मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति - Page 6 - SexBaba
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मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति

[font=verdana, geneva, lucida,]ये रब भी कितनी जल्दी अपना बदला पूरा कर लेता है ..

अभी कुछ देर पहले ही मैं अपने केबिन में यासमीन को नंगा करके उसके रसीले मम्मे चूस रहा था ...

और अब विकास अपने ही केबिन में मेरी बीवी के टॉप को ऊपर कर उसके मम्मे चूस रहा था ...

मैं उसके गोरे जिस्म की कल्पना कर रहा था...

मैंने उसकी लो वेस्ट जीन्स देखी थी ...
पहले भी वो कई बार पहन चुकी थी ...
मगर कच्छी के साथ ही पहनती थी ...
जीन्स उसके मोटे गदराये चूतड़ से ३-४ इंच नीचे तक ही आती थी ...
उसकी कच्छी का काफी हिस्सा दिखता रहता था ..

और अभी तो उसने बिना कच्छी के पहनी है ...

उसकी जीन्स का बटन उसकी चूत की लकीर से १ इंच ऊपर ही था और फिर २ इंच की चेन थी ..
जिसको खोलते ही उसकी चूत भी साफ़ दिख जाती थी ..
जीन्स इतनी टाइट थी कि बटन खुलते ही चेन अपने आप खुल जानी थी .. 

मैं यही सोच रहा था कि विकास पूरा मजा ले रहा होगा ..
१०० % उसकी उँगलियाँ मेरी बीवी कि चूत पर होंगी...

उधर उनकी आवाजें आनी कम तो हो गई थीं ..

मतलब अब उनके हाथ ज्यादा काम कर रहे थे ...

जूली: ओह विकास प्लीज मत करो ...
अह्हाआआआआ 
देखो मान जाओ ..कोई आ जायेगा अभी ...
और बखेरा हो जायेगा ....

पुच च च च च 
शप्र्र्र्र्र्र्र्र शपर र्र्र्र्र्र्र्र्र 
पुच 

विकास: क्या लग रही हो तुम यार ????
सच पूरा बम का गोला हो ...
यार तुम्हारी मुनिआ तो और भी प्यारी हो गई ...
लगता है जैसे स्कूल में पड़ने वाली लड़की की हो ...

जूली: हाँ मुझे पता है ...
मेरी बहुत छोटी हो गई है ...
और तुम्हारा बहुत बड़ा ....हा हा ...
अब अपना ये मुहं बंद करो ....ओके 
ज्यादा लार मत टपकाओ ...
अपना हाथ मेरी जीन्स से बहार निकालो ..चलो ..
मुझे जाना भी है ...यार...
बाहर अनु वेट कर रही होगी ...

अह्हाआआआ ओह बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स 
न यार ...ओह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह 

विकास: वाओ यार सच यहाँ से तो नजर ही नहीं हटती ..
क्या मजेदार और चिकनी है ...
और क्या खुश्बू है यार ....

जूली: अच्छा हो गया बस बहुत याराना ....
चलो अब पीछे हो ...

विकास: नहीं यार ऐसा जुल्म मत करो ...
ओह नहीं यार 
अभी रुको तो ...
बस एक मिनट ...यार 
अभी कर लेना बंद ...

जूली: क्यों अब क्या अंदर घुसोगे ...

विकास: अरे नहीं यार इतनी जगह कहाँ है इसमें ..
बस जरा अपने पप्पू को भी दिखा दूँ ...
बहुत दिनों से उसने कोई अच्छी मुनिया नहीं देखी ...

जूली: जी नहीं रहने दो ...ये कोई प्रदर्शनी नहीं है ..जो कोई भी आये और देख ले ...
उउउउइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ 
री रे रे 
बाप रे याआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र 
ये तो बहुत बड़ा और कितना गरम है ....
अह्ह्ह्ह्हाआआआआ 

ओह लगता है विकास ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था ....

विकास: अह्ह्ह ऐसे ही जान ..
कितना सुकून मिल रहा है इसको ...
ये तो तुम्हारे हाथ की गर्मी से ही पिघलने लगा ...

मुझे पता था ...
ये जूली की सबसे बड़ी कमजोरी थी ..
लण्ड देखते ही उसे अपने हाथ से पकड़ लेती थी ...
इस समय वो जरूर विकास का लण्ड पकड़ ..ऊपर से नीचे नाप रही होगी ...

विकास: अह्ह्ह्हाआआआ 

जूली: सच यार ...कितना मोटा और बड़ा हो गया है यार ये तो ...

विकास: आअह्ह्ह्ह्हाआ ....
अरे हाँ यार मुझे भी आज ये पहली बार इतना मोटा नजर आ रहा है ..
लगता है तुम्हारी मुनिया देख फूल रहा है शाला ...हा हा 

जूली: ओह सीधे रहो ना ..
मेरी जीन्स क्यों खींच रहे हो ...

विकास: अरे अह्ह्हाआआ ओह यार ये इतनी टाइट क्यों है ... नीचे क्यों नहीं हो रही ...
प्लीज जरा देर के लिए उतार दो न ...

जूली: बिलकुल नहीं ....
देखो मेरी जीन्स भी मना कर रही है ...
हमको और आगे नहीं बढ़ना है समझे ...

विकास: यार मैं तो मर जाऊँगा .....अह्ह्हाआ 

जूली: हाँ जैसे अब तक कुछ नहीं किया तो जैसे मर ही गए ....

विकास: यार जरा सी तो नीचे कर दो ..
मेरे पप्पू को मत तरसाओ ...
एक चुम्मा तो करा दो ना अपनी मुनिया का ....

जूली: तो यार पूरी तो बाहर है ...
लो अह्ह्ह्हाआआआ 
कितना गरम है यार ...
हो गया ना चुम्मा ...

ओह लगता है जूली ने विकास का लण्ड अपनी चूत से चिपका लिया था ....

विकास: आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआ नहीईईईईईईईईई 
ओर्र्र्र्र्र्र्र्र करो याआआआअरर्र्र्र्र्र्र 

जूली: क्या मोटा सुपाड़ा है यार ..
बिलकुल लाल मोटे आलू जैसा ....

विकास: हाइईन्न्न हैं ...कक्क क्या बोला तुमने ...

जूली: अरे यार इसको आगे वाले को सुपाड़ा ही कहते हों ना ...

विकास: हे हे व्व्वो हाँ बिलकुल ..
लेकिन तुम्हारे मुहं से सुनकर मजा आ गया ...
एक बात पूछूं ..क्या तुम सेक्स के समय इनके देशी नाम भी बोलती हो ...

जूली: आर्रीए हाँ यार ..वो सब तो अच्छा ही लगता है ना ...

विकास: वाओ यार मैं तो वैसे ही शर्मा रहा था ...
यार प्लीज मेरा लण्ड को कुछ तो करो यार ...

जूली: अरे तो कर तो रही हूँ ...
पर प्लीज उसके लिए मत कहना ...
मैं अभी तुम्हारे साथ कुछ भी करने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं हूँ ....

विकास: प्लीज यार अह्ह्ह्हाआआआआ 
ऐसे ही अह्ह्ह्हाआआआ 
तुम्हारे हाथ में तो जादू है यार ...
अह्ह्हाआआआआ ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह 
आअह्ह्ह्हाआआआआआआ 

पता नही चल रहा था कि जूली विकास के लण्ड से हाथ से ही कर रही थी ..या मुहं से ..
वैसे उसको तो चूसने की बहुत आदत थी .....

तभी ...
आह्ह्ह्हाआआआआआआआआ उउउउउ 

जूली: ओह तुमने मेरा पूरा हाथ ख़राब कर दिया ...
वैसे ...बहुुुुुुुुुुुु कितना सारा ...
यार आराम से ......
बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ना हो गया अब तो ....

ठक ठक ...ठक ठक ...

जूली: अर्र्र्र्र्र्र्र रे कौन आया ..????

विकास: अरे रामू होगा ...
कॉफ़ी लाया होगा ....
जल्दी से सही कर लो ...

.............
........................

विकास: आओ कौन है ...

....: हम हैं सर ...कॉफ़ी ....

विकास: अरे इधर स्टूल पर क्यों बैठ रही हो ..
सामने कुर्सी पर बैठो न ..

जूली: अरे नहीं मैं ठीक हूँ ...

विकास: हाँ लाओ रामू ....यहाँ रख दो ..???

रामू: जी सर ......

.....
....................ओह चााराआआक्क्क्क्क्क 
ओह सॉरी सर .....

विकास: देखकर नहीं रख सकते ....
सब गिरा दी .......
ओह ...............

........
.............
[/font]
 
[font=verdana, geneva, lucida,][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]हर अगला पल एक नए रोमांच को लेकर आ रहा था मेरे जीवन में ..

मैं फोन हाथ से पकडे ..कान पर लगाये ..हर हलकी से हलकी आवाज भी सुनने कि कोशिश कर रहा था ..

अभी-अभी मेरी बीवी ने अपने पुराने दोस्त के लण्ड को अपने हाथ से पकड़कर उसका पानी निकाला था ...

हो सकता है कि उसने लण्ड को चूमा भी हो ...

ना केवल उसने अपने दोस्त के लण्ड से खेला था ..
वल्कि अपने कपडे अपने कीमती खजाने ..वो अंग जो हमेशा छुपे रहते हैं ..
उनको भी नंगा करके उसने अपने दोस्त को दिखाया था ...

जहाँ तक मुझे समझ आया था ...
उसने अपनी चूचियाँ नंगी करके उससे चुसवाई..मसलवायीं ...
अपनी चूत को ना केवल नंगा करके दिखाया वल्कि चूत को दोस्त के हाथ से सहलवाया भी ..
हो सकता है उसने ऊँगली भी अंदर डाली हो ...

कुल मिलाकर दोनों अपना पूरा मनोरंजन किया था ...
और साथ में मेरा,अनु और आपका भी ...

उस आवाज से मुझे ये तो लग गया था कि वहां कुछ गिरा था ..
पर क्या ..कहाँ ...
और अभी वहां क्या चल रहा था ??
पता नहीं चल रहा था .......

तभी मुझे अनु की आवाज सुनाई दी ...

अनु : हेलो भैया ...

बहुत समझदार थी अनु ...
उसने मेरे दिल की बात सुन ली थी ...

मैं: हाँ अनु ..अभी क्या हो रहा है ...

अनु: हे हे भैया ..भाभी तो ना जाने क्या क्या कर रही थी अंदर ...
आपने सुना न ..हे हे हे हे ..

मैं: अरे तू पागलों की तरह हसना बंद कर ..
और सुन ...

अनु: क्या भैया ??

मैं: अरे तूने जो देखा ...और अभी ये सब क्या हुआ ..

अनु: अरे भाभी स्टूल पर बैठी है ना ..
तो वो चाय जो लेकर आया था उसने भाभी को देखते हुए ..चाय गिरा दी ...

मैं: अरे कहाँ गिरा दी ...और क्या देखा उसने ..

अनु: वो भाभी के बैठने से उनकी जीन्स नीचे हो गई थी ...और उनके चूतड़ देख रहे थे ..
बस उनको देखते ही उसने चाय मेज पर गिरा दी ...
हे हे हे हे बहुत मजा आ रहा है ..

मैं: ओह फिर ठीक है ...किसी पर गिरी तो नहीं ना ..

