XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 19 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

मैं हाथ से मैडम की भग को भी सहला रहा था और मेरे हाथ कभी मैडम के मोटे मुम्मों को और उनकी चूचियों को भी सहला रहे थे.लंड की हल्की स्पीड को जारी रखते हुए मैं अब पूरा लंड अंदर डाल कर उसको अंदर ही अंदर ही घुमा रहा था जिससे मुझको गर्भाशय के मुंह को ढूंढने में आसानी रहे.
अब नैना ने मुझको इशारा किया कि चुदाई की स्पीड तेज़ करूँ तो मैंने हाथों से मैडम के चूतड़ों को थपकी देनी शुरू कर दी और साथ ही धक्कों की स्पीड भी तेज़ कर दी और इसका मैडम की चूत ने सहर्ष स्वागत किया और वो भी वापसी धक्कों का जवाब देने लगी.
मेरे लंड को अब मैडम की चूत में एक ख़ास हलचल महसूस हुई जिसके कारण मैं समझ गया कि मैडम छूटने के कगार पर हैं और मैंने अब फुल स्पीड पर धक्के मारने शुरू कर दिए.
लंड की तेज़ स्पीड मैडम की चूत बर्दाश्त नहीं कर सकी और जल्दी ही उसने हथियार डाल दिए और एक ज़ोर की कंपकंपी मैडम के सारे शरीर में हुई और वो नीचे लेटने के लिए जैसे ही झुकी मैंने उसके चूतड़ों को अपने हाथों में ले लिया और उसको वैसे ही घोड़ी बने रहने का इशारा किया.
अब मैंने अंधाधुंध स्पीड से मैडम को चोदना शुरू किया ताकि उनकी चूत में मेरा भी छूट जाए और मेरा वीर्य उनके गर्भाशय के अंदर या फिर उसके मुंह पर छूटे.इंजन स्पीड से मेरी चुदाई के कारण मैं जल्दी ही मैडम को दुबारा छुटाने के लिए प्रेरित करने लगा और फिर थोड़ी देर में हम दोनों का एक साथ स्खलन हुआ और नैना ने झट से मैडम की चूत के नीचे मोटे तकिये लगा दिए और उनके चूतड़ों को भी मैंने कस कर पकड़ लिया ताकि वो नीचे लेट ना सकें.
यह सारा खेल नैना का ही बनाया हुआ था और वो ही जानती थी कि इसका कितना लाभ था गर्भ धारण करने में!नैना के इशारे से मैंने अपना लंड मैडम की चूत से निकाला और नीचे फर्श पर आ गया.
मेरा लंड अभी भी हवा में लहलहा रहा था मैं चुपके से नैना के पीछे खड़ा होकर उसकी गांड में अपना लंड डालने की कोशिश करने लगा लेकिन वो तो साड़ी पहने थी तो वो उसकी साड़ी के बाहर से गांड को रगड़ा मारने लगा.थोड़ी देर बाद नैना ने मैडम को उठने दिया और उनकी चूत पर तौलिया रख दिया ताकि वीर्य बाहर ना निकले और अब उनको पलंग पर सीधा लिटा दिया.
कुछ समय बाद हम सब कपड़े पहन कर बैठक में आकर बैठ गए और नैना ने पहले मैडम को बादाम वाला खास दूध पिलाया और मुझ को कोकाकोला दिया और स्वयं भी वह पीने लगी.
कुछ देर बाद नैना ने मैडम को कहा- आज आप अपने हस्बैंड से भी सेक्स कर लेना ताकि उनको यह शक न रहे कि यह बच्चा किसी और का है. कर पाएँगी उनसे सेक्स?मैडम थोड़ा मुंह बना कर बोली- उनको सेक्स के लिए तैयार करना थोड़ा मुश्किल है क्यूंकि उनका सेक्स का मन ही नहीं करता यही तो प्रॉब्लम है!नैना बोली- मैं आपको एक तरीका बताती हूँ जिसके बाद वो स्वयं ही आपके पीछे सेक्स के लिए भागेंगे.
नैना के इशारे पर मैं वहाँ से उठ गया और नैना उनको कुछ खुसर फुसर में समझाती रही और उनको दो दिन के बाद आने का भी याद कराया.थोड़ी देर बाद मैडम मुझको और नैना को थैंक्स कर के अपनी कार में वापस चल पड़ी.

कहानी जारी रहेगी.

 
नैना पारो की चूत चुदाई गार्डन में

थोड़ी देर बाद मैडम मुझको और नैना को थैंक्स करके अपनी कार में वापस चल पड़ी.जब मैडम को छोड़ कर हम दोनों वापस आ रहे थे तो मुझको पारो मिल गई और कहने लगी- वाह छोटे मालिक, आप तो मुझको भूल ही गए?मैंने उसको खींच कर अपनी बाँहों में भर लिया और कहा- पारो, तुमने कैसे सोच लिया कि मैं तुमको भूल गया हूँ? शेर अपना शिकार कभी नहीं भूलता, आज मैं तुम दोनों का शिकार रात को करूँगा, तैयार रहना.
वो दोनों जाने लगी तो मुझ को याद आया कि इन दोनों के लिए पूनम कुछ उपहार खरीद कर लाई थी और वो मेरे ही सूटकेस में पड़े थे, मैं उन दोनों के चूतड़ों को हाथ से मसलता हुआ उनको अपने कमरे में ले आया और नैना से कहा- वेरी सॉरी, मैं भूल गया था कि पूनम तुम दोनों के लिए कुछ चीज़ें आगरा से खरीद कर लाई थी, तुम दोनों निकाल लो अपने अपने तोहफे जो पूनम ने पसंद किये थे तुम दोनों के लिए!
वो एकदम से मेरे सूटकेस पर टूट पड़ी और एक क्षण में ही उसको खाली करके अपने तोहफे निकाल लिए जिनमें कई तरह की चूड़ियाँ और भी कई चीज़ें देख कर दोनों ख़ुशी से पागल हो गई, दोनों ही उठ कर आई और मुझको एक टाइट जफ्फी मार दी.मैंने भी दोनों को चूमा और साथ ही उनकी चूत के ऊपर हाथ से सहला दिया.मैंने नैना और पारो को कहा- आज रात तुम दोनों मुझको चोदोगी और मुझको आज तुम दोनों की गांड भी लेनी है. क्यों दोगी ना?दोनों एक साथ बोली- छोटे मालिक, आपके लिए तो जान भी हाज़िर है यह ससुरी चूत या गांड क्या चीज़ है? आप हुक्म करो तो सही सब हाज़िर कर देंगी हम तो!
मैं थोड़ा थक गया था, थोड़ी देर के लिए सो गया.
रात को पारो ने बहुत ही उम्दा खाना बनाया और हम तीनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया.दिल्ली और आगरा में खाना तो होटलों का था, उसमें घर सा आनन्द कहाँ.

