desiaks
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साला समझ में नहीं आ रहा था की आगे क्या करून? क्यूंकि उतनी बॉन्डिंग नहीं थी की उनके घर पे जा के बातें भी की जा सके. खैर में डिनर निपटा के अपने रूम में फिर से आया, तो माय सरप्राइज उनके रूम की लाइट ऑन थी और मैंने देखा की वहा पर आंटी खड़ी थी और वो अल्मारी में कुछ ढूंढ रही थी, तो मैंने सोचा की क्यों न कुछ डिफरेंट ट्राय किया जाए, तो मैंने अपने मोबाइल की रिंगटोन खुद ही बजायी, और फिर जैसे में कॉल कत रहा हूँ ऐसे मोबाइल साइड कर दिया, ता की आंटी का ध्यान मेरी और आ जाये, आंटी ने मेरी और देखा और मैंने अपनी टी-शर्ट निकल दि, और अपनी पैंट भी खोलने लगा, मैंने अपने पैंट का हुक खोला, और चैन भी निचे कर दी और फिर पैंट उतारने की बजाए, आंटी की और घूम गया, आंटी ने शर्म के मारे चेहरा घूमा लिया, पर मैंने जैसे उन्हें देखा ही न हो, ऐसे विंडो की खूब नजदीक आ गया और वहा से अपना ट्रैक पैंट उठाया, और फिर पूरा उल्टा न घूमते हुये, मैंने आंटी एक साइड से मेरे लंड को देख सके, ऐसे खड़ा रेह के, धीरे धीरे अपने जीन्स को निकाला, और फिर अपने ट्रैक पैंट को पहना, पर सिर्फ नीज तक ऊपर किया, और फिर अपने अंडरवेअर को एडजस्ट करने के बहाने से मैंने उसमे हाथ डाला और कमर पे अंडरवेअर का इलास्टिक एडजस्ट कर के एक बार हाथ लंड पे भी घुमाया और फिर पैंट को ठीक से पहन लिया. और फिर आंटी की और देखे बिना ही में खिड़की से हट गया. आंटी के बारे में ही सोच रहा था पर फिर पांच मिनट के बाद देखा तो लाइट ऑफ थी, मतलब वो बस मुझे चेंज करते देखने के लिए ही रुकि थी.
चलो अब तक तो सारे पासे सही हो रहे थे, आंटी को भी मैंने अपने बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया था. हाल इधर तो माँ का भी बुरा था माँ भी मेरे बार बार इन्सेस्ट इरोटिक स्टोरीज भेजे जाने की वजह से परेशान थी, और वो सोच रही थी की आखिर कौन उन्हें भेज रहा था और दो तीन इंसीडेंस के बाद भी मैंने उनकी और ठीक से रिप्लाई नहीं किया, और बस ऐसे ही रिप्लाई करता रहा, तो आखिर उनसे भी नहीं रहा गया, और मैंने लैपटॉप में देखा तो उनका मेल आया हुआ था इस बार सच में बड़ा डेस्क्रिप्टिवे मेल भेजा था उन्होंने..
“हु आर यू? एंड व्हाई आरे यु सेंडिंग मि सच ऑन ईमेल. इट इस रियली रिडिक्युलॉस एंड फॉर थिस मच टाइम आई ऍम बेअरिंग यु, नाउ ईट इस ओवर. प्लीज डोंट सेंड मि सच इमेल्स ऑदरवाइस वुई हैव टू टेक लीगल एक्शन अगेंस्ट यु, एंड फॉर फरदर ट्रबल्स यु विल बे रेस्पोंसिबल”.
माँ का ये रिप्लाई सच में बड़ा ही डेंजरस था और अब आगे क्या करना हे, रिप्लाई करू या नही, ये सोचने में में लगा हुआ था माँ को अगर ये पता चल गया की ये सब में कर रहा हू, तो फिर सोसाइटी में बड़ी बदनामी होगी, और इन सब बातों से थोड़ा डर तो लगता हे, में कुछ सोच नहीं पा रहा था तो मैंने उस टाइम रिप्लाई नहीं किया, यहाँ तक की सॉरी का भी नही. इतना तो शुअर था की अब आगे परेशान नहीं करुँगा तो अब माँ अपने आप ऐसे ही नहीं रिएक्ट करेगी मुझे, अब अगर मैंने उन्हें परेशान किया तो वो मुझे सच में लीगल एक्शन लेगी.
फिर नेक्स्ट डे, में १० बजने की राह में ऐसे ही बैठ गया, और ठीक १० बजे वो आंटी आई और आज आते ही उन्होंने मेरी खिड़की की और देखा और मुझे वेटिंग करते देख कर मुस्कुरा पडी.
