पारिवारिक चुदाई की कहानी - SexBaba
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पारिवारिक चुदाई की कहानी

दूसरे दिन सुबह मैं उठी और रोज की तरह रवि को ऑफिस के लिए तैयार होना था। मैंने उनके लिए लंच पैक किया और फिर वो ऑफिस चले गए। साढ़े नौ बजे तक मैंने अपने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार कर उन्हें स्कूल भेज दिया।


आलोक अभी तक सो कर नहीं उठा था.. तो मैंने उसके और अपने लिए चाय बनाई और चाय लेकर उसके कमरे में गई।

मैं उसके पास जाकर बैठ गई। मैंने धीरे से आवाज देकर उसे उठाया। वो उठ गया और उठकर सबसे पहले उसने मुझे मेरे होंठों पर एक प्यारा सा चुम्बन किया।

मैंने उससे कहा- पहले चाय पीले और फिर ब्रश वगैरह कर ले.. फिर मैं तेरे लिए नाश्ता बना दूँगी।

हम लोग चाय पीने लगे।
चाय पीते वक़्त मैंने उससे पूछा- कल रात को तू मुझे खिड़की से क्यूँ देख रहा था?
तो उसने साफ-साफ मना कर दिया और बोला- अब मुझे आपको देखने के लिए खिड़की से झांकने की क्या जरूरत है?
पर मैंने उसकी बातों पर कोई गौर नहीं किया।

वो बोला- चाची आज तो अपने पास बहुत टाइम है.. आज तो जी भरके आपकी चुदाई करूँगा।
मैंने हँसते हुए उसे अपने पास खींचा और उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मी दी। फिर मैंने उससे बोला- तू अभी तैयार हो जा.. तब तक मैं घर के काम निपटाती हूँ।
वो फ्रेश होने गया और मैं घर के काम निपटाने में लग गई।

करीब साढ़े दस बजे वो मेरे पास मेरे कमरे में आया उस वक्त मैं अलमारी में कपड़ों को ठीक कर रही थी, वो मुझसे आकर चिपक गया, मैं वहीं अलमारी से चिपककर खड़ी हुई थी।

उसने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया, कमर पकड़ते ही उसने मुझे चूमना चालू कर दिया और अब वो एक हाथ से मेरे मम्मों को दबा रहा था।
फिर उसने मेरे गाउन का बटन खोल दिया और मेरे चूचों को नंगा करके उन्हें चूसने लगा।

मैं भी जोश में आ गई थी.. मैं उसके बालों को पकड़ कर उसे अपने सीने में दबा रही थी।
मुझे उसका खड़ा हुआ लंड अपनी चूत पर साफ-साफ महसूस हो रहा था।

फिर उसने एक ही झटके में मेरे गाउन को मेरे शरीर से अलग कर दिया। मैंने अन्दर केवल पैंटी ही पहनी हुई थी।
उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया, उसका लम्बा तना हुआ लण्ड किसी बेलन से कम नहीं लग रहा था।

वो मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को चाटने लगा। उसने धीरे से मेरी पैंटी को मेरी टांगों के बीच से निकाल दिया।

अब मैं पूरी तरह से नंगी थी और अलमारी से सटकर खड़ी हुई थी, खड़े हुए मेरा नंगा बदन.. किसी गोरी अप्सरा की मूर्ती सा चमक रहा था।

मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे.. जो मेरी फूली हुई गुलाबी चूत पर चार चाँद लगा रहे थे।
आलोक अब मेरी टाँगों के बीच आया और मेरी चूत को चाटने और चूसने लगा.. फिर उसने ज्यादा देर न करते हुए अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं।

उसकी तरफ से हुए इस अनजान हमले से मैं एकदम सिहर गई और जमीन से अपने पैरों के अंगूठों के बल खड़ी हो गई।

आलोक जल्दी-जल्दी अपनी उंगलियों को मेरी चूत में अन्दर बाहर कर रहा था। उसकी इस हरकत से मुझे इतनी मस्ती चढ़ रही थी कि मैं उछल-उछल कर उसको और उकसा रही थी।
मेरे मुँह से जोर-जोर से ‘आआहहहह.. ऊऊहहह..’ की आवाजें निकल रही थीं। मेरी सिसकारियों से पूरा रूम गूँज रहा था।

तभी आलोक ने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से और तेजी से चोदना शुरू कर दिया।
अब मैं आनन्द के चरम पर थी और जोर-जोर से सीत्कार रही थी, एकदम से मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं बहुत तेजी से चिल्लाते हुए झड़ने लगी।

आलोक ने तेजी से अपनी उंगलियों को बाहर निकाला और अपने मुँह को तेजी से मेरी चूत पर लगा दिया और जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा।
मेरी चूत से निकले हुए सारे रस को आलोक ने किसी क्रीम की तरह चाट लिया।

अब आलोक खड़ा हुआ, मेरा रस अभी भी उसके मुँह के चारों तरफ लगा हुआ था और उसने उसी तरह से मेरे होंठों पर चुम्बन करना शुरू कर दिया। उसके होंठों पर लगे हुए मेरे रस को मैंने अपनी जीभ पर महसूस किया, उसका स्वाद मुझे बहुत ही नमकीन लग रहा था।

आलोक ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं पूरे मजे के साथ उसकी जीभ को चूस रही थी।
आलोक ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और मुझसे बोला- चाची अब मेरा भी लण्ड गीला कर दो।

मैं बिना कुछ बोले अपने घुटनों पर बैठ गई और उसके लण्ड को चूसने लगी।
आलोक बहुत ही उत्तेजित था, वो मेरे मुँह को तेजी से चोद रहा था।

मैं भी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और मैं अब चुदने के लिए बेक़रार हुए जा रही थी।
मुझे लगा कि आलोक जल्दी झड़ जाएगा.. तो मैंने उसके लण्ड को बाहर निकाला और उससे बोला- मुँह में ही निकालने का इरादा है या कुछ आगे भी करना है?

मेरा इतना बोलते ही आलोक ने मुझे उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया और बोला- चाची आप किसी रांड से कम नहीं लग रही हो। आज तो आपको रंडी की तरह ही चोदूँगा।
मैं भी मजे में बोली- बोलेगा या कुछ करके भी दिखाएगा।

उसने बिना देर किए मेरी चूत के छेद पर अपना लण्ड रखा और धक्के मारने लगा।
दो-तीन जोरदार धक्कों में उसने अपना लण्ड मेरी चूत में उतार दिया।
मेरी चूत पहले से ही बहुत गीली थी.. तो मुझे उसका लण्ड लेने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ।

अब हम दोनों मस्ती में एक-दूसरे को चोद रहे थे और बीच-बीच में एक-दूसरे को चूम चाट रहे थे।

चुदाई करते हुए आलोक मेरी चूचियों को भी दबा देता था और मेरे निप्पल को हल्के से काट भी लेता था.. जिससे हमारी मस्ती और बढ़ जाती थी।

मेरे मुँह से जोरों से ‘आआहहह.. आआऊऊहहह.. ओह आलोक.. और जोर से चोदो मुझे.. फ़क मी हार्डर..’ की आवाजें निकल रही थीं.. जिससे आलोक अपनी चोदने की रफ़्तार और बढ़ा देता था।

करीब दस मिनट बाद मेरा बदन फिर से अकड़ने लगा और मैं कमर उठा-उठा कर झड़ने लगी।
मेरे बदन को अकड़ता देख आलोक और तेजी से मुझे चोदने लगा।

मैं बहुत जोर से झड़ गई थी.. तो अब आलोक के झटके मुझे दर्द देने लगे थे। कुछ ही पलों के बाद आलोक भी झड़ने वाला था।
उसने बोला- चाची मैं झड़ने वाला हूँ.. अन्दर ही झड़ जाऊँ क्या?

मैंने उसे मना किया और उससे मुँह में झड़ने के लिए बोला.. पर वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुका था, जैसे ही उसने लण्ड को चूत से बाहर निकाला.. उसके लण्ड से एक जोरदार वीर्य की धार निकली.. जो मेरी चूत पर किसी बारिश की तरह बरसने लगी।
फिर वो लगातार मेरी चूत और पेट पर झड़ गया।

आलोक वहीं मेरे बगल में लेट गया।
मैंने वहीं बिस्तर के नीचे पड़ी हुई पैंटी से अपनी चूत और पेट पर गिरे वीर्य को साफ किया और फिर उस पैंटी को मैंने बिस्तर और बिस्तर के बगल में लगे हुए ड्रावर के बीच में डाल दिया.. जो सिर्फ बिस्तर पर बैठने वाले को ही दिख सकती थी.. वो भी तब जब कोई बहुत ही गहराई से कमरे को चेक करे।

अब मैं नंगी ही अपने बिस्तर से उठी और अलमारी से तौलिया निकाल कर नहाने के लिए बाथरूम जाने लगी।
आलोक भी मेरे साथ उठा और बोला- चाची क्या आपके साथ मैं भी चलूँ नहाने?

ऐसा कहते ही वो मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया।
मैं बहुत थक गई थी.. तो मुझे आलोक की बांहों में बहुत अच्छा लग रहा था।

आलोक ने लाकर मुझे बाथरूम में खड़ा कर दिया और फिर वो मेरे मम्मों से खेलने लगा।

इतने में ही बाहर से डोरबेल की आवाज़ आई और हम दोनों डरकर एक-दूसरे से अलग हो गए।

मैंने आलोक को कमरे में जाने के लिए बोला और फिर मैं भी बाथरूम से बाहर आकर अपने कमरे में आ गई। वहाँ मैंने घड़ी की तरफ देखा.. तो एक बज रहा था।
‘इस वक्त कौन हो सकता है..’ यही सोचते हुए मैं वहाँ से गाउन पहनकर गेट खोलने के लिए जाने लगी।


मैंने दरवाजा खोला तो सामने रोहन था और उसका चेहरा उतरा हुआ लग रहा था।

दरवाज़ा खोलते ही वो मुझसे आकर लिपट गया। मैंने भी उसके बालों में हाथ फेरा और उससे पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोला- आज मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा था.. तो मैं स्कूल से वापस आ गया।

मैंने उसके माथे पर एक चुम्बन किया और उसे अपने कमरे में लेकर आ गई।
मैंने उसके माथे पर बाम लगाया और उसे वहीं लेटा दिया।

तक तक आलोक अपने रूम से नहाकर बाहर आ गया और रोहन को देखते ही बोला- तुझे क्या हो गया?
मैंने उसे सब बता दिया।

मैंने रोहन से बोला- तू अब आराम कर थोड़ी देर..
और फिर मैं नहाने चली गई, आलोक भी अपने कमरे में चला गया।

थोड़ी देर बाद मैं जब नहा कर बैडरूम में आई.. तब तक रोहन सो चुका था।
मैं केवल तौलिया लपेटकर कमरे में आई थी.. तो मैंने बिना किसी डर के अपना तौलिया निकाल दिया और फिर ब्रा और पैंटी पहन कर उसके बाद सूट पहन लिया।

वो सूट मेरे जिस्म पर एकदम फिट था उसमें से मेरा एक-एक उभार और अंग साफ समझ आता था।

अब मैं किचन में गई और वहाँ से खाना लेकर आलोक के कमरे में आ गई।
मैंने रोहन को भी खाना खाने के लिए उठा दिया, हम सबने खाना खाया और फिर आलोक सो गया।

मैं और रोहन टीवी देखने लगे। थकान के कारण थोड़ी देर बाद मैं भी सो गई।

शाम को जब मैं उठी.. तो चार बज रहे थे, मैंने देखा कि रोहन आलोक के साथ सोया हुआ था।

थोड़ी देर बाद मेरी बेटी अन्नू भी स्कूल से आ गई, मैंने सबके लिए चाय बनाई और हम सबने चाय पी।
अन्नू उठकर अपने रूम में चली गई।

मुझे ऐसा लग रहा था कि आज इस सूट के कारण आलोक के साथ रोहन भी मुझे ताड़ रहा था.. पर ये मेरा वहम भी हो सकता था।

थोड़ी देर बाद रवि भी ऑफिस से वापस आ गए.. रात को हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया और सब सोने चले गए।

फिर मैं भी बैडरूम में आई.. वहाँ रवि लैपटॉप पर कुछ कर रहे थे।
मैं अपने कपड़े उन्हीं के सामने बदलने लगी, मैंने ब्रा उतार दी और गाउन पहन लिया, फिर मैं जाकर बिस्तर पर लेट गई और रवि ने भी लैपटॉप रखा और आकर मुझसे लिपट गए।

रवि ने मुझसे बोला- कल मैं 3-4 दिन के लिए ऑफिस के काम से होमटाउन जा रहा हूँ।

मैं उनसे नाराज़ हो गई और फिर वो मुझे मनाने के लिए मुझे किस करने लगे और फिर हम सो गए।

सुबह जब मैं उठी तो मुझे कल वाली पैंटी के बारे में याद आया.. जिससे मैंने अपनी चूत को साफ किया था।
मैंने उठकर देखा तो वो पैंटी वहाँ नहीं थी। मैं उसे इधर-उधर ढूंढने लगी.. पर वो नहीं मिली।
 
जब सुबह के समय में सो कर उठी और मेरी पैंटी को बिस्तर के पास से गायब देखा तो मैं घबरा गई और इधर-उधर उसे खोजने लगी.. पर पूरा बेडरूम तलाशने के बाद भी मैं उसे नहीं ढूंढ पाई।

थोड़ी देर बाद रवि उठ गए.. आज उन्हें बाहर जाना था। थोड़ी देर बाद बच्चे भी उठ गए। जैसे ही अन्नू को पता लगा कि उसके पापा उसकी नानी के शहर में जा रहे हैं.. तो वो भी उनके साथ जाने की जिद पर अड़ गई।


मैंने भी उसकी बात को मान लिया और थोड़ी देर बाद वो दोनों चले गए।
आलोक और रोहन दोनों उन्हें बस स्टैंड तक छोड़ने गए थे।

उनके जाते ही मैं फिर से अपनी पैंटी को ढूंढने लगी। मैंने सोचा शायद आलोक ने मेरी पैंटी ली हो। मैंने आपको शायद पहले ही बता दिया था कि आलोक रोहन के रूम में ही रहता था.. तो मैं उसके कमरे में जाकर वहाँ अपनी पैंटी देखने लगी।

आश्चर्य कि मुझे अपनी पैंटी वही बिस्तर के नीचे पड़ी मिली। मैंने उसे उठा लिया.. देखा तो उस पर पहले से कुछ ज्यादा ही दाग़ लगे हुए थे और वो अभी तक गीली लग रही थी।

तभी डोरबेल बजी और मैं उस पैंटी को वहीं डालकर दरवाज़े की तरफ जाने लगी।

आलोक और रोहन बस स्टैंड से वापस आ गए थे, मैंने दरवाज़ा खोलकर उन्हें अन्दर बुला लिया।

रोहन के स्कूल का वक्त हो रहा था.. मैंने रोहन का लंच पैक किया और फिर वो स्कूल चला गया।

उसके जाते ही मैंने आलोक से पूछा- तुमने मेरी पैंटी कमरे से क्यों उठाई?
वो किसी अंजान की तरह बोला- चाची आप ये क्या बोल रही हो.. भला मैं आपकी पैंटी क्यों उठाने लगा?

मेरा दिमाग खराब होने लगा आखिर ये चल क्या रहा था.. पहले मुझे खिड़की से किसी के झांकने का एहसास और फिर एकदम से पैंटी का गायब हो जाना.. अगर ये सब आलोक नहीं कर रहा था तो कौन कर रहा था। इन्हीं सबको याद करते हुए मैंने सोचा कि कल आलोक के बाद मेरे कमरे में सिर्फ रोहन ही आया था तो क्या रोहन ने ही..!?

