मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - Page 18 - SexBaba
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मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह

मालकिन द्वारा झटका देकर खींचने पर मैं चुचियों के ऊपर मुंहे बल गिर पड़ा।
मेरा चेहरा उसकी गोलाकर चुचियों से टकरा गया था वह वह मेरे सरि को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चिकनी चुचियों पर मेरे चेहरे को दबाने लगी।
उसकी खड़ी घुन्डी की रगर को महसुस कर सिहर उठा था
और मेरे बदन में एक बिचित्र तरह की गुदगुदी हो रही थी तभी वह एक से मेरे सिर को पकरे हुए अपनी एक चुची को दूस हाथ से पकड़कर मेरे मुंह में ठेलते हुए बोली -
प्रेम चुसो इसे?

में अपने होठों को चुचियों को दबाब पाकर थोड़ा-थोड़ा कर दिया और अपेन मुंह में उकी कड़ी चुची को थरकर चुसने लगा।
मैं उसकी चुची को चुसते हुए अपने हाथ को उसकी दूसरी चूची पर ले जाकर हार्न की तरह दबाने लगा। वह उतेजना के उन्माद में कराहते हुए खिमिया रही थी ।
ओह-ओह-हां इसी तरह से -1 बारी-बारी ने दोनों चूचियों की चुसो? आह । बहुत अच्छा लग रहा है ।
मैं अपनी मालकिन श्यामा की चुचियों को बारी बारी से चुसा। उसकी चुचियों में तनाव आ गया था।
और वह तनकर कड़ी हो गई थी। मैं उसकी चुचियों को चुसकर लाल करने के बाद चुसना बन्द कर दिया । और अपनी मालकिन के चेहरे की ओर मुस्कान भरे होठों से देखा।
अपने सिर को ऊपर की ओर उठाकर अपेन होठों को सिकोड़ते हुए मुझे चुम्बन करने के लिए आमंत्रण दी।
मैं उसकी गर्दन में हाथ डालकर अपनी ओर खीचंकर उसकी गुलाबी होठों को की भरी होठों से चिपकाकर चूस रही थी – 1
मैं मस्ती में आकर उसकी नर्म होठों को अपेन होठों के बीच कर चुसने लगा।
और साथ में अपने हाथ को उसकी जांघ के बीच ले जाने के लिए नीचे गिराया ।
हम दोनों एक दूसरे के बदन में समा जाने के लिए बेचैन हो जाने तैयार हो उठे।
कमरे में शिशकरी भरी आवाज गुज रही थी। मै। अपेन हाथ उसकी चिकनी ओर कोमल जांघों पर ले जाकर सहलाने लगा।
मेरी मालकिन का बदन कंपकंपा रहा था। मैं उसकी जांघों को सहलाते हुए उसकी फली हुई बुर पर अपना हाथ ले गया। उसकी बर गर्मी से तप रही थी।
मैं उसकी बूर के ऊपरी भाग को हाथ से सहलाने लगा | ओह उसकी बुर पर घने-घने बाल उगे हुए थे जिसे में अपनी उंगली में उलछाते हुए सहला रहे थे।
वह मस्ती में सनशना उठी थी और उसके मुंह से भागने का आवाज निकल रही थी।
मैं उसकी बुर के बालो पर ऊंगली फिराते हुए उसकी बुर के होठों के पास अपनी उंगली को लेकर दबाया ।
वह अपनी बुर के छेदपर ऊंगली का दबाव अपनी जांघों को छितरा दी।
मैं उसकी बुर के छेद पर ऊंगली फिराने लगा । उसकी बूर पसीज उठी थी जिससे बूर के होठ चिपचिपा उठे थे।
मैं अपनी एक ऊंगेमैं उंगली को उसकी बूर से निकाल लिया ।
अचानक उसकी बूर के टपक रहे पानी को चाटने की मेरी प्रबल इच्छा जाग उठी।
यह मेरे लिए एक सबसे बड़ा सुनहरा मौका था । मैं उसकी फैली जांघों के पास चला गया और उसकी बालों से भरी बूर को गौर से देखने लगा।
उसकी बूर काक छेद फैलाकर देखा तो गुलाबी रंग की तरह लग रही थी।
उसकी बूर के गुलाबी छेद बूर की रस भीगा हुआ था । मैं अपने दिल को रोक पाने में असमर्थ महसुस कर रहा था ।
तभी मैं अपेन चेहरे को उसकी चौड़ी जांघों के बीच गिराता चला गया।
और उसकी बुर के उपर भाग को चाअन के बाद गुलाबी छेद पर जमा रस को जीभ से चाटना शुरू कर दिया ।
उसकी बूर के पानी का स्वाद नमकीन लग रहा था जिसे मैं चाटकर मजा ले रहा था । वह अपनी गांड को फुदकाते हुए अपनी बूर को जीभ पर दबाते हुए सिसिया रही थी।
हाय । चारों मेरी बूर को हाय ? तुम तो बहुत काम के आदमी हो ? हाय ? मेरी बूर को चाहते हुए चुसो..?आह ? .शी........?

आवाज निकल रही थी। मैं उसकी बूर के बालों पर ऊली फिराते हुए उसकी बूर के हाठों के पास अपनी ऊंगली को कर दबाया । वह अपनी बूर के छेद पर ऊंगली का दबाव पाकर अपनी जंघाओं को छितरा दी।
उसे बूर चटवाने में जन्न में का मजा आ रहा था । उसकी बूर से पानी का श्रोत फटता जा रहा था।
और उसकी बूर के रस को चाटकर मैं भी जन्नत की सैर करेन लगा था।
तभी मै। उसकी बूर के नमकीन पानी को चुस कर पीने में मुझे अच्दा लग रहा था।
मेरी मालकिन का बदन थरथराने लगा था और वह गांड़ का ऊपर उठाये हुए बुर को मंह पर दबा कर चुसवा रही थी। तभी वह कराहते हुए बोली
"ओह राजा-जतुम बहुत अच्छा हो? हाय राजाा? अपनी जीभ को मेरी बूर को गहराई घुसेड़कर चाटो तो मुझे और भी मजा आयेगा। हाय । सनम अपनी जीभ को जल्दी से बर में पेलकर चारो ओह ।"
मालिक-आज मजाक करते है-उस पर मैं उसका मांशल चुची पर हाथ फेरते कहा- हमारे पास आने पर तुम्हारा खिल गया
उसका कुछ शिखाती हो या नहीं -" 'आप के लिये तैयार कर दूंगी मालिक ।
इस समय अगर सोनी होती तो उसकी चुची चुसवा तो बड़ा मजा आता है।
उस वह मस्ती के साथ मेरे गले में हाथ डालती मचन कर अदा के साथ बोली-थोड़ी शराब और दो मालिक -
बोतल रखी है - जो भर कर पीओ - पर हमारे पाने के लिये -- चुची तो ला दी।
जब से तुम्हारे इसको पनी लेगा शराब से ज्यादे नशा होता है

पीन का जी है।
"हां मालिक आज बड़ी अच्छी शराब लाये हैं।" एक काम करोगी।' क्या न।
तुम शबर पीओ हमको सीनी की चुची को आज पिसवाओ-' उभी उसकी छाती में मजा नहीं है मालिक
जब हमसे मिसवायेगी घुसवायेगी - तभी तो जल्दी मजा दने लायक होगी।
मैं चाहती हूं कि उसकी। -चूर में हम शराब उड़ेले - और तुम जैसे हम तुम्हारे में डलबा कर पीते हैं -
तुम चारा कर पीओ ---है पर उसकी बूर चटवाने में तो मजा आयेगा।
'टीक है मालिक - बाहर जाकर बहादुर से कहिये कि सोनी को हमोर पास पहुंचा दे-'
मेरा सपना आज साकार हो गया।
मेरे झड़े लन्ड में नयी खाती आयी तो मैं उसकी रोज पर हाथ फेरते कहा बूर पोछना नहीं एसे परी रहो -" 'क्यों साहब "
आज तुम्हारे बूढ़ों को बुलवाकर अपने सामने चटवाता हूं और बुर को तुम्हारे शराब से घुलवाकर बहादूर को थोड़ा पिला देता हूँ 1 बोलो ठीक है।
जैसे आप को लूप्त ओय - बहादूर नाराज तो नहीं होगा।
नहीं मालिक उसे तो ओर खुशी होगी। ठीक है ले आइये मेरे बूर को आप से चुदा दिखेगा खुश हो जायेगा
 
