desiaks
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मुंबई की बारिश और माँ बेटे का प्यार--3
अपने बेटे का मोटा लॉडा चूत में अंदर जाते ही रश्मि को ऐसे महसूस होता है जैसे कोई भाला उसकी चूत को छेद रहा हो. वो अपने बदन को ढीला छोड़ने की कोशिस करती है. गुज़रे दो सालों में आज पहली बार उसकी चूत में उसकी उंगलियों के अलावा कुछ और घुसा था और उसकी चूत वाकई में काफ़ी टाइट हो गयी थी. रश्मि बेसब्री से अपनी चूत अपने बेटे के लंड पर धकेलती है क्योंकि वो जानती थी जितनी जल्दी रवि का लौडा उसकी चूत में घुस कर उसे खोलेगा उतना ही ज़यादा उन दोनो को मज़ा आएगा.
"ओह मम्मी! तुम्हारी चूत तो किसी कुवारि लड़की की तरह टाइट है.....उफफफ्फ़.....कितनी गरम है" रवि कराहता है.
"असल में ...काफ़ी समय हो गया है...तुम्हारे पिताजी के बाद आज पहली बार चुद रही हूँ में....थोड़ा धीरे बेटा!" रश्मि रवि को समझाती है.
रवि असचर्यचकित होकर थोड़ी देर के लिए रुक जाता है, उसके चेहरे पर अविस्वास के भाव थे.
"तुम...तुम सच बोल रही हो मम्मी....क्या वाकई में आप पिताजी की मौत के बाद..."
"हां मेरे लाल में बिल्कुल सच बोल रही हूँ. अपने पिता के बाद तुम पहले और एकलौते सख्श हो मुझे चोदने वाले" रश्मि उसे बीच में टोकते हुए बोलती है "अब रूको मत. प्लीज़ बेटा, अब जल्दी से अपना लॉडा अपनी मम्मी की चूत में घुसा दे. मुझसे अब और इंतज़ार नही होता."
रवि अपना लॉडा फिर से अपनी माँ की चूत के अंदर ठेलना चालू कर देता है. चूत की गरम दीवारे उसके लंड के चारों तरफ कस गयी थी. वो अपना लौडा धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगता है, हर धक्के के साथ गहरा होते हुए उसका लौडा आख़िर में पूरी तरह चूत में घुस जाता है.
रश्मि महसूस करती है कि उसकी चूत उसके बेटे के लौडे की लंबाई, मोटाई के हिसाब से फैल चुकी थी और उसके टट्टों को अपनी चूत के होंटो पर महसूस करके वो राहत की साँस लेती है. शैतानी से वो अपनी चूत की दीवारों को कस्ति है तो रवि के मुख से आह निकल जाती है और वो शैतान माँ अपने बेटे की हालत पर मुस्करा पड़ती है.
"सबाश मेरे लाल! तेरा पूरा लॉडा मेरी चूत घुस गया है. अब मार अपनी माँ की चूत. चोद अपनी माँ को. पूरा ज़ोर लगा कर चोद!" रश्मि कामोउन्माद में सिसियाती है.
रवि को अब किसी और प्रोत्साहन की ज़रूरत नही थी. वो उसकी टांगे पकड़ कर और भी चौड़ी कर देता है और सुपाडे को छोड़ कर वो अपना पूरा लंड बाहर खींच लेता है. उसे उपर की ओर उठाते हुए वो अपना लौडा वापिस उसकी चूत में ठोकता है. रश्मि के मुख से जोरदार सिसकी निकलती है. रवि पूरी ताक़त लगाते हुए अपनी माँ की खौलती हुई चूत अपने लौडे से ठोकने लगता है.
"हां...हां...बस ऐसे ही! ऐसे ही...मेरे लाल. सबाश....चोद मुझे!"
"ठोक मेरी चूत अपने इस मोटे और कड़े लंड से!"
"और ज़ोर से...और ज़ोर से! हां बेटा..ऐसे ही...बस ऐसे ही चोद मुझे!"
