XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा - Page 17 - SexBaba
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XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा



तारक :- क्या बोल रहे हो जेठालाल .... हम तो इतनी देर से यहीं हैं...अभी तक कोई आया ही नही है...

जेठालाल :- लेकिन मेहता साहब...अभी तो हम लोगों को डाँट पड़ रही थी...यहाँ पर...सबकी पॉल खोली जा रही थी...

ये बात इतनी तेज़ बोलता है जेठालाल कि आजू बाजू खड़े सोढी भिड़े और अईयर ये सुन के उसके पास आ जाते हैं..

सोढी :- क्या हुआ जेठा प्रा..क्यूँ चिल्ला रहे हो..

तारक :- अरे सोढी जेठालाल बोल रहा है..कि अभी सारी लैडेस यहीं पर थी और सबकी पोल खुल रही है..
 
ये बात इतनी तेज़ बोलता है जेठालाल कि आजू बाजू खड़े सोढी भिड़े और अईयर ये सुन के उसके पास आ जाते हैं..

सोढी :- क्या हुआ जेठा प्रा..क्यूँ चिल्ला रहे हो..

तारक :- अरे सोढी जेठालाल बोल रहा है..कि अभी सारी लैडेस यहीं पर थी और सबकी पोल खुल रही है..

सोढी :- पोल ..कैसी पोल...

भिड़े :- क्या बोल रहे हो जेठालाल..

अईयर :- ये जेठालाल को कुछ ना कुछ सुजता रहता है.....जेठालाल तुम पागल तो नही हो गये हो..

जेठालाल :- आईए अईयर भाई..शांति रखो ना थोड़ी देर...

तारक :- अईयरर्र्ररर...
अच्छा जेठालाल तुम शांति से बैठो और बताओ..क्या हुआ है...
तुम क्या कहना चाहते हो..

जेठालाल :- पहले ये बताइए मेहता साहब..कि जबसे हम यहाँ आए हैं...उसके बाद सोसाइटी के सारी लेडीज़ आई थी कि नही....

तारक :- नही...जब से हम आए हैं..अभी तक नही आई..

सोढी :- हाँ यार...पता नही कहाँ रह गयी..हमे बुला के..

भिड़े :- लगता है....कोई बड़ी सज़ा देने के लिए समान इकट्ठा कर रही होंगी...

अईयर :- हाँ तो फिर हमने काम भी तो ऐसा ही किया है...
लेकिन मुझे एक बात समझ नही आ रही .. कि हम दूसरों के घर कैसे पहुँच गये...
कहीं जेठालाल......तुम्हारा आइडिया तो नही था ये..

जेठालाल गुस्से में खड़ा होता हुआ अईयर से...
ये अईयर इडली....तू पागल है पागल..यहाँ क्या बात चल रही है..और तू क्या बोल रहा है..

तारक :- जेठालाल जेठालाल...तुम शांत हो जाओ...
और अईयर क्या बेवकूफी वाली बात कर रहे हो....चुप्प रहो ना.

सोढी :- हाँ अईयर चुप रहो ना...क्यूँ परेशान कर रहा है जेठा प्रा को...

तारक :- हाँ जेठालाल तुम शांति से बताओ..क्या हुआ...क्यूँ परेशान हो तुम...

जेठालाल :- मेहता साहब वो..
और इधर उधर नज़र दौड़ाता है....
पोपटलाल नही आया अभी तक्क..मेहता साहब...

भिड़े :- क्यूँ उसे भी आना था...
लेकिन उसकी तो अभी शादी भी नही हुई है...

जेठालाल :- आए चपली....मेने तुझसे पूछा ...मेने मेहता साहब से पूछा है ना..

तारक:- जेठालाल तुम बताओगे...की क्या हुआ...तुमने कोई बुरा सपना देखा क्या...

 
जेठालाल सोचने लगता है....
और उसके सामने पूरा का पूरा नज़ारा आ जाता है...जो उसने आख़िर तक देखा था..यानी कि...
माधवी की कहानी से लेकर बबीता की कहानी तक.....

