hotaks444
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बहू नगीना और ससुर कमीना
दोस्तों अब मैं अपनी नयी कहानी शुरू कर रहा हूँ, “बहू नगीना और ससुर कमीना। “
आशा है आपको पसंद आएगी।
राजीव माथुर अपने कमरे में उदास बैठा है, और TV के रिमोट से चैनल बदल बदल कर अपने दुखी मन को शांत करने की कोशिश कर रहा है। वह ५० साल का एक तंदूरूस्त हट्टा क़ट्टा सुदर्शन गोरा व्यक्ति है और उसकी इस २० लाख की आबादी वाले शहर में कपड़ों की बड़ी दुकान है।
उसने यह काम बड़े ही छोटे लेवल पर चालू किया था पर आज वह एक बहुत ही शानदार दुकान का मालिक था। पर पिछले एक महीने से वह दुकान पर नहीं गया था। दुकान पर उसका जवान बेटा शिवा ही बैठ रहा था जो कि २५ साल का हो चला था। उसकी एक २४ साल की बेटी भी है जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हैं और वह एक दूसरे शहर में रहती है।
राजीव के दुःख का कारण यह है कि एक महीने पहले उसकी पत्नी का कैन्सर की बीमारी से देहांत हो गया। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसे दुःख इस बात का है कि बिना किसी पूर्वाभास के वह बीमार हुई और क़रीब एक महीने में स्वर्गवासी भी हो गयी। सब रिश्तेदार आए थे और अब सब अपने घर वापस चले गए । आख़िर में जाने वाली उसकी बेटी थी । अब सबके जाने के बाद वह फिर अकेला महसूस कर रहा था। बेटे शिवा ने कहा भी कि काम में मन लगाइए ताकि दुःख कुछ कम हो जाए, पर वह अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।
अचानक TV का चैनल बदलते हुए एक फ़िल्म लग गयी जिसमें एक भरे बदन की हीरोईंन बारिश के पानी में भीग रही थी और उसके बहुत ही मादक अंग साड़ी से दिख ज़्यादा रहे थे और छुप कम रहे थे। ये देखकर अचानक उसके लंड ने झटका मारा और उसका हाथ अपने लंड पर चला गया और वह उसे दबाने लगा। उसे अभी अभी महसूस हुआ कि आज पूरे दो महीने के बाद उसके लंड में हरकत हुई है। वरना एक महीने की सविता की बीमारी और एक महीने का शोक - उसका तो लंड- जैसे खड़ा होना ही भूल गया था।
उसे बड़ा अच्छा लगा और वह लंड को सहलाता ही चला गया। फिर उसने उसे अपनी लूँगी और चड्डी से बाहर निकाल लिया और अपने बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाते हुए उसने मूठ्ठ मारनी शुरू की। उसका क़रीब ८ इंचि मोटा लौड़ा उसकी मूठ्ठी में आधा भी समा नहीं रहा था। क़रीब १० मिनट उसे हिलाते हुए सविता के साथ बिताए हुए मादक लमहों को याद करते हुए वह झड़ने लगा। उसे लगा कि वह सविता के मुँह में झड़ रहा है। और वह पहले की तरह उसका गाढ़ा वीर्य स्वाद लेकर पीते जा रही है।
पर जब उसने आँख खोली तो अपने को अकेला पा कर उसने आह भरी और सविता को याद करके उसकी आँख भर आइ।
हालाँकि वह सविता को बहुत प्यार करता था पर अनेक सफल मर्दों की तरह वह भी कभी कभी यहाँ वहाँ मुँह मार लिया करता था उसकी कमज़ोरी भरे बदन की कम उम्र की लड़कियाँ थीं। उसने कई लड़कियों से मज़े लिए पर कभी भी किसी से रिश्ता नहीं बनाया। ज़्यादातर लड़कियाँ एक रात की ही मेहमान होती थीं। बस सिर्फ़ तीन लड़कियों से ही उसके सम्बंध अपेक्षाकृत लम्बे चले, यही कोई तीन चार महीने। इसके बारे में आगे कहानी में पता चलेगा, कि किन हालातों में उन तीन लड़कियों से उसका रिश्ता बना।