मेरे साथ उसे जवानी का मजा तो आता था उसके साथ खाने पीने पहनने ओढ़ने का भरपुर मजा आता था ।

अब तक मैं उसको कई एक आसन में चोद कर मस्त भी कर चुका था ।
मैं कमर से लुगी बांधी और वरामदे में आ कर उसको आवाज
दिया
लपक कर बहादर मेरे पास आया। थोड़ा घबराते स्वर में बोला जी हुजूर -
सीली को लेकर मेरे पास आओ - कपड़े में अकार थोड़ी और पियी तब जाना।
मेरी औरत की कोई परेशानी हुजूर ।
। जाजामजप
अँजी शराब है थोड़ा तुम गी पी ली । जैसा हुक्म हजुर । वह अपने कोठरी में गया ।
और मैं आकर फिर प्यार से उसके सर गोद में रख दोनों निपुलों को मसलने लगा।
उसके बूरे से सफेद सफदे चोदाई का पानी अभी भी गीर ही रहा था। उस समय उसकी जवानी ठंढी थी पर मेरे मुरझाये लंड में उसकी
--- की झुनझुनी अभी से भर गई थी। कैसा लग रहा है।
मजा आ रहा हैं मालिक - आप के पास आती हूं तो फिर कपरे पहनने को मन नहीं करता है वह दोनों चुची के काले निपुलों को मसलते देख बोली।
८ पाप
........ अपने मां को नग्न अवस्था में मेरे गोद में सर रखकर लेटी देख थोड़ा सा झीझकी बहादर एक तरफ अदव के साथ खड़ा हुआ । उसके पहले मैं कुछ कहता वह रूतवे के साथ बोली ओ बढे देखों मेरी बुर के मालिक ने कितना बढ़ीया चोदा है।

उसपर वह कमर के पास बैठ अपनी औरत की लार भरा बूर देख आंखों से निहारते हुए बोला मैं तो मालिक से तुमको रोज चुदवाने के लिए बोलता हूं।
तभी वह गोद में लेटी लेटी दोनों मीठी मीठर गोरी गोरी टांगों को फैलाकर बोली अरी मुझे क्या देखती है। जल्दी से अपना
उतार। नहीं मामा वह उतारने के नाम पर बिदकी इसपर मैं उसके सर को गोद से नीचे उतार तकिये पर रखते कहा डाटो नहीं रानी अभी अपने आप उतार देगी।
तुम चखाओं बहादुर को थोरा बोतल से पिला दो फिर मैं तुझको पिल जाती हूं।
वह इशारा समझ गई । मैं नये जोश से भरा
प्यास बुझाने के लिए उसके पास गया । उसकी चुची को पकड़ा।।
चुची को पकड़ते मेरे झड़े लण्ड में तनाव आने लगा । मैं दोनों चुची को पकड़ने के साथ मसला और उसको । खींचकर अपने शरीर से चिपका लिया जब चुची को दबाया तो उसे मजा आया और वह मेरे पकर में सिमटी।
मैं उसकी चुचियां मसलते हुये- फौरन....खीच कर कसी के पास ले गया - और उसको गोद में बैठाकर मसलते कहाचुपचाप बैठो मजा आयेगा ।
मेरा लण्ड उसके चुतड़ के नीचे लम्बा होने लगा ।। चुची को मसलने में नया मजा पाया ।
वह चुपचाप चुतरे को मेरे रानों पर रख मिसवाती अपनी मां को अपेन बाप से बूर चटवाते देखने लगी।
बहादर बुर को झुककर जीभ से चाट रहा था । मैं -- मीस मीस नया मजा ले रहा था। वह रूतबे के साथ - अपनी चुदी बूर फैलाते हुए उल्टाऐ जीभ से चाटना ! वह जीभ से छेद में डालकर चाटने लगा।
मैं चुची मसलते हुए उसके मस्ती से नशीला जाम पीलाते कहा देखों आमा कैसे मजा ले रही है -
वह देखने के बाद आनंद से अपने चुतर की जांच से दबाब लण्ड पवर बढ़ाया ।
उसी समय वह बोतल की शराब को बूर के ऊपर टपका टपका कर बहादूर को पिलाने लगी ।
मैं मस्ती के साथ दोनों को चुटकी दीया फीर गाल को चुम कहा अब अपनी उतारो ।
मैं उसकी बूर पर हाथ फेरते स्वर्ग में पहुंच गया। मैं बूर पर हाथ फेरते एक हाथ को के अन्दर घुसरे कर - को मसलते उंगली को में चलाते कहा टांग ओर फैलाओ मजा आयेगा वह फौरन टांग फैला दी।
अपनी जवानी के लिये भरपुर आनन्द दिखा।
ज्यों जयों बूर सहलाते उसकी चुची को मसलया गया त्यों त्यें मेरा लंड जवान होता गया मैं फौरन +को उतर कर लुगी एक तरफ फेका और बूर चाट रहे बहादुर को एक तरफ कर उसकी औरत को लंड दिखाते कहा ।
ने खडा कर दी अब तुम्हारी चोदंगे। चोदिये मालिक निहाल हो टांग फैला दी। अब वह बराबर लाने को तैयार थी।
समाप्त
 
पाप की नदी से ताल्लुकात

लखेक – मस्तराम

मधु ने यह विज्ञापन पढातो उसकी आंखों में एक चमकसी आ गई थी। उसने सोचा कि अगर उसे यह नौकरी मिल गई तो दहेज के लिये रूपये इकड़े किये जा सकते है तथा मोहल्ले वालों में उसे काफी सम्मान भी प्राप्त हो जायेगा।
हाथ में अखबार लिये वह इन्हीं खयालों में डुबी थी कि उसकी सहेली राधा ने कमरे में प्रवेश किया और उसे खोई हुई सी देखकर वह बोली | गई। क्या सोच रहीही रानी जी।
अ अ भरी राधा तु । मधु जैसे सीतरी जागी हो ऐसे अन्दाज में बह बोली थी फिर संगत होकर वर बोली।
राधा आज यह भेकेन्टी निकली हैं। मुझे यह नौकरी मिल जाये तो मेरा जीवन सफल हो सकता है।
परन्तु बिन सोर्स के आजकल एसी अच्छी नौकरी मिली बड़ी मुश्किल है। मधु एक बात अगर मैं तुमसे कहूं तो तु बुरा तो न मानेगी। राधा गर्दन हिलाने हुये बोली।

तु कह तो सही आखिर बात तो भला । मधु ने उत्सुकता से उमसे पुछा। इस पर राथा बोली।
देख मधु तेरे पास तो ऐसा सोर्स है कि तु चाहे तो बड़ी से बड़ी नाकरी बड़ी आसानी से तुझे मिल सकती है।

कोन सा सोर्स है मेरे पास । मधु उत्सुकता से बोली उसे राध कि यह बात पहेली सी जान पड़ी थी राधा ने पहले तो एक जोरदार अगंराई ली और फिर वह सांस सी छोड़कर बोली।
मेरी रानी तेरा रूप देखकर किसी भी फर्म का मालिक अपनी फर्म तक तेरे नाम कर देगा तुं तो नौकरी की बात कर रही है।