तारक :- जेठालाल....जेठालाल....कहाँ खो गये भाई...

जेठालाल :- हन्न्न.....हाँ...वो ... वो....

अईयर :- अब वो वो ही करते रहोगी...कि आगे भी बोलोगे...

जेठालाल :- आईईईई चपली...शांति रख......

इतनी ज़ोर से बोलता है..कि अईयर की तो साँसें उपर चढ़ जाती है....

तारक :- भाई अईयर तू शांत रहने के लिए क्या लेगा..

सोढी :- में इसका मुँह बंद कर देता हूँ...

जेठालाल :- हाँ सोढी...मुँह क्या..इसे पूरा का पूरा बंद कर दे....
कर टाइम पंचाट पंचाट..पंचाट...

तारक :- शांति रखो जेठालाल....

अईयर :- सॉरी...ईये एम सॉरी जेठालाल...अब नही बोलूँगा...

तारक :- हाँ बताओ..क्या हुआ है..

जेठालाल :- मेहता साहब..मेने अभी बहुत बुरा ...बुरा क्या...भयानक..सपना देखा है...जिससे मेरे रोंगटे खड़े हो गये हैं....

तारक :- ऐसा क्या देख लिया तुमनी..

भिड़े :- हाँ ऐसा क्या देखा.

सोढी :- दसो...जेठा प्रा...

जेठालाल :- आप तो जानते ही हैं..की हम लोग ग़लती से दूसरों की बीवियो के घर चले गये थे...
और फिर वही बातें दिमाग़ में चल रही थी...
यहाँ बैठे बैठे पता नही कब सोच में चला गया....और ऐसा ख़तरनाक सपना आ गया...

तारक :- जेठालाल अब बता भी दो क्या देख है तुमने...

और..अब जेठालाल वो सब बता देता है...जो उसने सपने में देखा था.....

सबकी होश ...उड़ जाते हैं..
मुँह खुला का खुला रह जाता है....

सोढी :- गुस्से में....ये क्या बोल रहे हो...जेठा प्रा....में छोड़ूँगा नही....अगर क्सिसी ने भी रोशन के साथ कुछ किया तो..

तारक :- सोढी तू शांत रह...ये गुस्से का टाइम नही है..और वैसे भी ये सपना ही हैं..

सोढी :- तुस्सी ठीक बोल रहे हो..मेहता साहब....

तारक :- जेठालाल शांत हो जाओ...सपना ही तो है.....

जेठालाल :- मेहता साहब....दिन के सपने कभी कभी सच हो जाते हैं....

ये बात सुन के सब के एक बार फिर होश उड़ जाते हैं....

भिड़े :- अगर ये सच हुआ तो....देव देवा....
वैसे भी ह्हम लोग कल नशे में थे...और ...

बस इतना ही बोलता है....
कि सामने से लॅडीस एक के बाद एक एंटर होने लगती है...

सबसे पहले अंजलि..उसके पीछे दया..उसके पीछे बबीता...उसके पीछे रोशन..और आख़िर में माधवी....

सब की सब ऐसे ही खड़ी हो जाती है...जैसे सपने में जेठालाल ने एक देखा था....
उसके सामने जिसके साथ हो रात में थी...

जेठालाल ये देख के हैरान हो जाता है...क्यूँ कि उसके सपने की शुरुआत हो चुकी थी.....

सभी लेडीज़ की आँखों में गुस्सा सॉफ झलक रहा था......

सभी जेंट्स की सिट्टी पिट्टी गुल थी...सबकी आँखों में डर था..
एक डर वो जो जेठालाल के सपने से हुआ था...और दूसरा ...सारी लॅडीस की आँखों में गुस्सा....

कुछ मिनट बाद....जेठालाल की नज़र दरवाजे पे पड़ती है....
और वहाँ देख कर उसकी गान्ड फट जाती है....
 
कुछ मिनट बाद....जेठालाल की नज़र दरवाजे पे पड़ती है....
और वहाँ देख कर उसकी गान्ड फट जाती है....

