जवान बहन को चोदकर उसका जवानी का रस पिया - SexBaba
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जवान बहन को चोदकर उसका जवानी का रस पिया

hotaks444

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Nov 15, 2016
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Behan Bhai Sex Story : हेलो दोस्तों, मैं रविकांत भटनागर आपका नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में स्वागत करता हूँ। मैं कई सालों से नॉन वेज स्टोरी का नियमित पाठक हूँ। आज मैंने सोचा है मैं आपको अपनी स्टोरी भी सुनाऊं। मैं बनारस का रहने वाला हूँ। मेरी बहन दीपशिखा बहुत सेक्सी और जवान लड़की थी। मैं २४ साल का था और वो २३ साल की जवान चुदासी लड़की थी। हम भाई बहन कभी सेक्स और चुदाई के बारे में जान नही पाते, अगर हम उस दिन पापा के कमरे में नही गये होते। पापा और मम्मी किसी शादी को अटेंड करने शहर से बाहर गये हुए थे। मैंने बहन दीपशिखा से कहा की चलो आज पापा के कमरे में चलते है और उनकी अलमारी चेक करते है। उसके बाद तो दोस्तों हम लोगो की लोटरी लग गयी। हमे कम से कम २० सेक्सी स्टोरीज की बुक मिल गयी और १२ नंगी तस्वीरों में चुदाई वाली किताबे मिल गयी।

"भैया ! ये कैसी किताबे है??" दीपशिखा ने पूछा

"बहन, मुझे नही पता है। चलो कुछ पन्ने पढ़कर देखा जाए" मैंने बहन से कहा

उसके बाद हम दोनों भाई बहन एक एक बुक लेकर पढने लगे। ५ पन्ने पढ़ते ही हम भाई बहन गर्म होने लगे। मैंने अपना लंड पकड़ लिया और दीपशिखा खुद को रोक ना सकी और मेरे सामने ही अपनी सलवार के उपर से ही चूत में ऊँगली करने लगी। जब १० पन्ने हम दोनों ने पढ़ लिए तब हम दोनों ने अपनी अपनी नजरे सेक्सी स्टोरी वाली बुक से हटाई।

"भाई! आज तो लोटरी लग गयी..ये तो असली माल है!!" दीपशिखा बोली

"सही कहा बहन...ये तो आज हम लोगो के हाथ में असली माल हाथ लगा है!" मैं बोला

"भाई..इसका मतलब पापा रोज रात में ये मस्त रसीली स्टोरीज पढकर माँ को जोर जोर से चोदते होंगे??" दीपशिखा ने पूछा

"सही कहा बहन..मैं रात में जब भी पापा के पास जाता था, वो मुझे जाने को बोल देते थे और कुछ पढ़ते रहते थे। अब मैं सब समझ गया हूँ की वो यही सेक्सी किताब होगी" मैंने बहन से कहा

उसके बाद दोस्तों, हम दोनों २ घंटे तक कमरे में ही रुक गये और एक एक कुर्सी पकड़कर बैठ गये और २ घंटो में हम लोगो ने ३ किताब किसी दीमक की तरह साफ़ कर दी, यानी हम चाट गये और एक एक शब्द पढ़ गये। उसके बाद मैं बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा। वो रसीली चुदाई कहानियां पढकर हम दोनों भाई बहन को परम आनंद की प्राप्ति हो गयी थी। जब मैं बाथरूम से मुठ मारकर लौटने लगा तो देखा की दूसरे बाथरूम से आह आह माँ माँ...सी सी. अई.अई.ओह्ह्ह की गर्म गर्म आवाज आ रही थी। मैंने झांककर देखा तो मेरी लंड की प्यासी बहन पूरी तरह से नंगी थी और जल्दी जल्दी किसी मशीन की तरह चूत में ऊँगली कर रही थी।

मुझे ये देखकर बहुत मजा मिल रहा था। इसलिए मैं वही पर छिप कर अपनी जवान चुदासी बहन को मुठ मारते देखने लगा। धीरे धीरे वो तेज तेज अपनी बुर में ऊँगली करने लगी और कोई २० मिनट बाद मेरी बहन दीपशिखा का चूत का झरना छूट गया और ना जाने कितनी बार उसकी गुलाबी खूबसूरत चूत ने पानी निकलने लगा। मुझे ये देखकर बहुत मजा मिल रहा था दोस्तों। पापा और मम्मी ६ दिनों के लिए रिश्तेदारी में शादी में गये थे। इसलिए हम भाई बहन के पास बहुत वक़्त था। हम दोनों आराम से वो सब किताबे खत्म कर सकते थे। शाम को हम फिर से वो चुदाई की कहानियां और तस्वीरों वाली किताबे पढने लगे। कुछ देर में मेरा अपनी बहन दीपशिखा को चोदने का मन करने लगा। क्यूंकि उन किताबो में चुदाई के एक से बढ़कर एक दिलचस्प किस्से बताये गये थे और एक से एक स्टाइल की चुदाई करने के दांव पेच सिखाये गये थे।

