Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग - Page 8 - SexBaba
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Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग

नेहा- “मगर गाण्ड तुझे दिख सकती है..” ये बोलकर नेहा पीछे मुड़ी। उसकी पैंटी से उसके आधे चूतड़ दिख रहे थे।

समर को लगा की नेहा इसकी ही बात कर रही है। मगर नहीं... नेहा ने अपनी पैंटी को ऊपर की ओर खींचा। इससे उसके दोनों गोले पूरे-पूरे दिखने लग गये। उसने गाण्ड के बीच से गुजर रहे कपड़े को गाण्ड की लाइन में दबा दिया। अब उसकी पूरी गाण्ड नजर में थी। बस ऊपर से एक पतला वेस्टबैंड जा रहा था। उसके अलावा उसकी गाण्ड एकदम नंगी थी।

"ऊहह...” समर के मुँह से उसकी उत्तेजना भरी आवाज निकल गई। अपनी बहन की एकदम नंगी गाण्ड देख रहा था वो। उसको कंट्रोल नहीं हुआ। वो अपनी जगह से बढ़ा और एक झटके में नेहा की गाण्ड पकड़ ली।

नेहा उसके इस ऐक्सन से चकित हो गई। उसने समर को पीछे धक्का दिया- "समर, मैंने तुझे पर्मिशन दी मुझे छूने की?" नेहा ने कड़क अंदाज में कहा। समर सिर झुका के खड़ा हो गया, और कहा- “सोरी... सारी दीदी.." समर खुद पे काबू नहीं रख पा रहा था। उसे डर था की कहीं वो कुछ गलत ना कर दे।

नेहा- “हम्म.. ठीक है। तू भी क्या करता। मेरी गाण्ड है ही इतनी सेक्सी..” ये बोलकर नेहा ने अपनी गाण्ड को अपने हाथों से फैलाया। अगर उसकी पैंटी ना होती तो उसकी गाण्ड का छेद दिख जाता उसके भाई को।

समर को गुस्सा आ रहा था की नेहा उसे इतनी बुरी तरह सिड्यूस क्यों कर रही है? उसने अब अपना टाप ऊपर उठाया जिससे उसकी पतली गरम कमर प्रगट हो गई। अगर समर को इस दृश्य को एक्सप्लेन करने को कहा जाता तो वो शायद ना कर पाता। क्योंकी शब्द नहीं है ऐसे दृश्य को दर्शाने के लिए। आवर-ग्लाश फिगर से भी सेक्सी फिगर थी समर की दीदी की।

नेहा को मजा आ रहा था खुद को एक्सपोज करने में। जिंदगी में पहली बार कुछ ऐसा कर रही थी वो। मन में हलचल थी। चूत गीली पड़ गई थी। फिर नेहा ने पूछा- “कैसी है मेरी बैकसाइड?"

समर तो होश में था ही नहीं। वो तो नेहा के बिखरे जादू में खो गया था।

नेहा पीछे हई। उसने अपने आपको समर के नंगे शरीर से चिपका दिया। इस तरह की उसकी गाण्ड समर के लण्ड पे दब गई। दोनों के शरीरों में करेंट दौड़ गया। अब नेहा धीरे-धीरे अपने बदन को समर के बदन पे रगड़ने लग गई। उसके लण्ड पे अपनी गाण्ड को हिलाने लग गई। समर को तो लगा जैसे वो मर के स्वर्ग पहुँच गया हो। इतना आनंद उसे आ रहा था। नेहा के कोमल चूतड़ उसके लण्ड पे घूम रही थी, ऊपर-नीचे सहला रही थी। नेहा का तो मन था की उसे गाण्ड में घुसा ले। मगर अभी वो वक्त नहीं आया था।

दोनों के मुँह से आनंद के स्वर निकल रहे थे- “एयेए... ऊवू... म्म्म्म
...” पूरा कमरा इन आवाजों से भर गया था।

नेहा पीछे मुड़ी और समर के होंठों को किस करने लगी। वो पागलों की तरह समर के मुँह को खाने लगी। उसके होंठ, सबको चाट डाला। समर ने अपनी बहन को इतना भखा अब तक नहीं देख था। 5 मिनट ऐसे ही स्मूच करने के बाद नेहा फिर मुड़ गई। और फिर से अपनी गाण्ड समर के लण्ड से मिला दी। मगर इस बार वो उसके लण्ड पे अपनी गाण्ड से झटके मारने लग गई। लण्ड जाकर सीधा गाण्ड की धारी पे जाता और बाहर निकलता, अंदर जाता और बाहर निकालता। नेहा को अपनी गाण्ड के छेद पर उस लण्ड के लगने का एहसास हो रहा था।

