Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा - Page 21 - SexBaba
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Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा

ज्योति- हाँ हाँ बोल तो ऐसे रही है, जैसे तू बह्त शरीफ है। जो तूने उस दिन फ्लैट में किया था। वो कुछ कम नहीं किया मलिक के साथ।

रीत ये सुनकर शर्मा जाती है और झट से हँसकर बोलती है- “तू चुप कर प्लीज़्ज़..."

फिर वो दोनों हँसने लगती है। कुछ ही देर में माल आज जाता है। आज माल में सेल के कारण काफी भीड़ होती है। रीत स्पयकेर के शोरूम में देखती है तो वहां 50% आफ होता है। वो दोनों अंदर चली जाती है, वो सेल्समैन इतनी खूबसूरत दो लड़कियों को देखकर दीवाना सा हो जाता है, और वो उनके पास जाकर बोला।

सेल्समै- एस मेम बोलिए।

रीत- जीन्स दिखाओ।

सेल्समै- मेम आपकी वेस्ट कितनी है?

रीत- "28 इंच."

फिर वो कुछ जीन्स दिखाता है। रीत को एक ब्लू कलर की जीन्स पसंद आती है। जो बहुत टाइट होती है। वो ज्योति को दिखाकर बोलती है- “ये कैसी है ज्योति?"

ज्योति- ट्राई करके देख एक बार।

फिर रीत जीन्स ट्राई करने के लिए ट्रायल रूम में चली जाती है। इतने में ज्योति अपने मोबाइल में चैटिंग करने लगती है। करीब 5 मिनट बाद रीत जीन्स डालकर बाहर आती है। जीन्स पूरी कसी होती है, जिसने उसके चूतरों को उठाया होता है। रीत और रीत दोनों के चूतर बहुत कमाल के लग रहे थे।

सेल्समैन की नजर रीत के चूतरों पर होती है, और मोका देखकर बोलता है- "मेम अगर आप इसके साथ एक सफेद टाप ले लोगे, तो ये पूरी ड्रेस बन जाएगी और आपको पूरी ड्रेस पर अच्छा डिसकाउंट मिल जाएगा.."

ज्योति- रीत यार टाप भी ले ले डिसकाउंट तो मिल ही रहा है।

रीत- ठीक है मैं टाप भी ट्राई कर लेती हूँ।

सेल्समैन ये सुनकर खुश हो जाता है, और सोचता है, की आज इस शोणी मुटियार का खूबसूरत हुश्न देखने को मिलेगा। करीब 5 मिनट बाद रीत बाहर आती है, उसने टाप और जीन्स डाला हुआ होता है। टाप में रीत की चूचियां टाइट ब्रा होने के कारण एकदम खड़ी हो जाती हैं। अब रीत के चूतर जीन्स में से साफ-साफ नजर आ रहे थे।

रीत के मोटे-मोटे चूतर देखकर सेल्समैन से रहा नहीं जाता और वो अपना लण्ड पकड़कर पैंट के बाहर से ही मसलने लगता है। रीत अपने आपको शीशे में देखती है, और घूमकर अपने चूतरों को भी देखती है। ज्योति रीत को देखकर चूतरों की और इशारा करती है और उसके पास आकर बोली- “बहुत मस्त हैं सच में..."

रीत शर्माते हुए बोली- “चुप कर.” फिर वो ट्राई रूम में वापिस जाकर सूट डाल लेती है, और बाहर आकर ज्योति को बोलती है- “ज्योति तू भी देख ले कुछ लेना है तो?"

ज्योति उधर टंगा हुआ एक पाजामा देखती है और कहती है- “रीत तू मेरा मोबाइल पकड़ मैं इसे अभी ट्राई करके आती हूँ...”

रीत ज्योति का मोबाइल पकड़ लेती है, और ज्योति ट्राई रूम में चली जाती है। इतने में ज्योति का मोबाइल रिंग करने लगता है, वो नंबर एक अंजान नंबर होता है। रीत फोन पिक कर लेती है। रीत एकदम से उसकी आवाज पहचान जाती है, पर वो कुछ नहीं बोलती।

इतने में आगे से आवाज आती है- “क्या हुआ जान, तू कुछ बोल क्यों नहीं रही है, कहीं वो रीत तेरे साथ तो नहीं है?"