हट बदमाश कहीं की इस बात पर मधु ने राधा के कन्धे पर आहिस्ता से एक चपत सी जामा दी।
तथा वह तुनक कर उठ गई थी। राधा का मजाक का मुड अचानक बदला और वह सीरियस सी होकर बोली।
मधु। मेरी बात को मजाक मत समझ आजका पुरूष इतना कामी हो गया है कि
बिना अपनी बासना शांत किये बह रह ही नहीं सकता और पैसे बालतीराजाना ही नई नई कलियां का रस निचोड़ कर पानक चक्कर में रहते ही हैं।
ये मेरा तर्जुबा है मैं दस जगह नौकर के लिये चक्कर खाती रही थी। जहां भी गई सबकी आंखों में वासना की चमक ही मुझे मिली आखिर कार जजमने।
सन साईन एक्सपोर्टर्स के मालिक के सामने अपने आपको समर्पित कर दिया तो उसने खुश हो कर मुझे अपनी सेक्रेटरी ही बना लिया आज मैं बड़े मजे में हुं।
मधु के दीमाग में यह बात तीर की तरह जाकर लगी थी। उसने सोचा कि । अगर राधा कि बात सच भी हो तो भी वह रमोला एन्टरप्राइजेज की इस सानदार नाम रहेगी।
मधु ने बी० ए० पास करके टाइप तो सीख ही ली थी। उसकी स्पीड भी काफी अच्छी थी मगर इन सब बातों के अलावा उसमें जो सांस क्वालिफिकेशन थी।
वह थी उसकी बहुत ही ज्यादा सुन्दरता उसके चोली में तने हुये दो ठोस व जवान जिस्म ।
देखकर मोहल्ले के लड़कों के लण्ड खड़े हो जाया करते थे उसके भारी गदराये 19 वर्षीये चूतड़ों में लण्ड रगड़ने को हजारो लड़को बेचैन रहा करते थे।
मगर आज तक अपने शरानी शरीर के ऊपर मधु ने किसी को हाथ तन न रखने दिया था।
और इस जबरदस्त लण्डमार हुस्न को उस दिन रमो एन्टरप्राइजेज के मालिक बलबीर दास के लण्ड ने जी भर कर रोंदा था उस दिन मधु सील तुड़वाकर पछताई भी थी।
परन्तु शानदार नौकरी मिलने की खुशी ने उसे सील टुटने के दर्द को भुलाने पर मजबूर कर दिया था। हुआ यु था।
उस दिन मधु के सिर पर नौकरी की भुत बुरी तरह सबार हो चुका था।
सुबह के दस बजते ही वह बन-उन कर घर से निकल पड़ी थी सिधी बस में बैठ वह सीधी रमोला एन्टरप्राईजेज की तरफ रूख कर चुकी थी उसका दिल चुत फुड़वाने के डर से बुरी तरह धड़क रहा था।
रमोला एन्टर प्राइजेज के सामने ही वह सीधी बस से उतरी उतरते ही ऊसने उस शानदार तीन मन्जिली बिल्डिंग की तरफ अपने कदम बढ़ा दिये थे।
लिफ्ट में खड़ी होकर वह तीसरी मंजिल के उस बड़े से कमड़े के सामने पहुंच चुकी थी।
जिसके बाहर एक प्लेट पर लिखा था मैनेजिंग डायरेक्टर बी० बी० दस के कमरे के बाहर चपरासी बैठा हआ था। वह मध को देखते ही बोला।
जि किससे मिलना हैं आपको।
भई । मुझे दास साहब से मिलना है ये मेरी एप्लीकेशन उन्हें दे दिजिएगा।
मधु के हाथ से एप्लीकेशन लेकर चपरासी बोला । आप सामने चेयर पर बेट किजिये मैं अभी आता हुं।
एप्लीकेशन रख दी एक सरसरी सी नजर एप्लीकेशन पर डाल कर बे बोले।
उसे अन्दर भेज दो और बाहर का ख्याल रखना कोई डिस्टर्व न करे।
बहुत अच्छा साहब । चपरासी गर्दन झुकाये बाहर निकल आया और मधु से बोला । आपको साहब बुला रहे हैं।

 
अन्दर कमरे में आते ही मधु बड़े ही मीठे स्वर में बोली में आई
यह कम इन । बलबीर दास ने अपनी बड़ी-बड़ी आंखे फाड़ते हुये उतर दिया था। फिर वे बोले।
बैठिये मिस मधु ।
बैंक्यु सर । मधु ने एक बड़ी सी कुर्सी पर बैठते हुये कुतज्ञता सी प्रकट करते हुये कहा।
मिस मधु । स्पीड तो आपकी ठीक है परन्तु हमें ऐसी स्टैनी चाहिये जो आधुनिक विचारों की हो।
जी जी आपको मुझसे कभी कोई भी शिकायत नहीं होगी मुझे चांस देकर देखियेगा।
ये बात हैं तो आपकी नौकरी पक्की कल आप ऑफिस में आ सकती है काँग्रेज लेशन मिश मधु ।
बलबीर दास ने जैसे ही अपना हाथ आगे बढ़ाया मजबुरन मधु ने भी वैसा ही किया ।
बलबीर दास जी ने मुलायम और चिकने हाथ को दिल थामकर दबाया बरना उनका बस चलता तो वे कभी हो मधु की चुत का बाजी बजाने से बात नहीं आते. ।
परन्तु उन्हें उम्मीद थी कि बहुत जल्दी यह मदमाता जवान बदन उनके लण्ड के नीचे पड़ा चुद रहा होगा।
अगले दिन सुबह साढ़े दस बजे बड़ी ही वेकरारी से चपरासी से बलबीर दास जी ने कहा ।
मिस मधु को फौरन हमारे पास भेज दो कुछ जरूरी डाक्युमेंटस तैयार करवाने है।
अभी लो साहब । चपरासी गया और मधु को सुचित कर गया । एक मिनट बाद मधु बलबीर दास जी के सामने बैठी थी। तभी
आओं मिस मधु । तुम्हें अन्दर से अपना ऑफिस दिखाता हु। प्यारे सर चलिये। उत्सुकता से उठकर उनके पीछे चल दी मध । बलबीर दास जी ने मधु की कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ते हुये कहा।
मिस मधु आपकों अगर मैं यु पकड़ लु तो कोई एतराज तो नहीं। नो सर आप जैसा चाहे करे मुझे कोई आपति नहीं है
उसके इस उत्तर से बलबीर दास जी समझ गये कि लौडिया अब शायद चुदवाने में भी कोई एतराज नहीं उठायेगी।
अपने रूम के अन्दर से ही वे दोनों एक बड़े से एकान्त कमरे में आ गया था एकाएक बलबीर दास जी एक टेबल के पास आकर मधु को जोर से भिंचते हुये बोले।
मिस मधु । यहां बैठो कुछ नास्ता कर लिया जाय क्यु क्या ख्याल
जी-जैसी आपकी इन।
मधु की इस बात को सुनकर बलबीर दास जी अपने होठों पर जिभ फिराते हुये मन ही मन में बोले.....
साली ईच्छा तो मेरी तेरी चुत में अपना लण्ड डालने की भी हो रही है उसे पुरी करके दिखायेगी तब मानु ?
तभी अपना मौन तोड़ते हुये बे बोले......
मिस मधु । आगर मुम्हें मेरा कोई बात बुरी लगे तो बता देना मैं किसी को जबरदस्ती परेशान नहीं किया करता।
सर आप मुझे गैर क्यों समझ रहे हैं मैं तो आज से आपकी चीज हुंफिर आप ही सोचिये कि अपनी को क्या एतराज हो सकता है।
गुड गर्ल काफी समझदार लगती हो मिस मधु बहुत दिनों से तुम जैसी सुन्दर व समझदार लड़की की ही जरूरत थी। मुझे लग रहा है कि आज मेरी मुराद पुरी हो गई है।
मधु शर्म से दोहरी हो उठी थी वह समझ रही थी कि साला किस चक्कर में हैं।
मगर आपने भी सोच लिया था कि जब चूत हथेली पर होतो लण्ड से क्या घबराना और यही रोचवह आने वाले खतरों का दिल थाम कर इन्तजार कर रही थी।
और जैसे बलबीर दस ने मधु की एक चुची की तरफ हाथ बढ़ाया तो वह हड़बड़ा कर बोली।
ओह नो सर। कोई आ जायेगा। मिस मधु । इस कमरे में मेरे और तुम्हारे सिवाय मक्खी भी नहीं आ सकती खुलकर पेश आओं ये राज की बाते राज ही रहेगी ये हमारा बायदा है।
जी.....जी ठीक है। मधु इस बार कुछ कांप उठी थी क्योंकि जिन्दगी में पहली बार कोई उसके कुंवारे व अछुते जिस्म पर हाथ बढ़ाने की कोशिश कर रहा था।
अचानक कोली उन्होंने भरली जोर से मधु के गाल पर एक चुम्बी काट कर बेबोले......... मैं कैसा लग रहा हूं मेरी जान । आप तो हीरों हैं सर सच अपमें तो बड़ी जान है। प्लीज धीरे मिचियें ना ।
बयालीस साल के अप्यास बुढ़े को काबू में करने के लिये मधु ने यह डायलाग मारा था ।
वह कोई भी बात ऐसी नहीं करना चाह रही थी जो बलबीर दास का बुसे लगे।
उसे अपनी नौकरी हर हालात में पक्की करवानी थी। राधा की एक......एक बात रह रह कर उसके पहन में आती जा रही थी।
चुदवाने के अलावा कोई रास्ता अब उसे दिखाई नहीं दे रहा था।
जो अमुल्य रत्ल यानि चुत पति के लिये सबसे बड़ा दहेज होती हैं वही चुत अगर चुदी पिटी उसे मिले तो उस पर क्या गुजरेगा। मगर आजकल मामला कुछ उल्टा ही है।
यानि पति को चाहे चुत कितनी भी ज्यादा चुद विमिने कोई फर्क नहीं पड़ता उसे तो बस टेलीविजन स्कुटर मिजोर कैश चाहिये।
और अपने होने वाले पति के लिये अच्छे से अच्छे दहेज पैदा करने के लिये मधु ने अपनी चुत आज दाब पर लगा दी थी।
क्योंकि वह जानती थी कि आज के पति को उसका कुआरा पन नहीं बल्कि उससे दौलत चाहिये।
और दौलत हासिल करने के लिये उसके पास चुत के अलावा और साधन ही क्या हो सकता है। यही एक ऐसा खजाना है कि जितना चाहों इसमें से दौलत निकाल लो।
कुछ देर मधुकि भीच भिंच कर मजा लुटने के बाद बलबीर दास जी उसे छोड़कर बोले। तुम बैठो रानी में तैयार करता हूं।
 
