XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा - Page 16 - SexBaba
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XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा



फ्लॅशबॅक............

पोपटलाल रीता के गेट पे खड़ा था...और रीता दरवाजे के पास उसके सामने खड़ी थी..उस वक़्त उसने एक लोंग वाइट शर्ट पहनी थी...जिसमे से उसकी नीचे की टाँगे सॉफ दिखाई दे रही थी....

पोपट लाल ज़बरदस्ती अंदर घुस जाता है....

रीता :- पोपटलाल ये क्या बदतमीज़ी है..बाहर निकलो मेरे घर से..

पोपटलाल :- हंसता हुआ...क्यूँ .... और सोफे पे बैठ जाता है...

रीता :- देखो तुम जाते हो कि नही...
नही तो में तुम्हे तुम्हारे छाते से तुम्हारा सर फोड़ दूँगी.....और उसे भी तोड़ दूँगी....

पोपटलाल को अपने छाते की बात सुन के बहुत गुस्सा आता है...
वो उठ के खड़ा हो जाता है....और दरवाजे की तरफ चल देता है....
रीता उससे ही देखे जा रही थी...

पोपटलाल दरवाजे के पास पहुँचता है...और धदमम्म्ममममम.....

रीता :- ये क्या बदतमीज़ी है....दरवाजा क्यूँ बंद कर दिया...

पोपटलाल :- दरवाजा इसलिए बंद किया है..ताकि तेरी आवाज़ बाहर ना जा सके...

रीता पोपटलाल की ये बात सुन के घबरा जाती है.....

रीता :- क्कक्या.आ.आ....मत..लब...है..तुम्हारा..

पोपटलाल :- अभी बता ता हूँ...क्या मतलब है मेरा.....

और वो रीता की तरफ बढ़ने लगता है...

रीता काफ़ी घबरा जाती है....और वो पीछे होने लगती है...
पोपटलाल की आँखों में गुस्सा और वासना दोनो देख रही थी वो..

रीता :- देखो तुम आगे मत आओ..नही तो में चिल्लाउंगी....

पोपटलाल :- तो चिल्लाओ....कोई नही सुनेगा..इतनी रात को...

रीता काफ़ी घबरा जाती है..वो धीरे धीरे पीछे होने लगती है..और पोपटलाल आगे बढ़ने लगता है...

तभी रीता मूड के कमरे में भागने लगती है....तभी ..

तभी उसके मूँह सी...अहह...

ये आवाज़ उसके मुँह से इसलिए निकलती है..क्यूँ कि जब वो पीछे मूड के भागने लगती है...तो पोपटलाल रीता की शर्ट के कॉलर में अपने छाते को फसा देता है और उसे अपनी खींचता है.....जिसके कारण रीता का गला दब जाता है...इसलिए उसके मुँह से ऐसे आवाज़ निकल जाती है....

पोपटलाल :- कहाँ भाग रही है...ब्रेकिंग न्यूज़....

पोपटलाल रीता को खीच कर अपने पास ले आता है...
अब छाते की पकड़ ढीली हो गई थी...इसलिए रीता को कुछ आराम था....उसकी साँसें उखड़ गई थी...

रीता :- तुम मुझे क्या करने आए हो....

पोपटलाल :- तुझे मारने नही ....
बल्कि...
तेरी मारने आया हूँ....और हँसने लगता है....

रीता पोपटलाल की गिरफ़्त से भागने लगती है...लेकिन छाते की पकड़ ढीली हुई थी...छाता हटाया नही था पोपटलाल ने....रीता थोड़ी सी ही आगे जा पाती है.....

पोपटलाल :- हंसता हुआ....कहाँ जाएगी बच के...आज तो तुझे अच्छे से ब्रेक करूँगा....

रीता के पसीने छूटने लगते हैं....वो सोच नही पा रही थी कि क्या करे...

पोपटलाल अब अपना छाता हटा लेता है..और रीता को आज़ाद कर देता है...

रीता एक बार को समझ नही पाती कि ऐसा क्यूँ किया..लेकिन अगले ही पल..उसकी एक चीख कमरे में फैल जाती है...
अहह
नूऊऊओ...ओह.......

जी हाँ पोपटलाल पीछे से रीता की चूत को अपने हाथ से पकड़ के बुरी तरह दबा देता है.....

रीता :- पोपटलाल छोड़ो क्या कर रहे हो ये...

पोपटलाल :- अरे मेरी रानी अभी तो शुरू ही किया है...आगे आगे देख होता है क्या.....

रीता :- नही......अहह...ओह्ह्ह..प्लस्सस्स..
मा..त्त.....का...रूओ.......

पोपटलाल बुरी तरह से चूत को मसल रहा था पैंटी के उपर से......

कुछ देर ऐसे ही खड़े खड़े रीता की चूत को मसलने के बाद....पोपटलाल रीता को सोफे पे धकेल देता है...
रीता सीधे जाके ... सोफे से टकराती है..

रीता :- आह....पोपटलाल प्लस्सस छोड़ दो..आहह..
सोफे से टकराने के बाद उसे थोड़ा सा दर्द होता है....

रीता उल्टी सोफे पे चिपक जाती है..पोपटलाल ठीक उसके पीछे ही खड़ा था...

पोपटलाल रीता की हालत को नज़र अंदाज़ करता है...और अपनी पैंट खोल देता है....