रीत अभी भी कुछ नहीं बोलती पर उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।

मलिक इतने में फिर बोला- "चल यार मैं मेसेज में बात करता हूँ, अगर रीत तेरे साथ में है तो..." और फोन कट जाता है।

रीत अपने होश में नहीं होती। रीत एकदम बर्फ की तरह जम जाती है। इतने में ज्योति के फोन पर एक मेसेज आता है, और रीत उस मेसेज को खोलती है। मेसेज में लिखा होता है की- “जान मैंने तुझे कितनी बार कहा की तू रीत के साथ ज्यादा ना रहा कर। हम दोनों को बात करनी मुश्किल हो जाती है..” रीत इस मेसेज के साथ साथ बाकी सारे पुराने मेसेज भी पढ़ लेती है।

रीत के दिल में तीर लग चुका था, उसका दर्द किसी को समझ में नहीं आ सकता था। वो रोने वाली हो जाती है, वो अपने होंठों को अपने होंठों में दबाकर खड़ी होती है। तभी ट्राई रूम का दरवाजा खुलने की आवाज आती है। तभी रीत लास्ट काल डेलीट कर देती है, और जल्दी से अपने आँसू साफ करके अपने आपको नार्मल कर लेती है। फिर ज्योति के आते ही वो बोलती है।

रीत- “यार तेरा वाइब्रेट कर रहा था देख ले...”

ज्योति जल्दी से मोबाइल देखती है और मलिक का मेसेज पढ़कर वो रीत को देखती है। रीत उसके सामने ऐसे रिएक्ट करती है, जैसे उसने कुछ नहीं पढ़ा था। ज्योति कहती है- “यार तू उसको छोड़, मुझे ये बता की ये पाजामा कैसा लग रहा है?"

रीत झूठ बोलती है- “बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है.."

फिर वो दोनों वहां से निकल जाती हैं। पूरे रास्ते रीत ज्योति से कुछ नहीं बोलती, और ज्योति पीछे बैठी फोन पर लगी होती है। ज्योति को उसके घर उतारकर रीत सीधी अपने घर आ जाती है, और अपने रूम में जाकर वो अपने रूम का दरवाजा बंद करके बेड पर उल्टी लेट जाती है। फिर वो जोर-जोर से रोने लगती है, क्योंकी आज उसका दिल टूट चुका था। जिसे वो सच्चा प्यार करती थी। वो बंदा और उसकी सबसे अच्छी दोस्त मिलकर दोनों उसे धोखा दे रहे थे। रीत काफी देर तक ऐसे ही रोती है, फिर वो रोते-रोते सो जाती है।
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कड़ी_62
रात हो जाती है, और रीत अपने रूम में रोते-रोते सोई हुई थी। तभी सुखजीत की आवाज से वो उठ जाती है। रीत उठकर अपने आपको शीशे में देखती है, उसकी दोनों आँखें सूजी हुई थी। वो एक बार फिर उस पल को याद करके रोने लगती है। जिस लड़के की उसने फोन पर आवाज सुनी थी, वो और कोई नहीं मलिक ही होता है।

रीत को वो सारे मेसेज पढ़कर ये पता चल जाता है, की उसका प्यार मलिक और उसकी सबसे अच्छी दोस्त ज्योति, दोनों मिलकर उसे धोखा दे रहे हैं। जिस दिन मलिक रीत और ज्योति को फ्लैट में ले गया था। उसी दिन ज्योति मलिक के पैसे देखकर उसपर फिदा हो गई थी, और उसने रीत के साथ यार-मारी कर दी थी। रीत को अब अपने आपसे बहुत नफरत हो रही थी। वो अपने ही खयालों में खोई हुई थी। तभी सुखजीत की आवाज फिर आती है। और फिर रीत अपना मुँह हाथ धोकर नीचे डिनर करने के लिए आ जाती है।