समर को भी पता लग रहा था की उसका लण्ड कहाँ स्पर्श कर रहा है।

भाई बहन हवस की आँधी में बह रहे थे। आनंद और उत्तेजना की आवाजें निकाल रहे थे। दोनों को लग रहा था जैसे उनकी जिंदगी का सबसे तगड़ा आर्गेज्म आने वाला है। समर भी अब जोर-जोर से नेहा की गाण्ड पे झटके मारने लगा। उसका लण्ड झड़ने वाला था। नेहा का पानी निकलने वाला था। दोनों जोर-जोर से हाँफ रहे थे। बस कुछ पल और... कुछ पल और... दोनों नशे में डूबने वाले थे।
तभी नेहा का फोन बज उठा- ट्रिंग ट्रिंग।
दोनों भाई बहन का ध्यान एकदम से भंग हो गया। जिस कमरे में अभी तक उनकी हवस की आवाजें गँज रही थी, वहां अब नेहा की रिंगटोन गूंज गई। दोनों चौंक गये। उनका सेक्सी मोमेंट डिस्टर्ब हो गया। दोनों ने एक दूसरे पे झटके मारना रोक दिया।
 
तभी नेहा का फोन बज उठा- ट्रिंग ट्रिंग।
दोनों भाई बहन का ध्यान एकदम से भंग हो गया। जिस कमरे में अभी तक उनकी हवस की आवाजें गँज रही थी, वहां अब नेहा की रिंगटोन गूंज गई। दोनों चौंक गये। उनका सेक्सी मोमेंट डिस्टर्ब हो गया। दोनों ने एक दूसरे पे झटके मारना रोक दिया।
ट्रिंग ट्रिंग
नेहा ने सोचा की नहीं उठाती फोन। मगर फिर उसको लगा की कहीं मम्मी डैडी का फोन ना हो। कुछ जरूरी बात हो सकती है। ना चाहते हुए भी वो समर से अलग हुई। उसे गुस्सा भी आ रहा था, और बुरा भी लग रहा था। समर तो बेचारा कुछ बोल नहीं पाया। वो तो यही चाहता था की दीदी को पकड़ ले और जब तक उसकी गाण्ड पर झड़ ना जाए तब तक उसे जाने ना दे। लेकिन इतना कहां कर सकता था वो। बेचारे का लण्ड झड़ता झड़ता रह गया, और नेहा की चूत भी पानी छोड़ते-छोड़ते रह गई। दोनों ही अपने आर्गेज्म के इतने पास आकर भी उसे प्राप्त नहीं कर पाए।

नेहा फोन तक पहुँची। उसपे कोई अननोन नम्बर आ रहा था। ये देखकर नेहा को और गुस्सा आया। उसने फोन उठाया- “हेलो..” कहा

नेहा- “राजीव... तुम... ये क्या है... बिना सोचे समझे काल कर लेते हो..." ये नेहा का बायफ्रेंड राजीव था। नेहा गुस्से में उसपे चिल्लाने लगी।

समर ये सब देख रहा था। कैसे उसकी बहन पैंटी में फोन पे बात कर रही थी। उसकी गाण्ड इधर-उधर डोल रही थी। समर का तड़पता हुआ लण्ड और दर्द करने लगा।

नेहा- “मैं अभी बात नहीं कर सकती, आइ एम हैगिंग अप..” नेहा फोन काटने ही वाली थी की ना जाने राजीव ने क्या बोला।

नेहा- “क्याss? रियली... तू सच बोल रहा है ना राजीव? वाउ वाउ वाउ..” गुस्से से उलट नेहा अब एकदम से खुशी से नाचने लगी।

समर ये देखकर हैरान हो गया।

नेहा- “हाँ... हाँ.." नेहा बोली- “घर पे कोई नहीं है। जल्दी आ जाओ..” और ये बोलकर नेहा ने फोन काट दिया। वो पीछे समर की तरफ मुड़ी। उसके चेहरे से खुशी साफ झलक रही थी।

समर- "कौन था दीदी?” समर ने पूछा।

नेहा- “मेरा बायफ्रेंड.." नेहा ने बिना डरे, बिना हिचकते हुए बोल दिया।

“बायफ्रेंड..” ये शब्द जैसे समर के दिल को काँच जैसा चुभा। समर ने पूछा- “बायफ्रेंड... आपका बायफ्रेंड भी है?"

नेहा- “हाँ... अब तुझे क्यों बताती? मेरा छोटा भाई है तू.." नेहा बोली- “लेकिन अब जब हम इतना क्लोज आ ही गये हैं तो, अब कोई सीक्रेट रखने का क्या फायदा?"

समर को नई-नई बातें पता लग रही थी।

उसकी शकल देखकर नेहा समझ गई की शायद उसको ये बात सही नहीं लगी, कहा- “टेंशन मत ले। कुछ सीरीयस नहीं है मेरे और उसके बीच...” नेहा बोली- “ऐसे नाम के बायफ्रेंड तो कितने बनाकर छोड़ दिए मैंने। बस टाइमपास है...”

अपनी बहन के मुँह से ऐसी बातें सुनकर हैरान था समर। उसे पता नहीं था उसकी बहन इतनी तेज है।
 
नेहा ने अपनी पैंटी में हाथ घुसाया- “क्या यार। इतने तगड़े आर्गेज्म के इतने करीब थी मैं। सब बेकार हो गया..” वो बोली। वो सहला रही थी अपनी चूत को, मगर अब वो पल चला गया था। बुरे मन से उसने समर की ओर देख। उसने अपना पाजमा उठाया और पहनने लगी।

नेहा- “राजीव यहां आ रहा है, 10 मिनट

अभी के लिए इतना ही। बाकी का प्रोग्राम रात को..."