अनु: नहीं ...पर वो आदमी चाय पोछते हुए अभी भी भाभी के चूतड़ ही निहारे जा रहा है ..

मैं: क्यों जूली कुछ नहीं कर रही ??

अनु: अरे वो तो उसकी और पीठ करके बैठी हैं ना...
और उसकी नजर वहीँ है ..
घूर घूर कर देख रहा है ..

मैं: चल ठीक है तू अपनी जगह बैठ ..
शाम को मिलकर बात करते हैं ...

तभी मेरा केबिन में पिंकी प्रवेश करती है ...
ओह मैं सोच रहा था की यास्मीन को बुलाकर थोड़ा ठंडा हो जाता ...
क्युकि इस सब घटनाक्रम में लण्ड बहुत गरम हो गया था ...

मगर पिंकी को भी देख दिल खुश हो गया ...
आखिर आज सुबह ही उसकी चूत और गांड के दर्शन किये थे ...

पिंकी: मे आई कमिंग सर ..

मैं: हाँ बोलो पिंकी क्या हुआ ...??
क्या फिर टॉयलेट यूज़ करना है ...

वो बुरी तरह शरमा रही थी ..
उसकी नजर ऊपर ही नहीं उठ रही थी ..
पिंकी जमीन पर नजर लगाये ..आपने पैर से जमीन को रगड़ भी रही थी...

पिंकी: ओह ...ववव वो नहीं सर ... 

मैं: अरे यार ..तुम इतना क्यों शरमा रही हो ..
ये सब तो नार्मल चीज है ...
हम लोगो को आपस में बिलकुल खुला होना चाहिए ..तभी जॉब करने में मजा आता है ..
वरना रोज एक सा काम करने में तो बोरियत हो जाती है ...

पिंकी: जी सर ...
वो आज आपने मुझे देख लिया न तो इसीलिए ..

मैं : हा हा अरे व्ही ..मैं तो तुमको रोज ही देखता हूँ ..
इसमें नया क्या ...

मैं उसका इशारा समझ गया था ..पर उसको नार्मल करने के लिए बात को फॉर्मल बना रहा था ..
मैं चाह रहा था की जल्द से जल्द पिंकी खुल जाये और फिर से चहकने लगे ...

पिंकी: अरे नहीं सर आप भी ना ..

लग रहा था कि वो अब कुछ नार्मल हो रही थी ..
वो आकर मेरे सामने खड़ी हो गई थी ..

मैंने उसको बैठने के लिए बोला ..
वो मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गई ... 

पिंकी: वो सर आपने मुझे उस हालत में देख लिया था ..
मैं: ओह क्या यार ?? क्या सीधा नहीं बोल सकती कि नंगा देख लिया था ...

पिंकी: हम्म्म्म वही सर ....

मैं: अरे तो क्या हुआ ..?? 
वो तो यासमीन ने भी देखा था ...
और तुम्हारे बदन पर केवल तुम्हारे पति का कॉपी राइट थोड़ी है कि उसके अलावा कोई और नहीं देखेगा ....

पिंकी: क्या सर ?? आप कैसी बात करते हो ...
एक तो आपने मुझे वैसे देख लिया ...
और अब ऐसी बातें ...
मुझे बहुत शर्म आ रही है ...

मैं: ये गलत बात है पिंकी जी ...
कल से अपनी ये शर्म घर छोड़कर आना ..समझी ..वरना मत आना ...

पिंकी: नहीं सर ऐसा मत कहिये प्लीज ..यहाँ आकर तो मेरा कुछ मन बहल जाता है ...
वरना ...

मैं: अरे कोई परेसानी है क्या ???
पिंकी तुम्हारी शादी को कितना समय हो गया ...

पिंकी: यही कोई ४-५ साल ... 

मैं: फिर कोई बेबी ...

पिंकी: हुआ था सर पर रहा नहीं ...

मैं: ओह आई एम सॉरी ...

पिंकी: कोई बात नहीं सर ...

मैं: फिर दुबारा कोशिश नहीं की ...

पिंकी: डॉक्टर ने अभी मना कर रखा है सर ...

मैं: ओह ... तुम्हारी सेक्स लाइफ तो सही चल रही है ना ...

पिंकी: ह्म्म्म्म्म ठीक ही है सर ...

वो अब काफी नार्मल हो गई थी ...
मेरी हर बात को सहज ले रही थी ...

मैं: अरे ऐसे क्यों बोल रही हो ...??
कुछ गड़बड़ है क्या ??

पिंकी: नहीं सर ठीक ही है ...

वो अभी भी आपने बारे में सब कुछ बताने में झिझक रही थी ...

मैं माहोल को थोड़ा हल्का करने के लिए ..

मैं: वैसे पिंकी सच ..तुम अंदर से भी बहुत सुन्दर हो ..
तुम्हारा एक एक अंग साँचे में ढला है ...
बहुत खूबसूरत सच ...

पिंकी बुरी तरह से लजा गई ...

पिंकी: सर ....

मैं:अरे यार इतना भी क्या शरमाना ...

मैंने अपनी पेंट की ज़िप खोल अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था ...
क्युकि वो बहुत देर से तने तने ..अंदर दर्द करने लगा था ...

मेरा लण्ड कुछ देर पहले जूली और अब पिंकी की बातों से पूरी तरह खड़ा हो गया था ..
और लाल हो रहा था ...

मैं अपनी कुर्सी से उठकर ..
पिंकी के पास जाकर खड़ा हो जाता हूँ ...

मैं: लो यार अब शरमाना बंद करो ..
मैंने तो तुमको दूर से ही नंगा देखा ..पर तुम बिलकुल पास से देख लो ..
हा हा 
और चाहो तो छूकर भी देख सकती हो ..

पिंकी की आँखें फटी पड़ी थी ..
वो भौचक्की सी कभी मुझे और कभी मेरे लण्ड को निहार रही थी ...

मैं डर गया ...पता नहीं क्या करेगी ..???

..........
.....................
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]पिंकी मेरे केबिन में कुर्सी पर बैठी कसमसा रही थी ...

२८-२९ साल की एक शादीसुदा मगर बेहद खूबसूरत लड़की ...
जिसको मेरे यहाँ ज्वाइन किये अभी १ महीना भी नहीं हुआ था ...

उसकी आज सुबह ही मैंने नंगी चूत और चूतड़ के दर्शन कर लिए थे ..

और इस समय वो कुर्सी पर बैठी थी ...
मैं उसके ठीक सामने खड़ा था ...

मेरा लण्ड पेंट से बाहर था ..पूरी कड़ी अवस्था में ...

और वो पिंकी से चेहरे के इतना निकट था कि उसके बाल उड़ते हुए मेरे लण्ड से टकरा रहे थे ...

१००% उसको मेरे लण्ड कि खुश्बू आ रही होगी ...
जो आज सुबह से ही मस्त था ...
रंजू भाभी और यासमीन के थूक और चूत का पानी लण्ड पर चमक रहा था ...

क्युकि आज सुबह से तो मैंने एक बार भी लण्ड नहीं धोया था ...

पिंकी बहुत तेज साँसे ले रही थी ...
उसकी घबराहट बता रही थी ...कि उसको इस तरह सेक्स करने कि बिलकुल आदत नहीं थी ..

वो एक शर्मीली और शायद अब तक अपने पति से ही एक बंद कमरे में चुदी थी ...

और शायद अपने पति के अलावा उसने किसी का लण्ड नहीं देखा था ...

ज़माने भर कि घबराहट उसके चेहरे से नजर आ रही थी ...

पिंकी: स्स्स्स्स्स्स्सिर ये क्या क्क्क्कर रहे हैं आॅाप 
प्लीज इसको बंद कर लीजिये ....
कोई आ जाएगा ....

मैं अपने लण्ड को और भी ज्यादा आगे आकर ठीक उसके गाल से पास लहराते हुए ...

मैं: अरे क्या यार ...मैंने कहा ना यहाँ हम सब दोस्तों की तरह रहते हैं ...
जब मैंने तुम्हारे अंग देखे हैं तो तुम मेरे अच्छी तरह से देख लो ...
मैं नहीं चाहता की फिर मेरे सामने आते हुए तुमको जरा भी शर्म आये ...

पिंकी: ओह ..नननननही एआईसी कोई बाआत नहीं है ..
मुझे बहुत डर लललललग रहा है ...
प्लीज ........

पिंकी ने अपने दोनों हाथ अपनी आँखों पर रख लिए ..

अब मैंने अपना लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर लण्ड का टॉप पिंकी हाथों के पिछले हिस्सों पर रगड़ा ...

पिंकी के हाथ कांपने लगे ...

मैं: ये गलत बात है यार पिंकी ...
हम बाहर निकाले खड़े हैं और तुम देख भी नहीं रही ...

पिंकी के मुहं से जरा भी आवाज नहीं निकल रही थी ...

उसके लाल कापते होंठों को देख ...जो बस जरा से खुले थे ...
मेरा दिल बेईमान होने लगा ...

मैंने लण्ड को हिलाते हुए ही ...पिंकी की नाक के बिलकुल पास से लाते हुए ..उसके कांपते होंठों से हल्का सा छुआ ..

बस यही बो पल था ..जब पिंकी को अपने होंठ सूखे होने का एहसास हुआ ..और उसने अपनी जीभ निकाल अपने होंठो को गीला करने का सोची ..

और उसकी जीभ सीधे मेरे लण्ड के टॉप (सुपाड़ा) को चाट गई ...

लण्ड इस छुअन को बर्दास्त नहीं कर पाया ..और उसमे सो एक दो बून्द पानी की ..बाहर आ ..चमकने लगी....

पिंकी को भी शायद नमकीन सा स्वाद आया होगा ...

उसने एक चटकारा सा लिया ..कि ये कैसा स्वाद है ..

और अबकी बार उसने अपने हाथ अपनी आँखों से हटा लिए ...

पिंकी ने आँखे खोलकर जैसे ही लण्ड को अपने होंठो के इतने पास देखा ...
वो बुरी तरह शर्मा गई ...
और उसको एहसास हो गया कि ये जो उसने अभी लिया ..वो किस चीज का स्वाद था ....

उसकी तड़फन देख मुझे एहसास होइ रहा था ..कि ये इतनी जल्दी ..सब कुछ के लिए तैयार नहीं होगी ...

और मैं जबरदस्ती को बिलकुल भी पसंद नहीं करता था ...

मैं चाहता था कि पिंकी खुद पूरे खेल में साथ दे ..तभी मजा आएगा ...

मैंने पिंकी के दोनों हाथो को अपने हाथों में लेकर कहा ..

मैं: ओह इतना क्यों शरमा रही हो यार ... हम केवल थोड़ा सा एन्जॉय ही तो कर रहे हैं ...
जिससे हम दोनों को ही कुछ ख़ुशी मिल रही है ..
अगर तुमको अच्छा नहीं लग रहा तो कसम से मैं कभी तुम्हे बिलकुल परेसान नहीं करूँगा ..
वो तो तुम खुद को नंगा देखे जाने से इतना शरमा रही थी ..तभी मैंने तुम्हारी शरम दूर करने के लिए ही ये सब किया ...

पिंकी: व्व्व्व्व् वो बात नहीं ...स्स्स्स्सिर ...प्प्प्पर 

मतलब उसका भी मन था ..मगर पहली बार होने से शायद घबरा रही थी ...

इसका मतलब अभी उसको समय देना होगा ..

धीरे धीरे सब नार्मल हो जायेगा ...

