desiaks
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शादाब का प्यार देख कर शहनाज की रुलाई छूट गई और बोली:"
" बेटा मैं नही रह सकती अब तेरे बिना, बहुत प्यार करती हूँ तुझसे ..
शादाब उसके आंशु सॉफ करते हुए:"
" अम्मी आप फिकर मत करो, मैं कुछ करता हूँ, मैं खुद भी अब आपसे दूर नही रह सकता.
शहनाज उसका मूह चूम लेती हैं और धीरे धीरे नॉर्मल हो जाती हाँ क्योंकि वो जानती थी कि उसका बेटा ज़रूर कुछ ऐसा कर देगा ताकि
दोनो माँ बेटे साथ रह सके।
शहनाज की सिसकियाँ अब पूरी तरह से रुक गयी थी और उसकी चूत दो बार हुई चुदाई की वजह से वीर्य से लबालब भरी हुई थी इसलिए
उसने बाथरूम जाने की सोची ताकि अपनी चूत को सॉफ कर सके।
शहनाज:" बेटा मुझे बहुत ज़ोर की सूसू लगी हाँ, मैं आती हूँ अभी.
शादाब:" अम्मी मैं भी आपके साथ चलता हूँ, चलिए।
शहनाज शरमा गयी और बोली:" तुम यहीं रहो बाद मे जाना, पहले मैं आती हू।
शादाब:" हे अम्मी अभी तो कह रही थी कि मेरे बिना नही रह सकती और अभी साथ ले जाने से भी मना कर रही हो.
शहनाज उसे डाँटते हुए:"
" चुप कर तू बड़ा शैतान को गया हाँ,
इतना बोलकर शहनाज ने एक चादर उठा ली और अपने जिस्म पर लपेटने लगी तो शादाब ने चादर को छीन लिया और बोला:"
" मैं आपकी बात मान लेता हूँ आपके साथ नही जाउन्गा लेकिन आपको मेरी एक बात माननी होगी कि आप नंगी ही जाओगी !
शहनाज की हालत खराब हो गई उफ्फ मैं कैसे इसके आगे नंगी जौ. वो सोच मे पड़ गयी और बोली:"
" अच्छा तू मेरे साथ ही चल, अब खुस है तू ?
शादाब मुस्कुरा दिया और दोनो माँ बेटे बाथरूम की तरफ चल दिए. शहनाज ने अपने जिस्म पर एक चादर लपेट ली और और साथ चल दी.
शहनाज आगे आगे और शादाब पीछे पीछे चल रहा था. चुदाई की वजह से गुलाब की कुछ पत्तियाँ शहनाज की गान्ड के बीच मे घुस गई जो
उसके चलने से नीचे गिर रही थी.
शायदी ये देख कर मुस्कुरा उठा और बोला:"
" आह शहनाज देखो ना तुमने अपनी टाँगो के बीच गुलाब की पत्तियाँ छुपा रखी हैं..
शहनाज ने चादर के अंदर से अपनी गान्ड पर हाथ अंदर तक घुमाया तो कुछ गुलाब की पत्तियाँ उसके हाथ में आ गई और उसने शादाब की तरफ एक कामुक स्माइल दी तो शादाब ने एक झटके के साथ उसकी चादर को खींच कर अलग कर दिया तो शर्म और डर के मारे शहनाज के मूह से आह निकल पड़ी
" आअह शादाब नही मेरे राजा, यहाँ नंगी मत कर उफ्फ मेरी चादर दे दे प्ल्ज़
शादाब ने चादर को एक तरफ फेंक दिया तो शहनाज शर्म से पानी पानी हो गई और खड़ी खड़ी थर थर काँपने लगी.
" बेटा मैं नही रह सकती अब तेरे बिना, बहुत प्यार करती हूँ तुझसे ..
शादाब उसके आंशु सॉफ करते हुए:"
" अम्मी आप फिकर मत करो, मैं कुछ करता हूँ, मैं खुद भी अब आपसे दूर नही रह सकता.
शहनाज उसका मूह चूम लेती हैं और धीरे धीरे नॉर्मल हो जाती हाँ क्योंकि वो जानती थी कि उसका बेटा ज़रूर कुछ ऐसा कर देगा ताकि
दोनो माँ बेटे साथ रह सके।
शहनाज की सिसकियाँ अब पूरी तरह से रुक गयी थी और उसकी चूत दो बार हुई चुदाई की वजह से वीर्य से लबालब भरी हुई थी इसलिए
उसने बाथरूम जाने की सोची ताकि अपनी चूत को सॉफ कर सके।
शहनाज:" बेटा मुझे बहुत ज़ोर की सूसू लगी हाँ, मैं आती हूँ अभी.
शादाब:" अम्मी मैं भी आपके साथ चलता हूँ, चलिए।
शहनाज शरमा गयी और बोली:" तुम यहीं रहो बाद मे जाना, पहले मैं आती हू।
शादाब:" हे अम्मी अभी तो कह रही थी कि मेरे बिना नही रह सकती और अभी साथ ले जाने से भी मना कर रही हो.
शहनाज उसे डाँटते हुए:"
" चुप कर तू बड़ा शैतान को गया हाँ,
इतना बोलकर शहनाज ने एक चादर उठा ली और अपने जिस्म पर लपेटने लगी तो शादाब ने चादर को छीन लिया और बोला:"
" मैं आपकी बात मान लेता हूँ आपके साथ नही जाउन्गा लेकिन आपको मेरी एक बात माननी होगी कि आप नंगी ही जाओगी !
शहनाज की हालत खराब हो गई उफ्फ मैं कैसे इसके आगे नंगी जौ. वो सोच मे पड़ गयी और बोली:"
" अच्छा तू मेरे साथ ही चल, अब खुस है तू ?
शादाब मुस्कुरा दिया और दोनो माँ बेटे बाथरूम की तरफ चल दिए. शहनाज ने अपने जिस्म पर एक चादर लपेट ली और और साथ चल दी.
शहनाज आगे आगे और शादाब पीछे पीछे चल रहा था. चुदाई की वजह से गुलाब की कुछ पत्तियाँ शहनाज की गान्ड के बीच मे घुस गई जो
उसके चलने से नीचे गिर रही थी.
शायदी ये देख कर मुस्कुरा उठा और बोला:"
" आह शहनाज देखो ना तुमने अपनी टाँगो के बीच गुलाब की पत्तियाँ छुपा रखी हैं..
शहनाज ने चादर के अंदर से अपनी गान्ड पर हाथ अंदर तक घुमाया तो कुछ गुलाब की पत्तियाँ उसके हाथ में आ गई और उसने शादाब की तरफ एक कामुक स्माइल दी तो शादाब ने एक झटके के साथ उसकी चादर को खींच कर अलग कर दिया तो शर्म और डर के मारे शहनाज के मूह से आह निकल पड़ी
" आअह शादाब नही मेरे राजा, यहाँ नंगी मत कर उफ्फ मेरी चादर दे दे प्ल्ज़
शादाब ने चादर को एक तरफ फेंक दिया तो शहनाज शर्म से पानी पानी हो गई और खड़ी खड़ी थर थर काँपने लगी.