रवि को तो जैसे रश्मि की अश्लील भाषा प्रेरणा दे रही थी. वो पूरी कठोरता से अपनी माँ को ठोकता हुए उसकी चूत में गाढ़े गर्म रस को उबलता हुआ महसूस करता है. उसका लॉडा अपनी माँ की चूत में तेज़ी से अंदर होते हुए फॅक फॅक का उँचा शोर पैदा करता है. रवि अपनी माँ को चोदते हुए उसके चेहरे को देख रहा था.
वो वाकई में एक खूबसूरत नज़ारा था. उसका मुँह ऐसे खुला हुआ था जैसे एक मछली पानी के लिए तरस रही हो. उसका चेहरा काम उन्माद और वासना के कारण तमतमाया हुआ था. रवि को लगता है जैसे वो किसी अश्लील फिल्म की शूटिंग कर रहा हो जिसका नायक वो खुद था.
"रुकना मत..उफफफ्फ़...उफफफफफ्फ़......और अंदर तक...और ज़ोर से..."
"ठोक मेरी चूत....ठोक अपनी माँ की चूत.....हे भगवान....हाए...हाए.......उफफफ्फ़....चोद अपनी माँ को.......चोद डाल"
रश्मि का जिस्म अकड़ जाता है और वो बुरी तरह से काँपने लग जाती है. वो झड रही थी और उसकी चूत कसते हुए रवि के लंड को निचोड़ रही थी. उसका बदन आनंद के चरम पर पहुँच कर झटके खा रहा था.
जब रवि अपनी माँ की चूत द्वारा अपने लंड को भींचते और कसते हुए महसूस करता है तो वो घस्से लगाना बंद कर देता है. वो अचंभित सा अपनी माँ को झड़ते हुए देखता है और इसमे एक जबरदस्त रोमांच का अनुभव करता है. जब रश्मि का झड़ना कुछ कम हो जाता है तो वो पूरी निर्दयता से अपना लंड उसकी चूत में दुबारा से घुसेड देता है और उसको बुरी तरह से चोदने लगता है.
"ओह.........ओह माँ.......ओह माँ! हॅयान्म चोद मुझे...... चोद अपनी मम्मी को...... ऐसे ही मेरे लाल.... चोद चोद कर फाड़ डाल मेरी चूत!"
"और ज़ोर से...और ज़ोर से....चोद अपनी माँ को जिसे चोदने के तू बरसों से सपने देखा करता था. ....हाए में मरी....उफफफ्फ़.....कितना मोटा लॉडा है मेरे लाल का....लगा दे पूरा ज़ोर.....मेरे बेटे...ऐसे ही चोद....उफ़फ्फ़ में फिर से झड़ने वाली हूँ....में फिर से झड़ने वाली हूँ...."
"देख कैसे तेरे मोटे लौडे ने मेरी चूत फैला दी है. तूने अपनी माँ की चूत का क्या हाल कर दिया है बेटा........हाए मेरी चूत...उफफफफ्फ़....हे मेरे भगवान .....आज तो लगता है में मज़े से मर ही जाऊंगी....मेरे लाल में तो तुझे बता भी नही सकती कि तू मुझे चोद कर कितना मज़ा दे रहा है. ....उफ़फ्फ़...कितना मज़ा है अपने बेटे से चूत मरवाने में ....अहह....हाँ और गहराई तक ठोक अपनी माँ की चूत......जड तक घुसेड अपना लॉडा......उफफफफफ्फ़
"अहह...आह. चोद डाल.....चोद डाल माँ को........हे भगवान मेरा निकलने वाला है....में झड रही हूँ....मेरे साथ साथ तुम भी बेटा....गिरा दो अपना माल मेरी चूत में.....भर दे अपनी मम्मी की चूत अपने गरम रस से..."