जेठालाल :- धीरे से..मेहता साहब वो देखिए..

तारक भी दरवाजे की तरफ देखता है....उसकी भी गान्ड फट जाती है...

जी हाँ दरवाजे पर पोपटलाल खड़ा था...और वो अंदर आ रहा था...

और जब उसकी पीछे देखते हैं कि रीता रिपोर्टर आ रही है...
तो एक बार तो जेठालाल चक्कर खाने लगता है..लेकिन मेहता शहाब उसे संभालते हैं..

बाकी के बचे अईयर सोढी और भिड़े...पोपटलाल और रीता को देख कर अपने सर पे हाथ रख लेते हैं...
क्यूँ कि उनकी भी बड़ी वाली गान्ड फट चुकी थी..

जेठालाल :- देखा मेहता साहब...देखा..मेरा सपना सच हो गया ना...

तभी वहाँ से आवाज़ आती है....
कैसा सपना..........किसी लेडी की ही थी....

जेठालाल :- मेहता साहब मेने कहा था ना दिन के सपने भी सच होते हैं..

मेहता साहब क्च बोलते उससे पहली....एक आवाज़ आती है.....

कैसा सपना..

जेठालाल आवाज़ की तरफ देखता है...तो वो आवाज़ दया की थी....

दया :- सपना....कौन सपना..

जेठालाल :- दया वो सपना...

बस इतना ही बोलता है..

दया :- हे माआ माताजी....
इसका मतलब आपका चक्कर किसी सपना के साथ है...

सभी लोग दया की ये बात सुन के हैरान हो जाते हैं और जेठालाल की तरफ देखने लगते हैं...

जेठालाल :- दया..

बस इतना ही बोल पाता है...
कि आदत से मजबूर...

अईयर :- जेठालाल...तुम्हारा चक्कर किसी सपना के साथ है...छी छी....मुझे तुमसे यही उम्मीद थी..

जेठालाल :- क्या कहा अपने..

अईयर :- मेरा मतलब है मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी..

जेठालाल :- अईयर भाई आप क्या हो..

अईयर :- क्या हो मतलब्...

जेठालाल :- नही मेरा मतलब है..आप ससिएनिस्ट हो..

अईयर :- ससिएनिस्ट नही साइंटिस्ट..साइंटिस्ट...
हाँ हूँ तो..

जेठालाल :- तो फिर क्या ज्योतिष् गिरी का नया धंधा शुरू किया है...
आपको दुकान से निकाल दिया है क्या..

अईयर :- जेठालाल..

तारक :- जेठालाल .... अईयर चुप हो जाओ तुम दोनो..

जेठालाल :- मेहता साहब...अईयर भाई को देखो ना..
कहाँ इतनी सियरियस बात हो रही है..और ये अईयर भाई...इनको सिर्फ़ बीच में बोलना है...

अईयर :- सॉरी...
 

(पता नही क्यूँ अईयर बीच में बोलता है...साला समझता ही नही है...
बाद में खुद को ही सॉरी बोलना पड़ता है...नालयक कहीं का...)

जेठालाल :- दया...क्या बोल रही है तू..

दया :- सही बोल रही हूँ....
जब कल रात को....आप सब ....

और आगे नही बोलती..

जेठालाल :- देख दया...कल रात जो हुआ..उसके बारे में ही बात करने के लिए तुमने हमे बुलाया है..
लेकिन पहले ये सपना वाली बात को तो क्लियर कर लें...
सपना यानी कि...सपना...कोई लड़की नही...
रात में जो आता है ना...सोते टाइम वो वाला सपना..

दया :- ओह्ह्ह्ह अच्छा वो वाला..
सॉरी..

अंजलि :- दया भाभी...सॉरी नही बोलिए..

दया :- ओह हां....नो सॉरी..टप्पू के पापा...

जेठालाल तारक को ... तारक जेठालाल को...भिड़े सोढी को...और सोढी अईयर को...और अईयर भाई साहब..अंजलि भाभी को देख रहे तीए...