नीचे से नग्न हो जाता है..उसका लंबा.लेकिन उसी की तरह पतला सा लंड बाहर आ जाता है...और अपने लंड को हाथ में पकड़ लेता है..

पोपटलाल :- हंसता हुआ.....आज ये तेरी अच्छे से मालिश करेगा....

रीता घबराती हुई..पीछे मूड के देखती है...तो उसके सामने पोपटलाल का लंड आ जाता है..जो काफ़ी लंबा था...वो फ़ौरन अपना मुँह सोफे पे छुपा लेती है...

रीता :- छी...पोपटलाल जो तुम कर रहे हो..वो ठीक नही है...इसका अंजाम तुम्हे भुगतना पड़ेगा..

पोपटलाल :- हंसता हुआ.....ज़्यादा रिपोर्टिंग मत कर मेरे सामने..नही तो तेरी चूत का कीमा बना दूँगा आज...
वैसे भी...आज तो तेरी चूत का कीमा बनना ही है...तू जो मर्ज़ी बोल ले...हहेहेहहे.....

 


रीता की आँखों से अब आँसुओं ने आना शुरू कर दिया था...उसको पता था आज की रात उसके लिए बहुत भयानक होने वाली है...

पोपटलाल आगे बढ़ता है....और रीता के चुचे पीछे से हाथ डाल के पकड़ लेता है..छोटे छोटे चुचे..मगर बड़े ही सॉफ्ट थे....
और उन्हे कस कस के दबा देता है...

रीता सिर्फ़.....अह्ह्ह्ह...ओह्ह..ही कर सकती थी...वो कोई विरोध नही कर रही थी..उसे पता था...उसका कोई फ़ायदा नही है.....

चुचे दबाने के बाद...पोपटलाल रीता के पैर..जो अभी सोफे पे थे...उन्हे वो नीचे ज़मीन पे कर देता है...

अब रीता की पोज़िशन कुछ अजीब सी थी....उसका फेस सोफे पे गढ़ा हुआ था...कमर सोफे पे से उठी हुई..थी..मगर सोफे के उपर थी...और उसकी गान्ड आधी सोफे पे उठी थी..और बाकी का हिस्सा सोफे के बाहर....कुछ अजीब सी ही...पोज़िशन में लेटी पड़ी थी...वो भी क्या करती...पोपटलाल को ऐसे ही पसंद था...

ऐसे लेटने की वजह से रीता की शर्ट उसकी गान्ड के उपर हो जाती है....और उसकी रेड पैंटी सॉफ दिखाई दे रही थी...

पोपटलाल के मुँह में पानी आ जाता है..ये देख के...वो रीता की टांगे खोल देता है...और उसकी पैंटी एक ही झटके में उतार के फेंक देता है....अब उसकी गोरी गोरी...नंगी गान्ड...पोपटलाल के सामने थी....पोपटलाल के मुँह में पानी आ रहा था....उससे रुकना मुश्किल हो गया था.....

वो फटाफट रीता के पीछे आ जाता है..अपने हाथ से गान्ड को अच्छी तरह से मसलता है...और बुरी तारह दबा देता है...

रीता सिर्फ़...उःम्म्म्मम...हूउहह...कर रही थी..

पोपटलाल चूत को हाथ से टटोलता है....रीता की चूत काफ़ी छोटी थी...पोपटलाल अब बिना वक्त गँवाए..चूत पे लंड सेट करता है....और्र्रर...

साटाकककककककककक.....एक ही बार में आधा लंड चूत एक अंदर.......

रीता के मुँह से....उहुहुहुहुहुहन्णनननननणणन् की आवाज़ निकलती है.....

रीता की चूत काफ़ी टाइट थी...शायद कम मरवाती होगी...उसे दर्द हो रहा था..लेकिन पोपटलाल को उसकी चिंता नही थी..वो तो खुश था..कि उसे इतनी टाइट चूत मिली है....

वो फिर से एक और झटका मारता है...और इस बार पूरा लंड अंदर.....
रीता की फिर से वही आवाज़ गूँज उठी है...उसके आँसू...गाल से होते हुए...नीचे गिरने लगते हैं..उसे अब काफ़ी दर्द हो रहा था...क्यूँ कि ना तो लंड गीला था..ना ही उसकी चूत...

अब पोपटलाल धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर रहा था...धीरे धीरे..अंदर बाहर हो रहा था लंड....

सुप्प्प्प सुप्प्प्प की आवाज़ें आनी शुरू हो गई थी.....
पोपटलाल को भी मज़ा आ रहा था...वो भी..आहह..ओह्ह...मज़ा आ गया रीता...क्या चूत है....

अब धक्के की रफ़्तार बढ़ चुकी थी...अब धक्कों में तेज़ी आ गई थी...

रीता के मुँह सी आवाज़ें तेज़ हो रही थी...हुहन्णननणणन्.....उःम्म्म्मम......

पोपटलाल धक्के मार रहा था....पूरा सोफा हिल रहा था...
पोपटलाल ने धकके मारने के साथ ..अब रीता के बाल पकड़ के पीछे खिच लिए..जिससे रीता का मुँह सोफे से हाथ के उपर की तरफ़ हो गया...

पोपटलाल के धक्के तरेज़ हो गये..
अब रीता की आवाज़ सॉफ थी...अहह.....ओह्ह्ह्ह..यूईय...यूई.
प्लस्सस्स्स्सस्स...मत कार्रूऊ....पोपट..लाला.

