XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 21 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

अब जेनी धीरे धीरे मुझको निर्वस्त्र कर रही थी जैसे ही उसने मेरी शर्ट उतारी तो वो बहुत ही आर्टिस्ट ढंग से सबके सामने झुकी जैसे सर्कस का रिंग मास्टर जब शेर से कोई करतब करवाता है तो दर्शकों की तालियों में झुक कर उनकी प्रशंसा को कबूल करता है.वैसे ही जेनी झुकी और सब लड़कियों ने ज़ोर से तालियाँ बजाई.और फिर उसने मेरी पैंट पर हाथ डाला और बेल्ट खोली, उसको अलग करके बटनों को खोला और मेरी पैंट को नीचे किया और जब सब के सामने मेरे टेंट नुमा अंडरवियर का नज़ारा पेश किया तो सबने ज़ोर की तालियाँ बजाई और एक बार फिर जेनी ने तालियों का अभिवादन झुक कर किया.
मैं और नैना इस नए ढंग के चीरहरण का नज़ारा बड़े ही आनन्द से देख रहे थे.
जब उसने मेरे अंडरवियर पर हाथ डाला तो सब लड़कियों की नज़र मेरे अंडरवियर में बने हुए टेंट पर टिक गई थी.जेनी जो बैठ कर मेरा अंडरवियर उतार रही थी यह भूल गई थी कि मेरा लौड़ा कभी कभी बड़ी ज़ोर की किक मारता है, जैसे ही उसने मेरा अंडरवियर नीचे किया, जंगली घोड़ा बाहर निकल कर ज़ोर से जेनी के मुंह पर लगा और जेनी एकदम घबरा कर पीछे की तरफ गिर गई और अगर मैं उसको समय पर न पकड़ लेता तो उसका सर फर्श पर लगता.
यह देख कर सब लड़कियाँ ज़ोर से हंस पड़ी लेकिन मेरे सीरियस मूड को देख कर वो जल्दी ही चुप हो गई.मैंने जेनी का हाथ पकड़ा और उसको उठाया और पूछा- जानम कहीं लगी तो नहीं?
जेनी बोली- थैंक्स सतीश, तुमने वक्त पर पकड़ लिया, नहीं तो मुझको ज़रूर चोट लगती.मैं बोला- जेनी डार्लिंग, तुम ज़रा भी मत घबराओ, मैं हूँ न.और यह कह कर मैंने उसके लबों पर एक चुम्मी दे दी और कस के अपने आलिंगन में ले लिया. मेरा लौड़ा तब जेनी की चूत के ऊपर मंडरा रहा था और फ़ौरन उसकी चूत के अंदर जाने के लिए बेकरार हो रहा था.
फिर मैं जेनी को लेकर अपने बेड पर पहुँचा और मैंने उसको अपनी बाँहों में उठा कर बेड पर लिटा दिया और अपने मुंह को उसकी काले बालों से ढकी चूत में डाल दिया.
उधर जस्सी लूसी के पीछे खड़ी हो गई और नैना ने रेनू को अपनी बाँहों में भर लिया और दोनों उन को चूमने चाटने में लग गई.
अब मैं भी जेनी के मुम्मों को चूस रहा था और साथ ही एक उंगली से उसकी चूत में उसकी भग को मसल रहा था. जब मैंने उसकी चूत में ऊँगली से फील किया तो वो बहुत गीली हो चुकी थी, मैंने नैना की तरफ देखा तो उसने इशारा किया कि चुदाई शुरू कर दी जाए.
मैंने जेनी के लबों पर एक गीली और गरम चुम्मी की और फिर अपना लंड जेनी की चूत पर रख दिया और उसको धीरे धीरे जेनी की चूत में डालना शुरू किया और एक बार पूरा अंदर डाल कर फिर धीरे से निकाला और यही क्रम दोहराया 5 -6 बार और फिर आहिस्ता से चुदाई की स्पीड तेज़ करने लगा.
जेनी की टांगें अब मेरी कमर को घेर कर मुझको और उकसा रही थी, मैंने धक्कों की स्पीड बहुत तेज़ कर दी और जेनी की कमर भी उठ उठ कर मेरे लंड का जवाब दे रही थी.अब मैं जेनी की चूत की सुकड़न महसूस करने लगा और अपनी धक्कों की स्पीड अपनी चरम सीमा पर पहुँचा दी और तभी जेनी की चूत से एक ज़ोरदार फव्वारा छूटा और मेरी टांगों को भिगोता हुआ चादर पर गिर गया और उसकी टांगों ने मुझको अपनी गिरफ्त में कस लिया.
थोड़ी देर में वो ढीली पड़ गई और मैंने उसकी टांगों में से उठने से पहले उसके लबों पर बहुत ही गर्म चुम्मा जड़ दिया.अब मैं जेनी के ऊपर से उठ गया और मेरे गीले लौड़े को नई लड़कियाँ बड़े ध्यान से देख रही थी.
जेनी की जगह अब जस्सी ने ले ली थी, वो घोड़ी बन कर बेड पर बैठी थी, मैं बेड पर चढ़ने की सोच ही रहा था कि लूसी जल्दी से आई और बैठ कर मेरे लंड को अपने मुंह में डाल लिया और गटागट उसको चूसने लगी.नैना उसकी तरफ बढ़ ही रही थी कि मैंने हाथ के इशारे से उसको मना कर दिया और लूसी को अपने गीले लंड को चूसने दिया.थोड़ी देर में वो अपनी गलती समझ गई और मेरे पास से उठ कर रेनू के साथ खड़ी हो गई.
मैं बेड पर चढ़ कर जस्सी की चूत का निशाना बनाने लगा और फिर मैंने अपना लहलहाता लंड जस्सी की चूत में डाल दिया, एक हाथ से उसके हसीन मम्मे को मसलने लगा.
जस्सी की चूत भी बहुत ज़्यादा गीली हो चुकी थी, जैसे ही लंड उस में गया, उसके मुंह से एक जोर की हाय निकल गई और लंड को पूरा अंदर तक घुसेड़ने के बाद मैंने आलखन से उसको चोदना शुरू किया.कभी धीरे कभी तेज़ वाला क्रम जारी रखते हुए मैंने लूसी और रेनू को देखा तो दोनों के हाथ अपनी अपनी बालधारी चूतों में घुसे हुए थे और वो धीरे से मेरे धक्कों को मैच करते हुए अपनी उंगली चला रही थी.
मैंने नैना की तरफ देखा और आँखों से इशारा किया कि वो उन दोनों को रोके वर्ना उनको छुटाने में मुश्किल आएगी.नैना ने दोनों के हाथ उनकी चूतों से अलग किये और उनको जस्सी की घोड़ी बनी चुदाई को देखने के लिए प्रेरित किया.

कहानी जारी रहेगी.

