Maa Sex Kahani माँ का आशिक - Page 11 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here
शादाब का प्यार देख कर शहनाज की रुलाई छूट गई और बोली:"

" बेटा मैं नही रह सकती अब तेरे बिना, बहुत प्यार करती हूँ तुझसे ..

शादाब उसके आंशु सॉफ करते हुए:"

" अम्मी आप फिकर मत करो, मैं कुछ करता हूँ, मैं खुद भी अब आपसे दूर नही रह सकता.

शहनाज उसका मूह चूम लेती हैं और धीरे धीरे नॉर्मल हो जाती हाँ क्योंकि वो जानती थी कि उसका बेटा ज़रूर कुछ ऐसा कर देगा ताकि
दोनो माँ बेटे साथ रह सके।

शहनाज की सिसकियाँ अब पूरी तरह से रुक गयी थी और उसकी चूत दो बार हुई चुदाई की वजह से वीर्य से लबालब भरी हुई थी इसलिए
उसने बाथरूम जाने की सोची ताकि अपनी चूत को सॉफ कर सके।

शहनाज:" बेटा मुझे बहुत ज़ोर की सूसू लगी हाँ, मैं आती हूँ अभी.

शादाब:" अम्मी मैं भी आपके साथ चलता हूँ, चलिए।

शहनाज शरमा गयी और बोली:" तुम यहीं रहो बाद मे जाना, पहले मैं आती हू।

शादाब:" हे अम्मी अभी तो कह रही थी कि मेरे बिना नही रह सकती और अभी साथ ले जाने से भी मना कर रही हो.

शहनाज उसे डाँटते हुए:"

" चुप कर तू बड़ा शैतान को गया हाँ,

इतना बोलकर शहनाज ने एक चादर उठा ली और अपने जिस्म पर लपेटने लगी तो शादाब ने चादर को छीन लिया और बोला:"

" मैं आपकी बात मान लेता हूँ आपके साथ नही जाउन्गा लेकिन आपको मेरी एक बात माननी होगी कि आप नंगी ही जाओगी !

शहनाज की हालत खराब हो गई उफ्फ मैं कैसे इसके आगे नंगी जौ. वो सोच मे पड़ गयी और बोली:"

" अच्छा तू मेरे साथ ही चल, अब खुस है तू ?

शादाब मुस्कुरा दिया और दोनो माँ बेटे बाथरूम की तरफ चल दिए. शहनाज ने अपने जिस्म पर एक चादर लपेट ली और और साथ चल दी.

शहनाज आगे आगे और शादाब पीछे पीछे चल रहा था. चुदाई की वजह से गुलाब की कुछ पत्तियाँ शहनाज की गान्ड के बीच मे घुस गई जो
उसके चलने से नीचे गिर रही थी.

शायदी ये देख कर मुस्कुरा उठा और बोला:"

" आह शहनाज देखो ना तुमने अपनी टाँगो के बीच गुलाब की पत्तियाँ छुपा रखी हैं..

शहनाज ने चादर के अंदर से अपनी गान्ड पर हाथ अंदर तक घुमाया तो कुछ गुलाब की पत्तियाँ उसके हाथ में आ गई और उसने शादाब की तरफ एक कामुक स्माइल दी तो शादाब ने एक झटके के साथ उसकी चादर को खींच कर अलग कर दिया तो शर्म और डर के मारे शहनाज के मूह से आह निकल पड़ी

" आअह शादाब नही मेरे राजा, यहाँ नंगी मत कर उफ्फ मेरी चादर दे दे प्ल्ज़

शादाब ने चादर को एक तरफ फेंक दिया तो शहनाज शर्म से पानी पानी हो गई और खड़ी खड़ी थर थर काँपने लगी.
 
शहनाज ने एक हाथ नीचे के जाकर लंड को अपनी चूत पर टिका दिया और शादाब की आँखो मे देखते हुए उसे एक स्माइल दी तो शादाब लंड को चूत की क्लिट पर उपर नीचे रगड़ने लगा तो शहनाज तड़प उठी और शादाब को ज़ोर से कस लिया और अपना निचला होंठ दबाते हुए उसे इशारा किया तो शादाब ने शहनाज की आँखो मे देखते हुए एक जोरदार धक्का मारा जिससे पूरा लोल्ला एक ही बार में जड़ तक घुस गया तो शहनाज के होंठो से एक तेज दर्द भरी आ निकल पड़ी क्योंकि चूत पूरी तरह से गीली नही हुई थी और लंड ने चूत की दीवारो को
पूरा रगड़ दिया था.

" आअह शादाब, उफ्फ मर गई आहह सीईईईई ये कर दिया तूने, उफ्फ ये लोल्ला

शादाब उसकी चुचि दवाते हुए बोला:"

" आह शहनाज मेरी अम्मी, उफ्फ तेरी चूत कितनी टाइट हैं और गर्म !!

शादाब ने लंड को पूरा बाहर निकाला और फिर से अंदर जड़ तक घुसा दिया तो शहनाज का जिस्म उछल पड़ा और वो कराहते हुए बोली:"

" आअह बेटा, रुक जा हट जा तू, उफ्फ आहह नही उफ़फ्फ़ बहुत मोटा हाँ ये लोल्ला

शादाब उसके होंठ चूस कर बोला:"

" आअह शहनाज, उफ्फ चाँद पर चलने के लिए तैयार हो जाओ, अब देखो लंड का असली कमाल तुम

इतना बोलकर शादाब ने अपने लंड को बाहर निकाला और घुसा दिया और फिर तो शादाब ने स्पीड पकड़ ली और तेज़ी से शहनाज को
चोदने लगा तो शहनाज के मूह से दर्द और मस्ती भरी सिसकारिया गूंजने लगी

" आअह उफ्फ सीईईई ओह्ह्ह नही शादाब, उफ्फ, माआअ रीईई उफफफफ्फ़ आहह मीयरीईई चुतत्त्तत्त

शहनाज के मूह से अब तेज तेज सिसकियाँ निकल रही थी, हर धक्के पर उसका पूरा जिस्म हिल रहा था और उसकी पायल की तेज छन छन पूरे कमरे मे बाज रही थी, शादाब ने लंड को बाहर निकाला और पूरी तेज़ी से अंदर ठोक दिया तो लंड सीधे शहनाज की बच्चेदानी से जा लगा तो शहनाज मस्ती से पागल सी हो उठी और ज़ोर से शादाब को कस लिया और बोली:"..