फिर मैं और नैना अपने गार्डन की सैर करने लगे और खिली चांदनी में हम दोनों बहुत ही रोमांटिक हो गए थे. लखन सिंह चौकीदार भी मेन गेट बंद कर के सोने चला गया था और हम अति सुंदर फूलों से भरे गार्डन में प्रकृति की खुशबू का आनन्द ले रहे थे.चलते चलते हम दोनों के हाथ और दूसरे अंग एक दूसरे से टकरा रहे थे.
मैंने अपना बांयाँ हाथ नैना की कमर में डाल रखा था और उसको धीरे से नैना के नितम्बों पर फेरने लगा और फिर वहाँ से खिसकते हुए उसकी चूत पर पीछे से सहलाने लगा.मैंने नैना को सीधा किया और अपने जलते हुए होंट नैना के मधुर और एकदम से नरम होटों पर रख दिए और हम दोनों एक मधुर चुम्बन करने लगे.
मेरी चौड़ी छाती अब नैना के गोल गदाज़ मुम्मों को पूरी तरह से दबा कर उसके साथ चिपकी हुई थी.मैं नैना को लेकर कोई अँधेरा कोना ढूंढने लगा जहाँ ना तो चाँद की रोशनी और ना ही बिजली की चमक पहुँच सकती हो. फिर एक जगह दिखाई दी जहाँ बिल्कुल अँधेरा था और वो पेड़ पौधों से ढकी हुई थी.
मैंने नैना से कहा- याद है वो जगह जहाँ हमने खुले आम चुदाई की थी?नैना बोली- वही ना जो नदी किनारे थी और जहाँ मैं आपको लेकर गई थी गाँव की औरतों को नंगी नहाते हुए देखने के लिए?मैं बोला- वही तो, लेकिन तुमको शायद याद नहीं, वहाँ हमने क्या किया था?नैना बोली- बिल्कुल याद है, वहाँ ही तो मैंने पहली बार खुले आम चुदाई की थी आपके संग!मैं बोला- तो फिर उस याद को ताज़ा करने के लिए उसको दोहराते हैं हम दोनों यहाँ.नैना घबरा के बोली- खुले आम सबके सामने? सारे लोग देख लेंगे छोटे मालिक.मैं बोला- अरे पगली, क्या तुझको मेरा चेहरा दिख रहा है साफ़ साफ़? नहीं न तो कोई कैसे देख सकता है हमको? चल शुरू हो जा मेरी रानी, उतार साड़ी शुरू करें कहानी पुरानी.
मैंने उसको अपनी छाती के साथ लगा कर उसकी धोती को उतारना शुरू किया और वो भी हँसते हुए मेरे इस खेल में शामिल हो गई.उसने खुद ही अपनी साड़ी उतार दी और ब्लाउज के बटन खोलने लगी, मैंने भी अपना कुरता और पायजामा उतार दिया.
जब हम दोनों नंगे हो गए तो आनन्द से हमने एक दूसरे को जफ्फी डाली और हॉट चुम्मी दी एक दूसरे को!नैना मेरे लंड से खेलने लगी और मैंने भी उसके मुम्मों को दबाना और चूसना शुरू किया.मैं उसकी चूत को चूसने के लिए नीचे बैठा ही था कि मुझको एक छाया सी वहाँ आती दिखी और मैं चौंक कर उठ बैठा.हम दोनों दम साधे चुपचाप वहाँ बैठ गए.

 
तब वो छाया चलते हुए हमारे और पास आई तो हम झाड़ियों के पीछे छुप गए और देखने लगे कि कौन है वो!छाया इधर उधर देखने लगी.तब नैना फुसफुसा कर बोली- अरे, यह तो पारो ही है.मैं बोला- चुप रहो, हम भी इसको ज़रा मज़ा चखाते हैं.
मैं और नैना चुपके से पारो के पीछे हो गए और जैसे ही वो मुड़ी, हम दोनों ने उसको धर दबोचा. नैना ने उसको पीछे से जकड़ लिया और मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और उसको खींचते हुए अँधेरे हिस्से की तरफ ले गए और फिर बगैर कुछ बोले मैंने उस की धोती उतार दी और फिर उसका पेटीकोट भी उतार कर परे फेंका.
अब वो हैरान हो गई थी और तब मेरा खड़ा लंड मैंने उसकी गांड पर रख कर एक धक्का मारा तो वो पूरा का पूरा अंदर चला गया.उधर नैना ने उसके मुंह पर हाथ रख कर उसको कुछ कहने से रोक दिया और मैं अब पूरी तरह से पारो को चोदने में जुट गया, ज़ोर ज़ोर से मैं पारो की गांड में धकापेली करने लगा.
वो कुछ देख ना सके, इसलिए नैना ने उसके मुंह पर अपना पेटीकोट डाला था और वो मुझको आँख से इशारा करने लगी ‘चोदो साली को!’मैं और भी जोश और खरोश से उसकी चुदाई में लग गया और उसकी चूत में हाथ डाल कर उसका गीलापन अपने लौड़े पर लगा कर और तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा.
मैं साथ ही साथ उसकी भग को भी मसल रहा था और वो बहुत जल्दी से एकदम गर्म हो गई और अपनी गांड को खुद ही आगे पीछे करने लगी.अब मैं उसकी भग के साथ उसके मुम्मों को भी दबा रहा था और नैना भी उसकी चूत को मुंह से चूसने की कोशिश कर रही थी.अब मैंने महसूस किया कि पारो की गांड अंदर से सिकुड़ने लगी है और उसका मुंह खुल रहा है और बंद हो रहा है तो मैंने धक्कों की स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी और पारो विवश होकर जल्दी ही झड़ गई.
अब मैंने उसको सीधा किया और उसके चेहरे से नैना का पेटीकोट उतार दिया और तब उसने मुझको देखा और फिर नैना को देखा और हम दोनों तो हंसी के मारे लोट पोट हो गए थे.तब मैंने कहा- हेलो पारो, गांड मराई का मज़ा आया क्या?
पारो हैरान थी कि यह क्या हो रहा है फिर उसको समझ आ गई कि मैंने और नैना ने उसको मूर्ख बनाया है.पारो भी हंसने लगी थी और बोली- वाह, तुम दोनों ने तो मेरा पासा ही पलट दिया. मैं तो आप दोनों को चुदाई करते पकड़ना चाहती थी लेकिन तुम दोनों मेरे से भी तेज़ निकले.मैं बोला- तुम हमको पकड़ना चाहती थी? कैसे?पारो बोली- मैंने तुम दोनों को गार्डन में जाते देख लिया था और मैं समझ गई थी कि तुम दोनों के मन में चोर है इसलिए मैं भी तुम दोनों के साथ शामिल होना चाहती थी, मैं भी तुम्हारे पीछे चल पड़ी और साथ में ये दो चादरें भी लेकर आई थी.
मैं और नैना हैरान रह गए क्यूंकि हमने गार्डन में चुदाई का पहले कोई प्रोग्राम नहीं बनाया था लेकिन पारो की जबरन गांड मार कर मैं कुछ पछता रहा था, मैंने पारो से माफ़ी भी मांगी इस गलती के लिए लेकिन पारो बोली- रहने दो छोटे मालिक, मुझ को तो गांड मरवाई में बहुत ही मज़ा आया था और ऐसा आनन्द मैंने पहले कभी लिया ही नहीं.
अब नैना और मैं दोनों हंस पड़े तब पारो ने दोनों चादरें घास पर बिछा दी और खुद नंगी ही लेट गई और हम दोनों को भी इशारा किया कि ‘आ जाओ, लेट जाओ… यहाँ ठंडी ठंडी हवा चल रही है.’हम दोनों भी हंस पड़े और वहाँ बैठ गए और पारो को एक कस कर जफ्फी मार दी.
मैंने पारो से पूछा- हमको किसी और ने यहाँ आते तो नहीं देखा जैसे लखन लाल का परिवार या फिर और कोई?पारो बोली- नहीं छोटे मालिक, यह जगह तो बिल्कुल अँधेरे में है और बाहर का गेट तो लॉक है. और लखन लाल खुद तो पीकर सो गया होगा क्यूंकि उसके बीवी बच्चे तो अपनी नानी के घर गए हैं.

