desiaks
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उन्होंने शर्मा कर अपना सिर हिला कर अपनी सहमती जतायी, मैं कमरे से बाहर निकल कर रसोई में गया और दो कप चाय बनाने लगा, जब मैं चाय बना कर वापस आया तो वो मेरे लैपटॉप से नंगी क्लिप्स कॉपी कर रही थी और लैपटॉप स्क्रीन पर एक क्लिप चालू थी जिसमें एक औरत कईं मर्दों से एक साथ चुदवा रही थी... उन्होंने जब मुझको देखा तो जल्दी से क्लिप बंद करना चाहा, जल्द्बाज़ी में क्लिप बंद नहीं हुईं,
वो घबरा गयी और शरम के मारे नज़रें झुका लीं, मैंने आगे बढ़ कर चाय मेज पर रखी और उनके कँधों को पकड़ कर उनको कुर्सी से उठाया, वो जोर लगा कर मेरा हाथ हटाना चाहती थी, लेकिन मैंने भी जोर लगा कर उनको कुर्सी से उठा लिया, वो मेरे सामने नज़रें झुकाये खड़ी हो गयी, मैं उनको खींच कर अपने पास ले आया और उनको अपनी बाँहों में भर कर जकड़ लिया, उनका शरीर काँप रहा था और उनकी साँसें उखड़ रही थी, मैंने उनकी गर्दन और कान के पीछे किस कीया और उनके कान पर मुँह लगा कर धीरे से कहा,
रेशु- “आंटी आप बहुत ही सुंदर हो, क्या आपको मालूम है कि मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचता हूँ? आप मेरे सपनों में हमेशा आती हो और आप ही मेरे सपनों की रानी हो, मैं आपसे प्यार करता हूँ,”
इसके साथ मैंने उनके कान को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और वो मेरी बाँहों में खड़ी-खड़ी काँप रही थी, मैंने उनके चेहरे को अपने हाथों से ऊपर किया, वो बहुत शर्मा रही थी और उनकी आँखें बंद थीं और उनके होंठ आधे खुले थे,
मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और उनको फिर से अपनी बाँहों में भर कर भींच लिया, उन्होंने अपने चेहरे से अपने हाथों को हटा कर मुझे जकड़ लिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मैंने अपना दाँया हाथ उनके गांड पर ले जा कर उनको अपने और पास खींच लिया, मेरा लंड अब तक पूरी तरह से कड़क हो गया था और उनकी जाँघों के अंदर घुसना चाह रहा था, उन्होंने मेरी जीभ को अपने दाँतों तले हल्का सा काट लिया और अपने होंठ मेरे होंठों से हटा कर मेरी गरदन पर रखे और वहाँ हल्के से दाँत गड़ कर काँपती हुई आवाज में बोली,
आंटी- “अगर तुम्हारी चाची को यह बात पता चल गयी तो?”
मैं उनके गालों को चूमते हुए बोला,
रेशु- “हम यह बात किसी से भी नहीं कहेंगे, आंटी मैं आपको कब से प्यार करना चाहता हूँ,”
मैंने अब फिर से उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और वो मेरी जीभ को चूसने लगी, थोड़ी देर मेरी जीभ को चूसने के बाद वो मुझसे बोली,
आंटी-“हाँ, मैं भी तुमको कईं दिनों से चाहती हूँ,”
रेशु-“तुम मुझसे क्यों डरती हो”
मैंने उनसे पूछा,
आंटी- “नहीं तो…!”
उन्होंने उत्तर दिया,
मैंने अपना दाँया हाथ उनकी चूंची पर रखते हुए कहा,
रेशु- “मुझे मालूम है, आप मुझसे क्यों डरती हो, आपको डर इस बात का है मैं आपको चोद दुँगा,” मैंने कुछ चुप रहने के बाद उनसे कहा,
रेशु- “क्या मैं सही बोल रहा हूँ?”