" आअह शादाब, हाययययी बहुत मज्जा आ रहा है, उफ्फ चोद अपनी अम्मी को मेरे नंगे शादाब

शादाब ने हाथ शहनाज की गान्ड पर रखे तो शहनाज मस्ती से सिसक उठी और बोली:"

" आअह शादाब, दबा मेरी गान्ड, उफ्फ मसल मेरे लाल,

शादाब ने शहनाज की टाँगो को पूरा खोलते हुए उपर की तरफ मोड़ दिया और पूरी ताक़त से उसकी चूत मे ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा तो
शहनाज ने जोश मे अपने बेटे के दोनो कंधे थाम लिए और नीचे से अपनी गान्ड उठाने लगी और मस्ती से सिसक उठी

" आहह मीयरीईई चुतत्त्तत्त, चोद अपनी माँ शहनाज की चूत, उफ़फ्फ़ सीईईई और तेजज़्ज़्ज हायययी मेरे शादाब !!

शादाब की जांघे हर धक्के पर अब शहनाज की जाँघो से टकरा रही थी और ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी. शादाब एक पागल सांड़ की तरह धक्के मार रहा था और हर धक्के पर शहनाज की गान्ड एक एक फुट उपर उच्छल रही थी. शहनाज की चूत ज़्यादा देर तक धक्के नही
सह पाई और उसकी चूत ने अपने बाँध तोड़ दिए और शहनाज अपने बेटे को पूरी ताक़त से कस कर मस्ती से सिसक उठी:"

" आहह शादाब, उफफफ्फ़ चुद गयी ईई तेरी अम्मिईिइ , हायययी मेरि चूत मज्ज्जा देगिइिईईईई हायययी सीईईईई

शहनाज पूरी ताक़त से शादाब का मूह चूमने लगी और शादाब ने अपने लंड को बाहर निकाला और फिर से पूरी ताक़त से घुसा दिया अपनी माँ की चूत मे तो शहनाज की गीली हो चुकी चूत मे लंड एकदम से घुस गया और सीधे बच्चेदानी से जा टकराया तो शहनाज मस्ती भरे दर्द से कराह उठी
 
" आह शादाब, उफ्फ दर्द होता है, उफ्फ मेरी बच्चेदानी में घुस रहा है ये लोल्ला

शादाब के लंड में भी उबाल आने लगा और अब बिजली की रफ़्तार से धक्के लगाने लगा तो शहनाज का पूरा जिस्म बेड पर हिलने लगा और शहनाज की पायल और चूड़ियो की आवाज़ ज़ोर ज़ोर से गूँज उठी और उसने शादाब को पूरी ताक़त से कस लिया.

शादाब ने एक आख़िरी धक्का पूरी ताक़त से मारा और पूरा लंड शहनाज की चूत मे जड़ तक घुस गया, शहनाज को लगा जैसे उसकी
बच्चे दानी उलट जाएगी इसलिए वो मस्ती भरे दर्द से सिसक उठी..

" आहह सीईईई मरररर दिया मुझी, फटत्त गाइ मेरि चूत,

इस धक्के के साथ ही शहनाज की कई चूड़िया टूट गयी और उसकी गान्ड बेड में धस सी गयी, शादाब ने शहनाज को पूरी ताक़त से जकड
लिया और उसकी चूत मे वीर्य की बौछार करने लगा.. दोनो माँ बेटे एक दूसरे से पूरी तरह से चिपके हुए थे और पसीने पसीने हो रहे थे।

शहनाज़ शादाब के नीचे पूरी तरह से दबी हुई पड़ी थी और शादाब ने उसे पूरी तरह से कस रखा था तो शहनाज़ के हाथ भी पूरी ताकत से शादाब की कमर पर कसे हुए थे। लंड से निकलती हुई वीर्य की पिचकारियां शहनाज़ की चूत में एक अजीब सी ठंडक प्रदान कर रही मानो तपते हुए रेगिस्तान को ठंडे पानी की बरसात मिल रही हो।

जब तक लंड से वीर्य की पिचकारी निकलती रही तब तक शादाब का वजन शहनाज़ को अच्छा लगा रहा था लेकिन जैसे ही लंड ने बरसना बंद किया तो शहनाज़ को वजन लगने लगा और वो कसमसाने लगी।

शहनाज़:" आह शादाब उफ्फ कितना वजन हैं तेरे अंदर, उतर जा बेटा मेरे उपर से अब

शादाब शहनाज़ की आंखो में देखते हुए:" थोड़ी देर पहले तो आपको वजन नहीं लग रहा था अम्मी, अब क्या हो गया ?

शहनाज़ शर्म से लाल हो गई और निगाहें नीची करके बोली:"

" जब मस्ती चढ़ती हैं तो वजन नहीं लगता मेरे राजा बेटा

शादाब शहनाज़ की बात सुनकर मस्त हो गया और उसके ऊपर से उतर गया। अब शहनाज़ और शादाब दोनो बगल में लेते हुए थे और एक दूसरे की तरफ देख रहे थे तो शहनाज़ ने आगे बढ़कर उसका मुंह चूम लिया और बोली:"

"शुक्रिया बेटा, सच में तू मुझसे बहुत प्यार करता हैं। आई लव यू शादाब

शादाब ने शहनाज़ का चेहरा अपने दोनो हाथों में थाम लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" लव यू टू मेरी शहनाज़, एक बात पूछूं आप इतनी जोर जोर से क्यों आवाज निकाल रही थी?

शहनाज़ की आंखे शर्म से झुक गई और बस होंठो पर हल्की सी स्माइल अा गई तो शादाब ने फिर से पूछा:"

" बताओ ना अम्मी प्लीज़ मुझे
 
शहनाज़ शरमाते हुए:"

" उफ्फ बेटा तू इतनी जोर जोर से कर रहा था कि मेरे मुंह से अपने आप ही वो सब आवाजे निकल रही थीं।

शादाब:' अम्मी आपको अच्छा तेज तेज ?

शाहनाज:" आह शादाब, बहुत ज्यादा अच्छा लगा, लेकिन धीरे धीरे भी ठीक था, लेकिन इस बार तो तूने मेरी हालत ही खराब कर दी मेरे राजा !!

शादाब शहनाज़ के होंठ चूम कर बोला:" अम्मी अभी तो सिर्फ शुरुवात हैं, आपका बेटा आपको हर वो खुशी देगा जो हर किसी लड़की को नहीं मिलती बस सपने देखती हैं उसके।

शहनाज़ शादाब से कसकर लिपट गई,। शहनाज़ की चूत में अभी भी हल्का हल्का मीठा मीठा दर्द हो रहा था क्योंकि शादाब ने उसकी चूत की को इस बार की चुदाई में थोड़ा तेज करके चोद दिया था। शहनाज़ तो जैसे एक चुदाई से बेहाल सी हो गईं थीं, शादाब ने उसकी चूत कि एक एक नस मटका दी थी।

दोनो मा बेटे ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहे और दोनो एक दूसरे की बाहों में सो गए। अगले दिन कोई सुबह नौ बजे के आस पास दोनो की आंखे एक साथ शादाब का फोन बजने से खुली तो शादाब ने देखा कि दादाजी का फोन था तो उसने उठाया और बोला:"

" सलाम दादा जी कैसे हैं आप ?