"बहन ...मेरा किसी जवान चुदासी लड़की को चोदने का दिल कर रहा है" मैंने बहन दीपशिखा से कहा

"अरे, भाई मेरा भी किसी लड़के से चुदवाने का मन कर रहा है। मुझे ही चोद लो भाई!!" दीपशिखा बोली

उसके बाद मैं तैयार हो गया। मैंने अपनी सगी बहन को बाहो में भर लिया और उसको किस लेने लगा। मैं पागलों की तरह उसे गाल, गले, आँखें, माथे और ओंठो पर चूमने लगा। कुछ ही देर में हम दोनों भाई बहुत जादा गर्म हो गये। मैं वासना के वशीभूत हो गया था और बस जल्दी से अपनी बहन को चोद लेना चाहता था। मैंने उसकी कमीज उतार दी। उसने समीज पहन सकती थी। आज पहली बार मैंने अपनी सगी बहन को नंगी किया था। आज मैं उसे किसी आशिक की तरह चोदने वाला था। आज मैं अपनी जवान बहन को चोदकर उसकी जवानी का रस पीने वाला था। बार बार मैं यही सोच रहा था की मेरी जिस बहन को आज तक किसी ने नही छुया, जिस भरे हुए बदन और सॉलिड बूब्स वाली चुदासी बहन को आज तक किसी ने अपना मोटा लंड डालकर नही चोदा, आज मैं उसी बहन की जवानी का सारा रस पी लूँगा।

आज मैं दीपशिखा को किसी रंडी की तरह चोदूंगा और उसका भोसड़ा फाड़कर फोटो खींचकर अपने सारे दोस्तों को फॉरवर्ड कर दूंगा। दोस्तों, वो रंगीन कहानियाँ पढकर मेरी वासना जाग उठी थी। मेरे अंदर का शैतान आज पूरी तरह से जाग गया था। मैंने अपनी जवान बहन को नीचे जमीन पर लिटा दिया था। क्यूंकि उसको कमरे में बेड पर ले जाने का वक़्त नही था। मुझे बस दीपशिखा की रसीली चूत ही दिखाई दे रही थी।

जो बहन मेरे हर रक्षाबंधन पर राखी बांधती थी, आज उसी की मुलायम और नर्म चूत में मैं अपना मोटा लंड डालकर उसे तेज तेज चोदने वाला था। कितनी अजीब बात थी ये। फिर मैंने दीपशिखा की समीज निकाल दी तो जैसे मुझे कोई अनमोल खजाना मिल गया। मेरी बहन कबकी चुदवाने लायक हो गयी थी और मैं आजतक ये जान ही ना पाया था। दीपशिखा बेहद खूबसूरत जिस्म की माल्लिका थी। उसके कंधे बेहद चिकने थे, पर मेरा ध्यान उसके मम्मों पर था। ३६" का साईंज तो आराम से होगा। उफफ्फ्फ्फ़..कितनी बड़ी बड़ी निपल्स थी। जैसे २ सुंदर कलश मेरे सामने हो। नारियल जैसे नुकीले दूध थे मेरी बहन के। कड़ी कड़ी खड़ी निपल्स के चारो और बड़े बड़े काले घेरे तो जैसे मेरा दिल ही जीत रहे थे। मैंने जरा भी देर नही की और दीपशिखा के दूध को हाथ में ले लिया और जोर जोर से दबाने लगा।

वो गर्म गर्म सिसकारी लेने लगी। मैंने कभी सपने में भी नही सोचा था की मेरी बहन इतनी गजब की माल होगी। मै भी उसके बगल पापा के कमरे के फर्श पर उसके बगल ही लेट गया और बहन की गुब्बारे जैसे दूध हाथ में लेकर मजे लेकर दबाने लगा। वो और जादा गर्माने लगी। फिर मैं मैंने मुंह लगाकर दीपशिखा की भरी भरी कीमती सोने जैसे छातियाँ पीने लगा। उफफ्फ्फ्फ़...मेरी बहन के दूध इतने सफ़ेद, इतने गोरे और चिकने होंगे, मैं कभी सपने में नही सोचा था। सिर्फ उसके दूध देखकर ही किसी भी लड़के का लंड तुरंत खड़ा हो जाता और वो उसको चोदने को तैयार हो जाता। मैं मुंह में भरकर अपनी सगी बहन के दूध पी रहा था। मेरी पेंट में जब मेरा लौडा अपना सिर उठाने लगा तो दीपशिखा ने मेरा लंड पकड़ लिया और जोर जोर से सहलाने लगी। मुझे बहुत मजा मिलने लगा। इस तरह बड़ी देर तक हम एक दूसरे को छेड़ते रहे। मैं उसका दूध पीता रहा और वो मेरे लंड को अपने हाथ से सहलाती रही। फिर धीरे धीरे दीपशिखा ने मुझे नंगा कर दिया और मैंने उसकी सलवार निकाल दी और उसकी पेंटी भी निकाल दी।