 
लूसी और रेनू की चूत की सील तोड़ी

नैना ने दोनों के हाथ उनकी चूतों से अलग किये और उनको जस्सी की घोड़ी बनी चुदाई को देखने के लिए प्रेरित किया.जस्सी की घुड़चुदाई मेरे लिए बहुत ही आनन्ददायक होती है यह मुझको मालूम था तो मैं मस्ती से और पूरे प्यार से जस्सी की मोटी गांड पर हाथों से थपकी मारते हुए उसको चोदने लगा्.जस्सी और जेनी की चूत, जैसे कि बाकी की कुंवारी लड़कियों की होती है, बेहद ही टाइट थी और चूत की पकड़ लंड पर काफ़ी मज़बूत थी.
अब समय आ गया था कि दोनों कुंवारी लड़कियों की चूत की सील को तोड़ा जाए और इसके लिए अब फिर नैना दोनों से पूछ रही थी कि उनको सील तुड़वानी है और इसका पक्का इरादा कर लिया है?नैना ने उनको यह भी बता दिया था- अक्सर पहली चुदाई में कई लड़कियों को कोई आनन्द नहीं आता लेकिन चूत के नार्मल हो जाने पर उनको मज़ा आना शुरू हो जाता है.
नैना ने पूछा- क्यों जस्सी और जेनी, क्यातुमको पहली चुदाई में मज़ा आया था?दोनों ने इंकार में सर हिला दिया.मैंने उन दोनों से पूछा- वैसे जेनी और जस्सी, तुम्हारी सील कैसे टूटी थी?
जेनी तो काफी फ्रैंक थी सो बोली- मेरी सील तो किसी ने नहीं तोड़ी थी, वो तो मेरे गेम्स खेलने और साइकिल चलाने से टूट गई थी और फिर जब यह टूट ही गई थी सो मैं थोड़ा बहुत सब्ज़ियों का भी इस्तेमाल कर लेती थी, जैसे गाजर मूली और बैंगन का इस्तेमाल कभी कभी काफी मज़ा देता, खास तौर पर पीरियड के बाद के हॉट दिनों में… और सतीश से पहले मैंने किसी आदमी के साथ नहीं किया था, सतीश राजा ही मेरा पहला और असली लंड है.
मैंने जस्सी की तरफ देखा तो वो पहले तो शरमाई फिर थोड़ी संयत हो कर बोली- मेरे तो जीजा जी ने मेरी सील तोड़ी थी. वो क्या हुआ… मैं कुछ दिनों के लिए अपनी कजिन सिस्टर के पास पंजाब गई थी जो मैरिड थी. एक दिन मैं बाजार घूमने गई थी और जब वापस आई तो घर का दरवाज़ा खुला था और अंदर दीदी के बैडरूम में घुस ही रही थी कि दीदी और जीजा जी की आवाज़ आ रही थी जैसे वो कोई बड़ा काम कर रहे हो तो मैं बेधड़क अंदर घुस गई और देखा कि जीजाजी और दीदी चूत चुदाई में लगे हुए थे दोनों. और फिर जब उन्होंने ने मुझको देखा तो दीदी खुद उठ कर आई, मुझको खींच कर जीजाजी जी के पास ले गई और मुझको अपने पति से ही चुदवा दिया.

.मैं बोला- जस्सी के साथ बहुत ही बुरा हुआ!
नैना बोली- एक बात तुम सब लड़कियों को समझा दूँ कि छोटे मालिक को अपने लंड पर पूरा कंट्रोल है यानि वो किसी भी लड़की को उसकी मर्ज़ी के बगैर नहीं चोदते और अपना वीर्य कभी भी उसके अंदर नहीं छोड़ते. तो आप लड़कियाँ निश्चिंत होकर इनसे चुदा सकती हो. आप सबको मेरी गारंटी है किसी को भी कोई तकलीफ इन के कारण नहीं होगी. चलो तो फिर शुरू हो जाओ छोटे मालिक!
सबसे पहले लूसी को चोदना था तो उसको लिटा कर नैना ने उसकी चूत में उंगली डाल कर देखा कि वो काफी गीली है और अपनी पहली चुदाई के लिए तैयार है तो मुझको इशारा किया.
मैं बेड पर लेट गया लूसी के साथ और उसके होटों पर एक बहुत ही कामातुर चुम्मी लगा दी और अपनी जीभ को उसके मुंह में डाल कर धीरे धीरे घुमाने लगा और उसके मुंह का रस पीने लगा.फिर मैंने उसके मुम्मों को बारी बारी से चूमा और दोनों ही मुम्मे अच्छे मोटे और सॉलिड थे. और फिर उसकी चूत पर हाथ फेरा जो बालों से भरी थी और उसमें से बहुत ही मनमोहक खुशबू आ रही थी.
मैंने नैना को इशारा किया, वो जल्दी से आई और लूसी की चूत में ढेर सारी पॉण्ड्स क्रीम लगा गई, थोड़ी सी मेरे लौड़े पर भी लगा दी.मैं अब उसकी चौड़ी टांगों में बैठ गया और अपने एकदम अकड़े लौड़े को चूत के मुंह पर रख कर दो तीन बार थोड़ा सा अंदर डाल कर निकाल लिया और फिर मैंने एक गहरा धक्का मारा लेकिन वो चूत में लगी झिल्ली से रुक गया और मैंने लौड़े को पूरा निकाल कर उसको एक बार फिर उसकी भग पर रगड़ा और फिर चूत में डाला फिर वो वहीं रुक गया.

