non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
06-11-2020, 05:03 PM,
#81
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम की प्यासी चुत ने पानी छोड़ दिया और वो अपने कपड़े ठीक कर कर नीचे अपने कमरे में आ गयी। 10 मिनट बाद ज्योति भी आ गयी। पहले तो पूनम सोची थी की वो ज्योति से इस बारे में बात नहीं करेगी, लेकिन फिर उसका मन नहीं माना। उसे नींद नहीं आ रही थी। उसे यकीन नहीं आ रहा था कि ज्योति अभी छत पर से आधे घंटे चुदवा कर नीचे आयी है। दूसरा उसे ये भी जानना था कि वो है कौन जिससे वो शादी के 2 दिन पहले चुदवा रही है।

पूनम करवट बदल कर ज्योति को देखने लगी और ज्योति से नज़र मिलते ही उसके चेहरे पे मुस्कान फ़ैल गयी। ज्योति अंजान बनते हुए बोली "तु सोई नहीं अब तक?" पूनम उसी तरह मुस्कुराते हुए बोली "तुम किसके साथ सो कर आई हो?" उसकी हँसी कम हो ही नहीं रही थी। ज्योति 2 सेकंड तो अंजान बनी खड़ी रही, फिर बेड पे पूनम पे कूदते हुए बोली "साली तू छत पे गयी थी। तुझे तो मैं बोल कर गयी थी सोने के लिए, तो तु छत पे क्या देखने गयी थी।"

पूनम हँसने लगी। पूछी "कौन है वो?" ज्योति भी शरमाते और मुस्काते बोली "तेरे जीजू।" ज्योति को भी शर्म लग रहा था कि उसकी छोटी बहन उसे नंगी होकर चुदवाते देखी है। पूनम बोली "वो तो नहीं ही थे। वो हो ही नहीं सकते।" ज्योति बोली "यही है असली जीजू।" अब तक पूनम की मुस्कान रुक चुकी थी। वो गंभीर मुँह बनाकर बोली "तुझे डर नहीं लगा। कोई देख लेता तो।" ज्योति ऐसे मुँह बनायीं जैसे "हुँह... कोई नहीं देखेगा।" उसे कोई टेंशन नहीं था।

ज्योति को भले कोई टेंशन नहीं था लेकिन पूनम को टेंशन हो रही थी। बोली "फिर भी ऐसे खुल्ले में छत पे?" ज्योति पहले तो कुछ नहीं बोली लेकिन फिर थोड़ी देर में शरमाते हुए बोली "उसे अच्छा लगता है।" पूनम बोली "मतलब बहुत बार करवा चुकी हो। वो भी छत पे ही।" ज्योति हाँ में सर हिलायी।

पूनम फिर उसी तरह टेंशन में बोली "लेकिन जीजू को पता नहीं चलेगा, 2 दिन में तेरी शादी है।" ज्योति उसी तरह शरमाते हुए लेकिन इस बार मुस्कुराते हुए ना में सर हिलायी। पूनम ऐसे पूछी "क्यों?" जैसे ज्योति का दिमाग खराब है और उसे कुछ बुद्धि नहीं है। ज्योति बोली "मैं बहुत तेज़ हूँ, इसलिए।" पूनम बोली "मतलब? कैसे?

ज्योति धीरे से पूनम के कान के पास मुँह लायी और धीरे से ऐसे बोली जैसे कितनी राज की बात बताने वाली हो। बोली "किसी को बोलेगी तो नहीं?" पूनम झुंझलाते हुए बोली "तुम्हे लगता है कि ये बात मैं किसी को बताऊँगी!" ज्योति बोली "मैं उसके साथ भी करवा चुकी हूँ।" पूनम शॉक्ड होती हुई बोली "मतलब?!!!!" ज्योति ऐसे बताने लगी जैसे वो कितनी बड़ी खिलाड़ी हो और पूनम उसके सामने बच्ची है।

बोली "एक दिन जब हम मिले थे तो उसका मन था और बाँकी मन मैं बना दी। फिर वो मुझे एक होटल में ले गया और फिर वहीँ......" पूनम आश्चर्य से पूछी "कब?" ज्योति उसी तरह श्यानी बनती हुई बोली "अरे अभी यार.... 20-25 दिन पहले।" पूनम उसी तरह आश्चर्य के सागर में गोते लगाते हुए पूछी "तो भी, उसे कुछ पता नहीं चला!!!!"

ज्योति रहस्मयी मुस्कान देते हुए बोली "बोली ना मैं बहुत तेज हूँ। जब तक किस विस कर रहा था तब तक तो करने दी, लेकिन जब कपड़े उतारने लगा तो मैं बोली की मुझे शर्म आ रही है उसके सामने कपड़े उतरवाने में। उसे भी लगा की पहली बार कपड़े उतर रहे हैं तो शर्माएगी ही। उसने सारा लाइट बंद कर दिया और पूरा अँधेरा करवाने के बाद उससे करवाई। वो बेचारा तो खुश था कि अपनी होने वाली बीवी के साथ शादी से पहले ही सुहागदिन मना रहा है। मैं जोर जोर से दर्द होने की एक्टिंग करती रही और फिर सब कुछ पोछ पाछ कर तुरंत वहाँ से निकल गयी। वो जानता है कि उसी ने उसी दिन मेरा सील तोड़ा। उस पर से अगले सुबह मैं उसे ये भी बोल दी की मेरा मेन्सट्रूअल स्टार्ट हो गया है। तो बस, अब क्या पता चलेगा उसे।"

पूनम चुपचाप सुन रही थी। वो मान गयी की उसकी बहन कितनी श्यानी है। वो कितना डर रही है गुड्डू से चुदवाने में जबकि कोई रिस्क नहीं है और ज्योति यहाँ अपने ही घर के छत पे बिंदास होकर चुदवा रही है। अपने होने वाले पति तक को बेवकूफ बना दी। पूनम फिर पूछी "ये है कौन? कब से चल रहा इसके साथ?"
Reply
06-11-2020, 05:03 PM,
#82
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
ज्योति बोली "3 साल हो गया। यहीं रहता है बगल में ही। मेरे कारण बगल वाला घर किराये पे ले लिया है।" पूनम बोली "वही मैं सोच रही हूँ की वो किधर गायब हो गया।" ज्योति मुस्कुरा दी। पूनम भी मुस्कुराने लगी। बोली "तब तो बहुत बार कर चुकी होगी?" ज्योति गर्व से बोली "अब तो याद भी नहीं की कितनी बार किया है। लेकिन हर बार पागल बना देता है।" पूनम को अपनी बहन की बुद्धि पे गर्व हो रहा था। उसे ज्योति से बहुत कुछ सीखने की जरूरत थी।

पूनम बोली "तो उसी के साथ शादी क्यों नहीं की?" ज्योति गहरी साँस छोड़ती हुई बोली "नहीं कर सकती यार। ये दुनिया, ये समाज, ये घर, ये परिवार। ये सब मिलने कहाँ देते। तभी तो रात के अंधेरे में छत पे मिलना पड़ता है।" पूनम भी उसी तरह उदासी में सहमत होते हुए हाँ में सर हिलायी।

पूनम आगे पूछी "उस वक़्त इसी का फ़ोन था। तुम उसे ही मेरे बारे में बता रही थी।" ज्योति फिर शरारत भरी मुस्कान के साथ हाँ में सर हिलायी और बोली "जब से तुझे देखा है, तेरा दीवाना हो गया है। तुझे भी छत पर लेकर आने बोल रहा था।" पूनम शर्मा गयी। ज्योति आगे बोली "तू मेरे साथ तो छत पे नहीं गयी, लेकिन पीछे पीछे सूँघते सूँघते पहुँच गयी।" पूनम शर्मा रही थी।

अब ज्योति पूछी "क्या क्या देखी?" अब पूनम शरमाते हुए हँसते हुए बोली "जो जो कर रही थी वही न देखूँगी।" ज्योति कुछ नहीं बोली। फिर बोली "ऊपर गयी तभी पूछा तुम्हारे बारे में। और जब अंदर डाल रहा था तब भी बोल रहा ....." पूनम बीच में ही उसकी बात काट दी। बोली "तू पागल हो गयी है क्या?"