लेकिन पोपटलाल तो बस आज चूत मारने में लगा हुआ था...
उसके धक्कों से रफ़्तार पकड़ ली थी..उससे अब रुका नही गया....अहह..ओह्ह्ह...चिल्लाता हुआ..रीता के अंदर ही झड गया...

और उसकी पीठ पे ही गिर गया.....और हाँफने लगा...

रीता बस इतना ही बोल पाई...हो गया..तो हट जाओ...

पोपटलाल :- अभी तो बाकी है....

रीता चौंक जाती है.....

रीता :- घबराते हुई....अभी क्या बाकी है...

पोपटलाल हटता है...और दूसरी तरफ बढ़ता है....रीता की धड़कने तेज़ थी...वो सोच रही थी..कि वो उठ के भागे..लेकिन...

लेकिन जब वो उठने लगती है...उसके मुँह से एक भयनक चीख निकल जाती है......अहह
ओह....हा
अहाहौनुहून.......

रीता के मुँह से आवाज़ नही निकलती लेकिन फिर भी वो धीरे धीरे....बोल पाती है...पोप..अट..ला..यी..के..आ..कियाअ...

पोपटलाल :- क्यूँ अब पता चला जब तो बहुत बोल रही थी..इसके बारे में...

रीता अपना हाथ नीचे अपनी चूत के पास ले जाके देखती है....तो वो हैरान रह जाती है...

क्यूँ कि उसकी चूत में पोपटलाल के छाते का आगे वाला हिस्सा उसकी चूत में घुसा हुआ होता है....जिसके कारण रीता इतनी बुरी तरह चीख उठती है..

पोपटलाल :- और कर बुराई मेरे छाते की...अब समझ आया..कि ये क्या कर सकता है..

रीता की आखों से आँसू आ रहे थे...वो हिल भी नही पा रही थी...उसे दर्द हो रहा था काफ़ी.....

पोपटलाल कुछ देर ऐसे ही छाते को रखता है...और बाहर निकाल लेता है...

रीता वहीं लेटी रहती है...आँसू..और दर्द के कारण वो उठ भी नही पा रही थी....
 
बॅक टू लाइव..........!!!

रीता ये बात ख्तम ही करती है..कि उसकी आँखें नम हो जाती है...

सभी जेंट्स का मुँह पोपटलाल की तरफ मूड जाता है......

पोपटलाल की तो सिटी बिट्टी गुल थी..वो तो हिलने की हालत में भी नही था....
ये वही पोपटलाल था..जो दुनिया को हिलाने की बात करता था...लेकिन आज उसकी खुद की दुनिया हिल चुकी थी.....

रीता :- में तो चाहती थी...कि तुम्हारी ये बात सबके सामने न्यूज़ में बताऊ...वो तो अंजलि भाभी ने मना कर दिया..

पोपटलाल को ये बात सुन के गुस्सा आ जाता है...लेकिन वो कुछ बोले उससे पहले तारक बोल पड़ता है...

तारक :- थॅंक यू रीता...जो तुमने हमारी इज़्ज़त बनाए रखी...नही तो लोग क्या सोचते कि इस सोसाइटी में ऐसे लोग रहते हैं...

अंजलि :- ये मत समझिए कि मेने रीता को इसलिए मना किया...कि आप लोगों की इज़्ज़त बनी रहे..

सभी जेंट्स चौंकते हुए..

भिड़े :- तो फ़ि..र ..क.यू..न अंज..अली भाभ..ई...

माधवी :- वो इसलिए मना किया..कि अगर बच्चे ये न्यूज़ देखेंगे तो क्या सोचेंगे...कि उनके बाप कैसे हैं...और कैसी घटिया हरकत की है....

आज तो लॅडीस कसम खा के आई थी..कि किसी भी जेंट्स की एक नही चलने देंगी..हर बात का जवाब तैयार है इनके पास....

अब पोपटलाल बोलना शुरू करता है..

पोपटलाल :- ऐसे कैसे तुम न्यूज़ में दिखा देती....में दुनिया हिला दूँगा...

सभी लोग पोपटलाल को चुप रहने को बोलते हैं...भिड़े तो उसके बगल में खड़ा था...वो उसका हाथ पकड़ के उसे समझाने की कॉसिश कर रहा था..कि चुप हो जाए..

रीता :- इतना चिल्ला क्या रहे हो....तुम्हे शरम नही आती है..इतना घिनोना काम करने के बाद भी...

पोपटलाल :- अरे क्या किया मेने....सही किया है बिल्कुल....क्यूँ तूने मेरे छाते की बुराई की...ये तो होना ही था फिर्र..

सभी पोपटलाल की बात सुन के दंग रह जाते हैं..कि ये क्या बोल रहा है...

तारक :- भाई पोपटलाल तू शांत हो जा...तुझे पता है ना तू क्या बोल रहा है...पागल हो गया है क्या....

जेठालाल :- ए पोपट तू क्या पागल हो गया है...क्या बोल रहा है...शांत नही रह सकता...
एक तो यहाँ इतना घिनोना काम कर दिया और उपर से ऐसे बात कर रहा है..

भिड़े :- पोपटलाल शांत हो जा....
क्यूँ फालतू की बात कर रहा है भाई...

पोपटलाल को समझ आ जाता है...कि उसने ग़लत बोल दिया है...वो चुप हो जाता है....

एक बार फिर से क्लब हाउस में सन्नाटा हो जाता है....