आज उन्होंने डार्क रेड कलर की साड़ी पहनी थी, में सोच रहा था की कल उन्हें मज़ा आया होगा तो वो आज कोई वाइट कलर की ट्रांसपेरंट साड़ी पहनी थी, पर ये साड़ी ट्रांसपेरंट नहीं थी. लेकिन उन्होंने आज साड़ी का पल्लू बड़ा ही सिकुड के बांधा था और उनके दोनों शोल्डर देखाई दे रहे थे, जैसे की पल्लू बस नाम का ही था उनके दोनों बॉब्स के बीच पल्लू था और दोनों बॉब्स को अलग कर रहा था मस्त तो लग रहा था पर आज आंटी ने कुछ अलग नहीं किया और बस कपडे सूखा के अंदर चलि गयी, जाते जाते भी नहीं देखा, में सोचता ही रह गया की आखिर क्या करू की आंटी का फुल अटेंशन पा सकूँ. ३-४ दिन ऐसे ही बीत गए और कुछ नया नहीं हुआ, माँ से सीन भी बंद हो गया, समझ में नहीं आ रहा था की क्या करू. पर इतना तो समझ में आ गया था की दोनों को पटाना इतना आसान नहीं होगा, दोनों मेरे लिए समझ से बाहर थी. पर मैंने भी तय कर लिया की चाहे कुछ भी हो जाये, साला दोनों को पटाना तो हे ही, और जैसे ही मौका मिलेगा, साला इतना चोदूंगा, तो उनको भी लगे की साला मज़ा आ गया.
चलो अब तक तो सारे पासे सही हो रहे थे, आंटी को भी मैंने अपने बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया था. हाल इधर तो माँ का भी बुरा था माँ भी मेरे बार बार इन्सेस्ट इरोटिक स्टोरीज भेजे जाने की वजह से परेशान थी, और वो सोच रही थी की आखिर कौन उन्हें भेज रहा था और दो तीन इंसीडेंस के बाद भी मैंने उनकी और ठीक से रिप्लाई नहीं किया, और बस ऐसे ही रिप्लाई करता रहा, तो आखिर उनसे भी नहीं रहा गया, और मैंने लैपटॉप में देखा तो उनका मेल आया हुआ था इस बार सच में बड़ा डेस्क्रिप्टिवे मेल भेजा था उन्होंने..
“हु आर यू? एंड व्हाई आरे यु सेंडिंग मि सच ऑन ईमेल. इट इस रियली रिडिक्युलॉस एंड फॉर थिस मच टाइम आई ऍम बेअरिंग यु, नाउ ईट इस ओवर. प्लीज डोंट सेंड मि सच इमेल्स ऑदरवाइस वुई हैव टू टेक लीगल एक्शन अगेंस्ट यु, एंड फॉर फरदर ट्रबल्स यु विल बे रेस्पोंसिबल”.
माँ का ये रिप्लाई सच में बड़ा ही डेंजरस था और अब आगे क्या करना हे, रिप्लाई करू या नही, ये सोचने में में लगा हुआ था माँ को अगर ये पता चल गया की ये सब में कर रहा हू, तो फिर सोसाइटी में बड़ी बदनामी होगी, और इन सब बातों से थोड़ा डर तो लगता हे, में कुछ सोच नहीं पा रहा था तो मैंने उस टाइम रिप्लाई नहीं किया, यहाँ तक की सॉरी का भी नही. इतना तो शुअर था की अब आगे परेशान नहीं करुँगा तो अब माँ अपने आप ऐसे ही नहीं रिएक्ट करेगी मुझे, अब अगर मैंने उन्हें परेशान किया तो वो मुझे सच में लीगल एक्शन लेगी.
फिर नेक्स्ट डे, में १० बजने की राह में ऐसे ही बैठ गया, और ठीक १० बजे वो आंटी आई और आज आते ही उन्होंने मेरी खिड़की की और देखा और मुझे वेटिंग करते देख कर मुस्कुरा पडी.
आज उन्होंने डार्क रेड कलर की साड़ी पहनी थी, में सोच रहा था की कल उन्हें मज़ा आया होगा तो वो आज कोई वाइट कलर की ट्रांसपेरंट साड़ी पहनी थी, पर ये साड़ी ट्रांसपेरंट नहीं थी. लेकिन उन्होंने आज साड़ी का पल्लू बड़ा ही सिकुड के बांधा था और उनके दोनों शोल्डर देखाई दे रहे थे, जैसे की पल्लू बस नाम का ही था उनके दोनों बॉब्स के बीच पल्लू था और दोनों बॉब्स को अलग कर रहा था मस्त तो लग रहा था पर आज आंटी ने कुछ अलग नहीं किया और बस कपडे सूखा के अंदर चलि गयी, जाते जाते भी नहीं देखा, में सोचता ही रह गया की आखिर क्या करू की आंटी का फुल अटेंशन पा सकूँ. ३-४ दिन ऐसे ही बीत गए और कुछ नया नहीं हुआ, माँ से सीन भी बंद हो गया, समझ में नहीं आ रहा था की क्या करू. पर इतना तो समझ में आ गया था की दोनों को पटाना इतना आसान नहीं होगा, दोनों मेरे लिए समझ से बाहर थी. पर मैंने भी तय कर लिया की चाहे कुछ भी हो जाये, साला दोनों को पटाना तो हे ही, और जैसे ही मौका मिलेगा, साला इतना चोदूंगा, तो उनको भी लगे की साला मज़ा आ गया.