 
पारो अब मेरे खड़े लंड से खेल रही थी और साथ में अपनी गांड में भी हाथ लगा रही थी क्यूंकि उसकी गांड मारने में शायद उसकी सूखी गांड में थोड़ी बहुत चोट लग गई थी.मैं दोनों औरतों के बीच ही नंगा लेट गया और नैना की चूत में हाथ लगाया तो वो एकदम गीली थी. मैंने एक गर्म चुम्मी उसके लबों पर की और उसके मोटे और सॉलिड मुम्मों को चूसा और फिर मैं उसकी टांगों को चौड़ा करके उनके बीच बैठ गया और अपने लंड को नैना की चूत में डाल दिया.
लंड को अंदर डाल कर मैं यूं ही लेटा रहा नैना के ऊपर और तब नैना ने खुद ही धक्के मारने शुरू कर दिए और मुझको नीचे आने का इशारा किया.मैं भी नैना के साथ ही उसके नीचे आ गया बगैर कनेक्शन तोड़े.
अब नैना मुझको ऊपर से पूरी ताकत के साथ चोदने लगी और पारो मेरे अंडकोष के साथ खेलने लगी, साथ ही उसकी ऊँगली नैना की गांड में गई हुई थी.थोड़ी देर में ही नैना हाय हाय… करती हुई झड़ गई और वो मेरे ऊपर से हट गई और उसकी जगह पारो मेरे ऊपर आ गई और अपने ख़ास अंदाज़ से मुझको चोदने लगी.
वो अपने दोनों घुटनों को नीचे मेरी दोनों तरफ रख कर सिर्फ अपनी चूत को मेरे लंड से जोड़ कर चुदाई की शौक़ीन थी.उसकी चुदाई भी बहुत धीरे धीरे से शुरू हुई और वो मुझ को बड़े प्रेम से चोदने लगी.उसके मोटे मुम्मे मेरे मुंह पर लटक रहे थे, मैं उनको चूसने में लग गया और उसकी चूचियों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने से पारो को बड़ा मज़ा आ रहा था और वो काफी जोश से मुझको चोद रही थी लेकिन जल्दी ही वो भी झड़ गई और मेरे ऊपर से उतर कर मेरी दूसरी तरफ लेट गई.
नैना भी मेरे लंड से खेलने लगी, मैंने थोड़ी देर बाद उससे पूछा- क्यों नैना डार्लिंग, अपनी गांड जबरदस्ती मरवानी है क्या? या फिर अपने आप दे रही हो मुझको?नैना मेरे लंड को हाथ से ऊपर नीचे कर रही थी सो वो थोड़ी देर बाद बोली- छोटे मालिक, जबरदस्ती क्यों करवाएँ, हम तो खुद ही तैयार हैं गांड मरवाने के लिए! लेकिन यहाँ तो क्रीम या वैसलीन तो है नहीं, कहीं मेरी गांड फट ना जाए?मैं बोला- पारो की गांड में से उसकी चूत में से निकल रहे रस को लगा कर मज़े से चोदा था. क्यों पारो?
पारो बोली- वो तो ठीक है लेकिन फिर भी मेरी गांड कहीं छिल गई है, मुझको मज़ा तो बहुत आया लेकिन थोड़ा दर्द भी हो रहा है.मैं बोला- ठीक है, कमरे में जाकर नैना की गांड मार लेते हैं क्यों नैना?नैना धीरे से बोली- जैसे आपकी मर्ज़ी.
मैंने कहा- चलो फिर अंदर चलते हैं, बाहर का आनन्द तो ले ही लिया है.मैं उठ कर नंगा ही जाने के लिए तैयार हो गया लेकिन नैना कहने लगी- क्या करते हो छोटे मालिक? नंगे ही चल पड़े हो, कोई देख लेगा! पहले कपड़े पहन लेते हैं.मैं बोला- इस अँधेरी रात में कौन देखेगा और कोई देखता हुआ नज़र आया तो हम तीनों दो चादरों को अपने ऊपर करके ढक लेंगे ना!
नैना और पारो मुस्कराई और हम तीनों नंगे ही कमरे की तरफ चल पड़े.मेरे दोनों हाथ नैना और पारो के नंगे चूतड़ों के ऊपर रखे हुए उनको मसल रहे थे और मैं मुड़ मुड़ कर नैना और पारो के उछलते हुए मम्मों को भी बार बार देख रहा था.अँधेरी रात थी, हमको किसी ने नहीं देखा और हम आलखन से अपने कमरे में आ गए.
मैं बोला- दिल में बहुत इच्छा थी कि कभी गार्डन में नंगा ही घूमें, वो आज पूरी हो गई, दो खूबसूरत औरतों के साथ नंगे घूम कर!पारो के दिमाग़ की दाद देनी पड़ेगी जिसने चादरों के बारे में सोचा.पारो और नैना अपनी कोठरी में जाने लगी लेकिन मैंने कहा- आज रात हम तीनों एक साथ सोयेंगे.
और फिर मैंने वो रात नैना और पारो की नज़र कर दी और पहले नैना की गांड मारी देसी घी लगा कर और फिर दोनों की बारी बारी से चूत की चुदाई की, दोनों को कम से कम 3-3 बार चोदा और फिर हम तीनों थक हार कर एक दूसरे की गले में बाँहों को डाल कर एक साथ ही सो गए.

कहानी जारी रहेगी.