ज्योति बोली "इसमें पागल होने वाली कौन सी बात है। तू उसे अच्छी लगती है और वो तेरे साथ करना चाहता है तो इसमें मेरे पागल होने वाली कौन सी बात है।" पूनम शॉक्ड होती हुई बोली "तुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं?" ज्योति बोली "मुझे क्यों होगी दिक्कत। वो तो और भी कइयों को कर चुका है। मुझे बता कर करता है।" पूनम शॉक्ड सी ज्योति को देख रही थी जैसे ज्योति किसी दूसरी दुनिया की बात कर रही हो।

ज्योति आगे बोली "उसने तो मुझे भी कहा है कि अगर मेरा भी मन किसी और के साथ करवाने का हो तो मैं भी करवा सकती हूँ। ये तो मेरी मर्ज़ी है कि अब मैं किसी और से करवाना ही नहीं चाहती। मुझे सारी ख़ुशी वही दे देता है। और फिर भी करवा ही रही हूँ दूसरे के साथ। अपने होने वाले पति के साथ करवायी ही और फिर शादी के बाद करवाऊँगी ही। और वैसे भी अब मेरी शादी होने वाली है और मैं यहाँ रहूँगी नहीं, तो क्या उसे कोई और नहीं ढूंढ लेना चाहिए।"

पूनम चुप हो गयी। बहुत बड़ी बात थी ये। इसके सामने तो उसका और अमित का प्यार तो कुछ भी नहीं था। और गुड्डू की तो बात ही और है। ज्योति बोली "कल दोस्ती कर लेना उससे।" पूनम करवट बदलते हुए बोली "सो जाओ अब। मुझे नहीं करना किसी से दोस्ती वोस्ति।" लेकिन उसकी चुत में चींटियाँ रेंगने लगी थी। एक और लड़का उसे चोदने के लिए ढूंढ रहा था।

ज्योति बोली "इसका भी बहुत बड़ा है, करवा लेना। बहुत मज़ा आएगा।फिर तो चल ही जायेगी। मस्ती कर लेना।" पूनम कुछ नहीं बोली और सोचते हुए सोने लगी। कुछ ही देर में वो गहरी नींद में थी।
Reply
06-11-2020, 05:03 PM,
#83
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
आज सब होटल शिफ्ट हो रहे थे। आज से कई सारे मेहमान आने लगे थे और शादी की सारी रस्मे होटल से होनी थी। सब लोग अपने काम में व्यस्त थे और होटल में सारा सामान भेजा जा रहा था। पूनम भी पूरी व्यस्त थी। वो ज्योति के कमरे में कुछ सामान लेने गयी तो एक लड़का वहाँ पे खड़ा था। अचानक से उसे देखकर पूनम ठिठक गयी।

ज्योति मुस्कुराती हुई सामने आयी और बोली "आ पुन्नु, तेरा ही इंतज़ार कर रही थी। इनसे मिल। ये तेरे जीजू हैं।" पूनम ठिठक कर रह गयी। उसके दिमाग में ज्योति की रात की बात याद आ गयी की 'यही हैं असली जीजू। यही है वो लड़का जिसके साथ ज्योति रात में छत पे नंगी होकर चुदवा रही थी। जिसके साथ शादी होनेवाली है वो बस नाम का ही जीजू है।'

पूनम उसी तरह खड़ी थी की वो लड़का पूनम के सामने आया और हाथ आगे बढ़ा दिया। पूनम का हाथ अपने आप आगे बढ़ गया। वो लड़का पूनम से हाथ मिलाता हुआ बोला "हेल्लो साली जी। आई एम बंटी।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसका दिमाग अभी भी वही अटका हुआ था कि यही लड़का रात में ज्योति को चोद रहा था। जिस लड़की की कल शादी है उसे। बंटी आगे बोला "रात में मैं छत पे आपका इंतज़ार कर रहा था, आप आई ही नहीं।"

पूनम शर्मा गयी की उसके कहने का क्या मतलब है। बंटी ने पूनम का हाथ ऊपर किया और चूमते हुए बोला "आप बहुत खूबसूरत हो।" पूनम का बदन सिहर उठा। ज्योति हँसती हुई आगे आयी "क्यों परेशान कर रहे हो मेरी बहन को।" बंटी बोला "बहुत मसालेदार बहन है तुम्हारी।" पूनम को बहुत शर्म आ रही थी और शर्म की वजह वो थी जो ज्योति उसे रात में बताई थी की बंटी उससे क्या चाहता है। पूनम अपना हाथ धीरे से छुड़ा ली और दूसरे तरफ हो गयी। ज्योति और बंटी दोनों हँसने लगे थे। ज्योति उसी तरह खिलखिलाते हुए बोली "मत परेशान करो मेरी बहन को। बहुत प्यारी है ये।"

बंटी ज्योति के घर के बगल में ही रहने आ गया था और इस घर के खास सदस्य जैसा ही था। वो घर के सारे काम कर रहा था, सबसे बातें कर रहा था और उसके कहीं भी आने जाने पर रोक नहीं थी। तभी वो इतनी भीड़ होने पर भी दुल्हन के करीब पहुँच जा रहा था और जितना वक़्त मिल रहा था उतनी ही देर उसके बदन से खेल ले रहा था। अभी भी वो ज्योति को गले लगाकर उसके होठ चूस रहा था और कपड़े के ऊपर से ही ज्योति की चुच्ची मसल रहा था और पूनम के आने की आहट सुनकर वो लोग अलग हुए थे।

बंटी वहाँ से चला गया। उसके जाते ही पूनम गुस्से से घूरते हुए ज्योति से पूछी "क्या कर रही थी तुमलोग?" ज्योति कुछ दूसरा काम करती हुई अंजान बनते हुए बोली "कहाँ कुछ।" लेकिन उसकी आवाज़ से साफ लग रहा था कि वो क्या कुछ कर रही होगी। पूनम मुस्कुराते हुए बोली "कुछ नहीं, तो तेरी ब्रा ड्रेस के अंदर उठी हुई कैसे है।" ज्योति का ध्यान अपने कपड़े पर गया तो वो शर्मा गयी और फिर खिलखिला कर हँसने लगी। पूनम भी उसके साथ हँस दी। बंटी ने ब्रा को चुच्ची के ऊपर कर दिया था जो अभी टॉप के ऊपर से पूनम को दिख गया था।