वो एक लम्बी साँस लेने के बाद अपना सिर हिला कर हाँ बोली,
रेशु- “क्या मैं आपको चोद सकता हूँ?”
मैंने उनसे कहा और उनके बॉब्स को जोर से दबा दिया,
वो एक आह भरते हुए मुझसे बोली,
आंटी- “नहीं रेशु, ये ठीक नहीं है,”
मैंने उनकी बॉब्स और जोर से दबा कर पूछा,
“क्यों? क्यों ठीक नहीं है?”
आंटी ने तब मेरे कान को अपने मुँह में लिया और हल्का दाँत लगाया,
आंटी- “जरा धीरे से दबाओ, मुझको दर्द हो रहा है,”
रेशु- “क्यों ठीक नहीं है?”
मैंने फिर से पूछा,
आंटी- “क्योंकि मैं शादीशुदा हु”
वो अपनी सैक्सी आवाज में मुझसे बोली, मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज़ में डाल कर उनके बॉब्स को पकड़ कर मसलना शुरू किया, उनके बॉब्स बहुत सख्त थे और उनके निप्पल खड़े थे,
रेशु- “हाय आंटी, प्यार करने वाले भी चुदाई कर सकते हैं”
मैंने उनके बूब्स मसलते हुए कहा,
आंटी- “लेकिन ये पाप है,”
उन्होंने उत्तर दिया,
मैंने उनके निप्पल अपनी अँगुली के बीच ले कर मसलते हुए कहा,
रेशु- “ये पाप करने में बहुत मज़ा है, आंटी, प्लीज़ मुझे चोदने दो, प्लीज़ चोदने दो ना”
और मैं उनकी बूब्स को कस कर दबाते हुए उनके होठों को पागलों की तरह चूमने लगा,
उन्होंने कोई उत्तर देने की बजाय मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी, मैंने उनकी जीभ को थोड़ी देर के लिये चूसा
थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए, अब हम दोनों को एक दुसरे से अलग होना मुश्किल लग रहा था, हम दोनों लगातार एक दुसरे का जिस्म सहला रहे थे, आंटी के हाथ सिर्फ मेरी पीठ और सर पर चल रहे थे पर में उनकी पीठ और गांड को सहला रहा था और थोड़ी थोड़ी देर में उनके गांड को दबा भी देता था जिससे आंटी की एक हलकी से सिसकारी निकल जाती थी,
वो घबरा गयी और शरम के मारे नज़रें झुका लीं, मैंने आगे बढ़ कर चाय मेज पर रखी और उनके कँधों को पकड़ कर उनको कुर्सी से उठाया, वो जोर लगा कर मेरा हाथ हटाना चाहती थी, लेकिन मैंने भी जोर लगा कर उनको कुर्सी से उठा लिया, वो मेरे सामने नज़रें झुकाये खड़ी हो गयी, मैं उनको खींच कर अपने पास ले आया और उनको अपनी बाँहों में भर कर जकड़ लिया, उनका शरीर काँप रहा था और उनकी साँसें उखड़ रही थी, मैंने उनकी गर्दन और कान के पीछे किस कीया और उनके कान पर मुँह लगा कर धीरे से कहा,
रेशु- “आंटी आप बहुत ही सुंदर हो, क्या आपको मालूम है कि मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचता हूँ? आप मेरे सपनों में हमेशा आती हो और आप ही मेरे सपनों की रानी हो, मैं आपसे प्यार करता हूँ,”
इसके साथ मैंने उनके कान को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और वो मेरी बाँहों में खड़ी-खड़ी काँप रही थी, मैंने उनके चेहरे को अपने हाथों से ऊपर किया, वो बहुत शर्मा रही थी और उनकी आँखें बंद थीं और उनके होंठ आधे खुले थे,
मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और उनको फिर से अपनी बाँहों में भर कर भींच लिया, उन्होंने अपने चेहरे से अपने हाथों को हटा कर मुझे जकड़ लिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मैंने अपना दाँया हाथ उनके गांड पर ले जा कर उनको अपने और पास खींच लिया, मेरा लंड अब तक पूरी तरह से कड़क हो गया था और उनकी जाँघों के अंदर घुसना चाह रहा था, उन्होंने मेरी जीभ को अपने दाँतों तले हल्का सा काट लिया और अपने होंठ मेरे होंठों से हटा कर मेरी गरदन पर रखे और वहाँ हल्के से दाँत गड़ कर काँपती हुई आवाज में बोली,
आंटी- “अगर तुम्हारी चाची को यह बात पता चल गयी तो?”