दादा:" सलाम बेटा, ठीक हैं मैं, काफी दिनों से तेरा फोन नहीं आया था इसलिए सोचा बात कर लू, घर की बहुत याद अा रही हैं।

शादाब:" बस दादा जी घर के काम में लगा रहा और पढ़ाई भी थोड़ी करता रहा।

दादा जी:" अच्छा बेटा ये बताओ शहनाज़ कैसी हैं ?

शादाब का फोन लाउड स्पीकर पर था इसलिए शादाब ने शहनाज़ की तरफ देखा तो दोनो मुस्कुरा दिए और शादाब बोला:"

" जी दादा जी शहनाज़ बिल्कुल ठीक हैं

दादाजी:" अबे शहनाज़ वो मेरे लिए हैं बेटा तेरे लिए अम्मी हैं, ऐसे नाम नहीं लेते अपनी मा का मेरे अच्छे बेटे।

शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ। दर असल वो शहनाज़ को अब अपनी बीवी समझ रहा था इसलिए उससे ये गलती हो गई। शहनाज़ अपने ससुर की बात सुनकर हल्के हल्के मुस्कराने लगी और शादाब को जीभ निकाल कर चिढाने लगी।
 
शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ। दर असल वो शहनाज़ को अब अपनी बीवी समझ रहा था इसलिए उससे ये गलती हो गई। शहनाज़ अपने ससुर की बात सुनकर हल्के हल्के मुस्कराने लगी और शादाब को जीभ निकाल कर चिढाने लगी।

शादाब:" माफ करना दादा जी आपके मुंह से नाम सुनकर मुझसे गलती हो गई, आगे से ध्यान रखूंगा मैं।

दादा जी:" कोई बात नहीं बेटा, आगे से ध्यान रखना, चल मेरी बात करा करा शहनाज़ से तू

अपने दादा जी की बात सुनकर शादाब ने फोन शहनाज की तरफ कर दिया तो शहनाज़ बोली:"

" सलाम अब्बा जी, कैसे हैं आप ?

दादाजी:" सलाम बेटी ठीक हूं, शादाब परेशान तो नहीं करता है ना तुझे ?

शहनाज़ शादाब का गाल चूम कर बोली:"

" बिल्कुल नहीं अब्बा, शादाब तो दुनिया का सबसे अच्छा और प्यारा बेटा हैं, मुझे बहुत खुश रखता हैं।

दादाजी:" चलो अच्छा हैं बेटी, अच्छा मेरा अब घर आने का मन हैं क्योंकि दो दिन बाद शादाब भी वापिस चला जाएगा इसलिए सोच रहा था कि कुछ टाइम इसके साथ बिता लूंगा। तुम इसको भेज दो मुझे ले जाएगा ये आकर।

शहनाज़ शादाब के वापिस जाने और दादाजी के घर आने की बात से अंदर ही अंदर बहुत दुखी हुई लेकिन दिखावे के लिए बोली:"

" जी मैं आज ही शादाब को भेज देती हूं। वो आपको ले आएगा।

दादाजी:" अच्छा ठीक है बेटी, मैं इंतजार करूंगा उसका।

इतना कहकर दादा जी ने कॉल काट दिया तो शहनाज़ ने शादाब की तरफ देखा तो मायूस हो गई क्योंकि एक तो दो दिन बाद शादाब को वापिस जाना था दूसरी बात आज दादा दादी भी वापिस अा रहे थे जिससे उनकी आजादी खत्म होने वाली थी। शहनाज़ की आंखो में आंसू अा गए और उसने जोर से शादाब को अपनी बांहों में कस लिया और सिसक उठी।

शादाब:" अम्मी मुझे पता हैं आप मेरे जाने से दुखी हो, अरे मै आपके बिना नहीं रह सकता अब, आप फिक्र ना करे मैं देखता हूं कुछ तरीका जल्दी ही।

शहनाज़ उससे जोर से लिपटते हुए बोली:"

" शादाब मुझे तुझ पर पूरा यकीन हैं बेटा, अच्छा चल मुझे उठने दे, नहा लेती हूं मैं।

इतना कहकर शहनाज़ उठ गई और बाथरूम की तरफ जाने लगी तो उसे अपनी जांघो के बीच में दर्द का एहसास हुआ क्योंकि उसकी चूत सूज गई थी और चलने से चूत जांघो से टकरा रही थी जिससे शहनाज़ को दर्द महसूस हो रहा था। शादाब के होंठो पर ये देखकर हंसी अा गई और बोला:"

" क्या हुआ अम्मी? ऐसे क्यों चल रही है आप ?

शहनाज़ को अपने बेटे की हरकत पर बहुत गुस्सा आया और बोली:'

" उफ्फ कमीने पहले मेरी हालत खराब कर दी और अब मजे ले रहा हैं रुक तुझे अभी मजा चखाती हूं।

इतना कहकर वो शादाब को पकड़ने के लिए उसकी तरफ बढ़ी लेकिन तेजी से नहीं चल पा रही थी तो शादाब को नहीं पकड़ पाई और जान बूझकर ड्रामा करते हुए गिर गई और दर्द से कराह उठी

" आह्हज उफ्फ

शादाब अपनी अम्मी को दर्द में देख कर दौड़ता हुआ आया और शहनाज़ ने मौके का फायदा उठाते हुए उसे पकड़ लिया।

उसके कान खींचती हुई बोली:'

" बहुत मजाक उड़ा रहा था मेरा, एक तो मेरी ये हालत कर दी और उपर से हंस रहा है!!

इतना कहकर शहनाज़ ने शादाब का कान थोड़ा जोर से खींच दिया तो शादाब दर्द से कराह उठा और शहनाज़ की एक चूची को जोर से दबा दिया तो शहनाज़ ने मजे से सिसकते हुए अपने आप उसका कान छोड़ दिया और बोली:"

"आह्हहह हट जा बेटा, देख पूरी लाल हो गई है, उफ्फ और कितना दबायेगा।

शादाब ने देखा कि शहनाज़ की चूचियों पर दबाए और काटे जाने से लाल निशान पड़ गए थे तो शादाब ने चूचियों पर प्यार से हाथ फेर दिया तो इस एहसास से शहनाज़ मस्त हो गई और अपने दोनो हाथ शादाब के गले में डाल दिए और बोली:"

" चल अब मुझे बाथरूम तक छोड़ के अा मेरे राजा,
 
शादाब ने उसे अपनी बांहों में उठा लिया और दोनो मा बेटे एक दूसरे की आंखो में देखते हुए बाथरूम की तरफ चल पड़े। दोनो पूरी तरह से खो गए थे इसलिए कब वो गेट पर पहुंचे और अंदर घुस गए पता ही नहीं चला। शादाब ने हल्का सा धक्का देकर गेट को बंद कर दिया तो गेट की आवाज सुनकर जैसे शहनाज़ होश में आई और बोली:'