ज्योति अपने कपड़े को ठीक कर ली और दोनों बाहर आ गए। सारा सामान होटल जा चूका था और बहुत सारे लोग भी जा चुके थे। पूनम किचन में चाय बना रही थी जब बंटी होटल से सामान पहुँचाकर वापस आया था। वो सीधा किचन में घुसकर गिलास लेकर पानी लेने लगा। अकेली पूनम को देखते ही उसके मन में कई तरह के ख्याल आने लगे। पूनम ट्रोउजर टॉप पहनी हुई थी। बंटी पूनम के बदन के कटाव को निहार रहा था। वो पीठ और उसकी कमर गांड के हिस्से को निहार रहा था और उसके लण्ड में हरकत होने लगी थी।

टॉप चौड़े गले का था जिसमे से पूनम की गदराई पीठ बंटी की नज़रों के सामने चमक रही थी। बंटी से खुद को रोक पाना संभव न हुआ और वो धीरे से पूनम के पीछे आ गया और उसने अपनी एक ऊँगली को पूनम के गर्दन और पीठ पे घुमाता हुआ बोला "उफ़्फ़... बेमिसाल।" अचानक इस तरह अपने जिस्म पे किसी और का हाथ पड़ते ही पूनम चिहुँक गयी। वो पीछे पलटी और बंटी को देखकर वो चीखने ही वाली थी की उसकी नज़र अपनी मौसी पर पड़ी जो इधर ही आ रही थी तो वो चुप हो गयी। उसे बहुत गुस्सा आया था बंटी के इस तरह छूने पर। बंटी बेशर्मों की तरह मुस्कुराता हुआ किचन से बाहर निकल गया।
Reply
06-11-2020, 05:03 PM,
#84
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
टॉप चौड़े गले का था जिसमे से पूनम की गदराई पीठ बंटी की नज़रों के सामने चमक रही थी। बंटी से खुद को रोक पाना संभव न हुआ और वो धीरे से पूनम के पीछे आ गया और उसने अपनी एक ऊँगली को पूनम के गर्दन और पीठ पे घुमाता हुआ बोला "उफ़्फ़... बेमिसाल।" अचानक इस तरह अपने जिस्म पे किसी और का हाथ पड़ते ही पूनम चिहुँक गयी। वो पीछे पलटी और बंटी को देखकर वो चीखने ही वाली थी की उसकी नज़र अपनी मौसी पर पड़ी जो इधर ही आ रही थी तो वो चुप हो गयी। उसे बहुत गुस्सा आया था बंटी के इस तरह छूने पर। बंटी बेशर्मों की तरह मुस्कुराता हुआ किचन से बाहर निकल गया।

सब लोग होटल आ गए थे। 3 दिन के लिए ये होटल बुक कर लिया था पूनम के मौसा ने। पूनम अब इधर उधर ध्यान रख रही थी की कहीं बंटी फिर से उसी तरह न कर दे। वो ज्योति को बताई भी थी तो वो हँस दी थी और बात को टाल दी थी। ज्योति को उबटन लग रहा था और सब हँसी मज़ाक में व्यस्त थे की अचानक से पूनम को अपनी गांड पर मर्दाना हाथ का एहसास हुआ। पूनम चिहुँक गयी और तुरंत पीछे पलटी तो देखी की बंटी अंजान सा मासूम सा बगल से जा रहा है।

पूनम झुक कर रस्म देख रही थी और बंटी उसकी गांड और चुत की दरारों को अपने मजबूत हाथ से सहलाता हुआ गया था। थोड़ी देर बाद जब पूनम की नज़र बंटी से मिली तो वो बेशर्मों की तरह हँस दिया और जब किसी को देखता नहीं देखा तो आँख मार दिया। पूनम अपनी नज़रें झुका ली। उसे शर्म भी आ रही थी कोई लड़का इस तरह खुले आम उसके बदन को छेड़ कर गया है और बंटी पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था। उसे इस तरह की हरकतें बिल्कुल पसंद नहीं थी। उसे डर भी लग रहा था कि अगर कोई देख लेता तो क्या होता।

पूनम सोची की वो ज्योति से इस बारे में बात करेगी। उसे बंटी पे बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन वो कोई शोर शराबा नहीं चाहती थी। 'बंटी को जो करना है ज्योति के साथ करे, मेरे साथ क्यों कर रहा है। इस तरह की हरकत तो न तो अमित ने किया था और न ही गुड्डू या विक्की ने। जबकि वो दोनों इस तरह के हैं कि अगर मुझे उठा कर भी ले जाते तो मुझे कोई नहीं बचाता। अजीब छिछोरा लड़का है ये, पता नहीं ज्योति को इसमें क्या दिखा है।'

पूनम ज्योति को ढूंढ रही थी लेकिन वो मिल नहीं रही थी। आज ज्योति को उबटन लग गया था और वो पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। उबटन लगने के बाद उसका निखार और बढ़ गया था। ज्योति एक कोने वाले रूम में थी। वहीँ पे 3-4 और लड़कियाँ बैठी हुई थी और बंटी भी वहीँ था। पूनम को उसे देखते ही पारा हाई हो गया। पूनम वापस जाने लगी तो ज्योति उसे आवाज़ देकर बुला ली और बैठा ली। इतने लोगों के सामने पूनम कुछ बोल नहीं पाई।

शाम के बाद मेहँदी की रस्म होनी थी। ज्योति के पूरे हाथ पैर में दुल्हन मेहँदी लगी हुई थी। पूनम और बाँकी लोगों को भी मेहँदी लगा था। नाच गाना, हँसी मज़ाक चल रहा था। सबके खाना खाकर सोते जाते जाते काफी रात हो गयी थी। पूनम के भी दोनों हाथों में बाजु तक मेहँदी लगा हुआ था। इस सारे कार्यक्रम के बीच दो बार बंटी पूनम के करीब आया था और एक बार उसके पेट नेवल एरिया को और एक बार कमर को सहला चूका था। पूनम को इतना तेज़ गुस्सा आ रहा था लेकिन उसे मन मसोस कर रह जाना पड़ रहा था।

रात में जब पूनम ज्योति के साथ अपने कमरे में आयी तो उसे बताई, लेकिन ज्योति पे उसका कोई असर नहीं होने वाली थी। बोली "अरे थोड़ा हँसी मज़ाक कर दिया तो इसमें गुस्सा होने वाली कौन सी बात है। उसकी साली हो तो क्या तुमसे मज़ाक भी नहीं कर सकता।" पूनम को ही चुप हो जाना पड़ा। पूनम भी सोच ली की 'दो दिनों की तो बात है। जब ज्योति अभी तक उससे चुद रही है तो मुझे क्या प्रॉब्लम है।'

पूनम गहरी नींद में थी जब ज्योति उसे आवाज़ देकर जगाई। पूनम नींद में ही पूछी "क्या हुआ?" तो ज्योति उसे बोली की "तू थोड़ी देर के लिए बाहर चल न।" पूनम को समझ नहीं आया की ज्योति क्या बोल रही है। ज्योति बोली "चल न छत पर, मुझे नींद नहीं आ रही है।" पूनम उठ बैठी और दुबारा पूछी तो ज्योति फिर से बोली "छत पर चल न, मुझे नींद नहीं आ रही।" पूनम उसे समझायी लेकिन ज्योति उठने और चलने की ज़िद कर रही थी। वो अकेली छत पर नहीं जा सकती थी और यही बात वो पूनम को भी समझायी और उसे छत पर चलने के लिए मना ली।