तारक बार बार बोल रहा था..कि अब हम लोग नही जानना चाहते कि क्या हुआ...लेकिन लॅडीस तो ज़िद पे अडी हुई थी...

जेठालाल :- देखो दया...तुम जो सज़ा दोगि हम मानने को तैयार हैं...लेकिन अब प्लीज़ बस करो..अब हम और नही सुन सकते...

दया :- वाह टप्पू के पापा...अभी तो आपने ये सुना ही नही है..कि मेरे साथ क्या हुआ है....सुनना चाहते हैं आप....

जेठालाल :- अरे पगली में क्यूँ सुनना चाहूँगा....मत सुना..

दया :- क्यूँ ना सुनाऊ...जब मुझे आपकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी तब आप कहाँ थे....
जब सोढी भाई..मेरे साथ वो सब कर रहे थे तो आप कहाँ थे..

जेठालाल :- बबीता जी के पास...

दया :- क्या क्या...

जेठालाल :- नही नही वो..
जेठालाल बात को बदलने की कॉसिश करता है...
वो में कह रहा था...देख दया...में नही सुन पाउन्गा....तू प्लीज़ मत सुना...
 
जेठालाल बात को बदलने की कॉसिश करता है...
वो में कह रहा था...देख दया...में नही सुन पाउन्गा....तू प्लीज़ मत सुना...

दया :- ऐसा नही होगा टप्पू के पापा...हम लेडीज़ ने फ़ैसला किया है..कि जो भी हमारे साथ हुआ है..हम आप सबको बताएँगी...और में भी बताउन्गी..

और दया अपनी आप बीती जो उस रात हुई थी बताना चालू कर देती है...

तो चलिए चलते हैं...दया के फ्लॅशबॅक में.......

सोढी घर के अंदर एंटर हो जाता है....दया उसके पीछे पीछे आ जाती है....उस वक़्त दया को कोई आइडिया नही था कि सोढी भाई इतनी रात को क्यूँ आए हैं....

दया :-सोढी भाई..आप इतनी रात को यहाँ कैसे..

सोढी :- लड़खड़ा रहा था....
अरे दया भाभी...आपसे मिलने आया हूँ...

दया सोढी की ये हालत देख के...समझ जाती है..कि उसने पी रखी है...

दया :- देखिए मुझे लगता है..कि आपको अपने घर जाना चाहिए..

सोढी जो डाइनिंग टेबल के पास खड़ा था..और दया सोफे के पास थी...

सोढी :- अरे ये भी तो मेरा ही घर है....वैसे आप इस वक़्त एक दम सेक्स बॉम्ब लग रही हैं..

उस वक़्त दया ने रेड साड़ी पहन रखी थी...जिसका पल्लू थोड़ा नीचे था...जिसकी वजह से उसका क्लीवेज यानी उसके चुचों का कट ब्लाउस के बाहर देखा जा सकता था....उसका पेट भी बिल्कुल नंगा था...उसकी गोल गोल नाभि सॉफ दिखाई दे रही थी....

दया को गुस्सा आता है....वो ज़्यादा तो नही समझ पाई थी..कि सोढी ने क्या बोला..लेकिन फिर भी वो अंदाज़ा लगा रही थी..कि कुछ ग़लत कहा है सोढी भाई ने...

दया :- सोढी भाई आप ये क्या बोल रहे हैं...

सोढी :- वही जो आप इस वक़्त लग रही हैं...और आगे बढ़ने लगता है...

दया :- सोढी भाई देखिए आगे मत बढ़िए...नही तो में अपना हाथ उठा दूँगी...

सोढी :- हाहाहा...अरे आपके ये कोमल कोमल हाथों से मुझे कुछ नही होगा...

सोढी दया के बिल्कुल करीब आ जता है...दया अपना हाथ उठा ती है मारने के लिए..लेकिन सोढी दया के हाथ पकड़ लेता है.....

सोढी :- दया भाभी...क्यूँ इन हाथों को तकलीफ़ दे रहे हो....
देखो आज में आपको जन्नत के सैर कराता हूँ...

दया :- नही सोढी भाई...आप जो बोल रहे हैं..वो ग़लत है..ऐसा मत कीजिए...

लेकिन सोढी तो अपने होश में नही था...उसे तो बस हवस की प्यास भुजानी थी...
वो दया के हाथ को झटका देके नीचे गिरा देता है...

और एक ही झटके में दया की साड़ी का पल्लू नीचे गिरा देता है..

दया अपने दोनो हाथ से अपने चुचों के ढक लेती है....और उसकी आँख से आँसू की कुछ बूँद टपक जाती है...

दया साड़ी के पल्लू के गिर जाने से..वो सिर्फ़ ब्लाउस में थी उपर से और उसके कुछ हद तक थोड़े से चुचे दिख रहे थी....सोढी की आँखों में हवस और बढ़ जाती है...

दया अपनी छाती छुपाने के लिए अपने हाथ से उसे धक लेती है.....
लेकिन सोढी बिना वक़्त गँवाए...उसके हाथ पकड़ के नीचे कर देता है..

और उसके चुचे निहारने लगता है..
दया ये सब कुछ सहन नही कर पाती..और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड़ लेती है....
 
दया अपनी छाती छुपाने के लिए अपने हाथ से उसे धक लेती है.....
लेकिन सोढी बिना वक़्त गँवाए...उसके हाथ पकड़ के नीचे कर देता है..

