desiaks
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"काम की तरफ ध्यान दे।”
“अब आगे के कामों में हमारा क्या काम?"
“बहुत काम है—तुम... "
"मैं सोच चुका हूं। महाकाली की पहाड़ी पर हमारा कोई काम नहीं। देवराज चौहान-मोना चौधरी वहां जा रहे हैं। बाकी सब भी साथ में हैं। तू मुझे और कमला रानी को यहीं महल में रहने दे।"
“अच्छा, महल में रहकर तू क्या करेगा?"
“मैं...मैं कमला रानी के साथ प्यार करूंगा।"
"अभी पोतेबाबा, इसी तरफ ही आ रहा है।” शौहरी की आवाज कानों में पड़ी।
“इस तरफ?"
"हां, तुम दोनों के पास।"
"क्यों?"
“वो जो कहे, उसकी बात सुनना। आगे तुम्हें क्या करना है वो बताएगा।"
।
“तुम लोग हमें काम ही क्यों बताते रहते हो?"
"कालचक्र से जुड़े हर इंसान को काम में लगे रहना पड़ता..."
"तुमने तो कहा था कि पूर्वजन्म की दुनिया में जाकर बहुत मजा आएगा, परंतु...।"
"क्या तेरे को मजा नहीं आ रहा। कमला रानी के साथ तू दो बार स्नानघर की तरफ गया है।"
मखानी सकपकाकर बोला। “तू... तुझे कैसे पता?"
"मैं तेरे साथ ही तो था।”
“क्या?" मखानी हड़बड़ा उठा—“तूने सब देखा।"
"हां।"
“कमीना है तू, जो तूने देखा।” मखानी जल-भुनकर कह उठा।
“तू कमला रानी को उस वक्त बहुत तंग करता है।"
"किसने कहा ये।"
"मैंने देखा।”
"कमला रानी को उसमें मजा आता है। मैं तंग कहां करता हूं उसे।"
___ “मेरे से कुछ भी छिपा नहीं है, सब जानता हूं। तू सीधा हो जा।"
कमला रानी मुस्कराते हुए उसे देख रही थी।
“पोतेबाबा आ गया है। वो जो कहे ध्यान से सुनना।
मखानी ने हॉल के दरवाजे की तरफ देखा तो पोतेबाबा को भीतर प्रवेश करते देखा।
“आ गया।” मखानी बड़बड़ा उठा।
“क्या हुआ?" कमला रानी ने पूछा।
“पोतेबाबा हमें आगे का काम बताने आया है।” मखानी उखड़े स्वर में बोला।
"तो तू नाराज क्यों होता है।"
"मेरा मन कोई काम करने का नहीं है।" कमला रानी ने अपना हाथ मखानी की टांग पर रख दिया। मखानी के शरीर में बिजली कौंधी।
“तू जब टांग पे हाथ रखती है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।"
“अपने पर काबू रख । तेरा इंजन बहुत जल्दी ही गर्म हो जाता है।” कमला रानी ने प्यार से कहा।
“चल न, बाथरूम की तरफ।"
तभी पोतेबाबा उनके पास आ पहुंचा। कमला रानी ने उसकी टांग से हाथ हटा लिया। मखानी ने उखड़े अंदाज में पोतेबाबा से कहा।
"रात के इस वक्त त क्यों आया। ये हमारे आराम करने का वक्त है।"
पोतेबाबा ने दूर पड़ी कुर्सी को पास में घसीटा और बैठते हुए बोला।
“जब काम सामने हो तो तब आराम नहीं होता।"
“बहुत गलत वक्त पर आया तू।" मखानी ने मुंह बनाया।
पोतेबाबा ने दूर मौजूद देवा और मिन्नो पर निगाह मारी फिर कमला रानी और मखानी से बोला।
“कल सुबह तुम दोनों सबके साथ महाकाली की तिलिस्मी पहाड़ी पर, जथूरा को आजाद कराने जा रहे हो।”
“हमारी क्या जरूरत है साथ जाने की।" मखानी मुंह बनाकर बोला—“तिलिस्म तो देवा और मिन्नो के नाम बांधा है।"
“वो ही तो बता रहा हूं कि क्या जरूरत है।"
“बताओ।” कमला रानी ने कहा। मखानी ने नाराजगी-भरी नजरों से, कमला रानी को देखा। कमला रानी ने अपना हाथ मखानी की टांग पर रख दिया। मखानी की सारी नाराजगी उड़ गई।
"देवा और मिन्नो महाकाली का मुकाबला नहीं कर सकते। महाकाली तंत्र-मंत्र की विद्या में माहिर है, जबकि देवा-मिन्नो दूसरी दुनिया से आए साधारण इंसान हैं। उन्हें कभी भी तुम दोनों की सहायता की जरूरत पड़ सकती है।"
“भला हम क्या सहायता करेंगे।” मखानी ने कहा।
“तुम दोनों कालचक्र का हिस्सा हो। शौहरी और भौरी तुम दोनों के साथ रहेंगे। वो जरूरत पड़ने पर रास्ता सुझाएंगे।"
“उनसे कहो हर वक्त हमारे साथ न रहे।"
"क्यों?"
