non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
06-11-2020, 04:46 PM,
#61
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम तो पहले से ही नंगी हुए बैठी थी। उसकी आवाज़ बैठने लगी। पूछी "क्यूँ?" हालाँकि उसे पता था कि कोई लड़का किसी लड़की को नंगी होने बोल रहा है तो क्यों बोल रहा है।
गुड्डू बोला "क्यों की तुझे चोदना है। तेरी नंगी चुत को सहलाना है। उसे अपने हाथों से फैला कर तेरी चुत में अपना जीभ घुसा कर चूसना है। तेरी नंगी चुच्ची को मसलना है और तेरे निप्पल को मुँह में भरकर चूसना है। तेरे चिकने बदन को सहलाना है। तेरी कमर, पीठ, पेट जांघ पे हाथ फेरना है और हर जगह को चूमना है। तुम्हारी चुत में ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करना है और उसे अपने लण्ड के लिए तैयार करना है। और फिर अपना लण्ड तेरी चुत में डालकर तुझे चोदना है जान....। हो जा न नंगी। पूरी नंगी।"

इतना सुनते ही पूनम के मुँह से "आहः" निकली जिसे इस बार वो अंदर नहीं रोक पायी। गुड्डू फिर से आगे और बोलना स्टार्ट किया और फिर पूनम बोल दी "आहः, तो चोद लो न। पूरी नंगी हूँ। डाल दो न अपना लण्ड मेरी चुत में, और चोद लो जी भर कर।" पूनम की चुत पूरी गर्म हो गयी थी और वो तेज़ी से ऊँगली अंदर बाहर करने लगी थी।

फिर गुड्डू जैसे जैसे बोलता गया, पूनम उस उस तरह से बोलती गयी और फ़ोन पे ही हर तरह से गुड्डू से चुदवाती गयी। गुड्डू बोला "मेरे लण्ड पे बैठ जाओ और चुदवाओ।" तो पूनम खुद से बोली "तुम्हारे लण्ड को अपनी चुत में भरकर तुम्हारे ऊपर बैठ गयी हूँ और उछाल उछल कर चुदवा रही हूँ तुमसे। आहः चोदो मुझे आहः।"

गुड्डू समझ गया था कि पूनम कितनी गर्म है। बोला "कब मिलेगी जान? कब अपने चुत के समंदर में मेरे लण्ड को डुबकी लगाने देगी?" पूनम तो अभी पूरी तैयार थी। वो दोनों पैर फैलाकर अपनी चुत में ऊँगली अंदर बाहर कर रही थी और इमेजिन कर रही थी की गुड्डू उसे फुल स्पीड में चोद रहा है। बोली "तो चोद लो न।"

गुड्डू अब सच में पूनम के नंगे बदन को सहलाना चाहता था। बोला "कल आ जाओ न, मेरे पास।" पूनम पूरी तरह वासना के नशे में थी। पूछी "कहाँ?" गुड्डू के लण्ड की अकड़ और बढ़ गयी की कल पूनम उसके पास चुदवाने के लिए आ रही है। बोला "मेरे अड्डे पे। वहीँ पूरी मस्ती करेंगे।" गुड्डू ने अपने अड्डे का पता बताया। बोला "वहीँ पे पूरे नंगे होकर तुम्हारे बदन के हर हिस्से को चूमूँगा। तुम्हे अपनी गोद में उठा लूँगा और तुम्हारी चुत में लण्ड डाल कर पूरे घर में घुमाऊँगा। तुम्हारी चुच्ची को आंटे की तरह गूथ गूथ कर मसल दूँगा। तुम्हारी चुत को अपने जीभ से चोद चोद कर चूसूंगा। खूब चोदुंगा तुम्हे। तीन बार लण्ड का पानी निकालूँगा तुम्हारे पे। एक बार तुम्हारे मुँह में, फिर चुत में और फिर गांड में।"

पूनम सुनती जा रही थी और इमेजिन करती जा रही थी की कैसे कैसे गुड्डू उसे चोदेगा। वो तैयार थी गुड्डू से चुदवाने के लिए। उसके लण्ड का पानी पीने के लिए, उसके लण्ड को अपनी चुत और गांड की सैर कराने के लिए। जैसे जैसे गुड्डू चोदना चाहे, वैसे वैसे चुदवाने के लिए। पूनम की ऊँगली तेज़ी से चुत में अंदर बाहर हो रही थी और फिर उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया। वो हाँफने लगी। अब उसका दिमाग थोड़ा काम कर रहा था। उसे गुड्डू से चुदवाने में तो अभी ऐतराज़ नहीं था, लेकिन वो उसके अड्डे पे जाने के नाम से डर गयी। एक अनजान सा डर उसके मन में बैठ गया। वो अपनी साँसों को सम्हाली और बोली "आऊँगी, लेकिन अभी नहीं, कुछ दिन बाद।" गुड्डू थोड़ा उदास हो गया। बोला "क्यूँ जान, कितना तड़पायेगी।"

पूनम अब आराम से लेटी हुई रिलैक्स हो रही थी। उसकी चुत से रस बहकर बाहर आ रहा था। वो गुड्डू को समझाते हुए बोली "देखो..., मैं इतना कुछ की तुम्हारी साथ। क्या क्या नहीं बोली। जैसे जैसे तुम बोलते हो, वैसे मैं इमेजिन करती जाती हूँ। मुझे अच्छा भी लगता है। और जब इतना कुछ की हूँ तो तुमसे चुदवाऊँगी भी। लेकिन मुझे कुछ वक़्त दो। जब तुम्हे मुझे चोदना ही है तो मैं उसके लिए तैयार हूँ। लेकिन मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए सोंचने समझने का। मैं बस चाहती हूँ की किसी को कुछ पता न चले, मैं बदनाम न हो जाऊँ। अमित वैसे ही मेरे बारे में बहुत से लोगों को बहुत सारी उल्टी सीधी बात बोल चूका होगा। तो मैं बस इसी से डरती हूँ।"

गुड्डू के लिए सब्र रखना मुश्किल हो रहा था। बोला "किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। वहाँ कोई तुम्हे आता जाता देख भी नहीं सकता। भरोसा रखो मेरे पर।" पूनम सच में चुदवाने के लिए तैयार थी। लेकिन वो बस एक बार और अच्छे से सोंच लेना चाहती थी। बोली "भरोसा है, तभी तो तुम्हारे साथ इतना कुछ बात करती हूँ। तुमने कभी भी ज़िद नहीं किया, कोई जबर्दस्ती नहीं की, इसलिए इतना कुछ की मैं। और वो भी करुँगी जो तुम चाहते हो। मैं तुमसे चुदवाऊँगी भी। लेकिन तुम बस मुझे थोड़ा और वक़्त दो। और ...." पूनम की बात खत्म होने से पहले ही गुड्डू बोला "कोई बात नहीं। ले लो जितना वक़्त लेना है। मेरा लण्ड तुम्हारी चुत के लिए थोड़ा और इंतज़ार कर लेगा। लेकिन याद रखना, जब चुदाई हो, तो पूरी मस्ती के साथ हो। कोई रुकावट न रहे, कोई कमी न रहे। मुझे कोई जल्दी नहीं है।"

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06-11-2020, 04:47 PM,
#62
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम खुश होती हुई बोली "कोई कमी नहीं रहेगी। मैं भी हड़बड़ी का काम नहीं चाहती। तुम मेरी इच्छा का ख्याल रखे, यही कारण है कि तुम्हारे साथ इतना बात भी की, नहीं तो मैं किस टाइप की लड़की हूँ, ये तुम अच्छे से जानते हो। तुमने सब्र रखा है, तो तुम्हे फल भी मीठा ही मिलेगा।" गुड्डू बोला "मैं तुम्हारे दोनों संतरों को निचोड़ खाऊँगा।" पूनम हँस दी और गुड्डू भी।

पूनम कॉल कट कर दी और आज भी फिर से नंगी ही सो गयी। जब तक उसे नींद नहीं आयी, वो यही सोंचती रही की कहाँ और कैसे गुड्डू से चुदेगी। और सिर्फ गुड्डू से चुदेगी या विक्की से भी। भले ही गुड्डू विक्की से चुदवाने का जिक्र इधर से न कर रहा हो, लेकिन पूनम को पूरा यकीन था कि विक्की भी चोदेगा ही, और वो भी दोनों के लण्ड अपनी चुत को खिलाने के लिए रेडी थी। गुड्डू भी खुश था कि उसकी मेहनत रंग ला रही है। अब उसे पूरा यकीन था कि पूनम उससे चुदेगी। वो बहुत सारी चुत चोद चूका था, लेकिन पूनम जैसी माल को खाने की बात ही और थी।

सुबह पूनम जगी तो वो इस प्लान के साथ जगी थी की गुड्डू से कैसे चुदवाना है। उसके मन में कई तरह की बातें चल रही थी। 'गुड्डू के अड्डे पे जाना ठीक रहेगा की नहीं, लेकिन वहाँ नहीं जाऊँगी तो फिर कहाँ करवाऊँगी। किसी होटल में? नाह... वो तो और ज्यादा रिस्की है। लेकिन अड्डे पे गयी तो पता नहीं वो क्या क्या करेगा, फिर मैं वहाँ क्या कर पाऊँगी। नहीं नहीं... अड्डे पे नहीं जाऊँगी। देखती हूँ की कैसे क्या हो सकता है। मुझे चुदवाने की कोई जल्दी नहीं है। लेकिन कोई परेशानी न हो जाये। उन दोनों का क्या है, लड़के हैं, और उनका काम ही यही है। मैं तो बर्बाद हो जाऊँगी न।'

पूनम अपनी सोच में डूबी हुई ही सारे काम कर रही थी। वो सोच ली थी की अब गुड्डू से चुदाई करवा ही लेना है। आज सुबह से ही गुड्डू मैसेज पे मैसेज भेजे जा रहा था। उससे बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा था। वो तो फ़ोन करके पूनम को चोद लेना चाहता था, उसे अपने पास बुलाकर उसके मखमली जिस्म को रगड़ लेना चाहता था। लेकिन अभी वो बस मैसेज ही कर सकता था, तो कर रहा था। पूनम जैसे ही मैसेज टोन सुनती तो फ़ोन अनलॉक कर उसे पढ़ती थी और फिर डिलीट कर दे रही थी। मैसेज ऐसे थे की पूनम के चेहरे पे मुस्कान फ़ैल जा रही थी और उसकी चुत से शहद बाहर आकर उसकी पैंटी को गीला कर रहा था। कुछ मैसेज को वो रखना चाहती थी, लेकिन वो ऐसे थे की उन्हें फ़ोन में रखना मुमकिन नहीं था।