रवि आँखे बंद किए और दाँत भिंचे पूरे ज़ोर से अपनी माँ को चोदे जा रहा था. वो अपने टट्टों में वीर्य उबलता हुआ महसूस करता है और फिर हलाल होने वाले बकरे की तरह एक उँची कराह भरते हुए एक आखरी धक्का लगा कर अपना लॉडा अपनी माँ की चूत की जड तक पहुँचा देता है.
रश्मि अपनी चूत में जबरदस्त ऐंठन महसूस करती है और फिर उसकी चूत में गर्म वीर्य की बरसात सी होने लगती है. उसका मुँह एक घुटि चीख के रूप में खुल जाता है और कामोउन्माद के शिखर पर उसे उस वो आनंद प्राप्त होता है जिसके लिए वो पिछले दो सालों से तरस रही थी. उसकी चूत अति संकुचित होकर रवि के लौडे को निचोड़ रही थी. आनंद की चर्म अवस्था में वो अपना बदन झटक रही थी और उसके मुख से अनियंत्रित सिसकारियाँ फुट रही थी. धीरे धीरे उसका बदन शांत होने लगा और वो नज़र उठाकर अपने बेटे को देखती है जो अभी भी उसकी चूत में गहराई तक लंड घुसेडे हुए था.
"ओह बेटा..."वो सिसकती है. "तुमने तो कमाल कर दिया. एसा मज़ा जिंदगी में पहली बार मिला है."
"सच कहूँ मम्मी.....यह तो मेरी कल्पना से भी कही ज़यादा मज़ेदार था. उफ़फ्फ़ आपकी चूत....आपकी चूत का तो कोई जवाब नही...में हमेशा सोचा करता था कि कैसे लगेगा आपको चोद कर, अपनी मम्मी को चोद कर! मगर आज जब मेने आपको चोदा तो जाना ऐसे मज़े के बारे में तो कल्पना भी नही की जा सकती."
"मेरे ख़याल से मुझे चोदते वक़्त तुम्हे मुझे मम्मी कह कर नही पुकारना चाहिए" रश्मि हंसते हुए बोलती है.
"अच्छा! तो फिर में आपको क्या कह कर पुकारूँ?"
"मुझे नही मालूम" रश्मि हंसते हुए जवाब देती है"कुछ भी कह कर बुला सकते हो-गश्ती, रांड़, भोसड़ी की...कुछ भी...और चाहो तो मुझे सिर्फ़ रश्मि कह कर भी पुकार सकते हो."
"ओके! में आपको रांड़ नही मेरी रांड़ ...उम्म्म्म या फिर मेरी रंडी माँ. या फिर साली कुतिया.....उम्म्म सोचना पड़ेगा! मगर आपको चोदने के समय मम्मी कह कर पुकारने में भी अलग ही मज़ा है. यह एहसास कि में अपनी सग़ी माँ को चोद रहा हूँ अलग ही मज़ा देता है....मगर सोचना पड़ेगा...'
"हाँ वाकई में जब तुम अपना लॉडा मेरी चूत में फँसाए मुझे मम्मी मम्मी कहोगे तो मज़ा दुगना हो जाएगा. मगर ध्यान रहे तुम सिर्फ़ मुझे चोदने के वक़्त ही ऐसे नामों से या गालियाँ देकर पुकार सकते हो मगर बाकी पूरे समय में तुम्हारी माँ ही रहूंगी. और इस बात को कभी भूलना नही"
"नही भूलूंगा. वैसे भी आज आप को चोदकर मैं भी मादरचोद बन गया हूँ"
"एक बहुत ही बढ़िया और जानदार मादरचोद." रश्मि हँसती है और महसूस करती है रवि ने उसकी चूत से अपना लॉडा निकाल लिया था. "तुम्हारा बाप इस चूत को चोदते हुए कभी थकता नही था अब देखना है तुममे कितना दमखम है"
इस तरह दोनों माँ बेटे के बीच जब सेक्स का अवैध रिश्ता बना तो फिर कोई शर्म या संकोच की भावना नही रही और दोनो अपना जीवन प्यार और वासना के साथ अपना सुख पूर्वक गुजरने लगा
दोस्तो इसी के साथ विदा लेता हूँ फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
अपने बेटे का मोटा लॉडा चूत में अंदर जाते ही रश्मि को ऐसे महसूस होता है जैसे कोई भाला उसकी चूत को छेद रहा हो. वो अपने बदन को ढीला छोड़ने की कोशिस करती है. गुज़रे दो सालों में आज पहली बार उसकी चूत में उसकी उंगलियों के अलावा कुछ और घुसा था और उसकी चूत वाकई में काफ़ी टाइट हो गयी थी. रश्मि बेसब्री से अपनी चूत अपने बेटे के लंड पर धकेलती है क्योंकि वो जानती थी जितनी जल्दी रवि का लौडा उसकी चूत में घुस कर उसे खोलेगा उतना ही ज़यादा उन दोनो को मज़ा आएगा.