और उसके चुचे निहारने लगता है..
दया ये सब कुछ सहन नही कर पाती..और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड़ लेती है....

दया :- सोढी भाई आप ये ठीक नही कर रहे हैं....

सोढी :- अरे दया भाभी...अभी तो थोड़ी देर रुक जाओ..फिर देखना ये जट्ट क्या करता है...
मज़ा आएगा आपको...

दया :- छी...ऐसी बात सुनने से पहले में मर क्यूँ नही गई...

सोढी :- हाहहः....आज आप नही मरोगी...आज आपकी चूत मरेगी..हाहाहा...

दया ये सुन नही पाती...और वो सोढी का हाथ बहुत तेज़ी से पटकती है..जिससे उसका हाथ छूट जाता है..और वो वहाँ से भागने लगती है...

लेकिन जैसे ही वो कमरे के गेट तक पहुँचती है....वो उसके आगे नही जा पाती......

क्यूँ कि ..... उसकी साड़ी का पल्लू सोढी के हाथ में होता है....दया चौंक जाती है....वो पीछे मुड़ती है..और सोढी को देखती है...उसके हाथ में उसका पल्लू होता है..

दया :- सोढी भाई..प्लीज़..ऐसा मत कीजिए....

सोढी कुछ नही बोलता....और वो पल्लू को खिचना चालू कर देता है.....
दया पहले तो बिल्कुल टाइट से वहाँ खड़ी रहती है..लेकिन जब सोढी ज़्यादा ताक़त लगाती है..तो उसकी साड़ी खुलनी शुरू हो जाती है.....

और खिचते खिचते आख़िरकार...साड़ी खुल के दया के शरीर से अलग हो जाती है....और दया अब सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में होती है..

दया ये दृश्य नही देख सकती थी..इसलिए उसकी आँखें बंद थी..
उधर सोढी खड़ा खड़ा मुस्कुरा रहा था......

अब सोढी आगे बढ़ने लगा था....और वो दया के बेहद करीब आ जाता है...
और अपने होंठ आगे बढ़ा कर दया के होंठो पे रख देता है...और उसके होंठो का रस पिए जाता है...
दया को एहसास होते ही...वो पीछे भागती है...और अपने कमरे में जाने लगती है....और बस कमरे में पहुँचती है कि ....

सोढी भी पीछे पीछे आ जाता है....
और दया को पीछे से पकड़ के...अपनी बाहों में बाहर लेता है...
और अपनी चुंबनों की बरसात कर देता है उसकी गर्दन पर...

दया :- छोड़ दीजिए....प्लीज़...आहह....

सोढी तो चुंबनों के साथ..अपने हाथ नीचे गान्ड पे फिरा रहा होता है....जिससे दया का पेटिकोट उपर हो जाता है...और उसकी टाँगे नीचे से नंगी हो जाती है....जाँघो तक..
दया तो छटपटा रही थी..छूटने के लिए...लेकिन सोढी ने कस के पकड़ा हुआ था...

सोढी से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.....उसकी जीन्स में से लंड फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो रहा था.....इसलिए उसने दया को छोड़ दिया...
एक पल के लिए दया को लगा...हस्सह..बच गयी....

लेकिन उसकी ये खुशी ज़्यादा देर के लिए नही थी....क्यूँ कि सोढी ने पीछे से उसका पेटिकोट उठा दिया था...और दया से चिपक गया था....

जिसकी वजह से दया को एक विशाल लोहे जैसा अपनी जांघों पे महसूस हुआ...और उसे ये जानने में ज़्यादा वक़्त भी नही लगा...कि वो क्या है...

वो सोढी का लंड था..जो बिल्कुल तन के खड़ा था......दया सोच ही रही थी..कि सोढी ने उसे अपने हाथ से नीचे की तरफ बेंड कर दिया...

जिसकी वजह से दया की गान्ड और उभर के बाहर की तरफ आ गई.....सोढी के मुँह में पानी आ गया...
सोढी ने दया की काली कलर की पैंटी को अपने हाथ से नीचे कर दिया...
अब उसके सामने दया की सॉफ चूत सामने थी...
दया बेसहाय...कुछ नही कर पा रही थी...उसकी आँख से आँसू बहने लगे थे...

सोढी ने अपनी 2 उंगलियाँ ली..और चूत में घुसा दी....और अंदर बाहर करने लगा...

दया :- अह्ह्ह्ह....नही.....प्लीज़.....

कुछ देर तक उंगलियाँ अंदर बाहर करने के बाद...बाहर निकल लिया...
अब बर्दाश्त करना उसके लिया नामुमकिन जैसा हो गया था...

उसने चूत पे लंड लगाया....और एक झटका मारा.....जिससे आधा लंड अंदर चला गया...

दया:- अहह....हे मा...माताजी.......ओह......

सोढी :- मज़ा आया ना दया भाभी.....

दया कुछ नही बोली...

सोढी ने एक और धक्का मारा..

दया :- उई..ओह...

और लंड चूत की जड तक पहुँच चुका था....

बस भाई....अब ये झट पागल हो गया...ले दबा दब धक्के....बुरी तरह से..

दया बुरी तरह हिल रही थी....उसके चुचे आगे पीछे हो रहे थे....

सोढी :- अह्ह्ह्ह..ओह्ह्ह मज़ा आ रहा है...क्या चूत है..

दया :- सोढी भाई..रुक जइईए..अहह...ओह्ह्ह्ह..उई माआ....