कुछ देर मधुकि भीच भिंच कर मजा लुटने के बाद बलबीर दास जी उसे छोड़कर बोले। तुम बैठो रानी में तैयार करता हूं।
और देखते-देखते ही बलबीर दास जी ने मधु के सामने शराब की एक बोतल दो गिलास तले हुये काजु तथा बर्फ व पानी लागर रख दिये थे इस समय वे कुछ।
इस तरह की हरकतें कर रहे थे कि अगर उन्हें कोई देख लेता तो फर्म का मैनेजिंग डयेरेक्टर कहने के बजाय उन्हें किसी होटल का बेयरा समझ बैठता।
धुमधाम से पीने की तैयार करने के बाद बलबीर दास जी ने दोनों गिलासों में शराब उड़ेली ।
शराब के भमकारे से मधु ने नाक पर रूमाल रख लिया अब वह कुछ घबरा सी उठी थी।
उसे क्षण प्रतिक्षण बलबीर दास छटा हुआ बदमाश प्रतीत होता जा रहा था।
लो पियों मेरी जान वे मधु से बोले ।
ये गलत चीज है मैं इसे नहीं पी सकती हमारे खानदा, में आज तक किसी ने शराब छुई तक नहीं।
बुर तरह घबराकर कांपते होठों से मधु ने ये बात कही थी।
प्यारी जो कभी आज तक तुम्हारे खानदान में थी उसे तुम पुरा कर दो उनमें और तुम में बहुत फर्क हैं । तुम उन्नीस सौ चौरासी की लड़की हो जो कर जाओं कम है लो पियों और कुछ करके दिखादो इस दुनियों को।
लेकिन अगर कुछ हो गया तो.... प्यारी कुछ नहीं होने वाला तुम जैसी हट्ठी-कट्ठी लड़की के सामने इस शराब का क्या मजाल पी जाओं।
और मजबुरन मधु ने गिलास पकड़ कर जैसे मुंह से लगाया तो सारे बदन के उसकी नाक फटने को हो गई।
तभी अपनपा बैग खाल करकर बलबीर दास जी उठे और उन्होंने मधु की लम्बी गोरी नाक अपने हाथ की दो उंगलियों से पकड़ कर उसे दबाते हुये कहा।
पी जाओं अब देर मत करो हरिअप ।
इसब बार न चाहते हुये भी पुरे गिलास मधु ने खाली कर डाला था। शराब उसके हल्के से नीचे उतर कर उसके कुंआरे पेट से जा पहुंची थी।
'एक मिनट बाद ही शराब का जोर उस पर शुरू हो उटा। वह मस्ती में आ गई थी तथा सारी शर्म की मां को चोद कर वह बोली।
राजा थोड़ी सी और दो ना बड़ा मजा आ रहा है मैं उड़ी सी जा
हां हो लो खुब पियों मैं तुम्हें आज दुनियां के छूपे हुये मजे देने के लिये ही तो यहां पर छाया हुं।
अभी थोडी देर इससे बड़ा मजा में तुम्हें दूंगा। सच राजा तो फिर दो ना।
झुमते हुए मधु बोली । बलबीर दास ने उसका पैग तैयार करते हुयें कहा।
पहले पी लो फिर वह मजा भी दूंगा।
और देखते-देखते, मधु पांच पांच पैग पी गई थी। बची-कुची शराब बलबीर दस जी पी डाली थी। कुल मिलाकर बोतल खाली हो चुकी थी।
दोनों नसे में मस्त हो उठे थे। मधु की हालत तो देखने लायक थी उसे अपने शरीर का जरा भी होश न रहा था सारा कमरा उसे घुमता सा लग रहा था।
वह नाच सी रही थी। उसे बलबीर दास जैम्पी चार-चार शक्ले दिखाई ड़रही थी।
शराब ने एक नई दुनियां में उसे ला खड़ा किया था । । वे काबुहो कर बलबीर दसजी ने मधुमो अपनाबाहों में भर ही लिया तथा जोर-जोर से उसके ममें रगड़ने पर वे उत्तर आये।
शी.....आई....उह....ये...क्यां करते हो ओह मेरीची मत उह उहा नशे में अपनी चुची का सत्यानाश करवाती हुई मधु बड़बड़ाये जा रही थी।
मगर उसके इस बड़बड़ाने से भला बलबीर दास जैसे अभ्यास चोदु पर क्या असर होने वाला था वह तो चुचियों के मजे ले लेकर बराबर रगड़े ही जा रहा था।
कमीज उसने सलबटेसी डालकर रख दी थी। मौके की नजाकत को तोडते हुये वे वोले।
मेरी जान | कमीज व सलवार उतार पी अगर थे गंदी हो गई तो लोक सक कर सकते हैं।
ओहनी ये बदमाशी है मैं नंगी होअमैं गीर जाऊी ही हिच्च। मधु नंगे होने के डर से नशे में भी आनाकानी करने पर ऊतर आई थी मगर बलबीर दास जी उसके तने हुये ठोस जिस्म को देख-देख कर पागल सेहो उठे थे।
वे जल्दी ही मम्मा और जवान कुते के दर्शन के लिये मचल उठे
बड़ी फुर्ती से वे आगे बढ़े और उनहोंने आगे बड़ कर मधु की सलवार का नाड़ा खिंच ही डाला ।
ज्यों-ज्यों वे नाडा खींच रहे थे। मधु जा रही थी।
देखते-देखते सलवार की उसकी यंगे ऊपर उठा कर बलबीर दास जी ने उसे आधा नंगा कर डाला था। चुत पर कच्छी थी जरूर मगर मोटी मोटी चुत की फांके ।
कच्छी फाड़कर बाहर आने तक को तैयार थी। कच्छी के ऊपर चुत की ऊवर हुई फांकों को देखकर बलबीर दास जी के लण्ड के सारे रोंगटें पल भर ही खडे होते चले गये थे।
 