डिनर करने के बाद रीत अपने रूम में जाकर लम्बी लेट जाती है, और सोचने लगती है की मलिक ऐसा ही था, उसने सिर्फ उसका इश्तेमाल किया था। मलिक ने रीत को एक बार ठोंका और वो साइड हो गया था। पर रीत को सबसे ज्यादा ज्योति अपनी आँखों में खटक रही थी। क्योंकी उसने मलिक जैसे धोखेबाज लड़के के लिए अपनी बरसों पुरानी दोस्ती को छोड़ दिया था। इसलिए अब रीत ज्योति से इसका बदला लेने का फैसला कर चुकी थी।

सुबह हो जाती है, और रीत रोज की तरह नहा धोकर तैयार हो जाती है। पटियाला सलवार और एकदम टाइट कमीज डालकर रीत अपनी चूचियों को एकदम गोल कर लेती है। और फिर वो अक्टिवा उठाकर स्कूल की तरफ चली जाती है। रीत का अंदर ही अंदर मन नहीं होता ज्योति की शकल देखने का। पर उसको उसके पास जाना पड़ता है, ताकी उसको जरा सा भी शक ना हो।

रीत ज्योति को उठाकर सीधे स्कूल की तरफ चल पड़ती है। रास्ते में ज्योति मोबाइल पर लगी होती है। रीत समझ जाती है, की वो मलिक के साथ लगी हुई है। इतने में ज्योति का यार हरी, बुलेट लेकर रीत की अक्टिवा के साथ-साथ चलने लगता है। ज्योति अब फोन को छोड़ देती है, और हरी को स्माइल करने लगती है।

हरी स्कर्ट में ज्योति की नंगी टाँगें देखकर बोला- "कैसी हो?"

ज्योति- ठीक हूँ।

हरी रीत की तरफ देखता है और रीत भी एक प्यारी सी स्माइल कर देती है। आज से पहले रीत ने कभी भी हरी को स्माइल नहीं करी थी। और तो और उसने कभी उसकी तरफ आज से पहले देखा तक नहीं था। पर आज रीत जैसी कमाल सेक्सी जट्टी की सेक्सी स्माइल देखकर धन्य हो जाता है, और बोला।
हरी- कैसी हो रीत?

रीत- ठीक हूँ।

फिर हरी ज्योति से बातें करने लगता है। और वो दोनों बातें करते-करते कुछ ही देर में स्कूल में पहुँच जाते हैं। रीत हरी और ज्योति के आगे चल रही होती है। जिससे हरी की नजरें रीत के मोटे-मोटे गोल चूतरों से हटने के नाम तक नहीं ले रही होती हैं। हरी का लण्ड ज्योति से बातें करते-करते खड़ा हो जाता है। रीत को भी पता होता है, की हरी की आँखें कहां पर जमी हुई हैं।

फिर सब क्लास में चले जाते हैं, और स्टडी शुरू हो जाती है। लंच टाइम होता है, और बेल बजते ही ज्योति धीरे से अपने बैग में से अपना फोन निकालकर सीधा अपनी स्कर्ट की पाकेट में डाल लेटी है। और फिर वहां क्लास रूम से बाहर जाने लगती है, वो जाते-जाते रीत से बोली।
ज्योति- “रीत मैं अभी आती हूँ बाथरूम करके...”
 
रीत भी उसे मीठी सी स्माइल करके बोली- “ठीक है जा तू."

पर रीत को पता होता है, की वो कौन सा बाथरूम करने गई है। इतने में रीत पीछे बैठे हरी को देखकर कातिल स्माइल पास कर देती है। जिसको देखकर हरी से अब और नहीं रहा जाता, और वो अब उठकर रीत के साथ आकर उसकी बेंच पर बैठ जाता है। हरी की तरफ रीत की कमीज का पल्ला थोड़ा उठा होता है। जिसके कारण हरी के सामने रीत के मोटे-मोटे चूतड़ थे, हरी बार-बार वहीं पर देख रहा था। रीत हरी की नजरों को पढ़ चुकी थी। अब वो मोका देखकर हरी से बोली।

रीत- “क्या बात है हरी, आजकल तू स्कूल नहीं आता?"