 
चूत चुदाई कॉलेज की मैडम और छात्रा की

अगले दिन कॉलेज गया तो सबसे पहले मैंने ऑफिस में पूनम की छुट्टी की अर्ज़ी दे दी और फिर अपने क्लास में आकर बैठ गया.
लंच के टाइम नेहा मुझ को कॉरिडोर में मिल गई और कहने लगी- वो उषा मैडम तुम को याद कर रही थी, उनसे मिल लेना लंच में!मैंने कहा- ठीक है, मिल लूंगा.फिर उसने इधर उधर देख कर कहा- सतीश यार फिर कब मिल रहे हो?मैं बोला- जब तुम कहो मिल लेंगे. अकेली मिलना चाहती हो कि कोई साथ और भी है?नेहा बोली- मैं और वो जेनी तुम्हारी खासम ख़ास!मैं बोला- जेनी मेरी ख़ासम ख़ास कैसे हो गई? मेरे लिए तो तुम ही ख़ास हो और हमेशा रहोगी.
नेहा खुश होते हुए बोली- सतीश तुम ना सिर्फ ‘उस’ में ही माहिर नहीं हो, तुम तो माहिर हो हर चीज़ में, हर फील्ड में!मैं भी मज़ा लेते हुए बोला-अच्छा बताना कौन कौन सी फील्ड में माहिर हूँ?नेहा बोली- तुम हर चीज़ में माहिर हो और कई चीज़ों में तो शातिर हो, जैसे अभी तुमने मेरी तारीफ की पर तुम भी जानते हो यह पूरी तरह से सही नहीं है, तुम्हारी तो ख़ास है जेनी और पूनम हम तो बस यूँ ही हैं!मैं हँसते हुए बोला- हर एक्शन का एक रीज़न होता है हो सकता है पूनम और जेनी के बारे में भी मेरा कोई रीज़न होगा. जब मिलोगी आलखन से तो बताऊँगा. और सुनाओ सब ठीक है ना?नेहा बोली- हाँ सब ठीक है लेकिन तुम यह क्यों पूछ रहे हो?मैं बोला- मुझको बड़ा फ़िक्र रहती है कि तुम्हारी ऊपर और नीचे की चीज़ें ठीक हैं ना?

नेहा बड़े ज़ोर से हंस दी और कॉरिडोर में जा रहे कई छात्र मुड़ कर देखने लगे कि क्या माजरा है लेकिन मैं बड़ा ही गंभीर बना रहा और बोला- नेहा जी, इस मामले में कभी कभी ऊपर नीचे के शरीर के हिस्सों में प्रॉब्लम हो जाती है. वैसे आप रात को चेक कर लेना सब पार्ट्स ठीक तरह से फंक्शन कर रहे हैं न?नेहा अभी भी हंस रही थी और हँसते हुए ही बोली- ठीक है चेक कर लूंगी लेकिन आपको यह शक क्यों हो गया?मैं बहुत ही रोनी सूरत बना कर बोला- वो इस लिए कि यह मेरे साथ दुर्घटना हो चुकी है जब हम वापस लौट रहे थे.अब नेहा सीरियस हो गई और बोली- सच्ची कह रहे हो क्या? वैसे क्या हुआ था तुम्हारे साथ?
मैं बोला- जैसे ही मैं स्टेशन पर उतरा तो मुझको ख्याल आया कि शायद मैं कुछ गाड़ी में तो नहीं भूल आया? इसलिए मैंने जल्दी से अपनी जेब और सामान चेक किया लेकिन सब ठीक था फिर मैंने जेब में दुबारा हाथ डाल कर फील किया तो यह जान कर हैरान रह गया कि मेरा ‘वो’ तो गाड़ी में ही छूट गया है, मैं भाग कर गाड़ी में गया और ढूंढा तो ‘वो’ सीट के नीचे पड़ा था.मैंने जेब से रुमाल निकाला और अपनी आँखें, जिनमें कोई आँसू नहीं था, पौंछने लगा.
अब तो नेहा का हंसी के मारे बुरा हाल था वो कभी दीवार को पकड़ कर हंस रही थी और कभी मेरे कंधे को पकड़ कर हंस रही थी.मैंने रोनी सूरत बनाए रखी.मैंने कहा- खैर छोड़ो, उषा मैडम से कब मिलना है मुझको?नेहा अब संयत हो गई थी और शान्ति से बोली- उन्होंने तुमको लंच ब्रेक में बुलाया है स्टाफ रूम में!मैंने नेहा के कान में कहा- ‘वो’ खो जाने वाली बात किसी को बताना नहीं प्लीज!और चलते चलते मैं उसके चूतड़ों में चिकौटी काटते हुए आगे बढ़ गया.
वो चौंक कर भागती हुई आई और मुझको भी मेरे चूतड़ों पर चकौटी काट कर भाग गई.मैंने मुड़ कर देखा और हँसते हुए स्टाफ रूम की तरफ चल दिया.
उषा मैडम मुझको देख कर बाहर आ गई और मुझको लेकर कॉलेज के लॉन पर आ गई.उषा मैडम ने कहा- निर्मल मैडम ने बात की होगी तुमसे?मैं बोला- जी मैडम जी, उन्होंने बात की थी, अब आप जैसा कहें वैसा ही कर लेते हैं.उषा मैडम बोली- आज कॉलेज के बाद फ्री हो क्या?मैं बोला- जी मैडम, फ्री हूँ.उषा मैडम बोली- तो मेरे घर आज चल सकते हो क्या?मैं बोला- जैसा आप कहें. कितने बजे चलना होगा?उषा मैडम बोली- यही 2 बजे छुट्टी के बाद निकल पड़ते हैं. छुट्टी के बाद तुम मुझको मेन गेट पर मिल जाना, ठीक है?मैं बोला- ठीक है मैडम.
फिर मैं वहाँ से वापस आ गया क्लास में!
तभी जेनी, डॉली और जस्सी मेरे क्लासरूम में आ गई और सब बड़ी सीरियस बनी हुई थी और बोली- सुन कर बड़ा दुःख हुआ आप की बहुत ही प्यारी चीज़ खो गई थी.मैं सीरियस होते हुए बोला- हाँ, लेकिन मुझको तो आप सब का ख्याल आ रहा था कि मैं आप सबकी सेवा कैसे कर पाऊँगा? मैं यही सोच सोच कर परेशान था.तब तीनों ने मिल कर कहा- शुक्र है कि ‘वो’ मिल तो गया, ईश्वर की बहुत ही कृपा हुई सतीश जी.मैं मुस्कराते हुए बोला- किस पर कृपा हुई? आप पर या मुझ पर?तीनो चहकते हुए बोली- हम सब पर!

