desiaks
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अब बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था अपने आप से झूठ बोलना भी अच्छा नहीं लगता तो मैंने कह दिया..अरे चाची..आपसे जीतना मुश्क़िल हे, वैसे में बारिश को कोस नहीं रहा था पर फिर भी में मान लेता हु..क्यूँकि आप कहती हे इसिलिये. फिर मैंने चाची की और देखा और चाची ने मेरी और और दोनों हंसपडे इतने में हमारा घर भी आ गया और साली बारिश भी बंद हो गयी.यार....तब कसम से बारिश को गाली देणे का मन कर रहा था साला ये कैसा खेल मेरे साथ हो रहा था समझ के शायद बाहर था बड़ी चाची और दीदी के वक़्त मेरे सारे पत्ते सही हो रहे थे और अब साला कोई मेरी सारी गेम बिगाडने पे लगा हुआ हो ऐसे लग रहा था चाची जैसे ही घर आया घर में चलि गयी..और जैसे ही बारिश रुकि तो में बाहर रह कर आसमान में देख के गुस्सा हो रहा था इतने में चाची ने लॉक ओपन कर के मुझे आवाज़ दी.अभी बाहर ही रहने का ईरादा हे की..अंदर भी आना हे.. मैं फिर अंदर हो चला और चाची भी. अन्दर आते ही दोनों ऐसे ही गीले थे फिर भी सोफ़े पे बैठ गये, बहुत थक गए थे.
“आज तो बहुत थक गयी..रेशु”. और में भी स्माइल के साथ चाची की हाँ में हाँ मिलायी और टीवी ऑन किया. तो टीवी में ब्लू लगून मूवी चल रहा था और उसमे भी सेक्सी सीन आने वाला था,मैने ये फिल्म पहले देखि थी पर चाची ने नहीं देखी थी शायद, इसीलिए वो बैठी रही और मैंने भी मूवी चल्ने दी. दो मिनट में ही वह सीन स्टार्ट हो गया और चाची रिलैक्स की अवस्था से सडनली बैठ गयी और मेरी और देखा तब मैंने चाची को स्माइल दिया और आराम से बैठने को कहा. सच में बहुत इंटिमेट सिन था तो मेरा हाथ अपने आप ही मेरे क्रोच पे चला गया..और चाची को पता चल गया. वो देख रही थी की मेरा हाथ मेरे लंड को दबा रहा था बाद में जब मैंने चाची को मुझे देखते हुए पकड़ लिया तो मैंने तुरंत हाथ हटा लिया और चाची टीवी की और मुँह कर के बोली
“इतने में ही हो गया क्य...? चाची डबल मैं में मुझे बोल रही थी.
“हो ने को तो बहुत कुछ होता हे, पर कोई कुछ होने नहीं देता.. मैंने भी चाची को जवाब दिया..चाचि को भी पता चलना ही था.वो अब मेरी और देखि पर कुछ बोली नहीं और उठते हुए कहा
“तुम अपना काम जारी रक्खो..में चेंज करने जा रही हू, ख्वामखा मेरी वजह से तुम परेशान हो रहे हो.. चाची जाते जाते भी शैतानी से नहीं चुक रही थी. चाची की आँखें मेरे तने लंड पे थी.
“अगर कहो तो में चेंज करवा दू.सच में बड़ा मज़ा आयेगा... मैंने चाची को फील करवाने के लिए कहा लेकिन चाची बाथरूम का दरवाजा खोलते खोलते मेरी और मूड़ी पर कुछ कहा नही, फिर कुछ सोच के कहा
नही..कोइ जरूरत नहीं हे... और बाथरूम में जाते जाते जोर से दरवाजा पटका.
साला में सोच में पड़ गया की चाची ने आखिर सोचा क्या, और बाद में रुड होते हुए अंदर क्यों चलि गयी. दो मिनट मैंने सोच में गवा दिये, में बाथरूम की और देखते देखते दो मिनट सोचता रहा, पर कुछ समझ में नहीं आया, फिर अचानक मेरा ध्यान गया की चाची ने जान बूझ के दरवाजा पटका था और ये तो सब को पता होगा की जोर से दरवाजा पटके तो दरवाजा अपने आप फिर से थोड़ा सा खुल जाता हे, और दो मिनट के बाद मेरा ध्यान गया की चाची ने दरवाजा पटकने के बाद दरवाजा ऐसे ही छोड़ दिया था दरवाजा बंद नहीं किया था
चाची की और से इंनडायरेक्टली बात साफ़ थी, पर में फिर भी बैठा बैठा सोचता रहा कि, जाऊं की नही..लकिन फिर में धीरे से उठा और बाथरूम की और चल पडा, मैंने देखा हलकी हलकी से पीली रौशनी चमक रही थी. चाची अपने पल्लो को शोल्डर से पिन से अलग करने की कोशिश कर रही थी..सच में वो शायद मेरा इंतज़ार कर रही होगी, दो मिनट तक पर में नहीं गया तब जा के बिचारि ने साडी खोलना शुरू किया होग, में दरवाजा खिसका के देख रहा था चाची को भनक लग गयी थी की अब में आ चुका हू..तो वो जन बूझ के पल्लो को हटाने में तकलीफ होने का नाटक करने लगी. अब ये भी साला चाची का हिंट था अब मैंने ठीक से पकड़ा और चाची के पीछे जाते हुए कहा
“लाओ चाची में आपकी मदद कर देता हू... और चाची के दोनों कंधे पे अपने हाथ रखते हुए कहा
अब बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था अपने आप से झूठ बोलना भी अच्छा नहीं लगता तो मैंने कह दिया..अरे चाची..आपसे जीतना मुश्क़िल हे, वैसे में बारिश को कोस नहीं रहा था पर फिर भी में मान लेता हु..क्यूँकि आप कहती हे इसिलिये. फिर मैंने चाची की और देखा और चाची ने मेरी और और दोनों हंसपडे इतने में हमारा घर भी आ गया और साली बारिश भी बंद हो गयी.यार....तब कसम से बारिश को गाली देणे का मन कर रहा था साला ये कैसा खेल मेरे साथ हो रहा था समझ के शायद बाहर था बड़ी चाची और दीदी के वक़्त मेरे सारे पत्ते सही हो रहे थे और अब साला कोई मेरी सारी गेम बिगाडने पे लगा हुआ हो ऐसे लग रहा था चाची जैसे ही घर आया घर में चलि गयी..और जैसे ही बारिश रुकि तो में बाहर रह कर आसमान में देख के गुस्सा हो रहा था इतने में चाची ने लॉक ओपन कर के मुझे आवाज़ दी.अभी बाहर ही रहने का ईरादा हे की..अंदर भी आना हे.. मैं फिर अंदर हो चला और चाची भी. अन्दर आते ही दोनों ऐसे ही गीले थे फिर भी सोफ़े पे बैठ गये, बहुत थक गए थे.