हरी- “ओहह... यार ऐसी कोई बात नहीं है। क्योंकी मैंने सारी ट्यूशन रखी हई है, मैं वहां पर सारी स्टडी कर लेता हूँ। अगर कोई दिक्कत आती है तो मैं ज्योति से बात कर लेता हूँ..."

रीत प्यारी सी स्माइल करके हरी से बोली- “अच्छा अगर कोई दोस्त तुझे याद करती हो, तो क्या तू उसके लिए भी स्कूल नहीं आएगा क्या?"

हरी को यकीन ही नहीं हो रहा था। क्योंकी रीत ने कभी हरी को भाव तक नहीं दिया था, और आज उसने हरी को अपना दोस्त बता दिया था।

हरी- “अच्छा कौन करती है याद मुझे? जरा मैं भी तो जानूं?"

रीत- अच्छा अच्छा तू सिर्फ ज्योति का ही दोस्त है, हमारा कुछ भी नहीं है क्या तू?

हरी- तूने कभी अपना माना ही नहीं।

रीत- तू भी तो सिर्फ ज्योति का ही है, हमारा कहां तू कुछ है?

हरी- तू एक बार मोका तो दे, मैं तेरा हो जाऊँगा।

रीत बीच की दीवार वाली साइड बैठी हुई थी, और हरी बेंच के दूसरे कोने में बैठा हुआ था। रीत बिना कुछ बोले खड़ी हो जाती है, और वो हरी के लण्ड के ऊपर अपने चूतर रगड़कर आगे निकल जाती है। और पीछे मुड़कर स्माइल करते हुए वो हरी से बोली।

रीत- “हरी मोका मिलता नहीं, लेना पड़ता है..” कहकर रीत हँसकर वहां से चली जाती है।

हरी रीत का ये अंदाज देखकर एकदम जाम गया था। और उसका लण्ड अब रीत से बातें करने लगा था। ऊपर से उसके लण्ड पर रीत अपने सेक्सी चूतर रगड़कर चली गई थी। इससे हरी और उसके लण्ड का बुरा हाल हो गया था। इससे हरी का लण्ड से थोड़ा सा पानी भी निकल गया था। रीत ने जाते-जाते हरी के अंदर ऐसी आग भर दी थी, जो आग कभी भी उसे ज्योति के अंदर देखने को मिली नहीं थी। हरी का लण्ड उस आग में जलकर अपना पानी छोड़ने लगा था। रीत उसे स्माइल करके वहां से बाहर निकल चुकी थी। इससे हरी रीत का अब आशिक बन चुका था।

क्लास फिर से शुरू हो जाती है। ज्योति वापिस आ जाती है और रीत एकदम नार्मल होकर उसके पास बैठी हुई थी, और हरी भी ज्योति के साथ बातें कर रहा होता है। पर उसका सारा ध्यान रीत और उसके सेक्स से भरे जिश्म पर होता है। रीत भी ज्योति से बचकर बार-बार हरी को स्माइल कर रही थी। जिसे देखकर हरी पागल हो रहा होता है।

ऐसे ही पूरा दिन निकल जाता है, और फिर स्कूल की छुट्टी हो जाती है।
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कड़ी_63
स्कूल की छुट्टी हो जाती है और रीत अपनी अक्टिवा लेने के लिए पार्किंग में जाती है। और ज्योति बाहर खड़ी होती है, हरी मोका देखकर अपनी बुलेट लेने के बहाने रीत के पास जाता है और रीत से बोला।

हरी- “किसी ने सही कहा है, मोका मिलता नहीं लेना पड़ता है। देखो आज मैंने बात करने का मोका ले लिया..."

रीत हँसकर बोली- अच्छा जी, वो जो आपकी सहेली बाहर खड़ी है, उसका क्या होगा फिर?

हरी- अब उसका भी कुछ करना होगा।

रीत- अच्छा फिर ऐसा करो पहले उसका कुछ करके, फिर आप मेरे साथ बात करना।

हरी- ठीक है।

फिर हरी अपनी बुलेट स्टार्ट करता है, और वहां से चला जाता है। रीत भी ज्योति को लेकर स्कूल से निकल लेती है। उसे उसके घर छोड़कर आगे अपने घर की ओर निकलती है। जैसे ही रीत ज्योति को उसके घर छोड़ती है, तभी हरी अपनी बुलेट उसके साथ लगाकर चलने लगता है।

रीत उसको देखकर फिर से स्माइल करती है, और अपने मन में सोचती है- "ये मुर्गा फँस गया मेरे जाल में.."