 
मैं बोला- अब कभी मिलना तो हाल ज़रूर पूछ लेना भैया लाल जी का? वैसे कब मिल रही हो तुम उनको?तीनों बोली- मिलना मिलाना तो तुम्हारे हाथ में है या फिर उनके हाथ में है.तीनो हंसती हुई क्लास से चली गई.
छुट्टी के बाद मैं मेन गेट पर इंतज़ार करने लगा.थोड़ी देर में उषा मैडम की कार गेट पर आकर रुकी और मैडम ने मुझको इशारा किया कि अंदर आ जाऊँ.आगे की सीट पर मैडम के साथ कॉलेज की एक लड़की बैठी हुई थी तो मैं पिछली सीट का दरवाज़ा खोल कर कार में बैठ गया.दस मिन्ट में हम मैडम के घर पहुँच गए और उसके साथ हम तीनों अंदर चले गए.
काफी अच्छा सा मकान था और एक नई बनी साफ सुथरी कॉलोनी में था.मैडम ने बैठक में हमें बिठा दिया और खुद ही रसोई से शर्बत ले आई.
फिर उषा मैडम ने कहा- इनसे मिलो, यह अपने ही कॉलेज में बी. ए. की छात्रा है, इनका नाम सुधा है और सुधा, ये सतीश हैं.इन्टर फर्स्ट ईयर के छात्र हैं.हम दोनों ने एक दूसरे को नमस्ते की.उषा मैडम बोली- सुधा भी शौक़ीन लड़की है और मेरे साथ ही रहती है इसी मकान में, जब तुम्हारे साथ प्रोग्राम बना तो सुधा ने इच्छा जताई कि यह भी सतीश से मिलना चाहती है और सारे कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहती है अगर सतीश को कोई ऐतराज़ ना हो तो!मैं बोला- मैडम, जब आपको कोई ऐतराज़ नहीं तो मुझको भला क्या ऐतराज़ हो सकता है. और फिर मैं तो इस कहावत में विश्वास करता हूँ… मोर एंड मेरिएर!उषा मैडम बोली- शाबाश सतीश, मुझे तुमसे यही उम्मीद थी, चलो पहले खाना खा लें.
तब हम सब खाने वाले टेबल पर बैठ गए और सुधा और मैडम ने मिल कर जल्दी ही खाना टेबल पर सजा दिया.खाना बहुत ही अच्छा बना था और जब मैंने खाने की तारीफ की तो मैडम बोली- यह सब सुधा ने बनाया है और मैंने इसकी थोड़ी बहुत हेल्प की है.मैं सच्चे मन से खाने की तारीफ करने लगा और मैंने देखा कि सुधा के चेहरे पर ख़ुशी की एक झलक आई थी और फिर वो नॉर्मल हो गई.
खाना समाप्त करके मैडम मुझको लेकर अपने बेडरूम में आ गई और फिर वो थोड़ी देर के लिए दूसरे कमरे में चली गई.कुछ समय बाद दोनों उसी कमरे में से अपनी नाइटी पहन कर आई और मेरे दोनों तरफ आकर खड़ी हो गई.मैडम बोली- सतीश, क्या हम दोनों तुम्हारे कपड़े उतारने में मदद करें?मैं बोला- कर दीजिये. वैसे मैं अपने कपड़े सिवाय बाथरूम में, अपने आप कभी नहीं उतारता. पर उससे पहले आप दोनों सुंदरियाँ भी अपने नाइटी उतारे दें तो मुझ को बहुत आनन्द आएगा.
मैं कुर्सी पर बैठ गया और यह सेक्सी नज़ारा देखने लगा.दोनों ने एक साथ ही अपनी नाइटी उतार दी और वो दोनों ही एक साथ हलफ नंगी हो गई.
दोनों ही शारीरिक रूप से काफी सुंदर थी, सुधा का शरीर छोटी उम्र के कारण ज़्यादा भरा हुआ नहीं था लेकिन उसकी चूत बालों से भरी थी, छोटे मुम्मे और छोटे ही गोल चूतड़ों से वो एकदम कमसिन लड़की लग रही थी..उधर उषा मैडम का जिस्म भरा हुआ और काफी गठा हुआ था जैसा कि मैं पहले भी देख चुका था और चूत एकदम सफाचट थी.
अब सुधा आगे बढ़ी और मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए, जब मेरे शरीर पर मेरा अंडरवियर ही रह गया तो मैंने तब उषा मैडम को घूर कर देखा और वो समझ गई और शर्माते हुए मुस्कराने लगी.जैसे ही सुधा ने नीचे बैठ कर मेरा अंडरवियर को उतारा तो मेरा खड़ा लंड एकदम आज़ाद होकर उछल कर उसके मुंह पर जाकर लगा और डर के मारे चिल्ला पड़ी और जमीन पर गिर गई.
उषा मैडम ज़ोर से हंस पड़ी लेकिन मैं संयत रहा और हाथ पकड़ कर मैंने सुधा को ऊपर उठाया और खींच कर उसको अपने सीने से लगा लिया और उसके लबों पर एक मधुर चुम्बन किया.फिर मैं बोला- सुधा जी, कहीं लगी तो नहीं आपको? मैंने इस साले को कई बार मना किया है कि ऐसे मत उछला कर लेकिन यह ससुर मानता ही नहीं. वैसे यह इसकी प्यार की थपकी है.
अब सुधा भी ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी- वाह सतीश राजा, मारा भी तो अपने लंड से, बहुत खूब!
मैंने भी एक भेद भरी नज़र उषा मैडम पर डाली और बोला- सुधा, तुम अकेली ही नहीं हो, इसके शिकार कई और भी बन चुके हैं इस के थप्पड़ों के और इकी प्यार की थपकी के.उषा मैडम ने अपनी नज़र नीचे झुका ली लेकिन उनके लबों पर भी एक हलकी सी मुस्कान थी.
मैंने उषा मैडम के सामने झुक कर कहा- ऐ बेगमाते ऐ हिन्द, इस नाचीज़ खादिम के लिए क्या हुक्म है?उषा मैडम भी उसी लहजे में बोली- ऐ ग़ुलाम, तुम आज मेरी और इस लौंडिया की हर तरह से मुराद पूरी करो!मैं भी झुक कर बोला- जो हुक्म मेरी आका!
तब मैडम ने मुझको अपने नज़दीक आने का इशारा किया और मैं सुधा को साथ लेकर मैडम के पास चला गया.मैंने जाते ही सबसे पहले मैडम के लाल होटों को अपने लबों में ले लिया और उनको चूसने लगा.

