desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
अपडेट 114
फिर मैंने सोचा कि क्यों न अब जस्सी की गांड भी मार लूँ.
तो मैंने जस्सी को अब बिस्तर पर पेट के बल लेटा दिया और उसकी चूत को और गांड को दोनों को चाटने लगा.. जिससे उसको शक न हो.
मैंने देखा कि क्रीम की डिबिया भी रखी हुई है.. तो मैंने क्रीम उठा कर जस्सी की चूत और गांड दोनों में लगाई.
कुछ क्रीम अपने लंड पर भी लगा कर जस्सी के ऊपर चढ़ गया और उसकी गांड पर अपना लंड रख दिया.. वो थोड़ा सा कुनमुनाई.. पर मैंने हल्का सा कमर को ऊपर किया और जोर से जस्सी की गांड में धक्का मार दिया.
जस्सी चिल्लाई- ऊऊह्ह्ह्ह्ह्.. ये क्या रहे हो.. मेरी गांड तो मेरे पति ने भी नहीं मारी..
तो मैं बोला- फिर तो तुम्हारे पति को कुछ पता ही नहीं है.. गांड मारने में भी क्या मस्त मजा आता है.. लगता है उसको पता नहीं..
अभी मेरा सुपारा ही गया था.. जस्सी की गांड सच में बहुत कसी हुई थी.
मैंने अभी इतना ही कहा था कि जस्सी दर्द से बोलने लगी- आह्ह.. निकाल लो.. अपने लंड को..
पर मैंने जस्सी को दबा रखा था और अब मैंने एक हाथ में तेल की शीशी को लिया.. और उसके छेद पर डालने लगा और जोर से धक्का मारा.
जस्सी फिर से चिल्लाई- ऊह्ह्ह्ह्.. आह्ह्ह्ह.. म्मर्रर्र गईईई..
उसकी आँखों से आंसू निकल आए.. पर मैंने देर न करते हुए हल्का सा लंड बाहर निकाला और पूरी दम से धक्का दिया. इस बार उसकी आवाज ही नहीं निकल पा रही थी.. जैसे जस्सी की जान ही निकल गई हो.
जस्सी मुझसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी.. पर मैंने छोड़ा नहीं.
अब ऐसे ही उसके ऊपर लेट गया और उसकी गर्दन पर और गालों पर चुम्बन करने लगा.. साथ में उसकी पूरे जिस्म पर अपने हाथ को फेर रहा था.. जिससे वो अब दर्द भूल गई और तैयार हो गई.
जल्द ही अब जस्सी ने अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया था और वो चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी.
जब मैंने देखा कि जस्सी को अब मजा आने लगा.. तो मैंने भी अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी और जस्सी की गांड में अपने लंड को जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा था.
जस्सी बस ‘ऊओह्ह्ह.. आआअह्ह्ह्ह.. ऊओह्हह्ह..’ करे जा रही थी.. उसकी जोरदार चुदाई हो रही थी.
बिस्तर पर घमासान चुदाई के बाद अब मैंने जस्सी को बालकनी पर खड़ा कर दिया. बालकनी की लाइट तो पहले से ही बंद थी.. तो किसी को कुछ नहीं दिख रहा था. मैंने जस्सी को नीचे बिठा दिया और उसके मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और अब जस्सी मेरे लंड को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी उसने मेरे लण्ड को चूस कर गीला कर दिया.
मैंने जस्सी को बालकनी पर घोड़ी बना दिया.. इधर पांचवीं मंजिल होने के कारण हवा भी अच्छी चल रही थी.
मैंने जस्सी की गांड पर लंड को रखा और एक ही बार में पेल दिया.
‘ऊऊओ.. जान.. आह्हह्हह्ह..’
मैंने जस्सी की कमर को पकड़ लिया और जोर-जोर से उसकी गांड मारने लगा. जस्सी और मैं जैसे किसी जन्नत का मजा ले रहे थे.
कुछ देर बाद मैंने जस्सी के दोनों हाथों को उसकी पीठ पर रखा और चुदाई करने लगा.
जस्सी तो जैसे मस्ती से चुदने में लगी थी और सच में जस्सी को इस तरह से चोदने में बहुत मजा आ रहा था.
मैंने जस्सी को हल्का सा सीधा खड़ा कर दिया और उसके चूचों को दबाने लगा. मैंने कस कर जस्सी को दोनों हाथों से पकड़ लिया और फिर से जस्सी की गाण्ड की चुदाई करना चालू कर दी. इस बार और जोर-जोर से जस्सी की गाण्ड में अपने लंड को डालता और निकालता रहा.. जिससे जस्सी की सिसकारियाँ अधिक तेज स्वर में निकलने लगी थीं ‘ऊऊऊह्ह्.. ह्ह्ह्ह्ह्आ.. ओह्ह्ह्ह्..’
