hotaks444
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सरला और रंजू आगे आगे चल रहीं थीं और पीछे शिवा की हालत उनके मटकती गाँड़ देखकर ख़राब हो रही थी। दोनों ने छोटे छोटे टाइट कुर्ते पहने थे जो उनके बदन की उठान और कटाव को खुल कर प्रदर्शित कर रहे थे। वो एक ऐसे काउंटर पर ले गया जहाँ ज़मीन पर मोटे गद्दे बिछे थे और एक आदमी साड़ियों को लपेट रहा था। शिवा उस आदमी के साथ बैठा और दोनों औरतें उसके सामने गद्दे पर बैठ गयीं।
अब शिवा ने साड़ियाँ दिखानी शुरू कीं। रंजू खड़ी हो गयी और एक एक साड़ी को अपने बदन में लपेट कर देखने लगी। उसने अपनी चुन्नी नीचे रख दी थी। अब वो जब साड़ी लपेटने को झुकती तो उसकी आधी चूचियाँ उसके बड़े गले के कुर्ते से साफ़ दिख जातीं। वो घूमकर शीशे में ख़ुद को देखती तो उसके मस्त चूतर अपने उभार दिखा कर शिवा को मस्त कर देते। शिवा का लौड़ा अब बग़ावत पर उतर आया था और रंजू के शरीर से आती हुई मादक सेंट की गंध भी उसे उत्तेजित करने लगी।
मालिनी चुपचाप शिवा को रंजू का बदन घूरते हुए देख रही थी। उसके द्वारा अपनी पैंट को ऐडजस्ट करना भी उसकी आँखों से छिपा नहीं रहा। वो सोची कि उसका काम इतना भी मुश्किल नहीं है शायद ।
तभी रंजू बोली: अरे यार मैंने तो ये साड़ी फ़ाइनल की है। तू भी कुछ देख ना। अब सरला भी उठी और ऐसे उठी कि उसका पिछवाड़ा शिवा की तरफ़ था। उफफफफ मम्मी की गाँड़ तो और भी ज़्यादा मस्त है आंटी की गाँड़ से - शिवा सोचा।
अब सरला ने भी वही सब किया और उसकी चूचियाँ भी शिवा को वैसे ही दिखाई दे रही थीं जैसे आंटी की दीखीं थीं। फ़र्क़ इतना था कि मम्मी की ज़्यादा बड़ीं थीं। और शिवा को शुरू से बड़ी चूचियों का एक छिपा सा आकर्षण था ही। उसे याद आया कि उसकी अपनी माँ की भी चूचियाँ ऐसी ही बड़ी बड़ी थीं।सरला कनख़ियों से देख रही थी कि उसका पूरा ध्यान उसकी चूचियों और कूल्हों पर ही है। अब वो और ऐसे ऐसे पोज बनाई कि जिनमे उसके उभार और ज़्यादा सेक्सी नज़र आएँ। अब तक शिवा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। तब सरला ने बोंब फोड़ा: मुझे तो कोई पसंद नहीं आयी । चल अब तू अंडर्गार्मेंट्स ले ले।
रंजू: हाँ बेटा चलो अब कुछ मस्त ब्रा और पैंटी दिखा दो।
शिवा: जी आंटी जी चलिए । ये कहकर वो उनको एक दूसरे काउंटर में ले गया। वहाँ वह काउंटर के पीछे से कुछ नए डिज़ाइन के ब्रा निकाला और दिखाने लगा। और पूछा: आंटी साइज़ क्या होगा?
रंजू: चल तू गेस कर। ये कहकर वो चुन्नी हटाकर अपना सीना तान कर मुस्कुराने लगी।
शिवा भी अब उत्तेजित था सो बोला: आंटी जो ३६/३८ बी कप होगी।
वो मुस्कुरायी : सही है ३८बी । अच्छा अपनी सास का बताना तो?