आज उसने अपना वीर्य साफ़ किया और बाद में सोफ़े पर आकर दुकान का हिसाब देखने की कोशिश किया। दिन के ११ बज गए थे। शिवा को दुकान गए १ घंटा हो चुका था। तभी कॉल बेल बजी। उसने दरवाज़ा खोला और सामने शीला खड़ी थी। वह घर की नौकरानी थी और सविता की बहुत चहेती थी। उसकी उम्र करींब ५० साल की थी और वह एक चूसे हुए आम की तरह थी। वह आकर किचन में चली गई। वह घर के सब काम करती थी और अब सविता के जाने के बाद खाना भी बना देती थी।
शिवा अपने काम में लग गया और तभी शीला वहाँ झाड़ू लगाने लगी। उसके सुखी हुई काया उसके सामने थी और दो महीने का प्यासा राजीव ये सोचने लगा कि क्या इसे ही चोद लूँ? पर जब साड़ी से उसकी नीचुड़ि हुई चूचियाँ देखा तो उसका लौड़ा शांत हो गया। उसने अपना ध्यान काम में लगाया।
तभी शीला का मोबाइल बज उठा और वह किचन में उसे लेकर बात करने लगी। थोड़ी देर बाद वह बाहर आयी और बोली: साहब, मुझे छुट्टी जाना होगा क्योंकि मेरी बहु को बच्चा होने वाला है। कम से कम तीन महीने लगेंगे।
राजीव: अरे तो हमारा क्या होगा? तुम किसी को काम पर लगा कर जाओ।
शीला: जी साहब, कल से मेरी भतीजी आएगी , उसका नाम रानी है वही काम करेगी, मेरी अभी उससे बात भी हो गई है।
राजीव: ओह उसको खाना बनाना आता है ना?
शीला: हाँ आता है वो कई साल एक परिवार में काम की है उसको सब आता है। आजकल ख़ाली है तो आपके यहाँ काम कर लेगी।
राजीव: क्या शादीशुदा है?
शीला: जी हाँ शादी को ७ साल हो गए हैं। मगर बेचारी को कोई बच्चा नहीं है। इसके कारण दुखी रहती है।
राजीव: ओह ऐसा क्या? अब ये तो भगवान की मर्ज़ी है ना ?
शीला फिर अपने काम में व्यस्त हो गई और राजीव भी अपने काम में लग गया। फिर उसने शिवा को फ़ोन लगाया: बेटा तुम्हारा कल का हिसाब ठीक है , अब तुम बढ़िया काम कर रहे हो। आज मुझे तुमसे एक ज़रूरी बात भी करनी है। रात को मिलते हैं।
रात को शिवा क़रीब ९ बजे घर पहुँचा और वो दोनों खाना खाए। बाद में राजीव बोला: बेटा, आज मैं तुमको एक बात कहना चाहता हूँ, मैं सविता के जाने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ, मैं सोच रहा था कि मैं दूसरी शादी कर लूँ। तुम्हारा क्या ख़याल है इस बारे में?
शिवा चौक कर बोला: क्या पापा, ये क्या बोल रहे हैं आप? कितना अजीब लगेगा प्लीज़ ऐसा मत करिए।
राजीव: अगर मैं नहीं कर सकता तो तुम कर लो। बेटा, घर में एक औरत होनी ही चाहिए। घर औरत के बिना अधूरा होता है।
शिवा: ठीक है पापा, अगर आप ऐसा चाहते हो तो यही सही।
राजीव: अब ये बताओ कि तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेंड है?
शिवा: पापा आप जानते ही हो कि मेरी किसी लड़की से दोस्ती नहीं है। मुझे तो दुकान से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती।
राजीव: तो फिर मैं तेरे लिए लड़की देखनी शुरू करूँ?
शिवा: ठीक है पापा आप देखिए । काश मॉ होती तो ये काम वो करतीं? है ना?