हरी- मिल गया जी मोका अब तो।

रीत- अब मोका मिल गया है, तो मोका का फायदा भी उठाओ ना।

हरी का लण्ड रीत की डबल मीनिंग बातें सुनकर खड़ा हो जाता है और फिर बोला- “कैसे उठाऊँ रीत?"

रीत- क्या?

हरी- मोका का फायदा?

रीत भी हरी की बातों का मतलब समझ जाती है और बोलती है- “बातें करके और कैसे?"

हरी- वैसे बातें तो फोन पर काफी अच्छी होती है।

रीत देखती है, की आगे उसकी कालोनी आने वाली है। इसलिए वो रुक कर हरी को अपना फोन नंबर दे देती है,

और हरी को वहां से भेज देती है। घर जाकर रीत अपने कपड़े चेंज करके अपने रूम में आराम करती है।

दूसरी तरफ सोशल क्लब की हेड सुखजीत पूरी जोर-शोर के साथ तैयार हो रही होती है। उसके बाहर निकले चूतर और उसकी चूचियां एकदम खड़ी थीं। उसकी चूचियां और चूतर ब्लू कलर के टाइट सूट में काफी अच्छी लग रही थीं। उसको इस रूप में देखकर अच्छे-अच्छों का लण्ड बड़े आराम से खड़ा हो सकता था।

सुखजीत बाहर जाने ही वाली होती है, इतने में हरपाल घर आ जाता है। हरपाल बहुत ही परेशान लग रहा होता है। और वो ऊँची आवाज में फोन पर गुस्से में किसी से बात कर रहा होता है। ये देखकर सुखजीत घबरा जाती है, क्योंकी उसने हरपाल को कभी भी इतना परेशानी में नहीं देखा था।

हरपाल ऊँची आवाज में बोल रहा था- “सर, मैंने सच में कुछ नहीं किया, मैं निर्दोष हूँ। मुझ जैसे शरीफ आदमी को फँसाने की कोशिश करी जा रही है...” ।

सुखजीत ये सुनकर अब और भी घबरा जाती है।

रीत भी अब अपने रूम से बाहर आ जाती है और बोली- “मम्मी पापा को क्या हो गया है?"

हरपाल रीत को देखकर बोला- “कुछ नहीं हुआ, तू अपने रूम में जा...” कहकर हरपाल भी अपने रूम में चला जाता है।

सुखजीत भी उसके पीछे-पीछे जाकर बोली- “क्या हुआ जी?"

हरपाल परेशानी में बोला- “कार्पोरेसन में मेरे ऊपर एक रिश्वत लेने का इल्ज़ाम लगाकर मुझे दफ्तर से निकल दिया है। पर मैंने कुछ नहीं किया है, मैं एकदम बेकसूर हूँ। मुझे फंसाया जा रहा है.."

सुखजीत अपने पति हरपाल को दिलाशा देती हुई बोली- “देखो जी कुछ नहीं होता, कोई ना कोई हल तो जरूर निकल जाएगा..."

इतने में हरपाल फिर से फोन मिलाने लगता है, अपने दोस्तों को।

इतने सोनू और रिंकू घर आ जाते हैं, उन दोनों को कुछ भी नहीं पता होता। वो दोनों आकर सोनू के रूम में जाते हैं। पर रिंकू सोनू के रूम में जाने से पहले रीत के रूम में जाता है। रीत के रूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला होता है, वो उसमें से अंदर देखता है, तो उसका लण्ड एकदम से खड़ा हो जाता है, क्योंकी उसके सामने रीत की उभरी गाण्ड थी, जो साफ-साफ दिखाई देती है।