लेकिन अपना सोढी तो आज पूरे मूड में था....उसने तो धक्को की बरसात ही कर दी...
 

लेकिन अपना सोढी तो आज पूरे मूड में था....उसने तो धक्को की बरसात ही कर दी...
अब दया से खड़ा होना मुश्किल हो रहा था...क्यूँ कि धक्के इतनी तेज़ थे..कि उसके पैर कांप रहे थे....

लेकिन सोढी ने दया को पकड़ रखा था कमर से इसलिए वो नीचे भी नही बैठ पा रही थी...

सोढी के धक्को की रफ़्तार बढ़ गई..वो अपनी चरम सीमा में पहुँचने ही वाला था.....

सोढी :- दया भाभिजी.....अह्ह्ह्ह.....
और अपना सारा रस दया की चूत के अंदर उडेल देता है....

और दया को छोड़ देता है..दया ज़मीन पे गिर जाती है..
उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे...लेकिन वो एक दम पत्थर की तरह पड़ी थी ज़मीन पर........

बॅक टू लाइव इन क्लब हाउस...

ये सब सुन सबके होश उड़ जाते हैं..

जेठालाल का तो मुँह खुला का खुला रह जाता है...

अंजलि रोशन माधवी..रीता....ये सब सुन के चौंक जाते हैं......

सबका एक ही रिक्षन था...सबके मुँह खुले हुए थे....

अगला एपिसोड बहुत गरम होने वाला है.....

जेठालाल का तो मुँह खुला हुआ था....
अगर थोड़ी देर और बंद नही करता तो कुछ मच्छर घुस जाते अंदर..
वो तो शूकर है...बंद कर लिया...

जेठालाल :- दया....बड़े प्यारे स्वर में...
तेरे साथ ये सब हो गया...और और...

दया :- अब क्या फ़ायदा टप्पू के पापा...जब आपकी ज़रूरत थी तब तो आप थे ही नही....

जेठालाल :- मुझे माफ़ कर दे दया...
मुझे ये उम्मीद नही थी...

दया :- अब रहने दीजिए.....इसका कोई फ़ायदा नही है....

जेठालाल को गुस्सा आ रहा था....वो ज़ोर से चिल्लाता है.....
सोढीईई.....

पूरा क्लब हाउस हिल जाता है....सब जेठालाल की आवाज़ सुन के बहुत डर जाते हैं...

तारक :- जेठालाल शांति रखो.....तुम अब ये कड़वा सच सहना पड़ेगा...

जेठालाल :- क्या शांति मेहता साहब....क्या शांति...सुना नही क्या हुआ मेरी दया के साथ...

तारक :- देखो जेठालाल सोढी की ग़लती तो है ही..लेकिन तुम्हारी भी उतनी ही ग़लती है...इसलिए तुम अकेले उस को दोष नही दे सकती....
समझो बात को..

जेठालाल :- क्या समझू मेहता साहब....
और जेठालाल टेबल पे बैठ जाता है...अपने सर पे हाथ रख के...
बहुत दुखी मन से...
उसे पता था जो हुआ बहुत ग़लत लेकिन अब कुछ नही हो सकता था...

तारक :- हिम्मत रखो जेठालाल....अब क्या कर सकते हैं...हमने जो पाप किया है..उसकी सज़ा तो हमे भुगतनी तो पड़ेगी ही....

बहुत ही सॅड महॉल था.....सभी उदास थे...कोई कुछ नही बोल पा रहा था....
तभी बबीता ने खामोशी को तोड़ा..
 


बबीता :- अब क्या फ़ायदा आप लोगों के ऐसे उदास होने का..
जो करना था वो तो कर चुके आप लोग..
हमारी इज़्ज़त के साथ तो खेल चुके ....
आप लोग अभी इतना दुखी हो रहे हैं...तो सोचिए हम लोगों को कितना दुख सहना पड़ा होगा..उस वक़्त.....

जेठालाल बबीता की बाते सुनता है...उसे पता था..कि अब उसकी बारी है....उसका क्या होगा......

रात के 2 बजे के आस पास....डोर बेल बजती है....

बबीता :- शायद अईयर ही होंगे..

वो गेट खोलने चली जाती है...
जेठा जी आप...इस वक़्त..

जेठालाल नशे में धुत ....
क्यूँ बबीता जी में नही हो सकता...आपसे मिलने का मन किया तो आ गया..

बबीता :- जेठा जी आप ने पी रखी है...

जेठालाल :- हाँ आपकी याद में थोड़ी सी पी ली....

बबीता :- ये आप क्या बोल रहे हो...

जेठालाल :- आप मुझे अंदर नही बुलाएँगी....

बबीता कुछ सोचती है...उसे लग रहा था कि अंदर नही बुलाती हूँ..फिर भी वो जेठालाल को अंदर आने देती है..
या यूँ मानिए...की वो ज़बरदस्ती घुस गया...

बबीता :- जेठा जी आइ थिंक आपको अपने घर जाना चाहिए...

जेठालाल :- अपने घर ही तो आया हूँ...ये भी तो मेरा ही घर है...
और बबीता को घूर्ने लगता है...

बबीता ने ब्लू नाइट सूट पहना हुआ था...जिसके टॉप के कुछ उपर के बटन्स खुले थे.....सॉफ सॉफ कोई भी..बबीता के सुंदर गोल गोल बड़े बड़े...चुचे दिख रहे थे......