 
अब मैंने लौड़ा डाले हुए ही लूसी के गोल मगर छोटे चूतड़ों के नीचे हाथ रखा और लंड को काफी ज़ोर से लूसी की चूत के अंदर घुसेड़ दिया और वो एक झटके में ही उसकी चूत में लगी झिल्ली को तोड़ते हुए ही पूरा अंदर चला गया.तभी लूसी के मुंह से एक हल्की सी चीख निकल गई.
मैं थोड़ा रुका और लंड को पूरा अंदर रहने दिया और लूसी की चूत भी थोड़ी सी सिकुड़ने लगी और लंड को पूरी ताकत से जकड़ कर रखा हुआ था ऐसा लगा मुझको!सब लड़कियाँ और नैना भी बड़े ध्यान से सील तुड़ाई देख रही थी.
अब लूसी थोड़ी रिलैक्स हुई और उसका अकड़ा हुआ जिस्म अब फिर नार्मल हो गया और अब मैंने उसको लंड से धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये.पहले तो हर धक्के पर लूसी का शरीर हलके से अकड़ जाता था लेकिन फिर वो धीरे धीरे चुदाई की रिदम समझ गई और जब मैं तेज़ धक्कों की स्टेज पर पहुँचा तो वो भी हर धक्के का जवाब वैसे ही अपनी कमर को ऊपर उठा कर दे रही थी और उसकी चूत से अब रस निकलना शुरू हो गया था, वो जल्दी ही पहली बार लौड़े से झड़ने के लिए तैयार हो गई थी.
मेरे अंतिम कुछ धक्के इतनी तीव्र स्पीड के थे कि वो कुछ बड़बड़ाते हुए ही मेरे लंड से अपनी कमर जोड़ कर झड़ गई और मुझको उस ने ज़ोर से अपनी बाँहों में जकड़ लिया.
सब लड़कियों ने ताली बजा कर लूसी के छूटने का स्वागत किया था और जब मैं उसके ऊपर से उठा तो मैंने भी झुक कर उनकी तालियों का जवाब दिया.तीनों लड़कियों ने लूसी को घेर लिया और उसको प्यार करने लगी.
अब नैना ने हम सबको कोक पिलाया और फिर नैना ने रेनू को बेड पर लिटा दिया और उसकी चूत में थोड़ी सी क्रीम लगा दी.
मैं अब अपने बाथरूम में घुस कर हल्का हो आया और वापस आकर अपने लौड़े पर भी ब्यूटी क्रीम लगवा ली.रेनू को ध्यान से देखा तो वो भी काफी हसीन लगी, उसके नयन नक्श भी काफी पंजाबियों की तरह थे और रंग भी उनकी तरह सफेदी और लाली लिए हुए था. उसके मुम्मे लूसी से ज़्यादा मोटे थे लेकिन जस्सी से थोड़े छोटे थे लेकिन बहुत ही सॉलिड लग रहे थे.
रेनू की चुदाई भी तकरीबन वैसे ही चली जैसी लूसी की थी लेकिन चूत में लंड की एंट्री थोड़ी मुश्किल से हुई क्योंकि उसकी चूत का मुंह काफी छोटा था. ऐसा लगता था कि वो ज़्यादा सेक्सी फील नहीं करती थी और उंगली बाज़ी भी ज़्यादा नहीं करती होगी और ऐसा लगता था कि उसकी कामुकता का स्तर भी काफी कम था.
मैंने अपना खड़ा लंड बहुत धीरे से उसकी चूत में डाला और वो क्रीम के कारण फिसल कर अंदर चला गया थोड़ा सा और फिर आगे एक दीवार महसूस हुई.मैं अब लंड को भूल कर उसके मुम्मे को चूसने में लग गया और उसके गोल काके चुचूकों को मुंह में रख कर होटों से इधर उधर का खेल शुरू कर दिया.
मैंने देखा कि जस्सी भी अपनी सहेली को गर्म करने में लगी हुई थी.वो उसके मुंह से अपना मुंह जोड़ कर उसके लबों को चूस रही थी और इसका असर मुझको रेनू की चूत में हो रही हरकत से पता चल रहा था वो अब धीरे धीरे मेरे लंड से दूर भागने की बजाये अब उसके पास आ रही थी.
मैंने अब धीरे से फिर रेनू की चूत पर अटैक जारी रखा और जब लंड फिर से चूत की दीवार से टकराया तो मैंने नैना के इशारे के मुताबिक़ एक ज़ोर का धक्का लंड से मारा और वो चूत में छिपी दीवार को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर चला गया.लेकिन तभी ही रेनू ने एक दिल दहला देनी वाली चीख मारी और मुझसे लिपट गई और उसका सारा शरीर पत्ते की तरह काम्पने लगा.
नैना फ़ौरन ही आई और उसकी चूत से बहते हुए रक्त को साफ़ करने लगी और साथ ही वो और जस्सी रेनू को सांत्वना देने लगी, नैना के कहने पर मैंने लंड का अंदर और बाहर आना जाना जारी रखा.कुछ ही क्षणों में रेनू सामान्य हो गई और मैं प्यार से उसके लबों को चूसने लगा.मैंने महसूस किया कि उसके अंदर की टेंशन अब एकदम दूर हो गई और वो चूत चुदाई का आनन्द लेने लगी.

 
अभी मैं उसको लंड के धीरे धक्के ही मार रहा था लेकिन अब रेनू ने नीचे से धक्कों का जवाब देना शुरू कर दिया तो मैं समझ गया कि उसको चुदाई का आनन्द आना शुरू हो गया है.
जस्सी अब रेनू के मुम्मों को चूस रही थी और जेनी उसके चूतड़ों पर हाथ फेर रही थी और मैं लंड की धक्का पेली में व्यस्त था.थोड़ी देर की तेज़ चुदाई के बाद रेनू झड़ने के निकट पहुँच गई थी और अब तपती भट्टी में गर्म लोहे की सलाख को तेज़ी से डालना और निकालना शुरू कर दिया और शीघ्र ही रेनू का जिस्म एक बार फिर अकड़ा और वो बड़े आनन्द से मुझको कस कर अपनी बाँहों में बाँध कर झड़ गई.
रेनू के झड़ते ही सब लड़कियों ने तालियों से उसका स्वागत किया और फिर सबने उसको जाकर एक प्यारी सी जप्फी मारी.सबने रेनू से पूछा कि उसको पूरी तसल्ली हो गई और अब उसको चुदाई से कभी डर तो नहीं लगेगा?
रेनू ख़ुशी से नाचती हुई सब लड़कियों से मिल रही थी और किसिंग और जप्फी मार रही थी.
इसी दौरान में लूसी चुपचाप मेरे पास आई और मेरे लण्ड को पकड़ कर खेलने लगी और नीचे बैठ कर उसको चूसने लगी. मैं भी उसके मुम्मों के साथ खेलने लगा और फिर उसको उठा कर मैंने उसके लबों पर एक हॉट किस दे दी.
मैंने उसकी चूत में हाथ डाला तो वो एकदम गीली गोत हो रही थी. तब मैंने उसके कान में कहा- क्या चूत चुदवाने की और भूख लगी है?
उसने मुझको कान में कहा- सतीश, एक बार और चोद दो प्लीज!मैंने कहा- चलो आ जाओ लूसी, एक बार नहीं जितनी बार कहोगी, तुम्हारी चूत की सेवा कर दूँगा.
मैंने उसको बाँहों में उठा लिया और उसको लेकर बेड पर आ गया और उसकी टांगें खोल कर अपने खड़े लौड़े को उसकी चूत के मुंह पर रख कर एक धक्का मारा और लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया.
अब सारी लड़कियाँ बेड के चारों ओर आकर खड़ी हो गई और लूसी की चुदाई का तमाशा देखने लगी.चूत और लंड की लड़ाई अक्सर देखने में काफी मज़ा आता है और खासतौर पर जवान लड़के और लड़कियों को क्यूंकि यह साफ़ मसहूस होता है कि वह स्वयं इस में हिस्सा ले रहे हैं.
नई नई खुली चूत का रास्ता चाहे जितना भी खोला जाए, उसमें बहुत अधिक टाइट नेस महसूस होती है सो इसी कहावत के स्वरूप लूसी की चूत में बहुत अधिक संकीर्णता लंड लाल को महसूस होती है और इसी कारण वो अपनी तेज़ी नहीं दिखा पाता.
धीरे धीरे से तेज़ चुदाई की स्पीड बढ़ाते हुए बहुत जल्दी ही लूसी की चूत को मजबूर हो कर अपने हथियार डालने पड़े और वो एक ज़ोरदार ‘हाय…’ के साथ झड़ गई.
नैना ने सबसे पूछा कि और किसी को कोई चुदाने की इच्छा तो नहीं और यदि नहीं तो क्या छोटे मालिक अपना हथियार पैक कर के रख लें?सब ने कहा- अब कोई इच्छा नहीं है, पैक कर लो अपना हथियार!
इससे पहले कि कपड़े पहनने की प्रक्रिया शुरू होती, लूसी और रेनू ने मुझको एक कस कर जफ्फी मारी और लबों पर चुम्मी की और मैंने भी उन लड़कियों के मुम्मों और चूतड़ों को छुआ और उनको यह विश किया कि बार बार वो चुदाई का आलम देखें और खुश रहें.

कहानी जारी रहेगी.