सलवार को एक तरफ रखकर बलबीर दास जी के कमीज उतारने की तैयारी शुरू कर दी थी।
उन्होंने उसके कमीज को ऊपर कर ही तो दिया। और उसके हाथों को ऊपर उठाकर कमीज भी सिर उपर निकाल डाला।
मारे शर्म के मधु ने अपने साथ तनी हुई चुचियों के उपर ब्रेजरी पर जमा ही दिये थे।
आहिस्ता-आहिस्ता बलबीर दास जी के हाथ मधु की कमर पर फिसलने लगी। मधु ने तो मना कर सकती थी न उसे मना करने की होश हवाश थी।
और जैसे ही ब्रेसरी उसकी चुचीयों पर से हटा वह कांप सी उठी। नंगे बदन देख उसके गाल शर्म से गुलाबी हो उठे। 'उसकी शराबी आंखों झुक गई। बलबीर का हौसला जब बुलन्दी पर था।
उसने अब देर करना ठीक न समझा और कच्छी की इलास्टिक में उसकी उंगलियों जा फंसा।
मधु ने दोनों हाथों से उसके हाथ पकर कर नशे में बड़बड़ाते हुऐ। कहा.....
नहीं-नहीं ये मत देखो गंदी बात। डालिंग। इस गंदी जगह में ही तो जीवन का मजा छुपा हैं।
और मनमानी करता हुआ बलबीर ने उसकी कच्छा भी उतार कर एक तरफ फेंक दिया।
कच्ळी के उतरने एक पराये मर्द के सामने मादरजात नंगी हो उठी थी । उसका चिकना तथा मोसने लायक जवान तथा तने हुये चोंचदार चुची को देखकर बलबीर का लण्ड पैण्ट के अन्दर उछलने लगा
बलबीर मधु पर टूट पड़ा और बोला....
प्यारों। जी तो करता है यहीं चोदकर मजा दूं लेकिन नहीं चलो दुसरे कमरे में।
और बलबीर मधु को अपने मर्दानी हाथों से उठाकर दुसरे कमरे में ले गया ।

इस करे में लाल रंग का धीर प्रकाश हो रहा था । एक सिंगल बॅड पर डनलप कागदा बिछाथागअक्सर इस कमरे में बलेबी नई छोकरी से मजा लुटता था ।
आज मधु को भी किस्मत ने इस बेड पर चुदने के लिए ला गिराया था। बेड पर मधु को गिराने के बाद बलबीर खुद नंगा होने लगा । उस का लण्ड बाहर आ गया।
जैसे ही बोझिल बलबीर का मोटा तगड़ा लण्ड कुलाचे भर रहा था मधु कांप गई।
उसे लगा कि ये आदमी बुर को फाड़े न दे।
साथ ही उसकी बुर में खलबली हो रही थी। उसका जी करता था कि चुत में उंगली डालकर अन्दर बाहर करे।
मगर पराये मर्द को ऐसा कैसे कह कसती थी।
हव टांग पर टांग को चढ़ाकर अपनी बुर को छिपाने की कोशिश करने लगा।
इधर बलबीर दास नंगा होने के बाद मधु के बराबर लेट गया और बाहों में समेट लिया।
बलबीर मधु के गालों तथा होठों को चुमने लगा।
ऐसा करने से उसके जांघ मधु को धर से मारता हुआ बेचैन कर रहा था । मधु की चुत की ज्वाला क्षण प्रतिक्षण बढ़ती ही जा रही
। और जैसे ही बलबीर दास ने मधु के कुंवारे थरथराते रसीले होठों ठी को अपने मुंह में लेकर चुसना शुरू किया तो मधु मल उठी और भार उसने भी बलबीर का जकड़ लिया।
वह खुशी से अपनी होठ बलबीर को पिला रही थी।
लण्ड ला टकराव चुत के अन्दरमाण हो रहा था। ला बलबीर दास जोर-जोर से उसके होठ चुरा रहे थे और बोलते जा
कमरे मेरी जान, अगर ये गण्दी जगह न होती तो ये दुनिया कहा से
आता सारा मजा इसी में छीपा हैं ।

बेड पर नई-नई कलिगण सों बलबीर दास चोदा करते थे। तड़ातड़ चुम्बा काटने पर उतर आये।
उनका खड़ा लण्ड इस समय मधु की चिकनी गालों को होठों से भर कर होठों को निचोर कर चुस रहे थे।
कुछ मिनट बाद जैसे ही उनका मुंह मधु के गाल पर पड़ा तो चुदने के लिए मचल उठी ।
और सिस्कारी भर कर बोली ये क्या हो रहा है आई सी उई में मुझपर कैसा भुत सवार होता जा रहा है उफ पीडाली मुझे जी भर करचुस लो सर ।
बलबीर दास जी ने मस्ती में आकर आपका हाथ उसकी चुत के ऊपर लाकर रख दिया ता लण्ड को वे रगड़ते हुये चुत पर हाथ फिराने लगा।
गालों को पीना भी वे जारी रखे हुये थे। और जब बलबीर दास जी को महसुस हुआ। लौण्डियां काफी गर्म हो चुकी है। उसकी चुत में लण्ड उतारना ही उन्होंने ठीक समझ लिया । मधु चुतड़ों को बेड पर रगड़ने लगी। मधु महल रही थी। उसने चुत पर हाथ रखकर जोर से दबा दिया। बलबीर दोनों टांगों के बीच आकर बैठ गच। उसकी दोनों टांगों को उठाकर चुत के दर्शन किये। अब चुत लण्ड खाने को एकदम तैयार रहती है।
बलबीर ने लण्ड को ठीक चुत पर रखकर मधु की कमर पकड़ कर कहा। मधु ने मस्ती में आकर अपनी आंख बंद कर ली।
और कहा । मधु डालिंगा तुम घबड़ाना मत । हिम्मत से काम लो। सब ठीक हो जाएगा।
उसने अपनी उंगलियों शक्ति से भींच कर मस्त कर ली। वह बुरी तरह उतावली हो उठी थी। उसके होंठ खुले हुए थे।
 