समर बेचारा टूटे दिल से देखता रहा। इतनी प्यारी मोमेंट को उस साले बायफ्रेंड ने बरबाद कर दिया। उसका लण्ड ना चाहते हुए भी बैठता गया।

नेहा उसके पास आई और उसके लण्ड को पकड़ा- “बुरा मत मानो, रात को मजे करेंगे...” ये बोलकर उसने समर की छाती पर चूमा।

समर को मजा आ गया। मगर मन तो अभी भी खराब ही था। वो नंगा ही अपने कपड़े उठाकर अपने कमरे में चला गया। सोचा की मूठ मार ले। मगर अब वो भी मन नहीं था उसका। वो बस कपड़े पहनकर अपनी बहन के उस “बायफ्रेंड' का इंतेजार करने लगा। देखें की कौन हैं ये जनाब?

15 मिनट बाद घर की घंटी बजी। समर दौड़ता हुआ नीचे गया। नेहा ने दरवाजा खोला। एक साँवले रंग का बंदा अंदर घुसा। नेहा से थोड़ा लंबा था, मगर समर से छोटा। दिखने में एकदम साधारण। लेकिन कपड़े वगैरह देखकर अमीर घराने का लग रहा था। हाथ में उसके एक गिफ्ट था।

आते ही बोला और नेहा को गले लगा लिया, जकड़ लिया उसे। नेहा के मम्मे उसके सीने में धँस रहे थे

राजीव- "हाय बेबी...” वो सीने में धंस गये।

समर को ये देखकर बहुत गुस्सा आया।

नेहा ने उसको अलग किया- “हाय राजीव... बस... अब क्या गले ही मिलते रहोगे?” वो बोली- “अंदर बैठो..."

समर दोनों की नजरों से दूर था।

राजीव अंदर आकर सोफे पे बैठ गया- “ओहह... नेहा बेबी... आई मिस्ड यू..." वो बोला- “कितने दिन हो गये तम्हें देखे, तुम्हें छुए हुए?"

समर को उसकी बातों से ही वो कमीना लग रहा था। लेकिन समर को क्या पता था की उसकी बहन सबसे ज्यादा कमीनी है।

नेहा- “हाँ हाँ, मैं हूँ ही मिस करने वाली चीज...” नेहा ने कहा- “लेकिन पहले मुझे मेरा गिफ्ट दो..” नेहा ने खुशी खुशी अपना हाथ आगे बढ़ाया।

राजीव ने उसके हाथ में गिफ्ट रख दिया।

नेहा ने जल्दी-जल्दी गिफ्ट रैप खोला और अंदर जो था वो देखकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा- “वाओ..." वो चिल्लाई। दरअसल गिफ्ट एक मोबाइल था, 25 हजार का ब्रांड न्यू मोबाइल। नेहा ने तो 20 हजार का माँगा था। मगर राजीव उसके लिए उससे भी महँगा मोबाइल लाया था।
"
“राजीव ने पूछा- कैसा लगा.."

नेहा- “बहुत-बहुत-बहुत अच्छा..." वो बोली और सीधा राजीव के ऊपर चढ़कर उसे चूमने लगी। वो पागलों के जैसे राजीव को स्मूच करने लगी।

समर ने जब ये देख तो उसे बहुत बुरा लगा, उसका खून कौलने लगा।
 
“राजीव ने पूछा- कैसा लगा.."

नेहा- “बहुत-बहुत-बहुत अच्छा..." वो बोली और सीधा राजीव के ऊपर चढ़कर उसे चूमने लगी। वो पागलों के जैसे राजीव को स्मूच करने लगी।

समर ने जब ये देख तो उसे बहुत बुरा लगा, उसका खून कौलने लगा।

राजीव ने नेहा की कमर को जकड़ लिया और वो भी अब उसके मुंह को चूसने लगा।

समर का मन किया की वहां जाए और राजीव को अपनी बहन से अलग करके एक लगाये। लेकिन वो कुछ भी करने की हालत में नहीं था। पाँच मिनट तक ऐसे ही मेक आउट करने के बाद वो लोग अलग हुए।

नेहा- “बैंक यू राजीव, आइ एम वेरी हैपी..." नेहा बोली- “तू बैठ... मैं इसे ऊपर रखकर आती हूँ..” कहकर वो अपने रूम की तरफ बढ़ी तो उसने पाया की समर सीढ़ियों पे खड़ा है।

नेहा- “अरे तू यहां क्या कर रहा है?” नेहा ने हल्की आवाज में कहा।

समर दूसरी तरफ मुँह करके खड़ा हो गया। उसकी आँखों में गुस्सा था।

नेहा समझ गई, कहा- “वो मेरा बायफ्रेंड है। इतना सब तो चलता है...” नेहा बोली- “तू चिंता मत कर भाई। तेरी जगह उससे बहत ऊपर है...” कहकर उसने समर को आँख मारी- “चल जरा इससे ऊपर रखकर आ, और तू भी ऊपर रह..” फिर बोली- “यहां जो होगा शायद वो तुझे अच्छा ना लगे। मगर अगर देखना चाहता है, तो यू आर मोस्ट वेलकम..” नेहा के दिमाग में ना जाने क्या था? वो हँसते हुए वापस राजीव के पास चली गई।