पोपटलाल तो अपनी नज़र झुकाए..खड़े थे...अपने छाते के सहारे....

तारक :- देखो अंजलि हम समझते हैं....
कि हम लोगों से जो हुआ कल रात वो नही होना चाहिए था...
बिल्कुल ग़लत किया हमने तुम्हारे साथ...

अंजलि :- आपको अब लग रहा है तारक ..कि ये ग़लत है...
जब कल आप लोग सभी झूठ बोल के पार्टी के लिए गये थे...तब समझ नही आया था आपको....

तारक :- वही तो बोल रहा हूँ अंजलि..हमारा मकसद सिर्फ़ मस्ती करने जाने के लिए था....और कुछ नही...

माधवी :- मस्ती करने....
या फिर जो कल रात आपने किया वो सब करने...

भिड़े :- माधवी तुम भी ग़लत समझ रही हो....हमारा ऐसा कोई इरादा नही था...

बबीता :- हाँ अब तो हम ही ग़लत समझ रहे हैं...
जब आप लोग ग़लत ग़लत कर रहे थे तब कुछ नही....

अईयर :- बबीता...डियर....

बस इतना ही बोलता है..

बबीता :- तुम तो कुछ बोलो ही मत अईयर..

बेचारा अईयर....खैर....उसके साथ ऐसा ही होता है....

सोढी :- रोशन मेरी जान..तू तो समझ...हम सिर्फ़ थोड़ी सी पार्टी शार्टी करने ही गये थे...

रोशन :- पार्टी शार्टी....पार्टी शार्टी...
अगर तू सिर्फ़ पार्टी कर के आता तो ठीक था...1 पर्सेंट में तुझे माफ़ भी कर देती...
लेकिन जो तूने कल किया है..छी..सोच के भी गुस्सा आ रहा है...

सभी लॅडीस एक आवाज़ में हान्ंणणन्...

 

हर बात का...हर बात का पोपट हो रहा था...जेंट्स का...लॅडीस तो कुछ सुनने को ही तैयार नही थी.....

कुछ देर के लिए खामोशी छा गई..

तभी जेठालाल उस खामोशी को तोड़ता हुआ....

जेठालाल :- हम तो समझते हैं कि हम यहाँ क्यूँ है...
लेकिन पोपटलाल तुम यहाँ कैसे....
तुम क्यूँ आ ये हो यहाँ..
और रीता तुम भी क्यूँ ... कुछ समझ नही आ रहा है..

सोढी :- अरे हाँ पोपु...तू यहाँ कैसे.

भिड़े :- हाँ पोपटलाल कैसे..

जेठालाल :- अरे भाई उसे बोलने दोगे तभी तो वो बोलेगा...क्या बार बार कैसे कैसे कर रहे हो..शांति रखो थोड़ी..
हाँ बोलो पोपटलाल ...

पोपटलाल :- वो वू.उूओ.....उूओ..

तारक :- अरे क्या वो वो...बता भी..

रीता :- में बता ती हूँ मेहता साहब...

ये यहाँ इसलिए है...क्यूंकी....क्यूंकी...
कल रात ये मेरे साथ था.....

क्य्ाआआआआआआआआअ....

सभी जेंट्स के मुँह से निकलता है....

जेठालाल :- पोपटलाल शर्म नही आई तुम्हे....

इसमे शर्म कैसी....जब आपको नही आई तो इन्हे क्यूँ आएगी...

जेठालाल :- दया.....
और मन में सोचता है..
शायद चुप ही रहना ठीक होगा...

उसे तो अपने सपने का डर सता रहा था..क्यूँ कि बिल्कुल वैसा ही हो रहा था जैसे सपने में हुआ था....

फिर से एक सन्नाटा छा जाता है....क्लब हाउस में.....
किसी के पास कुछ नही था बोलने को...

मगर सबकी आँखें कुछ ना कुछ बोल रही थी...

लॅडीस की आँखों में एक तरफ गुस्सा था...और दूसरी तरफ एक सवाल...कि क्यूँ किया ऐसा..