बहन की रसीले छातियाँ इतनी बड़ी थी की मैं १० मिनट में सिर्फ एक दूध ही पी पाया। फिर मैंने दूसरा दूध मजे लेकर पिया।

"भाई..अब मुझे जल्दी से चोदो। मैं आज जादा बर्दास्त नही कर पाउंगी!!" दीपशिखा बोली

"रुक जा बहन..रुक जा। चुदाई और खुदाई दोनों किसी इबादत से कम नही है। जल्दबाजी में ना तो चुदाई होती है, और ना खुदाई। ये दोनों काम आराम और फुर्सत से किये जाते है" मैं अपनी चुदासी बहन को समझाया

"भाई..तुम बिलकुल गांडू हो क्या??? यहाँ तुमको एक मस्त माल चोदने और ठोकने को मिली है.और तुम लेक्टर पेल रहे हो। जाओ ..अपनी माँ चुदाओ, मैं किसी और लड़के से चुदवा लुंगी। इंडिया में चुदासे लड़कों की कमी नही है!!" दीपशिखा बोली

मैं भयभीत हो गया। दीपशिखा बिलकुल सच कह रही थी। वो किसी और लड़के से चुदवा सकती थी। मैंने किसी किताब में पढ़ा था की अगर कोई लौंडिया खुद लड़के से चोदने को कहे तो बहाना बिलकुल नही मारना चाहिए और जल्दी से लौंडिया को चोद खा लेना चाहिए।

"चोद.रहा हूँ बहन..बस एक सेकंड रुक!!" मैंने दीपसिखा से कहा

उसके बाद दोस्तों मैंने अपना लंड उसके मुंह में ठूस दिया। वो किसी प्यासी कुतिया की तरह मेरा लौड़ा चूसने लगी। उसको बहुत मजा मिल रहा था। मेरा लंड ६ इंच लम्बा और २ इंच मोटा था। मेरी चुदासी बहन मेरा लंड हाथ में लेकर मजे से चूसने लगी जैसे लंड कोई लोलीपोप हो। दीपशिखा बड़ा चिकना माल थी। उसके गाल और चेहरा बड़ा चिकना था। मैं अपना ६" लम्बा लंड चुसवाते चुसवाते उसके मुंह से निकाल लिया और उसके सुंदर चेहरे पर लंड से प्यार भरी थपकी देने लगा। बड़ा मजा आया ऐसा करके। मैंने लंड से दीपसिखा के गाल पर थपकी दी। दीपशिखा फिर मेरा लम्बा मोटा और रसीला लंड देखकर ललचा गयी और उसने फिर से मेरा जूसी लंड अपने हाथ से पकड़ लिया और फिर मुंह में लेकर किसी स्लट [रंडी] की तरह मजे लेकर चूसने लगी। मेरी बहन ने १८ मिनट मेरा लंड मजे ले लेकर चूसा।

उसके बाद मैंने अपना मोटा लौडा उसके बूब्स की गहरी घाटी में रख दिया और दोनों रसीले मम्मो को दबाकर मैंने अपनी सगी बहन दीपसिखा के मम्मे चोदने लगा। उफ्फ्फफ्फ्फ़..हायय्य्य्यय्य. मैं बता नही सकता हूँ आप लोगो को की दीपशिखा के बड़े बड़े नर्म मम्मे चोदने में मुझे कितना सुख मिल रहा था। एक जावन लौंडिया के बड़े बड़े दूध दोस्तों आप लोग एक बार चोद कर देखना आपको लगेगा की आप स्वर्ग में पहुच गए है। ३६" की बड़ी बड़ी छातियों के बीच में मेरा २ इंच मोटा पत्थर जैसा लंड..जो नशीली रगड़ खा रहा था की मैं आपको क्या बताऊँ। मैंने आधे घंटे अपनी जवान चुदासी बहन दीपशिखा के बूब्स चोदे और फिर माल बूब्स पर ही गिरा दिया। दीपशिखा मेरा सारा माल उंगली से उठाकर चाटने लगी।