राजीव: हाँ बेटा वो तुम्हारी शादी का बहुत अरमान रखती थी पर बेचारी के अरमान पूरे ही नहीं हो सके।
थोड़ी देर और बातें करके वह दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
सुबह ५ बजे उठकर राजीव फ़्रेश होकर एक घंटे की सैर पर गया। वहाँ बग़ीचे में कई लड़कियाँ और औरतें भी ट्रैक सूट में अपने गोल गोल चूतरों को उभारे घूम रही थीं और राजीव का मन बड़ा बेचेंन हो रहा था। उनकी छातियाँ भी दौड़ने के दौरान ऊपर नीचे होकर उसकी ट्रैक सूट के अंदर उसके हथियार को कड़ा किए जा रहीं थीं। इसी हालत में वह वापस आया और कमरे में बैठ के पसीना सुखाने लगा। तभी काल बेल बजी और उसने दरवाज़ा खोला।
दोस्तों अब मैं अपनी नयी कहानी शुरू कर रहा हूँ, “बहू नगीना और ससुर कमीना। “
आशा है आपको पसंद आएगी।
राजीव माथुर अपने कमरे में उदास बैठा है, और TV के रिमोट से चैनल बदल बदल कर अपने दुखी मन को शांत करने की कोशिश कर रहा है। वह ५० साल का एक तंदूरूस्त हट्टा क़ट्टा सुदर्शन गोरा व्यक्ति है और उसकी इस २० लाख की आबादी वाले शहर में कपड़ों की बड़ी दुकान है।
उसने यह काम बड़े ही छोटे लेवल पर चालू किया था पर आज वह एक बहुत ही शानदार दुकान का मालिक था। पर पिछले एक महीने से वह दुकान पर नहीं गया था। दुकान पर उसका जवान बेटा शिवा ही बैठ रहा था जो कि २५ साल का हो चला था। उसकी एक २४ साल की बेटी भी है जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हैं और वह एक दूसरे शहर में रहती है।
राजीव के दुःख का कारण यह है कि एक महीने पहले उसकी पत्नी का कैन्सर की बीमारी से देहांत हो गया। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसे दुःख इस बात का है कि बिना किसी पूर्वाभास के वह बीमार हुई और क़रीब एक महीने में स्वर्गवासी भी हो गयी। सब रिश्तेदार आए थे और अब सब अपने घर वापस चले गए । आख़िर में जाने वाली उसकी बेटी थी । अब सबके जाने के बाद वह फिर अकेला महसूस कर रहा था। बेटे शिवा ने कहा भी कि काम में मन लगाइए ताकि दुःख कुछ कम हो जाए, पर वह अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।
अचानक TV का चैनल बदलते हुए एक फ़िल्म लग गयी जिसमें एक भरे बदन की हीरोईंन बारिश के पानी में भीग रही थी और उसके बहुत ही मादक अंग साड़ी से दिख ज़्यादा रहे थे और छुप कम रहे थे। ये देखकर अचानक उसके लंड ने झटका मारा और उसका हाथ अपने लंड पर चला गया और वह उसे दबाने लगा। उसे अभी अभी महसूस हुआ कि आज पूरे दो महीने के बाद उसके लंड में हरकत हुई है। वरना एक महीने की सविता की बीमारी और एक महीने का शोक - उसका तो लंड- जैसे खड़ा होना ही भूल गया था।
उसे बड़ा अच्छा लगा और वह लंड को सहलाता ही चला गया। फिर उसने उसे अपनी लूँगी और चड्डी से बाहर निकाल लिया और अपने बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाते हुए उसने मूठ्ठ मारनी शुरू की। उसका क़रीब ८ इंचि मोटा लौड़ा उसकी मूठ्ठी में आधा भी समा नहीं रहा था। क़रीब १० मिनट उसे हिलाते हुए सविता के साथ बिताए हुए मादक लमहों को याद करते हुए वह झड़ने लगा। उसे लगा कि वह सविता के मुँह में झड़ रहा है। और वह पहले की तरह उसका गाढ़ा वीर्य स्वाद लेकर पीते जा रही है।
पर जब उसने आँख खोली तो अपने को अकेला पा कर उसने आह भरी और सविता को याद करके उसकी आँख भर आइ।
हालाँकि वह सविता को बहुत प्यार करता था पर अनेक सफल मर्दों की तरह वह भी कभी कभी यहाँ वहाँ मुँह मार लिया करता था उसकी कमज़ोरी भरे बदन की कम उम्र की लड़कियाँ थीं। उसने कई लड़कियों से मज़े लिए पर कभी भी किसी से रिश्ता नहीं बनाया। ज़्यादातर लड़कियाँ एक रात की ही मेहमान होती थीं। बस सिर्फ़ तीन लड़कियों से ही उसके सम्बंध अपेक्षाकृत लम्बे चले, यही कोई तीन चार महीने। इसके बारे में आगे कहानी में पता चलेगा, कि किन हालातों में उन तीन लड़कियों से उसका रिश्ता बना।