" थैंक यू बेटा, अब तुम जाओ मैं नहा लेती हूं।

इतना कहकर वो शादाब की गोद से उतर गई वो शादाब को बाहर की तरफ जाने का इशारा किया तो शादाब ने मुस्कुराते हुए शॉवर चालू कर दिया और पानी उन दोनों के नंगे जिस्म पर बरसने लगा। ठंडा ठंडा पानी जैसे ही शहनाज़ के जिस्म पर पड़ा तो वो कांपती हुई शादाब से लिपट गई तो शादाब ने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया। शादाब ने हाथ आगे बढाया और गीजर चालू कर दिया और शहनाज़ की कमर पर हाथ फेरने लगा।

शादाब की उंगलियां शहनाज़ की कमर पर एक बार फिर से अपना जादू दिखाने लगी और शहनाज़ का जिस्म सुलगने लगा। शॉवर से निकली पानी की बूंदे अब भी उनके जिस्म पर पड़ रही थी। शहनाज़ ने एक बार शादाब की आंखो में देखा और उसके होंठ अपने आप आगे बढ़ गए और शादाब के होंठो से मिल गए। उफ्फ दोनो मा बेटे फिर से एक दूसरे के होंठ चूसने लगे। शहनाज़ के हाथ उसकी गर्दन में कस गए और शादाब का लंड एक बार फिर से सिर उठाने लगा और शाहनाज की जांघो में टक्कर मारने लगा।

शहनाज़ की हालत फिर से खराब होने लगी और उसकी जीभ अपने आप शादाब के मुंह में घुस गई तो तो शादाब पूरे जोश में अपनी अम्मी की जीभ चूसने लगा। बाथ टब में पानी भर चुका था इसलिए शादाब शहनाज को लेकर बाथ टब में उतर गया। हल्का गुनगुना पानी दोनों के जिस्मों को राहत प्रदान करने लगा। शादाब ने शहनाज़ को लिटा दिया और उसके बदन को साबुन से साफ करने लगा। जैसे ही शादाब के हाथ शहनाज़ की चूचियों से गुजरते तो शहनाज़ कांप उठती और मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल पड़ती। शादाब ने प्यार से उसकी चूचियों के निप्पल को हाथ से सहलाया और हल्का सा रगड़ते हुए साफ किया तो शहनाज़ का बदन एक शोल की तरह जल उठा और उसने जोश में शादाब का सिर अपनी चूचियों पर झुका दिया तो शादाब ने उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर लिया तो शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल गया और वो सिसकते हुए बोली:"

" अहहह शादाब एसईईईई उफ्फ मेरा बेटा, उफ्फ चूस मेरे राजा,

शादाब ने शहनाज़ के निप्पल को चूसते चूसते हल्का हल्का काट दिया तो शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसका एक हाथ अपने आप शादाब के लंड पर पहुंच गया और मुट्ठी में भर कर दबाने लगी। लंड बिलकुल सख्त हो गया था और झटके मार रहा था। लंड पर शहनाज़ के हाथ पड़ते ही शादाब ने शहनाज़ की दूसरी चूची को हथेली में भर कर जोर से दबा दिया तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने खुद ही अपने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर टिका दिया और जोर से सिसक उठी। शहनाज़ की चूत पूरी तरह से पानी के अंदर थी लेकिन एकदम गर्म हो गई थी और उसमें से आग की लपटे सी निकल रही थी। शादाब ने कसकर उसकी चूत को दबा दिया तो शहनाज़ ने शादाब की जीभ को पकड़ कर जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया। शादाब ने एक उंगली शहनाज़ की चूत में घुसा दी तो शहनाज़ तड़प उठी और किस अपने आप टूट गई और बोली:"

" आहहझ बेटा, दुखती हैं मेरी, उफ्फ मा री, हाय शादाब।

शहनाज़ की चूत आखिरी बार हुई दमदार चुदाई में पूरी तरह से रगड़ी गई थी जिससे चूत के होंठ और अंदर की दीवारें सूज गई थी और हल्का सा छूने से ही शहनाज़
को दर्द का एहसास हो रहा था।

शादाब ने उसका दर्द समझते हुए उंगली को बाहर निकाल लिया तो शहनाज़ ने शिकायती नजरो से उसकी तरफ देखा और बोली:"

" आह शादाब, बाहर निकालने के लिए तो मैंने नहीं कहा था मेरे राजा, आहहह मा उफ्फ

शादाब ने एक झटके के साथ अपनी दो उंगलियां शहनाज़ की चूत में घुसा दी तो शहनाज़ दर्द और मस्ती से कराह उठी और अपनी टांगो को जोर से कस लिया और बोली:"

" आह क्या करता हैं कमीने, मर जाएगी तेरी शहनाज़, उफ्फ शादाब आह्ह्हह्ह

शादाब अपनी उंगलियां धीरे से अन्दर बाहर करते हुए:'

" आहओह अम्मी, उफ्फ कितनी टाइट हो गई है ये चूत, उफ्फ उंगलियां कैसे फस कर घुस रही है

शहनाज़ की चूत के होंठ सूज कर मोटे हो गए थे और पूरी तरह से एक दूसरे से चिपके हुए थे इसलिए चूत पहले से ज्यादा टाईट हो गई थी। चूत के होंठ पर रगड़ती हुई शादाब की उंगलियां शहनाज़ को जन्नत दिखा रही थी लेकिन दर्द हो रहा था मीठा मीठा। शादाब का लंड पर पूरी तरह से तैयार हो गया था इसलिए शहनाज़ ने लंड को छोड़ दिया और शादाब की तरफ देखा तो शादाब ने एक झटके के साथ शहनाज़ को घुमा दिया और अपनी गोद में ले लिया। अब शहनाज़ की पीठ शादाब की छाती से लगी हुई थी और शादाब ने अपने दोनो हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली तो शहनाज़ हल्का सा उपर को हुई और लंड अपने आप उसकी चूत पर जा लगा तो दोनो मा बेटे मस्ती भर गए।

शहनाज़ हलका सा आगे पीछे होने लगी जिससे चूत लंड पर रगड़ खाने लगी और शादाब लंड को चूत में घुसाने के लिए तड़प उठा लेकिन जैसे ही लंड चूत पर दबाव डालता तो शहनाज़ को दर्द का एहसास होता और आगे को हो जाती जिससे चूत लंड पर से हट जाती, शादाब तड़प उठा और बोला:'
" आह्हझ शहनाज़, क्यों तड़पा रही हो, लोला लेलो मा अपनी चूत में उफ्फ

शहनाज़ मस्ती से सिसकते हुए:"

" आहओह उफ्फ दर्द होता है, कितना मोटा है तेरा लोला, उफ्फ मेरी चूत सूज गई है शादाब,