"भाई..मजा आ गयी" मेरी रंडी बहन बोली

उसके बाद मैं उसका पेट और नाभि का गड्ढा पीने लगा। फिर मैंने अपनी सगी चुदासी और लंड की प्यासी बहनिया को चोदने के लिए उसके दोनों पैर खोल दिए।

"दीपशिखा..बोल मेरे लौड़े का माल बनेगी???" मैंने चुहिल लेते हुए पूछा

"हाँ.भैया...आप आज मुझे रगड़कर चोदो और अपने लौड़े का माल बना लो!!" दीपशिखा बोली। ये सुनकर मैं हंसने लगा। मैं बहुत खुश हो गया था।

"दीपशिखा बोल मेरी पर्सनल रंडी बनेगी???" मैंने पूछा

"हाँ भैया..आज मुझे चोद चोदकर इतना मजा दे दूँ की मैं किसी और लड़के के पास ना जायूं और सिर्फ आपसे ही चुदवाऊँ और आपकी पर्सनल रंडी बन जाऊँ" मेरी बहन दीपशिखा बड़ी बेबाकी और निडरता से बोली

"बहना..आज चुदाई की महापरीक्षा में तू पास हो गयी। अब मैं तुझे जी भरकर चोदूंगा और तुझे इतना मजा और चरम सुख मैं दूंगा की तू खुद मेरी पर्सनल रंडी बन जाएगी" मैंने कहा

उसके बाद मैंने दीपशिखा की दोनों नंगी नंगी गोरी सफ़ेद टाँगे खोल दी और उसकी क्लीनशेव्ड चूत पीने लगा। उफ्फ्फ कितनी सुंदर और रबड़ जैसी चूत थी मेरी बहना की। दीपसिखा का बदन बहुत जादा गर्म हो गया था जैसे उसको कोई बुखार चढ़ गया हो। पर मैं अच्छी तरह से जानता था की ये चुदाई का बुखार है जो अक्सर जवान लौंडियों को चढ़ जाता है जब उनका चुदवाने का और लंड खाने का मन होता है। उसके बाद मैं अपनी बहन को चोदने लगा। मैंने लंड उसके मुडे हुए भोसड़े पर रख दिया और जोर का धक्का दिया। पहले प्रयास में दीपशिखा की रसीली चूत का ढक्कन मैंने खोल दिया और मजे से चोदने लगा। उनकी बुर से गाढ़ा लाल रंग का खून निकल रहा था। मैं उसको जोर जोर से ठोंक रहा था। लग रहा था जैसे कोई साइकिल अपने आप चल रही हो। बिलकुल यही लग रहा था। मेरी चुदासी बहन दीपसिखा ने अपनी दोनों टाँगे किसी बतख की तरह उठा ली थी और मुझसे मजे से चुदवा रही थी। उसको इतना मजा मिल रहा था की उसकी आँखें बंद हो गयी थी। मैं घप घप करके उसे बजा रहा था। दीपशिखा ने मेरे गले में अपने दोनों हाथ डाल दिए और अपने सैयां, दिलबर जानी की तरह उसने मुझे पकड़ लिया और बाहों में भर लिया। मैं उसे जल्दी जल्दी ठोंकने लगा।

कुछ देर बाद वो माँ माँ..ईईईईइ..ऊऊऊउ..सी सी सी. की आवाज निकलने लगी। उसका चेहरा देखकर मैं बता सकता था की उसे बहुत मजा मिल रहा है। आज पहली बार मेरी फ्रेश माल अनचुदी बहन आज मेरे लौड़े का शिकार हो गयी थी। दोस्तों, हम भाई बहन अगर पापा के कमरे में ना आते तो ना कभी हमे वो सेक्सी स्टोरीज वाली किताबे मिलती और ना कभी अपनी बहन दीपशिखा की चूत मारने को मिलती। मैं उसे हपर हपर करके उसके ओंठ और मम्मे पी पीकर उसे पेलता रहा। हम दोनों की सांसे तेज तेज चलने लगी और आपस में उलझ गयी। दीपसिखा की लंड खाते खाते जान निकली जा रही थी, वो गर्म गर्म आवाजे मुंह से निकाल रही थी। जैसे वो पागल हुई जा रही हो। २० मिनट बाद मैंने अपना वीर्य बहना की बुर में छोड़ दिया। वो मुझसे पागलों की तरह लिपट गयी थी और मेरे गाल, गले और सीने को चूमने लगी। मैं फिरसे उसके दूध पीने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसको घोड़ी बना दिया और उसकी चूत फिर से मारी। आधे घंटे बाद मैंने दीपशिखा की गांड मारी और उसको परम सुख प्रदान किया। उस दिन के बाद से दोस्तों, मेरी चुदासी और जवान बहन दीपशिखा रोज रात में मेरे लौड़े का माल बन जाती है। ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

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