मेरे लंड की आदत पड़ गई थी, उसने मम्मी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया.दोपहर को जब नैना आई तो मैं उस पर रोज़ की तरह चढ़ गया लेकिन 10-12 धक्के के बाद ही मेरे लंड से जैसे एक बहुत ही तेज़ फव्वारा छूटा और नैना की चूत को एकदम पानी से भर दिया. लेकिन मेरे लंड की सख्ती में कोई कमी नहीं आई और मैं उसी जोश के साथ धक्के मारता रहा और रोज़ाना की तरह जब नैना 3-4 बार छूट गई तो मुझको उतरने के लिए कहने लगी और जब मैं उतरा तो चूत में ऊँगली डाल कर कुछ देखने की कोशिश करने लगी तब मैंने देखा कि उसके हाथ में कुछ सफ़ेद चिपचिपा पानी लगा हुआ है.वह एकदम चौंक कर बोली- छोटे मालिक, आज आपके लंड से कुछ पानी छूटा था?
और मैं बोला- हाँ, मुझको ऐसा लगा कि मेरे लंड से कोई गरम लावा सा पदार्थ निकला था और मुझ को बहुत आनन्द आया था.
नैना बोली- बधाई हो छोटे मालिक… आप तो पूरे जवान बन गए हो.और यह कह कर जल्दी से गुसलखाने की तरफ भागी. मैं भी उसके पीछे गया तो वह बैठ कर चूत को पानी से धो रही थी और मुझ को इशारे से बाहर जाने के लिए कहने लगी.थोड़ी देर के बाद वो निकली तो बोली- अब मैं आपसे चुदाई नहीं करवाऊँगी. अब आप पूरे मर्द हो गए हैं इसी लिए अब चोदना नहीं होगा.
मैं हैरान था कि ऐसा क्या हुआ है आज चुदाई के दौरान कि नैना चुदाई से भाग रही है.तब मैंने उसको ज़ोर देकर पूछा कि चुदाई न करवाने की क्या वजह है?पहले तो वह चुप रही और फिर बोली- छोटे मालिक, आपके अंदर से छूटने वाले पानी से मैं गर्भवती हो जाऊँगी.मैं एकदम हैरान हो गया और बोला- क्या यह सच कह रही हो या फिर तुम्हारा मुझ से दिल भर गया है?
वो उदास हो कर बोली- नहीं छोटे मालिक, अब चुदाई रोकनी होगी, नहीं तो किसी दिन भी मैं फंस जाऊँगी.मैंने पूछा कि कुछ उपाय तो होगा जिससे तुम ठीक रहो?नैना बोली एक ही तरीका है और वो है कि तुम जब छूटने लगो तो तुम अपना लंड बाहर निकाल लिया करो और चूत के बाहर ही अपना पानी छूटा दिया करो? ऐसा कर सकोगे क्या?
मैंने कहा- कोशिश करने दो अगर अभ्यास करूंगा तो शायद यह कर सकूं.और फिर मैंने लंड नैना की चूत में डाल दिया और तेज़ धक्के मारने लगा.नैना ने मुझ को रोक दिया और बोली- छोटे मालिक, धक्के धीरे मारो ताकि जब तुम छूटने लगो तो तुमको पता चल जायेगा कि तुम्हारा पानी छूटने वाला है और उसके बाद तुम बाहर छूटा देना.
 