पूनम की माँ जब से अपने भाई के पास से आयी थी, तब से उसे पूनम बदली बदली नज़र आ रही थी। पूनम का ज्यादातर समय मोबाइल के साथ बीत रहा था और वो पूनम को नोटिस कर रही थी। जब पूनम ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गयी थी और नाश्ता कर रही थी तो पूनम की माँ बोली "तू कितना बिजी रहती है फ़ोन में। किसका मैसेज आता रहता है।" पूनम को ये अचानक से माँ से ये पूछे जाने की उम्मीद नहीं थी। पूनम घबरा गयी। बोली "न...नहीं तो... कहाँ किसी का..." पूनम की माँ उसके इस जवाब से संतुष्ट तो नहीं ही हुई, उसे घूर कर देखने लगी। पूनम तुरंत ऐसे एक्टिंग की जैसे उसे अब अपनी माँ की बात समझ में आयी। बोली "अच्छा वो... ये तो कंपनी के मैसेज आते रहते हैं। इनका तो काम ही यही है।" पूनम नाश्ते की थाली देखते हुए बोल रही थी। वो पहली बार अपनी माँ से झूठ बोल रही थी। उसकी हिम्मत नहीं हुई की अपनी माँ की तरफ देख कर ये बात बोल पाए।

पूनम की माँ अपनी हथेली से पूनम की ठुड्डी ऊपर उठायी और उसकी आँखों में देखते हुए बोली "तेरी माँ हूँ। कंपनी के मैसेज पढ़कर किसे हँसी आती है!!!" पूनम फिर से बात घुमाते हुए बोली "अरे अभी तो वो सुषमा का मैसेज आया था। एक चुटकुला भेजी थी।" पूनम की माँ उसे ऐसे देखि जैसे उन्हें पता था कि उनकी बेटी झूठ बोल रही है, लेकिन वो बात को खींचना नहीं चाहती थी। बोली "देख बेटा, कोई ऐसा काम मत कर देना की माँ बाप की पगड़ी उछल जाये।"

"क्या हो गया भाई?" बोलते हुए पूनम के पापा भी नाश्ते की टेबल पे पहुँच गए। पूनम तो पूरी तरह डर गयी की कहीं पापा को पता न चल जाए और वो गुस्सा न हो जाएं। उसे पता था कि उसके पापा कैसे रूढ़िवादी ख्यालों के हैं। पूनम की माँ भी उनके इस तरह अचानक आ जाने से सकपका गयी, क्यों की वो भी ये बात अभी अपने पति की जानकारी में नहीं आने देना चाहती थी।

पूनम के पापा ने फिर से पूछा "क्या हो गया? कौन किसकी पगड़ी उछाल रहा है?" दोनों माँ बेटी थोड़े रिलैक्स हो गए की पापा ने पूरी बात सुनी भी नहीं थी और अभी उनका मूड भी अच्छा था। पूनम तो चैन की साँस ली, लेकिन उसकी ये चैन की साँस कितनी देर तक रहती ये अभी अब उसकी माँ क्या बोलती है, ये उसपे निर्भर कर रहा था।

पूनम की माँ बोली "वो शर्मा जी की बेटी भागकर शादी कर ली थी न, उसी की बात हो रही थी। वही पूनम को बोल रही थी की वो तो अपने माँ बाप की पगड़ी ही उछाल दी न।" पूनम के पापा का मुँह बुरा सा बन गया। बोले "आजकल के बच्चों को अपनी माँ बाप की फिक्र नहीं होती। माँ बाप का चाहे जो हाल हो, समाज में उसकी जो थू थू हो, लेकिन बच्चे को तो बस अपने आप से मतलब है कि हम तो अपने मन की ही करेंगे।" पूनम की माँ बोली "माँ बाप क्या करेंगे। वो तो बस बच्चों को समझा ही सकते हैं न। हर घड़ी तो उसके पीछे नहीं लगे रहेंगे। बेटा हो या बेटी हो, पढ़ने बाहर जायेंगे ही, काम करने बाहर जायेंगे ही। पूनम ही बाहर जाती है या पंकज ही बाहर में रह रहा है, तो ये लोग क्या करते हैं बाहर में, ये तो यही लोग जानेंगे न।" पूनम की तो साँस अटक गयी।

पूनम के पापा ने एक लंबा साँस लिया और बोले "हाँ... सही बात है। कौन क्या करेगा कौन जानता है। इसलिए तो मैं चाहता हुँ की बच्चों की जल्दी शादी हो जाये की हम निश्चिन्त हों।" पूनम को लगा की आज उसका बुरा दिन है। बोली "ये कौन सी बात करने लगे आपलोग।" पूनम के पापा ने पूनम के कंधे पे हाथ रखा और आँखों में आंसू भरकर बोले "बेटा, तुम ऐसा कुछ मत कर देना जिससे हमारी पगड़ी उछल जाये।" पूनम की भी ऑंखें भर आयी।
बोली "कैसी बात कर रहे पापा आप!" पूनम के पापा आगे कुछ नहीं बोले। पूनम की माँ तुरंत ही उनके सामने नाश्ते की थाली रखी और माहौल को हल्का करती हुई बोली "हमारे बच्चे ऐसे नहीं हैं। मुझे भरोसा है अपनी बेटी पर, और बेटे पर भी।" पूनम बस इतना ही बोल पायी "मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी।" पूनम के पापा बोले "भरोसा तो मुझे भी है। तभी तो इसे नौकरी करने दिया।"

पूनम ऑफिस के लिए निकल पड़ी। अभी गुड्डू रोड पे ही था और पूनम को देखकर अच्छे से मुस्कुरा रहा था। उसे उम्मीद थी की उसके भेजे नॉनवेज चुटकुलों ने सुबह सुबह ही पूनम की पैंटी को गीला कर दिया होगा और वो उसे देखकर शर्माती हुई मुस्कुराएगी। लेकिन अभी पूनम का ध्यान गुड्डू पे नहीं था। उसके दिमाग में उसके मम्मी पापा की बातें गूँज रही थी।

'मैं तो भरोसा तोड़ ही दी हूँ उनलोगों का। अमित के साथ प्यार की, उसके साथ वो सब भी की जो नहीं करना चाहिए था। और अब गुड्डू के साथ ये सब कर रही हूँ। छी..., मैं तो घटिया लड़की हूँ। पापा ने जब काम करने का परमिशन दिया था, तभी बोले थे की कुछ भी ऐसा काम मत करना की लोगों को बोलने का मौका मिले। और मैं तो क्या क्या नहीं कर ली। अमित नहीं छोड़ा होता तो उसके साथ तो पता नहीं क्या क्या करवाती रहती। और अभी तो उससे भी ख़राब कर रही हूँ की गुड्डू के साथ क्या क्या कर रही हूँ और क्या क्या करवाने के बारे में सोच रही हूँ। अमित के साथ तो फिर भी प्यार करती थी, शादी करने का प्लान था उसके साथ, वो करता या नहीं करता ये अलग बात है। लेकिन गुड्डू के साथ तो बस जिस्म के मस्ती से मतलब है।" पूनम परेशान हो गयी थी। उसके पापा की बातों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था।
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06-11-2020, 04:47 PM,
#63
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम ऑफिस के लिए निकल पड़ी। अभी गुड्डू रोड पे ही था और पूनम को देखकर अच्छे से मुस्कुरा रहा था। उसे उम्मीद थी की उसके भेजे नॉनवेज चुटकुलों ने सुबह सुबह ही पूनम की पैंटी को गीला कर दिया होगा और वो उसे देखकर शर्माती हुई मुस्कुराएगी। लेकिन अभी पूनम का ध्यान गुड्डू पे नहीं था। उसके दिमाग में उसके मम्मी पापा की बातें गूँज रही थी।

'मैं तो भरोसा तोड़ ही दी हूँ उनलोगों का। अमित के साथ प्यार की, उसके साथ वो सब भी की जो नहीं करना चाहिए था। और अब गुड्डू के साथ ये सब कर रही हूँ। छी..., मैं तो घटिया लड़की हूँ। पापा ने जब काम करने का परमिशन दिया था, तभी बोले थे की कुछ भी ऐसा काम मत करना की लोगों को बोलने का मौका मिले। और मैं तो क्या क्या नहीं कर ली। अमित नहीं छोड़ा होता तो उसके साथ तो पता नहीं क्या क्या करवाती रहती। और अभी तो उससे भी ख़राब कर रही हूँ की गुड्डू के साथ क्या क्या कर रही हूँ और क्या क्या करवाने के बारे में सोच रही हूँ। अमित के साथ तो फिर भी प्यार करती थी, शादी करने का प्लान था उसके साथ, वो करता या नहीं करता ये अलग बात है। लेकिन गुड्डू के साथ तो बस जिस्म के मस्ती से मतलब है।" पूनम परेशान हो गयी थी। उसके पापा की बातों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था।

"नहीं...नहीं, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। जितना हो चूका, बस हो चूका। अब आगे और कुछ नहीं करुँगी। अमित के साथ जो भी हुआ, लेकिन अभी उसके साथ कुछ नहीं है। और वो इसका जिक्र भी नहीं करेगा किसी के सामने, यहाँ तक की अगर उसने मुझे कहीं देख भी लिया तो पहचानेगा भी नहीं। और गुड्डू के साथ कुछ नहीं करुँगी मैं। अमित के साथ तो फिर भी प्यार था, इसके साथ तो बस सेक्स है। नहीं.... अब और कोई मस्ती नहीं। कुछ नहीं। मैं अपने पेरेंट्स का भरोसा नहीं तोड़ सकती। मैं वैसी लड़की नहीं हूँ।'

पूनम फिर से मजबूती से फैसला की। उसे अफ़सोस हो रहा था कि 'क्यों कई बार ये फैसला लेने के बाद भी की मैं गुड्डू से कोई मतलब नहीं रखूंगी, मैं उसकी तरफ आगे बढ़ती गयी। वो सब उसके दिए एन्वेलोप का असर है। लेकिन अब कुछ नहीं। वो पिक्स भी नहीं देखूँगी और ना ही वो कहानी पढूँगी। गुड्डू से बात भी नहीं करुँगी और अगर रास्ते में कुछ बोला या कुछ दिया, तो भी साफ़ साफ़ मना कर दूँगी।'

दिन में गुड्डू के मैसेज आते जा रहे थे। कई मैसेज को तो पूनम बिना पढ़े ही डिलीट कर दी और कुछ को पढ़ी भी तो आधे मन से और तुरंत डिलीट कर दी। दो बार गुड्डू का फोन भी आया, लेकिन दोनों बार पूनम कॉल कट कर दी। हालाँकि गुड्डू दिन में कॉल नहीं करता था, लेकिन आज तो वो इस उम्मीद में था कि कहीं पूनम उसके पास आने के लिए मान जाये तो मज़ा आ जाये। कितने दिनों का इंतज़ार आज ख़त्म हो जाय और आज ही पूनम के संगमरमरी बदन का लुत्फ़ उठाने का मौका मिल जाये। पूनम शाम में घर लौटी तो अभी गुड्डू या विक्की कोई रोड पे नहीं था।

