desiaks
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सुखजीत अंदर शर्मा रही होती है, पर वो उसके सामने शो नहीं करती। पर सुखजीत को ये भी पता था की अगर उसे लोन चाहिये तो उसे गगन से थोड़ी देर प्यारी बातें भी करनी होंगी। इसलिए अभी तक वो अपना हाथ गगन के हाथ में रखे हुए थी और फिर वो बोली।
सुखजीत- “हाँ जी आज पता चल गया की ऊपर वाला सबकी सुनता है?"
गगन- हाँ बस अब ऊपर वाला दिल भी सुन ले।
सुखजीत शर्माकर बोली- "आपके दिल में क्या है?"
गगन सुखजीत का हाथ अपने हाथ से मसलते हुए बोला- "दिल तो आपके साथ डान्स करने का कर रहा है, उस दिन की तरह..”
गगन की ये बात सुनकर सुखजीत पानी-पानी हो जाती है, और उसकी नजरें जमीन में गड़ जाती हैं। गगन के हाथ सुखजीत के हाथों को मसलते हुए उसे गरम कर रहे थे।
सुखजीत गगन को चालाकी से बोली- “पहले ये बैंक वाला काम तो करो, फिर डान्स के बारे में भी सोचते हैं..."
गगन ये सुनकर उसका हाथ पकड़कर अपने मुँह के आगे रखकर उसके हाथ चूम लेता है। गगन के इस किस ने सुखजीत को ऊपर से लेकर नीचे तक हिला कर रखा दिया था।
गगन- बैंक काम की आप जरा सी भी फिकर ना करो।
सुखजीत- ठीक है। फिर डान्स भी कर ही लेते हैं
सुखजीत की ये बात सुनकर गगन का लण्ड खड़ा हो जाता है, गगन का बस नहीं चलता वर्ना वो तो सुखजीत को यहीं पर नंगी करके अपने टेबल पर ही उसे चोदने की सोच रहा था।
इतने में प्रिया फार्म लेकर आ जाती है। सुखजीत गगन से अपना हाथ छुड़वाकर नार्मल होकर बैठ जाती है। सुखजीत वो फार्म फिल उप कर देती है।
गगन कहता है- “लो जी अब आपका काम दो-तीन दिनों में हो जाएगा..."
सुखजीत- थॅंक यू गगन जी।
गगन सेक्सी सी स्माइल करके दुबारा सुखजीत से हाथ मिलाता है, और फिर सुखजीत अपने चूतर हिलाते हुए बाहर चली जाती है। गगन सुखजीत के चूतरों को तब तक देखता है, जब तक वो बैंक से बाहर नहीं जाती। फिर सुखजीत अपनी कार में बैठकर घर आ जाती है।
दूसरी तरफ रीत के स्कूल की छुट्टी हो जाती है। और वो बाहर आते ही अपने बैग से फोन निकाल देती है, और देखती है की मलिक के 50 मिस्ड काल आ चुके थे। रीत तभी मलिक को फोन करती है, और आज ज्योति को अक्टिवा चलाने को कहती है।
रीत- सारी जान मैं स्टडी कर रही थी।
मलिक- कोई बात नहीं जान, वैसे मैंने तुझे एक खुशखबरी देनी है।
रीत- हाँ मलिक बताओ ना?
मलिक- मैं कल तुझे मिलने के लिए आ रहा हूँ।
रीत- हाई सच्ची?
मलिक- हाँ बाबू, बस तू कल स्कूल बंक कर लियो अपना।
रीत कुछ सोचकर बोली- “ठीक है मलिक मैं करती हूँ बंक..."
मलिक- आई लोव यू जान।
रीत- आई लोव यू टू।
मलिक- कल मैं वो अधूरा काम करूँगा, जो उस दिन रह गया था।
रीत समझ जाती है और बोली- “जो मर्जी कर लेना मलिक, मैं पूरी की पूरी आपकी हूँ..."
मलिक- हाए मैं मर मैं जाऊँ अपनी जान के इस प्यार को देखकर।
रीत- मलिक प्लीज़्ज़... मरने की बातें मत किया करो।
मलिक- हाए क्यों?
रीत- कुछ-कुछ होने लगता है, मेरे दिल को।
मलिक- दिल को तो कल होगा, जब मैं अंदर डालूँगा।
रीत शर्मा जाती है और बोली- “आप ना सच में बहुत बेशर्म हो..”