मैंने ऐसा ही किया लेकिन अबकी बार मैं धक्के काफी देर तक मारता रहा और मैंने महसूस किया नैना का पानी 3-4 बार छूट गया और वह थक कर अपनी टांगें सीधी करने लगी और बोली- छोटे मालिक, अब बस करो, मैं थक चुकी हूँ.
यह कह कर उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और जल्दी से बाथरूम में घुस गई और जब मैंने देखा तो वह चूत को पानी से धो रही थी. उस दिन के बाद वो दोपहर को आती तो थी लेकिन उसकी गरम जोशी अब कम हो रही थी, मेरे से चुदवाती तो थी लेकिन अब उसमें वो जोश नहीं था. क्यूंकि वो रात अपने घर चली जाती थी तो मैं नहीं जानता वो वहाँ क्या करती थी.
फिर एक दिन मैंने उससे पूछा कि उसके घर में कौन कौन लोग हैं?
तो बोली- बूढ़ी माँ है और छोटी बहन है.उसने बताया कि उसकी झोंपड़ी में दो कमरे हैं, एक में उसकी माँ और बहन सोती हैं और दूसरे में वो सोती है.
मैं बोला- अगर मैं रात में तुम्हारी झोंपड़ी में आऊं तो तुमको कोई मुश्किल तो नहीं होगी?वो एकदम चौंक कर बोली- कभी ऐसा मत करना, सारा गाँव जान जायेगा हमारी कहानी. तुम वहाँ क्यों आना चाहते हो?
मैंने कहा- तुम आजकल मुझसे पहले की तरह गर्मागर्म चुदवा नहीं रहो हो, कहीं कोई और आदमी तो नहीं आ गया तुम्हारे जीवन में?
वो हंस दी और बोली- छोटे मालिक, तुम मुझको बुरी तरह से थका देते हो और घर जाकर मैं बस सो जाती हूँ. यही कारण है कि तुम को लगता है कि मेरे जीवन में कोई और आ गया है. अच्छा तुम कहो तो मैं बड़ी मालकिन से कह कर तुम्हारी दूसरी नौकरानी रखवा देती हूँ.
मैं बोला- कभी नहीं.
वो बोली- मालकिन कह रही थी कि कोई और कामवाली लड़की चाहये उनको, और मैं सोचती हूँ कि क्यों न छाया को रखवा दें तुम्हारे साथ? मैं भी रहूंगी और वो भी. बोलो मंज़ूर है?
मैं बोला- कभी नहीं, जब तक तुम हो, और कोई नहीं आएगी.
नैना बोली- अरे छाया भी रहेगी और मैं भी… दोनों ही तुम्हारा काम करेंगी. मान जाओ छोटे मालिक?
मैंने कहा- ठीक है लेकिन दोपहर में सिर्फ तुम ही आया करोगी… ठीक है?
वो बोली- मंज़ूर है.
कुछ दिन वैसे ही चलता रहा जैसा पहले था, अब नैना की सिखाई के बाद अब मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था. चुदाई के समय मैं अब पूरा ध्यान रखता था कि किसी तरह भी मेरा वीर्य समय से पहले न छूटे और अगर छूटे भी तो वह चूत के बाहर छूटे.
धीरे धीरे नैना को मुझ पर विश्वास बढ़ता गया और हमारा चुदाई जीवन फिर पहले की तरह हो गया, दोपहर में चुदाई जारी रहने लगी. उस दिन के बाद नैना ने छाया की कोई बात की, न वो हमारी हवेली में आई. नैना और मेरी कहानी तकरीबन एक साल चली जिस के दौरान मैं पूरा जवान हो गया, मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी.
मैं शारीरिक तौर भी अब बहुत बड़ा बड़ा लगने लगा था और तब एक दिन मम्मी और पापा बोले कि सतीश तो जल्दी से बड़ा हो रहा है, यह बहुत ही अच्छी बात है.
लेकिन वो दोनों अपनी जमींदारी के काम में इतने उलझे और व्यस्त रहते थे कि उनके पास मेरे लिए समय निकालना मुश्किल था. एक तरह से यह मेरे लिए अच्छा था क्यूंकि मेरी कामातुर वासना को नैना रोज़ बढ़ा देती और फिर शांत भी कर देती थी.उन्ही दिनों मैं रोज़ शाम को नदी किनारे भी जाता था लेकिन नहाती हुई औरतों को देखने की कोशिश नहीं करता था.

कहानी जारी रहेगी.

 
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