शिवा एक बार सिर उठाकर सरला की छातियों को देखा और बोला: मम्मी जी का ४० सी होगा।
सरला: वाह बेटा इतना सही? सच में काम में पक्का है हमारा दामाद। वह भी मुस्करायी।
शिवा: मम्मी आपको भी दिखाऊँ क्या?
सरला: नहीं बेटा मेरे पास अभी हैं ।
रंजू: अरे थोड़ी सेक्सी दिखाओ ना। वह सरला को आँख मारते हुए बोली। शिवा ने नीचे से कुछ डिब्बे निकाले और उनको खोला और उसमें से लेस वाली और नेट वाली ब्रा निकाला और उनको दिखाने लगा।
रंजू: यार सरला ये तो मस्त हैं ना? उसने एक ब्रा दिखाई जिसमें नेट यानी जाली लगी थी और जिसमें निपल के लिए छेद था। यानी निपल बाहर निकल जाएगी ब्रा से बाहर। शिवा कल्पना किया कि रंजू की चूचियाँ उनमें से कैसी दिखेंगी और वो गरम होने लगा।
सरला: छी ऐसी ब्रा पहनेगी? इससे अच्छा है कि पहन ही मत।
रंजू: शिवा तुमने ऐसी ब्रा मालिनी को दिलायी है कि नहीं?
शिवा लाल होकर: अरे आंटी आप भी ना, वो ऐसी पहनेगी ही नहीं।
रंजू: अरे तुम दो तो सही उसको। अकेले में पहनकर दिखाएगी।
सरला: मुझे नहीं लगता कि वो पहनेगी।
रंजू: तो तुम ले लो ना।
सरला: धत्त मैं क्या करूँगी। तू ले ले।
रंजू: मैं तो लूँगी ही। और बेटा, ऐसी हो कोई पैंटी भी दिखा ना।
शिवा ने उसे ऐसी ही पैंटी दिखाई जिसमें बुर ज़्यादा दिखाई देगी छिपेगी कम ।
रंजू सरला को पैंटी दिखाई और बोली: बताओ कैसी है?
सरला उसकी गाँड़ पर एक चपत लगाकर बोली: देखो इसकी पीछे तो बस एक रस्सी है। ये पूरा पिछवाड़ा नंगा ही दिखेगा।
रंजू हँसने लगी और बोली: अरे इसी में तो मज़ा है। ये दे दो बेटा।
फिर वो स्कर्ट और टॉप्स भी देखी और वहाँ से भी कपड़े ली।
फिर रंजू बोली: बेटा, टोयलेट है क्या यहाँ?
शिवा: जी मेरे कैबिन में है, आइए मैं आपको ले जाता हूँ।
सरला: मैं ज़रा मालिनी से बात कर लेती हूँ फ़ोन पर। वो मालिनी को फ़ोन लगायी: हेलो, बेटी हम तो तुम्हारी शॉप में हैं। तुम आकर मिल लो ना।
मालिनी: मम्मी मेरा पिरीयड आया है , थोड़ी तबियत ढीली है। आज रहने दो । वैसे भी कल इतवार को हम दोनों आ ही रहे हैं तो मिल लेंगे।
सरला: ठीक है बेटी। फिर वो दोनों माँ बेटी इधर उधर की बातें करने लगे।
उधर शिवा रंजू को लेकर अपने कैबिन में पहुँचा और उसको दिखाया कि टोयलेट वहाँ है।
अचानक फिर जो हुआ शिवा उसके लिए तय्यार नहीं था। शिवा वापस जाने को मुड़ा और रंजू ने पीछे से उसको अपनी बाहों में लपेट लिया और उसके कंधे को चूमने लगी। शिवा हड़बड़ाकर मुड़ा और अब रंजू उसके होंठ को चूमने लगी। शिवा की छाती से उसके बड़े मम्मे सट गए थे। शिवा का लौड़ा उसके पेट पर कील की तरह चुभ रहा था। अब रंजू ने शिवा के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ा और अपनी दोनों चूचियों पर रख दिया और उनको दबाने लगी। शिवा भी मस्ती में आकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वह अपने हाथ को नीचे ले गयी और पैंट के ऊपर से उसके लौड़े को दबा कर बोली: बाबा रे कितना बड़ा है तेरा? मालिनी की तो फट जाती होगी ?