समर ने दो पल के लिए सोचा की वापस चला जाए। मगर वो गया नहीं। वो खड़ा अपनी बहन को देखता रहा।

नेहा- “तूने आज बहुत खुश किया है मुझे राजीव.." नेहा बोली।

राजीव- “तेरे लिए कुछ भी कर सकता हूँ मैं बेबी..” राजीव बोला।

नेहा- “हम्म्म्म... अब तो मुझे भी तुमको एक रिटर्न गिफ्ट देना पड़ेगा..." नेहा बोली- “बोलो क्या चाहिये?"

राजीव- "तुझे पता है बेबी, मुझे क्या चाहिये?” राजीव बोला- “आई वांट यू आंड योर बाडी..”

समर ये सुनकर तिलमिला उठा।

नेहा को पता था की ये सेक्स का भूखा है। उसने वैसे भी इसको अपने बदन से बहुत तड़पाया था। आज नेहा को उसपे प्यार आ रहा था। उसने सोचा क्यों नहीं कुछ किया जाए? उसे मालूम था की समर देख रहा होगा। क्यों ना उसे जलाया जाए?

नेहा राजीव की गोदी में आकर बैठ गई। उसने अपनी टाँगें उसपर लिपटा दी, और फिर वो उसे पागलों की तरह चूमने लगी। राजीव की तो लाटरी लग गई। दोनों एक दूसरे की जीभों से खेलने लगे। राजीव को इतनी अच्छी तरह से नेहा का टेस्ट नहीं मिला था।

समर उन दोनों को ऐसे कुत्तों की तरह एक दूसरे को चाटते हुए देखकर पागल हो रहा था। दीदी ऐसा भी करती हैं? ऐसे कितने लड़कों के साथ कर चुकी हैं? और क्या-क्या किया है उन्होंने? क्या वो चुदी भी हुई है? ये सारे सवाल समर के मन में थे। बहुत बुरा लग रहा था उसे।

मगर ना जाने क्यों अपनी दीदी को दूसरे मर्द के साथ ऐसा कुछ करते देखने में अजीब सा किंकी और फोरबिडेन मजा आ रहा था। उसने अपने लण्ड को जागता हुआ पाया।

एक और लण्ड था जो जाग चुका था... राजीव का। जो अब नेहा को अपनी गाण्ड के नीचे हार्ड होता हुआ लग रहा था। नेहा ने आज तक राजीव के लण्ड को छुआ नहीं था, देखा भी नहीं था। मगर अब तो उसे लण्ड हैंडल करने का अनुभव हो चुका था, और वो एक और लण्ड हैंडल करना चाहती थी। उसने किस तोड़ी और अपना हाथ राजीव के लण्ड के ऊपर रख दिया।

राजीव को झटका लगा। उसे लगा नहीं था की नेहा ऐसा करेगी।

नेहा को पता था की समर देख रहा है। उसने एक बार मुश्कुराते हुए उस तरफ मुँह किया। समर को समझ में आ गया की नेहा उसे भी टीज कर रही है। नेहा ने राजीव को उसकी जगह से उठाया और अपने सामने खड़ा कर दिया।

नेहा बोली- “आज तेरा लकी दिन है राजीव... चल अपना लण्ड बाहर निकाल..."

समर सब देख रहा था। राजीव की पैंट नीचे आ चुकी थी। नेहा का हाथ उसके अंडरवेर के वेस्टबैंड पर था। वो भी किसी भी पल उतरने वाला था। समर का मन नहीं था ये देखने का, मगर ना जाने क्यों वो अब भी वो खड़ा था।

नेहा अपनी जिंदगी का दूसरा लण्ड देखने के लिए तैयार थी। और ये उसे और उत्तेजित कर रहा था की उसके पहले लण्ड का मालिक, समर पीछे से उसकी हरकतें देख रहा था। उसकी चूत को मजे आ रहे थे। दिल भाग रहा था।

राजीव को तो लग रहा था की वो सपना देख रहा है। जो लड़की कभी उसे ढंग से चूमती भी नहीं थी, आज खुद उसका लण्ड बाहर निकाल रही थी। ऐसी लड़की जो दिख जाए तो राजीव के स्टैंडर्ड से बहुत ज्यादा ऊपर थी। उसे पता होता तो ना जाने कितने मोबाइल गिफ्ट कर चुका होता उसे।

नेहा अब रुक नहीं सकती थी। उसने अपने हाथों को सख्त किया और एक झटके में उसका अंडरवेर नीचे कर दिया। राजीव का लण्ड बाहर आ गया। वो पहले से ही खड़ा हुआ था। समर को भी दिख गया। नेहा के सामने एक नया लण्ड था।
 