उधर जेंट्स की आँखों में डर था...और दूसरी तरफ अफ़सोस कि क्यूँ किया ऐसा उन्होने.....

लेकिन आखों से सिर्फ़ एक दूसरे को बताया जा सकता है...लेकिन समझाया नही....इसलिए अब एक जने को चुप्पी तोड़नी ही थी..वो और चुप्पी तोड़ी तारक ने

तारक :- देखो अंजलि हम लोग माफी के काबिल तो नही है..
लेकिन फिर भी हम तहे दिल से आप सब से माफी माँगते हैं...

जेठालाल :- हाँ दया..मेहता साहब बिल्कुल ठीक बोल रहे हैं...

अंजलि :- बस माफी माँगने से ... जेठा भाई....सब कुछ ठीक हो जाएगा....

तारक :- हाँ में मानता हूँ..कि हमने ग़लती की है..जो माफी के लायक नही है...
और हम सज़ा भुगतने के लिए भी तैयार हैं.....

भिड़े :- हाँ बिल्कुल तैयार हैं...

माधवी :- सज़ा तो अप लोगों को मिलेगी ही....

काफ़ी कड़क आवाज़ में बोलती है....

दया :- लेकिन सज़ा आप सब को बापूजी के आगे ही मिलेगी......

जेठालाल :- क्य्ाआआआअ....नही....

सब के होश उड़ जाते हैं.....बापूजी का नाम सुन कर...

तारक :- लेकिन अंजलि ऐसा मत करो...हम चाचाजी का सामना कैसे करेंगे..

बबीता :- वो तो आपको पहले सोचना था...

अईयर :- लेकिन बबीता...

बबीता :- तुम चुप रहो अईयरर्र....

रोशन :- हाँ रे हाँ चाचाजी ठीक करेंगे सब को....

सोढी :- लेकिन रोशन्न....

अंजलि :- लेकिन वेकीन कुछ नही...अब तो चाचाजी के आगे आप सब को खड़ा करेंगी.....वैसे हम ने एक और पनिशमेंट सोची है आप सब के लिए...

तारक :- कैसी पनिशमेंट...

दया :- हम आपको....डाइवर्स पेपर देंगी....

जेठालाल :- क्या.....देंगी...

अंजलि :- दया भाभी..डाइवर्स नही...डाइवोर्स पेपर्र्र...

जेठालाल :- अच्छा डाइवोवर्स...में पता नही क्या सोच रहा था...
कुछ सेक बाद.....
क्य्ाआआआआआआ......डाइवोर्स तू क्या बोल रही है दया.........
तू ठीक तो है ना...

तारक :- हाँ अंजलि...देखो जल्द बाज़ी में कोई फ़ैसला मत लो....
हम जानते हैं..कि हमसे जो ग़लती हुई है..वो बहुत बड़ी है..लेकिन इसका मतलब ये नही की सीधा बोल दिया तलाक़...
ये ग़लत है...

अईयर :- बिल्कुल सही कहा मेहता साहब आपने...
आप सब लोग एक बार सोचो तो सही..कोई ऐसे क्या डाइवोर्स देता है...

सोढी :- रोशन मेरी जान...तू मुझे छोड़ के चली जाएगी..

रोशन :- हाँ बिल्कुल छोड़ दूँगी...
 


अंजलि :- देखिए तारक....
हमे आपसे अब कोई बात नही करनी..
हम ने अपना फ़ैसला ले लिया है...
अब तो चाचाजी के सामने सारी बातें होंगी..

भिड़े :- अहूओ माधवी...बात को समझो...
ऐसा नही हो सकताअ..

माधवी :- क्यूँ नही हो सकता...
बॅस आपको साइन ही तो करने हैं...
वैसे भी आप लोगों को अकेले अकले पार्टी करनी होती है..
बेकार में हमसे झूठ बोल के जाना पड़ता है..कितनी मेहनत का काम है ये..
और फिर हाँ नशे में आके...
कल रात जैसी गंदी हरकत करो....

पोपटलाल :- हस्सह में तो बच गया फिर्र...