शिवा: नहीं आंटी वो तो अब आराम से ले लेती है। अब रंजू उसकी पैंट खोलने लगी। और पैंट को नीचे गिरा दी और फिर नीचे बैठ गयी। अब वो उसकी चड्डी पर अपना हाथ फिरायी। फिर वह बोली: आऽऽह सच में बहुत मस्त हथियार है।
शिवा: आऽऽह आंटी छोड़िए। मम्मी इंतज़ार कर रही होगी।
रंजू ने जैसे उसकी बात सुनी ना हो वो अब चड्डी को नीचे की और उसके मस्त लौड़े को देखकर सिसकी ली और बोली: उउउउउफफफ क्या लौड़ा है। अब वो लौड़े को सहलाने लगी।फिर उसका मुँह खुला और उसकी जीभ लौड़े और बॉल्ज़ पर घूमने लगी। शिवा आऽऽऽह कर उठा। फिर वह उसके लौड़े को चूसने लगी। अचानक शिवा को लगा कि कोई आ रहा है तो वो जल्दी से उसे हटाकर अपनी पैंट बंद किया और टोयलेट से बाहर आया और कैबिन में कुर्सी पर बैठा ताकि उसका खड़ा लौड़ा मम्मी को ना दिख सके।
तभी सरला अंदर आइ और बोली: बड़ी देर लगा दी रंजू ने टोयलेट में। फिर वो शिवा का लाल चेहरा देखी और बोली: क्या हुआ? इतना टेन्शन में क्यों हो? सब ठीक है?
शिवा: हाँ मम्मी सब ठीक है। आपकी मालिनी से बात हुई क्या?
सरला: हाँ हुई है। उसकी तबियत ठीक नहीं है। सो वह यहाँ नहीं आ रही है। फिर हम कल तो मिलेंगे ही ना। बस रंजू आ जाए तो उससे पैसे ले लो फिर हम वापस जाएँगे।
शिवा: ऐसे कैसे वापस जाएँगी? बिना भोजन किए। यहाँ पास में एक रेस्तराँ है, वहाँ खाना खा लीजिए फिर चले जायियेगा।
तभी रंजू बाहर आयी और वो सब रेस्तराँ में पहुँचे। वहाँ सबने खाना खाया। शिवा बार बार रंजू से आँख चुरा रहा था क्योंकि उसे याद आता था कि वो कैसे उसका लौड़ा चूसी थी। रंजू को कोई शर्म नहीं थी। वो सरला की आँख बचा कर शिवा को आँख भी मार देती थी। वह टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसकी जाँघ सहला रही थी। बाद में वो उसके पैंट के ऊपर से उसका लौड़ा दबाकर मस्त होने लगी। शिवा भी मस्ती में आकर मज़े ले रहा था।
सरला शिवा के चेहरे की उत्तेजना से थोड़ा सा शक करके उनकी साइड में लगे शीशे में देखी और वहाँ उसने देखा कि रंजू उसके पैंट के ऊपर से उसके लौड़े को दबा रही है। वह सन्न रह गयी। तभी शिवा की निगाह शीशे पर पड़ी और उसने देखा कि सरला उन दोनों को देख रही थी। वो सकपका गया और रंजू का हाथ वहाँ से हटाया। रंजू ने भी देखा कि सरला देख रही है तो वो आँख मार दी।
खाना खा कर रंजू और सरला वापस जाने के किए कार से निकल गए ।शिवा ने कहा कि मम्मी पहुँच कर फ़ोन कर देना।
रास्ते में सरला: रंजू मैं बहुत शोक्ड हूँ तुम्हारे व्यवहार से।
रंजू: अरे वो जो मैं शिवा को मज़े दे रही थी। अरे इसमें क्या है। थोड़ा सा फ़्लर्ट कर लिया तो क्या हुआ।
सरला: मैं तो शिवा को शरीफ़ समझती थी पर वो तो जैसे तुमसे मज़ा ले रहा था, मुझे तो वो भी ठरकी ही लगा। बेचारी मेरी बेटी।
रंजू: अरे पर एक बात बताऊँ मालिनी बहुत क़िस्मत वाली है।
सरला: वो कैसे ?