राजीव का लण्ड समर से भी छोटा था, 5 इंच का भी नहीं होगा पूरा, और रंग भी बहुत काला था। मगर उसकी मोटाई समर से थोड़ी ज्यादा थी। नेहा ने राजीव की ओर देखा, जो अपनी आँखें बंद करे अपनी दुनियां में खोया हुआ था।

समर को भी थोड़ा अच्छा लगा की राजीव का लण्ड उससे छोटा है। मगर ये अच्छी फीलिंग जल्द ही चली गई। नेहा ने समर की तरफ देख और एक शरारती मुश्कान दी, और फिर अपने दायें हाथ से राजीव का लण्ड पकड़ लिया।

राजीव के शरीर में हवस की लहर जाग उठी।
और समर में गुस्से की।

राजीव- “ओह्ह... बेबी, ओहह... हाँ...” राजीव बोला, जब नेहा ने उसका लण्ड सहलाना शुरू किया।

नेहा की चूत भी गीली हो रही थी। वो एक पराये मर्द का लण्ड सहला रही थी, और उसे अच्छा लग रहा था- “ये तुम्हारे एक अच्छे बायफ्रेंड होने का गिफ्ट..." नेहा बोली। वो राजीव के काले लण्ड को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे, ऊपर नीचे कर रही थी।

राजीव खड़ा हआ था और नेहा उसके सामने सोफे पे बैठी थी। वो मोटा खड़ा हआ लण्ड नेहा के हाथों में और बढ़ रहा था। राजीव को तो जानत मिल गई थी।
समर पीछे से देख कर रंज कर रहा था। उसकी प्यारी बड़ी बहन एक पराये मर्द का लण्ड अपने हाथ में लिए उससे खेल रही थी। उसे गंदा लग रहा था, मगर उसका लण्ड फिर भी खड़ा हुआ था। अपनी बहन को दूसरे मर्द के साथ ऐसा करते देखकर उसकी हवस भी जाग रही थी।

नेहा ने अपने दूसरे हाथ से राजीव के टट्टों को पकड़ा।

"ऊहह.” राजीव के मुँह से आवाज आई।

अब नेहा एक हाथ से उसका लण्ड सहला रही थी और दूसरे हाथ से उसके टट्टे दबा रही थी। राजीव की किश्मत ही थी की आज एक स्वर्ग की अप्सरा उसके लण्ड से खेल रही थी। प्री-कम बाहर निकल रहा था राजीव के लण्ड से, और नेहा की चूत से पानी भी। नेहा ने लण्ड पे मोशन थोड़ा तेज किया। वो तेजी से मूठ मारने लगी।

राजीव- “ओहह... नेहा बेबी। यू आर द बेस्ट। इतना मजा... ओहह... इतना मजा मुझे कभी नहीं आया...” राजीव एकदम उत्तेजित हो चुका था। उसने नीचे देखा, नेहा के गोरे कोमल हाथ उसके लण्ड पर काम कर रहे थे।

नेहा ने ऊपर राजीव की तरफ देखा और एक कातिलाना स्माइल दी।

राजीव फिर अपनी किश्मत पे अचंभित रह गया। उसकी नजर फिर नेहा के चूचियों पर पड़ी। राजीव खड़ा था

और नेहा बैठी थी, जिसकी वजह से नेहा की बड़ी सी क्लीवेज दिख रही थी। उसके दूध जैसे गोरी चूचिया थोड़ी दिख रही थीं। राजीव देखकर आलमोस्ट झड़ने ही वाला था, इतने प्यारे मम्मे थे नेहा के। वो खुद को रोक नहीं पाया। उसने अपना हाथ नेहा की चूचियों की तरफ बढ़ाया।

मगर इससे पहले वो उन्हें छू पता नेहा ने उसका हाथ पकड़ लिया- “डोन्ट टेस्ट युवर लक, राजीव.." नेहा ने सख्त आवाज में कहा।

राजीव ने एक झटके में अपना हाथ वापिस ले लिया, और कहा- “आइ एम सारी नेहा, आइ एम सारी..."

नेहा ने फिर उसका लण्ड पकड़ा और उसे सहलाने लगी।
 
समर को राजीव की ये हरकत बहत बेकार लगी। साला ये समझता क्या है मेरी दीदी को। उसका मन कर रहा था की मुँह तोड़ दे उसका। नेहा अब दोनों हाथों से राजीव को हैंडजाब देने लगी। राजीव अब झड़ने के बहुत करीब था।

राजीव- “कीप गोइंग बेबी, कीप गोइंग। आइ एम अबौट टु कम। रुकना मत..."