मैं यह सब सोच ही रही थी कि तब तक आलोक मुझसे बोला- चाची जी, अभी पापा का कॉल आया था.. मुझसे आने के लिए बोल रहे थे.. तो मैंने कल आने का बोल दिया है।

मैं उसके मुँह से यह सुनते ही उदास हो गई।
वो मेरे पास आया और मेरे चेहरे को अपने हाथ में लेते हुए मेरी आँखों पर किस करने लगा, मुझसे बोला- मेरी प्यारी चाची तो उदास हो गईं.. आज का दिन मैं अपनी चाची के लिए यादगार बना दूँगा।

फिर उसने वहीं खड़े-खड़े गाउन के ऊपर से ही मेरी चूत को मसलना शुरू कर दिया।
मैं भी उत्तेजना में आकर उसके होंठों को चूमने लगी। आज मैं बहुत ही जोर से उसके होंठों को चूम रही थी। एक पल के लिए तो वो भी सिहर गया।
हम दोनों एक-दूसरे की जीभों को भी चूम रहे थे।
अगले ही पल उसने अपने हाथों को मेरी चूत से हटाकर मेरी गाण्ड पर रख दिए और मेरे गोल मोटे चूतड़ों को जोर-जोर से दबाने लगा। मुझे अब और भी मस्ती चढ़ने लगी थी।

फिर उसने बिना मेरी गाण्ड से हाथ उठाए मेरे गाउन को मेरे चूतड़ों के ऊपर कर दिया और फिर उसने मेरी काली पैंटी को मेरी जांघों तक उतार दी।

मैं कपड़े पहने हुए भी नंगी हो चुकी थी। मेरी कमर के नीचे का पूरा हिस्सा अब नंगा था। अब आलोक मेरी नंगी गाण्ड को जोर-जोर से मसल रहा था.. जिससे मुझे मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था।

फिर वो मुझे उठाकर मेरे बेडरूम में ले आया और बेड पर मुझे उल्टा लेटा दिया। मैं समझ गई थी कि ये आज मेरी गाण्ड मारने के मूड में है.. पर मैं इतनी उत्तेजित थी कि उससे कुछ बोल नहीं पा रही थी।

मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।

अब आलोक उठा.. उसने मुझे सीधा किया और मेरा गाउन उतार कर साइड में रख दिया।
मैंने आलोक से बोला- आलोक प्लीज अब ज्यादा देर मत करो।

वो उठा और उसने अपनी पैंट की जेब से एक कन्डोम का पैकेट निकाला और मुझे देते हुए बोला- चाची पहले मुझे ये तो पहना दो।
मैंने आलोक से कहा- आज तो पूरी तैयारी से आए हो।
तो वो हँस दिया.. फिर वो मेरे पास आकर लेट गया।

मैंने उसका तना हुआ लण्ड अपने हाथों में लिया और उस पर एक जोरदार चुम्मी दी। फिर मैंने एक हाथ से उसके लण्ड को पकड़ा और दूसरे हाथ से उस पर कंडोम लगाने लगी।

वो उठा और उसने मुझे सीधा लेटाकर मेरी टांगों के बीच आ गया.. उसने मेरी दाईं टांग को उठाया और अपने कंधे पर रख लिया।

मैंने मस्ती में उससे बोला- आज कल पोर्न देखकर बहुत नए-नए पोज़ सीख गए हो।
तो वो हँसकर बोला- आपको भी देखना है क्या?

मैंने हँसकर उसकी बात को टाल दिया। फिर उसने मेरी चूत पर अपने लण्ड को लगाया और बिलकुल धीरे-धीरे उसे मेरी चूत के अन्दर धकेलने लगा जिससे मुझे हल्का-हल्का दर्द होने लगा.. पर वो दर्द मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

वो लगातार मेरी चूत में धीरे-धीरे अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करता जा रहा था और मेरे मम्मों को दबाए जा रहा था, मुझसे बोला- चाची, आपके मम्मे अभी तक इतने टाइट हैं कि इन्हें मसलने में अलग ही मजा है।
इतना बोलते ही वह मेरे मम्मों को चाटने लगा। मेरे मम्मे उसके मसले के कारण एकदम लाल पड़ गए थे।

अब वो उठा और अपनी स्पीड तेज कर दी। मैं भी अपनी कमर उचका उचका कर उसका साथ दे रही थी, उसके हर एक दमदार झटके से मेरी पतली कमर में एक लहर सी दौड़ने लगती थी।

उसने अब मुझे घोड़ी बन जाने को कहा.. मैं बिना देरी के बिस्तर पर अपने घुटनों और हाथों के बल खड़े होकर घोड़ी बन गई।

आलोक मेरे पीछे से आया और एक ही झटके में उसने अपना पूरा लण्ड मेरी चूत की दरार में उतार दिया। मैं दर्द से सिहर उठी.. पर वो लगातार मेरी चूत पर धक्के मारे जा रहा था।

अब मैं पूरी मस्ती के साथ गाण्ड उठा कर उसके हर धक्कों का जबाव दे रही थी।
थोड़ी ही देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं ‘ओईई..ई.. माआआ.. मर गगई..’ करते हुए झड़ने लगी।

झड़ते वक्त आलोक ने अपने लण्ड को मेरी चूत में रोककर रखा था.. जिससे मेरी चूत का पानी मेरी चूत में ही बना रहा और आलोक के लण्ड को कन्डोम के अन्दर तक भिगो दिया।

आलोक ने एकदम से अपने लण्ड को मेरी चूत से निकाला और मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर जोरदार धक्का मारा.. जिससे उसका दो इंच लण्ड मेरी गाण्ड में घुस गया।

मैं दर्द के मारे उछल पड़ी, मेरी आँखों के आगे एकदम से अँधेरा छा गया।
मैं जोरों से रोने लगी.. तो आलोक रुक गया.. पर उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में ही रहने दिया और वेसे ही अपने पेट के बल मेरी कमर से लिपट गया।

मैंने अपने सीने को बिस्तर पर टिका दिया.. पर मैं अभी भी अपने घुटनों पर खड़ी हुई थी और आलोक मुझसे किसी सांप की तरह लिपटा हुआ था।

मैंने रोते हुए आलोक से बोला- तूने तो मुझे मार ही डाला।
पर मेरे इतना बोलते ही उसने एक बहुत जोरदार धक्के के साथ अपने पूरे लण्ड को मेरी गाण्ड में उतार दिया। मैं उससे भागने के लिए इधर-उधर हाथ-पैर मारने लगी.. पर उसकी मजबूत पकड़ के कारण मैं कुछ नहीं कर पाई।

मैं रोते हुए उससे बोली- आलोक तूने तो आज मार ही दिया मुझे।
मुझे इतना असहनीय दर्द हो रहा था कि मेरे आँसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। आज मेरी गाण्ड की सील भी टूट चुकी थी.. जिसे मैंने आज तक रवि को भी नहीं छूने दिया था।

थोड़ी देर बाद मैं नार्मल हुई तो आलोक ने अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। अब वो लगातार अपने धक्कों से मेरी गाण्ड को चोद रहा था.. पर मैं अभी भी अपनी कसी हुई गाण्ड की सील टूटने का शोक मना रही थी।

आलोक ने अब धक्के मारते हुए एक हाथ से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया जिससे मुझे भी अब मस्ती आने लगी थी। फिर उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में डालकर मेरी चूत को भी चोदना शुरू कर दिया।

उसने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी, वो बहुत ही तेजी से मेरी गाण्ड में धक्के दे रहा था।
मैं भी अब अपनी कमर उठा उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी।

मेरी चूत दोबारा अपना पानी छोड़ने लगी.. जो कि मेरे झुके होने की वजह से मेरी चूत से होते हुए मेरे पेट और फिर मेरे मम्मों पर आने लगा।

मेरी चूत से निकली हुई धार का कुछ पानी सीधा बिस्तर पर जाकर गिरने लगा। फिर रवि भी जोरदार धक्कों के साथ मेरी गाण्ड में झड़ने लगा।

एक के बाद एक उसके गर्म वीर्य की धार मेरी गाण्ड को भिगोने लगी। मैं उसके लण्ड से निकला हुआ गर्म वीर्य मेरी गाण्ड के अन्दर साफ-साफ महसूस कर पा रही थी।


मैंने आलोक से पूछा- तूने कन्डोम निकाल दिया था क्या?
उसने बोला- नहीं तो।

फिर जब उसने अपने लण्ड को मेरी गाण्ड से बाहर निकाला.. तो मैंने देखा कि कॉन्डोम का आगे का हिस्सा पूरा फट चुका था.. जिसमें से उसका लण्ड बाहर निकला हुआ था।

शायद जब वो अपना लण्ड मेरी कसी हुई गाण्ड में डाल रहा था.. तभी कन्डोम का ये हाल हो गया था।

आलोक उठकर वहीं मेरे पास लेट गया। उसने अपना कन्डोम उतारकर वहीं बिस्तर के नीचे डाल दिया।

अब मैं भी उठकर बैठ गई.. उठते ही मैंने अपने हाथ को अपनी गाण्ड के छेद पर लगाया। मेरी गाण्ड का छेद सूज गया था और उसमें से आलोक का सफ़ेद पानी निकल रहा था।

मैंने आलोक को बोला- ये तूने क्या कर दिया.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
तो वो मुझे ‘सॉरी’ बोलने लगा।

मैं उठकर बाथरूम जाने लगी.. पर ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं लड़खड़ाती हुई बाथरूम तक पहुँची.. मैंने वहाँ खुद को अच्छे से साफ किया। अपनी चूत और गाण्ड को भी साबुन से अच्छे से साफ किया। फिर मैं वहाँ से नहाकर बाहर आई।

मैं वहाँ से नंगी ही बाहर आई और अपने कमरे में पहुँची, आलोक वहीं बिस्तर पर ही सो गया था।

मैंने अलमारी खोली और उसमें से तौलिया निकालकर अपने नंगे गीले बदन को पोंछा और फिर ब्रा और पैंटी पहनने लगी। पैंटी पहनते टाइम मुझे खोई हुई पैंटी का ख्याल आया जो कि मुझे रोहन के कमरे में उसके बिस्तर के नीचे मिली थी।

अब मेरा पूरा ध्यान उस पैंटी पर गया.. तो मैंने सोचा कि अगर ये सब रोहन कर रहा है.. तो कल आलोक के जाने के बाद से मुझे उस पर नज़र रखनी होगी।

फिर मैंने आलोक को उठाया और उससे नहा कर आने का बोला।
वो उठकर अपने कमरे में चला गया।

मेरी नज़र बिस्तर पर पड़ी.. जिसकी चादर मेरी चूत के पानी से गीली पड़ी हुई थी और उस पर धब्बे भी पड़ गए थे।

मैंने जल्दी से उस चादर को बदल दिया और उस चादर को उठाकर बाथरूम में धोने के लिए डाल दिया। मैंने उस कन्डोम को भी उठाकर डस्टबिन में डाल दिया.. पर मैंने अपनी पैंटी वही पड़ी रहने दी.. जो कि आलोक ने मुझे चोदते समय उतारकर वहीं डाल दी थी। वो वही अलमारी के पास पड़ी हुई थी।

अब एक बजने वाका था.. मैं खाना बनाने के लिए रसोई में गई.. मैंने खाना बनाया।

आज रोहन भी स्कूल से जल्दी आने का बोल कर गया था तो थोड़ी देर बाद रोहन भी स्कूल से आ गया।

जब मैं दरवाज़ा खोलने गई तो रोज की तरह वो आते ही मेरे सीने से लग गया। मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर लिया.. जिससे उसका सिर मेरे मम्मों में दबने लगा.. पर इस बात का मुझे कोई एहसास नहीं था।

फिर वो मुझसे अलग हुआ और हम दोनों अन्दर आने लगे। उसने मेरी लड़खड़ाती चाल देखकर पूछा- माँ आप ऐसे क्यों चल रही हो?
तो मैंने बोला- अभी नहाते समय बाथरूम में फिसल गई थी।

फिर हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया।
उसके बाद आलोक और रोहन वहीं सो गए और मैं अपने कमरे में आ गई।

कुछ देर बाद मुझे मेरे कमरे में किसी की आहट हुई.. तो मैंने वैसे ही लेटे हुए अपनी आँखों को हल्का सा खोलकर इधर-उधर देखा.. तो मुझे अलमारी के पास रोहन खड़ा हुआ दिखा।
शायद वो मुझे सोता हुआ समझ कर कमरे के अन्दर आ गया था।

मैंने देखा कि मेरी पैंटी रोहन के हाथ में थी और वो बार-बार उसे अपने मुँह की तरफ ले जाकर उसे सूंघ और चाट रहा था।
 
रोहन की इस हरकत से मैं सकते में आ गई। मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि अब मैं क्या करूँ। मेरा बेटा मेरी ही आँखों के सामने मेरी पैंटी को लेकर उसे सूंघ रहा था.. शायद उसे उसमें से मेरी चूत से निकले हुए पानी की खुशबू आ रही थी.. जो कि थोड़ी ही देर पहले आलोक के द्वारा मेरी चुदाई के दौरान गीली हो गई थी।


फिर उसने अपनी पैंट खोली और वो उसमें से अपना लण्ड निकाल कर मेरी पैंटी पर रगड़ने लगा।

उसकी इस हरकत से मैं तिलमिला उठी और बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई। मैं उठकर उसके पास गई पर वो अपनी आँखें बंद किए हुए पूरी मस्ती में अपने लण्ड को मेरी पैंटी से रगड़ रहा था, उसे मेरे आने का जरा भी आभास नहीं था।

मैं उस पर चिल्ला भी नहीं सकती थी.. क्योंकि आलोक भी घर पर था। अगर आलोक को यह बात पता चल जाती.. तो वो ना जाने मेरे और रोहन के बारे में क्या सोचने लगता।

तभी मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके हाथों से अपनी पैंटी खींच ली और उसके गाल पर एक तमाचा कस दिया.. जिससे उसकी आँखें खुलीं और सामने मुझे खड़ा देखकर डर गया।

पैंटी खींचते ही उसका लण्ड साफ दिखने लगा.. जो कि बहुत मोटा और लम्बा था शायद आलोक के लण्ड से भी बड़ा।
खुद को इस तरह पकड़े जाने से वो काँपने लगा और रोने लगा।

मैं गुस्से में थी- यह क्या कर रहा था तू.. मैं तुझे यही सब सीखने के लिए स्कूल में पढ़ा रही हूँ?
रोहन- सॉरी मम्मी.. गलती हो गई मुझसे.. प्लीज माफ़ कर दो मुझे.. सॉरी.. अब आगे से ऐसा कभी नहीं करूँगा।

उसका लण्ड अभी तक खड़ा था और अभी तक पैंट से बाहर निकला हुआ था, मैंने उससे उसके कपड़ों को ठीक करने का बोला।

एकाएक उसकी नज़र उसके लण्ड पर गई.. जो बाहर निकला हुआ था। वो अपने लण्ड को छुपाने की कोशिश करने लगा और उसे अपनी पैंट में वापस डालने लगा.. पर लण्ड खड़ा होने के कारण वो अन्दर नहीं जा पा रहा था।

तभी उसके लण्ड से वीर्य की धार निकलने लगी.. जो कि सीधे मेरी कमर और साड़ी के नीचे के हिस्से को भिगाने लगी। यह तो अब हद ही हो चुकी थी.. मेरा पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया और मैं उसमें एक और तमाचा देने को हुई.. पर तभी वो बोला- ये मैंने जानबूझ कर नहीं किया मम्मी..
और वो फिर से रोने लगा।

मुझे उसे रोता देखकर तरस आने लगा।
आखिर था तो वो मेरा बेटा ही.. जिसे मैं बहुत प्यार करती थी और वो भी मुझे बहुत प्यार करता था.. पर शायद गलत संगतों में पड़कर उसने यह कदम उठाया था।

उसे रोता देखकर मेरा दिल पिंघल गया और मुझे भी रोना आने लगा, मैंने उसे वहाँ से जाने के लिए बोला.. तो वो चला गया।

मैं भी वहाँ से सीधे बाथरूम में गई और अपनी कमर और साड़ी को साफ करने लगी जो कि रोहन के वीर्य से गन्दे हो गए थे।

मैं वहाँ से बेडरूम में आई और इस पूरे किस्से के बारे में सोचने लगी।
अब सब साफ हो चुका था… मतलब मेरी पैंटी और उस रात मुझे रवि से चुदते हुए देखने वाला कोई और नहीं.. रोहन ही था।