मैं: अच्छा बाबा ठीक है ...अब एक किस तो कर दो ..
मैंने अंदर कर लिया ...

पिंकी जैसे ही आँखे खोलकर आगे को हुई ...
एक बार फिर मेरा लण्ड उसके होंठों पर टिक गया ..

अबकी बार तो कमल हो गया ..

पिंकी ने अपने हाथ से मेरा लण्ड पीछे करते हुए कहा ..

पिंकी: ओह सर ..आप भी ना ....इसको अंदर कर लो ..मैं अभी इस सबके लिए तैयार नहीं हूँ ....

मेरे दिल ने एक जैकारा लगाया ..वाओ इसका मतलब बाद में तैयार हो जाएगी ...

मैंने उसको ज्यादा परेसान करना ठीक नहीं समझा ...

मैंने अपना लण्ड किसी तरह पेंट में अंदर कर नार्मल हो अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया ...

पिंकी अपनी जगह से उठकर ...

पिंकी: सॉरी सर मैंने आपका दिल दुखाया ...
फिर कमबख्त कातिल मुस्कुराहट के साथ पूछती है ..
क्या मैं आपका बातरूम यूज़ कर सकती हूँ ..

मेरे कोई रिस्पांस न देने पर भी वो मुस्कुराती हुई बाथरूम में घुस जाती है ...

मैं कुछ देर तक उसकी हरकतों के बारे में सोचता रहता हूँ ...

फिर अचानक से मुझे जोश आ जाता है ...
कि देखू तो सही कि कैसे शुशु कर रही है ...

और अपनी जगह से उठकर बाथरूम से दरवाजे तक जाता हूँ ...

अपने ख्यालों में उसकी शुशु करती हुई तस्वीर लिए मैं बाथरूम का दरवाजा पूरा खोल देता हूँ ....

और ....

..........
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[/size][/font][/size][/size][/font][/size]
 
[font=verdana, geneva, lucida,][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]मैं कई तरह से सोचता हुआ कि .....

ना जाने बाथरूम में पिंकी क्या कर रही होगी ..??

अभी सूसू कर रही होगी ...
या कर चुकी होगी ...

कमोड पर साड़ी उठाये बैठी होगी ...

या वैसे ही कड़ी होगी जैसा मैंने सुबह देखा था ..

कहते हैं कि ये मन वावला होता है ...

ये प्रतयक्ष प्रमाण मेरे सामने था ....

१ मिनट में ही मेरे मन ने पिंकी के ना जाने कितने पोज़ बना दिए थे ...

और दरवाजा खोलते ही ये सब के सब धूमिल हो गए ...

पिंकी सीसे के सामने खड़े हो अपने बाल ठीक कर रही थी ...

उसने बड़े नार्मल ढंग से मुझे देखा ..जैसे उसको पता था कि मैं जरूर आऊंगा ...

अमूमन उसको चोंक जाना था .. मगर ऐसा नहीं हुआ ..

वो मुझे देख म मुस्कुराई ...

पिंकी: क्या हुआ ??

मैं: कुछ नहीं यार ... मेरा भी प्रेशर बन गया था ...
और उसको नजरअंदाज कर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल उसके उसकी और पीठ कर मूतने लगा ...

ये बहाना नहीं था ... 
इस सबके बाद मुझे बाकई बहुत तेज प्रेशर बन गया था ...

मैंने गौर किया पिंकी पर कोई फर्क नहीं पड़ा ...वो वैसे ही अपने बाल बनाती रही ...

और शायद मुस्कुरा भी रही थी ...

बहुत मुस्किल है इस दुनिया में ..नारी को समझ पाना..
और उनके मन में क्या है ...ये तो उतना ही मुस्किल है जैसे ये बताना कि अंडे में मुर्गा है या मुर्गी ...

मूतने के बाद मैंने जोर जोर से पाने लण्ड को हिलाया ..
ये भी आज आराम के मूड में बिलकुल नहीं था ...

अभी भी १८० एंगल पर खड़ा था ...

मैं लैंड को हिलाते हुए ही पिंकी के पास चला गया ...

आवो वाशबेसिन के सीसे पर ही अपने बाल बना रही थी ...

मैं लण्ड को पेंट से बाहर ही छोड़ अपने हाथ धोने लगा ..

पिंकी ने फोर्मली मुझे देखा ...

पिंकी: अरे ...इसको अंदर क्यों नहीं करते ??

मैं: हा हा (हँसते हुए) ...तुमको शर्म नहीं आती जहाँ देखो वहीँ अंदर करने की बात करने लगती हो ...हा हा 

वो एक दम मेरी द्विअर्थी बात समझ गई ...

और समझती भी क्यों नहीं ...
आखिर शादीसुदा और कई साल से चुदवाने वाली अनुभवी नारी थी ...

पिंकी: जी वहां नहीं ...मैं पेंट के अंदर करने की बात कर रही हूँ ...

मैं: ओह मैं समझा कि साड़ी के अंदर ..हा हा ...

पिंकी: हो हो वस हर समय आपको यही बाते सूझती हैं ...

मैं: अरे यार अब ...जब तुमने बीवी वाला काम नहीं किया तो उसकी तरह व्यबहार भी मत करो ...
ये करो ...वो मत करो ...
अरे यार जो दिल मैं आये ....जो अच्छा लगे ...
वो करना चाहिए ...

पिंकी: इसका मतलब पराई स्त्री के सामने अपना बाहर निकाल कर घूमो ....

मैं: पहले तो आप ..हमारे लिए पराई नहीं हो ...
और ये ही ऐसी जगह है जहाँ इस बेचारे को आज़ादी मिलती है ...
और पिंकी डिअर मुझको कहने से पहले ..अपना नहीं सोचती हो ...

पिंकी: मेरा क्या ...?? मैं तो ठीक ही खड़ी हूँ ना ...

मैं: मैं अब की नहीं ..सुबह की बात कर रहा हूँ ...
कैसे अपनी साड़ी पूरी कमर से ऊपर तक पकडे और वो सेक्सी गुलाबी कच्छी नीचे तक उतारे... 
अपने सभी अंगों को हवा लगा रही थीं ...
तब मैंने तो कुछ नहीं कहा ...

पिंकी: ओह आप फिर शुरू हो गए ...
अब बस भी करो ना ...

मैं: क्यों तुम अपना बाहर रखो कोई बात नहीं ...पर मेरा बाहर है तो तुमको परेसानी हो रही है ...

पिंकी: अरे आप हमेशा बाहर रखो ..और सब जगह ऐसे ही घूमो ...मुझे क्या ??

पिंकी मेरे से अब काफी फॉर्मल होने लगी थी ...

मेरा प्लान ..उसको ओपन करने का ..कामयाब होने लगा था ....

पिंकी: अच्छा मैं चलती हूँ ...उसने एक पैकेट सा वाशबेसिन की साइड से उठाया ...

मेरी जिज्ञासा बड़ी अरे इसमें क्या है ???
वो शायद टॉयलेट पेपर में कुछ लिपटा था ...
मैंने तुरंत उसके हाथ से झपट लिया ..

मैं: ये क्या लेकर जा रही हो यहाँ से ...

और छीनते ही वो खुल गया ...

तुरंत एक कपडा सा नीचे गिरा ..

अरे ये तो पिंकी की कच्छी थी ...

वही सुबह वाली ..सेक्सी, हलके नेट वाली ...गुलाबी ..

पिंकी के उठाने से पहले ही मैंने उसको उठा लिया ...

मेरा हाथ में कच्छी का चूत वाले हिस्से का कपडा आया ...

जो काफी गीला और चिपचिपा सा था ...

ओह तो पिंकी ने बाथरूम में आकर अपनी कच्छी निकाली थी ...
ना की सूसू की थी ...
इसका मतलब उस समय ये भी पूरी गीली हो गई थी ..
पिंकी ने मेरे लण्ड को पूरा एन्जॉय किया था ..
बस ऊपर से नखरे दिखा रही थी ...

पिंकी: उफ्फ्फ्फ्फ़ क्या करते हो ??
दो मेरा कपडा ...

मैं: अरे कौन सा कपडा व्ही ...??
मैंने उसके सामने ही उसकी कच्छी का चूत वाला हिस्सा अपनी नाक पर रख सूंघा ...
अरे ये तो लगता है तुमने कच्छी में ही सूसू कर दी ..

पिंकी: जी नहीं वो सूसू नहीं है ...
प्लीज मुझे और परेसान मत करो ...
दे दो ना ये ...

मैं: अरे बताओ तो यार क्या ...???

पिंकी: मेरी पैंटी ..बस हो गई ख़ुशी ...अब तो दो ना .,

मैं: जी नहीं ये तो अब मेरा गिफ्ट है ...
इसको मैं अपने पास ही रखूँगा ...

पिंकी चुपचाप पैर पटकते हुए ... बाथरूम और फिर केबिन से भी बाहर चली जाती है ...

पता नहीं नाराज होकर या .....

फिर मैं कुछ काम में बिजी रहता हूँ ...

शाम को फोन चेक करता हूँ तो २-३ मिसकॉल जूली की थीं ...

मैं कॉल बैक करता हूँ ...

जूली: अरे कहाँ थे आप ...मैं कतना कॉल कर रही थी आपको ...

मैं: क्या हुआ ??

जूली: सुनो... मेरी जॉब लग गई है ..
वो जो स्कूल है न उसमे ...

मैं: चलो मैं घर आकर बात करता हूँ ...

जूली: ठीक है ...हम भी बस पहुँचने ही वाले हैं ...

मैं: अरे अभी तक कहाँ थीं ..

जूली: अरे वो वहां साड़ी में जाना होगा ना ...
तो वही शॉपिंग और फिर टेलर के यहाँ टाइम लग गया ..

मैं: ओह ...चलो तुम पहुँचो ...
मुझे भी १-२ घंटे लगेंगे ...

जूली: ठीक है कॉल कर लेना ..जब आओ तो ...

मैं: ओके डार्लिंग ...बाय..

जूली: बाय जानू ...

मैं अब ये सोचने लगा कि यार ये शाम के ६ बजे तक बाजार में कर क्या रही थी ..??

और टेलर से क्या सिलवाने गई थी ...??
है कौन ये टेलर ???

........
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]पहले मैं घर जाने कि सोच रहा था ...

पर इतनी जल्दी घर पहुंचकर करता भी क्या ?

अभी तो जूली भी घर नहीं पहुंची होगी .....

मैं अपनी कॉलोनी से मात्र १० मिनट कि दूरी पर ही था ...

सोच रहा था कि फ्लैट कि दूसरी चावी होती तो चुपचाप फ्लैट में जाकर छुप जाता ...

और देखता वापस आने के बाद जूली क्या क्या ..करती ...

पर चावी मेरे पास नहीं थी ......

अब आगे से ये भी ध्यान रखूँगा ....

तभी अनु का ध्यान आया ....

उसका घर पास ही तो था ...
एक बार मैं गया था जूली के साथ ....

सोचा चलो उसके घर वालों से मिलकर बता देता हूँ ..
और उन लोगों को कुछ पैसे भी दे देता हूँ ...

अब तो अनु को हमेशा अपने पास रखने का दिल कर रहा था ...

गाड़ी को गली के बाहर ही खड़ा करके ...
किसी तरह उस गंदी सी गली को पार करके मैं एक पुराने से छोटे से घर में घर के सामने रुका... 