नेहा ने भी अपनी स्पीड बढ़ाई। ज्यादा तेज हाथ हिलाने से नेहा के खरबूजे भी हिल रहे थे और राजीव ये देखकर पागल हुआ जा रहा था। अब बस वो अपना पानी छोड़ने ही वाला था।

राजीव- “आ गया वीर्य... आ गया वीर्य... टके इट इन युवर माउथ। मेरा पानी पी ले नेहा। प्लीज...” राजीव ने अपने दिल की बात बताई।

समर का दिल जोर से धड़कने लगा। क्या दीदी सच में मुँह में लेगी इस इंसान का पानी? वो ये कतई नहीं देख सकता था।

नेहा ने समर की तरफ देख और फिर उसने धीरे-धीरे अपना मुँह राजीव के लण्ड के पास झुकाना शुरू किया। समर का दिल भी बैठने लगा। ऐसा नहीं हो सकता।

नेहा जब लण्ड के एकदम करीब पहँच गई तब उसने ऊपर राजीव की तरफ देख और कहा- “अभी तेरे इतने अच्छे दिन नहीं आए हैं...” उसने राजीव का हाथ आगे किया और उसे उसके लण्ड के आगे टिकाकर उसका जोर जोर से मूठ मारने लगी। और अगले पल राजीव अपने ही हाथ पर अपना माल छोड़ रहा था। नेहा तब तक उसका लण्ड हिलाती रही जब तक वो एकदम खाली ना हो गया।

राजीव तो थोड़े पलों के लिए खड़ा-खड़ा खो गया। परम आनंद आया था उसे। जब आगज्म की फीलिंग गई तो उसने अपनी आँखें खोली। देखा की उसने अपने हाथ, अपने ही वीर्य से भर दिए थे। नेहा उसकी और मुश्कराते हुए देख रही थी।

नेहा- “मजा आया डार्लिंग? मुझे पता है आया तो होगा ही। अब जाओ, वहां उस तरफ बाथरूम है। खुद को साफ करके आओ, और एक बूंद भी नहीं गिरनी चाहिये फर्श पे..” उसने उसको आर्डर दिया।

राजीव चुपचाप बाथरूम की तरफ चला गया। उसके जाने पर नेहा ने समर की तरफ देखा- “देख कहा था ना की तू ज्यादा स्पेशल है समर, मैंने उसका वीर्य चखा भी नहीं...” उसने बोला। समर भी खुश था ये देखकर। उसका डर गलत साबित हुआ था।

पाँच मिनट बाद राजीव बाहर आया। उसका लण्ड अब भी बाहर था। वो अब बिल्कुल बैठा हुआ था- "मेरा काम तो हो गया नेहा, मगर तुम्हारा क्या? कम ओन, लेट मी प्लेजर यू। मैं भी तुमको आगँज्म करवाता हूँ..” वो इस उम्मीद में था की शायद नेहा उसे अपनी बाडी के साथ खेलने दे।

नेहा- “हाँ.. इट्स ओके राजीव। कहा ना, अभी तुम्हारे इतने अच्छे दिन नहीं आए। जितना मिला आज उतने में खुश रहो...” फिर उसने समर की तरफ देख और कहा- “वैसे भी मेरे पास अपने मजे के लिए और साधन हैं.."
 
समर मुश्कुराया, उसको अपनी बहन का इशारा समझ में आ गया था।

नेहा- “चल राजीव, तू जा अब। मेरे पेरेंट्स आने वाले होंगे..." नेहा ने आखिरी बार उसके लण्ड को पकड़ा और फिर उसके कपड़े ऊपर कर दिए।

राजीव को बुरा लगा की वो नेहा के साथ कुछ कर नहीं पाया। मगर वो फिर भी बहुत खुश था आज।

नेहा- “और थैक्स फार द मोबाइल.." नेहा ने उसे हग किया।

राजीव बोला- “नहीं... बैंक्स तो मुझे बोलना चाहिये। तुमने आज बहुत मजे दिए मुझे.."

नेहा मुश्कुराई।

राजीव ने पूछा- “बताओ नेहा... तुमने प्रीति से हमारे बारे में कुछ बोला था क्या?"

नेहा- “नहीं तो.." नेहा ने जवाब दिया- “क्यों... क्या हुआ?"

राजीव- “पता नहीं मुझे लग रहा है की उसे हम दोनों पर शक हो गया है... प्लीज... उसे कुछ पता मत लगने देना। वरना मेरी खैर नहीं...” ये बोलकर उसने नेहा को चूमा और बाइ बोलकर चला गया।

नेहा सोचने लगी। प्रीति राजीव की बहन थी और नेहा की बेस्ट दोस्त थी। वो दोनों कालेज में एक ही क्लास में थे, और राजीव एक साल आगे। नेहा तो भूल ही गई थी की प्रीति और राजीव भाई बहन हैं। एक ऐसा रिश्ता जिसकी हद नेहा तोड़ चुकी थी।

प्रीति और राजीव। भाई बहन... मेरे और समर की तरह। नेहा ने एक स्माइल दी। लगा जैसे उसके शैतानी दिमाग में एक और शैतानी स्कीम आ गई थी।
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राजीव के जाने के आधे घंटे बाद प्रीति और यतीन घर वापस आ चुके थे। राजीव का मन था की नेहा उसके साथ कुछ करे मगर उसकी उम्मीद गलत साबित हुई। पेरेंट्स के आने के डर से नेहा ने कुछ ना करना ही ठीक समझा।

शाम को समर बाहर चला गया। नेहा भी अपने कमरे में अकेले रही। शाम को खाने के टाइम सब नीचे एक साथ आए।

यतीन ने पूछा- “तो हमारे जाने के बाद क्या किया तुम दोनों ने?"