शादाब समझ गया कि शहनाज़ डर गई है इसलिए उसने दोनो हाथो से शहनाज़ की चूचियों को छोड़कर उसकी जांघो को थाम लिया तो शहनाज़ का पूरा बदन कांप उठा और उसने एक बार गर्दन उठा कर शादाब की तरफ देखा और बोली:'

" आह शादाब प्यार से करना मेरे राजा, नहीं तो मर जाएगी तेरी अम्मी

शहनाज़ शादाब की आंखो में देख रही थी और खुद ही अपनी चूत का मुंह खोल दिया तो शादाब ने लंड का मोटा सुपाड़ा चूत पर टिका दिया तो शहनाज़ तड़प उठी और शादाब के दोनो हाथ अपनी चुचियों पर टिका दिए तो शादाब ने लंड का दबाव बढ़ाया और सुपाड़ा चूत के अंदर दाखिल हो गया तो शहनाज़ का मुंह दर्द और मस्ती से खुल गया।

" आह ओह उफ्फ शादाब, हाय मेरे राजा, मेरी जान हैं तू,
 
शादाब ने लंड का दबाव बढ़ाया तो लंड चूत की दीवारों को बुरी तरह से रगड़ते हुए अंदर घुसने लगा और शादाब से ये एहसास बर्दाश्त नही हुआ और उसने एक तेज झटके में लंड पुरा शाहनाज की चूत ने उतार दिया। लंड घुसते ही शहनाज़ दर्द से कराह उठी और शादाब से लिपट गई।

" आहआह उफ्फ मार दिया मुझे, उफ्फ ज़ालिम हाय मा बचा ले मुझे उफ्फ कमीना, प्यार से कर शादाब बेटा

शादाब ने अपने कान पकड़ लिए तो शहनाज़ दर्द में भी मुस्करा उठी और शादाब ने धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती और दर्द भरी सिसकारियां निकलने लगी।

" आह शादाब, उफ्फ कितना अच्छा लग रहा हैं बेटे, ऐसे ही प्यार से करता रह

शादाब आराम से ऐसे ही धक्के लगाता रहा और शहनाज़ की दोनो चूचियों को दबाता रहा, लंड के साथ साथ चूत में हल्का हल्का गुनगुना पानी घुस रहा था जिससे शहनाज़ का मजा दोगुना हो रहा था और उसने खुद ही अपनी गांड़ को हिलाना शुरू कर दिया।

शादाब का हाथ हल्का सा फिसला तो वो पानी में लेट गया तो शहनाज़ अपने आप ही उसके उपर अा गई। अब दोनो मा बेटे एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे और शहनाज़ अपने आप लंड पर अपनी चूत चलाने लगी

शहनाज़ को ये बहुत पसंद आया क्योंकि वो अपनी मर्जी से लंड घुसा रही थी और चुदाई पूरी तरह से उसके कंट्रोल में थी, इसलिए वो आराम से धक्के मार रही थी जिससे दोनो मस्ती में डूबे हुए थे। शहनाज़ जैसे ही उपर को उछलती तो नीचे से शादाब हल्का सा धक्का लगा देता जिससे लंड पूरी तरह से घुस जाता। पानी की छप छप की आवाज गूंज रही थी जो माहौल को और गर्म बना रही थी। शहनाज़ की चूत पूरी तरह से पानी पानी हो रही थी और शहनाज़ ने शादाब को चिढाने के लिए लंड को बस सुपाड़े तक ही घुसाती और बाहर निकाल लेती, शादाब लंड को पूरा अंदर घुसाना चाह रहा था जबकि शहनाज़ उसे तड़पा रही थी और जीभ निकाल कर उसे चिढ़ा रही थी। शादाब ने एक झटके के साथ पलटी मारी और अब शहनाज़ उसके नीचे थी, शादाब ने उसकी दोनो चूचियों को जोर जोर से मसलते हुए लंड का एक जोरदार धक्का लगाया और पूरा अन्दर घुसा दिया तो शहनाज़ दर्द से कराह उठी और शादाब ने बिना रुके तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए तो शहनाज के मुंह से दर्द भरी आह निकलने लगी

" आह शादाब, उफ्फ नहीं बेटा, आह उफ्फ मेरी चूत मर जाएगी, प्यार से ज़ालिम

शादाब ने शहनाज़ की परवाह ना करते हुए तेजी से लंड को बाहर निकाल और पूरी ताकत से फिर से घुसा दिया तो शहनाज़ शादाब से जोर से कस कर लिपट गई

" आह तेरी मा की चूत शादाब, आह मार दिया मुझे।

शादाब बिना शहनाज़ के दर्द की परवाह किए हुए तेज तेज धक्के लगाने लगा और शहनाज़ हर धक्के पर जोर जोर से उछल रही थी, मचल रही थी, सिसक रही थी, बाथ टब में पानी उछल उछल कर बाहर निकल रहा था जिससे शादाब को और जोश अा रहा था और शहनाज़ की चूत ज्यादा देर तक धक्के नहीं झेल पाई और वो जोर से सिसकते हुए झड़ गई और शादाब को कस लिया तो शादाब के लंड में भी उफान आने लगा और उसने पूरी ताकत से कुछ धक्के लगाए तो शहनाज़ को उसकी सांसे रुकती हुई सी महसूस हुई और शादाब ने आखिरी जोरदार धक्का लगाया और लंड को जड़ तक अपनी मा की चूत में घुसा दिया और जोर से शहनाज़ से चिपक गया।

" आह शहनाज़ तेरी चूत, उफ्फ चूस गई मेरी लोला!!

शादाब ऐसे ही शहनाज़ के उपर पड़ा रहा और थोड़ी देर बाद जब जब दोनो नॉर्मल हो गए तो दोनो ने एक दूसरे को अच्छे से प्यार से नहलाया और फिर शादाब शहनाज़ को नंगी ही अपनी बांहों में लेकर कमरे में आ गया।

शहनाज ने एक सूट सलवार पहन लिया और किचेन में कुछ खाने के लिए तैयार करने चली गई तो शादाब भी तैयार हो गया और शहनाज़ तब तक नाश्ता तैयार कर चुकी थी इसलिए शादाब शहनाज़ को गोद में बैठ गया और प्यार से बोला:"

" मेरी प्यारी अम्मी अब खिलाओ अपने हाथ से खाना अपने बेटे को

शहनाज शरमाते हुए बोली:"

" उफ्फ अब तू मेरा बेटा नहीं शौहर बन गया हैं मेरे राजा

शहनाज़ ने खाने का निवाला बनाया और उसके मुंह में डाल दिया तो दोनो एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाने लगे और जल्दी ही दोनो मा बेटे नाश्ता कर चुके तो शहनाज़ ने शादाब का गाल चूम लिया और बोली:"

" बेटा अब तू अपने दादा जी को लेने चला जाएगा तो मेरा मन भी नहीं लगेगा घर में शादाब।