रंजू: शिवा का हथियार बहुत मस्त है। म्म्म्म्म्म्म ।
सरला: अच्छा पैंट के ऊपर से सब समझ गयी?
रंजू: अरे मैंने तो टोयलेट में उसका लौड़ा चूसा और बहुत मज़ा लिया। बस तू आ गयी इसलिए काम पूरा नहीं हो सका।
सरला: ओह ये सब भी कर लिया? हे भगवान। तुम भी ना कुछ भी करती हो। पर एक बात बता ना कि तूने उसे आसानी से सिडयूस कर लिया या तुझसे थोड़ी दिक़्क़त हुई?
रंजू: अरे आसानी से पटा लिया और वो तो जैसे मज़ा लेने को तय्यार ही था। पर सच में बहुत मस्त हथियार है उसका।
सरला: क्या उस तेरे लौंडे से भी बड़ा?
रंजू: हाँ उससे भी बड़ा और मोटा? क्या तेरे पति का भी इतना ही बड़ा और मोटा था?
सरला: हाँ उनका भी बड़ा ही था।
रंजू: आऽऽह कितनी क़िस्मत वाली हो तुम और मालिनी। मेरा वाला तो पेन्सल लेकर घूमता है। अगर वो लौंडा ना होता तो मेरा क्या होता। वो अपनी बुर खुजाते हुए बोली: आज तो उसको बुलाना ही पड़ेगा। तेरे आने से काम अधूरा रह गया था। आज उससे दो बार चुदवाऊँगी तभी चैन मिलेगा।
सरला: ओह ठीक है अब ध्यान से गाड़ी चला।
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]http://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=7668#top[/font]
अब शिवा ने साड़ियाँ दिखानी शुरू कीं। रंजू खड़ी हो गयी और एक एक साड़ी को अपने बदन में लपेट कर देखने लगी। उसने अपनी चुन्नी नीचे रख दी थी। अब वो जब साड़ी लपेटने को झुकती तो उसकी आधी चूचियाँ उसके बड़े गले के कुर्ते से साफ़ दिख जातीं। वो घूमकर शीशे में ख़ुद को देखती तो उसके मस्त चूतर अपने उभार दिखा कर शिवा को मस्त कर देते। शिवा का लौड़ा अब बग़ावत पर उतर आया था और रंजू के शरीर से आती हुई मादक सेंट की गंध भी उसे उत्तेजित करने लगी।
मालिनी चुपचाप शिवा को रंजू का बदन घूरते हुए देख रही थी। उसके द्वारा अपनी पैंट को ऐडजस्ट करना भी उसकी आँखों से छिपा नहीं रहा। वो सोची कि उसका काम इतना भी मुश्किल नहीं है शायद ।
तभी रंजू बोली: अरे यार मैंने तो ये साड़ी फ़ाइनल की है। तू भी कुछ देख ना। अब सरला भी उठी और ऐसे उठी कि उसका पिछवाड़ा शिवा की तरफ़ था। उफफफफ मम्मी की गाँड़ तो और भी ज़्यादा मस्त है आंटी की गाँड़ से - शिवा सोचा।