उसका दरवाजा ही टूटफूट के टट्टों और टीन से जोड़कर बनाया था ...

मैंने हलके से दरवाजे पर नोक किया ...

दरवाजा खुलते ही मैं चोंक गया ...
खोलने वाली अनु थी ...

उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहना था ...
मुझे देखते ही खुश हो गई ...

अनु: अरे भैया आप...

मैं: अरे तू यहाँ ...मैं तो समझ रहा था कि तू अपनी भाभी के साथ होगी ...

अनु: अरे हाँ ..मैं कुछ देर पहले ही तो आई हूँ ...
वो भाभी ने बोला ..अब शाम हो गई है तू अब घर जा ..
और कल सुबह जल्दी बुलाया है ...

मैं अनु के घर के अंदर गया ..मुझे कोई नजर नहीं आया ...

मैं: अरे कहाँ है तेरे मां पापा ...

अनु: पता नहीं ...सब बाहर ही गए हैं ...
मैंने ही आकर दरवाजा खोला है ...

बस उसको अकेला जानते ही मेरा लण्ड ..फिर से खड़ा हो गया ... 

मैं ..वहीँ पड़ी ..एक टूटी सी चारपाई पर बैठते हुए ..
अनु को अपनी गोद में खींचता हूँ ...

अनु दूर होते हुए ...

अनु: ओह ..यहाँ कुछ नहीं भैया ...
कोई भी अंदर देख सकता है ..
और सब आने वाले ही होंगे ...
मैं कल आउंगी ना ..तब कर लेना ...

वह रे अनु ...वो कुछ मना नहीं कर रही थी ...
बस उसको किसी के देख लेने का घर था ..
क्युकि अभी बो अपने घर पर थी तो ...

कितनी जल्दी ये लड़की तैयार हो गई थी ...
जो सब कुछ खुलकर बोल रही थी ..

मैं अनु और पिंकी की तुलना करने लगा ...

ये जिसने ज्यादा कुछ नहीं किया ..कितनी जल्दी सब कुछ करने का सहयोग कर रही थी ...

और उधर वो अनुभवी ..सब कुछ कर चुकी पिंकी ..कितने नखरे दिखा रही थी ...

शायद भूखा इंसान हमेशा खाने के लिए तैयार रहता है ..ये बात थी ..या अनु की गरीबी ने उसको ऐसा बना दिया था .

मैंने अनु के मासूम चूतड़ों पर हाथ रख उस अपने पास किया ..और पूछा ..

मैं: अरे मेरी गुड़िया ..मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा ...
ये तो बता जूली खुद कहाँ है ...

अनु: वो तो अब्दुल अंकल के यहाँ होंगी ...
वो उन्होंने ३ साड़ी ली हैं ना ..तो उसके ब्लाउज और पेटीकोट को सिलने देना था ...

मैं: अरे कुछ देर पहले फोन आया था ..कि वो तो उसने दे दिए थे ...

अनु: नहीं वो बाजार वाले दरजी ने मना कर दिया था ..
वो बहुत देर मैं सिलकर देने वाला था ..
तो भाभी ने उसको नहीं दिया ...
और फिर मुझको छोड़कर .अब्दुल अंकल के यहाँ चली गई ...

मैं सोचने लगता हूँ की अरे वो अब्दुल वो तो बहुत कमीना है ...

और जूली ने ही उससे कपडे सिलाने को खुद ही मना किया था ...

तभी ...
अनु के चूतड़ों पर फ्रॉक के ऊपर से ही हाथ रखने पर मुझे उसकी कच्छी का एहसास हुआ ...

मैंने तुरंत ..अचानक ही उसके फ्रॉक को अपने दोनों हाथ से ऊपर कर दिया ...

उसकी पतली पतली जाँघों में हरे रंग की बहुत सुन्दर कच्छी फंसी हुई थी ...

अनु जरा सा कसमसाई ...
उसने तुरंत दरवाजे की ओर देखा ...

और मैं उसकी कच्छी और कच्छी से उभरे हुए उसके चूत वाले हिस्से को देख रहा था ...

उसके चूत वाली जगह पर ही मिक्की माउस बना था ..

मैंने कच्छी के बहाने उसकी चूत को सहलाते हुए कहा ..

मैं: ये तो बहुत सुन्दर है यार ..

अब वो खुश हो गई ...

अनु: हाँ भैया ..भाभी ने दो दिलाई ..
और वो मुझसे छूटकर तुरंत दूसरी लेकर आती है ..

वो भी वैसी ही थी पर लाल सुर्ख रंग की ..

मैं: वाओ ..चल ये भी पहनकर दिखा ...

अनु: नहीं अभी नहीं ...कल ..

मैं भी अभी जल्दी में ही था ...
और कोई भी वाकई आ सकता था ...

फिर मैंने सोचा क्या अब्दुल के पास जाकर देखू वो क्या कर रहा होगा ...??

पर दिमाग ने मना कर दिया ...मैं नहीं चाहता था ..कि जूली को शक हो कि मैं उसका पीछा कर रहा हूँ ...

फिर अनु को वहीँ छोड़ ...मैं अपने फ्लैट कि ओर ही चल दिया ...
सोचा अगर जूली नहीं आई होगी तो कुछ देर रंजू भाभी के यहाँ ही बैठ जाऊंगा ..

और अच्छा ही हुआ जो मैं वहां से निकल आया ...
वाहर निकलते ही मुझे अनु कि माँ दिख गई ..
अच्छा हुआ उसने मुझे नहीं देखा ...

मैं चुपचाप वहां से निकल... गाड़ी ले.... अपने घर पहुंच जाता हूँ ...

मैं आराम से ही टहलता हुआ तिवारी अंकल के फ्लैट के सामने से गुजरा ...

दरवाजा हल्का सा भिड़ा हुआ था बस ...
और अंदर से आवाजें आ रही थीं ...

मैं दरवाजे के पास कान लगाकर सुनने लगा ..
कि कहीं जूली यहीं तो नहीं है ...

रंजू भाभी: अरे अब कहाँ जा रहे हो ..कल सुबह ही बता देना ना ...

अंकल: तू भी न ..जब बो बोल रही है तो ..उसको बताने में क्या हर्ज है ..
उसकी जॉब लगी है ..
उसके लिए कितनी ख़ुशी का दिन है ...

रंजू भाभी: अच्छा ठीक है जल्दी जाओ और हाँ वैसे साड़ी बंधना मत सिखाना ..जैसे मेरे बांधते थे ..

अंकल: हे हे तू भी ना ..तुझे भी तो नहीं आती थी साड़ी बांधना ...
तुझे याद है अभी तक कैसे मैं ही बांधता था ..

रंजू भाभी: हाँ हाँ ..मुझे याद है ..कि कैसे बांधते थे ..
पर वैसे जूली की मत बाँधने लग जाना ..

अंकल: और अगर उसने खुद कहा तो ...

रंजू: हाँ वो तुम्हारी तरह नहीं है ...तुम ही उस वैचारी को बेहकाओगे ..

अंकल: अरे नहीं मेरी जान ..बहुत प्यारी बच्ची है ..
मैं तो बस उसकी हेल्प करता हूँ ..

रंजू: अच्छा अब जल्दी से जाओ ..और तुरंत वापस आना ...

मैं भी तुरंत वहां से हट ..एक कोने में को चला जाता हूँ ..
वहां कुछ अँधेरा था ...

इसका मतलब तिवारी अंकल मेरे घर ही जा रहे हैं ..
जूली यहाँ पहुंच चुकी है ...

और अंकल उसको साड़ी पहनना सिखाएंगे ...

वाओ ..मुझे याद है कि जूली ने शादी के बाद बस ५-६ बार ही साड़ी पहनी है ...

वो भी तब... जब कोई फैमिली फंक्शन हो तभी.... 

और उस समय भी उसको कोई ना कोई हेल्प ही करता था ...

मेरे घर कि महिलायें ना कि पुरुष ...

पर अब तो अंकल उसको साड़ी पहनाने में हेल्प करने वाले थे ...

मैं सोचकर ही रोमांच का अनुभव करने लगा था ...

कि अंकल ..जूली को कैसे साड़ी पहनाएंगे ...

पहले तो मैंने सोचा कि चलो जब तक अंकल नहीं आते ..रंजू भाभी से ही थोड़ा मजे ले लिए जाएँ ..

पर मेरा मन जूली और अंकल को देखने का कर रहा था ...

किचिन की ओर गया ...

खिड़की तो खुली थी ...
पर उस पर चढ़कर जाना संभव नहीं था ...
इसका भी कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा ...

फिर अपने मुख्य गेट की ओर आया ...

और दिल बाग़ बाग़ हो गया ...

जूली ने अंकल को बुलाकर गेट लॉक नहीं किया था ...

क्या किस्मत थी यार ...??

और मैं बहुत हलके से दरवाजा खोलकर अंदर देखता हूँ ...

और मेरी बांछे खिल जाती हैं ...

अंदर ...इस कमरे में कोई नहीं था ...

शायद दोनों बैडरूम में ही चले गए थे ...

बस मैं चुपके से अंदर घुस दरवाजा फिर से वैसे ही भिड़ा देता हूँ ...

और चुपके चुपके ..बैडरूम की ओर बढ़ता हूँ ...

जाने क्या देखने को मिले .....????
........
......................
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]मेरे सभी प्यारे दोस्तों ....
जिंदगी के कुछ ऐसे पहलू होते हैं ...जहाँ हमारा समाज कई भागों में बंट जाता है ...

मैं शायद इस सबका अकेला जवाब नहीं दे सकता ...

आप यकीन करो या मत करो ...

मैं कई बार खुद को बहुत बेचारा सा समझने लगा था ..

ये केवल सेक्स की पूर्ति के लिए ही नहीं था ...

हमारा समाज कितना भी नारी शक्ति और उनके अधिकारों का ढिंढोरा पीट ले ...
परन्तु अंत में सब ओर पुरुष प्रधानता ही नजर आती है ...

शायद बहुत से पुरुष छुपकर तो उस सबको मानते हैं और शायद करते भी हैं ...
पर समाज के सामने फिर से वही दकियानूसी मुखौटा लगा लेते हैं ...

सभी दोस्त लोग सोच रहे होंगे कि अरे कहीं किसी दूसरी कहानी में नहीं आ गए ...
या ये आज इस राइटर को हो क्या गया है ...
जो उपदेश और शिक्षा जैसी बात करने लगा है ...

तो दोस्तों बहुत से मेल ...सन्देश ..और कमेंट से प्राप्त आपकी शंकाओं का उत्तर आज सार्वजनिक रूप से दे रहा हूँ ...

दोस्तों मेरे दिल में भी पहले पहले बहुत आता था ..
कि मेरी पत्नी है ..उसका सब कुछ मेरा है ...
कोई कैसे उसको अश्लील नजरों से देख सकता है ...
कोई कैसे उसको छू सकता है ...

फिर जब खुद को देखा तो ...
चाहे कैसी भी नारी दिख जाये ..
जब तक दिखती रहती है ...
नजरों ही नजरों में उसको पूरा नंगा कर देते हैं ..
उसके अंदर तक कपडे देख लेते है ..
कि यार इसने ब्रा पहनी है या नहीं ..अरे इसने तो कच्छी ही नहीं पहनी ..
और अगर पहनी है ...तो इस रंग की है ...
जरा सा मौका मिला नहीं कि उसको हर जगह छूने कि कोशिश करते हैं ...