शादाब:" अम्मी मैं जल्दी ही अा जाऊंगा क्योंकि आपके चांद से सुंदर चेहरे को देखे बिना अब मुझे भी सुकून नहीं मिलता।

इतना कहकर शादाब ने शहनाज़ के गाल चूम लिए तो शहनाज़ उससे लिपट और बोली:"

" बेटा वहां वो कमीनी रेशमा भी तो हैं, उससे बच कर रहना तुम कहीं तुम अपना वादा ना निभाने लग जाओ।

इतना कहकर शहनाज़ पूरी तरह से उदास हो गई और आंखे नम हो उठी । शादाब के होंठो पर स्माइल अा गई और बोला:"

" अम्मी आपको अपने पति ना सही लेकिन अपने बेटे पर तो यकीन होना चाहिए। आप मेरे साथ चलो थोड़ी ही देर की तो बात हैं शहनाज़।

शहनाज़:" नहीं बेटा मेरा जाना ठीक नहीं होगा, तू उस कमीनी रेशमा को नहीं जानता, मेरी हालत देखकर एक दम समझ जायेगी कि दाल में जरूर कुछ काला हैं।

शादाब:" ठीक हैं अम्मी, फिर मैं चलता हूं, आप अपना ध्यान रखना, अब मैं यू तूफान की तरह उड़ता हुआ जाऊंगा और आंधी की तरह वापिस अा जाऊंगा। अब जल्दी से अच्छी बीवी की तरह किस देकर विदा करों
 
शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और आगे बढ़ कर अपने होंठ शादाब के होंठो पर रख दिए और चूसने लगी। शादाब भी उसके होंठो को चूसने लगा तो दोनो की आंखे मस्ती से बंद हो गई। एक लंबे किस के बाद दोनो के होठ अलग हुए तो शादाब के होंठो पर शहनाज़ की लिपस्टिक लग गई थी जिसे देखकर शहनाज़ मुस्कुरा उठी तो शादाब भी मुस्करा दिए और गाड़ी की तरफ जाने लगा तो शहनाज़ ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और बोली:" उफ्फ राजा ऐसे जाओगे क्या ? लो शीशे में अपना मुंह देखो

शादाब ने अपना मुंह शीशे में देखा तो स्माइल कर उठा और शहनाज़ ने अपने दुप्पटे के पल्ले को थूक से गीला किया और शादाब का चेहरा साफ करने लगी तो शादाब शादाब बोला:"

" शहनाज़ मा के आंचल का कपड़ा अब दुल्हन का दुपट्टा बन गया है!!

शहनाज मुस्करा उठी और शादाब गाड़ी लेकर आगे निकल गया तो शहनाज़ जोर से बोली:"

" शादाब धीरे चलाना गाड़ी बेटा, आराम से आना, जल्दी मत करना कोई भी।

शादाब उसे स्माइल देकर चला गया और शहनाज़ ने अपने सास ससुर के लिए उनकी पसंद की चीजे बनाने के लिए तैयारी शुरू कर दी। उधर शादाब रेशमा के घर पहुंच गया तो दादा दादी जी उसे देखते ही खिल उठे।

दादा:' अा गया मेरा पोता, कितने दिनों के बाद देखा हैं तुझे

शादाब अपने दादा जी के गले लग गया और दादा जी एक दम भावुक हो उठे। काफी देर तक दोनो दादा पोते एक दूसरे के गले लगे रहे तो दादी बोली:"

" शादाब बेटा बस दादा जी को ये प्यार करेगा क्या खाली?

शादाब को जैसे होश आया और वो अपनी दादी को गले लगाया तो दादी भी खुश हो गई।

तब तक रेशमा भी उपर से अा गई और बोली:"

" अा गया शादाब मेरा बेटा, बस दादा दादी को ही प्यार करेगा क्या तू, तेरी बुआ नहीं दिखती क्या तुझे मेरे बच्चे ?

दादाजी:" ओह शादाब बेटा रेशमा ने हमारा बहुत ध्यान रखा है, बेटा इसने तो दिन रात हम दोनों की खिदमत करी हैं।

रेशमा स्माइल करते हुए:"

" देखा शादाब जिस तरह से अब्बा बोल रहे हैं उसको ध्यान में रखते हुए तुम्हे मुझे बहुत प्यार करना चाहिए।

दादी:" करेगा क्यों नहीं, मेरा पिता जानता हैं कि बेटी उसकी और तुम्हारी रगों में एक ही खून दौड़ रहा हैं।

अपने खून की बात सुनकर शादाब को जोश अा गया और वो रेशमा को अपनी बांहों में लेने के लिए आगे बढ़ा तो रेशमा बोली:"

" रुक जा शादाब , देख मैं अभी पसीने से भीगी हुई थी बेटा, आजा चल मेरे साथ उपर चल, पहले नहाऊंगी उसके बाद प्यार प्यार कर लेना मुझे।

सभी रेशमा की बात सुनकर हंस पड़े और रेशमा उपर चली गई और दादा दादी जी शादाब से बात करने लगे।

दादा:" बेटा रेशमा तो मुझे अभी भी घर जाने से मना कर रही थी, कितना ध्यान रखा इसने हमारा।

दादी:" हान बेटा, खाने के लिए दो दो सब्जियां, घी, बिल्कुल साफ प्रेस किए हुए कपडे।

दादा:" एक बार मेरे सिर में हल्का सा दर्द हुआ तक बेचारी पूरी रात ठीक से सो नहीं पाई और मेरा सिर दबाया और ध्यान रखा।

शादाब मन ही मन खुश हो रहा था कि चलो उसकी वजह से दादा दादी की रेशमा से खूब अच्छे से सेवा की हैं। शादाब को अपनी मां की याद आई तो उसने शहनाज़ को कॉल किया

शादाब:" हान अम्मी मैं अा गया हूं दादा जी के पास, बस थोड़ी देर बाद खाना खाकर निकल जाएंगे।

शहनाज़:" ठीक हैं बेटा, आराम से आना और हान उस रेशमा से दूर ही रहना मेरी जान।

शादाब:" जी अम्मी आप फिक्र ना करे, मैं ध्यान रखूंगा।

शहनाज़ उसे छेड़ते हुए:" एक बार मुझे शहनाज़ बोल ना मेरे राजा, तेरे मुंह से अच्छा लगता हैं।

शादाब की नजर सामने बैठे दादा दादी पर पड़ी तो वो बोला:"

" हान अम्मी दादा दादी बिल्कुल ठीक हैं और मेरे पास ही है।

शहनाज़ समझ गई कि शादाब दादा दादी के पास ही बैठा हुआ हैं इसलिए मस्ती करते हुए बोली:

" हाय मेरी जान, बोल देना एक बार मुझे शहनाज़,

शादाब बात को घुमाते हुए:"

" हान अम्मी मैं सब समझ गया हूं आप फिक्र ना करे।

शहनाज़:" उफ्फ बात मत घुमा ध्यान से बात सुन, अगर इतना डरता हैं तो फिर अपनी मा को कैसे भगा पाएगा तू राजा ?