रात भर पूनम अपने कमरे में आयी तो मोबाइल बंद कर दी। उसे डर था कि अगर गुड्डू का कॉल या मैसेज आ जायेगा तो फिर हो सकता है कि वो खुद को सम्हाल न पाए और फिर से वही सब करे जो वो नहीं करना चाहती है। पूनम को नींद नहीं आ रही थी, लेकिन वो आलमीरा से एन्वेलोप नहीं निकाली और इसी तरह अपने फैसले को मजबूत बनाते हुए और कुछ कुछ सोंचते हुए सो गयी।

सुबह जब पूनम जगी तो वो खुद को बहुत ताज़ा ताज़ा महसूस कर रही थी। उसे खुद पे गर्व हुआ की वो खुद को सम्हाल पायी। आज ऑफिस जाते वक़्त भी दोनों में से कोई रोड पर नहीं था। आज दिन भर में गुड्डू ने भी बस 3-4 मैसेज ही किया। शाम में भी कोई नहीं था। पूनम आज भी रात में अपना मोबाइल बंद कर दी और सोने लगी, लेकिन आज भी उसे नींद नहीं आ रही थी।

जब बहुत देर तक उसे नींद नहीं आयी और उसके दिमाग में कुछ भी उलूलजुलुल सा चल रहा था। उसने ट्रोउजर और पैंटी को घुटने तक कर दिया था और चुत को ऐसे ही सहला रही थी। उसका मन ना तो ऊँगली करने का हो रहा था और ना ही पैंटी ऊपर करने का। वो सोने की कोशिश कर रही थी, लेकिन जब उसे नींद नहीं आयी तो वो उठी और आलमीरा से एन्वेलोप निकाल कर पिक्स देखने लगी और फिर कहानी पढ़ने लगी। उसे सोची की 'इसमें कोई दिक्कत नहीं है, मुझे बस गुड्डू से दूर रहना है।'

कहानी में वो वही हिस्सा पढ़ रही थी जहाँ चुदाई का दृश्य था और जिसे पढ़ कर उसे ज्यादा मज़ा आया था। वो अपनी चुत में ऊँगली अंदर बाहर करने लगी थी। आज कहानी पढ़ने में उसे ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था, लेकिन वो चुत में ऊँगली अंदर बाहर करती रही। जब उसे मज़ा नहीं आया तो वो कहानी रख दी और फिर से पिक्स देखने लगी।

उसे याद आया की कैसे गुड्डू उसे एक एक पिक समझा रहा था और बता रहा था। वो पिक्स को भी रख दी और ऑंखें बंद करके उस रात की बात इमेजिन करने लगी। वो दोनों पैरों को फैला कर चुत में ऊँगली कर रही थी। इस तरह सोंचने से उसे ज्यादा अच्छा लग रहा था। वो बहुत कुछ सोंचती रही चुदाई के बारे में की अगर गुड्डू और विक्की उसे चोदते तो कैसे कैसे चोदते।

वो गर्म हो गयी थी। उसकी चुत का गीलापन बढ़ गया था। उसका मन हुआ की गुड्डू को कॉल कर ले और चुदवा ले उससे फ़ोन पर, लेकिन वो खुद को रोक ली। वो अपने मोबाइल को ऑन कर ली, लेकिन गुड्डू को कॉल नहीं की और चुदाई की बात सोंचती हुई चुत में ऊँगली करती रही और फिर चुत से पानी निकल जाने के बाद वो सो गयी।

इसी तरह 2-3 दिन और बीत गए. पूनम अपनी मौसेरी बहन की शादी में जाने की तैयारी में व्यस्त रह रही थी तो उसका ध्यान गुड्डू से थोड़ा कम था। पूनम रात में मोबाइल बंद करके सोती थी। दिन में अगर कभी गुड्डू कॉल करता भी था तो वो कट कर देती थी। सुबह शाम भी उसे दोनों में से कोई दिख नहीं रहा था आजकल। शायद वो दोनों भी कहीं और व्यस्त थे। पूनम को लग रहा था कि वो गुड्डू से अब दूर हो गयी है, लेकिन उसके मन में ख़ुशी की जगह बेचैनी थी। उसका मन उदास था। रात में वो रोज पैंटी नीचे करके सोती थी और अगर उसकी चुत चुदाई की बात सोंचते हुए गर्म हो जाती थी तो वो अपनी चुत से पानी निकाल लेती थी।

आज पूनम जब ऑफिस में थी तो गुड्डू ने मैसेज किया कि "तुम मोबाइल रात में बंद क्यों कर देती हो और बात क्यों नहीं कर रही हो?" पूनम अभी ऑफिस में खाली थी और गुड्डू ने कॉल किया तो पूनम कॉल रिसीव कर ली और "गुड्डू के वही सवाल पूछने पैट बोल दी की "मम्मी साथ में सोती है, इसलिए फ़ोन ऑफ रखती हूँ।"

पूनम इसलिए कॉल रिसीव की थी ताकि गुड्डू को बोल सके की अब वो बात नहीं करना चाहती है, उससे दूर रहना चाहती है, लेकिन ऐसा कुछ उसे बोलने का मौका ही नहीं मिला। गुड्डू खुद किसी चीज़ में व्यस्त था, तो उसने "ठीक है, तेरे से बाद में बात करता हूँ फुर्सत में।" बोलता हुआ तुरंत ही कॉल कट कर दिया।

आज उसे लगा था कि गुड्डू शाम में दिखेगा, लेकिन आज भी उसे कोई नहीं दिखा। पूनम को रात में नींद नहीं आ रही थी। उसका मोबाइल बंद ही था। वो आलमीरा से एन्वेलोप निकाली लेकिन अब उसमें कोई मज़ा नहीं था। उसकी चुत गर्म थी, लेकिन उसे मज़ा नहीं आ रहा था। वो अपने मोबाइल को फिर से ऑन कर ली, लेकिन बस अपनी तरफ से गुड्डू को कॉल नहीं की। वो तैयार थी की अगर गुड्डू कॉल करेगा तो देखा जायेगा।

वो नंगी ही गयी और चुत सहलाने लगी। लेकिन आज भी उसे चुत में ऊँगली करने में मज़ा नहीं आ रहा था। वो इसी तरह नंगी ही बिना चुत से पानी निकाले सो गयी। सुबह भी दोनों में से कोई उसे दिखा नहीं था। गुड्डू ने उसे दोपहर में मैसेज किया "सॉरी जान, थोड़ा बिजी था। आज से फ्री हूँ। तुम्हारे लिए नया कलेक्शन है, शाम में ले लेना।" गुड्डू का मैसेज पढ़ते ही पूनम की चुत गीली हो गयी।
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06-11-2020, 04:47 PM,
#64
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
उसकी सारी मेहनत बेकार गयी थी। इतने दिन वो उनलोगों से इसलिये दूर थी, क्यों की वो लोग कहीं बिजी थी। पूनम को खुद पे गुस्सा भी आ रहा था। वो बहुत कुछ सोचती रही। इतने दिन उसने बहुत जलाया था खुद को और अब जब गुड्डू ने नया कलेक्शन के बारे में बताया तो पूनम का मन ललच गया। वो हाँ ना के भंवर में डूबने उतरने लगी।

ऑफिस से लौटते वक़्त दूर से ही उसे गुड्डू दिख गया। उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गयी। वो क्या रिएक्शन देगी, ये उसकी समझ से बाहर हो गया। वो नज़दीक आयी तो गुड्डू उसी जगह पर गली के कार्नर पर एन्वेलोप लिए खड़ा था और पूनम का इंतज़ार करते हुए मुस्कुरा रहा था। पूनम के दिल की धड़कन और तेज़ हो गयी। उसकी चुत गीली हो गयी। डर से या पता नहीं किस चीज़ की वजह से, लेकिन पूनम का बदन हिल गया। पूनम के नज़दीक आते ही गुड्डू उसकी ओर बढ़ा, लेकिन पूनम अचानक से उसे इशारे में मना कर दी, तो गुड्डू फिर अपनी जगह पे ही रुक गया।

पूनम अपने घर की तरफ आने लगी। उसके दिल की धड़कन अभी भी काफी तेज़ थी। वो लेग्गिंग्स और लॉन्ग कुर्ती पहनी हुई थी, और उसे ऐसा लग रहा था जैसे गुड्डू उसे पीछे से नंगी देख रहा है। वो हाथ पीछे लाकर हिप के पास अपनी कुर्ती ठीक की, लेकिन इससे उसे कोई आराम नहीं मिला। उसे ऐसा लग रहा था जैसे गुड्डू उसकी हर चाल पर उसकी गांड की हलचल को देख रहा होगा और सोच रहा होगा की कैसे इसमें अपना लण्ड डालेगा। ऐसा सोंचते ही पूनम की चुत गीली हो गयी और वो जल्दी जल्दी चलती हुई अपने घर तक पहुँच गयी।

घर का गेट खोलते वक़्त वो गुड्डू की तरफ देखी तो गुड्डू वहीँ पे खड़ा था। पूनम के देखते ही उसने इशारे में पूछा की "क्या हुआ? एन्वेलोप क्यों नहीं ली?" पूनम कोई इशारा नहीं की और घर के अंदर आ गयी और अपने कमरे में चली गयी।

कपड़े बदल कर और फ्रेश होकर जब वो बाहर हॉल में आयी तो उसकी माँ और पापा अपने एक रिश्तेदार के यहाँ जाने के लिए तैयार हो रहे थे. पूनम को उनके यहाँ जाने का मन भी नहीं था और उसके माँ पापा ने कहा भी नहीं तो वो घर पे ही रह गयी. आज फिर से वो अकेली थी.