ये बात रीता सुन लेती है...

रीता :- पोपटलाल ....तुम नही बचे हो...
तुम्हे तो में ऐसा सबक सिखाउंगी ... कि पता चलेगा...

पोपटलाल की सिट्टी बिट्टी गुल हो जाती है...

जेठालाल :- मेहता साहब....
आप मेरी फाइयर बेरीगाड़े हो....यहाँ इतनी बड़ी आग लग गई है..
और आप चुप चाप खड़े हो....
इस आग को भुजाओ..
नही तो बापूजी मेरी जिंदगी आग लगा के खाक कर देंगे.....सोचिए कुछ...

तारक :- जेठालाल फाइयर बेरीगाड़े नही फाइयर बग्रेड
जेठालाल....तुम्हारे साथ आज मेरी भी ज़िंदगी में आग लग चुकी है..
इसको भुजाने के लिए कोई और चाहिए....

भिड़े :- मेहता साहब...आप ऐसा कहेंगे...तो हमारा क्या होगा..
कुछ तो कीजिए...

सोढी :- हाँ मेहता साहब...आब आपने कुछ नही किया...
तो हमारी ज़िंदगी की ऐसी की तैसी हो जाएगी......

तारक :- में कॉसिश करता हूँ...
लेकिन आप सब लोग भी मेरा बराबर साथ देना....

जेठालाल :- हाँ आप चिंता ना करे...

लॅडीस सब के सब एक कोने में ग्रूप बना के खड़ी थी....
अंजलि के डिसीजन के बाद कोई भी वहाँ बोलना नही चाहता था......

तारक :- देखो अंजलि....
हमारी एक बार बात तो सुन लो....

अंजलि :- क्या सुनो तारक....
अंजलि की आँख में हल्के आँसू थे...

तारक :- एक बार प्लीज़....
हमारी बात तो सुनो...
कम से कम अपने डिसीजन को एक बार सोचो...जो कदम तुम उठा रहे हो...वो बहुत ग़लत है....
 
तारक :- एक बार प्लीज़....
हमारी बात तो सुनो...
कम से कम अपने डिसीजन को एक बार सोचो...जो कदम तुम उठा रहे हो...वो बहुत ग़लत है....

अंजलि :- ग़लत है....ये आप बोल रहे हैं...
आप लोगों ने हमारी भावनाओं के साथ खेला है.....

पार्टी में जाने के लिए ही आपने उस दिन घर सजाया था..इतने रोमॅंटिक मूड में थे...और इतना प्यार किया था.....
सिर्फ़ एक पार्टी के लिए..
इसका मतलब वो सब झूठ था...एक दिखावा था...

तारक :- देखो ऐसा कुछ नही है..में तो..

बॅस इतना ही बोल पाता है....

दया :- क्या अंजलि भाभी...
आप के साथ भी ऐसा हुआ था..

अंजलि :- आप के साथ भी का मतलब् आप के साथ भी सेम ऐसा ही हुआ था...

दया :- हे माँ माताजी....
मेरी माँ को जब ये सब पता चलेगा तो वो क्या सोचेगी...

बबीता :- अरे अंजलि भाभी..और दया भाबी...ये सब आप दोनो के साथ नही..बल्कि मेरे साथ भी हुआ था....

अंजलि और दया के मुँह खुल जाते हैं..

रोशन :- अरे बबीता..आप तीनों के साथ साथ..मेरे साथ भी ऐसे ही हुआ था बावा...

माधवी :- और मेरे साथ भी सेम ऐसा ही हुआ था...

दया :- ये क्या....
सब के साथ एक जैसा.....ये तो बड़े ताज्जुब की बात है..

अंजलि :- अरे दया भाभी...
आप बड़ी भोली है..ये ताज्जुब की बात नही है....ये सब इन जेंट्स का आइडिया था...हमे खुश करने का..जिससे हम इनको आराम से पर्मिशन दे दें...और ये जा सके पार्टी में.....