मुझे अब क्या करना था कुछ समझ नहीं आ रहा था। अगर यह बात मैंने रवि को बता दी.. तो वो तो रोहन की ऐसी हरकतों को देखकर उसे मार ही डालेंगे।
तो मैंने फैसला किया कि यह बात मैं रवि को नहीं बताऊँगी, अब जो भी करना था.. मुझे ही करना था।

जब मैंने रोहन का लण्ड देखा था.. तो मैंने गौर किया कि खड़े होने के बाद भी उसके लण्ड की खाल उसके टोपे पर चढ़ी हुई थी।
अगर मेरा सोचना सही था तो ये उसके लिए बहुत बड़ी समस्या थी और मुझे ही अब उसके लिए कुछ करना पड़ेगा।

ऐसे ही शाम बीत गई.. पर रोहन मेरी आँखों के सामने नहीं आया। रात को खाना बनाने के बाद मैंने सबको खाने के लिए बुलाया.. तो भी रोहन नहीं आया।
मैंने भी नाराज़गी दिखाते हुए उससे कुछ नहीं बोला।

सुबह आलोक घर जाने के लिए तैयार हो चुका था, वो मुझसे मिलने बेडरूम में आया था।
मेरी आँखों में आंसू आने लगे.. तो आलोक बोला- चाची आप रोएँगी.. तो मैं अगली बार से यहाँ रहने नहीं आऊँगा।
और ऐसा बोलते ही उसने मेरे होंठों पर एक चुम्मी दे दी।

आलोक बोला- चाचीजी एक बार अपने मम्मों के दर्शन तो करवा दीजिए.. अब जाने कब इन्हें देखने और दबाने का मौका मिले।
तो वो मेरे गाउन में से ही मेरे मम्मों को बाहर निकाल कर उन्हें चूसने और मसलने लगा।

थोड़ी देर बाद वो उठा और मुझे एक चुम्मी देकर जाने लगा। मैंने अपने मम्मों को वापस गाउन में डाला और उसे दरवाजे तक छोड़ने गई और फिर वो चला गया।

थोड़ी देर बाद रोहन भी स्कूल जाने लगा तो मैंने उसे लंच बॉक्स लाकर दिया.. जिसे वो नहीं ले गया और स्कूल चला गया।

फिर मैंने घर के कामों को निपटाया।
शाम के चार बज चले थे रोहन की कोचिंग भी ख़त्म हो गई थी.. तो वो अब जल्दी ही घर वापस आ जाता था।

कुछ देर बाद रोहन वापस आ गया और आते ही अपने कमरे में चला गया.. उसने मुझसे नज़र तक नहीं मिलाई।

रोहन ने कल रात से खाना नहीं खाया था.. तो मैं खाना लगाकर उसके कमरे में गई।
मैंने प्लेट वहीं टेबल पर रख दी, वो बिस्तर पर लेटा हुआ था, मैंने उसे उठाकर खाना खाने के लिए बोला.. पर उसने खाने से मना कर दिया।

वो कल रात से भूखा था और उसे ऐसा देखकर मैं वहीं खड़े हुए रोने लगी।
मुझे रोता देखकर वो मुझे चुप कराने लगा.. उसने मुझे लाकर बिस्तर पर बिठा दिया और फिर खाना खाने लगा।

खाना खाकर वो मेरे पास आकर बैठ गया और कल की बात के लिए मुझे फिर से ‘सॉरी’ बोला। वो जानता था कि यह बात मैं उसके पापा को नहीं बताऊँगी.. क्योंकि रवि बहुत ही गुस्सैल थे और वो फिर रोहन के साथ क्या करते… पर वो ये भी जानता था कि मैं उसे बहुत प्यार करती हूँ।

मैंने उससे बोला- मैं तुझे तब ही माफ़ करूँगी.. जब तू मेरी बातों का सही जवाब देगा?
रोहन- हाँ पूछिए मम्मी?
मैं- क्या परसों तूने मेरे रूम में से मेरी पैंटी उठाई थी?

तो इस बात पर उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, मैंने दोबारा उससे पूछा तो उसने ‘हाँ’ बोला।
फिर मैंने उससे एक रात पहले वाली घटना का जिक्र किया.. तो वो बोला- मम्मी मैं बाथरूम जा रहा था तो आपके कमरे में से आपकी आवाजें आ रही थीं.. और आपके कमरे की खिड़की भी आधी खुली हुई थी.. तो मैंने बस ऐसे ही जानने के लिए अन्दर देखा था।
मैंने पूछा- क्या देखा था तूने?

तो वो कुछ नहीं बोला।
मैंने थोड़ा जोर देकर पूछा तो वो बोला।

रोहन- मम्मी मैंने देखा की आप और पापा दोनों नंगे एक-दूसरे के बदन से चिपके हुए थे और आपके कराहने की आवाज़ भी आ रही थी।


मैं ये सब सुनकर दंग रह गई और उससे इस बात को भूल जाने के लिए बोला। आखिर गलती भी तो मेरी ही थी कि मैंने खिड़की खुली छोड़ दी थी और अब रोहन भी बड़ा हो चुका है।

मैंने उससे पूछा- तू मेरी पैंटी में मुठ क्यों मार रहा था?
तो वो बोला- मम्मी मुझे आपकी पैंटी से आती हुईं खुशबू बहुत अच्छी लगती है.. तो मैं खुद को काबू में नहीं रख पाया।

अब मेरे मन में भी रोहन के प्रति वासना के भाव आने लगे और उसे भी मेरे प्रति। आखिर हो भी क्यों ना.. वो भी जवानी की दहलीज पर आ चुका था।

वो मेरी हर बात का जवाब अब खुल कर दे रहा था।
फिर मैंने उससे पूछा- कल मैंने तेरा लण्ड देखा था। उस पर अभी भी तेरी खाल चढ़ी हुई है.. तुझे दर्द नहीं होता क्या?
वो बोला- हाँ मम्मी.. बहुत जोर का दर्द होता है.. कभी-कभी तो इतना दर्द होता है कि मैं रोने लगता हूँ।

मैंने उससे बोला- क्या तू मुझे अपना लण्ड दिखाएगा.. शायद मैं तेरी कुछ मदद कर सकूँ।
वो बोला- मम्मी मुझे शर्म आ रही है।
मैंने बोला- इसमें शर्माने की कोई बात नहीं है.. मैंने तुझे बचपन से ही नंगा देखा है और अब आगे से ऐसी कोई हरकत मत करना। अगर कुछ हो तो मुझे बोल देना.. मैं तेरी मदद कर दूंगी।

मेरी बातें सुनकर उसकी शर्म थोड़ी कम हुई। अब हम दोनों एक-दूसरे से बहुत खुल चुके थे और फिर उसने अपनी पैंट खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल दिया।


मैंने देखा कि उसका लण्ड अभी आधा खड़ा हुआ था। फिर मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों में लिया और उसके लण्ड की खाल को ऊपर-नीचे करने लगी और उसका लण्ड धीरे-धीरे फूलने और लम्बा होने लगा.. जिससे उसे दर्द होने लगा।
अब मैं उसके खड़े लण्ड की खाल को ऊपर से पकड़कर खींच रही थी.. जिससे उसका सुपाड़ा खाल से बाहर आ जाए.. पर खाल बहुत ही टाइट हो चुकी थी और रोहन दर्द के मारे कराह रहा था।

मैं रोहन की तरफ झुकी हुई थी.. जिससे मेरा चेहरा रोहन के लण्ड के ऊपर था। मेरे गाउन का ऊपर का बटन खुला हुआ था.. जिसमें से मेरे कसे हुए आज़ाद मम्मे लटक रहे थे.. और बाहर आने के लिये फड़फड़ा रहे थे।

मैंने देखा कि रोहन की नज़र मेरे मम्मों पर ही थी। मम्मों के साथ-साथ उसे मेरे गुलाबी निप्पल्स भी दिख रहे थे जो कि एकदम तने हुए थे.. पर मैं भी उसके मजे लेना चाहती थी।

थोड़ी देर ऐसा करते रहने से उसके लण्ड से वीर्य की धार निकलने लगी.. जो कि सीधे मेरे चेहरे पर गिरने लगी और मेरा चेहरा गीला हो गया। मैंने उसके लण्ड को छोड़ दिया।

मैंने बोला- ये क्या किया तूने.. मैं तेरी मदद कर रही हूँ और तू मजे ले रहा है।
रोहन बोला- सॉरी मॉम.. पता नहीं एकदम से क्या हो गया था मुझे।

मैं वहाँ से उठकर बाथरूम में गई और अपना चेहरा साफ किया। चेहरा साफ करते वक्त रोहन का कुछ वीर्य मेरे मुँह में चला गया। उसका स्वाद बहुत ही अच्छा था।
चेहरा धोकर मैं वापस अपने कमरे में आई।

पांच बज चुके थे.. रोहन की ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी, मैंने रोहन को आवाज़ लगाई.. वो कमरे में आया। मैंने उससे बोला- हम लोग अभी ही डॉक्टर के पास चल रहे हैं.. तू तैयार हो जा।

हम दोनों तैयार होकर जाने लगे, रोहन ने बाइक बाहर निकाली और हम दोनों क्लीनिक पहुँच गए।
डॉक्टर ने रोहन को अन्दर बुलाया। जब रोहन बाहर आया तो उसने मुझसे बोला- डॉक्टर ने ऑपरेशन का बोला है।
‘ओह्ह..’
फिर वो मुझसे बोला- मम्मी मुझे नहीं कराना कोई ऑपरेशन।

मैंने उसे वहीं बैठने के लिए बोला और मैं उठकर डॉक्टर के पास गई। वहाँ मैंने डॉक्टर से इस बारे में बात की.. उसने मुझे एक ट्यूब दिया.. जिसे रोहन को रात को सोने से पहले अपने लण्ड पर लगाना था।


फिर मैं बाहर आई और हम दोनों घर पहुँच गए।

रोहन ने मुझसे पूछा- क्या बोला डॉक्टर ने आपसे।
मैंने उससे बोला- उसने या तो आपरेशन का बोला है या फिर..
रोहन- या फिर क्या.. मम्मी।
मैं- अगर तुझे आपरेशन नहीं कराना तो तुझे किसी के साथ सेक्स करना पड़ेगा। जिससे तेरी खाल छिल जाएगी और तेरे लण्ड का सुपाड़ा बाहर आ जाएगा। पर इस सबमें तुझे पहली बार बहुत दर्द होगा।
रोहन- पर मम्मी मैं ऑपरेशन नहीं कराऊँगा।

इतना बोलते ही वो मेरी तरफ देखने लगा.. मैं भी उसे ही देख रही थी। तभी वो मुझसे बोला- पर मम्मी मेरे साथ सेक्स करेगा कौन?
और इतना कहकर वो मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगा।

मैंने उससे बोला- लगता है मुझे ही कुछ करना पड़ेगा तेरा..
अब उसे देखकर मैं भी मुस्कुराने लगी।
वो समझ गया कि मैं उससे चुदवाने के लिए तैयार हूँ।

फिर हम लोगों ने खाना खाया और फिर मैंने उससे बोला- आज रात मेरे ही साथ सो जाना.. और वो ट्यूब भी लेकर आना.. मैं उसे तेरे लण्ड पर लगा दूंगी।

मैंने अपना गाउन उतार दिया फिर अलमारी से दूसरा गाउन निकाल कर उसे पहनने लगी। वो एक जालीदार काला गाउन था बहुत पतला.. जिसमें से मेरा पूरा बदन दिख रहा था। मेरे मम्मों का उभार.. उन पर लगे हुए मेरे गुलाबी निप्पल्स.. मेरी पतली चिकनी कमर.. मेरी नंगी टांगें और उन टांगों के बीच मेरी ब्राउन पैंटी साफ चमक रही थी।

मैंने पीछे मुड़कर देखा तो रोहन वहीं खड़ा हुआ था, वो केवल अपना बॉक्सर पहने हुए था।
रोहन ने पीछे से खड़े हुए मेरा पीछे का पूरा नंगा बदन देख लिया था.. उसे देखकर मैं मुस्कुराने लगी।

मेरा नंगा बदन गाउन में से साफ चमक रहा था.. जिसे अब रोहन बिना नज़र हटाए निहार रहा था। वो आकर मेरे सीने से लग गया और मेरे स्तनों में अपने मुँह को घुसा लिया।
उसकी तेज गर्म सांसों को मैं अपने मम्मों पर महसूस कर रही थी।


वो मुझसे बोला- मम्मी थैंक्स… आप मेरे लिए ये सब कर रही हो।

मैंने उससे बोला- मैं तेरे लिए इतना तो कर ही सकती हूँ.. तुझसे इतना प्यार जो करती हूँ।
 
मेरा नंगा शरीर गाउन में से स्पष्ट दिख रहा था.. जिसे अब रोहन बिना नज़र हटाए निहार रहा था।
वो आकर मेरे वक्ष से लग गया और मेरे उरोजों में अपने चेहरे को घुसा लिया। उसकी तेज गर्म सांसों को मैं अपने वक्ष उभारों पर महसूस कर रही थी।

वो मुझसे बोला- थैंक यू मम्मा… आप मेरे लिए यह सब कर रही हो।
मैंने उसे कहा- मैं अपने बेटे के लिए इतना तो कर ही सकती हूँ.. तुमसे इतना प्यार जो करती हूँ।


फिर मैंने उससे बोला- चल अब लेट जा.. मैं तेरे लण्ड पर दवाई लगा देती हूँ।
वो उठकर बिस्तर पर लेट गया, मैंने उससे उसका बॉक्सर उतारने के लिए बोला.. तो वो बोला- मम्मी आप ही उतार दो ना प्लीज।

मैं उठकर उसके पास गई और फिर उसके बॉक्सर को उतारने लगी। उसने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी। फिर मैंने उसका बॉक्सर उतार दिया।
अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगा था.. जैसा कि बचपन में मेरे सामने नंगा रहता था।

उसका लण्ड अभी पूरी तरह से खड़ा नहीं था.. पर गाउन के अन्दर से मेरा नंगा बदन देखकर वो खड़ा होने लगा और मैं उसे देखकर मुस्कुराने लगी।

पर उसकी नज़र तो मेरे नंगे बदन पर थी.. मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोला- मम्मी आपने अन्दर ब्रा क्यों नहीं पहनी?
मैंने हँसते हुए बोला- मुझे ब्रा पहनना पसंद नहीं है।

फिर वो बोला- मम्मी आपके गाउन में से आपके पूरे ‘वो’ दिख रहे हैं।
मैंने पूछा- क्या पूरा दिख रहा है?

तो वो भी हँसने लगा और बोला- आपके बूब्स दिख रहे हैं।
मैंने बोला- अब गाउन ही ऐसा है तो मैं क्या कर सकती हूँ।
रोहन बोला- उससे अच्छा तो आप इसे उतार ही दो।
और फिर हँसने लगा।

फिर मैं घुटनों के बल बैठ गई और रोहन ने बिस्तर के एक साइड से टिक कर अपनी टाँगें फैला दीं।

अब मैंने उसका लण्ड अपने हाथों में ले लिया और फिर ट्यूब उठाकर उसके लण्ड के ऊपर लगाया और फिर उसकी मालिश करने लगी। मेरे हाथों का स्पर्श पाकर उसका लण्ड और मोटा हो गया।

अब मैं उसके लण्ड की चमड़ी को ऊपर-नीचे करने लगी। रोहन के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

तभी वो बोला- मम्मी आप प्लीज अपना गाउन उतार दो।
मैंने उससे पूछा- क्यूं.. क्या हुआ?
वो बोला- अभी तो आप बोल रही थीं कि मेरे लिए कुछ भी कर सकती हो और अब इतना भी नहीं कर पा रही हो।

तो मैंने उसके लण्ड को छोड़ा और खड़ी हो गई। बिना कुछ बोले मैंने अपना गाउन उतार दिया… अब मैं उसके सामने केवल पैंटी में ही खड़ी थी।

वो मेरे नंगे कसे हुए मम्मों को घूरने लगा.. जिस पर मेरे तने हुए गुलाबी निप्पल्स चमक रहे थे।
फिर मैं उससे बोली- अब ठीक है..