 
निम्मो, जूही भाभी की चूत चुदाई

कुछ दिन हम सब बहुत व्यस्त रहे क्यूंकि 15 दिन के लिए गाँव जाना था, जाने की तैयारी भी करनी थी और कोठी को भी बंद करना था.इन दिनों मैं अपने हरम की दोनों हसीनों से ही काम चला रहा था और इस कारण आज कल पारो मेरा बहुत ख्याल रखती थी क्यूंकि मैं रात को उसकी ख़ास सेवा करता था.
एक दिन मैं कॉलेज से घर आया तो नैना ने बताया कि दोपहर में निर्मला मैडम उसके पास आई थी अपना चेकअप करवाने के लिए, उनका पूरा चेक कर दिया था और हर तरह से ठीक है, प्रेगनेंसी ठीक चल रही है.
नैना आगे बोली- निर्मला मैडम कह रही थी कि वो भी दशहरे की छुट्टियों में अपने गाँव जा रही हैं लेकिन वो इस पशोपेश में हैं कि मेरी बहन निम्मो को कहाँ छोड़ के जाएँ क्योंकि वो भी घर बंद करके जा रही है अपने पति के साथ! तो मैंने उनको कह दिया है कि छोटे मालिक से पूछ कर बताती हूँ कि क्या कर सकते हैं हम?

मैं कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला- ऐसा करो, तुम मैडम को कह दो कि वो निम्मो को हमारे यहाँ छोड़ जाएँ और हम उसको अपने साथ अपने गाँव ले जाएँगे. क्यों नैना यह ठीक है ना?नैना बोली- हमारे साथ वो दो लड़कियाँ भी हैं, तो गाड़ी में इतनी जगह नहीं होगी कि निम्मो को भी साथ ले लें.
मैं बोला- वो ठीक याद दिलाया, मैं तो भूल ही गया था. जेनी और जस्सी आज मुझको कॉलेज में मिली थी और कह रही थी कि वो अब हमारे साथ नहीं जा सकेंगी क्यूंकि उनके भाई आ रहे थे उनके गाँव से, वो उनके साथ अपने अपने गाँव जा रही हैं कल और अब वापिस आकर ही हमसे फिर मिलेंगी, तो निम्मो को ले जाने में कोई अड़चन नहीं होगी.
नैना खुश हो कर बोली- छोटे मालिक, आपने तो मेरे फ़िक्र को ही दूर कर दिया. अब मैं निर्मला मैडम से बात कर लेती हूँ.यह कह कर वो निर्मला मैडम से बात करने लगी और फिर बताया कि निर्मला मैडम ने कहा है कि मैं निम्मो को आ कर ले जाऊँ क्यूंकि वो कल गाँव जा रहे हैं, तो मैं रिक्शा पर जाती हूँ और निम्मो को ले आती हूँ ठीक है न छोटे मालिक?
मैं बोला- जाओ जाकर निम्मो को ले आओ! आने जाने के पैसे हैं न तुम्हारे पास? नहीं तो मेरे से ले जाओ!नैना बोली- पैसे हैं मेरे पास, मैं अभी आती हूँ निम्मो को लेकर!एक घंटे के बाद नैना निम्मो और उसकी पोटली लेकर आ गई और अपनी कोठरी में उसको रखवा दिया.
रात को खाना खाकर हम सब मेरे कमरे में इकट्ठे हुए और मैंने उन सबको बताया कि मैंने टैक्सी के लिए बोल दिया है और हम कल सुबह गाँव के लिए निकल जाएंगे. इससे पहले पारो और लखन लाल और बाकी कर्मचारियों का हिसाब सुबह कर कर देंगे और उनको कह देना कि वो चाहें कल या फिर परसों अपने गाँव जा सकते हैं.
मैंने नैना से पूछा- आज रात क्या इरादा है?नैना बोली- छोटे मालिक, आज तो आपके पास तीन मोटी गायें हैं जिनको आपको हरा करना पड़ेगा. मेरा तो कोई नहीं लेकिन पारो तो कल जा रही है 15 दिन के लिए, तो उसको तो हरा करना ही चाहिए! क्यों पारो?पारो बोली- हाँ छोटे मालिक, मेरा तो काम आज कर ही दो आप, वरना मैं आपकी याद में यूँ ही तड़पती रहूंगी.
नैना बोली- और हमारे बीच नई आई है निम्मो रानी, तो उसको भी आज तो अपनी पटरानी बना ही दो!मैं बोला- जैसे तुम कहोगी, वैसा ही होगा नैना महारानी!
नैना के इशारे पर सब रानियाँ निर्वस्त्र होने लगी और जब सबने अपने कपड़े उतार दिए तो नैना ने निम्मो को इशारा किया कि वो मेरे भी कपड़े उतार दे!निम्मो पहले थोड़ी झिझकी लेकिन फिर वो मेरे पास आई और एक एक कर के मेरे कपड़े उतारने लगी. लेकिन जैसे ही वो मेरे अंडरवियर तक पहुँची तो उसने अपना मुंह थोड़ा पीछे कर लिया ताकि लंडम लाल का थप्पड़ उसको इस बार न लगे.
मैंने निम्मो से कहा- पहले हुए अनुभव से सबक लिया तुमने जब लंड का थप्पड़ पड़ा था अंडरवियर उतारते हुए!निम्मो शर्माते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, वो घटना भला मैं कैसे भूल सकती हूँ! बड़े जोर का लगता है यह मुंह पर!यह सुन कर हम सब ही हंस पड़े.
फिर मैंने उन तीनों रानियों को लाइन में खड़ा कर दिया और उनके शरीर की सुंदरता को परखने लगा.सबसे सॉलिड और अच्छी प्रकार से बने हुए शरीर का पुरस्कार तो नैना को ही जाता था लेकिन निम्मो उससे 2-3 साल छोटी होने के कारण उसके शरीर का अभी तक ज़्यादा इस्तेमाल नहीं हुआ था क्यूंकि वो नैना की तरह अधिक खुले हुए स्वभाव की नहीं थी और काफी चुपचाप और शर्माने वाली लड़की थी.