मैंने जस्सी की गांड को चोदते हुए उसके मम्मों को अपनी हथेलियों में भर लिया और तेज रफ्तार से चोदने लगा.
जस्सी- ऊऊह्.. आहह.. चोदो.. और जोर से..
मैंने भी जोर-जोर से चोदना जारी रखा करीब 15 मिनट ऐसे ही चोदा होगा कि जस्सी बोली- रेशु मैं थक गई हूँ..
मैं भी फुल स्पीड में जस्सी की चुदाई करता रहा.. बस 20 से 25 धक्के मारने पर मैं एक तेज ‘आहहह..’ के साथ झड़ गया और मैंने सारा माल उसकी गांड में निकाल दिया.
जस्सी एकदम निढाल हो चुकी थी.. सो मैंने उसको गोद में उठा लिया और कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया, मैं खुद भी उसके साथ लेट गया और आराम करने लगा.
जस्सी बोली- रेशु.. तुमने तो आज जान ही निकाल दी.. पर आज बहुत मजा आया.. एक बात है.. मेरे पति का लंड तुम्हारे लंड से बड़ा है.. पर मजा तुम्हारे लंड से आ रहा है.
मैंने कहा- लंड छोटा हो या बड़ा.. चुदाई करना ऐसे आना चाहिए कि जिसको भी चोदो.. वो हमेशा लण्ड को याद रखे.
इतने में जस्सी बोली- यार मेरा पति तो कुछ करता ही नहीं था.. वो तो सीधे ही चूत मेंलंड डालता और 10 मिनट चोदता.. फिर सो जाता.. मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता.. पर तुमने तो आज ऐसी चुदाई की मेरी.. कि मजा आ गया. पहले ऐसा मजा और ऐसी चुदाई.. ऊऊफ़्फ़्फ़्.. कभी नहीं हुई मेरी.. सही में मजा आ गया.
मैंने कहा- अभी तो खेल चालू हुआ है जान.. अभी पूरी फ़िल्म बाकी है.. मेरी जान देखती जाओ..
फिर मैंने सोचा कि क्यों न अब जस्सी की गांड भी मार लूँ.
तो मैंने जस्सी को अब बिस्तर पर पेट के बल लेटा दिया और उसकी चूत को और गांड को दोनों को चाटने लगा.. जिससे उसको शक न हो.
मैंने देखा कि क्रीम की डिबिया भी रखी हुई है.. तो मैंने क्रीम उठा कर जस्सी की चूत और गांड दोनों में लगाई.
कुछ क्रीम अपने लंड पर भी लगा कर जस्सी के ऊपर चढ़ गया और उसकी गांड पर अपना लंड रख दिया.. वो थोड़ा सा कुनमुनाई.. पर मैंने हल्का सा कमर को ऊपर किया और जोर से जस्सी की गांड में धक्का मार दिया.
जस्सी चिल्लाई- ऊऊह्ह्ह्ह्ह्.. ये क्या रहे हो.. मेरी गांड तो मेरे पति ने भी नहीं मारी..
तो मैं बोला- फिर तो तुम्हारे पति को कुछ पता ही नहीं है.. गांड मारने में भी क्या मस्त मजा आता है.. लगता है उसको पता नहीं..
अभी मेरा सुपारा ही गया था.. जस्सी की गांड सच में बहुत कसी हुई थी.
मैंने अभी इतना ही कहा था कि जस्सी दर्द से बोलने लगी- आह्ह.. निकाल लो.. अपने लंड को..
पर मैंने जस्सी को दबा रखा था और अब मैंने एक हाथ में तेल की शीशी को लिया.. और उसके छेद पर डालने लगा और जोर से धक्का मारा.
जस्सी फिर से चिल्लाई- ऊह्ह्ह्ह्.. आह्ह्ह्ह.. म्मर्रर्र गईईई..
उसकी आँखों से आंसू निकल आए.. पर मैंने देर न करते हुए हल्का सा लंड बाहर निकाला और पूरी दम से धक्का दिया. इस बार उसकी आवाज ही नहीं निकल पा रही थी.. जैसे जस्सी की जान ही निकल गई हो.
जस्सी मुझसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी.. पर मैंने छोड़ा नहीं.