जब हम नारी के बराबर अधिकारों कि बात करते हैं तो जो सब कुछ पुरुष कर सकता है ..
वो नारी क्यों नहीं ...??

जब पुरुष किसी और नारी को चोदने से बुरा नहीं हो जाता तो नारी क्यों ...??

जब पुरुष किसी नारी पर गंदे कमेंट्स कर सकता है ..
तो नारी क्यों नहीं कर सकती ...

जब हम पुरुष किसी सेक्सी नारी को देख उसको पाने का प्रयास कर सकते हैं ..
तो नारी को भी अपनी पसंद के पुरुष से सम्बन्ध बनाने का पूरा अधिकार है ..

हो सकता है मेरी इन बातों से बहुत से पुरुषों के पुरुषत्व पर ठेस पहुंचे .. 
क्युकि वो तो नारी पर सिर्फ अपना अधिकार समझते हैं ..
लेकिन दोस्त मर्दानगी सामान समझने में है ..
न कि केवल अपना सोचने में ...
क्युकि मेरी समझ के अनुसार ऐसे मानसिक रोगी ही बलात्कार को जन्म देते हैं ..
और खुद को मर्द समझते हैं ...

मेरी समझ में नपुंषक ..जो सेक्स ना कर पाएं वो नहीं ...
वल्कि वो हैं जो नारी के प्रति बहुत छोटी सोच रखते हैं ..

दोस्तों मैं भी अपनी प्यारी पत्नी जूली को बहुत प्यार करता हूँ ...
और जब मैं हर तरह से एन्जॉय करता हूँ ..
तो ये अधिकार उसको भी है ...

हाँ अगर कोई उसको परेसान करेगा ..
या उसकी मर्जी के बिना उसको गन्दी नजर से देखेगा भी ..
तो माँ कसम ..उसकी आँखें निकाल लूंगा ...

और हाँ मेरी कहानी का टाइटल ..
मेरी बीवी कि बेकरारी ..केवल सेक्स के लिए ही नहीं ..
वल्कि हमेशा कुछ नया पाने और नया करने के लिए ही है ...
मैं बेचारा ...जरा सोचना ...
जब कोई मेरी बीवी को किसी और पुरुष के निकट देखता है ..
तो केवल उसके मुहं से यही निकलता है ...
बेचारा रोबिन ...
और अपनी बीवी की हर बेकरारी देखने के लिए मैं इस कदर बैचेन रहता हूँ ..
कि कई बार खुद को बेचारा ही समझता हूँ ...

दोस्तों अभी तो कहानी की शुरुआत मात्र है ..
यकीन मानो आपका प्यार मिला तो ये कहानी सालों साल चलती रहेगी ...

अब तो आप लोगों की आदत सी हो गई है ...

अपनी हर बात आपसे शेयर करने का मन होता है ...

ये भी उतना ही सत्य है ...कि मैं इस कहानी के एक भी भाग के बारे में जरा भी नहीं सोचा ..

सीधे सीधे यही लिखना शुरू करता हूँ ...
मेरे पास कहीं इस कहानी का कुछ भी अंश नहीं है ..
बस जितना याद आता जाता है ..वो ही लिखता रहता हूँ ...
इसीलिए कुछ मिस्टेक भी हो जाती हैं ...

मगर आप लोग मेरी हर गलती को भी स्वीकार करते हो ..
और भरपूर तारीफ एवं प्यार देते हो ..
आपका बहुत बहुत शुक्रिया ...

आपका रोबिन ...
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]कमरे में प्रवेश करते हुए एक डर सा भी था ..
बताओ अपने ही घर में घुसते हुए डर लग रहा था ..

जबकि पडोसी मेरी बीवी के साथ बेधड़क ..मेरे बेडरूम में घुसा था ...

और ना जाने क्या-क्या कर रहा था ...

मैं बहुत धीमे क़दमों से इधर उधर देखते हुए आगे बढ़ रहा था ..
कि कहीं कोई देख ना ले ..

सच खुद को इस समय बहुत बेचारा समझ रहा था ...

मुझे अच्छी तरह याद है करीब एक साल पहले ..एक फैमिली शादी के फंक्शन में भी जूली को साड़ी नहीं बंध रही थी...

तब उसके ताऊ जी ने उसकी हेल्प की थी ...
पर उस समय मैं नहीं देख पाया था ..कि कैसे उन्होंने जूली को साड़ी पहनाई ..

क्युकि ताउजी ने सबको बाहर भेज दिया था ...

और मैंने या किसी ने कुछ नहीं सोचा था ...

क्युकि ताउजी बहुत आदरणीय थे ...

मगर अब तिवारी अंकल को देखने के बाद तो किसी भी आदरणीय पर भी भरोसा नहीं रहा था ...

फ़िलहाल किसी तरह मैं बेडरूम के दरवाजे तक पहुंचा ..

दरवाजे पर पड़ा परदा मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं था ...

इसके लिए मैंने मन ही मन अपनी जान जूली को धन्यवाद दिया ...

क्युकि ये मोटे परदे उसी की पसंद थे ..
जो आज मुझे छिपाकर ..उसके रोमांच को दिखा रहे थे ...

अंदर से दोनों की आवाज आ रही थी ...

मैंने अपने को पूरी तरह छिपाकर ..
परदे को साइड से हल्का सा हटा अंदर झाँका ...

देखने से पहले ही ....मेरा लण्ड पेंट में पूरी तरह से अपना सर उठकर खड़ा हो गया था ...

उसको शायद मेरे से ज्यादा देखने की जल्दी थी ...

अंदर पहली नजर मेरी जूली पर ही पड़ी ..

माय गॉड ..ये ऐसे गई थी आज ..
पूरी क़यामत लग रही थी ..मेरी जान ...

उसने अभी भी जीन्स और टॉप ही पहना था ...

पर्पल कलर की लो वेस्ट जींस और सफ़ेद शर्ट नुमा टॉप ...
जो उसकी कमर तक ही था ...

टॉप और जींस के बीच करीब ६-७ इंच का गैप था ..
जहाँ से जूली की गोरी त्वचा दिख रही थी ...

जूली की बैक मेरी ओर थी ,...

इसलिए उसके मस्त चूतड़ जो जींस के काफी बाहर थे वो दिख रहे थे ...

अब मैंने उनकी बातें सुनने का प्रयास किया ...

अंकल: अरे बेटा तू चिंता ना कर ...
मैं सब सेट कर दूंगा ...

जूली: हाँ अंकल ..आप कितने अच्छे हो ...
मगर भाभी की ये साड़ी मैं कैसे पहनूंगी ...

अंकल: अरे मैं हूँ ना ... तू ऐसा कर तेरे पास जो भी पेटीकोट और ब्लाउज हों वो लेकर आ ...
मैं अभी मैच कर देता हूँ ...
देखना तू कल स्कूल में सबसे अलग लगेगी ...

जूली: हाँ अंकल ...में भी चाहती हूँ कि ..मेरी जॉब का पहला दिन सबसे अच्छा हो ...
मगर इस साड़ी ने सब व्यवधान डाल दिया ..

अंकल: तू जो साड़ी लाई है ..हैं तो सब बढ़िया ...

जूली: हाँ अंकल ..मगर इनके ब्लाउज, पेटीकोट तो कल शाम तक ही मिलेंगे ना ...
बस कल की चिंता है ...

जूली बेडरूम में ही अपनी कपड़ों की रेक में खोजने लगती है ...
मुझे याद है कि उसके पास कोई ३-४ ही साड़ी थीं ..
जो उसने शुरू में ही ली थी ...
और सभी साड़ी फंक्शन में पहनने वाली हैवी साड़ी थीं ..
जो नार्मल नहीं पहन सकते ...
शायद इसीलिए वो परेसान थी ...

तभी जूली अपनी रेक के सबसे नीचे वाले भाग को देखने के लिए उकड़ू बैठ गई ...

मैंने साफ़ देखा कि ..उसकी जींस और भी नीचे खिसक गई ..
और उसके चूतड़ लगभग नंगे देख रहे थे ...

अब मैंने अंकल को देखा ..
वो ठीक जूली के पीछे ही खड़े थे ...
और उनकी नजर जूली के नंगे चूतड़ों की दरार पर ही थी ...

फिर अचानक अंकल जूली के पीछे ही बैठ गए ..
मुझे नजर नहीं आया ..
मगर शायद उन्होंने अपना हाथ ..जूली के उस नंगे भाग पर ही रखा था ...

अंकल: क्यों आज तू ऐसे ही पूरा बजार घूम कर आ गई ..बिना कच्छी के ..
देख सब नंगे दिख रहे हैं ...

जूली: हाँ हाँ लगा लो फिर से हाथ बहाने से ...
आप भी ना अंकल ...
तो क्या हुआ ...??
सब आपकी तरह थोड़ी होते हैं ...

अंकल भी किसी से कम नहीं थे .
उन्होंने हाथ फेरते हुए ही कहा ..

अंकल: अरे मैं भी यही कह रहा हूँ बेटा ...
सब मेरे तरह शरीफ नहीं होते ...
मैं तो केवल हाथ ही लगा रहा हूँ ...
बाकी रास्तें में तो सबने क्या क्या लगाया होगा ...

जूली हाथ में कुछ कपडे ले जल्दी से उठती है ...

जूली: अच्छा अंकल जी छोड़ो इन बातों को ...
आप तो जल्दी से मेरी साड़ी का सेट करो ..
मुझे बहुत टेंशन हो रही है ...

तभी कुछ देर तक अंकल और जूली कपड़ों को उलट पुलट करके कोई एक सेट निकलते हैं ..

अंकल: बेटा मेरे हिसाब से तू इन सबमे बहुत ठीक लगेगी ...

जूली: मगर अंकल इस साड़ी के साथ ..आपको ये पेटीकोट कुछ गहरा नहीं लग रहा ...

अंकल: अरे नहीं बेटा ...तू कहे तो मैं तुझको बिना पेटीकोट के ही साड़ी बांधना सिखा दूँ ...
पर आजकल साड़ी इतना पारदर्शी हो गई हैं कि सब कुछ दिखेगा ...

जूली: हाँ हाँ आप तो रहने ही दो ...
चलो मैं ये दोनों कपडे पहन कर आती हूँ (वो पेटीकोट और ब्लाउज) हाथ में ले लेती है..
फिर आप साड़ी बांधकर दिखा देना ...

अंकल: अरे रुक ना ...कहाँ जा रही है बदलने ..

जूली: अरे बाथरूम में ..और कहाँ ...
आप साड़ी ही तो बांधोगे ना ..
ये पेटीकोट और ब्लाउज तो मुझे पहनने आते हैं ...

अंकल: जी हाँ ..पर साड़ी के साथ पेटीकोट और ब्लाउज मैं फ्री पहनाता हूँ ...
अब तुम सोच लो पेटीकोट और ब्लाउज भी मुझ ही से पहनोगी ..तभी साड़ी भी पहनाऊंगा...
हा हा हा ...

जूली: ओह ब्लैकमेल ...मतलब साड़ी पहनाने कि फीस आपको एडवांस में चाहिए ...

अंकल: अब तुम जो चाहे समझ लो ...
मेरी यही शर्त है ...

जूली: हाँ हाँ उठा लो मज़बूरी का फ़ायदा ...
अच्छा जल्दी करो अब ..
रोबिन कभी भी आ सजते हैं ..(उसने अपना मोबाइल को चेक करते हुए कहा )...