अब सरला ने भी वही सब किया और उसकी चूचियाँ भी शिवा को वैसे ही दिखाई दे रही थीं जैसे आंटी की दीखीं थीं। फ़र्क़ इतना था कि मम्मी की ज़्यादा बड़ीं थीं। और शिवा को शुरू से बड़ी चूचियों का एक छिपा सा आकर्षण था ही। उसे याद आया कि उसकी अपनी माँ की भी चूचियाँ ऐसी ही बड़ी बड़ी थीं।सरला कनख़ियों से देख रही थी कि उसका पूरा ध्यान उसकी चूचियों और कूल्हों पर ही है। अब वो और ऐसे ऐसे पोज बनाई कि जिनमे उसके उभार और ज़्यादा सेक्सी नज़र आएँ। अब तक शिवा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। तब सरला ने बोंब फोड़ा: मुझे तो कोई पसंद नहीं आयी । चल अब तू अंडर्गार्मेंट्स ले ले।
रंजू: हाँ बेटा चलो अब कुछ मस्त ब्रा और पैंटी दिखा दो।
शिवा: जी आंटी जी चलिए । ये कहकर वो उनको एक दूसरे काउंटर में ले गया। वहाँ वह काउंटर के पीछे से कुछ नए डिज़ाइन के ब्रा निकाला और दिखाने लगा। और पूछा: आंटी साइज़ क्या होगा?
रंजू: चल तू गेस कर। ये कहकर वो चुन्नी हटाकर अपना सीना तान कर मुस्कुराने लगी।
शिवा भी अब उत्तेजित था सो बोला: आंटी जो ३६/३८ बी कप होगी।
वो मुस्कुरायी : सही है ३८बी । अच्छा अपनी सास का बताना तो?
शिवा एक बार सिर उठाकर सरला की छातियों को देखा और बोला: मम्मी जी का ४० सी होगा।
सरला: वाह बेटा इतना सही? सच में काम में पक्का है हमारा दामाद। वह भी मुस्करायी।
शिवा: मम्मी आपको भी दिखाऊँ क्या?
सरला: नहीं बेटा मेरे पास अभी हैं ।
रंजू: अरे थोड़ी सेक्सी दिखाओ ना। वह सरला को आँख मारते हुए बोली। शिवा ने नीचे से कुछ डिब्बे निकाले और उनको खोला और उसमें से लेस वाली और नेट वाली ब्रा निकाला और उनको दिखाने लगा।
रंजू: यार सरला ये तो मस्त हैं ना? उसने एक ब्रा दिखाई जिसमें नेट यानी जाली लगी थी और जिसमें निपल के लिए छेद था। यानी निपल बाहर निकल जाएगी ब्रा से बाहर। शिवा कल्पना किया कि रंजू की चूचियाँ उनमें से कैसी दिखेंगी और वो गरम होने लगा।
सरला: छी ऐसी ब्रा पहनेगी? इससे अच्छा है कि पहन ही मत।
रंजू: शिवा तुमने ऐसी ब्रा मालिनी को दिलायी है कि नहीं?
शिवा लाल होकर: अरे आंटी आप भी ना, वो ऐसी पहनेगी ही नहीं।
रंजू: अरे तुम दो तो सही उसको। अकेले में पहनकर दिखाएगी।
सरला: मुझे नहीं लगता कि वो पहनेगी।
रंजू: तो तुम ले लो ना।
सरला: धत्त मैं क्या करूँगी। तू ले ले।
रंजू: मैं तो लूँगी ही। और बेटा, ऐसी हो कोई पैंटी भी दिखा ना।
शिवा ने उसे ऐसी ही पैंटी दिखाई जिसमें बुर ज़्यादा दिखाई देगी छिपेगी कम ।
रंजू सरला को पैंटी दिखाई और बोली: बताओ कैसी है?