वह कांप रही थी।
एकाएक बलबीर ने अपना लण्ड उसकी बुर पर रखा तो मधु की चिख निकली।
उसने उसके मुंह पर हाथ रख दिया । सुपाडा अन्दर जाते समय उसे बहुत कष्ट हुआ। बलबीर दास समझ गये किलोडियां एकदम नई हैं। उन्होंने लण्ड चुत से बाहर निकाल लिया । मधु के सिर पर हाथ फिराते हुए वे वोले बस मधु डरो मत । चीखना मत।
अगर ऑफिस के आदमियों ने तुम्हारी चीख सुन ली तो तुम बदनाम हो जाओगी। बस थोड़ी सी हिम्मत और कर लो ।
और इस बार बलबीर दास जी ने उसकी चुत पर उकडु बैठकर थुक दिया।
चुत पर थुक अच्छी तरह लपेट कर लण्ड की चुत पर रखा तो मधु तड़पकर बोली। प्लीज। मैं मर जाऊंगी। ये मत करों। मधु डालिंग। हर लड़की ऐसा ही कहती है। मगर आज तक चुदवाने से कोई नहीं मरी । मेरा यकीन करो तुम्हें कुछ नहीं होगा।
और जैसे ही लण्ड सील तोड़ता हुआ अन्दर गया। मधु की आंखों में आंसु छलछला आये। बलबीर दास इस समय एक कसाई के रूप में दिखाई देने लगे। वह जोर-जोर से चिल्लाना चाह रही थी। परन्तु इज्जत के डर से वह घुटी सी आवाज में रोते हुए लण्ड धक्के बराबर जारी रखते हए बलबीर दास ने उसे समझा रहे थे। मगर उसकी समझ इस समय गायब ही हो चुकी थी। वह फिर फड़फड़ाई
ओह नो। इडिएट ! मुझे यह सब नहीं करना । हाय । मैं मरी। "उफ कातिल कातिल छोड़ो। मेरी फदी गई शायद । हाय । तुही करना है या नहीं मुझे तो अपना पानी निकालना है।
हाय मेरी जान ले दो हजार रूपये की नौकरी के लिए तु ये भी नहीं झेल सकती क्या।
और इसी प्रकार लगभग पक्कों की रफ्तार और तेज कर दी। मधु को चुत में बिजली सी महसुस होन लगी थी। उसके लण्ड सटकने की इच्छा होने लगी थी। अब वह चुत को फाड़ कर जायजा लेने लगी।
आहिस्ता-आहिस्ता उसके छटपटाने तथा घबराहट मस्ती में बदल गई। वह कोली भरने पर पुनः मजबूर हो गई। उसने गांड़ उछाल कर बुदबाना प्रारम्भ कर दिया। हर धक्के में अब वह जन्नत के लुफ्त लुट रही थी।
जुदाई का सक्चा ज्ञान क्षण प्रतिक्षण उसे होता जा रहा था। बेहद मजे को लुटती हुई वह सिसकारी भरने लगी। आह सर। आप टीक कहते। मारो। पुरा दर्द गायब होता जा रहा है। उफ मारो। वाह- ये फर्क कैसे हो गया । शीशी ई। क्या इसलिए रखा था मुझे वाह ।रानी रोज दिया करोगी न । बराबर चुत का सत्यानाश करते हुए बलबीर दास ने मधु के दिल चुदाई चाहत के भाव ताड़ने के ख्याल से पुछा तो वह बीली
करों ये नौकरी मुझे बहुत पसन्द है और करो। मैं उड़ी सी जा रही हुँ हाय हाय मुझे सम्भालों । हाय मैं गिरने हो रही हूं। बलबीर दास जी समझ गए किलोडिया अब जल्दी
ही पानी छोड़ने वाली है।
उन्होंने भी मधु के साथ झड़ने का फैसला कर डाला अब धक्के ताण्डवी रूप से लगने लगे थे। इस धक्कों में ही चुत दुखा कररख दी। चुत का फाटक रह रह कर लण्ड की गार से घौड़ होता जा रहा था। मधु को चुत के अन्दर कुछ फटा सा महसूस होने लगा।
उसने पूरी शक्ति से बलबीर को जकड़ रखा था। उसने अपने भारी चुतड़ों को पटकते हुए झड़ना शुरू कर दिया
मजे में उसने बलबीर दास के कन्धों पर काट खाया था।
अचानक उसे अपनी चुत के अन्दर गर्म-गर्म बस्तु गिरती हुई जान पड़ी।
इस बार तो उसे ज्यादा मजा आया कि वह आं बंद कर गर्म -गर्म बीर्य चुत में गिरावाने लगी थी।
दोनों झड़कर एक दूसरे की चुत ऊपर लुढ़क गये थे। खुन व बीर्य से मधु की चुत गीली सी हो गई थी। मधु सोचने लगी कि मुंह के वाली में भी सख्त बाल धोनस होते हैं,आखिर पुछ ही लिया कि बलि भईया के बालों से भी सख्न में वाल कौन से होते हैं।
बलबीर मधु के इस प्रश्न पर पहले तो धोड़ा रूकन्तु उस देर मंह पर मुस्कान छाः गयी बो बोला निर्मल क्या तुम्हें नहीं पता हमा शरीर के कौन से वाल सन्ज होते हैं।
नहीं भय ने भोलेपन में कहा। बलबीर उसके नहीं पर थोड़ा ऊवकाया । उसके सारे शरीर में करंट सा दौड़ गया जो बोलना चाहकर
बोल पाया का बलिया ता है।

मधु ने फिर पुछा बलिवी ने उसमी आंखों में आंखें डालकर का झांटों के बाल सबसे सख्त होता है।
झांटों के बाल । ये कौन से होते हैं। मधु को समझ नहीं आ बल बुद्धि जारा और शब्द उचारण से मधु का लण्ड अंगराई उठा।
वह इस समय मात्र बनियान और लंगी पहने बैठा था अब सेव उसने पुरी तरह बहाल थी।
बल्किी आफ्टर सेब लोशन भी मुंह पर लगा लिया था जिससे उसका मुंह मयकने लगा था।
तो मैं कहाँ भागी जा रही हूं। अपने इस हलक्वी दोस्त को खुराक खिलाओ या नहीं। मैं तो फिर सारी रात इसकी सेवा करूंगी ही और कौन करेगा ।
उसकी प्यारी-प्यारी बातें मुझे लुट लेती थी उसके कहने पर मैं उसके साथ उठा।
और अन्दर वाले कमरे में गया । तो उसकी सहेली हमें देख कर शरमाने लगी निर्मल बोली ज्योति ने खाना बनाती हैं। तब तक तुम इनकी थकान उतारी विर इकड़ खान खाए । ये कहकर निर्मला कुल्हे मटकातीली गई।
मैंने बांहों के कमरे का दरवाजा बंद होने की आवाज सुनाई अज ख पुर्ण तथा ताबु मस्त था।
ज्योति मुझे नीचे-नीचे हल्कि निगाहों में देख रही थी मैं भी अब सर्व देखकर उचित नहीं समझता था । हमा मैं भी अब देर करना उचित नहीं समझता था सो मैंने अपने कपड़े
उतारे और नंगा हो गया। | ज्योति मेरे लम्बे मोटे लण्ड को निहार रही थी मैं उसके पास
गया। लगी रहती। कर मुझे बड़ा मजा आता जब कोई मुझेथुरता ।
सखी सहेलियों से चुदाई की बाते सुनी थी परन्तु स्वाद नहीं पाई
हमारे घर का काम काज के लिए एक नौकर था जिसकी उम्र नहीं आ35-36 साल तो अवश्य होगी वह पीछले 7-8 साल से हमारे यहां अंगराई काम कर रहा था।

वह काफी गरीब था और बहुत भोला भाला था। मुझे-कालेज-जाते आले जब सभी-पुरते. तो मेरी पास गपसपमैं भी अन्दर ही अन्दर उत्सुक हो गई जा लेने के लिए।
मैंने कई बार कनेई लड़कों से बाय करने की प्लान बनाई परन्तु शर्म और हिचक के कारण प्लान-प्लान ही रह गई।
परन्तु मन ही मन मैं तैयार थी और कोई भी मौका मिले आसानी से चोदी जा सकती थी।
एक दिन हमारे कॉलेज की छुट्टी लेकिन मेरा भाई स्कुल गया हुआ था।
दोपहर को मैं पढ़ाई करके जब बाहर बराण्डे में आपका रेखा एक नौकर बर्तन मांज रहा है।
गर्मी का मौसम था वह केवल खुले कच्छे में था और पर केवल बनियान पहने हुए था।
जो तुम गई महीनों याद रखोगे। तो दो ना मजे मेरी जान ।
ये लो और ये कहकर मनोरमा ने मेरी कमर पकड़ी और फिर मेरा लण्ड उसकी चुत में फंसकर हल्के-हल्के आगे पीछे हो रहा था।
 