अब ऐसे ही उसके ऊपर लेट गया और उसकी गर्दन पर और गालों पर चुम्बन करने लगा.. साथ में उसकी पूरे जिस्म पर अपने हाथ को फेर रहा था.. जिससे वो अब दर्द भूल गई और तैयार हो गई.
जल्द ही अब जस्सी ने अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया था और वो चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी.
जब मैंने देखा कि जस्सी को अब मजा आने लगा.. तो मैंने भी अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी और जस्सी की गांड में अपने लंड को जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा था.
जस्सी बस ‘ऊओह्ह्ह.. आआअह्ह्ह्ह.. ऊओह्हह्ह..’ करे जा रही थी.. उसकी जोरदार चुदाई हो रही थी.

बिस्तर पर घमासान चुदाई के बाद अब मैंने जस्सी को बालकनी पर खड़ा कर दिया. बालकनी की लाइट तो पहले से ही बंद थी.. तो किसी को कुछ नहीं दिख रहा था. मैंने जस्सी को नीचे बिठा दिया और उसके मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और अब जस्सी मेरे लंड को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी उसने मेरे लण्ड को चूस कर गीला कर दिया.
मैंने जस्सी को बालकनी पर घोड़ी बना दिया.. इधर पांचवीं मंजिल होने के कारण हवा भी अच्छी चल रही थी.
मैंने जस्सी की गांड पर लंड को रखा और एक ही बार में पेल दिया.
‘ऊऊओ.. जान.. आह्हह्हह्ह..’
मैंने जस्सी की कमर को पकड़ लिया और जोर-जोर से उसकी गांड मारने लगा. जस्सी और मैं जैसे किसी जन्नत का मजा ले रहे थे.
कुछ देर बाद मैंने जस्सी के दोनों हाथों को उसकी पीठ पर रखा और चुदाई करने लगा.
जस्सी तो जैसे मस्ती से चुदने में लगी थी और सच में जस्सी को इस तरह से चोदने में बहुत मजा आ रहा था.
मैंने जस्सी को हल्का सा सीधा खड़ा कर दिया और उसके चूचों को दबाने लगा. मैंने कस कर जस्सी को दोनों हाथों से पकड़ लिया और फिर से जस्सी की गाण्ड की चुदाई करना चालू कर दी. इस बार और जोर-जोर से जस्सी की गाण्ड में अपने लंड को डालता और निकालता रहा.. जिससे जस्सी की सिसकारियाँ अधिक तेज स्वर में निकलने लगी थीं ‘ऊऊऊह्ह्.. ह्ह्ह्ह्ह्आ.. ओह्ह्ह्ह्..’
मैंने जस्सी की गांड को चोदते हुए उसके मम्मों को अपनी हथेलियों में भर लिया और तेज रफ्तार से चोदने लगा.

जस्सी- ऊऊह्.. आहह.. चोदो.. और जोर से..
मैंने भी जोर-जोर से चोदना जारी रखा करीब 15 मिनट ऐसे ही चोदा होगा कि जस्सी बोली- रेशु मैं थक गई हूँ..
मैं भी फुल स्पीड में जस्सी की चुदाई करता रहा.. बस 20 से 25 धक्के मारने पर मैं एक तेज ‘आहहह..’ के साथ झड़ गया और मैंने सारा माल उसकी गांड में निकाल दिया.
जस्सी एकदम निढाल हो चुकी थी.. सो मैंने उसको गोद में उठा लिया और कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया, मैं खुद भी उसके साथ लेट गया और आराम करने लगा.
जस्सी बोली- रेशु.. तुमने तो आज जान ही निकाल दी.. पर आज बहुत मजा आया.. एक बात है.. मेरे पति का लंड तुम्हारे लंड से बड़ा है.. पर मजा तुम्हारे लंड से आ रहा है.
मैंने कहा- लंड छोटा हो या बड़ा.. चुदाई करना ऐसे आना चाहिए कि जिसको भी चोदो.. वो हमेशा लण्ड को याद रखे.
इतने में जस्सी बोली- यार मेरा पति तो कुछ करता ही नहीं था.. वो तो सीधे ही चूत मेंलंड डालता और 10 मिनट चोदता.. फिर सो जाता.. मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता.. पर तुमने तो आज ऐसी चुदाई की मेरी.. कि मजा आ गया. पहले ऐसा मजा और ऐसी चुदाई.. ऊऊफ़्फ़्फ़्.. कभी नहीं हुई मेरी.. सही में मजा आ गया.
मैंने कहा- अभी तो खेल चालू हुआ है जान.. अभी पूरी फ़िल्म बाकी है.. मेरी जान देखती जाओ..