सरला उसकी गाँड़ पर एक चपत लगाकर बोली: देखो इसकी पीछे तो बस एक रस्सी है। ये पूरा पिछवाड़ा नंगा ही दिखेगा।
रंजू हँसने लगी और बोली: अरे इसी में तो मज़ा है। ये दे दो बेटा।
फिर वो स्कर्ट और टॉप्स भी देखी और वहाँ से भी कपड़े ली।
फिर रंजू बोली: बेटा, टोयलेट है क्या यहाँ?
शिवा: जी मेरे कैबिन में है, आइए मैं आपको ले जाता हूँ।
सरला: मैं ज़रा मालिनी से बात कर लेती हूँ फ़ोन पर। वो मालिनी को फ़ोन लगायी: हेलो, बेटी हम तो तुम्हारी शॉप में हैं। तुम आकर मिल लो ना।
मालिनी: मम्मी मेरा पिरीयड आया है , थोड़ी तबियत ढीली है। आज रहने दो । वैसे भी कल इतवार को हम दोनों आ ही रहे हैं तो मिल लेंगे।
सरला: ठीक है बेटी। फिर वो दोनों माँ बेटी इधर उधर की बातें करने लगे।
उधर शिवा रंजू को लेकर अपने कैबिन में पहुँचा और उसको दिखाया कि टोयलेट वहाँ है।
अचानक फिर जो हुआ शिवा उसके लिए तय्यार नहीं था। शिवा वापस जाने को मुड़ा और रंजू ने पीछे से उसको अपनी बाहों में लपेट लिया और उसके कंधे को चूमने लगी। शिवा हड़बड़ाकर मुड़ा और अब रंजू उसके होंठ को चूमने लगी। शिवा की छाती से उसके बड़े मम्मे सट गए थे। शिवा का लौड़ा उसके पेट पर कील की तरह चुभ रहा था। अब रंजू ने शिवा के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ा और अपनी दोनों चूचियों पर रख दिया और उनको दबाने लगी। शिवा भी मस्ती में आकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वह अपने हाथ को नीचे ले गयी और पैंट के ऊपर से उसके लौड़े को दबा कर बोली: बाबा रे कितना बड़ा है तेरा? मालिनी की तो फट जाती होगी ?
शिवा: नहीं आंटी वो तो अब आराम से ले लेती है। अब रंजू उसकी पैंट खोलने लगी। और पैंट को नीचे गिरा दी और फिर नीचे बैठ गयी। अब वो उसकी चड्डी पर अपना हाथ फिरायी। फिर वह बोली: आऽऽह सच में बहुत मस्त हथियार है।
शिवा: आऽऽह आंटी छोड़िए। मम्मी इंतज़ार कर रही होगी।
रंजू ने जैसे उसकी बात सुनी ना हो वो अब चड्डी को नीचे की और उसके मस्त लौड़े को देखकर सिसकी ली और बोली: उउउउउफफफ क्या लौड़ा है। अब वो लौड़े को सहलाने लगी।फिर उसका मुँह खुला और उसकी जीभ लौड़े और बॉल्ज़ पर घूमने लगी। शिवा आऽऽऽह कर उठा। फिर वह उसके लौड़े को चूसने लगी। अचानक शिवा को लगा कि कोई आ रहा है तो वो जल्दी से उसे हटाकर अपनी पैंट बंद किया और टोयलेट से बाहर आया और कैबिन में कुर्सी पर बैठा ताकि उसका खड़ा लौड़ा मम्मी को ना दिख सके।
तभी सरला अंदर आइ और बोली: बड़ी देर लगा दी रंजू ने टोयलेट में। फिर वो शिवा का लाल चेहरा देखी और बोली: क्या हुआ? इतना टेन्शन में क्यों हो? सब ठीक है?
शिवा: हाँ मम्मी सब ठीक है। आपकी मालिनी से बात हुई क्या?
