desiaks
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मेरी इस हरकत से चाची बारिश में ऐसे तड़पने लगी जैसे पानी के बिना मछली. चाची धीरे धीरे सिसक सिसक कर कहने लगी- “रेशु अब मत तडपाओ ! और मत तरसाओ” !
लेकिन मैं चाची को पूरी तरह से भोगना चाहता था तो उनकी बातें अनसुनी करके मैं उनके ब्लाउज को उतारने और बोब्स दबाने का काम करता रहा. उनका ब्लाउज उतारने के बाद मैंने अपनी बनियान भी उतार दी और चाची को अपने शरीर से चिपका कर एक हाथ से उनके पेट को पकड़ कर उनके गले को चूमने लगा और दूसरे हाथ से उनके बोब्स को दबाने लगा.दोस्तो, यकीन मानिये, मैंने कई औरतों और लड़कियों को चोदा है लेकिन ऐसा अनुभव मुझे आज तक किसी के साथ नहीं मिला था. मैं चाची को चूमता रहा और मेरा दूसरा हाथ फिसलता हुआ उनके पेटीकोट पर गया और उसे ऊपर करने में जुट गया.
इसके बाद मैंने चाची की पेंटी में हाथ डाल कर उनकी चूत में ऊँगली करना शुर कर दिया. उस समय ठण्ड का सा मौसम था और बारिश भी हो रही थी लेकिन जब मैंने उनकी चूत में ऊँगली डाली तो ऐसा लगा जैसे मैंने किसी जैम लगी गरम डबल रोटी के बीच में हाथ डाल दिया हो. मैंने ऊँगली चाची की चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दी और चाची ने और बुरी तरह से मचलना शुरू कर दिया. मुझे लगा कि चाची झरने वाली है और मैं इस धुली हुई चूत का रस बेकार नहीं जाने देना चाहता था तो मैंने चाची की पैंटी उतारी और उन्हें सामने करते हुए उनके गर्म होंठों पर मेरे होंठ रख कर उन्हें चूसना शुरू कर दिया और दूसरी तरफ मेरी उंगलियाँ उनकी गीली चूत में अन्दर बाहर होती ही जा रही थी. मैंने यह काम सिर्फ कुछ सेकंड किया होगा कि चाची ने मुझे कस कर पकड़ लिया. मैं समझ चुका था कि अब इनके झरने का वक्त आ चुका है तो मैंने उन्हें आँगन में ही जमीन पर लेटा दिया और उनका पेटीकोट ऊपर कर के उनकी धुली हुई चूत को चूसने लगा.
मुझे चूत चूसता देख कर वो बोली- आह रेशु बहुत मस्त लग रहा है”!
मैंने उन्हें अनसुना करते हुए चूसना चालू रखा और अब उनके दोनों हाथ मेरे सर को उनकी चूत पर दबा रहे थे और वो मस्ती में मस्त होकर “रेशु और चुस्सो ! और जोर से ! और जोर से कर रही थी”….
मैं उन्हें चूसता रहा और वो मेरा सर दबा कर चीखती रही और फिर एक लम्बी चीख के साथ झटके मारने लगी और हर झटके पर ढेर सा रस मेरे मुँह में आने लगा. जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो बड़े प्यार से मेरे सर को पकड़ कर अपने पास लिया और मेरे होंठों को चूम कर बोली- आज तुमने मेरा जीवन धन्य कर दिया !
और मेरा जवाब था- अभी तो सिर्फ शुरुआत है चाची ! पूरी रात तो अभी बाकी है…….
चूंकि मैं तो अभी भी संतुष्टि से कोसों दूर था और मेरे शरीर की आग तो अभी भी जल ही रही थी इसलिए मैंने चाची को गोद में उठाया और आंगन के पास ही छप्पर की छाँव में रखे हुए तख़्त (लकड़ी का पलंगनुमा बिस्तर) पर लेकर आ गया और पास ही पड़े हुए सूखे तौलिए से चाची का बदन एक हाथ से पोंछने लगा और दूसरे हाथ से उनके गीले बाल सहलाने लगा. इस सबका कुछ यूँ असर हुआ कि चाची फिर से गर्म होने लगीं.