दया :- हीयययी माआ माताजी....
इतना बड़ा पाप...लेकिन ये आइडिया..किसका था....

अईयर :- जेठालाल का...

जेठालाल :- अईयर भाई..
अकल है आप में..

बबीता :- जेठा जी आप का...मुझे आपसे ये एक्सपेक्टेड नही था..

सोढी :- आई अईयर चुप कर ना..
इसमे जेठा प्रा का कोई दोष नही है..
हामी तो सबने भरी थी.....

जेठालाल :- ये अईयर भाई को नही पता ना लेकिन...इन्हे तो बस बीच में...अपना थोबड़ा खोलने से मतलब् है..चपली कहीं का....

जेठालाल :- दया...में तुझे बहुत प्यार करता हूँ....
में मानता हूँ..उस दिन मेने जाने के लिए किया..वो सब.
लेकिन मेरा प्यार बिल्कुल सच्चा था....

और वो आगे बढ़ता हुआ दया का हाथ पकड़ लेता है....
 
जेठालाल की आँखों में सच्चाई नज़र आ रही थी दया को...इसलिए दोनो एक दूसरे की आँखों में गुम हो गये थे.....

तारक :- अंजलि...तुम बिल्कुल ठीक हो...
में ये बोल ही नही रहा ...तुम कहीं से भी ग़लत हो....
लेकिन मेरा प्यार...बिल्कुल सच्चा है...
में तुम्हे तहे दिल से प्यार करता हूँ...
और उस दिन भी..मेरे अंदर वही प्यार था....
मेने तुमसे झूठ बोला....लेकिन मेरा प्यार झूठा नही था.....

तारक आगे बढ़ कर अपने हाथों से अंजलि के कंधों को पकड़ कर ये बोलता है....और ये दोनो भी एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं....

भिड़े :- माधवी...तुम्हे लगता है...में तुमसे प्यार नही करता....
उस दिन वो विग वो सब मेने तुम्हारे लिए ही किया...
हाँ में मानता हूँ मेरा उसमे अपना स्वार्थ था...लेकिन मेने वो सब सच्चे मन से तुम्हारे होंठो पे हँसी आ जाए..इसलिए किया...
मेरा मकसद तुम्हे झूठ बोलने का कतई नही था...मेरी ज़िंदगी तो तुम ही हो....मेरा तुम्हारे और सोनू के अलावा है ही कॉन इस दुनिया में....

भिड़े की आँखें नम हो गई थी ये बोलते हुए...और माधवी की भी...दोनो बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे..

अईयर :- बबीता....तुम्हे लगता है..में तुमसे प्यार नही करता..तुम्हे धोका दिया है...तुम्हे पता है..उस दिन में ऑफीस से सिर्फ़ तुम्हारे लिए आया था...क्यूँ कि मुझे पता था..में तुम्हे वो खुशी नही दे पा रहा हूँ...जिसकी तुम हक़दार हो...इसलिए मेने उस दिन दिल से तुम्हे प्यार देने की कॉसिश कार्री...
में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ डियरर.....
बबीता आँखे झुकाए सब सुन रही थी...और अईयर बॅस उसे ही देखे जा रहा था...

सोढी :- रोशन मेरी जान...तुझे तो पता है..कि में तुझसे कितना प्यार करता हूँ...तुझे तो ये शक़ होना ही नही चाहिए कि में तुझसे प्यार नही करता...तेरे अलावा में किसी दूसरी औरत की तरफ देख भी नही सकता...
में तो तुझसे बहुत प्यार करता हूँ...
तू ही तो मेरी जान है....तेरे लिए ही तो में इतनी मेहनत करता हूँ..कि दुनिया की सारी खुशियाँ तुझे दे सकूँ...

सोढी रोशन के बेहद करीब आ कर...उसके कंधे पे हाथ रख के ये सब बोलता है..
दोनो की नज़रे आपस में मिली हुई थी.....