 
फिर मैडम को बिस्तर पर लिटा दिया और सुधा को इशारा किया कि वो मैडम के मुम्मों को चूसे और मैंने मैडम की सफाचट चूत पर अपना ध्यान केंद्रित किया और नीचे झुक कर अपने मुंह को उनकी चूत के अंदर डाल दिया और जीभ से चूत के अंदर गोल गोल घुमाने लगा और फिर जीभ से उनकी भग को छेड़ने लगा.ऐसा करते ही मैडम की चूत अपने आप ऊपर उठ कर मेरे मुंह से चिपक गई और सुधा भी मैडम के मुम्मों को चूसने में पूरी मुस्तैदी से लगी रही और जब मैडम का एक बार मुंह से छूट गया तो वो मेरे सर के बालों को पकड़ कर ऊपर आने के लिए प्रेरित करने लगी.
मैंने मैडम की चूत के रस से भीगे अपने मुंह को मैडम के मुंह पर रख दिया और जीभ को मैडम की जीभ से भिड़ाने लगा.सुधा अब मेरे चूतड़ों के साथ खेलने लगी लेकिन मैंने अपना लंड मैडम की चूत के मुंह पर रख दिया और सुधा ने मेरे चूतड़ों को एक धक्का ज़ोर का मारा और लंड लाल पूरा का पूरा अंदर चला गया.
अब मैं बहुत ही धीरे धीरे धक्के मारने लगा और बीच बीच में मैडम के लबों को भी चूसता रहा और सुधा भी जो मेरा अंग उसको खाली लगता वो उसको चूमने और चाटने में लग जाती और इस मदद से मैडम को अपनी चरम सीमा की ओर हम दोनों मिल कर ले जा रहे थे.
जब देखा कि मैडम को काफी आनन्द आ रहा है तो मैंने उसकी टांगों को उठा कर अपने कंधों के ऊपर रख दिया और उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख दिए और अब धक्कों की स्पीड एक दम तेज़ कर दी और इस स्पीड को जारी रखते हुए मैं अपनी पूरी ताकत से मैडम को चोदने लगा.सुधा की तरफ देखा तो वो हैरान हुई यह सारा तमाशा देख रही थी और यह भी देख रही थी कि कैसे मैडम तड़फते हुए इधर उधर अपना सर फैंक रही थी.
मैंने महसूस किया कि मैडम का शरीर अकड़ने की स्टेज पर आ गया है, मैंने अपने धक्कों को स्लो और फ़ास्ट में तब्दील कर दिया और ऐसा करते ही मैडम का शरीर ज़ोर से कांपा और उन्होंने अपनी टांगों को मेरे दोनों और फैला कर मुझको उनमें जकड़ लिया और बहुत ही अजीब आवाज़ करते हुए वो झड़ गई.
मैंने अपना लंड जो मैडम की चूत के रस से पूरी तरह गीला हो चुका था, उसको मैडम की चूत से फट की आवाज़ करते हुए निकाला और सुधा को अपने हाथों में उठा कर बेड की दूसरी तरफ ले जाकर उसको अपने खड़े लौड़े पर बिठा दिया और मेरा गीला लंड एकदम आलखन से सुधा की टाइट चूत में चला गया.
सुधा की चूत बेहद गीली और कामातुर हो रही थी, वो मेरे लंड पर बैठते ही पूरा का पूरा लंड अंदर ले गई और मेरे को एक टाइट जफ्फी मार कर मेरे लबों पर अपने जलते हुए होटों को रख दिया.मैं नीचे से उसको धक्के मार रहा था और उसको इशारा किया कि वो ऊपर से शुरू हो जाए.जल्दी ही हम दोनों एक व्यवस्थित ढंग से एक दूसरे को धक्के मार रहे थे.
मैंने उसके छोटे लेकिन सॉलिड मुम्मों को चूसना शुरू किया और अपने धक्कों की स्पीड बहुत ही धीरे रखी ताकि सुधा को भी पूरा मज़ा आने लगे और वो मेरे गले में बाँहों डाले मेरी आँखों में आँखें डाल कर रोमांटिक ढंग से अपनी चूत चुदवा रही थी.क्यूंकि शायद उसको अभी तक कोई ढंग का साथी नहीं मिला था तो वो काफी सेक्स की प्यासी लगी, और मैं भी उसकी अन्तर्वासना को समझते हुए उसको वैसे ही चोदने लगा.
जब वो पूरी तरह से कामातुर हो गई तो उसकी अपनी स्पीड ही तेज़ होने लगी और मैं रुक गया और उसको अपनी मर्ज़ी करने दी.वो अब जल्दी जल्दी मेरे सामने से आगे पीछे होने लगी और उसकी बाहें मेरे गले में फैली थी और वो उनके सहारे वो मेरे लंड पर झूला झूल रही थी और मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर टिके थे जिनकी मदद से वो झूला झूल रही थी.
थोड़ी देर में उसका शरीर थोड़ा अकड़ा और वो एकदम से मुझको अपनी बाँहों में जकड़ कर छूट गई.मैडम अब तक आँखें बंद किये लेटी थी और जब सुधा का छूट गया तो उसकी चूत से बहुत ही पानी निकला और सुधा जल्दी से उठ कर एक छोटा तौलिया ले आई जिससे उसने अपनी चूत का पानी पौंछा जो काफी मात्रा में मेरी जांघों पर लगा था.
मैं भी मैडम की दाईं तरफ लेट गया और सुधा भी साफ़ सफाई करके आकर मेरे दूसरी तरफ लेट गई.वो दोनों तो ऐसी थक कर लेटी थी जैसे वो मीलों चल कर आई हों.

 


मैंने कोशिश की उषा मैडम को जगाने की, लेकिन ऐसा लगता था कि वो गहरी नींद सो गई थी, लेकिन सुधा अभी भी जाग रही थी और मेरे लौड़े से खेल रही थी.मैंने उससे पूछा- क्या और चुदना है तुमको?उसने भी इंकार में सर हिला दिया लेकिन मैंने कहा- सुधा, एक बार से क्या होगा तुम्हारा, चलो उठो मैं तुमको असली चुदाई का मज़ा देना चाहता हूँ एक गिफ्ट के तौर पर!
और मैंने उसको उठ कर पलंग के किनारे पकड़ कर खड़े होने के लिए कहा. जब उसने वो पोजीशन ले ली तो मैं भी उसके पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत में पीछे से अपने खड़े लंड को अंदर डाल दिया.शुरू में धीरे और हल्के धक्के मारने से जब वो चुदाई का ढंग समझ गई तो मैंने आहिस्ता से धक्कों की स्पीड बढ़ाने लगा और मेरे दोनों हाथ सुधा के मम्मों और उसके गोल छोटे चूतड़ों से खेल रहे थे और कभी कभी उसकी गांड में भी ऊँगली डाल कर उस को और उत्तेजित कर रहे थे.
सुधा अब चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी और उसका सर बार बार उधर घूम रहा था और वो अपने चूतड़ों को स्वयं आगे पीछे करने लगी थी.मैं उसकी चोटी अपने हाथ में लेकर उसके सर को हल्के झटके मारने लगा और वो और भी आनन्द से अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और फिर उसकी चूत में एक अजीब सा उबाल आया और वो हाय हाय करती हुई झड़ गई और उसने अपना सारा शरीर पहले जरा अकड़ा और फिर वो एकदम ढीली पड़ कर पलंग पर लुढ़क गई.
तब तक मैडम भी जाग गई थी, वो भी मेरे पीछे खड़े होकर मुझको जफ्फी डाल रही थी.मैंने उनको सीधा किया और उनके मुंह पर ताबड़तोड़ चुम्मियाँ दे डाली और फिर उनको लेकर मैं बेड पर आ गया और घोड़ी बनने के लिए कहा, उनके गोल और उभरे हुए चूतड़ों को सहलाते हुए उसकी उभरी चूत के पीछे बैठ कर मैंने अपने अभी भी गीले लंड को उषा मैडम की चूत में घुसेड़ दिया.
मैडम ‘उई…’ कह कर अपनी गांड को इधर उधर करने लगी और जब उनको यकीन हो गया कि मैंने चूत में लौड़े को डाला है तो वो रुक कर उसका आनन्द लेने लगी.घोड़ी की पोजीशन में मर्द का लंड पूरा चूत की आखिरी हिस्से तक जाता है और इस पोजीशन में वीर्य के छूटने से गर्भ की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है.मैडम की चूत पुनः गीली हो चुकी थी, मैं भी जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा और पूरा अंदर बाहर करते हुए मैडम की भग को भी मसलने लगा.
मैडम भी हाय हाय करती रही और बार बार यही कह रही थी- मार डालो मुझको, फाड़ दो मेरी चूत को… साली हलखनज़ादी है.मैंने सुधा की तरफ देखा, वो भी हंस रही थी और हाथ से अपनी चूत में अपने दाने को मसल रही थी.मैंने अब बड़े तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिए ताकि मैडम जल्दी ही किनारे लग जाए और फिर मैंने उसकी गांड में अपनी मध्य ऊँगली भी डाल दी.ऐसा करते ही वो एकदम से चिल्लाई और उनका सारा जिस्म अकड़ा और वो फिर ढीली पड़ गई.मैडम की चूत काफी ज़ोर से मेरे लौड़े को पकड़ और छोड़ रही थी जो दूध दोहने की क्रिया के समान होता है जिससे मुझको बड़ा आनन्द आया.अब मैं मैडम के ऊपर से उतरा और सुधा ने मेरे लौड़े को तौलिये से साफ़ किया और मैं उठ कर कपडे पहनने लगा और सुधा ने भी कपड़े पहन लिए और वो मुझको मैडम के कहने पर बाहर तक छोड़ने आई.मैंने नंगी लेटी मैडम को बाय बाय कहा.
मैंने जाने से पहले उसके मुम्मों को हल्के से दबा दिया और चूतड़ों पर चिकोटी भी काट ली. और बाहर निकल गया.सुधा ख़ुशी से हंस पड़ी और बोली- कल मिलना कॉलेज में ज़रूर सतीश यार, मैं तुम्हारा ढंग से शुक्रिया भी नहीं कर सकी.मैं बोला- ज़रूर मिलेंगे.यह कह कर मैं उन के घर से बाहर आ गया और रिक्शा पकड़ कर अपने घर वापस आ गया.

