desiaks
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उस समय तक वह और तअपनी चेहरा चादर से ढ़की थी। वह हमारे लण्ड को इस प्रकार अपने हथेली में कैद कर वह मसल रही थी। पर हम किसी प्रकार अब भी मटीया कर सोये सब कुछ कनखियों से देख कर मन ही मन बहुत उतावला हो रहे है।
अचानक उस औरत का चेहरा झलक सा गया। और उसकी चादर मुह पर से गिर गद्न पर आ गई थी। मैने देखा तो उस औरत को पहचान नहीं सका।
और सोचने लगा की यह औरत कौन है और इसे कभी देखा भी न था। यही सब सोच रहा था। ___ वह और काफी चोदास होने लगी थी। हम समझ गये की वह हमारे लण्ड को पकड़ वह काफी मस्ती में आने लगी है।
कभी कभी तो बेतहासा अपनी चुची को मसलने और कभी तो अपनी बुर पर हाथ रख वह जोरो से सहलाती हुइ वह सिसयाने भी लगी थी आवाज साफ सुनाई दे रहा था।
वह आह आह करती और अपने बदन को यह हमारे लूंगी के बंधन को धीरे से खोल दी।
जैसे ही लूंगी हमारे लण्ड से हटी तो मेरा लण्ड बाहर आते ही वह इतनी जोरा से फनफना की वह औरत देखकर कांप गयी।
और मेरा लण्ड एकदम नंगा होकर सामने चांदनी रात के उजाले में आसमान को ओर देखने लगा।
मैने जब अपने लण्ड को देखा तो हम अपने आप पर विश्वास नहीं कर सके की यह हमारा ही लण्ड होगा।
काफी मोटा और लम्बा...?
हम तो आत तक अपने लण्ड को इतना मोटा और लम्बा होते हुये नहीं देखा था।
आज तो उस औरत के हाथ से लगते ही पता नहीं हमारा लण्ड कैसे इतना लम्बा और मोटा हो गया।
लण्ड हमारा देखने लायक था। जिस प्रकार हम घोड़े और गदहे को रास्ते में देखा था। ठीक उसी प्रकार का हमारा लण्ड का आकार था।
वह औरत मेरे नंगे लण्ड को देखकर पागल की तरह करती वह झपाक सा पकड़ ली और वह अपनी नरम हाथ से सहलाते हुए वह उपर नीचे करने लगी तो मै सर से पांव तक गनगना उठा और हमारी सांसं तेज होने लगी।
आठ दस बार मेरे लण्ड को इस प्रकार उपर नीचे की तो मेरा लण्ड केले के छिलके की तरह अलग होता चला गया।
वह औरत एकदप से मस्ती में आ चुकी थी।
वह इतनी चोदास हो गई की देखी की वह एकदम अपने बदन से चादर को हटा एकदम से कमर से उपर नंगी हो गई। मैने जैसे ही नंगा बदन उस औरत का देखा तो हम पागल हो गये।
उसकी गोरी बदन और चौड़ी छाती को देख हम एकदम से चोदने के लिए पागल हाने लगा। उस समय छाती तो जवान छोकरी की तरह तो नही थी। पर उसकी चुची काफी बड़ी सी लग रही थी। औरी गडा नहीं होने के कारण लज तो थी। पर हमें उसे समय वह चची इतनी अच्छी लगने लगी की उसके सामने जवान छोकरी की चुची भी फीकी लगने लगी।
उस समय वह औरत हमारे लिये जवान लग रही थी। और खूबसूरत भी।
मै अब भी उस अवस्था में सोया था। मुझे ना तो हिम्मत हो रहा था ना ही उसे कुछ कहूं.... मै आगे देखना चाह रहा था कि उसके आगे वह औरत क्या, क्या करना चाह रही थी।
उस औरत को अपने फूफा के बेटी के शादी में आई हुई थी। उससे तो कई बार हम देख भी चूके थे।
पर चादर के घर होने के कारण हम उस औरत से कभी बात नहीं की थी। । क्योंकि उसका पति एकदम से बूढ़ा था। और वह पूरे परिवार के साथ फुफा के बेटी की शादी में आई हुई थी।
उसके साथ दो जवान बेटी भी थी। और एक जवान बेटा। जिसका शादी हो गया था। उस औरत का एक पोता **** वर्ष का था सभी परिवार शादी में आये हुए थे। - इसी से हम अनुमान लगा चुके थे कि वह चालीस से कम नहीं होगी....।
पर इतना सोचना उस समय मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। उस समय तो वही औरत हमे जवान छोकरी लग रही थी। जो हमारे नंगे लण्ड के इस तरह उपर नीचे कर रही थी कि वह रंगीन राते नजर आ रहा था.....।