वो घर में पहनने वाला ट्रौजर और टॉप पहनी हुई थी. अकेले होते ही उसका मन बैचैन होने लगा। उसकी चुत पे चींटियाँ रेंगने लगी। वो खुद से किया अपना वादा याद की और गुड्डू और उसकी बातों को अपने दिमाग से हटाने लगी, लेकिन ये इतना भी आसान नहीं था। थोड़ी देर तो वो खुद को इधर उधर में बिजी रखी, लेकिन उसे मन नहीं लग रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। 'अगर पहले पता होता की अभी अकेली रहूँगी तो गुड्डू से एन्वेलोप ले लेती।'

पूनम अपनी सोंच में मगन थी, जब उसका फ़ोन बजा। फ़ोन गुड्डू का था। शीतल सोचने लगी की 'क्या करूँ। फ़ोन रिसीव करूँ की नहीं। उसने मम्मी पापा को जाता हुआ देख लिया होगा, इसलिए कॉल किया होगा। फ़ोन रिसीव करुँगी तो फिर से वही सब होगा। उफ़्फ़... नहीं... क्या करूँ।' शीतल सोच ही रही थी की कॉल कट हो गया।

पूनम राहत की साँस ली। वो सोच रही थी की फिर से कॉल आएगा तो वो क्या करेगी। तभी उसके मोबाइल पे मैसेज आने की आवाज़ हुई. वो मैसेज देखी तो गुड्डू का मैसेज था. वो तुरंत मैसेज पढ़ी “ मेरी जान पूनम की मस्त चुचियाँ.” नीचे स्माइलीज को ऐसे बनाया हुआ था की दो नंगे बूब्स जैसे बन गए थे. बड़े बूब्स उभरे निप्पल्स के साथ।

पूनम कन्फर्म हो गयी की उसने उसने मम्मी पापा को जाते हुए देख लिया है. पूनम अच्छे से मैसेज को देखने लगी। उसकी चुत गीली होने लगी और अब उसके लिए खुद को रोकना और मुश्किल हो गया। वो ट्रोउजर और पैंटी को थोड़ा नीचे कर दी और बेड वे सीधी होकर लेट गयी।

तुरंत ही दूसरा मैसेज आया. इसमें भी उसी तरह से एक नंगी खड़ी लड़की का इमेज जैसा बना हुआ था. नीचे लिखा हुआ था “गुड्डू के इंतज़ार में नंगी उसकी जान पूनम.” पूनम पे मस्ती चढ़ने लगी. वो चुत को सहलाते हुए अगले मैसेज का इंतज़ार करने लगी। उसपे खुमार चढ़ने लगा। वो सोचने लगी की अब अगर गुड्डू का कॉल आएगा तो वो रिसीव कर लेगी। 'फ़ोन पे कुछ बोल दूँगी या वो सुन लूँगी तो इसमें तो कोई बुराई नहीं है। मैं उससे चुदवा तो नहीं रही। उससे मिल तो नहीं रही।'

फिर से एक मैसेज आया “लौलिपोप चुसो तो छोटा होता है, लंड चुसो तो बड़ा होता है.” पूनम को मज़ा आने लगा था. लेकिन मैसेज में वो बात नहीं थी और गुड्डू कॉल कर ही नहीं रहा था. उसका मन हुआ की 'काश गुड्डू उसे जल्दी से कॉल करे और उस दिन ही की तरह उसे सब कुछ बोलने को कहे. उसे बोले की बोलो जान चोदो न, बोलो चुदवाऊँगी, बोलो लण्ड चुसूँगी, बोलो गांड मार लो मेरी, बोलो वीर्य पिलाओ मुझे। मैं सब कुछ बोलूँगी।'

वो अपनी तरफ से फ़ोन नहीं करना चाहती थी. लेकिन पूनम अब आपे से बाहर थी. उसकी चूत गीली हो चुकी थी. वो ट्रोउजर और पैंटी को उतार दी और नीचे से नंगी होकर बेड पर सीधी लेट रही और चुत सहलाने लगी। अब उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वो गुड्डू को कॉल लगायी और तुरंत एक रिंग होते ही कट कर दी। उसे तुरंत लगा की 'मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। ये मैं गलत कर दी।' लेकिन अब क्या फायदा था कुछ भी सोचने से, मिस्ड कॉल तो गुड्डू के पास जा चूका था।

गुड्डू तो जैसे उसके कॉल के इंतज़ार में ही बैठा था। बहुत दिन बाद वो शहर में वापस लौटा था और फ्री था। और आते ही उसने पूनम के मम्मी पापा को कहीं जाते हुए देख लिया था। इसका मतलब उसकी माल पूनम घर में अकेली होगी। गुड्डू ने तुरंत कॉल बैक किया।

3-4 रिंग बजने के बाद कॉल रिसीव हुआ और पूनम धीरे से मदहोश हो चुकी आवाज़ में बोली "हेलो।" गुड्डू खुश हो गया। बोला
“आहः जान, कैसी हो, कितने दिनों बाद तुम्हारी इस मदहोश कर देने वाली आवाज़ को सुना हूँ। लण्ड टाइट हो गया।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे अच्छा लगा की गुड्डू तुरंत ही पॉइंट पे आ गया था। गुड्डू आगे बोला "एन्वेलोप क्यू नहीं ली जान? कितना अच्छा कलेक्शन रखा है मैंने तुम्हारे लिए।"

पूनम बोली "बस, ऐसे ही।" दरअसल वो कहना चाहती थी जो फैसला वो ली थी। लेकिन जो अभी उसकी हालत थी, उसमे वो ये बात बोल नहीं पाई।

गुड्डू आगे बोला “ले लेती तो अभी अकेले में अच्छे से पढ़ भी लेती और देख भी लेती, उसी दिन की तरह।, पूनम फिर से कुछ नहीं बोली। सही तो बोल रहा था गुड्डू। इस चीज़ का अफ़सोस तो उसे भी हो रहा था और बहुत हो रहा था। पूनम मुस्कुरा दी की गुड्डू के 'उस दिन की तरह' कहने का क्या मतलब है। उस दिन वो कैसे पिक्स देखी थी, उसे याद आ गया।

गुड्डू आगे बोला "इसमें एक लड़की कॉलेज में साड़ी पहन कर अपने टीचर से चुदवाती है.” पूनम फिर कुछ नहीं बोली. गुड्डू आगे बोला “एक गेम है, उसमे वो एक एक करके अपने सारे कपड़े उतारती है और फिर 2 टीचर से एक साथ चुदवाती है. पिक भी उसी के साथ के हैं. बहुत मज़ा आता.”

पूनम अभी भी कुछ नहीं बोली. वो बस उस कहानी को अपने दिमाग में इमेजिन कर रही थी और चूत पे ऊँगली फेर रही थी. उसका मन हो रहा था की वो एन्वेलोप उसे ले लेना चहिये था. उसे अपने आज के फैसले पे बहुत अफ़सोस हो रहा था। वो अकेली थी घर में और अगर उसे ये नयी कहानी और नए पिक्स मिल जाती तो मज़ा आ जाता। उसकी चुत पूरी तरह गीली थी, और पूनम बहुत ही गर्म थी। बहुत दिन बाद आज फिर से वो ये सब चुत चुदाई की बातें सुन रही थी।

गुड्डू बोला "पहले वाला है ही अभी या फेंक दी.” पूनम उदास होते हुए बोली “है.” गुड्डू बोला “लेकिन वो तो अब पुराना हो गया है। वो अब मज़ा नहीं देगा. इस बार जो पिक्स है, उसमे लड़की उससे भी ज्यादा अच्छे से चुदवा रही है.” पूनम कुछ नहीं बोली. क्या बोलती। सच तो कह रहा था गुड्डू।

गुड्डू आगे बोला “इसमें लड़की जैसे मॉडल रैंप वॉक करती है, वैसे क्लास में चलती है और एक एक करके अपने सारे कपड़े उतारती है। फिर नंगी भी चलती है।" पूनम गुड्डू की बात सुन रही थी और इमेजिन कर रही थी की सीन कैसा होगा। वो इमैजिन कर रही थी की कैसे लड़की पुरे क्लास के सामने नंगी हो रही होगी और सब उसे देख रहे होंगे। पूनम चुप थी की गुड्डू आगे बोलेगा और गुड्डू आगे नहीं बोला की वो पूनम की मनोस्थिति को समझना चाह रहा था।

पूनम चुत में ऊँगली अंदर करती हुई बोली "फिर? सबके सामने नंगी चल रही थी!" गुड्डू बोला "नहीं, सब नहीं थे, बस कुछ लोग थे।" पूनम फिर से बोली "फिर?" गुड्डू समझ गया कि पूनम की हालत अभी कैसी है।

बोला “मैं क्यों बताऊँ। जब लेना तो पढ़ लेना।" पूनम अभी ना सुनने की हालत में नहीं थी। बोली "बोलो न प्लीज़।" गुड्डू को मज़ा आ रहा था। गुड्डू बोला "तो उस वक़्त क्यों नहीं ली थी। अभी दे दूँ क्या?"
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06-11-2020, 04:47 PM,
#65
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम सोच में पड़ गयी। ये बात तो वो सोची ही नहीं थी की वो अभी घर में अकेली है। पूनम समझ रही थी की गुड्डू क्या कहना चाह रहा है, लेकिन कन्फर्म होने के लिए वो पूछी "मतलब?" गुड्डू मुस्कुराता हुआ बोला "तुम बोलो तो तुम्हारे घर आकर तुम्हे एन्वेलोप पहुँचा देता हूँ।"

पूनम का बदन हिल गया। गुड्डू को भी पता है कि वो अभी घर में अकेली है, और उसके घर में आने का मतलब भी उसे समझ में आ गया। वो अपनी हालत देखी। उसे लगा की मौका अच्छा है, लेकिन उसे डर भी लगने लगा।

बोली "बाहर गेट के नीचे से सरका दो, मैं ले लूँगी।" गुड्डू बोला "नाह...' इतनी मेहनत करूँगा और तुम्हे देखूँगा भी नहीं, तो फिर क्या फायदा। घर के अंदर आकर दूँगा" पूनम की चुत पूरी गरम थी ही, ये सोच कर और गर्म हो रही थी।
पूनम बोली "नहीं, अंदर आने की कोई जरूरत नहीं है।" गुड्डू बोला "उस वक़्त नहीं ली, तो अब इतनी दूर तुम्हारे घर तक आऊँगा तो बिना तुम्हे देखे तो नहीं जाऊँगा। फ्री में मेहनत क्यों करूँ। मज़ा करोगी तुम और मेहनत करूँ मैं।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे बहुत अफ़सोस हो रहा था एन्वेलोप नहीं लेने का।
गुड्डू फिर से बोला "अरे..., इतना क्या सोचने लगी। तुम्हे चोदुंगा थोड़े ही। बस तुम्हे देखूँगा। कितने दिन से अच्छे से देखा भी नहीं हूँ तुम्हे। क्या मस्त लग रही थी अभी।" गुड्डू फिर आगे शरारत के साथ मुस्कुराता हुआ बोला "हाँ..... अगर तुम बोलोगी तो एक किस कर लूँगा बस।"

पूनम शरारती मुस्कान हँसते हुए बोली "कोई जरूरत नहीं है, मुझे नहीं चाहिए ये एन्वेलोप।" गुड्डू भी उसी तरह बोला "तो मत लो, मुझे क्या। मैं तो देख रहा हूँ न की कितनी मस्त मस्त पिक है। कितना मस्त चुदवा रही है वो माल अपने टीचर से अपने ही क्लास रूम में।

गुड्डू की बातों से पूनम की चुत और तेज़ी से पिघल रही थी। उसे गुस्सा भी आ रहा था कि गुड्डू उसे एन्वेलोप नहीं दे रहा था। उसका मन हुआ की बुला ले गुड्डू को अपने घर। लेकिन उसे डर लग रहा था। बोली "तुम्हारा मन नहीं भरता, हमेशा यही बात करते रहने पर।" गुड्डू बोला "कौन सी बात?" पूनम समझ गयी की गुड्डू उसे क्या बोलने बोल रहा है। लेकिन उसे बोलने में फिर से आज शर्म आ रही थी। पूनम शरमाते हुए बोली "कुछ नहीं।"