और फिर जाकर उसके पास बैठ गई.. पर उसकी नज़र तो बस मेरे मम्मों पर ही थीं।

मैं उसकी आँखों में मेरे प्रति उसकी हवस को साफ देख सकती थी। मैंने उससे बोला- क्या घूर रहा है मेरे मम्मों को?
वो एकदम से होश में आया और बोला- कुछ नहीं।

मैंने फिर से उसके लण्ड को पकड़ा और उसकी मालिश करने लगी। मेरे नंगे मम्मों को देखकर उसकी हालत खराब होने लगी और फिर तुरंत ही वो बोला- मम्मी मेरा निकलने वाला है।

मुझे पता नहीं एकदम क्या हुआ.. मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और फिर तुरंत ही वो झटकों के साथ मेरे मुँह में झड़ने लगा। मैंने उसका सारा पानी पी लिया।

मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह से निकाल दिया। मैंने रोहन को देखा तो वो मुझे ही देख रहा था।

मैं उसे देखकर बोली- क्या हुआ.. ऐसे क्यों देख रहा है?
वो बोला- मम्मी, आप मेरा सारा पानी पी गईं।

तो मैं उसे देखकर मुस्कुरा दी, मेरी चूत भी अब गीली हो गई थी और मुझे भी अब चुदाई का मन हो रहा था.. पर मैं रोहन से तो ये बात नहीं बोल सकती थी।

रोहन अब झड़ चुका था और वो नंगा ही बिस्तर पर लेटा था। मैं भी उसके बगल से लेट गई। अब रोहन मुझसे आकर लिपट गया और मेरे स्तनों को अपनी छाती से दबा रहा था।
मैं भी रोहन से लिपटी हुई थी।

फिर वो बोला- मम्मी क्या मैं आपके बूब्स छू सकता हूँ?
तो मैंने उसे ‘हाँ’ बोल दिया।

अब वो उठा और मेरे मम्मों पर हाथ फेरने लगा। कुछ देर बाद उसने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। मुझे भी उसकी ये हरकतें पसंद आने लगीं।

मैंने उसे बोला- अब बस भी कर.. क्या अब इन्हें निचोड़ ही डालेगा?

पर वो नहीं रुका और फिर वो मेरी चूचियों को चूसने लगा। वो मेरे निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसने लगा और उन पर काटने लगा.. जिससे मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारियाँ निकलने लगीं।

मैं भी चुदास के कारण गर्म थी.. तो खुलकर रोहन साथ दे रही थी।
मैंने देखा कि उसका लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था।

अब रोहन ने मेरे मम्मों को चूसना बंद किया और मुझसे बोला- मम्मी आपके बूब्स तो बहुत टाइट और मीठे हैं।
इतना बोल कर वो फिर से मेरे मुँह के पास अपना मुँह लेकर आने लगा.. और देर न करते हुए मेरे होंठों को चूमने लगा। थोड़ी देर चूमने के बाद उसने मेरे होंठों को छोड़ा और मुझसे बोला।

रोहन- मम्मी आप बहुत सुंदर हो.. आई लव यू।
मैंने भी रोहन के होंठों पर किस किया और ‘आई लव यू टू’ बोला।

फिर रोहन मुझसे बोला- मम्मी मुझे आपके साथ सेक्स करना है।
मैंने उसको चिढ़ाने के लिए बोला- पागल हो गया है क्या.. अपनी मम्मी के साथ ऐसा करेगा?

मेरा यह जवाब सुनकर वो रोने लगा और बोला- मम्मी मुझे ऑपरेशन नहीं कराना.. इसीलिए मैं आपसे बोल रहा हूँ और फिर डॉक्टर ने भी तो बोला है।

मैंने उसे चुप कराया और उसे अपने नंगे सीने से लगा लिया और उससे बोली- अरे..रे.. मैं तो मजाक कर रही थी।
फिर जाकर वो चुप हुआ।

उसने फिर से मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।

अब वो उठा और मेरी टाँगों के बीच आया और मेरी पैंटी को उतारने लगा.. जो कि बिल्कुल गीली हो चुकी थी। उसने मेरी पैंटी को मेरी टांग उठाकर बाहर निकाल दिया।

अब मैं भी उसके सामने बिल्कुल नंगी थी।

वो मेरी फूली हुई लाल चूत को सूंघने लगा और बोला- मम्मी मुझे आपकी चूत के पानी की खुश्बू बहुत अच्छी लगती है.. मैं आपकी पैंटी को अक्सर इसी वजह से चाटा करता हूँ।

मैंने उसे छेड़ते हुए बोला- पैंटी को चाट-चाट कर ही मन भर गया तेरा.. आज तो खुद झरना ही तेरे पास है.. जितना पानी पीना हो पी ले।
मेरी बात सुनकर रोहन बोला- मम्मी आज मैं आपके इस मीठे पानी के झरने को खाली कर दूँगा।

फिर वो मेरी चूत को चाटने लगा।
क्यूंकि मैं बहुत देर से उत्तेजित थी.. तो मेरी चूत ने जल्दी पानी छोड़ दिया।

मैं बहुत जोरों से झड़ने लगी.. झड़ते वक्त मैंने रोहन के सिर को अपनी टाँगों के बीच फंसा लिया.. जिससे उसका मुँह मेरे रस से भर गया और मेरा पानी उसके मुँह के चारों तरफ लग गया।

वो वैसे ही उठा और मेरी पतली चिकनी कमर और पेट को चूमने और चाटने लगा.. जिससे उसके मुँह पर लगा हुआ पानी मेरे पेट पर लग गया। उसने मेरी नाभि में थूक दिया और फिर उसे अपनी जीभ से चाटने लगा।

मेरी कमर और पेट को चूमते वक्त मेरा बदन बुरी तरह से काँपने लगा था।

अब उसने मेरी टाँगों को फैलाया और अपने लण्ड को मेरी चूत के छेद पर लगाया और अन्दर डालने लगा।

मेरी चूत पहले से ही बहुत गीली थी, उसका लण्ड थोड़ा जाते ही उसे दर्द होने लगा और अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया।
वो मुझसे बोला- मम्मी अब मैं क्या करूँ मेरे लण्ड में दर्द हो रहा है।

तो मैं उठी और उससे क्रीम की लाने का बोला.. वो क्रीम ले आया।

मैंने उसे लेट जाने के लिए कहा और फिर उसके लण्ड को पकड़कर अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगी.. जिससे वो ठीक से गीला हो जाए।

थोडी देर बाद मैंने उसके लण्ड को मुँह से निकाला और उसके ऊपरी भाग पर ढेर सारी क्रीम लगा दी।

मैं उससे बोली- तुझे थोड़ा दर्द होगा।
वो बोला- कोई बात नहीं मम्मी.. इतना तो मैं सह ही सकता हूँ।

फिर मैंने उसे नीचे ही लेटे रहने दिया और मैं उसके ऊपर आ गई। मैंने उसके लण्ड को पकड़ा और उसे अपनी चूत पर लगाया और ऊपर का थोड़ा हिस्सा अन्दर जाने के बाद मैंने उसके दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया।

मुझे पता था कि रोहन के लण्ड की सील टूटने वाली है.. तो मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और उन्हें चूमने लगी.. जिससे अगर वो चिल्लाए तो उसकी आवाज़ वहीं दब जाए।

मेरे स्तन उसकी छाती को छू रहे थे और मैं उसके होंठों को लगातार चूमे जा रही थी। फिर मैं धीरे-धीरे उसके लण्ड पर दबाब बनाने लगी और उस पर बैठने लगी।
धीरे-धीरे उसका लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में उतरने लगा।


उसे कितना दर्द हो रहा था.. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उसने अपने हाथों में जकड़े हुए मेरे हाथों को जोरों से दबा दिया और मेरे होंठों को काटना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर तक मैंने उसके लण्ड को अपनी चूत के अन्दर ही रखा और फिर मैंने अपने होंठों को चूमना छोड़ दिया। वो दर्द से कराह रहा था.. क्योंकि शायद उसके लण्ड की सील मेरी चूत के अन्दर ही टूट चुकी थी।

फिर मैंने अपनी चूत से रोहन के लण्ड को चोदना शुरू कर दिया। रोहन भी अब अपना दर्द भूलकर मुझे चोदने लगा, उसके मुँह से ‘आहह.. उहहह..’ की आवाजें आ रही थीं.. जो मुझे और भी मदहोश कर रही थीं।


मैंने अपने बालों को अपने गले के दायीं तरफ कर लिया और मैं उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे होते हुए उसके सीने को चूमने लगी।

रोहन ने भी अब नीचे से तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए.. मैं भी कमर उछाल-उछाल कर उसका साथ दे रही थी। तेजी से चोदने के कारण मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

मैं चिल्ला-चिल्ला कर रोहन को बोल रही थी- ओओहह.. रओहहहनन.. और चोदो मुझे.. आऊऊऊहह.. उउफ्फ… चोददद डाल्लो मुझे.. फक्क मीईईई रोअअह्हनन.. फक्क.. योर मॉमम्म्म..

मेरी सिसकारियाँ रोहन को बहुत उत्तेजित कर रही थीं और वो मुझे और तेजी के साथ चोदने लगा.. जिससे उसके लण्ड में और तेजी से दर्द होने लगा और वो जोरों से कराहने लगा.. पर उसने मुझे चोदना जारी रखा।

मेरा शरीर अकड़ने लगा और फिर मेरी चूत से मेरे पानी का फव्वारा बहने लगा.. जिससे रोहन का लण्ड और गीला हो गया।

अब उसका लण्ड बिना किसी रुकावट के मेरी चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था।

उसने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और फिर वो झटकों के साथ मेरी चूत में ही झड़ने लगा। उसके लण्ड से निकला गर्म वीर्य मेरी चूत के कोने-कोने को भिगा रहा था.. जिससे मेरे शरीर में एक अलग सी सुरसुरी होने लगी थी।

फिर मैं रोहन के ऊपर वैसे ही लेट गई। उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था। झड़ जाने के बाद उसे दर्द का एहसास होने लगा।
रोहन मुझसे बोला- मम्मी मेरे लण्ड में बहुत दर्द हो रहा है।

फिर मैं उठी और अपनी चूत से लण्ड को बाहर निकाला।
रोहन का लण्ड मेरे और उसके दोनों के पानी से सना हुआ था। मेरी चूत में से भी अब रोहन का वीर्य बाहर आकर बहने लगा।

फिर मैंने रोहन का लण्ड देखा तो वो सूज चुका था और उसके लण्ड का सुपाड़ा खाल को खींचता हुआ बाहर आ गया था.. जिस वजह से उसकी खाल पर खिंचाव आ गया था और उसका लण्ड दर्द कर रहा था।

मैंने रोहन को बोला- अब तेरा लण्ड खुल चुका है और दो-तीन दिन में ये बिल्कुल ठीक हो जाएगा।

तो वो खुश हो गया और बोला- मम्मी थैंक यू.. आपकी वजह से ही मैं ठीक हो पाया हूँ। अगर आप ये सब ना करतीं तो मैं कभी ठीक नहीं हो पाता।

और ऐसा बोलकर वो मेरे मम्मों को दबाने लगा।

मैं हँसकर बोली- क्यों नहीं करती ये सब तेरे लिए.. मैं तेरा ध्यान नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा और आगे भी तेरे लिए ये सब करती रहूँगी।

फिर उसने मुझे लेटाया और फिर से मेरी चूत चाटने लगा.. मेरी चूत से निकलता हुआ उसका और मेरा वीर्य मेरी चूत से होते हुए मेरी गाण्ड की दरार में जाने लगा।

अब रोहन ने मुझे घोड़ी बनने के लिए बोला.. तो मैं घुटनों के बल लेट गई और अब रोहन मेरी 36 साइज की चौड़ी और गोल गाण्ड को अपने हाथों से मसलने लगा। फिर वो अपनी जीभ से मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा.. जो कि चूत से निकले हुए पानी की वजह से गीली हो गई थी।

रोहन का लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था.. पर मैंने उससे बोला- अभी दो-तीन दिन तक कुछ मत करना.. वरना फिर और दर्द होगा।
वो बोला- तब तक मैं क्या करूँगा?

तो मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों में लिया और फिर मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी देर चूसने के बाद उसने अपने लण्ड को बाहर खींच लिया और फिर उसे मेरे मम्मों के बीच डालकर मेरे मम्मों से अपने लण्ड को रगड़ने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ने लगा। उसने अपना सारा वीर्य मेरे मम्मों पर ही गिरा दिया।

उसके बाद मैं नंगी ही उठकर बाथरूम गई और खुद को साफ करके वापस रूम में आ गई।
रोहन भी वहीं पर लेटा हुआ था.. वो भी बिल्कुल नंगा।

मैंने घड़ी में टाइम देखा तो रात के ढाई बजे रहे थे। फिर मैं और रोहन आपस में चिपक कर सो गए।

जब तक मेरे पति और बेटी नहीं आ गए.. तब तक हम रोज एक-दूसरे को खूब चोदते और घर मैं नंगे ही घूमते थे। जब भी मन होता रोहन मुझे चोद देता था।



रवि के आ जाने के बाद भी मैं रोज मौका देखकर उससे चुदवा लेती थी। जब रवि सो जाते थे.. तो मैं रोहन के रूम में जाकर उसके साथ चुदाई करती थी और ये सिलसिला अभी तक जारी है।
 
अभी रोहन और अन्नू दोनों के एग्जाम ख़त्म हो चुके थे और अन्नू अपनी छुट्टियों को काटने के लिए अपनी नानी के पास यानि मेरे मायके चली गई थी।
रोहन ने बारहवीं पास कर लिया था और अब वो दिन भर घर पर ही रहता था।
मेरे पति रवि रोज की तरह सुबह ऑफिस चले जाते थे और फिर रात को ही वापस आते थे।

रवि के जाते ही मैं रोहन के पास उसे जगाने के लिए जाती थी और फिर हम दोनों एक-दूसरे के साथ जी भर के चुदाई किया करते थे और फिर पूरा दिन हम दोनों नंगे ही घर के काम किया करते थे।

जब भी रोहन मुझे नंगा देख लेता था तो आकर मेरे जिस्म से खेलने लगता था और मन होते ही हम दोनों फिर से शुरू हो जाते थे।

एक दिन ऐसे ही रवि के जाने के बाद में घर के कामों में लग गई और रसोई की सफाई कर रही थी। तभी रोहन पीछे से आकर मुझसे लिपट गया और अपना लण्ड मेरी गाण्ड में रगड़ने लगा और मेरे मम्मों को जोरों से मसलने लगा।
मेरे मुख से सीत्कार निकलने लगी।
खड़े-खड़े ही रोहन ने अपने एक हाथ को मेरे मम्मों पर ही रहने दिया और दूसरे हाथ से मेरे गाउन को उतार दिया। मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था तो मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गई।

फिर रोहन मुझसे बोला- मम्मी और दिन में तो आप पैंटी भी पहने रहती थी.. पर आज आपने अन्दर कुछ नहीं पहना.. क्यूँ?
मैं मुस्कुरा कर बोली- तेरे पापा ने कल रात को मुझे पैंटी पहनने का मौका नहीं दिया।

रोहन बोला- मम्मी क्या पापा अभी तक आपको चोदते हैं?
तो मैंने बोला- क्यों नहीं चोदेंगे.. आखिर पत्नी हूँ मैं उनकी… उनका तो चोदने का मुझ पर सबसे पहला हक़ बनता है।

फिर रोहन ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरे हाथों में पकड़ा दिया और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा। मैं अपने हाथों से उसके लण्ड को सहलाने लगी.. जो कि पूरी तरह से खड़ा था।

अब उसके लण्ड की खाल एकदम ठीक हो चुकी थी और उसके लण्ड का सुपाड़ा पूरी तरह बाहर भी आ चुका था।

रोहन नीचे बैठ गया और फिर मेरी चूत पर मुँह लगा कर उसे जोरों से चाटने और चूसने लगा। रोहन की नुकीली जीभ को मेरी चूत के अन्दर जाते ही मैं सिहर उठी और मैं वहीं खड़ी हो कर जोरों से कांप रही थी।