पूनम का भी मन नहीं था लेकिन उसे जागना पड़ा। ज्योति उसकी प्यारी बहन थी। ज्योति अब दुल्हन बनने वाली थी और उसका कहीं भी अकेले आना जाना मना था। दोनों छत पर आ गए लेकिन छत पर बंटी पहले से खड़ा था और इन दोनों को देखते ही आगे बढ़ा और ज्योति को अपने सीने से लगा लिया। ज्योति भी उसके गले लग गयी। दोनों ऐसे चिपक गए थे जैसे कितने सालों के बिछड़े प्रेमी हों। ज्योति साड़ी में ही थी और बंटी उसकी पीठ और कमर के नंगे हिस्से को सहला रहा था और उसके गले को चूमता हुआ "आई लव यू जान" बोलता जा रहा था।
Reply
06-11-2020, 05:03 PM,
#85
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार


पूनम ऐसे खड़ी थी जैसे उसके साथ कितना बड़ा धोखा हुआ हो। दोनों ने मिलकर उसे बेवकूफ बनाया था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। बंटी का हाथ ज्योति की साड़ी के ऊपर से उसकी गांड पर था और उसने ज्योति को अपने से पूरी तरह से चिपका लिया था। ज्योति भी उसके बदन में घुसी जा रही थी। पूनम सोच ही रही थी की उसे नीचे चले जाना चाहिए तभी थोड़ी देर बाद दोनों अलग हुए तो बंटी उसे बोला "थैंक्यू साली जी। मेरी जान को मेरे पास लाने के लिए।"

ज्योति पूनम के करीब आयी और बोली "सॉरी पुन्नु, लेकिन बस आज ही की रात है हमारे पास। फिर कल के बाद मैं किसी और के बाँहों में होऊँगी। प्लीज़ बहना, तू गुस्सा मत हो, अगर तू नहीं होती तो मैं ये नहीं कर पाती। तू सीढ़ी के पास बैठ जा थोड़ी देर, ताकि अगर कोई इधर आए तो तू हमें बता सके। प्लीज़ मेरी प्यारी बहना।"

ज्योति इस तरह बोली तो पूनम को अपनी बहन की बात माननी पड़ी। वो सीढ़ी पर आकर बैठ गयी और इंतज़ार करने लगी की कब ज्योति वापस आएगी। उसे पता था कि वो लोग अभी क्या करेंगे। ज्योति उबटन लगवा कर मेहँदी लगवा कर किसी और के साथ प्री सुहागरात मना रही थी। उसे ज्योति पे कभी गुस्सा भी आ रहा था तो कभी प्यार भी। गुस्सा इसलिए की ज्योति शादी के एक दिन पहले ऐसे लड़के से चुदवा रही थी जिसकी नज़र उसके बदन पर थी और प्यार इसलिए की वो अपना प्यार निभा रही थी। अपने पति की होने से कुछ देर पहले तक वो उसे अपना सब कुछ दे रही थी जिसे वो प्यार करती है।

लेकिन बंटी पे तो उसे बस गुस्सा ही आ रहा था। 'उसे तो अच्छा ही है न जो ऐसी लड़की को पटाया है जो खुद उसे कह रही है कि दूसरे को भी करो। जो शादी वाले दिन की सुबह उससे चुदवा रही है, अपनी बहन को बेवकूफ बनाकर। शादी के बाद भी चुदेगी ही। इतनी खूबसूरत लड़की को शादी के दिन चोद रहा है, ऐसे लड़के को और क्या चाहिए। जब ज्योति को मेरे बारे में बोला है तो पता नहीं और कितने के साथ किया होगा। लड़को का क्या है, उन्हें तो बस चुत चाहिए। फिर अमित की तरह प्यार मुहब्बत से पटा कर लें या फिर गुड्डू विक्की की तरह धमका कर। या फिर बंटी की तरह बेवकूफ बना कर।'

पूनम एक बार बाहर झाँक कर देखी। आज भी कल रात वाला ही दृश्य दिखा उसे। लेकिन आज ज्योति के बदन पे कपड़ा था। ज्योति बंटी के लण्ड पे बैठ कर उठक बैठक कर रही थी और बंटी ज्योति के ब्लाउज के खुल्ले बटन से उसकी चूचियाँ मसल रहा था। पूनम वापस से अंदर हो गयी। लेकिन इस दृश्य ने उसकी चुत पे चींटियों को आमंत्रित कर दिया और वो चुत पे रेंगने लगी। पूनम कुछ देर तो रुकी लेकिन फिर से झाँक कर देखने लगी। पूनम एक जगह देख ली जहाँ से उनलोगों को पता नहीं चलता की पूनम उनकी चुदाई देख रही है। वैसे भी उनलोगों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। दोनों चुदाई में पूरी तरह डूबे हुए थे।

पूनम देखने लगी। ज्योति की साड़ी कमर तक उठी हुई थी और अब बंटी पीछे से ज्योति की चुत में धक्के लगा रहा था। धक्का जोरदार था। ज्योति कमर ऊपर की हुई थी लेकिन दर्द की वजह से उसका सर जमीन पर था। बंटी पूरी तैयारी किये हुए था। गद्दा तकिया सब लगा हुआ था। ज्योति तकिये पे अपने सर को दबाये हुए थी और बंटी पीछे से उसकी उठी हुई कमर को पकड़ कर चुत में लण्ड का धक्का मारे जा रहा था।

बंटी अपने कमर को पूरा पीछे कर रहा था और फिर जोर का धक्का लगाते हुए लण्ड पूरा अंदर डाल दे रहा था। हर धक्के के साथ ज्योति का बदन हिल जा रहा था। पूनम को लण्ड की परछाई नज़र आ रही थी और उसे अंदाज़ा हो गया कि बंटी का लण्ड भी मूसल की तरह ही है। उसे गुड्डू की बात याद आ गयी की जिस जिस को उसने चोदा है वो सब कैसे मज़े से उससे चुदवाती है। पूनम को लगा की फिर तो ज्योति भी चुदवाएगी ही। पूनम बैठे बैठे अपनी बहन को चुदवाते देखते रही और अपनी चुत को नंगी कर सहलाने लगी।

कुछ देर बाद बंटी सीधा लेटा हुआ था और उसका लण्ड पूरी तरह सीधा खड़ा होकर आसमान की तरफ देख रहा था। ज्योति उसे सहला रही थी और चूस रही थी। पूनम को अब अच्छे से लण्ड का आकार नज़र आ रहा था। ज्योति वापस से लण्ड को चुत में भर ली और ऊपर नीचे होकर चुदवाने लगी। पूनम अपने पैरों को अच्छे से फैला कर अपनी चुत में ऊँगली अंदर बाहर कर रही थी। आज वो लाइव चुदाई देख रही थी। अपनी बहन को चुदवाते देख रही थी पूनम।