"ओह मम्मी! तुम्हारी चूत तो किसी कुवारि लड़की की तरह टाइट है.....उफफफ्फ़.....कितनी गरम है" रवि कराहता है.
"असल में ...काफ़ी समय हो गया है...तुम्हारे पिताजी के बाद आज पहली बार चुद रही हूँ में....थोड़ा धीरे बेटा!" रश्मि रवि को समझाती है.
रवि असचर्यचकित होकर थोड़ी देर के लिए रुक जाता है, उसके चेहरे पर अविस्वास के भाव थे.
"तुम...तुम सच बोल रही हो मम्मी....क्या वाकई में आप पिताजी की मौत के बाद..."
"हां मेरे लाल में बिल्कुल सच बोल रही हूँ. अपने पिता के बाद तुम पहले और एकलौते सख्श हो मुझे चोदने वाले" रश्मि उसे बीच में टोकते हुए बोलती है "अब रूको मत. प्लीज़ बेटा, अब जल्दी से अपना लॉडा अपनी मम्मी की चूत में घुसा दे. मुझसे अब और इंतज़ार नही होता."
रवि अपना लॉडा फिर से अपनी माँ की चूत के अंदर ठेलना चालू कर देता है. चूत की गरम दीवारे उसके लंड के चारों तरफ कस गयी थी. वो अपना लौडा धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगता है, हर धक्के के साथ गहरा होते हुए उसका लौडा आख़िर में पूरी तरह चूत में घुस जाता है.
रश्मि महसूस करती है कि उसकी चूत उसके बेटे के लौडे की लंबाई, मोटाई के हिसाब से फैल चुकी थी और उसके टट्टों को अपनी चूत के होंटो पर महसूस करके वो राहत की साँस लेती है. शैतानी से वो अपनी चूत की दीवारों को कस्ति है तो रवि के मुख से आह निकल जाती है और वो शैतान माँ अपने बेटे की हालत पर मुस्करा पड़ती है.
"सबाश मेरे लाल! तेरा पूरा लॉडा मेरी चूत घुस गया है. अब मार अपनी माँ की चूत. चोद अपनी माँ को. पूरा ज़ोर लगा कर चोद!" रश्मि कामोउन्माद में सिसियाती है.
रवि को अब किसी और प्रोत्साहन की ज़रूरत नही थी. वो उसकी टांगे पकड़ कर और भी चौड़ी कर देता है और सुपाडे को छोड़ कर वो अपना पूरा लंड बाहर खींच लेता है. उसे उपर की ओर उठाते हुए वो अपना लौडा वापिस उसकी चूत में ठोकता है. रश्मि के मुख से जोरदार सिसकी निकलती है. रवि पूरी ताक़त लगाते हुए अपनी माँ की खौलती हुई चूत अपने लौडे से ठोकने लगता है.
"हां...हां...बस ऐसे ही! ऐसे ही...मेरे लाल. सबाश....चोद मुझे!"
"ठोक मेरी चूत अपने इस मोटे और कड़े लंड से!"
"और ज़ोर से...और ज़ोर से! हां बेटा..ऐसे ही...बस ऐसे ही चोद मुझे!"