और इस बार उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पीठ और सर पर पीछे की तरफ से घुमाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया….. क्या बताऊँ दोस्तो, उनकी नर्म-नर्म उँगलियाँ ऐसा जादू कर रहीं थी कि मुझे वैसी अनुभूति तब तक कभी भी किसी भी लड़की या औरत से नहीं मिली थी. जब तक मैंने उनके बदन को पौंछ कर सुखाया तब तक वो फिर से पूरी तरह से जोश में आ चुकीं थी…. और अब उन्होंने मेरे हाथों से तौलिया लिया और धीरे धीरे कर के मेरे बदन को पौंछ कर सुखाना शुरू कर दिया.
इस बीच मेरे दायें हाथ से उनके बालों को सहलाना जारी ही था. जब तक मेरा पूरा बदन सूखता तब तक तो चाची की हालत खराब हो चुकी थी.
इस हालत में आने के बाद चाची का खुद पर से नियंत्रण तो जैसे खत्म ही हो चुका था और चाची मुझ से लगभग याचना वाली आवाज में बोली- “रेशु, अब मत तरसाओ ना” !
और मैंने चाची की तरफ एक प्यार भरी निगाह से देखा, उनकी आँखों को चूमते हुए उनसे कहा- आपसे अभी कहा ना कि पूरी रात अभी बाकी है ! और आपको मैं आज वो सुख देना चाहता हूँ जो पिछले कई सालों से आपको नही मिला. क्या आप अपनी इच्छा को पूरा नहीं करना चाहती?
उनका इतना सुनना था कि उन्होंने मेरे होठो को चूमते हुए जैसे अपनी मौन स्वीकृति दे दी.
मैंने उनके होंठों पर एक प्यारी सी चुम्मी दी और कहा- मैं आपको यकीन दिलाता हूँ, आप निराश नहीं होंगी.
और इसके बाद उनकी जैसे एक मौन स्वीकृति मिल गई.
मेरी इस हरकत से चाची बारिश में ऐसे तड़पने लगी जैसे पानी के बिना मछली. चाची धीरे धीरे सिसक सिसक कर कहने लगी- “रेशु अब मत तडपाओ ! और मत तरसाओ” !
लेकिन मैं चाची को पूरी तरह से भोगना चाहता था तो उनकी बातें अनसुनी करके मैं उनके ब्लाउज को उतारने और बोब्स दबाने का काम करता रहा. उनका ब्लाउज उतारने के बाद मैंने अपनी बनियान भी उतार दी और चाची को अपने शरीर से चिपका कर एक हाथ से उनके पेट को पकड़ कर उनके गले को चूमने लगा और दूसरे हाथ से उनके बोब्स को दबाने लगा.दोस्तो, यकीन मानिये, मैंने कई औरतों और लड़कियों को चोदा है लेकिन ऐसा अनुभव मुझे आज तक किसी के साथ नहीं मिला था. मैं चाची को चूमता रहा और मेरा दूसरा हाथ फिसलता हुआ उनके पेटीकोट पर गया और उसे ऊपर करने में जुट गया.
इसके बाद मैंने चाची की पेंटी में हाथ डाल कर उनकी चूत में ऊँगली करना शुर कर दिया. उस समय ठण्ड का सा मौसम था और बारिश भी हो रही थी लेकिन जब मैंने उनकी चूत में ऊँगली डाली तो ऐसा लगा जैसे मैंने किसी जैम लगी गरम डबल रोटी के बीच में हाथ डाल दिया हो. मैंने ऊँगली चाची की चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दी और चाची ने और बुरी तरह से मचलना शुरू कर दिया. मुझे लगा कि चाची झरने वाली है और मैं इस धुली हुई चूत का रस बेकार नहीं जाने देना चाहता था तो मैंने चाची की पैंटी उतारी और उन्हें सामने करते हुए उनके गर्म होंठों पर मेरे होंठ रख कर उन्हें चूसना शुरू कर दिया और दूसरी तरफ मेरी उंगलियाँ उनकी गीली चूत में अन्दर बाहर होती ही जा रही थी. मैंने यह काम सिर्फ कुछ सेकंड किया होगा कि चाची ने मुझे कस कर पकड़ लिया. मैं समझ चुका था कि अब इनके झरने का वक्त आ चुका है तो मैंने उन्हें आँगन में ही जमीन पर लेटा दिया और उनका पेटीकोट ऊपर कर के उनकी धुली हुई चूत को चूसने लगा.