अब बंटी खड़ा हो गया और ज्योति के सर को पकड़ कर उसका मुँह चोद रहा था। उसने ज्योति के सर को अपने लण्ड पे दबा लिया और उधर बंटी ने ज्योति को अपना वीर्य पिलाया और इधर पूनम की चुत ने भी रस की धारा को छोड़ दिया। पूरा बीर्य ज्योति के मुँह में भरने के बाद जब बंटी ने ज्योति को छोड़ा तो वो गद्दे पे निढाल होकर गिर पड़ी। बंटी भी वहीँ पे लेट रहा। पूनम भी हाँफ रही थी।
Reply
06-11-2020, 05:03 PM,
#86
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
अब बंटी खड़ा हो गया और ज्योति के सर को पकड़ कर उसका मुँह चोद रहा था। उसने ज्योति के सर को अपने लण्ड पे दबा लिया और उधर बंटी ने ज्योति को अपना वीर्य पिलाया और इधर पूनम की चुत ने भी रस की धारा को छोड़ दिया। पूरा बीर्य ज्योति के मुँह में भरने के बाद जब बंटी ने ज्योति को छोड़ा तो वो गद्दे पे निढाल होकर गिर पड़ी। बंटी भी वहीँ पे लेट रहा। पूनम भी हाँफ रही थी।

थोड़ी देर बाद ज्योति अपने कपड़े ठीक कर ली और शरमाते लजाते मुस्काते पूनम के पास आई और बोली "चल।" पूनम भी अपने कपड़े ठीक कर चुकी थी और ऐसे बैठे थी जैसे बैठे बैठे सो रही हो और उधर क्या हो रहा है, उससे उसे कोई मतलब नहीं हो। दोनों वापस अपने कमरे के अंदर आ गयी।

थोड़ी देर बाद ज्योति बोली "सॉरी यार, तुझे परेशान की। लेकिन क्या करती। तू नहीं होती तो नहीं ही कर पाती। बंटी बोला की इतनी बार किया, लेकिन अगर दुल्हन की मेहँदी लग जाने के बाद नहीं किया तो सब बेकार हो गया। मुझे भी लगा की उसकी दुल्हन तो नहीं बन पाई, लेकिन दुल्हन वाला सुख तो उसे दे ही सकती हूँ।" पूनम बोली "इसमें परेशान करने वाली कोई बात नहीं है। मुझे बस ये डर लग रहा था कि कहीं किसी को पता न चल जाये।" ज्योति कुछ नहीं बोली।

पूनम फिर आगे बोली "क्या क्या की?" ज्योति उसे मुस्कुराते हुए नज़र टेढ़ी करके देखी तो पूनम हँसते हुए बोली "मेरा मतलब है कि अच्छे से की न, कोई हड़बड़ी तो नहीं रही न।" ज्योति उसे गले से लगाती हुई बोली "नहीं, सब चीज़ अच्छे से किया। तभी तो तुझे बोली की तू नहीं होती तो ये नहीं हो पाता।"

पूनम बोली "तू बहुत प्यार करती है न बंटी से। तुझे बिलकुल भी डर नहीं लगता?" तो ज्योति पूनम को समझाने के अंदाज़ में बोली "जवानी 4 दिन की है पुन्नु डार्लिंग। अगर इन 4 दिनों में मज़े नहीं की तो बस फिर तो ज़िन्दगी बेकार ही होना है। अब कल शादी होगी तो पति, सास, ससुर, देवर, ननद में बिजी हो जाऊँगी। कुछ दिन थोड़ी बहुत मस्ती जो होगी वो होगी, उसके बाद बच्चे फिर उनका लालन पालन पढाई लिखाई सब में ज़िन्दगी खत्म। इसलिए जो मस्ती अभी करनी है कर लो, फिर ये बस पेशाब करने के काम ही आएगा।" ज्योति हँसती हुई पूनम के चुत की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली, पूनम भी हँसती हुई तुरंत ज्योति का हाथ पकड़ी और खुद भी थोड़ी पीछे हुई।

पूनम बस हँस कर ही रह गयी। कुछ बोली नहीं। ज्योति आगे बोली "ज्योति बोली "इसलिए तो बोली तुझे भी की तू भी चुदवा ले, ओके टेस्टेड सामान है, मज़ा आएगा। फिर तो तुझे चले ही जाना है। वहाँ कोई मिला तो मिला, नहीं तो तेरा भी वही, शादी फिर बच्चा और बस.... वैसे भी जहाँ दो बार की है, वहाँ एक बार और सही। बंटी बहुत मज़ा देता है, तू याद रखेगी इसके मशीन को।" पूनम की नज़रों में बंटी का लण्ड घूम गया और गुड्डू का भी। वो मुस्कुरा दी और बोली "तुम्हारा बंटी तुम्हे ही मुबारक हो। मुझे नहीं करवाना ऐसे किसी से भी। एक नंबर का छिछोरा है।" ज्योति हँसते हुए बोली "वो तो जब अंदर जाता है तब पता चलता है कि क्या है।" दोनों बहनें हँस दी और सो गयी।

आज ज्योति की शादी थी। दिन भर सब इधर उधर के कामों में व्यस्त रहे। सारे रस्मो रिवाज होते रहे, हँसी मज़ाक होता रहा। पूनम बंटी से दूर दूर ही रह रही थी। उसे हर वक़्त ये डर लगा हुआ था कि पता नहीं कब बंटी फिर से उसके जिस्म को सहलाने लगा। ये सच भी था। बंटी पूनम के आसपास ही मँडरा रहा था और इस ताक में था कि किसी तरह अकेले में वो पूनम से बात कर सके, और उसे अपने शीशे में उतार सके। बंटी के दिमाग में ये बात चल रही थी की आज ज्योति की शादी हो जाने वाली थी और कल पूनम को वापस अपने घर चले जाना है। उसके पास बस आज ही की दिन और आज ही की रात थी पूनम के साथ कुछ करने के लिए। बंटी पूनम जैसी लड़की को बिना कुछ किये नहीं जाने देना चाहता था।

पूनम जैसी मस्त माल को तो हर कोई खाना चाहता था, लेकिन बंटी उनलोगों में से था जो सिर्फ चाहता नहीं था, जो चाहता था उसे पाने की भरपूर कोशिश करता था। दोपहर होने वाला था, लेकिन बंटी की कोशिश अभी तक कामयाब नहीं हुई थी। आज भीड़ काफी थी तो वो ज्योति से भी बात नहीं कर पा रहा था ज्योति के पास हमेशा भीड़ लगी हुई ही थी। रात तो उसने ज्योति के साथ गुजार लिया था, लेकिन तब उसकी सिर्फ मेहँदी लगी थी, वो शादी से पहले एक और बार ज्योति के साथ चुदाई करना चाहता था जब वो पूरी तरह दुल्हन बन चुकी हो।
Reply
06-11-2020, 05:03 PM,
#87
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
बंटी अपनी प्लानिंग सोचने में व्यस्त था कि अचानक उसकी नज़र पूनम पर गयी जो स्टोर रूम की तरफ जा रही थी। ये बहुत अच्छा मौका था क्यों की उधर कोई नहीं था। स्टोर रूम सबसे अंतिम वाला कमरा था और गैलरी भी खाली थी। पूनम स्टोर रूम का ताला खोली और अंदर चली गयी। उसके अंदर जाते ही बंटी भी चुपके से अंदर घुस गया। पूनम कुछ ढूंढने में व्यस्त थी और उसका ध्यान बंटी पर नहीं गया।

पूनम अपने कातिल बदन के साथ बंटी की प्यासी नज़रों के सामने खड़ी थी। लेगिंग्स और नी लेंथ कुर्ती में। बंटी के सामने उसकी पीठ थी और उसके बदन के कटाव इस टाइट कपड़े में झलक रहे थे। बंटी का लण्ड तो ये सोच कर ही टाइट था कि वो पूनम के साथ अकेले एक कमरे में है, हालाँकि कमरा अभी बंद नहीं था। उसने कमरा बंद करने का रिस्क भी नहीं लिया नहीं तो पूनम को पता चल जाता और वैसे भी अगर कोई इधर आता तो उसके कदमो की आहट से तो पता चल ही जाता।