रोहन उठा और उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर लगाया और एक ही झटके के साथ उसने अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया। मैं वहीं खड़ी हुई और थोड़ा ऊपर को उछल गई.. पर रोहन ने मुझे मजबूती से पकड़ रखा था।

उसके करारे धक्के मेरी चूत को तेजी से चोदे जा रहे थे। मैं भी उसके हर धक्कों का जवाब अपनी सीत्कारों के साथ दे रही थी.. जो कि रोहन का जोश बढ़ा रही थीं।

थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगी और ‘आहहह.. रोहहहन.. मैं गईई ऊऊहह..’ चिल्लाते हुए झड़ने लगी पर रोहन अभी तक मैदान में था।
मेरी चूत से निकले हुए पानी के कारण उसका लण्ड गीला हो चुका था और अब रसोई में ‘फच फच’ की आवाज़ गूँज रही थी।

रोहन ने अब अपने धक्कों को बढ़ा दिया और तेजी के साथ अपने लण्ड को मेरी चूत के अन्दर-बाहर धकेल रहा था।
थोड़ी देर बाद वो मुझसे बोला- मम्मी मैं झड़ने वाला हूँ.. अपना वीर्य कहाँ निकालूँ।
तो मैंने उससे बोला- अन्दर मत झड़ना बस।

फिर उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुझसे जमीन पर बैठने के लिए बोला और फिर अपने लण्ड को मेरे मुँह की तरफ लाकर अपने हाथों से हिलाने लगा तो मैं उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और फिर वो झड़ने लगा।
लगातार चार या पांच पिचकारियों में वो मेरे मुँह में ही स्खलित हो गया और मैं उसके गाढ़े और मीठे वीर्य को अन्दर तक निगल गई।

इतनी देर चुदाई के बाद हम दोनों थक चुके थे, मैं और रोहन दोनों उठे और हम दोनों बेडरूम में आकर नँगे ही लेट गए।
वो अभी भी मेरे मम्मों से खेल रहा था.. कभी उन पर चुम्मी देता.. कभी मेरे निप्पल्स दबा देता.. तो कभी उन्हें मसलने लगता।

फिर रोहन मुझसे बोला- मम्मी एक बात पूछूँ?
मैंने बोला- हाँ पूछो।
तो रोहन बोला- मुझे आपकी और पापा की चुदाई देखनी है।
मैंने उससे बोला- पागल हो गया है क्या तू.. अगर तेरे पापा ने तुझे देख लिया तो फिर तू ही समझ लेना कि तेरा क्या होगा!

मेरी इस बात पर रोहन बोला- वो सब मैं देख लूँगा.. बस आप मुझे किसी भी तरह रात को कमरे के अन्दर घुसा लेना।
मैंने उसे साफ मना कर दिया कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी.. पर रोहन जिद पर अड़ गया और फिर मैंने उसे ‘हाँ’ बोल दिया।

उसके बाद हम दोनों उठे और अपने काम करने में लग गए। थोड़ी देर बाद नहा-धो कर हम लोगों ने खाना खाया और फिर हम दोनों ने एक बार और चुदाई की और फिर वैसे ही सो गए।

रात को रवि घर आए तो हम सबने मिलकर खाना खाया और फिर रवि और रोहन दोनों टीवी देखने लगे।
साढ़े दस बज चुके थे तो मैं हॉल में गई और सभी को सोने के लिए बोला।

रोहन उठकर अपने कमरे में जाने लगा तो मैंने उसे चुपके से अपने बेडरूम में बुला लिया और फिर उसे वहीं अलमारी.. जो दीवार में ही बनी हुई थी और छत से लगी हुई थी.. उस पर बिठा दिया।

वो अलमारी एक बड़े परदे से ढकी हुई थी। जिससे रोहन उसके साइड से बड़ी ही आसानी से पूरे कमरे के अन्दर का माहौल देख सकता था।
मैंने उसे बोला- जब तक मैं इशारा न कर दूँ.. तब तक वहीं रहना।

थोड़ी देर बाद रवि कमरे में आए, उन्होंने आते ही गेट बंद कर दिए और बिस्तर पर जाकर लेट गए।
मैं भी उठकर उनके बगल में लेट गई। मैंने तिरछी नज़रों से ऊपर अलमारी की तरफ देखा.. तो रोहन वहीं बैठा हुआ था, उस पर किसी की नज़र नहीं जा सकती थी।

फिर मैं रवि के साथ उनसे लिपटकर बातें करने लगी और उनके गालों पर किस करने लगी।
वो भी मुझे अपनी बाहों में लिए हुए मुझे चूम रहे थे।

अब रवि उठे और उन्होंने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। सबसे पहले उन्होंने मेरा गाउन उतार दिया और फिर मेरी पैंटी भी उतार दी। मैं अब बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी।

रवि भी सिर्फ अपनी चड्डी में थे और उनका लण्ड खड़ा हुआ था।
रवि उठकर मेरे पास आए और मुझसे बोले- कन्डोम लगाऊँ या फिर ऐसे ही करूँ।

मैंने उनसे कन्डोम लगाने का बोल दिया।

मैं नंगी ही बिस्तर से उठी और अलमारी की तरफ जाने लगी, मेरी गदराई हुई गोल गाण्ड मेरे हर कदम पर ऊपर-नीचे हो रही थी.. जो रवि और शायद रोहन दोनों को ही काफी उत्तेजित कर रही थी।

मैंने अलमारी से कन्डोम निकाला और वापस बिस्तर पर आ गई। फिर मैंने रवि के लण्ड को पकड़ा और कन्डोम को उनके लण्ड पर चढ़ा दिया।

अब रवि उठे और उन्होंने मुझे अपने नीचे लेटा लिया।

उन्होंने मेरी दोनों टाँगों को अपने कंधे पर रख लिया और फिर अपने लण्ड को मेरी चूत के छेद पर लगाकर उसमें अपने लण्ड को डालना शुरू कर दिया।

तीन-चार धक्कों में रवि का पूरा लण्ड मेरी चूत के अन्दर जा चुका था। रवि का लण्ड भी बहुत मोटा और लम्बा था.. पर उनकी एक बात मुझे बहुत अच्छी लगती थी कि उनकी चोदने की शक्ति बहुत प्रबल थी।

उन्हें चूत चाटना बिल्कुल भी पसंद नहीं था और वो अपना लण्ड भी बहुत ही कम बार मुझसे चुसवाते थे।

रवि का पूरा लण्ड अब मेरी चूत के अन्दर था और अब वो लगातार झटकों से मेरी चूत चोद रहे थे।
उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को जकड़ लिया और उन्हें दबाना शुरू कर दिया।

मेरे कसे हुए मम्मों की बनावट ऐसी है कि उन्हें देखकर कोई भी उन्हें दबाने के लिए तैयार हो जाए। शायद यही वजह है कि चुदाई के वक्त उन पर कुछ ज्यादा ही जुल्म होता था और शायद इसी वजह से वो ज्यादा आकर्षित दिखने लगे थे।


रवि लगातार मेरे मम्मों को दबा रहे थे और अपने धक्कों से मेरी चूत को बेहाल कर रहे थे।

मेरे मुँह से सीत्कारों का तो जैसे पिटारा ही खुल गया था, मेरी सिसकारियाँ उनको बहुत ही उत्तेजित कर रही थीं- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. रवि ओऊहहह.. चोददो ममुझझे.. आहहह ओहहह माआ.. और जोरर से चोदददो फक्ककक मीईई रवि..

मेरी इस तरह की आवाजें पूरे कमरे में गूंजने लगीं।

मैं अपनी चुदाई में इतनी मशगूल थी कि मुझे रोहन के होने का आभास तक नहीं था।

रवि के तेज धक्कों की वजह से मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं ना चाहते हुए भी झड़ने लगी। झड़ते समय मेरे दोनों हाथ रवि के हाथों को जकड़े हुए थे.. जिससे रवि मेरे मम्मों को दबा रहे थे और मैं चिल्लाते हुए झड़ने लगी।

मेरे झड़ने के बाद रवि ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुझे घोड़ी बनने का बोला।
मैं घुटनों के बल बैठकर घोड़ी बन गई, मेरी गाण्ड रवि की तरफ थी।


रवि ने पहले तो मेरी गदराई गाण्ड को अपने हाथों से सहलाया और फिर अपने लण्ड को मेरी चूत पर रखकर धक्के देना शुरू कर दिए।

रवि के धक्के लगातार बढ़ते ही जा रहे थे और वो और तेजी से मुझे चोद रहे थे। मैं भी अब उनके हर धक्कों पर अपनी गाण्ड को पीछे कर रही थी.. जिससे उनका पूरा लण्ड मेरी चूत में उतर जाता था।

थोड़ी देर इसी तरह चोदने से उनका भी स्खलन होने लगा और वो झड़ने लगे। झड़ते समय उन्होंने अपने झटकों की गति को और तेज कर दिया और फिर मैं भी उनके साथ साथ झड़ने लगी।

झड़ने के बाद रवि वैसे ही मेरे ऊपर लेट गए और मुझसे बोले- सोना.. हमारी शादी को इतने साल हो गए.. पर तुम आज भी पहले से ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी हो।

उनकी इस बात पर हम दोनों खूब हँसे और फिर वो मेरे मम्मों को छेड़ने लगे।
कुछ पलों के बाद रवि उठकर बाथरूम जाने लगे।

उनके जाते ही मैं नंगी ही बिस्तर से उठी और मैंने रोहन को बाहर आने का बोला।
रोहन के बाहर आते ही मैंने उसे उसके रूम में जाने को कहा।

चार-पांच मिनट बाद रवि कमरे में आए और हम लोग वैसे ही सो गए।

सुबह रोज की तरह मैं उठी.. उठते ही मैंने अपना गाउन पहना और फिर रवि का लंच तैयार करके उन्हें ऑफिस भेजा।
उसके बाद मैं रोहन के कमरे में गई और उसे जगाया।

उसके बगल में मेरी काली पैंटी पड़ी हुई थी। मैंने उसे उठाकर देखा तो वो बिल्कुल गीली थी और उसमें से वीर्य की खुश्बू आ रही थी।

मैंने रोहन को उठाकर पूछा- तूने इसमें कितनी बार मुठ मारी.. जो ये अभी तक गीली है?
रोहन बोला- मम्मी कल रात से मैं आपको याद कर करके चार बार मुठ मार चुका हूँ। जब पापा आपको चोद रहे थे उसी टाइम मैंने दो बार आपकी पैंटी में मुठ मारी और फिर कमरे में आकर भी लौड़ा हिलाया। मेरा बहुत मन कर रहा था आपको चोदने का.. इसलिए फिर से मुझे मुठ मारकर ही काम चलाना पड़ा।
मैं हँस दी।

फिर रोहन बोला- थैंक्स मम्मा.. आप मेरी हर बात मानती हो.. कल आप ही की वजह से मैं ऐसा नज़ारा देख पाया हूँ। मम्मा.. जब पापा आपको चोद रहे थे.. उस समय आप गजब की सेक्सी लग रही थी और आपकी सिसकारियाँ मुझे भी आपको चोदने के लिए मजबूर कर रही थीं.. पर मैं आपको नहीं चोद पाया।


तो मैं हँसते हुए बोली- कोई बात नहीं मेरे राजा बेटा.. आज तू और मैं मिलकर कल रात की सारी कसर को पूरा कर लेंगे।


मेरे इतना बोलते ही उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और फिर हम दोनों ने एक-दूसरे के कपड़े उतार दिए और फिर रोहन ने उस दिन लगातार तीन बार मुझे चोदा।
 
एक बार मैं अपनी सहेली मनीषा के साथ शॉपिंग करने मार्किट गई थी। उस वक्त अन्नू स्कूल गई हुई थी और रोहन भी अपने कोलेज गया था, दोनों को वहाँ से आने में पांच बज जाते हैं और मेरे पति रवि को भी ऑफिस से आने में आठ बज जाते हैं।

अब रोहन के साथ भी मुझे मुश्किल से टाइम मिल पाता था क्योंकि वो सुबह कॉलेज चला जाता था और शाम को ही आता था।
तो दोपहर का समय मुझे अकेले ही काटना पड़ता है इसलिए मैं टाइम पास करने के लिए मनीषा के साथ मार्किट चली गई।

मनीषा मेरे घर के नजदीक ही रहती थी तो हमारी आपस में बहुत अच्छी बनती थी।
मनीषा दिखने में सुन्दर है, उसकी उम्र कुछ 35 साल है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है।

हम लोग आपस में बहुत खुले हुए है और हम दोनों के बीच हर तरह की बातें होती हैं।

शॉपिंग करने के लिए हम लोग एक अच्छी साड़ी की शॉप पर गये थे। वो शॉप मनीषा के किसी दोस्त की ही थी। मैंने काली साड़ी पहनी हुई थी जो कमर से बहुत नीचे बंधी हुई थी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जो लो कट था।

दुकान पर सब मुझे ही घूर रहे थे। मेरे मम्मों और नंगी कमर पर सबकी निगाहें अटकी हुई थी जिसे मैं बार बार नोटिस कर रही थी।कुछ लोग तो मेरे पास से गुजरने के बहाने मेरी कमर और गांड को छू लेते थे।
मैं भी मूड में आ गई थी और जान बूझकर और उन्हें उकसा रही थी।

देवेश जो दुकान का मालिक और मनीषा का दोस्त था हमें साड़ी दिखा रहा था और सबसे ज्यादा वही मुझे घूर रहा था।
मैं भी उसे अपनी और कुछ ज्यादा ही आकर्षित कर रही थी, साड़ी दिखाते टाइम मैं अपना पल्लू उठाकर ठीक करने लगी जिससे देवेश को मेरे अधनंगे मम्मों के दर्शन हो गए।

मैंने देखा की उसका लंड उसके पैंट में तना जा रहा है और वो उसे अपने हाथों से मसल कर बार बार अंदर दबा रहा था।
मैं उसे बार बार ऐसा करते हुए देख रही थी।
एक बार तो हम दोनों की नज़रे भी आपस में टकरा गई तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए और फिर से वही सिलसिला शुरू हो गया।

मनीषा ने अपने लिए साड़ियाँ खरीद ली थी पर मुझे अपने लिए कोई पसंद नहीं आई। तो देवेश मुझसे बोला अगर आपको और साड़ियाँ देखनी हो तो आप एक बार गोदाम में चल कर देख लीजिये, शायद आपको पसंद आ जाये।

मैंने मनीषा को भी साथ चलने का बोला पर वो और सामान खरीदने लगी तो मुझे देवेश के साथ अकेले ही गोदाम में जाना पड़ा जो दुकान के तीसरे माले पर था।

गोदाम में जाते ही उसने मुझे बैठने का बोला और फिर साड़ियाँ दिखाने लगा।

वो मेरे बगल में ही खड़ा था जिससे मुझे उसका खड़ा लंड मेरे मुंह के पास ही महसूस हो रहा था। जब मैंने नज़र उठा कर उसकी तरफ देखा तो वो मेरे मम्मों को घूर रहा था।

मैं उससे बोली- क्या हुआ जनाब? ऐसा क्या देख रहे हो आप मुझको?
वो मुस्कुरा कर बोला- आप इस साड़ी में बहुत सुन्दर दिख रही हैं।
मैं भी उसको छेड़ते हुए बोली- हाँ, वो तो आपकी पैंट देख कर ही पता लग रहा है।

मेरी इस बात से वो पहले तो चुप रहा और फिर बोला- भाभी जी, आप का ब्लाउज तो बहुत ही लो कट का है। आप बहुत सेक्सी लग रही हो इसमें!
मैंने हंसते हुए उसे धन्यवाद बोला।

मुझे एक साड़ी पसंद आ गई थी और मैंने उसे पैक करवा ली थी तभी देवेश बोला- अगर आपको स्टाइलिश मैचिंग अंडर गारमेंट्स भी लेने है तो वो भी मिल जाएंगे।
तो मैं अपने लिए अंडर गारमेंट्स देखने लगी।

उनमें से कुछ मुझे पसंद आये तो मैं देवेश से बोली- मैं इन्हें ट्राय करना चाहती हूँ।
तो देवेश बोला- ट्रायल रूम तो नहीं है, अगर आपको ट्राय करना है तो यहीं कर सकती हैं।