जेठालाल का मुँह खुल गया..जैसे उसे दूध की बॉटल चाहिए हो मुँह में..

बबीता नोटीस कर लेती है की जेठालाल कहाँ देख रहा है....वो फटाफट अपने बटन बंद करने लगती है...

जेठालाल :- रहने दीजिए ना...अच्छे लग रहे हैं...

बबीता :- वॉट???

जेठालाल अब बबीता के करीब बढ़ने लगता है..
बबीता घबरा रही थी..कि आज क्या होने वाला है उसके साथ..

बबीता :- जेठा जी.....आ..प्प....आ..ज्ज ठे..एक नही लग रहे हैं..आपको घर जाना चाहिए...

लेकिन जेठालाल तो जैसे बेहरा हो गया था...वो तो बस बबीता की तरफ आगे बढ़ रहा था...
बबीता के माथे से पसीना निकल रहा था..

जेठालाल बबीता के बिल्कुल करीब पहुँच गया...

बबीता :- जेठा जी...अहह....
पूरे कमरे में ये आवाज़ गूँज उठती है...

जेठालाल ने अपने दोनो हाथो से बबीता के बड़े बड़े चुचों को दबा दिया था..
और वो भी इतनी ज़ोर से..कि बबीता से सहन नही हुआ.....

जेठालाल अपने दाँत फाडे बुरी तरह से चुचों के साथ खेल रहा था...

बबीता :- जेठा जी छोड़िए......छोड़ दीजिए...अहह...ओह्ह्ह...

बबीता जेठालाल को धक्का मारती है...जिससे जेठालाल पीछे सोफे की तरफ गिरता है..

लेकिन गिरते वक़्त वो बबीता का हाथ पकड़ लेता है...जिससे बबीता भी उसके उपर ही गिर जाती है....

गिरने के कारण बबीता जेठालाल के उपर आ जाती है...जिससे उसके चुचे..जेठालाल की छाती में धँस जाते हैं...उसके मुँह से फिर एक...अहह...निकल जाती है...

जेठालाल :- अहह...बबीता जी...कितना मज़ा आ गया..

बबीता :- छी..जेठा जी...मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नही थी..

जेठालाल :- हाँ तो अभी तो ये शुरुआत है..आगे देखिए..आपको खुश कर दूँगा.....

बबीता :- जेठा जी छोड़िए मुझे...
और उठने लगती है..

लेकिन जेठालाल ने तो मानो कसम खा रखी थी..कि आज तो वो बबिता जी का हाथ छोड़ेंगे ही नही....
उसने बबीता का हाथ कस के पकड़ा हुआ था...

और अभी भी उसी पोज़ीशन में बबिता जेठालाल के उपर लेटी हुई थी...
और बबीता के चुचे जेठालाल में धन्से पड़े थे...
 
लेकिन जेठालाल ने तो मानो कसम खा रखी थी..कि आज तो वो बबिता जी का हाथ छोड़ेंगे ही नही....
उसने बबीता का हाथ कस के पकड़ा हुआ था...

और अभी भी उसी पोज़ीशन में बबिता जेठालाल के उपर लेटी हुई थी...
और बबीता के चुचे जेठालाल में धन्से पड़े थे...

जेठालाल चुचों को महसूस कर के अपने आप को इस धरती का सबसे लकी आदमी समझ रहा था..और वो कितना खुश था...इसका अंदाज़ा उसके पैंट के अंदर से पता चल रहा था....
जो आगे से फूला हुआ था...

जी हाँ जेठालाल....का लंड पूरा अकड़ चुका था...
और वो बबीता को नीचे से चुभ रहा था..

बबीता इसके कारण वहाँ से उठना चाहती थी..लेकिन वो छुड़ा नही पा रही थी..अपने आप को..

बबीता :- छोड़ दीजिए...जेठा जी...मुझे..प्लीज़....

जेठालाल इस बार बबीता को छोड़ देता है..

बबीता खुश हो जाती है...और वो उठने लगती है...पर जैसे ही उठती है...वो नीचे ज़मीन पर गिर जाती है...

क्यूँ कि इस बार जेठालाल ने बबीता के पैर पकड़ लिए थे...

बबीता दर्द में....अहह..जेठा जी....ये क्या किया अपनी...उफफफफफ्फ़...आ.

जेठालाल :- ओहो लग गई आपको..

बबीता ज़मीन पे पड़े पड़े ...हाँ..

जेठालाल :- कहाँ लग गई...

बबीता :- यहाँ पर...
और वो अपनी जाँघो की तरफ इशारा करती है...

जेठालाल फ़ौरन खड़ा होता है..और बबीता के पैर के साइड में आके बैठ जाता है....

जेठालाल :- रुकिये में ठीक कर देता हूँ...

और बबीता का.....

नीचे से पाजामा को खिच कर उतारने की कॉसिश करता है....लेकिन ज़्यादा नही उतार पाता ...क्यूँ कि बबीता बैठी हुई थी..
 
बबीता :- चिल्लाते हुए....ईए क्य्ाआआ..
कर रहे हैं आप...छोड़िए...
और उठने लगती है..

ये मौका सही था जेठालाल के पास.....वो फ़ौरन पाजामा पकड़ लेता है...और खीच देता है इस बार....
इस बार पाजामा घुटनो तक पहुँच जाता है.....

उफफफफफ्फ़....पाजामा उतरने के बाद का नज़ारा..खुद जेठालाल नही सहन कर पाता...