गुड्डू हँसता हुआ बोला "आये हाय, मेरी जान की यही अदा तो मेरे लण्ड को और टाइट कर देती है। बोल न कौन सी बात?" पूनम उसी तरह अदा के साथ बोली "मुझे नहीं बोलना। तुम मेरी बात कहाँ माने जो मैं तुम्हारी बात मानूँ।" गुड्डू बोला "बोल न जान, बोल न। कितने दिन हो गए तेरे मुँह से कुछ सुना नहीं। कितना अच्छा लगता है तेरे मुँह से चुदाई की बात सुनकर।"

पूनम बोली "बोल दूँगी तो एन्वेलोप दे जाओगे अभी?" गुड्डू तुरंत बोला "बिल्कुल। अरे मेरी जान, तेरे लिए ही तो है।" पूनम अपनी बात को सुधारी। बोली "बाहर गेट से नीचे सरका कर दे जाओगे न?" गुड्डू बोला "ठीक है, दे दूँगा। तू बोल न।"

पूनम एक गहरी साँस ली और बोली "चुदाई की बात।" पूनम को चुत के पास कुछ नीचे बहता हुआ महसूस हुआ। उसकी गीली चुत और गीली हो गयी। वो टॉप भी ऊपर कर ली और चुचियों को बाहर निकाल ली। गुड्डू का लण्ड भी टाइट हो गया। बोला "पूरा बोल न, अच्छे से।"

पूनम बोली "नहीं, अब तुम पहले एन्वेलोप दो।" गुड्डू बोला "ठीक है, आ रहा हूँ तेरे घर की तरफ। आने में टाइम तो लगेगा न। तब तक बोल तो अच्छे से।" पूनम को लगा की गुड्डू सच बोल रहा है। बोली "तुम हमेशा चुदाई की बात ही क्यों करते रहते हो।"

गुड्डू बोला "तेरे बारे में सोंचते ही लण्ड टाइट हो जाता है। तेरे साथ चुदाई की बात करने में मज़ा आता है।" पूनम कुछ नहीं बोली। मज़ा तो उसे आ रहा था बहुत। गुड्डू बोला "मेरा क्या टाइट हो जाता है?" पूनम को लगा की गुड्डू उसके मन की बात कर रहा है। कई बार बोल चुके होने के बाद भी उसे शर्म आ रही थी और वो शरमाते हुए बोली "लण्ड"

"आह मेरी जान...कितना अच्छा लगा। फिर से बोल न" गुड्डू बोला तो पूनम पे और खुमार चढ़ने लगा। वो अपनी चुत पे ऊँगली फेरने लगी और चुत के अंदर डालते हुए बोली "तुम्हारा लण्ड टाइट हो जाता है।" गुड्डू बोला "इसे कहाँ डाला जाता है?" पूनम मदहोश होने लगी थी। आह भरते हुए बोली "अम्म.... चुत में...."

गुड्डू भी उसी तरह वासना के नशे में डूबता हुआ बोला "फिर क्या होता है?" पूनम अब पूरी गर्म थी। बोली "चुदाई होती है।" गुड्डू एक टीचर की तरह सवाल कर रहा था और पूनम अच्छे शिष्य की तरह जवाब दे रही थी। गुड्डू बोला "कैसे चुदवाओगी तुम मेरे से?" पूनम सवाल को ठीक से सुनी नहीं और समझी नहीं, या फिर वासना के नशे में उसपे बिना ध्यान दिए बोली "तुम लण्ड को चुत में डालकर धक्का मारकर चुदाई करोगे।"

गुड्डू बोला "अच्छे से चुदवाएगी न?" पूनम बोली का मन न बोलने का था, लेकिन अभी वो ना बोलने की हालत में नहीं थी। उसी तरह वासना के नशे में बोली "ह्म्म्म" गुड्डू बोला "बोल न, चोदो मुझे, बोल न मेरी गांड मारो।" पूनम को अब कोई होश नहीं था। बोली "चोदो न मुझे, मेरी गांड मार लो।"

गुड्डू बोला "गेट खोल न, आता हूँ।" अब पूनम का नशा टुटा। अब उसे होश आया की वो ये क्या बोल रही थी। लेकिन गीले चुत का नशा इतनी जल्दी कहाँ टूटने वाला था। वो उसी तरह नशे में बोली "नहीं... अभी नहीं।"

गुड्डू बोला "कुछ नहीं करूँगा, बस एन्वेलोप दूँगा और देखूँगा तुझे। खोल न।" पूनम का दिल कह रहा था कि गुड्डू को अंदर आने दे, लेकिन उसका दिमाग उसे रोक रहा था। पूनम बोली "नहीं... कोई देख लेगा।" गुड्डू इतना अच्छा मौका जाने नहीं देना चाहता था। बोला "कोई नहीं देखेगा जान, बस मैं अपनी जान को देखूँगा।"
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06-11-2020, 04:47 PM,
#66
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
गुड्डू बोला "कुछ नहीं करूँगा, बस एन्वेलोप दूँगा और देखूँगा तुझे। खोल न।" पूनम का दिल कह रहा था कि गुड्डू को अंदर आने दे, लेकिन उसका दिमाग उसे रोक रहा था। पूनम बोली "नहीं... कोई देख लेगा।" गुड्डू इतना अच्छा मौका जाने नहीं देना चाहता था। बोला "कोई नहीं देखेगा जान, बस मैं अपनी जान को देखूँगा।"

अब पूनम हार गयी। बोली "सामने के गेट से नहीं, पीछे के गेट की तरफ आओ।" उसके मन में ये आया की अगर मम्मी पापा आ गए और गुड्डू को देख लिया, तो गजब हो जायेगा। पीछे के गेट तरफ ये खतरा तो नहीं था। गुड्डू खुश हो गया। बोला "आ रहा हूँ जान।"

पूनम हड़बड़ा कर बेड से उठी। गुड्डू तुरंत पीछे के गेट की तरफ पहुँच जाता और वो इस हालत में गुड्डू को नहीं दिखना चाहती थी। वो तुरंत अपनी पैंटी और ट्राउजर को ऊपर की और चुचियों को ब्रा में कास कर टॉप भी ठीक की। उसे लगा की उसकी चुत काफी गीली है तो वो तुरंत एक तौलिया से अपनी चुत को पोछ ली और फिर आईने में अपना चेहरा ठीक करने लगी।

उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो ये ठीक कर रही है या नहीं। लेकिन अब वो पीछे नहीं हो सकती थी। उसके दिमाग में चल रहा था कि गुड्डू उसके साथ क्या क्या कर सकता है और वो उसे क्या क्या करने देगी। उसने खुद को हालात के हिसाब से छोड़ दिया और होठों पे वेसेलिन लगाने लगी। इतने में फ़ोन पे गुड्डू की आवाज़ सुनाई दी "गेट खोल, आ गया हूँ।" पूनम जल्दी जल्दी अपने बाल ठीक करती हुई बोली "आ रही हूँ, एक मिनट।"

पूनम हॉल में आयी और पीछे की तरफ खुलने वाले गेट के सामने आ गयी। वो एक गहरी साँस ली और हिम्मत करके गेट खोल दी। गुड्डू सामने खड़ा था और पूनम पर नज़र पड़ते ही वो उसे निहार रहा था। उसे इस तरह निहारता देख पूनम शर्मा गयी। अभी एक मिनट पहले वो गुड्डू को क्या क्या बोल रही थी और गुड्डू के साथ वो क्या क्या बात की है, सोंच कर उसकी शर्म और बढ़ गयी और उसकी चुत फिर से गीली हो गयी।

अभी गुड्डू की नज़र उसकी चुचियों पर रुकी हुई थी जो जल्दी जल्दी साँस लेने की वजह से ऊपर नीचे हो रही थी। चूचियाँ टॉप के अंदर तनी हुई थी। पूनम नज़रें नीची कर ली। कोई दुपट्टा या कुछ और तो था नहीं, जिससे वो टॉप को ढक भी नहीं सकती थी। उसे पता था कि गुड्डू क्या देख रहा है और क्या क्या सोच रहा होगा। उसकी हालत बिगड़ रही थी।

पूनम हाथ बढ़ा कर बोली "दो एन्वेलोप।" गुड्डू बोला "अच्छे से देखने तो दो। बहुत टँच माल है तू तो। पहली बार इतने आराम से तेरी चूचियाँ देख रहा हूँ। क्या मस्त गोल गोल और बड़ी बड़ी हैं।" पूनम की शर्म और चुत की आग बढ़ गयी। कोई लड़का उसके सामने पहली बार इस तरह खुलकर बोल रहा था।

गुड्डू फिर बोला "एकदम कसा हुआ बदन है तेरा। क्या कटाव है। क्या मस्त कमर है, और क्या मस्त मांसल गांड है।" पूनम को अब डर लग रहा था। कहीं कोई उसे देख न ले और कहीं कोई गुड्डू की बातें न सुन ले। बोली "तुम जाओ यहाँ से जल्दी।" गुड्डू जाने के लिए नहीं आया था। बोला "ठीक से देखने तो दे, अंदर नहीं बुलाओगी।"

पूनम गेट से साइड हो गयी और गुड्डू अंदर आ गया। पूनम गेट को सटा दी, लेकिन बंद नहीं की। गुड्डू अंदर ही अंदर खुश हो रहा था कि मंजिल अब बस कुछ कदम दूर है और पूनम की हालत खराब हो रही थी। वो गुड्डू के साथ अकेली थी। उसकी धड़कन तेज़ हो गयी थी।

गुड्डू बोला "तेरी चूचियाँ मसलने में मज़ा आएगा।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसकी साँसे और तेज़ हो गयी थी। गुड्डू उसकी तरफ एक कदम आगे बढ़ा और उसके हाथ को पकड़ कर एन्वेलोप देता हुआ बोला "लो, मज़ा आएगा पढ़ कर और पिक्स देख कर।" पूनम के हाथों की कोमलता और ठंढक ने गुड्डू के लण्ड को एक झटके से खड़ा कर दिया। यही हालत पूनम की थी। गुड्डू के छूते ही जैसे उसे करंट लगा था। वो चुदी चुदाई लड़की थी और गुड्डू के साथ बहुत कुछ बात कर चुकी थी, लेकिन उसका बदन हिलने लगा था।

गुड्डू ने हलके से पूनम को अपनी तरफ खिंचा तो वो खिंचती चली आयी और गुड्डू के बदन के करीब आ गयी। गुड्डू ने एक हाथ पूनम की पीठ पे रखा और उसे अपने से और सटा लिया और उसके गर्दन पे चूमने लगा। पूनम विरोध करने की हालत में नहीं थी। गुड्डू ने एक हाथ पूनम की गर्दन पर रखा और उसके नर्म मुलायम रसीले सुर्ख गुलाबी होठों पर अपने होठों को रख दिया और उस कली का रसपान करने लगा।