सरला: हाँ हुई है। उसकी तबियत ठीक नहीं है। सो वह यहाँ नहीं आ रही है। फिर हम कल तो मिलेंगे ही ना। बस रंजू आ जाए तो उससे पैसे ले लो फिर हम वापस जाएँगे।
शिवा: ऐसे कैसे वापस जाएँगी? बिना भोजन किए। यहाँ पास में एक रेस्तराँ है, वहाँ खाना खा लीजिए फिर चले जायियेगा।
तभी रंजू बाहर आयी और वो सब रेस्तराँ में पहुँचे। वहाँ सबने खाना खाया। शिवा बार बार रंजू से आँख चुरा रहा था क्योंकि उसे याद आता था कि वो कैसे उसका लौड़ा चूसी थी। रंजू को कोई शर्म नहीं थी। वो सरला की आँख बचा कर शिवा को आँख भी मार देती थी। वह टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसकी जाँघ सहला रही थी। बाद में वो उसके पैंट के ऊपर से उसका लौड़ा दबाकर मस्त होने लगी। शिवा भी मस्ती में आकर मज़े ले रहा था।
सरला शिवा के चेहरे की उत्तेजना से थोड़ा सा शक करके उनकी साइड में लगे शीशे में देखी और वहाँ उसने देखा कि रंजू उसके पैंट के ऊपर से उसके लौड़े को दबा रही है। वह सन्न रह गयी। तभी शिवा की निगाह शीशे पर पड़ी और उसने देखा कि सरला उन दोनों को देख रही थी। वो सकपका गया और रंजू का हाथ वहाँ से हटाया। रंजू ने भी देखा कि सरला देख रही है तो वो आँख मार दी।
खाना खा कर रंजू और सरला वापस जाने के किए कार से निकल गए ।शिवा ने कहा कि मम्मी पहुँच कर फ़ोन कर देना।
रास्ते में सरला: रंजू मैं बहुत शोक्ड हूँ तुम्हारे व्यवहार से।
रंजू: अरे वो जो मैं शिवा को मज़े दे रही थी। अरे इसमें क्या है। थोड़ा सा फ़्लर्ट कर लिया तो क्या हुआ।
सरला: मैं तो शिवा को शरीफ़ समझती थी पर वो तो जैसे तुमसे मज़ा ले रहा था, मुझे तो वो भी ठरकी ही लगा। बेचारी मेरी बेटी।
रंजू: अरे पर एक बात बताऊँ मालिनी बहुत क़िस्मत वाली है।
सरला: वो कैसे ?
रंजू: शिवा का हथियार बहुत मस्त है। म्म्म्म्म्म्म ।
सरला: अच्छा पैंट के ऊपर से सब समझ गयी?
रंजू: अरे मैंने तो टोयलेट में उसका लौड़ा चूसा और बहुत मज़ा लिया। बस तू आ गयी इसलिए काम पूरा नहीं हो सका।
सरला: ओह ये सब भी कर लिया? हे भगवान। तुम भी ना कुछ भी करती हो। पर एक बात बता ना कि तूने उसे आसानी से सिडयूस कर लिया या तुझसे थोड़ी दिक़्क़त हुई?
रंजू: अरे आसानी से पटा लिया और वो तो जैसे मज़ा लेने को तय्यार ही था। पर सच में बहुत मस्त हथियार है उसका।
सरला: क्या उस तेरे लौंडे से भी बड़ा?
रंजू: हाँ उससे भी बड़ा और मोटा? क्या तेरे पति का भी इतना ही बड़ा और मोटा था?
सरला: हाँ उनका भी बड़ा ही था।
रंजू: आऽऽह कितनी क़िस्मत वाली हो तुम और मालिनी। मेरा वाला तो पेन्सल लेकर घूमता है। अगर वो लौंडा ना होता तो मेरा क्या होता। वो अपनी बुर खुजाते हुए बोली: आज तो उसको बुलाना ही पड़ेगा। तेरे आने से काम अधूरा रह गया था। आज उससे दो बार चुदवाऊँगी तभी चैन मिलेगा।
सरला: ओह ठीक है अब ध्यान से गाड़ी चला।
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