 
नैना ने ही कहा- छोटे मालिक, पहले आप निम्मो को ही चोदो, उसको शायद काफी दिनों से लंड के दर्शन नहीं हुए हैं.मैंने निम्मो से कहा- कैसे चुदना पसंद करोगी निम्मो? जो पोज़ तुमको अच्छा लगता है, उसी से चुदाई शुरू करते हैं.निम्मो बोली- जैसे आप चाहो, वैसे ही कर लो, मेरी कोई ख़ास पसंद नहीं है.मैं बोला- तो चलो फिर घोड़ी बन कर ही चोद देता हूँ. घोड़ी बन जाओ निम्मो फ़ौरन.
निम्मो घोड़ी बन गई और मैंने अपने खड़े लंड को निम्मो की चूत के ऊपर रगड़ कर उसको थोड़ा गीला किया एक धक्के में उसकी टाइट चूत में लंड पूरा चला गया.शुरू में धीरे धक्कों से चुदाई की फिर आहिस्ता से तेज़ी पकड़ ली और 10-15 धक्कों में ही जब निम्मो छूट गई तो मैंने उसको बगैर लिंक तोड़े पलट दिया और अब उसकी टांगें हवा में लहराते हुए चुदाई शुरू कर दी फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसको साइड में लिटा कर स्वयं उसके पीछे से चूत चुदाई करने लगा, उसकी एक टांग तो हवा में थी और दूसरी उसके नीचे.
इस दौरान नैना और पारो जो अभी तक आपस में लगी हुई थी, अब निम्मो के मुम्मों को चूसने लगी और पारो ने अपनी ऊँगली निम्मो की गांड में डाल दी.इस डबल अटैक से निम्मो फिर बड़े ज़ोर से हिलते हुए छूट गई और मैं उसको छोड़ कर पारो की सेवा करने लग गया और जब पारो की चूत में अपना गीला लंड डाला तो वो बेहद गीली हो रही थी और उसको भी चुदाई आनन्द काफ़ी दिनों से नहीं मिला था तो वो भी कामातुर होकर चुद रही थी.
थोड़ी देर की चुदाई में वो जब 2 बार झड़ गई तो मैंने अपना ध्यान अब नैना की तरफ किया और उसकी जाने पहचानी चूत को भी आनंदित किया.
उसके बाद एक बार फिर निम्मो को चोदा और पारो को भी फाइनल चुदाई की और इस तरह वो रात हम तीनों एक साथ सोये नीचे फर्श पर बिछे गद्दों पर!
सुबह जल्दी उठ कर हम सब तैयार होने में लग गए और अपने निर्धारित समय पर टैक्सी में बैठ कर गाँव के लिए चल दिए.चार घंटे के सफर के बाद हम अपने गाँव पहुँच गये.
जैसे ही मैं हवेली में दाखिल हुआ, एकदम बहुत सारे लोगों ने मुझ को घेर लिया और बड़ी गर्म जोशी से मिलने लगे.मैं एकदम हैरान हो गया कि ये सब कहाँ से आ गए लेकिन तभी मम्मी आ गई और कहने लगी- सतीश ये सब तुम्हारे कजिन हैं जिनसे तुम पहली बार मिल रहे हो. इन सबको हमने दशहरा यहाँ मनाने के लिए आमंत्रित किया है.और फिर उन्होंने हम सब को एक दूसरे से मिलवाया.
जितने सारे मेहमान थे उनमें बहुत सारी भाभियाँ और लड़कियाँ थी और एक दो लड़के भी थे जिनको मैं पहली बार मिल रहा था.मैं अपने कमरे में घुसा तो वहाँ एक बहुत ही सुंदर भाभी मेरे बेड पर लेटी हुई थी और एक मैगज़ीन पढ़ रही थी.
मुझको देखते ही वो अकचका गई और उठ के बैठ गई, उसकी साड़ी का पल्लू उसके वक्ष से ढलक गया और उनके बहुत ही सॉलिड मुम्मे जो लाल ब्लाउज में ढके थे, मेरे सामने आ गए.
भाभी बोली- तुम सतीश हो क्या?मैं बोला- जी हाँ, और आप?भाभी बोली- मैं जूही हूँ, तुम्हारे इलाहबाद वाले भैया की पत्नी, रिश्ते में तुम्हारी भाभी हूँ.मैं बोला- भाभी जी, आप से मिल कर बड़ी प्रसन्नता हुई. मम्मी ने यह कमरा आपको दिया है क्या? कोई बात नहीं, मैं दूसरे कमरे में चला जाऊँगा मम्मी से बात कर के, तब तक मेरा यह बैग यहाँ पड़ा है, आप लेटी रहो.भाभी बोली- कॉलेज में पढ़ते हो क्या लखनऊ में?
मैंने भाभी की तरफ देखा, उन्होंने अपनी साड़ी के पल्लू से वक्ष ढकने की कोई कोशिश नहीं की और उनके गोल और सॉलिड दिखने वाले मुम्मे मेरे सामने वैसे ही जगमगा रहे थे.मैं मुस्करा कर बोला- हाँ भाभी, कॉलेज में हूँ वहाँ! अच्छा मैं ज़रा मम्मी से मिल कर आता हूँ.
यह कह कर मैं कमरे से बाहर आ गया और मम्मी को ढूंढने लगा जो उस समय एक और सुंदर भाभी से बात कर रही थी.वो मुझको देखते ही वो कमरे के बाहर चली गई और तब मैंने मम्मी से पूछा- आपने बताया ही नहीं कि इतनी सारी फ़ौज आने वाली है रिश्तेदारों की?मम्मी जी बोली- कोई बात नहीं सतीश, कुछ दिनों की ही तो बात है, एडजस्ट कर लो बेटा. मैंने तुम्हारा कमरा छेड़ा नहीं, तुम उसी में ही रहोगे, और तुम्हारे साथ वो इलाहाबाद वाली जूही भाभी और उसकी ननद रहेगी. तुमने अच्छा किया जो निम्मो को भी साथ ले आये, उसकी बड़ी मदद हो जाएगी घर के काम काज में!मैं बोला- ठीक है मम्मी जी, जैसा आप ठीक समझो.
मैं अपने कमरे में आ गया और वहाँ भाभी के साथ एक और 18-19 साल की लड़की भी बैठी थी.भाभी ने उसके साथ परिचय कराया और कहा- यह मेरी ननद है रिया, अलाहबाद के कॉलेज में फर्स्ट ईयर आर्ट्स की छात्रा है तुम्हारी तरह!देखने में काफी अच्छी लगी वो और मैंने उसको अपने ख़ास अंदाज़ से देखा तो वो अच्छे मोटे मुम्मों और उभरे हुए चूतड़ों की मालिक नज़र आई.मेरी और रिया की पटरी अच्छी बैठ गई और हम दोनों एक दूसरे से जल्दी ही घुलमिल गए.