एक बार तो मुझे लगा कि कहीं वो मुझे कॉल तो नहीं कर रही ...
मैंने तुरंत अपना मोबाइल साइलेंट कर लिया ...

अंकल जूली के हाथ से ब्लाउज ले खोलकर देखने लगे ..

जूली ने अपने टॉप के बटन खोलते हुए ...

जूली: अब ये कपडे तो मैं खुद उत्तर लूँ ..या ये भी आप ही उतारोगे ...

अंकल: हाँ रुक रुक ...आज सब मैं ही करूँगा ...

और जूली बटन खोलते खोलते रुक जाती है ...

अब अंकल ब्लाउज को अपने कंधे पर डाल ..
बड़े ही फनी अंदाज़ से जूली के टॉप के बाकी बचे बटन खोल देते हैं ...

और जूली भी बिना किसी विरोध के अपना टॉप निकलवा लेती है ..

थैंक्स गॉड उसने अंदर ब्रा पहनी थी ...
जो बहुत सेक्सी रूप से उसके खूबसूरत गोलाइयों को छुपाये थी ...
मगर लो वेस्ट जींस में उसका नंगा सुत्वाकार पेट और ऊपर केवल ब्रा में ..कुल मिलकर जूली सेक्स की देवी जैसी दिख रही थी ... 

जूली होंठो पर मुस्कुराहट लिए लगातार अंकल की आँखों और उनके कांपते हाथों को देख रही थी ..

और अंकल की पतली हालत को देखकर मुस्कुराते हुए ..वो पूरी सैतान की नानी लग रही थी ..

अंकल ने जैसे ही ब्रा को उतारने का उपक्रम किया ..
तभी ...

जूली: अर्र्र्र्रीई इसे क्यों उतार रहे हैं ..ब्लाउज तो इसके ऊपर ही पहनओगे ना ...

अंकल: व्व्व्व्वो हाँ ..पर क्या तुम ब्रा नहीं बदलोगी ..

जूली: वो तो सुबह भी देख लुंगी ..
अभी तो ऐसे ही पहना दो ...

मैं केवल ये सोच रहा था ..
की चलो ऊपर का तो ठीक ही है ...
पर नीचे का क्या होगा .???
नीचे तो उसने कुछ नहीं पहना है ...
जींस उतरते ही उसकी चूत, चूतड़ सब दिखाई दे जायेंगे ...
क्या ये ऐसे ही खड़ी रहेगी ..

मैं अभी सोच ही रहा था ,,कि .....

अंकल ने जूली की जींस का बटन खोल दिया ..

तभी जूली ने फिर थोड़ा सा विरोध किया ...

जूली: अरे अंकल पहले ब्लाउज तो पहना ही देते ..
फिर नीचे का ...

अंकल ने जैसे कुछ सुना ही नहीं ...

चाहते तो जींस की चेन ..दोनों भाग को खींच कर खुल जाती ...मैंने भी कई बार खोली है ..पर 

अंकल ने जींस की चेन को अपने अंगूठे और उँगलियों से पकड़ बड़े रुक रुक कर खोल रहे थे ...

चेन ठीक जूली की फूली हुई चूत के ऊपर थी ..

१०० % उनकी उंगलिया जूली की नंगी चूत को टच हो रही होंगी ...

इसका पता जूली के चेहरे को देखकर ही लग रहा था ..

उसने मदहोशी से अपनी आँखे बंद कर ली थी ..

और उसके लाल रक्तमय होंठ काँप रहे थे ...

चेन खोलने के बाद अंकल ने उसकी जींस दोनों हाथ से पकड़ ..
पहले जूली के चूतड़ से उतारी ..और फिर जूली के जांघों और पाओं से ..
जूली ने भी बड़े सेक्सी अंदाज़ से अपना एक एक पैर उठा ..उसे दोनों पाओ से निकलबा दिया ...

इस दौरान अंकल की नजर ऊपर जूली की चूत ..और उसकी खुलती ..बंद होती कलियों पर ही थी ...

मेरे बेडरूम में अंकल की सांसे इतनी तेज चल रही थी ..
जैसे कई मील दौड़ लगाकर आये हों ...

और अब जूली अंकल के सामने ..
कमरे की सफेद रोसनी में केवल छोटी मिनी ब्रा में पूरी नंगी खड़ी थी ...

अब शायद उसको कुछ शर्म आ रही थी ..

उसने अपनी टांगों को कैची की तरह बंद कर लिया था ..
अंकल ने मुस्कुराते हुए ही पेटीकोट उठाया और उसको पहनाने लगे ...

अब मुझे अंकल बहुत ही शरीफ लगने लगे ...

एक इतने खूबसूरत लगभग नग्न हुस्न को देखकर भी अंकल उसको बिना छुए ..बिना कुछ किये ...कपडे पहनाने लगे ...

बाकई बहुत सयंम था उनमे ...

अंकल ने ऊपर से पेटीकोट ना डालकर ...
फिर जूली के पैरों को उठाकर नीचे से पेटीकोट पहनाया ..
और बहुत ही सेक्सी अंदाज़ से ..जूली को टीस करते हुए उसके पेटीकोट का नाड़ा बाँधा ...

फिर उन्होंने जूली को ब्लाउज पहनाते हुए कई बार उसकी चूची को छुआ और बटन लगाते हुए दबाया भी ..

मैं बुरी तरह बैचेन हो रहा था ...
और सोच रहा था की क्या ताउजी ने भी जूली को ऐसे ही टीस किया होगा ...
या इससे भी ज्यादा ...

क्योंकि उस शादी से पहले एक बार भी हमारे घर ना आने वाले ताउजी उस शादी के बाद ३-४ बार चक्कर लगा चुके हैं ...

अब ये राज तो जूली या फिर ताउजी ही जाने ..

इस समय तो तिवारी अंकल बहुत प्यार से बताते हुए जूली के एक एक अंग को छूते हुए ..
उसको साड़ी का हर एक घूम सिखा रहे थे ...
...

......
...................
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]केवल पेटीकोट और ब्लाउज में अपने सफ़ेद बदन को समेटे ..शरमाती, सकुचाती ..जूली ..
बहुत क़यामत लग रही थी ..

तिवारी अंकल ने करीब १५ मिनट तक उसको साड़ी पकड़ना, उसको लपेटना, प्लेट्स और पल्लू ना जाने क्या-क्या ..

जूली के हर एक अंग को छूते हुए, सहलाते हुए, दबाते हुए ..और चूमते हुए उन्होंने आखिरकार साड़ी को बाँध ही दिया ...

वैसे दिल से मैं भी तिवारी अंकल की तारीफ करने से नहीं चूका ...

क्या साड़ी बाँधी थी उन्होंने ..
जूली साड़ी में कभी इतनी सेक्सी नहीं लगी ...

मुझे पहले लग रहा था ..
कि केवल साड़ी बाँधने नहीं ..वल्कि जूली से मस्ती करने के लिए उन्होंने झूठ बोला होगा ...

मगर अंकल में टैलेंट था ...
वाकई ऐसी साड़ी कोई एक्सपर्ट ही बाँध सकता था ...

साड़ी पहने होने के बाद भी जूली का हर एक अंग ..का उतार चड़ाव साफ़ नजर आ रहा था ...

ब्लाउज और साड़ी के बीच ..उन्होंने, काफी जगह खुली छोड़ी थी ...

ब्लाउज तो जूली का पुराना वाला ही था ..जो शायद कुछ छोटा हो गया था ...

उसमे से उसकी दोसनो चूची ..गजब तरीके से उठी हुई ..अपनी पूरी गोलाई दिखा रही थी ...

और ब्लाउज इतना पतला, झीना था कि उसकी ब्रा का एक एक लेस और अकार साफ़ नजर आ रहा था ...

साड़ी उन्होंने नाभि से काफी नीचे बांधी थी ....

इसीलिए उसकी लुहावनी नाभि, सुत्वाकार पेट और कमर का कर्वे तो दिल पर छुरियाँ चला रहा था ..

अंकल ने जूली के हर खूबसूरत अंग को बहुत खूबसूरती से साड़ी से बाहर नंगा छोड़ दिया था ...

कुल मिलाकर एक आकर्षक सेक्स अपील दे दी थी उन्होंने ...

मैंने मन ही मन खुद उनको धन्यवाद दिया ...

जूली बहुत खुश दिख रही थी ...

वो बार बार खुद को ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो ..हर और से ..घूम घूम कर .... चारों ओर से देख रही थी ....

अंकल भी मुस्कुरा रहे थे ...

जूली: ओह थेंक्यु अंकल ...
आप बाकई बहुत अच्छे हो ...
मजा आ गया ...

अंकल ..ठीक जूली के पीछे पहुंच गए ...
उन्होंने अपना हाथ जूली के नंगे पेट पर रख उसको अपने से चिपका लिया ...

अंकल: देखा मेरी हीरोइन कितनी खूबसूरत है ...

जूली: हाँ अंकल आपने तो बिलकुल हीरोइन ही बना दिया ...

अंकल अपना हाथ जूली के पेट के निचले हिस्से तक ले गए ..

अंकल: बेटा जब बाहर जाओ तो कच्छी जरूर पहनकर जाना ...

जूली: अच्छा ..मैं तो पहनकर जाऊं ..और आप बिना अंडरवियर के ही आ जाओ ...

अंकल: हे हे हे अरे मेरा क्या है, ...तो तूने देख लिया ..

जूली: इतनी देर से ..आपसे ज्यादा तो... आपका पप्पू ही लुंगी के बाहर आ मुझे देख रहा था ..

मैंने ध्यान दिया कि अंकल ने केवल लुंगी और सैंडो बनियान ही पहनी थी ...

वैसे वो इन्ही कपड़ों में सब जगह घूम लेते थे ...
कभी कभी तो कॉलोनी के बाहर भी ...

हाँ उन्होंने अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था... ये नहीं पता था ..

अंकल: तुम्हे तो पता है बेटा मुझे पसीना बहुत आता है ..और फिर अंदर खारिज़ हो जाती है ..
इसीलिए अंडरवियर नहीं पहनता ...

तभी बिंदास जूली ने एक अनोखी हरकत कर दी ..

उसने अपना सीधा हाथ पीछे कर कुछ पकड़ा ..मुझे तो नहीं दिखा ...

पर वो अंकल का लण्ड ही था ...

जूली: लगता तो ऐसा है ...जैसे आपके पप्पू को ही कैद में रहने कि बिलकुल आदत नहीं है ...
जब देखो लुंगी से भी बाहर आ जाता है ...

अंकल: अह्ह्ह्ह्हाआआआआआ .हाँ ये भी है ...

जूली: अच्छा तो इसको यहाँ से तो दूर करो ना ..
कहीं मेरी साड़ी में ऐसी वैसी जगह धब्बा लगा दिया ..तो हो गया फिर ..
कल मैं क्या पहनकर जाउंगी ...

अंकल: अरे आअह्ह्ह्हाआआआ ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह 
हेेेेेेेेेेेेे आःआआ 

जूली: ओह अंकल ....ये क्या .....?????
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरा हाथ ..........

हा हा हा ..लगता है अंकल संभाल नहीं पाये थे ...
जूली का हाथ लगते ही ...
उनका बह गया था ....

जूली ने ड्रेसिंग टेबल से रुमाल उठाकर ...अपना हाथ और अंकल का लण्ड भी साफ़ कर दिया ...