ऐसे बातें करते-करते ज्योति का घर आ जाता है। ज्योति भी रीत के साथ बंक मारने को तैयार हो जाती है। फिर रीत अपने घर को चली जाती है।
* * * * * * * * * *
सुखजीत- “हाँ जी आज पता चल गया की ऊपर वाला सबकी सुनता है?"
गगन- हाँ बस अब ऊपर वाला दिल भी सुन ले।
सुखजीत शर्माकर बोली- "आपके दिल में क्या है?"
गगन सुखजीत का हाथ अपने हाथ से मसलते हुए बोला- "दिल तो आपके साथ डान्स करने का कर रहा है, उस दिन की तरह..”
गगन की ये बात सुनकर सुखजीत पानी-पानी हो जाती है, और उसकी नजरें जमीन में गड़ जाती हैं। गगन के हाथ सुखजीत के हाथों को मसलते हुए उसे गरम कर रहे थे।
सुखजीत गगन को चालाकी से बोली- “पहले ये बैंक वाला काम तो करो, फिर डान्स के बारे में भी सोचते हैं..."
गगन ये सुनकर उसका हाथ पकड़कर अपने मुँह के आगे रखकर उसके हाथ चूम लेता है। गगन के इस किस ने सुखजीत को ऊपर से लेकर नीचे तक हिला कर रखा दिया था।
गगन- बैंक काम की आप जरा सी भी फिकर ना करो।
सुखजीत- ठीक है। फिर डान्स भी कर ही लेते हैं
सुखजीत की ये बात सुनकर गगन का लण्ड खड़ा हो जाता है, गगन का बस नहीं चलता वर्ना वो तो सुखजीत को यहीं पर नंगी करके अपने टेबल पर ही उसे चोदने की सोच रहा था।
इतने में प्रिया फार्म लेकर आ जाती है। सुखजीत गगन से अपना हाथ छुड़वाकर नार्मल होकर बैठ जाती है। सुखजीत वो फार्म फिल उप कर देती है।
गगन कहता है- “लो जी अब आपका काम दो-तीन दिनों में हो जाएगा..."
सुखजीत- थॅंक यू गगन जी।
गगन सेक्सी सी स्माइल करके दुबारा सुखजीत से हाथ मिलाता है, और फिर सुखजीत अपने चूतर हिलाते हुए बाहर चली जाती है। गगन सुखजीत के चूतरों को तब तक देखता है, जब तक वो बैंक से बाहर नहीं जाती। फिर सुखजीत अपनी कार में बैठकर घर आ जाती है।
दूसरी तरफ रीत के स्कूल की छुट्टी हो जाती है। और वो बाहर आते ही अपने बैग से फोन निकाल देती है, और देखती है की मलिक के 50 मिस्ड काल आ चुके थे। रीत तभी मलिक को फोन करती है, और आज ज्योति को अक्टिवा चलाने को कहती है।
रीत- सारी जान मैं स्टडी कर रही थी।
मलिक- कोई बात नहीं जान, वैसे मैंने तुझे एक खुशखबरी देनी है।
रीत- हाँ मलिक बताओ ना?
मलिक- मैं कल तुझे मिलने के लिए आ रहा हूँ।
रीत- हाई सच्ची?
मलिक- हाँ बाबू, बस तू कल स्कूल बंक कर लियो अपना।
रीत कुछ सोचकर बोली- “ठीक है मलिक मैं करती हूँ बंक..."
मलिक- आई लोव यू जान।
रीत- आई लोव यू टू।
मलिक- कल मैं वो अधूरा काम करूँगा, जो उस दिन रह गया था।
रीत समझ जाती है और बोली- “जो मर्जी कर लेना मलिक, मैं पूरी की पूरी आपकी हूँ..."
मलिक- हाए मैं मर मैं जाऊँ अपनी जान के इस प्यार को देखकर।
रीत- मलिक प्लीज़्ज़... मरने की बातें मत किया करो।
मलिक- हाए क्यों?
रीत- कुछ-कुछ होने लगता है, मेरे दिल को।
मलिक- दिल को तो कल होगा, जब मैं अंदर डालूँगा।
रीत शर्मा जाती है और बोली- “आप ना सच में बहुत बेशर्म हो..”
ऐसे बातें करते-करते ज्योति का घर आ जाता है। ज्योति भी रीत के साथ बंक मारने को तैयार हो जाती है। फिर रीत अपने घर को चली जाती है।
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