"जब हम बाथरूम की तरफ जाते हैं तो वो हमें देखते हैं।”
“उन बातों में शौहरी और भौरी की कोई दिलचस्पी नहीं है। वो बहुत व्यस्त रहते हैं।"
"लेकिन देखते तो हैं।"
“उन बातों की तरफ ध्यान दो, जो मैं तुमसे कर रहा हूं।"
“क्या अभी तुम्हारी बात पूरी नहीं हुई?"
“नहीं।"
"तो कहो।”
"मैं तुम दोनों को जो बता रहा हूं वो तुम दोनों तक ही रहे। रहस्य वाली बात है ये।” पोतेबाबा ने गम्भीर, किंतु धीमे स्वर में कहा—“गरुड़ को तो तुम दोनों ने देखा होगा?"
"हां"
"सच बात तो ये है कि वो जथूरा का सेवक न होकर, सोबरा का खबरी है।"
"ओह, तुम्हें कैसे पता?"
“अब आगे के कामों में हमारा क्या काम?"
“बहुत काम है—तुम... "
"मैं सोच चुका हूं। महाकाली की पहाड़ी पर हमारा कोई काम नहीं। देवराज चौहान-मोना चौधरी वहां जा रहे हैं। बाकी सब भी साथ में हैं। तू मुझे और कमला रानी को यहीं महल में रहने दे।"
“अच्छा, महल में रहकर तू क्या करेगा?"
“मैं...मैं कमला रानी के साथ प्यार करूंगा।"
"अभी पोतेबाबा, इसी तरफ ही आ रहा है।” शौहरी की आवाज कानों में पड़ी।
“इस तरफ?"
"हां, तुम दोनों के पास।"
"क्यों?"
“वो जो कहे, उसकी बात सुनना। आगे तुम्हें क्या करना है वो बताएगा।"
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“तुम लोग हमें काम ही क्यों बताते रहते हो?"
"कालचक्र से जुड़े हर इंसान को काम में लगे रहना पड़ता..."
"तुमने तो कहा था कि पूर्वजन्म की दुनिया में जाकर बहुत मजा आएगा, परंतु...।"
"क्या तेरे को मजा नहीं आ रहा। कमला रानी के साथ तू दो बार स्नानघर की तरफ गया है।"
मखानी सकपकाकर बोला। “तू... तुझे कैसे पता?"