अंकल: सॉरी बेटा ...ह्ह्ह्ह ह्ह्ह वो मैं क्या ..??

जूली: अरे कोई बात नहीं अंकल ..
हा हा 
हो जाता है ...
चलिए आपको साड़ी पहनने का इनाम तो मैंने दे दिया ..
ठीक है ...

अंकल: नहीं ये कोई इनाम नहीं हुआ ...
वो तो मैं तेरी प्यारी मुनिया पर चुम्मी करके लूंगा ..

उनका इशारा जूली कि चूत की ओर ही था ...

जूली: नहीं जी मैं अभी ये साड़ी नहीं उतारने वाली ..
आज में अपने जानू का स्वागत ऐसे ही करुँगी ..

अंकल: कोण जानू ..मैं तो यहाँ ही हू ...

जूली: हे हे ..... मैं आपकी बात नहीं कर रही हूँ अंकल ..
मैं रोबिन की बात कर रही हूँ ...
वो बस आते ही होंगे ..
अब आप जाओ प्लीज ...

अंकल: क्या यार ...बस एक चुम्मी ...
अच्छा मैं साड़ी नहीं उतरूंगा ..
बस ऊपर करके ले लूंगा ...

अंकल जूली की साड़ी फिर से ऊपर करने लगे थे .

मुझे लगा कि अगर जोश में आ उन्होंने कहीं साड़ी खोल दी तो मैं अपनी जान को ऐसे कपड़ों में प्यार नहीं कर पाउँगा ...

बस मैं दरवाजे तक गया ..
और ज़ोर से खोलते हुए ...

मैं: अरे तुम आ गई जान ....
जाआआआं न कहाँ हो ????

.......
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[font=verdana, geneva, lucida,]तिवारी अंकल ६४-६५ साल की आयु में वो मजे ले रहे थे ..
जो शायद उन्होंने कभी अपनी जवानी में भी नहीं लिए होंगे ...

एक जवान २६-२७ साल की शादीसुदा, सुन्दर नारी के साथ वो सेक्स का हर वो खेल...
बहुत अच्छी तरह से खेल रहे थे ...
जो अब तक उन्होंने सपनो में सोचा और देखा होगा ...

जूली जैसी सुंदरता की मूरत नारी को साधारतया देखते ही पुरुषों की हालत पतली हो जाती थी ..

वो दिन रात बस एक नजर उसको देखने की कामना रखते थे ...

वो जूली ...बेहद किस्मतशाली तिवारी अंकल ..के हर सपने को पूरा कर रही थी ...

तिवारी अंकल की किस्मत उन पर पूरी मेहरवान थी ..

वो जूली को पूर्णतया नग्न अवस्था में देख चुके थे ..

उसके सभी अंगों को भरपूर प्यार कर चुके थे ...

सबसे बड़ी बात वो जब दिल चाहे उनसे मजे लेने आ जाते थे ...

अभी कुछ देर पहले ही ..मेरे सामने उन्होंने ..जूली के हर अंग ...
मतलब ..
उसकी रसीली चूचियों को सहलाते हुए ...ब्लाउज पहनाया था ..
उसकी सफ़ेद,गोरी केले जैसी चिकनी जाँघों, चूत और चूतड़ सभी को अच्छी तरह छूकर, सहलाकर और रगड़कर पेटीकोट पहनाया ..
फिर उसका नाड़ा बाँधा ..
और अंत में पूरे शरीर को ही रगड़ते हुए उसके एक एक कर्व का मजे लेकर साड़ी बाँधी ..

वो सब तो फिर भी ठीक ..पर 
उस सपनो की रानी के गरमा गरम कोमल हाथों में अपना लण्ड दे दिया ...
और फिर उन्ही हाथों में वीर्य विसर्जन कर देना ...

इतना सब देखने के बाद जब मैंने फिर से उनकी इच्छा जूली की नंगी चूत के चुम्मे की सुनी ...

और वो उसकी साड़ी को ऊपर करने लगे ..
जहाँ मुझे पता था ...कि जूली ने कच्छी भी नहीं पहनी है ...

मैं तुरंत अपनी उपस्थिति बताने के लिए ..
पहले मैन गेट तक गया ...
और तेजी से दरवाजे को खोलते हुए ही अंदर आया..

मैं बिलकुल नहीं चाहता था कि उनको जरा भी पता चले ..
मुझे उनके किसी भी रोमांस की जरा सी भी भनक है ..

मैं: जूली ओ जान तुम आ गई..
कहाँ हो ..??

मैं सीधे बेडरूम के परदे तक ही आता हूँ ..

मैं देखना चाहता था ..

दोनों मेरे बेडरूम में अकेले हैं ..
वो दोनों मुझे अचानक देखकर कैसा रियेक्ट करते हैं ..

मगर परदा हटाते ही मैंने तो देख लिया ..
किन्तु उन्होंने मुझे देखा या नहीं ..
पता नहीं ...

मेरे दरवाजे तक जाने तक ही ..
अंकल ने जूली को बिस्तर के किनारे पर लिटा दिया था ..

मैंने देखा अंकल भौचक्के से उठकर ...
जूली को बोल रहे थे ..

अंकल: जल्दी सही हो ..
लगता है रोबिन आ गया ..ओ बाबा ..

और जूली बिस्तर के किनारे पीछे को लेटी थी ...
उसके दोनों पैर ..मुड़े हुए किनारे पर रखे थे ...
और पूरे चौड़ाई में खुले थे ..
उसकी साड़ी ..पेटीकोट के साथ ही कमर से भी ऊपर होगी ..
क्युकि ..एक नजर में मुझे केवल जूली की नंगी टाँगे और हलकी सी चूत की भी झलक मिल गई थी ..

मुझे बिलकुल पता नहीं था कि वो चुम्मा ले चुके थे ..
या केवल साड़ी ही ऊपर कर पाये थे ..

मैं एक दम से पीछे को हो गया ..
तभी मुझे जूली के बिस्तर से उठने की झलक भी दिखाई दी ..

२ सेकंड रूककर जब मुझे लगा कि अब दोनों सही हो गए होंगे ..

मैं कमरे में प्रवेश करता हूँ ...

अंकल का चेहरा तो सफ़ेद था ..

मगर जूली नार्मल तरीके से अपनी साड़ी सही कर रही थी ...

जूली: ओह जानू आप आ गए .. 
बिलकुल ठीक समय पर आये हो ..
देखो मैं कैसी लग रही हूँ ....

मेरे दिल ने कहा ..हाँ जान जूली ..
तुम्हारे लिए तो सही समय पर आया हूँ ...
पर अंकल को देखकर बिलकुल नहीं लग रहा था ..
कि मैं ठीक समय पर आया हूँ ...
बहुत मायूस दिख रहे थे बेचारे ...

उनके चेहरे को देखकर ऐसा ही लग रहा था..
जैसे बच्चे के हाथ से उसकी चॉकलेट छीन ली हो .. 

वैसे गर्मी इतनी है कि आइसक्रीम का उदाहरण ज्यादा सटीक रहेगा ...

मैं: वाओ जान ..आज तो बिलकुल क़यामत लग रही हो ..
मैं तो हमेशा कहता था ...
कि साड़ी में तो मेरी जान कत्लेआम करती है ..

जूली: हाँ हाँ रहने दो आपको तो हर ड्रेस देखकर यही कहते हो ...
आपको पता है न मेरी जॉब लग गई है ...

मैं तुरंत आगे बढ़कर जूली को सीने से लगा ..एक चुम्मा उसके होंठो पर कर देता हूँ ..

ये मैंने इसलिए किया कि अंकल थोड़ा नार्मल हो जाएँ ..
वरना इस समय अगर मैं जरा ज़ोर से बोल देता को कसम से वो बेहोश हो जाते ..
क्युकि दिल से बाकई तिवारी अंकल बहुत अच्छे इंसान थे ..
और हाँ मेरी रंजू भाभी भी ...

मैं: हाँ जान तुमको बहुत बहुत बधाई ..
चलो अब तुम बिलकुल बोर नहीं होगी ...
ये बहुत अच्छा हुआ ...

जूली: लव यू जान ..
और हाँ वहां साड़ी पहनकर ही जाना है .
और अंकल ने मेरी बहुत हेल्प की है ..

अंकल: अरे कहाँ बेटा ..
बस जरा सा तो बताया है ...
बाकी तो तुमको आती ही है ...
अच्छा अब तुम दोनों एन्जॉय करो ..
मैं चलता हूँ ...

मैं: अरे अंकल रुको ना ...
खाना खाकर जाना ...

जूली: पर मैंने अभी तो कुछ भी नहीं बनाया ..

मैं: तो बना लो ना ...या ऐसा करते हैं कहीं बाहर चलते हैं ...

अंकल: अरे बेटा ...मैं तो चलता हूँ ..
मैं तो साधा सा ही खाता हूँ ..
और रंजू भी इन्तजार कर रही होगी ...

जूली: ठीक है अंकल ..थैंक्यू ...
और हाँ सुबह भी आपको हेल्प करनी होगी ..
अभी तो एक दम से मेरे से नहीं बंधेगी ..ये इतनी लम्बी साड़ी ...

अंकल: अरे हाँ बेटा जब चाहे बुला लेना ...
अंकल चले जाते हैं ...

जूली: हाँ जानू चलो कहीं बाहर चलते हैं खाने पर ..
पर कहाँ ..???

मैं: चलो आज अमित के यहाँ ही चलते हैं ...
वो तो आया नहीं ...
हम ही धमक जाते हैं साले के यहाँ ..

जूली: नहीं जानू कहीं और ...बस हम दोनों मिलकर सेलिब्रेट करते हैं ...
किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में चलते हैं ..

मैं : ओके मैं बस दो मिनट में फ्रेश होकर आया ...
और हाँ तुम ये साड़ी पहनकर ही चलना ..

जूली: नहीं जान ..ये तो कल स्कूल पहनकर जाउंगी ..
कुछ और पहनती हूँ ..
(मुझे आँख मारते हुए )..
सेक्सी सा ...

मैं: यार एक काम करो तुम ड्रेस रख लो ..
गाड़ी में ही बदल लेना आज ...

और बिना कुछ सुने मैं बाथरूम में चला जाता हूँ ..

अब देखना था कि जूली ड्रेस बदल लेती है..
या फिर मेरी बात मानती है ...

.........
....................
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[font=verdana, geneva, lucida,]बाथरूम में ५ मिनट तक तो मैं ये आहट ..लेता रहा कि कहीं अंकल फिर से आकर अपना अधूरा कार्य पूरा तो नहीं करेंगे ...

मगर मुझे कोई आहट नहीं मिली ...

दोनों ही डर गए थे ...
अंकल तो शायद कुछ ज्यादा ही ...
कि मैंने कहीं कुछ देख तो नहीं लिया ...
या मुझे कोई शक तो नहीं हो गया ...

हो सकता है कि अंकल तो शायद डर के मारे १-२ दिन तक मुझे दिखाई भी ना दें ...

करीब १५ मिनट बाद मैं बाथरूम से बाहर निकल कर आया ...

जूली सामने ही अपनी साड़ी को फोल्ड करती नजर आई ...

मैं थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया ...
कि मेरे कहने के बाद भी उसने कपडे क्यों बदले ..??

क्या वो खुद मस्ती के मूड में नहीं थी ...??
या मेरे को अभी भी अपनी शराफत दिखा रही थी ..