मैं उससे बोली- मैं क्या तुम्हारे सामने चेंज करुँगी?
तो देवेश बोला- आप फ़िक्र न करें, यह तो मेरे रोज का काम है।

मैं देवेश के मन की भड़ास को समझ चुकी थी और अब मैं भी इसका मजा लेना चाहती थी तो मैं भी उसके सामने ट्राय करने के लिए तैयार थी।

मैंने देवेश की तरफ पीठ की और फिर अपने पल्लू को नीचे गिराकर अपने ब्लाउज के हुक को खोल दिया और ब्लाउज उतार कर साइड में रख दिया।
फिर मैंने अपनी ब्रा को भी उतार दिया।


अब मैं ऊपर से बिल्कुल नंगी और कमर से साड़ी में थी।
मैंने अब नई ब्रा को उठाया और पहनने लगी, मैंने उसे ठीक से अपने मम्मो पर सेट किया और फिर हुक लगाने लगी।
ब्रा का हुक मुझसे नहीं लग रहा था तो मैंने देवेश की तरफ सर घुमा कर उसे इशारा किया।
वो समझ गया और आकार ब्रा का हुक लगाने लगा।

वो मुझसे सटकर खड़ा था जिससे उसका लंड मेरी गांड में झटके दे रहा था।
मैं भी अपनी गांड को पीछे की ओर उसके लंड पर दबा रही थी और शायद इसका एहसास उसको हो गया था तो उसने ब्रा के ऊपर से ही अपने हाथों को मेरे मम्मों पर रख दिया।
और फिर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा।

अब उसने मुझे अपनी और घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसने ब्रा भी उतार कर फेंक दी और अब वो मेरे नंगे मम्मों को मसल रहा था।

उसने ज्यादा देर ना करते हुए मेरी साड़ी, पेटिकोट को उतार दिया।
अब मैं केवल पैंटी में उससे लिपटी हुई खड़ी थी।

देवेश ने मुझे उठाकर काउंटर पर बैठा दिया और मेरी टाँगें उठाकर पैंटी उतार दी। अब वो मेरी चूत पर थूक कर उसे अपनी उंगलियों से मलने लगा।
उसने मेरी चूत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया और फिर एक उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा।

मेरी चूत गीली होने लगी थी तो उसने उंगली निकाल कर अपने पैंट को उतार दिया और लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथों में थमा दिया।

मैंने थोड़ी देर तक लंड को सहलाने के बाद लंड पर ढेर सारा थूक लगा लिया और फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगा कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
दो तीन धक्कों में उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था और मैं मस्ती में सिसकारियाँ ले रही थी।

मैं वही काउंटर पर टाँगें फैलाये बैठी थी और देवेश अपने लंड को चूत में अंदर बाहर किये जा रहा था।
अब देवेश ने जोरों के धक्के देना शुरू कर दिए उसका लंड मेरी चूत में अंदर तक जा रहा था जो मुझे मीठा सा दर्द दे रहा था।

मैंने अपने दोनों हाथों से देवेश की कमर को पकड़ लिया था जिससे मेरे नाखून उसकी कमर पर चुभ रहे थे।
मेरे मुंह से आआहह हहहहह आआआ ओऊऊहहह ऊऊऊऊहह हहहह की आवाज़ें निकल रही थी जिसे बंद करने के लिए देवेश ने मेरे मुंह में अपनी तीन उंगलियाँ डाल दी।

उसके धक्कों की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी।
थोड़ी देर उसी तरह चोदने के बाद उसने मुझे काउंटर से नीचे उतारा और मुझे काउंटर की तरफ झुकने को बोला।

मैंने अपने दोनों हाथों को काउंटर पर रखा और देवेश की तरफ पीठ करते हुए झुक गई।
मेरे इस आसन में खड़े होने के कारण मेरी बड़ी गोल गांड देवेश के सामने थी।

देवेश ने अब अपने लंड को पीछे से मेरी चूत पर लगाया और एक ही धक्के के साथ पूरे लंड को मेरी चूत में उतार दिया।
मैं दर्द से कराह उठी इस आसान में मेरी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई लग रही थी।

देवेश के लगातार धक्कों की वजह से मेरी गीली चूत से पानी निकलने लगा और मैं झड़ने लगी।
झड़ते वक्त मैं अपने एक हाथ से दाने को रगड़ने लगी जिससे मैं और जोर जोर से झड़ने लगी।

देवेश भी अपने चरम पर था और मेरी चूत से निकले हुए पानी के कारण उसका लंड पूरा गीला हो चुका था।
तभी देवेश ने पीछे से ही अपने हाथों से मेरे मम्मों को जकड़ लिया और फिर जोरदार धक्कों के ही साथ मेरी चूत में झड़ने लगा।
उसके वीर्य की लगातार धार मेरी चूत को अंदर तक गीला कर रही थी।


मैं इतनी मदहोश थी कि मुझे इस बात की भी याद नहीं थी कि मनीषा मेरा इंतजार कर रही होगी।

मैं उठी और अपनी पैंटी उठाकर अपनी चूत को साफ करने लगी जिसमें से अभी भी मेरा और देवेश का वीर्य निकल रहा था।
मैंने वो पेंटी उठाकर अपने पर्स में रख ली।

देवेश ने अपने कपड़े पहन लिए थे और मैं उसके सामने अभी तक नंगी थी।
मैंने नई पैंटी पहन कर साड़ी पहनी और फिर जल्दी से खुद को तैयार किया और सीढ़ियों की तरफ जाने लगी।


जाते वक्त देवेश ने मुझे एक अच्छे और स्टाइलिश ब्रा पैंटी गिफ्ट किया और बोला की आप पर ये बहुत अच्छे लगगे।

नीचे दुकान में मनीषा मेरा बहुत देर से इंतजार कर रही थी।

फिर हम लोग वहाँ से कार में बैठकर घर की तरफ आने लगे।
रास्ते में मनीषा मुझसे बोली- तुझे शॉपिंग करने में इतनी देर क्यों लग गई थी?
मैंने कहा- तेरे दोस्त की नज़र मुझसे हटती, तभी तो कुछ शॉपिंग हो पाती।

मनीषा बोली- मुझे सब पता है अंदर क्या हुआ था। जब तुम लोग अपनी चुदाई में व्यस्त थे, तब मैं ऊपर देखने आई थी पर फिर तुम्हारी चुदाई देखकर चली गई थी।

मनीषा के मुँह से यह सब सुनकर मैं घबरा गई पर मुझे पता था कि वो ये बात किसी को नहीं बोलेगी।
तभी मनीषा बोली- दी कोई बात नहीं, आपकी लाइफ है आप चाहे जैसे भी एन्जॉय करो! और वैसे भी देवेश मेरा अच्छा दोस्त है वो भी ये बात किसी को नहीं बताएगा।

मनीषा की बात सुनकर मैं थोड़ा सामान्य हुई और उससे बोली- थैंक यू मनीषा!
और उसके गाल पर एक चुम्मी दी तो वो बोली- बस बस, अब क्या मेरे साथ भी एन्जॉय करना है?

तो मैंने हंसते हुए कहा- इसमें बुराई क्या है?
और फिर हम दोनों हंसने लगे।

थोड़ी देर बाद हम दोनों घर आ गए।
मैंने मनीषा को रूम में बिठाया और फिर उसे अपनी नई ब्रा और पैंटी दिखाने लगी।

मनीषा को उनमें से एक जोड़ी बहुत ही अच्छी लगी तो मैंने उससे ट्राय करने का बोला।
पर उसे घर जाना था तो वो बोली दी मैं कल आऊँगी तब ट्राय कर लूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
और फिर वो चली गई।

शाम के पांच बज चुके थे, बच्चों के आने का टाइम भी हो गया था और अन्नू आ भी चुकी थी।
थोड़ी देर बाद रोहन आया और दरवाजे पर पहुँचते ही उसने मुझे गले लगा लिया और बोला- मम्मी, आज मैं बहुत थक गया हूँ!

तो मैंने उसके होठों पर एक चुम्मी दी और बोली- थोड़ी देर आराम कर ले!
फिर वो अपने रूम में चला गया।

शाम को रवि भी आ गए, फिर हम सब लोगों ने खाना खाया और सब अपने रूम में चले गए।

रूम में पहुँचकर मैंने अपने कपड़े उतार कर गाउन पहन लिया।
मैं गाउन के अंदर केवल पैंटी ही पहने हुई थी और फिर जाकर रवि को अपनी बाहों में भर लिया और उन्हें चूमने लगी।

रवि ने मुझे अपने नीचे लेटाया और मेरे गाउन को उतार दिया और फिर मेरे गोल मम्मों को दबाने और चूमने लगे।
मैंने उनके लंड को अपने हाथों में लिया जो बिल्कुल खड़ा हो चुका था, मैं उनके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

थोड़ी देर बाद उन्होंने लंड को मुख से निकाला और फिर मुझे घोड़ी बनाकर लंड को मेरी चूत पर लगाकर एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया।

मेरी हल्की हल्की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूंजने लगी- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. रवि ओऊहहह.. चोददो ममुझझे.. आहहह ओहहह माआ.. और जोरर से चोदद दो फक्क मीईई रवि..

मेरी आवाज़ें रवि को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, रवि भी जोरदार झटकों के साथ मुझे चोदे जा रहे थे।
मैं अब झड़ने वाली थी तो मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं रवि के लंड पर दबाव बनाते हुए झड़ने लगी।

झड़ते वक्त रवि ने अपना लंड बिलकुल अंदर तक डाल कर झटके देना चालू रखा। मेरे पानी से रवि का लंड गीला हो चुका था और बेड पर गिर रहा था।

गीलेपन की वजह से अब लंड आसानी से चूत के अंदर बाहर हो रहा था और फच फच की आवाज़ों के साथ रवि मेरी चुदाई कर रहे थे। अब रवि भी झड़ने वाले थे तो उन्होंने मेरी कमर को पकड़कर अपनी ओर खींचा और जोरो के अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे।


कुछ ही धक्कों के बाद वो मेरी चूत में झड़ने लगे और फिर अपना लंड बाहर निकालकर बाथरूम को जाने लगे।
मैं भी उठी और अपने पर्स से सुबह वाली पैंटी निकाली जो अभी तक गीली थी।
मैंने उससे फिर से अपनी चूत को साफ किया और उसे वहीं ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया।
फिर हम दोनों सो गए।
 
अगले दिन सुबह मैं उठी और क्योंकि रात को रवि के साथ हुईं चुदाई के बाद मैं नंगी ही सो गई थी तो मैंने उठकर अपना गाउन पहन लिया पर मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था।
रोज की तरह मैंने रवि को उठाया और फिर रोहन को उठाने के लिए उसके रूम में गई।


मैंने उसके माथे पर एक चुम्बन किया।
मेरे चुम्बन से उसकी आंख खुल गई और वो उठ गया।

उठते ही उसने मुझे अपने गले से लगा लिया और मेरे मम्मों को अपने सीने से दबाने लगा और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा।
पर मैंने उसको रोक दिया और बोली- अभी नहीं, तेरे पापा हैं घर पर… शाम को आकर कर लेना।

तो रोहन बोला- मम्मी, आज मैं कॉलेज से जल्दी आ जाऊँगा।
तो मैंने कहा- ठीक है, आ जाना!

और वो उठकर तैयार होने लगा।

मैंने रवि और रोहन दोनों के लिए लंच बनाकर रख दिया और दोनों चले गए।

मैं अब अन्नू के रूम में उसको उठाने गई पर वो पहले से ही जाग चुकी थी।
ग्यारह बजे अन्नू भी अपने स्कूल के लिए चली गई, फिर मैं घर के काम-काज में लग गई।

काम ख़त्म करने के बाद मैं नहाने चली गई।
मैंने अपने कपड़े उतारे ही थे कि डोरबेल बजी।

मैं जानती थी कि यह मनीषा ही होगी तो मैंने अपने नंगे बदन को तौलिये से लपेट लिया जिससे मेरा तन ढक गया और मैं गेट खोलने के लिए जाने लगी।
मैंने पीप होल से देखा तो बाहर मनीषा ही खड़ी थी।

मैंने दरवाज़ा खोलकर उसे अंदर बुला लिया।
मुझे इस हाल में देखकर मनीषा बोली- क्या हुआ दी? आज का भी कुछ प्रोग्राम है क्या जो केवल तौलिया लपेटकर खड़ी हो?
मैं मुस्कुरा कर बोली- नहीं यार, मैं नहाने ही गई थी कि तू आ गई।

मैंने उसे बैडरूम में बिठाया और उससे बोली- मैं बस पांच मिनट में नहाकर आती हूं!
फिर नहाने चली गई।

थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम से नहा कर निकली, मैंने टॉवल को वैसे ही लपेटा हुआ था, मैं बैडरूम में आ गई।

मनीषा वहीं पर बैठी हुई थी। मैं टॉवल में ही उसके पास जाकर बैठ गई और हम आपस में बात करने लगी।

मनीषा बोली- दी, आप वो नई ब्रा और पैंटी लेकर आओ ना?
तो मैंने अलमारी से दोनों जोड़ी निकाल कर उसे दे दी।

उसने उनमें से मैरून कलर वाली जोड़ी को पसंद किया था और मैंने अपने लिये काली जोड़ी को रख लिया।

मनीषा बोली- दी, मैं इन्हें पहन कर चेक कर लूँ?
मैंने हां बोल दिया तो मनीषा बाथरूम की तरफ जाने लगी।

मैं बोली- यहीं पहन लो… मुझसे भी क्या शर्माना।

तो मनीषा बोली- फिर तो आपको भी मेरे साथ में ब्रा पैंटी पहन कर दिखानी पड़ेंगी।
मैं बोली- हाँ ठीक है।

मनीषा ने सूट पहना हुआ था, तो वो कमीज उतारते हुए बोली- आप भी अपना टॉवल खोल लो।

अब वो केवल अपनी सफ़ेद ब्रा और सलवार में थी, उसके मम्मे भी बड़े और सख्त थे।

मैं मनीषा के सवाल का जवाब देते हुए बोली- मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है।

मनीषा अब तक अपनी सलवार भी उतार चुकी थी और अब वो मेरे सामने बस ब्रा और पैंटी में ही थी।

मेरी बात सुनकर मनीषा बोली- कल देवेश के सामने तो ख़ुशी ख़ुशी उतार दी और मेरे सामने नहीं उतार सकती?
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और मैंने अपना टॉवल खींच दिया, मैं मनीषा के सामने बिल्कुल नंगी हो गई।

मनीषा की नज़र मेरे नंगे बदन को निहारने लगी।
वो मेरे मोटे चिकने चूतड़, गदराई हुई गांड, मेरे भरे हुए गोल दूधिया मम्मों को एकटक देखे ही जा रही थी।

मैं उसको आवाज़ लगाती हुई बोली- मनीषा? क्या हुआ? कहाँ खो गई और ऐसे क्या देख रही है मुझे?
मनीषा बोली- दी, आपका फिगर तो बहुत ही सेक्सी है शायद इसलिए आप पर हर कोई लाइन मारता है।

मैंने कहा- धत्त पागल… कुछ भी बोल रही है। अगर मैं इतनी सेक्सी हूँ तो तू कौन सी कम है।
और मैंने मनीषा को उसकी ब्रा पैंटी उतारने को कहा।

उसने बिना किसी झिझक के अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी।
अब हम दोनों एक दूसरी के सामने बिल्कुल नंगी थे।
मनीषा भी कुछ कम नहीं थी उसके मम्मे भी भरे हुए थे और एक शानदार फिगर की मल्लिका है।

फिर हमने अपनी अपनी नई ब्रा पैंटी उठाई और पहनने लगी।
मैंने सबसे पहले पैंटी पहनी और फिर ब्रा पहनने लगी पर कल की तरह आज भी मुझसे उसका हुक नहीं लगा तो मैंने मनीषा को हुक लगाने का बोला।