रीत अपने बेड पर उल्टी लेटी हुई थी। उसने एक टाइट पाजामा डाला हुआ था। जिसमें उसकी पैंटी भी साफ-साफ चमक रही थी। रिंकू के आगे रीत के एकदम गोल-गोल चूतर साफ-साफ नजर आ रहे थे। रीत के चूतर देखकर रिंकू का बुरा हाल हो गया था। वो अपनी पैंट में हाथ डालकर अपना लण्ड मसलने लगा था। वो सोच रहा था, की अब ऐसे बात नहीं बनेगी। अब उसे ही कुछ करना होगा, तभी उसके दिमाग एक आइडिया आता है।
 
रीत उल्टी लेट कर लैपटाप पर फेसबुक पर हरी से बातें कर रही थी। और बातों ही बातों में रीत हरी से ठरक से भरी बातें करके मजे ले रही थी। जितनी शरीफ रीत पहले थी, आज से उससे काफी ज्यादा चालू बन चुकी थी। मजे लेते-लेते रीत की चूचियां एकदम टाइट हो गई थी।

इतने में रिंकू ने भी आइडिया लगया की क्यों ना सोनू से छुपकर वो रीत से एक मुलाकात कर ले। क्योंकी उस दिन के बाद रिंकू और रीत की एक बार भी बात नहीं हुई थी। रिंकू सोनू से बोला- “भाई माल आया हुआ है तेरे मतलब का?"

सोनू के मुँह पर एक शरारती मुश्कान आई और वो बोला- “भाई फिर दे ना जल्दी से.."

रिंकू अपनी जेब से स्मैक की एक पुड़िया निकालकर सोनू को देता है। सोनू स्मैक देखकर खुश हो जाता है, और झट से रिंकू के हाथ से छीन लेता है। फिर वो दोनों स्मैक लेते है। पर रिंकू सिर्फ सोनू के आगे स्मैक लेने की आक्टिंग करता है। स्मैक लेते ही सोनू बेड पर ढेर हो जाता है। और अब रिंकू के पास बहुत अच्छा मोका होता है। वो सोनू के रूम में से निकालकर सीधा रीत के रूम में जाता है।

रीत अभी भी वैसे ही उल्टी लेटी हुई अपने दोनों चूतर बाहर निकाले बेड पर लेटी हुई थी। रिंकू जैसे-जैसे रीत के पास जाता है, वैसे-वैसे उसकी आँखों में रीत के चूतर बड़े होने लगते हैं। रिंकू का लण्ड अब उसकी पैंट में पूरा खड़ा हो चुका था। रिंकू बेड पर धीरे से बैठ जाता है। रिंकू के बेड पर बैठने से बेड पर हलचल हो जाती है। और रीत उस हलचल से एकदम डर जाती है।

रीत झट से अपना लैपटाप बंद करके रिंकू को देखती है और बोलती है- “रिंकू तू यहां क्या कर रहा है? जा यहाँ से अभी..."

रिंकू- तू तो बात करती नहीं मेरे साथ, तो मैंने सोचा क्यों ना जाकर खुद ही हालचाल पूछ लूँ मैं।

रीत- तू पागल हो गया है क्या? सोनू आ जाएगा। तू बस जा अभी यहाँ से मुझे कुछ नहीं पता।

रिंकू- सोनू नहीं आता, मैं उसका जुगाड़ करके ही यहाँ आया हूँ। तू उसकी फिकर ना कर।

रीत- कौन सा जुगाड़ कर दिया है तूने सोनू का?

रिंकू- उसको एक पटियाला पेग पिला दिया है, जिससे उसे नींद आ गई है।

रीत ये सुनकर थोड़ी ढीली हो जाती है, और सोचती है- "अपने यार मालिक के लिए तेरे पास सारा दिन टाइम है, हम जैसे गरीबो के लिए नहीं है...”

रीत- हाँ पता है मुझे आया बड़ा गरीब।

रिंकू जब से बेड पर बैठा हुआ था, तब से उसकी नजर रीत के चूतरों पर ही जमी हुई थी। रीत अब अपनी टाँगें थोड़ी खोल लेती है, जिससे उसके चूतर भी खुल चुके थे। अब उसे चूतर अलग-अलग नजर आ रहे थे। ये देखकर रिंकू की पैंट में तंबू बन गया था। जिसको रीत ने अपनी तिरछी नजरों से देख लिया था।

हरी के साथ गरम-गरम बातें करके रीत पहले से ही गरम हो रखी थी, और अब रिंकू के पैंट में बना तंबू देखकर रीत और ज्यादा गरम हो जाती है। फिर रीत रिंकू को पाइंट मारते हुए बोली।
रीत- "रिंकू मैं तेरा सारा गरीबपना देख चुकी हूँ..”