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06-11-2020, 04:47 PM,
#67
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम की मुलायम चूचियाँ गुड्डू के सीने से दब रही थी और उसका बदन हिल रहा था। गुड्डू का एक हाथ पूनम की गर्दन पे था और दूसरा हाथ पीठ को सहला रहा था। उसने टॉप को कमर तक ऊपर कर दिया था और नंगी कमर को सहलाता हुआ तुरंत ही गुड्डू का हाथ ट्रोउजर और पैंटी को भी नीचे करता हुआ पूनम की नर्म गुदाज गांड को सहला रहा था।

गुड्डू गर्दन वाले हाथ को नंगी गांड पे ले आया और मसलते हुए उसके बदन को अपने से चिपका लिया। उसका दूसरा हाथ अब सामने था और पल भर में ही टॉप के अंदर चुचियों पर था। तुरंत ही उसने ब्रा को ऊपर उठा दिया और उफ़्फ़... वो तनी हुई चूचियाँ अब गुड्डू के हाथों से मसली जा रही थी।

गुड्डू पूनम के होठों को चूस रहा था, चुच्ची और गांड को नंगी कर मसल रहा था। उसकी दोनों चूचियाँ ब्रा से आज़ाद थी और गुड्डू दोनों को मसल रहा था। दोनों निप्पल पुरे टाइट होकर तने हुए थे। गुड्डू हाथ नीचे ले आया और ट्रोउजर को सामने से भी नीचे कर दिया और अगले ही पल उसका हाथ पूनम की नंगी चुत पर था। चुत पर हल्के हल्के बाल उग आए थे।

चुत पर गुड्डू का हाथ पड़ते ही पूनम का बदन मचल उठा। वो गुड्डू से अलग होने के लिए छटपटा उठी, लेकिन गुड्डू उसे छोड़ने वाला कहाँ था। गुड्डू का हाथ चुत सहला रहा था और वो चुत की गर्मी और गीलेपन को महसूस कर रहा था। गुड्डू का हाथ चुत की दरारों पर था और अब पूनम अपना बदन ढीला छोड़ दी।

गुड्डू अब थोड़ा नीचे झुका और एक निप्पल को मुँह में भरकर चूसने लगा और एक हाथ से गांड और दूसरे हाथ से चुत सहलाने लगा। पूनम के पैर अपने आप फ़ैल गए और गुड्डू का हाथ चुत के मुहाने पर जा पहुँचा। गुड्डू की एक ऊँगली पूनम की गर्म गीली चुत के छेद पर रगड़ खाने लगी और पूनम आह भरती हुई अपने जिस्म को और ढीला कर दी और पैर फैला दी।

गुड्डू चुत को सहलाता हुआ बोला "ये क्या है जान?" पूनम का बदन उत्तेजना से ऐंठ रहा था। वो पुरे नशे में थी। बोली "आम्म्म... चुत...." गुड्डू की ऊँगली अब चुत के अंदर थी। पूनम होश खोने लगी थी। उसकी पैंटी और ट्राउजर उसके एड़ी के पास थी। गुड्डू का हाथ पीठ पे आया और ब्रा का हुक खोल दिया।

बोला "इसमें क्या डालूँगा क्या जान?" पूनम बोली "आह लण्ड...." गुड्डू ने टॉप और ब्रा को सामने अच्छे से ऊपर कर दिया और अच्छे से चुच्ची को पूरी तरह मुँह में भरकर चूसने लगा और चुत में ऊँगली अंदर बाहर करने लगा।

बोला "फिर क्या करूँगा?" पूनम बोली "म्म्म.... चोदोगे।" गुड्डू बोला "कैसे?" पूनम मदहोश आवाज़ में ही बोली "लण्ड को चुत में डालकर।" गुड्डू अब दूसरी ऊँगली को चुत में डाल रहा था। बोला "किसका... म्म्म... अच्छे से बोल न" पूनम बोली "अपने लण्ड को मेरी चुत में डालकर चोदोगे।"

गुड्डू बोला "आह... तो बोल न।" पूनम उसी नशे में बोली "क्या?" गुड्डू बोला "बोल न चोदो मुझे।" पूनम को हँसी आ गयी। बोली "मैं बोलूँगी तब चोदोगे।" गुड्डू भी मुस्कुरा दिया। बोला "बोल न।"

पूनम बोली "तो चोद लो न। आह..." गुड्डू ने पूनम को हॉल में ही रखे सोफे पे लिटा दिया और उसकी पैंटी और ट्राउजर को पैर से निकाल कर अलग अलग रख दिया और उसके पैरों को फैलाकर चुत पे किस करता हुआ बोला "अच्छे से बोल न।"

चुत पर जीभ लगते ही पूनम का रोम रोम सिहर उठा। बोली "आह... चोदो न, डाल दो अपना लण्ड मेरी चुत में... आह चोदो मुझे... मम्मम।" गुड्डू पुरे चुत को मुँह में भरकर चूसता हुआ बोला "आह... हाँ मेरी डार्लिंग.... "

दोनों वासना में डूबे हुए थे की अचानक गेट पर नॉक करने की आवाज़ आयी। पूनम की तो जैसे जान ही निकल गयी। वो हड़बड़ा कर उठ बैठी और अपने कपड़े ठीक करने लगी और पागलों की तरह बोलने लगी "मम्मी पापा आ गए होंगे। तुम जल्दी जाओ। ओह... हे भगवान...तुम जाओ जल्दी.... उफ़्फ़...." वो ब्रा का हुक बंद कर रही थी लेकिन हो नहीं रहा था।
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06-11-2020, 04:47 PM,
#68
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
गुड्डू का भी मूड खराब हो गया था। वो उठा और जाने लगा। जाते जाते उसने पूनम की पैंटी को उठा लिया और जेब में रखकर बाहर निकल गया। पूनम से ब्रा का हुक नहीं लगा और वो इसी तरह कप में चुच्ची डालकर टॉप ठीक कर ली और गेट को बंद कर दी। फिर वो पैंटी ढूंढने लगी तो उसे पैंटी मिल नहीं रहा था।

उसे खुद पे गुस्सा आ रहा था। वो इधर उधर देखी और जब पैंटी नहीं मिला तो ट्राउजर पहन ली। फिर वो एन्वेलोप उठायी और उसे अपने रूम में गद्दे के नीचे छिपा दी। फिर वो ऐसे आवाज़ दी जैसे गहरी नींद में हो और फिर हॉल में आकर एक नज़र डाली की शायद पैंटी दिख जाए और सबकुछ ठीक से है कि नहीं। उसे पैंटी नहीं दिखा तो वो ऐसे ही गेट खोलने चल दी।

सामने बगल के घर में रहने वाली आंटी आयरन लेने आयी हुई थी। उन्हें देखकर पूनम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया था, लेकिन वो कुछ बोली नहीं और चुपचाप आयरन लाकर आंटी को दे दी। आंटी उससे एक दो लाइन बात भी की लेकिन पूनम बस हूँ हाँ में जवाब दी तो वो भी चली गयी।

उनके जाने के बाद पूनम का गुस्सा छलकने लगा। वो अकेले बड़बड़ाने लगी "साली बुढ़िया को भी अभी ही आना था। मुझे लगा की मम्मी पापा आ गए हैं। पता होता की ये है तो गुड्डू को जाने के लिए तो नहीं कहती। अब जब इतना कुछ हो ही गया था तो चुदाई तो करवा ही लेती। आह कितना अच्छा लग रहा था चुत चूस रहा था तब। कितने दिन बाद तो मज़ा आ रहा था और ये आंटी पहुँच गयी कबाब में हड्डी बनने।"

पूनम का मन हुआ की फिर से गुड्डू को कॉल करके बुला ले, अभी तो यहीं होगा, ज्यादा दूर भी नहीं गया होगा। लेकिन अब उसे बुलाना उसे सही नहीं लगा। 'अच्छा हुआ की नहीं चुदी।' वो हॉल में चारो तरफ अपनी पैंटी ढूंढ रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि गुड्डू ने पैंटी को किधर फेंक दिया। उसे डर भी लग रहा था कि अगर उसकी मम्मी या पापा को पैंटी कहीं फेंकी हुई दिख गयी तो पता नहीं वो लोग क्या सोचेंगे।

पूनम को पैंटी नहीं मिला तो वो थक कर बैठ गयी और पहले तो ब्रा का हुक बंद करके टॉप को ठीक कर ली और फिर गुड्डू को फ़ोन की। गुड्डू ने उसके कॉल को कट कर दिया और तुरंत उधर से कॉल किया। उसका खुद मूड खराब था कि हाथ आया हुआ इतना अच्छा मौका हाथ से फिसल गया। हालाँकि उसे कोई बहुत विशेष दिक्कत नहीं था, क्यों की पूनम को अब उससे चुदवाना ही था। पूनम की चुत अब बिना उसका लण्ड लिए मानने वाली नहीं थी। तकलीफ थी तो बस यही की अब उसे और इंतज़ार करना पड़ेगा।

पूनम कॉल रिसीव की और पूछी "मेरी पैंटी किधर फेंक दिए तुम?" पूनम की आवाज़ सुनकर गुड्डू को शॉक लगा क्यों की वो धीरे नहीं बोल रही थी। गुड्डू ने बिना जवाब दिए अपना सवाल पूछा "कौन आया था अभी? तेरे मम्मी पापा नहीं आये क्या?" पूनम उदासी भरे स्वर में बोली "नहीं, बगल वाली आंटी आयी थी। तुम मेरी पैंटी किधर फेंक दिए हो की मिल ही नहीं रहा है।"

गुड्डू का मन भी गुस्से से भर पड़ा। 'उफ़्फ़... पैंटी उतारकर चुत चूस रहा था साली की, बोल रही रही चोदने के लिए। उस रण्डी को भी अभी ही आना था। हरामी मादरचोद।' मन में उस आंटी को ढेरों गालियाँ दे चुका था वो। बोला "तो आता हूँ न मैं फिर से। तू ट्राउजर उतार कर रह, पैंटी मेरे पास है।"

पूनम शॉक्ड हो गयी। "पैंटी तुम्हारे पास है मतलब!" गुड्डू बोला "बस... आते वक़्त तेरी पैंटी दिख गयी तो उठा कर रख लिया की आज तुझे चोद तो पाया नहीं, कम से कम तेरी पैंटी तो रहेगी मेरे पास तो मेरे लण्ड को सुकून मिलेगा। अभी आता हूँ तो फिर तुझे चोदुंगा भी और तेरी पैंटी भी तुझे दे दूँगा।"

पूनम हड़बड़ा गयी। "नहीं, अभी मत आओ।" गुड्डू को पूनम से इस जवाब की उम्मीद नहीं थी। "क्यों? क्या हो गया? मन बदल गया क्या?" पूनम बोली "नहीं, मम्मी पापा आते ही होंगे अब।" गुड्डू को भी लगा की पूनम सही कह रही है। वो हड़बड़ी में इस हसीना को नहीं खाना चाहता था। आज तो वो ठीक से शीतल के बदन को देख भी नहीं पाया।