मनीषा अभी अपनी पैंटी ही पहन रही थी। वो ब्रा पहने बिना ही मेरे पास आई और ब्रा का हुक लगाने लगी।
वो मुझसे चिपक कर अपने बूब्स को मेरी पीठ पर रगड़ रही थी और अपनी कमर और चूत को मेरी गांड से रगड़ने लगी।

हुक लगाकर वो हट गई और फिर वो अपनी ब्रा पहनने लगी।
मनीषा की इस हरकत से मैं गर्म हो चुकी थी।

मैरून ब्रा पैंटी में वो किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। मनीषा को वो जोड़ी एकदम फिट आई और अब हम ये नई ब्रा पैंटी उतारने लगी।

मैं फिर से बिल्कुल नंगी हो गई थी और मनीषा ने अपनी पैंटी उतार दी थी।
मैंने जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और अपने बूब्स और चूत को उसकी पीठ और गांड पर रगड़ने लगी।

मनीषा बोली- वाह दी, आप तो बदला लेने आ गई मुझसे?
मैंने कहा- तूने हरकत ही ऐसी की थी कि बिना बदला लिए रहा नहीं गया।

अब मनीषा पीछे मुड़ी और मेरे गालों पर चुम्मियाँ देने लगी।
मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे हमारे जिस्म आपस में मिल गए।

हमारे चूचे आपस में रगड़ खा रहे थे तो मैंने उन्हें मनीषा के वक्ष में दबा दिया।
मनीषा की चुम्मियों के बदले में मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और वो भी मेरे होंठों को चूम रही थी।

अब मनीषा के हाथ मेरे मम्मों पर पहुँच गये और उन्हें दबाने लगी, कभी वह उन्हें मसलती तो कभी निप्पल खींच देती और उन्हें चूसने लगती।
बदले में मैं भी अपने हाथ उसके चूतड़ों पर रखकर उसकी गांड को दबाने लगी।

फिर मैंने एक हाथ को आगे की तरफ किया और मनीषा की चूत पर रखकर उसे सहलाने लगी।
मेरा एक हाथ मनीषा की चूत पर था और दूसरे से मैं मनीषा की गांड को सहला और दबा रही थी।

मनीषा भी अब मेरे बूब्स को छोड़कर मेरी गांड पर पहुच गईं और थोड़ी देर दबाने के बाद वो मेरी गांड पर चिमटी और चमाट मारने लगी।

मैं उसकी हर चिमटी पर ‘आआ आहहह हहह… ऊऊहह…’ करने लगी।
थोड़ी देर मनीषा की चूत सहलाने के बाद मैंने उसकी चूत को दो उंगलियां डाल कर चोदना शुरू कर दिया।


मेरी इस हरकत से मनीषा सिहर उठी और चिल्लाने लगी- आआहह हहह… ओहह… दीदी… उहाहम.. हहुहोहम्म.. महुह.. उउईई माँ… आहहह दी..

अब मैंने मनीषा को बेड पर लेटा दिया और हम 69 की पोजीशन में आ गए।
मैं मनीषा की चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी, मनीषा भी मेरी चूत को चाट रही थी।

मनीषा ने अपनी एक उंगली को थूक से गीला किया और मेरी गांड में डाल दिया।

एक उंगली जाने से मुझे कुछ ज्यादा असर नहीं हुआ तभी मनीषा ने अपनी दूसरी उंगली भी मेरी गांड के छेद में डाल दी।
मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी।


अब वो लगातार अपनी उंगलियों से मेरी गांड और जीभ से मेरी चूत को चोद रही थी। मैं भी अब मजे से अपनी गांड और चूत को मनीषा के मुँह पर दबा रही थी।

मैं भी मस्ती में ‘ओह.. हाआ.. और चाटो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. ऊहह.. और ज़ोर से चाटो.. अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ दो.. बहुत मज़ा आ रहा है..ऑहह…. आ.. एयेए.. आहुउ..’ की सीत्कारें करने लगी।

मैं भी लगातार मनीषा की चूत को कभी उंगलियों तो कभी जीभ से चोद रही थी।

थोड़ी देर बाद वो अकड़ने लगी और उसकी चूत से उसका रस बाहर आने लगा जिसे पर मैंने अपना मुँह रख दिया।
मनीषा मेरे मुंह पर ही झटके देने लगी और झड़ने लगी।
मैंने उसका सारा पानी पी लिया।

झड़ने के बाद मनीषा ने अपनी उंगलियों को मेरी गांड से निकाल कर मेरी चूत में डाल दिया।
अब वो अपनी दो उंगलियों से तेजी के साथ मेरी चूत को चोदने लगी।

मैं भी अपने चरम पर आ चुकी थी तो मेरी सिसकारियाँ और बढ़ गई, एकाएक मेरा बदन अकड़ने लगा।
मैं अपने हाथों को मनीषा की कमर पर रखकर अपने ऊपरी शरीर को उठाते हुए झड़ने लगी।

मेरा योनि रस मेरी चूत से निकलता हुआ सीधे मनीषा के चेहरे पर गिरने लगा।

पूरी तरह से झड़ने के बाद जब मैंने मुड़कर मनीषा को देखा तो उसका चेहरा पूरा गीला था।
मैंने उसके होंठों पर चुम्बन किया, फिर मनीषा उठकर बाथरूम चली गई और खुद को साफ करके वापिस आई और फिर हम दोनों नंगी ही बेड पर लेट गई।

थोड़ी देर बाद डोरबेल बजी तो हम दोनों जल्दी बेड से उठे और अपने कपड़े पहन लिए।
मैंने अंदर नई वाली ब्रा पैंटी पहन ली और ऊपर से सूट पहन लिया।

मैंने दरवाजे पर जाकर देखा तो रोहन खड़ा था।
तभी मुझे याद आया कि आज वो जल्दी आने का बोलकर गया था पर मुझे याद नहीं रहा था।

दरवाज़ा खोलते ही वो मुझसे लिपट गया।
मैंने देरी न करते हुए उसे बताया कि मनीषा आंटी आई हुईं हैं।

रोहन मेरा इशारा समझ गया और मुझे छोड़ दिया।

थोड़ी देर बाद मनीषा अपने घर जाने लगी, मैं उसे दरवाज़े तक छोड़ने गई, मैंने उससे कहा- अब तो आती रहना।

मनीषा मुस्कुरा कर बोली- हाँ बिल्कुल!
और वो चली गई।


जब मैं अंदर आई तो मैंने देखा कि रोहन ड्रेसिंग टेबल पर रखी मेरी पैंटी जिससे मैंने कल अपनी चूत साफ की थी, उसको सूंघ रहा था।
 
जब मैं रूम में पहुँची तो मैंने देखा की रोहन मेरी पैंटी को अपने हाथ में लेकर उसे सूंघ रहा था और उसका एक हाथ उसके पैंट के ऊपर था। वो पैंट के ऊपर से ही अपने लण्ड को सहला रहा था।

उसकी यह हरकत देखकर मैं उसके पास गई और उससे बोली- क्या बात है? आज मेरा राजा बेटा बहुत ही गर्म हो रहा है?
रोहन- हाँ मम्मी, आज सुबह से ही मैं बहुत गर्म हो रहा हूँ और आपकी पैंटी देखकर तो मेरा आपा ही खो जाता है।

फिर रोहन बोला- मम्मी आपकी इस पैंटी पर तो बहुत दाग लगे हुए है लगता है कल रात को पापा ने कुछ ज्यादा ही बार आपकी चुदाई की थी।

मैं बोली- हाँ, की तो थी! और यह पैंटी मैंने तेरे लिए ही रखी थी क्योंकि मेरे राजा बेटा को मेरी पैंटी सूंघना बहुत पसंद है ना!

मेरी बात सुनकर रोहन खुश हो गया, उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, थोड़ी देर बाद वो मुझसे अलग हुआ और बोला- मम्मी बहुत दिनों से मैंने आपकी चुदाई नहीं की है। आज मैं आपको जी भर के चोदना चाहता हूँ।

हालांकि मनीषा के साथ मस्ती करने के बाद मैं थक चुकी थी पर रोहन की बेबसी और उसकी उत्तेजना को देखते हुए मैंने उसे कुछ नहीं बोला।

रोहन ने मुझे चूमना शुरू कर दिया वो मेरे होंठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा। फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं भी उसकी जीभ को चाटने लगी।

थोड़ी देर किस करने के बाद उसने मेरे शर्ट को उतार दिया और फिर मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया जिससे वो मेरी टांगों के बीच से ही नीचे गिर पड़ा फिर रोहन ने भी अपने कपड़े उतार दिए और अब वो सिर्फ चड्डी पहने हुए मेरे सामने था।

अब मैं रोहन के सामने सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में ही थी, काली होने के कारण वो मेरे गोरे बदन पर अलग ही चमक रही थी जिससे रोहन काफी आकर्षित हो रहा था।
उसने मुझसे पूछा- मम्मी पहले तो कभी आपको इस ब्रा और पैंटी में नहीं देखा?

तो मैं बोली- मैंने कल ही मार्केट से इन्हें खरीदा है।

रोहन ब्रा के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबाने लगा और फिर उसने अपने हाथ को पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोल दिया।
अब मेरे स्तन बिलकुल नंगे थे और रोहन उन्हें चूम और दबा रहा था।

अब रोहन ने मुझे ले जाकर बेड पर लेटा दिया और आकर मेरे ऊपर से ही अपने दोनों हाथों का जोर मेरे मम्मों पर लगाकर उन्हें दबाने लगा।
वो कभी मेरे होंठों पर किस करता तो कभी मेरी गर्दन और गालों पर किस करता।

मेरे दोनों हाथ रोहन की पीठ पर थे।

रोहन अब मेरे मम्मों को चूमता हुआ मेरी कमर पर आ गया और मेरी नाभि को चाटने लगा।
फिर उसने मेरी टांगों के बीच आकर मेरी पैंटी को मेरी कमर से निकाल दिया और फिर धीरे धीरे से उसे टांगों के बीच से खींचकर बाहर निकाल दिया।

मुझे पूरी नंगी करने के बाद उसने मेरी दोनों टांगों को अपनी कंधों पर रखा और मेरी चूत को चाटने लगा।
मैं सिसकारियाँ भरने लगी।
मैं रोहन के मुंह को अपनी चूत में दबाने लगी।

थोड़ी देर पहले मनीषा के साथ करने के बाद मैंने अपने चूत को साफ नहीं किया था जिस वजह से मेरी चूत से मादक सी गंध आ रही थी जिसे रोहन ने सूंघ लिया और वो बोला- मम्मी ये आपकी चूत से पानी की खुशबू क्यों आ रही है क्या आपने अभी थोड़ी देर पहले… कुछ किया था?

मैं कुछ नहीं बोली।

फिर रोहन आगे बढ़ा और उसने अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ दी।
उसकी नुकीली जीभ मेरी चूत में हलचल मचा रही थी।
बीच बीच में वो मेरी चूत के दाने को भी जीभ से सहला रहा था।

मैं उसकी हर हरकत पर सिसकारियों से उसका हौंसला बढ़ा रही थी- ओह.. हाआ.. रोहन… और चाटो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. ऊहह.. और ज़ोर से चाटो.. अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ दो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. ऑहह… रोहन…
मेरी चूत अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।

फिर रोहन उठा और बोला- मम्मी, आपकी चूत तो गीली हो गई, अब आपकी बारी है मेरा लण्ड चूसने की।
रोहन के इतना बोलते ही मैं उठी और उसको लेटा कर उसके ऊपर आ गई।

मैंने रोहन की चड्डी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के ऊपर थे।
रोहन का लण्ड पूरी तरह से खड़ा था पर आज उसका लण्ड और दिनों की अपेक्षा बड़ा लग रहा था और उसके लण्ड से पानी भी निकल रहा था।

मैं रोहन के लण्ड को हाथ में लेकर सहलाने लगी और फिर उसे मुँह में लेकर चूसने लगी।

रोहन भी मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुँह को अपने लण्ड पर दबा रहा था जिससे रोहन का लण्ड मेरे गले तक जाने लगा।
थोड़ी देर बाद मेरी साँस फूलने लगी तो मैंने लण्ड को मुँह से बाहर निकाल दिया।

रोहन का लण्ड गीला हो चुका था और अब वो मेरी चूत में जाने के लिए बिल्कुल तैयार था।

रोहन उठा और उसने अपनी पॉकेट से कोई गोली निकाली और उसे खाकर वापस बेड पर आ गया, मेरी टांगों के बीच आकर बैठ गया।
मैंने उससे पूछा- रोहन यह किस चीज की टेबलेट खाई है तूने? तेरी तबियत तो ठीक है ना?

मेरी बात सुनकर रोहन बोला- नहीं मम्मी, मुझे कुछ नहीं हुआ… यह टेबलेट तो चुदाई का समय बढ़ाने के लिए है।
मैंने रोहन को कुछ नहीं बोला।


फिर रोहन ने मेरी टांगों को फैलाया और अपने लण्ड को मेरी चूत पर लगा दिया, पहले धक्के में ही उसने अपना आधा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया और फिर लगातार दूसरे धक्के में रोहन का पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर था।

फिर उसने लगातार झटकों से मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं भी मस्त होकर सिसकारियों के साथ चुदाई का मजा लेने लगी।

मैं मस्ती में रोहन को और उत्तेजित करने लगी- हाँ… हाँ… बस ऐसे ही! ऐसे ही… मेरे लाल… शाबाश… चोद मुझे! चोद दे मेरी चूत को अपने इस मोटे लंड से! और ज़ोर से… और ज़ोर से! हाँ बेटा..ऐसे ही… बस ऐसे ही चोद मुझे! आहहहह… रोहन.. मेरे लाल… चोद डाल अपनी मम्मी को… आहह…

अब रोहन और तेजी के साथ मुझे चोदने लगा।
रोहन ने अपने हाथों से मेरे मम्मों को फिर से दबाना शुरू कर दिया, उसके दोनों हाथ मेरे मम्मों को जकड़े हुए थे।
उसके धक्के लगातार मेरी चूत को अंदर तक निचोड़ रहे थे।

मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए मेरा बदन जल्दी ही अकड़ने लगा, मैंने रोहन को बोला- मैं झड़ने वाली हूँ!