मैं तो ये सोच रहा था ...
कि वो खुद रोमांच से मरी जा रही होगी ..कैसे अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट खुद चलती गाड़ी में निकालेगी...
और दूसरी ड्रेस पहनेगी ..
मैं खुद बहुत ही ज्यादा रोमांच महसूस कर रहा था ..
कि आस पास जाने वाली गाड़ियां और पैदल चलने वाले लोग ...उसके नंगे बदन या नंगे अंगों को देख कैसा रियेक्ट करेंगे ...

मगर जूली ने तो सब कुछ एक ही पल में ख़त्म कर दिया था ...

उसने अपनी ड्रेस घर पर ही बदल ली थी ...

और ड्रेस भी उसने कितनी साफ़ सुथरी पहनी थी ..
फुल जीन्स और लगभग सब कुछ धका हुआ है ..
ऐसा टॉप ...

ऐसा नहीं था ..कि इन कपड़ों में कोई सेक्स अपील न हो ...

उसकी चूचियों के उभार और टाइट जीन्स में चूतड़ों का आकार साफ़ दिख रहा था ...

मगर एक मॉडर्न परिवार की संस्कारी बहु जैसा ही ...
जैसा अमूमन सभी लड़कियां पहनती हैं ..

जबकि जूली तो बहुत सेक्सी है ...
वो तो काफी खुले कपड़ों में भी बाजार जा चुकी है ..

जब वो दिन में मिनी स्कर्ट महंकर बाजार जा सकती है ..
तब अब तो रात है ...
और वो भी अपने पति के साथ ही जा रही है ...

मेरा मुहं कुछ लटक सा जाता है ...

जूली: आप कपडे यही पहनकर जाओगे या कुछ और निकालूँ ...

मैं : बस बस रहने दो ...तुमसे यही पहनकर चलने को कहा था ...
वो तो सुना नहीं ...
और मेरे साथ चल रही हो ..
एक रोमांटिक डिनर पर ...
ऐसा करो बुरखा और पहन लो ..

जूली: ओह मेरा सोना ..मेरा बाबू ..
कितना नाराज होता है ..

जूली को शायद कुछ समय पहले हुई हरकत का थोड़ा सा अफ़सोस सा था ..

वो अपना पहले वाला पूरा प्यार दिखा रही थी ..

उसने मुझे अपने गले से लगा लिया ..
मुझे चिपकाकर उसने मेरे चेहरे पर कई चुम्बन ले दिए ...

मैं: बस बस रहने दो यार ..जब हम रोमांटिक होते हैं ..तो तुम जरुरत से ज्यादा ...बोर हो जाती हो ..

जूली: क्या कहा ..मैं और बोर ...
नहीं मेरे जानू ... तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाजिर है ..
तुम जैसा चाहो मैं तो बिलकुल वैसे ही रहना चाहती हूँ ..

मैं: तो ये सब क्या पहन लिया .??
तुम्हारे पास कितने सेक्स ड्रेसेस हैं ..
कुछ बढ़िया सा नहीं पहन सकती थीं ..

जूली: मेरे जानू तुम बोलो तो फिर से साड़ी पहन लेती हूँ ..

मैं: हा हा .फिर तो कल का लंच ही मिल पायेगा ..
मुझे पता है तुम कितनी परफेक्ट हो साड़ी पहनने में ..

जूली: हाँ ये तो है ..अब आप बताओ ..
जो कहोगे वो ही पहन लुंगी ...

बिस्तर पर जूली की २-३ ड्रेसेस और भी पड़ी थी ..

मैंने उसकी एक सफ़ेद मिनी स्कर्ट ..जिसमे आगे और पीछे बहुत सेक्सी पिक्चर भी थे ..
और एक लाल ट्यूब टॉप ..लिया ..जो केवल चूची को ही कवर करता था ....

जूली मेरे हाथ से दोनों कपडे लेने की कोशिश करती है ..
जूली: लाओ ना मैं अभी फटाफट बदल लेती हूँ ..

मैं: अरे छोड़ो यार ये तो अब ...
मैंने कहा था ना ...
चलो गाड़ी में ही बदल लेना ...

जूली: अरे गाड़ी में कैसे ...क्या हो गया है आपको जानू ..??
सब देखेंगे नहीं क्या ..??

मैं: अरे कोई नहीं देखेगा यार ..
चलती गाड़ी में ही कह रहा हूँ ..
ना की खुली सड़क पर ...

जूली: म्म्म्मगर ...

मैं: कोई अगर मगर नहीं यार ..
अगर थोड़ा बहुत कोई देखता भी है ...तो हमारा क्या जायेगा ...
उसका ही नुक्सान होगा ...
हा हा हा हा (मैंने आँख मारते हुए उसको छेड़ा)..

अबकी बार जूली ने कुछ नहीं कहा ..
वल्कि हलके से मुस्कुरा दी बस ...

हम दोनों जल्दी से फ्लैट लॉक करके गाड़ी में आकर बैठ जाते हैं ...

थैंक्स गॉड कोई रोकने टोकने वाला नहीं मिला ...

जूली: तो कहाँ चलना है ...

मैं: बस देखती रहो ...
मैंने सोच लिया था .आज फुल मस्ती करने का ...

मैं जूली को अब अपने से पूरी तरह खुलना चाह रहा था ..
इसीलिए मैंने नाइट बार कम रेस्टोरैंट में जाने की सोची ..

बो सिटी के बाहरी छोर पर था ..और करीब ३-४ किलोमीटर दूर था ...

वहां बार डांसर भी थीं जो काफी कम कपड़ों में सेक्सी डांस करती थीं ..
खाना और ड्रिंक सब कुछ मिल जाता था ...

और कपल्स भी आते थे ...
इसलिए कोई डर नहीं था ...

मैंने पहले भी जूली के साथ ५-६ बार ड्रिंक किया था ..
मुझे पता था वो हल्का ड्रिंक पसंद करती है ..
मगर उसको पीने की ज्यादा आदत नहीं थी ...

शहर के भीड़ वाले एरिया से बाहर आ मैंने जूली को बोला जान अब कपडे बदल लो ...

जूली आस पास... आती जाती गाड़ियों को देख रही थी ..

जूली: ठीक है ..पर हम जा कहाँ रहे हैं ...??

मैं: अरे यार देख लेना ...खुद जब पहुँच जायेंगे ..

जूली बिना कुछ बोले पाने टॉप के बटन खोलने लगती है ....

मैंने जानबूझकर गाड़ी की स्पीड कुछ कम कर दी थी ..
जिसका जूली को कुछ पता नहीं चला ...

मैं जूली पर हलकी सी नजर मार रहा था ...
पर आस पास के लोगो को ज्यादा देख रहा था ...
की कौन-कौन मेरी बीवी को देख रहा है ...

मगर आती जाती गाड़ियों की लाइट से कुछ पता नहीं चल रहा था ....

हाँ फूटपाथ पर जाते हुए १-२ लड़कों ने जरूर हलकी सी झलक देखी होगी ...

मैंने जूली की ओर देखा ...
उसने टॉप निकाल दिया था ...
अंदर उसने सेक्सी लेस वाली क्रीम कलर की ब्रा पहनी थी ...
जो उसके ३६ इंच के मम्मो का आधा भाग ही कवर कर रही थी ...

केवल ब्रा में जूली का ऊपरी शरीर गजब ढा रहा था ..

जूली लाल वाले ट्यूब टॉप को सीधा करके पहनने लगी ..

मगर मैंने उसके हाथ से टॉप ले लिया ...

जूली: क्या कर रहे हो ?? जल्दी दो ना ...अब मुझे पहनने तो दो ..

मैं: अरे पहले स्कर्ट पहनो यार ..तुम भी ना ..
तुम भी ना रूल तोड़ती हो ...

एक्चुअली हम दोनों ने एक नियम बनाया था ...
पहनते समय ..पहले बॉटम फिर टॉप ..
उतारते समय .. पहले टॉप फिर बॉटम ...

जूली को हंसी आ जाती है ...

जूली: आज तो लगता है आप पहले से ही पीकर आये हैं ..
बिलकुल नशे वाली हरकतें कर रहें हैं ...

मैं: अरे नहीं जानू ..अभी पिएंगे तो बार में जाकर..
तुमको तो पता है ..की पीते भी हम तुम्हारे साथ ही हैं ..

जूली: लगता है आज आप पुरे मूड में हैं ...

जूली बात करते हुए ही अपनी जीन्स का बटन और चेन खोल ..जीन को बैठे बैठे ही निकालने की कोशिश की ..

मगर जीन्स बहुत टाइट थी ..
जूली के चूतड़ों से उतरी ही नहीं ..

उसको सीट के ऊपर होना पड़ा ...
एक पैर सीट के ऊपर रख जब उसने जीन्स चूतड़ों से उतार दी...
और उसको पैरों से निकालने लगी ..
तभी मेरी नजर उसके नंगे साफ़ सफ्फाक चूतड़ों पर पड़ी ...

ओह ये क्या ...?? 
उसने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी .. 

और अचानक मेरा पैर ब्रेक पर दब गया ...

एक तेज आवाज के साथ गाड़ी चिन्नंइइइइइइइइइइइइइइइइइ 

जरा देर के लिए रुकी ..

और तभी एक बुजुर्ग जोड़ा जो पैदल ही जा रहा था ..
उसके पास ही गाड़ी रुकी ..

और मुझे बुजुर्ग का चेहरा जूली की ओर के सीसे से झांकता दिखा ...

१००% उसने जूली का निचला शरीर नंगा देख लिया होगा ..
मगर क्या ये तो वही जनाव बता सकते थे ...

मैंने तुरंत गाड़ी आगे बड़ा दी ...

अब तक जूली ने जीन्स पूरी निकाल पीछे सीट पर डाल दी ...

जूली के पुरे शरीर पर अब केवल एक वो क्रीम कलर की छोटी सी ब्रा ही बची थी ..

और पूरा शरीर नंगा ...किसी अजंता एलोरा की देवी जैसी ही नजर आ रही थी ..मेरी जूली इस समय ..

मैं: क्या जान ..कच्छी कहाँ है तुम्हारी ...

जूली: ओह य्य्य्य्ये क्या हुआ ...??
मैंने तो आज पहनी ही नहीं थी ....
अब क्या करेंगे ...???

मैं: क्या यार तुम भी ना ...???
पर आज तो तुमको वहां मैं स्कर्ट में ही लेकर जाऊंगा ..

जूली सोच विचार में कपडे पहनना ही भूल गई थी ..

मैं अभी सोच ही रहा था कि ..
ओह रेड लाइट ...

और मुझे वहां रुकना पड़ा ...

अब जूली को भी अहसास हो गया कि गलती हो गई ..

अगर एक भी गाड़ी हमारे आस पास रूकती ..
तो उसको एक दम पता चल जाता कि ..
कोई नंगी लड़की गाड़ी में है ...

मेरी भी हालत ख़राब थी ...

मैं अभी सोच ही रहा था ..

कि तभी मेरी विंडो पर एक भिखारी और उसके साथ एक लड़की दोनों आकर खड़े हो गए ...

मैं अभी उस भिखारी को देख ही रहा था ..

कि मेरी नजर जैसे ही उसकी नजरों पर पड़ी ..

मैंने देखा वो सीधा जूली की ओर ही देख रहा था ...

और जूली .....

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