ऐसा लगता था जैसा उसकी चुत मेरे लण्ड पर मातिलस कर रहा हो मुझे बाकायदा मजा आने लगा।
जैसे थोड़ी दूर निश्चित यह रहा तो वो नीचे मैं हाथ तेजी में देने के
लगी।
अब मेरे पे नहीं रूका गया तो मैंने उसके चिकने चुतड़ अपनी हथेलियों में दबाये और फिर लम्बे-लम्बे नुगर लगाने लगा तो वो किलकियां मारने लगी।
हाय राजे तुमने तो मुझे लुट लिया रहा ऐसा तो मैंने कभी सोच भी न था मेरे प्यारे परदेशी।
अब तो मैं तेरे संग ही तेरे शहर चलुंगी मुझे अपनी लुगाई बनाक साथ ही रखना।
मैं तेरी बड़ी बेसा करूंगी। जो जो कहेगा वो वो करूंगी।

एक साथ बड़ा मजा आयेगा । इस प्रकार हम दोनों बहुत मजा आया थोरी देर बाद मधु के साथ मेरी भावनात्मक सम्बन्ध सम्बन्ध स्थापित हो चुका था।
में उसको टांगों को आवश्यकतानुसार खोला और चुत पर ढेर सारा थुक मसला।
थोड़ा थुक अपने लण्ड पर भी मसला और फीर भी बहुत ध्यान पुर्वक वे अपने मोटे लण्ड को निर्मल की मक्खन सी चुत में उतारने
पर
लगा
मधु धीरे-धीरे मेरे लण्ड को पा रही थी मैं उसके मुंह पर दर्द और आनन्द के उजले भाग को देखकर बड़े धैर्य पुर्वक लण्ड को आगे धकेल रहा था।
इस पर हम दोनों ही पैसनेट हो गए जब मेरे लण्ड मधु को ध रन चुत को रच दिया नो दोनों ही एक दूसरे से लिपट पड़े।
थोड़ी देर बाद मैंने धीरे-धीरे हिलाना शुरू किया तने निर्मला भी हल्के-हल्के खुलने लगी।
मैं खुश था।
कि मधु उस टाईग की चुदाई से आनन्द प्राप्त कर रही थी जबकि हा उसने मेरी कमर में अपनी टांगें फंसाई।
गया कि उसे अब जरा तेज धक्के चाहिए सो मैने देने मिडियम साईज के धक्के लगाऐ तो वो बड़बड़ाने लगी।
ऐसा....हाए........मेरे........प्यारे आज तो मजा आ रहा है। पनी पोज में नीचे लिटाया और उसके होठों को चुसते हुए हल्के-हल्के वो अक्के लगाने लगा।
इसका वो भी नीचे से मटकने लगी। मैंने धक्के की रफ्तार सोचोही तेज की ही थी कि बो फिर झरने लगी।
मैंने थोड़ी देर ठहरना ही उचित समझा तो तब मैं उसकी कठोर नाक चियों का दबाने लगा।
ये सारी बात तैयार होती उसके पुर्व ही मैंने उसकी टांगों को अपने दोनों हाथों में बांधा ।
और फिर मैंने जो गर्म भरकर लम्बे धक्के मारने शुत् कि तो बो भी किल कारी मारने लगी।
मेरे....लज्जा.......अपने.....दे बड़ा मजा.....आ.......रहा है.....बड़े दिनों बाद कोई.....पिल्ला.....हाय.....मैं......गइ इ......राजा ओ जाना।
लेकिन अब मैं सकने वाला नहीं था।
मैंने एक-एक हाथ पीछे हटकर भयंकर धक्के मारने शुरू कर दिए मेरा सारा जोस लण्ड में इक्ठा हो चुका था ।
मेरा लण्ड सरासर अन्दर बाहर बिजली की गति हो रहा था।
उसकी न मुझे बड़ा मजा दे रही थी। तभी वो फिर में मेरे साथ सहयोग करने लगी।
 
कमरे के अन्दर लगाया गया है तो में मायुस हो गया। निर्मला मेरा उतरे चेहरे को देख कर कान में फुसफुसाई। महाराज उदास न हो मैं रात करवाने की कोशिश करूंगी। अब तो खुश हो। और यह कह कर मुझे सोने के लिये भेज दिया । मैंने कपड़े उतार कर सुदेश की लंगी पहनी और मात्र लंगी में विस्तर में खुश गया।
दिन में दो बार चुदाई कर चुका था परन्तु रात में खुमारी चढ़ी हुई
मुझको सोये अभी खास देर नहीं हुई थी कि मुझको आभास हुआ जैसे कोई मेरे बेड पर आकर बैठ गया ।
जब आंख खोल कर देखा तो बेड पर परछाई सी बैठी थी तभी उस परछाई में अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। अंधेरे में अन्दाज लगाया ।
कि सारी पेटीकोट ब्लाऊज और ब्रा उतारने के बाद उसने अपन एलस्टिक वाली कच्छी भी उतार दी।
अब बो परछाई बिल्कुल नंगी थी और धीरे-धीरे मेरे विस्तर ओर बढ़ रही थी। मैंने भै रजाई के अन्दर अपनी लुंगी खोल के सिहराने रख दी। बो रजाईयों में घुस गयी और जोर धीरे से.मरे शरीर से सट गई थोडी देर बाद उसने मेरे शरीर को सहलाने लगी।
और जब उसका हाथ चुची पर परी थी। मैंने गर्म-गर्म पानी से नेजी हुई कुत को खुब मलकर धोया करीब घण्टे भर बाद था।
महीने के बाबजुद भी मैं काफी थकी महसुस कर रही थी।
नौ बजे के करीब छोटे भाई के साथ खाना लिया नोक झोक में चाह कर भी आंख नहीं मिला रही थी
वह बार-बार मेरी आंखों में झोंकने काप्रयत्न करना बेकिन में भर आंके चुरा लेती।
इन हरकतों ने दिल को फिर से गुदगुदा शुरू कर दिया । पिताजी का संदेश आया था कि उस दिन रात भी नहीं आएंगे। रात को 1 बजे तक मैं भाई से गप सप मारती थी। फिर मैं अपने कमरे में सोने चली गई।
मैं कमरे में जाकर कपड़े बदले रात को मैं नाईटी और नाइटी के नीचे अन्डर वीयर पहनती थी लेकिन उस रात मैंने केवल नाईटी डाली तथा ब्रा और अन्डरवीयर नहीं पहनी ।
केवल नाईटी पहन कर मैं विस्तर पर लेट गई लाइट आफ की दोपहर की बात को याद करती गुदगदाते मन से मुझे नीन्द आ गई।
रात लगभग 1 बजे नौकर फिर से मेरे कमरे में खड़ी की कुद कर अन्दर आ गया।
बाहर की लाईट को हल्की-हल्की प्रकाश कमरे में खिड़कीयों में से आ रहा था।
कोई कुछ नहीं कहेंगा।
सुदेश से उसका गोल-गोल सुर्ख मुंह ऊपर उठाकर करीबतास तुमने लगा।
फिर ऊसके रक्तिम होठों चुसने लगा उसके गदराये बीवन को अपने सीने में भींच लिया । ऊसके नशीले शरीर में चिपदाच्या लता मधु की वासना मई हो गयी ऊसने भी सोचा लिया कि चलो भाग्य में अपने आप ही बात बन गयी हैं।
तो इस मौके का फायदा ऊठा ही लेना चाहिये।
बलि के लण्ड की ठोकर अपनी टांगों के जोड़ पर बो महसुस कर रही थी।
यहां खड़े ही मधु की सलवार का नाड़ा खोल दिया तो सलवार जमीन चुसने लगी।
ऊसने अपनी लुंगी खोद दी और निलमा के नर्म हाथों में अपना गर्म तमनना लण्ड पकड़ा दिया ।
अगर गर्म नहीं होगा तो तुम्हारी चुत सुराक दुक कैसे चौड़ा करेगा।
हर बेशर्म एसे बोलते हैं। आए हाय मेरी जान तेरे ये नखरे मुझे पागल बना देंगे।
ये कहकर सुदेशन ऊसके फैसला चुतरों की भी या कचबचा कर । दो ही दिनों में गए कमाई दिसु देशन जम्पएर के नीचे हाथ देकर मधु की मधु ने।
आकर हम दोनों को ऊठाया तो मनोरमा ने अपने कपड़े पहने हम दोनों ने ऊसी और खाना खाया ।
मधु ने मनोरमा के घर कहलवा दिया कि वह ऊस रात ऊनके घर ही सोयेगी। इस प्रकार निर्मला ने मनोरमा को मेरे लिए सारी रात के लिये पेश कर दिया।
फिर तो रात भर हम तीनों नहीं सोये निर्मला हम दोनों को चुदाई करते देख-देख कर मजे ले रही।
अगले दिन सुबह में वापस रतिया लौट गया ।
मधु अपन छुट्टियां समाप्त करने के बाद चली गई तब तक ऊसकी तबीयत ठीक हो चुकी थी।
बल्कि पिछले दो तीन दिन से उसका मन चुदाने को करने लग था। उसे रतिया वाले यहां की रात की चुदाई याद आने लगी पटन में जब युनिवर्सिटी में पढ़ने जाती ।