समर ने सोचा- “अगर आपको पता लग जाए तो हार्ट अटैक आ जायेगा पापाजी...”
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नेहा- “कुछ नहीं, मैं तो सोई पड़ी थी। इसका मुझे पता नहीं." नेहा बोली। कूल बनकर झूठ बोलने में तो माहिर थी ही।

समर- "मैं... मैं... मैं टी.वी. देख रहा था...” समर ने कहा।

यतीन- “बस टी.वी. ही देखा, कभी पढ़ भी लिया करो। दोनों के दोनों का हाल बुरा है पढ़ाई में, खास कर समर तेरा। अपने बड़े भाई से कुछ सीखो, यू.एस. जा चुका है...” यतीन अपने बड़े बेटे नवीन की बात कर रहा था और अपने बाकी दो बच्चों को सुना रहा था।

प्रीति- "अरे अभी खाने के वक्त ऐसी बातें मत करो। पढ़ लेंगे हमारे बच्चे..” प्रीति बोली और समर का सिर सहलाने लगी।

ना चाहते हुए भी समर की निगाहें अपनी माँ की चूचियों पर पड़ गई। सब नेहा की वजह से हो रहा था। और नेहा खुद अपने भाई को अपनी माँ के चूचे देखते हुए देख खुश हो रही थी।

शर्मा परिवार डिनर करके उठा। नेहा और उसकी माँ ने किचेन का काम किया। नेहा प्रीति के मुँह पे खुशी देख सकती थी। आखीरकार आज उसका इंतेजार पूरा होने वाला था। इतने दिनों बाद उसकी चूत को लण्ड मिलने वाला था। वो अपनी खुशी नहीं छुपा पा रही थी।

नेहा- “क्या बात है मोम... बहुत खुश लग रही हो?" नेहा को सब पता था फिर भी उसने पूछा।

प्रीति- “बस यूँ ही...” प्रीति ने बोला। अब वो थोड़ी बता सकती थी की आज वो चुदने वाली थी। काम खतम करके प्रीति यतीन के साथ टी.वी. देखने लगी और नेहा ऊपर चली गई।
 
मगर अपने कमरे में जाने के बजाय नेहा सीधा समर के कमरे में घुस गई- “तो आज क्या है?" नेहा ने घुसते ही कहा।

समर एकदम से चौंक गया- “क्या?"

नेहा- “बता आज कौन सा दिन है और आज क्या होने वाला है?" नेहा ने पूछा।

समर- “सनडे है, मगर क्या होने वाला है?" समर बोला।

नेहा- “आज मम्मी डैडी एक दूसरे को चोदेंगे.." नेहा ने सेक्सी अंदाज में कहा।

समर को एकदम से याद आया की नेहा ने ये उसे बताया था। वो शर्मा गया। अपने माँ बाप को उस स्थिति में वो इमेजिन नहीं करना चाहता था।

नेहा- “मैं तो बहुत उत्तेजित हूँ सोचकर। पता है मम्मी कितनी बेचैन हैं? उनको बस लण्ड चाहिये एक..” नेहा बोली और समर के पास आकर बैठ गई।

ना चाहते हुए भी समर अपनी माँ को लण्ड के साथ इमेजिन करने लगा। क्या काला जादू था ये नेहा का, जिसने एक बेटे को माँ के लिए ही सख्त कर दिया था। उसने कहा- “दीदी, मम्मी डैडी के बारे में ऐसी बात करना ठीक नहीं है...”

नेहा- “क्यों... वो भी तो इंसान है। जिनकी जरूरतें है। तेरी जरूरतों को आजकल मैं पूरा कर रही हैं। मम्मी की जरूरतों को डैडी पूरा करते हैं..” वो बोली।

समर के पास कहने के लिए कुछ नहीं था।

नेहा ने उसके पाजामे पे लण्ड पर हाथ रखा- “जरूरत होती है लण्ड की औरत को...” एक सेकण्ड में उसका लण्ड खड़ा हो गया। नेहा का मन अब कुछ करने का किया। मगर उसके माँ बाप अभी उठे हुए थे। उसने समर को नीचे देखकर आने को कहा।

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समर देखकर आया, नीचे कोई नहीं था। पेरेंट्स अपने रूम में चले गये थे।

नेहा- “ओह्ह... माई गोड... अब वो कभी भी सेक्स करना शुरू कर देंगे। सोचकर ही चूत गीली हो रही है.." नेहा ने बोला। कितनी आसानी से वो अब अपने भाई के सामने ऐसी बात कर रही थी।

ये सुनकर समर भी हैरान था। नेहा ने समर को लेटा दिया और उसके पेट पे आकर चढ़ गई। हाथ पीछे करके उसने उसका लण्ड पकड़ा और उसे हिलाने लगी- “आज कैसा लगा मम्मी का बदन, जल्दी बता?"

समर को मजे आने लगे और उसके मुँह से निकल गया- “बहुत... बहुत अच्छा लगा दीदी.."

नेहा मुश्कुराई- “क्या अच्छा लगा... चूचे, गाण्ड?"

समर ने जवाब नहीं दिया।
 
समर को मजे आने लगे और उसके मुँह से निकल गया- “बहुत... बहुत अच्छा लगा दीदी.."