 
उधर भाभी भी बार बार अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा कर मेरा ध्यान अपनी और आकर्षित करने की कोशिश कर रही थी.फिर हम तीनों उठ कर बैठक में आ गए और बाकी मेहमानों का इंतज़ार करने लगे.
थोड़ी देर में बाकी के जवान लड़कियाँ और दो लड़के वहाँ आ गए और मुझसे बड़े ही प्रेम पूर्वक मिले, सबसे परिचय हुआ.
लड़कियाँ कुछ तो सुंदर थी और स्मार्ट दिख रही थी और कुछ एवरेज शक्ल सूरत वाली थी.सुन्दर लड़कियों ने पूरी कोशिश की वो मेरे ही निकट आकर बैठें लेकिन उनमें कुछ को ही सफलता मिली.अब मैं उनके रहने और दूसरे कामों के बारे में पूरी रुचि ले रहा था और उनको वहाँ घूमने के स्थानों के बारे में बता रहा था.
फिर हम सबने बैठक में बैठ कर खाना खाया, खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था.मेरे पूछने पर नैना ने बताया कि एक नई बावर्चिन आई है जो बहुत ही अच्छा खाना बनाती है और कई और काम भी करती है.यह बताते हुए नैना कुछ मुस्कराई थी, मैं समझ गया कि मेरे मतलब की है वो!
रात को खाना खाकर हम सब अपने अपने कमरों में सोने के लिए आ गए, कुछ देर गपशप चलती रही और जब सोने का टाइम हुआ तो मैंने भाभी से कहा- मैं फर्श पर एक गद्दा बिछवा लेता हूँ, मैं वहाँ सो जाऊँगा और आप दोनों पलंग पर सो जाना.जूही भाभी बोली- नहीं नहीं, तुम क्यों नीचे सोओगे, हम तीनो पलंग पर ही सो जाते हैं. इतना बड़ा तो पलंग है इसमें तो दो जने और सो जाएँ तो भी जगह बचती है. सतीश तुम एक साइड में सो जाओ और रिया दूसरी साइड में सो जायेगी और मैं तुम दोनों के बीच में… क्यों ठीक है ना रिया और सतीश?रिया बोली- आज रात तो ऐसे सो कर देखते हैं और अगर कष्ट हुआ तो कल रात देख लेंगे, क्यों ठीक है ना सतीश?मैं बोला- जैसा आप दोनों को ठीक लगे, वैसा ही कर लेते हैं.फिर हम सबने गुड नाईट की और सो गए.
तकरीबन एक घंटे के बाद मुझको महसूस हुआ कि कोई हाथ मेरे पयज़ामे के ऊपर से मेरे लौड़े को छेड़ रहा है और मेरा लौड़ा भी बेलगाम घोड़े की तरह खड़ा होना शुरू हो गया.पहले तो मैंने सोचा कि शायद भाभी का हाथ गलती से मेरे लौड़े के ऊपर पड़ रहा है लेकिन जब मैं दम साध कर लेटा रहा तो वो हाथ वाक़यी में मेरे अब खड़े लौड़े के साथ खेल रहा था यानि मुट्ठी मारने की प्रक्रिया कर रहा था और वो भी मेरे पायज़ामे के ऊपर से.लेकिन मैं भी चुपचाप आँखें बंद करके लेटा रहा, इंतज़ार करता रहा कि देखो आगे क्या होता है..
अब भाभी ने धीरे से मेरे पज़ामे को थोड़ा नीचे खिसका दिया और लंड लाल को बाहर निकाल लिया.अब मैं भी अपने को रोक नहीं सका और आँखें बंद किये ही मैंने अपना हाथ भाभी की नाइटी के ऊपर उनके मुम्मों पर रख दिया.यह देख कर भाभी थोड़ी झिझकी लेकिन उन्होंने फिर लंड की मुट्ठी मारनी शुरू कर दी और अब उन्होंने मेरी तरफ करवट ले ली और मेरे पज़ामे को उन्हों ने मेरी कमर के नीचे खिसका दिया और मेरे लंड को हाथ में लेकर उसको नापने लगी.
इधर मैं भी भाभी के मुम्मों को अब दबाने लगा और धीरे धीरे दूसरा हाथ उसकी चूत की तरफ ले गया.मैंने उनकी नाइटी को अब काफी ऊपर उठा लिया और दूसरे हाथ को उनकी जांघों पर फेरते हुए उनकी चूत के पास ले जाने लगा.
अब भाभी ने अपना मुंह थोड़ा उठाया और मेरे गालों को और मेरे होटों को हल्के हल्के चूमना शुरू कर दिया.जब उनके होंट दूसरी बार मेरे होटों पर लगे तो मैंने भी उनके लबों को अपने होटों में दबा लिया.मेरा एक हाथ अब भी उनके मुम्मों को नाइटी के बाहर से मसल रहा था दूसरा अब भाभी की चूत के बाहर खड़ा था और जब बालों से भरी चूत में ऊँगली डाली तो उसको एकदम गीला पाया.
मैं समझ गया कि भाभी सेक्स की भूखी है और इस वक्त वो अन्तर्वासना, काम अग्नि में जल रही हैं, मैंने भी भाभी की भग को मसलना शुरू कर दिया.भाभी ने मेरा लंड छोड़ दिया और वही अपना हाथ मेरे उंगली मार हाथ पर रख दिया और उसको और भी तेज़ी से ऊँगली चलाने के लिए प्रेरित करने लगी.
अब मैंने अपना सर उठाया और भाभी के कान के पास जाकर बहुत ही धीरे से कहा- भाभी, आप अपना मुंह दूसरी तरफ कर लो तो मैं पीछे से तुम्हारे अंदर लंड डाल दूँ?जूही भाभी ने धीरे से कहा- ठीक है, लेकिन ज़्यादा ज़ोर से नहीं, रिया कहीं जाग ना जाये.
भाभी ने अपना सर दूसरी तरफ कर दिया और अपने चूतड़ बिल्कुल मेरे लंड के सामने ले आई.मैंने उसकी नाइटी को अब उसके चूतड़ों के ऊपर कर दिया और उसकी चूत का निशाना पीछे से लगा दिया.मैंने धीरे से लंड को भाभी की फूली हुए चूत के मुंह पर रख कर एक हल्का धक्का मारा और वो तकरीबन आधे से ज़्यादा अंदर चला गया.

 
लोहे जैसी गरम सलाख वाला लंड जब अंदर गया तो भाभी थोड़ी से कसमसाई लेकिन फिर संयत हो गई और मेरे मोटे और लम्बे लंड का मज़ा लेने लगी.मैं भी धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर कर रहा था ताकि बिना ज़रा सा शोर किये मैं भाभी को मज़े से चोद सकूँ.लंड के अंदर बाहर होने के साथ ही मेरे हाथ उसके एकदम मुलायम नितम्बों को बार बार छू कर आनन्द ले रहे थे.भाभी की चूत काफी टाइट थी और उसकी पकड़ भी काफी गज़ब की थी.
कोई दस मिन्ट की चुदाई में ही भाभी का शरीर एकदम अकड़ गया और फिर ढीला पड़ गया.अब वो उठी बाथरूम जाने के लिए तो मैं भी उठ कर उसके पीछे हो लिया और दोनों ही हम बाथरूम में साथ ही पहुँचे.
भाभी बोली- सतीश, तुम बाहर जाओ न, मुझको थोड़ा करना है.मैं बोला- जूही भाभी, अब मुझसे क्या शर्माना, कर लो जो आपको करना है!भाभी थोड़ी हिचकी लेकिन अभी भी मेरे खड़े लौड़े को देख कर उनके सारे ऐतराज़ काफूर हो गए.
भाभी पॉट पर बैठ कर पेशाब करने लगी और मैं ने भी अपना खड़ा लौड़ा पयज़ामे से निकाला और सामने ही बैठ कर अपनी धार को छोड़ दिया.वैसे मैंने यह पहली बार देखा था कि औरतें कैसे पेशाब करती है तो यह रोमांचक दृश्य देख कर मेरा लौड़ा और भी सख्ती के आलम में आ गया और मेरे पेशाब की धार दूर तक जाकर भाभी के
यह दृश्य भाभी को बड़ा ही रोमांचक लगा और वो आँखें फाड़ कर यह सब देख रही थी.जब हम इस क्रिया से निवृत हुए तो भाभी उठ कर अपनी नाइटी नीचे करने लगी थी लेकिन मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और एक कामातुर चुम्मी लबों पर दे दी.फिर मैंने भाभी को बाथरूम की दीवार पकड़ कर खड़ा कर दिया और उनकी गांड को ऊँचा करके और स्वयं थोड़ा झुक कर अपने लंड को उसकी उभरी चूत में पीछे से डाल दिया.
भाभी मुड़ मुड़ कर देख रही थी कि मैं क्या कर रहा हूँ और जब मेरा लोहखंड उसकी चूत पर टिका कर मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा तो भाभी को तसल्ली हुई कि मैं उनकी गांड नहीं बल्कि चूत मार रहा हूँ.
भाभी के मुम्मों को अपने हाथों में लेकर धकों की स्पीड धीमे धीमे बढ़ानी शुरू की तो भाभी को अति आनन्द आने लगा क्यूंकि अब वो अपने चूतड़ों को आगे पीछे करके पूरी तरह से जवाब देने लगी.
जैसा कि मुझको उम्मीद थी, भाभी सेक्स की इतनी प्यासी थी कि वो 10 मिन्ट भी धक्कों को नहीं बर्दाश्त कर सकी और जल्दी ही तेज़ी से कांपती हुई फिर झड़ गई.
अब उन्होंने अपने आप को सीधा किया और मेरे मुंह से मुंह जोड़ कर मुझ से बेतहाशा लिपट गई और मुझ को बारम्बार चूम्मियाँ देने लगी.कुछ समय बाद हमको समय का बोध हुआ और हम जल्दी से बाहर निकले.पहले भाभी निकली और उसके कुछ समय बाद मैं निकला.भाभी जाकर अपनी साइड में लेट गई और उसकी एक तरफ मैं लेट गया.
और तभी रिया उठ कर बैठ गई और आँखें मलते हुए बोली- कहाँ गए थे आप दोनों?चौंक कर बोली- कहीं नहीं रिया, बस बाथरूम गई थी मैं!
रिया बोली- सतीश को साथ लेकर जाना पड़ा, क्या डर लग रहा था भाभी?मैं और भाभी एकदम सकते में आ गए.अब रिया बोली- मैं सब जानती हूँ आप दोनों क्या कर रहे थे? मेरा हिस्सा कहाँ है?