मुझे चूत चूसता देख कर वो बोली- आह रेशु बहुत मस्त लग रहा है”!
मैंने उन्हें अनसुना करते हुए चूसना चालू रखा और अब उनके दोनों हाथ मेरे सर को उनकी चूत पर दबा रहे थे और वो मस्ती में मस्त होकर “रेशु और चुस्सो ! और जोर से ! और जोर से कर रही थी”….
मैं उन्हें चूसता रहा और वो मेरा सर दबा कर चीखती रही और फिर एक लम्बी चीख के साथ झटके मारने लगी और हर झटके पर ढेर सा रस मेरे मुँह में आने लगा. जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो बड़े प्यार से मेरे सर को पकड़ कर अपने पास लिया और मेरे होंठों को चूम कर बोली- आज तुमने मेरा जीवन धन्य कर दिया !
और मेरा जवाब था- अभी तो सिर्फ शुरुआत है चाची ! पूरी रात तो अभी बाकी है…….
चूंकि मैं तो अभी भी संतुष्टि से कोसों दूर था और मेरे शरीर की आग तो अभी भी जल ही रही थी इसलिए मैंने चाची को गोद में उठाया और आंगन के पास ही छप्पर की छाँव में रखे हुए तख़्त (लकड़ी का पलंगनुमा बिस्तर) पर लेकर आ गया और पास ही पड़े हुए सूखे तौलिए से चाची का बदन एक हाथ से पोंछने लगा और दूसरे हाथ से उनके गीले बाल सहलाने लगा. इस सबका कुछ यूँ असर हुआ कि चाची फिर से गर्म होने लगीं.
और इस बार उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पीठ और सर पर पीछे की तरफ से घुमाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया….. क्या बताऊँ दोस्तो, उनकी नर्म-नर्म उँगलियाँ ऐसा जादू कर रहीं थी कि मुझे वैसी अनुभूति तब तक कभी भी किसी भी लड़की या औरत से नहीं मिली थी. जब तक मैंने उनके बदन को पौंछ कर सुखाया तब तक वो फिर से पूरी तरह से जोश में आ चुकीं थी…. और अब उन्होंने मेरे हाथों से तौलिया लिया और धीरे धीरे कर के मेरे बदन को पौंछ कर सुखाना शुरू कर दिया.
इस बीच मेरे दायें हाथ से उनके बालों को सहलाना जारी ही था. जब तक मेरा पूरा बदन सूखता तब तक तो चाची की हालत खराब हो चुकी थी.
इस हालत में आने के बाद चाची का खुद पर से नियंत्रण तो जैसे खत्म ही हो चुका था और चाची मुझ से लगभग याचना वाली आवाज में बोली- “रेशु, अब मत तरसाओ ना” !
और मैंने चाची की तरफ एक प्यार भरी निगाह से देखा, उनकी आँखों को चूमते हुए उनसे कहा- आपसे अभी कहा ना कि पूरी रात अभी बाकी है ! और आपको मैं आज वो सुख देना चाहता हूँ जो पिछले कई सालों से आपको नही मिला. क्या आप अपनी इच्छा को पूरा नहीं करना चाहती?
उनका इतना सुनना था कि उन्होंने मेरे होठो को चूमते हुए जैसे अपनी मौन स्वीकृति दे दी.
मैंने उनके होंठों पर एक प्यारी सी चुम्मी दी और कहा- मैं आपको यकीन दिलाता हूँ, आप निराश नहीं होंगी.
और इसके बाद उनकी जैसे एक मौन स्वीकृति मिल गई.