आज उसने अपना वीर्य साफ़ किया और बाद में सोफ़े पर आकर दुकान का हिसाब देखने की कोशिश किया। दिन के ११ बज गए थे। शिवा को दुकान गए १ घंटा हो चुका था। तभी कॉल बेल बजी। उसने दरवाज़ा खोला और सामने शीला खड़ी थी। वह घर की नौकरानी थी और सविता की बहुत चहेती थी। उसकी उम्र करींब ५० साल की थी और वह एक चूसे हुए आम की तरह थी। वह आकर किचन में चली गई। वह घर के सब काम करती थी और अब सविता के जाने के बाद खाना भी बना देती थी।
शिवा अपने काम में लग गया और तभी शीला वहाँ झाड़ू लगाने लगी। उसके सुखी हुई काया उसके सामने थी और दो महीने का प्यासा राजीव ये सोचने लगा कि क्या इसे ही चोद लूँ? पर जब साड़ी से उसकी नीचुड़ि हुई चूचियाँ देखा तो उसका लौड़ा शांत हो गया। उसने अपना ध्यान काम में लगाया।
तभी शीला का मोबाइल बज उठा और वह किचन में उसे लेकर बात करने लगी। थोड़ी देर बाद वह बाहर आयी और बोली: साहब, मुझे छुट्टी जाना होगा क्योंकि मेरी बहु को बच्चा होने वाला है। कम से कम तीन महीने लगेंगे।
राजीव: अरे तो हमारा क्या होगा? तुम किसी को काम पर लगा कर जाओ।
शीला: जी साहब, कल से मेरी भतीजी आएगी , उसका नाम रानी है वही काम करेगी, मेरी अभी उससे बात भी हो गई है।
राजीव: ओह उसको खाना बनाना आता है ना?
शीला: हाँ आता है वो कई साल एक परिवार में काम की है उसको सब आता है। आजकल ख़ाली है तो आपके यहाँ काम कर लेगी।
राजीव: क्या शादीशुदा है?
शीला: जी हाँ शादी को ७ साल हो गए हैं। मगर बेचारी को कोई बच्चा नहीं है। इसके कारण दुखी रहती है।
राजीव: ओह ऐसा क्या? अब ये तो भगवान की मर्ज़ी है ना ?
शीला फिर अपने काम में व्यस्त हो गई और राजीव भी अपने काम में लग गया। फिर उसने शिवा को फ़ोन लगाया: बेटा तुम्हारा कल का हिसाब ठीक है , अब तुम बढ़िया काम कर रहे हो। आज मुझे तुमसे एक ज़रूरी बात भी करनी है। रात को मिलते हैं।
रात को शिवा क़रीब ९ बजे घर पहुँचा और वो दोनों खाना खाए। बाद में राजीव बोला: बेटा, आज मैं तुमको एक बात कहना चाहता हूँ, मैं सविता के जाने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ, मैं सोच रहा था कि मैं दूसरी शादी कर लूँ। तुम्हारा क्या ख़याल है इस बारे में?
शिवा चौक कर बोला: क्या पापा, ये क्या बोल रहे हैं आप? कितना अजीब लगेगा प्लीज़ ऐसा मत करिए।
राजीव: अगर मैं नहीं कर सकता तो तुम कर लो। बेटा, घर में एक औरत होनी ही चाहिए। घर औरत के बिना अधूरा होता है।
शिवा: ठीक है पापा, अगर आप ऐसा चाहते हो तो यही सही।
राजीव: अब ये बताओ कि तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेंड है?
शिवा: पापा आप जानते ही हो कि मेरी किसी लड़की से दोस्ती नहीं है। मुझे तो दुकान से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती।
राजीव: तो फिर मैं तेरे लिए लड़की देखनी शुरू करूँ?
शिवा: ठीक है पापा आप देखिए । काश मॉ होती तो ये काम वो करतीं? है ना?
राजीव: हाँ बेटा वो तुम्हारी शादी का बहुत अरमान रखती थी पर बेचारी के अरमान पूरे ही नहीं हो सके।
थोड़ी देर और बातें करके वह दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
सुबह ५ बजे उठकर राजीव फ़्रेश होकर एक घंटे की सैर पर गया। वहाँ बग़ीचे में कई लड़कियाँ और औरतें भी ट्रैक सूट में अपने गोल गोल चूतरों को उभारे घूम रही थीं और राजीव का मन बड़ा बेचेंन हो रहा था। उनकी छातियाँ भी दौड़ने के दौरान ऊपर नीचे होकर उसकी ट्रैक सूट के अंदर उसके हथियार को कड़ा किए जा रहीं थीं। इसी हालत में वह वापस आया और कमरे में बैठ के पसीना सुखाने लगा। तभी काल बेल बजी और उसने दरवाज़ा खोला।