कहानी जारी रहेगी.

 
रिया और जूही भाभी की चूत चुदाई

मैं और भाभी एकदम सकते में आ गए.अब रिया बोली- मैं सब जानती हूँ आप दोनों क्या कर रहे थे? मेरा हिस्सा कहाँ है?भाभी बोली- कौन से हिस्से की बात कर रही हो रिया रानी?रिया अपनी आँखें मटकाती हुई बोली- वही आप दोनों ने अभी अभी जिसका आनन्द लिया है?भाभी पूरी घाघ थी सो बोली- हमने किसका आनन्द लिया है बहना?रिया मुस्कराते हुए बोली- लंड और चूत के खेल का और किस का?भाभी बोली- अरे नहीं न रे, वो खेल कौन खेल सकता है मेरे साथ?
रिया थोड़ी गुस्से में बोली- भाभीम तुम टालो नहीं… अभी अभी सतीश के साथ तुमुने चूत चुदाई का खेल खेला है. मैं सब सुन रही थी और देख भी रही थी! इतनी चुदाई तो भैया भी नहीं करते हैं तुम्हारी, जितनी सतीश ने आज तुम्हारी कर दी एक घंटे में!
अब भाभी का रंग एकदम पीला पड़ गया और वो मेरी तरफ देखने लगी और चुपचाप मेरे से उसकी मदद करने की अपील आँखों ही आँखों में करने लगी.
मैं रिया से बोला- तुमको क्या चाहिए यह बताओ रिया? इधर उधर की बातें मत करो और ना ही भाभी को ब्लैकमेल करने की कोशिश करो, समझी? अब बोलो साफ़ साफ़ कि तुमको क्या चाहिए?रिया बोली- सतीश, मुझको भी चूत चुदाई का खेल खेलना है तुम्हारे साथ अभी!मैं बोला- ठीक है, लेकिन आज के बाद तुम भाभी को ब्लैकमेल नहीं करोगी?रिया बोली- कभी नहीं करूँगी, गॉड प्रॉमिस.

मैं बोला- रिया, तुमने पहले कभी चूत चुदाई का खेल खेला है किसी के साथ?रिया थोड़ी सकपकाई लेकिन फिर हिम्मत कर के बोली- हाँ सतीश, खेला है एक दो बार!मैं बोला- अच्छा, तुम चूत चुदाई के सब तरीके जानती हो क्या?रिया बोली- नहीं, सारे तरीके तो नहीं जानती, एक दो से ही खेल खेला है न, तो वही जानती हूँ.
मैं बोला- खेल खेलते हुए कभी तुम्हारा पानी छूटा है?रिया बोली- कौन सा पानी छूटता है सतीश यार? मेरा तो कभी कुछ नहीं छूटा?मैं बोला- मैं जानता था कि तुमको चुदाई का ज़्यादा कुछ मालूम नहीं है और जब भी तुमने किया है यह काम, वो किसी नौसिखिये लौंडे के साथ… क्यों ठीक है रिया?रिया सर झुका कर बोली- हाँ, वो नौसिखिया ही था साला, उसको तो यह भी नहीं पता था कि कौन से छेद में डालना है.
मैं और भाभी बड़े ज़ोर से हंसने लगे और जल्दी ही मैं बोला- देखो रिया, तुम अभी पूरी तरह से पक्की कली नहीं बनी हो!रिया बोली- वही तो बनने आई हूँ यहाँ और वो भी सतीश राजा से!मैं घबरा कर बोला- मेरे से पकी कली बनने आई हो? क्या मतलब?रिया हँसते हुए बोली- मुझको सब मालूम है तुम्हारे बारे में! तुमने अभी तक कई पक्की कलियाँ बनाई हैं.
अब हैरान होने की मेरी बारी थी- तुमको क्या मालूम है? बताओ तो सही?रिया बोली- मैंने तुमको सुबह भांप लिया था कि तुम बड़े पहुंचे हुए हो, तभी मैंने अपना डेरा तुम्हारे कमरे में लगवाने का फैसला किया था.अब मैं बड़े ज़ोर से हंसा और बोला- वाह रिया रानी, बड़ी अच्छी बनाई है तुमने यह कहानी. जिसमें न कोई दम है और न ही कोई खम है!
अब भाभी बोली- सतीश, तुम बुरा नहीं मनाना, यह तो ऐसे ही गप्पें हाँक रही है, इसको किछु नहीं मालूम.अब मैं बोला- देखो रिया, प्यार से मैं सब कुछ कर सकता हूँ और धमकी से मैं कुछ भी नहीं करता! और वैसे भी हम दो हैं और तुम अकेली हो हमारे खिलाफ बोलने वाली, सो कौन विश्वास करेगा तुम पर जानी?
लगता था कि रिया के दिमाग में यह बात बैठ गई कि मैं धमकियों से नहीं डरने वाला तो अब वो काफी नरम पड़ गई और हाथ जोड़ कर मेरे सामने झुक कर माफ़ी मांगने लगी.मैंने भाभी की तरफ देखा और उन्होंने आँखों के इशारे से कह दिया कि माफ़ कर दो इसको!मैंने भी यह उचित समझा और रिया से कहा- अब बताओ तुम मेरे से क्या चाहती हो? सच्ची बताना!
रिया तब गिड़गड़ाते हुए बोली- भाभी के साथ जो खेल तुमने खेला था, वही मेरे साथ भी खेल दो सतीश.मैं थोड़ा सोचने का नाटक करते हुए बोला- ठीक है, जाओ पहले कमरे का दरवाज़ा अच्छी तरह से बंद करके आ जाओ ताकि कोई अंदर ना आ सके.
जब रिया दरवाज़ा बंद कर के आ गई तो मैं बोला- चलो पहले तुम अपने कपड़े उतारो और फिर भाभी के! ठीक है?रिया जल्दी से अपनी नाइटी उतारने लगी और जब वो बिल्कुल नंगी हो गई तो मैंने भाभी की तरफ इशारा किया और रिया तब उनके कपड़े भी उतारने लगी.
अब दोनों पूरी तरह से निर्वस्त्र थी और कमरे में लगे नाईट बल्ब की मद्धम रोशनी में भाभी बड़ी सेक्सी लग रही थी क्यूंकि उनके मुम्मे नैना की तरह मोटे, गोल और सॉलिड थे और उनके नितम्ब भी काफी रसीले थे, खूब मोटे, उभरे हुए और मुलायम दिख रहे थे और उनकी चूत पर छाई काले बालों की घटा बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