गुड्डू बोला "ये तो धोखा दे दी तू। खाना सामने परोस कर के फिर प्लेट हटा ली।" पूनम शर्मा गयी। वो समझ रही थी की गुड्डू के कहने का मतलब क्या था। वो भी शरारत से बोली "मैं तो नहीं हटाई। तुम्ही तो डर का भाग गए।" गुड्डू मुस्कुरा दिया। बोला "लण्ड अभी तक टाइट है, तेरी चुत की सैर करने के लिए। तेरी चुत के क्या हाल हैं।" पूनम कुछ नहीं बोली। वो अपने मन के हालात जाहिर नहीं करना चाहती थी।

गुड्डू बोला "कल आ जा न मेरे यहाँ। कल सारी कसर निकाल देता हूँ। तेरी चुत और मेरे लण्ड की तड़प शांत हो जायेगी। अच्छे से आराम से मस्ती करेंगे। कोई हड़बड़ी नहीं रहेगी। फुर्सत से चुदाई होगी तेरी।" पूनम का मन ललच गया। बहुत दिन से वो अकेली अपने चुत को शांत करा रही थी, कल बहुत दिनों बाद किसी मर्द का हाथ पड़ा था उसपे। वो अपनी चुत पर अभी भी गुड्डू के होठों और जीभ को महसूस कर रही थी। अभी भी उसे ऐसा लग रहा था जैसे गुड्डू का हाथ उसकी चुच्ची पर है। लेकिन वो गुड्डू के अड्डे पर नहीं जाना चाहती थी। वो किचन से बेलन ले आयी और अपने कपड़े नीचे कर उसे चुत में अंदर डालकर बेड पर लेट गयी।

बोली "नहीं, अभी नहीं। अब फिर कभी बाद में।" गुड्डू बोला "ऐसे मत कर। आ जा न, बहुत मज़ा आएगा। और तू अपनी पैंटी भी ले लेना।" पूनम बोली "तुम मेरी पैंटी ले ही क्यों गए।" गुड्डू को पैंटी में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसे तो चुत में इंटरेस्ट था। बोला "आज तो तुझे ठीक से देखा भी नहीं। अभी तो कपड़े उतरे भी नहीं थे की वो साली रण्डी मादरचोद आंटी आ गयी तेरी, वहाँ माँ चुदवाने। आ जा कल, अच्छे से तेरे बदन को देखूँगा, सहलाऊँगा, चूमूंगा, चूसूंगा और फिर तुम्हे चोदुंगा।

पूनम को हँसी भी आ गयी गुड्डू के मुँह से आंटी के लिए गाली सुनकर, वो भी इसी तरह गुस्से में आंटी को गाली दी थी उस वक़्त। और उसकी चुत भी गीली हो गयी थी गुड्डू की प्लानिंग सुनकर। उसका मन हो रहा था कि जाकर चुदवा ही ले, लेकिन बस उसे डर लग रहा था कि उस अंजान जगह पर उसके साथ क्या होगा क्या नहीं होगा, कौन जानता है। हालाँकि उसे गुड्डू पर थोड़ा भरोसा था, क्यों की वो जो बोल रहा था सीधा सीधी बोल रहा था। फिर चाहे चुदाई की बात हो या फिर वो और विक्की दोनों चोदेंगे ये बात हो। उसने कभी किसी चीज़ में जबर्दस्ती भी नहीं किया था, फिर भी वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी।

बोली "अब अभी नहीं।" गुड्डू हड़बड़ी में बोला "तो कब? परसों आ जा। अब और मत तड़पा जान।" पूनम बोली "परसों तो मैं जा रही हूँ अपने मौसेरी बहन की शादी में।" गुड्डू परेशान हो गया। "क्या! वहाँ से लौटोगी कब?" पूनम बोली "8-10 दिन बाद।" गुड्डू उसी तरह परेशानी भरी आवाज़ में बोला "क्... या...! इतने दिन बाद। इतने दिन तड़पायेगी क्या मुझे।"

पूनम कुछ नहीं बोली। वो तो इतने दिन गुड्डू से दूर थी और उसे लगा था कि फिर शादी में चली जायेगी तब तक बहुत दिन हो जायेगा तो फिर वो खुद को सम्हाल लेगी और गुड्डू से दूर हो जायेगी। उसे कहाँ पता था कि दूर होने की जगह और इतना कुछ हो जायेगा की गुड्डू उसके बदन को नंगी करके खेल रहा होगा और वो नंगी होकर खुद उसे चोदने बोल रही होगी।

गुड्डू बोला "एक काम कर, मेरे घर नहीं आना चाहती तो मत आ, कहीं और मिल ले, उस रेस्टॉरेंट में। अब इतने दिन तुझसे दूर रहना मुश्किल है। कल अच्छे से तुझे देख तो पाउँगा। अभी तो ये भी नहीं पता की तेरे निप्पल का कलर क्या है। तेरी चुच्ची किस तरह की है। तुझे तो अपना लण्ड भी नहीं दिखा पाया जो तेरे चुत में जाने के लिए कब से तैयार खड़ा है।"

पूनम बेलन के पतले वाले हिस्से को चुत में डाली हुई थी। लण्ड देखने की बात पर वो बेलन को चुत में अंदर बाहर करने लगी। वो गुड्डू का लण्ड देखना चाहती थी। बोली "वहाँ कैसे करोगे।" गुड्डू तुरंत बोला "वही तो बोल रहा हूँ की वहाँ चोदुंगा तो पूरे रेस्टुरेंट को पता चल जायेगा की पूनम सक्सेना की चुदाई हो रही है।" पूनम शर्मा गयी। गुड्डू आगे बोला "इसलिए तो बोल रहा हूँ की मेरे घर आजा, वहाँ होगी असली चुदाई तेरी।" शीतल ज़िद पर थी। "बोली, नहीं वहाँ तो नहीं आऊँगी। कल रहने देते हैं। बाद में देखते हैं।" गुड्डू बोला "नहीं, मिलना तो कल ही है मुझे। फिर तू उस रेस्टुरेंट में ही आजा। वहाँ चोदुंगा नहीं, लेकिन तुम्हारे बदन को अच्छे से देखूँगा तो। तुम्हे अपना लण्ड दिखाऊंगा। तू मेरे लण्ड को अभी तक तो बस फोटो में ही देखी है न, कल असली वाला देख लेना और बताना कैसा है।"
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06-11-2020, 04:48 PM,
#69
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम कमजोर पड़ने लगी। बोली "नहीं, कोई देख लेगा, मुझे डर लगता है।" गुड्डू बोला "कोई नहीं देखता किसी को। और देख, अगर आज तेरे पास नहीं आया होता तो मैं नहीं बोलता। लेकिन अब तेरी चुत को देख चुका हूँ, चुम चूका हूँ लेकिन चोद नहीं पाया। मेरा लण्ड टाइट है और इसका पानी तो अब तेरे पर ही निकलेगा। नहीं तो मैं तड़पता रहूँगा। तेरे चुत में मुँह सटाया लेकिन उस नमकीन झील का पानी नहीं टेस्ट कर पाया, आजा मेरी जान।"

पूनम सब कुछ इमेजिन करती जा रही थी। उसने बेलन को चुत में और अंदर कर लिया और अंदर बाहर करती हुई बोली "बस तू आ जा जान, कभी ज़िद नहीं किया हूँ, बस कल आजा। फिर तू इतने दिनों के लिए बाहर भी तो जा रही है। अच्छे से अपने बदन को दिखा दे। और तुझे तेरी पैंटी भी तो लेनी है।" पूनम हार मानती हुई बोली "ठीक है। लेकिन बस कुछ देर के लिए।"

गुड्डू खुश हो गया। "थैंक्स जान। कब आएगी?" पूनम कुछ सोंची और फिर बोली "दोपहर में 2 बजे।" गुड्डू खुश हो गया। बोला "एक रिक्वेस्ट है कपड़े ऐसे पहन कर आना की खोलने उतारने में दिक्कत न हो और टाइम न लगे। और पैंटी पहन कर मत आना, लौटते वक़्त यहीं मेरे से ले लेना। तुम वो जो वन पीस पहनकर उस दिन मार्केट गयी थी, वही पहनकर आना। तू उसमे मस्त भी लगती है और नीचे से खुल्ला है तो चुत तक तो हाथ ऐसे ही पहुँच जायेगा और अगर पीठ पे लगा चैन खोल दूँगा तो फिर तो तेरा पूरा बदन चमक जाएगा। आज तो ठीक से देख भी नहीं पाया था, कल अच्छे से देखूँगा। और हाँ, चुत को चिकनी कर लेना, आज चूसते वक़्त झांटे चुभ रही थी मुँह में।"

शीतल चुपचाप गुड्डू की बात सुन रही थी। उसकी प्लानिंग सुनकर शीतल और गर्म हो रही थी और चुत में तेज़ी से बेलन अंदर बाहर कर रही थी। उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया और वो तुरंत "ठीक है" बोलती हुई फ़ोन कट कर दी। वो हाँफ रही थी। वो तैयार थी कल गुड्डू से मिलने के लिए, उसे अपना नंगा जिस्म दिखाने के लिए। वो तैयार थी गुड्डू से चुदवाने के लिए। अगर वो फिर से घर में अकेली रही तो गुड्डू का लण्ड उसकी चुत में जरूर जायेगा।

पूनम अपने कपड़े पहन ली और किचन में काम करने लगी। उसके मम्मी पापा काफी देर से आये। पूनम को गुस्सा भी आ रहा था खुद पर और अफ़सोस भी हो रहा था कि वो गुड्डू को दुबारा क्यों नहीं बुला ली। इतनी देर में तो गुड्डू उसे पुरे मस्ती से चोद चूका होता और वो भी पूरा मज़ा ले ली होती। वो कल के बारे में सोच रही थी और उसे शर्म आ रही थी की वो कल रेस्टुरेंट क्यों जा रही है।

पूनम पहले भी उस रेस्टुरेंट में गयी थी अमित से मिलने, लेकिन तब दोनों का मक़सद मिल कर साथ में समय बिताने का और बातें करने का होता था। गुड्डू के एन्वेलोप देने के बाद ही वो दो बार वहाँ कुछ कुछ की थी अमित के साथ। लेकिन कल वो गुड्डू के साथ वही सब करने जा रही थी वहाँ। पूनम सोच सोच कर शर्मा रही थी की 'जाते ही गुड्डू उसके बदन से खेलने लगेगा और जैसा उसने कहा था, उस वन पीस में तो 2 मिनट में उसका पूरा बदन गुड्डू की नज़रों के सामने होगा। वो अमित की तरह धीरे धीरे और परमिशन लेकर तो कुछ करेगा नहीं। कल वो गुड्डू का लण्ड देखेगी, असली में। उसे चुसेगी, उसका वीर्य पीयेगी। मम्मम...। मैं भी रण्डी बन गयी हूँ। अब बन गयी हूँ तो बन गयी हूँ। अब जो होना है होता रहे। इतना टेंसन नहीं ले सकती अब।'