शादाब:" अम्मी हान मैं सुन रहा हूं आप बोलिए।

शहनाज़:" उफ्फ मेरा ये शौहर कितना डरपोक हैं, अच्छा सुन अगर तू आज मुझे शहनाज़ बोल देगा तो मैं तेरा मूसल खुद अपने हाथ से अपनी औखली में घुसा लूंगी मेरे राजा।

शादाब से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने फोन को म्यूट कर दिया और हेल्लो हेल्लो करने लगा और बोला:"

" उफ्फ अंदर नेटवर्क ठीक नहीं अा रहे हैं, आवाज नहीं अा रही है

इतना कहकर वो बाहर निकल गया और बोला:"

" शहनाज़ मैं आपकी बात समझ गया हूं ठीक हैं अब।
 
इतना कहकर शादाब ने फोन काट दिया और घर के अंदर घुस गया और शहनाज़ को मेसेज किया कि अब वो दादा दादी जी की गाली खा रहा हैं तो ये पढ़कर शहनाज़ मुस्करा उठी और लिखा:"
"कोई बात नहीं बेटा, शाम को तुझे दूध पिलाऊंगी, बस अब खुश

तभी उपर से रेशमा की आवाज अाई कि शादाब अा जाओ नाश्ता कर लो बेटा।

शादाब:" आओ दादा दादी आप भी चलो मेरे साथ ।

दादा:" नहीं बेटा तुम जाओ, हमने तो कर लिया। फिर थोड़ी देर बाद घर जाना हैं इसलिए नीचे उतरना पड़ेगा। तुम जाओ

शादाब के मन में हजारों सवाल उठ रहे थे कि वो रेशमा का सामना कैसे करेगा। आखिरकार वो डरते हुए उपर पहुंच गया और देखा और जैसे ही रेशमा को देखा तो अपने होश ही खो बैठा।

शहनाज़ ने एक गुलाबी रंग की शॉर्ट ड्रेस पहन रखी थी जिसमे कंधो पर सिर्फ हल्की सी तनिया थी और उसकी चुचियों की गहराई साफ नजर आ रही थी। शादाब एक जवान लड़का था इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी नजरे रेशमा की चुचियों पर पड़ रही थी जिससे रेशमा अंदर ही अंदर खुश हो रही थी।

रेशमा उठी और शादाब की तरफ झुकते हुए उसकी तरफ दूध का ग्लास बढ़ा दिया और बोली:"

" लो दूध पियो शादाब

शहनाज़ के झुकने से उसकी चूचियां बाहर की तरफ उछल पड़ी तो एक पल के लिए तो शादाब को समझ ही नहीं आया कि कौन सा दूध पिए। फिर अपने आपको संभालते हुए दूध का ग्लास पकड़ लिया और दूध पीने लगा। बीच बीच में उसकी नजर रेशमा की चूचियों पर पड़ रही थी और जैसे ही रेशमा की नजर उससे मिलती तो डर के मारे अपनी नजरे झुका लेता। जल्दी ही शादाब ने नाश्ता खत्म कर दिया तो रेशमा ने ग्लास और सामान की प्लेट उठाई और किचेन में रखने चली गई और बिजली की गति से वापिस अा गई। वो शादाब के सामने खड़ी हो गई और बोली:"

" ले शादाब कर ले अपनी बुआ को प्यार जितना तेरा मन करे

इतना कहकर उसने अपने दोनो हाथ शादाब की तरफ बढ़ा दिए तो शादाब दिखावे के लिए आगे बढ़ा और रेशमा को अपने गले लगा लिया। ये पूरी तरह से एक पाकीजा मिलन था। हवस या उत्तेजना का नामो निशान नहीं था शादाब की तरफ से लेकिन रेशमा के इरादे तो कुछ और ही थे। क्या ने शादाब की कमर को सहलाना शुरू किया तो शादाब उसका मतलब समझते हुए थोड़ा सा पीछे हटने लगा तो रेशमा बोली:"

" क्या हुआ शादाब बेटा मुझसे कोई गलती हुई क्या ?

शादाब कुछ नहीं बोला और किसी गुनाहगार की तरह सिर झुका कर खड़ा हो गया। रेशमा आगे बढ़ी और एक झटके के साथ उसका चेहरा उपर उठाया और बोली:"

" शादाब मैने तेरी हर एक बात मानी हैं और अम्मी अब्बू का बहुत ध्यान रखा है बेटा। शुरू में तो मैंने ये सब तुझे फसाने के लिए किया था लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि मा बाप की सेवा से बड़ा कोई पुण्य नहीं है दुनिया में बेटा।

शादाब मेरी तेरे फूफा ने कोई कद्र नहीं करी, बच्चे हॉस्टल भेज दिए और खुद हफ्ते हफ्ते बाद घर आता हैं

इतना कहकर रेशम ने अपना हाथ नीचे लाते हुए शादाब की पेंट पर रख दिया और बोली:"

" शादाब मुझे ये चाहिए बेटा। बहुत प्यासी हैं तेरी बुआ

रेशमा ने शादाब को कस लिया और उसके होंठो पर अपने होठ टिका हुआ और चूसने लगी तो शादाब पीछे हटने लगा तो रेशमा ने एक झटके के साथ उसे बेड पर गिरा दिया और उसके ऊपर लेट गई। रेशमा अब शादाब के होंठ चूस रही थी और अपनी चूत उसके मुरझाए हुए लंड पर घिस रही थीं। शादाब किस में बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रहा था, रेशमा ने शादाब के पेट में गुलगुली करी तो शादाब का मुंह खुल गया और रेशमा की जीभ उसके मुंह में घुस गई और शादाब भी बहक गया क्योंकि रेशमा उसकी जीभ चूसने लगी थी। पहली बार शादाब के हाथ रेशमा की कमर पर कस गए और रेशमा ने जोश में आते हुए शादाब के लंड को पेंट के उपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगीं।
 
शादाब को बहुत अच्छा लगा रहा था और रेशमा ने जान बूझकर अपने कंधे से एक तनी को सरका दिया जिससे उसकी एक चूची नंगी हो गई। जैसे ही किस खत्म हुई तो शादाब को रेशमा की चूची नजर आईं और उधर रेशमा मौके का फायदा उठाकर उसकी पेंट खोलकर नीचे सरका चुकी थीं। शादाब को ये एहसास तब हुआ जब रेशमा ने उसके लंड को हाथ में पकड़ लिया और सहलाने लगी। वासना शादाब के उपर हावी होने लगी और उसने रेशमा की चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा तो रेशमा मस्ती से भर उठी और बोली:"