 
उधर रिया भी बहुत सेक्सी लग रही थी और वो उम्र में भाभी से चार पांच साल छोटी लग रही थी. उसके मुम्मे अच्छे बड़े थे लेकिन वो भाभी का मुकाबला नहीं कर सकते थे. और उसके चूतड़ों को भी अच्छा कहा जा सकता था लेकिन वो भाभी के चूतड़ों से काफी छोटे थे और उनको पूरी तरह से भरे हुए नहीं कहा जा सकता था.
मैंने भाभी की तरफ देखा तो उन्होंने भी आँखों में ही रिया को पहले चोदने के लिए प्रार्थना की.अब मैंने रिया को अपनी बाहों में कर कर जकड़ लिया और उसके होटों पर एक गर्म और गीली चुम्मी जड़ दी और उसके चूतड़ों पर हाथ रख कर मैं अपना लौड़ा उसकी चूत के बाहर से रगड़ने लगा.रिया को मेरा ऐसा करने से काफी आनन्द आने लगा था और वो अपनी चूत को और खोल खोल कर मेरे लंड पर रगड़ने लगी.
रिया अब काफ़ी गर्म हो चुकी थी और वो चाहती थी कि मैं उसको चोदना आरम्भ करूँ लेकिन मैं अभी उसको सजा देने के मूड में था, मैं उसको और गर्म करने में लगा हुआ था लेकिन रिया बार बार मेरे लंड को खींच रही थी, वो चाहती थी कि मैं फ़ौरन उस पर सांड की तरह चढ़ जाऊँ लेकिन मैं उसको अभी और तरसाना चाहता था.
अब मैं रिया की भग को घिसने लगा, पहले धीरे धीरे और फिर थोड़ी तेज़ी से !और रिया अब अपनी टांगों को बंद और खोल रही थी और भग घिसाई बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी.
अब मैंने उसको अपनी बाहों में उठा कर उसकी टांगों को अपनी चारों तरफ कस लिया और अपने लंड को एक धक्के में उसकी चूत में डाल दिया.मोटी गर्म सलाख को चूत में महसूस करके रिया तड़फ रही थी लेकिन क्यूंकि उसकी चूत मेरी कमर में कैद थी सो वो हिल भी नहीं सकती थी और मैं गरम सलाख को लेकर सारा कमरा घूम रहा था.रिया मेरे लंड के ऊपर नीचे होना चाहती थी लेकिन वो मेरे हाथों और कमर की कैद में थी तो वो कुछ नहीं कर सकती थी.
उधर भाभी अपनी एक ऊँगली से अपनी चूत में भग को मसल रही थी और दूसरी से मुझ को इशारे कर रही थी कि मैं रिया को जल्दी चोद कर भाभी के साथ लग जाऊँ.
अब मैंने रिया को पलंग पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. रिया अपने सर को आनन्द में इधर उधर हिला रही थी और थोड़ी देर में ही मैंने महसूस किया कि वो छूटने वाली है क्यूंकि उसकी चूत में हलचल शुरू हो गई थी, वो जल्दी जल्दी सुकड़ना शुरू हो गई थी और फिर एक ज़ोरदार धक्के के बाद रिया के शरीर में ज़ोरदार कंपकपाहट शुरू हो गई और तब उसने मुझको अपनी टांगों के बीच में कैद कर लिया.
जब रिया पूरी तरह से स्खलित हो गई तो उसने मुझको अपनी कैद से आज़ाद कर दिया और खुद निढाल हो कर पड़ गई.
मैं रिया को छोड़ कर उठा और भाभी को अपनी बाहों में जकड़ लिया और उनके होटों पर गरमा गरम चुम्मी जड़ दी.भाभी मेरी और रिया की चुदाई देख कर काफी गर्म हो चुकी थी वो अब ठीक तरह से चुदने के लिए तड़प रही थी.मैंने भाभी को घोड़ी बना दिया और पीछे से उनकी पूरी गीली चूत में अपना गीला लंड घुसेड़ दिया. एक झटके से वो पूरा का पूरा अंदर डाल दिया और उनको बेतहाशा स्पीड से चोदने लगा.
मेरी स्पीड के आगे जूही भाभी ज़्यादा देर टिक नहीं सकी और वो भी शीघ्र ही स्खलित हो गई.अब दोनों इलाहबादी अमरूदों को वहीं छोड़ कर मैं पलंग के एक कोने में सो गया और सुबह जब नींद खुली तो वो दोनों घोड़े बेच कर सोई थी और मुझको ही उठ कर दरवाज़ा खोलना पड़ा.
सामने नैना चाय की ट्रे लिए खड़ी थी और कमरे में एक नज़र डालते ही वो समझ गई कि रात को क्या हुआ होगा.
नैना कमरे के अंदर आ गई और मैं फ़ौरन बाथरूम में घुस कर अपना कुरता पयजामा पहन कर निकल आया और आते ही नैना को एक कस के जफ्फी मार ली.
नैना ने हँसते हुए कहा- कर दिया इन दोनों का कल्याण छोटे मालिक?मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए कहा- नैना रानी, तुम मेरा स्वभाव तो जानती हो, मैं किसी को भी इंकार नहीं कर सकता. अब इनको जगा दो और कपड़े पहना दो नहीं तो पकड़ी जाएँगी ये दोनों.
नैना ने हँसते हुए पहले भाभी को जगाया और फिर रिया को उठा दिया और दोनों नैना को देख कर खूब शर्मा गई और भाग कर दोनों बाथरूम में चली गई.मैं गर्म गर्म चाय पीते हुए उन दोनों की परेशानी का लुत्फ़ उठा रहा था.
नैना बोली- छोटे मालिक, अब बाकी लड़कियों से नहीं मिले क्या?मैं बोला- मिला तो था बैठक में दिन को खाने के समय! क्यों कोई ख़ास बात है?
नैना हँसते हुए बोली- जो आपके साथ रात में हुआ, वो तो ट्रेलर था, असली फिल्म तो बाकी है.मैं हैरान होकर बोला- यह तुम कैसे कह सकती हो?नैना बोली- मैंने यहाँ आकर बहुत बातें सुनी हैं इनके बारे में, इसी लिए कहती हूँ कि बच कर रहिये!मैं बोला- वाह री नैना, तेरे कुर्बान जाऊँ, लेकिन ऐसा करो ना, तुम वो सारा चुदाई प्रोग्राम कॉटेज में रखा करो ताकि यहाँ किसी को पता नहीं चले. एक या फिर दो के ग्रुप में आने दो सबको, मैं देख लूँगा.
नैना मुस्करा रही थी.वो दोनों बाथरूम से निकली और चुपचाप चाय पीने लगी.जाते हुए नैना बोली- छोटे मालिक, आपको नाश्ते में वो स्पेशल डाइट बना दूंगी क्योंकि आपको शायद जल्दी ही उसकी ज़रूरत पड़े.

कहानी जारी रहेगी.

 
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