रवि को तो जैसे रश्मि की अश्लील भाषा प्रेरणा दे रही थी. वो पूरी कठोरता से अपनी माँ को ठोकता हुए उसकी चूत में गाढ़े गर्म रस को उबलता हुआ महसूस करता है. उसका लॉडा अपनी माँ की चूत में तेज़ी से अंदर होते हुए फॅक फॅक का उँचा शोर पैदा करता है. रवि अपनी माँ को चोदते हुए उसके चेहरे को देख रहा था.
वो वाकई में एक खूबसूरत नज़ारा था. उसका मुँह ऐसे खुला हुआ था जैसे एक मछली पानी के लिए तरस रही हो. उसका चेहरा काम उन्माद और वासना के कारण तमतमाया हुआ था. रवि को लगता है जैसे वो किसी अश्लील फिल्म की शूटिंग कर रहा हो जिसका नायक वो खुद था.
"रुकना मत..उफफफ्फ़...उफफफफफ्फ़......और अंदर तक...और ज़ोर से..."
"ठोक मेरी चूत....ठोक अपनी माँ की चूत.....हे भगवान....हाए...हाए.......उफफफ्फ़....चोद अपनी माँ को.......चोद डाल"
रश्मि का जिस्म अकड़ जाता है और वो बुरी तरह से काँपने लग जाती है. वो झड रही थी और उसकी चूत कसते हुए रवि के लंड को निचोड़ रही थी. उसका बदन आनंद के चरम पर पहुँच कर झटके खा रहा था.
जब रवि अपनी माँ की चूत द्वारा अपने लंड को भींचते और कसते हुए महसूस करता है तो वो घस्से लगाना बंद कर देता है. वो अचंभित सा अपनी माँ को झड़ते हुए देखता है और इसमे एक जबरदस्त रोमांच का अनुभव करता है. जब रश्मि का झड़ना कुछ कम हो जाता है तो वो पूरी निर्दयता से अपना लंड उसकी चूत में दुबारा से घुसेड देता है और उसको बुरी तरह से चोदने लगता है.
"ओह.........ओह माँ.......ओह माँ! हॅयान्म चोद मुझे...... चोद अपनी मम्मी को...... ऐसे ही मेरे लाल.... चोद चोद कर फाड़ डाल मेरी चूत!"
"और ज़ोर से...और ज़ोर से....चोद अपनी माँ को जिसे चोदने के तू बरसों से सपने देखा करता था. ....हाए में मरी....उफफफ्फ़.....कितना मोटा लॉडा है मेरे लाल का....लगा दे पूरा ज़ोर.....मेरे बेटे...ऐसे ही चोद....उफ़फ्फ़ में फिर से झड़ने वाली हूँ....में फिर से झड़ने वाली हूँ...."
"देख कैसे तेरे मोटे लौडे ने मेरी चूत फैला दी है. तूने अपनी माँ की चूत का क्या हाल कर दिया है बेटा........हाए मेरी चूत...उफफफफ्फ़....हे मेरे भगवान .....आज तो लगता है में मज़े से मर ही जाऊंगी....मेरे लाल में तो तुझे बता भी नही सकती कि तू मुझे चोद कर कितना मज़ा दे रहा है. ....उफ़फ्फ़...कितना मज़ा है अपने बेटे से चूत मरवाने में ....अहह....हाँ और गहराई तक ठोक अपनी माँ की चूत......जड तक घुसेड अपना लॉडा......उफफफफफ्फ़
"अहह...आह. चोद डाल.....चोद डाल माँ को........हे भगवान मेरा निकलने वाला है....में झड रही हूँ....मेरे साथ साथ तुम भी बेटा....गिरा दो अपना माल मेरी चूत में.....भर दे अपनी मम्मी की चूत अपने गरम रस से..."
रवि आँखे बंद किए और दाँत भिंचे पूरे ज़ोर से अपनी माँ को चोदे जा रहा था. वो अपने टट्टों में वीर्य उबलता हुआ महसूस करता है और फिर हलाल होने वाले बकरे की तरह एक उँची कराह भरते हुए एक आखरी धक्का लगा कर अपना लॉडा अपनी माँ की चूत की जड तक पहुँचा देता है.