देखा की वह औरत अब चोदास से पागल होकर वह तेजी के साथ मेरे लण्ड उपर नीचे करने लगी। और मेरा लण्ड लोहे से कड़ा होकर लाल लाल होने लगा।
अचानक उस औरत का चेहरा झलक सा गया। और उसकी चादर मुह पर से गिर गद्न पर आ गई थी। मैने देखा तो उस औरत को पहचान नहीं सका।
और सोचने लगा की यह औरत कौन है और इसे कभी देखा भी न था। यही सब सोच रहा था। ___ वह और काफी चोदास होने लगी थी। हम समझ गये की वह हमारे लण्ड को पकड़ वह काफी मस्ती में आने लगी है।
कभी कभी तो बेतहासा अपनी चुची को मसलने और कभी तो अपनी बुर पर हाथ रख वह जोरो से सहलाती हुइ वह सिसयाने भी लगी थी आवाज साफ सुनाई दे रहा था।
वह आह आह करती और अपने बदन को यह हमारे लूंगी के बंधन को धीरे से खोल दी।
जैसे ही लूंगी हमारे लण्ड से हटी तो मेरा लण्ड बाहर आते ही वह इतनी जोरा से फनफना की वह औरत देखकर कांप गयी।
और मेरा लण्ड एकदम नंगा होकर सामने चांदनी रात के उजाले में आसमान को ओर देखने लगा।
मैने जब अपने लण्ड को देखा तो हम अपने आप पर विश्वास नहीं कर सके की यह हमारा ही लण्ड होगा।
काफी मोटा और लम्बा...?
हम तो आत तक अपने लण्ड को इतना मोटा और लम्बा होते हुये नहीं देखा था।
आज तो उस औरत के हाथ से लगते ही पता नहीं हमारा लण्ड कैसे इतना लम्बा और मोटा हो गया।
लण्ड हमारा देखने लायक था। जिस प्रकार हम घोड़े और गदहे को रास्ते में देखा था। ठीक उसी प्रकार का हमारा लण्ड का आकार था।
वह औरत मेरे नंगे लण्ड को देखकर पागल की तरह करती वह झपाक सा पकड़ ली और वह अपनी नरम हाथ से सहलाते हुए वह उपर नीचे करने लगी तो मै सर से पांव तक गनगना उठा और हमारी सांसं तेज होने लगी।
आठ दस बार मेरे लण्ड को इस प्रकार उपर नीचे की तो मेरा लण्ड केले के छिलके की तरह अलग होता चला गया।
वह औरत एकदप से मस्ती में आ चुकी थी।
वह इतनी चोदास हो गई की देखी की वह एकदम अपने बदन से चादर को हटा एकदम से कमर से उपर नंगी हो गई। मैने जैसे ही नंगा बदन उस औरत का देखा तो हम पागल हो गये।
उसकी गोरी बदन और चौड़ी छाती को देख हम एकदम से चोदने के लिए पागल हाने लगा। उस समय छाती तो जवान छोकरी की तरह तो नही थी। पर उसकी चुची काफी बड़ी सी लग रही थी। औरी गडा नहीं होने के कारण लज तो थी। पर हमें उसे समय वह चची इतनी अच्छी लगने लगी की उसके सामने जवान छोकरी की चुची भी फीकी लगने लगी।
उस समय वह औरत हमारे लिये जवान लग रही थी। और खूबसूरत भी।
मै अब भी उस अवस्था में सोया था। मुझे ना तो हिम्मत हो रहा था ना ही उसे कुछ कहूं.... मै आगे देखना चाह रहा था कि उसके आगे वह औरत क्या, क्या करना चाह रही थी।
उस औरत को अपने फूफा के बेटी के शादी में आई हुई थी। उससे तो कई बार हम देख भी चूके थे।
पर चादर के घर होने के कारण हम उस औरत से कभी बात नहीं की थी। । क्योंकि उसका पति एकदम से बूढ़ा था। और वह पूरे परिवार के साथ फुफा के बेटी की शादी में आई हुई थी।
उसके साथ दो जवान बेटी भी थी। और एक जवान बेटा। जिसका शादी हो गया था। उस औरत का एक पोता **** वर्ष का था सभी परिवार शादी में आये हुए थे। - इसी से हम अनुमान लगा चुके थे कि वह चालीस से कम नहीं होगी....।
पर इतना सोचना उस समय मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। उस समय तो वही औरत हमे जवान छोकरी लग रही थी। जो हमारे नंगे लण्ड के इस तरह उपर नीचे कर रही थी कि वह रंगीन राते नजर आ रहा था.....।
देखा की वह औरत अब चोदास से पागल होकर वह तेजी के साथ मेरे लण्ड उपर नीचे करने लगी। और मेरा लण्ड लोहे से कड़ा होकर लाल लाल होने लगा।