नेहा मुश्कुराई- “क्या अच्छा लगा... चूचे, गाण्ड?"

समर ने जवाब नहीं दिया।

नेहा ने उसका लण्ड और जोर से हिलाया- "बता?"

समर- “सब दीदी, सब अच्छा लगा...” समर बोला। सच्चाई थी ये। समर को सब बहुत अच्छा लगा था।

नेहा- “और जब तेरी दीदी एक दूसरे लड़के के लण्ड को ऐसे ही हिला रही थी, तब कैसा लगा?" नेहा ने उसके लण्ड पे थोड़ा जोर लगाना शुरू किया।

समर- “ओहह... अया...” समर को मजा आ रहा था- “अच्छा नहीं लगा दीदी..."

नेहा- “मगर फिर भी तेरा लण्ड खड़ा हो गया था ना... अपनी बहन को पराये लण्ड से खेलते देखकर, तुझे भी ठरक मची थी ना... बता?” कहकर नेहा ने उसके टट्टे दबाए।

समर- “एम्म्म... हाँ दीदी... ना जाने क्यों मुझे अजीब सा मजा आया..” उसने सच बोल दिया।

नेहा के पास अपना दूथ डिटेक्टर टेस्ट था। नेहा उसके ऊपर से उतर गई, और समर की आँखें फाड़ते हुए उसने अपना पाजमा उतार दिया। फिर आगे बढ़कर समर का भी उतार दिया। अब वो अपनी पैंटी में थी। वो फिर आकर समर के ऊपर बैठ गई। मगर इस बार उसकी गाण्ड सीधा समर के लण्ड के ऊपर आई।

समर आनंद में चिल्लाया।

नेहा ने बिना कुछ बोले अपनी पैंटी को अपनी गाण्ड से थोड़ा साइड किया। इससे उसकी गाण्ड की लकीर पैंटी से बाहर आ गई। ये समर को दिख नहीं रहा था। क्योंकी वो आगे की साइड था। मगर उसे जो महसूस हुआ वो । शब्दों में डिस्क्राइब करने में मुश्किल था। नेहा ने समर का लण्ड अपनी लकीर के बीच में धंसा दिया। समर को ऐसा गजब झटका लगा की उसका शरीर कांप गया।

नेहा धीरे-धीरे आगे-पीछे होने लगी। उसकी कोमल गाण्ड समर के लण्ड को बीच में लिए आगे-पीछे होने लगी। समर आँखें बंद करे जन्नत की सैर करने लगा। नेहा नीचे झुकी और उसको चूमने लगी। इसके साथ ही उनकी छातियां मिल गई और समर का लण्ड और बेकाबू हो गया।

नेहा अब ऊपर उसके होंठ चूस रही थी और नीचे उसके लण्ड को अपनी गाण्ड के बीच लेकर झटके मार रही थी। समर को यकीन नहीं हो रहा था की वो अपनी बहन की आलमोस्ट गाण्ड मार रहा था, या उसकी बहन करवा रही थी। क्या पता किसी दिन छेद में भी लण्ड डालने का मौका मिल जाए। ये सोचकर ही समर का लण्ड झड़ने को तैयार हो उठा।

नेहा अब जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। उसकी खुद की चूत गीली हो रही थी। इतनी तड़प रही थी। जी कर रहा था की अपने भाई के लण्ड से अपनी चूत ही फाड़ दे। वो जोर-जोर से अपनी गाण्ड उसके ऊपर पटकने लगी। समर भी अब अपना लण्ड उसकी गाण्ड पर मारने लगा।

समर- “ओह्ह... दीदी... मैं बस... मैं झड़ने......."

समर ने कहा ही था की नेहा उठी और समर की टांगों के बीच में बैठ गई। उसने अपना मुँह समर के लण्ड के पास कर दिया। हाथों से वो अब भी उसे मसल रही थी। समर तैयार था अपनी बहन के मुँह में अपना माल डालने के लिए। और बहन भी पूरी तैयार हो गई। समर को चौंकाते हुए उसने लण्ड की टिप को अपनी जीभ पर रख लिया। वो ये बर्दाश्त ना कर सका और एक के बाद एक ना जाने कितनी धारें डाल दी नेहा के मुँह में। नेहा ने एक-एक बूंद निगल ली। जब सब खाली हो गया, तो समर ने नीचे नेहा को देखा। उसे यकीन नहीं हो रहा था की उसके लण्ड पे उसकी बहन की जीभ लगी थी। मुँह से वीर्य लटकता हुआ नेहा के गले तक जा रहा था।

नेहा ने मुश्कुराते हुए कहा- “चल अब मम्मी डैडी की चुदाई का मजा लेते हैं.."

रात के 12:00 बज चुके थे। घर पे शांति थी और अंधेरा फैल गया था। मगर घर के सदस्य शांत नहीं थे। नेहा समर को लेकर नीचे अपने पेरेंट्स के दरवाजे के बाहर पहुँच चुकी थी। समर अनकंफर्टेबल महसूस कर रहा था। मगर अपनी बहन का ये आफर वो ठुकरा कैसे सकता था?
 
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