गुड्डू पूनम का फ़ोन कटने के बाद विक्की से मिला और खुश होता हुआ उसे सारी बात बताया। जब विक्की को पता चला की पूनम की चुत नंगी कर देने के बाद भी वो उसे चोद नहीं पाया तो विक्की हँसने लगा और गुड्डू को चिढ़ाने लगा। विक्की बोला "साला गांडू, तू फट्टू हो गया है। अब चुत चोदना तेरे बस में नहीं है।"

गुड्डू बोला "कल रेस्टुरेंट में आ रही है।" विक्की आश्चर्य से पूछा "वहाँ क्यों आ रही है?" गुड्डू थोड़ा मायूस होकर बोला। उसे पता था कि विक्की फिर उसपे हँसेगा। बोला "अड्डे पे नहीं आएगी। फटती है साली की। और 8-10 दिन के लिए बाहर जा रही है तो मैंने सोचा की तब तक जो मिल रहा है उसी का मज़ा ले लूँ।" विक्की हँसने लगा। गुड्डू बोला "अरे तू ऐसे हँस मत। चोदुंगा तो जरूर उसे। वो चुदवाएगी भी। कल वो मादरचोद आंटी नहीं आयी होती तो कल ही चोद चूका होता। उसे चोदुंगा भी और तू भी उसे चोदेगा।"

विक्की बोला "रण्डी चुदेगी तो जरूर। ऐसी कोई चुत बनी ही नहीं है जिसके बारे में हम दोनों सोचे और वो हमसे चुदे नहीं।" दोनों साथ में हँस दिए।

पूनम सुबह सोकर जागी तो पूरा प्लानिंग कर रही थी की कैसे कैसे क्या करना है। वो आज उतनी ही एक्साइटेड थी जितना पहली बार अमित के साथ डेट पर जाते वक़्त थी। पूनम नहाने के लिए बाथरूम में घुसी और अपने चुत को चिकनी बना दी। आज उसके चुत की प्रदर्शनी होनी थी। हेयर रिमूवर से बालों को हटाने के बाद वो फेसिअल क्रीम को चुत, कमर, गांड और चुच्ची पर लगाकर अच्छे से मसाज की। अब उसका बदन पूरा चमक रहा था। खास कर उसकी चुत। इतनी तयारी तो पूनम अमित से चुदवाने लिए भी नहीं की थी।

नहाने के बाद पूनम को याद आया की उसे पैंटी तो पहनना ही नहीं है। वो सोची की बिना पैंटी के जाना ठीक रहेगा की नहीं, लेकिन फिर उसे लगा की पैंटी तो उतारनी ही है और जब वो बोला है तो बिना पहने ही जाती हूँ। वो रेगुलर ब्रा की जगह टीशर्ट ब्रा पहन ली। उसे पता था कि उसकी चूचियाँ भी ब्रा से बाहर निकलेगी ही और अगर फिर कल रात की तरह ब्रा का हुक नहीं लगा, तो झमेला हो जाना है। इसलिए वो टीशर्ट ब्रा पहनी। वैसे भी गुड्डू ने उसे ऐसे कपड़े पहनने को कहा था जिसे खोलना उतारना आसान हो। कपड़े ऐसे हो की वो आसानी से उसके पुरे बदन को छु पाए। इस ब्रा से चुच्ची बाहर निकलना आसान था, इसे उतारना और पहनना आसान था और इस के ऊपर से भी अगर वो उसकी चुच्ची मसलता तो ऐसा लगता जैसे बिना ब्रा के चुच्ची मसल रहा हो।
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06-11-2020, 04:48 PM,
#70
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
नहाने के बाद पूनम को याद आया की उसे पैंटी तो पहनना ही नहीं है। वो सोची की बिना पैंटी के जाना ठीक रहेगा की नहीं, लेकिन फिर उसे लगा की पैंटी तो उतारनी ही है और जब वो बोला है तो बिना पहने ही जाती हूँ। वो रेगुलर ब्रा की जगह टीशर्ट ब्रा पहन ली। उसे पता था कि उसकी चूचियाँ भी ब्रा से बाहर निकलेगी ही और अगर फिर कल रात की तरह ब्रा का हुक नहीं लगा, तो झमेला हो जाना है। इसलिए वो टीशर्ट ब्रा पहनी। वैसे भी गुड्डू ने उसे ऐसे कपड़े पहनने को कहा था जिसे खोलना उतारना आसान हो। कपड़े ऐसे हो की वो आसानी से उसके पुरे बदन को छु पाए। इस ब्रा से चुच्ची बाहर निकलना आसान था, इसे उतारना और पहनना आसान था और इस के ऊपर से भी अगर वो उसकी चुच्ची मसलता तो ऐसा लगता जैसे बिना ब्रा के चुच्ची मसल रहा हो।

अब पूनम उसी वन पीस को पहन ली और आईने में खुद को देखने लगी। सच में उसकी चूचियाँ एकदम गोल गोल दिख रही थी। लेकिन नीचे से उसे खुला खुला लग रहा था। पूनम पहली बार बिना पैंटी पहने घर से बाहर जाने वाली थी और ये ड्रेस घुटने से भी थोड़ा ऊपर ही था। उसे अजीब सा लग रहा था। वो अपनी ड्रेस को थोड़ा सा ऊपर उठायी तो उसकी जांघें चमक उठी और वो फिर थोड़ा और ऊपर उठाई तो उसकी नंगी चुत चमक उठी। पूनम शर्मा गयी। इसलिए तो गुड्डू ने उसे ये ड्रेस पहनकर आने को कहा था की तुरंत उसकी चुत तक पहुँच पाए।

पूनम को याद आ गया कि कल रात गुड्डू कैसे उसके बदन के साथ खेल रहा था और कितनी जल्दी उसका हाथ पूनम की चुत पर पहुँच गया था। आज तो उसे इस ड्रेस में 2 सेकंड भी नहीं लगने थे। वो उसके करीब आएगा और तुरंत वन पीस को ऊपर उठकर उसकी नंगी चिकनी चुत को सहलाने लगेगा। पूनम पीछे घूम गयी और आईने में अपनी गांड देखी। उसकी गोरी गांड चमक रही थी जिसे गुड्डू को आज मसलना था।

पूनम रूम में इधर उधर चल कर देखने लगी। उसे अजीब लग रहा था। उसे यही ड्रेस पहनकर पहले ऑफिस जाना था और फिर दोपहर में गुड्डू से मिलना था। बिना पैंटी के इस ड्रेस में उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो नीचे से नंगी ही हो। दिनभर इसी तरह रहना मुश्किल काम था। वो इसे बदल लेने के लिए सोची, लेकिन अगली समस्या यह थी वो कौन सी ड्रेस पहने जिसमे गुड्डू आसानी से उसकी चुत चुच्ची को नंगी देख पाए और मसल पाए।

थोड़ी देर तक सोच विचार करने के बाद पूनम अपनी उसी लॉन्ग स्कर्ट को निकाल ली जिसे पहनकर वो पहली बार अमित को अपना बदन छूने दी थी। इसमें भी चुत तक पहुँचना उतना ही आसान था। अमित ने भी उसकी पैंटी को उतार दिया था और उसकी चुत को नंगी देखा था। फिर वो बिना पैंटी के ही अमित के दोस्त के घर पर गयी थी और अपनी जवानी अमित पर लुटा दी थी। इसी लॉन्ग स्कर्ट को उतारकर अमित ने पूनम की सील को तोड़ा था।

पूनम को अमित की याद आ गयी और वो उस लॉन्ग स्कर्ट के साथ उसी टॉप को पहनी जो उस दिन पहनी हुई थी। उसे लगा की शायद ये ड्रेस इसी के लिए बना है कि इसे पहनकर वो नंगी होने और चुदवाने के लिए जाये। अमित का ख्याल आते ही उसका मन उदास हो गया और वो कुछ से कुछ सोचने लगी। उसके मन में जितने भी विचार आ रहे थे वो सबको झटकी और 'जो होता है होने दो' सोचती हुई मेकअप करने लगी। ज्यादा मेकअप वो कभी नहीं करती थी, लेकिन आज उसके चेहरे पे नूर चमक रहा था। उसकी जवानी और खिलने वाली थी।

पूनम तैयार हो गयी और ऑफिस के लिए निकल पड़ी। वो लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी जो उसके सैंडल तक को ढंके हुए था, फिर भी उसे लग रहा था जैसे वो नीचे से नंगी हो। पूनम को हमेशा पैंटी पहने रहने की आदत थी और ये लॉन्ग स्कर्ट पूरा ढीला ढाला था, तो उसे लग रहा था कि कमर के नीचे कोई कपड़ा है ही नहीं उसके बदन पर। और कोई दूसरा कपड़ा वो पहन भी नहीं सकती थी।

पूनम घर से बाहर आ गयी और सामने रोड पर ही दोनों दोस्त खड़े थे और आज पूनम को देखते ही दोनों के चेहरे पर भी रौनक आ गयी। उनका शिकार हलाल होने के लिए तैयार था। दोनों उसे ऐसे देख रहे थे जैसे पूनम कोई कपड़ा पहनी ही नहीं हो और पूरी नंगी हो। उन दोनों को देखकर पूनम की शर्म और बढ़ गयी की उसी के लिए वो बिना पैंटी के इस ड्रेस में घर से बाहर निकली है। वो रोड की तरफ बढ़ती जा रही थी और उसके चेहरे पे मुस्कान बिना उसके इज़ाज़त के फैलते जा रही थी। वो अपने सर को झुका ली और इधर उधर देख कर अपनी हँसी को छुपाने की नाकाम कोशिश करती रही।

रोड पर आने के बाद पूनम की नज़र उन दोनों की तरफ पड़ गयी और नज़र मिलते ही उसकी हँसी और बढ़ गयी। गुड्डू और विक्की दोनों उसे देखकर मुस्कुरा रहे थे। पूनम शर्मा रही थी, लेकिन उसकी हँसी कम हो ही नहीं रही थी। विक्की ने उसे इशारे में कहा कि बहुत मस्त लग रही हो और गुड्डू ने उसे इशारा किया कि कल तय हुए समय और जगह पर मिलते हैं।

जब पूनम रोड पे थोड़ी दूर आ गयी तो उसे खुद पे बहुत गुस्सा आ रहा था की 'क्या जरूरत थी हँसने की। सब देख रहे थे और पता नहीं क्या क्या सोच रहे होंगे।' लेकिन पहले की ही तरह अब गुस्सा या अफ़सोस करने से कोई फायदा नहीं होना था।
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