बंटी धीरे से आगे बढ़ा और उसने एक हाथ पूनम के हिप पर रखा और दूसरा हाथ सामने लाकर सीने से पकड़ता हुआ उसे अपने बदन से चिपका लिया और गर्दन और पीठ पे खुले हिस्से को चूमने लगा। पूनम अचानक हुए इस हमले से बुरी तरह डर गयी थी और वो छूटने की कोशिश करने लगी। लेकिन बंटी की पकड़ मज़बूत थी। बाज के पंजे में आयी चिड़ियाँ इतनी आसानी से नहीं छूट सकती थी। पूनम को तुरंत पता चल गया थी की वो बंटी की पकड़ में है और इसलिए वो जोर से चीखी तो नहीं, लेकिन छूटने के लिए पूरी ताकत लगाती रही।

बंटी उसके गर्दन पे चूमता हुआ अपने होठों से उसके पीठ को सहला रहा था और इतनी मस्त गदराई माल को अपनी बाँहों में पाकर वो खुद को रोक नहीं पाया और पूनम की गर्दन पे दाँत काटने लगा। अब बंटी का दोनों हाथ सामने से पूनम को पकड़े हुए था और अपने बदन से चिपकाये हुए था। बंटी का एक हाथ पूनम को सीने से दबाये हुए एक चुच्ची को पकड़े था और दूसरा हाथ नीचे पेट से पकड़े हुए था। पूनम छूटने के लिए पूरी ताकत लगा रही थी लेकिन बंटी ने भी पूरे ताकत से उसे जकड़ा हुआ था।

बंटी का दूसरा हाथ कपड़े के ऊपर से पूनम की चुत पर था और वो पूनम को बोला "कितना तड़पाओगे मेरी जान, जब से तुम्हे देखा हूँ, मर रहा हूँ तुम्हे पाने के लिए, लेकिन तुम पता नहीं क्यों मेरे से भाग रही हो।" पूनम छिटकती हुई छूटने की पूरी ताकत लगाते हुए बोली "आह.. छोड़ो मुझे, नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी। बंटी भला उसे कहाँ छोड़ने वाला था। वो जोर से पूनम की चुच्ची को मसलता हुआ बोला "पूछी नहीं ज्योति से कितना मज़ा आता है उसे। प्लीज़ मेरी जान, इतना मत तड़पा मुझे।"

पुनम बंटी की पकड़ से छूट गयी और बंटी उससे अलग होता हुआ बोला "क्यों ऐसे कर रही हो। ज्योति ने तुम्हे बताया नहीं। वो तो बोली की तुम अपनी बहन की जगह लेने के लिए तैयार हो।" पूनम हाँफ रही थी और उसका चेहरा गुस्से और गर्मी से लाल हो गया था। वो अभी भी खड़ी थी क्यों की बंटी उसके और दरवाजे के बीच में खड़ा था। पूनम गुस्से से बोली "तुम्हे जो करना है ज्योति दी कि साथ करो, मेरे से दूर रहो। नहीं तो तुम सोच भी नहीं सकते की मैं क्या करुँगी तुम्हारे साथ। मैं बस इसलिए चुप हूँ क्यों की ज्योति दीदी तुमसे बहुत प्यार करती है। लेकिन अब बात बर्दाश्त के बाहर हो गयी है।"

बंटी को भी डर लग गया कि कहीं ये सच में शोर न करने लग जाए। "ठीक है, आई एम सॉरी, तुम हल्ला मत करो। मैं जा रहा हूँ। किसी को कुछ मत बोलना। आई एम सॉरी। मुझे लगा था कि तुम्हे अच्छा लगा है, इसलिए तुम्हारे पास आया था। आई एम सॉरी।" बोलता हुआ बंटी स्टोर रूम से बाहर निकल गया। बंटी के बाहर जाते ही पूनम राहत की साँस ली और अपने कपड़े ठीक करने लगी। थोड़ी देर बाद वो बाहर निकली और स्टोर रूम को वापस बंद कर के लोगों के बीच में चली गयी।

पूनम को बहुत गुस्सा आया हुआ था। ज़िन्दगी में पहली बार किसी ने उसे इस तरह छुआ था, बिना उसके मर्ज़ी के। वो उसी गुस्से में सीधे ज्योति के पास गयी। वो बाँकी किसी और को कुछ नहीं बता सकती थी, लेकिन ज्योति को तो बता सकती थी। ज्योति के पास कई सारे लोग बैठे हुए थे, वो उसे छत पर ले जाकर अभी की सारी बात बताई। छत पे उनदोनो के अलावा और कोई नहीं था। पूनम का गुस्सा देखकर ज्योति उसी वक़्त बंटी को कॉल लगायी और उसे डाँटने लगी।

बंटी फ़ोन पर अपनी सफाई दे रहा था। पता नहीं वो क्या क्या बोल रहा था कि 2 मिनट बाद ही ज्योति हँसने लगी थी। ज्योति को इस तरह बंटी से बात करता देझ पूनम का गुस्सा और बढ़ रहा था। पूनम गुस्सा होकर नीचे जाने लगी तो ज्योति उसका हाथ पकड़ कर रोक ली और ये बोलते हुए कॉल कट कर दी की इसे अब से परेशान मत करना।

पूनम गुस्से में ही ज्योति से पूछी "तुम्हे देख कर लगता है कि तुम उसके चक्कर में पागल हो गयी हो। उसने मेरे साथ ऐसा किया और तुम हँस रही थी!" ज्योति कुछ बोलती उसके पहले ही पूनम फिर से गुस्से में बोली "तुम हँस क्यों रही थी?" ज्योति अपनी मुस्कुराहट को रोकते हुए पहले तो बोली "कुछ नहीं। ऐसे ही।" लेकिन जब पूनम दुबारा से पूछी तो ज्योति बोली "बोल रहा था कि तुम्हारा पेट बहुत मुलायम है, अनारों से ज्यादा।" ज्योति आँखों से पूनम के चुच्ची की तरफ इशारा करते हुए बोली। पूनम का गुस्सा अभी तक बरक़रार था।

ज्योति की नज़र पूनम की गर्दन पे गयी जहाँ बंटी के दाँतों के निशान उभर आये थे और वहाँ पर लाल हो गया था। ज्योति अपने आँचल से गर्दन पोछने लगी, लेकिन वो निशान ऐसे इतनी आसानी से तो नहीं ही मिटने वाला था। ज्योति के रगड़ने से दाँत का निशान तो हट गया लेकिन गर्दन के पास पूरा लाल जरूर हो गया था। "उफ़्फ़... कितनी बेदर्दी से मेरी बहन को काटा है। सिर्फ थोड़ी देर के लिए छुआ तो ये कर दिया, पता नहीं पूरी मस्ती करता तो फिर तो पूरा खा ही जाता।"
Reply
06-11-2020, 05:04 PM,
#88
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार


पूनम को ज्योति की हर बात पर गुस्सा आ रहा था। वो गुस्से में घुरी ज्योति को। ज्योति मुस्कराते हुए "सॉरी सॉरी" बोलते हुए पोछने लगी और फिर बोली "नीचे चलकर बोरोप्लस लगा लेना। कोई काटा था तुम्हे इस तरह आज तक?" पूनम गुस्से में ही बोली "किसी की इतनी औकात ही नहीं थी। ये तो मैं बस तुम्हारी वजह से चुप रही और उसी का नाजायज़ फायदा उठाया वो कमीना।" ज्योति बोली "बाँकी लोग डर जाते होंगे, मेरा बंटी डरता नहीं। इसलिए वो ऐसे कर लिया, बाँकी लोग मन में करते होंगे तुम्हारे साथ।"

पुनम बोली "मन में जो सोचना हो सोचे, जो करना हो करे, मुझे क्या। लेकिन ऐसे तो नहीं करने दे सकती न उसे।" ज्योति बोली "एक बात बोलूं, गुस्सा मत होना और शांति से ठन्डे दिमाग से सोचना।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे पता था कि ज्योति उसे क्या बोलने वाली है। वो बोली "चल नीचे। तुम्हे बोलने से कोई फायदा नहीं। तुम भी उसी की तरह हो।" ज्योति पूनम के साथ नीचे आने लगी और बोली "एक बार करवा ले उससे। मेरा प्रॉमिस रह जायेगा।"

पूनम कुछ नहीं बोली और नीचे आकर बोरोप्लस ली और वापस छत पर चली गयी। यहाँ सबके सामने बोरोप्लस लगाने से सब पूछते की क्या हुआ है, जो वो बता नहीं पाती। जब से पूनम यहाँ शादी में आयी थी तब से वो गुड्डू से बात नहीं की थी। 2-3 बार उसका कॉल आया था, लेकिन हर वक़्त कोई न कोई उसके पास रहता था तो वो बात नहीं की थी। अभी वो छत पे अकेली थी और थोड़ी देर वहीँ रहने वाली थी ताकि गर्दन का लालीपन कुछ कम हो जाये।

पूनम गुड्डू को कॉल लगा दी। अभी कुछ ही देर पहले उसकी चुच्ची और चुत मसली गयी थी और उसे गर्दन पे किस किया गया था। पूनम को बंटी के छूने पे मज़ा आ सकता था, लेकिन समस्या ये थी की बंटी उसके साथ जबरदस्ती कर रहा था। बिना उसकी मर्ज़ी के उसके बदन को छू रहा था और अभी तो उसने हद ही पार कर दिया था। गुड्डू उसकी मर्ज़ी से उसके बदन से खेला तो वो उसके लिए नंगी हो गयी, जब वो इज़ाज़त दी तभी अमित उसे छुआ तो वो अमित से भी चुदवाई, लेकिन बंटी को तो लगता है इस बात से कोई मतलब ही नहीं है कि उसकी मर्ज़ी क्या है, वो क्या चाहती है। उसे इस तरह का इंसान पसंद ही नहीं था।

गुड्डू को कॉल लगाते ही पूनम की चुत गीली हो गयी और उसे वो छुअन अच्छी लगने लगी थी जो बंटी ने अपने हाथों से दिया था। वो सोचने लगी की 'अगर उस बंद करने में बंटी की जगह गुड्डू होता तो कितना मज़ा आता। फिर तो मैं खुद अपनी लेगिंग्स को नीचे करके अपनी चुत मसलवाती, कुर्ती का चेन खोलकर उसे अपने निप्पल्स को चूसने देती, उसका लण्ड चूसती और फिर खुद टाँगे फैलाकर चुदवाती। कितना अच्छा होता की गुड्डू यहाँ रहता तो जैसे ज्योति रात में छत पर चुदवा रही थी, मैं भी गुड्डू से चुदवाती। लेकिन..... फिर गुड्डू भी वही करता जो बंटी कर रहा है, वो भी ज्योति को चोदने को कहता। '

पूरा रिंग होकर फोन कट गया था। गुड्डू ने फ़ोन रिसीव नहीं किया। पूनम अपनी सोच में फिर से डूब गयी। पूनम सोचने लगी की 'वो और ज्योति एक साथ अगर छत पर अगल बगल में बंटी और गुड्डू से चुदवाते तो गुड्डू भी ज्योति को चोदने के लिए बोलता और बंटी तो बोल ही रहा है मुझे चोदने। बंटी बोल देता तो ज्योति तो गुड्डू से भी चुदवाने के लिए तैयार हो ही जाती और फिर वो लोग बोलते की आपस में अदला बदली कर लेते हैं। गुड्डू और बंटी दोनों को और किसी चीज़ से कोई मतलब नहीं है, बस हमारी चुत से मतलब है, हमें चोदने से मतलब है। फिर मैं क्या करती ये तो पता नहीं, लेकिन ज्योति जरूर गुड्डू से चुदवाती और मुझे तो वो अभी भी बंटी से चुदवाने कह ही रही है, फिर तो शायद मैं भी चुदवा ही लेती। जब मैं विक्की से चुदवाने के लिए तैयार ही हूँ तो बंटी से भी चुदवा ही लेती।'
Reply
06-11-2020, 05:04 PM,
#89
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम अपनी सोच में डूबी हुई थी तभी उसके फोन पे रिंग हुई। गुड्डू का कॉल था तो वो कॉल रिसीव कर ली। गुड्डू पूछा की "बहुत बिजी हो क्या शादी में?" तो पूनम बता दी की "हाँ यहाँ बहुत लोग हैं तो बात करना मुश्किल है। अभी छत पे हूँ तो कॉल लगा दी।" गुड्डू पूछा "कितने लड़कों ने छेड़ा?" पूनम मुस्कुराती हुई जवाब दी "कौन छेड़ेगा मुझे।" गुड्डू फिर बोला "ऐसा हो ही नहीं सकता। तुम्हे तो छेड़ने वालों की लाइन लगी होगी। शादियों में तुम्हारी जैसी लड़कियों पे ही तो सब की नज़र रहती है। कुछ लोग आँखों से चोदते हैं तो कुछ बहादुर हाथों का भी इस्तेमाल कर लेते हैं।" पूनम को बंटी की याद आ गयी की वही एक है जिसने हाथों का इस्तेमाल किया है।

पूनम बोली “तुम लड़कों को और कुछ दिखता ही कहाँ है।” गुड्डू बोला “तुम्हारे जैसी गरम माल जिसकी नज़रों के सामने रहेगी, तो उसे कुछ और दिखना भी नहीं चाहिए। मुझे तो शादियों में आई हुई लड़कियों को चोदने में ज्यादा ही मज़ा आता है। मस्ती करो, फिर तुम अपने रास्ते, हम अपने रास्ते।” पूनम कुछ नहीं बोली। बंटी भी तो यही चाह रहा था।

पूनम बोली “तुमसे लड़की हर जगह मान कैसे जाती है जो तुम हर जगह कर लेते हो।” गुड्डू बोला “क्या कर लेता हूँ?” पूनम मुस्कुरा दी। उसकी चूत पे चीटियाँ रेंगने लगी। बोली “कैसे हर जगह चोद लेते हो सबको? लडकियाँ मान कैसे जाती है?” गुड्डू बोला “अपना स्टाइल है जान, तुम भी तो नहीं मान रही थी, मना लिया न मैंने।”