अंदर कोई और कपड़ा नही था..यानी पैंटी नही पहनी थी बबीता ने..
कोरी चूत...बिल्कुल सॉफ..एक भी बाल नही...और इतनी चिकनी लग रही थी..कि पूछो मत...दूध सी जैसी सफेद थी..

जेठालाल की तो जीभ फड़फड़ाने लगी....

बबीता पाजामे के खिचने की वजह से फिर से नीचे गिर चुकी थी...
उसकी टाँगे खुली थी..और बीच में चूत सॉफ दिखाई दे रही थी..

बबीता :- प्लस्सस ऐसा मत कीजिए..आप तो मुझसे अपना बेस्ट फ़्रेंड मानते हो ना...
और पीछे खिसक ने लगती है...

लेकिन जेठालाल इस बात के परवाह किए बिना..अपनी पैंट और अंडरवेर एक झटके मे उतार देता है...
और अपने विकराल रूप में आए लंड को बाहर निकाल लेता है....

बबीता एक बार को जेठालाल का लंड देख कर चौंक जाती है....उसे लगता है..कितना बड़ा है जेठालाल का....लेकिन अगले ही पल उसे याद आता है..कि वो शादी शुदा है...और ऐसे अईयर को धोका नही दे सकती...
इतना सोच ही रही थी..की जेठालाल उसके बेहद करीब पहुँच चुका था..

जेठालाल :- क्यूँ ना इस गुलाबी होंठो का रस पीया जाए...

बबीता :- प्लीज़..ऐसा.....औहम्म्म्मम...

जेठालाल ने अपने होंठ रख दिए थे बबीता के होंठो पर...और उन्हे ऐसे चूस रहा था...जैसे कोई बच्चा लोली पोप चूस्ता है....

कुछ मिनट तक बबीता के होंठो का सेवन करने के बाद वो हटा....

बबीता :- प्लीज़ जेठा जी रुक जाए...उसका एक बूँद आसू टपक जाता है.....

लेकिन जेठालाल कहाँ मानने वाला था...

जेठालाल :- बबीता जी...आज में आपको दिखा दूँगा..कि आपने उस अईयर..के साथ शादी कर के कितना ग़लत काम किया है....

बस इतना हे बोलता है...और अपना लंड चूत से सटा देता है,....
ऐसा लग रहा था..कि जेठालाल अपने लंड को क़िस्सी दिला रहा था बबीता की चूत की....

बबीता आँखें बंद कर लेती है..उसे पता था...कि अब क्या होने वाला है......

और वो हल्का सा धक्का लगाता है.....
 

हल्का सा लंड अंदर चला जाता है...और बबीता के मुँह से हल्की सी आहह निकल जाती है...
जेठालाल एक और धक्का लगाता है....और इस बार पूरा अंदर...

बबीता :- अहह...ओह......

बबीता इस वक़्त बहुत घटिया फील कर रही थी.....उससे आख़िर कर रहा नही गया और वो बोल पड़ी...

बबीता :- जेठा जी..आज आपने वो कर दिया जो मेने सपने में नही सोचा था..,.
मुझे लगा था कि आप बहुत अच्छे इंसान हो..लेकिन आपने तो....
आज के बाद में आपकी शाक़ल देखना पसंद तक नही करूँगी....आपसे कभी बात नही करूँगी.......

क्य्ाआआआआआआआअ.......

पूरे क्लब हाउस में ये आवाज़ गूँज जाती है...

आप ऐसा नही कर सकते .... आपको मुझसे बात करनी ही पड़ेगी बबी.......

तारक :- बीच में रोकते हुए....क्या हुआ जेठालाल ... क्या सोच रहे हो...
किस को बात करनी पड़ेगी...

जेठालाल अपने चारो तरफ देखता है...अपने मन में...
उफफफ्फ़....में तो क्लब हाउस में हूँ...पता नही चला कब सोच में चला गया....हस्शह....वो सिर्फ़ एक सपना था...अगर ऐसा बबीता जी ने असलियत में बोल दिया तो क्या होगा मेरा...

तारक :- जेठालाल क्या सोच रहे हो क्या हो गया...तुम ठीक तो हो ना..

सभी वहाँ पूछते हैं..कि क्या हुआ जेठालाल...

जेठालाल :- नही कुछ नही...
अपने मन में.. बच गया....

(जेठालाल :- बच गया मन में सोचता है...)
लेकिन में कहता हूँ कितनी देर के लिए...अभी कुछ देर बाद तो बबीता जी खुद बताने ही वाली है.....

जेठालाल मन में...हस्शह बच गया ....अगर ये सपना मेरा सच होता तो...बबीता जी मुझसे काफ़ी बात नही करती.....कितना भयानक सपना था..

तारक :- जेठालाल अभी तक क्या सोच रहे हो..

जेठालाल :- वो बबीता जी को सॉरी बोलना है...

और जेठालाल खड़ा होके पीछे मुड़ता है...बबीता को सॉरी बोलने...
लेकिन वो जैसे ही पीछे मुड़ता है....उसको अपनी आँखों पे यकीन नही आता....वो हैरान रह जाता है....

तारक :- भाई क्यूँ बोलना है बबीता जी को सॉरी....
अभी आने तो दे उन्हे....

जेठालाल :- क्य्ाआआआ......
आने दे का क्या मतलब है आपका...
अभी यहीं तो थी..
उनके साथ बाकी की सारी लॅडीस भी तो थी....

 
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