रिंकू मुश्कुरा पड़ा क्योंकी वो रीत की बात का मतलब समझ चुका था, की वो कहाँ इशारा करके बोल रही है। रिंकू अपना लण्ड मसलते हुए बोला- “गरीबपना तूने कभी देखा भी है?"

रीत जब रिंकू को लण्ड मसलते हुए देखती है, तो उसके दिल में हलचल होने लगती है। उसकी चूचियां और ज्यादा खड़ी हो जाती हैं। रीत की नजरें रिंकू के लण्ड को देख रही थीं, और रिंकू की आँखें रीत के चूतरों से हटने का नाम नहीं ले रही थीं। पर रीत को इस सब में बहुत मजा आ रहा था।

रीत अपनी ठरक भूलकर बोली- “अच्छा अगर ऐसी बात है तो आज दिखा मुझे अपना गरीबपना। आज मैं भी देखती हूँ की तेरे जैसे गरीब का गरीबपना कैसा होता है?

रीत के मुँह से ये बात निकलते ही रिंकू का वो सारा सबर तोड़ देती है, और रिंकू झट से रीत के एक चूतर पर हाथ रखकर उसके एक चूतर को अच्छे से मसल देता है। ऐसा होते ही रीत के शरीर में एक करेंट लगता है और वो सिसकारियां भरते हुए बोली- “आहह... ये तू क्या कर रहा है रिंकू?"

रिंकू रीत के चूतरों को अच्छे से मसलता हुआ बोला- “मैं तुझे अपना गरीबपना दिखा रहा हूँ बस...”

रीत- “आह्ह... आहह... मुझे नहीं देखना कुछ, बस तू अपना हाथ हटा जल्दी से..."

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दर्शल रीत को भी बहुत मजा आ रहा था, पर जानबूझ कर शो नहीं कर रही थी। जैसे ही रीत रिंकू का हाथ हटाने के लिए अपना हाथ उसके हाथ पर रखती है। तभी रिंकू उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख लेता है। लण्ड के हाथों में आते ही रीत की बोलती बंद हो जाती है। लण्ड की गरमी से उसकी चूत अपना पानी निकालने लगती है।

रीत को अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। इससे पहले और कुछ होता, तभी सीढ़ियों से किसी के आने की आवाज आई। जिसे सुनते ही रीत एकदम होश में आई, उसने अपना हाथ रिंकू के लण्ड से हटा लिया। और रिंकू भी बेचारा तड़पता हुआ उसके रूम से निकलकर सीधा सोनू के रूम में चला गया।

रिंकू जब घर वापिस गया तो वो रीत को स्माइल करके गया। अब रीत का बुरा हाल हो रहा था। उसने अपना रूम अंदर से बंद किया और पूरी नंगी होकर अपनी चूत में दो उंगलियां डाल ली। फिर रीत रिंकू के लण्ड के बारे में सोचकर उंगलियां अंदर-बाहर करने लगी, और कुछ ही देर ही उसकी चूत ने अपना पानी निकाल दिया।

उसके बाद उन सबने डिनर किया और डिनर के बाद सब सोने के लिए अपने-अपने रूम में चले गये।

सुखजीत अपने पति को साथ लेते हुए, आज उस हादसे के बारे में सोचने लगी। उसे समझ में आ गया था की इस सरकारी काम में किसी बड़े बंदे का जब तक साथ नहीं मिलेगा, तब तक उनकी कोई नहीं सुनेगा। तभी उसे एम.एल.ए. रंधावा की याद आती है। सुखजीत सुबह होते ही उसके पास जाने का प्रोग्राम बनाती है। सुखजीत को पूरा यकीन था, की एम.एल.ए. उसकी हेल्प जरूर करेगा।
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