तो साथी लड़कों को देख देखकर उसका मन भी वा वासनाए होता लेकिन गांव की लड़की होने के ककारण शर्मायी जा रही थी।
रात को सोते समय बो देर रात तक अपनी गदराई जवानी को सहलाती मसलती उसे पटना गये अभी तो 5 दिन ही हुर.थे। एक इतवार की वा अपनी सहेली कंचन से मिलने गई। और उसके कपड़े उतारने लगा तो वो शरमाने लगी।
 
आखिर कार बिना किसी भुमिका और जान पहचान के हम दोनों ही नंगे हो चूके थे।
ऊसके गुमराह मामले गोरे दुधिया शरीर का अपने बांहों में समेट लिया।
तो हम दोनों ही बुरी तरह गरम हो गए । मेरा लण्ड ऊसके चुतड़ों की दरार में रगड़ने लगा । बो आंखे ऊन्द की क्यों थोरी हि देर में अपने गाल और होठ चुसवा रही थी।
मैंने उसकी चुत में उंगली फंसाई तो पता लगा बो बुरी तरह पनिया चुकी थी।
तथा खेली खाई अब मैंने भी देखकर उचित ना समझा उसे फर्श पर बिस्तर पर सीधा लिटाया और फिर उसकी टांगों को उठाकर अपने कंधो पर रख लिया।
और अपना लण्ड अन्दर पहुंचा गया फिर उकसी चुरा पकड़कर ता चांपा तो पुरा लण्ड जट तक कसकी फूल चुत में बैठ "या।
हाय राजा मजा आ गया । बड़े दिनों में में एक मजा पा रही हूं।
बो किसकी तो मैंने भी लम्बे लम्बे धक्के मारने चालु किए। हम दोनों ही के लिए नए थे।
मेरी उम्र 19 साल की थी ओर पूरी तरह समझदार हो चुकी थी मेरे पिताजी रेलवे में बहुत बड़े इंजिनीयर थे।
माता जी को दो साल पुर्व देहान्त हो चुका था ।
एक छोटा भाई और था जिसी उम्र मुश्किल से 10 वर्ष थे मेरे जिताजी की नौकरी का तम्तिमा बर्ष था।

उनका विचार था ब्याह करके वापस गांव ले जायेंगे। लाला जी की मृत्यु के पश्चात मेरी नानी हमारे पास आ गई थी।
लेकिन पिछले महीने ही वे भी वापस गांव चली गई अपना चर सम्भालने ।
आमतौर पर पिताजी को डयुटी सुवह 8 से शाम 5 बजे तक की थी। लेकिन अक्सर उन्हें टुर पर जाना पड़ता था।
इनलिए हमें अकेला रहना पड़ता परन्तु मजबुरी थी।
मैं बी० ए०के अतिन्म साल में पढ़ रही थी जब पढ़ने जाती तो लड़के और राह चलते लोग मुझे घुरते।
मुझे बड़ा अच्छा लगता अब तक मेरी छातियों भर गही थी और पुरी मुट्ठी में भी मुश्किल से आती थी।
चुतड़ भी काफी उमर गये थे जब मैं तंग सलवार कुर्ता पहनती तो सबकी नजरों मेरी तरफ रहता था।
भोला ने मधु को सरिता देती से तो मिलवा दिया था।
मगर मधु की नजरों में कोई आस पास की उठत हुई जवानी अभी नहीं आई थी।
उसे तो अब हर बक्त एक एसी लड़की की तलाश थी जो उसके जाल में प्यार से आ जाय।
आज इसी चक्र में वह राधा के घर गई थी।
राधा के बाराबर में एक उन्नीस बर्षीय खिलती हुई जवानी बैठी हुई थी। बातों बातों में मधु ने पूछा
राधा बे लड़की कौन है। मधु । ये बेचारी भी किसान की मारी है। बाप बचपन में मर गया था ।
मां ने इन्टर त जैसे-तैसे पढ़ाया इसे अब इस बेचारी के बसका कुछ न रह सका।
ये नौकरी करना चाहती है अत- मैं इसकी नौकरी कैसे लगाऊ
तुम्हारा नाम क्या है मइ मधू ने उस लड़की के कन्धे पर हाथ रखकर पुछा तो वह सहम कर धीरे से बोली-मेरा नाम उमा है दीदी
भई नाम तो बड़ा प्यारा है चलो तुम्हारी नौकरी का जिम्मा मे
कल मेरे घरों पर आ जाना तुम्हें सब समझा दुगी। क्या करना होगा। इस बात को सुनते ही उमा को खुशी से उछल पड़ी।
मगर राधा ने आंख मार कर मधु सो कुछ ऐसा इसारा किया जैसे कुद उमा की चुत भी मरवा कर रहेगी फिर वह बोली।
उमा ? तब तुजा कल तु मधु के पास पहुंच जाना जातु अब।
उमा के जाते ही राधा ने मधु को कीली भर ली और उसकों कुम्बा काटकर वह बोली।
क्योरी अपनी का ता तुने उद्घाटन करा ही लिया होगा क्या अब इस बेचारी का बाजा भी किसी से बजवायेगीत ।
चल हट बदमाश। तुझे ऐसी बातों के अवाला कुछ सुझला भी है या नहीं। मधु ने उसे कहते हुए कहा तो वह तो फिर चिहुक उठीमेरी रानी ये बात न हो तो जिन्दगी में रक्खा ही क्या है। मैंने और धक्के लगाने बंद कर दिए और अपना ध्यान निर्मला की ओर आकृष्ट करने लगा था।
मैं देखा रहा था। कि बो धीरे-धीरे गर्म होने लगी थी।
10 मिनट की चुसा चाटी के बाद ही निर्मला भी मेरा लण्ड खाने | को तैयार हो गई। मैंने अपना अकरा लण्ड ज्योति की चुत में से बाहर निकला।
और निर्मला के कपड़े उतारने लगा तो उसने कपरे उनारने से मना
अपनी साड़ी ऊपर उठा दी उसी सफेद झक्ख भरी चिकनी जांघों को देखकर मेरी लण्ड में झटके खाने लगा।
तूने जब उसकी मुलायम झांटों भरी चुत पर हाथ फिराया तो वो रहा ज्योति के बराबर लेट गई।
मैं समझ गया।
कि बो चुदना हो गई हैं सो मैंने भी उसे चोदना ही बेहर समझा। राती एक बक्त खा सकती है।

मगर बाजा बजबाये नहीं रह सकती।
तुझे देखकर भी.लगता है कि तु आठ आदमियों को निगलाचुकी है। अब तक जभी तो तरक्की कर ली जा रही है तु।
मधु को और जोर से भींच कर इस बार राधा ने कहा तो मधु भी चुप न रह सकी वह बोली
जब तेरा कुंआरेपन में ये हाल है तो शादी के बाद तो तु रात दिन यही काम करवाती रहेगी।

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