रश्मि अपनी चूत में जबरदस्त ऐंठन महसूस करती है और फिर उसकी चूत में गर्म वीर्य की बरसात सी होने लगती है. उसका मुँह एक घुटि चीख के रूप में खुल जाता है और कामोउन्माद के शिखर पर उसे उस वो आनंद प्राप्त होता है जिसके लिए वो पिछले दो सालों से तरस रही थी. उसकी चूत अति संकुचित होकर रवि के लौडे को निचोड़ रही थी. आनंद की चर्म अवस्था में वो अपना बदन झटक रही थी और उसके मुख से अनियंत्रित सिसकारियाँ फुट रही थी. धीरे धीरे उसका बदन शांत होने लगा और वो नज़र उठाकर अपने बेटे को देखती है जो अभी भी उसकी चूत में गहराई तक लंड घुसेडे हुए था.
"ओह बेटा..."वो सिसकती है. "तुमने तो कमाल कर दिया. एसा मज़ा जिंदगी में पहली बार मिला है."
"सच कहूँ मम्मी.....यह तो मेरी कल्पना से भी कही ज़यादा मज़ेदार था. उफ़फ्फ़ आपकी चूत....आपकी चूत का तो कोई जवाब नही...में हमेशा सोचा करता था कि कैसे लगेगा आपको चोद कर, अपनी मम्मी को चोद कर! मगर आज जब मेने आपको चोदा तो जाना ऐसे मज़े के बारे में तो कल्पना भी नही की जा सकती."
"मेरे ख़याल से मुझे चोदते वक़्त तुम्हे मुझे मम्मी कह कर नही पुकारना चाहिए" रश्मि हंसते हुए बोलती है.
"अच्छा! तो फिर में आपको क्या कह कर पुकारूँ?"
"मुझे नही मालूम" रश्मि हंसते हुए जवाब देती है"कुछ भी कह कर बुला सकते हो-गश्ती, रांड़, भोसड़ी की...कुछ भी...और चाहो तो मुझे सिर्फ़ रश्मि कह कर भी पुकार सकते हो."
"ओके! में आपको रांड़ नही मेरी रांड़ ...उम्म्म्म या फिर मेरी रंडी माँ. या फिर साली कुतिया.....उम्म्म सोचना पड़ेगा! मगर आपको चोदने के समय मम्मी कह कर पुकारने में भी अलग ही मज़ा है. यह एहसास कि में अपनी सग़ी माँ को चोद रहा हूँ अलग ही मज़ा देता है....मगर सोचना पड़ेगा...'
"हाँ वाकई में जब तुम अपना लॉडा मेरी चूत में फँसाए मुझे मम्मी मम्मी कहोगे तो मज़ा दुगना हो जाएगा. मगर ध्यान रहे तुम सिर्फ़ मुझे चोदने के वक़्त ही ऐसे नामों से या गालियाँ देकर पुकार सकते हो मगर बाकी पूरे समय में तुम्हारी माँ ही रहूंगी. और इस बात को कभी भूलना नही"
"नही भूलूंगा. वैसे भी आज आप को चोदकर मैं भी मादरचोद बन गया हूँ"
"एक बहुत ही बढ़िया और जानदार मादरचोद." रश्मि हँसती है और महसूस करती है रवि ने उसकी चूत से अपना लॉडा निकाल लिया था. "तुम्हारा बाप इस चूत को चोदते हुए कभी थकता नही था अब देखना है तुममे कितना दमखम है"
इस तरह दोनों माँ बेटे के बीच जब सेक्स का अवैध रिश्ता बना तो फिर कोई शर्म या संकोच की भावना नही रही और दोनो अपना जीवन प्यार और वासना के साथ अपना सुख पूर्वक गुजरने लगा
दोस्तो इसी के साथ विदा लेता हूँ फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त