" आह शादाब, थोड़ा जोर दबा ना मेरी चूची, बहुत तड़पाया है तूने मुझे

शादाब जोर जोर से रेशमा की चूची दबाने लगा। रेशमा की चूची में कसाव तो था लेकिन शहनाज़ के मुकाबले बिल्कुल लटकी हुई थी लेकिन आकार ठीक ठाक था।

रेशमा नीचे झुकते हुए शादाब की टांगो के बीच अा गई और उसके लंड के सुपाड़े को एक झटके के साथ मुंह में भर लिया और चूसने लगी। शादाब के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

" आह बुआ, उफ्फ मेरी बुआ, उफ्फ कितनी अच्छी हो तुम

शादाब का लंड पहली बार कोई चूस रही थी जिससे शादाब को बहुत मज़ा अा रहा था और उसने एक तेज झटका मारा और आधा लंड रेशमा के मुंह में घुसा दिया। रेशमा का मुंह पूरी तरह से भर गया और वो लंड को जोर जोर से चूसने लगी। शादाब की आखें मजे से बंद हो गई और वो रेशमा के सिर को अपने लंड पर दबाने लगा पूरा लंड उसके मुंह में घुसा दिया तो रेशमा के गले में लंड जा टकराया और रेशमा को दर्द हुआ लेकिन वो लंड को चूसती रही।

कभी हल्का हल्का दांतो से दबा देती तो कभी लंड पर जीभ फेर देती। शादाब का एक हाथ अपने आप रेशमा की चूत पर चला गया और शादाब में अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में घुसा दी तो रेशमा मस्ती से भर उठी और पूरी ताकत से शादाब का लंड चूसने लगी। तभी शादाब का मोबाइल बज उठा। शहनाज़ का फोन था लेकिन रेशमा ने मोबाइल को एक तरफ रख दिया और मस्ती से लंड चूसती रही। शादाब रेशमा की जीभ का सामना ज्यादा देर नहीं कर पाया और उसने एक तेज झटके के साथ लंड को रेशमा के गले में उतार दिया और उसके लंड से वीर्य की पिचकारी छूटने लगीं। शादाब ने जोश में आकर रेशमा की चूत में उंगली जोर से रगड़ते हुए घुसा दी और रेशमा की चूत ने भी अपना रस बहा दिया तो उसने जोर से अपनी टांगो को कसते हुए शादाब की उंगलियों को अपनी चूत में कस लिया और मस्ती से सिसक उठी।

थोड़ी देर के बाद जब रेशमा बाथरूम में चली गई तो शादाब को होश आया तो उसने देखा कि शहनाज़ की चार मिस कॉल पड़ी हुई थी तो उसने वापिस फोन किया तो उधर से शहनाज की गुस्से में कड़कती हुई आवाज अाई:"

" कहां था तू फोन क्यों नहीं उठाया ?

शादाब एक पल के लिए तो डर गया लेकिन जल्दी ही अपने आपको संभालते हुए कहा:"

" अम्मी मैं नहाने चला गया था इसलिए नहीं उठाया।

शहनाज़:" अच्छा ऐसा कर कर दिया तूने वहां जाकर जो नहाना पड़ गया।

शादाब:' अरे अम्मी मैं पसीने से भीग गया था इसलिए।

शहनाज़:" ध्यान रखना अगर मुझे धोखा दिया तो तेरी जान ले लूंगी

शादाब:" मैं तो पहले ही अपनी जान आपके नाम कर चुका।

शहनाज़:" अच्छा ठीक हैं, एक काम कर जल्दी वहां से निकल यहां मेरा मन नहीं लग रहा है।

शादाब:' ठीक हैं अम्मी, मैं जल्दी ही निकलता हूं।

इतना कहकर शादाब ने फोन काट दिया।
जैसे ही शादाब ने फोन काटा तो रेशमा बाथरूम से अा गई थी और फिर से शादाब को अपनी बाहों में लेने लगी तो शादाब बोला:

" बुआ पहले मुझे खाना खिलाओ बहुत भूख लगी हैं।

रेशमा अपनी चूची दिखाते हुए:"

" खाना छोड़ ना मेरे राजा, तू दूध पी ले आजा।

शादाब:" वो मैं पियूंगा और जी भर कर पियूंगा लेकिन आज नहीं, बाद में कभी हॉस्टल से आऊंगा आपके पास पूरी रात के लिए तब आराम से पियूंगा।

रेशमा को शादाब की बात सुनकर झटका सा लगा और बोली:"

" नहीं शादाब आज ही पी ले मेरी जान, उफ्फ देख ना यहां कितनी ज्यादा खुजली हो रही हैं?

इतना कहकर रेशमा ने अपनी सलवार को खोल दिया और अपनी पेंटी सहित नीचे सरका कर चूत दिखाने लगी। शादाब आगे बढ़ा और उसकी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा:"

" उफ्फ बुआ ये तो पूरी गर्म हो रही है,

रेशमा;" इसलिए तो बोल रही हूं कि इसको पहले ठंडा कर दे

शादाब:" ऐसे जल्दी में आपकी आग और भड़क जाएगी, मैं अगले हफ्ते आपके पास आऊंगा और पूरी रात इसकी गर्मी निकाल दूंगा अच्छे से ।

रेशमा:" आह शादाब, तू सचमुच आएगा ना मेरे पास

शादाब:" अपने खून पर भरोसा रखो बुआ, मैं जरूर आऊंगा।

रेशमा खुश हो गई और जल्दी से खाना बनाया और फिर सबने खाना खाया और थोड़ी देर बाद शादाब गाड़ी निकाल लाया तो दादा दादी बैठ गए तो रेशमा उदास हो गई और उसकी आंखे भर आई और रुंधे गले से बोली:"

" कुछ दिन और रुक जाते तो अच्छा होता, मेरा बहुत मन लगा हुआ था।

दादा जी:" कोई बात नहीं बेटी,दिल छोटा मत कर, फिर अा जाएंगे हम।

रेशमा:" मैं आपको लेने खुद अा जाऊंगी। अपना ध्यान रखना आप दोनों।

उसके बाद शादाब ने गाड़ी घर की तरफ बढ़ा दी और शहनाज को कॉल करके बता दिया कि मैं निकल गया हूं तो शहनाज़ ने राहत की सांस ली। शादाब के मन में आज एक अजीब सी खुशी भरी हुई थी। रह रह कर उसे अपने लंड पर रेशमा के होंठो का नाजुक स्पर्श याद अा रहा था। लंड चूसे जाने से इतना मजा आता है ये उसे आज महसूस हुआ। वो इन्हीं विचारों में डूबा हुआ घर की तरफ बढ़ता जा रहा था जहां उसकी बीवी उसकी जान उसकी अम्मी शहनाज़ बेताबी के साथ उसका इंतज़ार कर रही थी।
 
Back
Top