तो उसने और तेज धक्के लगाना शुरू कर दिए और मैं चिल्लाते हुए झड़ने लगी- हाए मेरी चूत… उफफ्फ़… ओह्ह… माय्य… गॉडड… फ़क्क… मीईई… रोहन… आज तो लगता है मैं मज़े से मर ही जाऊँगी… मेरे लाल, तू मुझे चोद कर कितना मज़ा दे रहा है… उफ्फ़… अहह…

‘हाँ और चोद अपनी माँ की चूत… अंदर तक घुसेड़ दे रोहन.. अपने लण्ड को… उफफ फफफ्फ़… अहह… आह चोद डाल मादरचोद… चोद डाल अपनी माँ को… हे भगवान मेरा निकलने वाला है… मैं झड़ रही हूँ…’

और मैं झड़ गईम मेरा सारा पानी मेरी चूत से निकल कर बेड पर गिरने लगा।

मैं निढाल होकर बेड पर लेटी रही और रोहन लगातार अपने लण्ड को मेरी चूत में अंदर बाहर किये जा रहा था।

अब रोहन ने मुझे घोड़ी बना दिया और फिर मेरे पीछे आकर एक ही झटके के साथ अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया।
मेरे मुख से ‘आआहहह’ की हल्की सी चीख निकल गई।


रोहन ने फिर अपने धक्कों से मेरी चुदाई शुरू कर दी उसका लण्ड मेरी चूत में अब हल्का हल्का सा दर्द पैदा कर रहा था पर मैं इस सब से बेफिक्र अपने बेटे की खुशी के लिए उससे चुद रही थी।

रोहन के हाथ मेरी गांड पर थे और वो अब मेरी गांड को सहला और दबा रहा था।

मनीषा ने आज दो उंगलियों से मेरी गांड को चोदा था जिस वजह से मेरी गांड का छेद थोड़ा खुल गया था और शायद रोहन ने यह भी नोटिस कर लिया था।

लगातार चुदाई करने के साथ साथ उसने मेरी गांड के छेद पर थूक दिया और अपनी दो उंगलियों को थूक से गीला कर मेरी गांड में डालने लगा और उन्हें अंदर बाहर करने लगा।

पहले तो मुझे हल्का सा दर्द हुआ पर फिर दोनों उंगलियाँ आराम से मेरी गांड के अंदर बाहर होने लगी।
रोहन अब अपने लण्ड से मेरी चूत को चोद रहा था और उंगलियों से मेरी गांड को।

मैं अभी भी अपनी दोहरी चुदाई की मस्ती में चीख रही थी, मेरी चीखें रोहन को और उत्तेजित कर रही थी- ओह… ओह माँ… ओह माँ! आहह… हायय… चोद मुझे… चोद अपनी मम्मी को… ऐसे ही मेरे लाल… चोद चोद.. मेरी चूत! और ज़ोर से… और ज़ोर से… चोद अपनी माँ की चूत को रोहन…

रोहन भी अब मस्ती में पूरे जोश के साथ चोदते हुए बोला- आआहह हहहह… मम्मी… आपको तो मैं कभी चोदे बिना नहीं रह पाऊँगा… आहह… आप जैसी सेक्सी माँ जिसके पास हो वो बहुत ही खुशनसीब होगा।

‘मम्मी… उम्ममम्म… आहहहह… मेरे पूरे लण्ड को अपनी चूत में ले लो… आहह… आई… लव… यू… मेरी प्यारी मम्मी… आमुआहहह…’

इसी तरह थोड़ी देर चुदाई करने के बाद मेरा बदन फिर से अकड़ने लगा और मैंने अपने शरीर को टाइट कर लिया जिससे रोहन का लण्ड मेरी चूत के अंदर दबाव बनाने लगा और रोहन ने फिर जोरों से धक्के देना शुरु कर दिए।
वो अभी भी अपनी उंगलियों से मेरी गांड को चोद रहा था।

मैं अब फिर से झड़ने वाली थी तो उत्तेजना और दर्द के कारण चिल्लाने लगी- रुकना मत… रोहन… आआहहह… उफफफ्फ़… उफफफ्फ़… और अंदर तक… और ज़ोर से… चोद… मुझे… चोद मेरी चूत… चोद अपनी माँ की चूत… हे भगवान… हाए… हाए… उफफ्फ़… चोद अपनी माँ को… चोद डाल..

“हाय… मैं मरी… हा… हा… उफफ्फ़… कितना मोटा लण्ड है मेरे लाल का… लगा दे पूरा ज़ोर… मेरे बेटे… ऐसे ही चोद… उफ़फ्फ… मैं फिर से झड़ने वाली हूँ… मैं फिर से झड़ने वाली हूँ… रोहन..’
और फिर मेरे शरीर ने झटके देना शुरू कर दिए।

मैं झड़ने लगी!
तभी रोहन ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरी चूत पर मुँह लगा दिया और मैं रोहन के मुंह में ही झड़ने लगी।

रोहन ने मेरा सारा पानी चाट चाटकर साफ कर दिया।
रोहन अभी तक नहीं झड़ा था तो वो फिर से मेरी चूत में लण्ड डालने लगा।
ज्यादा चुदाई के कारण मेरी चूत में दर्द होने लगा था और मैं थक भी गई थी तो मैंने रोहन से कहा- रोहन, अब नहीं मुझे दर्द हो रहा है प्लीज…

तो रोहन बोला- पर मम्मी, अभी तक मेरा हुआ नहीं है।
मैंने बोला- मैं तेरे लण्ड को चूस कर झड़ा देती हूँ।

पर वो मना करने लगा और बोला- मम्मी, मैं आपकी गांड में लण्ड डाल दूं?
रोहन के मुख से यह सुनकर मुझे आलोक के साथ मेरी गांड की चुदाई याद आ गई जब मैं दर्द से बिलबिला उठी थी और रोने लगी थी।

मैंने रोहन से बोला- नहीं, मुझे नहीं डलवाना तेरा लण्ड अपनी गांड में, बहुत दर्द होता है!
तो रोहन बोला- मम्मी, अगर आपको जरा भी दर्द होगा तो मैं लण्ड बाहर निकाल लूंगा और फिर आप मेरे लण्ड को मुंह में लेकर झड़ा देना।

रोहन ने मुझे बहुत समझाया पर मैंने उसे साफ मना कर दिया।
मेरे मना करने से वो नाराज़ हो गया तो मैंने उसे हाँ बोल दिया और उससे बोला अगर ज्यादा दर्द हुआ तो मैं गांड में लण्ड नहीं डलवाऊंगी।


रोहन ने मेरी बात मान ली और तैयार हो गया।
 
मैंने उसे हाँ बोल दिया और उससे बोला अगर ज्यादा दर्द हुआ तो मैं गांड में लंड नहीं डलवाऊंगी।
रोहन ने मेरी बात मान ली और तैयार हो गया।

मैंने रोहन को क्रीम लाने के लिए कहा तो वो उठकर क्रीम ले आया। फिर मैंने रोहन से मेरी गांड के छेद पर क्रीम लगाने को बोला। उसने ढेर सारी क्रीम अपनी उंगली से मेरी गांड के छेद के ऊपर और कुछ क्रीम अंदर भर दी।

वैसे तो रोहन का लंड बहुत गीला था पर फिर भी उसने अपने लंड को भी क्रीम से मल लिया।
अब रोहन बिल्कुल तैयार था पर मुझे बहुत डर लग रहा था।

मैं रोहन को फिर से याद दिलाते हुए बोली- रोहन, अगर दर्द हुआ तो फिर मैं नहीं करवाऊँगी।
तो रोहन बोला- मम्मी आप चिंता मत करो, मैं आपको बिल्कुल भी दर्द नहीं होने दूंगा।

रोहन ने मुझे उल्टा लिटा दिया और घोड़ी बनने का बोला तो मैं अपने दोनों हाथों को बेड पर रखकर घोड़ी बन गई।
मैंने डर के मारे अपने मम्मों और सर को भी बेड से चिपका दिया।

फिर रोहन उठा और मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए मेरी गांड से अपने लंड को टच करने लगा, फिर उसने अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर रख दिया।
मैं समझ चुकी थी कि आज मैं दर्द से तड़पने वाली हूँ, मेरी धड़कनें तेज होने लगी थी।

रोहन ने मेरी गांड के छेद को अपने दोनों हाथों से खींचकर फैलाया और फिर अपने लंड को हल्के से अंदर की तरफ धकेला।
मुझे हल्का सा दर्द हुआ तो मैंने अपने हाथों से अपनी गांड को पकड़ लिया।

रोहन ले सख्त लण्ड का आधा सुपारा मेरी गांड में घुस चुका था फिर रोहन ने एक और हल्के धक्के में अपना सुपाड़ा मेरी गांड के अंदर कर दिया।

मैं चिल्ला उठी मैंने दर्द में कराहते हुए रोहन को बोला- रोहन, मुझे गांड में दर्द हो रहा है। अब इससे ज्यादा दर्द मैं सहन नहीं कर पाऊँगी।

रोहन बोला- मम्मी, बस अब इससे ज्यादा दर्द नहीं होने दूँगा आपको।
मैं कुछ नहीं बोली और वैसे ही लेटी रही।

रोहन ने कुछ देर के लिये अपने धक्कों को रोक दिया, वो मेरे नॉर्मल होने का इंतेजार कर रहा था।
थोड़ी देर बाद जब उसे लगा कि अब मुझे दर्द नहीं हो रहा तो उसने धीरे धीरे ही अपने लंड के सुपारे को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।

वो लंड को धीरे से बाहर करता और फिर थोड़े से दबाव के साथ ही उसे फिर से अंदर कर देता।
ऐसा करते करते उसका लंड मेरी गांड के अंदर जाने लगा था पर इसमें एक मीठे से दर्द के अलावा रोहन के प्यार का एहसास था।

वो इतना धीरे से ये सब कर रहा था कि कब रोहन का आधा लंड मेरी गांड के अंदर बाहर होने लगा, मुझे पता ही नहीं लगा।
मैं भी अब मस्त हो चुकी थी और ‘आआहहहह… रोहन… …आ…आ… हा.. हा.. ओह्ह… मेरे लाल… उफ्फ्फ…’ की सीत्कारें भर रही थी।

फिर रोहन ने अपने लंड का दबाव मेरी गांड पर बढ़ाना शुरू कर दिया और उसका थोड़ा और लंड मेरी गांड के अंदर चला गया।
मैं ‘अआई आअहूचच…’ करते हुए रोहन को बोली- रोहन बेटा, अब इससे ज्यादा अंदर मत डालो, मुझे दर्द हो रहा है।

वो रुक गया और फिर उतने ही घुसे हुए लंड से मेरी गांड को चोदना शुरू कर दिया।
पहले तो वो हल्के हल्के धक्कों से मेरी गांड को चोद रहा था फिर धीरे धीरे उसने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी।

रोहन मेरी कमर को पकड़कर मुझे आगे की तरफ धक्के दे रहा था।
मैं भी मीठे से दर्द और मजे के साथ अपनी गांड को अपने बेटे रोहन से चुदवा रही थी।

फिर रोहन ने मुझे वैसे ही पकड़कर उठाया, उसका लंड अभी भी मेरी गांड के अंदर था, वो नीचे लेट गया और मुझे अपने ऊपर बैठा लिया।

अब मैं रोहन के ऊपर बैठी हुई थी और उसका लंड मेरी गांड के अंदर था।

मैं थक चुकी थी तो मैंने अपना शरीर रोहन के शरीर के ऊपर रख दिया था।
मेरे मम्मे रोहन के सीने पर रगड़ खा रहे थे और फिर वो मेरे होंठों को चूमने लगा।

रोहन के दोनों हाथ मेरी गांड पर थे और वो उन्हें सहला और दबा रहा था।
रोहन ने फिर धीरे से अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और फिर लगातार धक्कों से मेरी गांड में अपना लंड डाल रहा था।
मैं भी कमर उठा कर उसका साथ दे रही थी।

रोहन अब तेजी से मेरी गांड मार रहा था और मेरे होंठों को चूमे जा रहा था।

मेरी कसी हुई गांड ने रोहन को ज्यादा देर तक नहीं टिकने दिया और उसने मेरी गांड को मजबूती से जकड़ लिया और जोर से झटके देते हुए मेरी गांड के अंदर ही झड़ने लगा।
उसका गर्म वीर्य मेरी कसी हुई गांड में काफी देर तक स्खलित हुआ।

रोहन अब निढाल होकर बेड पर ही लेट गया और मैं भी उसके ऊपर लेट गई।
रोहन का लंड अभी भी मेरी गांड के अंदर था।

थोड़ी देर बाद जब रोहन का लंड मुरझा कर बाहर आया तो मुझे दर्द का एहसास होने लगा और मेरी गांड में से रोहन के वीर्य का सैलाब बाहर आकर बहने लगा जो मेरी गांड से होते हुए रोहन के पैरों पर आने लगा था।

आज पहली बार रोहन का इतना वीर्य स्खलन हुआ था।
मैं रोहन से बोली- आज तो दवा खाकर बड़े ही जोश में हैं जनाब? और आज मेरी गांड को भी नहीं छोड़ा।

रोहन बोला- मम्मी, आज तो मैंने आपको थका दिया ना… और आपको दर्द हुआ उसके लिए सॉरी मम्मी।

मैं रोहन को बोली- चल ठीक है, अपनी मम्मी को भी सॉरी बोलेगा अब? और तूने मुझे इतने प्यार से चोदा कि ज्यादा दर्द नहीं हुआ मुझे। आज मैं पहले से ही थकी हुई थी तो ज्यादा देर तक एन्जॉय नहीं कर पाई तेरे साथ।

रोहन मेरे बालों पर हाथ फेरने लगा और मेरे माथे पर चुम्बन करते हुए बोला- मम्मी… आई लव यू… आपने मेरे लिए कितना कुछ किया। मैंने आपसे जो भी बोला आपने मेरी हर वो बात मानी… मम्मा… आई लव यू सो मच!

मैंने रोहन से बोला- आई लव यू टू बेटा… और मैं तेरी बात नहीं मानूँगी तो कौन मानेगा। भला माँ अपने बेटे का ख्याल नहीं रखेगी तो कौन रखेगा?

फिर मैंने रोहन से कहा- अब तूने जो मेरी गांड में फैलाया है उसे कौन साफ करेगा?
मेरे इतना बोलते ही वो उठा और मेरी नई पैंटी को उठाकर मेरी टांगों के बीच आ गया और मेरी गांड के छेद को साफ करने लगा।

मुझे साफ करने के बाद रोहन ने अपनी टांगों को भी साफ किया और फिर हम दोनों आपस में लिपट कर बाते करने लगे।
रोहन का लंड फिर से मेरे नंगे बदन का स्पर्श पाकर खड़ा होने लगा तो मैंने रोहन से कहा- ये महाशय तो फिर से खड़े हो गए लगता है इनका मन नहीं भरा अभी तक?


रोहन हंसने लगा और बोला- मम्मी, आप हो ही इतनी सेक्सी कि मन भर ही नहीं सकता।
मैं भी उसकी बात सुनकर हँसने लगी।

तो रोहन बोला- मम्मी, आप थक चुकी हो तो रहने दो… मैं बाद में आपको परेशान करूँगा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं इसे सहला देती हूँ।

तब मैंने रोहन के लंड को अपने हाथों में लिया और सहलाने लगी।
रोहन का लंड एकदम कड़क हो चुका था।

थोड़ी देर सहलाने के बाद मैं उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। रोहन भी मेरे सर को अपने लंड पर दबा रहा था जिससे उसका लंड मेरे मुँह के अंदर समाने लगा।

रोहन ने फिर अपने लंड से मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया।

फिर वो उठा और मेरे मुँह से लंड को निकालकर मुझे बेड पर लेटा दिया। रोहन का लंड मेरे थूक से सना हुआ था।

रोहन मेरे ऊपर आया और मेरे बूब्स के बीच अपना लंड डालकर मेरे मम्मों को आपस में दबाने लगा।
मुझे उसकी यह हरकत बहुत अच्छी लगी।

उसने मेरे मम्मों को चोदना शुरू कर दिया। रोहन के दोनों हाथ मेरे मम्मों पर थे और लंड मेरे मम्मों के बीच से उन्हें चोद रहा था।

रोहन अब झड़ने वाला था तो उसने मुझसे बोला- मम्मी, मैं झड़ने वाला हूँ… अपना वीर्य कहाँ निकालूँ?

मैंने उसकी बात का जवाब न देते हुए सीधे उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी।

कुछ ही पलों बाद उसने झड़ना शुरू कर दिया और उसका सारा वीर्य मेरे मुंह में स्खलित हो गया जिसे मैंने निगल लिया।
मैंने रोहन के लंड को चाटकर साफ कर दिया।

मैं रोहन से बोली- अन्नू के आने का टाइम हो गया है अब कपड़े पहन लो।
फिर मैं उठी और अपने कपड़े पहनने लगी।
रोहन अपनी चड्डी पहनते हुए बोला- मम्मी, आज बहुत दिनों बाद हम दोनों को टाइम मिला था और वो भी इतनी जल्दी ख़त्म हो गया… पता नहीं अब कब हमें टाइम मिलेगा।

रोहन का उदास सा चेहरा देखकर मैं बोली- इतना उदास मत हो, दो दिन बाद तेरे पापा बाहर जा रहे है और फिर एक हफ्ते बाद ही आएंगे। तब तेरे पास टाइम ही टाइम होगा।

मेरी बात सुनकर रोहन इतना खुश हुआ की उसने मुझे गोद में उठा लिया।
रोहन बोला- मम्मी आने वाले सात दिन बस मैं और आप साथ में बिताएंगे।
मैंने भी हंसते हुए उसे हां बोल दिया।

फिर वो अपने रूम में चला गया।

थोड़ी देर बाद अन्नू और रवि दोनो घर आ गए।

दो दिन बाद रवि अपने काम के सिलसिले में बाहर चले गए।
अन्नू भी स्कूल जा चुकी थी।



रवि को दिखाने के लिए रोहन भी कॉलेज चला गया था पर उनके जाने के बाद वो घर पर वापस आ गया।
 
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