मैं उनके गालों को चूमते हुए बोला,
रेशु- “हम यह बात किसी से भी नहीं कहेंगे, आंटी मैं आपको कब से प्यार करना चाहता हूँ,”
मैंने अब फिर से उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और वो मेरी जीभ को चूसने लगी, थोड़ी देर मेरी जीभ को चूसने के बाद वो मुझसे बोली,
आंटी-“हाँ, मैं भी तुमको कईं दिनों से चाहती हूँ,”
रेशु-“तुम मुझसे क्यों डरती हो”
मैंने उनसे पूछा,
आंटी- “नहीं तो…!”
उन्होंने उत्तर दिया,
मैंने अपना दाँया हाथ उनकी चूंची पर रखते हुए कहा,
रेशु- “मुझे मालूम है, आप मुझसे क्यों डरती हो, आपको डर इस बात का है मैं आपको चोद दुँगा,” मैंने कुछ चुप रहने के बाद उनसे कहा,
रेशु- “क्या मैं सही बोल रहा हूँ?”
वो एक लम्बी साँस लेने के बाद अपना सिर हिला कर हाँ बोली,
रेशु- “क्या मैं आपको चोद सकता हूँ?”
मैंने उनसे कहा और उनके बॉब्स को जोर से दबा दिया,
वो एक आह भरते हुए मुझसे बोली,
आंटी- “नहीं रेशु, ये ठीक नहीं है,”
मैंने उनकी बॉब्स और जोर से दबा कर पूछा,
“क्यों? क्यों ठीक नहीं है?”
आंटी ने तब मेरे कान को अपने मुँह में लिया और हल्का दाँत लगाया,
आंटी- “जरा धीरे से दबाओ, मुझको दर्द हो रहा है,”
रेशु- “क्यों ठीक नहीं है?”
मैंने फिर से पूछा,
आंटी- “क्योंकि मैं शादीशुदा हु”
वो अपनी सैक्सी आवाज में मुझसे बोली, मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज़ में डाल कर उनके बॉब्स को पकड़ कर मसलना शुरू किया, उनके बॉब्स बहुत सख्त थे और उनके निप्पल खड़े थे,
रेशु- “हाय आंटी, प्यार करने वाले भी चुदाई कर सकते हैं”
मैंने उनके बूब्स मसलते हुए कहा,
आंटी- “लेकिन ये पाप है,”
उन्होंने उत्तर दिया,
मैंने उनके निप्पल अपनी अँगुली के बीच ले कर मसलते हुए कहा,
रेशु- “ये पाप करने में बहुत मज़ा है, आंटी, प्लीज़ मुझे चोदने दो, प्लीज़ चोदने दो ना”
और मैं उनकी बूब्स को कस कर दबाते हुए उनके होठों को पागलों की तरह चूमने लगा,
उन्होंने कोई उत्तर देने की बजाय मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी, मैंने उनकी जीभ को थोड़ी देर के लिये चूसा
थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए, अब हम दोनों को एक दुसरे से अलग होना मुश्किल लग रहा था, हम दोनों लगातार एक दुसरे का जिस्म सहला रहे थे, आंटी के हाथ सिर्फ मेरी पीठ और सर पर चल रहे थे पर में उनकी पीठ और गांड को सहला रहा था और थोड़ी थोड़ी देर में उनके गांड को दबा भी देता था जिससे आंटी की एक हलकी से सिसकारी निकल जाती थी,