"मैं तेरे साथ ही तो था।”
“क्या?" मखानी हड़बड़ा उठा—“तूने सब देखा।"
"हां।"
“कमीना है तू, जो तूने देखा।” मखानी जल-भुनकर कह उठा।
“तू कमला रानी को उस वक्त बहुत तंग करता है।"
"किसने कहा ये।"
"मैंने देखा।”
"कमला रानी को उसमें मजा आता है। मैं तंग कहां करता हूं उसे।"
___ “मेरे से कुछ भी छिपा नहीं है, सब जानता हूं। तू सीधा हो जा।"
कमला रानी मुस्कराते हुए उसे देख रही थी।
“पोतेबाबा आ गया है। वो जो कहे ध्यान से सुनना।
मखानी ने हॉल के दरवाजे की तरफ देखा तो पोतेबाबा को भीतर प्रवेश करते देखा।
“आ गया।” मखानी बड़बड़ा उठा।
“क्या हुआ?" कमला रानी ने पूछा।
“पोतेबाबा हमें आगे का काम बताने आया है।” मखानी उखड़े स्वर में बोला।
"तो तू नाराज क्यों होता है।"
"मेरा मन कोई काम करने का नहीं है।" कमला रानी ने अपना हाथ मखानी की टांग पर रख दिया। मखानी के शरीर में बिजली कौंधी।
“तू जब टांग पे हाथ रखती है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।"
“अपने पर काबू रख । तेरा इंजन बहुत जल्दी ही गर्म हो जाता है।” कमला रानी ने प्यार से कहा।
“चल न, बाथरूम की तरफ।"
तभी पोतेबाबा उनके पास आ पहुंचा। कमला रानी ने उसकी टांग से हाथ हटा लिया। मखानी ने उखड़े अंदाज में पोतेबाबा से कहा।
"रात के इस वक्त त क्यों आया। ये हमारे आराम करने का वक्त है।"
पोतेबाबा ने दूर पड़ी कुर्सी को पास में घसीटा और बैठते हुए बोला।
“जब काम सामने हो तो तब आराम नहीं होता।"
“बहुत गलत वक्त पर आया तू।" मखानी ने मुंह बनाया।
पोतेबाबा ने दूर मौजूद देवा और मिन्नो पर निगाह मारी फिर कमला रानी और मखानी से बोला।
“कल सुबह तुम दोनों सबके साथ महाकाली की तिलिस्मी पहाड़ी पर, जथूरा को आजाद कराने जा रहे हो।”
“हमारी क्या जरूरत है साथ जाने की।" मखानी मुंह बनाकर बोला—“तिलिस्म तो देवा और मिन्नो के नाम बांधा है।"
“वो ही तो बता रहा हूं कि क्या जरूरत है।"
“बताओ।” कमला रानी ने कहा। मखानी ने नाराजगी-भरी नजरों से, कमला रानी को देखा। कमला रानी ने अपना हाथ मखानी की टांग पर रख दिया। मखानी की सारी नाराजगी उड़ गई।
"देवा और मिन्नो महाकाली का मुकाबला नहीं कर सकते। महाकाली तंत्र-मंत्र की विद्या में माहिर है, जबकि देवा-मिन्नो दूसरी दुनिया से आए साधारण इंसान हैं। उन्हें कभी भी तुम दोनों की सहायता की जरूरत पड़ सकती है।"
“भला हम क्या सहायता करेंगे।” मखानी ने कहा।
“तुम दोनों कालचक्र का हिस्सा हो। शौहरी और भौरी तुम दोनों के साथ रहेंगे। वो जरूरत पड़ने पर रास्ता सुझाएंगे।"
“उनसे कहो हर वक्त हमारे साथ न रहे।"
"क्यों?"
"जब हम बाथरूम की तरफ जाते हैं तो वो हमें देखते हैं।”
“उन बातों में शौहरी और भौरी की कोई दिलचस्पी नहीं है। वो बहुत व्यस्त रहते हैं।"
"लेकिन देखते तो हैं।"
“उन बातों की तरफ ध्यान दो, जो मैं तुमसे कर रहा हूं।"
“क्या अभी तुम्हारी बात पूरी नहीं हुई?"
“नहीं।"
"तो कहो।”
"मैं तुम दोनों को जो बता रहा हूं वो तुम दोनों तक ही रहे। रहस्य वाली बात है ये।” पोतेबाबा ने गम्भीर, किंतु धीमे स्वर में कहा—“गरुड़ को तो तुम दोनों ने देखा होगा?"
"हां"
"सच बात तो ये है कि वो जथूरा का सेवक न होकर, सोबरा का खबरी है।"
"ओह, तुम्हें कैसे पता?"