कहानी जारी रहेगी.

 
पड़ोस वाली भाभी की चूत चुदाई

शाम को मैं बैठक में बैठा था कि नैना आई और कहने लगी- पड़ोस वाले मिश्रा जी और भाभी आये हैं, आपसे बात करना चाहते हैं.मैं नैना के साथ बाहर आया तो साथ वाले मकान के भैया भाभी बाहर खड़े थे.मैंने कहा- आईये भैया जी, बाहर क्यों खड़े हैं.
मैं भैया भाभी को लेकर बैठक में आ गया और उनको आलखन से बिठाया और पूछा- कैसे आना हुआ भैया जी? कोई काम था तो मुझ को ही बुला लेते, मैं आ जाता.
भैया बोले- नहीं सतीश, ऐसी कोई बात नहीं है, वो दरअसल मैं 2-3 दिन के लिए लखनऊ से बाहर जा रहा था तो तुम्हारी भाभी घर में अकेली पड़ जाएगी. मैंने सोचा कि अगर सतीश मान जाए तो वो 2-3 रात हमारे घर भाभी के पास रह जाए तो मुझको बड़ी तसल्ली रहेगी. पहले भी जब मैं बाहर जाता था तो मेरा भतीजा रह जाता था, कोई फ़िक्र नहीं होती थी लेकिन अब की बार वो भी अपनी नौकरी के सिलसिले में बाहर गया है, तो मजबूरी में मुझको तुमसे कहना पड़ा है.
मैं बोला- कोई बात नहीं भैया, मैं रह जाऊंगा कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन अगर आप और भाभी चाहें तो हमारी नैना रात में आपके घर रह सकती है?

भैया बोले- वो तो बहुत ठीक होता लेकिन क्या है सतीश, मैं चाहता हूँ कि कोई मर्द घर में होता तो ही ठीक रहेगा, क्यों भागवान?भाभी बोली- हाँ जी, आदमी का घर में रहना ही ठीक रहता है, और फिर सतीश अभी तो छोकरा ही है न, सो उसके रहने से घर में एक मर्द की कमी दूर हो जाती है.
मैंने कहा- ठीक है भैया जी, जैसा आप कहें, मैं कर लूंगा. फिर भाभी, मैं रात में कब आऊँ आपके घर सोने के लिए?भाभी बोली- जब चाहो आ जाओ लेकिन अच्छा होगा कि अगर तुम खाना भी वहीं खा लिया करना.मैं बोला- नहीं भाभी, मैं खाना खाकर ही आया करूँगा.
भैया बोले- तो फिर तय रहा सतीश, तुम आ जाया करना रात को 9 बजे से पहले… ठीक है?मैं बोला- ठीक है भैया, आप बेफिक्र हो कर जाएँ अपने टूर पर, मैं घर संभाल लूंगा. आज रात से या फिर कल रात से?भैया बोले- आज रात से आ जाओ तो ठीक रहेगा क्यूंकि मैं रात को 9 बजे के करीब घर से निकलूंगा.
मैंने नैना को आवाज़ दी और वो जल्दी से आ गई तब मैंने उसको सारी बात बताई तो वो बोली- ठीक है छोटे मालिक, आप जाइए इन के घर रात को, इधर मैं संभाल लूंगी.फिर भैया भाभी विदा ले कर अपने घर चले गए.
रात को खाना खाकर मैं अपना कुरता पायजामा पहन कर भाभी के घर चला गया.भैया थोड़ी देर पहले ही निकले थे तो हम उनकी बैठक में बैठ कर गपशप मारने लगे.मैंने भाभी को ध्यान से देखा तो वो काफी खूबसूरत लगी, उनकी उम्र होगी कोई 27-28 के आस पास लेकिन शरीर बहुत सुगठित रखा था भाभी ने!बातों से यह भी पता चला कि 8 साल शादी के बाद भी उनके कोई बच्चा नहीं हुआ था.
भैया काफी हैंडसम लगते थे लेकिन भाभी भी कम सुन्दर नहीं थी और दोनों की जोड़ी काफी सुंदर थी फिर किस कारण से उनके बच्चा नहीं हुआ था, यह मैंने भाभी से हिम्मत करके पूछ ही लिया.
भाभी बोली- क्या बताएँ सतीश भैया, सब भाग्य की बात है, हमने बड़ी कोशिश की लेकिन कुछ काम बना नहीं. शायद हमारी किस्मत में बच्चा नहीं है.मैं बोला- आप उदास ना हों, शायद कोई उपाय निकल आये!
बातें करते हुए रात के 11 बज चुके थे, भाभी मुझको अपने गेस्ट रूम में ले गई जहाँ एक काफी बड़ा पलंग बिछा था और साथ ही मुझ को टॉयलेट भी दिखा दिया जो कमरे से बाहर कॉरिडोर में बना था.साथ में उन्होंने अपना बैडरूम भी दिखा दिया जो टॉयलेट के रास्ते में ही पड़ता था, हर बार टॉयलेट जाते हुए मुझको उनके बैडरूम के सामने से गुज़रना पड़ेगा.मैं थका हुआ था, जल्दी ही मुझको नींद आ गई.
रात को एक बार मैं टॉयलेट गया और जब वापस आया तो देखा कि भाभी सिर्फ पेटीकोट ब्लाउज में सोई थी और उनका पेटीकोट ऊपर खिसक कर उनकी जांघों के पास चढ़ा हुआ था. यह नजारा देख कर मैं रुक गया और बड़ी हसरत से भाभी की एकदम गोरी टांगों को देख रहा था.भाभी थोड़ी सी हिली, उनका पेटीकोट और भी जांघों के ऊपर चढ़ गया और उनकी चूत के काले बाल नाईट बल्ब की मद्धम रोशनी में दिख रहे थे.यह देख कर मैं थोड़ा ठिठका और एक मिनट के लिए रुका भी लेकिन फिर मैं अपने कमरे में आ गया..