पूनम को लगा की ‘गुड्डू सही बोल रहा है। मैं तो नफरत करती थी इससे, लेकिन इसने तो मुझे चोदने के लिए तैयार करा ही लिया। वो तो उसके अड्डे पे गयी नहीं, नहीं तो चुदवा ही चुकी होती। और सिर्फ गुड्डू क्या, विक्की से भी चुद चुकी होती। लेकिन इसने कभी जबरदस्ती नहीं किया मेरे साथ। और ये बंटी मुझे परेशान कर रहा है.’ बोली “लड़की मान कैसे जाती है? कोई बोलती नहीं की परेशान कर रहे हो?” गुड्डू बोला “तो सबको थोड़े ही चोद लेता हूँ। जो अच्छी होती है और जिसे देखकर लगता है की पट जाएगी, उसे ही पटाता हूँ यार।”

पूनम को लगने लगा की ‘बंटी उसके बारे में भी यही सोच रहा होगा की ये तो चुदवा ही लेगी। और उसे ये सोंचने बोली होगी मेरी बहन ज्योति। लेकिन वो भी क्या करेगी। चोदते वक़्त अगर गुड्डू मुझे कहता की मैं ज्योति को चोदना चाहता हूँ तो मैं भी यही कहती की चोद लो। और ज्योति तो उसकी फैन है, पागल है उसके चक्कर में, उसकी सारी बात मानती है.’ पूनम अपने ख्यालों में खोयी हुई थी तो गुड्डू बोला “कोई है वहाँ क्या जो कुछ किया है तेरे साथ? पूनम हडबडा गयी। उसे लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी है। वो हड़बड़ाती हुई बोली “नहीं तो।” थोड़ी देर और इधर उधर की कुछ बातें करने के बाद वो फ़ोन रख दी और नीचे आ गयी.

थोड़ी देर बाद फिर बंटी उसके सामने था। वो जब भी पूनम को देख रहा था तो सॉरी बोलने जैसा मुँह बना रहा था और इशारे कर रहा था। उसने कान पकड़ कर माफ़ी मांगने का इशारा भी किया था। पूनम को डर लग रहा था की कोई उन इशारों को देख न ले। वहां बहुत सारे लोग थे और शादी की कोई रस्म हो रही थी। पूनम के मोबाइल पे फ़ोन बजा, कोई अनजान नंबर था। पूनम फ़ोन उठा ली और किनारे होकर बात करने लगी।
Reply
06-11-2020, 05:04 PM,
#90
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
दूसरी तरफ बंटी था जो बोल रहा था “सॉरी पूनम, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो यार, आई एम् रियली वैरी सॉरी। प्लीज़ पूनम प्लीज़...” पूनम बोली “तुम्हे ये नंबर कहाँ से मिला?” बंटी फिर से अपने माफ़ी का गीत गाने लगा तो पूनम बोली “ठीक है, माफ़ कर दी। अब प्लीज़ परेशान मत करना।” बंटी बोला “मैं भी क्या करता यार, तुम हो ही इतनी हसीन की दिल फिसल गया। और मैं सच बोल रहा हूँ, ज्योति मुझे बोली की मेरी जगह पूनम से काम चलाना।” पूनम कुछ नहीं बोली और कॉल कट कर दी।

पूनम वापस से भीड़ में लौट गयी. सब हँसी मजाक में व्यस्त थे. पूनम भी नीचे बैठकर कुछ कर रही थी. उसे ध्यान नहीं था, लेकिन नीचे बैठने पर सामने खड़े लोगों को इस कुर्ती में उसकी क्लीवेज साफ़ साफ़ दिख रही थी। अचानक वो नज़र उठाई और सामने बंटी को देखी तो उसे ध्यान आया की वो उसकी क्लीवेज को निहार रहा है। पूनम शर्मा गयी और अपने दुपट्टे को चुपके से धीरे से ठीक करने की कोशिश की, लेकिन कर नहीं पायी क्यूँ की उसके हाथ में रस्म का कुछ सामान था।

पूनम जितना दुपट्टा ठीक की थी, वो पल भर में ही फिर से नीचे हो गया और फिर से उसकी चूचियाँ बंटी की नज़रों के सामने थी और पूनम के कुछ भी हरकत करने पर थिरक रही थी. पूनम फिर से एक बार सामने देखी तो बंटी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। पूनम की नज़र बंटी के हाथ पर गयी तो वो हाथों से चुच्ची मसलने जैसा इशारा कर रहा था। पूनम शर्म से लाल हो गयी की इतने लोगों के बीच में बंटी मानसिक तौर पे उसके बदन से खेल रहा है। पूनम को इसी तरह कुछ देर और बैठे रहना पड़ा। और लोग भी उसके क्लीवेज को देख रहे होंगे, लेकिन इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। फर्क पड़ रहा था बंटी के देखने से क्यूँ की वो सिर्फ देख नहीं रहा था, अपनी नज़रों से ही मसल रहा था पूनम की चुच्ची को।

थोड़ी देर बाद वो रस्म ख़तम हो गया तो पूनम जल्द से वहाँ से उठी। सब खाना खाने बैठने लगे थे। पूनम फिर से चाभी लेकर स्टोर रूम की तरफ जा रही थी और इस बार बंटी भी साथ में गया था सामान लाने और 4-5 और लोग भी गए थे। बंटी बाँकी लोगों को सामान देकर भेज दिया और खुद वहीँ रुक गया। अब फिर से दोनों अकेले थे। पूनम को डर लगने लगा की कहीं बंटी फिर से उसे पकड़ न ले। हालाँकि अभी बंटी उसके सामने था, और उस वक़्त की तरह वो बेखबर नहीं थी अभी।

मुस्कुराते हुए बंटी ने पूनम की चुच्ची की तरफ इशारा करता हुआ अपना हाथ सामने की तरफ बढाया और मुट्ठियों को ऐसे मसलने लगा जैसे पूनम की चूचियों को मसल रहा हो। पूनम उससे दूर थी, लेकिन बंटी की इस हरकत से शर्मा गयी। वो अपनी शर्म भरी मुस्कान को रोक नहीं पाई और बोली “तुम फिर शुरू हो गए। सामान लो और जाओ यहाँ से।” बंटी उसी तरह अपने हाथों से चुच्ची मसलने की एक्टिंग करता हुआ बोला “तुम्हारा बहुत मुलायम है यार, अभी क्या मस्त थिरक रहा था. मेरा तो हाथ उसी वक़्त नहीं रुक रहा था। प्लीज़ यार, एक बार तो मसल लेने दो. प्लीज़।”

पूनम की शर्म और बढ़ गयी। बोली “तुम जाओगे यहाँ से। जिसकी मसलते हो उसकी मसलो जाकर।” बंटी थोड़ा आगे बढ़ता हुआ बोला “उसकी कहाँ मसलने मिलेगी अब जान, तुम्हारी भी तो मसलने नहीं ही मिलेगी कल से। इसलिए तो बोल रहा हूँ की एक बार मसल तो लेने दो, प्लीज़।” पूनम डर कर थोड़ी पीछे होती हुई बोली “देखो...., मैं शोर मचा दूँगी।” बंटी मुस्कुराता हुआ ऐसे झुका जैसे पूनम को पकड़ लेगा और फिर नीचे रखा हुआ सामान उठा लिया और बाहर आने लगा। पूनम को लगा की वो मुझे डरा रहा था और मैं डर गयी।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,299,939 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,300 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,151,186 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,972 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,542,275 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,986,980 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,796,919 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,515,977 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,825,770 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,192 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)