“आज तो बहुत थक गयी..रेशु”. और में भी स्माइल के साथ चाची की हाँ में हाँ मिलायी और टीवी ऑन किया. तो टीवी में ब्लू लगून मूवी चल रहा था और उसमे भी सेक्सी सीन आने वाला था,मैने ये फिल्म पहले देखि थी पर चाची ने नहीं देखी थी शायद, इसीलिए वो बैठी रही और मैंने भी मूवी चल्ने दी. दो मिनट में ही वह सीन स्टार्ट हो गया और चाची रिलैक्स की अवस्था से सडनली बैठ गयी और मेरी और देखा तब मैंने चाची को स्माइल दिया और आराम से बैठने को कहा. सच में बहुत इंटिमेट सिन था तो मेरा हाथ अपने आप ही मेरे क्रोच पे चला गया..और चाची को पता चल गया. वो देख रही थी की मेरा हाथ मेरे लंड को दबा रहा था बाद में जब मैंने चाची को मुझे देखते हुए पकड़ लिया तो मैंने तुरंत हाथ हटा लिया और चाची टीवी की और मुँह कर के बोली
“इतने में ही हो गया क्य...? चाची डबल मैं में मुझे बोल रही थी.
“हो ने को तो बहुत कुछ होता हे, पर कोई कुछ होने नहीं देता.. मैंने भी चाची को जवाब दिया..चाचि को भी पता चलना ही था.वो अब मेरी और देखि पर कुछ बोली नहीं और उठते हुए कहा
“तुम अपना काम जारी रक्खो..में चेंज करने जा रही हू, ख्वामखा मेरी वजह से तुम परेशान हो रहे हो.. चाची जाते जाते भी शैतानी से नहीं चुक रही थी. चाची की आँखें मेरे तने लंड पे थी.
“अगर कहो तो में चेंज करवा दू.सच में बड़ा मज़ा आयेगा... मैंने चाची को फील करवाने के लिए कहा लेकिन चाची बाथरूम का दरवाजा खोलते खोलते मेरी और मूड़ी पर कुछ कहा नही, फिर कुछ सोच के कहा
नही..कोइ जरूरत नहीं हे... और बाथरूम में जाते जाते जोर से दरवाजा पटका.
साला में सोच में पड़ गया की चाची ने आखिर सोचा क्या, और बाद में रुड होते हुए अंदर क्यों चलि गयी. दो मिनट मैंने सोच में गवा दिये, में बाथरूम की और देखते देखते दो मिनट सोचता रहा, पर कुछ समझ में नहीं आया, फिर अचानक मेरा ध्यान गया की चाची ने जान बूझ के दरवाजा पटका था और ये तो सब को पता होगा की जोर से दरवाजा पटके तो दरवाजा अपने आप फिर से थोड़ा सा खुल जाता हे, और दो मिनट के बाद मेरा ध्यान गया की चाची ने दरवाजा पटकने के बाद दरवाजा ऐसे ही छोड़ दिया था दरवाजा बंद नहीं किया था
चाची की और से इंनडायरेक्टली बात साफ़ थी, पर में फिर भी बैठा बैठा सोचता रहा कि, जाऊं की नही..लकिन फिर में धीरे से उठा और बाथरूम की और चल पडा, मैंने देखा हलकी हलकी से पीली रौशनी चमक रही थी. चाची अपने पल्लो को शोल्डर से पिन से अलग करने की कोशिश कर रही थी..सच में वो शायद मेरा इंतज़ार कर रही होगी, दो मिनट तक पर में नहीं गया तब जा के बिचारि ने साडी खोलना शुरू किया होग, में दरवाजा खिसका के देख रहा था चाची को भनक लग गयी थी की अब में आ चुका हू..तो वो जन बूझ के पल्लो को हटाने में तकलीफ होने का नाटक करने लगी. अब ये भी साला चाची का हिंट था अब मैंने ठीक से पकड़ा और चाची के पीछे जाते हुए कहा
“लाओ चाची में आपकी मदद कर देता हू... और चाची के दोनों कंधे पे अपने हाथ रखते हुए कहा