 
आकर लेटा ही था कि मेरा लौड़ा एकदम तन गया और मैंने उसको पजामे के बाहर किया, उसपर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा.अभी कुछ मिन्ट ही ऐसा किया था कि एकाएक भाभी पेटीकोट में ही मेरे कमरे में चुपचाप आ गई और मैंने भी झट आँखें बंद कर ली.
फिर मैंने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो वो मेरे खड़े लंड को बड़े ध्यान से देख रही थी.मैंने भी आँख बंद करके सोने का नाटक किया और तब महसूस किया कि भाभी भी मेरे साथ दूसरी तरफ लेट गई थी और मेरे लंड को बड़े गौर से देख रही थी.
अब मैंने लंड से अपना हाथ हटा लिया था और भाभी ने तभी उसको हाथ में ले लिया था और उसको ऊपर नीचे करने लगी थी, यह देख कर मैं भी सोये हुए होने का बहाना करते हुए ही अपना एक हाथ उनकी चूत के ऊपर रख दिया और तब भाभी ने अपना पेटीकोट ऊपर खींच लिया था और मेरा हाथ पकड़ कर उन्होंने अपनी चूत के ऊपर बालों में रख दिया.
मैं समझ गया कि तवा गर्म है और अगर मैं हिम्मत करूँ तो दो चार रोटियाँ सेक सकता हूँ.मैंने अभी भी सोये हुए होने का नाटक करते हुए अपनी बाहें भाभी के गोल गदाज़ मुम्मों के ऊपर रख दी.
भाभी समझ गई कि मैं सोने का नाटक कर रहा हूँ और वो जल्दी ही अपने ब्लाउज और पेटीकोट को उतारने लगी और जब वो नंगी हो गई तो उन्होंने मेरा पायजामा भी उतारने की कोशिश की और मैं भी आँखें बंद किये हुए ही उनकी मदद करने लगा.अब हम दोनों ही नंगे हो चुके थे लेकिन मैं अभी भी सोने का नाटक कर रहा था.
भाभी अब मुझको होटों पर चुम्बन कर रही थी और मेरा भी हाथ उनकी चूत के घने बालों में सैर कर रहा था. भाभी की चूत एकदम से गीली गोत हो चुकी थी और चुदने के लिए हिलोरें मार रही थी.मैंने भी भाभी के होटों को ज़ोरदार चूमा और अपनी जीभ को उनके मुंह में डाल कर उनके मुंह का रस चूसने लगा और भाभी लगातार मेरे लौड़े को ऊपर नीचे कर रही थी.
अब भाभी एकदम पलंग पर अपनी टांगें पूरी खोल कर लेट गई और मेरे को लंड से खींचने लगी.मैं भी आँखें बंद किये ही भाभी के ऊपर चढ़ गया और भाभी ने खुद ही मेरा लौड़ा अपनी चूत में डाला और जैसे ही मुझको महसूस हुआ कि मेरा लौड़ा पूरा अंदर चला गया है मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए और भाभी की टाइट चूत का लुत्फ़ उठाने लगा.
मैं मुंह को झुका कर भाभी के गोल और मोटे मुम्मों को चूस रहा था और उनके काके चुचूकों को भी चूस रहा था और साथ ही मैं धीरे धीरे धक्कों की स्पीड भी तेज़ करने लगा.पूरा निकाल कर फिर पूरा डालना मेरा नियम बन गया था, और भाभी भी अपनी कमर को उठा उठा कर चुदाई का आनन्द ले रही थी और चूत की पूरी गहराइयों को मेरा लौड़ा भी नाप रहा था.
जब भाभी की चूत एकदम खुलने और बंद होना शुरू हो गई तो मुझको भी मजबूरन धक्कों की स्पीड तेज़ करनी पड़ी और फिर मैं अति तीव्रता से लौड़े को अंदर बाहर करने में लग गया. भाभी स्पीड को सहन ना कर सकने के कारण हांफ़ने लगी और मुझको अपने छाती से चिपकाने लगी.मैंने भी अपने हाथों को भाभी की पीठ के पीछे डाल कर उनको कस कर अपने से चिपका लिया और तभी ही भाभी की चूत का पहला सोता उमड़ पड़ा और फव्वारे की तरह वो मेरे पेट को भिगोता हुआ चादर पर गिर गया.
भाभी की जो टांगें मेरे दोनों तरफ से मुझ को अपने से बाँध कर रखे हुई थी, वो अपने आप ही ढीली होती चली गई और फिर मैं भाभी के ऊपर से उतर गया.तब भाभी ने मेरे गालों को चूमते हुए कहा- थैंक यू सतीश, तुमने मेरी वर्षों की अन्तर्वासना शांत कर दी.अब मैं और सोने का नाटक नहीं कर सका और वापस भाभी को अपने से चिपकाता हुआ बोला- वाह भाभी, आप तो काफी गर्म औरत हैं.
भाभी एकदम चौंक कर बोली- उफ़ सतीश, तुम जाग रहे हो क्या?मैं बोला- हाँ भाभी जी, मैं तो शुरू से ही जाग रहा था लेकिन मुझको डर था कहीं मैं पहल करूँगा तो आप बुरा ना मान जाएँ इसलिए मैं सोने का नाटक करता रहा.अब भाभी मुस्करा कर बोली- वाह सतीश, तुम तो गज़ब के एक्टर हो और साथ में ही एक बहुत हसीं चोदू भी हो यार! इतने महीनों से हमारे पड़ोस में रहते हो और मुझको खबर भी ना लगी कि क्या क़यामत का हीरा हमारा पड़ोसी है, वर्ना मैं तो कभी की तुमको चोद चुकी होती.मैं भोली सूरत बना कर बोला- तो आज कैसे आपको ख्याल आया कि मैं आपके काम आ सकता हूँ?

 
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