पोपटलाल :- रीता मुझे माफ़ कर दो...
में ये सब नही करना चाहता था...पता नही कैसे...
तुम्हे पता है..में कितना शरीफ आदमी हूँ...मेरा मतलब है..लड़का हूँ..
कुँवारा होने के बाद भी..मेने आज तक किसी भी औरत को बुरी नज़र से नही देखा है....
कल रात में तुम्हारे पास कैसे आया ..मुझे खुद को नही पता....

रीता बस उसकी बात को गौर से सुन रही थी....

देखा जाए.....तो इस वक़्त क्लब हाउस में प्यार ही प्यार भरा था..
सब एक दूसरे की आँखों में बहुत ही ज़्यादा प्यार था...
और हो भी क्यूँ ना....वो सच्ची में एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं..
उनकी आँखों में सॉफ दिखाई दे रहा था.....

लेकिन अभी बला टली नही है...
अभी तो जब रात वाली बात का किस्सा खुलेगा....जब देखते हैं...कैसे मनाएँगे ये सारे
पति अपनी अपनी बीवियों...
देखने वाली बात तो होगी....
तो देखिएगा मेरे साथ....अगले अपडेट में.....

.............................................
..........................................
 

जेठालाल और सभी जेंट्स अभी भी अपनी अपनी बीवियों के सामने प्यार से खड़े थे...
और सब इंतेज़ार कर रहे थे कि कब उनकी बीवियाँ उन्हे माफ़ करेंगी....
लेकिन उन्हे ये भी पता था...कि ये आसान नही है...इतनी जल्दी तो नही मानेंगी ये
सारी....

पूरे क्लब हाउस में ऐसा महॉल था..जैसा वहाँ कोई हो ना...
लेकिन फिर इस महॉल को बिगाड़ते हुई...रीता बोल पड़ी...

रीता :- दया भाभी....आप लोग सब ऐसे क्यूँ खड़े हो.....आप लोग इनकी बातों में
आ गये क्या????

रीता की बात सुन के सब को जैसे होश आ गया हो....और सब अपने अपने पतियों से
दूर हो गई....

जेठालाल :- उफ्फ...ये रीता...सारा काम खराब करने पर लगी है....जब इसकी लड़ाई
पोपटलाल से है तो उससे करे ना...हमारी भुज़ाई हुई आग में क्यूँ तेल डाल रही
है....
बहुत ही धीरे से बोलता है...जिसे सिर्फ़ तारक सुन पाता है...

तारक :- रीता...तुम्हे हमसे क्या प्राब्लम है भाई...तुम पोपटलाल को पकडो ना..और
उसके साथ जो करना है वो करो...

पोपटलाल :- हड़बड़ाता हुआ.....भाई मेहता साहब..जो करना है वो करो..का क्या मतलब.
आप क्या कहना चाहते हो....

तारक :- अरे मेरा मतलब है...कि सो सज़ा देना है दो....हमारी क्यूँ बॅंड बजाने
में लगी हुई हो....

अंजलि :- सज़ा सिर्फ़ पोपट भाई..को नही...आप सब लोगों को मिलेगी..

भिड़े :- देखिए अंजलि भाभी...हमे सज़ा से इनकार नही है...लेकिन आप अपनी बस
वो डाइवोर्स वाली सज़ा को कॅन्सल कर दीजिए...

सोढी :- हाँ रोशन...देख तुझे वो कॅन्सल करनी ही होगी...

तारक :- अंजलि तुम्हे अभी भी शक़ है...कि हम तुमसे सच्चा प्यार नही करते..

जेठालाल :- हाँ....दया...देख मेरी तरफ ...तुझे लगता है..कि में ऐसा कर
सकता हूँ...कि में तुझसे प्यार ना करूँ...तू ही तो मेरी ज़िंदगी है...

अंजलि :- जेठा भाई...हम आप लोगों पर शक़ नही कर रहे हैं..कि आप हमसे प्यार
नही करती....

तारक :- तो फिर??

अंजलि :- जो आप लोगों ने कल रात किया...क्या वो ठीक था...सोचिए आप सब?

अंजलि के ये कहते ही सभी जेंट्स की बोलती बंद हो गई...
 
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